Friday, March 28, 2025
Home Blog

Ganesh Chaturthi – गणेश चतुर्थी – गणपति उत्सव : भगवान गणेश की एक समृद्ध आराधना का पर्व, जानें इसके बारे में…

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) एक भारतीय उत्सव है, भगवान श्री गणेश के अवतरण दिवस के रूप में उनकी आराधना और स्तुति करने हेतु मनाया जाता है। गणपति एक सार्वजनिक गणेशोत्सव है, जो गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाने वाला एक महोत्सव है। ये उत्सव भारत के महाराष्ट्र राज्य और मुंबई नगर में विशेष रूप से मनाया जाता है। आजकल गणेशोत्सव भारत के अन्य भागों में भी हर्षोल्लास से मनाया जाने लगा है।

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)

भगवान गणेश हिंदू धर्म के प्रथम आराध्य देवता है। किसी भी पूजा कार्य अथवा किसी भी शुभ कार्य का आरंभ करते समय सबसे पहले भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। वह सभी विघ्नों का नाश करते हैं, इसीलिए किसी भी शुभ कार्य या पूजा कार्य में आने वाले विघ्नों को रोकने के लिए सबसे पहले भगवान गणेश की स्तुति की जाती है।

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव का ही पर्व है शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश का अवतरण हुआ था। इसी कारण गणेश चतुर्थी उनके अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है। यूँ तो तो पूरे भारतवर्ष में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में यह पर्व विशेष उल्लास से मनाया जाता है।

गणपति

महाराष्ट्र में गणपति महोत्सव 10 दिनों तक चलने वाला एक सार्वजनिक महोत्सव है। ये महाराष्ट्र एवं गोवा आदि राज्यों में विशेष रूप से मनाया जाता है। 10 दिन तक भगवान श्री गणेश की प्रतिमा की स्थापना की जाती है और उस प्रतिमा का विसर्जन तालाब, झील, समुद्र आदि किसी भी जलाशय आदि में कर दिया जाता है।

ये महोत्सव भगवान श्री गणेश के प्रति आभार प्रकट करने का एक प्रसिद्ध महोत्सव है। यह महाराष्ट्र, गोवा एवं मुंबई का सार्वजनिक उत्सव है। सभी भक्तगण सार्वजनिक रूप से और व्यक्तिगत रूप से इस उत्सव को मनाते हैं। वे भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को सार्वजनिक पंडालों में अथवा अपने घरों पर भगवान श्री गणेश की प्रतिमा की स्थापना करते हैं। भक्त लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार प्रतिमा की स्थापना करते हैं। कोई डेढ़ दिन लिये के लिये प्रतिमा की स्थापना करता है, अर्थात डेढ़ दिन का गणपति बिठाता है, तो कोई तीन दिन, पाँच दिन या सात दिन तक प्रतिमा की स्थापना करते है।

दस दिन का महोत्सव

सभी बड़े सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल दस दिन तक गणेश प्रतिमा की स्थापना करते हैं। दस दिनों तक धूमधाम से गणेशात्सव का पर्व मनाया जाता है। कुछ प्रसिद्ध गणेशोत्सव मंडलों में लोग दूर-दूर से भगवान गणपति के दर्शन करने आते हैं। मुंबई का लाल बाग का राजा एक ऐसा ही प्रसिद्ध पंडाल गणेशोत्सव मंडल है, जहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं।

गणेश प्रतिमा की स्थापना के पहले दिन लोग गाजे-बाजे के साथ भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा की स्थापना करते हैं और अंतिम दिन यानी अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश प्रतिमा के विसर्जन के लिए भी पूरी धूमधान से गाजे-बाजे के साथ निकटतम जलाशय, झील, तालाब या समुद्र में प्रतिमा का विसर्जन करने को ले जाते हैं। लोग गणपति बाप्पा मोरया, पुरचा वर्षी लवकर या’ का नारा लगाते हैं। इसका अर्थ है, भगवान गणेश की जय हो, अगले वर्ष आप जल्दी आना। गणपति का उत्सव महाराज एवं मुंबई का सबसे बड़ा उत्सव है और यह उत्सव सार्वजनिक उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।

गणपति उत्सव सार्वजनिक रूप से कैसे शुरू हुआ?

महाराष्ट्र में भगवान गणेश को की विशेष तौर पर पूजा करने की परंपरा रही है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में किसी विशिष्ट देवी-देवता को विशेष रूप से पूजन करने की परंपरा रही है। महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां पर भगवान श्री गणेश को मराठी लोग बहुत अधिक श्रद्धा भाव से मानते हैं। गणेश की सार्वजनिक रूप से गणेश उत्सव की शुरुआत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी, उन्होने महाराष्ट्र के घर-घर में मनाये जाने वाले इस उत्सव को सार्वजनिक उत्सव का रूप दिया।

श्रीगणेश

भगवान श्री गणेश भगवान हिंदू धर्म में प्रथम आराध्य देव हैं। भगवान श्री गणेश की पूजा किए बिना कोई भी पूजा प्रारंभ नहीं मानी जाती। किसी भी धार्मिक पूजा का आरंभ भगवान गणेश की स्तुति से ही किया जाता है। इससे पूजाकार्य में विघ्न उत्पन्न न हों। भगवान श्री गणेश श्री शिव-पार्वती के पुत्र हैं। उनके बारे में अनेक कथायें प्रचलित हैं। श्रीगणेश को विघ्नों का हरण करने वाले के देव के रूप में माने जाते हैं, और ऋद्धि-सिद्धि के प्रदाता माने जाते हैं। गणेश द्वादशनाम मंत्र

सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः।।
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि।।
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते।।

गणेश वंदना मंत्र

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।

गणेश मनोकामना पूर्ति मंत्र

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌।

गणेश सर्वकामना पूर्ति स्तोत्र  (इस गणेश स्तोत्र का 108 बार शुद्ध सात्विक मन से पाठ से करने से अद्भुत फल प्राप्त होते हैं।)

ॐ नमो विघ्नराजाय, सर्वसौख्य प्रदायिने
दुष्टारिष्ट विनाशाय पराय परमात्मने।।
लंबोदरं महावीर्यं, नागयज्ञोपज्ञोभितम
अर्धचंद्र धरं देहं विघ्नव्यूह विनाशनम्।।
ॐ ह्रां, ह्रीं ह्रुं, ह्रें ह्रौं ह्रः हेरंबाय नमो नम:
सर्व सिद्धिं प्रदोसि त्वं सिद्धि बुद्धि प्रदो भवं।।
चिंतितार्थं प्रदस्तवं हीं, सततं मोदक प्रियं
सिंदूरारुण वस्त्रैश्च पूजितो वरदायक:।।
इदं गणपति स्तोत्रं य पठेद् भक्तिमान नर:
तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मींर्मुंञति।।

भगवान श्री गणेश सभी के जीवन में सुख समृद्धि भरें और सभी का कल्याण करें यही प्रार्थना है।

Post topic: Ganesh Chaturthi – गणेश चतुर्थी


ये भी पढें…

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) – भाई और बहन के प्रेम का अनोखा बंधन। जानें क्यों और कैसे मनातें हैं?

Hariyali Teej Vidhi-Vidhan – हरियाली तीज त्योहार, महिलाओं का अनोखा पर्व – पूर्ण विधि-विधान

Life Scan of Avni Lekhra – अवनि लेखरा – एक प्रेरणादायक पैरालिंपियन की कहानी

अवनि लेखरा (Avni Lekhra) का नाम आज न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में एक प्रेरणा स्रोत के रूप में पहचाना जाता है। वह एक ऐसी नारी हैं जिन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों को मात देते हुए न केवल खुद को साबित किया, बल्कि देश का नाम भी ऊंचा किया। एक पैरालिंपियन और भारतीय राइफल शूटर के रूप में, अवनि ने अपने संघर्ष, संकल्प और मेहनत से न केवल एक या दो, बल्कि कई स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इस लेख में हम उनके जन्म से लेकर उनकी विशेष उपलब्धियों और पुरस्कारों तक, उनके जीवन के हर पहलू पर चर्चा करेंगे –

अवनि लेखरा (Avni Lekhra) की संघर्षमयी जीवनगाथा (Life Scan of Avni Lekhra)

अवनि लेखरा एक भारतीय पैरालंपियन और राइफल शूटर हैं, जिन्होंने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रचा है। 8 नवंबर 2001 को जयपुर, राजस्थान में जन्मीं अवनि ने 11 साल की उम्र में एक कार दुर्घटना के बाद पैरालिसिस का सामना किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और शूटिंग में अपना करियर बनाया। उनकी असाधारण प्रतिभा और दृढ़ संकल्प ने उन्हें टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 पैरालंपिक में स्वर्ण पदक दिलाया, जिससे वे भारत की सबसे सफल पैरालंपिक एथलीट बन गईं। आइए इस प्रेरणादायक खिलाड़ी के जीवन और उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानें।

जन्म और परिवार

अवनि लेखरा का जन्म 8 नवंबर 2001 को जयपुर, राजस्थान में एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रवीण लेखरा और माता का नाम श्वेता लेखरा है। उनके पिता प्रवीण कुमार लेखरा और माता ने हमेशा उन्हें जीवन में आगे बढ़ने और कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित किया। अवनि के बचपन के शुरुआती साल सामान्य ही थे, लेकिन 2012 में एक कार दुर्घटना ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। इस हादसे में उनकी रीढ़ की हड्डी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके कारण उन्हें पैराप्लेजिया (निचले अंगों की विकलांगता) का सामना करना पड़ा। इस घटना ने उन्हें व्हीलचेयर पर रहने के लिए मजबूर कर दिया, लेकिन अवनि के संकल्प ने उन्हें इस कठिनाई से उबरने का साहस दिया।

शिक्षा

अवनि की प्रारंभिक शिक्षा जयपुर के केंद्रीय विद्यालय 3 में हुई, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने खेल जीवन की भी शुरुआत की। अपने स्कूल के दिनों में ही उन्होंने शूटिंग में रुचि दिखाई और धीरे-धीरे इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया। वर्तमान में, अवनि राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई कर रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी अवनि ने हमेशा अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित रखा और इसे अपनी प्राथमिकता बनाई।

जीवन यात्रा

अवनि की जीवन यात्रा संघर्षों और चुनौतियों से भरी रही है। 11 साल की उम्र में जब उन्हें एक कार दुर्घटना का सामना करना पड़ा, तो उनका जीवन एक कठिन मोड़ पर आ गया। इस दुर्घटना के बाद, अवनि ने कई मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना किया।

दुर्घटना के बाद अवनि काफी निराश हो गई थीं और डिप्रेशन में चली गई थीं। उनके पिता ने उन्हें इस मुश्किल दौर से बाहर निकालने के लिए खेलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। शुरुआत में उन्होंने तीरंदाजी की ट्रेनिंग ली, लेकिन जल्द ही उन्हें शूटिंग में अपना असली जुनून मिल गया।

उनके पिता ने उन्हें तीरंदाजी में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया, लेकिन जल्द ही अवनि ने शूटिंग को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। इस दौरान, उन्होंने न केवल अपने शरीर की कमजोरियों पर विजय प्राप्त की, बल्कि मानसिक रूप से भी खुद को सशक्त बनाया। अवनि के संघर्षों की यह कहानी न केवल उनके आत्मविश्वास का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे उन्होंने हर मुश्किल का सामना करते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचने का हौसला रखा।

ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की आत्मकथा से प्रेरित होकर अवनि ने 2015 में शूटिंग शुरू की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

करियर

अवनि लेखरा के करियर की शुरुआत 2015 में हुई जब उन्होंने पूर्व ओलंपिक चैंपियन अभिनव बिंद्रा से प्रेरित होकर शूटिंग को अपना करियर बनाने का फैसला किया। अपने इस फैसले के बाद, अवनि ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2020 टोक्यो पैरालंपिक में आई, जहां उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। इसी पैरालंपिक में उन्होंने 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन SH1 स्पर्धा में कांस्य पदक भी जीता, जिससे वे एक ही पैरालंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।

अवनि का करियर इसी पर नहीं रुका। पेरिस 2024 पैरालिंपिक में उन्होंने एक बार फिर से स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। वह पैरालिंपिक में लगातार दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। यह अवनि की मेहनत और समर्पण का ही परिणाम था कि उन्होंने अपनी सफलता की इस कहानी को लगातार नए मुकामों पर पहुंचाया।

विशेष उपलब्धियां

1. पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला
2. एक ही पैरालंपिक में दो पदक (एक स्वर्ण और एक कांस्य) जीतने वाली पहली भारतीय महिला
3. लगातार दो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट
4. पैरालंपिक में कुल तीन पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला

अवनि लेखरा की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वह पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्होंने न केवल एक, बल्कि तीन पैरालिंपिक पदक अपने नाम किए हैं, जिसमें दो स्वर्ण और एक कांस्य शामिल है। इसके अलावा, अवनि ने पेरिस 2024 पैरालिंपिक में भी स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।

पुरस्कार और सम्मान

अवनि लेखरा को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। 2021 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान ‘खेल रत्न’ से नवाजा गया। इसके अलावा, 2022 में उन्हें ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया, जो भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। अवनि को जीक्यू इंडिया द्वारा 2021 में ‘यंग इंडियन ऑफ द ईयर’ और वोग मैगजीन द्वारा ‘वोग वुमन ऑफ द ईयर’ का खिताब भी मिला। अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति ने उन्हें 2021 में ‘बेस्ट फीमेल डेब्यू’ पुरस्कार से नवाजा।

1. 2021 – खेल रत्न पुरस्कार (भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान)
2. 2021 – यंग इंडियन ऑफ द ईयर (GQ इंडिया)
3. 2021 – वोग वुमन ऑफ द ईयर (वोग मैगज़ीन)
4. 2021 – बेस्ट फीमेल डेब्यू (पैरालंपिक अवॉर्ड्स)
5. 2022 – पद्म श्री
6. 2022 – खेलों में उत्कृष्टता के लिए FICCI FLO पुरस्कार
7. 2022 – शी-एज अवॉर्ड (हिंदुस्तान टाइम्स)
8. 2022 – पैरा एथलीट ऑफ द ईयर (महिला) (स्पोर्ट्स्टार)
9. 2022 – बीबीसी इंडिया चेंज मेकर ऑफ द ईयर 2021

छोटा सा लाइफ स्कैन

नाम: अवनि लेखरा
जन्म तिथि: 8 नवंबर 2001
जन्म स्थान: जयपुर, राजस्थान
माता-पिता: प्रवीण लेखरा (पिता), श्वेता लेखरा (माता)
भाई-बहन: जानकारी उपलब्ध नहीं
वैवाहिक स्थिति: अविवाहित
ऊंचाई: 5 फीट 3 इंच
धर्म: हिंदू
शहर/राज्य: जयपुर, राजस्थान
नेट वर्थ: जानकारी उपलब्ध नहीं

अंत में…

अवनि लेखरा की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कोई भी चुनौती इतनी बड़ी नहीं होती जिसे दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से पार न किया जा सके। 11 साल की उम्र में एक भयानक दुर्घटना के बाद पैरालाइज़ होने के बावजूद, अवनि ने न केवल अपने जीवन को फिर से पटरी पर लाया बल्कि देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव भी हासिल किया। उनकी उपलब्धियां युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं और साबित करती हैं कि शारीरिक सीमाएं सफलता की राह में बाधक नहीं बन सकतीं।

अवनि की सफलता केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत में पैरा-स्पोर्ट्स के विकास और समावेशी समाज की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी कहानी दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति समाज के दृष्टिकोण को बदलने में मदद करती है और उन्हें अपनी क्षमताओं का एहसास कराती है। अवनि लेखरा न केवल एक चैंपियन शूटर हैं, बल्कि वे एक ऐसी रोल मॉडल हैं जो लाखों लोगों को प्रेरित कर रही हैं कि वे अपने सपनों को साकार करने के लिए कभी हार न मानें।

अवनि लेखरा की कहानी उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना कर रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर हमारे पास संकल्प और साहस है, तो हम किसी भी कठिनाई को मात दे सकते हैं और अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं। अवनि ने न केवल अपने देश का नाम रोशन किया है, बल्कि उन्होंने यह भी दिखाया है कि किसी भी समस्या के बावजूद, अगर हमारी इच्छाशक्ति मजबूत है, तो हम किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उनके जीवन की यह कहानी एक संदेश है कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा अपने सपनों की ओर बढ़ते रहना चाहिए।


ये भी पढ़ें…

Neeraj Chopra Life Scan – नीरज चोपड़ा – बहुत दूर तक फेंकने वाला भारत का गोल्डन बॉय (लाइफ स्कैन)

Vinesh Phogat Life Scan – विनेश फोगाट – संघर्षों से निकली एक महिला पहलवान (लाइफ स्कैन)

Atal Bihari Vajpayee Life Scan – अटल बिहारी वाजपेई – काल के कपाल पर गीत नया गाता हूँ।

श्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक थे। भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके वाजपेयी ने अपनी राजनीति के साथ-साथ कविताओं और भाषणों के माध्यम से लोगों के दिलों में जगह बनाई। इस लेख में हम अटल बिहारी वाजपेई के जीवन का स्कैन (Atal Bihari Vajpayee Life Scan) करेंगे…

अटल बिहारी वाजपेई जी की जीवन गाथा (Atal Bihari Vajpayee Life Scan)

अटल बिहारी वाजपेयी भारत के एक प्रमुख राजनेता, कवि और पत्रकार थे, जिन्होंने देश के प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार सेवा की। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और भारतीय राजनीति में अपने दूरदर्शी नेतृत्व और राजनयिक कौशल के लिए जाने जाते थे। आइए उनके जीवन, शिक्षा, संघर्ष, राजनीतिक करियर और उपलब्धियों पर विस्तृत चर्चा करते हैं…

श्री अटलबिहारी वाजपेई

जन्म और परिवार

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक शिक्षक और कवि थे, जबकि उनकी माता कृष्णा देवी एक गृहिणी थीं। वाजपेयी का जन्म एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जिसने उनके व्यक्तित्व और मूल्यों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उनका परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बटेश्वर गाँव का निवासी था, लेकिन उनके पिता ग्वालियर में अध्यापक थे। वाजपेयी जी के चार भाई और तीन बहनें थीं।

वाजपेई जी युवावस्था में अपने परिवारजनों के साथ

शिक्षा-दीक्षा

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में प्राप्त की। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर से प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। वाजपेयी ने अपने छात्र जीवन के दौरान ही राजनीति और सामाजिक कार्यों में रुचि दिखाना शुरू कर दिया था।

जीवन की यात्रा और संघर्ष

अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन संघर्ष और संघर्षशीलता का उदाहरण है। वे राष्ट्रीय सेवा और राजनीतिक प्रतिबद्धता के गवाह रहे। उन्होंने अपने युवा वर्षों में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल होकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, वे भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए, जिसने उनके राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को और मजबूत किया।
वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य बने। उनका जीवन हमेशा राष्ट्रहित के प्रति समर्पित रहा और उन्होंने अपनी कविताओं और भाषणों से लोगों को प्रेरित किया।

अपने प्रारंभिक करियर में, वाजपेयी ने एक पत्रकार के रूप में काम किया और हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े कई प्रकाशनों के लिए लिखा। यह अनुभव उनके भाषण कौशल और लेखन क्षमता को निखारने में सहायक रहा, जो बाद में उनके राजनीतिक करियर में बहुत उपयोगी साबित हुआ।

वाजपेई जी अपनी युवावस्था में गहन मुद्रा में

राजनीतिक करियर

अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक करियर 1951 में भारतीय जनसंघ के गठन के साथ शुरू हुआ। वे पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और जल्द ही अपने प्रभावशाली भाषणों और नेतृत्व कौशल के लिए जाने जाने लगे। 1957 में, वाजपेयी पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और तब से लगातार कई बार सांसद रहे।

1977 में जनता पार्टी सरकार में, वाजपेयी ने विदेश मंत्री के रूप में सेवा की, जहां उन्होंने अपने कूटनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया और भारत की विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन के बाद, वाजपेयी पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक बन गए।

अटल बिहारी वाजपेई संयुक्त राष्ट्र सभा में भाषण देते हुए

वाजपेयी ने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की। उनका पहला कार्यकाल 1996 में केवल 13 दिनों का था। 1998 में, वे फिर से प्रधानमंत्री बने, लेकिन यह सरकार भी केवल 13 महीने तक चली। अंत में, 1999 में, वे एक स्थिर गठबंधन सरकार के साथ प्रधानमंत्री बने और 2004 तक इस पद पर रहे।

नेता के रूप में वाजपेई जी की विशेष उपलब्धियां

प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी की कुछ प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं…

1. परमाणु शक्ति : 1998 में पोखरण-II परमाणु परीक्षणों का आदेश देकर भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

2. आर्थिक सुधार : उनके कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए गए, जिसमें निजीकरण और विदेशी निवेश को प्रोत्साहन शामिल था।

3. बुनियादी ढांचा विकास : स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना जैसी पहलों के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार किया।

4. शांति पहल : पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने के लिए लाहौर बस यात्रा जैसी पहलें की।

5. शिक्षा : सर्व शिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा पर जोर दिया।

6. दूरसंचार क्रांति : दूरसंचार क्षेत्र में व्यापक सुधार किए, जिससे मोबाइल फोन और इंटरनेट का प्रसार हुआ।

जनसंघ, जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के साथ सफर

अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक सफर विभिन्न संगठनों के साथ जुड़ा रहा।

1. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) : वाजपेयी ने युवावस्था में ही आरएसएस में शामिल होकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। यहां उन्होंने राष्ट्रवाद और सामाजिक सेवा के मूल्य सीखे।

2. भारतीय जनसंघ : 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ के गठन में वाजपेयी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक बन गए और कई वर्षों तक इसका प्रतिनिधित्व किया।

3. जनता पार्टी : 1977 में जब कई विपक्षी दलों ने मिलकर जनता पार्टी बनाई, तब वाजपेयी इसके प्रमुख नेताओं में शामिल हुए। इस पार्टी की सरकार में उन्होंने विदेश मंत्री के रूप में सेवा की।

अटलबिहारी वाजपेई जी और लालकृष्ण आडवाणी जी

4. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) : 1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद, वाजपेयी ने लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भाजपा की स्थापना की। वे पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष बने और लंबे समय तक इसका नेतृत्व किया।

वाजपेयी ने इन सभी संगठनों के साथ अपनी यात्रा में हिंदुत्व की विचारधारा और उदार लोकतांत्रिक मूल्यों के बीच एक संतुलन बनाए रखा। उन्होंने भाजपा को एक मुख्यधारा की राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो अंततः 1998 में केंद्र में सत्ता में आई।

अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तिगत जीवन

अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तिगत जीवन सादगी और समर्पण से भरा था। उन्होंने कभी विवाह नहीं किया, जिसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं। वाजपेयी जी ने अपना पूरा जीवन देश सेवा और राजनीति को समर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वे ‘राजनीति से विवाहित’ हैं। वाजपेयी अपने परिवार, विशेषकर अपनी बहनों की देखभाल में बहुत सक्रिय रहे थे।

दत्तक पुत्री

वाजपेयी जी ने नमिता कौल भट्टाचार्य को अपनी दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया था। नमिता, वाजपेयी के लंबे समय के मित्र और सहयोगी राजकुमार कौल और उनकी पत्नी की बेटी थीं। वाजपेयी ने नमिता और उनके परिवार को अपने घर में रहने की अनुमति दी और उन्हें अपने परिवार का हिस्सा माना।

ब्राह्मण होने के बावजूद मांसाहारी

हालांकि वाजपेयी एक शुद्धतावाादी ब्राह्मण परिवार से थे, फिर भी वे मांसाहारी थे। उन्होंने कभी अपनी खाने की आदतों को छिपाया नहीं और खुले तौर पर स्वीकार किया कि वे मांस खाते हैं। यह उनकी व्यक्तिगत पसंद थी और उन्होंने इसे अपने धार्मिक विश्वासों से अलग रखा।

कवि के रूप में वाजपेयी

एक सफल और प्रसिद्ध राजनेता तथा भारत के प्रधानमंत्री होने के अलावा अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रतिभाशाली कवि और लेखक भी थे। उनकी कविता यात्रा बचपन से ही शुरू हो गई थी, जब उन्होंने अपने पिता से प्रेरणा ली, जो स्वयं एक कवि थे।

वाजपेयी की कुछ प्रमुख रचनाएँ

1. मेरी इक्यावन कविताएँ
2. नई दिशा
3. अमर आग है
4. कैदी कविराय की कुंडलियाँ
5. अग्निपरीक्षा

उनकी कविताओं में राष्ट्रप्रेम, मानवीय मूल्य, प्रकृति प्रेम और जीवन दर्शन के विषय प्रमुख थे।

प्रसिद्ध कविताओं की कुछ पंक्तियाँ:

‘कदम मिलाकर चलना होगा’ से:

बाधाएँ आती हैं आएँ,
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।

‘गीत नया गाता हूँ’ से

हार नहीं मानूँगा,
रार नई ठानूँगा।
काल के कपाल पर
लिखता-मिटाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।

वाजपेयी की कविताएँ उनके राजनीतिक व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग थीं। उनकी कविताओं में उनके विचारों, आदर्शों और देश के प्रति प्रेम की झलक मिलती है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से न केवल साहित्य में योगदान दिया, बल्कि जनता के साथ एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव भी स्थापित किया।

प्रसिद्ध दिवंगत गजल गायक जगजीत सिंह जी ने उनकी कविताओं को अपन स्वर देकर ‘संवेदना’ नाम से एक अलबम निकाली थी।

पुरस्कार और सम्मान

अटल बिहारी वाजपेयी को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया:

1. भारत रत्न (2015): भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
2. पद्म विभूषण (1992)
3. लोकमान्य तिलक पुरस्कार (1994)
4. भारत के सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार (1994)
5. मोरारजी देसाई पुरस्कार (2009)

वाजपेई जी नरेंद्र मोदी के साथ विचार विमर्श करते हुए

इसके अलावा, उन्हें कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया।

संक्षिप्त जीवन परिचय

नामअटल बिहारी वाजपेयी
जन्म तिथि25 दिसंबर, 1924
निधन16 अगस्त 2018
जन्म स्थानग्वालियर, मध्य प्रदेश
माता का नामकृष्णा देवी
पिता का नामकृष्ण बिहारी वाजपेयी
भाईबहनप्रेम, एक बड़ा भाई और तीन बहनें
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
धर्महिंदू
शहर/राज्यलखनऊ (उत्तर प्रदेश), ग्वालियर (मध्य प्रदेश) दिल्ली (अंतिम निवास स्थान)
कदलगभग 6 फीट

अंत में…

अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन और करियर भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। एक कुशल राजनेता, दूरदर्शी नेता और प्रतिभाशाली वक्ता के रूप में, उन्होंने न केवल भारतीय जनता पार्टी को एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित किया, बल्कि देश के विकास और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी कविताएं और भाषण उनकी सांस्कृतिक संवेदनशीलता और गहरी मानवीय समझ को दर्शाते हैं। वाजपेयी की विरासत एक ऐसे नेता की है जो अपने सिद्धांतों पर दृढ़ रहते हुए भी सर्वसम्मति बनाने में सक्षम था। उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है और भारतीय लोकतंत्र में उनका योगदना कभी नहीं भुलाया जा सकता।

16 अगस्त 2018 को उन्होंंने अपने शरीर के रूप में हम सबके बीच से हमेशा के लिए विदा ले ली, लेकिन स्मृतियों के रूप में वह हमेशा अमर हैं।


ये भी पढ़ें…

फणीश्वरनाथ रेणु – ग्रामीण जीवन की जीवंत को कागज पर उकेरने वाले कथाकार (जीवन परिचय)

रामधारी सिंह दिनकर – वीर रस के अद्भुत कवि (जीवन परिचय)


Some information souce:

https://en.wikipedia.org/wiki/Atal_Bihari_Vajpayee

Independence day Vs Republic day – स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस – जानिए दोनों में क्या है अंतर

भारत में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व हैं, जिनका जश्न पूरे देश में मनाया जाता है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इन दोनों में क्या अंतर है? (Independence day Vs Republic day) आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में अंतर )Independence day Vs Republic day)

दोनो महत्वपूर्ण दिनों में क्या अंतर है, जानें…

झंडा फहराने की प्रक्रिया का अंतर

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराते हैं। इस दिन, ध्वज को नीचे से खींचकर फहराया जाता है, जो 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना का प्रतीक है। इसे संविधान में ध्वजारोहण कहा जाता है।

वहीं, गणतंत्र दिवस पर, 26 जनवरी को, राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं। इस दिन, झंडा पहले से ही सबसे ऊपर बंधा होता है और उसे खोलकर फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना कहा जाता है।

कौन करता है ध्वजारोहण और क्यों

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं क्योंकि इस दिन भारत को आज़ादी मिली थी, लेकिन संविधान लागू नहीं हुआ था।

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं, क्योंकि इस दिन संविधान लागू होने की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होते हैं, इसलिए वे राष्ट्र को संबोधित करते हुए झंडा फहराते हैं।

जश्न का आयोजन

स्वतंत्रता दिवस का मुख्य समारोह दिल्ली के ऐतिहासिक लालकिले में आयोजित किया जाता है, जहां प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं।

गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर भव्य परेड का आयोजन होता है, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों की शान और सांस्कृतिक झलक देखने को मिलती है।

इन दोनों पर्वों का अपना अलग महत्व है, जो हमारे देश की समृद्धि, स्वतंत्रता और संविधान की महत्ता को दर्शाते हैं।


ये भी पढ़ें..

History of Independence day 15 August – भारत का स्वतंत्रता दिवस – 15 अगस्त को ही क्यों मनाते हैं? स्वतंत्रता दिवस जानें पूरी कहानी।

हिंदी वेब पत्रिका

https://mindians.in

History of Independence day 15 August – भारत का स्वतंत्रता दिवस – 15 अगस्त को ही क्यों मनाते हैं? स्वतंत्रता दिवस जानें पूरी कहानी।

15 अगस्त को ही भारत की स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते हैं, आइए स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के दिन ही मनाने के पीछे की कहानी (History of Independence day )को जाने..

भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाने का कारण (History of Independence day )

भारत 15 अगस्त, 2024 को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। इस आजादी के पीछे न जाने कितने वीर सपूतों ने अपनी जान की कुर्बानी दी। 15 अगस्त, 1947 को पहली बार भारत ने स्वतंत्रता का स्वाद चखा, जब वर्षों के संघर्ष के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने हमारे देश को आजाद करने का निर्णय लिया।

यह दिन हमारे देश के लिए गौरव और गर्व का प्रतीक है, जो हमें उन अनगिनत वीरों की याद दिलाता है जिन्होंने हमारी आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

भारत की स्वतंत्रता का निर्णय

ब्रिटिश संसद ने 30 जून, 1948 तक भारत को सत्ता सौंपने का आदेश दिया था, लेकिन भारत के अंतिम ब्रिटिश गवर्नर जनरल लुइस माउंटबेटन ने 15 अगस्त, 1947 की तारीख चुनी।

माउंटबेटन के इस निर्णय के पीछे दो प्रमुख कारण थे। पहला, वे किसी भी तरह के रक्तपात या दंगों से बचना चाहते थे। दूसरा, 15 अगस्त द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी, जो एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संदर्भ था।

Indian Independence Bill:

इस निर्णय के आधार पर, 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में Indian Independence Bill पेश किया गया। यह विधेयक न केवल भारत की स्वतंत्रता का प्रावधान करता था, बल्कि देश के विभाजन की भी रूपरेखा प्रस्तुत करता था। इसमें भारत और पाकिस्तान, दोनों के लिए 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में निर्धारित किया गया था।

पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस

हालांकि, बाद में पाकिस्तान ने अपना स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को मनाना शुरू कर दिया। इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह इसलिए किया गया क्योंकि कराची में सत्ता हस्तांतरण समारोह 14 अगस्त को हुआ था। दूसरों का कहना है कि 14 अगस्त, 1947 को रमजान की 27वीं तारीख थी, जो इस्लाम में एक पवित्र दिन माना जाता है।

आज, 78 साल बाद, भारत अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाते हुए न केवल अपने अतीत को याद करता है, बल्कि एक उज्ज्वल भविष्य की ओर भी देखता है। हमारा देश विकास और प्रगति के नए आयामों को छू रहा है, लेकिन साथ ही अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत को भी संजोए हुए है।

इस स्वतंत्रता दिवस पर, हम न केवल अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, बल्कि उन सभी नागरिकों को भी सम्मानित करते हैं जो आज देश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता केवल एक उपलब्धि नहीं है, बल्कि एक निरंतर प्रक्रिया है जिसे हर पीढ़ी को आगे बढ़ाना है।

आइए, इस 78वें स्वतंत्रता दिवस पर हम सब मिलकर एक नए भारत के निर्माण का संकल्प लें – एक ऐसा भारत जो न केवल आर्थिक रूप से समृद्ध हो, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और भाईचारे के मूल्यों पर आधारित हो। जय हिन्द!


ये भी पढ़ें…

8 March – International Women Day – 8 मार्च – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास जानें।

माँ की दुनिया – मदर्स डे पर खास – इतिहास और जानकारी

Green chilies – हरी मिर्च का अधिक सेवन – फायदेमंद या नुकसानदायक? जानें सच>

हरी मिर्च (Green chilies) भारतीय भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका तीखा स्वाद व्यंजनों को विशेष बना देता है। परंतु, क्या आप जानते हैं कि इसका अधिक सेवन शरीर को नुकसान भी पहुँचा सकता है? यहां जानें कुछ प्रमुख नुकसान और सावधानियां:

1. पेट में जलन और एसिडिटी

हरी मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन तत्व पेट में एसिड उत्पादन को बढ़ा सकता है, जिससे जलन और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

2. गैस्ट्रिक की समस्या

अधिक मिर्च के सेवन से पेट में अल्सर और गैस्ट्राइटिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि कैप्साइसिन पेट की परत को नुकसान पहुंचाता है।

3. दस्त और पेट दर्द

हरी मिर्च पाचन तंत्र को उत्तेजित कर सकती है, जिससे दस्त और पेट दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

4. मुंह में जलन

हरी मिर्च के तीखेपन से मुंह में जलन और सूजन हो सकती है, जोकि संवेदनशील त्वचा को उत्तेजित करता है।

5. त्वचा में जलन

अधिक मिर्च के सेवन से त्वचा में जलन, खुजली और लालिमा जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

6. सांस लेने में कठिनाई

कुछ व्यक्तियों को अधिक मिर्च खाने से सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, क्योंकि कैप्साइसिन सांस की नली को उत्तेजित करता है।

7. नींद की समस्या

हरी मिर्च का अधिक सेवन मस्तिष्क को उत्तेजित करता है, जिससे नींद आने में समस्या हो सकती है।

हरी मिर्च का सेवन कैसे करें?

  • मात्रा का ध्यान रखें : हरी मिर्च का सेवन सीमित मात्रा में करें।
  • पकाने का तरीका : मिर्च को कम तीखा बनाने के लिए उसे ठीक से पकाएं।
  • दूध का सेवन करें : मिर्च खाने के बाद दूध पीने से पेट की जलन में राहत मिल सकती है।
  • एलर्जी की जांच : अगर आपको मिर्च से एलर्जी है, तो इसका सेवन न करें।

हरी मिर्च के सेवन में संतुलन बनाकर रखें, ताकि इसके स्वाद और पौष्टिक गुणों का लाभ उठाया जा सके। यदि किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या हो, तो मिर्च का सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।

Side effects of excessive consumption of Green chilies


ये भी पढ़ें…

गोल-गोल छोटी सी काली मिर्च अद्भुत गुणों से भरी है, जिसके फायदे ही फायदे हैं।

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) – भाई और बहन के प्रेम का अनोखा बंधन। जानें क्यों और कैसे मनातें हैं?

रक्षाबंधन त्योहार की पूरी जानकारी (Raksha Bandhan Full Information)

रक्षाबंधन (Raksha bandhan) का त्योहार है, जो कि भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है। बहनें अपने भाई को राखी बांध कर भाई के प्रति अपने प्रेम एवं स्नेह को प्रकट करती हैं। भाई भी बहनों के हाथ से राखी बंधवा कर भाई-बहन के प्रेम की मजबूत डोर को और अधिक मजबूत करते हैं।

ऱक्षाबंधन: भाई-बहन के पवित्र बंधन का पर्व

रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भाई-बहन के पवित्र बंधन का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को जीवनभर की रक्षा का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन मनाने का कारण

रक्षाबंधन मनाने का कारण भाई-बहन के बीच के प्रेम और रक्षा का बंधन है। बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर उन्हें यह बताती हैं कि वे उन्हें हमेशा प्यार करती हैं और उनकी रक्षा करेंगी। भाई भी अपनी बहनों को राखी बांधकर उन्हें यह आश्वासन देते हैं कि वे हमेशा उनकी रक्षा करेंगे और उन्हें कभी दुख नहीं होने देंगे।

रक्षाबंधन मनाने की विधि

रक्षाबंधन के दिन, बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और नए कपड़े पहनती हैं। फिर वे अपने भाइयों के घर जाती हैं और उन्हें राखी बांधती हैं। राखी बांधते समय, बहनें अपने भाइयों को मिठाई और उपहार भी देती हैं। भाई अपनी बहनों को राखी बांधने के बदले उन्हें कुछ पैसे या उपहार देते हैं।

रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों के कल्याण के लिए व्रत भी रखती हैं। वे भगवान से प्रार्थना करती हैं कि उनके भाई हमेशा स्वस्थ और सुरक्षित रहें।

रक्षाबंधन मनाने की मान्यता और कहानी

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे अनेक तरह की पौराणिक एवं धार्मिक मान्यताएं हैं। इसके पीछे अनेक कहानियां हैं। कहीं पर द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कहानी है, तो कहीं पर लक्ष्मी और राजा बालि की कहानी है। कहीं पर इंद्र और उनकी पत्नी शचति की कहानी है तो कहीं पर राजा बलि की कहानी है और वामन अवतार की कहानी है।

रक्षाबंधन त्यौहार मनाने के पीछे अनेक तरह की कहानियां प्रचलित हैं, उनमें से कुछ कहानियां इस प्रकार हैं..

यम और यमुना की कहानी

यम को मृत्यु का देवता कहा गया है और यमुना उनकी बहन थी। एक बार लगभग 12 साल बाद वह अपनी बहन यमुना के घर उनसे मिलने गए। अपने भाई के आने की खुशी के कारण यमुना बेहद उत्साहित थीं।  उन्होंने अपने भाई यम के स्वागत के लिए तरह-तरह के पकवान बनाए।

जब यम यमुना के घर पहुंचे तो यमुना ने उनका स्वागत भव्य रूप से किया और उनके हाथ पर एक धागा बांधा। यम ने अपनी बहन यमुना से प्रसन्न होकर कुछ उपहार मांगने के लिए कहा। तब यमुना ने उन्हें हमेशा मिलते रहने का वादा लिया। यम ने यमुना को आशीर्वाद दिया और किसी भी संकट की घड़ी में उसकी रक्षा करने का वचन दिया, तभी से रक्षाबंधन मनाने की परंपरा चल पड़ी।

कृष्ण और द्रौपदी की कहानी

रक्षाबंधन की यह कहानी महाभारत से जुड़ी हुई है। इसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की उंगली किसी कारणवश कट गई तो उनके पास ही खड़ी द्रौपदी ने उन्होंने तुरंत अपनी गाड़ी से एक टुकड़ा फाड़ कर उनकी उंगली बांधी ताकि खून बहने से रुक सके। श्रीकृष्ण द्रौपदी के स्नेह से बेहद अभिभूत हुए और उन्होंने द्रौपदी का हर संकट की घड़ी की में रक्षा का वचन दिया। बाद में उन्होंने यह वचन निभाया भी। रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की परंपरा चल पड़ी। कृष्ण के हाथ पर बांधने वाली साड़ी का टुकड़ा राखी का प्रतीक बन गई।

देवी लक्ष्मी और राजा बाली की कहानी

इसके अनुसार राजा बाली ने भगवान विष्णु की भक्ति करके उनसे अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की। भगवान विष्णु  बाली की भक्ति से प्रसन्न होकर उनके महल में चौकीदार का कार्य करने लगे। बैकुंठ धाम में देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अनुपस्थित पाया तो गए परेशान हो गए। वह राजा बाली के यहाँ से भगवान विष्णु को वापस लाना चाहती थी।

इसीलिए उन्होंने बाली के सामने रूप बदलकर बेघर महिला के रूप में पहुंची और बाली से आश्रय मांगा। बाली दयालु राजा था इसलिए बाली ने लक्ष्मी को आश्रय दिया। देवी लक्ष्मी ने एक बार राजा बाली की कलाई पर एक धागा बांधा। राजा बाली ने प्रसन्न होकर उपहार मांगने के कहा।

देवी लक्ष्मी ने राजा बाली से चौकीदार के रूप में कार्य करने वाले भगवान विष्णु के मांग लिया और अपने असली रूप में आ गईं। राजा बाली वचन का पक्का था इसलिए उसने देवी लक्ष्मी को उनके द्वारा मांगा उपहार दिया और भगवान विष्णु को स्वतंत्र कर दिया। तभी बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी मांगे जाने के परंपरा चल पड़ी।

इसलिए किसी एक स्पष्ट मान्यता को रक्षाबंधन मनाने का आधार नहीं दे सकते।  कालांतर में अनेक तरह की कहानियों से विकसित हुआ यह पर्व आखिर में भाई-बहन के परम स्नेह और पवित्र बंधन का प्रतीक पर्व बन गया।

ऐसा पर्व भारत के अलावा किसी अन्य देश में नहीं मनाया जाता। भाई-बहन के पवित्र संबंध को जितनी अधिक पवित्रता भारत में दी जाती है, वह विश्व में अन्य कहीं  नही दी जाती।

रक्षाबंधन के दिन त्योहार मनाने का तरीका

रक्षाबंधन के दिन, बहनें और भाई सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। फिर वे मंदिर जाते हैं या घर में ही भगवान की पूजा करते हैं। बहनें और भाई तब तक भोजन नही करते जब तक बहन भाई को राखी नही बांध देती। राखी बांधने के एवज में भाई बहन को कोई उपहार भी देता है। यदि बहन विवाहित है और अपनी ससुराल में है तो वह अपने भाई के घर राखी बांधने के लिए आती है।

राखी की बदलती डिजायनें

समय के साथ राखी की डिजायनों में भी बदलाव आया है। पहले बड़ी-बड़ी राखियां होती थीं अब राखियों का आकार छोटा होता जा रहा है। अब बाजार में एक से एक स्टाइलिश राखियां भी आ गई है जो कलाई पर बेहद आकर्षक लगती हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन की पवित्र बंधन का प्रतीक है, जो सदियों के भाई बहन के संबंध को एक मजबूत बनाता जा रहा है।


ये भी पढें..

Hariyali Teej Vidhi-Vidhan – हरियाली तीज त्योहार, महिलाओं का अनोखा पर्व – पूर्ण विधि-विधान

नवरात्रि – शक्ति की आराधना का पर्व – कैसे मनाएं, पूरा विधि विधान

Aman Sehrawat Life Scan – अमन सहरावत: भारतीय कुश्ती का उभरता सितारा

अमन सहरावत (Aman Sehrawat) भारतीय कुश्ती जगत का एक चमकता सितारा है। हरियाणा के एक छोटे से गाँव में जन्मे अमन ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन हार नहीं मानी। बचपन में माता-पिता को खोने के बावजूद उन्होंने अपने सपनों को जीवंत रखा और कड़ी मेहनत से कुश्ती के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। 2024 पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर अमन ने न सिर्फ इतिहास रचा, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल भी कायम की। आइए जानते हैं इस प्रतिभाशाली पहलवान की जीवन कहानी।

अमन सहरावत – संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक गाथा (Aman Sehrawat  Life Scan)

अमन सहरावत का नाम आज भारतीय कुश्ती के क्षितिज पर एक चमकते हुए सितारे के रूप में उभरा है। अपनी असाधारण कुश्ती प्रतिभा और अद्वितीय संघर्ष के माध्यम से, अमन ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपने देश का नाम रोशन किया है। अमन के जीवन की कहानी प्रेरणादायक है और इसे हम निम्नलिखित लेख में विस्तार से समझेंगे।

जन्म और परिवार

अमन सहरावत का जन्म 16 जुलाई 2003 को हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर गांव में हुआ। उनके पिता सोमवीर सहरावत एक गरीब किसान थे, जबकि माँ कमलेश सहरावत गृहिणी थीं। बचपन से ही अमन को कुश्ती में रुचि थी और वे अक्सर गाँव के अखाड़े में मिट्टी की कुश्ती लड़ा करते थे। जब वह मात्र 11 वर्ष के थे, तब उनके जीवन में एक बड़ा झटका आया तब उनके पिता का निधन हो गया और उसके एक साल बाद ही उन्होंने अपनी मां को भी खो दिया। इस दुखद घटना के बाद अमन के दादा मायाराम सहरावत ने उनकी जिम्मेदारी संभाली और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

शिक्षा

अमन की प्रारंभिक शिक्षा बिरोहर गांव में ही हुई। अमन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की। माता-पिता के निधन के बाद उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ कुश्ती पर भी ध्यान केंद्रित किया। 10 साल की उम्र में वे दिल्ली के प्रसिद्ध छत्रसाल स्टेडियम में प्रशिक्षण लेने लगे। यहाँ उन्होंने कुश्ती की बारीकियाँ सीखीं और अपने कौशल को निखारा। स्कूली शिक्षा के साथ-साथ अमन ने खेल में भी उत्कृष्टता हासिल की और कई युवा प्रतियोगिताओं में पदक जीते।

जीवन यात्रा

अमन का जीवन संघर्षों से भरा रहा। माता-पिता के निधन के बाद उन्होंने गहरे अवसाद का सामना किया, लेकिन दादा के समर्थन और कुश्ती के प्रति जुनून ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। छत्रसाल स्टेडियम में कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने अपनी प्रतिभा को निखारा। आर्थिक तंगी के बावजूद अमन ने कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य पर डटे रहे। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और वे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने लगे।

करियर

अमन सहरावत का करियर अत्यधिक सफल और प्रेरणादायक रहा है।
अमन सहरावत ने 2021 में अपना पहला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खिताब जीतकर कुश्ती जगत में धमाकेदार प्रवेश किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2022 में उन्होंने अंडर-23 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और फिर अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक हासिल किया। यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे पहले भारतीय पहलवान बने।

2023 में अमन ने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और एशियाई खेलों में कांस्य पदक हासिल किया। जनवरी 2024 में उन्होंने ज़ाग्रेब ओपन कुश्ती टूर्नामेंट में पुरुषों की 57 किग्रा स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। इसी वर्ष उन्होंने 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और भारत के एकमात्र पुरुष पहलवान बने जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।

विशेष उपलब्धि

अमन सहरावत की सबसे बड़ी उपलब्धि 2024 पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना रही। 57 किलोग्राम भार वर्ग में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया। इस उपलब्धि के साथ वे व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बन गए। मात्र 21 वर्ष की आयु में यह पदक जीतना अमन की असाधारण प्रतिभा और मेहनत का परिणाम है।

पुरस्कार और सम्मान

– 2022 अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
– 2023 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
– 2023 एशियाई खेलों में कांस्य पदक
– 2024 ज़ाग्रेब ओपन कुश्ती टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक
– 2024 पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक

अमन सहरावत का छोटा सा लाइफ स्कैन

नाम: अमन सहरावत
जन्म तिथि: 16 जुलाई 2003
जन्म स्थान: बिरोहर गाँव, झज्जर, हरियाणा
माता-पिता: स्व. सोमवीर सहरावत (पिता), स्व. कमलेश सहरावत (माता)
भाई-बहन: जानकारी उपलब्ध नहीं
वैवाहिक स्थिति: अविवाहित
ऊंचाई: 5 फीट 8 इंच
धर्म: हिंदू
शहर/राज्य: हरियाणा
कुल संपत्ति: अनुमानित ₹5 करोड़

अंत में…

अमन सहरावत की जीवन गाथा संघर्ष, दृढ़ संकल्प और सफलता का एक अनूठा उदाहरण है। एक साधारण परिवार में जन्मे अमन ने अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ देश, बल्कि दुनिया में अपना नाम रोशन किया है। बचपन में माता-पिता को खोने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों को साकार करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।

अमन की सफलता सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य को पाने की ठान लेता है। उनका ओलंपिक पदक भारतीय खेल जगत के लिए एक नया अध्याय है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। अमन सहरावत की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है, बस उसे पाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है।


ये भी पढ़ें..

Neeraj Chopra Life Scan – नीरज चोपड़ा – बहुत दूर तक फेंकने वाला भारत का गोल्डन बॉय (लाइफ स्कैन)

Vinesh Phogat Life Scan – विनेश फोगाट – संघर्षों से निकली एक महिला पहलवान (लाइफ स्कैन)


Some information courtesy

https://en.wikipedia.org/wiki/Aman_Sehrawat

Neeraj Chopra Life Scan – नीरज चोपड़ा – बहुत दूर तक फेंकने वाला भारत का गोल्डन बॉय (लाइफ स्कैन)

नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) भारत के सबसे सफल एथलीटों में से एक हैं। वह पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में ओलंपिक और विश्व चैंपियन हैं। टोक्यो 2020 में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने एथलेटिक्स में भारत का पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। 2023 में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतकर उन्होंने एक और इतिहास रच दिया। अपनी असाधारण प्रतिभा और कड़ी मेहनत से नीरज ने एक छोटे से गांव से निकलकर दुनिया के शीर्ष एथलीट बनने तक का सफर तय किया है। वह न केवल अपने खेल में उत्कृष्ट हैं, बल्कि अपने विनम्र स्वभाव के लिए भी जाने जाते हैं। आइए इस चैंपियन एथलीट के जीवन (Neeraj Chopra Life Scan) और करियर पर एक नज़र डालें।

नीरज चोपड़ा – एक चैंपियन की जीवनगाथा (Life scan of Neeraj Chopra)

जन्म और परिवार

नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव में हुआ था। उनके पिता सतीश कुमार किसान हैं और माता सरोज देवी गृहिणी हैं। नीरज का परिवार मूलतः कृषि से जुड़ा है। उनकी दो बहनें हैं और वह अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं।

शिक्षा

नीरज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पानीपत में ही पूरी की। नीरज चोपड़ा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बीवीएन पब्लिक स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने चंडीगढ़ के दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 2021 तक वह पंजाब के जालंधर स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से कला स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं।

जीवन यात्रा

नीरज चोपड़ा का जीवन संघर्ष और मेहनत का अद्वितीय उदाहरण है। बचपन में मोटापे के कारण चिढ़ाए जाने के बाद नीरज के पिता ने उन्हें व्यायाम के लिए जिम में भेजा। नीरज के पिता ने उन्हें मडलाुडा के एक व्यायामशाला में भर्ती कराया। 11 साल की उम्र में पानीपत स्टेडियम में भाला फेंक खिलाड़ियों को देखकर उन्हें इस खेल का शौक लगा। बिना किसी प्रशिक्षण के ही वह 40 मीटर तक भाला फेंक सकते थे। इससे प्रभावित होकर जयवीर चौधरी ने उन्हें प्रशिक्षण देना शुरू किया।

करियर

नीरज चोपड़ा का करियर प्रेरणादायक है। 2010 में पानीपत स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया सेंटर में, उन्होंने अपने पहले कोच जयवीर चौधरी के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण शुरू किया। नीरज ने 2012 में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में 68.40 मीटर का थ्रो करके पहली बार अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। 2014 में उन्होंने बैंकॉक में युवा ओलंपिक क्वालीफिकेशन में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता। 2016 में पोलैंड में आयोजित IAAF विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप में 86.48 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने विश्व जूनियर रिकॉर्ड बनाया।

2018 में नीरज ने राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते। 2021 में टोक्यो ओलंपिक में 87.58 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया। 2022 में विश्व चैंपियनशिप में रजत और डायमंड लीग फाइनल में स्वर्ण जीता। 2023 में बुडापेस्ट में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में 88.17 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने एक और उपलब्धि हासिल की।

विशेष उपलब्धि

नीरज चोपड़ा की सबसे विशेष उपलब्धि 2020 टोक्यो ओलंपिक में आई, जब उन्होंने 87.58 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता। यह भारत के लिए ट्रैक और फील्ड में पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक था। इसके अलावा, उन्होंने 2023 में बुडापेस्ट में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता।
नीरज चोपड़ा एथलेटिक्स में भारत के पहले ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हैं। वह विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट भी बन गए हैं। उन्होंने ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप, एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और डायमंड लीग – सभी प्रमुख प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीता है।

पुरस्कार और सम्मान

नीरज चोपड़ा को कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • अर्जुन पुरस्कार (2018)
  • विशिष्ट सेवा पदक (2020)
  • मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार (2021)
  • पद्म श्री (2022)

नीरज चोपड़ा का परिचय संक्षेप में…

नाम नीरज चोपड़ा
जन्मतिथि 24 दिसंबर 1997
जन्मस्थान खंडरा गांव, पानीपत, हरियाणा
माता-पिता सतीश कुमार और सरोज देवी
भाई-बहन दो बहनें
वैवाहिक स्थिति अविवाहित
ऊंचाई 5 फीट 11 इंच (1.80 मीटर)
धर्म हिंदू
शहर/राज्य पानीपत, हरियाणा
नेटवर्थ लगभग 35 करोड़ रुपये

अंत में…

नीरज चोपड़ा ने अपनी असाधारण प्रतिभा और समर्पण के बल पर भारतीय एथलेटिक्स में एक नया अध्याय लिखा है। एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने दुनिया के शीर्ष एथलीटों में अपना स्थान बनाया है। ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने भारतीय खेल इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज करा लिया है। अपने विनम्र स्वभाव और मेहनती रवैये के कारण वह युवाओं के लिए एक आदर्श बन गए हैं। नीरज की सफलता ने भारत में एथलेटिक्स के प्रति रुचि बढ़ाई है और आने वाले समय में वह और भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे, ऐसी उम्मीद है। नीरज चोपड़ा न केवल एक महान एथलीट हैं, बल्कि एक बेहतर इंसान भी हैं जो अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं।


ये भी पढ़ें…

Vinesh Phogat Life Scan – विनेश फोगाट – संघर्षों से निकली एक महिला पहलवान (लाइफ स्कैन)

Harmanpreet Singh Life Scan – हरमनप्रीत सिंह – भारतीय हॉकी का ‘सरपंच’ (लाइफ स्कैन)


Some information courtesy

https://en.wikipedia.org/wiki/Neeraj_Chopra

Vinesh Phogat Life Scan – विनेश फोगाट – संघर्षों से निकली एक महिला पहलवान (लाइफ स्कैन)

विनेश फोगट (Vinesh Phogat), एक भारतीय पेशेवर पहलवान, ने कुश्ती के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन किया है। राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनने का गौरव हासिल करने वाली विनेश ने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर कई उपलब्धियां हासिल की हैं। इस लेख में, हम विनेश फोगट के जीवन, संघर्ष, करियर और उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

विनेश फोगाट की जीवन गाथा (Vinesh Phogat Life Scan)

विनेश फोगाट भारत की सबसे प्रसिद्ध महिला पहलवानों में से एक हैं। वह दो बार की ओलंपियन हैं और राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों तथा विश्व चैंपियनशिप में कई पदक जीत चुकी हैं। आइए उनके जीवन के सफर को जानते हैं…

जन्म और परिवार

विनेश फोगाट का जन्म 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के भिवानी जिले के बलाली गांव में हुआ था। वह एक प्रसिद्ध पहलवान परिवार से ताल्लुक रखती हैं।उनके पिता राजपाल फोगट और चाचा महावीर फोगट, जिन्होंने उन्हें पहलवानी के क्षेत्र में आगे बढ़ाया, दोनों ही पहलवान थे। उनके परिवार में कुश्ती का एक समृद्ध इतिहास है, और उनके चचेरे बहनें गीता और बबीता फोगट भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहलवान हैं जिन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता है। उनके पिता राजपाल फोगाट भी एक पहलवान थे। दुर्भाग्य से, विनेश ने महज 9 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया। इसके बाद उनके चाचा महावीर सिंह फोगाट ने उनकी देखभाल की और उन्हें कुश्ती की ट्रेनिंग दी।

महावीर सिंह फोगाट प्रसिद्ध पहलवान गीता फोगाट और बबीता कुमारी के पिता हैं, जो विनेश की चचेरी बहनें हैं। इस तरह विनेश को एक ऐसे परिवार में पलने-बढ़ने का मौका मिला जहां कुश्ती का माहौल था। हालांकि, उस समय के ग्रामीण समाज में लड़कियों के कुश्ती खेलने को लेकर काफी विरोध था। विनेश और उनके परिवार को इस विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों की ओर बढ़ते रहे।

शिक्षा

विनेश फोगाट ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के.सी.एम सीनियर सेकेंडरी स्कूल झोझू कलां, हरियाणा से पूरी की। इसके बाद उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एम.डी.यू), रोहतक, हरियाणा से स्नातक की डिग्री हासिल की। हालांकि, कुश्ती में उनका फोकस लगातार बना रहा और उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ कड़ी मेहनत से प्रशिक्षण भी जारी रखा।

जीवन यात्रा

विनेश फोगाट का जीवन संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा है। बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ जाना, गांव के लोगों का विरोध और फिर कुश्ती के मैदान में उतरकर अपनी जगह बनाना – इन सभी चुनौतियों का सामना विनेश ने बहुत ही दृढ़ता से किया।

2016 के रियो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल मुकाबले के दौरान उनके घुटने में गंभीर चोट लग गई थी, जिसके कारण उन्हें मैच बीच में ही छोड़ना पड़ा था। यह उनके करियर का सबसे कठिन दौर था। लेकिन विनेश ने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत से वापसी की।

करियर

विनेश फोगाट ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 2013 में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप से की, जहां उन्होंने 51 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता। इसके बाद उनका करियर लगातार ऊपर की ओर बढ़ता गया।

2014 में उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। इसी साल एशियाई खेलों में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया। 2016 में वह पहली बार ओलंपिक में भाग लेने के लिए क्वालीफाई हुईं।

2018 विनेश के लिए बेहद सफल रहा। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों दोनों में स्वर्ण पदक जीते। एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं।

2019 में विनेश ने अपना पहला विश्व चैंपियनशिप पदक जीता – 53 किग्रा वर्ग में कांस्य। इसी के साथ उन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई भी कर लिया।

2021 में उन्होंने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। टोक्यो ओलंपिक में वह क्वार्टर फाइनल तक पहुंचीं लेकिन पदक नहीं जीत पाईं।

2022 में विनेश ने एक बार फिर शानदार वापसी की। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।

विशेष उपलब्धि

विनेश फोगाट की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वह एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों दोनों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। इसके अलावा, वह विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कई पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला पहलवान हैं।

2019 में विनेश लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स के लिए नामांकित होने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं। यह उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता का प्रमाण है।

2024 पेरिस ओलंपिक में, विनेश ने एक और इतिहास रच दिया जब वह यूई सुसाकी को हराने वाली पहली अंतरराष्ट्रीय पहलवान बनीं। सुसाकी मौजूदा ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता और विश्व चैंपियन हैं।

पुरस्कार और सम्मान

1. अर्जुन पुरस्कार (2016) – भारत सरकार द्वारा उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन के लिए दिया जाने वाला सम्मान।

2. मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार (2020) – भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान।

3. बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवुमन ऑफ़ द ईयर पुरस्कार (2022)

विनेश फोगाट का छोटा सा परिचय

नामविनेश फोगाट
जन्म तिथि25 अगस्त 1994
जन्म स्थानबलाली, भिवानी, हरियाणा
माता-पिताराजपाल फोगाट (पिता), प्रेमलता (माता)
भाई-बहनमेहर फोगाट (भाई)
वैवाहिक स्थितिविवाहित
पति का नामसोमवीर राठी
ऊंचाई5 फीट 5 इंच (165 सेमी)
धर्महिंदू
निवासबलाली, हरियाणा
कुल संपत्तिलगभग 36.5 करोड़ रुपये (अनुमानित, 2023 तक)

अंत में…

विनेश फोगाट के साथ पेरिस ओलंपिक में दुखद वाकया तब हो गया जब वह 50 kg भार वर्ग के फाइनल में पहुँचने के बावजूद फाइनल नहीं खेल पाईं। फाइनल से पहले हुए वजन टेस्ट में उनका वजन 50 kg के 100 ग्राम अधिक पाया गया। इस आधार पर नियमों के अनुसार उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। उनका और भारत का जो कम से सिल्वर मेडल पक्का हो गया था वह भी उन्हे नहीं मिल पाया। उन्हे कोई भी मेडल नहीं मिल पाया।

विनेश फोगाट का जीवन और करियर प्रेरणादायक है। एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना नाम कमाया है। उन्होंने कई बाधाओं और चुनौतियों का सामना किया, लेकिन हर बार और मजबूत होकर उभरीं।

विनेश ने भारतीय महिला कुश्ती को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनकी उपलब्धियों ने न केवल कुश्ती बल्कि समग्र रूप से भारतीय खेल जगत में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया है। वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक रोल मॉडल हैं।

विनेश के पास अभी भी कई लक्ष्य हैं, जिनमें ओलंपिक पदक जीतना सबसे बड़ा है। उनकी दृढ़ता और प्रतिबद्धता को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि वह अपने सपनों को जरूर साकार करेंगी और भारतीय कुश्ती को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगी।


ये भी पढ़ें…

Harmanpreet Singh Life Scan – हरमनप्रीत सिंह – भारतीय हॉकी का ‘सरपंच’ (लाइफ स्कैन)

Life Scan of Swapnil Kusale – स्वप्निल कुसाले – भारतीय निशानेबाजी के चमकते सितारे


Some information courtesy

https://en.wikipedia.org/wiki/Vinesh_Phogat

Harmanpreet Singh Life Scan – हरमनप्रीत सिंह – भारतीय हॉकी का ‘सरपंच’ (लाइफ स्कैन)

हरमनप्रीत सिंह (Harmanpreet Singh) भारतीय हॉकी के वर्तमान युग के सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों में से एक हैं। एक कुशल डिफेंडर और शानदार ड्रैग फ्लिकर के रूप में, उन्होंने अपने असाधारण खेल और नेतृत्व कौशल से भारतीय हॉकी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस लेख में हम हरमनप्रीत सिंह के जीवन (Harmanpreet Singh Life Scan) और करियर पर एक नज़र डालेंगे।

हरमन प्रीत सिंह की जीवनगाथा (Harmanpreet Singh Life Scan)

 

जन्म और परिवार

हरमनप्रीत सिंह का जन्म 6 जनवरी 1996 को पंजाब के अमृतसर जिले के जंडियाला गुरु कस्बे के पास तिम्मोवाल गांव में हुआ था। उनका परिवार एक सिख किसान परिवार है। उनके पिता का नाम सरबजीत सिंह और माता का नाम राजविंदर कौर है। बचपन में, हरमनप्रीत अपने पिता के साथ खेती में मदद करते थे। खेती के काम ने उन्हें शारीरिक रूप से मजबूत बनाया और यही ताकत उनके हॉकी करियर में काम आई। हरमनप्रीत के दो बड़े भाई भी हैं।

शिक्षा

हरमनप्रीत सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के स्कूल से प्राप्त की। हालांकि, उनकी औपचारिक शिक्षा के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।10 साल की उम्र में उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया और 15 साल की उम्र में सुरजीत सिंह हॉकी अकादमी में शामिल हो गए। वहां उन्हें पेशेवर ट्रेनिंग मिली और उनके खेल कौशल में निखार आया।

जीवन यात्रा

हरमनप्रीत सिंह का जीवन संघर्ष और मेहनत की कहानी है। बचपन में खेती करते हुए उन्होंने अपनी शारीरिक क्षमता को बढ़ाया। हॉकी के प्रति उनके जुनून ने उन्हें सुरजीत हॉकी अकादमी तक पहुंचाया। वहां के कठोर प्रशिक्षण और उनके आत्मविश्वास ने उन्हें जूनियर टीम में जगह दिलाई।

हरमनप्रीत सिंह ने महज 10 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया था। शुरुआत में वे अपनी मां के डर से चुपके-चुपके हॉकी खेलने जाते थे। खेतों में काम करने और ट्रैक्टर चलाने से उन्हें शारीरिक मजबूती मिली, जो बाद में उनके हॉकी करियर में बहुत काम आई। 15 साल की उम्र में वे सुरजीत हॉकी अकादमी में शामिल हुए, जहां उन्होंने अपने खेल को और निखारा।

करियर

हरमनप्रीत सिंह ने 2014 में सुल्तान जोहोर कप में जूनियर राष्ट्रीय टीम के लिए अपना पदार्पण किया। उसी टूर्नामेंट में उन्होंने 9 गोल किए और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता। 2015 में उन्होंने सीनियर टीम में पदार्पण किया और तब से लगातार टीम का अहम हिस्सा रहे हैं।

2016 रियो ओलंपिक में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा, लेकिन उन्होंने जल्द ही अपनी फॉर्म में वापसी की। 2018 में उन्होंने एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता। 2021 टोक्यो ओलंपिक में उनके शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने 41 साल बाद कांस्य पदक जीता। इस टूर्नामेंट में उन्होंने 6 गोल किए और टीम के टॉप स्कोरर रहे।

2022 राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने भारत को रजत पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई। 2023 में उन्होंने एशियाई खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया, जिससे टीम ने पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।

विशेष उपलब्धि

हरमनप्रीत सिंह को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फ्लिकरों में से एक माना जाता है। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 150 से अधिक गोल किए हैं। 2021-22 FIH प्रो लीग में उन्होंने अपना 100वां अंतरराष्ट्रीय गोल पूरा किया और 18 गोल के साथ टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर रहे।

हरमनप्रीत सिंह ने 2020-2021 और 2021-22 के लिए एफआईएच प्लेयर ऑफ द ईयर अवार्ड्स में पुरुष प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब जीता। वे पहले भारतीय और चौथे सदस्य बने, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है।

पुरुस्कार और सम्मान

1. अर्जुन पुरस्कार (2018)
2. FIH प्लेयर ऑफ द ईयर अवार्ड (2020-21, 2021-22)
3. हॉकी इंडिया लीग में पोंटी चड्ढा मोस्ट प्रॉमिसिंग प्लेयर अवार्ड (2015)
4. 2016 चैंपियंस ट्रॉफी में यंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट
5. 2014 सुल्तान जोहोर कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट

छोटा सा लाइफ स्कैन

1. नाम: हरमनप्रीत सिंह
2. जन्म तिथि: 6 जनवरी 1996
3. जन्म स्थान: तिम्मोवाल गांव, जंडियाला गुरु, अमृतसर, पंजाब
4. माता-पिता: सरबजीत सिंह (पिता), राजविंदर कौर (माता)
5. भाई-बहन: दो भाई
6. वैवाहिक स्थिति: विवाहित
7. पत्नी का नाम: अमनदीप कौर
8. ऊंचाई: 1.8 मीटर (5 फीट 11 इंच)
9. धर्म: सिख
10. शहर/राज्य: पंजाब
11. नेट वर्थ: जानकारी उपलब्ध नहीं

अंत में…

हरमनप्रीत सिंह ने अपने असाधारण कौशल, दृढ़ संकल्प और नेतृत्व क्षमता से भारतीय हॉकी में एक नया अध्याय लिखा है। एक सामान्य किसान परिवार से निकलकर वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ियों में से एक बन गए हैं। उनकी मेहनत और लगन ने न केवल उन्हें व्यक्तिगत सफलता दिलाई है, बल्कि पूरी भारतीय हॉकी टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना उनके करियर के सबसे यादगार पलों में से हैं। लेकिन इससे भी बढ़कर, उन्होंने भारतीय युवाओं के लिए एक आदर्श स्थापित किया है। उनका जीवन दिखाता है कि कठिन परिश्रम, दृढ़ संकल्प और अपने सपनों के प्रति समर्पण से कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

आने वाले समय में, हरमनप्रीत सिंह से भारतीय हॉकी के लिए और भी बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद है। उनका लक्ष्य 2024 पेरिस ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाना होगा। उनकी प्रेरणादायक यात्रा निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनी रहेगी।


ये भी पढ़ें..

Life Scan of Swapnil Kusale – स्वप्निल कुसाले – भारतीय निशानेबाजी के चमकते सितारे

P. R. Sreejesh – पी. आर. श्रीजेश – भारतीय हॉकी के महानायक गोलकीपर

Life Scan of Lakshya Sen – लक्ष्य सेन : भारतीय बैडमिंटन का उदीयमान सितारा


Some information source:

https://en.wikipedia.org/wiki/Harmanpreet_Singh

Hariyali Teej Vidhi-Vidhan – हरियाली तीज त्योहार, महिलाओं का अनोखा पर्व – पूर्ण विधि-विधान

हरियाली तीज (Hariyali Teej)एक ऐसा त्योहार है जो हर साल श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार अगस्त में मनाया जाता है और रक्षाबंधन से 11 दिन पहले आता है। आइए इसके बारे में जानत है…

हरियाली तीज त्योहार क्या है, इसके कैसे मनाएं सब कुछ जानें…(Hariyali Teej)

हरियाली तीज त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए समर्पित है और यह उनके सुख और समृद्धि का प्रतीक है। हरियाली तीज को सावन के महीने के त्योहार रूप में भी देखा जाता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का महीना है।

हरियाली तीज को मनाने का तरीका क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग होता है, लेकिन कुछ आम बातें हैं जो सभी क्षेत्रों में समान रूप से देखी जाती हैं। महिलाएं इस दिन नए कपड़े पहनती हैं और हरियाली के रंगों से सजती हैं वे हरियाली के पौधों, जैसे कि तुलसी, बेलपत्र, और आम की पत्तियों को अपने घरों में सजाती हैं। वे पूजा करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती से अपने परिवार के लिए सुख और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

हरियाली तीज उत्तर भारत में बड़े जोर-शोर से मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह त्यौहार सुख एवं समृद्धि का प्रतीक होता है। यह त्यौहार अधिकतर महिलाओं द्वारा ही मनाया जाता है। यह मुख्यतःपौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह त्यौहार भगवान शिव और पार्वती के पुनर्मिलन के स्मरण के तौर पर मनाया जाने वाला त्यौहार है।

हरियाली तीज त्यौहार में महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और घर में पूजा पाठ करते हैं तथा माता गौरी का सोलह सिंगार द्वारा पूजन करती हैं। इसके अलावा वह अपने पति की समृद्धि अपने घर की समृद्धि तथा पति की दीर्घायु की कामना करते हुए यह व्रत रखती हैं।

इस दिन विवाहित महिलाएं सोलह सिंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। उत्तर भारत में विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु व्रत रखती हैं। पूरा दिन व्रत रखने के बाद अंत में तीज की कथा सुनी जाती है और लोकगीत गाए जाते हैं तथा लोक नृत्य किए जाते हैं। यह त्योहार सावन के महीने में पड़ता है इसलिए गांव आदि में पेड़ों पर झूला झूले जाते हैं। घर में सात्विक भोजन बनाया जाता है तथा खीर-पुरी और बिना प्याज लहसुन का भोजन बनाया जाता है।

हरियाली तीज क्यों मनाया जाता है?

हरियाली तीज त्योहार के मनाने के पीछे यह कथा है कि एक बार भगवान शिव ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने के लिए एक कथा सुनाई थी। जिसके अनुसार माता पार्वती भगवान शिव को ही अपना पति मान चुकी थीं और उनको वर के रूप में पाने के लिए नित्य जप-तप करती थीं।

एक बार नारदजी उनके घर पधारे और कहा कि मैं भगवान विष्णु के कहने पर आया हूँ। वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर विवाह करना चाहते हैं। तब पार्वती जी के पिता पर्वतराज हिमालय प्रसन्न हो गए और अपनी कन्या पार्वती का विवाह विष्णु से कराने के लिए तैयार हो गए। लेकिन जब पार्वती को यह पता चला तो वह दुखी हो गई क्योंकि वह भगवान शिव को ही अपना वर मानती थीं। ऐसी स्थिति में एक जंगल में जाकर छुप गई। उनके पिता उन्हें नहीं ढूंढ पाए।

अपनी पुत्री के गायब होने पर पिता चिंतित होकर सोचने लगे कि यदि जब विष्णु बारात लेकर आएंगे तब वह क्या जवाब देंगे। पिता ने अपनी पुत्री पार्वती को बहुत ढूंढा लेकिन वो कहीं नहीं मिलीं। पार्वती एक गुफा में भगवान शिव का रेत का शिवलिंग बनाकर निरंतर शिव की आराधना करती थीं। इसके लिए उन्होंने अनेक कष्ट सहे और भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी तक की परवाह नही की। उ

नकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया। उसी समय उनके पिता उन्हें ढूंढते हुए वहाँ आ गए और अपनी पुत्री को साथ चलने के लिए कहने लगे। तब पार्वती ने उन्हें सारी बात बताई कि वह शिव को ही अपना पति मानती हैं और उनको ही अपने वर के रूप में वरण कर लिया है। यदि वह उनका विवाह शिव से कराने के लिए तैयार हैं, तो वह उनके साथ चलने के लिए तैयार हैं।

हिमालयराज अपनी पुत्री पार्वती की बात मान गए और उसके बाद भगवान शिव से पार्वती का विवाह हो गया। इसी विवाह के उपलक्ष में हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है, क्योंकि मां पार्वती ने कठोर व्रत रखकर भगवान शिव को प्राप्त किया था उसी कारण तभी से यह मान्यता चल पड़ी थी जो स्त्री व्रत रखेगी उसे अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी और उसके पति की दीर्घायु होगी।

हरियाली तीज के दिन निम्नलिखित उपाय भी करें

  • महिलाएं भगवान शिव और माँ पार्वती को चावल और दूध से बनी खीर का भोग लगाएं और वह प्रसाद को पूजा समाप्त होने के बाद खुद खाएं तथा अपने पति को दें। इससे दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
  • हरियाली तीज के दिन महिलाएं भगवान शिव को पान का बीड़ा चढ़ाएं और वह पान का बीड़ा फिर अपने पति को दे दें तो इससे दांपत्य जीवन में मधुरता आती है
  • तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पति-पत्नी मिलकर पूजा करें और खीर का भोग लगाने से दांपत्य जीवन में मधुर संबंध बनते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • यदि किसी युवती का विवाह नहीं हो पा रहा हो या विवाह बार-बार टूट रहा हो, तो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के बाद पीले वस्त्र पहनकर प्रदोष काल में पूजा करें। माता पार्वती को कुमकुम अर्पित करें और उस कुमकुम को अपने पास रख लें और उसका टीका लगाएं तो शीघ्र विवाह संभावना होती है कि विवाह की समस्याएं दूर हो सकती हैं।
  • भगवान शिव और माता पार्वती को सूजी का हलवा चढ़ाने से भी घर में सुख समृद्धि तथा दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
  • भगवान शिव और माता पार्वती को घेवर का भोग लगाने से शुभ फल प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
  • हरियाली तीज के दिन माँ पार्वती और शिव भगवान शिव को शहद का भोग लगाने से लगाकर उसको किसी ब्राह्मण को दान कर देने दाम्पत्य जीवन में मधुरता आती है।
  • इसी तरह हरियाली तीज के दिन माता पार्वती को गुड़ से बनी किसी भी मिठाई का भोग लगाकर उस मिठाई को किसी को दान कर देने से आर्थिक संकट दूर होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

ये भी पढ़ें…

श्रावण मास – भगवान शिव को समर्पित महीना – विधि-विधान और महत्व जानें।

What is Kanwar Yatra – कांवड़ यात्रा के बारे में जाने… कौन से महीने में और क्यों मनाई जाती है?

Life Scan of Swapnil Kusale – स्वप्निल कुसाले – भारतीय निशानेबाजी के चमकते सितारे

स्वप्निल कुसाले का नाम भारतीय निशानेबाजी के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित किया जाएगा। अपने कड़े परिश्रम, इच्छा शक्ति, और समर्पण के बलबूते पर स्वप्निल ने कई बार देश का नाम गौरवान्वित किया है। इस लेख में हम स्वप्निल कुसाले (Life Scan of Swapnil Kusale) के जन्म, परिवार, शिक्षा, जीवन यात्रा, करियर, और उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बात करेंगे।

स्वप्निल कुसाले: एक प्रतिभाशाली निशानेबाज की जीवन गाथा (Life Scan of Swapnil Kusale )

स्वप्निल कुसाले एक भारतीय खेल निशानेबाज हैं जो 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में प्रतिस्पर्धा करते हैं। उन्होंने अपने असाधारण कौशल और समर्पण से भारतीय निशानेबाजी में एक नया अध्याय लिखा है। 2024 पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि उनके दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत का परिणाम है। आइए इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी के जीवन और करियर पर एक नज़र डालें।

जन्म और परिवार

स्वप्निल कुसाले का जन्म 6 अगस्त 1995 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के कम्बलवाड़ी गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनका परिवार खेल परिदृश्य से पहले से ही जुड़ा हुआ था क्योंकि उनके पिता सुरेश कुसाले एक पूर्व राष्ट्रीय स्तरीय निशानेबाज रह चुके हैं। उनके पिता सुरेश कुसाले एक पूर्व राष्ट्रीय स्तरीय निशानेबाज थे, जबकि माता अनीता कुसाले गाँव की सरपंच हैं। उनके भाई सूरज कुसाले भी एक एथलीट हैं। खेलों से जुड़े इस परिवार ने स्वप्निल को शुरू से ही प्रेरणा और समर्थन दिया।

शिक्षा

स्वप्निल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे, महाराष्ट्र से पूरी की। उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने निशानेबाजी का प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धा भी जारी रखी। 2009 में, उनके पिता ने उन्हें महाराष्ट्र सरकार के क्रीड़ा प्रबोधिनी खेल कार्यक्रम में नामांकित किया, जहाँ उन्होंने एक साल की कड़ी शारीरिक प्रशिक्षण के बाद निशानेबाजी को अपने करियर के रूप में चुना।

संक्षिप्त जानकारी

नाम: स्वप्निल कुसाले
पिता का नाम: सुरेश कुसाले
माता का नाम: अनीता कुसाले
भाई का नाम: सूरज कुसाले
ऊंचाई: 5 फीट 8 इंच (लगभग)
धर्म: हिन्दू
उच्चतम शिक्षा: बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक
जन्म स्थान: ग्राम कंबलवाड़ी, कोल्हापुर जिला, महाराष्ट्र
वैवाहिक स्थिति: अविवाहित

जीवन यात्रा

स्वप्निल कुसाले की जीवन यात्रा संघर्ष और सफलता की कहानी है। बचपन से ही अपने पिता की निशानेबाजी को करीब से देखना और उनके प्रोत्साहन ने स्वप्निल को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। 2009 में उनके पिता ने उन्हें महाराष्ट्र सरकार के क्रीड़ा प्रबोधिनी खेल कार्यक्रम में नामांकित किया। एक साल की कड़ी शारीरिक ट्रेनिंग के बाद, स्वप्निल ने शूटिंग को अपने करियर का लक्ष्य बनाया।
शुरुआती दिनों में आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए, 2015 में वह पुणे में भारतीय रेलवे के लिए टिकट कलेक्टर बन गए, जिससे उन्हें अपनी पहली राइफल खरीदने में मदद मिली।

करियर

स्वप्निल कुसाले का निशानेबाजी करियर उपलब्धियों से भरा रहा है:

1. 2015: कुवैत में एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप के जूनियर वर्ग में 50 मीटर राइफल प्रोन 3 में स्वर्ण पदक जीता।

2. 2015: तुगलकाबाद में 59वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में 50 मीटर राइफल प्रोन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।

3. 2017: तिरुवनंतपुरम में 61वीं राष्ट्रीय चैंपियनशिप में 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन में स्वर्ण पदक जीता।

4. 2022: काहिरा में आईएसएसएफ विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में पुरुषों की 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन स्पर्धा में भारत के लिए ओलंपिक कोटा बर्थ अर्जित किया।

5. 2024: पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में कांस्य पदक जीता।

विशेष उपलब्धि

स्वप्निल कुसाले की सबसे बड़ी उपलब्धि 2024 पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में कांस्य पदक जीतना है। यह भारत के लिए इस स्पर्धा में पहला ओलंपिक पदक है। इस प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय निशानेबाजी के इतिहास में एक विशेष स्थान दिला दिया है।

पुरस्कार और सम्मान

स्वप्निल कुसाले को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं।
1. अर्जुन पुरस्कार
2. शिव छत्रपति खेल पुरस्कार
3. ब्रांड कोल्हापुर पुरस्कार (2021)

अंत में…

स्वप्निल कुसाले की कहानी संघर्ष, दृढ़ संकल्प और सफलता का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। एक छोटे से गाँव से निकलकर ओलंपिक पदक तक का सफर उनकी प्रतिभा और मेहनत का प्रमाण है। उनकी सफलता न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। स्वप्निल की यात्रा युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जो दिखाती है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। भारतीय खेल जगत में उनका योगदान अमूल्य है और निश्चित रूप से वे आने वाले समय में और भी उपलब्धियाँ हासिल करेंगे।


ये भी पढ़ें..

Life Scan of Lakshya Sen – लक्ष्य सेन : भारतीय बैडमिंटन का उदीयमान सितारा

Sarabjot Singh Life Scan – सरबजोत सिंह: एक उभरता हुआ भारतीय निशानेबाज

Life Scan of Lakshya Sen – लक्ष्य सेन : भारतीय बैडमिंटन का उदीयमान सितारा

लक्ष्य सेन (Life Scan of Lakshya Sen) एक भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपनी शानदार खेल क्षमता और असाधारण मेहनत से विश्व स्तर पर भारतीय बैडमिंटन को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। उन्होंने 2018 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक और 2021 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते। उनकी उपलब्धियों की सूची लंबी है, जिसमें 2022 ऑल इंग्लैंड ओपन में उपविजेता और 2022 थॉमस कप में भारतीय टीम का हिस्सा होना शामिल है। इल लेख में हम उनके जन्म, परिवार, शिक्षा, जीवन यात्रा, करियर, विशेष उपलब्धियां, पुरस्कार और सम्मान पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

लक्ष्य सेन की जीवन गाथा (Life Scan of Lakshya Sen)

लक्ष्य सेन भारतीय बैडमिंटन के नए युग के प्रतीक हैं। युवा आयु में ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है और भारत के लिए कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। जूनियर स्तर से लेकर सीनियर स्तर तक, लक्ष्य ने अपनी प्रतिभा और समर्पण से सभी को प्रभावित किया है। आइए जानें इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी के बारे में विस्तार से।

जन्म और परिवार

लक्ष्य सेन का जन्म 16 अगस्त 2001 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था। बैडमिंटन उनके परिवार में खून में है। उनके पिता डीके सेन एक प्रसिद्ध बैडमिंटन कोच हैं, जो लक्ष्य के भी कोच रहे हैं। उनके दादा सीएल सेन को अल्मोड़ा में बैडमिंटन का भीष्म पितामह कहा जाता है।

उनके परिवार में माता-पिता के अलावा एक भाई चिराग सेन भी है, जो खुद भी बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। लक्ष्य के बड़े भाई चिराग सेन भी एक अच्छे बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।

लक्ष्य के पिता डीके सेन नेशनल लेवल पर बैडमिंटन खेल चुके हैं और राष्ट्रीय स्तर के कोच भी हैं. डीके सेन वर्तमान में प्रकाश पादुकोण अकादमी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

इस तरह से खेल का माहौल लक्ष्य को बचपन से ही मिला। परिवार में खेलों का माहौल और समर्थन होने के कारण लक्ष्य ने बहुत कम उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया।

लक्ष्य सेन के भाई चिराग सेन भी इंटरनेशनल लेवल पर बैडमिंटन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं. अपने बेटे को बैडमिंटन की अच्छी ट्रेनिंग देने के लिए डीके सेन अल्मोड़ा छोड़ बेंगलुरु में बस गए थे। बेंगलुरु में लक्ष्य सेन ने प्रकाश पादुकोण एकेडमी में दाखिला लिया था, जहां उन्होंने ट्रायल के दौरान अपनी प्रतिभा से प्रकाश पादुकोण को हैरत में डाल दिया था।

शिक्षा-दीक्षा

लक्ष्य ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में ही प्राप्त की। हालांकि, जल्द ही उन्होंने अपना ध्यान पूरी तरह से बैडमिंटन पर केंद्रित कर दिया। उन्होंने प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में प्रशिक्षण लिया, जहां उन्होंने अपने खेल को और निखारा। लक्ष्य ने अपनी औपचारिक शिक्षा को बैडमिंटन के साथ संतुलित करने का प्रयास किया, लेकिन उनका मुख्य फोकस हमेशा खेल पर ही रहा। अपनी शिक्षा और खेल को संतुलित रखते हुए लक्ष्य ने अपनी पूरी शिक्षा पूरी की और अपनी पूरी लगन बैडमिंटन में झोंक दी।

जीवन यात्रा

लक्ष्य का सफर चुनौतियों से भरा रहा है। एक छोटे शहर से आने के बावजूद, उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की। प्रारंभिक दिनों में, उन्हें कई बार हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वे लगातार अपने खेल में सुधार करते रहे और धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए।

करियर

लक्ष्य का करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने लगातार प्रगति की है:

लक्ष्य सेन ने 2016 में जूनियर बैडमिंटन सर्किट में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 2016 इंडिया इंटरनेशनल सीरीज़ टूर्नामेंट में पुरुष एकल का खिताब जीता। 2017 में वह बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड जूनियर रैंकिंग में नंबर एक जूनियर एकल खिलाड़ी बने। 2018 में, उन्होंने एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और समर यूथ ओलंपिक में मिश्रित टीम स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक जीता।

2019 में, लक्ष्य सेन ने बेल्जियम इंटरनेशनल टूर्नामेंट और डच ओपन पुरुष एकल खिताब जीता। 2020 में, उन्होंने बैडमिंटन एशिया टीम चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा बने। 2021 में, वह विश्व चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुँचे और कांस्य पदक जीता।

2022 में, उन्होंने इंडिया ओपन के फाइनल में मौजूदा विश्व चैंपियन लोह कीन यू को हराकर अपना पहला सुपर 500 खिताब जीता। उन्होंने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता और थॉमस कप में भारतीय टीम का हिस्सा बने।

1. 2016: जूनियर सर्किट में शानदार प्रदर्शन, जूनियर एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक।
2. 2017: BWF वर्ल्ड जूनियर रैंकिंग में नंबर एक बने।
3. 2018: एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, यूथ ओलंपिक में रजत पदक।
4. 2019: पहला BWF टूर खिताब (डच ओपन) जीता।
5. 2021: विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
6. 2022: इंडिया ओपन जीता, ऑल इंग्लैंड ओपन में उपविजेता रहे, थॉमस कप विजेता टीम का हिस्सा बने, राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
7. 2023: कनाडा ओपन जीता, एशियाई खेलों में टीम रजत पदक।

विशेष उपलब्धि

लक्ष्य सेन की विशेष उपलब्धियों में 2018 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना और 2022 थॉमस कप में भारतीय टीम का हिस्सा होना शामिल है। उनकी इन उपलब्धियों ने उन्हें भारतीय बैडमिंटन का एक प्रमुख चेहरा बना दिया है। लक्ष्य की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक 2022 में थॉमस कप जीतना रहा, जो भारत के लिए ऐतिहासिक जीत थी। इसके अलावा, 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतना भी उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

पुरस्कार और सम्मान

लक्ष्य सेन को उनके खेल कौशल और उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। 2018 में, उन्होंने एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और समर यूथ ओलंपिक में मिश्रित टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। 2019 में, उन्होंने बेल्जियम इंटरनेशनल टूर्नामेंट और डच ओपन पुरुष एकल खिताब जीता। 2021 में, उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। 2022 में, उन्होंने इंडिया ओपन के फाइनल में जीत हासिल की और कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता।

लक्ष्य को उनकी उपलब्धियों के लिए कई सम्मान मिले हैं, जैसे…
1. अर्जुन अवार्ड (2022)
2. BWF की मोस्ट प्रॉमिसिंग प्लेयर ऑफ़ द ईयर (2021)
3. कई राज्य स्तरीय सम्मान

अंत में…

लक्ष्य सेन भारतीय बैडमिंटन के भविष्य हैं। उनकी युवा आयु में ही इतनी उपलब्धियां दर्शाती हैं कि वे एक असाधारण प्रतिभा हैं। उनकी खेल शैली, समर्पण और दृढ़ संकल्प उन्हें एक आदर्श एथलीट बनाते हैं। वे न केवल कोर्ट पर बल्कि कोर्ट के बाहर भी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। लक्ष्य का सफर अभी शुरू ही हुआ है, और आने वाले वर्षों में वे निश्चित रूप से भारतीय खेल के लिए और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल करेंगे। उनकी कहानी सिखाती है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प से कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है।


ये भी पढ़ें..

Sarabjot Singh Life Scan – सरबजोत सिंह: एक उभरता हुआ भारतीय निशानेबाज

Manika Batra Life Scan – मनिका बत्रा : भारतीय टेबल टेनिस की स्टार – जीवन पर एक नज़र

Some information courtesy

https://en.wikipedia.org/wiki/Lakshya_Sen


लक्ष्य सेन की जीवनी, लक्ष्य सेन के उपलब्धियाँ, लक्ष्य सेन का परिवार, लक्ष्य सेन का करियर, लक्ष्य सेन की शिक्षा, लक्ष्य सेन के कोच, लक्ष्य सेन के प्रेरणा स्रोत, लक्ष्य सेन के पुरस्कार, लक्ष्य सेन के मैच, लक्ष्य सेन के रिकॉर्ड्स, लक्ष्य सेन के संघर्ष, लक्ष्य सेन के टूर्नामेंट्स, लक्ष्य सेन की रैंकिंग, लक्ष्य सेन की प्रारंभिक जीवन, लक्ष्य सेन की नेटवर्थ।

अंग्रेजी कीवर्ड्स:
Lakshya Sen biography, achievements of Lakshya Sen, Lakshya Sen’s family, Lakshya Sen’s career, Lakshya Sen’s education, Lakshya Sen’s coach, Lakshya Sen’s inspiration, awards of Lakshya Sen, matches of Lakshya Sen, records of Lakshya Sen, struggles of Lakshya Sen, tournaments of Lakshya Sen, Lakshya Sen’s ranking, early life of Lakshya Sen, Lakshya Sen’s net worth।

Sarabjot Singh Life Scan – सरबजोत सिंह: एक उभरता हुआ भारतीय निशानेबाज

सरबजोत सिंह एक युवा और प्रतिभाशाली भारतीय निशानेबाज हैं, जिन्होंने अपने छोटे से करियर में ही कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। 10 मीटर एयर पिस्टल में विशेषज्ञता रखने वाले सरबजोत ने हाल ही में 2024 पेरिस ओलंपिक में मनु भाकर के साथ मिलकर मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। आइए जानें इस युवा खिलाड़ी (Sarabjot Singh Life Scan) के बारे में विस्तार से…

सरबजोत सिंह – एक उभरते भारतीय निशानेबाज की प्रेरणादायक जीवनगाथा (Sarabjot Singh Life Scan)

जन्म और परिवार

सरबजोत सिंह का जन्म 30 सितंबर 2001 को हरियाणा के अंबाला जिले के धीना जाट गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता जतिंदर सिंह किसान हैं, जबकि माँ हरदीप कौर गृहिणी हैं। सरबजोत का जन्म एक जाट परिवार में हुआ और उनका एक छोटा भाई भी है।

शिक्षा

सरबजोत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों से प्राप्त की। उन्होंने चंडीगढ़ के सेक्टर 10 स्थित डीएवी कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। 2023 में उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से कला में स्नातक की उपाधि हासिल की। शिक्षा के साथ-साथ वे शूटिंग में भी अपना कौशल निखारते रहे।

जीवन यात्रा

सरबजोत का शूटिंग से परिचय एक संयोग था। 13 वर्ष की आयु में, उन्होंने एक समर कैंप के दौरान कुछ बच्चों को एयर गन चलाते देखा। यह देखकर उनके मन में भी शूटिंग सीखने की इच्छा जागी। हालांकि शुरुआत में उनके पिता ने इस महंगे खेल के लिए मना कर दिया, लेकिन सरबजोत के लगातार आग्रह पर वे मान गए।

2016 में, सरबजोत ने अंबाला की एआर एकेडमी ऑफ शूटिंग स्पोर्ट्स में औपचारिक रूप से शूटिंग शुरू की। यहां उन्होंने कोच अभिषेक राणा के मार्गदर्शन में अपने कौशल को निखारा। इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध निशानेबाज समरेश जंग से भी प्रशिक्षण लिया।

करियर

सरबजोत के करियर की शुरुआत बेहद शानदार रही। 2019 में, उन्होंने जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

2022 में, सरबजोत ने हांग्जो एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा, उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में रजत पदक भी अपने नाम किया।

2023 में, सरबजोत ने अपने प्रदर्शन में और सुधार किया। कोरिया के चांगवोन में आयोजित एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में उन्होंने दो पदक जीते – 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम में रजत और पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य। इसी कांस्य पदक ने उन्हें 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में मदद की।

इसी वर्ष, भोपाल में आयोजित ISSF विश्व कप में सरबजोत ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता, जो उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि थी।

विशेष उपलब्धि

सरबजोत सिंह की विशेष उपलब्धियों में से एक यह है कि उन्होंने 2023 भोपाल में आयोजित ISSF विश्व कप में 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण पदक जीता। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से भारतीय निशानेबाजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया।

सरबजोत की सबसे बड़ी उपलब्धि 2024 पेरिस ओलंपिक में आई, जहां उन्होंने मनु भाकर के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। यह उनका पहला ओलंपिक था, और पहली ही बार में पदक जीतना एक बड़ी उपलब्धि है।

पुरस्कार और सम्मान

हालांकि सरबजोत अभी अपने करियर के शुरुआती दौर में हैं, लेकिन उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदक और सम्मान जीते हैं:

  • 2019 जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
  • 2022 एशियाई खेलों में स्वर्ण और रजत पदक
  • 2023 एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में रजत और कांस्य पदक
  • 2023 ISSF विश्व कप में स्वर्ण पदक
  • 2024 ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक

अंत में…

सरबजोत सिंह भारतीय शूटिंग के उभरते सितारे हैं। अपने छोटे से करियर में ही उन्होंने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। एक किसान परिवार से आकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करना उनकी प्रतिभा और समर्पण का प्रमाण है।

सरबजोत की सफलता का राज उनका कठिन परिश्रम, दृढ़ संकल्प और शांत स्वभाव है। वे न केवल एक कुशल निशानेबाज हैं, बल्कि एक परिपक्व व्यक्तित्व के धनी भी हैं। उनकी यह सफलता भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

अभी 22 वर्ष की आयु में ही ओलंपिक पदक जीतना सरबजोत के उज्जवल भविष्य का संकेत है। आने वाले समय में वे और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल करेंगे, ऐसी उम्मीद है। भारतीय खेल जगत को सरबजोत जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों से बहुत उम्मीदें हैं।


ये भी पढ़ें…

Manu Bhaker Life Scan – मनु भाकर – भारतीय शूटिंग का चमकता सितारा

Manika Batra Life Scan – मनिका बत्रा : भारतीय टेबल टेनिस की स्टार – जीवन पर एक नज़र

Life Scan of Antim Panghal – अंतिम पंघाल – भारत की उभरती हुई युवा कुश्ती सनसनी

Radha Yadav Life Scan – राधा यादव – संघर्ष से सितारों तक की कहानी

P. R. Sreejesh – पी. आर. श्रीजेश – भारतीय हॉकी के महानायक गोलकीपर

Rishabh Pant – ऋषभ पंत – भारत का उभरता हुआ विकेटकीपर (लाइफ स्कैन)


Some information courtesy

https://en.wikipedia.org

सरबजोत सिंह शूटर, सरबजोत सिंह ओलंपिक मेडल, सरबजोत सिंह जन्म स्थान, सरबजोत सिंह परिवार, सरबजोत सिंह शिक्षा, सरबजोत सिंह करियर, सरबजोत सिंह उपलब्धियां, सरबजोत सिंह एशियाई खेल, सरबजोत सिंह विश्व कप, सरबजोत सिंह मनु भाकर, सरबजोत सिंह 10 मीटर एयर पिस्टल, सरबजोत सिंह कोच, सरबजोत सिंह हरियाणा, सरबजोत सिंह पेरिस ओलंपिक, सरबजोत सिंह भारतीय निशानेबाज।

Sarabjot Singh shooter, Sarabjot Singh Olympic medal, Sarabjot Singh birthplace, Sarabjot Singh family, Sarabjot Singh education, Sarabjot Singh career, Sarabjot Singh achievements, Sarabjot Singh Asian Games, Sarabjot Singh World Cup, Sarabjot Singh Manu Bhaker, Sarabjot Singh 10m air pistol, Sarabjot Singh coach, Sarabjot Singh Haryana, Sarabjot Singh Paris Olympics, Sarabjot Singh Indian marksman.

Manika Batra Life Scan – मनिका बत्रा : भारतीय टेबल टेनिस की स्टार – जीवन पर एक नज़र

मनिका बत्रा भारत की शीर्ष महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं। वह राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता और दो बार की ओलंपियन हैं। अपने शानदार प्रदर्शन और कई उपलब्धियों के साथ, मनिका ने भारतीय टेबल टेनिस को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। वह न केवल अपने खेल में उत्कृष्ट हैं, बल्कि युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा भी हैं। आइए इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी के जीवन और करियर (Manika Batra Life Scan) पर एक नज़र डालें।

जन्म और परिवार

मनिका बत्रा का जन्म 15 जून 1995 को दिल्ली के नारायणा विहार में हुआ था। वह अपने माता-पिता की तीन संतानों में सबसे छोटी हैं। उनके पिता का नाम गिरीश बत्रा और माता का नाम सुषमा बत्रा है। मनिका की बड़ी बहन आंचल और बड़े भाई साहिल भी टेबल टेनिस खेलते थे। विशेष रूप से, उनकी बहन आंचल ने मनिका के शुरुआती खेल करियर पर काफी प्रभाव डाला।

शिक्षा

मनिका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के हंस राज मॉडल स्कूल से प्राप्त की। यह वही स्कूल था जहां उनके कोच संदीप गुप्ता अपनी अकादमी चलाते थे। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा जीसस एंड मैरी कॉलेज, नई दिल्ली से शुरू की, लेकिन टेबल टेनिस पर पूरा ध्यान केंद्रित करने के लिए एक वर्ष बाद ही पढ़ाई छोड़ दी। मनिका ने अपने खेल को प्राथमिकता दी और इसके लिए कई बलिदान दिए, जिसमें 16 साल की उम्र में स्वीडन की प्रतिष्ठित पीटर कार्लसन अकादमी में प्रशिक्षण के लिए मिली छात्रवृत्ति को अस्वीकार करना भी शामिल था।

जीवन यात्रा

मनिका ने मात्र चार वर्ष की आयु में टेबल टेनिस खेलना शुरू कर दिया था। उनकी प्रतिभा जल्द ही सामने आई जब उन्होंने राज्य स्तरीय अंडर-8 टूर्नामेंट में मैच जीता। इसके बाद उन्होंने कोच संदीप गुप्ता के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेना शुरू किया।

अपने किशोर वर्षों में, मनिका ने टेबल टेनिस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कई मॉडलिंग प्रस्तावों को ठुकरा दिया। यह उनके खेल के प्रति समर्पण को दर्शाता है। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन अपने जुनून और कड़ी मेहनत से उन्हें पार किया।

करियर

मनिका का अंतरराष्ट्रीय करियर 2011 में शुरू हुआ, जब उन्होंने चिली ओपन की अंडर-21 श्रेणी में रजत पदक जीता। इसके बाद उन्होंने कई प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों में भाग लिया और पदक जीते।

2014 में, मनिका ने ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 2015 में, उन्होंने राष्ट्रमंडल टेबल टेनिस चैंपियनशिप में तीन पदक जीते – महिला टीम स्पर्धा में रजत, महिला युगल में रजत और महिला एकल में कांस्य।

2016 दक्षिण एशियाई खेलों में मनिका ने शानदार प्रदर्शन करते हुए तीन स्वर्ण पदक जीते। उसी वर्ष, वह रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी बनीं।

मनिका का सबसे यादगार प्रदर्शन 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में आया, जहां उन्होंने चार पदक जीते, जिनमें दो स्वर्ण शामिल थे। उन्होंने महिला एकल में स्वर्ण जीतकर इतिहास रच दिया और भारतीय महिला टीम को सिंगापुर को हराकर स्वर्ण दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2020 टोक्यो ओलंपिक में, मनिका ने एक और उपलब्धि हासिल की जब वह एकल स्पर्धा के तीसरे दौर तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी बनीं।

विशेष उपलब्धि

मनिका की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक 2021 में आई, जब वह साथियान गणानाशेखरन के साथ WTT कंटेंडर बुडापेस्ट में मिश्रित युगल खिताब जीतकर WTT इवेंट जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।

2022 में, मनिका और अर्चना गिरीश कामथ की जोड़ी ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की जब वे विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर पहुंचीं। यह किसी भी श्रेणी में किसी भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी द्वारा हासिल की गई सर्वोच्च रैंकिंग थी।

पुरस्कार और सम्मान

मनिका बत्रा को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:

1. 2020 – मेजर ध्यानचंद खेल रत्न, भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान
2. 2018 – अर्जुन पुरस्कार, भारत का दूसरा सबसे बड़ा खेल सम्मान
3. 2018 – ITTF द्वारा ब्रेकथ्रू स्टार अवार्ड

अंत में…

मनिका बत्रा ने अपने असाधारण प्रदर्शन और उपलब्धियों से न केवल भारतीय टेबल टेनिस को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, बल्कि दुनिया भर में इस खेल के लिए भारत की छवि को भी बदला है। वह युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं और उनका लक्ष्य भारत में टेबल टेनिस को और अधिक लोकप्रिय बनाना है। अपने समर्पण, कड़ी मेहनत और प्रतिभा के साथ, मनिका बत्रा निश्चित रूप से भारतीय खेल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और आने वाले वर्षों में और अधिक सफलता हासिल करने की क्षमता रखती हैं।


ये भी पढ़ें…

Life Scan of Antim Panghal – अंतिम पंघाल – भारत की उभरती हुई युवा कुश्ती सनसनी

Manu Bhaker Life Scan – मनु भाकर – भारतीय शूटिंग का चमकता सितारा


मनिका बत्रा जीवनी, मनिका बत्रा टेबल टेनिस, मनिका बत्रा उपलब्धियां, मनिका बत्रा ओलंपिक, मनिका बत्रा राष्ट्रीय चैंपियन, मनिका बत्रा अर्जुन पुरस्कार, मनिका बत्रा खेल रत्न, मनिका बत्रा कॉमनवेल्थ गेम्स, मनिका बत्रा एशियाई खेल, मनिका बत्रा विश्व रैंकिंग, मनिका बत्रा प्रशिक्षण, मनिका बत्रा तकनीक, मनिका बत्रा करियर, मनिका बत्रा व्यक्तिगत जीवन, मनिका बत्रा आयु।

Manika Batra biography, Manika Batra table tennis, Manika Batra achievements, Manika Batra Olympics, Manika Batra national champion, Manika Batra Arjuna Award, Manika Batra Khel Ratna, Manika Batra Commonwealth Games, Manika Batra Asian Games, Manika Batra world ranking, Manika Batra training, Manika Batra technique, Manika Batra career, Manika Batra personal life, Manika Batra age.

Some information courtesy

https://olympics.com

https://en.wikipedia.org

Life Scan of Antim Panghal – अंतिम पंघाल – भारत की उभरती हुई युवा कुश्ती सनसनी

अंतिम पंघाल (Life Scan of Antim Panghal) एक युवा भारतीय पहलवान हैं जिन्होंने अपने छोटे से करियर में ही कई उपलब्धियां हासिल की हैं। वह दो बार की अंडर-20 विश्व चैंपियन हैं और भारत की पहली ऐसी महिला पहलवान हैं जिन्होंने यह खिताब जीता है। इसके अलावा, उन्होंने एशियाई खेलों, एशियाई चैंपियनशिप और सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भी पदक जीते हैं। इस लेख में हम अंतिम पंघाल के जीवन और करियर पर एक नज़र डालेंगे।

भारत की उभरती हुई युवा कुश्ती सनसनी (Life Scan of Antim Panghal)

अंतिम पंघाल (जन्म 2004) हरियाणा की एक भारतीय पहलवान हैं, जिन्होंने कुश्ती के क्षेत्र में न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत का नाम रोशन किया है। वह भारत की पहली अंडर-20 विश्व कुश्ती चैंपियन हैं और उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदक जीते हैं।

जन्म और परिवार

अंतिम पंघाल का जन्म 31 अगस्त 2004 को हरियाणा के हिसार जिले के भगाना गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम रामनिवास पंघाल और माँ का नाम कृष्णा कुमारी है। अंतिम अपने माता-पिता की पांच संतानों में से दूसरी सबसे छोटी हैं। उनकी तीन बड़ी बहनें हैं – सरिता, मीनू और निशा, जबकि उनका छोटा भाई अर्पित है। अंतिम का नाम उनके परिवार में सबसे छोटी लड़की होने के कारण रखा गया था।

शिक्षा

अंतिम पंघाल की प्रारंभिक शिक्षा हिसार के एक स्थानीय स्कूल में हुई। कुश्ती में उनकी रुचि और प्रदर्शन के चलते उनकी शिक्षा का अधिकांश हिस्सा कुश्ती प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं के इर्द-गिर्द केंद्रित रहा। उनके पिता रामनिवास पंघाल ने सुनिश्चित किया कि अंतिम को सबसे अच्छा प्रशिक्षण और आहार मिले, जिसके लिए उन्होंने अपने परिवार को हिसार शहर में स्थानांतरित कर दिया।

जीवन यात्रा

अंतिम के जीवन में कुश्ती का प्रवेश उनकी बहन सरिता के कारण हुआ। अंतिम पंघाल का कुश्ती का सफर तब शुरू हुआ जब वह केवल 10 साल की थीं। उनकी बहन सरिता ने उन्हें हिसार के महावीर स्टेडियम में कुश्ती के प्रशिक्षण के लिए लेकर गईं। शुरुआत में उनके पिता रामनिवास इस फैसले से असहमत थे, लेकिन अंतिम की कोच रोशनी देवी के प्रोत्साहन से वे मान गए।

परिवार ने अंतिम के कुश्ती करियर को समर्थन देने के लिए कई बलिदान दिए, जिसमें हिसार शहर में स्थानांतरित होना और वहां एक नया घर बनाना शामिल था। रामनिवास ने यह सुनिश्चित किया कि अंतिम को सर्वोत्तम आहार मिले, इसलिए उन्होंने अपनी भैंसों को भी साथ रखा।

शुरुआती दिनों में, उनके पिता ने उन्हें प्रतिदिन 20 किलोमीटर का सफर कराके प्रशिक्षण के लिए ले जाने का निर्णय लिया। यह निर्णय उनके परिवार के लिए बहुत बड़ा था, लेकिन उन्होंने इसे पूरा समर्थन दिया।

करियर

अंतिम पंघाल ने अपने कुश्ती करियर की शुरुआत बहुत कम उम्र में की और जल्द ही सफलता हासिल करना शुरू कर दिया। अंतिम पंघाल ने अपने करियर की शुरुआत में ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना शुरु कर दिया था। उनकी प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

1. 2018: 49 किग्रा अंडर-15 राष्ट्रीय चैंपियन बनीं और जापान में अंडर-15 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।

2. 2020: जूनियर एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक और अंडर-23 एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।

3. 2022: ज़ौहैर सघेयर रैंकिंग सीरीज़ में अपना पहला सीनियर स्वर्ण पदक जीता।

4. 2022: सोफिया में अंडर-20 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा।

5. 2023: अम्मान में अपने अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप खिताब का सफल बचाव किया।

6. 2023: अस्ताना में एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।

7. 2023: बेलग्रेड में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए कोटा हासिल किया।

8. 2023: हांगझोऊ एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता।

विशेष उपलब्धि

अंतिम पंघाल की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वह अंडर-20 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। उन्होंने यह खिताब लगातार दो साल (2022 और 2023) जीता, जो उनकी असाधारण प्रतिभा और निरंतरता को दर्शाता है।

अंतिम पंघाल ने 2023 में अस्ताना में एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। इसके अलावा, उन्होंने 2023 में बेलग्रेड में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और पेरिस 2024 ओलंपिक कोटा भी हासिल किया।

पुरस्कार और सम्मान

अंतिम पंघाल को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं।

1. अंडर-20 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक (2022, 2023)
2. विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक (2023)
3. एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक (2023)
4. एशियाई खेलों में कांस्य पदक (2023)
5. यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) द्वारा “राइजिंग स्टार ऑफ द ईयर 2023” का सम्मान

अंत में…

अंतिम पंघाल की कहानी प्रेरणादायक है और युवा खिलाड़ियों के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने अपने परिवार के समर्थन और अपनी अथक मेहनत से कुश्ती के क्षेत्र में अपना नाम स्थापित किया है। महज 19 वर्ष की आयु में, उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे अद्भुत हैं। विनेश फोगाट जैसी दिग्गज पहलवान को कड़ी टक्कर देने की क्षमता रखने वाली अंतिम भारतीय कुश्ती के भविष्य की एक उज्ज्वल आशा हैं।

उनका करियर अभी शुरुआती दौर में है, और आने वाले वर्षों में वे और अधिक सफलताएं हासिल करने की क्षमता रखती हैं। पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के साथ, अंतिम के पास अपने देश के लिए ओलंपिक पदक जीतने का सुनहरा मौका होगा। उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रतिभा निश्चित रूप से उन्हें भारतीय कुश्ती के इतिहास में एक विशेष स्थान दिलाएगी।


ये भी पढ़ें…

Manu Bhaker Life Scan – मनु भाकर – भारतीय शूटिंग का चमकता सितारा

Radha Yadav Life Scan – राधा यादव – संघर्ष से सितारों तक की कहानी


Some information courtesy

https://olympics.com

अंतिम पंघाल की जीवनी, अंतिम पंघाल पहलवान, अंतिम पंघाल की उपलब्धियाँ, अंतिम पंघाल के परिवार के बारे में, अंतिम पंघाल का करियर, अंतिम पंघाल की उम्र, अंतिम पंघाल की हाइट, अंतिम पंघाल का जन्मस्थान, अंतिम पंघाल के कोच, अंतिम पंघाल की ट्रेनिंग, अंतिम पंघाल का रिकॉर्ड, अंतिम पंघाल के मेडल्स, अंतिम पंघाल का व्यक्तिगत जीवन, अंतिम पंघाल की शिक्षा, अंतिम पंघाल की वर्ल्ड चैंपियनशिप, अंतिम पंघाल की नेटवर्थ, अंतिम पंघाल की साक्षात्कार, अंतिम पंघाल के फोटोज, अंतिम पंघाल के वीडियो, अंतिम पंघाल की फिटनेस, अंतिम पंघाल की ट्रेनिंग रूटीन, अंतिम पंघाल की डाइट प्लान, अंतिम पंघाल की टॉप फाइट्स, अंतिम पंघाल का सोशल मीडिया, अंतिम पंघाल का संघर्ष, अंतिम पंघाल के फैन क्लब्स, अंतिम पंघाल की प्रेरणा, अंतिम पंघाल की भविष्य की योजनाएं, अंतिम पंघाल की सफलताएं, अंतिम पंघाल की स्टाइल।

Antim Panchal biography, Antim Panchal wrestler, Antim Panchal achievements, Antim Panchal family, Antim Panchal career, Antim Panchal age, Antim Panchal height, Antim Panchal birthplace, Antim Panchal coach, Antim Panchal training, Antim Panchal record, Antim Panchal medals, Antim Panchal personal life, Antim Panchal education, Antim Panchal world championships, Antim Panchal net worth, Antim Panchal interviews, Antim Panchal photos, Antim Panchal videos, Antim Panchal fitness, Antim Panchal training routine, Antim Panchal diet plan, Antim Panchal top fights, Antim Panchal social media, Antim Panchal struggles, Antim Panchal fan clubs, Antim Panchal inspiration, Antim Panchal future plans, Antim Panchal successes, Antim Panchal wrestling style।

Manu Bhaker Life Scan – मनु भाकर – भारतीय शूटिंग का चमकता सितारा

मनु भाकर : भारत की युवा निशानेबाज (Manu Bhaker Life Scan)

मनु भाकर भारत की एक प्रतिभाशाली युवा निशानेबाज हैं, जिन्होंने अपने छोटे से करियर में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियां हासिल की हैं। महज 16 साल की उम्र में विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया। राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और युवा ओलंपिक में पदक जीतकर मनु ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। आइए जानते हैं इस युवा खिलाड़ी के जीवन और करियर (Manu Bhaker Life Scan) के बारे में विस्तार से।

जन्म और परिवार

मनु भाकर का जन्म 18 फरवरी 2002 को हरियाणा के झज्जर जिले के गोरिया गाँव में हुआ था। उनके पिता राम किशन भाकर मरीन इंजीनियर हैं और माँ स्कूल में प्रिंसिपल हैं। मनु के परिवार में खेलों का माहौल रहा है और उनके माता-पिता ने हमेशा उनके सपनों को पूरा करने में सहयोग किया है। मनु ने बचपन में निशानेबाजी के साथ-साथ मुक्केबाजी, एथलेटिक्स, स्केटिंग और जूडो कराटे जैसे खेलों में भी भाग लिया। जब मनु की उम्र 18 साल से कम थी, तब उनके पिता ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी लाइसेंसी पिस्टल के साथ बेटी को प्रशिक्षण के लिए छोड़ने जाने लगे।

Manu Bhaker Family
मनु भाकर अपने माता-पिता और भाई के साथ

शिक्षा

मनु भाकर की पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो मनु ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के स्कूल से प्राप्त की। फिर उन्होंने अपनी स्कूलिंग और कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली से ही की। मनु ने 2021 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्री राम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंट ऑनर्स में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी।

मनु खेलों के साथ-साथ अभी पढ़ाई भी कर रही हैं। वह इस समय पंजाब यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई कर रही हैं।

वह बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी रुचि रखती थीं। स्कूली दिनों में उन्होंने टेनिस, स्केटिंग, मुक्केबाजी और थांग-टा जैसे कई खेलों में हिस्सा लिया और राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीते। हालांकि, 14 साल की उम्र में उन्होंने शूटिंग को अपना करियर बनाने का फैसला किया।

बचपन में मनु ने कई खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाई। मुक्केबाजी, स्केटिंग, वॉलीबॉल, घुड़सवारी, मार्शल आर्ट और टेनिस में उन्होंने 60 से अधिक राष्ट्रीय पदक जीते। एक चोट के कारण उन्हें शूटिंग की ओर रुख करना पड़ा, जो बाद में उनके लिए वरदान साबित हुआ।

जीवन यात्रा

मनु के लिए शूटिंग में करियर बनाने का फैसला आसान नहीं था। उनके पिता ने अपनी नौकरी छोड़कर बेटी के सपने को पूरा करने में पूरा सहयोग दिया। चूंकि नाबालिग के लिए सार्वजनिक परिवहन में हथियार ले जाना अवैध है, इसलिए उनके पिता उन्हें रोज प्रशिक्षण के लिए छोड़ने जाते थे। मनु को भारतीय खेल प्राधिकरण और राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन से भी मदद मिली। प्रसिद्ध शूटर जसपाल राणा ने उन्हें कोचिंग दी, जिससे उनके खेल में निखार आया।

करियर

मनु ने अपने करियर की शुरुआत बॉक्सिंग से की। नेशनल लेवल पर मेडल भी जीते, लेकिन एक दिन प्रैक्टिस के दौरान आंख में चोट लगने के बाद उन्होंने बॉक्सिंग छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने मार्शल आर्ट्स, आर्चरी, टेनिस, और स्केटिंग में भी हाथ आजमाया, लेकिन अंततः उन्हें शूटिंग में अपना असली रास्ता मिला।

शूटिंग में शुरुआत

मनु की माँ ने उनके लिए प्रिंसिपल की नौकरी छोड़ दी और उन्हें शूटिंग में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। मनु की मां जिस स्कूल में प्रिंसिपल थीं, वहां एक शूटिंग रेंज थी। वहां मनु ने अपने पहले ही शॉट से कोच अनिल जाखड़ को प्रभावित किया। उन्होंने मनु की प्रतिभा को पहचाना और उसे शूटिंग में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। मनु की मेहनत और कोच की मार्गदर्शन ने उन्हें नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर सफलता दिलाई।

मनु भाकर ने अपने निशानेबाजी में की शुरुआत 2017 में की, जब उन्होंने केरल में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप में 9 स्वर्ण पदक जीतकर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। इसी वर्ष एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक जीता।

2018 में मनु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी। मैक्सिको के ग्वाडलजारा में आयोजित ISSF विश्व कप में उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। 16 साल की उम्र में वह विश्व कप में स्वर्ण जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बनीं। इसी वर्ष उन्होंने ISSF जूनियर विश्व कप में भी डबल स्वर्ण जीता।

2018 राष्ट्रमंडल खेलों में मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और एक नया रिकॉर्ड भी बनाया। युवा ओलंपिक खेलों में भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा।

2019 में मनु ने तीनों ISSF विश्व कप के मिक्स्ड डबल्स इवेंट में सौरभ चौधरी के साथ स्वर्ण पदक जीते। म्यूनिख विश्व कप में चौथे स्थान पर रहकर उन्होंने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।

2021 नई दिल्ली ISSF विश्व कप में मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण और रजत तथा 25 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीता।

टोक्यो ओलिंपिक 2021

2021 के टोक्यो ओलिंपिक में मनु भाकर की पिस्टल खराब हो गई थी, जिससे वे क्वालिफाइंग राउंड में ही बाहर हो गईं। इस असफलता के बाद मनु बेहद उदास हो गईं और उनकी मां को उनकी चिंता होने लगी। उन्होंने मनु की पिस्टल छिपा दी ताकि वह दुखी न हों। लेकिन मनु ने हार नहीं मानी और एक बार फिर से प्रैक्टिस शुरू कर दी।

टोक्यो ओलंपिक 2020 में मनु का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। तकनीकी खराबी और दबाव के कारण वह पदक नहीं जीत सकीं।

ओलंपिक के बाद, मनु ने लीमा में आयोजित जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण जीता। 2022 काहिरा विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने 25 मीटर पिस्टल में रजत और 2023 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में ब्रान्ज मेडल जीतकर एक नया इतिहास रचा और ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली महिला निशानेबाज होने का गौरव भी प्राप्त किया।

विशेष उपलब्धि

मनुभाकर के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि उन्होंने पेरिस ओलंपिक में 2 ब्रांज मेडल जीते। वह निशानेबाजी में भारत के लिए मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी भी बनीं। वह एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली भी पहली भारतीय एथलीट बनीं।

मनु भाकर की सबसे बड़ी उपलब्धि 16 साल की उम्र में ISSF विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतना रही है। वह यह कारनामा करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बनीं। इसके अलावा, वह युवा ओलंपिक खेलों में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट भी बनीं।

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में भारत का नाम रोशन किया। हालांकि वे तीन मेडल की हैट्रिक नहीं लगा पाईं, फिर भी उनकी झोली में दो कांस्य पदक आए। मनु ने तीन इवेंट्स में हिस्सा लिया और तीनों के फाइनल में पहुंचकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।

नया इतिहास रचने वाली पहली भारतीय एथलीट

मनु भाकर एक ही ओलंपिक में तीन इवेंट्स के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली एथलीट बन गईं। यह उपलब्धि उनके नाम को इतिहास में दर्ज करा गई, भले ही उन्होंने तीनों इवेंट्स में मेडल न जीता हो।

25 मीटर पिस्टल इवेंट में रोमांचक मुकाबला

पेरिस ओलंपिक में मनु का अंतिम मुकाबला 25 मीटर पिस्टल इवेंट था। वे लगातार टॉप-3 में चल रही थीं, लेकिन 8वें राउंड में केवल 2 टारगेट हिट करने के कारण चौथे स्थान पर आ गईं। तीसरे स्थान के लिए हुए शूटआउट में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

यूथ ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता

मनु भाकर ने 2018 में अर्जेंटीना में हुए यूथ ओलंपिक के 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में गोल्ड मेडल जीता था। वह मात्र 16 वर्ष की उम्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाली भारत की पहली महिला और पहली शूटर बनीं।

पेरिस ओलंपिक में दोहरी सफलता

मनु ने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में पहला ब्रॉन्ज मेडल जीता, जो किसी भारतीय महिला द्वारा ओलंपिक शूटिंग में जीता गया पहला मेडल था। उन्होंने 10 मीटर मिक्स्ड टीम इवेंट में दूसरा ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अपनी सफलता को दोहराया।

पुरस्कार और सम्मान

मनु भाकर को उनकी उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:

○ 2020 में अर्जुन पुरस्कार
○ 2019 में भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा “वर्ष के सर्वश्रेष्ठ युवा एथलीट (महिला)” का पुरस्कार
○ 2018 में BBC की भारत की इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर अवार्ड

सफलता की ओर कदम

टोक्यो ओलिंपिक के बाद मनु ने खुद को फिर से तैयार किया और पेरिस ओलिंपिक 2024 के लिए क्वालिफाई किया। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत को पहला ओलिंपिक मेडल दिलाया। वे ओलिंपिक में शूटिंग में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं।

मनु भाकर की नेटवर्थ

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मनु भाकर की नेटवर्थ लगभग 12 करोड़ रुपये है। यह राशि उनके टूर्नामेंट्स, इनामी राशि, एंडोर्समेंट्स और स्पॉन्सर्स से प्राप्त होती है। मनु भारतीय निशानेबाजी की पोस्टर गर्ल हैं और सोशल मीडिया पर भी काफी लोकप्रिय हैं।

मनु भाकर को कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने के बाद हरियाणा सरकार ने 2 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी थी। इसके अलावा, अन्य टूर्नामेंट्स जीतने पर भी उन्हें कई इनामी राशि प्राप्त हुई है। उनके इंस्टाग्राम पर 2 लाख और ट्विटर पर डेढ़ लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।

मनु भाकर को ओजी क्यू द्वारा स्पॉन्सर किया जाता है, जो उनकी ट्रेनिंग और टूर्नामेंट्स के खर्च को कवर करता है। वह भारतीय सरकार की टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) का भी हिस्सा हैं। इस स्कीम के तहत पेरिस ओलंपिक की तैयारी के लिए मनु पर 1.68 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस राशि का उपयोग उनकी पिस्टल की सर्विसिंग, एयर पेलेट्स और गोलियों पर किया गया है। इसके अलावा, जर्मनी में निजी कोच के साथ ट्रेनिंग के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।

अंत में…

मनु भाकर भारतीय खेल जगत की एक चमकती हुई सितारा हैं। अपनी कम उम्र में ही उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह अन्य युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। हालांकि टोक्यो ओलंपिक में उनका प्रदर्शन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा, लेकिन इससे उनके जज्बे पर कोई असर नहीं पड़ा है। वह लगातार अपने खेल में सुधार कर रही हैं और आने वाले समय में और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।

मनु की कहानी दिखाती है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और परिवार का समर्थन मिले तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उनकी सफलता ग्रामीण भारत की बेटियों के लिए एक मिसाल है कि वे भी अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं। आने वाले समय में मनु से भारत को और भी बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद है, खासकर 2024 पेरिस ओलंपिक में। निःसंदेह, मनु भाकर भारतीय खेल के भविष्य की एक उज्ज्वल किरण हैं।

मनु भाकर का X-Handle

https://x.com/realmanubhaker


ये भी पढ़ें…

Radha Yadav Life Scan – राधा यादव – संघर्ष से सितारों तक की कहानी

Rishabh Pant – ऋषभ पंत – भारत का उभरता हुआ विकेटकीपर (लाइफ स्कैन)


Some information courtesy

https://hi.wikipedia.org

https://olympics.com

मनु भाकर की जीवनी, मनु भाकर निशानेबाज, मनु भाकर की उपलब्धियाँ, मनु भाकर के परिवार के बारे में, मनु भाकर का करियर, मनु भाकर की उम्र, मनु भाकर की हाइट, मनु भाकर का जन्मस्थान, मनु भाकर के कोच, मनु भाकर की ट्रेनिंग, मनु भाकर का रिकॉर्ड, मनु भाकर के मेडल्स, मनु भाकर का व्यक्तिगत जीवन, मनु भाकर की शिक्षा, मनु भाकर की वर्ल्ड चैंपियनशिप, मनु भाकर की नेटवर्थ, मनु भाकर की साक्षात्कार, मनु भाकर के फोटोज, मनु भाकर के वीडियो, मनु भाकर की फिटनेस।

Manu Bhaker biography, Manu Bhaker shooter, Manu Bhaker achievements, Manu Bhaker family, Manu Bhaker career, Manu Bhaker age, Manu Bhaker height, Manu Bhaker birthplace, Manu Bhaker coach, Manu Bhaker training, Manu Bhaker record, Manu Bhaker medals, Manu Bhaker personal life, Manu Bhaker education, Manu Bhaker world championships, Manu Bhaker net worth, Manu Bhaker interviews, Manu Bhaker photos, Manu Bhaker videos, Manu Bhaker fitness।

पब्लिक Wi-Fi का उपयोग करने से पहले ये सावधानियाँ जरुर रखें, परेशानी में नहीं पड़ेंगे।

पब्लिक वाई-फाई से जुड़ी सावधानियां अपनाकर सुरक्षित इंटरनेट का आनंद लें।

पब्लिक वाई-फाई का उपयोग करते समय हैकर्स के हमले का खतरा होता है। सार्वजनिक स्थानों पर लगे वाई-फाई नेटवर्क से जुड़े उपकरणों के डेटा को हैकर्स आसानी से चुरा सकते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, CERT-In (कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पॉन्स टीम) ने कुछ महत्वपूर्ण सुरक्षा टिप्स (Tips to use a secure public Wi-Fi) साझा किए हैं।

पब्लिक वाई-फाई से जुड़ी सावधानियां (Tips to use a secure public Wi-Fi)

1. नेटवर्क का नाम और लॉगिन कन्फर्म करें: पब्लिक वाई-फाई से कनेक्ट करने से पहले वहां के स्टाफ से नेटवर्क का नाम और लॉगिन का सही तरीका पक्का करें।

2. संवेदनशील गतिविधियों से बचें: पब्लिक वाई-फाई पर कभी भी ऑनलाइन शॉपिंग, बैंकिंग या अन्य संवेदनशील गतिविधियाँ न करें।

3. सुरक्षित वेबसाइट्स का उपयोग करें: केवल उन वेबसाइट्स पर जाएं जिनकी शुरुआत ‘https://’ से होती है।

4. जरूरत पड़ने पर ही उपयोग करें: पब्लिक वाई-फाई का उपयोग तभी करें जब अत्यधिक आवश्यकता हो।

5. अप्रयुक्त कनेक्शन को डिस्कनेक्ट करें: उपयोग न होने पर पब्लिक वाई-फाई कनेक्शन को तुरंत डिस्कनेक्ट कर दें।

पब्लिक वाई-फाई का उपयोग करते समय इन सावधानियों का पालन करें ताकि आपका डेटा सुरक्षित रहे और हैकर्स से बचा जा सके। सुरक्षित इंटरनेट अनुभव के लिए CERT-In की सलाह को मानें और सतर्क रहें।

सूचना मंत्रालय Official Twitter handle of Indian Computer Emergency Response Team का X-Handle फॉलों करें….

https://x.com/IndianCERT


ये भी पढ़ें…

वॉट्सऐप का नया धमाका: अब मोबाइल नंबर सुरक्षित

अपने मोबाइल नंबर को BSNL में कैसे पोर्ट कैसे करें?

पेरिस ओलंपिक 2024 की पूरी पदक तालिका।

पेरिस ओलंपिक की पूरी पदक तालिका

Peris Olympic2024 Events and Medal Tally Complete Medal Tally.

 क्र. देश स्वर्ण रजत कांस्य कुल
71भारत0156
 1 संयुक्त राज्य अमेरिका 40 44 42 126
 2 चीन जनवादी गणराज्य 40 27 24 91
 3 जापान 20 12 13 45
 4 ऑस्ट्रेलिया 18 19 16 53
 5 फ्रांस 16 26 22 64
 6 नीदरलैंड 15 7 12 34
 7 ग्रेट ब्रिटेन 14 22 29 65
 8 दक्षिण कोरिया 13 9 10 32
 9 इटली 12 13 15 40
 10 जर्मनी 12 13 8 33
 11 न्यूजीलैंड 10 7 3 20
 12 कनाडा 9 7 11 27
 13 उज़्बेकिस्तान 8 2 3 13
 14 हंगरी 6 7 6 19
 15 स्पेन 5 4 9 18
 16 स्वीडन 4 4 3 11
 17 केन्या 4 2 5 11
 18 नॉर्वे 4 1 3 8
 19 आयरलैंड 4 0 3 7
 20 ब्राज़ील 3 7 10 20
 21 ईरान 3 6 3 12
 22 यूक्रेन 3 5 4 12
 23 रोमानिया 3 4 2 9
 24 जॉर्जिया 3 3 1 7
 25 बेल्जियम 3 1 6 10
 26 बुल्गारिया 3 1 3 7
 27 सर्बिया 3 1 1 5
 28 चेकिया 3 0 2 5
 29 डेनमार्क 2 2 5 9
 30 अज़रबैजान 2 2 3 7
 30 क्रोएशिया 2 2 3 7
 32 क्यूबा 2 1 6 9
 33 बहरीन 2 1 1 4
 34 स्लोवेनिया 2 1 0 3
 35 चीनी ताइपे 2 0 5 7
 36 ऑस्ट्रिया 2 0 3 5
 37 हांगकांग, चीन 2 0 2 4
 37 फिलीपींस 2 0 2 4
 39 अल्जीरिया 2 0 1 3
 39 इंडोनेशिया 2 0 1 3
 41 इज़राइल 1 5 1 7
 42 पोलैंड 1 4 5 10
 43 कज़ाखस्तान 1 3 3 7
 44 जमैका 1 3 2 6
 44 दक्षिण अफ्रीका 1 3 2 6
 44 थाईलैंड 1 3 2 6
 47 इथियोपिया 1 3 0 4
 48 स्विट्ज़रलैंड 1 2 5 8
 49 इक्वाडोर 1 2 2 5
 50 पुर्तगाल 1 2 1 4
 51 ग्रीस 1 1 6 8
 52 अर्जेंटीना 1 1 1 3
 52 मिस्र 1 1 1 3
 52 ट्यूनीशिया 1 1 1 3
 55 बोत्सवाना 1 1 0 2
 55 चिली 1 1 0 2
 55 सेंट लूसिया 1 1 0 2
 55 युगांडा 1 1 0 2
 59 डोमिनिकन गणराज्य 1 0 2 3
 60 ग्वाटेमाला 1 0 1 2
 60 मोरक्को 1 0 1 2
 62 डोमिनिका 1 0 0 1
 62 पाकिस्तान 1 0 0 1
 64 तुर्की 0 3 5 8
 65 मेक्सिको 0 3 2 5
 66 आर्मीनिया 0 3 1 4
 66 कोलंबिया 0 3 1 4
 68 किर्गिस्तान 0 2 4 6
 68 उत्तर कोरिया 0 2 4 6
 70 लिथुआनिया 0 2 2 4
 71 भारत 0 1 5 6
 72 मोल्दोवा 0 1 3 4
 73 कोसोवो 0 1 1 2
 74 साइप्रस 0 1 0 1
 74 फिजी 0 1 0 1
 74 जॉर्डन 0 1 0 1
 74 मंगोलिया 0 1 0 1
 74 पनामा 0 1 0 1
 79 ताजिकिस्तान 0 0 3 3
 80 अल्बानिया 0 0 2 2
 80 ग्रेनाडा 0 0 2 2
 80 मलेशिया 0 0 2 2
 80 प्युर्तो रिको 0 0 2 2
 84 कोते द’आइवोर 0 0 1 1
 84 काबो वर्दे 0 0 1 1
 84 शरणार्थी ओलंपिक टीम 0 0 1 1
 84 पेरू 0 0 1 1
 84 क़तर 0 0 1 1
 84 सिंगापुर 0 0 1 1
 84 स्लोवाकिया 0 0 1 1
 84 ज़ाम्बिया 0 0 1 1

 

 


ये भी पढ़ें..

सभी ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन।

पेरिस ओलंपिक2024 खेलों में भाग लेने वाले सभी देशों के नाम जानें…

पेरिस ओलंपिक में जाने वाले पूरे भारतीय दल को जानें…


Courtesy

https://olympics.com/hi/paris-2024

Radha Yadav Life Scan – राधा यादव – संघर्ष से सितारों तक की कहानी

भारत की महिला क्रिकेट टीम भी आजकल मैदान में अपने झंडे गाढ़ रही है। एक-एक करके महिला क्रिकेट टीम की अनेक खिलाड़ी लड़कियां लोगों में सेलिब्रिटी बनती जा रही है। लोग अब पुरुष क्रिकेट क्रिकेट खिलाड़ियों की तरह ही महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को भी सिर-आँखों पर बिठाने लगे हैं। ऐसी ही एक महिला क्रिकेट खिलाड़ी है, राधा यादव जो भारतीय टीम की बॉलर है। हाल ही में हुए एशिया कप के सेमीफाइनल मैच में राधा यादव ने बांग्लादेश के तीन विकेट चटकाकर अपनी उपयोगिता सिद्ध की। आइए राधा यादव (Radha Yadav Life Scan) के बारे में जानते हैं..

 

राधा यादव – मुंबई की झुग्गी से क्रिकेट के मैदान तक तक की कहानी (Radha Yadav Life Scan)

मुंबई की गलियों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के मैदान तक पहुंचने की कहानी है राधा यादव की। एक ऐसी लड़की, जिसने अपने परिवार की आर्थिक तंगी और समाज की रूढ़िवादी सोच को चुनौती देते हुए अपने सपनों को साकार किया।

राधा यादव की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है। मुंबई की झुग्गी बस्तियों में पली-बढ़ी राधा ने कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भारतीय महिला क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनाई है। उनके पिता, ओमप्रकाश यादव, की किराना दुकान ने परिवार का भरण-पोषण किया, लेकिन यह व्यवसाय हर दिन नगर निगम की धमकी के कारण जोखिम में रहता था। इसके बावजूद, ओमप्रकाश ने अपनी बेटी को क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

राधा का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक छोटे से अजोशी नामक गांव में हुआ था। रोजी-रोटी की तलाश में उनका परिवार मुंबई आ गया, जहां उनके पिता ने एक छोटी सी किराना दुकान शुरू की। राधा ने महज छह साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। गली में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलते हुए, पड़ोसियों ने अक्सर तंज कसे, लेकिन उनके परिवार ने हमेशा उनका समर्थन किया।

कांदिवली के एक झुग्गी इलाके में 225 वर्ग फुट के घर में रहते हुए, राधा ने बचपन से ही क्रिकेट के प्रति अपने प्यार को बरकरार रखा।

“मैं अपने मोहल्ले के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी। कई लोग मेरे परिवार को ताने मारते थे कि लड़की होकर क्रिकेट खेल रही है, लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी मुझे रोका नहीं,” राधा याद करती हैं।

क्रिकेट का सफर

राधा ने अपनी प्रारंभिक क्रिकेट शिक्षा मुंबई में ही ली। संसाधनों की कमी के बावजूद, उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट खेलने से नहीं रोका।

आर्थिक तंगी के चलते राधा के पास क्रिकेट किट खरीदने के पैसे नहीं थे। वह लकड़ी के टुकड़े से बैट बनाकर प्रैक्टिस करती थी। उनके पिता उन्हें साइकिल पर बिठाकर तीन किलोमीटर दूर स्टेडियम छोड़ने जाते और राधा कभी टेम्पो तो कभी पैदल ही घर लौटती।

राधा की प्रतिभा को पहचानते हुए कोच प्रफुल नाइक ने उन्हें प्रशिक्षित करना शुरू किया। धीरे-धीरे राधा ने अपनी मेहनत से सफलता हासिल की और 2018 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाई।

“जब मैंने पहली बार भारत के लिए खेला, तो राष्ट्रगान के दौरान मेरी आंखें भर आईं। मैंने हमेशा इस पल का सपना देखा था,” राधा भावुक होकर कहती हैं।

कठिनाइयों से सफलता तक

राधा के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। उनकी किराना दुकान म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के निरंतर खतरे में रहती थी। इसके बावजूद, राधा के पिता ने हमेशा उन्हें प्रेरित किया। राधा की मेहनत और उनके पिता के समर्थन ने उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह दिलाई। बीसीसीआई से अब उन्हें सालाना 10 लाख रुपये मिलते हैं, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

आज राधा यादव एक उभरती हुई स्टार हैं। उन्होंने अपनी पहली कमाई से अपने पिता के लिए एक दुकान खरीदी। अब उनका सपना है कि वह अपने परिवार के लिए एक बड़ा घर खरीद सकें।

अंतरराष्ट्रीय करियर

राधा ने 2018 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। उन्होंने टी20 इंटरनेशनल में बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनके कोच प्रफुल नाइक ने उन्हें ट्रेनिंग दी और उनकी प्रतिभा को निखारा। राधा का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलेंगी, लेकिन उनकी मेहनत और परिवार के समर्थन ने उन्हें यह मौका दिलाया।

भारतीय टीम में जगह बनाना

राधा ने अपनी मेहनत से भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की की। उन्होंने 2018 आईसीसी महिला विश्व ट्वेंटी 20 टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया। जनवरी 2020 में, उन्हें ऑस्ट्रेलिया में 2020 आईसीसी महिला टी 20 विश्व कप के लिए भारत की टीम में चुना गया। उनके प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना दिया है।

भविष्य की योजनाएँ

राधा का सपना है कि वह अपने परिवार के लिए एक घर खरीदे ताकि वे आराम से रह सकें। उनके पिता की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें यह मुकाम दिलाया है। राधा यादव की कहानी एक प्रेरणा है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी, मेहनत और लगन से सफलता हासिल की जा सकती है।

राधा यादव की कहानी न सिर्फ एक क्रिकेटर की, बल्कि एक बेटी की भी है जिसने अपने पिता के सपनों को साकार करने के लिए हर कठिनाई का सामना किया। उनके संघर्ष और सफलता की यह कहानी यकीनन हर उस व्यक्ति को प्रेरित करेगी जो अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत कर रहा है।

राधा की कहानी दर्शाती है कि कैसे दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है। वह युवा लड़कियों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो उन्हें सिखाती हैं कि परिस्थितियां कैसी भी हों, अपने लक्ष्य पर डटे रहना चाहिए।

राधा का कहना है, “मेरा संदेश सभी लड़कियों के लिए है कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें और कभी हार न मानें। आप कुछ भी हासिल कर सकती हैं, बस विश्वास रखें और लगे रहें।”

आज राधा यादव न केवल एक सफल क्रिकेटर हैं, बल्कि वह अपने परिवार और समाज के लिए भी एक मिसाल हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सपने देखना और उन्हें पूरा करने के लिए संघर्ष करना कितना महत्वपूर्ण है। राधा यादव की यात्रा मुंबई की गलियों से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के मैदान तक की एक प्रेरणादायक गाथा है, जो हर किसी को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।


ये भी पढ़ें…

Rishabh Pant – ऋषभ पंत – भारत का उभरता हुआ विकेटकीपर (लाइफ स्कैन)

गौतम गंभीर – एक छोटा सा जीवन आकलन

Some information courtesy

https://en.wikipedia.org/wiki/Radha_Yadav

Indian squad in Peris Olympic – पेरिस ओलंपिक 2024 में जाने वाले पूरे भारतीय दल की मुख्य बातें जानें।

26 जुलाई से पेरिस में 33वें समर ओलंपिक की शुरुआत हो रही है, जिसमें भारत का 117 खिलाड़ियों का दल (Indian squad in Peris Olympic) हिस्सा लेगा। इस बार भारत की उम्मीदें ऊंची हैं और कई खिलाड़ी पहली बार ओलंपिक में शामिल हो रहे हैं।

महत्वपूर्ण आंकड़े (Indian squad in Peris Olympic)

कुल 117 खिलाड़ी पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

भारतीय खिलाड़ी 95 पदकों के लिए दावेदारी पेश करेंगे।

भारत 16 खेलों में हिस्सा लेगा। भारत इन 16 खेलों की 69 स्पर्धाओं में भाग लेगा।

नीरज चोपड़ा एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपने गोल्ड मेडल को डिफेंट करने के लिए उतरेंगे क्योंकि पिछले टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता था।

अंतिम पंघाल (पुरुष रेसलिंग), मीराबाई चानू (वेटलिफ्टिंग), तूलिका मान (जूडो), और अनुष अग्रवाल (घुड़सवारी) जो अपने अपने खेलों अकेले भाग लेने वाले खिलाड़ी हैं।

पारुल चौधरी (3000 मीटर स्टीपलचेज और 5000 मीटर) और मनु भाकर (10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर पिस्टल) दो स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगी।

पीवी सिंधु लगातार तीसरे ओलंपिक में पदक जीतने की कोशिश करेंगी। उन्होंने रियो में सिल्वर और टोक्यो में ब्रॉन्ज जीता था।

नीरज चोपड़ा, पीवी सिंधु, मीराबाई चानू, लवलिना बोरोगोहेन और पुरुष हॉकी टीम – ये पांच खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक के पदक विजेता हैं। अगर इनमें से कोई पदक जीतता है, सुशील कुमार और पीवी सिंधु के बाद दो ओलंपिक पदक जीतने वाले खिलाड़ी बन जाएंगे।

दल की सबसे युवा खिलाड़ी धिनिधी देसिंघु (14 साल) स्वीमिंग में भाग लेंगी। तो टेनिस में रोहन बोपन्ना (44 साल) दल के सबसे वरिष्ठ खिलाड़ी हैं।

21 निशानेबाज भारतीय दल में शामिल हैं, और भारत पहली बार शूटिंग के सभी इवेंट्स में भाग लेगा।

हरियाणा के 28 खिलाड़ी दल का हिस्सा हैं।

भारतीय दल में कुल 29 एथलीट्स हैं।

47 महिला खिलाड़ी दल में शामिल हैं।

72 खिलाड़ी पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेंगे।


ये भी पढ़ें…

पेरिस ओलंपिक में जाने वाले पूरे भारतीय दल को जानें…

पेरिस ओलंपिक 2024 खेलों में भाग लेने वाले सभी देशों के नाम जानें…

India schedule in Peris Olympic 2024 – पेरिस ओलंपिक खेल 2024 में भारत का पूरा शेड्यूल जानें

सभी ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन।

भारतीय क्रिकेट टीम (पुरुष) के शुुरु से लेकर अभी तक सभी कोचों की लिस्ट जानिए।


साभार

https://www.jansatta.com/

Drongiri Parvat – द्रोणागिरी पर्वत और नीति गाँव – जहां नहीं होती हनुमानजी की पूजा

हनुमान जी बलशाली है, और शक्ति के पर्याय के रूप में जाने जाते हैं। रामायण में उनकी वीरता और शौर्य से भरे अनेक प्रसंग हैं। आज सर्वत्र हनुमान जी की पूजा होती है। भारत में किसी देवता के मंदिरों की बात की जाए तो हनुमान जी के मंदिर भारत में सबसे अधिक हैं। लेकिन भारत में एक ऐसा गाँव भी है, जहाँ के लोग हनुमान जी की पूजा नहीं करते हैं। आइए जानते हैं वो गाँव कौन सा है….

दोर्णगिरि पर्वत (Drongiri Parvat) और नीति गाँव

उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ से 50 किलोमीटर दूर स्थित नीति गाँव में द्रोणागिरी पर्वत (Drongiri Parvat) है। यह पर्वत रामायण काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि श्रीराम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी मेघनाद के दिव्यास्त्र से मुर्छित हो गए थे। तब हनुमानजी संजीवनी बूटी लेने द्रोणागिरी पर्वत आए थे। यहां के लोग इस पर्वत को देवता मानते हैं और हनुमानजी की पूजा नहीं करते क्योंकि उन्होंने पर्वत का एक हिस्सा उखाड़ लिया था।

हनुमानजी संजीवनी बूटी पहचान नहीं पाए, तो पूरा पर्वत का एक हिस्सा ही उठा लिया और लंका ले गए। बद्रीनाथ धाम से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित यह पर्वत आज भी कटा हुआ दिखता है। बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल बताते हैं कि यह हिस्सा स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

शीतकाल में वीरान हो जाता है गाँव

द्रोणागिरी पर्वत की ऊंचाई 7,066 मीटर है। यहां सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है, जिससे गाँव के लोग अन्य स्थानों पर चले जाते हैं। गर्मियों में जब मौसम अनुकूल होता है, तब वे वापस लौटते हैं।

ट्रैकिंग प्रेमियों का आकर्षण

जोशीमठ से मलारी की ओर बढ़ते हुए जुम्मा नामक जगह से द्रोणागिरी गाँव के लिए पैदल मार्ग शुरू होता है। धौली गंगा नदी पर बने पुल को पार कर संकरी पहाड़ी पगडंडियों से होते हुए द्रोणागिरी पर्वत तक पहुंचा जा सकता है। यह 10 किलोमीटर का मार्ग ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है और वे यहां भारी संख्या में आते हैं।

जून में पर्वत पूजा का उत्सव

हर साल जून में द्रोणागिरी पर्वत की विशेष पूजा होती है। इस अवसर पर गाँव के लोगों के साथ अन्य राज्यों में बसे लोग भी शामिल होते हैं।


ये भी पढ़ें..

उत्तराखंड में रामनगर के पास है, वह जगह जहाँ माता सीता धरती में समाई थीं।

Rishabh Pant – ऋषभ पंत – भारत का उभरता हुआ विकेटकीपर (लाइफ स्कैन)

ऋषभ पंत के नाम से कौन परिचित नहीं है। अपनी प्रतिभा और दमदार परफार्मेंस से ऋषभ पंत ने भारत के क्रिकेट अपनी एक नई पहचान बना ली है। वह भारत में उभरता हुआ नाम हैं। उन्होंने अपने प्रदर्शन से लोगों के दिलों में जगह बनाई है। कार दुर्घटना में बुरी तरह से घायल होने के बाद अपने क्रिकेट में अपनी असंभव वापसी को संभव बनाने वाले इस विकेट कीपर बल्लेबाज के जीवन पर एक नजर डालते हैं…

ऋषभ पंत (Rishabh Pant A life scan)

जन्म, परिवार और जीवन यात्रा

भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत का जन्म 4 अक्टूबर 1997 को हरिद्वार के रुड़की में एक कुमाउनी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम राजेंद्र पंत और माँ का नाम सरोज पंत था। ऋषभ की एक बड़ी बहन भी हैं, जिनका नाम साक्षी पंत है। ऋषभ बचपन से ही क्रिकेट के दीवाने थे और ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट से प्रेरित थे।

ऋषभ पंत की प्रारंभिक शिक्षा इंडियन पब्लिक स्कूल, देहरादून में हुई और बाद में श्री वेंकटेश्वर कॉलेज, दिल्ली में पढ़ाई की।

व्यक्तिगत जानकारी (संक्षेप में)

जन्म : 4 अक्टूबर 1997, हरिद्वार, उत्तराखंड, भारत
उम्र : 25 साल (2022 में)
शिक्षा : इंडियन पब्लिक स्कूल, देहरादून; श्री वेंकटेश्वर कॉलेज, दिल्ली
धर्म : हिन्दू
जाति : कुमाउनी ब्राह्मण
गृह स्थान : रुड़की, उत्तराखंड, भारत
लंबाई : 5 फीट 7 इंच
वजन : 65 किलो
प्रोफेशन : क्रिकेटर (बल्लेबाज, विकेटकीपर)
जर्सी नंबर : 77 (भारत)
कोच : तारक सिन्हा
वैवाहिक स्थिति : अविवाहित

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

ऋषभ पंत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इंडियन पब्लिक स्कूल, देहरादून से प्राप्त की। क्रिकेट में रुचि के कारण, उन्होंने दिल्ली में कोच तारक सिन्हा के तहत प्रशिक्षण लेना शुरू किया। ऋषभ के पिता ने उनके सपनों को साकार करने के लिए दिल्ली में बसने का निर्णय लिया। 2017 में ऋषभ पंत के पिता का निधन हो गया उसके बाद से वह उनका माँ और बड़ी बहन साक्षी ही उनके लिए महत्वपूर्ण हैं।

क्रिकेट करियर

ऋषभ पंत ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत राजस्थान से की लेकिन वहाँ पर बात नहीं बनी और फिर वे दिल्ली चले गए। वहां उन्होंने छोटे-मोटे मैच खेले और 2015 में दिल्ली के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया। भारतीय ए टीम में चयन के बाद, राहुल द्रविड़ की मार्गदर्शन में उनकी बल्लेबाजी में निखार आया।

ऋषभ का पहला टेस्ट मैच 18 अगस्त 2018 को इंग्लैंड के खिलाफ, पहला वनडे 21 अक्टूबर 2018 को वेस्टइंडीज के खिलाफ और पहला T20 मैच 1 फरवरी 2017 को इंग्लैंड के खिलाफ था।

उपलब्धियां

○ अंडर-19 विश्व कप 2016 में सबसे तेज 50 रन (18 गेंदों में)।
○ 2016-17 रणजी ट्रॉफी में तिहरा शतक (308 रन)।
○ 2016 रणजी ट्रॉफी में सबसे तेज शतक (48 गेंदों में)।
○ 2018 में टेस्ट डेब्यू में 7 कैच।
○ इंग्लैंड में शतक लगाने वाले पहले भारतीय विकेटकीपर।
○ चौथी पारी में शतक लगाने वाले विकेटकीपर।
○ एक टेस्ट में सर्वाधिक कैच (11 कैच)।
○ 2018 में IPL इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर।

दिल्ली से उभरते हुए युवा खिलाड़ी

ऋषभ पंत ने अंडर-19 करियर में शानदार किया। 2016 में अंडर-19 विश्व कप में भारत का हिस्सा बने। वहां उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

ऋषभ पंत ने शुरुआत में ही विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी में ऋषभ पंत की प्रतिभा का लोहा मनवा लिया था। उन्होंने बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग दोनों में अच्छा किया।

ऋषभ पंत भारत के पूर्व कप्तान और विकेट कीपर महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानते हैं।

“ऋषभ पंत ने युवा वर्ग में अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान आकर्षित किया था और जल्द ही वह भारतीय टीम का हिस्सा बन गए।”

ऋषभ पंत का इंटरनेशनल डेब्यू

ऋषभ पंत ने अंडर-19 क्रिकेट में अपना नाम कर लिया था। उनका शानदार प्रदर्शन उन्हें भारतीय टीम में लाया। 2017 में उन्होंने टी20 और वनडे में अपना पहला मैच खेला।

2018 में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में अपना पहला टेस्ट खेला। उन्होंने 114 रन बनाए। यह उनकी प्रतिभा का परिचय था।

ऋषभ पंत का क्रिकेट करियर शुरुआत और इंटरनेशनल डेब्यू भारत के लिए बड़ा मील का पत्थर है। उनके प्रदर्शन ने उन्हें टीम का नियमित हिस्सा बना दिया। अब वह टीम के महत्वपूर्ण सदस्य हैं।

“ऋषभ पंत का इंटरनेशनल डेब्यू भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उनके प्रदर्शन से सबको उम्मीद है कि वह भविष्य में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और टीम को कई जीत दिलाएंगे।”

ऋषभ पंत: दिल्ली कैपिटल्स के अभिमान

ऋषभ पंत भारतीय क्रिकेट के उभरते सितारे हैं। वह दिल्ली कैपिटल्स क्रिकेट टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं। वह 2016 में दिल्ली कैपिटल्स द्वारा खरीदे गए और तब से अब तक लगातार दिल्ली कैपिटल्स के साथ बने हुए हैं। अब वह दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान भी हैं। उन्होंने कई मैचों में अपनी टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

“ऋषभ पंत की बल्लेबाजी देखकर लगता है कि वह भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं।”

दिल्ली कैपिटल्स टीम के तत्कालीन कोच (अब नहीं) रिकी पोंटिंग ने ऋषभ पंत की प्रशंसा की है। उन्होंने कई शानदार पारियां खेली हैं। ऋषभ पंत का आईपीएल में प्रदर्शन शानदार रहा है। उनकी बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग कौशल ने उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में स्थान दिलाया है।

कार दुर्घटना और वापसी की कहानी

ऋषभ पंत, भारतीय क्रिकेट टीम के युवा और प्रतिभावान विकेटकीपर-बल्लेबाज, दिसंबर 2022 एक गंभीर कार दुर्घटना में घायल हो गए थे। यह दुर्घटना उनकी क्रिकेट करियर में एक बड़ा झटका था। लेकिन उन्होंने लगातार मेहनत करके जल्द ही वापसी कर ली और फिर से अपनी जगह बनाई।

ऋषभ पंत कार दुर्घटना की घटना के बारे में बात करते हुए, यह बताया गया कि उन्होंने अपने गाड़ी में नियंत्रण खो दिया था और गाड़ी डिवाइडर से टकरा गई। यह घटना दिसंबर 2022 में हुई थी, जब पंत कार खुद ड्राइव करते हुए दिल्ली से उत्तराखंड स्थित अपने घर जा रहे थे।

इस दुर्घटना में पंत को गंभीर चोटें आईं, जिनमें उनका सिर, पैर और पीठ शामिल थे। उनके एक पैर में फ्रैक्टर हो गया, और उन्हें चलने के लिए बैसाखियों का सहारा लेना पड़ता था। शुक्र था कि इस गंभीर दुर्घटना में उनकी जान बच गई। उनकी हालत को देखते हुए हर किसी को शंका थी कि अब शायद ही वह क्रिकेट के मैदान पर वापस लौट पाएं लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से उन्होंने इस असंभव को भी संभव कर दिखाया।

लगातार एक साल तक क्रिकेट मैदान से दूर रहने के बाद उन्होंने आईपीएल 2024 में अपनी टीम दिल्ली कैपिटल्स के लिए वापसी की। आईपीएल में उनकी परफार्मेंस शानदार रही। फिर उन्हें टी20 वर्ल्डकप के लिए भी चुना गया। वर्ल्ड कप में उन्होंने कुछ मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया।

भारत ने वह टी20 वर्ल्डकप जीता जिसमें ऋषभ पंत का भी अहम योगदान रहा।

उनका कहना था कि…

“मेरी लगातार मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति ने मुझे जल्द ही वापसी करने में मदद की। मैं अब और मजबूत और तैयार हूं कि अपने भविष्य के लिए लड़ूं।”

ऋषभ पंत के परिवार के बारे में…

ऋषभ पंत के परिवार फिलहाल उनकी माँ सरोज पंत और बहन साक्षी पंत हैं। उनके पिता का 2017 में देहांत हो गया था। साक्षी पंत उनकी बड़ी बहन हैं, जो लंदन में रहकर पढ़ाई करती है। वह सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहती हैं। हाल में ही साक्षी पंत की सगाई हुई है।

ऋषभ पंत का लव लाइफ

ऋषभ पंत फिलहाल तो अविवाहित है लेकिन उनकी एक गर्ल फ्रेंड हैं, जिनका नाम ईशा नेगी है। वह भी उत्तराखंड से संबंध रखती हैं। दोनों पिछले सात साल से रिलेशनशिप मे है।

ऋषभ पंत की चोट और वापसी की कहानी भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए एक प्रेरणा बन गई है। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन ने उन्हें एक बार फिर से मैदान पर वापस लाने में मदद की है। अब वे अपने ऋषभ पंत की चोट की कहानी के साथ खेल रहे हैं।

हालांकि, यह एक कठिन यात्रा रही है, लेकिन ऋषभ पंत ने अपनी शक्ति और लगन का प्रदर्शन किया है। उनकी वापसी क्रिकेट प्रशंसकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो उनके भविष्य के लिए उत्साहित हैं।

ऋषभ पंत (Rishabh Pant) के सोशल अकाउंट
Instagram

https://www.instagram.com/rishabpant/

X handle

https://x.com/RishabhPant17

P. R. Sreejesh – पी. आर. श्रीजेश – भारतीय हॉकी के महानायक गोलकीपर

परट्टू रवींद्रन श्रीजेश (Parattu Ravindran Sreejesh) जिन्हें आमतौर पर पीआर श्रीजेश (P. R. Sreejesh) के नाम से जाना जाता है, भारतीय हॉकी के एक महान खिलाड़ी हैं। उन्होंने भारतीय हॉकी टीम के साथ गोलकीपर के रूप में काफी लंबे समय तक अपनी सेवाएं दी हैं। पी. आर. श्रीजेश भारतीय हॉकी के एक ऐसे महानायक हैं जिन्होंने अपने दम पर कई मैचों का रुख बदल दिया और भारतीय हॉकी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। आइए उनके विषय में जानते हैं…

पी. आर. श्रीजेश का जीवननामा (P. R. Sreejesh Biography)

36 वर्षीय श्रीजेश का जन्म केरल के एर्नाकुलम जिले के किझक्कम्बलम गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। केरल के एर्नाकुलम जिले के किझक्कम्बलम गांव में किसान परिवार में जन्मे श्रीजेश शुरुआत में एथलेटिक्स की ओर आकर्षित थे, और स्प्रिंट, लंबी कूद तथा वॉलीबॉल जैसों खेलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

श्रीजेश के शुरुआती कोच जयकुमार और रमेश कोलप्पा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें निखारने का काम किया। इन कोचों से श्रीजेश ने न केवल हॉकी की बारीकियां सीखीं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी ग्रहण किए। उन्होंने श्रीजेश को सिखाया कि कैसे ध्यान केंद्रित करना है और अपने खेल को गंभीरता से लेना है। कोचों ने उन्हें यह भी समझाया कि एक गोलकीपर टीम के जीतने और हारने के बीच का अंतर हो सकता है, भले ही उसे इसका पूरा श्रेय न मिले।

श्रीजेश ने अपना अंतरराष्ट्रीय करियर 2006 में श्रीलंका में आयोजित दक्षिण एशियाई खेलों से शुरू किया। श्रीजेश ने 2006 में श्रीलंका में हुए दक्षिण एशियन गेम्स में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। भारतीय हॉकी टीम में उन्होंने अपनी जगह पक्की कर ली और अपने शानदार प्रदर्शन से टीम को कई महत्वपूर्ण जीत दिलाई।

तब से वे भारतीय हॉकी टीम के एक अभिन्न अंग रहे हैं। उन्होंने भारत के लिए 328 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, जो उनकी निरंतरता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। श्रीजेश की विशेषता उनकी सहज प्रवृत्ति है, जो उन्हें पेनल्टी शूट-आउट जैसी तनावपूर्ण परिस्थितियों में विशेष रूप से प्रभावी बनाती है।

श्रीजेश के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ 2012 के लंदन ओलंपिक के बाद आया, जहां भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इसके बाद, भारतीय हॉकी प्रबंधन ने युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताया, जिनमें श्रीजेश भी शामिल थे। इस नई टीम ने आने वाले वर्षों में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं। 2014 में, भारत ने एशियाई खेलों में 16 साल बाद स्वर्ण पदक जीता। 2015 में, टीम ने FIH हॉकी विश्व लीग फाइनल में कांस्य पदक जीता, जो 33 वर्षों में भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय पदक था।

टोक्यो ओलंपिक

श्रीजेश की सबसे बड़ी उपलब्धि 2021 के टोक्यो ओलंपिक में आई, जहां उनकी शानदार गोलकीपिंग ने भारत को 41 साल बाद कांस्य पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह उपलब्धि भारतीय हॉकी के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई।

श्रीजेश की प्रतिभा और योगदान को कई सम्मानों से नवाजा गया है। उन्हें 2015 में अर्जुन पुरस्कार और 2017 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वे कुछ समय के लिए भारतीय टीम के कप्तान भी रहे, जिसमें 2016 के रियो ओलंपिक भी शामिल है।

करियर की उपलब्धियाँ

श्रीजेश ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। 2014 के एशियन गेम्स में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ पेनल्टी शूट-आउट में शानदार प्रदर्शन किया और भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। 2015 एफआईएच हॉकी विश्व लीग फाइनल में भी उन्होंने भारतीय टीम को कांस्य पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय टीम ने उनकी कप्तानी में रजत पदक जीता।

संघर्ष और प्रेरणा

श्रीजेश का करियर कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा। 2012 के लंदन ओलंपिक में भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक था, लेकिन इसके बाद श्रीजेश ने अपनी मेहनत और संघर्ष से टीम को नई दिशा दी। उन्होंने अपनी भावनाओं को काबू में रखते हुए और अपनी सहज प्रवृत्ति का उपयोग कर कई बार टीम को मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाला।

योगदान और सम्मान

श्रीजेश ने न केवल अपने खेल से बल्कि अपने नेतृत्व और मार्गदर्शन से भी टीम को मजबूत किया। उन्होंने कृष्ण पाठक और सूरज करकेरा जैसे युवा गोलकीपरों को प्रशिक्षित कर भारतीय हॉकी का भविष्य सुरक्षित किया। उनके योगदान के लिए उन्हें 2015 में अर्जुन पुरस्कार और 2017 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

पेरिस ओलंपिक की तैयारी

हाल ही में, श्रीजेश ने घोषणा की है कि 2024 के पेरिस ओलंपिक उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट होगा। उन्होंने कहा कि वे अपने करियर पर गर्व महसूस करते हैं और आशा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। श्रीजेश ने अपने परिवार, टीम के साथियों, कोचों, प्रशंसकों और हॉकी इंडिया के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया है।

श्रीजेश की विरासत

वर्तमान में, श्रीजेश एक मेंटर की भूमिका भी निभा रहे हैं, जहां वे कृष्ण पाठक और सूरज करकेरा जैसे युवा गोलकीपरों को अपने अनुभव से सिखा रहे हैं और भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं। यह उनके खेल के प्रति समर्पण और आने वाली पीढ़ी के प्रति जिम्मेदारी का प्रमाण है।

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और पूर्व भारतीय कप्तान डॉ. दिलीप तिर्की ने श्रीजेश को एक विशेष खिलाड़ी बताया है और उनके भारतीय हॉकी में अनुकरणीय योगदान की सराहना की है। तिर्की को उम्मीद है कि श्रीजेश के संन्यास के फैसले से टीम पेरिस ओलंपिक में और भी प्रेरित होकर खेलेगी।

पीआर श्रीजेश भारतीय हॉकी के एक महान खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा, समर्पण और नेतृत्व क्षमता से न केवल अपना नाम रोशन किया, बल्कि पूरे देश का मान बढ़ाया। उनका करियर युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है और उनका योगदान भारतीय हॉकी के इतिहास में सदैव याद किया जाएगा। उनकी विरासत आने वाले खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और भारतीय हॉकी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी।

साभार

https://olympics.com


ये भी पढ़ें…

गौतम गंभीर – एक छोटा सा जीवन आकलन

जेमिमा रोड्रिग्स – महिला क्रिकेटर का जीवन परिचय

गुरु पूर्णिमा – गुरु के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने का पर्व – कैसे मनाएं?

हमारा भारत व्रत एवं त्योहारों का देश है। जहां पर हर महीने कोई ना कोई व्रत, पर्व, त्योहार आदि मनाई जाते हैं। गुरु पूर्णिमा (guru purnima) अपने गुरु के प्रति आस्था प्रकट करने का एक ऐसा ही पर्व है, जो पूरे भारत में मनाया जाता है। ये क्यों मनाया जाता है, कब मनाया जाता है, जानें…

गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima)

गुरु पूर्णिमा अपने गुरु के प्रति सम्मान एवं आस्था प्रकट करने का एक अनोखा पर्व है, जो शिष्यों द्वारा अपने आध्यात्मिक गुरु के प्रति सम्मान एवं आस्था प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व भारत सहित नेपाल और भूटान जैसे देशों में भी बनाया जाता है, जहाँ पर हिंदू धर्म तथा बौद्ध धर्म को मानने वाले अनुयायियों की संख्या काफी अधिक मात्रा में है।

हिंदू पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। यह तिथि सामान्यता जून अथवा जुलाई के माह में आती है।

यहाँ पर गुरु से तात्पर्य विद्यालय में शिक्षा देने वाले वर्तमान शिक्षक से ही नहीं बल्कि अपनी आध्यात्मिक गुरु से है। गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने आध्यात्मिक गुरु के प्रति अपने श्रद्धा भाव प्रकट करते हैं। यदि गुरु साक्षात शारीरिक रूप में उनके सम्मुख उपस्थित हैं तो वह उनका पूजन करते हैं। यदि गुरु सशरीर इस संसार में नहीं है तो वह उनके विग्रह का पूजन करते हैं। जिनके कोई गुरु नहीं है वह अपने शिक्षक आदि के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं।

‘गुरु’ का क्या अर्थ है?

गुरु’ संस्कृत का मूल शब्द है। ये दो वर्णों गु’ एवं रु’ से मिलकर बना है। गु’ का अर्थ है, अंधकार’। ‘रु’ का अर्थ है, शमन करने वाला अर्थात मिटाने वाला। वह व्यक्तित्व जो हमारे जीवन में अज्ञानता के अंधकार को दूर कर हमारे मन में ज्ञान के प्रकाश को आलोकित करता है, वही गुरु है। जो हमें सत्य और असत्य के बीच का भेद करना सिखाता है, जो हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाता है, वह ही गुरु है। इसीलिए तो कहा गया है, कि…

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

अर्थात गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु और गुरु साक्षात शिव है। वह साक्षात परबह्मा स्वरूप हैं। गुरु को साक्षात पर ब्रह्म का स्वरूप मानकर नमन है।

हिंदू धर्म में गुरु को बेहद महत्व दिया गया है अनेक कवियों ने गुरु को भगवान से भी कुछ स्थान देकर उन्हें उनकी महत्व प्रकट की है, जैसे कबीरदास कहते हैं…

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।

अर्थात मेरे सामने गुरु मेरे गुरु और ईश्वर दोनों साथ-साथ खड़े हैं। फिर भी मैं संशय की स्थिति में हूँ, मैं उलझन में हूँ कि मैं सबसे पहले किस के चरण स्पर्श करूं। फिर मैं निर्णय करता हूं कि मैं सबसे पहले गुरु के चरण स्पर्श करूंगा। क्योंकि ईश्वर को तो पहले मैंने कभी देखा नहीं था। मैं उनके बारे में जानता नहीं था। मैं उनके स्वरूप से परिचित नहीं था।

ईश्वर को समझने की का ज्ञान मेरे अंदर नहीं था। मेरे अंदर ईश्वर को समझने का ज्ञान गुरु ने पैदा किया। गुरु ने ही मुझे ईश्वर को पाने का रास्ता बताया। इसी कारण मेरे लिए तो सबसे पहले मेरे गुरु हैं। कबीर के दोहे से गुरु का महत्व प्रकट होता है।

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाते हैं?

गुरु पूर्णिमा मनाने के पीछे अनेक कहानियां छिपी हुई है। अलग-अलग मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार भगवान बुद्ध गौतम बुद्ध ने इसी दिन सारनाथ में सबसे पहले अपने प्रथम उपदेश दिया था। गौतम बुद्ध ने अपने पाँच शिष्यों को सारनाथ में सबसे पहला उपदेश दिया जिसमें उन्होंने चार आर्य सत्य, चार अष्टांगिक मार्ग जैसे गूढ़ बातें बताई थीं। तब से इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाने लगा। यह दिन बौद्ध धर्म की शुरुआत का दिन भी माना जाता है।

एक अन्य मान्यता के अनुसार प्राचीन काल के महान संत-गुरु महर्षि वेदव्यास का जन्म इसी दिन हुआ था। महर्षि वेदव्यास को ही हिंदुओं के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथों का संकलन करने का श्रेय दिया जाता है। इसी कारण इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

अन्य मान्यता के अनुसार एक बार जब भगवान शिव जब हिमालय में तपस्या कर रहे थे तो सप्तर्षी उनके पास आए और उन्हें ज्ञान एवं योग सिखाने के लिए कहा। शिव साक्षात योगीराज हैं। वह सप्तर्षियों को योग सिखाने पर सहमत हो गए और वह सप्तर्षियों के गुरु बन गए। उस दिन आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि थी। इसीलिए तभी से गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाने लगा।

गुरु पूर्णिमा को कैसे मनाते हैं?

गुरु पूर्णिमा को मनाने के लिए शिष्य अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार अलग-अलग विधियों से गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाते हैं। हिंदू धर्म में सामान्यतः हर किसी का कोई ना कोई आध्यात्मिक गुरु होता है। इस दिन लोग अपने अपने आध्यात्मिक गुरु के पास जाते हैं। उनकी पूजा करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं उनकी प्रार्थना करते हैं तथा उन्हें दान दक्षिणा देते हैं।

यदि गुरु सशरीर उपलब्ध नहीं है तो उनके चित्र अथवा विग्रह के सामने अपने पूजन कार्य संपन्न करते हैं। बहुत से लोग इस दिन ध्यान आदि कर अपने गुरु के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट करते हैं। वर्तमान समय में विद्यार्थी अपने अपने प्रिय शिक्षक के प्रति अपना श्रद्धा भाव प्रकट कर गुरु पूर्णिमा को मना सकते हैं।

गुरु पूर्णिमा क्यों मनानी चाहिए?

हम जन्म से ही ज्ञानी नहीं बन जाते। हम अज्ञानी ही पैदा होते हैं। हमें जान से समृद्ध यदि कोई करता है तो वह हमारे गुरु ही होता है। वह गुरु हमारे शिक्षक के रूप में हो सकता है, हमारे आध्यात्मिक रूप के रूप में हो सकता है। भारत में गुरु पूर्णिमा मनाने की परंपरा तो अपने आध्यात्मिक गुरु के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट करने के लिए ही हुई थी। इसलिए गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा भाव प्रकट करने के लिए भी गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। जिनके कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं है। वह अपने शिक्षक के प्रति अपने अपना सम्मान प्रकट कर गुरु पूर्णिमा का पर्व मना सकते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें?

गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की विशिष्ट पूजा की जाती है। इस दिन गुरु का विशिष्ट विधि से पूजन करके उनके प्रति अपना श्रद्धा भाव प्रकट किया जाता है। गुरु तो वर्ष के 365 दिन स्मरणीय और वंदनीय होते हैं, लेकिन गुरु पूर्णिमा का दिन उनके प्रति विशेष आस्था एवं श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही गुरु पूर्णिमा के दिन नियत है।

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विधान है। इसलिए अपने आसपास की किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। यदि आस पास कोई पवित्र नदी ना हो या नदी में स्नान करने के लिए ना जा सकें तो घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान किया जा सकता है।

गुरु का पूजन कैसे करें?

सुबह-सुबह स्नान एवं ध्यान करके घर में एक चौकी स्थापित करें। उस पर अपने गुरु का चित्र स्थापित करें।

उनका आह्वान करें। गुरु व्यास के सहित सभी गुरुओं का भी आह्वान करें। फिर  षोडशोपचार विधि (चंदन, अक्षत, पुष्प धूप, दीप, नैवेद्य) से पूजा करें तथा अपने गुरु द्वारा किए गए मंत्र का कम से कम एक माला मंत्र जाप करें।

यदि संभव हो सके तो गुरु के घर जाकर उन्हें दान-दक्षिणा दें और उनसे आशीर्वाद लें।

गुरु के पास जाना संभव नहीं है, तो गुरु की चरण पादुका की पूजा करें।

गुरु पूर्णिमा के दिन पीले वस्त्र, पीली दाल, केसर, पीतल के बर्तन, पीले रंग की कोई मिठाई आदि का दान करना शुभ रहता है।

पीला रंग का संबंध गुरु ग्रह से होता है। इसलिए पीले रंग की वस्तुओं का दान करने से दुर्भाग्य दूर होता है और और जीवन में समृद्धि आती है

इस वर्ष 2024 में गुरु पूर्णिमा हिंदू पचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को है, जोकि इस वर्ष (2024) में 20 जुलाई 2024 संध्याकाल 5:59 से आरंभ होगी और 21 जुलाई को शाम 3:46 पर समाप्त होगी।

 


ये भी पढ़ें…

श्रावण मास – भगवान शिव को समर्पित महीना – विधि-विधान और महत्व जानें।


जानें सब कुछ..

https://questionam.com

मोबाइल नंबर पोर्ट करने से पहले आपके एरिये में BSNL या दूसरी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क है या नहीं ये पता करें।

BSNL में स्विच करने से पहले जानें ये बातें (Mobile Network Coverage in area)

प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों ने मोबाइल रिचार्ज प्लान्स में बढ़ोतरी कर दी है, जिससे परेशान यूजर्स अब सरकारी टेलिकॉम कंपनी BSNL की ओर रुख कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग BSNL नेटवर्क में स्विच करने की बात कर रहे हैं। हालांकि, BSNL में स्विच करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपके क्षेत्र में BSNL का नेटवर्क उपलब्ध है (Mobile Network Coverage in area) या नहीं। ऐसा न करने पर आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।

BSNL के सस्ते रिचार्ज प्लान्स

BSNL सस्ते रिचार्ज प्लान्स की पेशकश कर रहा है, जबकि जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के प्लान्स महंगे हो गए हैं।

नुकसान का खतरा

टेलिकॉम नियमों के अनुसार, यदि आपने एक बार BSNL में स्विच कर लिया और BSNL का नेटवर्क कवरेज न होने पर आप फिर से जियो, एयरटेल या वोडाफोन-आइडिया में स्विच करना चाहेंगे, तो आपको 90 दिनों का इंतजार करना होगा।

BSNL नेटवर्क कवरेज कैसे जांचें

आप BSNL नेटवर्क कवरेज का पता ऑनलाइन nperf वेबसाइट से लगा सकते हैं। यह वेबसाइट वैश्विक मोबाइल नेटवर्क कवरेज की जानकारी देती है। nperf वेबसाइट का उपयोग करके आप आसानी से जान सकते हैं कि आपके क्षेत्र में BSNL का नेटवर्क कैसा है।

वेबसाइट पर मोबाइल नेटवर्क जांचने की प्रक्रिया

1. nperf वेबसाइट पर जाएं: [nperf.com](http://nperf.com)
2. My Account पर क्लिक करें: अपनी प्रोफाइल बनाएं।
3. Map ऑप्शन पर जाएं: Country और Mobile Network ऑप्शन चुनें।
4. अपनी लोकेशन सर्च करें: BSNL समेत अन्य नेटवर्क की जानकारी पाएं।

BSNL में MNP की प्रक्रिया

1. पोर्ट रिक्वेस्ट भेजें: 1900 पर ‘PORT स्पेस और 10 अंकों का मोबाइल नंबर’ लिखकर SMS भेजें।
2. BSNL सेंटर पर जाएं: आधार और अन्य विवरण के साथ पोर्ट रिक्वेस्ट पूरी करें।

MNP के नए नियम

TRAI के नए नियमों के अनुसार, किसी भी नए टेलिकॉम ऑपरेटर में शिफ्ट होने के लिए 7 दिनों का इंतजार करना होगा।

इस प्रकार, BSNL में स्विच करने से पहले इन सभी जानकारियों को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लें।


ये भी पढ़ें…

अपने मोबाइल नंबर को BSNL में कैसे पोर्ट कैसे करें?

अपने मोबाइल नंबर को BSNL में कैसे पोर्ट कैसे करें?

बीएसएनएल में पोर्ट करने की प्रक्रिया (How to port mobile number to BSNL)

जियो और एयरटेल के रिचार्ज प्लान में बढ़ोतरी के चलते लोग सस्ते विकल्प के रूप में बीएसएनएल की ओर रुख कर रहे हैं। महंगे रिचार्ज प्लान्स के बीच, कई लोग बीएसएनएल में मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी (MNP) के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। यदि आप भी जियो या एयरटेल यूजर हैं और बीएसएनएल में सिम पोर्ट करना चाहते (How to port mobile number) हैं, तो जानें इसकी प्रक्रिया…

बीएसएनएल में पोर्ट कैसे करें

1. सबसे पहले, आपको 1900 पर एक एसएमएस भेजकर मोबाइल नंबर पोर्ट की रिक्वेस्ट करनी होगी।
2. एसएमएस में ‘PORT’ लिखकर एक स्पेस के बाद अपना 10 अंकों का मोबाइल नंबर दर्ज करें।
3. जम्मू कश्मीर के यूजर्स को 1900 पर कॉल करना होगा।
4. इसके बाद, आपको बीएसएनएल के सर्विस सेंटर पर जाना होगा, जहां आधार कार्ड या अन्य आईडी प्रूफ, फोटो और बायोमेट्रिक विवरण जमा करने होंगे।
5. बीएसएनएल की नई सिम आपको जारी कर दी जाएगी और इसके लिए कुछ चार्ज भी लिया जा सकता है।
6. आपको एक विशेष नंबर भेजा जाएगा, जिसकी मदद से आप अपना नया सिम एक्टिवेट कर सकते हैं।

MNP के नियम

जियो और एयरटेल यूजर्स का बीएसएनएल में पोर्ट कराने की प्रक्रिया समान है।
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के नए नियमों के अनुसार, नया टेलिकॉम ऑपरेटर चुनने का वेटिंग पीरियड 7 दिन है। यानी, सिम पोर्ट करने के लिए 7 दिन का इंतजार करना होगा।
यदि आपका बैलेंस बकाया नहीं है, तो आपका मोबाइल नंबर 15 से 30 दिनों के भीतर एक्टिवेट कर दिया जाएगा।

इस प्रक्रिया से आप आसानी से बीएसएनएल में अपने नंबर को पोर्ट कर सकते हैं और सस्ते रिचार्ज प्लान्स का लाभ उठा सकते हैं।

अधिक जानकारी के लिए भारत में दूरसंचार सेवाओं पर नजर रखने वाली सरकारा संस्था ट्राइ (TRAI) की साइट पर विजिट करें…

https://www.trai.gov.in/


ये भी पढ़ें…

ये जरूरी सरकारी मोबाइल एप आपके बड़े काम के हैं। आज ही अपने मोबाइल में इंस्टाल करें।

पेरिस ओलंपिक 2024 खेलों में भाग लेने वाले सभी देशों के नाम जानें…

फ्रांस की राजधानी पेरिस में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक 26 जुलाई से 11 अगस्त तक आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें 206 देशों के 10,500 से ज़्यादा एथलीट (Complete list of All Countries in Peris Olympic 2024) हिस्सा लेंगे।

खेलों के इस संस्करण में, ‘व्यक्तिगत तटस्थ एथलीट’ और शरणार्थी ओलंपिक टीम के अलावा लगभग 206 राष्ट्रीय ओलंपिक समितियाँ (एनओसी) प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हैं। ये ओलंपिक समितिया 206 देशों का प्रतिनिधित्व करती है।

रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के कारण, IOC ने रूसी और बेलारूसी एथलीटों को अपने-अपने देशों के झंडे तले प्रतिस्पर्धा करने से प्रतिबंधित कर दिया है। इन क्षेत्रों के एथलीट ‘व्यक्तिगत तटस्थ एथलीट’ के रूप में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, जब तक कि वे संघर्ष का सक्रिय रूप से समर्थन नहीं करते।

पेरिस ओलंपिक 2024 में भाग लेने वाले सभी देश (Complete list of All Countries in Peris Olympic 2024)

पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाले सभी देशों की सूची इस प्रकार है…

अफ़गानिस्तान लक्जमबर्ग अल्बानिया लातविया
 अल्जीरिया मलावी अमेरिकी समोआ लेसोथो
 अंडोरा मालदीव अंगोला लीबिया
 एंटीगुआ और बारबुडा माल्टा अर्जेंटीना लिथुआनिया
 आर्मेनिया मॉरिटानिया अरूबा मेडागास्कर
 ऑस्ट्रेलिया मेक्सिको ऑस्ट्रिया मलेशिया
 अज़रबैजान मोनाको बहामास माली
 बहरीन मोंटेनेग्रो बारबाडोस मार्शल द्वीप
 बेल्जियम मोजाम्बिक बेलीज़ मॉरीशस
 बेनिन नामीबिया बरमूडा मोल्दोवा
 भूटान नेपाल बोलीविया मंगोलिया
 बोस्निया और हर्जेगोविना न्यूजीलैंड बोत्सवाना मोरक्को
 ब्राज़ील नाइजर ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स म्यांमार
 ब्रुनेई उत्तर कोरिया बुल्गारिया नाउरू
 बुर्किना फ़ासो नॉर्वे बुरुंडी नीदरलैंड
 काबो वर्डे पाकिस्तान कंबोडिया निकारागुआ
 कैमरून फिलिस्तीन कनाडा नाइजीरिया
 केप वर्डे पापुआ न्यू गिनी केमैन द्वीप उत्तर मैसेडोनिया
 मध्य अफ्रीकी गणराज्य पेरू चाड ओमान
 चिली पोलैंड चीन पलाऊ
 कोलंबिया प्यूर्टो रिको कोमोरोस पनामा
 कांगो शरणार्थी ओलंपिक टीम कुक आइलैंड्स पैराग्वे
 कोस्टा रिका रवांडा क्रोएशिया फिलीपींस
 क्यूबा सेंट लूसिया साइप्रस पुर्तगाल
 चेक गणराज्य समोआ कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य कतर
 डेनमार्क साओ टोम और प्रिंसिपे जिबूती रोमानिया
 डोमिनिका सेनेगल डोमिनिकन गणराज्य सेंट किट्स और नेविस
 इक्वाडोर सेशेल्स मिस्र सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस
 अल साल्वाडोर सिंगापुर इक्वेटोरियल गिनी सैन मैरिनो
 इरिट्रिया स्लोवेनिया एस्टोनिया सऊदी अरब
 एस्वातिनी सोमालिया इथियोपिया सर्बिया
 माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य दक्षिण कोरिया फिजी सिएरा लियोन
 फिनलैंड स्पेन फ्रांस (मेजबान) स्लोवाकिया
 गैबॉन सूडान गाम्बिया‘  सोलोमन द्वीप
 जॉर्जिया स्वीडन जर्मनी दक्षिण अफ्रीका
 घाना सीरिया ग्रेट ब्रिटेन दक्षिण सूडान
 ग्रीस तंजानिया ग्रेनेडा श्रीलंका
 गुआम तिमोर-लेस्ते ग्वाटेमाला सूरीनाम
 गिनी टोंगा गिनी-बिसाऊ स्विट्जरलैंड
 गुयाना ट्यूनीशिया हैती ताजिकिस्तान
 होंडुरास तुर्कमेनिस्तान हांगकांग थाईलैंड
 हंगरी युगांडा आइसलैंड टोगो
 भारत संयुक्त अरब अमीरात व्यक्तिगत तटस्थ एथलीट त्रिनिदाद और टोबैगो
 इंडोनेशिया उरुग्वे ईरान तुर्की
 इराक वानुअतु आयरलैंड तुवालु
 इजराइल वियतनाम इटली यूक्रेन
 आइवरी कोस्ट वर्जिन द्वीप, यू.एस. जमैका संयुक्त राज्य अमेरिका
 जापान जाम्बिया जॉर्डन उज्बेकिस्तान
 कजाकिस्तानलिकटेंस्टीन केन्या वेनेजुएला
 किरिबातीलेबनान कोसोवो वर्जिन द्वीप ब्रिटिश
 कुवैतलाइबेरिया किर्गिस्तान यमन
लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक जिम्बाब्वे

 

साभार

https://olympics.com/en/paris-2024


ये भी पढ़ें…

Full Indian Squad in Peris Olympic 2024 – पेरिस ओलंपिक में जाने वाले पूरे भारतीय दल को जानें…

पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए मेन्स हॉकी टीम इंडिया को जानें।

India schedule in Peris Olympic 2024 – पेरिस ओलंपिक खेल 2024 में भारत का पूरा शेड्यूल जानें

सभी ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन।

पेरिस ओलंपिक में जाने वाले पूरे भारतीय दल को जानें…

पेरिस 2024 ओलंपिक में भारतीय दल (Full Indian Squad in Peris Olympic 2024)

26 जुलाई 2024 से फ्रांस की राजधानी पेरिस में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक शुरु होने वाले है। खेलों का ये सबसे बड़ा महाकुंभ 26 जुलाई से 11 अगस्त 2024 तक चलेगा।

पिछले 2020 टोक्यो ओलंपिक में भारत ने अभी तक का अपना सबसे बड़ा दल भेजा था। टोक्यो 2020 में, 124 भारतीय एथलीटों ने भाग लिया, जो अब तक का सबसे बड़ा दल था। उन्होंने कुल सात पदक जीते, जिसमें नीरज चोपड़ा का भाला फेंक में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक भी शामिल था।

भारतीय एथलीटों की संख्या ओलंपिक खेलों में लगातार बढ़ रही है। पेरिस 2024 के लिए भी भारत को और अधिक एथलीटों के क्वालीफाई करने की उम्मीद है। ट्रैप शूटर भवानीश मेंदीरत्ता ने 2022 ISSF विश्व चैंपियनशिप में पहला कोटा जीता, लेकिन राष्ट्रीय ट्रायल में सफल नहीं हो सके। उनकी जगह पृथ्वीराज टोंडैमन को मिला।

पहली बार, भारतीय निशानेबाजों ने हर ओलंपिक शूटिंग श्रेणी में कोटा हासिल किया है। मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर पिस्टल में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। एनआरएआई ने पिस्टल कोटा में से एक को महिला ट्रैप शूटर के लिए बदल दिया, जिसे श्रेयसी सिंह ने प्राप्त किया।

हालांकि, कई क्वालीफाई किए हुए निशानेबाज अंतिम टीम में जगह नहीं बना सके। पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल के लिए रुद्राक्ष पाटिल की जगह संदीप सिंह ने ली। अन्य क्वालीफाइंग निशानेबाज जैसे तिलोत्तमा सेन, अखिल श्योराण, मेहुली घोष भी अंतिम टीम में नहीं चुने गए।

क्वालीफिकेशन प्रक्रिया में, कोटा देश द्वारा जीता जाता है, न कि व्यक्तिगत एथलीटों द्वारा। इस प्रकार, कोटा जीतने वाले एथलीट को दूसरे एथलीट से बदला जा सकता है।

रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी और अक्षदीप सिंह एथलेटिक्स स्पर्धाओं के लिए पहले भारतीय थे। पुरुषों की 20 किमी रेस वॉक में चार भारतीयों ने क्वालीफाई किया, लेकिन केवल अक्षदीप सिंह, विकास सिंह और परमजीत सिंह बिष्ट को ही चयनित किया गया।

महिला मुक्केबाज जैस्मीन लैम्बोरिया ने 57 किग्रा में कोटा हासिल किया, जबकि परवीन हुड्डा को निलंबित कर दिया गया।

भारतीय दल पेरिस ओलंपिक में… (Full Indian Squad in Peris Olympic 2024)

पेरिस 2024 के लिए अब तक क्वालीफाई किए हुए सभी भारतीय एथलीटों की पूरी सूची यहां दी गई है।

क्रमएथलीट का नामखेलस्पर्धा
1पृथ्वीराज टोंडैमैनशूटिंगपुरुषों की ट्रैप
2संदीप सिंहशूटिंगपुरुषों की 10मी एयर राइफल, 10मी एयर राइफल मिश्रित टीम
3स्वप्निल कुसालेशूटिंगपुरुषों की 50मी राइफल 3 पोजीशन
4ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमरशूटिंगपुरुषों की 50मी राइफल 3 पोजीशन
5एलेवेनिल वलारिवनशूटिंगमहिलाओं की 10मी एयर राइफल, 10मी एयर राइफल मिश्रित टीम
6सिफ्त कौर सामराशूटिंगमहिलाओं की 50मी राइफल 3 पोजीशन
7राजेश्वरी कुमारीशूटिंगमहिलाओं की ट्रैप
8अक्षदीप सिंहएथलेटिक्सपुरुषों की 20कि.मी. रेस वॉक
9प्रियंका गोस्वामीएथलेटिक्समहिलाओं की 20कि.मी. रेस वॉक
10विकास सिंहएथलेटिक्सपुरुषों की 20कि.मी. रेस वॉक
11परमजीत बिष्टएथलेटिक्सपुरुषों की 20कि.मी. रेस वॉक
12अविनाश साबलेएथलेटिक्सपुरुषों की 3000मी स्टेपलचेज
13नीरज चोपड़ाएथलेटिक्सपुरुषों की जेवलिन थ्रो
14पारुल चौधरीएथलेटिक्समहिलाओं की 3000मी स्टेपलचेज, महिलाओं की 5000मी
15अंतीम पंघलकुश्तीमहिलाओं की 53कि.ग्रा.
16निखत ज़रीनबॉक्सिंगमहिलाओं की 50कि.ग्रा.
17प्रीति पवारबॉक्सिंगमहिलाओं की 54कि.ग्रा.
18लवलीना बोरगोहेनबॉक्सिंगमहिलाओं की 75कि.ग्रा.
19किशोर जेनाएथलेटिक्सपुरुषों की जेवलिन थ्रो
20टीम इंडिया*हॉकीपुरुषों की हॉकी
21सरबजोत सिंहशूटिंगपुरुषों की 10मी एयर पिस्टल, 10मी एयर पिस्टल मिश्रित टीम
22अर्जुन बबूताशूटिंगपुरुषों की 10मी एयर राइफल, 10मी एयर राइफल मिश्रित टीम
23रमिता जिंदलशूटिंगमहिलाओं की 10मी एयर राइफल, 10मी एयर राइफल मिश्रित टीम
24मनु भाकरशूटिंगमहिलाओं की 10मी एयर पिस्टल, 10मी एयर पिस्टल मिश्रित टीम, महिलाओं की 25मी पिस्टल
25अनिश भानवालाशूटिंगपुरुषों की 25मी रैपिड फायर पिस्टल
26अंजुम मौदगिलशूटिंगमहिलाओं की 50मी राइफल 3 पोजीशन
27धीरज बोम्मदेवरातीरंदाजीपुरुषों की व्यक्तिगत, पुरुषों की टीम
28अर्जुन चीमाशूटिंगपुरुषों की 10मी एयर पिस्टल, 10मी एयर पिस्टल मिश्रित टीम
29ईशा सिंहशूटिंगमहिलाओं की 25मी पिस्टल
30रिदम सांगवानशूटिंगमहिलाओं की 10मी एयर पिस्टल, 10मी एयर पिस्टल मिश्रित टीम
31विजयवीर सिद्धूशूटिंगपुरुषों की 25मी रैपिड फायर पिस्टल
32राइजा ढिल्लोंशूटिंगमहिलाओं की स्कीट
33अनंतजीत सिंह नरुकाशूटिंगपुरुषों की स्कीट, स्कीट मिश्रित टीम
34विष्णु सरवनननौकायनपुरुषों की एकल डिंगी
35अनुश अग्रवालाघुड़सवारीड्रेसाज
36शरत कमल, हरीमीत देसाई, मानव ठक्करटेबल टेनिसपुरुषों की टीम और पुरुषों की एकल
37मणिका बत्रा, स्रीजा अकुला, अर्चना कामथटेबल टेनिसमहिलाओं की टीम और महिलाओं की एकल
38राम बाबूएथलेटिक्सपुरुषों की 20कि.मी. रेस वॉक
39श्रेयसी सिंहशूटिंगमहिलाओं की ट्रैप
40विनेश फोगाटकुश्तीमहिलाओं की 50कि.ग्रा.
41अंशु मलिककुश्तीमहिलाओं की 57कि.ग्रा.
42रीटिका हूडाकुश्तीमहिलाओं की 76कि.ग्रा.
43बलराज पंवाररोइंगM1x
44प्रियंका गोस्वामी/सुरज पंवारएथलेटिक्समैराथन रेस वॉक मिश्रित रिले
45नेथ्रा कुमानननौकायनमहिलाओं की एकल डिंगी
46महेश्वरी चौहानशूटिंगमहिलाओं की स्कीट और स्कीट मिश्रित टीम
47पीवी सिंधुबैडमिंटनमहिलाओं की एकल
48एचएस प्रणयबैडमिंटनपुरुषों की एकल
49लक्ष्य सेनबैडमिंटनपुरुषों की एकल
50सत्विक्सैराज रंकीरेड्डी/चिराग शेट्टीबैडमिंटनपुरुषों की युगल
51अश्विनी पोनप्पा/तनिशा क्रास्टोबैडमिंटनमहिलाओं की युगल
52मुहम्मद अनस/मुहम्मद अजमल/अमोज जैकब/संतोष तमिलारासन/राजेश रमेशएथलेटिक्सपुरुषों की 4×400मी रिले
53ज्योतिका श्री डांडी/सुभा वेंकटेशन/विथ्या रामराज/पुवम्मा एमआरएथलेटिक्समहिलाओं की 4×400मी रिले
54निशा दहियाकुश्तीमहिला 68 किग्रा
55अमन सेहरावतकुश्तीपुरुषों की फ्रीस्टाइल 57 किग्रा
56निशांत देवमुक्केबाजीपुरुषों की 71 किग्रा
57अमित पंघालमुक्केबाजीपुरुषों की 51 किग्रा
58जैस्मिन लांबोरियामुक्केबाजीमहिलाओं की 57 किग्रा
59रोहन बोपन्ना/एन श्रीराम बालाजीटेनिसपुरुषों की डबल्स
60भजन कौरतीरंदाजीमहिलाओं की व्यक्तिगत, महिलाओं की टीम
61शुभंकर शर्मागोल्फपुरुष
62गगनजीत भुल्लरगोल्फपुरुष
63मीराबाई चानूभारोत्तोलनमहिलाओं की 49 किग्रा
64तुलिका मानजुडोमहिलाओं की +78 किग्रा
65अदिति अशोकगोल्फमहिला
66दीक्षा डागरगोल्फमहिला
67तरुणदीप रायतीरंदाजीपुरुषों की व्यक्तिगत, पुरुषों की टीम
68प्रवीण जाधवतीरंदाजीपुरुषों की व्यक्तिगत, पुरुषों की टीम
69दीपिका कुमारीतीरंदाजीमहिलाओं की व्यक्तिगत, महिलाओं की टीम
70अंकिता भगततीरंदाजीमहिलाओं की व्यक्तिगत, महिलाओं की टीम
71श्रीहरि नटराजतैराकीपुरुषों की 100 मीटर बैकस्ट्रोक
72धिनिधि देसिंगुतैराकीमहिलाओं की 200 मीटर फ्रीस्टाइल
73सुमित नागलटेनिसपुरुषों की सिंगल्स
74किरण पहलएथलेटिक्समहिलाओं की 400 मीटर
75ज्योति याराजीएथलेटिक्समहिलाओं की 100 मीटर हर्डल्स
76आभा खातुआएथलेटिक्समहिलाओं की शॉट पुट
77सर्वेश कुशारेएथलेटिक्सपुरुषों की हाई जंप
78अन्नू रानीएथलेटिक्समहिलाओं की जैवलिन थ्रो
79तजिंदरपाल सिंह तूरएथलेटिक्सपुरुषों की शॉट पुट
80अब्दुल्ला अबूबकरएथलेटिक्सपुरुषों की ट्रिपल जंप
81प्रवील चित्रवेलएथलेटिक्सपुरुषों की ट्रिपल जंप
82जेसविन एल्ड्रिनएथलेटिक्सपुरुषों की लॉन्ग जंप
83अंकिता ध्यानीएथलेटिक्समहिलाओं की 5000 मीटर
साभार

https://olympics.com/en/paris-2024


ये भी पढ़ें…

India schedule in Peris Olympic 2024 – पेरिस ओलंपिक खेल 2024 में भारत का पूरा शेड्यूल जानें

सभी ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन।

पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए मेन्स हॉकी टीम इंडिया को जानें।

What is Kanwar Yatra – कांवड़ यात्रा के बारे में जाने… कौन से महीने में और क्यों मनाई जाती है?

सावन का पवित्र महीना जो कि भगवान शिव के लिए समर्पित होता है, उसके आरंभ होते ही कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) भी आरंभ हो जाती है। कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति अपनी आस्था और भक्ति प्रकट करने का उपाय  है। जिसमें शिव के भक्त गंगा नदी से गंगा जल एकत्रित कर अपने-अपने क्षेत्र में शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाते हैं, जिससे उनकी मनोकामना पूर्ण होती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। कांवड़ कैसे आरंभ हुई? इसमें क्या नियम हैं? आइए जानते हैं…

कांवड़ यात्रा क्या है? (What is Kanwar Yatra?)

कांवड़ यात्रा एक वार्षिक तीर्थ यात्रा होती है, जो कि हर वर्ष सावन के महीने में शिव भक्तों द्वारा की जाती है। इस यात्रा में जो भी शिव भक्त होते हैं, वह कांवड़ में जल भरकर लाते हैं और या तो 12 ज्योतिर्लिंग में किसी एक ज्योतिर्लिंग में चढ़ाते हैं, या अपने क्षेत्र के किसी बड़े शिव मंदिर भगवान शिवलिंग का उस गंगाजल से अभिषेक करते हैं।

कांवड़ यात्रा अधिकतर उत्तर भारत में की जाती है क्योंकि गंगा नदी उत्तर भारत में बहती है। कांवड़ यात्रा में गंगा जल लाने का ही प्रावधान है अथवा किसी पवित्र नदी का जल गंगा नदी उत्तर और पूर्वी भारत के विभिन्न हिस्सों में ही बहती है, इसीलिए गंगा नदी के आसपास के क्षेत्रों में और राज्यों में कांवड़ यात्रा का प्रचलन है। कावड़ यात्रा विशेषकर हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार आदि राज्यों में बहुत अधिक प्रचलित है।

कांवड़ यात्रा कब आयोजित होती है?

कांवड़ यात्रा हर वर्ष सावन के महीने में आयोजित होती है। यह सावन का महीना हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना ईसवी कैलेंडर में जून-जुलाई के महीने में आता है। इसलिए कांवड़ यात्रा जून-जुलाई के महीने में ही होती है।

2024 की कांवड़ यात्रा कब है?

2024 में ये पवित्र यात्रा 22 जुलाई 2024 दिन सोमवार से शुरू हो रही है.

कब किया जाएगा कांवड़ यात्रा जलाभिषेक

कांवड़ यात्रा में सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक किया जाता है। इस साल श्रावण मास अधिकमास है, इसलिए इस बार 2024 में दो मासिक शिवरात्रि (सावन शिवरात्रि) होंगी.

पहली शिवरात्रि 15 जुलाई को होगी और जल का समय 16 जुलाई सुबह 12:11 बजे से 12:54 बजे के बीच होगा। दूसरी शिवरात्रि 14 अगस्त को होगी और जल का समय 15 अगस्त सुबह 12:09 बजे से 12:54 बजे के बीच होगा।

कांवड़ यात्रा सावन के महीने में ही क्यों आयोजित होती है?

कांवड़ यात्रा सावन के महीने में इसलिए होती है, क्योंकि इस महीने में भगवान मान्यताओं के अनुसार इस महीने में सभी देवता विश्राम करते हैं। केवल भगवान शिव ही इस संसार का संचालन करते हैं। वह इस महीने में विशेष रूप से जागृत रहते हैं, इसीलिए इस महीने में उनकी भक्ति में श्रद्धापूर्वक उनकी भक्ति करने पर भगवान से शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव से संबंधित अनेक विशेष घटनाएं भी सावन महीने में ही संपन्न हुई थी। जैसे समुद्र मंथन उसके बाद भगवान शिव का विषपान, भगवान शिव पार्वती का विवाह आदि।

कांवड़ क्या है?

कांवड़ एक छोटी सी मटकी होती है जो कि सामान्यतः मिट्टी की होती है, अब उसे धातु की मटकी का भी प्रयोग किया जाने लगा है। इसी मटकी में  गंगाजल भरकर लाया जाता है, इसी जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।

कांवड़ यात्रा कब से आरंभ हुई?

कांवड़ यात्रा आरंभ होने के पीछे अनेक तरह की मान्यताएं प्रचलित है। कांवड़ यात्रा आरंभ होने की पहली मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम ने ही कांवड़ यात्रा का आरंभ किया था। वह सबसे पहले गढ़मुक्तेश्वर धाम से गंगाजल लाकर पुरा महादेव के शिव मंदिर में उन्होंने भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक किया था। उस समय श्रावण मास ही चल रहा था। उसी के बाद से कांवड़ यात्रा का प्रचलन शुरू हो गया।

एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान राम ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी और वह गंगा नदी से गंगाजल भरकर वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग में उन्होंने शिवलिंग का जलाभिषेक किया था। तीसरी मान्यता के अनुसार रावण को पहला कांवड़िया बताया जाता है। समुद्र मंथन के बाद रावण ने ही जब भगवान शिव ने विष ग्रहण कर लिया तो इसका दुष्प्रभाव उन पर पड़ने लगा। ऐसे में रावण ने उन्हें विष के नकारात्मक प्रभाव से मुक्त करने के लिए उनका गंगाजल से अभिषेक किया था। तभी से कांवड़ यात्रा का प्रचलन शुरू हो गया।

एक अन्य मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ और भगवान शिव ने विष का पान किया तो विष के दुष्प्रभाव के कारण उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा। तब शिव पर विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवता गंगाजल से जल लाकर भगवान शिव अर्पित किए। तब से कांवड़ यात्रा का आरंभ हो गया।

कांवड़ कितने प्रकार की होती है?

कांवड़ से भी अनेक प्रकार हैं। कांवड़िए अलग-अलग तरह की कांवड़ लेकर चलते हैं और उसी के अनुसार उस कांवड से जुड़े नियमों का उन्हें पालन करना पड़ता है।

सामान्य कांवड़

यह कांवड़ सामान्य कांवड़ होती है, जिसे सबसे अधिक कांवड़िए लेकर चलते हैं। इस कारण ये कांवड़ यात्रा के दौरान जहां चाहे वहां आराम से ही रोका जा सकता है। अलग-अलग स्वयंसेवी लोगों द्वारा पंडालों की व्यवस्था होती है, जहां पर विश्राम करते आगे की कांवड़ यात्रा शुरू की जा सकती है।

डाक कांवड़

डाक कांवड़ में कांवड़िया एक बार जब कांवड़ यात्रा की शुरुआत कर दें तो उसे लगातार चलते रहना पड़ता है। जब तक भगवान शिव का गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक नहीं करते, वह रुक नहीं सकता। इस तरह के कांवड़ियों के लिए विशेष रास्ते होते हैं ताकि उनके रुकने में किसी भी तरह का व्यवधान ना हो। डाक कांवड़ में लंबी कांवड़ यात्रा नही होती क्योंकि लगातार कई दिनों तक बिना रुके चलना संभव नहीं।

खड़ी कांवड़

यह एक विशेष कांवड़ होती है, जिसमें भक्तजन जो कांवड़ लेकर चलता है। उसकी सहायता के लिए उसके साथ कोई ना कोई सहयोगी चलता है। जब वह वक्त आराम करता है तो उसका सहयोगी अपने कंधे पर कांवड़ लेकर खड़ा रहता है ताकि भक्त थोड़ा विश्राम करने के बाद फिर यात्रा संपन्न कर सकें।

दंडी कावड़

इस कांवड़ में भक्तगण जिस नदी से जल जाते हैं, वहाँ से शिव धाम तक की यात्रा में दंड देते हुए पूरी करते हैं यानी अपनी पूरी यात्रा की दौरान वह अपने शरीर की लंबाई के अनुसार लेट कर यात्रा पूरी करते हैं। इस दंडवत प्रणाम करना कहते हैं। यह यात्रा सबसे कठिन कांवड़ यात्रा होती है, एक सहयोगी कांवड़ लेकर चलता है तथा दूसरा दंडवत लेट कर यात्रा करता हुआ जाता है।

कावंड़ यात्रा के नियम

कांवड़ यात्रा से कई कठोर नियम भी जुड़े होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है। तभी कांवड़ यात्रा का सच्चा फल प्राप्त होता है।

  • कांवड़ यात्रा के दौरान पूरी तरह सात्विक जीवनशैली अपनानी पड़ती है और किसी भी तरह के मांस-मदिरा, नशा आदि से दूर रहना पड़ता है ।
  • कांवड़ यात्रा के दौरान तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।
  • कांवड़ यात्रा का कांवड़िया केवल एक समय भोजन करता है।
  • कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िया बिना स्नान किए अपनी कांवड़ को स्पर्श ना करें।
  • कांवड़ यात्रा के दौरान तेल, साबुन, कंघी आदि का प्रयोग वर्जित है, और किसी भी तरह का श्रंगार नही करना चाहिए।
  • कांवड़िया ना तो चारपाई पर सो सकता है ना ही उसे किसी वाहन पर चढ़कर यात्रा करना चाहिए। कांवड़ियों को सदैव जमीन पर सोना चाहिए।
  • जब कांवड़िया कांवड़ यात्रा कर रहा हो तो अपनी कांवड़ विश्राम के समय किसी वृक्ष या पौधे के नीचे नहीं रखें नहीं तो इससे कांवड़ खंडित मानी जाती है।
  • कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िया भूमि से स्पर्श नहीं कर सकता।
  • विश्राम के दौरान जब वह अपनी कांवड़ अपनी कांवड़ को रखता है, तो कांवड़ रखने को विशेष स्टैंड बने होते हैं। कांवड़ द्वारा विशेष स्टैंड बनाए जाते हैं। जिन पर कांवड़ को टिका सकता है, जो भूमि को स्पर्श नहीं करते।
  • कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िया को बोल बम बोल बम’ का उच्चारण करना चाहिए तथा ओम नमः शिवाय’ मंत्र का निरंतर जप करते रहना चाहिए।
  • अपनी कांवड़ को सिर के ऊपर से कभी भी ना ले जाएं। यदि कांवड़िया किसी स्थान पर अपनी कांवड़ को रखता है तो उस स्थान से आगे कांवरियों को कभी नहीं जाना चाहिए। उस स्थान से आगे अपनी कांवड़ को साथ लेकर ही जा सकता है।

कांवड़ यात्रा के बारे में और जानने के लिए ये वीडियों देखें

https://www.youtube.com/watch?v=nC1M5fedGJY  


ये भी पढ़ें…

श्रावण मास – भगवान शिव को समर्पित महीना – विधि-विधान और महत्व जानें।

Shiv Tandav Stotram – शिव तांडव स्तोत्र (संपूर्ण 18 श्लोक) अर्थ सहित।

महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनातें है? क्या है मान्यता और पूजन विधि? जानें सब कुछ।

श्रावण मास – भगवान शिव को समर्पित महीना – विधि-विधान और महत्व जानें।

हिंदू कैलेंडर का पांचवा महीना, श्रावण मास या सावन (Shravan Maas), भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने के प्रत्येक सोमवार को शिव पूजा का विशेष महत्व है। सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाने या व्रत रखने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। सावन सोमवार व्रत के साथ मंगला गौरी व्रत और सावन शिवरात्रि भी इस महीने के प्रमुख पर्व हैं।

श्रावण मास (Shravan Maas) – भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना जो उनको ही है समर्पित

सनातन धर्म में शिव सबसे बड़े आराध्य देव माने जाते हैं शिव से परे कुछ भी नहीं। वह योगीराज हैं, मोक्ष प्रदाता हैं। ब्रह्म रूप में सृष्टि का सृजन करते हैं, विष्णु रूप में संसार का पालन करते हैं, और शंकर रूप में संसार का संहार करते हैं। अर्थात वह देवों के देव महादेव हैं। इसीलिए सनातन संस्कृति में एक पूरा महीना ही भगवान शिव की विशेष आराधना के लिए समर्पित है। श्रावण का महीना वह पवित्र महीना है जिसमें भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है। भगवान शिव की आराधना करने से शिव  प्रसन्न होते हैं और भक्त पर विशेष कृपा बरसाते हैं। श्रावण मास को आमतौर पर लोग सावन भी कहते हैं। सावन के महीने में सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन यदि भोलेनाथ की जल चढ़ाकर या व्रत रखकर पूजा की जाए तो व्यक्ति को शीघ्र सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

श्रावण मास 2024

इस साल सावन 22 जुलाई 2024 से 19 अगस्त 2024 तक रहेगा। यह अद्भुत संयोग है कि सावन का आरंभ और समापन दोनों सोमवार को हो रहे हैं। इस बार सावन में पांच सोमवार पड़ रहे हैं, जिसे बहुत शुभ माना जाता है।

श्रावण मास का महत्व

श्रावण मास का हर दिन फलदायी होता है, लेकिन सावन के सोमवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन सोमवार का व्रत रखने से पारिवारिक जीवन सुखी रहता है और जीवन में समृद्धि आती है। साथ ही, इससे कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है।

सावन सोमवार 2024

1. पहला सोमवार व्रत – 22 जुलाई 2024
2. दूसरा सोमवार व्रत – 29 जुलाई 2024
3. तीसरा सोमवार व्रत – 5 अगस्त 2024
4. चौथा सोमवार व्रत – 12 अगस्त 2024
5. पांचवां सोमवार व्रत – 19 अगस्त 2024

सावन में मंगला गौरी व्रत

1. पहला मंगला गौरी व्रत – 23 जुलाई 2024
2. दूसरा मंगला गौरी व्रत – 30 जुलाई 2024
3. तीसरा मंगला गौरी व्रत – 6 अगस्त 2024
4. चौथा मंगला गौरी व्रत – 13 अगस्त 2024

सावन शिवरात्रि 2024 का समय काल

सावन महीने की शिवरात्रि विशेष होती है। यह व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन रखा जाता है। इस बार सावन शिवरात्रि 2 अगस्त 2024 को पड़ेगी। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि का आरंभ 2 अगस्त को दोपहर 3:26 बजे होगा और 3 अगस्त को दोपहर 3:50 बजे समाप्त होगा। निशिता काल में शिवरात्रि की पूजा की जाती है, इसलिए यह व्रत 2 अगस्त को ही मनाया जाएगा।

इस प्रकार, सावन का महीना भगवान शिव की आराधना और विशेष व्रतों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।

श्रावण मास का सारा विवरण

श्रावण के इस पवित्र महीने में भगवान शिव की भक्ति करके उनकी कृपा का कैसे लाभ उठाएं और हम क्या कार्य ना करें जो कि इस माह में वर्जित है आइए जानते हैं…

श्रावण में कैसे पूजा करें?

श्रावण मास पूरी तरह भगवान शिव को समर्पित महीना होता है, और इस महीने में भगवान शिव की सबसे अधिक आराधना की जाती है। कहते हैं कि इस महीने में ही देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू की थी और उनके तरफ से प्रसन्न होकर ही शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोइच्छा पूरी की। इस महीने के बारे में मान्यता है कि पूर्ण श्रद्धा भाव से भगवान शिव की आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

श्रावण मास में भक्तजन भगवान प्रत्येक सोमवार को व्रत-उपवास रखते हैं। श्रावण मास में सामान्यतः चार सोमवार पड़ते हैं। कभी-कभी सावन मास में चार की जगह 3 सोमवार ही आते हैं। कभी-कभी श्रावण मास में 8 सोमवार भी आते हैं, जो तब आते है, जब मलमास होता है। 2023 में श्रावण दो महीने तक रहा क्योंकि उसमे मलमास भी था और आठ सोमवार आए थे।

श्रावण मास में क्या करें?

श्रावण मास का व्रत रखने के लिए प्रत्येक सोमवार को व्रत रखना चाहिए तथा शिव मंदिर में जाकर या घर पर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान शिव की आराधना के लिए गंगाजल, शुद्ध जल, दूध, दही, मधु, शक्कर मिलाकर पंचामृत बनाकर विधि-विधान से भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।

भगवान शिव को बेलपत्र, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा जैसे पदार्थ अर्पित करने चाहिए। उन्हें धूप और दीप आदि अर्पित करना चाहिए। बेलपत्र भगवान शिव को प्रिय पत्र हैं। केवल बेल पत्र से पूजा करने से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

श्रावण मास में पूरे महीने भक्त को सात्विक रूप से शुद्ध मन से रहना चाहिए, सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए तथा तामसिक पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। शिव पंचाक्षर मंत्र का निरंतर जाप करना चाहिए।

ॐ    नमः शिवाय।

महामृत्यु मंत्र के इस विशिष्ट मंत्र का जाप करना चाहिए।

ॐ   हौं जूं सः  ॐ   त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्  ॐ     स्वः भुवः भूः  ॐ     सः जूं हौं  ॐ    ॥

श्रावण मास में क्या न करें?

श्रावण मास में कुछ कार्य वर्जित हैं, जिन्हें करने से बचना चाहिए नहीं तो विपरीत प्रभाव मिल सकता है।

  • शास्त्रों में वर्णित मान्यता के अनुसार भगवान शिव की आराधना करते समय कभी भी हल्दी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • श्रावण मास में अपने शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए, ऐसा करने से विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • श्रावण मास में भगवान शिव को केतकी का फूल कभी भी अर्पित नहीं करना चाहिए। केतकी का फूल अर्पित करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • पूजा करते समय भगवान शिव को कुंकुम अर्पित नही करना चाहिए। उन्हें केवल चंदन ही अर्पित करना चाहिए।
  • श्रावण मास में किसी भी तरह का मांसाहारी पदार्थ की मात्रा का सेवन नहीं करना चाहिए। मदिरा व अन्य उत्तेजक पदार्थ जैसे तम्बाकू, गुटखा, पान मसाला, सिगरेट का सेवन नही करना चाहिए।
  • श्रावण मास में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए बल्कि वह दूध शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए।
  • श्रावण मास में पेड़ों को काटने से बचना चाहिए।
  • मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास में बैगन और साग जैसी सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए।

ये भी पढ़ें…

Shiv Tandav Stotram – शिव तांडव स्तोत्र (संपूर्ण 18 श्लोक) अर्थ सहित।

महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनातें है? क्या है मान्यता और पूजन विधि? जानें सब कुछ।

उत्तराखंड में रामनगर के पास है, वह जगह जहाँ माता सीता धरती में समाई थीं।

सीताबनी (Sitabani) रामायण में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यहीं पर देवी सीता ने अपने जुड़वां पुत्र लव और कुश को जन्म दिया और उनका पालन-पोषण किया था। यहाँ के मंदिर में देवी सीता के साथ उनके दोनों पुत्रों की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं।

सीताबनी जहाँ माता सीता ने समाधि ली (Sitabani where Mata Sita took Samadhi in Ramayana)

सीताबनी का मंदिर घने जंगल के बीच एक खुले मैदान में स्थित है। मान्यताओं के अनुसार, माता सीता और भगवान राम ने वैशाख मास में इसी स्थान पर महादेव का पूजन किया था। इसीलिए इसे सीतेश्वर महादेव का मंदिर कहा जाता है।

यहाँ एक कुंड भी है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसमें ही माता सीता ने अंतिम समय में समाहित हुई थीं। सीताबनी में जल की तीन धाराएं बहती हैं, जिन्हें सीता-राम और लक्ष्मण धारा कहा जाता है। इन धाराओं की विशेषता है कि गर्मियों में इनका जल ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है।

कहाँ पर है सीताबनी?

सीताबनी उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ मंडल के रामनगर से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्राकृतिक वन्य क्षेत्र है। ये पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है।

ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व

सीताबनी का मंदिर पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है और इसे त्रेता युग का बताया जाता है। इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होती है। यह मंदिर बाल्मीकि समाज के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है, क्योंकि यहाँ महर्षि बाल्मीकि का आश्रम हुआ करता था।

पर्यटन और धार्मिक आयोजन

शिवरात्रि के मौके पर यहाँ भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु माता सीता का आशीर्वाद लेने आते हैं। सीताबनी का क्षेत्र अब एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन चुका है, जहाँ हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। इससे वन विभाग को अच्छा खासा राजस्व भी प्राप्त होता है।

सीताबनी का यह अनूठा संगम धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो हर किसी को मोहित कर देता है।


ये भी पढ़ें…

हिंदू धर्म के 33 करोड़ देवी-देवता का सच जानकर हैरान रह जाएंगे।

जैन साधु और साध्वी का कठोर जीवन – त्याग और तपस्या की कहानी है।

भारत ने टी20I में रचा इतिहास – 150वीं जीत के साथ ये कारनामा करने वाली पहली टीम बनी।

शुभमन गिल की कप्तानी में टीम इंडिया ने जिम्बाब्वे के खिलाफ तीसरे टी20I मैच में जीत (Team India 150 wins in T20I) हासिल कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इस जीत के साथ ही भारत ने टी20I क्रिकेट में 150 जीत दर्ज करने वाली पहली टीम बनने का गौरव प्राप्त किया।

टी20I में भारत का प्रदर्शन (Team India 150 wins in T20I)

भारत ने अब तक 230 टी20I मुकाबलों में हिस्सा लिया है, जिनमें से 150 मैच जीते हैं। 69 मैचों में हार का सामना करना पड़ा, जबकि 1 मैच टाई रहा और 4 मुकाबले टाई ब्रेकर में जीते गए हैं। 6 मुकाबलों के नतीजे नहीं निकल पाए। इस ऐतिहासिक जीत ने टीम इंडिया को क्रिकेट की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।

अन्य प्रमुख टीमें

भारत के बाद सबसे ज्यादा टी20I मैच जीतने वाली टीम पाकिस्तान है, जिसने 142 मुकाबले जीते हैं। अन्य टीमों में न्यूजीलैंड (111), ऑस्ट्रेलिया (105), साउथ अफ्रीका (104) और इंग्लैंड (100) शामिल हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि भारत ने इस फॉर्मेट में सबसे अधिक प्रभावशाली प्रदर्शन किया है।

  1. भारत – 150
  2. पाकिस्तान – 142
  3. न्यूजीलैंड – 111
  4. ऑस्ट्रेलिया – 105
  5. साउथ अफ्रीका – 104
  6. इंग्लैंड – 100

इस ऐतिहासिक जीत ने ना सिर्फ भारतीय क्रिकेट का मान बढ़ाया है, बल्कि खिलाड़ियों के अद्वितीय प्रदर्शन को भी मान्यता दी है। टीम इंडिया की यह उपलब्धि भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए गर्व का विषय है।


ये भी पढ़ें…

भारतीय क्रिकेट टीम (पुरुष) के शुुरु से लेकर अभी तक सभी कोचों की लिस्ट जानिए।

भारतीय क्रिकेट टीम (पुरुष) के शुुरु से लेकर अभी तक सभी कोचों की लिस्ट जानिए।

भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच का लिस्ट (List of All Head Coaches of Indian Mens Cricket Team)

गौतम गंभीर को भारतीय मेंस क्रिकेट टीम का नया हेड कोच नियुक्त किया गया है। क्रिकेट सलाहकार समिति (CAC) की अनुशंसा पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड के सचिव जय शाह ने उनके नाम पर मुहर लगाई। गौतम गंभीर का कार्यकाल तीन साल का होगा। इस दौरान उन्हें टी-20 वर्ल्ड कप, वनडे वर्ल्ड कप, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े आईसीसी इवेंट्स का सामना करना होगा।

भारतीय क्रिकेट टीम को उसका पहला कोच 90 के दशक में मिला। इससे पहले फुल टाइम कोच की जगह मैनेजर नियुक्त किए जाते थे। आइए, 1990 से अब तक के सभी हेड कोचों के सफरनामे पर एक नज़र डालते हैं।

 

बिशन सिंह बेदी (1990-91)

1983 विश्व कप विजेता टीम के स्पिनर बिशन सिंह बेदी भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कोच बने। उनके कार्यकाल में भारतीय टीम का प्रदर्शन खराब रहा।

अब्बास अली बेग (1991-92)

बिशन सिंह बेदी के बाद अब्बास अली बेग को टीम इंडिया का हेड कोच बनाया गया। उनके कार्यकाल में भारत को पाँच में से चार टेस्ट मैचों में हार का सामना करना पड़ा और टीम 1992 विश्व कप के सेमीफाइनल में नहीं पहुँच पाई।

अजीत वाडेकर (1992-96)

अब्बास अली बेग के बाद अजीत वाडेकर ने कोचिंग की कमान संभाली। वाडेकर के कार्यकाल में सचिन तेंदुलकर और मोहम्मद अजहरूद्दीन कप्तान बने।

संदीप पाटिल (1996)

1996 वर्ल्ड कप में अजीत वाडेकर के असिस्टेंट मैनेजर संदीप पाटिल को बाद में टीम का कोच बनाया गया। लेकिन टोरंटो में सहारा कप में पाकिस्तान से हार के बाद उन्हें हटा दिया गया।

मदन लाल (1996-1997)

1983 विश्व कप विजेता मदन लाल एक साल के लिए भारतीय टीम के कोच रहे।

अंशुमान गायकवाड़ (1997-1999, 2000)

मदन लाल के बाद अंशुमन गायकवाड़ ने कोचिंग की। उनके कार्यकाल में अनिल कुंबले ने पाकिस्तान के खिलाफ 10 विकेट लिए थे।

कपिल देव (1999-2000)

1983 विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव का कार्यकाल विवादों में रहा। उन्हें मनोज प्रभाकर के स्टिंग ऑपरेशन में मैच फिक्सिंग के आरोपों के बाद इस्तीफा देना पड़ा।

जॉन राइट (2000-2005)

भारतीय टीम के पहले विदेशी कोच जॉन राइट ने टीम को 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जीत दिलाई और 2003 के विश्व कप फाइनल में पहुँचाया।

ग्रेग चैपल (2005-07)

ग्रेग चैपल का कार्यकाल विवादों से भरा रहा, खासकर सौरव गांगुली के साथ उनके रिश्ते। भारतीय टीम का प्रदर्शन भी खराब रहा।

गैरी कर्स्टन (2008-11)

गैरी कर्स्टन के कार्यकाल में भारत ने 28 साल बाद 2011 में विश्व कप जीता।

डंकन फ्लेचर (2011-2015)

डंकन फ्लेचर के कार्यकाल में भारतीय टीम ने 2015 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल तक का सफर तय किया, लेकिन टेस्ट में प्रदर्शन निराशाजनक रहा।

रवि शास्त्री (2014-16, 2017-2021)

रवि शास्त्री का कार्यकाल दो बार का रहा। पहले 2014 से 2016 तक और फिर 2017 से 2021 तक। उनके कार्यकाल में टीम ने कई द्विपक्षीय सीरीज जीतीं, लेकिन कोई आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीती।

अनिल कुंबले (2016-17)

अनिल कुंबले के कार्यकाल में टीम का प्रदर्शन शानदार रहा, लेकिन विराट कोहली के साथ अनबन के कारण उन्हें एक साल में ही इस्तीफा देना पड़ा।

राहुल द्रविड़ (2021-2024)

राहुल द्रविड़ ने अपने कार्यकाल में भारत को आईसीसी ट्रॉफी जिताई। रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम ने कई बड़े टूर्नामेंट जीते।

निष्कर्ष

गौतम गंभीर का कार्यकाल चुनौतीपूर्ण रहेगा, लेकिन उनकी कुशलता और अनुभव भारतीय टीम को नए ऊँचाइयों तक पहुँचाने में मददगार साबित होंगे। भारतीय क्रिकेट में कोचों का सफरनामा अनूठा और प्रेरणादायक रहा है। आशा है कि गंभीर भी इस कड़ी में सफल होंगे।


List of All Head Coaches of Indian Mens Cricket Team


ये भी पढ़ें…

 

ये जरूरी सरकारी मोबाइल एप आपके बड़े काम के हैं। आज ही अपने मोबाइल में इंस्टाल करें।

Important government mobile apps

भारत सरकार ने नागरिकों की सुविधा और प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए विभिन्न मोबाइल ऐप्स (important government mobile apps) लॉन्च किए हैं। ये ऐप्स न केवल प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाने का काम करते हैं, बल्कि नागरिकों के जीवन को भी आसान बनाते हैं। आइए, जानते हैं पाँच महत्वपूर्ण सरकारी मोबाइल ऐप्स के बारे में:

MyGov App

नागरिक और सरकार के बीच साझेदारी : MyGov ऐप नागरिकों और सरकार के बीच एक पुल का काम करता है। इस ऐप के माध्यम से नागरिक सीधे सरकार से जुड़ सकते हैं, अपने विचार साझा कर सकते हैं और सरकार की विभिन्न योजनाओं और नीतियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

भारतीय राजनीति और सरकारी अपडेट : इस ऐप से आप भारत सरकार और भारतीय राजनीति के सभी नवीनतम अपडेट प्राप्त कर सकते हैं। इसमें सरकार की नवीनतम नीतियों, योजनाओं और विकास कार्यों के बारे में जानकारी दी जाती है।

जनभागीदारी : MyGov ऐप पर विभिन्न अभियान और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिसमें नागरिक सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं। इससे सरकार को जनता की प्रतिक्रियाएँ प्राप्त होती हैं और नागरिक भी नीति निर्माण प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।

M-Aadhaar App

आधार कार्ड का डिजिटल रूप : यूआईडीएआई द्वारा संचालित M-Aadhaar ऐप नागरिकों को उनके आधार कार्ड का डिजिटल रूप प्रदान करता है। इससे नागरिक अपने आधार कार्ड को हमेशा अपने साथ रख सकते हैं।

सुरक्षा और सुविधा : यह ऐप विभिन्न सेवाओं के लिए आधार आधारित प्रमाणीकरण को आसान बनाता है। इससे नागरिकों को आधार कार्ड की हार्ड कॉपी ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती और वे अपने डिजिटल आधार कार्ड का उपयोग कर सकते हैं।

डेटा सुरक्षा : M-Aadhaar ऐप में सुरक्षा का उच्च स्तर है, जिससे नागरिकों का व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित रहता है। यह ऐप बायोमेट्रिक लॉक और पासकोड सुरक्षा के साथ आता है।

Passport Seva App

पासपोर्ट सेवा केंद्र का पता : इस ऐप की मदद से नागरिक अपने निकटतम पासपोर्ट सेवा केंद्र का पता लगा सकते हैं। इससे उन्हें केंद्र तक पहुँचने में आसानी होती है।

आवेदन की स्थिति पर नजर : इस ऐप से नागरिक अपने पासपोर्ट आवेदन की स्थिति की जांच कर सकते हैं। इससे उन्हें आवेदन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण की जानकारी मिलती है और वे अपनी यात्रा की योजना को सही ढंग से बना सकते हैं।

सहायता और जानकारी : ऐप में पासपोर्ट से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी और सहायता उपलब्ध होती है। इससे नागरिकों को पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।

GST Rate Finder App

जीएसटी दरों की जानकारी : इस ऐप की मदद से नागरिक जीएसटी दरों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इससे वे बाजार या रेस्तरां में किसी भी वस्त्र या सेवा की जीएसटी दर को रियल टाइम में जान सकते हैं।

सुविधाजनक खोज : ऐप में उपयोगकर्ता विभिन्न वस्त्रों और सेवाओं के लिए जीएसटी दरों की खोज कर सकते हैं। इससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को जीएसटी दरों की जानकारी प्राप्त करने में आसानी होती है।

व्यवसायिक उपयोग : यह ऐप व्यापारियों के लिए भी बहुत उपयोगी है, क्योंकि इससे वे अपने उत्पादों और सेवाओं की जीएसटी दरों को समझ सकते हैं और सही तरीके से बिलिंग कर सकते हैं।

DigiLocker App

डिजिटल डॉक्यूमेंट्स का संग्रह : DigiLocker ऐप नागरिकों को उनके महत्वपूर्ण दस्तावेजों को डिजिटल रूप में संग्रहित करने की सुविधा प्रदान करता है। इसमें आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड और व्हीकल इंश्योरेंस जैसी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को संग्रहित किया जा सकता है।

सुरक्षित एक्सेस : ऐप में दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से संग्रहित और एक्सेस किया जा सकता है। इससे नागरिकों को अपने दस्तावेजों की हार्ड कॉपी की जरूरत नहीं पड़ती और वे कहीं भी और कभी भी अपने दस्तावेजों को एक्सेस कर सकते हैं।

सरकारी सेवाओं के लिए उपयोग : DigiLocker ऐप का उपयोग विभिन्न सरकारी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इससे नागरिकों को सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने में आसानी होती है और वे अपने दस्तावेजों का डिजिटल रूप प्रस्तुत कर सकते हैं।

ये पाँच मोबाइल ऐप्स न केवल नागरिकों की सुविधा बढ़ाने का काम करते हैं, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं को भी सरल और पारदर्शी बनाते हैं। इन ऐप्स के माध्यम से नागरिक सरकार के साथ अधिक प्रभावी ढंग से जुड़ सकते हैं और विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।


ये भी पढ़ें…

सावधान आपके घर में लगा सीसीटीवी भी हैक हो सकता है, कैसे करें बचाव? जानें।

व्हाट्सएप पर ये सेटिंग तुरंत कर लें, नही तो कोई भी आपकी लोकेशन जान सकता है।

कभी एक समय में माधुरी दीक्षित और जूही चावला में जबरदस्त होड़ थी। दोनों एक दूसरे के साथ काम करना पसंद नहीं करती थीं।

Madhuri Dixit Juhi Chawla Rivalry Story – 90 के दशक की सुपरस्टार्स अभिनेत्रियों की आपसी होड़ का किस्सा

जूही चावला और माधुरी दीक्षित 90 के दशक की दो प्रमुख अभिनेत्रियाँ रही हैं, जिन्होंने बॉलीवुड को कई शानदार फिल्में और यादगार किरदार दिए। इनके स्टारडम का आलम यह था कि दोनों ही कोई भी फिल्म करने से पहले यह सुनिश्चित करती थीं कि उन्हें प्रमुख भूमिकाएं मिलें। दोनों उस समय केवल लीड रोल को ही प्राथमिकता देती थीं। उन्हें किसी भी कीमत पर साइड रोल करना मंजूर नही था। ये बात और है कि दोनों अपनी शुरुआती फिल्मे सपोर्टिंग रोल के तौर पर हीं की थीं। एक ऐसा ही दिलचस्प किस्सा है जब जूही चावला ने दिल तो पागल है फिल्म इसी प्रतिद्वंदिता के कारण छोड़ दी थी।

90 का दशक दोनों अभिनेत्रियों के स्टारडम का युग

जूही चावला और माधुरी दीक्षित ने अपने करियर की शुरुआत लगभग एक ही समय में की थी। माधुरी दीक्षित की पहली फिल्म अबोध 1984 में ही आई थी जो राजश्री प्रोडक्शन हाउस में बनी थी तो जूही चावला की पहली फिल्म सल्तनत थी जिसमें वह धर्मेंद, सनी देओल, श्रीदेवी जैसे कलाकारों के साथ काम तो कर रहीं थी। उसमें वह करण कपूर की हीरोइन बनीं थीं। करण कपूर फिल्म अभिनेता शशि कपूर के बेटे थे।

दोनों की शुरुआती फिल्में भले ही नहीं चली लेकिन 1988 में दोनों की एक साथ सफलता मिली। 1988 में अप्रेल में जूही चावला की आमिर खान के साथ कयामत से कयामत रिलीज जिसने उन्हें रातो रात सुपरस्टार बना दिया। 1988 में ही नवंबर में माधुरी दीक्षित की अनिल कपूर के साथ तेजाब रिलीज हुई जिसने माधुरी दीक्षित को लोकप्रियता की बुलंदियों पर पहुँचा दिया था।

दोनों ही बहुत जल्दी सुपरस्टार बन गईं। अब समय उनका था इसके साथ ही दोनों में प्रतिद्वंदिता भी होने लगी। इसी कारण अपने स्टारडम के दौर में दोनों ने कोई भी फिल्म साथ नहीं की।

जूही चावला ने यशराज बैनर के साथ कई सफल फिल्में कीं थीं। जब यशराज फिल्म्स ने ‘दिल तो पागल है’ की घोषणा की, तो उन्होंने माधुरी दीक्षित को मुख्य भूमिका के लिए चुना और जूही चावला को सपोर्टिंग रोल ‘निशा’ के लिए चुना। लेकिन जूही चावला ने माधुरी के साथ साइड रोल करने से इनकार कर दिया। ये रोल बाद में करिश्मा कपूर के हिस्से आया।

जब ‘दिल तो पागल है’ रिलीज हुई, तो यह फिल्म बहुत बड़ी हिट साबित हुई। फिल्म में शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर की त्रिकोणीय प्रेम कहानी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया। इस फिल्म के गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।

वर्षों बाद, जूही चावला ने एक इंटरव्यू में इस फिल्म को ठुकराने की वजह बताई। उन्होंने स्वीकार किया कि उस समय उन्हें अपने ईगो की समस्या हो गई थी। वह माधुरी दीक्षित से प्रतिद्वंदिता कर रही थीं और उनके सामने कमतर नहीं पढ़ना चाहती थीं। इसी कारण उन्हें वह फिल्म करने में कोई रूचि नहीं दिखाई जिसमें वह माधुरी दीक्षित के सामने सपोर्टिंग एक्टर लगें। इसी कारण उन्होने ये फिल्म करने से मना कर दिया। उन्हें ये पता था कि वह एक बड़े बैनर की फिल्म को ठुकरा रहीं हैं जिसने उन्हे डर जैसी सुपरहिट फिल्म दी थी।

करिश्मा कपूर को मिली नई पहचान

जो रोल जूही चावला ने ठुकराया था वह करिश्मा कपूर के हिस्से आया था। करिश्मा कपूर फिल्मों में तो आ चुकी थीं लेकिन जब उन्होंने ये फिल्म साइन की थी तब तक उनकी कोई बड़ी सुपर हिट फिल्म नहीं आई थी। लेकिन दिल तो पागल रिलीज होने से पहले ही 1996 में उनकी राजा हिंदुस्तानी उस साल की सुपरहिट फिल्म साबित हुई और उनका भी काफी नाम हो चुका था।

‘दिल तो पागल है’ फिल्म में उनके रोल ने भी उनको एक अलग पहचान थी। इस फिल्म को कुल 11 फिल्मफेयर नामांकन मिले थे और इसने 7 श्रेणियों में पुरस्कार जीते थे। करिश्मा कपूर को इस फिल्म के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड भी मिला।

जूही चावला और माधुरी दीक्षित की आपसी होड़ का ये दौर उनके पूरे स्टारडम में जारी रहा। दोनों साथ मे कोई फिल्म नहीं की। जब दोनों के स्टारडम का दौर खत्म हो गया तो अंततः  जूही चावला और माधुरी दीक्षित ने 2014 में ‘गुलाब गैंग’ फिल्म में एक साथ काम किया और उनके बीच की नाराजगी भी खत्म हो गई। अब ये दोनों एक-दूसरे की अच्छी दोस्त हैं।


ये भी पढ़ें…

इन बॉलीवुड सितारों की संघर्ष यात्रा में परिवार का विरोध भी इन्हें कलाकार बनने से नहीं रोक सका

आमिर खान – मि. परफेक्शनिस्ट का छोटा-सा लाइफ स्कैन।

सभी ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन।

ओलंपिक में भारत (India performance in all Olympic Games) का कोई बहुत विशेष प्रदर्शन नहीं रहा है। ओलंपिक के 120 साल से अधिक के इतिहास में भारत ने कुल 35 पदक जीते हैं। इनमें केवल दो स्वर्ण पदक हैं। इससे स्पष्ट होता है कि भारत का भारत जैसे विशाल देश का प्रदर्शन ओलंपिक में उतना अधिक उल्लेखनीय नहीं रहा है जितना कि होना चाहिए था। ओलंपिक इतिहास में भारत के प्रदर्शन पर एक नजर डालते है…

ओलंपिक में भारत (India in all Olympics)

भारत के लिए सबसे पहला पदक यूं तो एक अंग्रेज ने जीता था, क्योंकि उस समय भारत अंग्रेजों का गुलाम था और जिस अंग्रेज ‘नार्मन प्रिचर्ड’ ने भारत के लिए पहला पदक जीता था। उसने भारत की तरफ से ओलंपिक में भाग लिया था इसलिए भारत के पहला पदक ‘नॉर्मन प्रिचर्ड’ के नाम है।

1900 के ओलंपिक खेल

भारत ने पहली बार 1900 के ओलंपिक में भाग लिया। जहां पर नॉर्मन प्रिचर्ड’ ने भारत की तरफ से एकमात्र प्रतिनिधि के तौर पर ओलंपिक खेलों में भागीदारी की थी और 200 मीटर स्प्रिंट की 200 मीटर बाधा दौड़ में दो रजत पदक जीते थे।

1920 के ओलंपिक खेल

भारत ने 1920 में अपना पहला ओलंपिक दल एंटवर्प ओलंपिक’ में भेजा, जहां 5 एथलीटों ने हिस्सा लिया था। इसमें भारत में कोई पदक नहीं जीता।

1924 के ओलंपिक खेल

1924 के ओलंपिक में भारत ने अपना दल भेजा और टेनिस में भारत ने अपना डेब्यू किया। कुल 5 खिलाड़ियों जिनमें 4 पुरुष और 1 महिला थी, ने एकल स्पर्धा में भाग लिया था। लेकिन इसमें भी भारत में कोई पदक नहीं जीता।

1928 के ओलंपिक खेल

भारत ने अपना पहला स्वर्ण पदक 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक’ खेलों में ‘हॉकी’ के खेल में जीता। यहीं से भारत की हॉकी के स्वर्णिम दौर की शुरुआत हुई। इस स्वर्ण पदक की जीत में सबसे बड़ा योगदान हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का था। ध्यानचंद ने नीदरलैंड के खिलाफ कुल 14 गोल किए थे, जिसमें एक हैट्रिक भी थी।

1932 के ओलंपिक खेल

1932 के लास एंजिलस’ ओलंपिक में भी भारत ने हॉकी में स्वर्ण पदक जीता। इस जीत मे भी ध्यानंचद का मुख्य योगदान था। 1932 के ओलंपिक खेलों में ध्यानचंद के अलावा उनके छोटे भाई रूप सिंह का भी अहम योगदान था। दोनों भाईयों नें भारत की स्वर्ण पदक जीत में अहम भूमिका निभाई।

1936 के ओलंपिक खेल

1936 के ओलंपिक में भारत ने स्वर्ण पदक जीता और तीन लगातार बार स्वर्ण पदक जीतने की हैटट्रिक पूरी की। 1936 के बर्लिन ओलंपिक’ में भी भारत की जीत में ध्यानचंद का मुख्य योगदान रहा था। उसके बाद आगे के कुछ ओलंपिक खेलों का आयोजन द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण नहीं हो पाया था।

1948 के ओलंपिक खेल

1948 के लंदन ओलंपिक में भारत ने स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पहली बार ओलंपिक खेलों में भाग लिया था और इसमें भारत ने अब तक अपना अपना सबसे बड़ा दल भेजा था, जिसमें लगभग 86 खिलाड़ी थे। भारत ने 9 खेलों में भागीदारी की थी।

“भारत ने हॉकी में फिर इस बार स्वर्ण पदक जीता और यह स्वतंत्र भारत का ‘पहला ओलंपिक पदक’ था।”

1952 के ओलंपिक खेल

1952 के हेलसिंकी ओलंपिक’ और 1956 के ओलंपिक खेलों में भारत ने हॉकी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता इस तरह यहां पर भी बाकी ने भारत में हॉकी की हैट्रिक पूरी की और स्वतंत्र भारत के रूप में भी लगातार तीन बार हाकी के स्वर्ण पदक जीते।

हॉकी के अलावा भारतीय टीम ने 1948 के लंदन ओलंपिक में फुटबॉल टीम के रूप में भी पदार्पण किया था, लेकिन वह अपने पहले मैच में ही फ्रांस से हार गई थी।

स्वतंत्र भारत में व्यक्तिगत रूप से भारत के लिए कोई पहला पदक जीतने वाला खिलाड़ी का नाम ‘केडी जाधव’ था, जिन्होंने 1952 के ‘हेलसिंकी ओलंपिक’ में कुश्ती की स्पर्धा में ‘कांस्य पदक’ जीता था। इस तरह ‘के डी जाधव’ व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।

1954 के ओलंपिक खेल

1956 के ओलंपिक में भारतीय भारत की फुटबॉल टीम कांस्य पदक के लिए संघर्ष करते हुए प्लेऑफ में हार गई और चौथे स्थान पर रही थी। उसके बाद 1960 के ओलंपिक खेलों में भारत का स्वर्ण पदक अभियान टूट गया और पहली बार उसे रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। यही वह ऐतिहासिक ओलंपिक थे, जिसमें भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी उड़न सिख’ के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह 400 मीटर की दौड़ में कांस्य पदक जीतने से चूक गये थे।

1664 के ओलंपिक खेल

1964 के ओलंपिक खेलों में भारत ने फिर स्वर्ण पदक जीता। ये ओलंपिक में भारत का छठा स्वर्ण पदक था। 1968 के मेक्सिकों ओलंपिक’ खेलों में भारत का फिर निराशाजनक प्रदर्शन रहा और भारतीय हॉकी टीम पहली बार शीर्ष दो टीमों में स्थान बनाने से चूक गई थी। अंत में भारतीय टीम को केवल कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा था। वह तीसरे स्थान पर रही।

1972 के ओलंपिक खेल

1972 में म्यूनिख ओलंपिक’ में भी भारत का को केवल कांस्य पदक ही प्राप्त हुआ। वह कांस्य पदक भारत ने हॉकी में ही जीता जिसमें भारतीय हॉकी टीम तीसरे स्थान पर रही।

1976 के ओलंपिक खेल

1976 का मांट्रियल ओलंपिक’ भारतीय टीम के नजरिए से बिल्कुल सबसे निराशाजनक रहा, क्योंकि 1924 में जब से भारत ने हॉकी में ओलंपिक स्पर्धा में भाग लेना शुरू किया था, तब से यह सबसे अधिक निराशाजनक प्रदर्शन था। इन ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम सातवें स्थान पर रही और भारत को ओलंपिक खेलों में हॉकी की प्रतिस्पर्धा में कोई भी पदक नहीं मिला।

1980 के ओलंपिक खेल

1980 के मॉस्को ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने एक बार स्वर्ण पदक जीता। हालाँकि भारत का स्वर्ण पदक जीतना उतना उल्लेखनीय नही रहा क्योंकि मॉस्को ओलंपिक खेलों में अधिकतर प्रमुख देशों ने भाग नहीं लिया था।

उसके बाद भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन ओलंपिक में निराशाजनक ही रहा। ओलंपिक में भारत की निराशा का दौर शुरू हो गया। व्यक्तिगत रूप से तो भारत के अब तक एक ही खिलाड़ी ने केवल कांस्य पदक जीता था। केवल भारतीय हॉकी टीम ने आठ बार ओलंपिक स्वर्ण पदक और दो कांस्य पदक जीते थे। लेकिन 1980 के बाद और हॉकी के पतन का भी दौर शुरू हो गया।

1984 के ओलंपिक खेल

1984 के लास एंजिल्स ओलंपिक’ खेलों में भारत को ना हॉकी और में ना ही किसी अन्य खेल में कोई भी पदक नहीं मिला। हाँ इस इन खेलों में एक उल्लेखनीय बात यह रही कि भारत की उड़नपरी’ के नाम से मशहूर प्रसिद्ध पीटी उषा’ 400 मीटर की बाधा दौड़ में चौथे स्थान पर रह गई थी और कुछ ही सेकेंड के अंतर से कांस्य पदक जीतने से चूक गई थी।

1988 के ओलंपिक खेल

1988 के सिओल ओलंपिक’ खेलों में भारत को किसी भी खेल में कोई पदक नहीं प्राप्त हुआ और भारतीय दल खाली हाथ लौटा।

1992 के ओलंपिक खेल

1992 के बार्सिलोना ओलंपिक’ में भी भारत को कोई भी पदक नहीं मिला। भारत की हॉकी टीम सहित पूरे भारतीय दल ने निराश किया।

1996 के ओलंपिक खेल

भारत के ओलंपिक पदक का सूखा 1996 में खत्म हुआ, जब टेनिस खिलाड़ीलिएंडर पेस’ ने 1996 के अटलांटा ओलंपिक’ खेलों में टेनिस की एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। यह भारत का दूसरा व्यक्तिगत पदक था।

2000 के ओलंपिक खेल

व्यक्तिगत पदक जीतने का सिलसिला अब शुरु हो गया था और अगले ओलंपिक खेलों यानि सन् 2000 के सिडनी ओलंपिक’ खेलों में भारतीय महिला भारोत्तोलक (वेटलिफ्टर) कर्णम मल्लेश्वरी’ ने कांस्य पदक जीता और वह ओलंपिक खेलों में कोई पदक जीतने वाली पहली महिला बन गई।

2004 के ओलंपिक खेल

सन 2004 के अटलांटा ओलंपिक’ खेलों में भारत के निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौर’ ने रजत पदक जीतकर एक और इतिहास लिखा क्योंकि यह भारत का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक रजत पदक था।

2008 के ओलंपिक खेल

2008 के बीजिंग ओलंपिक’ खेलों में अभिनव बिंद्रा ने ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की, जब उन्होंने भारत के लिए पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में भारत के लिए देश का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता।

अभिनव बिंद्रा ने ओलंपिक के इतिहास में भारत के लिए पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था, जो उन्होंने 2008 में निशानेबाजी की स्पर्धा में जीता था।

उनके अलावा बॉक्सर विजेंद्र सिंह’ और पहलवान सुशील कुमार’ ने भी कांस्य पदक जीते थे। 1952 के ओलंपिक खेलों में जब भारत ने एक स्वर्ण पदक और एक कांस्य पदक जीता था। उसके बाद यह दूसरा मौका था, जब भारत ने 2008 में एक से अधिक ओलंपिक पदक जीते।

2012 के ओलंपिक खेल

2012 के लंदन ओलंपिक’ खेलों में बैडमिंटन खिलाड़ी ‘साइना नेहवाल’ ने भारत के लिए बैडमिंटन में कांस्य पदक जीता। इसके साथ ही पहलवान सुशील कुमार ने दूसरा ओलंपिक पदक रजत पदक के रूप में जीता। इस तरह वे दो व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। 2012 लंदन ओलंपिक’ में ही ‘गगन नारंग’ ने निशानेबाजी स्पर्धा में कांस्य पदक, विजय कुमार ने निशानेबाज की स्पर्धा में रजत पदक, मैरीकॉम’ ने मुक्केबाजी की स्पर्धा में कांस्य पदक और योगेश्वर दत्त ने कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक जीते। इस तरह यह भारत का तब तक का सबसे सफल साबित हुआ था, जब ओलंपिक में भारत ने दो रजत और चार कांस्य सहित कुल 6 पदक जीते थे।

2016 के ओलंपिक खेल

2016 के रियो डी जेनेरियो ओलंपिक’ खेलों में भारत ने केवल 2 पदक जीते, जब बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु’ ने रजत पदक जीता और पहलवान महिला पहलवान साक्षी मलिक’ ने कांस्य पदक जीता। इस बार केवल महिलाओं ने ही बाजी मारी और दोनों पदक महिलाओं ने ही जीते थे।

2020 के ओलंपिक खेल

2020 का टोक्यो ओलंपिक’ खेल जो कि 2021 में कोरोना महामारी के कारण 2021 में खेले गए थे, वह भारत के अब तक के सबसे सफल ओलंपिक खेल रहे हैं। जब भारत में कुल एक स्वर्ण पदक, दो रजत पदक और चार कांस्य पदक सहित कुल सात पदक जीते।

2020 के टोक्यो ओलंपिक’ खेलों में भारत के नीरज चोपड़ा’ ने पुरुष भाला फेंक (मेंस जैवलिन थ्रो) में स्वर्ण पदक जीता। भारत की पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक खेलों में 30 साल का सूखा खत्म किया जब उसने 1980 के मास्को ओलंपिक खेलों के बाद कोई पदक जीता था।

इसके अलावा ‘रवि कुमार दहिया’ ने फ्री स्टाइल कुश्ती में रजत पदक जीता। मीराबाई चानू’ ने वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में रजत पदक जीता। महिला मुक्केबाज लोवलीना बोरहोगेन’ ने कांस्य पदक जीता। महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु’ ने कांस्य पदक जीता। पुरुष पहलवान बजरंग पुनिया’ ने कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। इस तरह टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारत ने एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य सहित कुल सात पदक जीते। यह भारत के अब तक सबसे सफल ओलंपिक खेल रहे।

2024 के पेरिस ओलंपिक

2024 के ओलंपिक खेल फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित किए गए। यह ओलंपिक खेल 26 जुलाई 2024 से 11 अगस्त 2024 तक संपन्न हुए।

इन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन पिछले ओलंपिक खेलों से कम रहा और भारत ने कुल 6 पदक जीते, जिनमें कोई भी स्वर्ण पदक नहीं था।

पिछले टोक्यो ओलंपिक खेलों में जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा इस बार जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने से चूक गए और उन्होंने रजत पदक जीता।

भारत में इसके अलावा पाँच ब्रांज मेडल जीते। भारत का पहला मेडल निशानेबाज मनु भाकर ने जीता। मनु भाकर ने निशानेबाजी की 20 मीटर पिस्टल स्पर्धा में ब्रांज मेडल जीतकर भारत के मेडल अभियान की शुरुआत की। उसके बाद मनुभाकर ने सरबजोत सिंह के साथा मिलकर 20 मीटर पिस्टल में ही दूसरा ब्रांज मेडल जीता।

इस तरह ‘मनु भाकर’ एक ओलंपिक खेलों में दो ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं।

इसके बाद निशानेबाजी में ही भारत का तीसरा ब्रॉन्ज मेडल आया, जब स्वप्निल कुसाले ने जब 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता। उसके बाद भारत के कुछ प्रतिष्ठित खिलाड़ी जैसे पीवी सिंधु, लक्ष्य सेन, मनिका बत्रा, अंतिम पंघाल, विनेश फोगाट, दीपिका कुमारी जैसे खिलाड़ी मेडल जीतने से चूक गए।

भारत के लिए चौथा ब्रॉन्ज मेडल भारतीय हॉकी टीम ने जीता, किसने स्पेन को 3-2 से हराकर भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता। भारत के लिए पांचवा ब्रॉन्ज मेडल पहलवान अमन सहरावत ने कुश्ती में जीता।

इस ओलंपिक में भारतीय पहलवान विनेश फोगाट के साथ अन्याय भी हुआ जब उन्होंने 50 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में जगह बनाकर भारत के लिए कम से कम रजत पदक पक्का कर दिया था लेकिन फाइनल वाले दिन 100 किलोग्राम वजन ज्यादा पाये के कारण उन्हें फाइनल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया और वह कोई मेडल नहीं जीत पाईं।


Courtesy

https://olympics.com


ये भी पढ़ें…

सभी एशियन गेम्स में भारत का ओवरऑल प्रदर्शन।

Rules of Kabaddi – कबड्डी कैसे खेलें? कबड्डी खेल के नियम और पूरी जानकारी।

पुरुषों के वनडे वर्ल्ड कप क्रिकेट के सभी 13 वर्ल्डकप का पूरा इतिहास जानें।

टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप (पुरुष) का पूरा इतिहास

इन बॉलीवुड सितारों की संघर्ष यात्रा में परिवार का विरोध भी इन्हें कलाकार बनने से नहीं रोक सका

कलाकारों का संघर्ष और परिवार से बगावत (Bollywood actors whose family did not want them to become actors)

बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में कदम रखना आसान नहीं होता। हर साल हजारों कलाकार मायानगरी की ओर रुख करते हैं, लेकिन कुछ ही लोग अपनी मेहनत और हुनर से सफल हो पाते हैं। कई बार अपने सपनों को पूरा करने के लिए इन्हें परिवार का विरोध भी झेलना पड़ता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे सितारों के बारे में जिन्होंने अपने परिवार से बगावत कर फिल्मी दुनिया में अपना नाम बनाया।

कंगना रनौत

बॉलीवुड की निडर और मुखर अभिनेत्री कंगना रनौत का नाम सबसे पहले आता है। उनके पिता चाहते थे कि कंगना डॉक्टर बने, लेकिन कंगना का दिल अभिनय में था। छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने परिवार से बगावत कर घर छोड़ दिया और मुंबई आ गईं। आज कंगना एक सफल अभिनेत्री हैं और उनके रिश्ते परिवार से भी सुधर गए हैं।

इरफान खान

हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता इरफान खान ने भी अपने परिवार के विरोध का सामना किया। उनके परिवार वाले नहीं चाहते थे कि वह अभिनेता बने। अपने सपने को पूरा करने के लिए इरफान ने घरवालों से झूठ बोलकर दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया। इरफान ने न केवल बॉलीवुड में बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी एक खास पहचान बनाई।

करिश्मा कपूर

करिश्मा कपूर का नाम भी इस सूची में शामिल है। कपूर परिवार की परंपरा के अनुसार, परिवार की महिलाएं फिल्म उद्योग में काम नहीं करती थीं। उनके पिता रणधीर कपूर ने करिश्मा के फिल्मों में आने के फैसले का कड़ा विरोध किया। लेकिन करिश्मा ने 15 साल की उम्र में ही अपने करियर की शुरुआत कर दी और इंडस्ट्री में अपनी जगह बना ली।

राधिका आप्टे

राधिका आप्टे के माता-पिता चिकित्सा पेशे से जुड़े थे और चाहते थे कि उनकी बेटी भी इसी क्षेत्र में करियर बनाए। लेकिन राधिका का दिल अभिनय में था। उनके पिता ने अभिनय को ‘दिमागहीन पेशा’ कहा, लेकिन राधिका ने अपने दिल की सुनी और अपने सपनों को पूरा किया। आज वह एक सफल अभिनेत्री हैं।

नसीरुद्दीन शाह

दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह को भी अभिनेता बनने के लिए परिवार का विरोध झेलना पड़ा। परिवार के विरोध के चलते नसीरुद्दीन को घर छोड़ना पड़ा। 16 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और अभिनेता बनने के सफर पर निकल पड़े। आज नसीरुद्दीन शाह भारतीय सिनेमा के महानतम अभिनेताओं में से एक हैं।

परिवार से बगावत करके अपनो सपनों की उड़ान दी और सफलता के शिखर पर पहुँचे

इन सभी कलाकारों ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए परिवार का विरोध सहा और अपने जुनून की राह पर चले। उनकी संघर्ष यात्रा हमें यह सिखाती है कि यदि आपके सपने के प्रति सच्ची लगन और मेहनत हो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता आपको रोक नहीं सकता।


ये भी पढ़ें

आमिर खान – मि. परफेक्शनिस्ट का छोटा-सा लाइफ स्कैन।

अमीन सयानी – आवाज के जादूगर, जिन्होंने रेडियो प्रेजेंटेशन को नई पहचान दी।

अपने आधार कार्ड को कहीं पर शेयर करने से पहले ये सुरक्षा जरूर कर लें, नही तो आपके आधार कार्ड का दुरुपयोग हो सकता है।

आधार कार्ड का उपयोग करते समय आपको कई बातों का ध्यान रखना होता है। एक छोटी सी गलती भी आपको भारी नुकसान पहुंचा सकती है। आज हम आपको कुछ ऐसे तरीकों (AADHAR Card Protection tips) के बारे में बताएंगे, जिनकी मदद से आप अपने आधार कार्ड का सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं। खासकर, हम आपको मास्क आधार के बारे में जानकारी देंगे, जो आपके आधार को सुरक्षित रखने में मदद करेगा। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इसमें आपके आधार नंबर को मास्क किया जाता है।

क्यों जरूरी है मास्क आधार?

आधार कार्ड के नंबर्स को लेकर आपको हमेशा सतर्क रहना चाहिए। यही कारण है कि मास्क आधार आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। मास्क आधार में आपके आधार नंबर को छिपाया जाता है, जिससे आपके पूरे आधार नंबर नजर नहीं आते। यह आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है, खासकर जब आप इसे सही तरीके से फॉलो करते हैं। मास्क आधार आपके व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा करता है और आपके आधार नंबर को गैर-अधिकृत उपयोग से बचाता है।

कैसे करें डाउनलोड?

मास्क आधार कार्ड डाउनलोड करना एक आसान प्रक्रिया है। इसके लिए आपको कुछ विशेष करने की आवश्यकता नहीं होती। सबसे पहले आपको UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। वहां आपको अपना 12 अंकों का आधार नंबर दर्ज करना होगा। इस प्रक्रिया के दौरान आपको मास्क आधार का विकल्प नजर आएगा, जिसे चुनना होगा। इसके बाद आपको कैप्चा कोड को ध्यान से भरना होगा। इसके बाद आपके मोबाइल पर एक OTP भेजा जाएगा, जिसे दर्ज कर वेरिफिकेशन पूरा करना होगा। वेरिफिकेशन के बाद आपका मास्क आधार कार्ड डाउनलोड हो जाएगा। इसके साथ ही आप E-Aadhaar की कॉपी भी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

इस प्रकार, मास्क आधार का उपयोग करके आप अपने आधार कार्ड की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं और किसी भी संभावित जोखिम से बच सकते हैं। यह प्रक्रिया सरल और प्रभावी है, जिससे आपके व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।

नोट : मास्क आधार कार्ड कैसे बनाएं इसके बारे में जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं।


ये भी पढ़ें…

मास्क आधार कार्ड का उपयोग करके अपने आधार कार्ड के डेटा को सुरक्षित बनाएं। मास्क आधार कार्ड कैसे बनाएं?

व्हाट्सएप पर ये सेटिंग तुरंत कर लें, नही तो कोई भी आपकी लोकेशन जान सकता है।

Shiv Tandav Stotram – शिव तांडव स्तोत्र (संपूर्ण 18 श्लोक) अर्थ सहित।

शिवतांडव स्तोत्र (Shiv Tandav Stotram) भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय है। इस स्तोत्र की रचना रावण ने की थी। रावण शिव का परम भक्त माना जाता है। शिव तांडव स्तोत्र की रचना रावण ने तब की थी, जब एक बार वह रास्ते में पुष्पक विमान से अपनी लंका नगरी को जा रहा था तो रास्ते में कैलाश पर्वत पड़ा। कैलाश पर्वत के मार्ग में आने के कारण रावण के पुष्पक विमान की गति धीमी हो गई थी। तब उसने अहंकार और क्रोध में आकर कैलाश पर्वत को उठाने की कोशिश की।

उस समय कैलाश पर्वत पर भगवान शिव साधनारत थे। भगवान शिव के गण नंदी ने रावण को ऐसा करने से मना किया और कहा भगवान शिव यहाँ पर साधना रहते हैं। उनकी साधना में विघ्न पड़ेगा लेकिन रावण उस समय अहंकारी हो चुका था। उसने अहंकार में आकर किसी की बात नहीं सुनी और कैलाश पर्वत को उठाने लगा। जैसे ही अपने उसने अपनी दोनों भुजाएं कैलाश पर्वत को उठाने के लिए कैलाश पर्वत के नीचे लगाईं, तभी भगवान शिव जोकि साधनारत थे, उन्हें सब पता चल गया और उन्होंने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया, जिससे कैलाश पर्वत वहीं पर स्थिर हो गया और रावण की दोनों भुजाएं कैलाश पर्वत के नीचे दब गईं। इस कारण रावण दर्द के मारे छटपटाने लगा। वह भयंकर चीत्कार करने लगा। उसकी चीत्कार इतनी तेज थी कि सारी पृथ्वी पर भूचाल सा आ गया। तब रावण के शुभचिंतकों ने रावण को सलाह दी कि वह भगवान शिव की स्तुति करें और उन्हें प्रसन्न करें, तभी शिव उसे मुक्त कर सकते हैं। तब रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जिस स्तोत्र का पतन शुरू करना शुरू कर दिया, वही स्त्रोत शिव तांडव स्त्रोत के नाम से जाना गया।

रावण शिव तांडव स्तोत्र को गाता रहा। स्तोत्र के पूरा होने पर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने पर्वत से अपने पैर के अंगूठे को हटा लिया। जिससे रावण की दोनों भुजाएं मुक्त हो सकीं और वह शिव से क्षमा मांग कर वहां से चला गया।

तभी से यह शिव तांडव स्त्रोत प्रसिद्ध हो गया। जो मन वचन और ध्यान से इस स्तोत्र का पाठ करता है उस पर भगवान शिव अपनी कृपा जरूर बरसाते हैं।

अक्सर इंटरनेट पर शिवतांडव स्तोत्र पूरे रूप में हीं मिल पाता है। इसमें 18 श्लोक है, लेकिन अधिकतर 16 या 17 श्लोंक वाल संस्करण ही देखने को मिलता है। यहाँ पर हम पूरे 18 श्लोकों वाला शिव तांडव संतोत्र को दे रहे है। इस स्तोत्र मन-वचन से नित्य पाठ भगवान शिव की कृपा पाने के लिए उत्तम साधन है…

शिव तांडव स्तोत्र (Shiv Tandav Stotram)

जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥

जटा कटाह संभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।
विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥

धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुबंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटाक्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥

जटा भुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥

सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥

ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।
सुधामयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजटालमस्तु नः ॥6॥

कराल भाल पट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥7॥

नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबद्धबंधकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥

प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमप्रभा-
वलंबि कंठकंधलि रुचि प्रबंधकंधरम्‌
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ।
स्मरांतकं पुरातकं भवातकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥12॥

कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌॥13॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलिमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥

नमामि पार्वतीपतिं नमामि जाह्ववी पतिं
नमामि भक्तवत्सलं नमामि फाललोचनम्
नमामि चन्द्रशेखरं नमामि दुखमोचनम्
तदीय पादपंकजम् स्मराम्यहम् नटेश्वरम्।।16।।

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना सु शंकरस्य चिंतनम ॥17॥

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥18॥

॥ इति शिव तांडव स्तोत्रं संपूर्णम्‌॥

सभी 18 श्लोकों का अर्थ और व्याख्या

जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥

अर्थ : भगवान शिव की जटाओं (बालों) निरंतर पवित्र जल बह रहा है। उनके कंठ (गले) में जो सांप है वो हार के रूप में उनके कंठ में विराजमान है। शिव के डमरू से लगातार डमड् डमड् की ध्वनि निकल रही है। डमरू से निकली ध्वनि से ताल मिलाते हुए शिव तांडव नृत्य कर रहे हैं। सबको सम्पन्नता प्रदान करने वाले तांडव नृत्य करते भगवान शिव को नमन है।

जटा कटाह संभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।
विलोल वीचि वल्लरी विराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥

अर्थ : वो भगवान शिव जिनके सिर पर आलोकिक गंगा नदी अपनी बहती धाराओं के रूप मे सुसज्जित है। ये गंगा नदी भगवान शिव के बालों की जटाओं में उलझी हुई उनके सिर की शोभा को बढ़ा रही है। उनके मस्तक पर चारों तरफ अग्नि के जैसा आलोकिक तेज उनके मस्तक की शोभा को बढ़ा रहा है। उनके मस्तक पर अर्द्ध चंद्र के जैसा आभूषण सुसज्जित है, जो बेहद आकर्षण प्रतीत हो रहा है।

धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटाक्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥
अर्थ : मेरा मन भगवान शिव में ही रम जाना चाहता है। इस संसार के इस ब्रह्मांड के सारे प्राणी भगवान शिव के अंदर ही समाहित हैं। मेरा मन भगवान शिव में ही अपने प्रसन्नता को खोजना है। भगवान शिव जी की अर्धांगिनी पर्वत राज की पुत्री पार्वती हैं ऐसे भगवान शिव जो अपने करुणा दृष्टि से कठिन से कठिन आपदा को दूर कर सकते हैं। जो इस ब्रह्मांड में सर्वत्र व्याप्त हैं और सभी दिव्या लोकों को अपनी पोशाके की तरह धारण करते हैं। ऐसे भगवान शिव को प्रणाम।
जटा भुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥
अर्थ : भगवान शिव का स्मरण करने से मुझे अपार सुख की प्राप्ति होती है। वह भगवान शिव जो सभी प्राणियों के जीवन की रक्षा करते हैं। उनके गले में भूरे रंग के सांप हैं, तो सिर सफेद चमक बिखेरती मणि सुसज्जित है। वह शिव जो मस्त मस्त हाथी की चाल की तरह चलते चले जाते हैं, ऐसे भगवान भगवान शिव हम सबको सुख-समृद्धि और संपन्नता प्रदान करें।
सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥
अर्थ : जिनकी चरण पादुकाएं इंद्र आदि देवताओं के निरंतर वंदन करने फूलों की  धूल से धूसरित हो गई है। से निकने जिनके बालों की जटाएं लाल नाग रूपी हारों से बंधी हैं। ऐसे भगवान चंद्रशेखर में चिरस्थायी संपत्ति प्रदान करें।
ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।
सुधामयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥
अर्थ : जिनके मस्तक रूपी वेदी पर जलती हुई अग्नि के तेज से कामदेव भस्म हो गया था, जिनको इंद्र आदि जैसे देवता नित्य नमस्कार किया करते हैं। जिनके सिर पर चंद्रमा की सभी कलाओं से सुशोभित मुकुट लगा हुआ है। ऐसे विशाल उन्नत ललाट वाले भगवान शिव को मेरा प्रणाम।
कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥
अर्थ : जो भगवान शिव ने अपने विकराल भालपट्ट पर धक-धक जलती हुई अग्नि में कामदेव को भस्म कर देते हैं। वह भगवान शिव जो गिरिराज किशोरी के स्तनों पर आकर्षण रेखाओं की रचना करने में निपुण हैं, ऐसे भगवान त्रिलोचन शिव में मेरा ध्यान लग रहे।
नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबद्धबद्धकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥
अर्थ : जिन भगवान शिव के कंठ में नवीन मेघमाला से घिरी हुई अमावस्या की आधी रात के समान फैली हुई घोर अंधकार की सघनता है। जो अपने शरीर पर गजचर्म को लपेटे हुए हैं, ऐसे पूरे संसार के भार को धारण करने वाले मनोहर कांति वाले भगवान शिव मेरी संपत्ति का विस्तार करें।
प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमप्रभा-
वलम्बि कंठकंदंली रुचि प्रबद्धकंधरम्‌
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥
अर्थ : जिनका गला खिले हुए नीलकमल समूह की शाम प्रभा का अनुकरण करने वाली हिरानी के समान सुशोभित हैं। जो कामदेव, तिप्रुर, भव यानि संसार, हाथी, अंधकासुर और यमराज का भी उच्चाटन यानी संहार करने वाले हैं, ऐसे भगवान शिव को मैं नित्य प्रति ध्यान करता हूँ।
अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥
अर्थ : जो शिव अभियान से विरक्त पार्वती की कलारूप माधुरी का पान करने वाले भंवरे हैं, जो कामदेव, त्रिपुर, भवसंसार, दक्ष यज्ञ, अंधकासुर और यमराज का भी अंत करने वाले हैं, ऐसे भगवान शिव का में ध्यान करता हूँ।
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥11॥
अर्थ :जिन भगवान शिव के मस्तक पर वह भयंकर अग्नि प्रज्जवलित होती है, जो शिव के गले में विराजमान भयंकर साँपों के फुफकारने से उत्पन्न होती है। धिधि-धिमि की मधुर ध्वनि से बजते मृदंग के मंगल धोष से जो तांडव कर रहे हैं, ऐसे भगवान शिव की जय हो।
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥12॥
अर्थ : जब मैं पत्थर और सुंदर बिछौनों में, साँपों और मुक्ता की माला में, बहुमूल्य रत्नों और मिट्टी के ढेले में, मित्र और शत्रुओं में, कमजोर कृशकाय या कमल के समान आँखों वाली सुंदरी में, सामान्य प्रजा और राजाधिराज महाराज में समान भाव रख सकूंगा तो कब मैं सदाशिव को भजूं सकूंगा।
कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌॥13॥
अर्थ : सुन्दर ललाट वाले भगवान चन्द्रशेखर में मेरा मन एकदम रम जाए। मैं अपने मन के कुविचारों को त्यागकर गंगा के समान पवित्र भाव को अपने अंदर समाहित करता, अपने दोनों हाथों को जोड़ता हुआ सिर पर हाथों के रखता हूँ डबडबाई आँखों से शिव मंत्र का उच्चारण कर रहा हूँ। मैं कब शिव की कृपा को प्राप्त करके सुखी होऊंगा?
तटवर्ती निकुंज के भीतर रहता हुआ सिर पर हाथ जोड़ डबडबाई हुईं विह्वल आंखों से ‘शिव’ मंत्र का उच्चारण करता हुआ मैं कब सुखी होऊंगा?
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥
अर्थ : जिनके सिर में गुथे पुष्पों की माला से झड़ने वाली सुगंध से और मनोहर स्वरूप वाले और शोभायमान रूप वाले महादेव के सुंदर अंगों की सुंदरता का आंनद मन की प्रसन्नता का बढ़ा रहा है, ऐसे भगवान शिव को नमन।
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥
अर्थ : जो प्रचण्ड बड़वानल के समान पापों को भस्म करने में सक्षण हैं, जो प्रचंड अमंगलों का विनाश करने वाले हैं। अष्ट सिद्धियों तथा चंचल नेत्रों वाली कन्याओं द्वारा शिव विवाह समय गान की मंगलध्वनि सब मंत्रों में परमश्रेष्ठ शिव मंत्र से पूरित संसारिक दुःखों का नाश हो और विजय प्राप्त हो।
नमामि पार्वतीपतिं नमामि जाह्ववी पतिं
नमामि भक्तवत्सलं नमामि फाललोचनम्
नमामि चन्द्रशेखरं नमामि दुखमोचनम्
तदीय पादपंकजम् स्मराम्यहम् नटेश्वरम्।।16।।
अर्थ : पार्वती के पति शिव को नमन है। गंगा के पति शिव को नमन है। भक्तों पर कृपा बससाने वाले शिव को नमन है। मनमोहक नयनों वाले शिव को नमन है। सिर पर चंद्रमा को धारण करने वाले शिव को नमन है। दुखों का हरण करने वाले शिव को नमन है। चरणों में जिनके कमल है, ऐसे नटेश्वर भगवान शिव को नमन है।
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना सु शंकरस्य चिंतनम ॥17॥
अर्थ : इस स्तोत्र को जो भक्त पढ़ता है, इसका स्मरण करता है, इसको दूसरों को सुनाता है। वह शिवभक्त सदैव के लिए पवित्र हो जाता है और महान गुरु भगवान शिव की भक्ति पाता है। जो स्वयं में गुरुओं के गुरु और योगीश्वर हैं। उनकी भक्ति के लिए कोई दूसरा मार्ग या उपाय नहीं है। हर समय भगवान शिव का चिंतन करना चाहिए।
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥18॥
अर्थ : जो भक्त प्रातःकाल नित्य पूजा में इस रावणकृत शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करता है, उसके घर में सदैव लक्ष्मी का स्थिर वास रहता है। ऐसा भक्त रथ, गज, घोड़ा (आज के समय में कार, बाइक जैसे वाहन) तथा हर तरह की सम्पत्ति से युक्त रहता है, और सुखी और सम्पन्न रहता है।

ये भी पढ़ें…

हिंदू धर्म के 33 करोड़ देवी-देवता का सच जानकर हैरान रह जाएंगे।

प्राण-प्रतिष्ठा क्या है? ये क्यों की जाती है? हिंदू-सनातन धर्म में इसका क्या महत्व है?

लोहे की कढ़ाई में ये सब्जियां पकाने से बचें, नहीं तो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

लोहे की कढ़ाई भारतीय रसोई का एक अभिन्न अंग है, जो न केवल पारंपरिक पाक कला का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना जाता है। इसका उपयोग भोजन में आयरन की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है, जो रक्ताल्पता जैसी समस्याओं से बचाव में सहायक होता है। हालांकि, यह जानना महत्वपूर्ण है कि कुछ खाद्य पदार्थों को लोहे की कढ़ाई में पकाना हानिकारक हो सकता है।

जी हां, कुछ ऐसी सब्जियां भी है, जिन्हें लोहे की कढ़ाई में नहीं पकाना चाहिए। इन्हें लोहे की कढ़ाई में पकाने से ये सब्जिया सेहत की हानिकारक बन जाती है। आइए जानते हैं, वो सब्जियां कौन सी हैं…

पालक (Spinach)

पालक मौजूद ऑक्सालिक एसिड लोहे से प्रतिक्रिया कर सकता है, जिससे न केवल पालक का रंग बदल सकता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। इसे स्टेनलेस स्टील या नॉन-स्टिक बर्तन में पकाना बेहतर विकल्प है।

टमाटर (Tomato)

टार्टरिक एसिड से भरपूर टमाटर लोहे की कढ़ाई में पकाने से अत्यधिक नरम हो सकते हैं और भोजन में धातु जैसा स्वाद आ सकता है। टमाटर को पकाने के लिए स्टील या मिट्टी के बर्तन सर्वाधिक उपयोगी है।

चुकंदर (Beetroot)

चुकंदर में प्राकृतिक रूप से मौजूद आयरन लोहे की कढ़ाई से अतिरिक्त प्रतिक्रिया कर सकता है, जिससे खाने का रंग और स्वाद बिगड़ सकता है। चुकंदर को भी स्टील के बर्तन नें पकाएं अथवा मिट्टी या पीतल के बर्तनों का उपयोग करें।

नींबू (Lemon)

नींबू अत्यधिक अम्लीय होने के कारण, नींबू लोहे से प्रतिक्रिया करके न केवल भोजन का स्वाद खराब कर सकता है, बल्कि पाचन संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। इसलिए खाना पकाते समय लोहे की कढ़ाई में नींबू का रस कभी नहीं डाले और ना ही ऐसा भोजन लोहे की कढ़ाई में पकाएं जिसमें नीबूं पढ़ा हो। नींबू का रस निचोड़ने या इसका उपयोग करने के लिए लकड़ी या धातु के बर्तन का प्रयोग करें।

लोहे की कढ़ाई में पकाते समय निम्न बातों का ध्यान रखें…

1. लोहे की कढ़ाई का उपयोग दाल, सब्जियों और मांस जैसे गैर-अम्लीय खाद्य पदार्थों के लिए करें।
2. कढ़ाई को हमेशा अच्छी तरह से साफ और सूखा रखें ताकि जंग न लगे।
3. नए लोहे के बर्तन को पहली बार उपयोग करने से पहले ‘सीजन’ करना न भूलें।
4. लोहे की कढ़ाई में पके भोजन को समय तक न रखें, क्योंकि यह अतिरिक्त आयरन अवशोषित कर सकता है।

लोहे की कढ़ाई का समझदारी से उपयोग करने से आप इसके स्वास्थ्य लाभों का आनंद ले सकते हैं और साथ ही संभावित नुकसान से बच सकते हैं।

अपने आहार में विविधता लाएं और विभिन्न प्रकार के बर्तनों का उपयोग करें ताकि सभी पोषक तत्वों का संतुलित सेवन सुनिश्चित हो सके। स्वस्थ खाना पकाने की कला में निपुणता हासिल करने के लिए इन सुझावों का पालन करें और अपने परिवार के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।


ये भी पढ़ें…

ये टिप्स अपनाएं तो नारियल का छिलका एकदम आसानी से उतर जाएगा।

इन तरीकों से करें शुद्ध या मिलावटी हल्दी की पहचान

गौतम गंभीर – एक छोटा सा जीवन आकलन

गौतम गंभीर: भारत के क्रिकेट नायक की अनकही कहानी

गौतम गंभीर, जिन्हें अक्सर गौती या जीजी के नाम से जाना जाता है, एक ऐसे क्रिकेटर हैं जिनके बिना आधुनिक भारतीय क्रिकेट की कहानी अधूरी है। एक आक्रामक बल्लेबाज और लाल बल्लेबाज के रूप में प्रसिद्ध, गंभीर ने अपनी विशिष्ट शैली और साहस के साथ कई महत्वपूर्ण मैचों में अपनी छाप छोड़ी है।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

गौतम गंभीर का जन्म 14 अक्टूबर, 1981 को दिल्ली में हुआ था। क्रिकेट के प्रति उनकी रुचि बहुत कम उम्र से ही शुरू हो गई थी और 10 साल की उम्र में ही उन्होंने इस खेल को गंभीरता से अपनाना शुरू कर दिया था। लाल बहादुर शास्त्री क्रिकेट अकादमी में शामिल होकर, गंभीर को संजय भारद्वाज और राजू टंडन जैसे दिग्गज कोचों से प्रशिक्षण मिला।

परिवार और निजी जीवन

गौतम गंभीर के पिता दीपक गंभीर टेक्सटाइल बिजनेसमैन हैं और उनकी माँ का नाम सीमा है। उनकी एक छोटी बहन एकता भी है। अपने जन्म के 18 दिनों के भीतर ही, गंभीर को उनके दादा-दादी ने गोद ले लिया था और वे उनके साथ ही रहे। उनके मामा पवन गुलाटी ने भी उनके क्रिकेट करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और गंभीर उन्हें अपना गुरु मानते हैं। अक्टूबर 2011 में, गंभीर ने नताशा जैन से शादी की और वे दिल्ली के राजेंद्र नगर में रहते हैं।

खेल करियर

अंतरराष्ट्रीय पदार्पण और आरंभिक वर्ष

गौतम गंभीर ने 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ अपना पहला वनडे मैच खेला और अगले वर्ष ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला। हालांकि, आरंभिक वर्षों में उनकी प्रगति धीमी रही और उन्हें 2007 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह नहीं मिली, जिससे वे काफी निराश हुए।

सफलता का दौर: 2007-2011

2007 आईसीसी टी20 विश्व कप गंभीर के करियर का एक मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में 75 रनों की शानदार पारी खेली और भारत को खिताब दिलाने में अहम योगदान दिया। 2008 और 2009 में, गंभीर ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किए और 2009 में आईसीसी टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर चुने गए।

उपलब्धियां

2011 विश्व कप फाइनल में गंभीर ने श्रीलंका के खिलाफ 97 रनों की विजयी पारी खेली और भारत को खिताब दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए 2012 और 2014 में आईपीएल खिताब भी जीते।

करियर का अंतिम पड़ाव

2016 तक, गंभीर फॉर्म में लौट आए और उन्हें टीम में वापस बुलाया गया। हालांकि, उनकी गति धीरे-धीरे कम होने लगी और उन्होंने दिसंबर 2018 में सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी।

गौतम गंभीर का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में रिकार्ड

प्रारूपखेले गए मैचरन बनाएउच्चतम स्कोरस्ट्राइक रेटऔसत बल्लेबाजीशतकअर्द्धशतक
टेस्ट58415420651.4941.95922
वनडे1475238150*85.2539.681134
टी-20 इंटरनेशनल3793275119.0227.4107

गौतम गंभीर के आईपीएल आंकड़े

वर्षटीमखेले गए मैचरनउच्चतम स्कोरस्ट्राइक रेटऔसत50
2008डीडी1453486140.8941.075
2009डीडी1528671*102.8722.001
2010डीडी1127772127.6430.772
2011केकेआर1537875*119.2434.362
2012केकेआर1759093143.5539.336
2013केकेआर1640660118.3625.374
2014केकेआर1633569114.3322.333
2015केकेआर१३32760117.6225.153
2016केकेआर1550190*121.8938.535
2017केकेआर1649876*128.0241.504
2018डीडी6855596.5917.001
कुल 154421793123.8831.2436

राजनीतिक करियर और पुरस्कार

2019 में, गौतम गंभीर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और पूर्वी दिल्ली से लोकसभा सदस्य चुने गए। उनके द्वारा प्राप्त प्रमुख पुरस्कारों में अर्जुन पुरस्कार (2008) और पद्मश्री (2019) शामिल हैं।

गौतम गंभीर की विरासत एक अनूठी और अविस्मरणीय है। उनके साहस और दृढ़ इरादों ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयां दीं। जबकि टीम के सदस्य आते और जाते रहे हैं, लेकिन गंभीर की छाप हमेशा बनी रहेगी।

गौतम गंभीर – लाइफ स्कैन शार्ट में

वास्तविक नाम : गौतम गंभीर
उपनाम : गौटी
व्यवसाय : पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी, वर्तमान समय भारतीय क्रिकेट टीम के कोच

शारीरिक संरचना

लम्बाई : 1.67 मीटर (5’6″)
वजन : लगभग 66 किग्रा
आँखों का रंग : हल्का भूरा
बालों का रंग : काला

क्रिकेट करियर

अंतर्राष्ट्रीय पदार्पण : वनडे (11 अप्रैल 2003), टेस्ट (13 नवंबर 2004), टी-20 (13 सितंबर 2007)
जर्सी नंबर : #4 (भारत), #5 (आईपीएल, कोलकाता नाइट राइडर्स)
डोमेस्टिक/स्टेट टीम : दिल्ली
आईपीएल टीम : दिल्ली डेयरडेविल्स, कोलकाता नाइट राइडर्स, दिल्ली कैपिटल्स (पूर्व दिल्ली डेयरडेविल्स)
मैदान पर प्रकृति : बहुत आक्रामक
मुख्य कीर्तिमान : लगातार 5 टेस्ट शतक, लगातार 11 टेस्ट अर्धशतक, एक साल में सर्वाधिक रन आदि।

सम्मान/पुरस्कार

आईसीसी टेस्ट प्लेयर ऑफ़ द इयर (2009)
अर्जुन पुरस्कार (2009)

विवाद

विराट कोहली, धोनी, शाहिद अफरीदी, कामरान अकमल के साथ मैदानी विवाद
अपने नाम से चलने वाले पब को लेकर विवाद

व्यक्तिगत जीवन

जन्मतिथि : 14 अक्टूबर 1981 (आयु 36 वर्ष)
जन्मस्थान : नई दिल्ली, भारत
परिवार : पत्नी नताशा जैन, बेटी आजीन
शौक : यात्रा करना, पुस्तकें पढ़ना
पसंदीदा चीजें : राजमा चावल, बटर चिकन, फिल्में कहानी और विकी डोनर आदि।

 


ये भी पढ़ें…

के के मोहम्मद वह मुस्लिम पुरातत्वविद जिसने धर्म से परे हटकर पूरी ईमानदारी से काम किया। कौन हैं के के मोहम्मद?

रामवृक्ष बेनीपुरी – क्रांतिकारी साहित्यकार – जीवन परिचय

जया किशोरी : भक्ति, ज्ञान और प्रेरणा का अनूठा संगम (जीवन का छोटा सा स्कैन)

आमिर खान – मि. परफेक्शनिस्ट का छोटा-सा लाइफ स्कैन।

Fathers Day History – पिता – इस दुनिया का सबसे बड़ा योद्धा। फादर्स डे का इतिहास और पिता का महत्व जानें। (फादर्स डे स्पेशल)

दिल का दर्द छुपाकर मुसकुराते हैं पापा,
कंधे पर उठाकर दुनिया दिखते हैं पापा,
ना जाने कैसे मेरे कुछ कहे बिना,
मेरे दिल की बात समझ जाते हैं पापा ।

फादर्स डे: पिताओं के सम्मान में मनाया जाने वाला उत्सव (Fathers Day History History)

पिता का महत्व किसके जीवन में नहीं होता। माता-पिता दोनों का महत्व एक व्यक्ति के जीवन में सर्वोपरि होता है क्योंकि यहीं दो किसी व्यक्ति के जीवन की आधारशिला होते है। माता-पिता ही अपने बच्चे के जीवन की नींव को रखते हैं। जिस पर बच्चे के भविष्य की सुनहरी इमारत खड़ी होती है। माता-पिता की भूमिका किसी भी मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती है। दोनों की भूमिकाए अलग-अलग होती हैं और माता-पिता दोनों अपनी संतान के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह पूरी तरह करते हैं। आज किसी व्यक्ति के जीवन में पिता के महत्व को जानेंगे।

फादर्स डे पिता के सम्मान में मनाया जाना वाले वो विशेष दिन है, जिस दिन दुनिया भर की संताने अपने-अपने पिता के प्रति प्रेम और श्रद्धांजलि प्रकट करते हैं।

फादर्स डे कब से मनाया जाता है। इसको मनाने के पीछे क्या कारण हैं? सब कुछ जानते हैं…

फादर्स डे दुनिया भर के कई देशों में पिताओं और पितातुल्य व्यक्तियों के सम्मान में मनाया जाने वाला एक विशेष अवसर है। यह दिन परिवार और समाज में पिताओं की भूमिका के लिए उनके प्रति प्रशंसा, प्रेम और कृतज्ञता दिखाने के लिए समर्पित है। आइए फादर्स डे कब और क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे क्या कारण हैं और इस महत्वपूर्ण पालन का इतिहास क्या है, इस बारे में विस्तार से जानें।

फादर्स डे कब मनाया जाता है?

फादर्स डे आमतौर पर किसी भी वर्ष जून महीने के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाने का प्रचलन कई देशों में है, जिनमें यूनाइटेड स्टेट्स, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और अन्य कई यूरोपीय देश शामिल हैं। हालाँकि, अलग-अलग क्षेत्रों में इसकी तिथि अलग-अलग हो सकती है, कुछ देश इसे अन्य तिथियों पर मनाना पसंद करते हैं।

हम फादर्स डे क्यों मनाते हैं?

फादर्स डे अपने बच्चों और परिवारों के जीवन में पिताओं और पितातुल्य व्यक्तियों द्वारा किए गए योगदान और बलिदान को पहचानने और सम्मान देने का समय है। यह पिता द्वारा दिए जाने वाले मार्गदर्शन, सहायता और प्यार के लिए आभार, प्रेम और सम्मान व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।

फादर्स डे का इतिहास

फादर्स डे का इतिहास संयुक्त राज्य अमेरिका में 20वीं सदी की शुरुआत में देखा जा सकता है। पिताओं को एक विशेष दिन के साथ सम्मानित करने का विचार मदर्स डे के पहले से ही स्थापित उत्सव से प्रेरित था। स्पोकेन, वाशिंगटन की सोनोरा स्मार्ट डोड को अक्सर फादर्स डे की मनाने की शुरुआत करने श्रेय दिया जाता है। वह अपने पिता विलियम जैक्सन स्मार्ट के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए एक विशेष दिन को समर्पित करना चाहती थीं। सोनोरा की माँ का देहांत बचपन में ही हो गया था। सोनोरा व उसके भाई बहनों को उसके पिता ने ही पालपोस कर बड़ा किया था।

सोनोरा अपने पिता का अपनी संतान के प्रति इस समर्पण से कृतज्ञ थीं और अपने पिता को सम्मान में किसी विशेष दिन को समर्पित करना चाहती थीं। उस समय मदर्स डे मनाने की परंपरा शुरु हो चुकी थी और सोनोरा ने लोगों को मदर्स डे मनाते हुए देखे था। अपने पिता के सम्मान में कोई दिन मनाना चाहती थीं।

1909 में, सोनोरा स्मार्ट डोड ने अपने स्थानीय चर्च और समुदाय को अपने पिताओं की तरह पिताओं का सम्मान करने के लिए फादर्स डे का विचार प्रस्तावित किया। पहला फादर्स डे 19 जून, 1910 को स्पोकेन में मनाया गया था, जिसमें पिताओं के सम्मान में विशेष सेवाएँ और गतिविधियाँ आयोजित की गई थीं। समय के साथ, इस उत्सव ने लोकप्रियता हासिल की और अन्य राज्यों और देशों में फैल गया।

फादर्स डे का विकास

शुरू में, फादर्स डे को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली और इसे व्यापक मान्यता नहीं मिली। 1920 और 1930 के दशक तक फादर्स डे को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में स्थापित करने के प्रयासों ने गति नहीं पकड़ी। 1972 में, राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने फादर्स डे को संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय अवकाश बनाने की घोषणा पर हस्ताक्षर किए।

आज, फादर्स डे दुनिया भर में विभिन्न परंपराओं के साथ मनाया जाता है, जैसे बच्चे अपने पिता को उपहार देते हैं, कार्ड देते है, अपने पिता के साथ समय बिताते हैं, उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। ये दिन पूरी तरह पिता के लिए समर्पित रहता है।

फादर्स डे का महत्व

फादर्स डे का बहुत महत्व है क्योंकि यह बच्चों के पालन-पोषण में पिता की भूमिका के प्रति सम्मान प्रकट करता है। यह दिन बेटा-बेटी का अपने पिता के साथ संबंधों को और अधिक मजबूत करने का पर्व है।

अंत में,

फादर्स डे एक विशेष अवसर है जो पिता, पितृत्व का बंधन और पिता के योगदान को प्रकट करने उनके लिए समर्पित है। यह पिता द्वारा अपने परिवारों को दिए जाने वाले निस्वार्थ समर्पण और देखभाल के लिए आभार, प्रेम और सम्मान व्यक्त करने का दिन है। फादर्स डे का इतिहास और विकास हमारे जीवन में पैतृक प्रभाव का सम्मान करने और उसे संजोने के महत्व को उजागर करता है।

फादर्स के डे अवसर पर अपने पिता के लिए समर्पित एक कहानी।

आइए दोस्तों आज मैं आपको एक कहानी सुनाती हूँ। ध्यान से सुनना, क्योंकि यह कोई कहानी नहीं है, सच है मेरा सच ।

मेरा नाम रिंकू है, अरे ! मैं जानती हूँ कि आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा लड़कों जैसा नाम है? दरअसल मैं जब बहुत छोटी थी तो मैं काफी गोलू-मोलू सी थी, बिल्कुल अपने पापा जैसी इसलिए मेरा नाम रिंकू रख दिया । मैं अपने पापा से बहुत प्यार करती हूँ। उन्होंने हमेशा मेरी हर ख्वाहिश को पूरा किया है ।

यह बात उस समय की है जब मैं दसवीं कक्षा में पढ़ती थी । एक शाम जब मेरे पिता जी दफ्तर से घर आए तो मैंने उनके पास एक पैकेट देखा तो उसमें एक उपहार था। अगले दिन मेरा वार्षिक परिणाम घोषित होने वाला था तो उस समय मेरा वार्षिक परीक्षा का परिणाम आने वाला था। मेरे पिता जी शाम को घर आए थे तो उनके पास एक बड़ा सा थैला था। मैंने सोचा कि पापा रोज़ की तरह कुछ खाने को लाए होंगे मैंने जल्दी–जल्दी थैला खोला तो उसमें खाने की चीजों के साथ एक छोटा सा लिफाफा था ।

मैंने जल्दी–जल्दी से उसे खोलकर देखा तो उसमें एक बहुत ही सुन्दर घड़ी थी । मैं बहुत खुश हुई क्योंकि पिता जी ने कहा था कि अगर तुम्हारे 80% अंक आएंगे तो मैं तुम्हें तोहफे मैं घड़ी दूंगा ।

अगले दिन मेरा वार्षिक परिणाम आने वाला था और में ढंग से सो नहीं पाई थी। ठीक से खाना भी नहीं खाया पाई थी और मेरे पिता जी मुझसे भी ज्यादा परेशान थे। मेरे वार्षिक परिणाम को लेकर नहीं बल्कि इस बात से कि मैंने अच्छे से खाना नहीं खाया था ।

मेरा परिणाम आया मैं पास हो गई थी लेकिन मैं बहुत दुखी थी। इसलिए नहीं कि मेरे अंक कम आए थे बल्कि इसलिए क्योंकि अब मुझे घड़ी नहीं मिलेगी । मैं घर आकर बहुत रोई। पर पापा तो पापा होते है। वह शाम को घर आए। हाथ में मिठाई का डिब्बा लेकर और दूसरे हाथ में वही घड़ी का लिफाफा जो मैंने पिछले दिन उनके थैले में देखा था।

मैंने जल्दी से बोल दिया कि मेरे अंक 80% से कम है, पिता जी। पिता जी ने मुझे बड़े प्यार से गले लगाया और मेरे माथे को चूम और मुसकुराते हुए बोले, कोई बात नहीं अगली साल ले आना 80% पर बस रोना नहीं, चलो अब सब को मिठाई खिलाओ सब को पर पहले भगवान जी को भोग लगाओ ।

उनकी जेब खाली होती थी, फिर भी मना करते नहीं देखा, मैंने पापा से अमीर इंसान कभी भी नहीं देखा ।

चलिए अब एक ओर किस्सा सुनाती हूँ। मेरी एक सहेली थी उसके पिता जी उसके लिए कंप्यूटर ले आए बस फिर क्या था फिर तो शाम का इंतजार का इंतजार होने लगा कि कब पिता जी आएं। ठीक उसे समय दरवाज़े की घंटी की आवाज़ आई और मैं भाग कर दरवाज़े पर गई तो सामने पापा खड़े थे ।

मैंने उन्हें फटाफट फ्रिज से ठंडा पानी निकाल कर पिलाया और उनके पास बैठ गई तो उनका पहला सवाल था , क्या चाहिए बेटा । मैं मुसकुराई और मैंने पापा को बताया कि आज मेरी एक सहेली के पापा उसके लिए कंप्यूटर लेकर आए हैं।

रसोई से माँ की आवाज आई कोई जरूरत नहीं है, इन फालतू चीजों की। ये तुम्हारे किसी काम की नहीं है और वैसे भी अभी मार्च का महीना है। तनख्वाह भी थोड़ी देर से मिलेगी। और तो और टैक्स भी इसी महीने जमा करवाना है और फिर तुम्हारी फ़ीस की भी आखिरी तारीख इसी महीने है। पर पापा ने  एक शब्द भी नहीं कहा और न ही मैंने कुछ कहा, बस चुप–चाप बैठ गई ।

कुछ दिनों तक ना तो मैं घर से बाहर खेलने गई और ना किसी से ज्यादा कुछ बात करती थी। तीन–चार दिन बीत जाने के बाद एक दिन मैं अपने कमरे में बैठ कर पढ़ाई कर रही थी। उसी समय पापा की आवाज सुनाई दी और उनके साथ कोई और भी था। वह घर के अंदर आए पर मैं कमरे से बाहर नहीं आई।

पापा ने आवाज़ लगाई रिंकू बेटा बाहर आना ज़रा। मैं उठ कर बाहर कमरे गई तो पापा बोले बेटा बताओ इसे कहाँ लगाना है, यह कंप्यूटर, तुम्हारे कमरे में ? मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा, वह मेरे लिए कंप्यूटर लेकर आए थे।

मैंने जल्दी–जल्दी कंप्यूटर अपने कमरे में लगवाया और उस रात तो मैंने खाना भी अपने कमरे में ही खाया था और मैंने ये जानने तक की भी कोशिश तक नहीं कि वह कितने का है, उसके लिए उनके पास पैसे कहाँ से आए। कुछ दिनों तक तो मैं सुबह उठते ही कंप्यूटर के आगे बैठ जाती थी और रात को देर तक कंप्यूटर पर बैठी रहती थी।

आप सोच रहे होंगे कि मैं कुछ काम तो जरूर करती होंगी तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं था मैं तो कंप्यूटर पर गेम खेलती रहती थी। आज कम से कम दो महीने होंगे, मैंने कंप्यूटर की तरफ देखा भी नहीं है। आज मैं और मेरी माँ बहुत दिनों बाद एक साथ बैठे थे।

माँ बोली, क्या बात है, आजकल कंप्यूटर की तरफ कोई ध्यान ही नहीं, उस पर कितनी धूल जम गई थी। बस हो गया, शौक पूरा पैसे ही खर्च करने थे। क्या तुम्हें मालूम भी है कि तुम्हारे पापा ने इस कंप्यूटर को कैसे खरीदा था? जानती भी हो उनकी पचास हजार की एक सावधि (Fix deposit) जमा थी। वह उन्होंने तुम्हारे इस कंप्यूटर पर खर्च कर दी और जानती हो कि वह तुम्हारे लिए इतनी कीमती घड़ी लेकर आए जबकि उनकी खुद की घड़ी तुम्हारी इस घड़ी से भी आधी कीमत की ही थी।

ऐसे होते है, पिता अपनी इच्छाओं को मार कर अपने बच्चों की खुशियों में खुश होते हैं। मैं जानती हूँ कि मेरे पापा मुझसे बहुत प्यार करते थे और मैं भी अपने पापा से बहुत प्यार करती थी, हूँ और करती रहूँगी।

(I love you and miss you papa)

पापा भले ही आज आप हमसे दूर चले गए हों ,

लेकिन आपका प्यार और दुआ हमेशा मेरे साथ ही चलती है ।


ये भी पढ़ें…

माँ की दुनिया – मदर्स डे पर खास – इतिहास और जानकारी

8 March – International Women Day – 8 मार्च – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास जानें।

NDA Government Cabinet List – नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की पूरी कैबिनेट की लिस्ट जानिए।

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA सरकार का गठन हो गया है। भले ही भारतीय जनता पार्टी को अकेले अपने दम पर पूर्ण नहीं मिला हो लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिल गया है और 10 जून को मोदी सरकार 3.0 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नए मंत्रियों नें शपथ ले ली है। मोदी सरकार की नई कैबिनेट मे कई सांसदों को दुबारा मंत्री बनने का मौका मिला है तो कई नए चेहरों को भी मंत्री बनने का मौका मिला है। इस बार गठबंधन की सरकार होने के कारण बीजेपी के कई सहयोगी दलों को सासंदों को भी प्रमुखता दी गई है जिनमें तेलुगु देशम और जनता दल यूनाइडेट जैसी पार्टियां प्रमुख हैं।

नई सरकार में किसको मंत्री बनने का मौका मिला और किसको कौन का विभाग मिला सब सारी लिस्ट जानिए।

कैबिनेट मंत्री

क्रम
मंत्री का नाम
विभाग
राजनीतिक दल
1नरेंद्र मोदी (प्रधानमंत्री)प्रधानमंत्रीभारतीय जनता पार्टी
2राजनाथ सिंहरक्षा मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
3अमित शाहगृह मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
4नितिन गडकरीसड़क और परिवहन मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
5जेपी नड्डास्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
6शिवराज सिंहकृषि और पंचायती राज मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
7निर्मला सीतरमणवित्र मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
8एस जयशंकरविदेश मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
9मनोहर लाल खट्टरऊर्जा मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
10एचडी कुमारस्वामीभारी उद्योग मंत्री और इस्पात मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
11पीयूष गोयलवाणिज्य और उद्योग मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
12धर्मेंद्र प्रधानशिक्षा मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
13जीतनारम मांझीसूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालयहिंदुस्तानी अवामी मोर्चा
14राजीव रंजन उर्फ ललन सिंहपंचायती राज मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री
सर्बानंद सोनोवाल – बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय
भारतीय जनता पार्टी
15सर्वानंद सोनेवालबंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
16डॉक्टर वीरेंद्र कुमारसामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
17राम मोहन नायडूनागरिक उड्डयन मंत्रीतेलुगु देशम
18प्रह्लाद जोशीउपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
19जुएल ओरांवजनजातीय मामलों का मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
20गिरिराज सिंहकपड़ा मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
21अश्विनी वैष्णवरेल मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
22ज्योतिरादित्य सिंधियासंचार मंत्रालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
23भूपेंद्र यादवपर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
24गजेंद्र सिंह शेखावतसंस्कृति मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
25अन्नपूर्णा देवीमहिला और बाल विकास मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
26किरण रिजिजूसंसदीय कार्य मंत्रालय, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
27हरदीप पुरीपेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
28मनसुख मांडवियाश्रम और रोजगार मंत्रालय, युवा मामले और खेल मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
29जी किशन रेड्डीकोयला मंत्रालय, खान मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
30चिराग पासवानखाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालयलोक जनशक्ति पार्टी
31सीआर पाटिलजल शक्ति मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

क्रम
मंत्री का नाम
विभाग
राजनीतिक दल
32राव इंद्रजीत सिंहयोजना मंत्रालय, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
33जितेंद्र सिंहपृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभागभारतीय जनता पार्टी
34अर्जुन राम मेघवालकानून एवं न्याय मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
35प्रतापराव गणपतराव जाधवआयुष मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालयशिवसेना
36जयंत चौधरीशिक्षा मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालयराष्ट्रीय लोकदल

राज्य मंत्री

क्रम
मंत्री का नाम
विभाग
राजनीतिक दल
37जितिन प्रसादवाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
38श्रीपद यशो नाइकऊर्जा मंत्रालय में राज्य मंत्री, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
39पंकज चौधरीवित्त मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
40कृष्णपाल गुर्जरसहकारिता मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
41रामदास अठावलेसामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालयआरपीआई
42रामनाथ ठाकुरकृषि और किसान कल्याणभारतीय जनता पार्टी
43नित्यानंद रायगृह मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
44अनुप्रिया पटेलस्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालयअपना दल
45वी सोमन्नाजल शक्ति मंत्रालय, रेल मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
46चंद्रशेखर पेम्मासानीग्रामीण विकास मंत्रालय, संचार मंत्रालयतेलुगु देशम
47एसपी सिंह बघेलमत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
48शोभा करांदलाजेसूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, श्रम और रोजगार मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
49कीर्तिवर्धन सिंहपर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, विदेश मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
50बीएल वर्माउपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
51शांतनु ठाकुरबंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
52सुरेश गोपीपेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
53एल मुरगनसूचना और प्रसारण मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
54अजय टम्टासड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
55बंदी संजयगृह मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
56कमलेश पासवानग्रामीण विकास मंत्रालय में राज्य मंत्रीभारतीय जनता पार्टी
57भागीरथ चौधरीकृषि और किसान कल्याण मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
58सतीश दुबेकोयला मंत्रालय, खान मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
59संजय सेठरक्षा मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
60रवनीत सिंह बिट्टूखाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, रेल मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
61दुर्गादास सुइकेजनजातीय मामलों का मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
62रक्षा खडसेयुवा मामले और खेल मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
63सुकांता मजूमदारशिक्षा मंत्राल, पूर्वोत्तर विकास मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
64सावित्री ठाकुरमहिला एवं बाल विकास मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
65तोखन साहूआवास और शहरी मामलों का मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
66राजभूषण चौधरीजलशक्ति मंत्रालभारतीय जनता पार्टी
67श्रीनिवास वर्माभारी उद्योग मंत्रालय, इस्पात मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
68हर्ष मल्होत्राकारपोरेट मामलो का मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
69नीमूबेन बमभानियाउपभोक्ता मामले का मंत्रालय, खाद्य एवं सार्वजनकि वितरण मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
70मुरलीधर मोहोलसहकारिता मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
71जॉर्ज कुरियनअल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी
72पबित्रा मार्गेरिटाविदेश मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालयभारतीय जनता पार्टी

 


ये भी पढ़ें…

18th Lok Sabha Election 2024 All Winner list – लोकसभा की सभी सीटों के विजेता विजेता के नाम जानें।

Ramvriksha Benipuri Biography – रामवृक्ष बेनीपुरी – क्रांतिकारी साहित्यकार – जीवन परिचय

रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी साहित्य के एक महान साहित्यकार रहे थे, जिन्होंने ना केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया बल्कि भारत के स्वाधीनता संग्राम में भी अपना योगदान दिया। वह एक महान साहित्यकार होने के साथ-साथ महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे। आइये उनके जीवन (Ramvriksha Benipuri Biography) को समझते हैं…

रामवृक्ष बेनीपुरी (Ramvriksha Benipuri Biography)

रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी साहित्य के एक महान साहित्यकार थे। वह साहित्यकार होने के साथ-साथ एक क्रांतिकारी भी थे। इसके अलावा उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में पत्रकार, संपादक, गद्य लेखक, शैलीकार आदि भूमिका निभाई। उन्होंने अनेक ललित निबंध, संस्मरण, रिपोर्ताज, ललित निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, नाटक, उपन्यास, कहानी, बाल साहित्य आदि की रचना की। उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने अपनी अनोखी गद्य रचनाओं से हिंदी साहित्य जगत को समृद्ध किया।

जन्म

रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 23 दिसंबर 1899 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर नामक गाँव में हुआ था।

जीवन परिचय

उनके पिता का नाम फूलवंत सिंह था, जो कि एक भूमिहार ब्राह्मण किसान थे। उनके माता-पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था। इस कारण रामवृक्ष बचपन में ही अनाथ हो गए और उनका पालन पोषण उनकी मौसी ने किया था।

चूँकि रामवृक्ष का नाम तो रामवृक्ष सिंह था, लेकिन उन्होंने ‘बेनीपुर’ नामक गाँव में जन्म लिया था, इसी कारण उन्होंने ‘बेनीपुरी’ को अपना साहित्यिक उपनाम बनाया।

रामवृक्ष बेनीपुरी की आरंभिक शिक्षा-दीक्षा उनके गाँव बेनीपुर में ही हुई। बाद में इनकी मौसी के साथ वह ननिहाल चले गए और वहाँ इन की शिक्षा दीक्षा हुई। मैट्रिक परीक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। वह 1920 का वर्ष था। तब वे महात्मा गाँधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर उस आंदोलन में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और ‘ हिंदी विशारद’ की उपाधि प्राप्त की। इसी बीच में भारत के स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़े रहें और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में कई बार जेल भी गए।

जीवन यात्रा

1930 से 1942 ईस्वी के बीच उन्होंने अपना अधिकांश समय जेल में ही बिताया था। इसी अवधि में वह साहित्य सृजन करते रहे और पत्रकारिता से भी जुड़े। उन्होंने हिंदी साहित्य और हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दियाय़ हिंदी साहित्य सृजन करने के साथ-साथ भारत के स्वाधीनता संग्राम में भाग लेते रहे और दोनों क्षेत्रों में समान रूप से सेवा करते रहे।

भारत के स्वाधीनता संग्राम में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा था। उन्होंने राष्ट्रवाद की भावना को लोगों में खूब प्रचारित किया और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपनी संघर्ष को निरंतर जारी रखा। 1931 में उन्होंने समाजवादी दल की भी स्थापना की थी।

1942 में अगस्त क्रांति आंदोलन में भी सक्रिय रूप से शामिल होकर हजारीबाग जेल में भी रहे।

अपनी पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से देशभक्ति की भावना प्रचार करने के कारण उन्हें कई बार जेल जाना पड़ता था।

वह सामाजिक कुरीतियों के भी विरुद्ध रहे थे और उन्होंने हजारीबाग जेल में जनेऊ तोड़ो अभियान भी चलाया जो कि जातिवाद व्यवस्था के विरुद्ध अभियान था।

वह भारत की स्वतंत्रता के बाद 1957 राजनीति में भी शामिल हुए। वह ‘समाजवादी दल’ नामक राजनीतिक दल में बिहार विधानसभा के सदस्य भी बने।

साहित्य यात्रा

रामवृक्ष बेनीपुरी स्वाधीनता संग्रामी, पत्रकार और साहित्यकार सभी कुछ थे।

साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान की बात करें तो उन्होंने अनेक उपन्यास, नाटक, संस्मरण, रेखाचित्र, कहानी जैसी गद्य विधाओं की रचना की।

वे साहित्य की हर गद्य विधा में पूरी तरह पारंगत थे। उनकी समस्त गद्य रचनाएं एक से बढ़कर एक रही हैं।

रामवृक्ष बेनीपुरी ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया जिनमें तरुण भारती, बालक, युवक, किसान, मित्र, जनता, योगी, कैदी, हिमालय, नई धारा, चुन्नू-मुन्नू जैसी पत्रिकाओं के नाम प्रमुख थीं।

बाल साहित्य में भी उनको समान महारत हासिल थी।

साहित्यिक कृतियां

रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित कृपया इस प्रकार हैं

नाटक

  • अमर ज्योति
  • तथागत
  • सिंहल विजय
  • शकुन्तला
  • नया समाज
  • विजेता
  • बैजू मामा
  • रामराज्य
  • नेत्रदान
  • गाँव के देवता
  • अम्बपाली
  • सीता की माँ
  • संघमित्रा

यात्रा वर्णन

  • पैरों में पंख बांधकर.

सम्पादन एवं आलोचन

  • विद्यापति की पदावली
  • बिहारी सतसई की सुबोध टीका

जीवनी

जयप्रकाश नारायण

रेखा चित्र

  • माटी की मूरत

संस्मरण तथा निबन्ध

  • पतितों के देश में
  • चिता के फूल
  • लाल तारा
  • कैदी की पत्नी
  • माटी
  • गेहूँ और गुलाब
  • जंजीरें और दीवारें
  • उड़ते चलो, उड़ते चलो
  • मील के पत्थर
  • ललित गद्य
  • वन्दे वाणी विनायक

पुरुस्कार एवं सम्मान

पुरस्कार एवं सम्मान की बात की जाए तो ‘रामवृक्ष बेनीपुरी’ के सम्मान में 1999 में भारतीय डाक सेवा द्वारा राष्ट्रीय डाक टिकट जारी किया गया, जो उनकी जन्मशती के उपलक्ष में जारी किया गया था। बिहार सरकार द्वारा उनके नाम पर ‘अखिल भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार’ भी दिया जाता है।

देहावसान

हिंदी साहित्य के अनोखे साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी का निधन 9 सितंबर 1968 को मुजफ्फरपुर में हुआ था।

इस तरह रामवृक्ष बेनीपुरी में अपनी अनमोल रचनाओं द्वारा ना केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने में भी अपना बहुमूल्य योगदान दिया। वह केवल साहित्यकार ही नहीं कलम के सच्चे सिपाही थे। उनकी रचनाओं ने सामाजिक आंदोलन खड़े किए हैं और अनेक तरह की परंपराओं और मूल्यों पर प्रहार किया है।

18th Lok Sabha Election 2024 All Winner list – लोकसभा की सभी सीटों के विजेता विजेता के नाम जानें।

18वीं चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं। किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नही मिला है। भारतीय जनता पार्टी 240 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है तो कांग्रेस 99 सीटें जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बनी है। समाजवादी पार्टी ने 37 सीटें जीतकर तीसरा नंबर पाया।

18वीं लोकसभा सीट से किसी राज्य की, किसी सीट पर, किस पार्टी का, कौन सा उम्मीदवार जीता। पूरी लिस्ट जानें।

दिल्ली

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1चांदनी चौकप्रवीण खंडेलवालभारतीय जनता पार्टी
2उत्तर पूर्वी दिल्लीमनोज तिवारीभारतीय जनता पार्टी
3पूर्वी दिल्लीहर्ष मल्होत्राभारतीय जनता पार्टी
4नई दिल्लीबांसुरी स्वराज्यभारतीय जनता पार्टी
5उत्तर पश्चिमी दिल्लीयोगेंद्र चंदोलियाभारतीय जनता पार्टी
6पश्चिमी दिल्लीकमलजीत सहरावतभारतीय जनता पार्टी
7दक्षिण दिल्लीरामवीर बिधूड़ीभारतीय जनता पार्टी

उत्तर प्रदेश

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1अमरोहाकंवर सिंह तंवरभारतीय जनता पार्टी
2मेरठअरुण गोविलभारतीय जनता पार्टी
3गाजियाबादअतुल गर्गभारतीय जनता पार्टी
4गौतमबुद्धनगरडॉ. महेश शर्माभारतीय जनता पार्टी
5बुलंदशहरडॉ. भोला सिंहभारतीय जनता पार्टी
6अलीगढ़सतीश कुमार गौतमभारतीय जनता पार्टी
7हाथरसअनूप प्रधान बाल्मीकिभारतीय जनता पार्टी
8मथुराहेमामालिनी धर्मेंद्र देओलभारतीय जनता पार्टी
9आगराप्रो. एस. पी. सिंह बघेलभारतीय जनता पार्टी
10फतेहपुर सीकरीराजकुमार चाहरभारतीय जनता पार्टी
11बरेलीछत्र पाल सिंह गंगवारभारतीय जनता पार्टी
12पीलीभीतजितिन प्रसादभारतीय जनता पार्टी
13शाहजहांपुरअरुण कुमार सागरभारतीय जनता पार्टी
14हरदोईजय प्रकाशभारतीय जनता पार्टी
15मिसरिखअशोक कुमार रावतभारतीय जनता पार्टी
16उन्नावस्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षीभारतीय जनता पार्टी
17लखनऊराज नाथ सिंहभारतीय जनता पार्टी
18फर्रुखाबादमुकेश राजपूतभारतीय जनता पार्टी
19कानपुररमेश अवस्थीभारतीय जनता पार्टी
20अकबरपुरदेवेंद्र सिंह उर्फ ​​भोले सिंहभारतीय जनता पार्टी
21झांसीअनुराग शर्माभारतीय जनता पार्टी
22फूलपुरप्रवीण पटेलभारतीय जनता पार्टी
23बहराइचआनंद कुमारभारतीय जनता पार्टी
24कैसरगंजकरण भूषण सिंहभारतीय जनता पार्टी
25गोंडाकीर्तिवर्धन सिंहभारतीय जनता पार्टी
26डोमरियागंजजगदंबिका पालभारतीय जनता पार्टी
27महाराजगंजपंकज चौधरीभारतीय जनता पार्टी
28गोरखपुररवींद्र शुक्ला उर्फ ​​रवि किशनभारतीय जनता पार्टी
29कुशी नगरविजय कुमार दुबेभारतीय जनता पार्टी
30देवरियाशशांक मणिभारतीय जनता पार्टी
31बांसगांवकमलेश पासवानभारतीय जनता पार्टी
32वाराणसीनरेंद्र मोदीभारतीय जनता पार्टी
33भदोहीडॉ. विनोद कुमार बिंदभारतीय जनता पार्टी
34कैरानाइकरा चौधरीसमाजवादी पार्टी
35मुजफ्फरनगरहरेंद्र सिंह मलिकसमाजवादी पार्टी
36मुरादाबादरुचि वीरासमाजवादी पार्टी
37रामपुरमोहिबउल्लाहसमाजवादी पार्टी
38संभलजिया उर रहमानसमाजवादी पार्टी
39फिरोजाबादअक्षय यादवसमाजवादी पार्टी
40मैनपुरीडिंपल यादवसमाजवादी पार्टी
41एटादेवेश शाक्यसमाजवादी पार्टी
42बदायूंआदित्य यादवसमाजवादी पार्टी
43आंवलानीरज मौर्यसमाजवादी पार्टी
44खीरीउत्कर्ष वर्मा ‘मधुर’समाजवादी पार्टी
45धौरहराआनंद भदौरियासमाजवादी पार्टी
46मोहनलालगंजआर.के. चौधरीसमाजवादी पार्टी
47सुल्तानपुररामभुआल निषादसमाजवादी पार्टी
48प्रतापगढ़शिव पाल सिंह पटेल डॉ. एस पी सिंहसमाजवादी पार्टी
49इटावाजितेन्द्र कुमार दोहरेसमाजवादी पार्टी
50कन्नौजअखिलेश यादवसमाजवादी पार्टी
51जालौननारायण दास अहिरवारसमाजवादी पार्टी
52हमीरपुरअजेन्द्र सिंह लोधीसमाजवादी पार्टी
53बांदाकृष्णा देवी शिवशंकर पटेलसमाजवादी पार्टी
54फतेहपुरनरेश चन्द्र उत्तम पटेलसमाजवादी पार्टी
55कौशाम्बीपुष्पेन्द्र सरोजसमाजवादी पार्टी
56फैजाबादअवधेश प्रसादसमाजवादी पार्टी
57अंबेडकर नगरलालजी वर्मासमाजवादी पार्टी
58श्रावस्तीराम शिरोमणि वर्मासमाजवादी पार्टी
59बस्तीराम प्रसाद चौधरीसमाजवादी पार्टी
60संत कबीर नगरलक्ष्मीकांत पप्पू निषादसमाजवादी पार्टी
61लालगंजदरोगा प्रसाद सरोजसमाजवादी पार्टी
62आजमगढ़धर्मेन्द्र यादवसमाजवादी पार्टी
63घोसीराजीव रायसमाजवादी पार्टी
64सलेमपुररामाशंकर राजभरसमाजवादी पार्टी
65बलियासनातन पाण्डेयसमाजवादी पार्टी
66जौनपुरबाबू सिंह कुशवाहा प्रिया सरोजसमाजवादी पार्टी
67मछलीशहरअफ़ज़ल अंसारीसमाजवादी पार्टी
68गाजीपुरबीरेंद्र सिंहसमाजवादी पार्टी
69चंदौलीछोटेलालसमाजवादी पार्टी
70रॉबर्ट्सगंजइकरा चौधरीसमाजवादी पार्टी
71सहारनपुरइमरान मसूदभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
72सीतापुरराकेश राठौरभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
73रायबरेलीराहुल गांधीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
74अमेठीकिशोरी लालभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
75इलाहाबादउज्जवल रमन सिंहभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
76बाराबंकीतनुज पुनियाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
77बिजनौरचंदन चौहानराष्ट्रीय लोकदल
78बागपतराजकुमार सांगवानराष्ट्रीय लोकदल
79मिर्जापुरअनुप्रिया पटेलअपना दल
80नगीनाचंद्रशेखर आजादआजाद समाज पार्टी

हिमाचल प्रदेश

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1कांगड़ाडॉ. राजीव भारद्वाजभारतीय जनता पार्टी
2मंडीकंगना राणावतभारतीय जनता पार्टी
3हमीरपुरअनुराग सिंह ठाकुरभारतीय जनता पार्टी
4शिमलासुरेश कुमार कश्यपभारतीय जनता पार्टी

जम्मू कश्मीर

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1बारामुल्लाअब्दुल रशीद शेखनिर्दलीय
2श्रीनगरआगा सैयद रूहुल्लाह मेहदीजम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस
3अनंतनाग-राजौरीमियां अल्ताफ अहमदजम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस
4उधमपुरडॉ. जितेंद्र प्रसादभारतीय जनता पार्टी
5जम्मूजुगल किशोरभारतीय जनता पार्टी

पंजाब

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1गुरदासपुरसुखजिंदर सिंह रंधावाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2अमृतसरगुरजीत सिंह औजलाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
3जालंधरचरणजीत सिंह चन्नीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
4लुधियानाअमरिंदर सिंह राजा वारिंगभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
5फतेहगढ़ साहिबअमर सिंहभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
6फिरोजपुरशेर सिंह घुबायाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
7पटियालाडॉ. धर्मवीर गांधीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
8होशियार पुरडॉ. राजकुमार छब्बेवालआम आदमी पार्टी
9आनंदपुर साहिबमालविंदर सिंह कंगआम आदमी पार्टी
10फरीदपुरगुरमीत सिंह मीत हयारआम आदमी पार्टी
11बठिंडाहरसिमरत कौर बादलअकाली दल
12खडरूर साहिबअमृतपाल सिंहनिर्दलीय
13फरीदकोटसरबजीत सिंह खालसानिर्दलीय

हरियाणा

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1अंबालावरुण चौधरीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2सिरसाशैलजाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
3हिसारजय प्रकाशभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
4सोनीपतसतपाल ब्रह्मचारीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
5रोहतकदीपेंद्र सिंह हुड्डाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
6कुरुक्षेत्रनवीन जिंदलभारतीय जनता पार्टी
7करनालमनोहर लालभारतीय जनता पार्टी
8भिवानी-महेंद्रगढ़धरमबीर सिंहभारतीय जनता पार्टी
9गुड़गांवराव इंद्रजीत सिंहभारतीय जनता पार्टी
10फरीदाबादकृष्ण पालभारतीय जनता पार्टी

उत्तराखंड

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1टिहरी गढ़वालमाला राज्य लक्ष्मी शाहभारतीय जनता पार्टी
2गढ़वालअनिल बलूनीभारतीय जनता पार्टी
3अल्मोड़ाअजय टम्टाभारतीय जनता पार्टी
4नैनीताल-उधमसिंह नगरअजय भट्टभारतीय जनता पार्टी
5हरिद्वारत्रिवेंद्र सिंह रावतभारतीय जनता पार्टी

राजस्थान

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1बीकानेरअर्जुन राम मेघवालभारतीय जनता पार्टी
2जयपुर ग्रामीणराव राजेंद्र सिंहभारतीय जनता पार्टी
3जयपुरमंजू शर्माभारतीय जनता पार्टी
4अलवरभूपेंद्र यादवभारतीय जनता पार्टी
5अजमेरभागीरथ चौधरीभारतीय जनता पार्टी
6पालीपी. पी. चौधरीभारतीय जनता पार्टी
7जोधपुरगजेंद्र सिंह शेखावतभारतीय जनता पार्टी
8जालौरलुंबरमभारतीय जनता पार्टी
9उदयपुरमन्ना लाल रावतभारतीय जनता पार्टी
10चित्तौड़गढ़चंद्र प्रकाश जोशीभारतीय जनता पार्टी
11राजसमंदमहिमा कुमारी मेवाड़भारतीय जनता पार्टी
12भीलवाड़ादामोदर अग्रवालभारतीय जनता पार्टी
13कोटाओम बिरलाभारतीय जनता पार्टी
14झालावाड़-बारांदुष्यंत सिंहभारतीय जनता पार्टी
15गंगानगरकुलदीप इंदौराभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
16चूरूराहुल कस्वांभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
17झुंझुनूबृजेंद्र सिंह ओलाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
18भरतपुरसंजना जाटवभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
19करौली-धौलपुरभजन लाल जाटवभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
20दौसामुरारी लाल मीनाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
21टोंक-सवाई माधोपुरहरीश चंद्र मीनाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
22बाड़मेरउम्मेद राम बेनीवालभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
23सीकरअमराराममार्क्सवदी कम्यूनिस्ट पार्टी
24नागौरहनुमान बेनीवालराष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी
25बांसवाड़ाराज कुमार रोतभारत आदिवासी पार्टी

मध्य प्रदेश

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1मुरैनाशिवमंगल सिंह तोमरभारतीय जनता पार्टी
2भिंडसंध्या रायभारतीय जनता पार्टी
3ग्वालियरभरत सिंह कुशवाहभारतीय जनता पार्टी
4गुनाज्योतिरादित्य एम. सिंधियाभारतीय जनता पार्टी
5सागरडॉ. लता वानखेड़ेभारतीय जनता पार्टी
6टीकमगढ़डॉ. वीरेंद्र कुमारभारतीय जनता पार्टी
7दमोहराहुल सिंह लोधीभारतीय जनता पार्टी
8खजुराहोविष्णु दत्त शर्मा वी.डी. शर्माभारतीय जनता पार्टी
9सतनागणेश सिंहभारतीय जनता पार्टी
10रीवा0जनार्दन मिश्राभारतीय जनता पार्टी
11सीधीडॉ. राजेश मिश्राभारतीय जनता पार्टी
12शहडोलश्रीमती. हिमाद्री सिंहभारतीय जनता पार्टी
13जबलपुरआशीष दुबेभारतीय जनता पार्टी
14मंडलाफग्गन सिंह कुलस्तेभारतीय जनता पार्टी
15बालाघाटभारती पारधीभारतीय जनता पार्टी
16छिंदवाड़ाबंटी विवेक साहूभारतीय जनता पार्टी
17होशंगाबाददर्शन सिंह चौधरीभारतीय जनता पार्टी
18विदिशाशिवराज सिंह चौहानभारतीय जनता पार्टी
19भोपालआलोक शर्माभारतीय जनता पार्टी
20राजगढ़रोडमल नागरभारतीय जनता पार्टी
21देवासमहेंद्र सिंह सोलंकीभारतीय जनता पार्टी
22उज्जैनअनिल फिरोजियाभारतीय जनता पार्टी
23मंदसौरसुधीर गुप्ताभारतीय जनता पार्टी
24रतलामअनीता नागरसिंह चौहानभारतीय जनता पार्टी
25धारसावित्री ठाकुरभारतीय जनता पार्टी
26इंदौरशंकर लालवानीभारतीय जनता पार्टी
27खरगोनगजेंद्र सिंह पटेलभारतीय जनता पार्टी
28खंडवाज्ञानेश्वर पाटिलभारतीय जनता पार्टी
29बैतूलदुर्गादास डी.डी. उइकेभारतीय जनता पार्टी

छत्तीसगढ़

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1सरगुजाचिंतामणि महाराजभारतीय जनता पार्टी
2रायगढ़राधेश्याम राठियाभारतीय जनता पार्टी
3जांजगीर-चांपाकमलेश जांगड़ेभारतीय जनता पार्टी
4बिलासपुरतोखन साहूभारतीय जनता पार्टी
5राजनांदगांवसंतोष पांडेभारतीय जनता पार्टी
6दुर्गविजय बघेलभारतीय जनता पार्टी
7रायपुरबृजमोहन अग्रवालभारतीय जनता पार्टी
8महासमुंदरूप कुमारी चौधरीभारतीय जनता पार्टी
9बस्तरमहेश कश्यपभारतीय जनता पार्टी
10कांकेरभोजराज नागभारतीय जनता पार्टी
11कोबराज्योत्सना चरणदास महंतभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

महाराष्ट्र

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1नंदुरबारएडवोकेट गोवाल कागदा पडवीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2धुलेबच्चाव शोभा दिनेशभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
3अमरावतीबलवंत बसवंत वानखड़ेभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
4रामटेकश्यामकुमार बबलू दौलत बर्वेभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
5भंडारा गोंदियाडॉ. प्रशांत यादोराव पडोलेभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
6गढ़चिरौली – चिमूरडॉ. किरसन नामदेवभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
7चंद्रपुरधनोरकर प्रतिभा सुरेश उर्फ ​​बालूभाऊभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
8नांदेड़चव्हाण वसंतराव बलवंतरावभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
9जालनाकल्याण वैजीनाथराव कालेभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
10मुंबई उत्तर मध्यगायकवाड़ वर्षा एकनाथभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
11लातूरडॉ. कलगे शिवाजी बंदप्पाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
12सोलापुरप्रणिति सुशीलकुमार शिंदेभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
13कोल्हापुरछत्रपति शाहू शाहजीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
14जलगांवस्मिता उदय वाघभारतीय जनता पार्टी
15रावेरखड़से रक्षा निखिलभारतीय जनता पार्टी
16अकोलाअनूप संजय धोत्रेभारतीय जनता पार्टी
17नागपुरनितिन जयराम गडकरीभारतीय जनता पार्टी
18पालघरडॉ. हेमंत विष्णु सावराभारतीय जनता पार्टी
19मुंबई उत्तरपीयूष गोयलभारतीय जनता पार्टी
20पुणेमुरलीधर मोहोलभारतीय जनता पार्टी
21सताराश्रीमंत च. उदयनराजे प्रतापसिंह महाराज भोंसलेभारतीय जनता पार्टी
22रत्नागिरी- सिंधुदुर्गनारायण तातू राणेभारतीय जनता पार्टी
23यवतमाल- वाशिमसंजय उत्तमराव देशमुखशिवसेना यूटीबी
24हिंगोलीआष्टीकर पाटिल नागेश बापूरावशिवसेना यूटीबी
25परभणीजाधव संजय बंडू हरिभाऊशिवसेना यूटीबी
26नासिकराजाभाऊ पराग प्रकाश वाजेशिवसेना यूटीबी
27मुंबई उत्तर पूर्वसंजय दीना पाटिलशिवसेना यूटीबी
28मुंबई दक्षिण मध्यअनिल यशवंत देसाईशिवसेना यूटीबी
29मुंबई दक्षिणअरविंद गणपत सावंतशिवसेना यूटीबी
30शिरडीभाऊसाहेब राजाराम वाकचौरेशिवसेना यूटीबी
31उस्मानाबादओमप्रकाश भूपालसिंह (​​पवन राजेनिम्बालकर)शिवसेना यूटीबी
32वर्धाअमर शरदराव कालेराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP)
33डिंडोरीभास्कर मुरलीधर भागारेराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP)
34भिवंडीबाल्या मामा – सुरेश गोपीनाथ म्हात्रेराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP)
35बारामतीसुप्रिया सुलेराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP)
36शिरूरडॉ. अमोल रामसिंह कोल्हेराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP)
37अहमदनगरनीलेश ज्ञानदेव लंकेराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP)
38बीडबजरंग मनोहर सोनवानेराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP)
39माधामोहिते-पाटिल धैर्यशील राजसिंहराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP)
40बुलढाणाजाधव प्रतापराव गणपतरावशिवसेना
41औरंगाबादभुमारे संदीपनराव आसारामशिवसेना
42कल्याणडॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदेशिवसेना
43ठाणेनरेश गणपत म्हास्केशिवसेना
44मुंबई उत्तर पश्चिमरविंद्र दत्ताराम वायकरशिवसेना
45मावलश्रीरंग अप्पा चंदू बारणेशिवसेना
46हटकनंगलेधैर्यशील संभाजीराव मानेशिवसेना
47रायगढ़तटकरे सुनील दत्तात्रेयराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
48सांगलीविशाल दादा प्रकाशबापू पाटिलनिर्दलीय

गुजरात

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1कच्छचावड़ा विनोद लखमशीभारतीय जनता पार्टी
2पाटनदभी भरतसिंहजी शंकरजीभारतीय जनता पार्टी
3महेसाणाहरिभाई पटेलभारतीय जनता पार्टी
4साबरकांठाशोभनाबेन महेंद्रसिंह बरैयाभारतीय जनता पार्टी
5गांधीनगरअमित शाहभारतीय जनता पार्टी
6अहमदाबाद पूर्वहसमुखभाई पटेल एच.एस.पटेलभारतीय जनता पार्टी
7अहमदाबाद पश्चिमदिनेशभाई मकवाना एडवोकेटभारतीय जनता पार्टी
8सुरेंद्रनगरचंदूभाई छगनभाई शिहोराभारतीय जनता पार्टी
9राजकोटपरषोत्तमभाई रूपालाभारतीय जनता पार्टी
10पोरबंदरडॉ. मनसुख मंडावियाभारतीय जनता पार्टी
11जामनगरपूनमबेन हेमतभाई मादमभारतीय जनता पार्टी
12जूनागढ़चुडासमा राजेशभाई नारनभाईभारतीय जनता पार्टी
13अमरेलीभारतभाई मनुभाई सुतारियाभारतीय जनता पार्टी
14भावनगरनिमुबेन जयंतीभाई बंभानिया निमुबेन बंभानियाभारतीय जनता पार्टी
15आनंदमितेश पटेल बाकाभाईभारतीय जनता पार्टी
16खेड़ादेवुसिंह चौहानभारतीय जनता पार्टी
17पंचमहलराजपालसिंह महेंद्रसिंह जादवभारतीय जनता पार्टी
18दाहोदजसवंतसिंह सुमनभाई भाभोरभारतीय जनता पार्टी
19वडोदराडॉ. हेमंग जोशीभारतीय जनता पार्टी
20छोटा उदयपुरजशुभाई भीलूभाई राठवाभारतीय जनता पार्टी
21भरूचमनसुखभाई धनजीभाई वसावाभारतीय जनता पार्टी
22बारडोलीपरभुभाई नागरभाई वसावाभारतीय जनता पार्टी
23सूरतमुकेशकुमार चंद्रकांत दलाल निर्विरोधभारतीय जनता पार्टी
24नवसारीसी आर पाटिलभारतीय जनता पार्टी
25वलसाडधवल लक्ष्मणभाई पटेलभारतीय जनता पार्टी
26बनासकांठाजेनीबेन नागाजी ठाकोरभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

बिहार

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1वाल्मीकि नगरसुनील कुमारजनता दल यूनाइटेड
2शिवहरलवली आनंदजनता दल यूनाइटेड
3सीतामढ़ीदेवेश चंद्र ठाकुरजनता दल यूनाइटेड
4झंझारपुररामप्रीत मंडलजनता दल यूनाइटेड
5सुपौलदिलेश्वर कामैतजनता दल यूनाइटेड
6मधेपुरादिनेश चंद्र यादवजनता दल यूनाइटेड
7गोपालगंजडॉ. आलोक कुमार सुमनजनता दल यूनाइटेड
8सीवानविजय लक्ष्मी देवीजनता दल यूनाइटेड
9भागलपुरअजय कुमार मंडलजनता दल यूनाइटेड
10बांकागिरिधारी यादवजनता दल यूनाइटेड
11मुंगेरराजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंहजनता दल यूनाइटेड
12नालंदाकौशलेंद्र कुमारजनता दल यूनाइटेड
13पश्चिम चंपारणडॉ. संजय जायसवालभारतीय जनता पार्टी
14पूर्वी चंपारणराधा मोहन सिंहभारतीय जनता पार्टी
15मधुबनीअशोक कुमार यादवभारतीय जनता पार्टी
16अररियाप्रदीप कुमार सिंहभारतीय जनता पार्टी
17दरभंगागोपाल जी ठाकुरभारतीय जनता पार्टी
18मुजफ्फरपुरराज भूषण चौधरीभारतीय जनता पार्टी
19महाराजगंजजनार्दन सिंह “सिग्रीवाल”भारतीय जनता पार्टी
20सारणराजीव प्रताप रूडीभारतीय जनता पार्टी
21उजियारपुरनित्यानंद रायभारतीय जनता पार्टी
22बेगूसरायगिरिराज सिंहभारतीय जनता पार्टी
23पटना साहिबरवि शंकर प्रसादभारतीय जनता पार्टी
24नवादाविवेक ठाकुरभारतीय जनता पार्टी
25वैशालीवीना देवीलोक जनशक्ति पार्टी
26हाजीपुरचिराग पासवानलोक जनशक्ति पार्टी
27समस्तीपुरशांभवीलोक जनशक्ति पार्टी
28खगड़ियाराजेश वर्मालोक जनशक्ति पार्टी
29जमुईअरुण भारतीलोक जनशक्ति पार्टी
30पाटलिपुत्रमिशा भारतीराष्ट्रीय जनता दल
31बक्सरसुधाकर सिंहराष्ट्रीय जनता दल
32जहानाबादसुरेंद्र प्रसाद यादवराष्ट्रीय जनता दल
33औरंगाबादअभय कुमार सिन्हाराष्ट्रीय जनता दल
34किशनगंजमोहम्मद जावेदभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
35कटिहारतारिक अनवरभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
36सासाराममनोज कुमारभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
37आरासुदामा प्रसादमार्क्सवादी कम्प्यूनिस्ट पार्टी
38कराकाटराजा राम सिंहमार्क्सवादी कम्प्यूनिस्ट पार्टी
39गयाजीतन राम मांझीहिंदुस्तानी अवामी मोर्चा
40पूर्णियाराजेश रंजन उर्फ ​​पप्पू यादवनिर्दलीय

झारखंड

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1गोड्डानिशिकांत दुबेभारतीय जनता पार्टी
2चतराकाली चरण सिंहभारतीय जनता पार्टी
3कोडरमाअन्नपूर्णा देवीभारतीय जनता पार्टी
4धनबाददुलु महतोभारतीय जनता पार्टी
5रांची8संजय सेठभारतीय जनता पार्टी
6जमशेदपुरबिद्युत बरन महतोभारतीय जनता पार्टी
7पलामूविष्णु दयाल रामभारतीय जनता पार्टी
8हजारीबागमनीष जायसवालभारतीय जनता पार्टी
9राजमहलविजय कुमार हंसदकझारखंड मुक्ति मोर्चा
10दुमकानलिन सोरेनझारखंड मुक्ति मोर्चा
11सिंहभूमजोबा माझीझारखंड मुक्ति मोर्चा
12खूंटीकाली चरण मुंडाइंडियन नेशनल कांग्रेस
13लोहरदगासुखदेव भगतइंडियन नेशनल कांग्रेस
14गिरिडीहचंद्र प्रकाश चौधरीएसजेऊ पार्टी

तमिलनाडु

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1चेन्नई उत्तरडॉ. कलानिधि वीरस्वामीद्रविड़ मुनेत्र कषगम
2चेन्नई दक्षिणटी. सुमति उपनाम थामिझाची थंगापांडियनद्रविड़ मुनेत्र कषगम
3चेन्नई सेंट्रलदयानिधि मारनद्रविड़ मुनेत्र कषगम
4श्रीपेरंबदूरटी आर बालूद्रविड़ मुनेत्र कषगम
5कांचीपुरमसेल्वम. जीद्रविड़ मुनेत्र कषगम
6अरक्कोणमएस जगथराचकनद्रविड़ मुनेत्र कषगम
7वेल्लोरडीएम कथिर आनंदद्रविड़ मुनेत्र कषगम
8धर्मपुरी0मणि. ए.द्रविड़ मुनेत्र कषगम
9तिरुवन्नामलाईअन्नादुरई, सी.एन.द्रविड़ मुनेत्र कषगम
10अरणीथारनिवेंथन एम एसद्रविड़ मुनेत्र कषगम
11कल्लाकुरिचीमलाइयारासन डीद्रविड़ मुनेत्र कषगम
12सलेमसेल्वागणपति टी एमद्रविड़ मुनेत्र कषगम
13नमक्कलमथेश्वरन वी एसद्रविड़ मुनेत्र कषगम
14इरोडके ई प्रकाशद्रविड़ मुनेत्र कषगम
15नीलगिरीराजा एद्रविड़ मुनेत्र कषगम
16कोयंबटूर0गणपति राजकुमार पीद्रविड़ मुनेत्र कषगम
17पोल्लाचीईश्वरसामी केद्रविड़ मुनेत्र कषगम
18पेरम्बलुरअरुण नेहरूद्रविड़ मुनेत्र कषगम
19तंजावुर0मुरासोली एसद्रविड़ मुनेत्र कषगम
20थेनीथंगा तमिलसेल्वनद्रविड़ मुनेत्र कषगम
21थूथुक्कुडीकनिमोझी करुणानिधिद्रविड़ मुनेत्र कषगम
22तेनकासीडॉ रानी श्री कुमारद्रविड़ मुनेत्र कषगम
23तिरुवल्लूरशशिकांत सेंथिलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
24कृष्णागिरीगोपीनाथ केभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
25करूरजोथिमणि. एसभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
26कुड्डालोरएम.के. विष्णुप्रसादभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
27मयिलादुथुराईसुधा आरभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
28शिवगंगाकार्ति पी चिदंबरमभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
29विरुधुनगरमणिकम टैगोर बीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
30तिरुनेलवेलीरॉबर्ट ब्रूस सीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
31कन्याकुमारीविजयकुमार उपनाम विजय वसंतभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
32विलुप्पुरमरविकुमार. डीविदुथलाई चिरुथैगल काची – वीसीके
33चिदंबरमथिरुमावलवन थोलविदुथलाई चिरुथैगल काची – वीसीके
34तिरुप्पुरसुब्बारायण, के.भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – सीपीआई
35नागापट्टिनमसेल्वाराज वीभारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – सीपीआई
36डिंडीगुलसचिथनंथम आरभारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी
37मदुरैवेंकटेशन एसभारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी
38तिरुचिरापल्लीदुरई वाइकोमरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम
39रामनाथपुरमनवस्कानी केइंडियन यूनियन मुस्लिम लीग

केरल

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1कासरगोडराजमोहन उन्नीथनसही
2कन्नूरके. सुधाकरनइंडियन नेशनल काँग्रेस
3वडकराशफी परम्बिलइंडियन नेशनल काँग्रेस
4वायनाडराहुल गांधीइंडियन नेशनल काँग्रेस
5कोझीकोडएम. के. राघवनइंडियन नेशनल काँग्रेस
6पालक्काडवी. के. श्रीकंदनइंडियन नेशनल काँग्रेस
7चालकुडीबेनी बेहननइंडियन नेशनल काँग्रेस
8एरनाकुलमहिबी ईडनइंडियन नेशनल काँग्रेस
9इदुक्कीएडव. डीन कुरियाकोसइंडियन नेशनल काँग्रेस
10अलपुझाके. सी. वेणुगोपालइंडियन नेशनल काँग्रेस
11मावेलीक्कराकोडिकुन्निल सुरेशइंडियन नेशनल काँग्रेस
12पथनमथीट्टाअंतो अंतनिइंडियन नेशनल काँग्रेस
13अट्टिगंगलएडव. अदूर प्रकाशइंडियन नेशनल काँग्रेस
14तिरुवनंतपुरमशशि थरूरइंडियन नेशनल काँग्रेस
15मलप्पुरमई.टी. मोहम्मद बशीरइंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
16पोन्नानीडॉक्टर. एम.पी. अब्दुस्समद समदानीइंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
17अलथुरके. राधाकृष्णनकम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (एम)
18त्रिसूरसुरेश गोपीभारतीय जनता पार्टी
19कोट्ट्यमएडव. के. फ्रांसिस जॉर्जकेरल कांग्रेस
20कोल्लमएन. के. प्रेमचंद्रनरिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी

कर्नाटक

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1बेलगामजगदीश शेट्टारभारतीय जनता पार्टी
2बागलकोटगद्दीगौदर पर्वतगौड़ा चंदनगौड़ाभारतीय जनता पार्टी
3बीजापुररमेश जिगाजिनागीभारतीय जनता पार्टी
4हावेरीबसवराज बोम्मईभारतीय जनता पार्टी
5धारवाड़प्रल्हाद जोशीभारतीय जनता पार्टी
6उत्तर कन्नड़विश्वेश्वर हेगड़े कागेरीभारतीय जनता पार्टी
7शिमोगाबी.वाई.राघवेंद्रभारतीय जनता पार्टी
8उदीपी चिकमगलूरकोटा श्रीनिवास पुजारीभारतीय जनता पार्टी
9दक्षिण कन्नड़क्यप्तान ब्रिजेश चौटाभारतीय जनता पार्टी
10चित्रदुर्गगोविंद मकथप्पा करजोलभारतीय जनता पार्टी
11टुमकुरवी. सोमन्नाभारतीय जनता पार्टी
12मैसूरयदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियारभारतीय जनता पार्टी
13बंगलौर ग्रामीणडॉ. सी एन मंजूनाथभारतीय जनता पार्टी
14बंगलौर उगटरशोभा करंदलाजेभारतीय जनता पार्टी
15बंगलौर केंडेरियनपी सी मोहनभारतीय जनता पार्टी
16बंगलौर दक्षिणतेजस्वी सूर्याभारतीय जनता पार्टी
17चिककबल्लापुरडॉ.के.सुधाकरभारतीय जनता पार्टी
18चिककोडीप्रियंका सतीश जारकीहोलीइंडियन नेशनल कांग्रेस
19गुलबर्गाराधाकृष्णइंडियन नेशनल कांग्रेस
20रायचूरजी. कुमार नाइक.इंडियन नेशनल कांग्रेस
21बीदरसागर ईश्वर खंड्रेइंडियन नेशनल कांग्रेस
22कोप्पलके. राजशेखर बसवराज हितनालइंडियन नेशनल कांग्रेस
23बेल्लारीई तुकारामइंडियन नेशनल कांग्रेस
24दावनगेरेडॉ. प्रभा मल्लिकार्जुनइंडियन नेशनल कांग्रेस
25हसनश्रेयस. एम. पटेलइंडियन नेशनल कांग्रेस
26चामराजनगरसुनील बोसइंडियन नेशनल कांग्रेस
27मानदयाएच.डी. कुमारस्वामीजनता दल (सेक्युलर)
28कोलारएम. मल्लेश बाबूजनता दल (सेक्युलर)

आंध्र प्रदेश

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1श्रीकाकुलमकिंजरापु राममोहन नायडूतेलुगु देशम्
2विजयनगरमअप्पलानैदु कालीसेट्टीतेलुगु देशम्
3विशाखापटनमश्रीभारत मथुकुमिलीतेलुगु देशम्
4अमलापुरम एससीजी एम हरीश बालयोगीतेलुगु देशम्
5इलुरुपुट्टा महेश कुमारतेलुगु देशम्
6विजयवाड़ाकेसिनेनी शिवनाथ चिन्नीतेलुगु देशम्
7गुंटुरडॉ. चंद्र शेखर पेम्मासनीतेलुगु देशम्
8नरसावपेटलावु श्रीकृष्ण देवरायलुतेलुगु देशम्
9बापताला एससीकृष्ण प्रसाद तेनेटीतेलुगु देशम्
10ओंगोलेमगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डीतेलुगु देशम्
11नंदयालडॉ. बायरेड्डी शबरीतेलुगु देशम्
12कुर्नुलुबस्तीपति नागराजू पंचलिंगलातेलुगु देशम्
13अनंतपुरअंबिका जी लक्ष्मीनारायण वाल्मीकितेलुगु देशम्
14हिंदुपुरबी के पार्थसारथीतेलुगु देशम्
15नेल्लोरप्रभाकर रेड्डी वेमिरेड्डीतेलुगु देशम्
16चित्तूर एससीदग्गुमल्ला प्रसाद रावतेलुगु देशम्
17अरकू एसटीगुम्मा थानुजा रानीयुवजन श्रमिक रयाथु पार्टी
18कडापावाई.एस. अविनाश रेड्डीयुवजन श्रमिक रयाथु पार्टी
19थिरुपथी एससीगुरुमूर्ति मदिलायुवजन श्रमिक रयाथु पार्टी
20राजमपेटपी वी मिधुन रेड्डीयुवजन श्रमिक रयाथु पार्टी
21अनकापल्लीसी.एम.रमेशभारतीय जनता पार्टी
22राजामुन्दरीदग्गुबाती पुरंदेश्वरीभारतीय जनता पार्टी
23नरसापुरमभूपति राजू श्रीनिवास वर्मा बी.जे.पी.वर्माभारतीय जनता पार्टी
24काकीनाडातांगेला उदय श्रीनिवास टी टाइम उदयजनसेना पार्टी
25मछलीपटनमबालाशौरी वल्लभनेनीजनसेना पार्टी

तेलंगाना

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1आदिलाबादगोडम नागेशभारतीय जनता पार्टी
2करीमनगरबंदी संजय कुमारभारतीय जनता पार्टी
3निज़ामाबादअरविंद धर्मपुरीभारतीय जनता पार्टी
4मेडकमाधवनेनी रघुनंदन रावभारतीय जनता पार्टी
5मलदेकाजगिरिईटल राजेंदरभारतीय जनता पार्टी
6सिकन्दारबादजी. किशन रेड्डीभारतीय जनता पार्टी
7चेवेल्लाकोंडा विश्वेश्वर रेड्डीभारतीय जनता पार्टी
8महबूबनगरअरुणा. डी. केभारतीय जनता पार्टी
9पेड्डापलदेलेवामसी कृष्ण गद्दामइंडियन नेशनल कांग्रेस
10ज़हीराबादसुरेश कुमार शेतकारइंडियन नेशनल कांग्रेस
11नगरकुरनूलडॉ.मल्लू रविइंडियन नेशनल कांग्रेस
12नलगोन्दाकुंदूरु रघुवीरइंडियन नेशनल कांग्रेस
13भोंगीरचामला किरण कुमार रेड्डीइंडियन नेशनल कांग्रेस
14वारंगलकदियाम काव्याइंडियन नेशनल कांग्रेस
15महबूबाबादबलराम नाइक पोरिकाइंडियन नेशनल कांग्रेस
16खम्मामरामसहायम रघुराम रेड्डीइंडियन नेशनल कांग्रेस
17हैदराबादअसदुद्दीन ओवैसीऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन

पश्चिम बंगाल

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1जगदीश चंद्र बर्मा बसुनियातृणमूल कांग्रेस
2जंगीपुरखलीलुर रहमानतृणमूल कांग्रेस
3बहरामपुरपठान यूसुफतृणमूल कांग्रेस
4मुर्शिदाबादअबू ताहिर खानतृणमूल कांग्रेस
5कृष्णानगरमहुया मैत्रतृणमूल कांग्रेस
6बैरकपुरपार्थ भौमिकतृणमूल कांग्रेस
7दमदमसौगत रॉय रायतृणमूल कांग्रेस
8बारासातकाकली घोष दस्तीदारतृणमूल कांग्रेस
9बसीरहाटसेख नूरुल इस्लामतृणमूल कांग्रेस
10जयनगरप्रतिमा मंडलतृणमूल कांग्रेस
11मथुरापुरबापी हलदरतृणमूल कांग्रेस
12डायमन्ड हार्बरअभिषेक बनर्जीतृणमूल कांग्रेस
13जादवपुरसयानी घोषतृणमूल कांग्रेस
14कोलकाता दक्षिणमाला रायतृणमूल कांग्रेस
15कोलकाता उत्तरबंदोपाध्याय सुदीपतृणमूल कांग्रेस
16हावड़ाप्रसून बनर्जीतृणमूल कांग्रेस
17उलुबेरियासजदा अहमदतृणमूल कांग्रेस
18श्रीरामपुरकल्याण बनर्जीतृणमूल कांग्रेस
19हुगलीरचना नदीतृणमूल कांग्रेस
20आरामबागबाग मितालीतृणमूल कांग्रेस
21घाटलअधिकारी दीपक देवतृणमूल कांग्रेस
22झाड़ग्रामकालीपद सरेन खेरवालतृणमूल कांग्रेस
23मेदिनीपुरजून मालियातृणमूल कांग्रेस
24बंकुराअरूप चक्रवर्तीतृणमूल कांग्रेस
25बर्धमान पूर्वदः शर्मिला सरकारतृणमूल कांग्रेस
26बर्धवान-दुर्गापुरआज़ाद कीर्ति झातृणमूल कांग्रेस
27आसनसोलशत्रुघ्न प्रसाद सिन्हातृणमूल कांग्रेस
28बोलपुरअसित कुमार मालतृणमूल कांग्रेस
29बीरभूमशताब्दी रायतृणमूल कांग्रेस
30अलीपुर द्वारसमनोज तिग्गाभारतीय जनता पार्टी
31जलपाईगुड़ीडॉ जयंत कुमार रॉयभारतीय जनता पार्टी
32दार्जिलिंगराजू बिष्टभारतीय जनता पार्टी
33रायगंजकार्तिक चंद्र पॉलभारतीय जनता पार्टी
34बालूरघाटसुकांता मजूमदारभारतीय जनता पार्टी
35मालदहा उत्तारखगेन मुर्मूभारतीय जनता पार्टी
36रणघाटजगन्नाथ सरकारभारतीय जनता पार्टी
37बनगांवशांतनु ठाकुरभारतीय जनता पार्टी
38तामलुकअभिजीत गंगोपाध्यायभारतीय जनता पार्टी
39कांथीअधिकारी सौमेन्दुभारतीय जनता पार्टी
40पुरूलियाज्योतिर्मय सिंह महातोभारतीय जनता पार्टी
41बिशनुपुरखान सौमित्रभारतीय जनता पार्टी
42मालदहा दक्षिणईशा खान चौधरीइंडियन नेशनल कांग्रेस

असम

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1दारंग-उदलगुड़ीदिलीप शिकीयाभारतीय जनता पार्टी
2गुवाहाटीबिजुली कलिता मेधीभारतीय जनता पार्टी
3डिफूअमरसिंग तिस्सोभारतीय जनता पार्टी
4करीमगंजकृपानाथ मल्लाहभारतीय जनता पार्टी
5सिलचरपरिमल शुक्लबैद्यभारतीय जनता पार्टी
6काजीरंगाकामाख्या प्रसाद तासाभारतीय जनता पार्टी
7सोनितपुररणजीत दत्ताभारतीय जनता पार्टी
8लखीमपुरतक्षक बरुवाभारतीय जनता पार्टी
9डिब्रुगढ़सर्बानंद सोनावालभारतीय जनता पार्टी
10धुबरीरकीबुल हुसैनइंडियन नेशनल कांग्रेस
11नगांवप्रधुत बोरदोलोईइंडियन नेशनल कांग्रेस
12जोरहाटगौरव गोगोईइंडियन नेशनल कांग्रेस
13कोकराझारजोयंता बसुमतारीयुनाईटेड पीपुल्स पार्टी, लिबरल
14बरपेटाफनी भूषण चौधरीअसम गण परिषद

सिक्किम

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1सिक्किमइंदिरा हांस सुब्बासिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा

मिजोरम

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1मिजोरमरिचर्ड वानलालहमंगईहाज़ोराम पीपुल्स मूवमेंट

अरुणाचल प्रदेश

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1अरुणाचल पश्चिमकिरण रिजिजुभारतीय जनता पार्टी
2अरुणाचल पूर्वतापिर गावभारतीय जनता पार्टी

नागालैंड

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1नागालैंडएस सुपोंगमेरेन जमीरभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

त्रिपुरा

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1त्रिपुरा पूर्वकृति देवी देवबर्मनभारतीय जनता पार्टी
2त्रिपुर पश्चिमबिप्लब कुमार देवभारतीय जनता पार्टी

मेघालय

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1शिलांगसलेंग ए संगमाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2तुराडॉ. रिकी एंड्रयू जे. सिंगकोनवॉइस ऑफ द पीपुल्स पार्टी

मणिपुर

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1बाहरी मणिपुरअल्फ्रेड कन्नगाम एस आर्थरभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2आंतरिक मणिपुरअंगोमचा बिमोल अकोइजमभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस


गोवा

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1नार्थ गोआश्रीपद येसो नाइकभारतीय जनता पार्टी
2साउथ गोआकप्तान विरिएटो फर्नांडीसभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1अंडमान-निकोबार द्वीप समूहविष्णु पाडा रेभारतीय जनता पार्टी

चंडीगढ़

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1चंडीगढ़मनीष तिवारीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1दादरा नगर और हवेलीडेलकर कलाबेन मोहनभाईभारतीय जनता पार्टी
2दमन और दीवपटेल उमेशभाई बाबूभाईनिर्दलीय


लद्दाख

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1लद्दाखमोहम्मद हनीफानिर्दलीय

लक्षद्वीप

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1लक्षद्वीपमुहम्मद हमदुल्लाह सईदभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

पुडुचेरी 

क्रमलोकसभा सीटविजेता का नामराजनीतिक दल
1पुड्डुचेरीवी वैथिलिंगमभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

 

9वें टी20 वर्ल्ड कप 2024 के सभी मैचों का रिजल्ट

टूर्नामेंट का नाम 

9Th Men’s ICC T20 Word Cup 2024 (USA& West Indies)

टूर्नामेंट का समय : 1 जून 2024 से 29 जून 2024

टूर्नामेंट में भाग लेने वाली सभी 20 टीमें और ग्रुप

ग्रुप – Aभारतपाकिस्तानअमेरिकाकनाडाआयरलैंड
ग्रुप – Bइंग्लैंडऑस्ट्रेलियास्कॉटलैंडनामीबियाओमान
ग्रुप – Cवेस्ट इंडीजन्यूजीलैंडअफगानिस्तानयुगांडापापुआ न्यू गिनी
ग्रुप – Dदक्षिणी अफ्रीकाश्रीलंकाबांग्लादेशनीदरलैंडनेपाल

प्वाइंट टेबल

ग्रुप Aमैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलप्वाइंटनेट रनरेट
भारत43017+1.137
यूनाइटेड स्टेट्स42115+0.127
पाकिस्तान42204+0.294
कनाडा41213-0.493
आयरलैंड40211-0.594

 

ग्रुप Bमैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलप्वाइंटनेट रनरेट
ऑस्ट्रेलिया44008+2.091
इंग्लैंड42115+3.611
स्कॉटलैंड42115+1.255
नामीबिया41302-2.539
ओमान40300-3.062

 

ग्रुप Cमैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलप्वाइंटनेट रन रेट
वेस्टइंडीज44008+3.257
अफगानिस्तान43006+1.835
न्यूजीलैंड41204+0.415
युगांडा41102-4.510
पापुआ न्यू गिनी40300-1.268

 

ग्रुप Dमैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलप्वाइंटनेट रन रेट
साउथ अफ्रीका44008+0.470
बांग्लादेश43106+0.616
नीदरलैंड41302+0.863
श्रीलंका41212-1.358
नेपाल40311-0.542

सुपर 8 प्वाइंट टेबल

ग्रुप 1

ग्रुप Bमैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलप्वाइंटनेट रनरेट
भारत33006+2.017
अफगानिस्तान32104-0.267
ऑस्ट्रेलिया31202-0.331
बांग्लादेश30300-1.714

ग्रुप 2

ग्रुप Cमैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलप्वाइंटनेट रन रेट
दक्षिणी अफ्रीका33006+0.780
इंग्लैंड31104+1.992
वेस्टइंडीज31202+0.686
यूएसए30300-2.908

 

सभी मैचों का रिजल्ट 

मैच नं. 1

संयुक्त राज्य अमेरिका Vs कनाडा

  • तारीख : 2 जून 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 6.00 सुबह (भारतीय समयानुसार)│8.30 शाम (लोकल टाइम) 1 जून 2024
  • वेन्यू : ग्रैंड प्रेयरी स्टेडियम, डलास
  • टॉस : अमेरिका (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : संयुक्त राज्य अमेरिका ने कनाडा को 7 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : आरोन जोन्स
  • फाइनल स्कोर : Canada – 194/5 (20)│USA – 197/3 (17.4)

मैच नं. 2

वेस्ट इंडीज Vs पापुआ न्यू गिनी

  • तारीख :  2 जून 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 8.00 शाम (भारतीय समयानुसार) 10.30 सुबह (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : प्रोविडेंस स्टेडियम, गयाना
  • टॉस : वेस्टडंडीज (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : वेस्टडंडीज ने पापुआ न्यू गिनी को 5 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रोस्टन चेज
  • फाइनल स्कोर : पापुआ न्यू गिनी – 136/8 (20)│वेस्टइंडीज – 137/5 (19)

मैच नं. 3

नामीबिया Vs ओमान

  • तारीख : 3 जून 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 6.00 सुबह (भारतीय समयानुसार) │8.30 शाम (लोकल टाइम) 2 जून 2024
  • वेन्यू : केंसिंग्टन ओवल, ब्रिजटाउन, बारबाडोस
  • टॉस : नामीबिया (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : नामीबिया ने ओमान को सुपर ओवर में हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : डेविड विजे
  • फाइनल स्कोर : ओमान – 109/10 (19.4)│नामीबिया – 109/6 (20) (मैच टाइ)
  • Super Over – नामीबिया – 20/0 (1) │ओमान – 9/1 (1)

मैच नं. 4

साउथ अफ्रीका Vs श्रीलंका

  • तारीख : 3 जून 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 8.00 शाम (10.30 सुबह लोकल टाइम)
  • वेन्यू : नासाउ काउंटी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, न्यूयॉर्क
  • टॉस : दक्षिणी अफ्रीका (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : दक्षिणी अफ्रीका ने श्रीलंका को 6 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : हेनरिक नौर्के
  • फाइनल स्कोर : श्रीलंका – 77/10 (19.1)│दक्षिणी अफ्रीका – 80/4 (16.2)

मैच नं. 5

अफगानिस्तान Vs युगांडा

  • तारीख : 4 जून 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 6.00 सुबह (8.30 रात लोकल टाइम)
  • वेन्यू : प्रोविडेंस स्टेडियम, गयाना
  • टॉस : युगांडा (बॉलिंग)
  • परिणाम : अफगानिस्तान ने युगांडा को 125 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : फ़ज़लहक फ़ारूक़ी
  • फाइनल स्कोर : अफगानिस्तान – 183/5 /20)│युगांडा – 58/10 (16)

मैच नं. 6

इंग्लैंड Vs स्कॉटलैंड

  • तारीख : 4 जून 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 8.00 PM (10.30 AM लोकल टाइम)
  • वेन्यू : केंसिंग्टन ओवल, ब्रिजटाउन, बारबाडोस
  • टॉस : स्कॉटलैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : बारिश के कारण मैच पूरा नही हो सका केवल 10 ओवर का ही खेल हुआ।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : कोई नही
  • फाइनल स्कोर : कोई रिजल्ट नहीं।

मैच नं. 7

नीदरलैंड Vs नेपाल

  • तारीख : 4 जून 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 9.00 PM (10.30 रात लोकल टाइम)
  • वेन्यू : ग्रैंड प्रेयरी स्टेडियम, डलास, यूएसए
  • टॉस : नीदरलैंड (बॉलिंग)
  • परिणाम : नीदरलैंड ने नेपाल को 6 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : टिम प्रिंगल
  • फाइनल स्कोर : नेपाल – 106/10 (19.2)│नीदरलैंड – 109/4 (18.4)

मैच नं. 8

भारत Vs आयरलैंड

  • तारीख : 5 जून 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 8.00 PM (10.30 रात लोकल टाइम)
  • वेन्यू : नासाउ काउंटी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, न्यूयॉर्क
  • टॉस : भारत (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : भारत ने आयरलैंड को 8 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : जसप्रीत बुमराह
  • फाइनल स्कोर : आयरलैंड – 96/10 (16)│भारत – 97/2 (12.2)

मैच नं. 9

पापुआ न्यू गिनी Vs युगांडा

  • तारीख : 6 जून 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 5.00 AM (7.30 रात लोकल टाइम)
  • वेन्यू : प्रोविडेंस स्टेडियम, गयाना
  • टॉस : युगांडा (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : युगांडा ने पापुआ न्यू गिनी को 3 विकेट  से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रियाजत अली शाह
  • फाइनल स्कोर : पापुआ न्यू गिन – 77/10 (19.1) │युगांडा – 78/7 (18.2)

मैच नं. 10

ऑस्ट्रेलिया Vs ओमान

  • तारीख : 6 जून 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 6.00 AM │8.30 रात लोकल टाइम (5 जून)
  • वेन्यू : केंसिंग्टन ओवल, ब्रिजटाउन, बारबाडोस
  • टॉस : ओमान (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : ऑस्ट्रेलिया ने ओमन का 39 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मार्कस स्टोइनिस
  • फाइनल स्कोर : ऑस्ट्रेलिया – 194/5 (20) │ओमान – 125/9 (19)

मैच नं. 11

 अमेरिका Vs पाकिस्तान

  • तारीख : 6 जून 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 9.00 PM │10.30 AM लोकल टाइम
  • वेन्यू : ग्रैंड प्रेयरी स्टेडियम, डलास, यूएसए
  • टॉस :  अमेरिका (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : अमेरिका ने पाकिस्तान को सुपर ओवर में हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मोनांक पटेल
  • फाइनल स्कोर : पाकिस्तान – 159/7 (20)│अमेरिका – 159/9 (20)
    सुपर ओवर – अमेरिका – 18/1 (1)│पाकिस्तान – 13/1 (1)

मैच नं. 12

स्कॉटलैंड Vs नामीबिया

  • तारीख : 6 जून 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 12.30 AM│3.00 PM लोकल टाइम
  • वेन्यू : केंसिंग्टन ओवल, ब्रिजटाउन, बारबाडोस
  • टॉस : नामीबिया (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : स्कॉटलैंड ने नामीबिया को 5 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : माइकल लीस्क
  • फाइनल स्कोर : नामीबिया – 155/9(20)│स्कॉटलैंड – 157/5 (18.3)

मैच नं. 13

कनाडा Vs आयरलैंड

  • तारीख : 7 जून 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 AM लोकल टाइम
  • वेन्यू : नासाउ काउंटी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, न्यूयॉर्क
  • टॉस : आयरलैंड (बॉलिंग बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : कनाडा ने आयरलैंड को 12 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : निकोलस कीर्टन
  • फाइनल स्कोर : कनाडा – 137/7 (20)│125/7 (20)

मैच नं. 14

न्यूजीलैंड Vs अफगानिस्तान

  • तारीख : 7 जून 2024 (8 जून 2024 भारत)
  • दिन : शुक्रवार (शनिवार भारत में)
  • समय : 5.00 AM │7.30 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : प्रोविडेंस स्टेडियम, गयाना
  • टॉस : न्यूजीलैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : अफगानिस्तान ने न्यूजीलैंड को 84 से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रहमुल्लाह गुरबाज
  • फाइनल स्कोर : अफगानिस्तान – 159/6 (20)│75/10 (15.22)

मैच नं. 15

श्रीलंका Vs बांग्लादेश 

  • तारीख : 7 जून 2024 (8 जून भारत)
  • दिन : शुक्रवार (शनिवार भारत में)
  • समय : 6 AM│7.30 PM लोकल टाइम
  • वेन्यू : ग्रैंड प्रेयरी स्टेडियम, डलास, यूएसए
  • टॉस : बांग्लादेश (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : बांग्लादेश ने श्रीलंका को 2 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : तौहीद हृदय
  • फाइनल स्कोर : श्रीलंका – 124/9 (20)│अफगानिस्तान – 125/8 (19)

मैच नं. 16

नीदरलैंड Vs साउथ अफ्रीका

  • तारीख : 8 जून 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 8.00 PM │10.30 AM लोकल टाइम
  • वेन्यू : नासाउ काउंटी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, न्यूयॉर्क
  • टॉस : दक्षिणी अफ्रीका (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : दक्षिणी अफ्रीका ने नीदरलैंड को 4 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : ओट्टनील बार्टमैन
  • फाइनल स्कोर : नीदरलैंड – 103/9 (20)│दक्षिणी अफ्रीका – 106/6 (18.5)

मैच नं. 17

ऑस्ट्रेलिया Vs इंग्लैंड

  • तारीख : 8 जून 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 10.30 PM│1.00 PM लोकल टाइम
  • वेन्यू : केंसिंग्टन ओवल, ब्रिजटाउन, बारबाडोस
  • टॉस : इंग्लैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 36 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : एडम जैम्पा
  • फाइनल स्कोर : ऑस्ट्रेलिया – 201/7 (20)│इंग्लैंड – 136/6 (20)

मैच नं. 18

वेस्टइंडीज Vs युगांडा

  • तारीख : 8 जून 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 12.30 AM (9 जून)│8.30 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : प्रोविडेंस स्टेडियम, गयाना
  • टॉस : वेस्टइंडीज (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : वेस्टइंडीज ने युगांडा को 134 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : अकील होसेन
  • फाइनल स्कोर : वेस्टइंडीज – 173/5 (20)│युगांडा – 39/10 (12)

मैच नं. 19

भारत Vs पाकिस्तान

  • तारीख : 9 जून 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 8 PM │10.30 AM  (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : नासाउ काउंटी इंटरनेशनल स्टेडियम, न्यूयॉर्क
  • टॉस : पाकिस्तान (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : भारत ने पाकिस्तान को 6 रनो से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : जसप्रीत बुमराह
  • फाइनल स्कोर : भारत – 119/10 (20)│पाकिस्तान – 113/7 (20)

मैच नं. 20

स्कॉटलैंड Vs ओमान 

  • तारीख : 9 जून 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 10.30 PM│1.00 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : सर विवियन रिचर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम, नार्थ साउंड, एंटीगुआ
  • टॉस : ओमान (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : स्कॉटलैंड ने ओमान को 7 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : ब्रैंडम मैक्मुलन
  • फाइनल स्कोर : ओमान – 150/7 (20)│153/3 (13.1)

मैच नं. 21

दक्षिणी अफ्रीका Vs बांग्लादेश

  • तारीख : 10 जून 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : नासाउ काउंटी इंटरनेशनल स्टेडियम, न्यूयॉर्क
  • टॉस : दक्षिणी अफ्रीका (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : दक्षिण अफ्रीका ने बांग्लादेश को 4 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : हेनरी क्लासेन
  • फाइनल स्कोर : दक्षिण अफ्रीका – 113/6 (20)│109/7 (20)

मैच नं. 22

पाकिस्तान  Vs कनाडा

  • तारीख : 11 जून 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 8.00 PM │10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : नासाउ काउंटी इंटरनेशनल स्टेडियम, न्यूयॉर्क
  • टॉस : सर विवियन रिचर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम, नार्थ साउंड, एंटीगुआ
  • परिणाम : पाकिस्तान ने कनाडा को 7 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मोहम्मद आमिर
  • फाइनल स्कोर : 106/7 (20)│107/3 (17.3)

मैच नं. 23

श्रीलंका Vs नेपाल

  • तारीख : 12 जून 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 5.00 AM│7.30 PM (लोकल टाइम – 11 जून)
  • वेन्यू : सेंट्रल ब्रोवार्ड रीजनल पार्क स्टेडियम टर्फ ग्राउंड, लॉडरहिल, फ्लोरिडा
  • टॉस : मैच बारिश के कारण रद्द
  • परिणाम :
  • प्लेयर ऑफ दि मैच :
  • फाइनल स्कोर : परिणाम नहीं।

मैच नं. 24

ऑस्ट्रेलिया Vs नामीबिया

  • तारीख : 12 जून 2022 (11 जून लोकल)
  • दिन : बुधवार
  • समय : 6.00 AM│8.30 PM (लोकल टाइम – 11 जून))
  • वेन्यू : सर विवियन रिचर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम, नार्थ साउंड, एंटीगुआ
  • टॉस : ऑस्ट्रेलिया (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : ऑस्ट्रेलिया ने नामीबिया को 9 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : एडम जम्पा
  • फाइनल स्कोर : नामीबिया – 72/10 (17)│74/1 (5.4)

मैच नं. 25

भारत Vs अमेरिका

  • तारीख : 12 जून 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : नासाउ काउंटी इंटरनेशनल स्टेडियम, न्यूयॉर्क
  • टॉस : भारत (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : भारत ने अमेरिका को 7 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : अर्शदीप सिंह
  • फाइनल स्कोर : अमेरिका – 110/8 (20)│111/3 (18.2)

मैच नं. 26

वेस्टइंडीज Vs न्यूजीलैंड 

  • तारीख : 12 जून 2024 (13 जून 2024 भारत)
  • दिन : बुधवार
  • समय : 6.00 AM │(8.30 PM) लोकल टाइम
  • वेन्यू : ब्रायन लारा स्टेडियम, तारौबा, ट्रिनिडाड
  • टॉस : न्यूजीलैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : वेस्टइंडीज ने न्यूजीलैंड को 13 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : शेरफेन रदरफोर्ड
  • फाइनल स्कोर : वेस्टइंडीज – 149/9 (20)│136/9 (20)

मैच नं. 27

नीदरलैंड Vs बांग्लादेश

  • तारीख : 13 जून 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 8 PM│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : अर्नोस वेल ग्राउंड, किंग्सटाउन, सेंट विंसेंट
  • टॉस : नीदरलैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : बांग्लादेश ने नीदरलैंड को 25 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : शाकिब अल हसन
  • फाइनल स्कोर : बाग्लादेश – 159/5 (20)│134/8 (20)

मैच नं. 28

इंग्लैंड Vs ओमान 

  • तारीख : 13 जून 2024 (14 जून भारत में)
  • दिन : शुक्रवार (गुरुवार लोकल)
  • समय : 24.30 AM│3.00 PM लोकल टाइम
  • वेन्यू : सर विवियन रिचर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम, नार्थ साउंड, एंटीगुआ
  • टॉस : इंग्लैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : इंग्लैंंड ने ओमान को 8 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच आदिल राशिद
  • फाइनल स्कोर : ओमान – 47/10 (13.2)│50/2 (3.1)

मैच नं. 29

अफगानिस्तान Vs पापुआ न्यू गिनी

  • तारीख : 13 जून 2024 (14 जून भारत में)
  • दिन : शुक्रवार (गुरुवार लोकल)
  • समय : 6.00 AM │8.30 PM लोकल टाइम
  • वेन्यू : ब्रायन लारा स्टेडियम, तारौबा, ट्रिनिडाड
  • टॉस : अफगानिस्तान (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : अफगानिस्तान ने पापुआ न्यू गिनी को 7 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : फज़लहक फारुखी
  • फाइनल स्कोर : पापुआ न्यू गिनी – 95/10 (20)│अफगानिस्तान – 101/3 (15.1)

मैच नं. 30

य़ूएसए Vs  आयरलैंड

  • तारीख : 14 जून 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : सेंट्रल ब्रोवार्ड रीजनल पार्क स्टेडियम टर्फ ग्राउंड, लॉडरहिल, फ्लोरिडा
  • टॉस : नही हुआ
  • परिणाम : मैंच बारिश के कारण रद्द हुआ।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : **
  • फाइनल स्कोर : **

मैच नं. 31

दक्षिणी अफ्रीका Vs नेपाल

  • तारीख : 15 जून 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 5.00 AM│7.30  PM (लोकल टाइम) 14 जून 2024
  • वेन्यू : अर्नोस वेल ग्राउंड, किंग्सटाउन, सेंट विंसेंट
  • टॉस : नेपाल (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : दक्षिणी अफ्रीका ने नेपाल को 1 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : तबरेज शम्सी
  • फाइनल स्कोर : दक्षिणी अफ्रीका – 115/7 (20)│नेपाल – 114/7 (20)

मैच नं. 32

न्यूजीलैंड Vs युगांडा

  • तारीख : 15 जून 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 6.00 AM│8.30 PM (लोकल टाइम) 14 जून 2024
  • वेन्यू : ब्रायन लारा स्टेडियम, तारोबा, त्रिनिदाद
  • टॉस : न्यूजीलैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : न्यूजीलैंड ने युगांडा को 9 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : टिम साउदी
  • फाइनल स्कोर : युगांडा – 40/10 (18.4)│न्यूजीलैंड – 41/1 (5.2)

मैच नं. 33

भारत Vs कनाडा

  • तारीख : 15 जून  2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 8.00 PM│10.30  AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : सेंट्रल ब्रोवार्ड रीजनल पार्क स्टेडियम टर्फ ग्राउंड, लॉडरहिल, फ्लोरिडा
  • टॉस नहीं हुआ
  • परिणाम : मैच बारिश के कारण कैंसिल हुआ।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : **
  • फाइनल स्कोर : **

मैच नं. 34

इंग्लैंड Vs नामीबिया

  • तारीख : 15 जून 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 10.30 PM │1.00 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : ब्रायन लारा स्टेडियम, तारौबा, ट्रिनिडाड
  • टॉस : नामीबिया (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : इंग्लैड ने नामीबिया को 41 रनों से हराया (डकवर्थ लुइस मैथड)
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : हैरी ब्रुक
  • फाइनल स्कोर : इंग्लैंड – 122/5 (10)│नामीबिया – 84/3 (10)

मैच नं. 35

ऑस्ट्रेलिया Vs स्कॉटलैड

  • तारीख : 16 जून 2024
  • दिन : रविवार (शनिवार)
  • समय : 6.00 AM│8.30 PM (लोकल टाइम – 15 जून)
  • वेन्यू : डैरेन सैमी नेशनल क्रिकेट स्टेडियम, ग्रोस आइलेट, सेंट लूसिया
  • टॉस : ऑस्ट्रेलिया (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : ऑस्ट्रेलिया ने स्कॉटलैंड को 5 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मार्कस स्टोइनिस
  • फाइनल स्कोर : स्कॉटलैंड – 180/5 (20)│ऑस्ट्रेलिया – 186/5 (20)

मैच नं. 36

पाकिस्तान Vs आयरलैंड

  • तारीख : 16 June 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : सेंट्रल ब्रोवार्ड रीजनल पार्क स्टेडियम टर्फ ग्राउंड, लॉडरहिल, फ्लोरिडा
  • टॉस पाकिस्तान (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : पाकिस्तान ने आयरलैंड को 3 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : शाहीन आफरीदी
  • फाइनल स्कोर : आयरलैंड – 106/9 (20)│पाकिस्तान – 111/7 (18.5)

मैच नं. 37

बांग्लादेश Vs नेपाल

  • तारीख 16 जून 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 6.00 AM │7.30 AM (लोकल टाइम) (17 जून 2024 भारत में)
  • वेन्यू : ब्रायन लारा स्टेडियम, तारौबा, ट्रिनिडाड
  • टॉस : नेपाल (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : बांग्लादेश ने नेपाल को 21 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : तंजिम हसन शाकिब
  • फाइनल स्कोर : बांग्लादेश – 106/10 (19.3)│नेपाल – 85/10 (19.2)

मैच नं. 38

श्रीलंका Vs आयरलैंड

  • तारीख : 16 जून 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 6.00 AM│8.30 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : डैरेन सैमी नेशनल क्रिकेट स्टेडियम, ग्रोस आइलेट, सेंट लूसिया
  • टॉस : नीदरलैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : श्रीलंका ने नीदरलैंड को 83 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : चरिथ असालंका
  • फाइनल स्कोर : श्रीलंका – 201/6 (20)│118/10 (16.5)

मैच नं. 39

न्यूजीलैंड Vs पापुआ न्यू गिनी

  • तारीख : 17 जून 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 लोकल टाइम
  • वेन्यू : ब्रायन लारा स्टेडियम, तारौबा, ट्रिनिडाड
  • टॉस न्यूजीलैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : न्यूजीलैंड ने पापुआ न्यू गिनी को 7 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : लॉकी फर्ग्युसन
  • फाइनल स्कोर : पापुआ न्यू गिनी – 78/10 19.4)│न्यूजीलैड – 79/3 (12.2)

मैच नं. 40

वेस्टइंडीज Vs अफगानिस्तान

  • तारीख : 17 जून 2024 (18 जून भारत
  • दिन सोमवार (मंगलवार)
  • समय : 6.00 AM│8.30 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू डैरेन सैमी नेशनल क्रिकेट स्टेडियम, ग्रोस आइलेट, सेंट लूसिया
  • टॉस अफगानिस्तान (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : वेस्टइंडींज ने अफगानिस्तान को 104 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : निकोलस पूरन
  • फाइनल स्कोर : वेस्टइंडीज – 218/5 (20)│अफगानिस्तान – 114/10 (16.2)


सुपर 8 चरण

मैच नं. 1

अमेरिका Vs दक्षिणी अफ्रीका

  • तारीख : 19 जून 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : सर विवियन रिचर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम, नार्थ साउंड, एंटीगुआ
  • टॉस : यूएस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : दक्षिणी अफ्रीका ने यूएसए को 18 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : क्विवंटन डी कॉक
  • फाइनल स्कोर : दक्षिणी अफ्रीका – 194/4 (20)│यूएसए – 176/6 (20)

मैच नं. 2

वेस्टइंडीज Vs इंग्लैंड

  • तारीख : 19 जून 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 6.00 AM (20 जून)│8.30 PM (लोकल टाइम 19 जून)
  • वेन्यू : डैरेन सैमी नेशनल क्रिकेट स्टेडियम, ग्रोस आइलेट, सेंट लूसिया
  • टॉस : इंग्लैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज को 8 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : फिलिप सॉल्ट
  • फाइनल स्कोर : वेस्टइंडीज – 180/4 (20)│इंग्लैंड – 181/2 (17.3)

मैच नं. 3

भारत Vs अफगानिस्तान

  • तारीख 20 जून 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : केंसिंग्टन ओवल, ब्रिजटाउन, बारबाडोस
  • टॉस : भारत (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : भारत ने अफगानिस्तान को 47 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : जसप्रीत बुमराह
  • फाइनल स्कोर : भारत – 181/8 (20)│अफगानिस्तान -134/10 (20)

मैच नं. 4

ऑस्ट्रेलिया Vs बांग्लादेश

  • तारीख : 21 जून 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 6.00 AM│8.30 PM (लोकल टाइम) (20 जून)
  • वेन्यू : सर विवियन रिचर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम, नार्थ साउंड, एंटीगुआ
  • टॉस : ऑस्ट्रेलिया (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : ऑस्ट्रेलिया ने बांग्लादेश को 28 रनों से हराया (डकवर्थ लुइस मैथड)
  • प्लेयर ऑफ दि मैच पैट कमिंस
  • फाइनल स्कोर : बांग्लादेश – 140/8 (20)│ऑस्ट्रेलिया – 100/2 (11.2) (D/L method)

मैच नं. 5

इंग्लैंड Vs दक्षिणी अफ्रीका

  • तारीख : 21 जून 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : डैरेन सैमी नेशनल क्रिकेट स्टेडियम, ग्रोस आइलेट, सेंट लूसिया
  • टॉस : इंग्लैंड (बॉलिग चुनी)
  • परिणाम : दक्षिणी अफ्रीका ने इंग्लैंड को 7 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : क्विंटन डी कॉक
  • फाइनल स्कोर : दक्षिणी अफ्रीका – 163/6 (20)│156/6 (20)

मैच नं. 6

अमेरिका Vs वेस्टइंडीज

  • तारीख : 21 जून 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 6.00 AM (22 जून भारत में)│8.30 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : केंसिंग्टन ओवल, ब्रिजटाउन, बारबाडोस
  • टॉस : वेस्टइंडीज (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : वेस्टइंडीज ने अमेरिका को 9 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : शाई होप
  • फाइनल स्कोर : अमेरिका – 128/10 (19.5)│वेस्टइंडीज – 130/1 (10.5)

मैच नं. 7

भारत Vs बांग्लादेश

  • तारीख : 22 जून 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 8.00 PM │10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : सर विवियन रिचर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम, नार्थ साउंड, एंटीगुआ
  • टॉस : बांग्लादेश (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : भारत ने बांग्लादेश को 50 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : हार्दिक पंड्या
  • फाइनल स्कोर : भारत – 196/5 (20)│बांग्लादेश – 146/8 (20)

मैच नं. 8

ऑस्ट्रेलिया Vs अफगानिस्तान

  • तारीख : 22 जून 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 6.00 AM (23 जून भारत में)│8.30 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : अर्नोस वेल ग्राउंड, किंग्सटाउन, सेंट विंसेंट
  • टॉस ऑस्ट्रेलिया (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : अफगानिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया को 21 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : गुलबदिन नैयब
  • फाइनल स्कोर : अफगानिस्तान – 148/6 (20)│ऑस्ट्रेलिया – 127/10 (19.2)

मैच नं. 9

अमेरिका Vs इंग्लैंड

  • तारीख : 23 जून 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 8.00 PM │10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : केंसिंग्टन ओवल, ब्रिजटाउन, बारबाडोस
  • टॉस इंग्लैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : इंग्लैंड ने अमेरिका को 10 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : आदिल राशिद
  • फाइनल स्कोर : अमेरिका – 115/10 (18.5)│इंग्लैंड – 118/0 (9.4)

मैच नं. 10

वेस्टइंडीज Vs दक्षिणी अफ्रीका

  • तारीख : 23 जून 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 6.00 AM (24 जून भारत में)│8.30 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : सर विवियन रिचर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम, नार्थ साउंड, एंटीगुआ
  • टॉस : दक्षिणी अफ्रीका (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : दक्षिणी अफ्रीका ने वेस्टइंडीज 3 को विकेट से हराया (टारगेट को बारिश के कारण छोटा किया गया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच :
  • फाइनल स्कोर : वेस्टइंडीज – 135/8 (20)│दक्षिणी अफ्रीका – 124/7 (16.1) (टारगेट था – 124 रन)

मैच नं. 11

भारत Vs ऑस्ट्रेलिया

  • तारीख 24 जून 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 8.00 PM (25 जून भारत में)│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : डैरेन सैमी नेशनल क्रिकेट स्टेडियम, ग्रोस आइलेट, सेंट लूसिया
  • टॉस : ऑस्ट्रेलिया (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 24 रनो से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रोहित शर्मा
  • फाइनल स्कोर : भारत – 205/5 (20)│ऑस्ट्रेलिया – 181/7 (20)

मैच नं. 12

अफगानिस्तान Vs बांग्लादेश

  • तारीख : 25 जून 2024
  • दिन मंगलवार
  • समय : 6.00 AM (26 जून भारत में)│8.30 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : अर्नोस वेल ग्राउंड, किंग्सटाउन, सेंट विंसेंट
  • टॉस : अफगानिस्तान (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : अफगानिस्ता ने बांग्लादेश को 8 रनों से हराया (बारिश के कारण टारगेट छोटा किया गया)
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : नवीन उल हक
  • फाइनल स्कोर : अफगानिस्तान – 115/5 (20)│बांग्लादेश – 105/10 (17.5) टारगेट – 114


सेमीफाइनल 1

दक्षिणी अफ्रीका Vs अफगानिस्तान

  • तारीख : 27 जून 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 6.00 AM (27 जून भारत में)│8.30 PM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : ब्रायन लारा स्टेडियम, तारौबा, ट्रिनिडाड
  • टॉस :  अफगानिस्तान (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : दक्षिणी अफ्रीका ने अफगानिस्तान को 9 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : तबरेज शम्सी
  • फाइनल स्कोर : अफगानिस्तान – 56/10 (11.5)│दक्षिमी अफ्रीका – 60/1 (8.5)

सेमीफाइनल 2

 भारत Vs इंग्लैंड

  • तारीख : 27 जून 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : प्रोविडेंस स्टेडियम, गयाना
  • टॉस : इंग्लैंड (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : भारत इंग्लैंड को 68 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : अक्षर पटेल
  • फाइनल स्कोर : भारत – 171/7 (20)│इंग्लैंड – 103/10 (16.4)

फायनल

भारत Vs दक्षिणी अफ्रीका

  • तारीख : 29 जून 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 8.00 PM│10.30 AM (लोकल टाइम)
  • वेन्यू : केंसिंग्टन ओवल, ब्रिजटाउन, बारबाडोस
  • टॉस : भारत (बैटिंग)
  • परिणाम : भारत ने दक्षिणी अफ्रीका को 7 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : विराट कोहली
  • फाइनल स्कोर : भारत – 171/7 (20)│दक्षिणी अफ्रीका – 168/8 (20)

T20 World Cup 2024 Champion – भारत


Other questions

T20 World Cup 2024 में भाग लेने वाली सभी 20 टीमों और उनके खिलाड़ियों के नाम जानिए।

टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप (पुरुष) का पूरा इतिहास

केवल रोहित शर्मा खेले हैं सारे टी20 वर्ल्ड कप बाकी प्लेयर कौन कितने वर्ल्ड कप खेले?

टीम इंडिया अमेरिका और वेस्टइंडीज में होने वाले 9वें में T20 वर्ल्ड कप को खेलने जा चुकी है। टीम इंडिया में कई अनुभवी खिलाड़ी है तो कई नई-नवेले खिलाड़ी हैं जो अपना पहला T20 वर्ल्ड कप खेल रहे हैं। वनडे वर्ल्ड कप में फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया से हार के बाद अब उम्मीद की जा रही है T20 क्रिकेट में वर्ल्ड कप जीतकर टीम इंडिया अपने जख्मों पर मरहम लगा सकेगी।

इस टीम में केवल रोहित शर्मा कप्तान रोहित शर्मा ही ऐसे खिलाड़ी हैं जो अभी तक के हुए सारे T20 वर्ल्ड कप में खेले हैं उसके बाद दूसरे स्थान पर रविंद्र जडेजा का नंबर आता है. जिन्होंने 2008 में केवल पहला T20 वर्ल्ड कप नहीं खेला था। उसके बाद से वह लगातार सारे T20 वर्ल्ड कप खेले हैं।

टीम इंडिया के सभी 15 प्लेयर और चार रिजर्व प्लेयर्स में से किसने कितने वनडे वर्ल्ड T20 वर्ल्ड कप खेले हैं, आईए जानते हैं..

  1. रोहित शर्मा – 2007, 2009, 2010, 2012, 2014, 2016, 2021, 2022, 2024
  2. विराट कोहली – 2012, 2014, 2016, 2021, 2022, 2024
  3. रविंद्र जडेजा – 2009, 2010, 2012, 2014, 2016, 2021, 2022, 2024
  4. सूर्यकुमार यादव – 2021, 2022, 2024
  5. रिषभ पंत – 2021, 2022, 2024
  6. संजू सैमसन – 2024
  7. यशस्वी जायसवाल – 2024
  8. शिवम दुबे – 2024
  9. हार्दिक पांड्या – 2021, 2024
  10. अक्षर पटेल – 2022,  2024
  11. कुलदीप यादव – 2024
  12. यजुवेंद्र चहल – 2022, 2024
  13. जसप्रीत बुमराह – 2016, 2021, 2022, 2024
  14. अर्शदीप सिंह – 2022, 2024
  15. मोहम्मद सिराज – 2024

रिजर्व प्लेयर्स (अगर खेले तो पहला वर्ल्ड कप होगा)

  • खलील अहमद – **
  • आवेश खान – **
  • शुभमन गिल – **
  • रिंकू सिंह – **

ये भी पढ़ें…

Tata Bye-Bye IPL for these players – ये खिलाड़ी अब अगले IPL -2025 सीजन में नहीं दिखेंगे।

आईपीएल 2024 का शेड्यूल घोषित हुआ। जानें क्या है शेड्यूल?

टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप (पुरुष) का पूरा इतिहास

इन तरीकों से करें शुद्ध या मिलावटी हल्दी की पहचान

हल्दी दैनिक जीवन में खानपान में उपयोग किया जाने वाला एक प्रमुख मसाला है। हर घर में हल्दी का प्रयोग जरूर होता है। यह रोज के खाने पड़ने वाला जरूरी मसाला है। आजकल बाजार में मिलावटी हल्दी की बहुत भरमार है। हल्दी का पाउडर मिलावटी आने लगा है, जो इसमें तरह-तरह के केमिकल और कृत्रिम रंग मिले होते हैं, जो सेहत के लिए बेहद नुकसान पहुंचा सकते हैं। मिलावटी हल्दी की पहचान (Identification of turmeric powder pure or adulterated) कैसे की जाए, इसके लिए कुछ टिप्स इस प्रकार हैं।

शुद्ध और मिलावटी हल्दी की पहचान के टिप्स (Identification of turmeric powder pure or adulterated)

पानी के घोल द्वारा मिलावटी हल्दी की पहचान

हल्दी पाउडर शुद्ध है या मिलावटी इसकी पहचान करने के लिए एक गिलास पानी ले और उसमें हल्दी पाउडर को मिला दें। पानी को घोले नहीं और ना ही उसमे चम्मच आदि डालकर हिलाएं। हल्दी पाउडर को अपने-आफ घुलने दें। यदि हल्दी पाउडर गिलास के तले में नीचे जाकर बैठ जाए और पानी हल्का पीले रंग का हो जाए तो समझने कि हल्दी शुद्ध है, लेकिन यदि हल्दी पाउडर पानी को गहरे पीले रंग का कर दे और पानी धुंधला पीला नजर आने लगे तो समझने कि हल्दी पाउडर में मिलावट है।

अल्कोहल द्वारा परीक्षण

मिलावटी हल्दी की पहचान करने के लिए हल्दी पाउडर लें और रबिंग एल्कोहल की कुछ मात्रा में इस पाउडर को मिला दें। यदि अल्कोहल का रंग लाल हो जाए तो उसे पता चलता है कि हल्दी में कृत्रिम रंगों की मिलावट है, यदि हल्दी पाउडर शुद्ध होगा तो वह अल्कोहल को लाल नहीं करेगा।

अपनी उंगलियां द्वारा रगड़कर हल्दी परीक्षण

अपनी उंगलियों के बीच में चुटकी भर हल्दी पाउडर ले और उंगलियां द्वारा रगड़ें। यदि आपकी उंगली पर हल्दी का हल्का सा रंग पड़ जाए तो समझ में हल्दी का शुद्ध है। यदि उंगलियों पर चमकीले गहरा पीला रंग नजर आने लगे तो समझें कि उसमें कृत्रिम रंगों की मिलावट है। शुद्ध हल्दी पाउडर हाथ पर गहरे पीले निशान एकदम से नहीं छोड़ता। उसे काफी समय लगाने के बाद ही हाथ पर पीला रंग दिखेगा। नकली हल्दी तुरंत ही हाथ पर पीले दाग छोड़ देगी।

स्वाद द्वारा परीक्षण

शुद्ध हल्दी पाउडर का स्वाद थोड़ा कड़वा और मिट्टी जैसा होता है, जबकि मिलावटी हल्दी पाउडर का स्वाद मीठा होगा, क्योंकि इसमें कृत्रिम केमिकल की मिलावट की जाती है। यदि हल्दी पाउडर का स्वाद मीठा लगे तो समझ लेना चाहिए कि वह मिलावटी है।

हाइड्रोक्लोरिक एसिड द्वारा परीक्षण

हल्दी में अक्सर मेटानिल येलो नामक कृत्रिम केमिकल रंग की मिलावट की जाती है। इसका पता लगाने के लिए एक टेस्ट ट्यूब या काँच की नली या किसी काँच के बर्तन में कुछ मात्रा में हल्दी पाउडर लें और उसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कुछ बूंदें डालें। फिर थोड़ा सा पानी डालकर टेस्ट ट्यूब को जोर से हिलाएं। यदि मिश्रित घोर गुलाबी या किसी दूसरे रंग का हो जाता है तो हल्दी पाउडर में मैटानिल येलो मिला हुआ है। अगर हल्दी पाउडर शुद्ध होगा तो वो गुलाबी, लाल या दूसरे किसी रंग (पीले रंग को छोड़कर) नहीं होगा।

टेस्ट ट्यूब बेबी में हल्दी पाउडर ले और उसमें थोड़ा सा पानी और हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कुछ बंदे डाल दें। अगर मिश्रित घोल में बुलबुले दिखाई देते हैं तो समझ लें उसमें मिलावट की गई है।

साबुत हल्दी में मिलावट की पहचान

केवल हल्दी पाउडर में ही नहीं हल्दी के साबुत टुकड़ों में भी मिलावट की जाती है। इसका पता लगाने के लिए साबित हल्दी के टुकड़े को एक पेपर पर रखकर उसके ऊपर ठंडा पानी डाल दें। अगर पानी डालने के बाद हल्दी के टुकड़े से रंग पीला रंग निकालने लगे तो इससे पता चलता है कि उसमें रंगों के मिलावट की गई है। शुद्ध हल्दी के टुकड़ों पर पानी डालने से एकदम से पीला रंग नहीं निकलता है।

खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की देखरेख करने वाली संस्था FSSAI ने शुद्ध हल्दी के टेस्ट का एक वीडियो जारी किया है, वो देखें….

https://www.fssai.gov.in


ये भी पढ़ें..

ये टिप्स अपनाएं तो नारियल का छिलका एकदम आसानी से उतर जाएगा।

कम्प्यूटर पर इंटरनेट नहीं चल रहा? साल्यूशन ये है।

कम्प्यूटर पर काम करते-करते अचानक इंटरनेट का काम करना बंद कर देना की समस्या का सामना अक्सर करना पड़ जाता है। तब समझ नही आता क्या किया जायें। यहाँ कुछ सॉल्यूशन हैं, (Internet not working on computer solutions) जिससे इस समस्या का हल पाया जा सकता है…

कम्प्यूटर पर इंटरनेट नही चल रहा – Internet not working on computer solutions

आप अपने डेस्कटॉप या लैपटॉप पर काम कर रहे होते हैं और अचानक आप देखते हैं कि आपका इंटरनेट काम करना बंद कर देता है। आप बार-बार कोशिश करते हैं। आप लैपटॉप को शट डाउन करके दोबारा से चालू करते हैं, लेकिन इंटरनेट काम नहीं करता जबकि आपका वाईफाई कनेक्शन ठीक चल रहा होता है। आपके मोबाइल पर वाई-फाई कनेक्शन चल रहा है, लेकिन लैपटॉप या डेस्कटॉप पर नहीं वाईफाई नही चलता है, और न ईथरनेट के माध्यम से से इंटरनेट काम नहीं कर रहा होता है, तो इस समस्या के लिए ये तीन स्टेप आजमायें…

पहला साल्यूशन

अपनी windows search bar में जायें, जोकि स्क्रीन के बॉटम में बायीं तरफ होती है। वहाँ पर टाइप करें…

Control panel

Control panel open हो जायेगा

Control panel में आपको कई ऑप्शन दिखाई देंगे…

आपको Network and Internet ऑप्शन सलेक्ट करना है,

Network and Internet की window ओपन हो जायेगी।

वहाँ पर आपको Network and Sharing Center ऑप्शन दिखाई देगा। इस ऑप्शन के नीचे आपको तीन आप्शन दिखेंगे, जोकि इस प्रकार है।

View network status and tasks
Connect to a network
View network computers and devices

आपको View network status and tasks ऑप्शन को सलेक्ट करना है। ये ऑप्शन सलेक्ट करते ही जो नई विंडो ओपन होगी उसमे बायीं तरफ के पैनल में आपको कई ऑप्शन दिखाई देंगे।

आपको Change Adapter setting ऑप्शन को सलेक्ट करना है। इस ऑप्शन पर क्लिक करते ही आपको जो तीन नये आप्शन मिलेंगे उसमे आपको Ethernet ऑप्शन पर राइट क्लिक करना है और देखना है कि क्या ये ऑप्शन disable है? अगर disable है तो उसे Enable कर दें। अगर Enable है तो Diagnose करके देख लें।

ऐसा ही स्टेप WI-FI ऑप्शन पर राइट क्लिक करके देख लें, और अगर disable है तो Enable कर दें। अब अपने पीसी को रीस्टार्ट करें आपकी समस्या ठीक हो जायेगी। अगर ये मैथड काम नही किया और आपकी समस्या ज्यों-की-त्यों है, तो दूसरा उपाय आजमायें।

दूसरा साल्यूशन

दोबारा से Control Panel में जायें।

Control panel में आपको कई ऑप्शन दिखाई देंगे…

आपको Network and Internet ऑप्शन सलेक्ट करना है,

Network and Internet की window ओपन हो जायेगी। वहाँ पर आपको सबसे पहले Network and Sharing Center ऑप्शन दिखाई देगा।

उसके नीचे Internet Options दिखाई देगा।

Internet Options पर क्लिक करें। एक छोटी सी विंडो ओपन होगी। इस विंडो में ऊपर कई टैब दिखाई देंगीं। उन टैब में से Connections टैब पर क्लिक करें।

दूसरी sub-window ओपन होगी। सबसे नीचे Lan Setting टैब पर क्लिक करें। जो विंडो ओपन हो, उसमें सबसे नीचे Proxy Server में Use a proxy server for you LAN ऑप्शन में अगर चेक बॉक्स में चेकमार्क है, तो उसे uncheck कर दें।

अब पीसी को रीस्टार्ट करे आपके पीसी पर इंटरनेट काम करने लगेगा। अगर ये इस मैथड से भी आपकी समस्या का समाधान न हो तो तीसरा मैथड अपनायें। इस मैथड से आपकी समस्या का निश्चित रूप से समाधान हो जायेगा।

तीसरा सॉल्यूशन

अपनी windows search bar में cmd टाइप करें।

cmd को आपको डायरेक्ट ओपन नही करना है बल्कि cmd पर राइट क्लिक करके run as administrator के रूप मे ओपन करना है।

cmd की विंडो ओपन हो जायेगी। ये row show होगी।

C:\Window\system32>

इस row में आगे ये कमांड टाइप करें। C:\Window\system32>netsh winsock reset catalog

अब enter कर दें। उसके बाद ये कमांड टाइप करें।

C:\Window\system32>netsh int ip reset reset.log hit

अब enter कर दें। उसके बाद exit command टाइप करे बाहर निकल आयें।

इसके बाद आपको अपना पीसी रीस्टार्ट करना जरूरी होगा। तभी ये मैथड काम करेगा। ध्यान रहे पीसी को शटडाउन नही करना है बल्कि रीस्टार्ट करना है। इस मैथड से आपको अपनी समस्या का हल निश्चित रूप से मिल जायेगा और आपके पीसी का इंटरनेट काम करने लगेगा।

आशा है आपको इन ट्रिक्स से अपनी समस्या का साल्यूशन जरूर मिलेगा नीचे कमेंट में अपने अनुभव बताएं।


ये भी पढ़ें…

विंडोज डिफेंडर पर्मानेंट डिसेबल और इनेबल कैसे करें?

कम्प्यूटर की स्पीड स्लो है? ये मैथड अपनाकर कम्प्यूटर की स्पीड बूस्ट करें।

माँ की दुनिया – मदर्स डे पर खास – इतिहास और जानकारी

माँ का महत्व किसके जीवन में नही होता। किसी भी व्यक्ति के लिए माँ जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सदस्य होती है। माँ के सम्मान के लिए दुनिया मदर्स डे भी मनाया जाता है। जीवन में माँ के महत्व और मदर्स डे के इतिहास (History and Information for Mother’s day) को जानते हैं..

माँ’ कहने तो बहुत छोटा सा शब्द है, लेकिन इस शब्द की ताकत बहुत बड़ी है। माँ, दुनिया का सबसे बड़ा शब्द है। माँ, धरती में भगवान का रूप है। माँ शब्द में इतनी शक्ति है कि वह जरूरत पड़ने पर सभी रूप धारण कर लेती है। माँ की ममता और प्यार आज तक कोई मुकाबला नहीं कर पाया है।

एक लड़की के जन्म के बाद, जब वह बड़ी होती है, जैसे-जैसे वह बड़ी होती है, वह धीरे-धीरे सभी जिम्मेदारियाँ निभाती है।  जब वह माँ बनती है, तब वह अपने बारे में जीना छोड़ कर सिर्फ अपने बच्चे के बारे में सोचती है। अपने बच्चे के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार रहती है। वह कभी भी हार नहीं मानती है। माँ अपने बच्चे को 9 महीने तक अपनी कोख में रखती है, उसे प्यार करती है। माँ अपने बच्चे को बिना देखे प्यार करती है।

माँ अपने बच्चे की पहली शिक्षिका होती है, बच्चे का पहला क्लास रूम उसकी गोद होता है। माँ अपने बच्चे को बचपन से सब कुछ सिखाती है। वह उसे हमेशा अच्छे बाते सिखाती है। माँ अपने बच्चे के लिए दिन-रात जागती है। वह उसे कभी किसी भी मुश्किल समय में नहीं छोड़ती है। बच्चे अगर गलती भी करें, तब भी उन्हें समझा कर उनके साथ खड़ी रहती है।

माँ बच्चे की दोस्त होती है। माँ बच्चे के साथ तरह का संबंध को निभाती है। जरूरत पड़ने पर वह दोस्त बन जाती है, जरूरत पड़ने पर उसकी शिक्षिका, जरूरत पड़ने पर उसकी शुभचिंतक सब बन जाती है। बच्चा भी माँ के साथ रह कर बहुत अच्छा महसूस करता है। जब भी परेशान होता है, वह सबसे पहले माँ को याद करता है। माँ अपने बच्चे को सारी दुनिया से बचा कर सकती है। माँ जैसा कोई हो नहीं सकता है।

माँ और बच्चों में एक बहुत प्यारा सा रिश्ता होता है। इस रिश्ते में बहुत सारी भावनाएँ होती है। माँ हमेशा बच्चों के साथ हमेशा रहती है, हमेशा साथ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखती है। माँ का दिल हमेशा एक जैसा रहता है, हमेशा साफ, ममता से भरा होता है। बच्चे जितने बड़े हो जाए, माँ के लिए बच्चे, बच्चे ही रहते है। माँ की ममता कभी भी खत्म नहीं होती है। माँ हमेशा बच्चों के खुशी और दुःख में साथ रहती है। माँ जैसा प्यारा इस दुनिया में कोई नहीं है।

माँ की छोटी सी दुनिया होती है, जो अपने बच्चों, परिवार के लिए समर्पित कर देती है। बच्चों के लिए बहुत बड़ी होती है। हम सभी को अपनी माँ की इज्ज़त करनी चाहिए। जितना बचपन में हमारा साथ देती, हमें भी उनका हमेशा  ख्याल रखना चाहिए। माँ एक सुकुन है, माँ हमारी दुनिया, माँ हमारा जीवन है, माँ हमारी ख़ुशी है, माँ की गोद में स्वर्ग है, माँ के हर शब्द में आशीर्वाद है। माँ कदम-कदम में साथ देती है। माँ कभी जीवन में हार नहीं मानती।

मदर्स डे का क्या इतिहास है, जानते हैं? (History and Information for Mother’s day)

मदर्स डे को माँ के प्रति सम्मान और आदर प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत अमेरिका में हुई थी और अब यह पूरे विश्व में मनाया जाता है।

मदर्स डे की शुरुआत वर्ष 1908 में हुई थी, जब एना जार्विस नामक एक महिला ने अपनी मृत माँ के सम्मान में एक विशेष दिन मनाने का प्रस्ताव रखा। अनना की माँ वर्ष 1905 में चल बसी थीं। उन्होंने सोचा कि एक ऐसा दिन होना चाहिए जब सभी लोग अपनी माँ का सम्मान कर सकें।

एना जार्विस ने वेस्ट विर्जिनिया के ग्रॉफ्टन शहर में एक चर्च में पहला मदर्स डे समारोह आयोजित किया। इस समारोह में उन्होंने मदर्स डे की शुरुआत की घोषणा की। इसके बाद से, मदर्स डे का आयोजन हर साल किया जाने लगा।

धीरे-धीरे, मदर्स डे अमेरिका के अन्य राज्यों और देशों में भी मनाया जाने लगा। वर्ष 1914 में, अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने मदर्स डे को औपचारिक रूप से मान्यता दी।

आज, मदर्स डे को हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इस दिन बच्चे अपनी माँ के लिए उपहार, कार्ड और फूल लाते हैं। परिवार एक साथ मिलकर मदर्स डे का जश्न मनाते हैं।

आज मदर्स डे मनाने की बात की जाए तो विश्व के लगभग सभी देशों में अंतरराष्ट्रीय मदर्स डे मनाया जाता है। एक दूसरी मान्यता के अनुसार यूरोप और ब्रिटेन में अपनी माँ के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए कई तरह की परंपराएं प्रचलित थी। इसी परंपराओं के अंतर्गत एक विशेष रविवार को माता के लिए समर्पित किया गया और उन्हें मदरिंग संडे कहा जाने लगा। यह मदरिंग सन्डे अलग-अलग तारीखों को मनाया जाता था। उनके लिए कोई निश्चित महीना या तारीख नहीं थी।

आधिकारिक रूप से मदर्स डे एना जार्विस द्वारा ही मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाना प्रचलित हुआ। दुनिया के अलग-अलग देश में मदर्स डे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। चीन, जापान, थाईलैंड आदि देशों में मदर्स डे मनाने की परंपरा बेहद प्रचलित है।

भारत में भी मदर्स डे मनाया जाता है और इस दिन महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी के सम्मान में ये दिवस मनाए जाने की परंपरा तय की गई है।

मदर्स डे केवल माँ के लिए ही नहीं बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए भी है जिन्होंने बच्चों की देखभाल और परवरिश की है। इस दिन हम सभी महिलाओं का सम्मान करते हैं जिन्होंने हमारी जिंदगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मदर्स डे पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोग अपनी माँ के प्रति प्यार और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।


ये भी पढ़ें..

वडा पाव की कहानी – कैसे बना मुंबई का सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड

हिमाचली धाम – हिमाचल प्रदेश की अनोखी थाली, हिमाचल आएं जरूर खाएं।

विंडोज डिफेंडर पर्मानेंट डिसेबल और इनेबल कैसे करें?

विंडोज डिफेंडर (Windows Defender) को अपने पीसी में परमानेंट डिसेबल करना है या डिसेबल करने के बाद जरूरत पड़ने पर वापस वापस इनेबल करना है या किसी पीसी में विंडोज डिफेंडर इनेबल नहीं है तो उसे इनेबल करना है, तो कैसे करें (Windows Defender Enable or disable tricks) यह जानते हैं…

Windows Defender Disable and Enable Permanently?.

विंडोज डिफेंडर (Windows Defender) विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में प्री-इंस्टॉल एंटीवायरस सॉफ्टवेयर होता है, जो हमारे पीसी की वायरस को से रक्षा करता है। लेकिन बहुत से यूजर्स विंडोज डिफेंडर को डिसेबल करना चाहते हैं, ताकि वह दूसरा कोई एंटीवायरस सॉफ्टवेयर आसानी से यूज कर सके अथवा बहुत से यूजर्स के पीसी में विंडोज डिफेंडर इनेबल नही होता तो उसे इनेबल करना चाहतें या जिन्होंने विंडोज डिफेंडर को पर्मानेंट डिसेबल कर दिया है और उसे इनेबल कैसे करें? इसको करने के लिये ये मैथड अपनायें..

विंडोज डिफेंडर को पर्मामेंट इनेबल करने के लिए मैथड आजमाएं (Windows Defender Enable of Disable Tricks)

Windows search bar में जायें

Registry editor टाइप करें,

enter करें…

Registry editor app show होगा। Registry editor app को ओपन करें..

Registry editor की विंडो ओपन होगी। वहाँ पर आपको कई फोल्डर दिखायी देंगे।

HKEY_LOCAL_MACHINE इस नाम के फोल्डर सलेक्ट करें। इस पर डबल क्लिक करें। बहुत सारे फोल्डर की लिस्ट ओपन होगी।

SOFTWARE फोल्डर को सलेक्ट करें। SOFTWARE पर डबल क्लिक करें। फिर एक बड़ी से लिस्ट ओपन होगी। लिस्ट में Policies फोल्डर को ढूंढे…

Policies फोल्डर पर डबल क्लिक करें। उसमें कुछ फोल्डर दिखेंगे।

Microsoft फोल्डर पर डबल क्लिक करें। कई फोल्डर्स की लिस्ट ओपन होगी।

Defender फोल्डर को चुनें..

Defender फोल्डर पर डबल क्लिक करें।

एक या दो फोल्डर दिखेंगे लेकिन सब पर क्लिक नही करना है बल्कि अपनी दायीं तरफ के व्हाइट स्पेस में माउस के कर्सर को लाना है। एक Default value की टैब ओपन होगी। लेकिन कर्सर को व्हाइट स्पेस में लाना है। इस व्हाइट स्पेस (सफेद ब्लैंक भाग) में कहीं पर भी राइट क्लिक करें। एक लिस्ट ओपन होगी। उसमें ये आप्शन चुनें।

DWORD (32 bit) Value

ऊपर Default value के नीचे नई Value डालने की टैब एक्टिव हो जायेगी। उस टैब में ये Value डालें..

DisableAntiSpyware

ध्यान रहे कि तीनो वर्ड के पहले लैटर कैपिटल रहें और तीनों के बीच में स्पेस न रहे।

Enter करने के बाद जब value क्रियेट हो जाये तो उस पर राइट क्लिक करें, और modify को सलेक्ट करें।

एक छोटी से विंडो ओपन होगी। उस विंडो में नीचे की Value Data टैब में Value को 0 से 1 कर दें और OK कर दें।

अब अपने पीसी को रीस्टार्ट करें। आपका विंडो डिफेंडर पर्मानेंट डिसेबल हो जायेगा।

इसको चेक करने के लिए Settings में जायें। Update and Security में जायें। Windows Security में जायें। आप देखेंगे कि आपका विंडोंज डिफेंडर डिसेबल हो चुका है।

अब अगर आपको विंडोज डिफेंडर दुबारा से इनेबल करना है, तो ये मैथड आजमाएं। 

दुबारा से Registry editor app में जायें। वही सारा प्रोसेस फॉलों करें जो पहले स्टेप में किया था।

विंडोज डिफेंडर फोल्डर में आने के बाद आपको अपनी पहले से डाली गयी वैल्यू दिख जायेगी। जोकि इस प्रकार होगी।

DisableAntiSpyware

अगर ये वैल्यू नही दिखे तो व्हाइट स्पेस मे राइट क्लिक करके पहले स्टेप की तरह दुबारा से वैल्यू टैब क्रियेट कर ले।

अब इस वैल्यू टैब पर राइट क्लिक करें, और modify सलेक्ट करें।

Value Data टैब में Value को 1 से 0 कर दें और OK कर दें। अब अपने पीसी को रीस्टार्ट करें।

आपके पीसी में विंडोज डिफेंडर फिर से इनेबल हो जायेगा।

अगर आपने कभी विंडोज डिफेंडर को कभी डिसेबल नही किया था फिर भी आपके पीसी में विंडोज डिफेंडर डिसेबल है तो इसी तरीके से आप विंडोज डिफेंडर को इनेबल कर सकते हैं।

आप दुबारा से settings में जाकर Update and Security में जाकर Windows Security में चेक कर सकते हैं कि आपका विंडोज डिफेंडर इनेबल हुआ है कि नही।

आशा  है आपको इस पोस्ट से विंडोज डिफेंडर को डिसेबल और इनेबल करने का तरीका पता चल गया होगा।


ये भी पढ़ें…

कम्प्यूटर की स्पीड स्लो है? ये मैथड अपनाकर कम्प्यूटर की स्पीड बूस्ट करें।

टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप (पुरुष) का पूरा इतिहास

आईसीसी पुरुष टी-20 वर्ल्ड कप क्रिकेट की एक अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप है, जो क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप 20-20 के अंतर्गत खेला जाता है। इस विश्वकप का आरंभ 2007 में हुआ था। आईसीसी पुरुष टी-20 वर्ल्ड कप (History of All Mens T20 World Cup Cricket) के इतिहास पर एक नजर डालते हैं…

टी-20 क्रिकेट का इतिहास लगभग 18 वर्ष पुराना है, जब पहला टी-20 इंटरनेशनल मैच खेला गया था। टी-20 वर्ल्ड कप का इतिहास 17 वर्ष पुराना है, जब सन् 2007 में पहला टी-20 वर्ल्ड कप खेला गया।

टी-20 क्रिकेट क्या है?

T20 क्रिकेट खेल 20 ओवरों के रूप में खेला जाने वाला क्रिकेट के खेल का सबसे छोटा प्रारूप है। टी-20 क्रिकेट के अंतर्गत 20-20 प्रत्येक टीम 20 ओवर की पारी खेलती है। कुल 40 ओवर का मैच होता है। T20 क्रिकेट क्रिकेट का सबसे छोटा प्रारूप है, जो लगभग 3 घंटे में समाप्त हो जाता है।

टी-20 क्रिकेट का इतिहास

टेस्ट क्रिकेट बेहद लंबे यानि पाँच दिन और वनडे क्रिकेट के पूरे एक दिन लंबे प्रारूप के कारण विश्व स्तर पर क्रिकेट बहुत अधिक लोकप्रिय नहीं हो पा रहा था, जबकि अन्य खेल अधिकतम दो या तीन घंटे में समाप्त हो जाते हैं। इसीलिए क्रिकेट को विश्व स्तर पर अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए T-20 के फार्मेट में क्रिकेट का सबसे छोटा प्रारूप विकसित किया गया ताकि विश्व स्तर पर अनेक देशों में क्रिकेट लोकप्रिय हो सके।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहला टी-20 क्रिकेट मैच सन् 2005 में हुआ था, जब 17 फरवरी 2005 को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच पहला अंतरराष्ट्रीय टी-20 क्रिकेट मैच खेला गया था। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को 44 रन से हराकर जीत प्राप्त की थी।

धीरे-धीरे क्रिकेट का ये सबसे छोटा फार्मेट लोकप्रिय होने लगा और अन्य देशों में भी टी-20 क्रिकेट मैच खेला जाने लगा।

भारत ने अपना पहला टी-20 क्रिकेट मैच 1 दिसंबर 2007 को खेला था।

T20 क्रिकेट को और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए ICC द्वारा 2007 में पुरुषों के टी-20 वर्ल्ड कप का आयोजन करने का निर्णय लिया गया।

तब से 2022 तक आठ टी-20 वर्ल्ड कप खेले जा चुके हैं। नौवां टी-20 मेन्स वर्ल्ड कप 2024 में अमेरिका-वेस्टइंडीज मे खेला जा रहा है।

सभी टी20 वर्ल्ड कप का पूरा इतिहास (History of All Mens T20 World Cup Cricket)

अब 2022 तक हुए सभी टी-20 वर्ल्ड कप का इतिहास जान लेते हैं।

पहला टी-20 वर्ल्ड कप (1st T-20 World Cup)

पहला टी-20 वर्ल्ड कप दक्षिण अफ्रीका में 11 से 24 सितंबर 2007 तक खेला गया था।

इस वर्ल्ड कप में कुल 12 टीमों ने भाग लिया, जिनमें 10 टेस्ट क्रिकेट खेले वाले देश और दो एसोसियेट देशों के टूर्नाामेंट के विजेता और उपविजेता थे। इन 12 टीमों को तीन-तीन टीमों के ग्रुप में बांटा गया। ये ग्रुप A, B, C, D थे।

पहले T20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली सभी 12 टीमें

ग्रुप Aदक्षिणी अफ्रीकाबांग्लादेशवेस्टइंडीज
ग्रुप Bआस्ट्रेलियाइंग्लैंडजिम्बाब्वे
ग्रुप Cश्रीलंकान्यूजीलैंडकेन्या
ग्रुप Dभारतपाकिस्तानस्कॉटलैंड

सभी 12 टीमों में से 8 टीमों ने अगले चरण सुपर-8 के लिए क्वलिफाई किया। हर ग्रुप की पहली दो टीमों को सुपर-8 में जगह मिली। सुपर-8 स्टेज में सभी 8 टीमों को दो ग्रुपों में बांटा गया।

सुपर-8 की टीमें

ग्रुप Eभारतन्यूजीलैंडदक्षिणी अफ्रीकाइंग्लैंड
ग्रुप Fपाकिस्तानऑस्ट्रेलियाश्रीलंकाबांग्लादेश

दोनों ग्रुप में हर टीम को बाकी तीनों टीमों से मैच खेलने थे। दोनों ग्रुप से टॉप की दो टीमों को सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करना था।

सेमीफाइनल में पहुँचने वाली टीमें और रिजल्ट

सेमीफाइनल 1भारतऑस्ट्रेलियाभारत जीता
सेमीफाइनल 2पाकिस्तानन्यूजीलैंडपाकिस्तान जीता

इस टूर्नामेंट का फाइनल मैच का फाइनल मैच भारत और पाकिस्तान के बीच 24 सितंबर 2007 को खेला गया जिसमें भारत ने पाकिस्तान को 5 रन से हराकर टी-20 क्रिकेट का पहला वर्ल्ड कप जीता।

भारत – 157/5 (20)
पाकिस्तान – 152/10 (19.3)

पहला T20 वर्ल्ड कप चैंपियन – भारत


दूसरा टी-20 वर्ल्ड कप (2nd T-20 World Cup)

दूसरा T-20 वर्ल्ड कप इंग्लैंड में 5 जून से 21 जून 2009 तक खेला गया, जिसमें कुल 12 टीमों ने भाग लिया।

दूसरे T20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली सभी 12 टीमें

ग्रुप Aभारतबांग्लादेशआयरलैंड
ग्रुप Bपाकिस्तानइंग्लैंडनीदरलैंड
ग्रुप Cश्रीलंकाऑस्ट्रेलियावेस्टइंडीज
ग्रुप Dन्यूजीलैंडदक्षिणी अफ्रीकास्कॉटलैंड

सभी 12 टीमों में से 8 टीमों ने अगले चरण सुपर-8 के लिए क्वालिफाई किया। हर ग्रुप की पहली दो टीमों को सुपर-8 में जगह मिली। सुपर-8 स्टेज में सभी 8 टीमों को दो ग्रुपों में बांटा गया। सुपर-8 में जाने वाली टीमें थीं..

सुपर-8 की टीमें

ग्रुप Eदक्षिणी अफ्रीकावेस्टइंडीजइंग्लैंडभारत
ग्रुप Fश्रीलंकापाकिस्तानन्यूजीलैंडआयरलैंड

दोनों ग्रुप में हर टीम को बाकी तीनों टीमों से मैच खेलने थे। दोनों ग्रुप से टॉप की दो टीमों को सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करना था।

सेमीफाइनल में पहुँचने वाले टीमें और रिजल्ट

सेमीफाइनल 1दक्षिणी अफ्रीकापाकिस्तानपाकिस्तान जीता
सेमीफाइनल 2श्रीलंकावेस्टइंडीजश्रीलंका जीता

इस टूर्नामेंट का फाइनल मैच पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच खेला गया।  फाइनल में पाकिस्तान ने श्रीलंका को हराकर दूसरा T-20 वर्ल्ड कप जीता।

श्रीलंका – 138/6 (20)
पाकिस्तान – 139/4 (18.2)

दूसरा T20 वर्ल्ड कप चैंपियन – पाकिस्तान


तीसरा टी-20 पुरुष वर्ल्ड कप (3rd T-20 World Cup)

तीसरा T-20 विश्वकप अगले ही साल यानि 2010 में वेस्टइंडीज में 30 अप्रैल से 16 मई 2010 के बीच खेला गया। इस टूर्नामेंट में भी कुल 12 टीमों में भाग लिया था।, जिनमें 10 टेस्ट क्रिकेट खेले वाले देश और दो एसोसियेट देश के टूर्नाामेंट के विजेता और उपविजेता थे।

तीसरे T20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली सभी 12 टीमें

ग्रुप Aऑस्ट्रेलियापाकिस्तानबांग्लादेश
ग्रुप Bन्यूजीलैंडश्रीलंकाजिम्बॉब्वे
ग्रुप Cभारतदक्षिणी अफ्रीकाअफगानिस्तान
ग्रुप Dवेस्टइंडीजइंग्लैंडआयरलैंड

पिछले टूर्नामेंट की तरह ही सभी 12 टीमों में से 8 टीमों ने अगले चरण सुपर-8 के लिए क्वलिफाई किया। हर ग्रुप की पहली दो टीमों को सुपर-8 में जगह मिली। सुपर-8 स्टेज में सभी 8 टीमों को दो ग्रुपों में बांटा गया। सुपर-8 में जाने वाली टीमें थीं..

सुपर-8 की टीमें

ग्रुप Eइंग्लैंडपाकिस्तानन्यूजीलैंडदक्षिणी अफ्रीका
ग्रुप Fऑस्ट्रेलियाश्रीलंकावेस्टइंडीजभारत

दोनों ग्रुप में हर टीम को बाकी तीनों टीमों से मैच खेलने थे। दोनों ग्रुप से टॉप की दो टीमों को सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करना था।

सेमीफाइनल में पहुँचने वाले टीमें और रिजल्ट

सेमीफाइनल 1इंग्लैंडश्रीलंकाइंग्लैंड जीता
सेमीफाइनल 2ऑस्ट्रेलियापाकिस्तानऑस्ट्रेलिया जीता

टूर्नामेंट का फाइनल मैच इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया, जिसमें इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को 7 विकेट से हराकर तीसरा T-20 वर्ल्ड कप जीता।

ऑस्ट्रेलिया – 147/6 (20)
इंग्लैंड – 1483 (17)

तीसरा T20 वर्ल्ड कप चैंपियन – इंग्लैंड


चौथा टी-20 वर्ल्ड कप (4th T-20 World Cup)

चौथा टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप सन 2012 में 18 सितंबर से 7 अक्टूबर 2012 के बीच श्रीलंका में खेला गया। इस टूर्नामेंट में भी कुल 12 टीमों ने हिस्सा लिया था, जिनमें 10 टेस्ट खेलने वाले देश और दो एसोसियेट सदस्य थे।

चौथे T20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली सभी 12 टीमें

ग्रुप Aइंग्लैंडभारतअफगानिस्तान
ग्रुप Bऑस्ट्रेलियावेस्टइंडीजआयरलैंड
ग्रुप Cश्रीलंकादक्षिणी अफ्रीकाजिम्बॉब्वे
ग्रुप Dपाकिस्तानन्यूजीलैंडबांग्लादेश

सभी 12 टीमों में से 8 टीमों ने अगले चरण सुपर-8 के लिए क्वलिफाई किया। हर ग्रुप की पहली दो टीमों को सुपर-8 में जगह मिली। सुपर-8 स्टेज में सभी 8 टीमों को दो ग्रुपों में बांटा गया।

सुपर-8 की टीमें

ग्रुप Eश्रीलंकावेस्टइंडीजइंग्लैंडन्यूजीलैंड
ग्रुप Fऑस्ट्रेलियापाकिस्तानभारतदक्षिणी अफ्रीका

दोनों ग्रुप में हर टीम को बाकी तीनों टीमों से मैच खेलने थे। दोनों ग्रुप से टॉप की दो टीमों को सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करना था।

सेमीफाइनल में पहुँचने वाली टीमें और रिजल्ट

सेमीफाइनल 1श्रीलंकापाकिस्तानश्रीलंका जीता
सेमीफाइनल 2वेस्टइंडीजऑस्ट्रेलियावेस्टइंडीज जीता

टूर्नामेंट का फाइनल मैच श्रीलंका और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया, जिसमें वेस्टइंडीज ने श्रीलंका को 36 रन से हराकर चौथा T-20 वर्ल्ड कप जीता।

वेस्टइंडीज – 137/6 (20)
श्रीलंका – 101/10 (18.4)

चौथा T20 वर्ल्ड कप चैंपियन – वेस्टइंडीज


पाँचवा टी-20 वर्ल्ड कप (5th T-20 World Cup)

पाँचवा T-20 वर्ल्ड कप बांग्लादेश में 16 मार्च से 6 अप्रेल 2014 के बीच खेला गया। इस बार कुल टीमों की संख्या 16 थी, जिनमें 10 टेस्ट खेलने वाले देश और 6 एसोसियेट सदस्य थे।

पाँचवें T-20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली सभी 16 टीमों के नाम इस प्रकार थे…

पाँचवें T20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली सभी 16 टीमें

भारतपाकिस्तानबांग्लादेशश्रीलंका
ऑस्ट्रेलियान्यूजीलैंडइंग्लैंडवेस्टइंडीज
दक्षिणी अफ्रीकाआयरलैंडअफगानिस्तानजिम्बॉब्वे
नीदरलैंडनेपालयूनाइटेड अरब अमीरातहांगकाग

सभी 16 टीमों में से 8 टीमों ने सीधे अगले चरण सुपर-10 के लिए क्वलिफाई किया।  जबकि 8 देशों को क्वालीफाइंग स्टेज से गुजरना पड़ा, जिन्हे दो ग्रुपों में बांटा गया। हर ग्रुप की टॉप टीम को अगले सुपर-10 राउंड के लिये प्रवेश मिला।

टूर्नामेंट में आरंभिक राउंड के बाद 10 टीमों ने सुपर-10 में प्रवेश किया।

सुपर-10 की टीमें

ग्रुप 1श्रीलंकादक्षिणी अफ्रीकाइंग्लैंडन्यूजीलैंडनीदरलैंड
ग्रुप 2भारतवेस्टइंडीजपाकिस्तानऑस्ट्रेलियाबांग्लादेश

दोनों ग्रुप में हर टीम को बाकी चारों टीमों से मैच खेलने थे। दोनों ग्रुप से टॉप की दो टीमों को सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करना था।

सेमीफाइनल में पहुँचने वाली टीमें और रिजल्ट

सेमीफाइनल 1श्रीलंकावेस्टइंडीजश्रीलंका जीता
सेमीफाइनल 2भारतदक्षिणी अफ्रीकाभारत जीता

इस टूर्नामेंट का फाइनल मैच श्रीलंका और भारत के बीच खेला गया. जिसमें श्रीलंका ने भारत को 6 विकेट हराकर पाँचवा टी-20 वर्ल्ड कप जीता।

भारत – 130/4 (20)
श्रीलंका – 134/4 (17.5)

पाँचवा T20 वर्ल्ड कप चैंपियन –  श्रीलंका


छठा टी-20 वर्ल्ड कप (6th T-20 World Cup)

छठा टी-20 विश्वकप भारत में ही खेला गया। ये टूर्नामेंट 8 मार्च से 3 अप्रैल 2016 तक खेला था, जिसमें पिछले टूर्नामेंट की तरह ही कुल 16 टीमों ने भाग लिया। इसमें 10 टेस्ट खेलने वाले देश और 6 एसोसियेट सदस्य थे।

छठे T20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली सभी 16 टीमें

भारतपाकिस्तानबांग्लादेशश्रीलंका
ऑस्ट्रेलियान्यूजीलैंडइंग्लैंडवेस्टइंडीज
दक्षिणी अफ्रीकाआयरलैंडअफगानिस्तानजिम्बॉब्वे
नीदरलैंडओमानस्कॉटलैंडहांगकाग

सभी 16 टीमों में से 8 टीमों ने सीधे अगले चरण सुपर-10 के लिए क्वलिफाई किया।  जबकि बाकी 8 देशों को पिछले टूर्नामेंट की तरह क्वालीफाइंग स्टेज से गुजरना पड़ा, जिन्हे दो ग्रुपों में बांटा गया। हर ग्रुप की टॉप टीम को अगले सुपर-10 राउंड के लिये प्रवेश मिला।

टूर्नामेंट में आरंभिक राउंड के बाद 10 टीमों ने सुपर-10 में प्रवेश किया।

सुपर-10 की टीमें

ग्रुप 1वेस्टइंडीजइंग्लैंडदक्षिणी अफ्रीकाश्रीलंकाअफगानिस्तान
ग्रुप 2न्यूजीलैंडभारतऑस्ट्रेलियापाकिस्तानबांग्लादेश

दोनों ग्रुप में हर टीम को बाकी चारों टीमों से मैच खेलने थे। दोनों ग्रुप से टॉप की दो टीमों को सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करना था।

सेमीफाइनल में पहुँचने वाली टीमें और रिजल्ट

सेमीफाइनल 1न्यूजीलैंडइंग्लैंडइंग्लैंड जीता
सेमीफाइनल 2वेस्टइंडीजभारतवेस्टइंडीज जीता

इस टूर्नामेंट का फाइनल मैच वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच खेला गया, जिसमें वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को 4 विकेट से हराकर दूसरी बार T-20 वर्ल्ड कप जीता।

इंग्लैंड – 155/9 (20)
वेस्टइंडीज – 161/6 (19.4)

छठा T20 वर्ल्ड कप चैंपियन – वेस्टइंडीज

इस तरह वेस्टइंडीज दो बार टी-20 विश्वकप जीतने वाला पहला देश बन गया।

उसके बाद अगले दो तीन सालों तक विश्व कर का आयोजन नही हुआ। सन् 2020 में भारत में सातवें वर्ल्ड कप का आयोजन होना था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण ये टूर्नामेंट आयोजित नही हो सका और अगले साल 2021 में इस टूर्नामेंट के आयोजन का निर्णय लिया गया।


सातवां टी-20 वर्ल्ड कप (7th T-20 World Cup)

सातवां टी-20 वर्ल्ड कप जो 2021 में भारत में आयोजित होना था, वो कोरोना महामारी के कारण संयुक्त अरब अमीरात में स्थानांतरित हो गया। मूल रूप से इसका आयोजनकर्ता भारत ही रहा। इस टूर्नामेंट में भी 16 टीमों ने भाग लिया।

सातवें T20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली सभी 16 टीमें

भारतपाकिस्तानबांग्लादेशश्रीलंका
ऑस्ट्रेलियान्यूजीलैंडइंग्लैंडवेस्टइंडीज
दक्षिणी अफ्रीकाआयरलैंडनीदरलैंडस्कॉटलैंड
नामीबियाओमानपापुआ न्यू गिनीअफगानिस्तान

सभी 16 टीमों में से 8 टीमों ने सीधे अगले चरण सुपर-12 के लिए क्वलिफाई किया।  जबकि बाकी 8 देशों को पिछले टूर्नामेंट की तरह क्वालीफाइंग स्टेज से गुजरना पड़ा, जिन्हे दो ग्रुपों में बांटा गया। हर ग्रुप की टॉप 2 टीमों को अगले सुपर-12 राउंड के लिये प्रवेश मिला।

टूर्नामेंट में आरंभिक राउंड के बाद 12 टीमों ने सुपर-12 में प्रवेश किया।

सुपर-12 की टीमें

ग्रुप 1इंग्लैंंडऑस्ट्रेलियादक्षिणी अफ्रीकाश्रीलंकावेस्टइंडीजबांग्लादेश
ग्रुप 2पाकिस्तानन्यूजीलैंडभारतअफगानिस्ताननामीबियाइंग्लैंड

दोनों ग्रुप में हर टीम को बाकी पाँचों टीमों से मैच खेलने थे। दोनों ग्रुप से टॉप की दो टीमों को सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करना था।

सेमीफाइनल में पहुँचने वाली टीमें और रिजल्ट

सेमीफाइनल 1इंग्लैंडन्यूजीलैंडन्यूजीलैंड जीता
सेमीफाइनल 2पाकिस्तानऑस्ट्रेलियाऑस्ट्रेलिया जीता

इस टूर्नामेंट का फाइनल मैच ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को 8 विकेट से हराकर सातवां टी-20 वर्ल्ड कप जीता।

न्यूजीलैंड – 172/4 (20)
ऑस्ट्रेलिया – 173/2 (18.5)

सातवां T20 वर्ल्ड कप चैंपियन – ऑस्ट्रेलिया 


आठवां टी-20 वर्ल्ड कप (8th T-20 World Cup)

आठवां टी-20 वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया में 16 अक्टूबर से 13 नंबवर 2022 तक ऑस्ट्रेलिया में खेला गया। इसमें भी 16 टीमों ने भाग लिया।

आठवें T20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली सभी 16 टीमें

भारतपाकिस्तानबांग्लादेशश्रीलंका
ऑस्ट्रेलियान्यूजीलैंडइंग्लैंडवेस्टइंडीज
दक्षिणी अफ्रीकाआयरलैंडनीदरलैंडस्कॉटलैंड
नामीबियाजिम्बॉब्वेपापुआ न्यू गिनीअफगानिस्तान

सभी 16 टीमों में से 8 टीमों ने सीधे अगले चरण सुपर-12 के लिए क्वलिफाई किया।  जबकि बाकी 8 देशों को पिछले टूर्नामेंट की तरह क्वालीफाइंग स्टेज से गुजरना पड़ा, जिन्हे दो ग्रुपों में बांटा गया। हर ग्रुप की टॉप 2 टीमों को अगले सुपर-12 राउंड के लिये प्रवेश मिला।

टूर्नामेंट में आरंभिक राउंड के बाद 12 टीमों ने सुपर-12 में प्रवेश किया।

सुपर-12 की टीमें

ग्रुप 1न्यूजीलैंडइंग्लैंडऑस्ट्रेलियाश्रीलंकाआयरलैंडअफगानिस्तान
ग्रुप 2भारतपाकिस्तानदक्षिणी अफ्रीकानीदरलैंडबांग्लादेशजिम्बॉब्वे

दोनों ग्रुप में हर टीम को बाकी पाँचों टीमों से मैच खेलने थे। दोनों ग्रुप से टॉप की दो टीमों को सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करना था।

सेमीफाइनल में पहुँचने वाली टीमें और रिजल्ट

सेमीफाइनल 1न्यूजीलैंडपाकिस्तानपाकिस्तान जीता
सेमीफाइनल 2भारतइंग्लैंडइंग्लैड  जीता

टूर्नामेंट का फाइनल मैच 13 नवंबर 2022 को इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच खेला गया। इंग्लैंड ने पाकिस्तान को फाइनल मैच में 5 विकेट से हराकर दूसरी बार T20 वर्ल्ड कप जीता।

इस तरह इंग्लैंड वेस्टइंडीज के बाद T20 वर्ल्ड कप दो बार जीतने वाला दूसरा देश बना।

पाकिस्तान – 137/8 (20)
इंग्लैंड – 138/5 (19)

आठवाँ T20 वर्ल्ड कप चैंपियन – इंग्लैंड


नौवां टी-20 वर्ल्ड कप (9th T-20 World Cup)

नौवां T20 वर्ल्ड कप वेस्टइंडीज और अमेरिका में 5 जून 2024 से 29 जून 2024 के बीच खेला गया। इस टूर्नामेंट में इस बार सर्वाधिक 20 टीमों ने भाग लिया। सभी 20 टीमों पाँच टीमों के चार ग्रुप में बांटा गया।

नौवें T-20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली सभी 20 टीमों के नाम इस प्रकार हैं…

Aभारतपाकिस्तानअमेरिकाकनाडाआयरलैंड
Bइंग्लैंडऑस्ट्रेलियास्कॉटलैंडनामीबियाओमान
Cवेस्टइंडीजन्यूजीलैंडअफगानिस्तानयुगांडापापुआ न्यू गिनी
Dदक्षिणी अफ्रीकाश्रीलंकाबांग्लादेशनीदरलैंडनेपाल

 

प्रत्येक ग्रुप में हर टीम के अपनी बाकी चारों टीमों से मैच खेलने थे। चारों ग्रुप में प्रत्येक ग्रुप की टॉप की 2 टीमों ने अगले सुपर-8 चरण के लिए क्वालिफाई किया।

ग्रुप मैचों में ही कई उलट-फेर हो गए और पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, श्रीलंका जैसी टीमें पहले चरण में ही बाहर हो गईं। जबकि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और अमेरिका जैसी कमजोर समझी जाने वाली टीमें अगले चरण के लिए क्वालिफाई कर गईं।

सुपर-8 के चरण के लिए जिन 8 टीमों ने क्वलिफाई किया उनके नाम इस प्रकार थे..

ग्रुप Aग्रुप Bग्रुप Cग्रुप D
भारतऑस्ट्रेलियावेस्टइंडीजदक्षिणी अफ्रीका
अमेरिकाइंग्लैंडअफगानिस्तानबांग्लादेश

सभी 8 टीमों को चार-चार टीमों  के दो ग्रुप में बांटा गया।

ग्रुप 1भारतऑस्ट्रेलियाबांग्लादेशअफगानिस्तान
ग्रुप 2दक्षिणी अफ्रीकाइंग्लैंडवेस्टइंडीजअमेरिका

 

सुपर 8 के मैचों में भी एक बड़ उलटफेर तब हुआ जब अफगानिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया को हरा दिया। इस कारण ऑस्ट्रेलिया सुपर 8 से ही बाहर हो गई।

सुपर 8 में ग्रुप 1 से भारत और अफगानिस्तान तथा ग्रुप 2 से दक्षिणी अफ्रीका और इंग्लैंड ने सेमीफाइनल के लिये क्वालिफाई किया।

पहला सेमीफाइनल 26 जून 2024 को अफगानिस्तान और दक्षिणी अफ्रीका के बीच खेला गया जिसमें दक्षिणी अफ्रीका ने अफगानिस्तान को 9 विकेट से हराकर पहली बार किसी आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया।

दूसरा सेमीफाइनल भारत और इंग्लैंड के बीच 27 जून 2024 के बीच खेला गया जिसमें भारत ने इंग्लैंड को 68 रनों से हराकर तीसरी बार टी-20 वर्ल्डकप के फाइनल में प्रवेश किया।

टूर्नामेंट का फाइनल मैच 29 जून 2024 को भारत और दक्षिणी अफ्रीका के बीच वेस्टइंडीज के बाराबडोस में खेला गया। भारत ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने का निर्णय लिया।

भारत के तीन विकेट रोहित शर्मा ऋषभ पंत और सूर्यकुमार यादव के रूप में जल्दी गिर जाने के बाद विराट कोहली और अक्षर पटेल ने भारतीय टीम को संभाला और संकट से निकलकर एक अच्छी साझेदारी की। उसके बाद भारत ने कुल 7 विकेट खोकर कल 176 रन बनाए और दक्षिण अफ्रीका को 177 रन का लक्ष्य दिया।

जवाब में दक्षिण अफ्रीका के भी दो विकेट जल्दी गिर गए लेकिन उसके बाद हेनरी क्लासन ने जबर्दस्त पारी खेल कर दक्षिण अफ्रीका को लगभग जीत की स्थिति में पहुंचा दिया था। एक समय दक्षिण अफ्रीका को 30 गेंद में 30 रन बने थे और उसके पास 6 विकेट बाकी थे, लेकिन हार्दिक पांड्या द्वारा हेनरी क्लासेन के आउट होने के बाद दक्षिण अफ्रीका की टीम उस लक्ष्य को नहीं पा सकी और सात रन पहले ही आउट हो गई।

इस तरह भारत ने दक्षिण अफ्रीका को सात रन से हराकर दूसरी बार T20 वर्ल्ड कप जीता।

अभी तक हुए सभी आठ T20 वर्ल्ड कप विजेताओं की सूची इस प्रकार है

वर्षचैंपियनरनरअपप्लेयर ऑफ
दि सीरीज
टॉप रन
स्कोरर
टॉप विकेट
बॉलर
मेजबान
2007भारतपाकिस्तानशाहिद
आफरीदी
मैथ्यू हेडेनउमर गुलदक्षिणी
अफ्रीका
2009पाकिस्तानश्रीलंकातिलकरत्ने
दिलशान
तिलकरत्ने
दिलशान
उमर गुलइंग्लैंड
2010इंग्लैंडऑस्ट्रेलियाकेविन
पीटरसन
महेला
जयवर्द्धने
ड्रिक नॉनेसवेस्टइंडीज
2012वेस्टइंडीजश्रीलंकाशेन
वाटसन
अजंता मेंडिसश्रीलंका
2014श्रीलंकाभारतविराट
कोहली
विराट
कोहली
एहसान मलिक
इमरान ताहिर
बांग्लादेश
2016वेस्टइंडीजइंग्लैंडविराट
कोहली
तमीम इकबालमोहम्मद नबीभारत
2021ऑस्ट्रेलियान्यूजीलैंडबाबर
आजम
वानिंदु हसरंगाभारत
2022इंग्लैंडपाकिस्तानसैम करनविराट
कोहली
वानिंदु हसरंगाऑस्ट्रेलिया
2024भारतदक्षिणी अफ्रीकाजसप्रीत बुमराहविराट कोहलीजसप्रीत बुमराहवेस्टइंडीज

 

 

नौवां T20 वर्ल्ड कप चैंपियन –


ये भी पढ़ें…

पुरुषों के वनडे वर्ल्ड कप क्रिकेट के सभी 13 वर्ल्डकप का पूरा इतिहास जानें।

T20 World Cup 2024 में भाग लेने वाली सभी 20 टीमों और उनके खिलाड़ियों के नाम जानिए।

T20 World Cup 2024 में भाग लेने वाली सभी 20 टीमों और उनके खिलाड़ियों के नाम जानिए।

पुरुषों का 9वां T20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup 2024) 4 जून 2024 से शुरु होने वाला है। पुरुषों के T20 वर्ल्ड कप के इस 9वें संस्करण का आयोजन वेस्टइंडीज और अमेरिका में संयुक्त रूप से किया जाएगा। क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट के इस महत्वपूर्ण इवेंट में कुल 20 टीमें भाग लेंगी।

T20 World Cup 2024 में भाग लेने वाले 20 देशों को पाँच टीमों के चार ग्रुप में बांटा गया है। ये सभी 20 टीमें और उनके ग्रुप इस प्रकार हैं….

ग्रुप A: भारत, पाकिस्तान, आयरलैंड, कनाडा, अमेरिका

ग्रुप B: इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, नामीबिया, स्कॉटलैंड, ओमान

ग्रुप C: न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज, अफगानिस्तान, युगांडा, पापुआ न्यूगिनी

ग्रुप D: दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, बांग्लादेश, नीदरलैंड, नेपाल

भाग लेने वाले सभी देशों द्वारा अपनी अपनी टीमों की घोषणा आरंभ हो चुकी है। लगभग सभी टीमों ने क्रिकेट वर्ल्ड कप में भाग लेने के लिए 15 सदस्य  दल का ऐलान कर दिया है जो कि इस प्रकार है…

भारत (India) की टीम

रोहित शर्मा (कप्तान)हार्दिक पंड्या (उप-कप्तान)विराट कोहली
सूर्यकुमार यादवऋषभ पंतयशस्वी जायसवाल
संजू सैमसनरविंद्र जडेजाअक्षर पटेल
जसप्रीत बुमराहमोहम्मद सिराजकुलदीप यादव
यजुवेंद्र चहलअर्शदीप सिंहशिवम दुबे

रिजर्व खिलाड़ी – शुभमन गिल, खलील अहमद, आवेश खान, रिंकू सिंह


ऑस्ट्रेलिया (Australia) की टीम

मिचेल मार्श (कप्तान)एश्टन एगरपैट कमिंस
टिम डेविडनाथन एलिसकैमरून ग्रीन
जोश हेजलवुडट्रैविस हेडजोश इंग्लिस
ग्लेन मैक्सवेलमिचेल स्टार्कमार्कस स्टोइनिस
मैथ्यू वेडडेविड वार्नरएडम जम्पा

रिजर्व खिलाड़ी – जेक फ्रेजर मैकगर्क, मैथ्यू शार्ट


न्यूजीलैंड (New Zealand) की टीम

केन विलियमसन (कप्तान)फिन एलनट्रेंट बोल्ट
माइकल ब्रेसवेलडीवोन कॉन्वेलॉकी फर्ग्युसन
मार्क चैपमेनमैट हेनरीडेरिल मिचेल
जिम्मी नीशमग्लेन फिलिप्सटिम साउदी
रचिन रवींद्रमिचेल सेंटनरईश सोढ़ी

साउथ अफ्रीका (South Africa) की टीम

एडेन मार्करम (कप्तान)जेराल्ड कोएत्जीक्विंटन डिकॉक
ओटनील बार्टमैनब्योर्न फोर्टुइनरीजी हेंड्रिक्स
मार्को यानसेनहेनरिक क्लासेनकेशव महाराज
डेविड मिलरएनरिक नॉर्टजेकैगिसो रबाडा
रयान रिकेलटनतबरेज शम्सीट्रिस्टन स्टब्स

वेस्टइंडीज (West Indies) की टीम

रोवमैन पॉवेल (कप्तान)अल्जारी जोसेफ (उप-कप्तान)आंद्रे रसेल
निकोलसन पूरनशिमरॉन हेटमायरजॉनसन चार्ल्स
रोस्टन चेजजेसन होल्डरशाई होप
अकील हुसैनशमर जोसेफब्रैंडन किंग
गुडाकेश मोतीशेरफेन रदरफोर्डरोमारियो शेफर्ड

इंग्लैंड (England) की टीम

जोस बटलर (कप्तान)जॉनी बेयरस्टोसैम कुरन
हैरी ब्रुकबेन डकेटटॉम हार्टले
विल जैकक्रिस जॉर्डनलियाम लिविंगस्टोन
जोफ्रा आर्चरफिल साल्टरीस टॉपले
मार्क वुडमोईन अलीआदिल राशिद

पाकिस्तान (Pakistan) की टीम

बाबर आजम (कप्तान)आजम खानफख़र जमां
हारिस रऊफइफ्तिखार अहमदइमाद वसीम
नसीम शाहशाहीन अफरीदीउस्मान खान
सईम अयूबमोहम्मद आमिरइमाद वसीम
मोहम्मद रिजवानशादाब खानअबरार अहमद

श्रीलंका (Sri Lanka) की टीम

वानिंदु हसरंगा (कप्तान)चरिथ असलंका (उपकप्तान)कुसल मेंडिस
पथुम निसांकाकामिंदु मेंडिससदीरा समरविक्रमा
एंजेलो मैथ्यूजदासुन शनाकाधनंजय डी सिल्वा
महीश तीक्ष्णादुनिथ वेल्लागेनुवान तुषारा
मथीशा पथिरानादुष्मंथा चमीरादिलशान मदुशंका


रिजर्व खिलाड़ी – 
असिथा फर्नांडो, विजयकांत वियास्कंथ, भानुका राजपक्षे, जेनिथ लियानागे।


बांग्लादेश (Bangladesh) की टीम

नजमुल हुसैन शान्तो (कप्तान)तंजीम हसन तमीमलिटन दास
शाकिब अल हसनतौहीद हृदोयमहमुदुल्लाह
सौम्या सरकारजेकर अलीमहेदी हसन
तस्कीन अहमदतनवीर इस्लामरिशाद हुसैन
मुस्तफिजुर रहमानशोरफुल इस्लामतंजीद हसन साकिब

अफगानिस्तान (Afghanistan) की टीम

राशिद खान (कप्तान)रहमानुल्लाह गुरबाजइब्राहीम जादरान
नजीबुल्लाह जादरानमोहम्मद इशाकअजमतुल्लाह ओमरजई
मोहम्मद नबीगुलबदीन नैयबकरीम जनत
नंग्याल खरोतीमुजीब उर रहमाननूर अहमद
नवीन उल हकफजलहक फारुकीफरीद अहमद मलिक


रिजर्व खिलाड़ी –
सेदिक अटल, हजरतुल्लाह जजई, सलीम सफी


अमेरिका (America) की टीम

मोनांक पटेल (कप्तान)आरोन जोन्स (उप-कप्तान)एंड्रीज़ गौस
कोरी एंडरसनअली खानहरमीत सिंह
जेसी सिंहमिलिंद कुमारनिसर्ग पटेल
नीतीश कुमारनोश्तुश केनजिगेसौरभ नेथ्रालवकर
शैडली वान शल्कविकस्टीवन टेलरशायन जहांगीर


रिजर्व खिलाड़ी –
गजानंद सिंह, जुआनॉय ड्राईस्डेल, यासिर मोहम्मद।

साद बिन जफर (कप्तान)एरोन जॉनसनदिलन हेइलिगर
दिलप्रीत बाजवाहर्ष ठाकेरजेरेमी गॉर्डन
जुनैद सिद्दीकीकलीम सनाकंवरपाल ताथगुर
नवनीत धालीवालनिकोलस किरटनपरगट सिंह
रविंदरपाल सिंहरेयानखान पठानश्रेयस मोव्वा


रिजर्व खिलाड़ी –
तजिंदर सिंह, आदित्य वरदराजन, अम्मार खालिद, जतिंदर मथारू, परवीन कुमार।


 

आयरलैंड (Ireland) की टीम 

पॉल स्टर्लिंग (कप्तान)मार्क अडायररॉस अडायर
एंड्रयू बालबर्नीकर्टिस कैंपरगैरेथ डेलानी
जॉर्ज डॉकरेलग्राहम ह्यूमजोश लिटिल
बैरी मैक्कार्थीनील रॉकहैरी टेक्टर
लोर्कन टकरबेन व्हाइटक्रेग यंग

स्कॉटलैंड (Scotland) की टीम

रिची बेरिंगटन (कप्तान)मैथ्यू क्रॉसब्रैडली करी
क्रिस ग्रीव्सओली हेयर्सजैक जार्विस
माइकल जोन्समाइकल लीस्कब्रैंडन मैकमुलेन
जॉर्ज मुन्सेसफयान शरीफक्रिस सोल
चार्ली टियरमार्क वॉटब्रैड व्हील

नीदरलैंड (Netherland) की टीम

स्कॉट एडवर्ड्स (कप्तान)आर्यन दत्तबास डी लीडे
काइल क्लेनलोगान वैन बीकमैक्स ओ’डोड
माइकल लेविटपॉल वैन मीकेरेनसाकिब जुल्फिकार
साइब्रांड एंगेलब्रेक्टतेजा निदामानुरुटिम प्रिंगल
विक्रम सिंहविव किंग्मावेस्ले बर्रेसी

ओमान (Oman) का टीम 

आकिब इलियास (कप्तान)जीशान मकसूदकश्यप प्रजापति
प्रतीक अठावले (विकेटकीपर)अयान खानशोएब खान
नसीम खुशी (विकेटकीपर)मोहम्मद नदीममेहरान खान
बिलाल खानरफीउल्लाहकलीमुल्लाह
शकील अहमदखालिद कैलफैयाज बट


रिजर्व खिलाड़ी –
जतिंदर सिंह, समय श्रीवास्तव, सुफियान महमूद, जय ओडेद्रा


नामीबिया (Namibia) की टीम 

गेरहार्ड इरास्मस (कप्तान)ज़ेन ग्रीनमाइकल वान लिंगेन
डायलन लीचररूबेन ट्रम्पेलमैनजैक ब्रासेल
बेन शिकोंगोनिको डेविनजान फ्रिलिंक
जे जे स्मिटजान फ्राइलिनकजेपी कोट्ज़
डेविड विसेबर्नार्ड शोल्ट्ज़मालन क्रूगर

पीडी ब्लिग्नॉट


नेपाल (Nepal) की टीम

रोहित पौडेल (कप्तान)आसिफ शेखअनिल कुमार साह
कुशल भुर्टेलकुशल मल्लाकमल सिंह ऐरी
दीपेंद्र सिंह ऐरीललित राजबंशीकरण केसी
गुलशन झासोमपाल कामीप्रतीस जीसी
संदीप जोराअविनाश बोहरासागर ढकाल

ये भी पढ़ें…

9वें T20 वर्ल्डकप का शेड्यूल घोषित हुआ। भारत के मैचों का शेड्यूल और पूरे टूर्नामेंट का शेड्यूल जानें।

दुष्यंत कुमार – हिंदी के पहले ग़ज़लकार (जीवननामा)

दुष्यंत कुमार हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि, कथाकार और गजलकार थे। गजल मूल रूप से उर्दू भाषा की विधा है, लेकिन दुष्यंत कुमार में हिंदी में ग़ज़ल लिखकर हिंदी ग़ज़ल की नींव डाली। इस प्रकार उन्हें हिंदी का पहला ‘ग़ज़लकार’ कहा जा सकता है। आइए दुष्यंत दुष्यंत कुमार (Hindi Ghazal poet Dushyant Kumar Life Scan) के बारे में कुछ जानते हैं…

दुष्यंत कुमार का जन्म और परिचय

दुष्यंत कुमार जैन का पूरा नाम ‘दुष्यंत कुमार त्यागी’ था। उनका जन्म 1 सितंबर 1931 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद की नजीबाबाद तहसील के गाँव राजपुर नवादा में हुआ था।

दुष्यंत कुमार का पूरा नाम दुष्यंत कुमार त्यागी था। वे उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद की नजीबाबाद तहसील के गाँव ‘राजपुर नवादा’ गाँव में जन्मे थे। उनके पिता का नाम भगवत सहाय था और उनकी माता का नाम राम किशोरी देवी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा उनके गाँव के विद्यालय में ही हुई थी। उन्होंने निकटतम कस्बा ‘नहटौर’ से दसवीं की शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद चंदौसी से 12वीं की शिक्षा प्राप्त की।

दुष्यंत कुमार बचपन से ही काव्य प्रतिभा के धनी थे, इसलिए उन्होंने तभी से कविता लिखना आरंभ कर दिया था जब वह दसवीं कक्षा में थे। जब वे 12वीं कक्षा में थे तो उनका विवाह भी हो गया। उनकी पत्नी का नाम राजेश्वरी कौशिक था।

बाद में दुष्यंत कुमार ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में बी ए और एमपी किया। वहीं पर उन्हें डॉक्टर धीरेंद्र वर्मा और डॉ रामकुमार वर्मा आदि मिले। इसके अलावा हिंदी साहित्य जगत के अनमोल साहित्यकार कमलेश्वर, धर्मवीर भारती, जय नारायण, देव शाही आदि से भी उनका संपर्क होता गया और वह हिंदी साहित्य जगत में पूरी तरह सक्रिय होते गए।

दुष्यंत कुमार ने बाद में मुरादाबाद से बी.एड. किया और 1958 में दिल्ली के आकाशवाणी में कार्य करने लगे उन्होंने मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग के भाषा विभाग में भी काम किया।

उनके समय में जब आपातकाल की घटना हुई तो उनका कवि मन विद्रोह कर उठा था और अपने विद्रोह और आक्रोश को उन्होंने अपनी कविताओं एवं गजलों के माध्यम से प्रस्तुत किया।

साए में धूप उनका सबसे प्रसिद्ध गजल संग्रह है।

क्योंकि वह सरकारी सेवा में कार्यरत थे और सरकार के विरोध में होने के कारण उन्हें सरकारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था।

दुष्यंत कुमार की रचनाएं हमेशा व्यवस्था के विरुद्ध आक्रोश का प्रतीक बनीं। उनकी रचनाओं से व्यवस्था के विरुद्ध नाराजगी झलकती रही है।

दुष्यंत कुमार की रचनायें…

धर्मइस मोड़ से तुम मुड़ गईंआज सड़कों परबहुत संभाल के रखी हैं तो पाएमाल हुई
यह क्योंसूना घरएक आशीर्वादसूर्यास्त – एक इम्प्रेशन
एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान हैये शफक शाम हो रही है अबएक नई हैं आदतें बातों को सर करनी होंगीनज़र-नवाज़ नज़ार बदल न जाए कहीं
किसी को क्या पता था इस अदा पर मर मिटेंगे हमबाएं से उड़के दाईं दिशा को गरुड़ गयाहालाते-जिस्म, सूरते-जी जाँ और भी खराबतीन दोस्त
अफवाह है या सच है ये कोई नही बोलाजिंदगानी का कोई मकसद नहीं हैआग जलती रहेतुमने पाँव के नीचे कोई जमीन नहीं
ये शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो मुक्तकरोज जब रात को बारह का नजर होता हैहो गई है पीर पर्वत
लफ्ज़ एहसास से छाने लगे ये तो हद हैये जुबाँ हमसे सी नही जातीचीटियों की आवाज कानों तक पहुँचती हैमेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएंगे
अब तो पथ यही हैवो निगाहे सलीब हैंये धुएं का एक घेरा कि मैं जिसमें रह रहा हूँअगर खुदा न करे सच ये ख्वाब हो जाए
मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँतूने ये हरसिंगार हिलाकर बुरा कियाउसे क्या कहूँइनसे मिलिए
होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिएहोली की ठिठोलीधूप ये अठखेलियाँ हर रोज करती हैअपाहिज व्यथा
गीत का जन्मटेपा सम्मेलन के लिए गजलइस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो हैतुमने इस तालाब मे रोहू पकड़ने के लिए
वे धुएँ का एक घेरा कि मैं जिसमें रह रहा हूँअब किसी को नजर आती  नहीं कोई दरारलफ्ज़ एहसास-से छाने लगे ये तो हद हैमापदण्ड बदलो
 गाँधीजी के जन्मदिन परसूचनाये आदमी नही हैं मुकम्मल बयान हैकहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिए
मत करो आकाश में कोहरा घना हैये सच है कि पाँवों में बहुत से कष्ट उठाएबाढ़ की संभावनाएं सामने हैंविदा के बाद प्रतीक्षा
जाने किस-किसका ख्याल आया हैचीथड़े में हिंदुस्तानकुण्ठातुमको निहारता हूँ सुबह से ऋतम्बरा
फिर कर लेने दो प्यार प्रियेदो पोजअपनी प्रेमिका सेक्षमा
सत्य बतलानाहालाते जिस्म, सूरते जाँ और भी खराबईश्वर की सूलीचिंता
देशपुनर्स्मरणप्रेरणा के नामएक कबूरत चिट्ठी लेकर पहली पहली बार उड़ा
एक आशीर्वादआज वीरान अपना घर देखाकौन यहाँ आया था

 

दुष्यंत कुमार कुछ ग़ज़लों की प्रसिद्ध पंक्तियां…

“कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो”

“मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए”

“कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए”

“ज़िंदगी जब अज़ाब होती है
आशिक़ी कामयाब होती है”

“सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मे मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

देहावसान

दुष्यंत कुमार का निधन बेहद कम आयु में मात्र 44 वर्ष की आयु में 30 दिसंबर 1975 को हृदयाघात से हो गया था।


ये भी पढ़ें…

फणीश्वरनाथ रेणु – ग्रामीण जीवन की जीवंत को कागज पर उकेरने वाले कथाकार (जीवन परिचय)

रामधारी सिंह दिनकर – वीर रस के अद्भुत कवि (जीवन परिचय)

कम्प्यूटर की स्पीड स्लो है? ये मैथड अपनाकर कम्प्यूटर की स्पीड बूस्ट करें।

अपने लैपटॉप या डेस्कटॉप ही स्लो स्पीड से परेशान हैं, तो चिंता मत कीजिए, दिए गए स्टेप को फॉलो करें और अपने increase computer performance speed को boost करें। आपको हम कुछ स्टेप बता रहे हैं, आप इनको आजमाएं। निश्चित रूप से आपके लैपटॉप या डेस्कटॉप की स्पीड पहले से कई गुना बूस्ट हो जाएगी। आइए देखते हैं…

हम अक्सर अपने कंप्यूटर की स्लो चलने की समस्या से परेशान रहते हैं। हमारा लैपटॉप ओर डेस्कटॉप काम करते समय बेहद स्लो चलने लगता है और हमारा जो काम 1 घंटे में होना चाहिए वह काम करने के लिए हमें 2 घंटे लग जाते हैं। ऐसे में हमारे मन में कंप्यूटर की स्पीड बढ़ाने की बात उठती है कि कंप्यूटर की स्पीड कैसे बढ़ाई जाए? यहाँ पर हम आपको कुछ स्टेप दे रहे हैं, आप इन्हें आजमाएं।

निश्चित रूप से आपके लैपटॉप/डेस्कटॉप की स्पीड कई गुना बढ़ जाएगी और आप अपने computer performance speed को boost कर पायेंगे। आप अपना काम बेहद आसानी से कर सकोगे। आइए देखते हैं…

Increase computer performance speed

Step 1

अपने Windows search bar  में जाइए जो कि कम्प्यूटर की स्क्रीन के बॉटम में बायें कार्नर पर विंडोज आईकॉन के पास होती है। सर्च बार में टाइप कीजिए Storage setting ऊपर storage setting का ऑप्शन आएगा। उस पर क्लिक करें। ओपन करें। एक विंडो ओपन होगी आपके पीसी का स्टोरेज कैलकुलेट करने में चंद सेकंड लगेंगे। आपको उस विंडो में आपके पीसी की अलग-अलग स्टोरेज कैटेगरी दिखेंगी।

आप Temporary files कैटेगरी को सलेक्ट करना है। एक नई लिस्ट ओपन होगी आपको जो स्टोरेज ऑप्शन डिलीट करना है आप उसे बॉक्स में चेक [✔ ] कर लें। ध्यान रहे कि डाउनलोड फोल्डर को अनचेक करें क्योकि उसमे आपके जरूरी डाउनलोड हो सकते हैं। अगर उसमे आपका कोई जरूरी डाउनलोड नही है तो उसे भी डिलीट करने के लिए चेक ✔ कर लें। इस तरह आप अपने पीसी से बहुत सी गैर जरूरी स्टोरेज फाइल को डिलीट करके स्पेस को फ्री कर पाएंगे। अब दूसरा स्टेप फॉलो करें..

Step 2

फिर से विंडो के सर्च बार में जाएं और टाइप करें। Background apps एक नई विंडो ओपन होगी। इस विंडो में आपको आपके पीसी में बैकग्राउंड में जो Apps चल रहे हैं वो शो हो रहे होंगे। आप चाहें तो सबसे ऊपर ऊपर बटन पर क्लिक करके सारे बैकग्राउंड में सारे apps ऑफ कर सकते हैं या आप जो ऐप को ऑफ करना चाहते हैं और जिन ऐप को आप बैकग्राउंड में चलते रहने देना चाहते हैं, यानि जो आपको जरूरी लगते हैं, वह आप वह apps बारी-बारी से सलेक्ट करे लें। जो ऐप आपको लगता है कि आपके लिए जरूरी नहीं है आप उन्हें सेलेक्ट करके ऑफ कर दें। अब तीसरा स्टेप आजमाएं.

Step 3

अपने विंडो सर्च बार में जाएं और वहाँ पर टाइप करें… Performance

आपको ऊपर ये ऑप्शन दिखेगा।

Adjust the appearance and performance of windows

इस पर क्लिक करें। एक विंडो ओपन होगी। वहाँ आपको कई ऑप्शन दिखेंगे, जोकि इस प्रकार होंगे..

Let’s window choose what’s best for my computer Adjust for this appearance Adjust for this performance Custom

डिफाल्टली पहला ऑप्शन सलेक्ट मिलेगा। आपको तीसरा ऑप्शन सलेक्ट करना है।

Adjust for this performance

नीचे की लिस्ट में सारे ऑप्शन जो कि check ✔ थे वो uncheck हो जायेंगे। आपको लास्ट के तीन ऑप्शन को  check ✔ कर लेना है।

अब चौथा स्टेप आजमाएं… 

Step 4

cntr + R की सहायता से रन कमांड बार ओपन करें। Run command bar में टाइप करें.. TEMP

एक टेम्परेरी फाइल का फोल्डर ओपन होगा। आपको सारी फाइलें सलेक्ट कर लेनी है। cntr + A की सहायता से सारी फाइलें सलेक्ट कर लें और सभी फाइलों को डिलीट कर दें। कुछ फाइले जो इस समय चल रही एप्लीकेशन द्वारा यूज की जा रही होंगी वो डिलीट नही होंगी वो फाइले skip कर दें।

अब पाँचवा स्टेप फॉलो करें…

Step 5

ctrl + R दबायें Run window में टाइप करें.. %temp%

एक फोल्डर ओपन होगा इसमे सारी टेम्परेरी फाइल को डिलीट कर दें। कुछ फाइल करेंट टाइम मे यूज किये जाने के कारण डिलीट नही होगी उन्हे स्किप कर दें।

अब छठा स्टेप फॉलो करें

Step 6

ctrl + R दबायें Run window में टाइप करें.. Cleanmgr

एक छोटी सी विंडो ओपन होगी। उसमे दी लिस्ट के सारे ऑप्शन check ✔ कर लें और Ok कर दें।

अब सातवाँ स्टेप फॉलो करें। 

Step 7

ctrl + R दबायें Run window में टाइप करें.. Prefetch

एक फोल्डर फिर ओपन होगा। उसमे मौजूद सारी फाइल फोल्डर को सलेक्ट करके डिलीट कर दें। कुछ करेंट फाइलें डिलीट नही होंगी वो skip  कर दें।

अब आठवां स्टेप फॉलो करें..

Step 8

ctrl + R दबायें Run window में टाइप करें.. TREE

आपकी सारी विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम की फाइलें के क्रम में सेट हो जायेंगी।

अब अंतिम स्टेप फॉलो करें।

Step 9

आपकी रीसाइकिल बिन में अभी भी बहुत सी फाइलें रह गयी हो जोकि ऊपर के स्टेप द्वारा आपने डिलीट की थीं। डेस्कटॉप पर मौजूद अपनी recycle bin आइकॉन पर राइट क्लिक करें।

Empty the recycle bin ऑप्शन को सलेक्ट करें। आपके पीसी की recycle bin empty हो जायेगी।

अब आपको अपने पीसी को रीस्टार्ट करने की जरूरत है। अपने पीसी को रीस्टार्ट करें। रीस्टार्ट करने के बाद आप अपने पीसी की परफारर्मेंस में निश्चित रूप से फर्क पायेंगे और ये पहले की अपेक्षा तेज चल रहा होगा। इस तरह आप अपने computer performance speed को boost कर पायेंगे।


ये भी पढ़ें…

व्हाट्सएप पर ये सेटिंग तुरंत कर लें, नही तो कोई भी आपकी लोकेशन जान सकता है।

Abhishek Porel Life Scan – क्रिकेटर अभिषेक पोरेल को जानिए।

अभिषेक पोरेल भारत नए उभरते हुए क्रिकेटर हैं, एक विकेटकीपर भी है। वह TATA IPL सीजन 2023 से दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेल रहे है। उनका छोटा सा लाइफ स्कैन (Abhishek Porel Life Scan) करते हैं…

अभिषेक पोरेल के जीवन पर नजर (Abhishek Porel Life Scan)

युवा बल्लेबाज विकेटकीपर आईपीएल के इस ताजा सीजन 2024 में दिल्ली के कैपिटल्ल के मिले बल्लेजबाज के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 21 वर्षीय ये युवा बल्लेबाज जिन्होंने वर्ष 2022 में घरेलू क्रिकेट खेलना शुरू किया था।  वह राज्य स्तरीय क्रिकेट में बंगाल क्रिकेट टीम के लिए खेलते हैं। वर्तमान समय वह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में दिल्ली कैपिटल्स (DC) के लिए खेलते हैं।

जन्म और परिवार

अभिषेक पोरेल का जन्म 17 अक्टूबर 2002 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता महानगर के चंदननगर नामक कस्बे में हुआ था। यहीं पर उनका पालनपोषण और पढ़ाई हुई। अभिषेक पोरेल के पिता का नाम चंद्रनाथ पोरेल है। वह एक किसान हैं और उन्हें कबड्डी खेलना बहुत पसंद है। अभिषेक की माँ का अनिमा पोरेल है। अभिषेक पोरेल का एक बड़ा भाई है जिसका नाम इशान पोरेल है वह भी एक क्रिकेटर है जो आईपीएल में पंजाब किंग्स के लिए चुके हैं।

क्रिकेट और करियर

अभिषेक पोरेल का क्रिकेट करियर 2022 में आरंभ हुआ जब उन्होंने घरेलु स्तर पर क्रिकेट खेलना आरंभ किया। वह पश्चिम बंगाल के एक छोटे से शहर चंदननगर में पले-बढ़े, जहां उन्होंने कम उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया। उन्हें हमेशा खेलों में रुचि थी और उन्होंने फुटबॉल और टेनिस जैसे विभिन्न खेल खेले, लेकिन क्रिकेट के प्रति जुनून के कारण वह क्रिकेट की तरफ खिंचे चले आए।

अभिषेक पोरेल ने अब तक अपने करियर में 16 प्रथम श्रेणी, तीन लिस्ट ए मैच खेले है। वह आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स के लिए 2023 में तीन टी20 मैच खेले थे। और 2024 के सीजन में दिल्ली कैपिटल्स के हर मैंच नियमित रूप से खेल रहे हैं।

अभिषेक बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते हैं और विकेटकीपर भी हैं। साल 2022 में उन्हें बंगाल की सीनियर टीम के लिए खेलते देखा गया और 2021-2022 रणजी सीजन में बड़ौदा के खिलाफ खेलते हुए अपना फर्स्ट-क्लास क्रिकेट डेब्यू किया. वो सय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी में भी बंगाल के लिए खेल चुके हैं।

अभिषेक पोरेल दिल्ली कैपिटल्स ने इंडियन प्रीमियर लीग 2023 के लिए ऋषभ पंत के रिप्लेसमेंट के रूप में 2023 के सीजन में लिया था। रिषभ पंत तो 2024 के सीजन में वापस आ गए लेकिन अभिषेक दिल्ली कैपिटल्स के लिए एक बल्लेबाज के रूप में लगातार खेल रहे हैं।

फर्स्ट क्लास क्रिकेट मे डेब्यू

उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट के साथ घरेलू क्रिकेट खेलना शुरू किया और 20 फरवरी 2022 को कटक में बंगाल बनाम बड़ौदा के मैच में एफसी में पदार्पण किया। उन्हें केवल 16 प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने का मौका मिला है

लिस्ट ए क्रिकेट में डेब्यू

उन्होंने 17 नवंबर 2022 को रांची में बंगाल बनाम पुडुचेरी के मैच में अपनी लिस्ट ए की शुरुआत की। और उन्हें अब तक केवल 3 लिस्ट ए क्रिकेट मैच खेलने का मौका मिला है।

टी20 क्रिकेट डेब्यू

उन्होंने 14 अक्टूबर 2022 को लखनऊ में बंगाल बनाम ओडिशा के मैच में अपना टी20 डेब्यू किया। उसके बाद से वह आईपीएल में भी अपना डेब्यू कर चुके है।

अभिषेक पोरेल के दिल्ली कैपिटल्स में सैलरी

अभिषेक पोरेल को दिल्ली कैपिटल्स ने 20 लाख के बेस प्राइज पर खरीदा था। यानि वह दिल्ली कैपिटल्स से 20 लाख रूपये की सैलरी पाते हैं।


ये भी पढ़ें…

कौन हैं ध्रुव जुरेल? भारत के नए उभरते विकेटकीपर।

महिला क्रिकेट में युवा सनसनी शैफाली वर्मा का लाइफ स्कैन

आईपीएल के सभी सीजन में प्लेऑफ और फाइनल में किसी टीम का प्रदर्शन कैसा रहा। जानें।

इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल की शुरुआत 2008 में हुई। 2008 में जब आईपीएल की शुरुआत हुई, तब 8 फ्रेंचाइजी टीमें शामिल थीं। बाद में कई नई फ्रेंचाइजी टीमें शामिल की गईं, तो कुछ फ्रेंचाइजी इस लीग से आउट भी हो गईं। फिलहाल आईपीएल में 10 फ्रेंचाइजी टीमें में खेल रही हैं।

जिन फ्रेंचाइजी टीमों ने 2008 में डेब्यू किया था, उनमें से सात फ्रेंचाइजी टीम में अभी भी खेल रही हैं तो केवल एक टीम डेक्कन चार्जर्स हमेशा के लिए आईपीएल से आउट हो गई। उसके अलावा तीन नई फ्रेंचाइजी टीमें में भी बाद में जोड़ी गईं। बीच मे जोड़ी गईं चार टीमें एक या दो सीजन ही खेल पाईं।

आईपीएल के इस सभी 17 सीजन में मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स 5 बार चैंपियन बन चुकी हैं। कोलकाता नाइट राइडर्स चैंपियन 2 बार बन चुकी है। जो अभी तक चैंपियन नहीं बनी है यानी आईपीएल का टाइटल नहीं जीत पाईं हैं, यह टीम प्लेऑफ में जाती हैं लेकिन फाइनल तक का सफर या तो तय नहीं कर पाती या फिर फाइनल में रनर अब बनकर रह जाती हैं। इनमें रॉयल चैलेंजर्स, पंजाब किंग्स और दिल्ली कैपिटल्स का नाम प्रमुख हैं।

आईपीएल में कौन सी टीम ने कब प्लेऑफ या फाइनल खेला और कितनी टीमें कौन सा फाइनल और या प्लेऑफ खेल चुकी हैं, उन सबका विवरण इस प्रकार हैं…

2008परिणामतारीख
सेमीफाइनल-1दिल्ली डेयर डेविल्सVsराजस्थान रॉयल्सRR जीता30 मई
सेमीफाइनल-2चेन्नई सुपर किंग्सVsपंजाब किंग्स इलेवनCSK जीता31 मई
फायनलचेन्नई सुपर किंग्सVsराजस्थान रॉयल्सRR जीता1 जून
चैंपियनराजस्थान रॉयल्स (RR)

 

2009परिणामतारीख
सेमीफाइनल-1दिल्ली डेयर डेविल्सVsडेक्कन चार्जर्सDC जीता22 मई
सेमीफाइनल-2चेन्नई सुपर किंग्सVsरॉयल चैलेंजर्स बेंगलोरRCB जीता23 मई
फायनलडेक्कन चार्जर्सVsरॉयल चैलेंजर्स बेंगलोरDC जीता24 मई
चैंपियनडेक्कन चार्जस (DC) 

 

2010परिणामतारीख
सेमीफाइनल-1रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsमुंबई इंडियंसMI जीता22 अप्रेल
सेमीफाइनल-2चेन्नई सुपर किंग्सVsडेक्कन चार्जर्सCSK जीता24 अप्रेल
फायनलचेन्नई सुपर किंग्सVsमुंबई इंडियंसCSK जीता25 अप्रेल
चैंपियनचेन्नई सुपर किंग्स (CSK)

 

2011परिणामतारीख
क्वलिफायर-1रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsचेन्नई सुपर किंग्सCSK जीता24 मई
एलिमिनेटरकोलकाता नाइट राइडर्सVsमुंबई इंडियंसMI जीता25 मई
क्वलिफायर-2रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsमुंबई इंडियंसMI जीता27 मई
फायनलमुंबई इंडियंसVsचेन्नई सुपर किंग्सCSK जीता28 मई
चैंपियनचेन्नई सुपर किंग्स (CSK)

 

2012परिणामतारीख
क्वलिफायर-1कोलकाता नाइट राइडर्सVsदिल्ली डेयर डेविल्सKKR जीता22 मई
एलिमिनेटरचेन्नई सुपर किंग्सVsमुंबई इंडियंसCSK जीता23 मई
क्वलिफायर-2दिल्ली डेयर डेविल्सVsचेन्नई सुपर किंग्सCSK जीता25 मई
फायनलकोलकाता नाइट राइडर्सVsचेन्नई सुपर किंग्सKKR जीता27 मई
चैंपियनकोलकाता नाइट राइडर्स (KKR)

 

2013परिणामतारीख
क्वलिफायर-1चेन्नई सुपर किंग्सVsमुंबई इंडियंसCSK जीता21 मई
एलिमिनेटरसनराइजर्स हैदराबादVsराजस्थान रॉयल्सSRH जीता22 मई
क्वलिफायर-2सनराइजर्स हैदराबादVsमुंबई इंडियंसMI जीता24 मई
फायनलमुंबई इंडियंसVsचेन्नई सुपर किंग्सMI जीता26 मई
चैंपियनमुंबई इंडियंस (MI)

 

2014परिणामतारीख
क्वलिफायर-1कोलकाता नाइट राइडर्सVsकिंग्स इलेवन पंजाबKKR जीता28 मई
एलिमिनेटरचेन्नई सुपर किंग्सVsमुंबई इंडियंसCSK जीता28 मई
क्वलिफायर-2किंग्स इलेवन पंजाबVsचेन्नई सुपर किंग्सPBKS जीता31 मई
फायनलकोलकाता नाइट राइडर्सVsकिंग्स इलेवन पंजाबKKR जीता1 जून
चैंपियनकोलकाता नाइट राइडर्स (KKR)

 

2015परिणामतारीख
क्वलिफायर-1मुंबई इंडियंसVsचेन्नई सुपर किंग्सCSK जीता19 मई
एलिमिनेटररॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsराजस्थान रॉयल्सRCB जीता20 मई
क्वलिफायर-2चेन्नई सुपर किंग्सVsरॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरCSK जीता22 मई
फायनलमुंबई इंडियंसVsचेन्नई सुपर किंग्सMI जीता24 मई
चैंपियनमुंबई इंडियंस (MI)

 

2016परिणामतारीख
क्वलिफायर-1गुजरात लायंसVsरॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरRCB जीता24 मई
एलिमिनेटरसनराइजर्स हैदराबादVsकोलकाता नाइट राइडर्सSRH जीता25 मई
क्वलिफायर-2गुजरात लायंसVsसनराइजर्स हैदराबादCSK जीता27 मई
फायनलरॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsसनराइजर्स हैदराबादSRH जीता29 मई
चैंपियनसनराइजर्स हैदराबाद (SRH)

 

2017परिणामतारीख
क्वलिफायर-1राइजिंग पुणे सुपरजायंट्सVsमुंबई इंडियंस RPS जीता16 मई
एलिमिनेटरसनराइजर्स हैदराबादVsकोलकाता नाइट राइडर्स KKR जीता17 मई
क्वलिफायर-2कोलकाता नाइट राइडर्सVsमुंबई इंडियंस MI जीता19 मई
फायनलराइजिंग पुणे सुपर जायंट्सVsमुंबई इंडियंस MI जीता21 मई
चैंपियनमुंबई इंडियंस (MI)

 

2018परिणामतारीख
क्वलिफायर-1सनराइजर्स हैदराबादVsचेन्नई सुपर किंग्स SRH जीता22 मई
एलिमिनेटरकोलकाता नाइट राइडर्सVsराजस्थान रॉयल्स KKR जीता23 मई
क्वलिफायर-2सनराइजर्स हैदराबादVsकोलकाता नाइट राइडर्स SRH जीता25 मई
फायनलसनराइजर्स हैदराबादVsचेन्नई सुपर किंग्स CSK जीता27 मई
चैंपियनचेन्नई सुपर किंग्स (CSK)

 

2019परिणामतारीख
क्वलिफायर-1चेन्नई सुपर किंग्सVsमुंबई इंडियंस MI जीता7 मई
एलिमिनेटरदिल्ली कैपिटल्सVsसनराइजर्स हैदराबाद DC जीता8 मई
क्वलिफायर-2दिल्ली कैपिटल्सVsचेन्नई सुपर किंग्स CSK जीता10 मई
फायनलमुंबई इंडियंसVsचेन्नई सुपर किंग्स MI जीता12 मई
चैंपियनमुंबई इंडियंस (MI)

 

2020परिणामतारीख
क्वलिफायर-1दिल्ली कैपिटल्सVsमुंबई इंडियंस MI जीता5 नवंबर
एलिमिनेटरसनराइजर्स हैदराबादVsरॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर SRH जीता6 नवंबर
क्वलिफायर-2दिल्ली कैपिटल्सVsसनराइजर्स हैदराबाद DC जीता8 नवंबर
फायनलदिल्ली कैपिटल्सVsमुंबई इंडियंस DC जीता10 नवंबर
चैंपियनमुंबई इंडियंस (MI)

 

2021परिणामतारीख
क्वलिफायर-1दिल्ली कैपिटल्सVsचेन्नई सुपर किंग्सCSK जीता10 अक्टूबर
एलिमिनेटररॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsकोलकाता नाइट राइडर्सKKR जीता11 अक्टूबर
क्वलिफायर-2दिल्ली कैपिटल्सVsकोलकाता नाइट राइडर्सKKR जीता13 अक्टूबर
फायनलचेन्नई सुपर किंग्सVsकोलकाता नाइट राइडर्सCSK जीता15 अक्टूबर
चैंपियनचेन्नई सुपर किंग्स (CSK)

 

2022परिणामतारीख
क्वलिफायर-1गुजरात टाइटंसVsराजस्थान रॉयल्सGT जीता24 मई
एलिमिनेटररॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsलखनऊ सुपर जायंट्सRCB जीता25 मई
क्वलिफायर-2रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsराजस्थान रॉयल्सRR जीता27 मई
फायनलगुजरात टाइटंसVsराजस्थान रॉयल्सGT जीता29 मई
चैंपियनगुजरात टाइटंस (GT)

 

2023परिणामतारीख
क्वलिफायर-1चेन्नई सुपर किंग्सVsगुजरात टाइटंसCSK जीता23 मई
एलिमिनेटरमुंबई इंडियंसVsलखनऊ सुपरजायंट्सMI जीता24 मई
क्वलिफायर-2मुंबई इंडियंसVsगुजरात टाइटंसGT जीता26 मई
फायनलचेन्नई सुपर किंग्सVsगुजरात टाइटंसCSK जीता29-30 मई
चैंपियनचेन्नई सुपर किंग्स (CSK)

 

2024परिणामतारीख
क्वलिफायर-1Vs21 मई
एलिमिनेटरVs22 मई
क्वलिफायर-2Vs24 मई
फायनलVs26 मई
चैंपियन

 

 


ये भी पढ़ें…

दिल्ली कैपिटल्स-गुजरात टाइटंस के बीच मैच में बने नए रिकार्ड।

आईपीएल में एक ओवर में 5 या 6 छक्के कब और किसने लगाए हैं?

दिल्ली कैपिटल्स-गुजरात टाइटंस के बीच मैच में बने नए रिकार्ड।

24 अप्रैल 2024 को आईपीएल के क्षेत्र में सीजन में दिल्ली कैपिटल और 2000 गुजरात टाइटंस के बीच हुए मैच में दिल्ली के कप्तान ऋषभ पंत की धमाकेदार पारी के कारण दिल्ली ने गुजरात को 4 रन से हरा दिया।

कप्तान ऋषभ पंत ने 43 गेंद में 88 रन की धमाकेदार पारी खेल कर अनेक नए रिकॉर्ड को बनाए।

आईपीएल के इतिहास में एक ओवर में 31 रन बनने का रिकॉर्ड इसी मैच में बना।

दिल्ली कैपिटल्स की पारी का आखिरी ओवर गुजरात टाइटंस मोहित शर्मा ने डाला। सामने थे ऋषभ पंत। पंत ने मोहित को  चार छक्के और एक चौका लगाया। इस तरह किसी एक ओवर में सबसे अधिक 31 रन बनाने का रिकॉर्ड बनाया।

आईपीएल में किसी एक पारी में एक गेंदबाज की गेंदों पर एक ही बैटर द्वारा सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड भी ऋषभ पंत का रहा । इस रिकार्ड के लिए  उन्होंने मोहित शर्मा द्वारा फेंकी गई 18 गेंद पर 62 रन कूट दिए।

इससे ये पहले रिकॉर्ड विराट कोहली के नाम था जिन्होंने 2013 के सीजन में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए उमेश यादव की कुल 17 गेंदों पर 52 रन बनाए थे। यह रिकार्ड 2013 में दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ ही बनाया था।

ऋषभ पंत ने न केवल आईपीएल पूरी दुनिया के फर्स्ट क्लास टी20 में किसी एक बैटर द्वारा किसी बॉलर के खिलाफ सबसे अधिक रन का रिकार्ड बनाया है।

आईपीएल में बैटर द्वारा बॉलर के खिलाफ सबसे अधिक रन

2024 – 62 रन (ऋषभ पंत) – 18 बॉल (मोहित शर्मा)
2013 – 52 रन (विराट कोहली) – 18 बॉल (उमेश यादव)
2017 – 51 रन (हाशिम अमला – लसिथ मलिंगा
2020 – 48 रन (केएल राहुल) – 18 (डेल स्टेन)
2019 – 47 रन (कीरोन पोलार्ड) – 15 (सैम करन)
2014 – 47 रन (कीरोन पोलार्ड) – 18 (अमित मिश्रा)

गुजरात के बॉलर मोहित शर्मा एक पारी में सबसे अधिक रन देने वाले अनचाहे रिकॉर्ड से भी जुड़ गए। उन्होंने एक पारी में कुल 73 रन दिए।

इस तरह का आईपीएल के इतिहास में सबसे अधिक रन देने वाले गेंदबाज बन गए। इससे पहले ही रिकॉर्ड गेंदबाज बासिल थम्पी के नाम पर जिन्होंने 2018 में सनराइजर्स हैदराबाद की तरफ से आरसीबी के खिलाफ मैच खेलते हुए कल 70 रन दिए थे।

एक पारी में सबसे अधिक रन देने का रिकार्ड

73 रन – मोहित शर्मा (गुजरात टाइटंस) Vs दिल्ली कैपिटल्स (दिल्ली – 2024)
70 रन – बासिल थम्पी (सनराइजर्स हैदराबाद) Vs  रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (बेंगलुरु – 2018)
69 रन – यश दयाल (गुजरात टाइटंस) Vs कोलकाता नाइट राइडर्स (अहमदाबाद 2023)
68 रन – रीस टॉप्ले (रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु) Vs सनराइर्स हैदराबाद (बेंगलुरु – 2024)

ऋषभ पंत ने इस मैच में एक रिकॉर्ड और बनाया। वह दिल्ली कैपिटल्स की तरफ से सबसे ज्यादा 50+ स्कोर करने वाले दूसरे खिलाड़ी बन गए यानी उन्होंने दिल्ली कैपिटल की तरफ से सबसे अधिक हाफ सेंचुरी रिकॉर्ड बनाने में दूसरे स्थान पर आ गए है। उन्होंने दिल्ली कैपिटल्स के कुल 19 हाफ सेंचुरी मारी हैं।

ये रिकॉर्ड फिलहाल डेविड वार्नर के नाम है। डेविड वार्नर दिल्ली की तरफ दिल्ली कैपिटल्स की तरफ से 24 हाफ सेंचुरी मारी हैं।

दिल्ली कैपिटल्स के लिए सबसे अधिक हाफ सेंचुरी

24 – डेविड वार्नर
19 – ऋषभ पंत
18 – श्रेयस अय्यर
18 – शिखर धवन
16 – वीरेंद्र सहवाग

दिल्ली कैपिटल्स की टीम आखिरी पांच ओवर में सबसे अधिक रन बनाने के मामले में भी दूसरे स्थान पर आ गई। उसने आखिरी 5 ओवर में कुल 97 रन बनाए।

यह रिकॉर्ड रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के नाम है, जिसने 2016 के सीजन में आखिरी पांच ओवर में गुजरात लायंस के खिलाफ 112 रन बनाए थे।


ये भी पढ़ें…

आईपीएल में कौन-कौन सी टीमें सबसे कम स्कोर पर आउट हुईंं जानें पूरी लिस्ट।

IPL के सभी सीजन में टीमों द्वारा बनाए गए सर्वोच्च स्कोर की पूरी लिस्ट जानिए।

आर्गेनिक FOOD को अपनाकर अपनी सेहत को GOOD बनाएं।

आज के मिलावट भरे युग में जहाँ हर तरह के खानपान में मिलावट है। ऐसे में सब्जियां, फल आदि भी मिलावट और केमिकल से युक्त आने लगे हैं। केमिकल और पेस्टिसाइड्स आदि की सहायता जल्दी विकसित और पकाये गये ये फल हमारी सेहत को धीरे-धीरे बेहद नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे समय में ऑर्गेनिक फूड (Organic Food) का प्रचलन बेहद बढ़ा है। ये आर्गेनिक सब्जी और फल बिल्कुल प्राकृतिक रूप उगाये गये फल-सब्जियाँ है, जो हमारी सेहत के लिए बेहद लाभकारी हैं और हमारी सेहत को गुड बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

ऑर्गेनिक फूड सेहत गुड – Organic Food Health Good

स्वास्थ्य का संबंध सीधे पेट से होता है यानी हमारा खान-पान अच्छा होगा तो हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा होगा। हमारे खान-पान के ऊपर ही हमारा स्वास्थ्य टिका होता है। अगर हमारा खान-पान जरा भी गड़बड़ा गया तो हमारा सेहत चौपट होना बिल्कुल तय है। आज के इस मिलावटी खानपान के युग में तो हमें अपने खान-पान पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। ऑर्गेनिक फूड इसका बेहतर विकल्प है।

ऑर्गेनिक फूड क्या होता है?

ऑर्गेनिक फूड या ऑर्गेनिक फल व सब्जियां कोई विशेष फल या सब्जी या नहीं होते। ये स्वाभाविक रूप से उगाए गए फल और सब्जियां होते हैं। हम जानते हैं कि आजकल अधिक से अधिक लाभ कमाने का और प्रतिस्पर्धा का युग है। उत्पादन की अपेक्षा मांग अधिक है। इसका प्रभाव खेती पर भी पड़ा है।

खेती करने वाले किसान कम समय में जल्दी फसल तैयार करने और अधिक से अधिक फसल तैयार करने के लोभ में कीटनाशकों और केमिकल द्वारा फसल को जल्दी पकाते हैं, जिससे वो जल्दी तैयार हो जाती है और उन्हें उसी समय में दो बार फसल उगाने का मौका मिल जाता है। वे पेस्टिसाइड्स का अधिक से अधिक उपयोग करते हैं, जो कि फल-सब्जी के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और फिर खाने के माध्यम से मनुष्य के शरीर में पहुँचकर उसकी सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। ऑर्गेनिक फल या सब्जियां कोई विशेष फल या सब्जियां नहीं है। वह प्राकृतिक रूप से उगाए गए वे ही फल या सब्जी हैं जो आज से कुछ समय पहले ही किसान प्राकृतिक रूप से उगाते थे।

प्राचीन तरीके से बिना किसी केमिकल और बिना किसी कीटनाशक के स्वाभाविक रूप से फसलें उगाई जाती थी और उन्हें उनके सही समय पर पकने दिया जाता था, जिससे उनमें सारे स्वभाविक गुण आ जाते थे और किसी भी तरह के हानिकारक तत्व नहीं आते थे। यह सभी स्वभाविक रूप से उगाये गये  फल व सब्जियां ऑर्गेनिक फूड कहलाते हैं लेकिन आज के युग में ऐसे फल व सब्जियां मिलने बहुत मुश्किल हो गए हैं।

ऑर्गेनिक फूड की पहचान कैसे होती है?

ऑर्गेनिक फल या सब्जियां बाहर से देखने में सामान्य फल या सब्जी की तरह लगते हैं, लेकिन सामान्य रूप से ऑर्गेनिक फल या  सब्जियां बाजार में नहीं मिलते इसलिए उनकी पहचान करना आसान है, क्योंकि ऑर्गेनिक फल या सब्जियां महंगे होते हैं और सर्टिफाइड होते हैं। इन पर ऑर्गेनिक होने की पहचान लगी होती है।

अगर सामान्य तौर पर ऑर्गेनिक फूड और सामान्य फल सब्जी में अंतर किया जाए तो बाहर से देखने में दोनों एक से लगते हैं, लेकिन थोड़ी कोशिश से हम दोनों के बीच पहचान कर सकते हैं। ऑर्गेनिक फल या सब्जियों में उनकी स्वाभाविक व तेज गंध होती है, जो कि उस फल या सब्जी की स्वभाविक गंध होती है। जबकि केमिकल और कीटनाशकों द्वारा उगाए गए फल या सब्जी में उतनी तेज गंध नहीं होती। आर्गेनिक सब्जी पकाने में जल्दी पक जाती हैं, जबकि केमिकल द्वारा उगाई गईं सब्जियां देर से पकती है।

आर्गेनिक फल और सब्जियों की विशेषताएं

ऑर्गेनिक फल और सब्जियां प्राकृतिक रूप से उगाया जाए फल और सब्जियां होते हैं, जो किसी भी तरह के हानिकारक तत्वों से रहित होते हैं। ऑर्गेनिक फल और सब्जियों की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं।

  • आर्गेनिक फल एवं सब्जियों में किसी भी तरह के विषैले तत्व नहीं पाए जाते। ऑर्गेनिक फल या सब्जियों के उगाने में किसी भी तरह के केमिकल, पेस्टिसाइड्स, प्रिजर्वेटिस या किसी भी तरह की दवाई  जैसी हानिकारक चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसी कारण इनमें से विषैले तत्व नहीं पाए जाते।
  • ऑर्गेनिक सब्जियां प्राकृतिक रूप से ऑर्गेनिक फॉर्म में उगाए जाते हैं, जिन्हें उन्हें स्वाभाविक रूप से विकसित होने दिया जाता है और किसी भी तरह के केमिकल अथवा पेस्टिसाइड का उपयोग न किए जाने के कारण यह अपने स्वाभाविक गुणों से भरपूर होते हैं।
  • आर्गेनिक फल और सब्जियाँ पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें विटामिन, प्रोटीन, कैल्शियम, मिनरल आदि सभी तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं।
  • ऑर्गेनिक फल और सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट्स अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, क्योंकि इनको उगाने में किसी भी तरह के नाटक का उपयोग नहीं किया जाता है, इसीलिए इन फलों सब्जियों में उनके पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
  • ऑर्गेनिक फल और सब्जियां प्राकृतिक रूप से विकसित होने के कारण अपने पौष्टिक गुणों से युक्त होते हैं, जिस कारण ये मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
  • जिस फार्म में ऑर्गेनिक फल या सब्जी उगाए जाते हैं, उस जमीन को लगभग दो साल के लिए खाली छोड़ दिया जाता है ताकि उस फॉर्म की मिट्टी में मिले हुए पेस्टिसाइड या अन्य हानिकारक तत्वों का असर पूरी तरह खत्म हो जाए। उसके बाद स्वाभाविक रूप से इस तरह के फल एवं सब्जियों की खेती की जाती है।
  • ऑर्गेनिक फल और सब्जियां मानव की प्रतिरोधक क्षमता शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य करते है, क्योंकि यह प्राकृतिक एवं पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं।

आर्गेनिक फूड (Organic Food) के रूप मे क्या ज्यादा पापुलर हैं?

ऑर्गेनिक फल और सब्जियों का मतलब ये नही कि हर तरह के आर्गेनिक फल और सब्जियां होते है। आर्गेनिक फल और सब्जियों में मौसमी फल एवं सब्जियों की अधिक मांग होती है। ये भी जरूरी नही कि आर्गेनिक केवल फल या सब्जियां ही होते हैं। मिलावट तो आजकल हर तरह के खाद्य पदार्थों में होने लगी है। इसलिए आर्गेनिक फूड के रूप में अनाज, दाल, चावल, तेल, शहद, चाय, मसाले आदि अन्य खाद्य पदार्थ भी आने लगे हैं।

ऑर्गेनिक फल और सब्जी मंहगे क्यो होते हैं?

ऑर्गेनिक फल या सब्जियों तथा अन्य खाद्य पदार्थों के महंगा होने का मुख्य कारण यह होता है कि आर्गेनिक रूप गाने वाले फूड जिनमें फल, सब्जियां, अनाज या अन्य पदार्थ शामिल है, वह एक लंबी प्रक्रिया से गुजार कर उगाए जाते हैं। इस कार्य में काफी समय लगता है। इनको उगाने में किसी भी तरह के केमिकल, पेस्टिसाइड तथा दवा आदि का प्रयोग नहीं किया जाता। इस कारण इनका उत्पादन धीमी गति से और कम स्तर पर हो पाता है, तथा लागत अधिक लगती है। ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों की मांग बहुत अधिक मात्रा में है, तो आपूर्ति के मुकाबले मांग अधिक होने के कारण ही ऑर्गेनिक फूड अधिक महंगे होते हैं।

आर्गेनिक फूड (Organic Food) का सही तरीके से उपयोग करना सीखें।

अपने घर में ऑर्गेनिक फूड के नाम पर फूड लाकर उसे गलत तरीके से पकाने से उसका सही लाभ उनको नहीं मिल सकता। यदि ऑर्गेनिक फूड को अपने घर में लाये हैं, तो उसे पकाने का भी सही तरीका होना चाहिए। ऑर्गेनिक फूड को मिलाकर उसे खूब देर तक पकायेंगे या उसमें और उसमें दूसरे हानिकारक फूड मिला देंगे तो ऑर्गेनिक फूड के जो भी पोषक तत्व है, वह खत्म हो जाएंगे और आपको उसका  का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाएगा। इसलिए ऑर्गेनिक फूड को पकाने और खाने का तरीका भी संभाल कर प्रयोग में लाना चाहिए और उसे कम से कम पका कर खाना चाहिए ताकि उसके पोषक तत्व नष्ट नहीं हो।

ऑर्गेनिक को बनायें अपनी जीवन शैली

जैसा कि पहले बताया गया है कि ऑर्गेनिक का मतलब खाली फल या सब्जी से नहीं होता। इनके अलावा अनाज, तेल, दाल-चावल भी आर्गेनिक होते हैं। आजकल तो हर तरह के खाद्य पदार्थ और दूसरी दैनिक जीवन के काम में आने वाले पदार्थ भी ऑर्गेनिक आने लगे हैं।

ऑर्गेनिक से मतलब प्राकृतिक और शुद्ध रूप से तैयार किए गए पदार्थों से होता है, इसलिए हम यदि अपने जीवन में अधिक से अधिक ऑर्गेनिक पदार्थों को जगह देंगे तो हम अपने स्वास्थ्य को और अधिक मजबूत करेंगे। बहुत से लोग ऑर्गेनिक जीवन शैली की तरफ एकदम से नहीं मुड़ पाते। इसके पीछे ऑर्गनिक पदार्थों का महंगा होना होना हो सकता है। इसके लिए हम धीरे-धीरे ऑर्गेनिक जीवन शैली को अपने जीवन में जगह दे कर दे सकते हैं और एक क्रमवार तरीका अपनाकर थोड़े से शुरुआत करके धीरे-धीरे ऑर्गेनिक जीवन शैली को अपने जीवन में पूरी तरह अपना सकते हैं। जीवन को ऑर्गेनिक बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।

  • सफेद चावल की जगह ब्राउन चावल का अधिक प्रयोग करें, यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
  • मीठे के लिए शक्कर की जगह गुड़, खांड और शहद आदि का प्रयोग करें ।
  • बिना पॉलिश वाली दालों का ही प्रयोग करें।
  • हमेशा मौसमी सब्जियों की प्रयोग में लाएं।
  • बाहरी रूप से प्रयोग में किए जाने वाले पदार्थ भी ऑर्गेनिक होते हैं. इन्हें अपने जीवन में स्थान दें। जैसे ऑर्गेनिक साबुन, आर्गेनिक टूथपेस्ट, ऑर्गेनिक हेयर डाई, ऑर्गेनिक लोशन, ऑर्गेनिक तेल आदि।

आर्गेनिक फूड कहाँ से प्राप्त करें?

आर्गेनिक फूड प्राप्त करना के लिये अनेक सर्टिफाइड ब्रांड और स्टोर उपलब्ध जहाँ से आप आर्गेनिक फूड मंगा सकते हैं।

  • सात्विक (Sattvic)
  • डाउनटु अर्थ (Down to Earth)
  • ऑर्गेनिका (Organica)
  • फैबइंडिया (Fab India)
  • ऑर्गेनिक इंडिया (Organic India)
  • 24 मंत्रा (24 Mantra)
  • नवधान्या (Navdanya)
  • ग्रीनसेंस (Green Sense)
  • सनराइज (Sunrise)
  • विजनफ्रेश (Vision Fresh)

हर तरह के आर्गेनिक फल या सब्जी हों, ये जरूर नही

यह जरूरी नहीं कि हमें हर तरह के ऑर्गेनिक फल या सब्जी ही यूज करने चाहिए। बहुत से फल या सब्जी ऐसे होते हैं जिन पर किसी तरह के केमिकल या पेस्टिसाइड का असर नहीं होता क्योंकि उनका छिलका बेहद मोटा होता है या वह जमीन के अंदर होने के कारण उन पर केमिकल, दवा या पेस्टिसाइड का इतना असर नहीं होता। इसलिए इन्हें सामान्य फल एवं सब्जी का भी प्रयोग कर सकते हैं। कुछ ऐसे ही फल या सब्जी इस प्रकार हैं…

भुट्टा : भुट्टे के ऊपर कई छिलके होने के कारण ये केमिकल या पेस्टिसाइड्स से बचे रहते हैं।

अनानास (पाइनेपल) : अनानास का मोटा छिलका इसको किसी भी कीटाउम और पेस्टिसाइड से बचाता है।

आम : आम का ऊपरी छिलका मोटा होने के कारण इसमें कीटनाशक अंदर नही जा पाते।

शकरकंद : ये जमीन के नीचे उगलती हैं और पेस्ट या पेस्टिसाइट से प्रभावित होने की आशंका कम होती है।

नार्मल फल सब्जियों में ये सावधानियाँ रखें

  • अधिकतर मौसमी फल एवं सब्जियों का ही अधिक से अधिक प्रयोग करें।
  • सब्जियों की खरीदारी करते समय पैकेट में बंद सब्जियों की जगह लोकल निजी मार्केट की सब्जियां खरीदने ज कि स्थानीय खेतों में ही उगाई गई हों।
  • सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर और साफ कर कर भी उसे पकाएं।
  • फलों को भी अच्छी तरह धोकर ही प्रयोग में लाएं।
  • दालों को पकाने से पहले पानी में उन्हें अच्छी तरह धोये है और पकाने से पहले आधा घंटा तक लोगों का रखें तथा वह पानी फेंक दें। इससे उनमें मिले किसी भी तरह के हानिकारक केमिकल, पेस्टिसाइड्स आदि पूरी तरह निकल जाएंगे।
  • फल या सब्जियों को केमिकल और कीटनाशक मुक्त बनाने के लिए 1 लीटर पानी में 1 मिलीलीटर पोटेशियम परमैंगनेट मिलाकर इस घोल में सब्जियों को 15-20 मिनट भिगोकर रखने से हानिकारक केमिकल निकल जाते हैं।
  • पोटेशियम परमैंगनेट न होने पर एक चम्मच नमक मिले पानी में भी फल एवं सब्जियों को 30 मिनट तक रखने से लाभ मिलता है।

अपने घर में भी उगा सकते है ऑर्गेनिक फलसब्जियां 

आप चाहे तो अपने घर में ही ऑर्गेनिक फॉर्म की शुरुआत कर सकते हैं। अपने घर के आस पास की खाली जगह पर प्राकृतिक रूप में खेती करें और किसी भी तरह की खाद या पेस्टिसाइड्स को नहीं डाले तथा स्वभाविक रूप से पौधों को विकसित होने दें। किसी भी तरह के पेस्टिसाइड या दवा या केमिकल के छिड़काव से दूर रखें।

यदि किसी कारणवश आपके पौधों में कीड़ा लग जाए तो और कीटनाशक के लिए आर्गेनिक कीटनाशक का प्रयोग करें जो कि वनस्पतियों से बने होते हैं। नीम का तेल एक बेहतरीन ऑर्गेनिक कीटनाशक है। तो इस तरह हम ऑर्गेनिक फल व सब्जियों को अपने जीवन में अपनाकर अपनी सेहत को को नया बूस्ट दे सकते है, और इस मिलावटी खाने के युग में अपने सेहत की रक्षा कर सकते हैं।


ये भी पढ़ें…

ब्राउन राइस और व्हाइट राइस में क्या अंतर है? कौन सा चावल सेहत के लिए बेहतर है?

शहद के फायदे : अद्भुत-अनोखे हैं।

आईपीएल में कौन-कौन सी टीमें सबसे कम स्कोर पर आउट हुईंं जानें पूरी लिस्ट।

आईपीएल के 17वें सीजन में दिल्ली कैपिटल्स और गुजरात टाइटंस के बीच 17 अप्रेल को हुए मैच में गुजरात टाइटंस की टीम इस सीजन के सबसे कम स्कोर पर आउट हो गई। गुजरात टाइटंस ने कुल 89 रन ही बनाए।

इससे पहले भी आईपीएल में बहुत सी टीमें कम स्कोर पर आउट हुई हैं। आईपीएल में 100 से भी कम स्कोर पर आउट होने वाली सारी टीमों लिस्ट इस प्रकार है।

Lowest score list in IPL by teams

स्कोरटीमविरुद्ध टीमवर्ष
49रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsकोलकाता नाइट राइडर्स2017
58राजस्थान रॉयल्सVsरॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर2009
59राजस्थान रॉयल्सVs रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर2023
66दिल्ली डेयरडेविल्सVsमुंबई इंडियंस2017
67दिल्ली डेयरडेविल्सVsकिंग्स इलेवन पंजाब2017
67कोलकाता नाइट राइडर्स Vsमुंबई इंडियंस2008
68रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsसनराइजर्स हैदराबाद2022
70रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsचेन्नई सुपर किंग्स2019
70रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsराजस्थान रॉयल्स2014
73किंग्स इलेवन पंजाबVsराइजिंग पुणे सुपरजायंट2017
74कोच्चि टस्कर्स केरेलाVsडेक्कन चार्जर्स2011
79चेन्नई सुपर किंग्सVsमुंबई इंडियंस2013
80दिल्ली डेयरडेविल्सVsसनराइजर्स हैदराबाद2013
81राजस्थान रॉयल्सVsकोलकाता नाइट राइडर्स2011
82डेक्कन चार्जर्सVsरॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु2010
82रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsकोलकाता नाइट राइडर्स2008
82लखनऊ सुपर जायंट्सVsगुजरात टाइटंस2022
83दिल्ली डेयरडेविल्सVsचेन्नई सुपर किंग्स2013
84कोलकाता नाइट राइडर्सVsरॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर2020
84दिल्ली डेयरडेविल्सVsचेन्नई सुपर किंग्स2014
85राजस्थान रॉयल्स Vsकोलकाता नाइट राइडर्स2021
87मुंबई इंडियंसVsसनराइजर्स हैदराबाद2018
87दिल्ली डेयरडेविल्सVs राजस्थान रॉयल्स2008
87रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरVsचेन्नई सुपर किंग्स2009
87मुंबई इंडियंसVsकिंग्स इलेवन पंजाब2011
88किंग्स इलेवन पंजाबVsरॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु2018
88किंग्स इलेवन पंजाबVsरॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु2015
89गुजरात टाइटंसVsदिल्ली कैपिटल्स2024

 

इस तरह रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम ऐसी टीम है जो आईपीएल में के सभी सीजन के इतिहास में सबसे कम स्कोर पर आउट हुई है।


ये भी पढ़ें…

आईपीएल (IPL) में अब तक कितने खिलाड़ियों ने हैटट्रिक ली है? जानें पूरी लिस्ट।

IPL के सभी सीजन में टीमों द्वारा बनाए गए सर्वोच्च स्कोर की पूरी लिस्ट जानिए।

पंजाब किंग्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच IPL में हेड-टू-हेड मैच के आंकड़े।

पंजबा किंग्स और रास्थान रॉयल्स दोनों टीमें आईपीएल के पहले सीजन से ही आईपीएल खेल रही हैं। बीच में दो सीजन के लिये राजस्थान रॉयल्स की टीम को 2016 और 2017 के लिए सस्पेंड कर दिया था।

राजस्थान रॉयल्स आईपीएल के पहले सीजन (2008) की चैंपियन टीम थी। उसके बाद राजस्थान रॉयल्स 2022 में आईपीएल का फाइनल खेल चुकी है और गुजरात टाइटंस से हारकर रनरअप रही थी।

पंजाब किंग्स ने अभी तक आईपीएल ट्राफी जीती है और केवल एक बार आईपीएल का फाइनल खेला है।

पंजाब किंग्स और राजस्थान रॉयल्स के हेड-टू-हेड मैचों की बात की जाए तो दोनो टीमों के बीच 2024 के सीजन तक कुल 27 मैच हो चुके हैं।

इन 27 मैचों में राजस्थान को 16 बार और पंजाब किंग्स को 11 बार जीत मिली है।

पंजाब किंग्स (PBKS) – राजस्थान रॉयल्स (RR) हेड-टू-हेड (PBKS Vs RR Head to Head stats)

कुल मैचपंजाब किंग्स (PBKS) जीताराजस्थान रॉयल्स (RR) जीतारिजल्ट नही
2711160

 

इस तरह हेड-टू-हेड मैचो में राजस्थान रॉयल्स पंजाब किंग्स से आगे हैं।

PBKS Vs RR Head to Head stats (डिटेल)

2008

  • राजस्थान रॉयल्स 6 विकेट से जीता
  • किंग्स इलेवन पंजाब 41 रन से जीता

2009

  • किंग्स इलेवन पंजाब 27 रन से जीता
  • राजस्थान रॉयल्स 78 रन से जीता

2010

  • राजस्थान रॉयल्स 31 रन से जीता रन
  • राजस्थान रॉयल्स 9 विकेट से जीता

2011

  • किंग्स XI पंजाब 48 रन से जीता

2012

  • राजस्थान रॉयल्स 31 रन से जीता
  • राजस्थान रॉयल्स 43 रन से जीता

2013

  • राजस्थान रॉयल्स 6 विकेट से जीता
  • राजस्थान रॉयल्स 8 विकेट से जीता

2014

  • किंग्स इलेवन पंजाब जीता 7 विकेट से जीता
  • किंग्स XI पंजाब 16 रन से जीता

2015

  • राजस्थान रॉयल्स 26 रन से जीता मैच टाई हुआ (किंग्स इलेवन पंजाब सुपर ओवर में जीता)

2016 और 2017 में रॉजस्थान रॉयल्स पर दो साल का बैन लगा था इसलिए दोनों टीमों के बीच कोई मैच नहीं हुआ।

2018

  • किंग्स इलेवन पंजाब 6 विकेट से जीता
  • राजस्थान रॉयल्स 15 रन से जीता

2019

  • किंग्स इलेवन पंजाब 14 रन से जीता
  • किंग्स इलेवन पंजाब 12 रन से जीता

2020

  • राजस्थान रॉयल्स 4 विकेट से जीता
  • राजस्थान रॉयल्स 7 विकेट से जीता

2021

  • पंजाब किंग्स 4 रन से जीता
  • राजस्थान रॉयल्स 2 रन से जीता

2022

  • राजस्थान रॉयल्स 6 विकेट से जीता

2023

  • पंजाब किंग्स 5 रन से जीता
  • राजस्थान रॉयल्स 4 विकेट से जीता

2024

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर 
13 अप्रेल 2024महाराजा यादवेंद्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुरRR 3 विकेट से जीताPBKS – 147/8 (20)
RR – 152/7 (19.5)

 


ये भी पढ़ें…

राजस्थान रॉयल्स और गुजरात टाइटंस हेड-टू-हेड मैच रिकार्ड

पंजाब किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद हेड-टू-हेड मैंच आंकड़े।

दिल्ली कैपिटल्स और लखनऊ सुपर जायंट्स हेड टू हेड मैच के आंकड़े

जानिए कौन है जैक फ्रेजर मैकगर्क (Jake Fraser-Mcgurk)? दिल्ली कैपिटल्स की नई युवा सनसनी।

12 अप्रैल 2024 को हुए दिल्ली कैपिटल्स और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच आईपीएल 2024 का 26वां  मैच खेला गया। लखनऊ सुपर जेंट्स में 167 रन बनाकर दिल्ली कैपिटल्स को 168 रनों का टारगेट दिया। गेम्स रहते हुए 170 रन बनाकर मैच जीत लिया दिल्ली कैपिटल्स धमाकेदार जीत में दिल्ली कैपिटल्स के ऑस्ट्रेलियाई युवा बल्लेबाज जैक फ्रेजर मैकगर्क योगदान रहा जो अपने आईपीएल करियर का पहला मैच भी खेल रहे थे।

जैक फ्रेजर मैकगर्क के धुआंधार 52 रन और कप्तार रिषभ पंत के 41 रनों की बदौलत दिल्ली कैपिटल्स ने 168 रन के लक्ष्य को आसानी से पा लिया।

दिल्ली कैपिटल्स को इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जैक फ्रेजर मैकगर्क की सबसे बड़ी भूमिका रही। उनकी 52 रनों को पारी दिल्ली कैपिटल्स की जीत का आधार बनीं।

एक दिन पहले ही 11 अप्रेल को जैक फ्रेजर मैकगर्क ने अपना 22वां जन्मदिन मनाया था।

 

कौन है जैक फ्रेजर मैकगर्क? (Jake Fraser-Mcgurk life Scan)

जैक फ्रेजर मैकबर्ग मूल रूप से एक ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज हैं। जिनका जन्म 11 अप्रैल 2002 को ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य, मेलबर्न महानगर के एक उपनगर बॉक्सहिल में हुआ।

फ़्रेज़र-मैकगर्क मेलबर्न उपनगर मॉन्ट अल्बर्ट में पले-बढ़े और कैरी बैपटिस्ट ग्रामर स्कूल में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 9 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया था, जब मेलबर्न के बोरोंडारा क्रिकेट क्लब से जुड़े।

वह ऑस्ट्रेलिया के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वनडे मैच में खेल चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया के घरेलू क्रिकेट में उन्होंने धूम मचाई हुई है।

उनका फर्स्ट क्लास डेब्लू 12 नवंबर 2019 को हुआ जब उन्होंने विक्टोरिया प्रांत के लिए शेफील्स शील्ड सीजन टूर्नामेट के लिए अपना डेब्यू किया। लिस्ट ए क्रिकेट उन्होंने 17 नवंबर 2019 को विक्टोरिया प्रांत के लिए 2019-20 के मार्श वनडे कप टूर्नामेंट में डेब्यू किया।

वह ऑस्ट्रेलिया के फर्स्ट क्लास क्रिकेट में लिस्ट ए क्रिकेट और फर्स्ट क्लास दोनों फॉर्मेट के डेब्यू मैच में हाफ सेंचुरी मार चुके हैं। वह अपनी जबरदस्त हिटिंगग पावर के लिए जाने जाते हैं।

दिसंबर 2019 में उन्होंने आस्ट्रेलिया की अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए चुना गया, लेकिन उन्हें बीच में ही टूर्नामेंट छोड़ना पड़ा क्योंकि एक बंदर ने उन्हें घायल कर दिया था।

T20 क्रिकेट में उनका देब्यू 12 दिसंबर 2020 को हुआ, जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग के सीजन 2020-21 में डेब्यू किया।

वह लिस्ट ए क्रिकेट में 29 बॉल में सेंचुरी मारने जाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने यह रिकॉर्ड साउथ अफ्रीका ए बी डीविलियर्स के रिकॉर्ड को तोड़कर बनाया था, जिन्होंने 31 बॉल में सेंचुरी मारी थी। उन्होंने ये सेंचुरी मार्श कप में साउथ ऑस्ट्रेलिया की तरफ से तस्मानिया के खिलाफ बनाया था। उन्होंने 29 बॉल में 100 बनाए और कुल 38 बॉल में 125 रन की पारी खेली जिसमें 10 चौके और 6 छक्के शामिल थे।

फरवरी 2024 में ऑस्ट्रेलिया के लिए डेब्यू किया।

जैक फ्रेजर मैकगर्क का इंटरनेशनल डेब्यू 2024 में फरवरी में हुआ। जब वेस्टइंडीज के खिलाफ इस बैटर को वनडे सीरीज के लिए चुना गया।

फरवरी में आयोजित हुई इस वनडे सीरीज में जैक फ्रेजर मैकगर्क 2 वनडे मैच खेले। उन्होंने 2 मैचों में कुल 23 बॉल का सामना किया और 51 रन बनाए।। एक मैच में उन्होंने 41 बनाए। सर्वाच्च स्कोर रहा और उन्होंने 6 चौके और 4 छक्के जमाए.

आईपीएल के ऑक्शन सीजन में उन्हें किसी भी फ्रेंचाइजी ने नहीं चुना, लेकिन उनके आईपीएल में उनका भाग्य का सितारा तब चमका जब दिल्ली कैपिटल्स के एक प्रमुख गेंदबाज लुंगी एनगिडी घायल हो गए और उनके रिप्लेसमेंट के लिए दिल्ली कैपिटल्स एक नए खिलाड़ी को खोज रही थी।

तब दिल्ली कैपिटल्स के मेन कोच रिकी पेंटिंग ने मैनेजमेंट को जैक फ्रेजर मैकगर्क नाम सुझाया। दिल्ली कैपिटल्स ने आईपीएल सीजन 2024 के सीजन शुरु होने से मात्र एक हफ्ते पहले ही उन्हे जोड़ा था।

शुरू के 5 मैचों में भले ही उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन छठे मैच में जब उन्हें पहली बार आईपीएल खेलने का अवसर मिला तो उन्होंने पहले डेब्यू मैच में ही धूम मचा दी। उन्होंने दिल्ली कैपिटल्स के लिए तीसरे नंबर पर आकर 35 बॉल में 55 रनों को पारी खेली। इसमें उन्होंने 2 चौके और 5 छक्के मारे।

उनके छक्के मारने का अंदाज देखते हुए लगता है कि छक्के मारने के स्पेश्यलिस्ट बैटर बन सकते हैं। वह चौकों की जगह छक्कों में बात करने के लिए जाने जाते हैं।


ये भी पढ़ें…

दिल्ली कैपिटल्स और लखनऊ सुपर जायंट्स हेड टू हेड मैच के आंकड़े

आईपीएल (IPL) में अब तक कितने खिलाड़ियों ने हैटट्रिक ली है? जानें पूरी लिस्ट।

TATA IPL 2024 के सभी मैचों का शेड्यूल और रिजल्ट यहाँ देखें।

दिल्ली कैपिटल्स और लखनऊ सुपर जायंट्स हेड टू हेड मैच के आंकड़े

लखनऊ सुपर जायंट्स आईपीएल में नई नवेली टीम है। LSG 2022 से ही आईपीएल में शामिल हुई है। दिल्ली कैपिटल्स आईपीएल की शुरुआत से ही आईपीएल खेल रही है। पहले दिल्ली कैपिटल्स दिल्ली डेयर  डेविल्स के नाम से जानी जाती थी। 2019 में दिल्ली डेयर डेविल्स ने अपना नाम बदलकर दिल्ली कैपिटल्स कर लिया था।

दिल्ली कैपिटल्स और दिल्ली डेयर डेविल्स दोनों टीमों में किसी ने आईपीएल ट्राफी नही जीती है। दिल्ली कैपिटल्स एक बार 2020 में आईपीएल का फाइनल खेल चुकी है और मुंबई इंडियंस से हारकर रनरअप रही थी।

लखनऊ सुपर जायंट्स ने 2022 में अपने पहले सीजन में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन वो फाइनल तक नहीं पहुँच पाई। 2023 के सीजन में भी LSG का प्रदर्शन ठीक रहा था।

दिल्ली कैपिटल्स (DC) और लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) दोनों टीमों के बीच 2023 तक कुल 3 मैच हुए थे। जिनमें तीनों बार लखनऊ सुपर जायंट्स को ही जीत मिली है।

2024 में हुए दोनों मैच में दिल्ली कैपिटल्स को ही जीत मिली।

दिल्ली कैपिटल्स (DC) – लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) हेड-टू-हेड (DC Vs LSG Head to Head in IPL)

कुल मैचदिल्ली कैपिटल्स (DC) जीतालखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) जीतारिजल्ट नही
5230

 

इस तरह दोनों टीमों के बीच अब तक हुए मैचों में LSG को ज्यादा जीतें मिली हैं।

DC Vs LSG Head to Head in IPL (डिटेल)

2022

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर
7 अप्रेल 2022डीवाई पाटिल स्टेडियम, नवी मुंबईLSG 6 विकेट से जीताDC-149/3 (20)
LSG-155/4 (19.4)
1 मई 2022वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईLSG 6 रन से जीताLSG-195/3 (20)
DC-189/7 (20)

 

2023

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
1 अप्रेल 2023अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेटियम, लखनऊLSG 50 रन से जीताLSG-193/6 (20)
DC-143/9 (20)

 

2024

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
12 अप्रेल 2024अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेटियम, लखनऊDC 9 विकेट से जीताLSG-167/ (20)
DC-170/4 (20)
14 मई 2024अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्लीDC 19 रन से जीताDC-208/4 (20)
LSG-189/9 (20)

 


ये भी पढ़ें…

राजस्थान रॉयल्स और गुजरात टाइटंस हेड-टू-हेड मैच रिकार्ड

पंजाब किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद हेड-टू-हेड मैंच आंकड़े।

 

 

 


ये भी पढ़ें…

 

मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु हेड-टू-हेड मैच रिकार्ड।

MI और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु दोनों आईपीएल की जानी-मानी टीमें हैं। दोनों आईपीएल के पहले सीजन 2008 से खेल रही हैं।

MI 5 बार आईपीएल की ट्रॉफी जीत चुकी है, जबकि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु एक बार भी आईपीएल की ट्रॉफी नहीं जीत पाई है।

MI और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के हेड टू हेड मैच की बात करें तो दोनों टीम आईपीएल में 2024 तक 33 बार एक-दूसरे से टकरा चुकी हैं, जिनमें MI को 19 बार और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 14 बार जीत मिली है।

मुंबई इंडियंस (MI) – रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) हेड-टू-हेड (MI Vs RBC Head to Head in IPL)

कुल मैचमुंबई इंडियंस (MI) जीतारॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) जीतारिजल्ट नही
3319140

 

इस तरह दोनों टीमों के बीच अब तक हुए मैचों में MI को ज्यादा जीतें मिली हैं, लेकिन RCB में ज्यादा पीछे नही है।

MI Vs RBC Head to Head in IPL (डिटेल)

2008

तारीखवेन्यूरिजल्ट
20 अप्रेल 2008वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईRCB 5 विकेट से जीता
28 मई 2008एम. चिन्ना स्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुMI 9 विकेट से जीता

2009

तारीखवेन्यूरिजल्ट
3 मई 2009जोहान्सबर्ग, साउथ अफ्रीकाRCB 9 विकेट से जीता
10 मई 2009पोर्ट एलिजाबेथ, साउथ अफ्रीकाMI 16 रन से जीता

2010

तारीखवेन्यूरिजल्ट
20 मार्च 2010ब्रेबार्न स्टेडियम, मुंबईMI 7 विकेट से जीता
17 अप्रेल 2010एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुMI 57 रन से जीता
21 अप्रेल 2010डीवाई पाटिल स्टेडियम, नवी मुंबईMI 35 रन से जीता

 

2011

तारीखवेन्यूरिजल्ट
12 अप्रेल 2011एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुMI 9 विकेट से जीता
27 मई 2011एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नईRCB 43 रन से जीता

 

2012

तारीखवेन्यूरिजल्ट
9 मई 2012वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईRCB 9 विकेट से जीता
14 मई 2012एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुMI 5 विकेट से जीता

 

2013

तारीखवेन्यूरिजल्ट
4 अप्रेल 2013वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईRCB 2 रन से जीता
24 अप्रेल 2013एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुमुंबई इंडियन 58 रन से जीता

 

2014

तारीखवेन्यूरिजल्ट
19 अप्रेल 2014दुबई इंटरनेशल स्टेडियम, दुबईRCB 7 विकेट से जीता
6 मई 2014वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईMI 19 रन से जीता

 

2015

तारीखवेन्यूरिजल्ट
19 अप्रेल 2015एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुMI 18 रन से जीता
10 मई 2015वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईRCB 48 रन से जीता

 

2016

तारीखवेन्यूरिजल्ट
20 अप्रेल 2016वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईMI 6 विकेट से जीता
11 मई 2016एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुMI 6 विकेट से जीता

 

2017

तारीखवेन्यूरिजल्ट
1 अप्रेल 2017वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईMI 4 विकेट से जीता
14 अप्रेल 2017एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुMI 5 विकेट से जीता

 

2018

तारीखवेन्यूरिजल्ट
17 अप्रेल 2018वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईMI 46 रन से जीता
1 मई 2018एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुRCB 14 रन से जीता

 

2019

तारीखवेन्यूरिजल्ट
28 मार्च 2019एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुMI 6 रन जीता
15 अप्रेल 2019वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईMI 5 विकेट से जीता

 

2020

तारीखवेन्यूरिजल्ट
28 सितंबर 2020शेख जायद स्टेडियम, अबू धामीमैच टाइ (RCB जीता)
28 अक्टूबर 2020दुबई इंटरनेशल स्टेडियम, दुबईMI 5 विकेट से जीता

 

2021

तारीखवेन्यूरिजल्ट
9 अप्रेल 2021एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नईRCB 2 विकेट से जीता
26 सितंबर 2021दुबई इंटरनेशल स्टेडियम, दुबईRCB 54 रन से जीता

 

2022

तारीखवेन्यूरिजल्ट
9 अप्रेल 2022महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसियेशन स्टेडियम, पुणेRCB 7 विकेट से जीता

 

2023

तारीखवेन्यूरिजल्ट
2 अप्रेल 2023वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईRCB 8 विकेट से जीता
9 मई 2023एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुMI 6 विकेट से जीता

 

2024

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
11 अप्रेल 2024वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईMI 7 विकेट से जीता।RCB-196/(20)
MI-199/3 (20)
(20)
(20)

 


ये भी पढ़ें…

राजस्थान रॉयल्स और गुजरात टाइटंस हेड-टू-हेड मैच रिकार्ड

पंजाब किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद हेड-टू-हेड मैंच आंकड़े।

राजस्थान रॉयल्स और गुजरात टाइटंस हेड-टू-हेड मैच रिकार्ड

गुजरात टाइटंस आईपीएल की नई नवेली टीम है। वह पिछले दो सीजन से आईपीएल में खेल रही है। दो सीजन में ही गुजरात टाइटंस ने कमाल की परफॉर्मेंस दी है और दोनों सीजन आईपीएल का फाइनल खेला। पहले सीजन में कि उसने आईपीएल का फाइनल खेल कर आईपीएल ट्रॉफी भी जीती।

जहाँ गुजरात टाइटंस अपने पहले सीजन में ही आईपीएल की ट्राफी जीतने वाली टीम है, वहीं दूसरी ओर भी राजस्थान रॉयल्स भी ऐसी ही टीम है, जिसने अपने पहले सीजन यानी 2008 में आईपीएल की ट्रॉफी जीती थी।

आईपीएस के पिछले दो सीजन में गुजरात टाइटंस और राजस्थान रॉयल्स के बीच 5 मैट हुए हैं। इन 5 मैचों में 4 बार गुजरात टाइटंस को और 1 बार राजस्थान रॉयल्स को जीत हासिल हुई है।

ताजा सीजन में अभी तक दोनो टीमें एक बार भिड़ी है जिसमें गुजरात टाइटंस को ही जीत मिली।

इनमें से भी तीन मैच पहले सीजन के मैच हैं, जिनमें तीनो बार गुजरात टाइटंस को ही जीत मिली। 2022 के सीजन में लीग मैच में एक बार गुजरात टाइटंस और राजस्थान रॉयल्स का मैच हुआ। फिर क्वालिफायर-1 और फाइनल में दोनों टीमें भिड़ीं। तीनों बार गुजरात टाइटंस ने बाजी मारी।

राजस्थान रॉयल्स (RR) – गुजरात टाइटंस (GT) हेड-टू-हेड (RR Vs GT Head to Head in IPL)

कुल मैचराजस्थान रॉयल्स (RR) जीतागुजरात टाइटंस (GT) जीतारिजल्ट नही
6150

 

इस तरह दोनों टीमों के बीच अब तक हुए मैचों में गुजरात टाइटंस का पलड़ा ही भारी रहा है।

RR Vs GT Head to Head in IPL (डिटेल)

2022

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
14 अप्रेल 2022डीवाई पाटिल स्टेडियम, नवी मुंबईGT 37 रन से जीताGT-192/4 (20)
RR-155/9 (20)
24 मई 2024इडेन गार्डन, कोलकाताGT 7 विकेट से जीताRR-186/6 (20)
GT-191/3 (19.3)
29 मई 2024नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबादGT 7 विकेट से जीताRR-130/9 (20)
GT-133/3 (18.1)

 

2023

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
16 अप्रेल 2022नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबादRR 3 विकेट से जीताGT-177/7 (20)
RR-179/7 (19.2)
5 मई 2024सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुरGT 9 विकेट से जीताRR-118/10 (17.5)
GT-119/1 (17.5)

 

2024

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
10 अप्रेल 2024सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुरGT 3 विकेट से जीताRR-196/3 (20)
GT-199/7 (20)

 


ये भी पढ़ें

पंजाब किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद हेड-टू-हेड मैंच आंकड़े।

चेन्नई सुपर किंग्स-कोलकाता नाइट राइडर्स हेड-टू-हेड सभी मैचों के आंकड़े।

पंजाब किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद हेड-टू-हेड मैंच आंकड़े।

पंजाब किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद दोनों आईपीएल की दो प्रमुख फ्रेंचाइजी है। पंजाब किंग्स आईपीएल के पहले सीजन से ही आईपीएल खेल रही है जबकि सनराइजर्स हैदराबाद ने 2013 में आईपीएल ज्वाइन किया था। उससे पहले डेक्कन चार्जर्स टीम हैदराबाद का प्रतिनिधित्व करती थी जो आईपीएल से बर्खास्त कर दी गई थी। उसकी जगह पर सनराइजर्स हैदराबाद आईपीएल की नई टीम के रूप में आई।

पंजाब किंग्स अभी तक आईपीएल का कोई भी टाइटल नही जीती है जबकि सनराइजर्स हैदराबाद 2016 में आईपीएल ट्राफी जीत चुकी है।

2013 से 2023 के सीजन तक ही पंजाब किंग्स और आईपीएल सनराइजर्स हैदराबाद के बीच कुल 21 मैच खेले गए जिनमें सनराइजर्स हैदराबाद में बाजी मारते हुए कुल 14 मैचों में जीत हासिल की है और पंजाब किंग्स को केवल 7 मैचों में ही जीत मिली है।

पंजाब किंग्स (PBKS) – सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) हेड-टू-हेड (PBKS Vs SRH Head to Head in IPL)

कुल मैचपंजाब किंग्स (PBKS) जीता सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) जीतारिजल्ट नही
211470

 

इस तरह दोनों टीमों के बीच अब तक हुए मैचों में सनराइजर्स हैदराबाद का पलड़ा ही भारी रहा है।

PBKS Vs SRH Head to Head in IPL (डिटेल)

2013

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
19 अप्रेल 2013राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदाराबादSRH 5 विकेट से जीता123/9  (20)
127/5 (18.5)
11 मई 2013पंजाब क्रिकेट असोसियेशन स्टेडियम, मोहालीSRH 30 रन से जीता150/9  (20)
120/7  (20)

 

2014

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
22 अप्रेल 2014शारजाह क्रिकेट स्टेडियम, शारजाहSRH 72 रन से जीताSRH-193/6   (20)
PBKS-120/10 (19.2)
14 मई 2014राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदाराबादPBKS 5 विकेट से जीताSRH-205/5  (20)
PBKS-211/4 (18.4)

 

2015

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
27 अप्रेल 2015पंजाब क्रिकेट असोसियेशन स्टेडियम, मोहालीSRH 20 रन से जीताSRH-150/6  (20)
PBKS-130/9 (20)
11 मई 2015राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदाराबादSRH 5 रन से जीताSRH-185/5 (20)
PBKS-180/7 (20)

 

2016

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
23 अप्रेल 2024राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदाराबादSRH 5 विकेट से जीताPBKS-143/6   (20)
SRH-146/5 (17.5)
15 मई 2024पंजाब क्रिकेट असोसियेशन स्टेडियम, मोहालीSRH 7 विकेट से जीताPBK-179/4   (20)
SRH-180/3 (19.4)

 

2017

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
17 अप्रेल 2017राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदाराबादSRH 5 रन से जीताSRH-159/6  (20)
PBKS-154/10 (19.4)
28 अप्रेल 2017पंजाब क्रिकेट असोसियेशन स्टेडियम, मोहालीSRH 24 रन से जीताSRH-207/3  (20)
PBKS-181/10 (20)

 

2018

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
16 मार्च 2018पंजाब क्रिकेट असोसियेशन स्टेडियम, मोहालीPBKS 16 रन से जीताPBKS-193/3 (20)
SRH-178/4 (20)
25 मार्च 2018राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदाराबादSRH 13 रन से जीताSRH-132/6 (20)
PBKS-119/10 (19.2)

 

2019

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
8 अप्रेल 2019पंजाब क्रिकेट असोसियेशन स्टेडियम, मोहालीPBKS 9 विकेट से जीताSRH-150/4 (20)
PBKS-151/4 (19.5)
29 अप्रेल 2019राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदाराबादSRH 45 रन से जीताSRH-212/6 (20)
PBKS-167/8 (20)

2020

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
8 अक्टूबर 2020दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, दुबईSRH 69 रन से जीताSRH-201/6 (20)
PBKS-132/10 (16.5)
24 अक्टूबर 2020दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, दुबईPBKS 12 रन से जीताPBKS-126/7 (20)
SRH-114/10 (19.4)

 

2021

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
21 अप्रेल 2021एमए. चिदम्बरम स्टेडियम, चेन्नईPBKS 9 विकेट से जीताSRH-120 (19.4)
PBKS-121/1 (18.4)
25 सितंबर 2021शाहजाह क्रिकेट स्टेडियम, शारजाहSRH 5 रन से जीताSRH-120/7 (20)
PBKS-125/7(20)

 

2022

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
17 अप्रेल 2022डीवाई पाटिल स्टेडियम, नवी मुंबईSRH 7 विकेट से जीताPBKS-151/10  (20)
SRH-152/3 (18.5)
22 मई 2022वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईPBKS 5 विकेट से जीताSRH-157/8 (20)
PBKS-160/5 (15.1)

 

2023

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
6 अप्रेल 2023डीडीवाई पाटिल स्टेडियम, नवी मुंबईSRH 8 विकेट से जीता143/9 (20)
145/2 (17.1)

 

2024

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
9 अप्रेल 2024महाराजा यादवेंद्र सिंह क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़SRH 1 रन से जीताSRH-182/9 (20)
PBKS-180/6 (20)

 


ये भी पढ़ें…

चेन्नई सुपर किंग्स-कोलकाता नाइट राइडर्स हेड-टू-हेड सभी मैचों के आंकड़े।

लखनऊ सुपर जायंट्स-गुजरात टाइटंस हेड-टू-हेड सभी मैच फैक्ट्स

चेन्नई सुपर किंग्स-कोलकाता नाइट राइडर्स हेड-टू-हेड सभी मैचों के आंकड़े।

चेन्नई सुपर किंग्स और कोलकाता नाइट राइडर्स आईपीएल के दो प्रमुख टीमे हैं। चेन्नई सुपर किंग्स 5 बार आईपीएल ट्राफी को जीत चुकी है, जबकि कोलकाता नाइट राइडर्स दो बार आईपीएल चैंपियन बन चुकी है।

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ने 2010, 2011, 2015, 2018, 2021 और 2023 में कुल पाँच बार IPL Trophy जीती है।

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) ने 2012 और 2014 में कुल दो बार IPL Trophy जीती है।

इस तरह दोनों टीमों आईपीएल चैंपियन बन चुके हैं। चेन्नई सुपर किंग्स आईपीएल की सबसे सफल टीम है तो कोलकाता नाइट राइडर्स आईपीएल की तीसरी सबसे सफल टीम है।

2024 में आईपीएल के 17वें सीजन से पहले दोनों टीमें 29 बार एक दूसरे से भिड़ चुकी हैं, जिनमें चेन्नई सुपर किंग्स ने 18 बार जीत हासिल की तो कोलकाता नाइट राइडर्स को 10 बार जीत मिली। एक मैच ऐसा रहा जिसमें कोई रिजल्ट नहीं मिला।

17वें सीजन तक दोनों टीमें 30 बार एक दूसरे से भिड़ चुकी हैं।

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) – कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) हेड-टू-हेड

कुल मैचचेन्नई सुपर किंग्स (CSK) जीताकोलकाता नाइट राइडर्स  (KKR) जीतारिजल्ट नही
3019101

इस तरह दोनों टीमों के बीच अब तक हुए मैचों में चेन्नई सुपर किंग्स का पलड़ा ही भारी रहा है।

CSK Vs KKR Head To Head Matches Stats (डिटेल)

2008

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
26 अप्रेल 2008एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नईCSK 9 विकेट से जीताKKR-147/9 (20)
CSK-151/1 (17)
18 मई 2008इडेन गार्डन, कोलकाताCSK 3 रनों से जीता
(डकवर्थ-लुइस मैथड)
KKR-149/5 (20)
CSK-55/0 (8)

2009

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
25 अप्रेल 2009न्यूलैंड्स, केपटाउन, साउथ अफ्रीकाबारिश के कारण मैच रद्द***
18 मई 2009सेंचुरियन पार्क, सेंचुरियन
साउथ अफ्रीका
KKR 7 विकेट से जीताCSK-188/3 (20)
KKR-189/3 (20)

2010

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
16 मार्च 2010 सीएसके 55 रनों से जीताइडेन गार्डन, कोलकाताCSK 55 रनों से जीताCSK-164/3 (20)
KKR-109/10 (19.2)
13 अप्रैल 2010एमए चिदंबरम स्टेडियम, चेपॉक, चेन्नईCSK 9 विकेट से जीताKKR-139/8 (20)
CSK-143/1 (13.3)

2011

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
8 अप्रेल 2011एमए चिदंबरम स्टेडियम, चेपॉक, चेन्नईCSK 2 रन से जीताCSK-153/4 (20)
KKR-151/7 (20)
7 मई 2011इडेन गार्डन, कोलकाताKKR 10 रन से जीता
(डकवर्थ-लुइस मैथड)
CSK-114/4 (20)
KKR-61/2 (10)

2012

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
30 अप्रेल 2012एमए चिदंबरम स्टेडियम, चेपॉक, चेन्नईKKR 5 विकेट से जीताCSK-138/5 (20)
KKR-140/5 (19.4)
14 मई 2012इडेन गार्डन, कोलकाताCSK 5 विकेट से जीताKKR-158/6 (20)
CSK-160/5 (20)
27 मई 2012एमए चिदंबरम स्टेडियम, चेपॉक, चेन्नईKKR 5 विकेट से जीताCSK-190/3 (20)
KKR-192/5 (19.4)

2013

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
20 अप्रेल 2013इडेन गार्डन, कोलकाताCSK 4 विकेट से जीताKKR-119/9 (20)
CSK-124/6 (19.1)
28 अप्रेल 2013एमए चिदंबरम स्टेडियम, चेपॉक, चेन्नईCSK 14 रन से जीताCSK-200/3 (20)
KKR-186/4 (20)

2014

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
2 मई 2014हैवी इंजीनियरंग कॉलेज इंटरनेशनल स्टेडियम, रांचीCSK 24 रन से जीताCSK-148/3 (17)
KKR-114/9 (17)
20 मई 2018इडेन गार्डन, कोलकाताKKR 8 विकेट से जीताCSK-156/4 (20)
KKR-158/2 (18)

2015

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
28 अप्रेल 2015एमए चिदंबरम स्टेडियम, चेपॉक, चेन्नईCSK 2 रन से जीताCSK-134/6 (20)
KKR-132/9 (20)
30 अप्रेल 2015इडेन गार्डन, कोलकाताKKR 7 विकेट से जीताCSK-165/9 (20)
KKR-169/3 (19.5)

 

2016 और 2017 में चेन्नई सुपर किंग्स दो साल के लिए IPL से सस्पेंड रही इसलिए उसका कोई मैच नही हुआ।

2018

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
10 अप्रेल 2018एमए चिदंबरम स्टेडियम, चेपॉक, चेन्नईCSK 5 विकेट से जीताKKR-202/6 (20)
CSK-205/5 (19.5)
3 मई 2018इडेन गार्डन, कोलकाताKKR 6 विकेट से जीताCSK-177/5 (20)
KKR- 180/4 (17.4)

2019

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
9 अप्रेल 2019एमए चिदंबरम स्टेडियम, चेपॉक, चेन्नईCSK 7 विकेट से जीताKKR-108/9 (20)
CSK-111/3 (17.2)
14 अप्रेल 2019इडेन गार्डन, कोलकाताCSK 5 विकेट से जीताKKR-161/8 (20)
CSK-162/5 (19.4)

2020

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
5 अक्टूबर 2020शेख जैद स्टेडियम, य़ूएईKKR 10 रन से जीताKKR-167/10 (20)
CSK-157/5 (20)
29 अक्टूबर 2020दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, दुबईCSK 6 विकेट से जीताKKR-172/5 (20)
CSK-178/4 (20)

2021

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
21 अप्रेल 2021वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईCSK 19 रन से जीताCSK-220/3 (20)
KKR-202/10 (19.1)
26 सितंबर 2021शेख जैद स्टेडियम, य़ूएईCSK 2 विकेट से जीताKKR-171/6 (20)
CSK-172/8 (20)
15 अक्टूबर 2021दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, दुबईCSK 27 रन से जीताCSK-192/3 (20)
KKR-165/9 (20)

2022

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
26 अप्रेल 2022वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईKKR 6 विकेट से जीताCSK-131/5 (20)
KKR-133/4 (18.3)

2023

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
23 अप्रेल 2023इडेन गार्डन, कोलकाताCSK 49 रन से जीताCSK-235/4 (20)
KKR-186/8 (20)
14 मई 2023एमए चिदंबरम स्टेडियम, चेपॉक, चेन्नईKKR 6 विकेट से जीताCSK-144/6 (20)
KKR-147/4 (18.3)

2024

तारीखवेन्यूरिजल्टस्कोर कार्ड
8 अप्रेल 2008एम. चिदंबरम स्टेडियमCSK 7 विकेट से जीताKKR-137/9 (20)
CSK-141/3 (17.4)


ये भी पढ़ें…

लखनऊ सुपर जायंट्स-गुजरात टाइटंस हेड-टू-हेड सभी मैच फैक्ट्स

दिल्ली कैपिटल्स-मुंबई इंडियंस मैच – फैक्ट्स और रिकार्ड

लखनऊ सुपर जायंट्स-गुजरात टाइटंस हेड-टू-हेड सभी मैच फैक्ट्स

लखनऊ सुपर जायंट्स और गुजरात टाइटंस आईपीएल की दो सबसे नई-नवेली टीमें हैं। दोनो टीमों दो सीजन ही खेलें है, और तीसरा सीजन खेल रही हैं।

शुरु के दोनो सीजन में दोनों टीमों अपना प्रभाव जमाया है। गुजरात टाइटंस तो पहली ही बार में टाइटल और दूसरी बार रनरअप रही। लखनऊ सुपर जायंट्स ने भी पहले सीजन में पाइंट टेबल में ऊपर के तीन पोजीशन में जगह बनाई थी। दूसरे सीजन में टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया था।

लखनऊ सुपर जायंट्स और गुजरात टाइटंस के बीच हुए पिछले सीजन में अब तक चार मुकाबले हुए हैं और चारों गुजरात टाइटंस ने लखनऊ सुपर जायट्स को हराया।

लखनऊ सुपर जायंट्स शुरु के दो सीजन में गुजरात टाइटंस से 4 मैचों में एक भी मैच नहीं जीत पाई लेकिन 2024 के 17वें सीजन में लखनऊ सुपर जायंट्स ने गुजरात टाइटंस को हरा ही दिया।

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) – गुजरात टाइटंस (GT) IPL के सभी सीजन हेड-टू-हेड मैच (LSG Vs GT Stats in IPL)

2022

  • गुजरात टाइटंस ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 62 रन से हराया।
  • गुजरात टाइटन से लखनऊ सुपर जायंट्स को पांच विकेट से हराया।

2023

  • गुजरात टाइटंस ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 56 रनों से हराया।
  • गुजरात टाइटंस ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 7 रन से हराया।

2024

  • लखनऊ सुपर जायंट्स ने गुजरात टाइटंस को 33 रनों से हराया।

ये भी पढ़ें

दिल्ली कैपिटल्स-मुंबई इंडियंस मैच – फैक्ट्स और रिकार्ड

दिल्ली कैपिटल्स-मुंबई इंडियंस मैच – फैक्ट्स और रिकार्ड

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL – 2024) के 17वें सीजन में दिल्ली कैपिटल्स और मुंबई इंडियंस के बीच मैच नंबर 20 रविवार 7 अप्रैल को मुंबई के वानखेड़े क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाएगा।

इससे पहले आईपीएल के पिछले 16 सीजन के इतिहास में मुंबई इंडियंस (MI) और दिल्ली कैपिटल्स (DC) + दिल्ली डेयर डेविल्स (DDD) कुल 33 बार एक-दूसरे से टकरा चुकी हैं, जिनमें मुंबई इंडियंस ने 18 मैचों में जीत हासिल की है, तो दिल्ली कैपिटल्स को 15 मैचों में जीत मिली है। इन दोनो टीमों के बीच कोई मैच टाई या कैंसिल नही हुआ है।

दोनों टीमें 2008 के पहले सीजन से ही आईपीएल खेल रही हैं। दिल्ली कैपिटल्स 2018 से पहले दिल्ली डेयर डेविल्स के नाम से जानी जाती थी।

2020 में दोनों टीमें चार बार एक दूसरे टकराईं क्योंकि दो लीग मैच के अलावा दोनों टीमं क्वालिफायर मैच में एक दूसरे से टकराईं। चारों मैच में मुंबई इंडियंस को ही जीत मिली। फाइनल मैच में दिल्ली कैपिटल्स को हराकर मुंबई इंडियंस ने पाँचवी बार आईपीएल ट्राफी जीती।

दिल्ली कैपिटल्स (दिल्ली डेयर डेविल्स) के नजरिये से ये इकलौता सीजन था, जिसमें दिल्ली कैपिटल्स की टीम आईपीएल के फाइनल में पहुँची।

वानखेड़े में मुंबई इंडियंस और दिल्ली कैपिटल्स  9 मैच हुए हैं, जिनमें 6 मैच में मुंबई इंडियंस को जीत मिली है तो दिल्ली कैपिटल्स 3 बार जीती है।

मैचमुंबई इंडियंसदिल्ली कैपिटल्सरिजल्ट नही
3519160

 

2008

  • मैच -1 : दिल्ली डेयरडेविल्स में मुंबई इंडियंस को 5 विकेट से हराया।
  • मैच – 2 : मुंबई इंडियंस ने दिल्ली डेयर डेविल्स को 29 रनों से हराया।

2009

  • दिल्ली डेयरडेविल्स में मुंबई इंडियंस को 4 विकेट से हराया।
  • दिल्ली डेयरडेविल्स ने मुंबई इंडियंस को 7 विकेट से हराया।

2010

  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली डेयर डेविल्स को 45 रन से हराया।
  • मुंबई इंडियंस से दिल्ली डेयरडेविल्स को 98 रन से हराया।

2011

  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली डेयरडेविल्स को 32 रनों से हराया।
  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली डेयरडेविल्स को 8 विकेट से हराया।

2012

  • दिल्ली डेयरडेविल्स ने मुंबई इंडियंस को 37 रन से हराया।
  • दिल्ली डेयरडेविल्स ने मुंबई इंडियंस को 7 विकेट हराया।

2013

  • दिल्ली डेयरडेविल्स ने मुंबई इंडियंस को 9 विकेट से हराया।
  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली डेयरडेविल्स को 44 रन से हराया।

2014

  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली डेयरडेविल्स को 15 रन से हराया।
  • दिल्ली डेयरडेविल्स से मुंबई इंडियंस को 6 विकेट से हराया।

2015

  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली डेयरडेविल्स को पांच विकेट से हराया।
  • दिल्ली डेयरडेविल्स ने मुंबई इंडियंस को 35 रन से हराया।

2016

  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली डेयरडेविल्स को 80 रनों से हराया।
  • दिल्ली डेयरडेविल्स ने मुंबई इंडियंस को 10 रनों से हराया।

2017

  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली डेयरडेविल्स को 146 रनों से हराया।
  • दिल्ली डेयरडेविल्स में मुंबई इंडियंस को 14 रनों से हराया।

2018

  • दिल्ली डेयरडेविल्स ने मुंबई इंडियंस को 11 रनों से हराया।
  • दिल्ली डेयर डेविल्स ने मुंबई इंडियंस को 7 विकेट से हराया

2019

  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स को 40 रनों से हराया।
  • दिल्ली कैपिटल्स ने मुंबई इंडियंस को 37 रनों से हराया।

2020

  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स को 5 विकेट से हराया।
  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स को 57 लोगों से हराया।
  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स को 9 विकेट हराया।
  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स को 5 विकेट से हराया।

2021

  • दिल्ली कैपिटल्स ने मुंबई इंडियंस को 4 विकेट से हराया।
  • दिल्ली कैपिटल्स ने मुंबई इंडियन को 6 विकेट से हराया।

2022

  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स को 5 विकेट से हराया।
  • दिल्ली कैपिटल्स ने मुंबई इंडियंस को 4 विकेट से हराया।

2023

  • मुंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स को 6 विकेट से हराया।

2024

  • मुंंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स को 29 रनों से हराया।
  • दिल्ली कैपिटल्स ने मुंबई इंडियंस को 10 रनों से हराया।

ये भी पढ़ें…

IPL के सभी सीजन में टीमों द्वारा बनाए गए सर्वोच्च स्कोर की पूरी लिस्ट जानिए।

आईपीएल में एक ओवर में 5 या 6 छक्के कब और किसने लगाए हैं?

आईपीएल में एक ओवर में 5 या 6 छक्के कब और किसने लगाए हैं?

टाटा आईपीएल का 17वां सीजन चल रहा है। इस सीजन में कई रिकार्ड बन और बिगड़ रहे हैं। इसी सीजन में आईपीएल इतिहास के दो सबसे बड़े स्कोर भी बन चुके हैं। 24 मार्च 2024 सनराइजर्स हैदराबद ने आईपीएल इतिहास का सर्वोच्च स्कोर 277 रन बनाया तो 3 अप्रेल 2024 को कोलकाता नाइट राइडर्स ने आईपीएल इतिहास का दूसरा सर्वोच्च स्कोर बनाया।

टाटा आईपीएल के 2023 के 16वे सीजन में एक रिकार्ड बना था जब रिंकू सिंह कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेलते हुए गुजरात टाइटंस के खिलाफ आखिरी ओवर में 5 छक्के मारकर अपनी टीम को मैच जिता दिया।

टाटा आईपीएल में 9 अप्रैल 2023 को गुजरात टाइटंस और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच हुआ मुकाबला अंतिम ओवर में उस समय रोमांच की चरम सीमा पर पहुंच गया था। जब अंतिम ओवर में कोलकाता नाइट राइडर्स के बैटर रिंकू सिंह ने लगातार 5 बॉल पर 5 छक्के मारकर अपनी टीम कोलकाता नाइट राइडर्स को असंभव लगने वाली जीत दिला दी।

IPL 2023

टाटा आईपीएल सीजन 2023 के 13वें में मैच में गुजरात टाइटंस ने कोलकाता नाइट राइडर्स के सामने 204 का विशाल स्कोर खड़ा किया। जवाबी कार्रवाई में कोलकाता नाइट राइडर्स ने इम्पैक्ट प्लेयर वेंकटेश अय्यर के 40 गेंदों में 83 रन की बदौलत कोलकाता को लगभग जीत की ओर धकेल दिया था लेकिन वेंकटेश अय्यर के आउट होने के बाद अचानक से 3 विकेट लगातार गिर गए। ये तीन विकेट एक ओवर में एक गिरे जोकि एक हैटट्रिक का हिस्सा थे।

ये हैटट्रिक गुजरात के कप्तान राशिद खान ने ली जब उन्होंने तीन लगातार गेंदों पर कोलकाता नाइट राइडर्स के तीन बल्लेबाजों को आउट कर दिया। कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम अब हारती दिख दिख रही थी।आखिरी ओवर में बॉल पर 29 रन बनाने थे जो कि एक बेहद मुश्किल कार्य था। क्रीज पर उमेश यादव और रिंकू सिंह थे। आखिरी ओवर में उमेश यादव स्ट्राइक पर थे और गुजरात टाइटंस की तरफ से यश दयाल बॉलिंग कर रहे थे। ओवर की पहली गेंद पर उमेश यादव ने सिंगल लिया। अब 5 गेंद में 28 रन बनाने थे जो कि एक बेहद मुश्किल कार्य था, लेकिन रिंकू सिंह ने इसे कर दिखाया। उन्होंने यह यश दयाल की लगातार 5 गेंदों पर 5 छक्के लगाकर अपनी टीम को हार से जीत दिला दी।

रिंकू सिंह के शॉट :   6 6 6 6 6 6 (19.2 से 19.6 तक)

आईपीएल में ऐसा कारनामा करने वाले रिंकू सिंह ही नहीं हैं, कुछ और बल्लेबाज भी है जिन्होंने ऐसा कारनाम कर दिखाया है।

IPL 2020

आईपीएल 2020 में सितंबर 2020 को राजस्थान रॉयल्स और पंजाब किंग्स के बीच मैच चल रहा था। राजस्थान रॉयल्स 224 रन के विशाल लक्ष्य का पीछा कर रहा था। इस मैच में राहुल तेवतिया ने एक ही ओवर में पांच छक्के मारकर अपनी टीम को मैच जिताऊ पोजीशन लाकर खड़ा कर दिया। हालाँकि वो आखिरी ओवर तक नही टिक पाये लेकिन उनके एक ओवर के पाँच छक्कों ने और अगले ओवर के 1 छक्के ने राजस्थान को अच्छी पोजीशन पर ला दिया। मैच का 18वां ओवर था। पंजाब किंग्स की तरफ से बॉलिंग कर रहे थे शेल्डन कॉटरेल तथा सामने बल्लेबाज से राहुल तेवतिया। राहुल तेवतिया ने लगातार 4 गेंदों पर 4 छक्के मारे फिर 1 गेंद खाली छोड़कर 6वी गेंद पर भी छक्का मारा। 19वें ओवर में भी राहुल तेवतिया ने एक छक्का मारा और अगली गेंद पर आउट हो गए लेकिन उनकी टीम को बाकी खिलाड़ियों ने जीत दिला दी।

तेवतिया के शॉट थे : 18 ओवर 6 6 6 6 0 6

IPL 2021

आईपीएल 2021 में चेन्नई सुपर किंग्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के बीच मैच चल रहा था। चेन्नई पहले बैटिंग कर रही थी। रविंद्र जडेजा क्रीज पर थे और उन्होंने हर्षल पटेल के एक ओवर में 5 छक्के और एक चौका मार कर अपनी टीम को एक अच्छी पोजीशन में लाकर खड़ा कर दिया। हर्पल पटेल ने इस ओवर में कुल 37 रन दिए। ये आईपीएल के इतिहास सबसे महंगा ओवर था।

रविंद्र जडेजा के शॉट थे : 6 6 6 2 6 4

IPL 2022

आईपीएल 2022 में कोलकाता नाइट राइडर्स और लखनऊ सुपरजाइंट्स के बीच मैच चल रहा था। इस मैच में शिवम मावी के ओवर में कुल पाँच छक्के पड़े।  मैच का 19वां ओवर चल रहा था। कोलकाता नाइट राइडर्स के तरप से शिवम मावी बॉलिंग कर रहे थे। लखनऊ सुपर जायंट्स के बल्लेबाज मार्कस स्टोइनिस क्री पर थे उन्होंने शिवम मावी के 1 ओवर में 3 दमदार छक्के मारे। उसके बाद 4थी बॉल पर आउट हो गए। नए आने वाले बैटर जेसन होल्डर ने अगली दो बालों पर 2 छक्के मारे। इस तरह एक ओवर में 5 छक्के मारे गए। शिवम मावी को कुल कुल 5 छक्के पड़े।

IPL 2012

आईपीएल 2012 के मैच में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और पुणे वॉरियर्स इंडिया के बीच मैच चल रहा था। इस मैच में पारी के 13वें ओवर में क्रिस गेल ने राहुल शर्मा के एक ओवर में कुल 5 छक्के मारे और अपनी टीम को विजय पथ की ओर धकेल दिया।


ये भी पढ़ें…

विराट कोहली और आरसीबी का ये आईपीएल रिकार्ड शायद आप न जानते हों!

IPL के सभी सीजन में टीमों द्वारा बनाए गए सर्वोच्च स्कोर की पूरी लिस्ट जानिए।

नवरात्रि – शक्ति की आराधना का पर्व – कैसे मनाएं, पूरा विधि विधान

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणी नमोस्तुते।

नवरात्रि देवी (Navratri Vrat Vidhi Vidhan) की आराधना का पर्व है। कहने को नवरात्रि साल में 4 बार आती है, लेकिन दो नवरात्रि मुख्य नवरात्रि होती हैं। शेष दोनों नवरात्रि गौण नवरात्रि होती हैं, जो केवल देवी साधना के साधकों के लिए महत्वपूर्ण होती हैंं।

बाकी दोनों नवरात्रि ‘शारदीय नवरात्रि’ और ‘चैत्र नवरात्रि’ सामान्य जन के लिए महत्वपूर्ण नवरात्रि है। इसीलिए वर्ष में दो बार नवरात्रि मनाई जाती हैं। ये दोनों चैत्र नवरात्रि एवं शारदीय नवरात्रि प्रमुख है।

चैत्र नवरात्रि हिंदू वर्ष के चैत्र महीने की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक मनाई जाती है तथा शारदीय नवरात्रि हिंदू वर्ष के आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाई जाती है।

चैत्र नवरात्रि के नवें दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव ‘राम नवमी’ का पर्व भी होता है। शारदीय नवरात्रि के नौ दिन के बाद दसवें हिंदुओं का प्रमुख त्योहार विजयदशमी (दशहरा) मनाया जाता है, ये पर्व भी भगवान श्रीराम से संबंधित है।

नवरात्रि एक ऐसा पर्व है जो पूरे देश में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। उत्तरभारत में दोनो नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। बंगाल में शारदीय नवारात्रि का पर्व ‘दुर्गा पूजा’ के रूप में मनाया जाता है। गुजरात राज्य में भी शारदीय नवरात्रि का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। गुजरात का गरबा और डांडिया नृत्य नवरात्रि से ही संबंधित है। नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन देवी के अलग-अलग रूप में निर्धारित हैं, जिनका क्रमिक रूप से पूजन किया जाता है। देवी के यह नौ रूप निम्नलिखित हैं…

  1. प्रथमदिन : शैलपुत्री
  2. दूसरेदिन : ब्रह्मचारिणी
  3. तीसरेदिन : चंद्रघंटा
  4. चौथेदिन : कुष्मांडा
  5. पांचवेंदिन : स्कंदमाता
  6. छठेदिन : कात्यायनी
  7. सातवांदिन : कालरात्रि
  8. आठवांदिन : महागौरी
  9. नवांदिन : सिद्धिदात्री

देवी के नौ रूपों की अलग अलग रूपों की हर दिन क्रमिक रूप से पूजा की जाती है और नौवें दिन देवी के नाम पर हवन-यज्ञ आदि करके नौ कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उन्हें भोजन-दान कराया जाता है।

नवरात्रि के नौ दिनों को तीन भागों में विभाजित किया गया है। नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा-महाकाली के लिए समर्पित हैं, जिस दिन देवी के शक्ति रूप की पूजा की जाती है।

नवरात्रि के अगले तीन दिन धन की देवी महालक्ष्मी लिये समर्पित हैं। इन तीन दिनों में मन के विकारों को नष्ट करने के लिए पूजा की जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी की प्रधानता होती है।

नवरात्रि आखिरी तीन दिनों में ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की प्रधानता रहती है। नवरात्रि का नौवां दिन अंतिम दिन होता है। इस दिन सभी नौ रूपों की पूजा कर नौ कन्याओं को भोजन कराया जाता है।

  • नवरात्रि का पहला दिन : माँ शैलपुत्री की पूजा
  • नवरात्रि का दूसरा दिन : माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
  • नवरात्रि का तीसरा दिन : माँ चंद्रघंटा की पूजा
  • नवरात्रि का चौथा दिन : माँ कुष्मांडा की पूजा
  • नवरात्रि का पाँचवा दिन : माँ स्कंदमाता की पूजा
  • नवरात्रि का छठा दिन :  माँ कात्यायनी की पूजा
  • नवरात्रि का सातवाँ दिन : माँ कालरात्रि की पूजा
  • नवरात्रि का आठवाँ दिन : माँ महागौरी पूजा
  • नवरात्रि का नौवाँ दिन : माँ सिद्धिदात्री की पूजा

नवरात्रि की पूजा (विधिविधान सहिता)

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। अलग-अलग दिन अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि में माता के स्वरूप का स्थापना किया जाता है, तथा पूरे 9 दिन व्रत धारण किया जाता है, जिसमें 9 दिन तक अन्न ग्रहण नही किया जाता बल्कि केवल फलाहार ही लिया जाता है। कूटू अथवा सिंघाड़े के आटे की रोटी खाई जा सकती है। यदि व्रत रख पाने में असमर्थ हों तो पहले दिन व अंतिम दिन व्रत रखकर भी पूजन कार्य संपन्न कर सकते हैं। नवरात्रि के 9 दिन व्रत धारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि में पूजन कार्य के लिए निम्नलिखित पूजन सामग्री 

कलश (तांबे का लोटा), मौली, आम के पाँच पत्ते (डंडी सहित), रोली, गंगाजल, सिक्का, गेहूं या अक्षत, जवार बोने के लिए सामग्री, मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, गेहूं या जौ, मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा, साफ जल, और कलावा, चौकी पर बिछाने को लाल कपड़ा इत्यादि नवरात्रि में 9 दिन अखंड ज्योति जलाई जाती है।

ये अखंड ज्योति मिट्टी या पीतल के दीपक में गाय के दूध से बने घी से जलानी चाहिए। नवरात्रि के नौंवे दिन हवन किया जाता है, जिसके लिए हवन कुंड की स्थापना करके हवन करके नौ कन्याओं को भोजन कराया जाता है।

हवन कार्य के लिए आवश्यक सामग्री 

हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, रोली या कुमकुम, अक्षत (चावल), जौ, धूप, पंचमेवा, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए भोग, शुद्ध जल (आमचन के लिए), काले चने और सूजी का बना प्रसाद इत्यादि। नवरात्रि में माता रानी के विग्रह (मूर्ति) की स्थापना की जाती है और उनका श्रंगार किया जाता है।

देवी के श्रृंगार के लिए आवश्यक सामग्री 

लाल चुनरी, चूड़ी, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, बिछिया, माला, पायल, लाली व अन्य श्रृंगार के सामान।

नवरात्रि पूजन कार्य कैसे करें

  • नवरात्रि के दिन प्रथम दिन प्रातः काल उठकर सर्वप्रथम स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
  • अब अपने पूजा गृह में एक चौकी बेचकर उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और फिर वहाँ पर रोली और अक्षत से टीका करें।
  • एक लाल कपड़ा बिछाकर उस पर कलश स्थापन करें। कलश की स्थापना ईशान कोण में की जानी चाहिए। ईशान कोण पूर्व और उत्तर के बीच का कोण होता है।
  • कलश की स्थापना करने के लिए चावल की ढेरी बनाकर उसे पर तांबे अथवा मिट्टी का कलश रखें। उसमें पानी भरें तथा  कलश में गंगाजल भी डालें तथा उस कलश के ऊपर चंदन और रोली से टीका लगाएं।
  • कलश के अंदर दूर्वा, अक्षत, सुपारी डालें और एक सिक्का भी डाल दें। उसके बाद आम के पाँच पत्ते लेकर कलश के मुँह पर चारों तरफ लगाकर उसे पर एक नारियल रख दें।
  • कलश की स्थापना करते समय ओम् ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चै मंत्र का निरंतर जाप करते रहें।
  • पास में ही एक मिट्टी के पात्र में मिट्टी भरकर उसमे सात तरह के धान (तिल, चावल, मूंग, कंगनी, जौ, चना, गेहूँ) को बो दें।
  • अब कलश के पास ही देवी के विग्रह का स्थापन करें। विग्रह के रूप में मूर्ति अथवा देवी का चित्र स्थापित करें।
  • माता रानी के व्रत 9 दिन के व्रत में कलश की स्थापना करना बेहद आवश्यक माना जाता है। यह समृद्धि का कारक माना जाता है। उसके बाद देवी के विग्रह की विधिवत पूजा का अर्चना करें।
  • सबसे पहले भगवान गणेश और वरुण देवता का आह्वान कर देवी पूजन आरंभ करें। चंदन, कुंकुम,अक्षत, धूप-दीप नैवेद्य आदि से पूजन करें। अखंड दीप जलाएं जो पूरे नौ दिनो तक जलते रहना चाहिए।
  • माता रानी को प्रसाद चढ़ाने के लिए दूध से बनी सामग्री का ही भोग लगाएं। यथासंभव रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करें।
  • पूरा पाठ करना संभव नहीं हो तो हर दिन एक अध्याय का पाठ करें। पूजन करने के पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • दुर्गा सप्तशती का जब पाठ संपन्न हो जाए फिर माँ दुर्गा जी की  आरती करें और सबको प्रसाद वितरित करें।
  • जिस दिन जिस देवी का स्वरूप निश्चित हो, उस दिन उस देवी-रूप का विशिष्ट रूप से ध्यान करके पूजन संपन्न करें। रोज दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें और आरती करें।

नवरात्रि में सावधानी बरतनी वाले बातें

  • जिन लोगों ने नवरात्रि के 9 दिन व्रत उपवास रखा है, वह पूरी तरह सात्विक जीवन शैली को अपनाएं।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें यथासंभव अन्न ग्रहण नहीं करें तथा केवल फलाहार ही ग्रहण करें।
  • किसी भी तरह के तामसिक पदार्थ का सेवन अथवा व्यसन का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें।
  • सभी नौ दिन जमीन पर ही सोयें।
  • अपना आचरण शुद्ध रखें। किसी पर व्यर्थ में क्रोध न करें और ना ही असत्य बोलें। पूर्ण विनम्रता का व्यवहार रखें।
  • मन में निरंतर माँ दुर्गा के मंत्र का जाप करते रहें और उनके स्वरूप का ध्यान करते रहें।

नौंवें दिन हवन कराकर नौ कुंवारी कन्याओं को भोजन कराएं। उन्हे कोई उपयोगी उपहार दें। सब कुछ हो जाने के बाद ही अपना व्रत खोलते हुए भोजन ग्रहण करें।

दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब।भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
शा तृष्णा निपट सतावें। मोह मदादिक सब बिनशावें॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥ 


दुर्गा माँ की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
जय अम्बे गौरी,…।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।
जय अम्बे गौरी,…।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।
जय अम्बे गौरी,…।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।
जय अम्बे गौरी,…।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।
जय अम्बे गौरी,…।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।
जय अम्बे गौरी,…।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
जय अम्बे गौरी,…।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।
जय अम्बे गौरी,…।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
जय अम्बे गौरी,…।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
जय अम्बे गौरी,…।

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।
जय अम्बे गौरी,…।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।
जय अम्बे गौरी,…।

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।


महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र

नवरात्रि में महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र का पाठ करना बेहद शुभ फलदायी होता है।

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते,
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१।।

सुरवर वर्षिणि दुर्धर धर्षिणि दुर्मुख मर्षिणि हर्षरते,
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिष मोषिणि घोषरते।
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।२।।

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रिय वासिनि हासरते,
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमालय शृङ्गनिजालय मध्यगते।
मधुमधुरे मधुकैटभ गञ्जिनि कैटभ भञ्जिनि रासरते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।३।।

अयि शतखण्ड विखण्डित रुण्ड वितुण्डित शुंड गजाधिपते,
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते।
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।४।।

अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते,
चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते।
दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।५।।

अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे,
त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे।
दुमिदुमितामर धुन्दुभिनाद महोमुखरीकृत दिङ्मकरे,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।६।।

अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते,
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भव शोणित बीजलते।
शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।७।।

धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके,
कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।८।।

सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते,
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते।
धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदङ्ग निनादरते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।९।।

जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते,
झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुर शिञ्जितमोहित भूतपते।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१०।।

यि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते,
श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते।
सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।११।।

सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते,
विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते।
शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१२।।

अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते,
त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते।
अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१३।।

कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते,
सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले।
अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१४।।

करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते,
मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते।
निजगुणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१५।।

कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे,
प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे।
जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१६।।

विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते,
कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते।
सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१७।।

पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे,
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत्।
तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१८।।

कनकलसत्कल सिन्धुजलैरनु षिञ्चतितेगुण रङ्गभुवम्,
भजति स किं न शचीकुचकुम्भ तटीपरिरम्भ सुखानुभवम्।
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१९।।

तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते,
किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते।
मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।२०।।

अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे,
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते।
यदुचितमत्र भवत्युररी कुरुतादुरुता पमपाकुरुते,
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।२१।।

इति श्री महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम सम्पूर्णम्।।


ये भी पढ़ें…

मकर संक्रांति का पर्व क्या है? ये क्यों और कैसे मनाते हैं? पूरा कहानी और विधि-विधान जानें।

सफला एकादशी क्या है? सफला एकादशी की पूजा-विधि और महत्व जानें।

विराट कोहली और आरसीबी का ये आईपीएल रिकार्ड शायद आप न जानते हों!

आईपीएल के इतिहास में कई खिलाड़ियों ने अलग-अलग तरह के रिकॉर्ड बनाए हैं, लेकिन विराट कोहली ने आईपीएल में एक अलग ही विशेष रिकॉर्ड बनाया (Viral Kohli RCB Connection in IPL) है। विराट कोहली आईपीएल के एकमात्र खिलाड़ी है, जो आईपीएल के सभी 17 सीजन में किसी एक टीम के लिए लगातार खेले हैं।

2008 में आईपीएल के पहले संस्करण में विराट कोहली रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु यानी आरसीबी की तरफ से खेले थे। उस समय आरसीबी की टीम के कप्तान राहुल द्रविड़ थे। उसके बाद से 2024 के आईपीएल के 17वें सीजन तक विराट कोहली लगातार आईपीएल की आरसीबी फ्रेंजाइजी के नियमित सदस्य बने हुए हैं।

ऐसा रिकॉर्ड किसी अन्य खिलाड़ी के नाम नहीं है। यह रिकॉर्ड चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी के नाम भी हो सकता था, लेकिन बीच में 2 साल 2016-2017 में चेन्नई सुपर किंग्स को आईपीएल से सस्पेंड किए के कारण महेंद्र सिंह धोनी चेन्नई सुपर किंग्स के लिए 2 साल खेल नहीं सके और उन्होंने राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स फ्रेंजाइजी के लिए 2 सालों में खेला, इसलिए उनका लगातार किसी एक टीम के लिए 16 सीजन खेलने का रिकॉर्ड नहीं बन पाया।

भारतीय खिलाड़ी हों या विदेशी खिलाड़ी विराट कोहली पूरे आईपीएल के इतिहास में अकेले ऐसे खिलाड़ी हैं, जो आईपीएल के सभी 17 सीजन किसी एक फ्रेंजाइजी टीम के लिए ही खेलें हैं।

आईपीएल में अन्य सभी खिलाड़ी अलग-अलग टीमों के लिए खेलते रहे हैं। चाहे वो बड़े-बड़े नामी खिलाड़ी ही क्यों न हों। सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, रोहित शर्मा, वीवीएस लक्ष्मण, अनिल कुंबले, हरभजन सिंह, शिखर धवन जैसे बड़े खिलाड़ी भी अलग-अलग टीमों के लिए खेले हैं, या सभी अभी तक सभी 17 सीजन किसी एक एक ही फ्रेंचाइजी लिए ही कोई खिलाड़ी नही खेला है।

सचिन तेंदुलकर केवल मुंबई फ्रेंजाइजी के लिए खेले लेकिन वो सभी 17 सीजन नही खेले हैं। वो 2008 से 2013 तक 6 सीजन खेले हैं।

केवल विराट कोहली के ही नाम ये अनोखा रिकार्ड दर्ज है कि वो आईपीएल के सभी 17 सीजन खेले और एक ही टीम के लिए खेले।

विराट कोहली का आईपीएल में बैटिंग रिकार्ड

वर्षमैच इनिंगनॉट आउटरनसेंचुरीहाफ सेंचुरीचौके छक्केउच्चतम स्कोरएवरेजस्ट्राइक रेट
200813121165001843815105.09
200916132246012285022.36112.32
2010161323070126125827.9144.81
2011161645570455167146.41121.08
2012161523640233973*28111.65
2013161626340664229945.28138.73
2014141413590223167327.61122.1
20151616550503352382*45.9130.82
20161616497347833811381.08152.03
2017101003080423116430.8122.22
20181414353004521892*48.18139.1
20191414046412461310033.14141.46
20201515446603231190*42.36121.35
2021151514050343972*28.92119.46
202216161341023287322.73115.99
202314142639266516101*53.25139.82
2024221104014583*
टोटल IPL237229337,33475064323411337.25130.02

 

नोट : ये रिकार्ड IPL 2024 के 29 मार्च 2024  को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच खेले गए मैच तक अपडेट हैं। ये मैच विराट कोहली और आरसीबी का 2023 के सीजन का दूसरा मैच था।

विराट कोहली ने आईपीएल मैचों में अभी तक 7334 रन बनाए हैं और उन्होंने आईपीएल में कुछ 5 सेंचुरी बनाई हैं, जिसमें 4 सेंचुरी तो उन्होंने 2016 के एक ही सीजन में बनाई थीं, जब उन्होंने आईपीएल में सबसे अधिक रनों का रिकॉर्ड बनाया था। उस आईपीएल सीजन में उन्होंने कुल 973 रन बनाए थे।

आईपीएल में बहुत से ऐसे खिलाड़ी हैं, जो किसी एक ही फ्रेंचाइजी के लिए खेले हैं, लेकिन एक ही टीम के लिए खेलकर वह खिलाड़ी रिटायर हो चुके हैं। जैसे कि सचिन तेंदुलकर, जो केवल मुंबई इंडियंस के लिए ही खेले थे। बहुत से ऐसे खिलाड़ी भी है, जो आईपीएल के पहले सीजन से अब तक खेल रहे हैं। जैसे रविन्द्र जडेजा, महेंद्रसिंह धोनी, अमित मिश्रा, ईशांत शर्मा आदि। लेकिन ये खिलाड़ी लगातार एक टीम के लिए नही खेले हैं।

रविन्द्र जडेजा अभी चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेल रहें है लेकिन वो पहले सीजन से राजस्थान रॉयल्स के लिए भी खेले हैं। महेन्द्र सिंह धोनी भी चेन्नई सुपर किंग्स और राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स इन दो टीमों के लिए खेले हैं। विराट कोहली के अतिरिक्त कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं है, जो आईपीएल के 2008 के पहले सीजन से लेकर अब तक खेल रहा हो और नियमित रूप से एक ही टीम के लिए लगातार खेला हो।

तो है  आईपीएल में विराट कोहली का अनोखा रिकार्ड!  


ये भी पढ़ें…

विराट कोहली – सेंचुरी किंग – विराट की सभी सेंचुरी की लिस्ट देखें।

TATA IPL 2024 के सभी मैचों का शेड्यूल और रिजल्ट यहाँ देखें।

IPL के सभी सीजन में टीमों द्वारा बनाए गए सर्वोच्च स्कोर की पूरी लिस्ट जानिए।

आईपीएल के 17वें सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद ने सारे 27 मार्च 2024 को आईपीएल सभी सीजन के इतिहास का सर्वोच्च स्कोर बनाया। सनराइजर्स हैदराबाद में मुंबई इंडियंस के खिलाफ हुए मैच में सनराइजर्स हैदराबाद में 277 रन बनाकर एक नया रिकॉर्ड बना डाला और आईपीएल के इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर बना डाला।

इसके बाद इसी सीजन में 3 अप्रेल 2024 को कोलकाता नाइट राइडर्स ने दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ आईपीएल इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा रिकार्ड बना डाला जब उसने 272 रन बनाए। हालाँकि वह सबसे स्कोर को एक हफ्ते के अंदर ही तोड़ने से थोड़ा चूक गई।

उसके बाद 15 अप्रेल 2024 को सनराइजर्स हैदराबाद ने 285 रन बनाकर इसी सीजन में बनाए अपने ही रिकार्ड को तोड़ डाला। इस सनराइनजर्स हैदराबाद द्वारा बनाया गया 285 रन का स्कोर आईपीएल के सभी सीजन के इतिहास में अभी तक सबसे बड़ा स्कोर बन गया है।

2024 के सीजन से पहले आईपीएल के इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर 263 रन था जो रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने 2013 में बनाया था। इससे पहले भी आईपीएल में बड़े-बड़े स्कोर बना चुके हैं और 200 का स्कोर कई बार पर हुआ है। आईपीएल के सबसे अधिक स्कोर करने वाली टीमों की पूरी लिस्ट पर एक नजर डालते हैं।

IPL Highest Score list all times

क्रमटीमस्कोरअपोजिट टीममैच की तारीख
1सनराइजर्स हैदराबाद285/3रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु15 अप्रेल 2024
2सनराइजर्स हैदराबाद277/3मुंबई इंडियंस27 मार्च 2024
3कोलकाता नाइट राइडर्स272/4दिल्ली कैपिटल्स03 अप्रेल 2024
4रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरु263/5पुणे वारियर्स23 अप्रैल 2013
5रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु262/7सनराइजर्स हैदराबाद15 अप्रेल 2024
6मुंबई इंडियंस246/5सनराइजर्स हैदराबाद27 मार्च 2024
7लखनऊ सुपर जाइंट्स257/5पंजाब किंग्स28 अप्रैल 2023
9रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर248/3गुजरात लायंस14 मई 2016
10चेन्नई सुपर किंग्स246/5राजस्थान रॉयल्स3 अप्रैल 2010
11कोलकाता नाइट राइडर्स245/6पंजाब किंग्स12 मई 2018
12चेन्नई सुपर किंग्स240/5पंजाब किंग्स19 अप्रैल 2008
13चेन्नई सुपर किंग्स235/4कोलकाता नाइट राइडर्स23 अप्रैल 2023
14रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर235/1मुंबई इंडियंस10 मई 2015
15मुंबई इंडियंस235/9सनराइजर्स हैदराबाद8 अक्टूबर 2021
16गुजरात टाइटंस233/3मुंबई इंडियंस26 मई 2023
17कोलकाता नाइट राइडर्स232/2मुंबई मुंबई28 अप्रैल 2019
18पंजाब किंग्स232/2रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर17 मई 2011
19पंजाब किंग्स231/4चेन्नई सुपर किंग्स7 मई 2014
20दिल्ली डेयरडेविल्स231/4पंजाब किंग्स23 अप्रैल 2011
21सनराइजर्स हैदराबाद231/2रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर31 मार्च 2019
22पंजाब किंग्स230/3मुंबई इंडियंस11 मई 2017
23सनराइजर्स हैदराबाद228/4कोलकाता नाइट राइडर्स14 अप्रैल 2023
24दिल्ली कैपिटल्स228/4कोलकाता नाइट राइडर्स3 अक्टूबर 2020
25गुजरात टाइटंस227/2लखनऊ सुपर जाइंट्स7 मई 2023
26रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर227/4सनराइजर्स हैदराबाद12 अप्रैल 2016
27राजस्थान रॉयल्स226/6पंजाब किंग्स27 सितम्बर 2020
28रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर226/3पंजाब किंग्स6 मई 2015
29चेन्नई सुपर किंग्स226/6रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर17 अप्रैल 2023
30पंजाब किंग्स226/6चेन्नई सुपर किंग्स30 मई 2014
31राजस्थान रॉयल्स223/5चेन्नई सुपर किंग्स3 अप्रैल 2010
32चेन्नई सुपर किंग्स223/3दिल्ली कैपिटल्स20 मई 2023

 


ये भी पढ़ें..

कौन हैं माधवी लता? एक छोटा सा लाइफ स्कैन।

भारत की 17वीं लोकसभा के चुनावों का बिगुल बज चुका है और लोकसभा चुनावों की तिथि घोषित हो चुकी है। सभी पार्टियां लोकसभा सीटों से अपने-अपने उम्मीदवार भी घोषित करने में लगी हैं। बीजेपी ने अभी तक सबसे ज्यादा उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

उत्तर भारत, पश्चिम भारत और उत्तर पूर्व भारत में बीजेपी के भले ही बहुत अधिक प्रभावी हो, लेकिन दक्षिण भारत में कर्नाटक के अलावा और किसी दक्षिणी राज्य में बीजेपी अपना खास आधार नहीं बन पाई है और वह अन्य राज्यों में भी अपना आधार बनाने की कोशिश में लगी हुई है। इसी प्रक्रिया में हैदराबाद जैसी हॉट सीट पर बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।

हैदराबाद की सीट असदुद्दीन ओवैसी की पारंपरिक सीट रही है। असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों के पोस्टर बॉय माने जाते हैं और वह इस सीट पर लंबे समय से सांसद हैं। इससे पहले उनके पिता हैदराबाद की सीट पर सांसद थे। 1984 से असदुद्दीन ओवैसी का परिवार ही इस सीट पर लोकसभा सांसद रहा है। अब ऐसी कठिन सीट पर भाजपा ने अपने उम्मीदवार के रूप में माधवी लता का नाम घोषित किया है।

एक और जहां असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों के फायर ब्रांड नेता माने जाते हैं, वहीं माधवी लता की छवि कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर है। वह हिंदू मुद्दों को मुखरता से उठाने वाले नेता के रूप में जानी जाती हैं।

माधवी लता का लाइफ स्कैन (Madhavi Latha life scan)

माधवी लता जिन्हें भाजपा ने हैदराबाद की सीट पर अपने उम्मीदवार बनाया है, वह दक्षिण भारत की एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो राजनीति में नई हैं। वह 2018 में ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई हैं। उनके परिवार का दूर-दूर से कोई नाता नहीं है। वह फिल्म अभिनेत्री होने के अलावा मेडिकल व्यवसाय से भी जुड़ी हुई हैं और हैदराबाद में उनका हॉस्पिटल भी है।

परिचय

माधवी लता का जन्म 2 दिसंबर 1988 को कर्नाटक के हुबली के एक तेलुगू परिवार में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्र का रहने वाला था। उन्होंने कर्नाटक के गुलबर्ग विश्वविद्यालय के बेल्लारी के कॉलेज एएसएम कॉलेज फॉर वूमैन से स्नातक किया उसके बाद उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह फिल्म से जुड़ गई और उन्होंने कई फिल्मों तेलुगु-तमिल में भी काम किया है।

पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद उन्होंने तेलुगू भाषा की कई फिल्मों में काम किया। उनके फिल्में करियर की शुरुआत 2008 में हुई, तब उन्होंने तेलुगू फिल्म 2008 में ‘नचावुले’ में काम किया। यह फिल्म काफी सफल रही थी और इसने तेलुगू सिनेमा का जाने-माने पुरस्कार नंदी पुरस्कार जीता।

उसके बाद 2009 में उन्होंने ‘स्नेहितुडा’, 2013 में ‘अरविंद’ और 2015 में तमिल फिल्म ‘अंबाला’ नाम की तेलुगु फिल्मों में काम किया। उन्होंने 2020 में तेलुगु फिल्म ‘महिला’ और 2021 में तमिल फिल्म ‘मदुरै मणिकुरवर’ में काम किया।

उनका फिल्मी करियर बहुत अधिक लंबा नहीं चला। शुरुआती सफलता के बाद उनकी फिल्मों को कुछ खास सफलता नहीं मिली। बाद में उन्होंने राजनीतिक की ओर रुख किया और 2018 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं।

उन्होंने 2019 में हुए आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में गुंटूर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट के तौर पर विधायक जी का चुनाव लड़ा, लेकिन वह चुनाव जीत नहीं पाईं।

माधवी लता हिंदू फायर ब्रांड नेता के तौर पर जानी जाती है और वह हिंदू मुद्दों को उठाने के लिए भी जानी जाती हैं। केवल हिंदू ही नहीं वह अपने सामाजिक कार्यों के लिए जानी जाती हैं। वह आंध्र प्रदेश के विरिंची हॉस्पिटल की चेयरपर्सन है और डॉक्टर माधवी लता के नाम से मशहूर रही हैं। वह एक कुशल भरतनाट्यम डांसर भी हैं इसके अलावा लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट और लतामा फाउंडेशन की प्रमुख भी रही हैं।

फिलहाल वह हैदराबाद की सीट पर बीजेपी की तरफ सी प्रत्याशी होने कारण काफी चर्चा में आ गईं है। अब ये देखना होगा कि वह असद्दुद्दीन ओवैसी को हरा पाती हैं कि नही।

 

हाल ही न्यूज एजेंसी ANI की पत्रकार स्मिता प्रकाश को माधवी लता ने एक इंटरव्यू दिया है, जिन्होंने बेबाकी से अपनी सारे बातें रखी हैं। उनका वो इंटरव्यू भी देखिए…


ये भी पढ़ें…

TATA IPL 2024 के सभी मैचों के रिजल्ट का रिकार्ड।

दुनिया की सबसे लोकप्रिय T20 क्रिकेट लीग आईपीएल यानी इंडियन प्रीमियर लीग का 17वें सीजन का समापन हो चुका है। कोलकाता नाइट राइडर्स ने फाइनल मैच मे सनराइजर्स हैदराबाद को 8 विकेट से हराकर तीसरी बार आईपीएल की ट्राफी जीती। केकेआर ने इससे पहले 2012 और 2014 में ट्राफी जीती थी।

टूर्नामेंट में कब किसी टीम का किस टीम से मैच था और कब किस टीम ने किस टीम को हराया, इसका पूरा विवरण नीचे तालिका में दिया गया है…

TATA IPL 2024 Point Table

क्रमटीम मैचजीतेहारेरद्दप्वाइंट नेट रन
1कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR)1493219+1.428
2सनराइजर्स हैदराबाद (SRH)1485117+0.414
3राजस्थान रायल्स (RR)1485116+0.373
4रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)1477014+0.387
5चेन्नई सुपर किंग्स (CSK)1477014+0.528
6दिल्ली कैपिटल्स (DC)1477014-0.377
7लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG)1477014-0.667
8गुजरात टाइटंस (GT)1457211-1.063
9पंजाब किंग्स (PBKS)145908-0.353
10मुंबई इंडियंस (MI)1441008-0.318

 


TATA IPL 2024 All Matches Schedule and Results

मैच नं. 1

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) Vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)

  • तारीख : 22 मार्च 2024 (शुक्रवार)
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 8.00 P.M.
  • वेन्यू : एम. ए. चिदंबरम् स्टेडियम, चेन्नई
  • टॉस : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : चेन्नई सुपर किंग्स ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 6 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मुस्तफिजुर रहमान
  • फाइनल स्कोर : RCB – 173/6 (20)│ CSK – 176/4 (18.4)

मैच नं. 2

दिल्ली कैपिटल्स (DC) Vs पंजाब किंग्स (PBKS)

  • तारीख : 23 मार्च 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 3.30 P.M.
  • वेन्यू : महाराज यादवेन्द्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़
  • टॉस : पंजाब किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : पंजाब किंग्स ने दिल्ली कैपिटल्स को 4 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : सैम करन
  • फाइनल स्कोर : DC – 174/9 (20)│PBKS – 177/6 (19.2)

मैच नं. 3

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) Vs सनराइजर्स हैदराबाद (SRH)

  • तारीख : 23 मार्च 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : ईडेन गार्डन, कोलकाता
  • टॉस : सनराइजर्स हैदराबाद (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : कोलकाता नाइट राइडर्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को 4 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : आंद्रे रसल
  • फाइनल स्कोर : KKR – 208/7 (20)│SRH – 204/7 (20)

मैच नं. 4

राजस्थान रॉयल्स (RR) Vs लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG)

  • तारीख : 24 मार्च 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 3.30 P.M.
  • वेन्यू : सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बैटिग चुनी)
  • परिणाम : राजस्थान रॉयल ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 20 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : संजू सैमसन
  • फाइनल स्कोर : RR – 193/6 (20)│LSG – 173/6 (20)

मैच नं. 5

मुंबई इंडियंस (MI) Vs गुजरात टाइटंस (GT)

  • तारीख : 24 मार्च 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : गुजरात टाइटंस ने मुंबई इंडियंस को 6 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : साई सुदर्शन
  • फाइनल स्कोर : GT – 198/6 (20)│MI – 162/9 (20)

मैच नं. 6

पंजाब किंग्स (PBKS) Vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)

  • तारीख : 25 मार्च 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु
  • टॉस : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने पंजाब किंग्स को 4 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : विराट कोहली
  • फाइनल स्कोर : PBKS – 176/6 (20)│178/6 (19.2)

मैच नं. 7

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) Vs गुजरात टाइटंस (GT)

  • तारीख : 26 मार्च 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई
  • टॉस : चेन्नई सुपर किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : चेन्नई सुपर किंग्स ने गुजरात टाइटंस को 63 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : शिवम दुबे
  • फाइनल स्कोर : CSK – 203/6 (20)│143/8 (20)

मैच नं. 8

मुंबई इंडियंस (MI) Vs सनराइजर्स हैदराबाद (SRH)

  • तारीख : 27 मार्च 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : सनराइजर्स हैदराबाद ने मुबंई इंडियंस को 31 रन से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : अभिषेक शर्मा
  • फाइनल स्कोर : 277/3 (20)│246/5 (20)

मैच नं. 9

दिल्ली कैपिटल्स (DC) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR)

  • तारीख : 28 मार्च 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर
  • टॉस : दिल्ली कैपिटल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : राजस्थान रॉयल्स ने दिल्ली कैपिटल्स को 12 रन से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रेयान पराग
  • फाइनल स्कोर : 185/5 (20)│173/5 (20)

मैच नं. 10

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) Vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)

  • तारीख : 29 मार्च 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु
  • टॉस : कोलकाता नाइट राइडर्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : कोलकाता नाइट राइडर्स ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 7 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : सुनील नरेन
  • फाइनल स्कोर : 182/6 (20)│186/3 (16.5)

मैच नं. 11

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) Vs पंजाब किंग्स (PBKS)

  • तारीख : 30 मार्च 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ
  • टॉस : लखनऊ सुपर जायंट्स (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : लखनऊ सुपर जायंट्स ने पंजाब किंग्स को 21 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मयंक यादव
  • फाइनल स्कोर : LSG – 199/8 (20)│PBKS – 178/5 (20)

मैच नं. 12

गुजरात टाइटंस (GT) Vs सनराइजर्स हैदराबाद (SRH)

  • तारीख : 31 मार्च 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 3.30 P.M.
  • वेन्यू : नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद
  • टॉस : सनराइजर्स हैदराबाद (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : गुजरात टाइटंस ने सनराइजर्स हैदराबाद को 7 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मोहित शर्मा
  • फाइनल स्कोर : SRH – 162/8 (20)│168/3 (19.1)

मैच नं. 13

दिल्ली कैपिटल्स (DC) Vs चेन्नई सुपर किंग्स (CSK)

  • तारीख : 31 मार्च 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : वाई एस राजशेखर रेड्डी स्टेडियम, विशाखापट्टनम
  • टॉस : दिल्ली कैपिटल्स (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : दिल्ली कैपिटल्स ने चेन्नई सुपर किंग्स को 20 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : खलील अहमद
  • फाइनल स्कोर : DC – 191/5 (20)│CSK – 171/6 (20)

मैच नं. 14

मुंबई इंडियंस (MI) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR)

  • तारीख : 01 अप्रेल 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : राजस्थान रॉयल्स ने मुंबई इंडियंस को 6 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : ट्रेंट बोल्ट
  • फाइनल स्कोर : MI – 125/9 /20│RR – 127/4 (15.3)

मैच नं. 15

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) Vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)

  • तारीख : 02 अप्रेल 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु
  • टॉस : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : लखनऊ सुपर जायंट्स ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 28 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मयंक यादव
  • फाइनल स्कोर : LSC – 181/5 (20)│153/10 (19.4)

मैच नं. 16

दिल्ली कैपिटल्स (DC) Vs कोलकाता नाइट राइडर्स   (KKR)

  • तारीख : 03 अप्रेल 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : वाई. एस. राजशेखर रेड्डी स्टेडियम, विशाखापट्टनम
  • टॉस : कोलकात नाइट राइडर्स (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : कोलकाता नाइट राइडर्स ने दिल्ली कैपिटल्स को 106 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : सुनील नरेन
  • फाइनल स्कोर : KKR – 272/7 (20)│DC – 166 (17.2)

मैच नं. 17

गुजरात टाइटंस (GT) Vs राजस्थान ऱॉयल्स (RR)

  • तारीख : 04 अप्रेल 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद
  • टॉस : पंजाब किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : पंजाब किंग्स ने गुजरात टाइटंस को 3 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : शशांक सिंह
  • फाइनल स्कोर : GT – 199/3 (20)│200/7 (19.5)

मैच नं. 18

सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) Vs चेन्नई सुपर किंग्स (CSK)

  • तारीख : 05 अप्रेल 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : राजीव गाँधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद
  • टॉस : सनराइजर्स हैदराबाद (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : सनराइजर्स हैदराबाद ने चेन्नई सुपर किंग्स को 6 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : अभिषेक शर्मा
  • फाइनल स्कोर : CSK – 165/5 (20)│SRH – 166/4 /(19.1)

मैच नं. 19

राजस्थान रॉयल्स (RR) Vs रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB)

  • तारीख : 06 अप्रेल 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : राजस्थान रॉयल्स ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 6 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : जोस बटलर
  • फाइनल स्कोर : RCB – 183/3 (20)│RR – 189/4 (19.1)

मैच नं. 20

मुंबई इंडियंस (MI) Vs दिल्ली कैपिटल्स (DC) 

  • तारीख : 07 अप्रेल 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 3.30 P.M.
  • वेन्यू : वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : मुंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स को 29 रन से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रोमारियो शेपर्ड
  • फाइनल स्कोर : MI – 234/5 (20)│DC – 205/8 (20)

मैच नं. 21

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) Vs गुजरात टाइटंस (GT) 

  • तारीख : 07 अप्रेल 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ
  • टॉस : लखनऊ सुपर जायंट्स (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : लखनऊ सुपर जायंट्स ने गुजरात टाइटंस को 33 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : यश ठाकुर
  • फाइनल स्कोर : LSG – 163/5 (20)│GT – 130/10 (18.5)

मैच नं. 22

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) Vs कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) 

  • तारीख : 08 अप्रेल 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई
  • टॉस : चेन्नई सुपर किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : चेन्नई सुपर किंग्स ने कोलकाता नाइट राइडर्स को 7 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रविंद्र जडेजा
  • फाइनल स्कोर : KKR – 137/9 (20)│141/3 (17.4)

मैच नं. 23

पंजाब किंग्स (PBKS) Vs सनराइजर्स हैदराबाद (SRH)

  • तारीख : 09 अप्रेल 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : महाराज यादवेन्द्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़
  • टॉस : पंजाब किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : सनराइजर्स हैदराबाद ने पंजाब किंग्स को 1 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : नितिश रेड्डी
  • फाइनल स्कोर : SRH – 182/9 (20)│PBKS – 180/6 (20)

मैच नं. 24

राजस्थान रॉयल्स (RR) vs गुजरात टाइटंस (GT)

  • तारीख : 10 अप्रेल 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : सवाई मानसिंह स्टेडियम
  • टॉस : गुजरात टाइटंस
  • परिणाम : गुजरात टाइटंस ने राजस्थान रॉयल्स को 3 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : राशिद खान
  • फाइनल स्कोर : RR – 196/3 (20)│GT – 199/7 (20)

मैच नं. 25

मुंबई इंडियंस (MI) vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)

  • तारीख : 11 अप्रेल 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : मुंबई इंडियंस ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 7 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : जसप्रीत बुमराह
  • फाइनल स्कोर : RCB – 196/8 (20)│MI – 199/3 (15.3)

मैच नं. 26

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) vs दिल्ली कैपिटल्स (DC)

  • तारीख : 12 अप्रेल 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ
  • टॉस : लखनऊ सुपर जायंट्स (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम :दिल्ली कैपिटल्स ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 6 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : कुलदीप यादव
  • फाइनल स्कोर : LSG – 167/7 (20)│DC – 170/4 (18.1)

मैच नं. 27

पंजाब किंग्स (PBKS) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR)

  • तारीख : 13 अप्रेल 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : महाराज यादवेन्द्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : राजस्थान रॉयल्स ने पंजाब किंग्स को 3 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : शिमरॉन हैटमायर
  • फाइनल स्कोर : PBKS – 147/8 (20)│RR – 152/7 (19.5)

मैच नं. 28

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) Vs लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG)

  • तारीख : 14 अप्रेल 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 3.30 P.M.
  • वेन्यू : इडेन गार्डन, कोलकाता
  • टॉस : कोलकाता नाइट राइडर्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : कोलकाता नाइन राइडर्स ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 8 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : फिलिप सॉल्ट
  • फाइनल स्कोर : LSG – 161/7 (20)│KKR – 162/2 (15.4)

मैच नं. 29

मुंबई इंडियंस (MI) Vs चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) 

  • तारीख : 14 अप्रेल 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : चेन्नई सुपर किंग्स ने मुंबई इंडियंस को 20 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मथीशा पथिराना
  • फाइनल स्कोर : CSK – 206/4 (20)│MI – 186/6 (20)

मैच नं. 30

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) Vs सनराइजर्स हैदराबाद (SRH)

  • तारीख : 15 अप्रेल 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु
  • टॉस : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : सनराइजर्स हैदराबाद ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 25 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : ट्रेविस हेड
  • फाइनल स्कोर : SRH – 287/3 (20)│262/7 (20)

मैच नं. 31

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR) 

  • तारीख : 16 अप्रैल 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : इडेन गार्डन, कोलकाता
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : राजस्थान रॉयल्स ने कोलकाता नाइट राइडर्स को 2 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : जोस बटलर
  • फाइनल स्कोर : KKR – 223/6 (20)│RR – 224/8 (20)

मैच नं. 32

गुजरात टाइटंस (GT) Vs दिल्ली कैपिटल्स (DC)

  • तारीख : 17 अप्रेल 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद
  • टॉस : दिल्ली कैपिटल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम :दिल्ली कैपिटल्स ने गुजरात टाइटंस को 6 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : ऋषभ पंत
  • फाइनल स्कोर : GT- 89/7 (17.3)│DC – 92/4 (8.5)

मैच नं. 33

मुंबई इंडियंस (MI) Vs पंजाब किंग्स (PBKS)

  • तारीख : 18 अप्रेल 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : महाराज यादवेन्द्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़
  • टॉस : पंजाब किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : मुंबई इंडियंस ने पंजाब किंग्स को 9 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : जसप्रीत बुमराह
  • फाइनल स्कोर : MI – 192/7 (20)│183/10 (19.1)

मैच नं. 34

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) Vs चेन्नई सुपर किंग्स (CSK)

  • तारीख : 19 अप्रेल 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ
  • टॉस : लखनऊ सुपर जायंट्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : लखनऊ सुपर जायंट्स ने चेन्नई सुपर किंग्स को 8 विकेट हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : के एल राहुल
  • फाइनल स्कोर : CSK – 176/6 (20)│LSG – 180/2 (19)

मैच नं. 35

दिल्ली कैपिटल्स (DC) Vs सनराइजर्स हैदराबाद (SRH)

  • तारीख : 20 अप्रेल 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली
  • टॉस : दिल्ली कैपिटल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : सनराइजर्स हैदराबाद ने दिल्ली कैपिटल्स को 67 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : ट्रैविस हेड
  • फाइनल स्कोर : SRH – 266/7 (20)│DC – 199/10 (19.1)

मैच नं. 36

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) Vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)

  • तारीख : 21 अप्रेल 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 3.30 P.M.
  • वेन्यू : इ़डेन गार्डन, कोलकाता
  • टॉस : रॉयल चैलेंजर्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : कोलकाता नाइटर राइडर्स ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 1 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : आंद्रे रसेल
  • फाइनल स्कोर : KKR – 222/6 (20)│221/10 (20)

मैच नं. 37

पंजाब किंग्स (PBKS) Vs गुजरात टाइटंस (GT)

  • तारीख : 21 अप्रेल 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : महाराज यादवेन्द्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़
  • टॉस : पंजाब किंग्स (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : गुजरात टाइटंस ने पंजाब किंग्स को 3 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : आर साई किशोर
  • फाइनल स्कोर : PBKS – 142/10 (20)│146/7 (19.1)

मैच नं. 38

मुंबई इंडियंस (MI) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR)

  • तारीख : 22 अप्रेल 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : राजस्थान रॉयल्स ने मुंबई इंडियस को 7 विकेट हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : संदीप शर्मा
  • फाइनल स्कोर : MI – 179/9 (20)│RR – 183/1 (18.4)

मैच नं. 39

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) Vs चेन्नई सुपर किंग्स (CSK)

  • तारीख : 23 अप्रेल 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर
  • टॉस : लखनऊ सुपर जायंट्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : लखनऊ सुपर जायंट्स ने चेन्नई सुपर किंग्स को 6 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मार्कस स्टोइनिस
  • फाइनल स्कोर : CSK – 210/4 (20)│LSG – 213/4 (19.3)

मैच नं. 40

दिल्ली कैपिटल्स (DC) Vs गुजरात टाइटंस (GT)

  • तारीख : 24 अप्रेल 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली
  • टॉस : गुजरात टाइटंस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : दिल्ली कैपिटल्स ने गुजरात टाइटंस को 4 रन से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रिषभ पंत
  • फाइनल स्कोर : DC – 224/4 (20)│GT – 220/8 (20)

मैच नं. 41

सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) Vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)

  • तारीख : 25 अप्रेल 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद
  • टॉस : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने सनराइजर्स हैदराबाद को 35 रन से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रजत पाटीदार
  • फाइनल स्कोर : RCB – 206/7 (20)│SRH – 171/8 (20)

मैच नं. 42

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) Vs पंजाब किंग्स (PBKS)

  • तारीख : 26 अप्रेल 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : इडेन गार्डन, कोलकाता
  • टॉस : पंजाब किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : पंजाब किंग्स ने कोलकाता नाइट राइडर्स को 8 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : जॉनी बेयरेस्टो
  • फाइनल स्कोर : KKR – 261/6 (20)│262/2 (18.4)

मैच नं. 43

दिल्ली कैपिटल्स (DC) Vs मुंबई इंडियंस (MI) 

  • तारीख : 27 अप्रेल 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 3.30 P.M.
  • वेन्यू : अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : दिल्ली कैपिटल्स ने मुंबई इंडियंस को 10 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : जैक फ्रेजर मैकगर्क
  • फाइनल स्कोर : DC – 257/4 (20)│

मैच नं. 44

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR)

  • तारीख : 27 अप्रेल 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : राजस्थान रॉयल्स ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 7 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : संजू सैमसन
  • फाइनल स्कोर : LSG – 196/5 (20)│RR – 199/3 (19)

मैच नं. 45

गुजरात टाइटंस (GT) Vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)

  • तारीख : 28 अप्रेल 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 3.30 P.M.
  • वेन्यू : नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद
  • टॉस : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने गुजरात टाइटंस को 9 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : विल जैक्स
  • फाइनल स्कोर : GT -200/3 (20)│206/1 (16)

मैच नं. 46

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) Vs सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) 

  • तारीख : 28 अप्रेल 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई
  • टॉस : सनराइजर्स हैदराबाद (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : चेन्नई सुपरकिंग्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को 78 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रितुराज गायकवाड़
  • फाइनल स्कोर : CSK – 212/3 (20)│134/10 (18.5)

मैच नं. 47

दिल्ली कैपिटल्स (DC) Vs कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) 

  • तारीख : 29 अप्रेल 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : इडेन गार्डन, कोलकाता
  • टॉस : दिल्ली
  • परिणाम : कोलकाता नाइट राइडर्स ने दिल्ली कैपिटल्स को 7 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : वरुण चक्रवर्ती
  • फाइनल स्कोर : DC – 153/9 (20)│KKR – 157/3 (16.3)

मैच नं. 48

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) Vs मुंबई इंडियंस (MI)

  • तारीख : 30 अप्रेल 2024
  • दिन : मंगलावर
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ
  • टॉस : लखनऊ सुपर जायंट्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : लखनऊ सुपर जायंट्स ने मुंबई इंडियंस को 4 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मार्कस स्टोइनिस
  • फाइनल स्कोर : MI – 144/7 (20)│LSG – 146/6 (19.2)

मैच नं. 49

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) Vs पंजाब किंग्स (PBKS)

  • तारीख : 1 मई 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई
  • टॉस : पंजाब किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : पंजाब किंग्स ने चेन्नई सुपर किंग्स को 7 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : हरप्रीत बरार
  • फाइनल स्कोर : CSK – 162/7 (20)│PBKS – 163/3 (17.2)

मैच नं. 50

सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR)

  • तारीख : 2 मई 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद
  • टॉस : सनराइजर्स हैदराबाद (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : सनराइजर्स हैदराबाद ने राजस्थान रॉयल्स को 1 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : भुवनेश्वर कुमार
  • फाइनल स्कोर : SRH – 201/3 (20)│RR – 200/7 (20)

मैच नं. 51

मुंबई इंडियंस (MI) Vs कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) 

  • तारीख : 3 मई 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : कोलकाता नाइट राइडर्स ने मुंबई इंडियंस को 24 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : वेंकटेश अय्यर
  • फाइनल स्कोर : KKR – 169/10 (19.5)│MI – 145/10 (20)

मैच नं. 52

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) Vs गुजरात टाइटंस (GT) 

  • तारीख : 4 मई 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु
  • टॉस : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने गुजरात टाइटंस को 4 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मोहम्मद सिराज
  • फाइनल स्कोर : GT – 147/10 (19.3)│152/6 (13.4)

मैच नं. 53

पंजाब किंग्स (PBKS) Vs चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) 

  • तारीख : 5 मई 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 3.30 P.M.
  • वेन्यू : हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, धर्मशाला
  • टॉस : पंजाब किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : चेन्नई सुपर किंग्स ने पंजाब किंग्स को 26 रन से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रविंद्र जडेजा
  • फाइनल स्कोर : CSK – 167/9 (20)│139/9 (20)

मैच नं. 54

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) Vs कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR)

  • तारीख : 5 मई 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ
  • टॉस : लखनऊ सुपर जायंट्स (बॉलिंग चुननी)
  • परिणाम : कोलकाता नाइट राइडर्स ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 98 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : सुनील नरेन
  • फाइनल स्कोर : KKR – 235/6 (20)│LSG – 137/10 (16.1)

मैच नं. 55

मुंबई इंडियंस (MI) Vs सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) 

  • तारीख : 6 मई 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम :मुंबई इंडियंस ने सनराइजर्स हैदराबाद को 7 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : सूर्यकुमार यादव
  • फाइनल स्कोर : SRH – 173/8 (20)│174/3 (17.4)

मैच नं. 56

दिल्ली कैपिटल्स (DC) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR)

  • तारीख : 7 मई 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : दिल्ली कैपिटल्स ने राजस्थान रॉयल्स को 20 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : कुलदीप यादव
  • फाइनल स्कोर : DC – 221/8│RR – 201/8 (20)

मैच नं. 57

सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) Vs लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG)

  • तारीख : 8 मई 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : राजीव गांधी इंटरेशनल स्टेडियम, हैदराबाद
  • टॉस : लखनऊ सुपर जायंट्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम :सनराइजर्स हैदराबाद ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 10 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : ट्रेविस हेड
  • फाइनल स्कोर : LSG – 165-4 (20)│SRH – 167-0 (9.4)

मैच नं. 58

पंजाब किंग्स (PBKS) Vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)

  • तारीख : 9 मई 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, धर्मशाला
  • टॉस : पंजाब किंग्स (बांलिंग चुनी)
  • परिणाम : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने पंजाब किंग्स को
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : विराट कोहली
  • फाइनल स्कोर : RCB – 241/7 (20)│PBKS 181 (17)

मैच नं. 59

गुजरात टाइटंस (GT) vs चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) 

  • तारीख : 10 मई 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद
  • टॉस : चेन्नई सुपर किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : गुजरात टाइटंस ने चेन्नई सुपर किंग्स को 35 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : शुभमन गिल
  • फाइनल स्कोर : GT- 231/3 (20)│CSK – 196/8 (20)

मैच नं. 60

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) Vs मुंबई इंडियंस (MI) 

  • तारीख : 11 मई 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : इडेन गार्डन, कोलकाता
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : कोलकाता नाइट राइडर्स ने मुंबई इंडियंस को 18 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : वरुण चक्रवर्ती
  • फाइनल स्कोर : KKR – 157/7 (16)│MI – 139/8 (16)

मैच नं. 61

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR) 

  • तारीख : 12 मई 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : चेन्नई सुपर किंग्स ने राजस्थान रॉयल्स को 5 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : सिमरनजीत सिंह
  • फाइनल स्कोर : RR – 141/5 (20)│CSK – 145/5 (18.2)

मैच नं. 62

दिल्ली कैपिटल्स (GT) Vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) 

  • तारीख : 12 मई 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु
  • टॉस : दिल्ली कैपिटल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने दिल्ली कैपिटल्स को 47 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : कैमरून ग्रीन
  • फाइनल स्कोर : RCB – 187/9 (20)│DC – 140/10 (19.1)

मैच नं. 63

गुजरात टाइटंस (GT) Vs कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) 

  • तारीख : 13 मई 2024
  • दिन : सोमवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद
  • टॉस : नहीं हुआ।
  • परिणाम : मैच वर्षा के कारण कैंसिल हो गया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : **
  • फाइनल स्कोर : **

मैच नं. 64

दिल्ली कैपिटल्स (DC) Vs लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) 

  • तारीख : 13 मई 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली
  • टॉस : लखनऊ सुपर जायंट्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : दिल्ली कैपिटल्स ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 19 रन से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : ईशांत शर्मा
  • फाइनल स्कोर : DC – 208/4 (20)│LSG – 189/9 (20)

मैच नं. 65

राजस्थान रॉयल्स (RR) Vs पंजाब किंग्स (PBKS) 

  • तारीख : 15 मई 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : असम क्रिकेट एसोसियेशन स्टेडियम, गुवाहाटी
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : पंजाब किंग्स ने राजस्थान रॉयल्स को 5 विकेट हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : सैम करन
  • फाइनल स्कोर : RR – 144/9 (20)│PBKS – 145/5 (18.5)

मैच नं. 66

सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) Vs गुजरात टाइटंस (GT)

  • तारीख : 16 मई 2024
  • दिन : गुरुवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद
  • टॉस : **
  • परिणाम : बारिश के कारण मैच रद्द
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : **
  • फाइनल स्कोर : **

मैच नं. 67

मुंबई इंडियंस (MI) Vs लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) 

  • तारीख : 17 मई 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई
  • टॉस : मुंबई इंडियंस (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : लखनऊ सुपर जायंट्स ने मुंबई इंडियंस को 18 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : निकोलस पूरन
  • फाइनल स्कोर : LSG – 214/6 (20)│MI – 163/6 (20)

मैच नं. 68

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) Vs चेन्नई सुपर किंग्स (CSK)

  • तारीख : 18 मई 2024
  • दिन : शनिवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु
  • टॉस : चेन्नई सुपर किंग्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने चेन्नई सुपर किंग्स को 27 रनों से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : फाफ डुप्लेसिस
  • फाइनल स्कोर : RCB – 218/5 (20)│CSK – 191/7 (20)

मैच नं. 69

सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) Vs पंजाब किंग्स (PBKS)

  • तारीख : 19 मई 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 3.30 P.M.
  • वेन्यू : राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद
  • टॉस : पंजाब किंग्स (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : सनराइजर्स हैदराबाद ने पंजाब किंग्स को 4 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : अभिषेक शर्मा
  • फाइनल स्कोर : PBKS – 214/5 (20)│215/6 (19.1)

मैच नं. 70

राजस्थान रॉयल्स (RR) Vs कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) 

  • तारीख : 19 मई 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : बासरपारा क्रिकेट एसोसियेशन स्टेडियम, गुवाहाटी
  • टॉस : कोलकाता नाइट राइडर्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : टॉस के बाद मैच बारिश के कारण नहीं हो सका।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : **
  • फाइनल स्कोर : **

क्वालिफॉयर 1

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) Vs सनराइजर्स हैदराबाद (SRH)

  • तारीख : 21 मई 2024
  • दिन : मंगलवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद
  • टॉस : सनराइजर्स हैदराबाद (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : कोलकाता नाइट राइडर्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को 8 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : मिचेल स्टार्क
  • फाइनल स्कोर : SRH – 159/10 (19.3)│KKR – 164/2 (13.4)

एलिमिनेटर

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR)

  • तारीख : 22 मई 2024
  • दिन : बुधवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : राजस्थान रॉयल्स ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 4 विकेट से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : रविचंद्रन अश्विन
  • फाइनल स्कोर : RCB – 172/8 (20│RR – 174/6 (19)

क्वालिफॉयर 2

राजस्थान रॉयल्स (RR) Vs सनराइजर्स हैदराबद (SRH)

  • तारीख : 24 मई 2024
  • दिन : शुक्रवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई
  • टॉस : राजस्थान रॉयल्स (बॉलिंग चुनी)
  • परिणाम : राजस्थान रॉयल्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को 36 रनों से हराया।
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : शहबाज अहमद
  • फाइनल स्कोर : SRH – 175/9 (20)│RR – 139/7 (20)

फाइनल

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) Vs राजस्थान रॉयल्स (RR)

  • तारीख : 26 मई 2024
  • दिन : रविवार
  • समय : 7.30 P.M.
  • वेन्यू : एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई
  • टॉस : सनराइजर्स हैदराबाद (बैटिंग चुनी)
  • परिणाम : कोलकाता नाइट राइडर्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को 8 विकेट से हराया
  • प्लेयर ऑफ दि मैच : वेंकेटश अय्यर
  • फाइनल स्कोर : SRH – 113/10 (18.3)│ KKR – 114/2 (10.3)

IPL 2024 Winner – KOLKATA KNIGHT RIDERS (KKR)


ये भी पढ़ें…

मुँह की दुर्गंध से परेशान हैं तो ये उपाय आजमाएं, एकदम फायदा होगा।

सांसों की दुर्गंध, जिसे मुँह से दुर्गंध (Mouth smell problem and remedy) भी कहा जाता है, कई व्यक्तियों के लिए एक परेशान करने वाली चिंता हो सकती है। इस स्थिति के पीछे कई कारण हैं, जो हमारी दैनिक बातचीत और आत्मविश्वास को प्रभावित करते हैं।

आपसी बातचीत और खाने में मुँह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे इससे निकलने वाली किसी भी दुर्गंध हमारे लिए परेशानी का कारण बन जाती है। आइए सांसों की दुर्गंध के कुछ आम कारणों  जानें और इस समस्या से निपटने के प्रभावी उपायों के बारे में जानें।

दाँतो की सफाई न करना

सांँसों की दुर्गंध का एक मुख्य कारण अपने दाँतों की नियमित रूप से सफाई न करना हो सकता है। अनियमित ब्रशिंग और मुँह की स्वच्छता की कमी, कुल्ला न करने से मुँह के अंदर दाँतो और मसूड़ों पर गंदगी जमा होने लगती है, जिसमें बैक्टीरिया, फंगस आदि पनपने लगते हैं जो मुँह की दुर्गंध का कारण बनते हैं।

खाना खाने के बाद मुँह को साफ न करने से उसमें भोजन के कण रह जाते हैं। ये भोजन के कण मुँह मे सड़ते रहते हैं और बदबू पैदा करने का कारण बनते हैं। इससे निपटने के लिए, एक अच्छे टूथब्रश और गुणवत्ता वाले टूथपेस्ट का उपयोग करके अपने दांतों को नियमित रूप से ब्रश करने की आदत बनाएं। इसके अतिरिक्त, साफ और ताजा मुंह बनाए रखने के लिए डेंटल फ्लॉस और अल्कोहल-मुक्त जीवाणुरोधी माउथवॉश का उपयोग करें।

मुँह में संक्रमण

मुँह में संक्रमण, जैसे मसूड़ों की बीमारी आदि सांसों की दुर्गंध के बढ़ाते हैं। संक्रमण होने से हानिकारक बैक्टीरिया पनपते हैं और दुर्गंध पैदा करते हैं। इसे रोकने के लिए अच्छा मुँह में किसी भी तरह का संक्रमण न होने दें और मुँह को स्वच्छ रखें। यदि आवश्यक हो तो पेशेवर दंत चिकित्सक सेवा लें.

कम लार का बनना

मुँह में बैक्टीरिया से लड़ने में लार महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह एक प्राकृतिक एंटीवायरस के रूप में कार्य करता है और हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है। लार का उत्पादन कम होने से खराब बैक्टीरिया में वृद्धि हो सकती है, जिससे सांसों में दुर्गंध आ सकती है। लार को बढ़ाने के लिए, पूरे दिन खूब सारा पानी पीकर हाइड्रेटेड रहें।

मधुमेह और सांसों की दुर्गंध

मधुमेह से पीड़ित लोगों को सांसों से दुर्गंध का सामना करना पड़ सकता है। मधुमेह का सही उपचार और मुँह की स्वच्छता बनाए रखना आदि बेहद आवश्यक हो जाता है।

मुँह की दुर्गंध दूर करने के उपाय (Mouth smell problem and remedy)

गाजर और फल

गाजर और कुछ फल सांसों की दुर्गंध से निपटने में मदद कर सकते हैं। गाजर की रेशेदार प्रकृति दांतों से प्लाक और बैक्टीरिया को हटाने में सहायता करती है, जबकि प्राकृतिक एंजाइम वाले फल पाचन में सहायता करते हैं और सांसों की दुर्गंध की संभावना को कम करते हैं।

इलायची, सौंफ और काली मिर्च

इन मसालों में सुगंधित गुण होते हैं जो सांसों को ताज़ा करने में मदद करते हैं। भोजन के बाद इलायची, सौंफ या काली मिर्च चबाने से मुंह की दुर्गंध कम हो सकती है।

नीम

नीम में शक्तिशाली जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो इसे सांसों की दुर्गंध के लिए एक उत्कृष्ट उपाय बनाता है। मुँह की दुर्गंध को दूर करने के लिए नीम की दातुन का प्रयोग करें। अगर नियमित रूप से दातुन का प्रयोग नही कर सकते हैं, तो समस्या होने पर दातुन का प्रयोग करने से मुँह की दुर्गंध दूर होती है।

तुलसी की पत्तियां

तुलसी की पत्तियों को चबाना या तुलसी के पानी से गरारे करना प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर के रूप में काम करता है।तुलसी के पत्तों में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो सांसों की दुर्गंध से प्रभावी ढंग से निपटते हैं। तुलसी के पत्तों को चबाने से मुँह की दुर्गंध दूर होती है। इसके अलावा तुलसी के पत्तों के रस को पानी में घोलकर कुल्ला करने से भी मुँह की दुर्गंध दूर होती है।

पुदीना

जब पुदीने की पत्तियों को कुचलकर या उबालकर उसके पानी से गरारे किए जाते हैं, तो ये मुँह की दुर्गंध को दूर करता है।

पुदीने के पत्तों को पीसकर पानी में घोलकर इस पानी से दिन में चार बार कुल्ला करने से भी मुँह की दुर्गंध से छुटकारा मिलता है।

सरसों का तेल और नमक

सरसों के तेल में नमक मिलाकर मसूड़ों पर मसाज करने से मुँह की दुर्गंध मिटती है। यह एक बेहद प्रभावी घरेलू नुस्खा है।

नमक का पानी

नमक का पानी भी मुँह की दुर्गंध से छुटकारा पाने का बेहतरीन उपाय है। नमक के पानी का कुल्ला करने से मुँह की दुर्गंध मिटती है। नमक के पानी का से दिन में दो बार नमक का पानी का कुल्ला करने से मुँह की दुर्गंध से छुटकारा मिलता है।

अदरक

अदरक भी मुँह की दुर्गंध से छुटकारा पाने में सहायक होती है। अदरक के एक चम्मच रस को एक गिलास पानी में घोलकर दिन में दो से तीन बार कुल्ला करने से मुँह की दुर्गंध से छुटकारा मिलता है।

सौंफ

भोजन करने के बाद आधा चम्मच सौंफ को मुँह में चबाने से मुँह की दुर्गंध दूर होती है।

नींबू

सुबह एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़ कर कुल्ला करने से मुँह की दुर्गंध में फायदा मिलता है।

अनार

अनार के छिलके को पानी में उबालकर उस पानी से कुल्ला करने से मुँह की दुर्गंध में राहत मिलती है।

सूखा धनिया

सूखा धनिया भी मुंह की दुर्गंध को दूर करने में बेहद लाभदायक है। सूखे धनिया का इस्तेमाल माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जा सकता है। सूखे धनिया को मुँह में रखकर चबाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है।

हरा धनिया

हरा धनिया मुँह में रखकर चबाने से मुँह की दुर्गंध दूर होती है और मुँह में सुगंध उत्पन्न होती है।

गुलाब

गुलाब की पंखुड़ियां चबाने से और उन पंखुड़ियों को मसूड़ों पर मालिश करने से भी मुँह की दुर्गंध दूर होती है।

अमरूद

अमरूद की पत्तियां को चबाने से भी मुँह की दुर्गंध दूर होती है।

मुलेठी

मुलेठी को नियमित रूप से चबाने से मुँह की दुर्गंध दूर होती है।

लौंग

लौंग को हल्के भूलकर चबाने से  या मुँह में रखकर चूसने से मुँह की दुर्गंध दूर होती है।

ग्रीन टी

नियमित रूप से ग्रीन टी का सेवन न केवल कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है बल्कि इसके रोगाणुरोधी गुणों के कारण सांसों की दुर्गंध को कम करने में भी मदद करता है।

जीभ की सफाई

अपनी जीभ को नियमित रूप से साफ करना न भूलें क्योंकि इसमें गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया हो सकते हैं। अपनी जीभ को साफ रखने के लिए जीभ खुरचनी या ब्रश का प्रयोग करें। इन सरल उपचारों को अपनी मौखिक देखभाल की दिनचर्या में शामिल करके और दाँतों की सफाई का ध्यान रखकर आप प्रभावी ढंग से सांसों की दुर्गंध से निपट सकते हैं और दूसरों के साथ ताज़ा और सुखद बातचीत का आनंद ले सकते हैं। याद रखें, स्वस्थ मुँह से आत्मविश्वासपूर्ण मुस्कान आती है!

Post topic: Mouth smell problem and remedy


ये भी पढ़ें…

आईपीएल (IPL) में अब तक कितने खिलाड़ियों ने हैटट्रिक ली है? जानें पूरी लिस्ट।

संसार की सबसे लोकप्रिय घरेलु T20 क्रिकेट लीग Indian Premier League के 17वें सीजन TATA IPL 2024 का आरंभ हो चुका है। इस लोकप्रिय क्रिकेट लीग में हर सीजन में कुछ न कुछ रिकार्ड बनते हैं। आईपीएल में हैट ट्रिक्स के रिकार्ड भी एक दो सीजन को छोड़कर लगभग हर सीजन में बने हैं।

आईपीएल में पिछली हैटट्रिक पिछले सीजन में ली गई थी जब TATA IPL 2023 में 10 अप्रैल 2023 को कोलकाता नाइट राइडर्स और गुजरात टाइटंस के बीच हुए मुकाबले में राशिद खान ने हैट्रिक लेकर आईपीएल के 16वें सीजन की पहली हैट्रिक ले ली। उन्होंने पारी के 17 ओवर में लगातार तीन विकेट गिराए।

आईपीएल के इतिहास में यह पहली हैट्रिक नहीं थी। आईपीएल में इससे पहले भी कुछेक सीजन को छोड़कर लगभग हर सीजन कोई ना कोई गेंदबाज हैट्रिक लेता रहा है। IPL 2023 की हैटट्रिक से पहले अभी तक 21 हैटट्रिक ली जा चुकी हैं।

IPL के पहले सीजन में 2008 में ही लक्ष्मीपति बालाजी ने चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से पंजाब किंग्स इलेवन के विरुद्ध आईपीएल की पहली हैटट्रिक ली थी। उसके बाद से आईपीएल के 2015, 2018 और 2020 के सीजन को छोड़कर हर सीजन में कोई न कोई गेंदबाज हैट्रिक लेता रहा है।

आईपीएल के सभी सीजन में अभी तक ली गईं सारी हैटट्रिक (Hat-Trick takers in all IPL season)

आईपीएल के पहले सीजन (2008) से लेकर अभी चल रहे 17वें सीजन (2024) आईपीएल की कुल हैटट्रिक इस प्रकार हैं…

क्रमवर्षबॉलरटीम के लिए विपक्षी टीम
12008 लक्ष्मीपति बालाजीचेन्नई सुपर किंग्स (CSK)Vsकिंग्स इलेवन पंजाब ((KXIP)
22008 अमित मिश्रादिल्ली डेयर डेविल्स (DD)Vsडेक्कन चार्जर्स (DCS)
32008 मखाया एनटिनीचेन्नई सुपर किंग्स (CSK)Vsकोलकाता नाइट राइडर्स (KKR)
42009 युवराज सिंहकिंग्स इलेवन पंजाब ((KXIP)Vsरॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)
52009 रोहित शर्माडेक्कन चार्जर्स (DCS)Vsमुंबई इंडियंस (MI)
62009 युवराज सिंहकिंग्स इलेवन पंजाब ((KXIP)Vsडेक्कन चार्जर्स (DCS)
72010 प्रवीण कुमाररॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)Vsराजस्थान रॉयल्स (RR)
82011 अमित मिश्राडेक्कन चार्जर्स (DCS)Vsकिंग्स इलेवन पंजाब (KXIP)
92012 अजीत चंदीलाराजस्थान रॉयल्स (RR)Vsपुणे वॉरियर्स (PWS)
102013 सुनील नरेनकोलकाता नाइट राइडर्स (KKR)Vsकिंग्स इलेवन पंजाब (KXIP)
112013 अमित मिश्रासनराइजर्स हैदराबाद (SRH)Vsपुणे वॉरियर्स (PWS)
122014 प्रवीण तांबेराजस्थान रॉयल्स (RR)Vsकोलकाता नाइट राइडर्स (KKR)
132014 शेन वॉटसनराजस्थान रॉयल्स (RR)Vsसनराइजर्स हैदराबाद (SRH)
142016 अक्षर पटेलकिंग्स इलेवन पंजाब (KXIP)Vsगुजरात लॉयन्स (GL)
152017 सैमुअल बद्रीरॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)Vsमुंबई इंडियंस (MI)
162017 एंड्रयू टाईगुजरात लॉयन्स (GL)Vsराइजिंग पुणे सुपरजायंट्स (RPSG)
172017 जयदेव उनादकटराइजिंग पुणे सुपर जायंट्स (RPSG)Vsसनराइजर्स हैदराबाद (SRH)
182019 सैम कुरनकिंग्स इलेवन पंजाब (KXIP)Vsदिल्ली कैपिटल्स (DC)
192019 श्रेयस गोपालराजस्थान रॉयल्स (RR)Vsरॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)
202021 हर्षल पटेलरॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB)Vsमुंबई इंडियंस (MI)
212022 युजवेंद्र चहलराजस्थान रॉयल्स (RR)Vsकोलकाता नाइट राइडर्स (KKR)
222023 राशिद खानगुजरात टाइटन्स (GT)Vsकोलकाता नाइट राइडर्स (KKR)


ये भी पढ़ें..

आमिर खान – मि. परफेक्शनिस्ट का छोटा-सा लाइफ स्कैन।

बॉलीवुड में पिछले 30 सालों से तीन खान बहुत लोकप्रिय रहे हैं। तीनों खान आमिर खान, सलमान खान और शाहरुख खान की अपनी अपनी फ्रेंड फॉलोइंग है और तीनों खान 30 सालों से बॉलीवुड फिल्मों में अपनी धाक जमा हुए हैं ।

आमिर खान (Amir Khan) की अपनी अलग फैन फॉलोइंग है। वह अच्छी चुनिंदा फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। 14 मार्च को उनका जन्मदिन होता है। उनके जन्मदिन पर उनके जीवन का छोटा सा स्कैन करते हैं।

जन्म और परिचय

आमिर खान का 14 मार्च 1965 को मुंबई में हुआ था। वह एक फिल्मी परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता जाने-माने फिल्म निर्माता और निर्देशक थे, जिनका नाम राहुल ताहिर हुसैन था। उनके चाचा नासिर हुसैन भी जाने-माने निर्माता निर्देशक थे। उनके चाचा नासिर हुसैन ने यादों की बारात, तीसरी मंजिल जैसी सुपरहिट फिल्में बनाई है।

आमिर खान का जन्म 14 मार्च 1965 को मुंबई के बांद्रा उपनगर में हुआ था। उनके पिता का नाम ताहिर हुसैन और माता का नाम जीना हुसैन था।

आमिर खान के परिवार की जड़ें भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद से जुड़ी हुई हैं और वह उन्हीं के खानदान से संबंध रखते हैं। आमिर खान का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का रहने वाला है।

फिल्मी करियर

आमिर की फिल्मी कला विरासत में मिली थी। फिल्मी परिवार से संबंध रखते थे इसलिए फिल्मों में आना उनका सहज रूप से हो गया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी, जब उन्होंने 1973 में अपने चाचा नासिर हुसैन द्वारा निर्मित और निर्देशित फिल्म यादों की बारात में धर्मेंद्र के बचपन का रोल निभाया था। 1974 में भी उन्होंने अपने चाचा की फिल्म मदहोश में बाल कलाकार की भूमिका की।

उसके बाद से आमिर खान फिल्मों में ही अपना करियर बनाने का निश्चय कर लिया था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई में ही की और मुंबई से ही 12वीं तक की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद वह फिल्मों से जुड़ गए और सहायक निदेशक के रूप में अपने चाचा नासिर हुसैन के साथ काम करने लगे।

अभिनेता के रूप में उनका डेब्यू 1984 में केतन मेहता की फिल्म होली से हुआ। इस फिल्म में उन्होंने मदन शर्मा नामक एक युवक की भूमिका निभाई थी। यह एक आर्ट फिल्म थी जो कमर्शियल फिल्मों से अलग हटकर थी। फिल्म को बहुत अधिक सफलता नहीं मिली। उसके बाद 4 साल तक आमिर खान सहायक निदेशक रूप में अपने होम प्रोडक्शन के साथ जुड़े रहे।

उनको फिल्मों में असली और कमर्शियल ब्रेक 1988 में मिला। जब उनके चाचा नासिर हुसैन के प्रोडक्शन में उनके चचेरे भाई मंसूर खान ने एक फिल्म निर्देशित करने का निर्णय लिया। इस फिल्म का नाम कयामत से कयामत तक था।

1988 में रिलीज हुई इस फिल्म में आमिर खान राज नामक एक प्रेमी युवक की भूमिका में थे और उनके साथ जूही चावला हीरोइन थी। जूही चावला की भी यह दूसरी ही फिल्म थी। यह एक प्रेम कहानी थी। बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म बेहद सफल रही और 1988 की सुपरहिट फिल्मों में इसका नाम पहले स्थान पर था।

उसके बाद से आमिर खान का फिल्मी करियर चल पड़ा और वह उस समय दूसरे गोविंदा के नाम से विख्यात हो गए। क्योंकि उस समय गोविंदा भी फिल्म इंडस्ट्री में छाये हुए थे।

आमिर खान को दूसरे गोविंदा के तौर पर जाना जाने लगा था क्योंकि उनका लुक भी गोविंदा की तरह चॉकलेटी लुक था। आमिर खान ने उसके बाद धड़ाधड़ कई फिल्में साइन की जिनमें कुछ सुपरहिट रही तो कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली। उनकी दूसरी फिल्म 1989 में आई ‘राख’ फिल्म थी।

‘ऱाख’ ये फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ से ही पहले बन चुकी थी, लेकिन ये फिल्म कयामत से कयामत तक के बाद रिलीज हुई। यह भी एक आर्ट फिल्म थी जो बॉक्स ऑफिस पर कमर्शियली अधिक सफल नहीं रही। इस फिल्म में उन्होंने आमिर हुसैन नाम के युवक का ही किरदार निभाया था। इस फिल्म में उनके साथ सुप्रिया पाठक हीरोइन थीं, जो इससे पहले कई आर्ट फिल्मों में काम कर चुकी थीं।

उसके बाद 1989 में उनकी ‘लव-लव-लव’, ‘अव्वल नंबर’ और ‘तुम मेरे हो’ जैसी फ़िल्में आई। अव्वल नंबर में उनके साथ सदाबहार अभिनेता देवानंद भी थे, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बेहद फ्लाप रही। लव लव लव फिल्म बॉक्स ऑफिस पर आंशिक रूप से सफल रही। तुम मेरे हो फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक व्यापार किया। इन दोनों फिल्मों में उनकी हीरोइन जूही चावला थी, जो कयामत से कयामत तक में उनकी हीरोइन थीं। इस तरह जूही चावला के साथ उनकी जोड़ी जम चुकी थी।

1990 में ‘दिल’ फिल्म ने आमिर खान को और अधिक लोकप्रिय बना दिया था। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 1990 की सुपर-डुपर हिट फिल्मों में से एक थी। इसमें उनकी हीरोइन माधुरी दीक्षित थीं। दिल फिल्म के गाने भी उस समय लोगों की जुबान पर चढ़ चुके थे।

1990 में आई उनकी अन्य फिल्में खास नहीं चल पाई। लेकिन 1991 में उनकी ‘दिल है कि मानता नही’ अच्छी खासी सफल रहीं, जिसमें पूजा भट्ट उनके साथ थी। इस फिल्म के गाने भी काफी लोकप्रिय हुए। 1992 में आई ‘जो जीता वही सिकंदर’ में भी आमिर खान ने अलग छाप छोड़ी। इस तरह आमिर खान का फिल्मी करियर चलता रहा।

अपने करियर के शुरू में उन्होंने धड़ाधड़ कई फिल्में साइन कर लीं, जिनमें कुछ फिल्में बेहद खराब बनीं। आमिर को बाद में फिल्मों को साइन करने का पछतावा भी हुआ। इसीलिए ज्यों-ज्यों वे मैच्योर होते गए, जिनमें कई फिल्में फ्लॉप भी रहीं। बाद में वह फिल्मों को चुनने में बेहद चूजी हो गए और चुन चुन कर अच्छी फिल्में करने लगे।

उसके बाद उन्होंने साल में एक या दो फिल्में करने की नीति बना ली और उनकी साल में केवल एक या दो फिल्में ही आती थीं और उनकी अधिकतर फिल्में सफल होती थीं। अपनी चुनिंदा फिल्मों करने के कारण ही वह मिस्टर परफेक्टनिस्ट के नाम से मशहूर हुए क्योंकि वह अपनी फिल्मों को पूरे डेडिकेशन के साथ पूरा करते थे। वे अपनी फिल्मों में परफेक्शन लाने की कोशिश करते थे।

2001 में उनकी ‘लगान’ फिल्म आई जो बेहद सफल रही और 2001 की सुपर-डुपर हिट फिल्म थी। 2001 में ही ‘दिल चाहता है’ फिल्म ने भी बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया। तीन युवा दोस्तों की दोस्ती पर आधारित ये फिल्म युवाओं में खासी लोकप्रिय हुई थी।

फिल्मों के प्रति उनके डेडीकेशन का ही कमाल था कि 2001 में जहाँ उनकी दो फिल्में आई वहीं उनकी अगली फिल्म आने के लिए चार साल लग गए। उनकी अगली फिल्म 2005 में रिलीज हुई जो कि जिसका नाम मंगल पांडे द राइजिंग था। इस फिल्म के लिए अपना लुक चेंज करने के लिए और अपनी एक्टिंग में परफेक्शन लाने के लिए उन्होंने अपने करियर की पीक पर 4 साल इस फिल्म को दे दिए थे। हालांकि बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म बहुत अधिक सफल नहीं हुई।

अगले साल 2006 में आई ‘रंग दे बसंती’ फिल्म ने काफी प्रशंसा बटोरी और 2007 में आमिर खान ने अपने निर्देशन में ‘तारे जमीन पर’ फिल्म बनाई, जिसमें उन्होंने सपोर्टिंग रोल किया क्योंकि इस फिल्म का में हीरो एक छोटा सा बालक था।

2008 में आई गजनी फिल्म भारतीय इतिहास की पहली फिल्म बनी जो जिसने बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ की कमाई की हो।

2009 में आई ‘थ्री इडियट’ फिल्म ने तो हो एक नया इतिहास रच दिया और यह भारत की जानी-मानी क्लासिक फिल्म में शामिल हो गई थी।

उनकी एक साल में एक फिल्म करने की नीति के पीछे उनका यही परफेक्शन छुपा था। कभी-कभी तो उनकी दो या चार साल में एक ही फिल्म आती थी।

वह अपनी फिल्मों के किरदार के लिए अपने आपको स्वयं ढाल लेते है, इसी कारण उनकी फिल्मों इतना समय लग जाता था।

2016 तक आमिर खान की अनेक फिल्मे आई जिनमें सब लगभग सुपर डुपर हिट ही रहीं। 2016 में आई दंगल मूवी भी बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉक बस्टर रही, लेकिन 2018 में आई उनकी फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ी फ्लॉप रही। इस फिल्म में उनके साथ महानायक अमिताभ बच्चन थे। दोनों एक साथ पहली बार किसी फिल्म में आए थे।

फिर 4 साल बाद 2022 में आई ‘लाल सिंह चड्ढा’ नामक उनकी फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर फ्लाप रही। यह अभी तक आई उनकी अंतिम फिल्म थी।

आमिर खान ने फिल्मों में गाने भी गाए हैं।

आमिर खान ने कई फिल्मों में गाने भी गए हैं, जिनमें 1998 में आई ‘गुलाम’ फिल्म में उनके द्वारा गाया गया गाना ‘आती क्या खंडाला’ गाना बहुत ही अधिक पापुलर हुआ। उन्होंने 2005 में आई ‘मंगल पांडे द राइजिंग’, 2006 में आई ‘फना’ तथा 2007 में ‘आई तारे ज़मीन पर है’ इन फिल्मों में गानों में अपनी आवाज दी थी। हालाकि इन सभी फिल्मों मे उन्होंने कोई प्रापर गाना नही गाया था, बल्कि शायरी या डायलॉग बोले थे। केवल गुलाम फिल्म में उन्होंने एक पूरा गाना गाया था।

‘आती क्या खंडाला’ नाम का यह गाना फिल्म में उनके और रानी मुखर्जी पर फिल्माया गया था। यह गाना 1998 के सुपरहिट गानों में से एक गाना रहा था।

आमिर खान फिल्म का निर्देशन भी किया है।

आमिर खान अपने पूरे करियर में अपने प्रोडक्शन होम प्रोडक्शन में चाचा और पिता की फिल्मों में सहायक निर्देशक के तौर पर कार्य कर चुके हैं, लेकिन एक मुख्य निर्देशक के रूप में उन्होंने 2007 में ‘तारे जमीन पर’ नामक फिल्म निर्देशित किया। इस फिल्म में उन्होंने अभिनय भी किया था। इसके निर्माता और निर्देशक वह दोनों थे। इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी खासी सफलता मिली थी और आमिर को भी इस फिल्म से काफी प्रशंसा मिली।

आमिर फिल्म निर्माता भी हैं।

आमिर खान ने कई फिल्मों का निर्माण किया है। उनका अपना एक प्रोडक्शन हाउस है, जिसका नाम ‘आमिर खान प्रोडक्शन’ है। इस प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण किया है। जिसमें 2001 में आई ‘लगान’ आमिर खान के प्रोडक्शन हाउस की पहली फिल्म थी। इसके अलावा 2007 में फिल्म ‘तारे जमीन पर’, 2008 में ‘जाने तु या जाने ना’, 2009 में आई पीपली लाइव, 2009 में ही आई ‘धोबीघाट’ के नाम प्रमुख है। उसके अलावा उन्होंने सिर्फ सीक्रेट सुपरस्टार तथा हाल फिलहाल में आई लापता लेडीस नामक फिल्मों का भी निर्माण किया है।

उनके द्वारा प्रोड्यूस की गई फिल्में हैं..

  • लगान (2001)
  • तारे जमीन पर (2007)
  • जाने तू या जाने न (2008)
  • पीपली लाइव (2009)
  • धोबी घाट (2010)
  • दंगल (2016)
  • सीक्रेट सुपर स्टार (2017)
  • लाल सिंह चड्ढा (2022)
  • लापता लेडीस (2024)

टीवी शो भी किए हैं।

आमिर खान ने 2011 में ‘सत्यमेव जयते’ नामक टीवी शो किया था, जो सोशल मुद्दों पर आधारित एक टॉक शो था। यह टॉक शो स्टार प्लस चैनल पर प्रसारित होता था। जब यह टीवी शो आता था तो उस समय अच्छा खासा लोकप्रिय हुआ था। आमिर खान ने इस टीवी शो के दो सीजन किये। ये उनके द्वारा किया गया इकलौता टीवी शो है।

आमिर खान की सभी फिल्में

आमिर खान ने कुछ फिल्मों में बाल कलाकार का रोल किया तो कुछ फिल्मो मे उन्होने कैमियो किया। इस तरह अपने पूरे फिल्मी करियर में उन्होंने 2022 तक कुल 48 फिल्मों में काम किया है। इन सभी फिल्मों के नाम इस प्रकार हैं…

क्रमफिल्म का नामसालकिरदार का नाम
1यादों की बारात1973यंग रतन
2मदहोश1974बाल कलाकार
3होली1984मदन शर्मा
4क़यामत से क़यामत तक1988राज
5राख1989आमिर हुसैन
6लव लव लव1989अमित
7अव्वल नम्बर1990सन्नी
8तुम मेरे हो1990शिवा
9दिल1990राजा
10दीवाना मुझ सा नहीं1990अजय शर्मा
11जवानी जिंदाबाद1990शशि
12अफ़साना प्यार का1991राज
13दिल है कि मानता नहीं1991रघु जेटली
14इसी का नाम जिंदगी1991छोटू
15दौलत की जंग1991राजेश चौधरी
16जो जीता वही सिकंदर1992संजयलाल शर्मा
17परम्परा1993रणबीर पृथ्वी राज चौहान
18हम हैं राही प्यार के1993राहुल मल्होत्रा
19अंदाज अपना अपना1994अमर
20बाज़ी1995इंसपेक्टर अमर दमजी
21आतंक ही आतंक1995रोहन
22रंगीला1995मुन्ना
23अकेले हम अकेले तुम1995रोहित
24राजा हिन्दुस्तानी1996राजा हिन्दुस्तानी
25इश्क1997राजा
26ग़ुलाम1998सिद्धार्त मराठे
27सरफ़रोश1999अजय सिंह राठोड़
28मन1999कारन देव सिंह
29अर्थ (1947)1999दिल नवाज
30मेला2000किशन प्यारे
31लगान2001भुवन
32दिल चाहता है2001आकाश मल्होत्रा
33मंगल पांडे: द राइज़िंग2005मंगल पांडे
34रंग दे बसंती2006दलजीत सिंह (DJ)
35फना2006रेहान कादरी
36तारे ज़मीन पर2007राम शंकर निकुम्ब
37गजनी2008सन्जय सिघानिया
38थ्री इडियट्स2009रणछोड़दास चांचड़ (फुन्सु
39लक बॉय चांस2009कैमियो
40धोबीघाट2011अरुण
41तलाश : द आंसर लाइज वीथिन2012इंस्पेक्ट
42धूम 32013शाहिर/ समर
43पीके2014पीके
44दिल धड़कने दो2015प्लूटो मेहरा
45दंगल2016महावीर सिंह फोगाट
46सीक्रेट सुपरस्टार2017शक्ति कुमार
47ठग्स ऑफ हिंदोस्तान2018फिरंगी मल्लाह
48लाल सिंह चड्ढा2022लाल सिंह चड्ढा

 

निजी और वैवाहिक जीवन

आमिर खान ने कुल दो शादियां की पहली शादी उन्होंने रीना दत्ता से की थी। रीना दत्ता से उनका अफेयर उनकी पहली सुपरहिट फिल्म कयामत से कयामत तक के रिलीज होने से पहले ही हो गया था। रीना दत्ता उनके घर के पास पड़ोस में ही रहती थीं। और अक्सर होती मुलाकातों के दौरान उनका रीना दत्ता से अफेयर हो गया। उसके बाद उन्होंने चुपचाप शादी कर ली। आमिर खान मुस्लिम धर्म को मानने वाले हैं तो रीना दत्ता हिंदू थी इसलिए दोनों में अंतर्धार्मिक विवाह किया था।

रीना दत्ता से आमिर खान को एक बेटा जुनैद और एक बेटी इरा खान हुई। 2003 में आमिर खान और रीना दत्ता ने आपसी मनमुटाव के कारण तलाक ले लिया, क्योंकि उसे समय आमिर खान का अफेयर किरण राव के साथ हो गया था, जो लगान फिल्म में सहायक निर्देशिका थीं। रीना दत्ता से तलाक के बाद 2005 में आमिर खान ने किरण राव से दूसरी शादी कर ली।

2023 में लगभग 18 वर्षों के वैवाहिक जीवन के बाद आमिर खान ने किरण राव से भी तलाक ले लिया। आमिर खान और किरण राव का एक बेटा है, जिसका नाम आजाद राव खान है। इस तरह आमिर खान के कुल तीन संताने हैं। पहली पत्नी से एक बेटा और एक बेटी तथा दूसरी पत्नी से एक बेटा।

आमिर खान की बेटी इरा की शादी हो चुकी है 2024 में ही इरा खान ने नूपुर शिखरे नामक फिजिकल ट्रेनर से शादी कर ली। आमिर खान का बेटा जुनैद अब एक्टिंग में अपना डेब्यू करने वाला है जो एक वेब सीरीज के माध्यम से एक्टिव में अपना डेब्यू करेगा। आमिर खान का दूसरा बेटा आजाद राव खान अभी बहुत छोटा है जो फिलहाल पढ़ाई कर रहा है।

आमिर खान के परिवार में आमिर खान का एक भाई फैसल खान भी है, जिन्होंने आमिर खान के साथ मेला नामक फिल्म में काम भी किया है। फैसल की कुछ एक हिंदी फिल्में आई है, लेकिन वह हिंदी फिल्मों में अपने बड़े भाई आमिर खान की तरह सफल नहीं हो पाए।

आमिर खान की कजन सिस्टर का एक बेटा इमरान खान है। जो आमिर खान का भांजा लगता है। इमरान खान ने भी बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है, जो काफी हद तक सफल हो गए थे।

आमिर खान के प्रोडक्शन हाउस के बैनर पहले ही बनी जाने तू या जाने ना फिल्म से इमरान खान ने 2008 में बॉलीवुड में डेब्यू किया था। जाने तु या जाने ना फिल्म 2008 में ठीक-ठाक चली थी और इमरान खान का करियर भी चल पड़ा था। लेकिन उसके बाद इमरान खान की फिल्मों का ग्राफ नीचे गिरता चला गया और 2018 में आई फिल्म कट्टी-बट्टी के बाद वह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से पर एकदम गायब हो गए।

आमिर खान की फीस और कुल संपत्ति

आमिर खान की कुल संपत्ति की बात की जाए तो आमिर खान के पास फीस और संपत्ति की बात की जाए तो आमिर खान बॉलीवुड के उन सितारों में से हैं, जो सबसे अधिक फीस चार्ज करते हैं। वह अपनी फिल्मों के लिए करोड़ों में चार्ज करते हैं।

अब तो वह अपनी फिल्म में अपनी फीस नहीं लेते बल्कि फिल्म के प्रॉफिट में शेयरिंग लेते हैं। अब उनकी जो भी अधिकतर फिल्में आती हैं, उनमें वह या तो प्रोड्यूसर या को-प्रोड्यूसर होते हैं, इसलिए उसकी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा उनके पास ही पहुंचता है। इसके अलावा यदि वह किसी दूसरे बैनर की फिल्म कर भी रहे हैं तो उसके प्रॉफिट में अपना शेयरिंग तय कर लेते हैं। उससे पहले यदि वह पूरी फीस चार्ज करते थे तो भी वह बॉलीवुड के हाई फीस चार्ज करने वाले स्टार में थे।

संपत्ति के नाम पर आमिर खान की मुंबई के बांद्रा में शानदार डुप्लेक्स फ्लैट है जो 5000 वर्ग फुट के एरिया में फैला हुआ है। इस फ्लैट की कीमत 60 करोड रुपए से अधिक की बताई जाती है यह भी बताया जाता है कि अमेरिका में भी उनकी एक निजी संपत्ति है, जिसकी कीमत 75 करोड़ के आसपास है।

आमिर खान का भारत में महाराष्ट्र के पंचगनी में एक फार्म हाउस भी है, जहाँ पर वह अक्सर अपनी छुट्टियां बिताने के लिए जाते हैं। यहीं पर उन्होंने शाहरुख संबंधी विवादित बयान दिया था। आमिर खान के पास कोई बहुत अधिक कारें तो नहीं है और ना ही कारों के प्रति उन्हें कोई क्रेज है। उनके पास रोल्स-रॉयस घोस्ट कार है, जो बेहद महंगी कार मानी जाती है। इसकी कीमत 6 से 8 करोड़ के बीच होती है। इसके अलावा उनके पास मर्सिडीज़ बेंज कार भी है, जो 10-11 करोड़ की आती है।

आमिर खान के साथ जुड़े विवाद

आमिर खान के साथ अनेक विवाद भी जुड़े रहे हैं। उन पर एक ब्रिटिश पत्रकार ने आरोप लगाया था कि आमिर खान उनके बेटे के बाप है। उसके अनुसार जब वह भारत में एक स्टोरी कवर करने के लिए आई हुई थी तो आमिर खान के साथ उसकी मुलाकात के दौरान दोनों में अफेयर हो गया था और फिजिकल रिलेशन हो गया। इस कारण वह प्रेग्नेंट हो गई। उसके बाद वह वापस अपने देश चली गई। उसकी यह स्टोरी मुंबई के अखबार ने प्रकाशित की थी। जिस पर काफी हंगामा भी मचा था। आमिर खान ने इस पर कोई भी बयान नहीं किया।

आमिर खान के साथ शाहरुख खान के बारे में गलत शब्द बोलने का भी आरोप लगाया जाता है। आमिर खान ने 2008 में एक बार कहा था कि मैं यहाँ अपने फार्म हाउस में बगीचे में आराम से बैठा हूँ, और शाहरुख मेरे पैर चाट रहा है।दरअसल शाहरुख आमिर खान के एक पालतू कुत्ते का नाम था जो आमिर खान के फार्म हाउस में रहता था। आमिर खान ने शाहरुख खान शब्द कुत्ते के लिए कहा था लेकिन विवाद उठा कि उन्होंने फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के लिए यह शब्द प्रयोग किए हैं।

2015 में आमिर खान के साथ एक बड़ा विवाद जुड़ा, जब 2015 में एक टीवी कार्यक्रम में आमिर खान ने मंच पर यह बयान दे दिया कि उनकी पत्नी किरण बार-बार उनसे यही पूछती है कि देश के हालात ठीक नही है, क्या हमें ये देश छोड़कर चले जाना चाहिए।

आने वाली फिल्में..

2022 में जब आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा फिल्म फ्लॉप हुई तो उसके बाद से उन्होंने कुछ समय के लिए फिल्मों से ब्रेक ले लिया। इसकी उन्होंने बाकायदा घोषणा भी की। जब-तब उनकी फिल्मों में वापसी की खबरें आती रहती हैं, लेकिन अभी तक ऑफिशियली उनकी आने वाली किसी भी फिल्म की घोषणा नहीं हुई है

उनके प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले सनी देओल को लेकर एक फिल्म बनाई जा रही है, जिसका नाम लाहौर 1947 है। इस फिल्म में सनी देओल के अलावा प्रीति जिंटा भी काम कर रही हैं। इस फिल्म में आमिर खान के कैमियो की चर्चा जब -तब तक आती रहती है, लेकिन अभी तक ऐसा कोई रोल फाइनल नहीं हुआ है। उसके अलावा यह खबर भी आ रही है कि आमिर खान ‘सितारे जमीन पर’ नामक एक फिल्म को बना रहे हैं, जिसमें वह लीड रोल करेंगे और शायद यही उनकी वापसी वाली कमबैक मूवी होगी।

फिलहाल अभी तक उनकी आने वाली किसी भी फिल्म की ऑफिशियल घोषणा नहीं हुई है कि कौन सी फिल्म में कौन सा रोल करने वाले हैं और कब उनकी फिल्म आने वाली है। संभव है 2025 में उनकी कोई कम बैक मूवी आए।

अंत में…

बॉलीवुड के तीनों प्रमुख खानों की तिकड़ी में आमिर खान भले ही शाहरुख खान और सलमान खान जितने लोकप्रिय नहीं हो पाए हों, लेकिन उनकी अलग ही फैन फॉलोइंग रही है और वह बाकी दोनों खालों से अलग हटकर और अच्छी मूवी करने के लिए जाने जाते हैं। अभिनय की तुलना की जाए तो बाकी दोनों खानों से बीस ही साबित होंगे उन्नीस नहीं इसलिए उनका तीनों खान की तिकड़ी में एक अलग ही मुकाम है।

 


ये भी पढ़ें…

दुनिया के वे जीव जो कभी नही सोते।

सोना सभी प्राणियों के लिए जरूरी है। चाहे, वह मनुष्य हो पशु पक्षी हो या कोई भी अन्य जानवर हो, सबके लिए सोना आवश्यक होता है यह बात हम सब जानते हैं। लेकिन ऐसा हर किसी के लिए आवश्यक नहीं यह दुनिया अलग-अलग तरह के रहस्यों से भरी हुई है, यहां पर प्रकृति में अनेक तरह के कमाल दिखते हैं।

इस संसार में ऐसे अनेक जीव जंतु भी हैं जो अपने जीवन काल में कभी नहीं सोते (Animals that never sleep) और पूरी जिंदगी बिना सोए गुजार देते हैं। ऐसे ही जीव-जंतुओं का नाम जानते हैं…

जीव-जंतु को कभी नही सोते (Animals that never sleep)

डॉल्फिन (Dolphin)

डॉल्फिन एक ऐसी मछली है जो अपने जीवन काल में कभी नहीं सोती। यह लगातार पानी में तैरती रहती है, केवल कुछ समय के लिए अपने दिमाग को आराम देती है। उस आराम की अवस्था में ये सक्रिय रहती है। ये मछली कभी पूरी नींद नही लेती।

तितली (Butter Fly)

तितली एक छोटी सा सुंदर जीव होता है, जो अपने रंग-बिरंगे पंखों के कारण बेहद प्रसिद्ध है। तितली अपनी सुंदरता के कारण हर किसी के मन को भाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि तितली अपने जीवन काल में कभी भी नहीं सोती।

रिसर्च से पता चला है कि तितली कभी भी नींद नहीं लेती। केवल आराम करने के लिए कुछ पल के लिए आँख बंद करके बेहोश हो जाती हैं। इसके लिए वह एक खास जगह को सुनती हैं। यह उनकी नींद लेने की प्रक्रिया नहीं होती बल्कि यह कुछ पल के लिए आराम करती हैं। इस दौरान उनके शरीर का तापमान और उनके दिल की धड़कन भी बेहद कम हो जाती है। इस तरह तितली अपने पूरे जीवन में कभी भी नहीं सोती।

ब्लू फिश (Blue Fish)

ब्लू फिश अटलांटिक महासागर में पाई जाने वाली एक मछली होती है। यह मछली भी अपने जीवन काल में कभी नहीं सोती। यह मछली सोने जैसी अवस्था में कुछ पल के लिए चली जाती है, लेकिन पूरी तरह नींद नहीं लेती।

अल्पाइन स्विफ्ट (Alpine Swift)

अल्पाइन स्विफ्ट एक विशेष प्रकार की चिड़िया है जो इसके बारे में कहा जाता है कि यह बिना धरती पर उतरे लगातार 200 दिन तक उड़ सकती है लेकिन यह चिड़िया भी पूरी तरह कभी नहीं सोई बल्कि हवा में ही कुछ क्षण के लिए जबकि मार्ग लेती है यह पूरी नींद कभी नहीं लेती

फ्रूट फ्लाई (Fruit Fly)

फ्रूट फ्लाई एक विशेष प्रकार की मक्खी होती है, जिसे फल मक्खी भी कहा जाता है। यह मक्खी आम को बहुत अधिक नुकसान पहुंचती है। भारत में यह मक्खी बहुत पाई जाती है। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में यह मक्खी बहुत पाई जाती है। यह मक्खी भी नींद नहीं लेती, केवल कुछ समय के लिए नींद जैसी अवस्था में पहुंच जाती है।

जेलीफिश (Jelly Fish)

जेलीफिश ऐसी मछली है, जो कभी नहीं सोती। यह भी कुछ क्षण के लिए आराम जैसी अवस्था में पहुंच जाती है। जिस दौरान उसका शरीर शिथिल पड़ जाता है, लेकिन ऐसी स्थिति में भी वह एक्टिव रहती है और पानी में हलचल करती रहती है। यह मछली भी कभी पूरी तरह नहीं सोती।

बुलफ्रॉग (Bull Frog)

बुलडॉग एक विशेष प्रकार का मेंढक होता है जो अपने जीवन काल में कभी नहीं सोता इसके शरीर में एंटी फ्रीजिंग सिस्टम होता है, इसके कारण यह बर्फ में जम भी जाए तो भी जिंदा रह जाता है

ग्रेट फ्रीगेट बर्ड (Great frigate bird)

ग्रेट फ्रीगेट बर्ड एक विशेष प्रकार की चिड़िया होती है। यह चिड़िया भी अल्पाइन स्विफ्ट नाम की चिड़िया की तरह आसमान में लगातार कई दिनों तक उड़ सकती है। इसके बारे में कहा जाता है यह लगातार 2 महीने तक बिना रुके आसमान में उड़ सकती है। यह भी यह चिड़िया भी कभी नहीं सोती और आसमान में उड़ने ही कुछ क्षणों के लिए झपकी ले लेती है।

तिलापिया (Tilapia)

तिलापिया नाम की यह मछली एक विशेष प्रकार की मछली होती है। यह मछली अपने जीवन काल में शुरुआती समय में बिल्कुल भी नहीं सोती। उम्र बढ़ाने के साथ-साथ जब यह बूढ़ी होने लगती है तो थोड़ी बहुत नींद लेनी लगती हैं, नहीं तो अपने युवावस्था में यह मछली जरा भी नहीं सोती।

ऑरका (Orca)

ऑरका नाम की विशेष मछली की विशेषता यह होती है कि यह पूरी तरह कभी नहीं सोती। यह अपने शरीर के एक हिस्से को एक्टिव रखती है तथा दूसरे हिस्से को आराम देती है। इस दौरान वह अपनी एक आँख खोलकर दूसरी को बंद रखती है और धीरे-धीरे तैरती रहती है। इस तरह यह मछली भी पूरी तरह कभी नहीं सोती।


ये भी पढ़ें…

पेट फूलने से परेशान हैं, तो इससे बचने के तरीके जानें।

पेट फूलने की समस्या से आजकल बहुत से लोग परेशान रहते हैं। इस समस्या से अधिकतर व्यक्तियों को कभी न कभी जूझना पड़ता ही है। पेट फूलना की समस्या क्यों होती हैं, इससे कैसे बचा जाएं (Remedy to avoid flatulence), जानते हैं…

आजकल की जीवनशैली ऐसी हो गई है जिसमें लोगों की खानपान की आदतें बिगड़ गई हैं। उनकी जीवन शैली अनियमित हो चुकी है।

खाना खाने के बाद जब पेट फूलने लगे, पेट में गैस बनने लगे, पेट में भारीपन सा महसूस होता है। पेट फूल जाता है और गोल सा दिखाई देने लगता है। ऐसा लगता है कि पेट के अंदर कोई गैस की फंस गई है। इस कारण बेचैनी महसूस होने लगती है। व्यक्ति को लगता है कि पेट हल्का तो राहत मिले।

पेट फूलने की समस्या क्यों होती है?

पेट फूलने की समस्या भी अक्सर शाम को ही होती है, क्योंकि दिन शाम होते-होते पूरे दिन की थकावट के कारण व्यक्ति का स्टेमिना कम हो जाता है। उसकी पाचन शक्ति भी धीमी पड़ जाती है और व्यक्ति शाम के समय जो भी खाना खाता है, वह जल्दी नहीं पचता और उसे पेट फूलने की शिकायत भी हो जाती है। शाम के समय अक्सर लोग खाना खाने के बाद तुरंत बिस्तर पर लेट जाते हैं, टीवी देखने लगते हैं। इसी कारण उनकी शारीरिक गतिविधि भी कम होती है। इस वजह से भी पाचन शक्ति कमजोर। इस कारण पेट में गैस बनने लगती है और पेट फूलने लगता है।

बहुत से लोगों को दिन में भी यही समस्या होने लगती है और कुछ लोगों को तो यह समस्या नियमित तौर पर इस समस्या का सामना करना पड़ता है उन्हें अक्सर पेट फूलने की शिकायत रहती है।

पेट फूलने के क्या कारण होते हैं?

पेट फूलों के अनेक के कारण हैं, जो हमारी नियमित दिनचर्या और खान-पांच से जुड़े हुए हैं। इन कारणों से बचा जाए तो पेट फूलना की समस्या को पैदा नहीं होने दिया जा सकता है।

बैक्टीरिया के कारण

हमारे शरीर में कुछ अच्छे बैक्टीरिया और कुछ खराब बैक्टीरिया होते हैं। यह अच्छे बैक्टीरिया हमारे शरीर के भोजन को पचाने में सहायता करते हैं। जो खराब बैक्टीरिया होते हैं, वे शरीर में गैस बढ़ाने का कार्य करते हैं। इन बैक्टीरिया के बीच बैलेंस शरीर की पाचन शक्ति को बनाए रखता है लेकिन यदि इन बैक्टीरिया के बीच बैलेस बिगड़ जाए और अच्छे बैक्टीरिया की कमी हो जाए, बुरे बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाए तो वह पेट में गैस को बढ़ाते हैं, जिससे अक्सर पेट फूलने की शिकायत होने लगती है।

गलत खान-पान

गलत खान-पान भी पेट फूलने की समस्या के मुख्य कारणों में से एक है। अक्सर लोग शाम के समय या दिन में कभी भी बेहद भारी भरकम खाना खा लेते हैं। भारी भरकम खाना खाने के बाद पेट फूलना आम बात है। हमेशा खाना संतुलित मात्रा में खाना चाहिए और जितनी खाने की क्षमता हो उसे केवल 75 से 80% तक ही खाना खाना चाहिए। लेकिन लोग  पेट में ऊपर तक ठूंस-ठूंस कर भोजन कर लेते हैं, जिससे पेट में जगह नही बचती और गैस बनने लगती जिसके पेट फूलने लगता है।

लंबे समय तक कुछ ना खाना

जैसा कि पहले बताया क्या है कि शरीर में अच्छे बैक्टीरिया और खराब बैक्टीरिया दोनों तरह के बैक्टीरिया होते हैं। यदि कोई लंबे समय तक खाना नहीं खाता है, उपवास रखता है तो खाली पेट होने के कारण भी खराब बैक्टीरिया पेट में गैस बनाने लगते हैं। लेकिन ऐसा सबके साथ नही होता। बहुत से लोगों को उपवास रखने पर गैस की समस्या से नही जूझना पडता लेकिनजिनको अक्सर गैस बनने की समस्या हो, उन्हें चार-पांच घंटे के अंतराल पर हल्का-फुल्का खाना स्नैक्स आदि के रूप में लेते रहना चाहिए। जैसे फलों का जूस या फिर हल्का-फुल्का कोई नाश्ता, या कोई हल्का एनर्जी ड्रिंक।

जल्दी-जल्दी खाना खाना

जल्दी-जल्दी-जल्दी खाना खाना भी गैस बनने का एक प्रमुख कारण होता है। अक्सर हम जल्दी-जल्दी खाना खाने के चक्कर में बहुत अधिक खाना खा लेते हैं। एक रिसर्च के अनुसार यह सिद्ध हुआ है कि खाना खाने के बाद दिमाग तक पेट भरा होने का सिग्नल पहुंचाने में 10 से 20 मिनट का समय लगता है, इसलिए हम खाना तो जल्दी-जल्दी खाने में हम खाना तो खा लेते हैं लेकिन हमें पेट भरा होने का एहसास नहीं होता क्योंकि हमारे दिमाग तक सिग्नल नहीं पहुंचा है। इसलिए हम आवश्यकता से अधिक खाना खा लेते हैं जो बाद में गैस बनने का कारण बनता है।

गैस बढाने वाला खाना

कुछ खाद्य पदार्थ भी ऐसे होते हैं, जो भारी तासीर वाले खाद्य पदार्थों की श्रेणी में आते हैं। यह खाद्य पदार्थ गैस बढ़ाने का कार्य करते हैं। इनमें मटर तथा कई तरह की दालों का नाम प्रमुख है।

हरी मटर का ज्यादा सेवन करने से पेट में गैस बनने लगती है। इसके अलावा चने की दाल, उड़द की दाल, अरहर की दाल, राजमा, लोबिया, यह सभी पेट में गैस बढ़ाने का कार्य करते हैं। दालें प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं और हेल्दी भी हैं, लेकिन गैस की समस्या होने पर इनका अधिक सेवन से बचना चाहिए। खासकर रात के समय इन दालों को खाने से बचना चाहिए।

इसके अलावा दालों को अच्छी तरह भिगोकर दो-तीन घंटे भिगोकर उसके बाद ही पकाना चाहिए, जिससे उनकी गैस बढ़ाने की क्षमता कम हो जाती है।

फूलगोभी. बंद गोभी, अरबी, बैंगन जैसी कुछ सब्जियां भी पेट में गैस बढ़ाने का कार्य करती है। इसलिए गैस की समस्या होने पर इन सब्जियों का सेवन खासकर रात के समय सेवन करने से भी बचना चाहिए।

डेयरी पदार्थ गैस बढाने के लिए जिम्मेदार

डेरी पदार्थ गैस बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। दूध हमेशा गैस बढ़ाने का कार्य करता है। बहुत से लोगों को दूध का सेवन करने से गैस की समस्या होने लगती है। दूध में लैक्टोज नामक पदार्थ पाया जाता है, जो लैक्टोज इनटोलरेंस के लिए लोगों को की समस्या को पैदा करता है। इस समस्या में लगती है और होने लगते हैं, इसलिए गैस की समस्या होने पर दूध के सेवन से बचना चाहिए।

किसी फूड से एलर्जी

कुछ ऐसे खाद पदार्थ होते हैं। जिससे किसी को एलर्जी होती है। यह खाने की चीजें सीधे तौर पर हर किसी को प्रभावित नहीं करते यानि जरूरी नही कि इनको खाने से हर किसी को गैस बने लेकिन कुछ लोगों को इससे एलर्जी होती है और इसको खाने से उनका पेट में गैस बनने की समस्या होने लगती है। जैसे किसी को गेहूं आदि की बनी रोटी खाने से गैस होने लगती है, तो किसी को मूंगफली, चने आदि खाने से भी गैस होने लगती है। इसलिए जिस व्यक्ति को जिस तरह के खाने से गैस होने की समस्या को उसे खाने को से बचना चाहिए और विशेष कर तब तक तो अवश्य बचान चाहिए जब तक उसके गैस की समस्या का पूरा उपचार नहीं हो जाता हो।

गैस की समस्या होने पर राहत कैसे मिले?

अब सवाल यह है उठना है कि पेट में गैस बनने की यानी पेट फूलने की समस्या हो गई है, तो उससे तुरंत कैसे राहत पाई जाए, तो इसके लिए कुछ घरेलू आजमाये जा सकते हैं, जिनकी सहायता से पेट में गैस बनने की समस्या में राहत पाई जा सकती है।

  • बुद्धि आपके पेट में गैस बन गई है, पेट फूला-फूला लग रहा है तो तुरंत पाने के लिए एक चम्मच अजवाइन लें उसे हल्का सा रोस्ट करें और उसे मुंह में डालकर चबा लें। अजवाइन में थाइमोल नाम का एक ऐसा तत्व पाया जाता है, जो पेट में गैस बनी गैस को तुरंत खत्म करता है, यह बात रिसर्च द्वारा भी सिद्ध हो चुकी है। अजवाइन हम सभी का घरेलू नुस्खा है और हम सभी ने घरों में अपनी माँ, दादी. नानी, बुआ आदि से अजवाइन के गुणों को अवश्य सुना होगा।
  • यदि पेट में गैस बन गई है तो एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू का रस निचोड़ें और उसमें आधा चम्मच काला नमक तथा थोड़ा सा अदरक का रस मिलाकर, घोल बनाकर पी जाएं। इससे भी गैस बनने की समस्या से तुरंत राहत मिलती है।
  • यदि पेट फूल रहा है और गैस बनने की समस्या में राहत नही मिल रही है तो मेथी के दानों को उबालकर उसका पानी पी जाएं। मेथी के दानों को चबाकर भी खाने से गैस बनने की समस्या में आराम मिलता है।
  • यदि पेट फूल रहा है तो सौंफ का पानी  पीने से भी गैस बनने की समस्या से राहत मिलती है। सौंप की चाय बनाकर भी पी जा सकती है जो गैस को मिटाने का कार्य करती है।
  • यदि गैस बनने की समस्या है तो केले को खाने से भी गैस बनने और पेट फूलने की समस्या से राहत मिलती है। केले के अंदर पोटेशियम पाया जाता है जो गैस को खत्म करने के लिए उपयोगी होता है।
  • यदि गैस बनने की समस्या है तो सुबह उठकर जीरे का पानी का नियमित सेवन करने से गैस की समस्या से काफी हद तक रात पाई जा सकती है।
  • योग की नजर से देखा जाए तो पवनमुक्तासन गैस खत्म करने में राहत प्रदान करने का कार्य करता है। यह आसन कभी भी किया जा सकता है। गैस बनने की स्थिति में इस आसन को करने से गैस से राहत मिलती है।

अंत में…

तो इस तरह हमने जाना कि हमारे शरीर में गैस किन कारणों से बनती है। एक बात स्पष्ट है कि हमारे जीवन शैली और हमारा गलत काम ही हमारे शरीर में गैस बनने का सबसे बड़ा कारण है। गैस बनना कोई असाध्याय बीमारी नहीं है। कुछ उपायों द्वारा तथा अपनी जीवन शैली और खानपान को सुधार कर गैस बनने की समस्या से निजात पाई जा सकती है।

इसलिए सबसे पहले हम अपने खान-पान में ही सुधार करना होगा। और ना तो बहुत अधिक खाना खाना होगा, ना ही ऐसा खाना खाने से बचना होगा जो गैस बढ़ाने का कार्य करते हैं। रात को अधिक खाना खाने से बचना होगा। अपनी लाइफ स्टाइल को हेल्दी बनाना होगा। शारीरिक गतिविधि को बढ़ाना होगा। इसके अलावा गैस बनने की समस्या होने पर कुछ आसान घरेलू उपाय अपना कर हम अपनी गैस बनने की समस्या से काफी हद तक राहत पा सकते हैं।

 

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

 


ये भी पढ़ें…

भारत के बड़े नेताओं की शिक्षा जान लें कि कौन कितना पढ़ा है?

भारत के बड़े-बड़े राजनेताओं में कौन कितना पढ़ा-लिखा है, (Indian politicians education) आइए जानते है…

शिक्षा का महत्व हम सभी जानते हैं। शिक्षा व्यक्ति को समझदार और विचारशील बनाती है। एक शिक्षित व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में जितना अधिक कुशलता और तेजी से प्रगति कर सकता है, वह एक अशिक्षित व्यक्ति नहीं कर सकता। लेकिन यह एक सार्वभौमिक सत्य नहीं है।

इस संसार में ऐसे बहुत उदाहरण हैं जो कम पढ़े लिखे होने के बावजूद भी बड़े-बड़े कार्य करने में सक्षम हो पाए। जो ऊंचे-ऊंचे पदों पर पहुंचे। लेकिन इससे शिक्षा का महत्व कम नहीं हो जाता। शिक्षा कार्य को आसान बनाती है। भारतीय नेताओं के संदर्भ में भी यही बात लागू होती है।

हम अक्सर सोशल मीडिया पर या दूसरे मीडिया माध्यमों में अखबार, रेडियो, टीवी चैनल, पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से यह पढ़ते-सुनते-देखते रहते हैं कि अमुक नेता की शिक्षा के विषय में चर्चा हो रही है। किसी एक पार्टी के नेता की कम शिक्षा का मजाक विपक्षी पार्टी के लोग उड़ाते हैं। उसी तरह राजनीतिक पार्टियां दूसरी पार्टी के नेताओं के कम शिक्षित नेताओं का मजाक भी उढ़ाती हैं।

सोशल मीडिया पर भी इस तरह की बात चलती रहती हैं। पिछले कई वर्षों से वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिक्षा के विषय में अनेक बार जब-तब चर्चा चलती रही है और उनकी शिक्षा को आधार बनाकर विपक्षी पार्टियों उन पर सवाल उठाती रही है और उनका मजाक उड़ाती रही हैं।

ऐसे में लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि और हमारे भारतीय नेताओं की शिक्षा कितनी है? कौन नेता कितना पढ़ा लिखा हुआ है? आइए भारत की कुछ राजनीतिक पार्टियों के कुछ वर्तमान नेताओं तथा कुछ पिछले दिवंगत नेताओं की शिक्षाओं के बारे में जानते हैं ताकि ये पता चल सके हमारे देश भारत की बागडोर जिनके हाथ में पहले थी या अब है वह कितना पढ़ा-लिखे हैं?

नरेंद्र मोदी

सबसे ज्यादा सवाल प्रधानमंत्री वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिक्षा दीक्षा पर अक्सर उठते रहे हैं। नरेंद्र मोदी अपने अनेकों इंटरव्यू में स्वीकार कर चुके हैं कि अपनी पारिवारिक स्थिति के कारणों की शिक्षा-दीक्षा बहुत अधिक नहीं हो पाई।

नरेंद्र मोदी की शिक्षा की बात की जाए तो नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी हलफनामे में अपनी शिक्षा के बारे में बताया है कि उन्होंने 1967 में हाई स्कूल की परीक्षा गुजरात से पास की थी। उसके बाद वह कई साल दिल्ली में भी रहे और वहीं पर उन्होंने पत्राचार के माध्यम से दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री 1978 में प्राप्त की। उनका दिल्ली और गुजरात आना जाना लगा रहता था। इसी क्रम से उन्होने उन्होंने गुजरात यूनिवर्सिटी से 1983 में एम.ए. की शिक्षा भी पत्राचार के माध्यम से की है। उन्होंने स्वयं कई बार कहा है कि उनकी पढ़ाई-लिखाई कोई विधिवत् रूप से नही हो पाई है। वह केवल 10वीं तक विधिवत स्कूल गए। उसके बाद उन्होंने जो भी बी.ए. और एम.ए. की डिग्री लीं है, वो पत्राचार के माध्यम से ली हैं।

नरेंद्र मोदी की शिक्षा

  • 10वीं – 1967 (स्कूल जाकर)
  • बी.ए. – 1978 (दिल्ली विश्वविद्यालय – पत्राचार)
  • एम.ए. – 1983 (गुजरात विश्वविद्यालय – पत्राचार)

राहुल गांधी

राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के एक प्रमुख नेता है और कांग्रेस पार्टी के प्रमुख घराने गांधी परिवार से संबंध रखते हैं। उनके नाना जवाहरलाल नेहरू, उनकी दादी इंदिरा गांधी और पिताजी राजीव गांधी तीनों ही देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं। हाइ प्रोफाइल परिवार से संबंधित होने के कारण राहुल गांधी की शिक्षा कम हुई हो, ऐसा संभव नहीं।

राहुल गांधी की शिक्षा की बात की जाए तो उनका जन्म दिल्ली में हुआ और उनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में हुई। उसके बाद उन्होंने देहरादून के प्रतिष्ठित ‘द दून स्कूल’ में अपनी आगे की शिक्षा पूरी की। इसी बीच उनकी दादी इंदिरा गांधी की 1984 में और पिता राजीव गांधी की हत्या 1991 में हो गई। वे बाद में सुरक्षा कारणों से भारत से बाहर पढ़ने चले गए। सुरक्षा कारणों उन्होंने विदेश में अपनी आगे की पढ़ाई ‘राउल विंची (Raul Vinci) के नाम से पूरी की। राहुल गांधी ने अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रोलिंस कॉलेज (फ्लोरिडा) से 1994 में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने 1995 में लंदन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिट कॉलेज से मास्टर ऑफ फिलॉसफी (M. Ph) की है।

राहुल गांधी की शिक्षा

  • आरंभिक पढ़ाई – 10वीं-12वीं – सेंट कोलबंस स्कूल, दिल्ली एवम् द दून स्कूल, देहरादून
  • ग्रेजुएशन – 1994 (रोलिंस कॉलेज, फ्लोरिडा, हार्वर्ड विश्विद्यालय, अमेरिका)
  • मास्टर ऑफ फिलॉसफी – 1995 (ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज विश्वविद्यालय, लंदन, इंग्लैंड)

अरविंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के एक प्रमुख नेता है, जो आम आदमी पार्टी के संस्थापक भी हैं। वह 2012 से राजनीति में सक्रिय हैं। उससे पहले वह एक आईआरएस ऑफिसर थे, इससे उनके उच्च शिक्षित होने का पता चलता है।

अरविंद केजरीवाल का जन्म 1968 में हरियाणा के हिसार शहर में हुआ था। उनकी शिक्षा की बात की जाए तो उनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा हरियाणा के हिसा में ही हुई। बाद में उन्होंने 1989 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद वो भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में भर्ती हो गए।

अरविंद केजरीवाल की शिक्षा

  • आरंभिक शिक्षा-दीक्षा – कैंपस स्कूल, हिसार (हरियाणा)
  • 10-12वीं – क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल, सोनीपत (हरियाणा)
  • स्नातक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) 1989 – आईआईटी, खड्गपुर

अमित शाह

अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के एक कद्दावर नेता हैं और वर्तमान सरकार में गृहमंत्री है। वह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ही गुजराती  है।  उनका जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में हुआ था। वह मूल रूप से गुजरात के एक धनी परिवार से संबंध रखते हैं।

अमित शाह की शिक्षा की बात की जाए तो उनकी आरंभिक शिक्षा-दीक्षा 16 साल की आयु तक गुजरात के अहमदाबाद जिले के माणसा गाँव में हुई। ये गाँव अमित शाह का पुश्तैनी गाँव था। उसके बाद उनका परिवार अहमदाबाद शहर में बस गया यहीं पर उन्होंने अहमदाबाद के ‘सी. यू. शाह विज्ञान महाविद्यालय’ से जैव रसायन (बायोकेमिस्ट्री) में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। इस तरह अमित शाह साइंस स्ट्रीम में जैव रसायन विषय के साथ ग्रेजुएट हैं।

अमित शाह की शिक्षा

  • आरंभिक शिक्षा – माणसा (अहमदाबाद), गुजरात
  • 10-12वीं : माणसा (अहमदाबाद), गुजरात
  • ग्रेजुएशन (B.Sc) 1983 : बायोकेमिस्ट्री (जैवरसायन), सी. यू. शाह कॉलेज ऑफ साइंस, अहमदाबाद, गुजरात

योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ बीजेपी के फायरब्रांड नेता है और उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। वह भी भारतीय जनता पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं, जिनकी पूरे देश में बेहद लोकप्रियता है। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ एक सन्यासी भी हैं और गोरखपुर मठ के मठाधीश भी हैं। सन्यासी होने के कारण अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता हो कि वह शायद कम पढ़े लिखे होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है

योगी आदित्यनाथ एक उच्च शिक्षित व्यक्ति हैं। योगी आदित्यनाथ का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गाँव में 7 जून 1970 को हुआ था। उनकी शिक्षा की बात की जाए तो उनकी आरंभिक शिक्षा उत्तराखंड के टिहरी के गजा नामक गांव के स्थानीय स्कूल में हुई। इसी स्कूल से उन्होंने 1987 में दसवीं कक्षा पास की। उसके बाद वह 1989 में उन्होंने ऋषिकेश स्थित श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज से बारहवीं परीक्षा पास की। उसके बाद उन्होंने 1992 में श्रीनगर के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की है। इस तरह योगी आदित्यनाथ कम पढ़े लिखे लेता नहीं बल्कि उच्च शिक्षित नेता हैं।

योगी आदित्यनाथ की शिक्षा

  • 10वीं (1987) – गजा (टिहरी) उत्तराखंड
  • 12वीं (1989) – श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज, ऋषिकेश (उत्तराखंड)
  • ग्रेजुएशन (B.Sc. – Math) (1992) – हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (उत्तराखंड)

अखिलेश यादव

अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के एक प्रमुख नेता हैं। वह उत्तर के भूतपूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के पुत्र हैं, वह स्वयं भी 2012-1017 के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।

अखिलेश यादव की पढ़ाई लिखाई की बात की जाए तो अखिलेश यादव ने अपनी आरंभिक शिक्षा अपने मूल पुश्तैनी गांव सैफई में प्राप्त की, उसके बाद उनकी आगे की पढ़ाई धौलपुर मिलिट्री स्कूल, धौलपुर, राजस्थान में हुई। उन्होंने कर्नाटक के मैसूर में स्थित मैसूर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। बाद में वह ऑस्ट्रेलिया में उच्च शिक्षा प्राप्त करने चले गए और वहां उन्होंने सिविल पर्यावरण इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री प्राप्त की। इस तरह वह भी एक उच्च शिक्षित नेता हैं।

अखिलेश यादव की शिक्षा

  • आरंभिक शिक्षा – सेंट मेरी स्कूल, इटावा (उत्तर प्रदेश)
  • 10वीं-12वीं : धौलपुर मिलिट्री स्कूल, धौलपुर (राजस्थान)
  • ग्रेजुएशन डिग्री : मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर (कर्नाटक)
  • पोस्ट ग्रेजुएशन (सिविल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री) – सिडनी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया

सोनिया गाँधी

सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की एक प्रमुख राजनेता है, जो भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी है। उनके पति और सास और उनके नाना ससुर भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वह मूल रूप से इटली में जन्मी एक विदेशी मूल की महिला हैं, जिनका असली नाम  एंटोनिया एडविजे अल्बिना मायनो है। उनका जन्म 9 दिसंबर 1946 को इटली में लुसियाना प्रांत के वेनेटो में हुआ।

सोनिया गांधी की शिक्षा की बात की जाए तो वह बहुत अधिक शिक्षित नहीं हैं। उनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा इटली के वेसांजे नामक कस्बे के एक रोमन कैथोलिक स्कूल में हुई। 1964 में लंदन में इंग्लिश भाषा सीखने के उद्देश्य से कैंब्रिज विश्वविद्याालय चली आईं जहाँ उन्होंने भाषा का अथ्ययन किया और यहीं पर उनकी मुलाकात राजीव गाँधी से हुई। 1968 में राजीव गाँधी से विवाह के बाद वह भारत चली आईं।

सोनिया गाँधी की शिक्षा

10-12वीं – स्थानीय रोमन कैथोलिक विद्यालय, वेसांजे, लुसियाना (इटली)

तो इस तरह यहाँ पर कुछ बड़े भारतीय राजनेताओं की शिक्षा की जानकारी मिली। अभी बहुत से बड़े नेता बाकी हैं, जिनकी शिक्षा की जानकारी भी इस पोस्ट में आगे अपडेट की जाएगी।

Indian politician’s education


ये भी पढ़ें…

कौन हैं आचार्य देवव्रत? जिनका जिक्र प्रधानमंत्री मोदी ने क्रियेटर्स अवार्ड में किया। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं।

वर्तमान समय में गुजरात के राज्यपाल और इससे पहले हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके आचार्य देवव्रत कौन हैं, जिनका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल क्रियेटर्स अवार्ड समारोह में किया। आइए आचार्य देवव्रत के जीवन को (Aacharya Devvrat Life Scan) जानते हैं…

8 मार्च 2024 को पहला नेशनल क्रियेटर्स अवार्ड समारोह संपन्न हुआ। जिसमें देश के अनेक क्रिएटर्स को भारत सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पुरस्कार दिए गए। ऐसे ही एक विजेता क्रियेटर्स को पुरस्कार देते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वर्तमान राज्यपाल आचार्य देवव्रत का जिक्र किया जो कि वर्तमान समय में गुजरात के राज्यपाल हैं।

उन्होंने गुजरात के राज्यपाल का उल्लेख करते हुए बताया कि आचार्य देवव्रत जैविक खेती के समर्थक हैं और प्राकृतिक जीवन शैली को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। वह भारतीय संस्कृति और वैदिक मूल्य के प्रचार प्रचार की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। ऐसे में लोगों को आचार्य देवव्रत के बारे में जानने की उत्सुकता हो गई। कि कौन है आचार्य देवव्रत?

आचार्य देवव्रत की जीवन (Aacharya Devvrat Life Scan)

आचार्य देवव्रत वर्तमान समय में गुजरात के राज्यपाल हैं, जो गुजरात के 20वें राज्यपाल के रूप में 2019 से कार्यरत हैं। उन्हें गुजरात का राज्यपाल जुलाई 2019 में मनाया गया था। इससे पहले वह 2015 से 2019 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे।

आचार्य देवव्रत प्राकृतिक खेती के घोर समर्थक हैं और वह भारतीय वैदिक संस्कृति तथा प्राकृतिक जीवन शैली के प्रचार प्रचार के लिए जाने जाते हैं। वह एक आर्य समाजी हैं।

जन्म और जीवन

आचार्य देवव्रत का जन्म 18 जनवरी 1959 को हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा कस्बे के पावटी नामक गाँव में हुआ था। उनका आरंभिक जीवन अपने पावटी गाँव और कुरुक्षेत्र में बीता, जहाँ पर उनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा हुई। आरंभिक शिक्षा दीक्षा प्राप्त करने के बाद वह कुरुक्षेत्र में ही एक गुरुकुल के प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत रहे और फिर आचार्य के नाम से विख्यात हुए।

उनका मूल नाम देवव्रत ही था, लेकिन अपना करियर गुरुकुल आचार्य के रूप में आरंभ करने के बाद वह आचार्य देवव्रत के नाम से विख्यात हो गए। वह आर्य समाज से जुड़े रहे हैं और आर्य समाज की गतिविधियों को भी आगे बढ़ते रहे हैं। इसके अलावा वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसान संगठन भारतीय किसान संघ से भी जुड़े रहे हैं और कई किसान आंदोलन में सक्रिय भी रह चुके हैं।

आचार्य देवव्रत जैविक खेती के के घोर समर्थक हैं वह किसी भी तरह की रासायनिक खेती के विरोधी रहे हैं और हमेशा जैविक और प्राकृतिक खेती को महत्व देने के लिए जाने जाते हैं।

उनका पारिवारिक पृष्ठभूमि किसान की रही है और एक इंटरव्यू में उन्होंने उल्लेख करते हुए बताया था कि जब उन्होंने देखा कि उनके खेत में काम करते हुए कुछ किसान रसायनिक दवा के छिड़काव करते समय उसके प्रभाव से बेहोश तो उन्होंने लगा ये जहर है जो हम सब्जियों और अनाज के माध्यम से लोगों तक पहुँचा रहे है। उन्होंने उसी समय कभी भी रासायनिक खेती न करने का संकल्प ले लिया था और जैविक खेती को बढ़ावा देने की ठान ली।

वह आर्य समाज से जुड़े रहे है और आर्य समाज की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए भी जाने जाते हैं। आचार्य देवव्रत हरियाणा के कुरुक्षेत्र के गुरुकुल में प्रधानाचार्य के तौर पर लंबे समय तक कार्य कर चुके हैं।

शिक्षा की दृष्टि से वह उन्होंने हिंदी साहित्य में परास्नातक यानी पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने अनेक एकेडमिक तथा प्रशासनिक कार्यों में अपनी सेवाएं दी है और उन्हें इन सभी एकेडमिक और प्रशासनिक कार्यों में लगभग 30 साल से अधिक का अनुभव है।

कुरुक्षेत्र में स्वामी श्रद्धानंद द्वारा स्थापित कुरुक्षेत्र गुरुकुल को आगे बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। इस गुरुकुल की स्थापना स्वामी श्रद्धानंद द्वारा 13 अप्रैल 1913 को की गई थी। आचार्य देवव्रत इसी गुरुकुल के प्रधानाचार्य रहे हैं।

भारतीय संस्कृति तथा वैदिक मूल्य के प्रचार प्रचार के अलावा वह बालिका बचाओ तथा बालिकाओं की शिक्षा के भी और समर्थक माने जाते हैं और इसके लिए वह निरंतर कार्य करते रहते हैं।

उन्हें सबसे पहले हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल 2015 में बनाया गया था। जहाँ पर उन्होंने अनेक तरह की अंग्रेजी काल की परंपराओं को बंद किया और हिमाचल प्रदेश में भारतीय संस्कृति से संबंधित परंपराओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया ।

उन्होंने हिमाचल प्रदेश में गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाले एट होम परंपरा को बंद किया जोकि अंग्रेजी काल से चली आ रही थी। उसके स्थान पर उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज भवन में हवन का आरंभ किया। तब उनकी काफी प्रशंसा हुई थी। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में 4 वर्ष तक कार्य करने के बाद उन्हें 2019 में गुजरात का राज्यपाल बनाया गया।

कई बार विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहे

आचार्य देवव्रत ने कई बार ऐसे तीखे बयान भी दिए हैं जो कि विवाद का कारण बने हैं। उन्होंने एक बार गुजरात के एक समारोह में राज्यपाल के रूप में भाषण देते समय हिंदुओं को ढोंगी कहा। उन्होंने कहा कि गाय की पूजा करने वाले हिंदू लोग गाय को गौ माता कहते हैं, लेकिन इस गौ माता को दूध न देने पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं। इस तरह हिंदू ढोंगी हैं। इसके अलावा उन्होंने कोरोना काल में डॉक्टरों तथा इंजीनियरों के बारे में भी आपत्तिजनक बयान दिया था।

जैसा भी हो उनके कुछ बयानों को छोड़कर उनके कार्य उल्लेखनीय रहे हैं और वह भारतीय संस्कृति, भारतीय जीवन शैली, जैविक खेती, बालिकाओं की शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिएटर्स समारोह में उनके नाम का जिक्र कर सब लोगों को उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक कर दिया।

आचार्य देवव्रत की ट्विटर आईडी

twitter.com/Adevvrat


ये भी पढ़ें…

National Creators Awards 2024 – भारत के नेशनल क्रियेटर्स अवार्ड की लिस्ट इस प्रकार है।

भारत सरकार द्वारा कुछ समय पहले सोशल मीडिया में और जीवन के अलग-अलग क्षेत्र में नए-नए (National Creators Awards 2024) क्रिएटर के लिए पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। इसके लिए एक अभियान चलाया गया था और अलग-अलग क्षेत्र के लोगों से आवेदन मांगे गए थे। पूरे देश से हजारों क्रियेटर्स ने पहले राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार यानी नेशनल कंटेंट क्रिएटर अवार्ड के लिए आवेदन किया था। इनमें से जिन चुनिंदा लोगों को अलग-अलग कैटेगरी में अवार्ड देने के लिए चुना गया, उन सभी क्रिएटर को 8 मार्च 2024 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम् में आयोजित एक पुरस्कार समारोह में पुरस्कार प्रदान किया।

भारत मंडपम दिल्ली के प्रगति मैदान में बना हुआ एक आधुनिक सभागृह है, जो भारत में G20 सम्मेलन के दौरान बनाया गया था। इसी सभागृह में पहले राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार 2024 के पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया।

पुरस्कारों के लिए नामांकन की प्रक्रिया 10 फरवरी को आरंभ की गई थी और पुरस्कारों की कुल बीस कैटेगरी बनाई गईं थी। इन सभी कैटिगरी के क्रिएटर के लिए 10 लाख वोट और फिर जूरी द्वारा चुने जाने के बाद कुल 23 विजेताओं को शॉर्ट लिस्ट किया गया।

इन सभी विजेताओं में तीन अंतरराष्ट्रीय क्रिएटर भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सभी विजेताओं को भारत मंडपम् में आयोजित पुरस्कार समारोह में पुरस्कार प्रदान किया और उनके अनुभव पूछे। अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक लंबा भाषण भी दिया।

वर्ष 2024 के क्रियेटर्स विनर की लिस्ट (National Creators Awards 2024)

  1. सर्वश्रेष्ठ स्टोरी टेलर पुरस्कार – कीर्तिका गोविंदासामी
    (Best Storyteller Award – Keerthika Govindasamy)
  2. द डिसरप्टर ऑफ द ईयर – रणवीर अल्लाहबादिया (बीयरबाइसेप्स)
    The Disruptor of the Year – Ranveer Allahbadia (BeerBiceps)
  3. वर्ष के सेलिब्रिटी क्रिएटर – अमन गुप्ता
    Celebrity Creator of the Year – Aman Gupta
  4. ग्रीन चैंपियन अवार्ड – पंक्ति पांडे
    Green Champion Award – Pankti Pandey
  5. सामाजिक परिवर्तन के लिए सर्वश्रेष्ठ क्रियेटर – जया किशोरी
    Best Creator For Social Change – Jaya Kishori
  6. सबसे प्रभावशाली कृषि क्रियेटर – लक्ष्य डबास
    Most Impactful Agri Creator – Lakshay Dabas
  7. वर्ष का सांस्कृतिक राजदूत – मैथिली ठाकुर
    Cultural Ambassador of The Year – Maithili Thakur
  8. इंटरनेशनल क्रियेटर पुरस्कार – ड्रू हिक्स
    International Creator Award – Drew Hicks
  9. सर्वश्रेष्ठ यात्रा क्रियेटर पुरस्कार – कामिया जानी
    Best Travel Creator Award – Kamiya Jani
  10. स्वच्छता राजदूत पुरस्कार – मल्हार कलांबे
    Swachhta Ambassador Award – Malhar Kalambe
  11. द न्यू इंडिया चैंपियन अवार्ड – अभि और नियू
    The New India Champion Award – Abhi and Niyu
  12. टेक क्रिएटर अवार्ड- गौरव चौधरी
    Tech Creator Award- Gaurav Chaudhary
  13. हेरिटेज फैशन आइकन अवार्ड – जान्हवी सिंह
    Heritage Fashion Icon Award – Jahnvi Singh
  14. सर्वाधिक रचनात्मक क्रियेटर (पुरुष)- आरजे रौनक (बौआ)
    Most Creative Creator (Male)- RJ Raunac (Bauaa)
  15. सर्वाधिक रचनात्मक क्रियेटर (महिला) – श्रद्धा
    Most Creative Creator (Female) – Shraddha
  16. भोजन श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ क्रियेटर – कबिता सिंह (कबिता की रसोई)
    Best Creator in Food Category – Kabita Singh (Kabita’s Kitchen)
  17. शिक्षा श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ क्रियेटर – नमन देशमुख
    Best Creator in Education Category – Naman Deshmukh
  18. गेमिंग श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ क्रिएटर – निश्चय
    Best Creator in Gaming Category – Nishchay
  19. सर्वश्रेष्ठ माइक्रो क्रिएटर – अरिदमन
    Best Micro Creator – Aridaman
  20. सर्वश्रेष्ठ नैनो क्रियेटर – पीयूष पुरोहित
    Best Nano Creator – Piyush Purohit
  21. सर्वश्रेष्ठ सेहत और फिटनेस क्रियेटर – अंकित बैयानपुरिया
    Best Health and Fitness Creator – Ankit Baiyanpuria
पूरा अवार्ड समारोह देखिए

ये भी पढ़ें…

फणीश्वरनाथ रेणु – ग्रामीण जीवन की जीवंत को कागज पर उकेरने वाले कथाकार (जीवन परिचय)

फणीश्वरनाथ रेणु हिंदी कथा साहित्य के विलक्षण रचनाकार थे। भारत के ग्रामीण जीवन को अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से उन्होंने बेहद जीवंतता से कागज पर उतारा है। उनके जीवन की यात्रा (Phanishwar Nath Renu Biography) को जानते हैं…

फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म और परिचय (Phanishwar Nath Renu Biography)

फणीश्वरनाथ का जन्म 1921 में बिहार के एक पूर्णिया जिले (अररिया जिला) में फारबिसगंज के पास औराही हिंगना नामक गाँव हुआ था।

उनका बचपन ग्रामीण परिवेश में व्यतीत हुआ। उच्च शिक्षा पटना से ग्रहण कर स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े। स्थानीय रंगों, छवियों और आकांक्षाओं के साथ-साथ फणीश्वर नाथ रेणु जी की कहानियों में व्यापक मानवीय घात प्रतिघात मिलते हैं।

फनीश्वरनाथ रेणु  जमींदार प्रथा, साहूकारों का शोषण, अंग्रेजों के जुल्म व अत्याचारों को देखा ही नहीं, सहा भी था। किसानों व मजदूरों की दयनीय दशा देखकर उन का हृदय बहुत दुखी होता था । उन्होंने  सहानुभूति रखते हुए फणीश्वर नाथ रेणु जी ने न केवल उनके अधिकारों की रक्षा हेतु अपने रचना संसार में आवाज उठाई, और अन्याय के खिलाफ संघर्ष भी किया।

रेणु मिलनसार, मृदुभाषी और स्पष्ट वक्ता थे। स्वतंत्रता के बाद भारत में नेताओं की स्वार्थपरता व सत्ता लोलुपता देखकर वे कोसा और जनहितों की रक्षा के लिए सड़क पर उतरे थे। 1977 की इमरजेंसी में जेपी के आंदोलन से जुड़े।

फणीश्वर नाथ रेणु की शिक्षा-दीक्षा

उनकी आरंभिक शिक्षा फारबिसंगज और अररिया मे हुई। उसके बाद वह कुछ समय के लिए नेपाल चले गए क्योंकि नेपाल के कोइराला परिवार के उनके परिवार से पारिवारिक संबंध थे। वहाँ के विराटनगर आदर्श विद्यालय से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास। बाद में भारत आकर उन्होंने वाराणसी के बनारस विश्वविद्यालय से आईए की परीक्षा पास की।

फणीश्वर नाथ रेणु की शिक्षा फणीश्वर नाथ रेणु ने अपनी कुछ शिक्षा भारत से ग्रहण की थी और कुछ शिक्षा नेपाल में स्थित शिक्षण संस्थान से ग्रहण की थी। जब यह थोड़े समझदार हुए तब इनके माता-पिता के द्वारा इनका एडमिशन प्रारंभिक एजुकेशन दिलाने के उद्देश्य से फारबिसगंज में करवाया गया। यहां पर थोड़ी पढ़ाई करने के पश्चात इनका एडमिशन अररिया में करवाया गया। वहां से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को ग्रहण की।

इसके पश्चात फणीश्वर नाथ रेणु ने अपनी दसवीं क्लास की पढ़ाई नेपाल देश के विराट नगर में मौजूद विराट नगर आदर्श विश्वविद्यालय से पूरी की | इसके पश्चात बारहवीं की पढ़ाई करने के लिए यह बनारस चले आएं और इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और साल 1942 में बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए।

फणीश्वर नाथ रेणु का लेखन कार्य

फणीश्वर नाथ रेणु जी ने लिखने का काम साल 1936 शुरू कर दिया था और इनके द्वारा लिखी गई कुछ कहानियां प्रकाशित भी हुई थी परंतु वह सभी अपरिपक्व कहानियां थी । साल 1942 में आंदोलन के दरमियान इन्हें अंग्रेजी सेना के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था और इन्हें तकरीबन 2 सालों के लिए जेल में रखा गया।

साल 1944 में इन्हें जेल से छोड़ा गया। इसके पश्चात यह घर लौट आए और फिर इन्होंने “बट बाबा” नाम की पहली परिपक्व कहानी लिखकर के तैयार की। यह कहानी साप्ताहिक विश्वामित्र के 27 अगस्त 1944 के अंक में छपी थी।

इसके पश्चात फणीश्वर नाथ रेणु जी की कि दूसरी कहानी “पहलवान की ढोलक” साल 1944 के 11 दिसंबर को साप्ताहिक विश्वमित्र में छपी हुई थी | इसके बाद आगे बढ़ते हुए फणीश्वर नाथ ने साल 1972 में अपनी आखिरी कहानी “भित्ति चित्र की मयूरी” लिखा था और इस प्रकार से उनके द्वारा लिखी गई कहानियों की संख्या 63 हो चुकी थी।

फणीश्वर नाथ रेणु जी जितने भी उपन्यास लिखे थे उनके द्वारा इन्हें प्रसिद्धि तो हासिल हुई ही साथ ही इनके द्वारा लिखी गई कहानियों को भी लोगों ने खूब पसंद किया और इनकी कहानियों ने भी इन्हें काफी अधिक प्रसिद्ध बनाया। फणीश्वर नाथ रेणु के आदिम रात्रि की महक, एक श्रावणी दोपहरी की धूप, अच्छे आदमी, संपूर्ण कहानियां, अग्नि खोर, ठुमरी बहुत ही प्रसिद्ध कहानी के संग्रह है ।

फणीश्वर नाथ द्वारा रचित कहानी पर बनी फिल्म

फणीश्वर नाथ के द्वारा “मारे गए गुलफाम” नाम की एक कहानी लिखी गई थी और इसी कहानी से प्रेरित होकर के एक हिंदी फिल्म बनी थी जिसका नाम “तीसरी कसम” रखा गया था । इस फिल्म के अंदर राजकुमार के साथ वहीदा रहमान जी ने मुख्य भूमिका निभाई थी और इस फिल्म को डायरेक्ट करने का काम निर्देशक बासु भट्टाचार्य के द्वारा किया गया था।

वही फिल्म को प्रोड्यूस करने का काम प्रसिद्ध गीतकार शैलेंद्र के द्वारा किया गया था। जब यह फिल्म सिनेमा हॉल में रिलीज हुई तो इस फिल्म को लोगों ने काफी अधिक पसंद किया और यह फिल्म हिंदी सिनेमा में मील का पत्थर साबित हुई।

फणीश्वर नाथ रेणु का विवाह

फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने जीवनकाल में कुल तीन शादियां की। फणीश्वर नाथ रेणु की पहली शादी रेखा नाम की महिला से हुई थी। इस प्रकार इनसे शादी हो जाने के बाद रेखा ने रेनू सरनेम लगाना चालू कर दिया। इनकी पहली पत्नी बिहार राज्य के कटिहार जिले के बलूवा गांव की रहने वाली थी और फणीश्वर नाथ को रेखा के द्वारा एक बेटी पैदा हुई थी जिसका नाम कविता राय रखा गया था।

पहली पत्नी की मौत होने के बाद फणीश्वरनाथ ने दूसरी शादी पद्मा रेणु नाम की महिला से की जो बिहार के कटिहार जिले के ही महमदिया गांव की रहने वाली थी। पद्मा रेणु ने टोटल तीन बेटे और तीन बेटी को जन्म दिया । इसके पश्चात फणीश्वर का तीसरा विवाह लतिका के साथ हुआ था।

फणीश्वर नाथ की भाषा शैली

फणीश्वर नाथ की भाषा शैली ग्रामीण इलाके की खड़ी बोली थी और यह इनके द्वारा रचित कहानियां और काव्यों में साफ तौर पर दिखाई देता है।

यह अपने द्वारा रचना की जाने वाली कहानियां और काव्य में उसी भाषा का इस्तेमाल करते थे, जो भाषा यह सामान्य बोलचाल में इस्तेमाल करते थे। इन्होंने अपने उपन्यासों में कहानियों में आंचलिक भाषा को मुख्य तौर पर प्रमुखता दी है।

फनीश्वरनाथ रेणु की रचनाएं

फनीश्वरनाथ रेणु हिंदी कहानी व उपन्यास साहित्य के क्षेत्र में एक नई धारा के जनक है जिसे आँचलिक कथा साहित्य कहते हैं। इनके पूर्व भी ग्राम्यांचल से सम्बद्ध कहानी उपन्यास लिखे गए थे जैसे शिवपूजन सहाय, प्रेमचंद व रामवृक्ष बेनीपुरी का कथा साहित्य किन्तु उसमें आँचलिकता पुर्णतः नहीं आई।

रेणु जी ने सशक्त रचनाएँ प्रस्तुत कर एक अंचल विशेष को ही नायकत्व प्रदान कर दिया और सारी घटनाएँ परिस्थतियाँ उसी के इर्द-गिर्द चक्कर लगाती हुई प्रतीत होती हैं। अस्तु, रेणु की प्रमुख कृतियों का उल्लेख इस प्रकार हैं ।

उपन्यास –    मैला आँचल, परती: परिकथा जुलूस

कहानी संग्रह – ठुमरी, रस प्रिया, पंचलेट, तीसरी कसम निबंध पत्र आदि.

रेणु जी का समग्र लेखन गाँव परिवेश पर आश्रित हैं। उनके पात्र संवेदनशील व भावुक हैं। उनकी कहानियों में एक चित्रकार की भांति चित्रफलक को सजाया गया हैं, जिससे घटना का पूर्ण बिम्ब पाठक के समक्ष उपस्थित हो जाता हैं।

उनकी कहानियों में मनुष्य, प्रकृति , जीवन के घात प्रतिघात मानवीय भावनाओं व मनुष्य जीवन के विविध पक्षों को आँचलिक भाषा में प्रयोग हुआ हैं । जैसे तबे एकता चला रे कहानी में किसन महाराज (भैंस का पाडा) की कथा कहकर यह सिद्ध कर दिया हैं कि इंसान आज जानवर से भी बदतर हो गया हैं।

जमीदारों, पुलिस व अफसरों के कुकृत्यों का पर्दाफाश कर किसन महाराज के प्रति ममता जागृत की हैं, रसप्रिया में एक गायक कलाकार के संघर्ष का मार्मिक चित्रण हैं ।

रेणु की कहानी कला

पांचवे दशक के लोकप्रिय आँचलिक कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु उच्च कोटि के चिंतक, स्वाधीनता प्रेमी एवं न्याय के लिए संघर्ष शील व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। वर्ष 1977 की इमरजेंसी में इंदिरा सरकार ने इन्हें शासन विरोधी घोषित कर जेल में ठूस दिया था। रेणु जी बिहार के पूर्णिया व दरभंगा जिलों से सम्बन्ध रहे।

पटना इनका प्रमुख कार्यस्थल था। इन्होंने भारत के विविध अंचलों और धरती पुत्रों की व्यथा कथा अपनी कहानियों और उपन्यासों में चित्रित की हैं। रेणु ने स्वतंत्रता के पश्चात भारत के ग्राम जीवन को नजदीक से देखा परखा और यहाँ होने वाले परिवर्तनों को संजीवता व ईमानदारी से चित्रण किया हैं।

गाँवों में नदियों पर बनने वाले बाँध, सड़कें, पंचायत भवन, स्कूल भवन व और आर्थिक सामाजिक, धार्मिक स्थितियों का चित्रण तथा गाँवों की जातिगत गुटबाजी राजनीति का नग्न चित्रण कर दिया हैं।

उनकी कहानियाँ दूसरी शीर्षक कृति में संग्रहित हैं। फणीश्वर नाथ रेणु जी एक कुशल फोटोग्राफर की तरह जीवंत चित्रण करते हैं। जिससे स्थान विशेष का वातावरण हमारी आँखों के आगे सजीव हो उठता हैं।

साहित्यिक कृतियां

फणीश्वर नाथ रेणु जी की कुल 26 पुस्तकें हैं। इन पुस्तकों में संकलित रचनाओं के अलावा भी काफ़ी रचनाएँ हैं जो संकलित नहीं हो पायीं, कई अप्रकाशित आधी अधूरी रचनाएँ हैं। असंकलित पत्र पहली बार रेणु रचनावली में शामिल किए गए हैं।

उपन्यास

  •  मैला आंचल 1954
  •  परती परिकथा 1957
  •  जूलूस 1965
  • दीर्घतपा 1964 (जो बाद में कलंक मुक्ति (1972) नाम से प्रकाशित हुई)Ø
  •  कितने चौराहे 1966
  • पल्टू बाबू रोड 1979

कथा-संग्रह

  • आदिम रात्रि की महक 1967
  • ठुमरी 1959
  • अगिनखोर 1973
  • अच्छे आदमी 1986

संस्मरण

  • आत्म परिचय
  • समय की शिला पर

रिपोर्ताज

  • ऋणजल धनजल 1977
  • नेपाली क्रांतिकथा 1977
  • वनतुलसी की गंध 1984
  • एक श्रावणी दोपहरी की धूप 1984
  •  श्रुत अश्रुत पूर्व 1986

प्रसिद्ध कहानियां

  • मारे गये गुलफाम
  • एक आदिम रात्रि की महक
  • लाल पान की बेगम
  • पंचलाइट
  • तबे एकला चलो रे
  • ठेस
  • संवदिया

ग्रंथावली

  •  फणीश्वरनाथ रेणु ग्रंथावली

प्रकाशित पुस्तकें

  • वनतुलसी की गंध 1984
  • एक श्रावणी दोपहरी की धूप 1984
  • श्रुत अश्रुत पूर्व 1986
  • अच्छे आदमी 1986
  • एकांकी के दृश्य 1987
  • रेणु से भेंट 1987
  • आत्म परिचय 1988
  • कवि रेणु कहे 1988
  • उत्तर नेहरू चरितम्‌ 1988
  • फणीश्वरनाथ रेणु: चुनी हुई रचनाएँ 1990
  • समय की शिला पर 1991
  • फणीश्वरनाथ रेणु अर्थात्‌ मृदंगिये का मर्म 1991
  • प्राणों में घुले हुए रंग 1993
  • रेणु की श्रेष्ठ कहानियाँ 1992
  • चिठिया हो तो हर कोई बाँचे (यह पुस्तक प्रकाश्य में है)

सम्मान

उनके प्रथम उपन्यास मैला आंचल के लिये उन्हें 1970 में भारत सरकार के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था लेकिन 1975 में तत्कालीन इंदिरा गाँधी सरकार द्वारा आपातकाल लगाए जाने के कारण उन्होंने अपना पद्म श्री सम्मान लौटा दिया था।

देहावसान

फणीश्वर नाथ रेणु सरकारी दमन और शोषण के विरुद्ध ग्रामीण जनता के साथ प्रदर्शन करते हुए जेल गए। रेणु ने आपातकाल का विरोध करते हुए अपना पद्मश्रीका सम्मान भी लौटा दिया। इसी समय रेणु ने पटना में लोकतंत्र रक्षी साहित्य मंच की स्थापना की।

इस समय तक रेणु को पैप्टिक अल्सर की गंभीर बीमारी हो गई थी। लेकिन इस बीमारी के बाद भी रेणु ने 1977 ई. में नवगठित जनता पार्टी के लिए चुनाव में काफ़ी काम किया। 11 अप्रैल 1977 ई. को रेणु पैप्टिक अल्सर की बीमारी के कारण चल बसे।


ये भी पढ़ें…

Bansuri Swaraj – कौन है बाँसुरी स्वराज? BJP की युवा नेता। (लाइफ स्कैन)

बांसुरी स्वराज भारतीय जनता पार्टी की नई उभरती राजनेता है जो भारतीय जनता की भूतपूर्व मंत्री और एक जानी-मानी नेता सुषमा स्वराज की बेटी हैं। बासुंरी स्वराज जीवन का एक छोटा सा ( (Bansuri Swaraj Life Scan) स्कैन करते हैं…

बांसुरी स्वराज को भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार चुना है। अब वह नई दिल्ली लोकसभा सीट पर सांसदी का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। बांसुरी स्वराज राजनीति में पिछले साल ही शामिल हुई हैं, जब उन्होंने आधिकारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

इससे पहले अपने वकालत के अपने पेशे में संलग्न थीं। वह पेशे से एक क्रिमिनल लॉयर हैं। उनकी माँ सुषमा स्वराज काफी लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहीं थी। वह पाँच साल तक भारत की विदेश मंत्री भी रह चुकी हैं। मई 2019 में अपनी माँ की मृत्यु के बाद आशा जताई जा रही थी कि शायद वह अपनी माँ की जगह लेने के लिए राजनीति में शामिल होंगी और देर-सवेर  राजनीति में शामिल हो ही गई। पिछले साल मार्च 2023 में उन्होंने राजनीति में आधिकारिक रूप से शामिल होने का घोषणा कर दी और भारतीय जनता पार्टी की आधिकारिक सदस्यता ग्रहण कर ली।

बाँसुरी स्वराज का जीवन परिचय (Bansuri Swaraj Life Scan)

बांसुरी स्वराज का मूल पैश क्या था? उनका जन्म कहाँ और कब हुआ उन्होंने अपने जीवन में क्या-क्या उपलब्धियां प्राप्त की हैं, जानते हैं..

जन्म, परिचय और परिवार

बांसुरी स्वराज का जन्म 3 जनवरी 1984 को नई दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम स्वराज कौशल था और माँ का नाम सुषमा स्वराज है।

उनके पिता स्वराज कौशल जाने-माने ब्यूरोक्रेट्स और 1990 से 1993 के बीच भारत के मिजोरम राज्य के गवर्नर भी रह चुके हैं। उनकी माँ सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की अग्रणी पंक्ति की नेताओं में से एक नेता थी। माँ और पिता दोनों वकालत के पेशे से भी संबंधित रहे हैं, यानी दोनों ने राजनीति के अलावा वकालत से ही अपना करियर आरंभ किया था।

मां सुषमा स्वराज तो पूरी तरह राजनीति में ही जम गई, जबकि स्वराज कौशल राजनीति के अलावा वकालत ही करते रहे और राजनीति में पूरी तरह नहीं आए। वह एक क्रिमिनल लॉयर हैं। वह 1990 से 1993 के बीच मिजोरम के राज्यपाल अवश्य बने थे।

बांसुरी स्वराज की आरंभिक शिक्षा दीक्षा नई दिल्ली में ही हुई उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने इंग्लैंड का रूख किया और इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक (University of Warwick) से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने लंदन से ही बीपीपी लॉ स्कूल से कानून की डिग्री प्राप्त की।

उसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सेंट कैथरीलन कॉलेज से कानून की मास्टर डिग्री भी हासिल की।

पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत लौट आई और यहां से उन्होंने वकालत करनी आरंभ कर दी। वह 2007 में दिल्ली बर काउंसिल में शामिल हुईं। उसके बाद से वह निरंतर वकालत करती रहीं।

2007 से वह निरंतर वकालत करती रही हैं, और उन्हें वकालत में 16 साल से अधिक का अनुभव है।

बांसुरी स्वराज अपने माता पिता की इकलौती संतान हैं। फिलहाल उनके परिवार में उनके पिता और वह स्वयं हैं। उन्होंने अभी तक शादी नही की और वह अविवाहित हैं।

करियर

बांसुरी स्वराज ने अपना करियर वकील के रूप में आरंभ किया, जब 2007 में वह उन्होंने नई दिल्ली में वकालत आरंभ की थी। वह 15 -6 वर्षों से लगातार वकालत करती रही हैं।

उनका राजनीति में प्रवेश मार्च 2023 में हुआ, जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की आधिकारिक सदस्यता ग्रहण की। उनकी माँ सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की जानी-मानी नेता रही हैं और भारत की विदेश मंत्री भी रह चुकी हैं। वह भारतीय जनता पार्टी की आधिकारिक प्राथमिक सदस्य हैं और अब भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की उम्मीदवार भी हैं। इस समय वह  वकालत और राजनीति दोनों में समान रूप से सक्रिय हैं।

बांसुरी स्वराज के साथ जुड़े विवाद

भारतीय जनता पार्टी की विपक्षी पार्टियों बांसुरी स्वराज पर तरह-तरह के आरोप लगाती रहती हैं। आरोपों के अनुसार बांसुरी स्वराज ने भारत के एक घोटाले के आरोपी कारोबारी ललित मोदी केस भी लड़ा।

इसके अलावा बांसुरी स्वराज को सरकार की तरफ उसके पक्ष में केस लड़ने का आरोप भी लगाया जाता है। मणिपुर मामले में जब एक महिला को निर्वस्त्र करने का मामला आया था तो कोर्ट में सरकार की तरफ से बांसुरी स्वराज ने सुप्रीम कोर्ट में कैसे लड़ा था।

बांसुरी स्वराज ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि ललित मोदी का केस उन्होंने अपने पेशे और मानवीय आधार पर लड़ा था। कोई भी वकील किसी भी क्लाइंट का केस लड़ सकता है यहाँ तक कि आतंकवादियों के लिए भी वकील उपलब्ध कराए जाते हैं तो ललित मोदी का केस लड़ने मे क्या समस्या है।

बाँसुरी स्वराज का ट्विवटर हैंडल

 

बांसुरी स्वराज का जीवन परिचय, बांसुरी स्वराज का पति, बांसुरी स्वराज की शादी, बांसुरी स्वराज की जन्म तारीख, सुषमा स्वराज की बेटी, स्वराज कौशल की बेटी, नई दिल्ली लोकसभा सीट का उम्मीदवार, नई दिल्ली भारतीय जनता पार्टी, बांसुरी स्वराज वकालत, बांसुरी स्वराज शिक्षा, बांसुरी स्वराज पेशा

Biography of Bansuri Swaraj, Husband of Bansuri Swaraj, Bansuri Swaraj Marriage, Date of Birth of Bansuri Swaraj, Daughter of Sushma Swaraj, Daughter of Swaraj Kaushal, Candidate for New Delhi Lok Sabha Seat, New Delhi Bharatiya Janata Party, Bansuri Swaraj Advocacy, Bansuri Swaraj Education, Bansuri Swaraj profession


ये भी पढ़ें…

अष्टांग योग क्या है? अष्टांग योग के नाम और व्याख्या।

आप सभी ने योग के बारे में बहुत कुछ सुन रखा है। योग का नाम सुनते ही हमारे मन में बैठकर या खड़े होकर किए जाने वाले आसनों की छवि उभरती है, और हम लोग समझते हैं कि यही योग है। जबकि ऐसा नही है। विभिन्न शारीरिक मुद्राओं द्वारा आसन लगाना योग का एक अंग मात्र है, ये सम्पूर्ण योग नही। आसन के अलावा योग के सात अंग और होते हैं। इन सभी आठ अंगों को मिलाकर योग की पूरी तरह से व्याख्या की जा सकती है। योग के ये आठ अंग ही अष्टांग योग (Ashtang Yog) कहलाते हैं।

अष्टांग योग क्या है? अष्टांग योग के नाम और व्याख्या (Ashtang Yog)

अष्टांग योग : योग भारतीय की एक  एक ऐसी पद्धति है जो भारत का प्रमुख दर्शन रही है। योग की पूर्ण रूप में व्याख्या करने के लिए उसे 8 अंगों में विभाजित किया गया है। ये आठ अंग ही अष्टांग योग कहलाते हैं। इन आठ अंगों को मिलाकर ही सम्पूर्ण योग बनता है। जो पूर्ण योगी है, उसे इन सभी आठ अंगों का पालन करना पड़ता है, तभी वह योगी कहलायेगा। केवल आसन लगाने से कोई योगी नही कहलाता है।

योग के आठ अंग इस प्रकार हैं…

  1. यम
  2. नियम
  3. आसन
  4. प्राणायाम
  5. प्रत्याहार
  6. धारणा
  7. ध्यान
  8. समाधि

यम

यम योग का प्रथम अंग है। यम अर्थात मन, वचन और कर्म से पाँच आवश्यक आचरण का पालन करना ही ‘यम’ कहलाता है। यम पाँच भागों में विभाजित होता है।

  • अहिंसा
  • सत्य
  • अस्तेय
  • अपरिग्रह
  • ब्रह्मचर्य

यह पाँच उपअंग यम कहलाते हैं। यम योग प्रथम अंग है। योगी बनने की शुरुआत से ही आरंभ होती है। यम शरीर की आंतरिक शुद्धि का कार्य करते हैं और नियम शरीर की बाहरी शुद्धि का कार्य करते हैं।

अहिंसा

अहिंसा अर्थात मन, वचन और कर्म से किसी भी प्राणी के प्रति द्रोह न करना ही यम कहलाता है। अहिंसा से तात्पर्य ऐसे कार्य से है जिससे हममानसिक रूप से या शारीरिक रूप से किसी भी प्राणी को किसी भी तरह का कष्ट न पहुँचायें। हम कोई ऐसा काम न करें जिससे किसी भी जीव चाहे वो मनुष्य हो या दूसरा कोई भी प्राणी उसे किसी भी तरह का मानसिक या शारीरिक कष्ट न पहुँचे।

सत्य

सत्य का अर्थ है, सच्चाई का पालन करना तथा कोई ऐसी बात जो देखी, सुनी या जाने हुई बात दूसरे को जानने के लिए ऐसे वाक्य का प्रयोग करना जिसमें किसी भी प्रकार की भ्रांति अथवा झूठ ना हो, जो बात निरर्थक ना हो, वो ही सत्य है। किसी भी बात को ज्यों का त्यों बोलना ही सत्य कहलाता है।

अस्तेय

अस्तेय से तात्पर्य चोरी ना करने से है। अर्थात दूसरे के धन पर कुदृष्टि ना रखना दूसरे के धन को ना लेना। किसी के पैसे को उसकी बिना अनुमति के उपयोग ना करना। दूसरे के धन पर पर अपनी बुरी नजर ना रखा, दूसरे के धन को मिट्टी के समान समझना ही अस्तेय कहलाता है।

अपरिग्रह

अपरिग्रह से तात्पर्य स्वयं पर नियंत्रण रखने से हैं।अपने मन की इंद्रियों को वश में करना तथा उसे विषय वासना में न भटकाकर सांसारिक विषयों के प्रति निरासक्ति का काम रखना ही अपरिग्रह कहलाता है। किसी भी तरह के सुख-आनंद वाले कर्म को त्याग देना तथा सादगी पूर्ण जीवन ही अपरिग्रह है।

ब्रह्मचर्य

ब्रह्मचर्य से तात्पर्य मन, वचन एवं कर्म से सयंमपूर्ण जीवन जीने से है अर्थात किसी भी तरह के मैथुन का त्याग करना ही ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचर्य के पालन में आठ प्रकार के मैथुन का त्याग करने की बात की गई है। दक्ष संहिता में अष्टमैथुन का वर्णन मिलता है। ये अष्टमैथुन हैं, स्मरण, संगीत, कीर्तन, हंसी-मजाक, राग-पूर्वक दर्शन, एकांत में वार्तालाप, संकल्प, मैथुन और स्वमैथुन यह आठ प्रकार मैथुनों को त्याग ही ब्रह्मचर्य है।

नियम

जहाँ यम अर्थात शरीर की आंतरिक शुद्धि करने के लिए योग का पहला अंग है, वहीं नियम शरीर की बाहरी शुद्धि के लिए बनाए गए हैं। नियम भी यम की भांति पाँच प्रकार के होते हैं, जो कि इस तरह है।

  • शौच
  • संतोष
  • तपस
  • स्वाध्याय
  • ईश्वर प्राणिधान

ये पाँच नियम शरीर की बाहरी शुद्धि से संबंधित होते हैं।

शौच

शौच तात्पर्य बाहरी और अभ्यांतर यानी आंतरिक शौच से होता है। अर्थात नियमित रूप से से शौचकर्म से निवृत्त होना, स्नान करना, जल आदि से स्थूल शरीर को साफ करना,  शुद्ध सात्विक पदार्थों को खाना और उपवास करने से होता है।

संतोष

संतोष से तात्पर्य संतोष पूर्वक जीवन जीने है। किसी भी वस्तु की कामना ना तो बहुत अधिक करना और जो मिला है, उसी में संतुष्ट हो जाना, उसी में अपने मन को प्रसन्न रखना ही संतोष कहलाता है।

तपस

तपस से तात्पर्य सभी प्रकार के द्वंद्वों को बिना किसी द्वेषके और निर्विकार भाव से सहन करना ही ही तपस है। अर्थात सर्दी, गर्मी, वर्षा, सोना, जागना, उठना, बैठना, भूख-प्यास आदि सभी भौतिक विषमताओं से संघर्ष करना और उनसे सामंजस्य स्थापित करके अपने जीवन को सुगमता पूर्वक जीना ही तपस कहलाता है।

स्वाध्याय

स्वाध्याय से तात्पर्य शास्त्रों के अध्ययन से होता है, जिसमें अपने ज्ञानार्जन के लिए उचित शास्त्रों का अध्ययन करना। समयानुकूल शास्त्रों का अध्ययन करना जो चित्त की वृत्तियों को सही मार्ग में प्रवृत्त करे उसे स्वाध्याय कहते हैं। आज के संदर्भ में हम स्वाध्याय को अच्छी शिक्षा ग्रहण करने से भी ले सकते हैं।

ईश्वर प्राणिधान

ईश्वर प्राणिधान से तात्पर्य अपने संपूर्ण कर्मों को अपने परम गुरु और ईश्वर को समर्पित कर देना तथा ईश्वर में ही अपने चित्त की वृत्ति को एकाकार कर देना ही ईश्वर प्राणिधान कहलाता है। यह नियम के पाँच अन्य हैं, योग का दूसरा चरण और अष्टांग योग का दूसरा अंग हैं। जब यम और नियम का पालन आरंभ होता है, तो आसन की तरफ बढ़ा जा सकता है।

आसन

आसन से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है, जिसमें साधक सुख पूर्वक स्थिरता से बैठ सके और विभिन्न तरह की शारीरिक मुद्राओं के द्वारा अपने शरीर को साध सके, वह ही आसान है। आसन योग का सबसे प्रमुख अंग है जो योग की सबसे लोकप्रिय क्रिया भी है। आज अगर विश्व में योग किसी रूप में सबसे अधिक लोकप्रिय है, तो वह आसन के रूप में ही लोकप्रिय है, जिसे योगासन कहते हैं।

योग के अन्य अंग का पालन सभी लोग नही करते हैं। योग को अपनाने के लिए केवल आसन की ओर अधिक ध्यान देते हैं, क्योंकि यह शरीर को स्वस्थ रखने की क्रिया है। आसन करके मनुष्य अपने शरीर को लचीला बनाता है। वह सर्दी-गर्मी, भूख-प्यास, नींद आदि व्याधियों पर अपना नियंत्रण पाकर अपने अधीन कर लेता है।

प्राणायाम

प्राणायाम से तात्पर्य श्वास और प्रश्वास को रोक लेने की क्रिया से होता है, अर्थात बाहर की वायु का नासिका के द्वारा श्वास को अंदर खींचना यानि साँस को अंदर लेना श्वास और श्वास को बाहर छोड़ना प्रश्वास कहलाता है। श्वास और प्रश्वास की गतिविधि को ही प्राणायाम कहते हैं। प्राणायाम के तीन चरण होते हैं।

  • पूरक
  • कुंभक
  • रेचक

प्राणायाम की जिस क्रिया में जब श्वास के द्वारा स्वाभाविक गति में अवरोध उत्पन्न होता है, उसे ‘पूरक’ कहते हैं। जिस गति में श्वास और प्रश्वास दोनों नहीं रहते, उसे ‘कुम्भक’ कहते हैं। जिस गति में प्रश्वास के साथ स्वाभाविक गति में रुकावट डाली जाती है, उसे ‘रेचक’ कहते हैं।

सरल अर्थों में समझें, तो जब हम साँस को अंदर खींचते हैं, तो उसे ‘पूरक’ कहा जाता है। जब हम साँस को अंदर खींचकर रोक कर रखते हैं तो उसे ‘कुम्भक’ कहा जाता है। जब हम साँस को बाहर छोड़ते हैं तो उसे ‘रेचक’ कहा जाता है। जब हम साँस को बाहर छोड़कर उसे बाहर ही रोक कर रखते हैं, तो उसे ‘बाह्य कुम्भक’ कहा जाता है। जब हम साँस अंदर खींचकर उसे अंदर ही रोककर रखते हैं, उसे ‘आंतरिक कुम्भक’ कहते हैं।

प्रत्याहार

जब इंद्रिय विषयों से संबद्ध नहीं रहतीं, तब उस समय उनका चित्त के स्वरूप का अनुकरण करना तथा चित्त की तरह ही रहना और सब कामों में चित्त की राह देखना ही प्रत्याहार कहलाता है। जब मनुष्य की इंद्रियां वस्तु में परिणत चित्त के सदृश हो जाती हैं और स्वतंत्र रूप से मन से मिलकर दूसरे विषयों का चिंतन नहीं करती और चित्त के विरुद्ध होते हुए ही वे स्वयं बिना परिश्रम विरुद्ध होने लगती है तो यह क्रिया प्रत्याहार हो जाती है अर्थात कि कामों की अपेक्षा रखती है और जिन कामों में चित्त प्रवृत्त होता है, उन्हीं में इंद्रियां होती रहती है।

प्रत्याहार योग के बीच की अवस्था है। जब योग के मार्ग पर चल रहा साधक पारंगत हो रहा होता है और वह योग की अंतिम अवस्था समाधि के मार्ग पर चलना आरंभ कर देता है, जो प्रत्याहार उस दिशा का पहला चरण है।

धारणा

धारणा से तात्पर्य स्थान के आश्रय से होता है। किसी स्थान पर चित्त को एकाकार करके लगा देना ही धारणा कहलाता है। कहने का अर्थ यह है कि चित्त की वृत्तियों को एकाग्र करके के आधार-स्थान पर लगा देना ही धारणा है। धारणा प्रत्याहार के बाद की स्थिति है और यह ध्यान की आरंभिक स्थिति है। जब मनुष्य धारणा में पारंगत हो जाता है तो वह ध्यान की अवस्था की ओर बढ़ने लगता है

ध्यान

किसी स्थान पर चित्त को धारण करके अपने मन को एकाग्र करने की अवस्था ही ध्यान है अर्थात ध्यान में स्थान पर चित्त को एकाग्र करके बांधने की प्रक्रिया है। वह जो ज्ञान का अंतिम सोपान है, ध्यान है। ध्यान योग की अंतिम अवस्था समाधि की ओर जाने से पूर्व की क्रिया है। जब साधक योग में पूर्णता की ओर बढ़ रहा होता है और योग की अंतिम अवस्था समाधि को पाने की दिशा में कदम रख रहा होता है, तो उसे ध्यान में पारंगत होना पड़ता है।

समाधि

समाधि योग की अंतिम अवस्था है। जब साधक योग में पूर्णता प्राप्त कर चुका होता है, तो उसे समाधि कहते हैं। समाधि अपने मन और शरीर के भेद को मिटा देने की प्रक्रिया है। ये स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर को एकाकार कर देने की प्रक्रिया है। समाधि भौतिक जगत और आध्यात्मिक जगत को एक कर देने की प्रक्रिया है। जो साधक समाधि के स्तर पर पहुँच जाता है वो योग में पूर्णत प्राप्त कर लेता है, वह पूर्ण योगी बन जाता है।

Post topic: Ashtang Yog


ये भी पढ़ें…

चना दाल से बनी ये स्वादिष्ट चटनी खाइए और मस्त हो जाइए।

हमारा देश तरह-तरह की स्वादिष्ट चटनियों के लिए मशहूर है। भारत में हर जगह कोई ना कोई स्वादिष्ट चटनी बनाई जाती है। चटनी भारतीय लोगों के खाने का नियमित हिस्सा है, जिसके बिना लोगों की भोजन की थाली पूरी नहीं होती। ऐसी ही चने दाल से बनी स्वादिष्ट चटनी की रेसिपी हम आपको बता रहे हैं, जिसको बनाकर खाने से आप अपनी उंगलियां चाटते रह जाएंगे।

चने दाल और उड़द दाल के मिश्रण से बनी इस चटनी में इमली इसको एक अलग टेस्ट देती है। ये चटनी न केवल खाने में बेहद टेस्टी है, बल्कि इसको बनाना भी बेहद आसान है। इस चटनी को बनाकर आप कुछ दिनों तक फ्रिज में रख सकते हैं और जब चाहे इसको प्रयोग में ला सकते हैं।

चना दाल की स्वादिष्ट चटनी (Delicious Chana Dal Chutney)

आवश्यक सामग्री

  • एक कप चने की दाल
  • 2 चम्मच उड़द की सफेद दाल
  • 3 से 4 सूखी साबुत लाल मिर्च
  • आधा चम्मच राई के दाने
  • आधा चम्मच जीरा
  • कुछ करी पत्ते
  • अदरक के कुछ टुकड़े
  • आधा चम्मच हल्दी पाउडर
  • आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
  • स्वादानुसार नमक
  • एक चुटकी हींग
  • कद्दूकस किया हुआ आधा कप नारियल
  • एक चम्मच इमली का गूदा (पेस्ट)
  • फ्राई करने के लिए दो चम्मच तेल (सरसों का तेल अथवा मूंगफली का तेल या कोई भी रिफाइंड तेल)

बनाने की रेसिपी

सबसे पहले चने की दाल को अच्छी तरह धोकर उसमें से पूरा पानी निकाल कर किसी साफ बर्तन में रख लें। उसके बाद सफेद उड़द की दाल को भी धोकर उसमें से पानी निकाल कर एक छोटे से बर्तन में रख लें।

अब एक पैन में तेल डालें और तेल को गर्म होने पर उसमें चने की दाल को डालें और उसे अच्छी तरह रोस्ट करें। फिर उड़द दाल डालकर उसे भी रोस्ट करें। जब चना दाल और उड़द दाल 75% तक भुन जाए तो उसमें साबुत लाल मिर्च को डालें। फिर इस पैन में जीरा डालें। जीरे को भूलने के बाद उसमें अदरक के टुकड़े डालें और करी पत्ता डालें और फिर हींग डालकर रोस्ट कर लें। जब सब चीजें अच्छी तरह भुन जाएं तो गैस को बंद करके भुनी हुई दालों को ठंडा होने दें।

ठंडा होने के बाद एक मिक्सर के डालें। इसके साथ इसमें कद्दूकस किया हुआ नारियल भी डाले। थोड़ा सा नमक डालें। इसमें एक चम्मच इमली का गूदा भी डालें और इसमें थोड़ा सा पानी डालकर सारे मिश्रण को अच्छी तरह से ग्राइंड कर लें।

अब दोबारा से पैन को गर्म करें उसमें एक चम्मच तेल डालें और जीरा, राई के दाने और हींग आदि डालकर तड़का लगाएं। फिर उसमें करी पत्ता डालें।

उसके बाद दालों का जो पेस्ट मिक्सर में पीसा था, उसको उस पैन में डाल दें और सारे मिश्रण को मिक्स करके लगभग आधा मिनट तक चलाएं और गैस बंद कर दे।

स्वादिष्ट चने की दाल और उड़द दाल के इमली फ्लेवर वाली चटनी तैयार है। इस चटनी को बनाकर दो-तीन दिन तक फ्रिज में रखकर भी यूज किया जा सकता है।


ये भी पढ़ें…

Limit of Saving bank Account – बैंक के बचत खाते में कितना पैसा जमा कर सकते हैं, क्या है अधिकतम लिमिट?

देश में आबादी का एक बड़ा हिस्सा बैंक खाता रखता है। इन लोगों का अधिकांश वित्तीय लेनदेन ऐसे बैंक खातों के माध्यम से निर्देशित होता है। इनमें से अधिकांश खाताधारक खाते को बनाए रखने के लिए न्यूनतम शेष राशि (Limit of Saving bank Account) की आवश्यकता से परिचित हैं।

हालाँकि, इसके अलावा, बैंक खातों से संबंधित भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा स्थापित कई दिशानिर्देश मौजूद हैं, जिनसे सभी को जानकारी होनी चाहिए। इनमें खातों में नकद जमा की सीमा, एटीएम-डेबिट कार्ड पर लगाए गए शुल्क, चेक से संबंधित शुल्क आदि जैसे पहलू शामिल हैं।

किसी खाते में रखी जा सकने वाली अधिकतम स्वीकार्य धनराशि को स्पष्ट करने से पहले, यह ध्यान देने योग्य है कि सभी खातों के लिए न्यूनतम शेष सीमा लागू है। न्यूनतम शेष राशि की वारंटी का उल्लंघन करने पर बैंक द्वारा जुर्माना लगाया जाता है। अलग-अलग बैंकों के बचत खातों में अपनी न्यूनतम शेष राशि अलग-अलग है।

बैंकों के बचत खातों में न्यूनतम राशि की सीमा कितनी है? (Limit of Saving bank Account)

सरकारी में ये न्यूनतम सीमा शहरों के लिए ₹1000 और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ₹500 है।मल्टीनेशनल और निजी बैंकों में न्यूनतम राशि की सीमा अलग-अलग होती है। किसी बैंक में ₹5000 तो कहीं पर ₹₹10000 से 25000 तक भी है।

बैंक के बचत खाते में पैसा जमा करने की अधिकतम सीमा कितनी होती है?

बचत खातों में नकद जमा भी परिभाषित सीमा के अधीन होती हैं। आयकर अध्यादेश के अनुसार, एक वित्तीय वर्ष के दौरान बचत खातों में 10 लाख रुपये तक की नकद जमा राशि स्वीकार्य है। यदि कोई 10 लाख रुपये से अधिक की राशि को जमा करता है तो बैंक आयकर विभाग को सूचित करता है। ऐसी स्थिति में जमा करने वाले व्यक्ति और खाताधारक को पैसे का स्रोत बताना होगा। पैसे का सही स्रोत न बता पाने पर आयकर विभाग उस राशि पर जुर्माना भी लगा सकता है।

इसके अलावा, 50,000 रुपये से अधिक की नकद जमा के लिए जमाकर्ता द्वारा पैन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है। नकद जमा की दैनिक सीमा 1 लाख रुपये है। जो रोज बैंक में रकम जमा नही करते हैं उनके नकदी जमा करने की यह सीमा 2.5 लाख रुपये तक बढ़ाई जा सकती है।

यदि खाताधारक अपने बैंक खाते में 10 लाख रुपये की तय सीमा से अधिक की राशि को जमा करता है या उसके बैंक खाते में एक साथ 10 लाख रुपए की धनराशि किसी जमा की जाती है तो खाताधारक को उन जमा पैसों का स्रोत बताना होगा। ऐसी नकद जमा पैसों के स्रोत को न बता पाने के स्थिति में और नकदी स्रोतों का खुलासा न करने पर जमा राशि पर 60 प्रतिशत तक कर लगाया जा सकता है, साथ ही 25 प्रतिशत अधिभार और 4 प्रतिशत उपकर भी लगाया जा सकता है।

सामान्यतः बचत खाते नागरिकों द्वारा अपनी आय को सुरक्षित रखने के लिए खोले जाते हैं। प्रत्यक्षतः, ऐसे बचत खातों में रखे गए धन पर कोई कठोर सीमा लागू नहीं की जाती है।

हालाँकि, कर अधिकारियों द्वारा पूछताछ किए जाने पर स्रोत को स्पष्ट करने में असमर्थ होने पर असामान्य रूप से उच्च रकम जमा करने से जांच शुरू हो सकती है। बशर्ते धन प्रवाह के स्रोत वैध हों, खाताधारकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।

यदि बचत खाताधारक नियमित रूप से अपने बैंक खाते में थोड़ी-थोड़ी पैसे जमा करता रहता है तो उस पर कोई कार्रवाई की संभावना नहीं होती। लेकिन बचत बैंक खाते में अचानक होने वाले संदेहास्पद लेनदेन की स्थिति में बैंक आयकर विभाग को सूचित कर सकता है।

ऐसी स्थिति में खाता धारक को अपने बैंक में जमा राशि का पर्याप्त और मान्य स्रोत बताना होगा। यदि पैसे का स्रोत कानूनी रूप से सही है तो बैंक में जमा धनराशि पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा, लेकिन यदि खाताधारक पैसे आने के सही स्रोत को नहीं बता पाया तो ऐसी स्थिति में उसकी उस रकम पर भारी भरकम जुर्माना लग सकता है जो उसने अपने खाता में जमा कराई है या उसको कहीं से प्राप्त हुई है।

दीर्घ अवधि के तक पैसे जमा कराने के लिए क्या बेहतर

बचत बैंक खाते में  लोग बचत करने के उद्देश्य से पैसे जमा करते हैं। बदले में ब्याज के रूप में बहुत मामूली रिटर्न मिलता है यदि बैंक बचत बैंक खाते में आपने जो रकम जमा कराई है वह आप लंबे समय तक बचत खाते में रखना चाहते हैं तो उसे उस राशि को सावधि जमा खाता यानी आरडी या एफडी के रूप में जमा कराएं।

इससे आपको अच्छा-खासा ब्याज का रिटर्न मिल जाएगा लेकिन यह रकम आपकी निश्चित समय के लिए जाम हो जाएगी और आप उसमें से जरूरत पड़ने पर पैसा निकाल नहीं सकते यदि आप पैसे निकलेंगे तो आपको अपनी एफडी या आरडी तोड़नी पड़ेगी।

इसके अतिरिक्त, उच्च मूल्य बचत खाते की शेष राशि के लिए, अधिशेष धन को सावधि जमा में परिवर्तित करने की सलाह दी जाती है। जबकि बचत खातों पर केवल नाममात्र ब्याज भुगतान मिलता है, 7 दिनों से लेकर कई वर्षों तक की अवधि के लिए सावधि जमा उपकरण बचत पर बेहतर रिटर्न प्रदान करते हैं।


ये भी पढ़ें…

जया किशोरी : भक्ति, ज्ञान और प्रेरणा का अनूठा संगम (जीवन का छोटा सा स्कैन)

प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी के नाम से सभी परिचित है। वह अग्रणी पंक्ति की कथावाचक और भजन गायिका हैं। उनके जीवन का छोटा सा स्कैन (Jaya Kishori Life Scan) करते हैं…

जया किशोरी का जीवन परिचय (Jaya Kishori Life Scan)

आध्यात्मिक जगत से परिचित लोग तथा कथावाचक की जीवन को देखा जाए तो जया किशोरी के नाम से हर कोई परिचित है। जया किशोरी आज अध्यात्म जगत में कथा वाचक के रूप में स्थापित नया नाम बन चुकी हैं। बेहद छोटी सी आयु से ही कथावाचन और भजन गाना आरंभ करने वाली जय किशोरी आज भी अपनी युवावस्था में बेहद लोकप्रिय हो गई हैं।

वह महिला कथावाचकों में अग्रणी पंक्ति की कथा वाचक हैं।  महिला कथा वाचक पर एक दृष्टि डाली जाए तो जया किशोरी उसमें सबसे आगे हैं। वर्तमान समय में उनके सामान लोकप्रिय महिला कथावाचक और कोई नहीं है। अद्भुत प्रतिभा और की ढाणी प्रेरणादायक व्यक्तित्व वाली जया किशोरी के जीवन यात्रा भी किसी प्रेरणादायक अनुभव से कम नहीं है।

जन्म एवं जीवन परिचय

जया किशोरी का जन्म 13 जुलाई 1995 को राजस्थान के सुजानगढ़ नामक कस्बे में हुआ था। जन्म से उनका वास्तविक नाम जया शर्मा था। ‘किशोरी’ उपनाम उन्होंने कथा वाचन और भजन गायन के क्षेत्र में आने के बाद अपनाया।

उनके पिता का नाम शिव शंकर शर्मा उर्फ राधेश्याम जी हरितपाल  तथा माता जी का नाम सोनिया शर्मा उर्फ गीता देवी हरितपाल है। उनके परिवार में उनके माता-पिता के अलावा उनकी एक छोटी बहन भी है, जिसका नाम चेतना शर्मा है। चार लोगों का इस छोटे से परिवार में जया किशोरी की प्रेरणा उनके पिता रहे, जिन्होंने उन्हें बचपन से ही आध्यात्मिक जगत से जोड़े रखा।

उनके पिता राजस्थान के सुजानगढ़ के एक गौड़ ब्राह्मण परिवार से संबंधित थे जो स्वयं एक कथा वाचन का कार्य करते थे और आध्यात्मिक सेवा सत्संग से जुड़े हुए थे। उन्होंने अपनी बेटी जया को भी बचपन से ही जय किशोरी का मन भगवान की भक्ति में रम गया था। उनके घर पर नियमित रूप से हनुमान जी रामायण का पठन, श्रीमद्भगवद्गीता का पठन होता था।

रामचरितमानस का सुंदर कांड का पठन भी नियमित रूप से होता था। अपने घर के आध्यात्मिक वातावरण में पहली बड़ी होने के कारण जया किशोरी पूरी तरह आध्यात्मिक जगत से जुड़ गईं।

शिक्षा

राजस्थान में जन्म लेने के बाद जया किशोरी का परिवार कोलकाता स्थानांतरित हो गया। जहाँ पर जय की आरंभिक पढ़ाई और संपूर्ण पढ़ाई हुई। उन्होंने कोलकाता के महादेवी बिरला वर्ल्ड अकैडमी से बीकॉम की शिक्षा हासिल की है।

करियर

जया किशोरी ने केवल 9 वर्ष की आयु से ही कथा वाचन और भजन गायन का कार्य आरंभ किया कर दिया था। उन्हें बेहद 9 वर्ष की छोटी आयु में ही शिव तांडव स्त्रोत, लिंगाष्टकम, रामाष्टकम, मधुराष्टकम, शिव पंचांग चक्र आदि स्रोत कंठस्थित थे। वह इन स्तोत्र का पठन करके भक्तजनों को मंत्रमुग्ध करती थीं। धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी और उन्हें जगह-जगह कथा वाचन और भजन गायन के लिए बुलाए जाने लगा।

मात्र 10 वर्ष की आयु में ही उन्होंने संपूर्ण सुंदरकांड का पठन, गायन करके भक्तों के मन में अपनी विशेष जगह बना ली थी।

भक्तजन उनके इतनी सी छोटी सी आयु के लड़की के श्रीमुख से भजन कीर्तन सुनकर मंत्र मुग्ध हो जाते थे। धीरे-धीरे जय किशोरी बढ़ी होती गईं और उनकी जीवन यात्रा आगे बढ़ती रही और वह भक्ति संगीत, भजन गायक तथा कथा वाचन में पूर्णयता समर्पित होती गईं।

धीरे-धीरे उन्होंने कृष्णा भजन गाने शुरू कर दिए और कृष्णा भजन को पूरी तरह से अपना लिया। वह अपने अद्भुत कृष्णा भजनों के लिए जानी जाती हैं।

जया शर्मा को जया किशोरी का नाम मिला

जय शर्मा को जया किशोरी का नाम उनके गुरु पंडित गोविंद राम मिश्र ने दिया था। ‘किशोरी’ नाम श्री कृष्ण का ही एक नाम है और भगवान श्री कृष्ण के प्रति उनके प्रेम को देखते हुए उनके गुरु उन्हें किशोरी जी कहकर पुकारने लगे और उनका नाम जय शर्मा से जया किशोरी हो गया।

सामाजिक कार्य से जुड़ना

जया किशोरी ने अपने आध्यात्मिक सेवाओं के माध्यम से समाज को सेवा की है। वह उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान से जुड़ी हैं। उन्हें अपने कथावाचन और भजनों से जो भी आय होती है उसका एक बड़ा भाग वह नारायण सेवा संस्थान को दान दे देती हैं।

सम्मान

जया किशोरी को अपने योगदान के लिए कई सम्मानों से सम्मानित किया गया है। उन्हें फेम इंडिया एशिया पोस्ट सर्वे 2019 यूथ आइकॉन सर्वे रिपोर्ट में प्रमुख आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में उच्च स्थान प्राप्त हुआ है।

जया किशोरी एक आध्यात्मिक योद्धा हैं जो अपने जीवन को सेवा, प्रेरणा, और प्रेम के माध्यम से उज्ज्वल बनाने का कार्य कर रही हैं। उनकी कथाएं और भजन लोगों को आध्यात्मिक उत्साह और प्रेरणा प्रदान करते हैं। उनका योगदान समाज के लिए अत्यधिक मूल्यवान है।

व्यक्तिगत जीवन

जया किशोरी के व्यक्तिगत जीवन पर नजर डाली जाए तो उनके परिवार में उनके माता-पिता और उनकी एक छोटी बहन है। उनके वैवाहिक स्थिति की दृष्टि से वह अविवाहित हैं। सोशल मीडिया और इंटरनेट पर अक्सर उनके विवाह की झूठी अफवाहें उड़ती रहती हैं। जया किशोरी अक्सर अपने इंटरव्यू में इसका खंडन करती रहती हैं। अपनी विवाह के बारे में जया किशोरी रहती हैं कि वह कोई सन्यासिन नहीं हैं, ना ही उन्होंने सांसारिक जीवन से सन्यास लिया है। इसलिए वह भविष्य में विवाह करेंगी लेकिन वह इस बारे में स्पष्ट नहीं कह सकती कि वह कब विवाह करेंगी।

उनका कहना है कि वह अपने माता-पिता से अत्यधिक प्रेम करती हैं और वह चाहती हैं कि जहाँ पर भी वह विवाह करें उनके माता-पिता उनके साथ रहें। वह फिलहाल कोलकाता में रहती हैं तो उनका कहना है कि वह कोलकाता में ही विवाह करना पसंद करेंगी, क्योंकि इससे वह अपने माता-पिता के लगातार संपर्क में रह सकती हैं। यदि कोलकाता शहर से बाहर उनका किसी अन्य शहर में विवाह हुआ तो वह चाहेंगी कि उनके माता-पिता भी उनके साथ इस शहर में शिफ्ट हो जाएं।

जया किशोरी अपने माता-पिता को अपने जीवन का आदर्श मानती हैं। उनके माता-पिता ने ही उनके करियर को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

आईफोन की क्रेजी है जया

जया किशोरी जया किशोरी अपने शौक के बारे में बताती है कि उन्हें तरह-तरह के कपड़े पहनना या ज्वेलरी पहनने का कोई शौक नहीं है, उन्हें केवल इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स विशेष कर फोन आदि का बहुत अधिक शौक है। वह केवल आईफोन को ही यूज करना पसंद करती हैं। वह हर साल नया आईफोन बदल लेती हैं। उन्हें आईफोन का बेहद अधिक क्रेज है। वह आईफोन के अलावा कोई फोन यूज नहीं करती हैं।

उन्हें अन्य लड़कियों की तरह बनाव श्रृंगार करके घूमने नाचना गिरना पसंद नहीं है। वह बिल्कुल सादा जीना पसंद करती हैं। किसी भी तरह के व्यसन से वह बिल्कुल दूर रहती हैं और सात्विक भोजन ही ग्रहण करती हैं।

वह बताती हैं कि वह जिस क्षेत्र में हैं, वह आध्यात्मिक क्षेत्र है। इस क्षेत्र में सादा जीवन शैली और सादा खान-पान को अधिक महत्व दिया जाता है ताकि मन की एकाग्रता नियंत्रित रहे। जया किशोरी महिलाओं के अधिकारों के प्रति भी जागरूक रहती हैं। वह कहती है कि उनके माता-पिता ने लड़की होने के बावजूद भी उनको इतना आगे बढ़ाया। जब उन्होंने और उनकी बहन ने जन्म लिया तो उनके रिश्तेदार उनके माता-पिता पर लड़का ना होने का ताना देते थे। आज भी उनके कई रिश्तेदार उनके माता-पिता पर दबाव बनाते हैं कि लड़कियों की शादी कर दो।

वह पुरुष प्रधान समाज के प्रति विरोध करती हैं और कहती हैं कि पुरुष और नारी दोनों को समान स्तर से देखा जाना चाहिए।

परेशान करने वाली घटना होना

हाल फिलहाल में जया किशोरी के जीवन में एक अनचाही घटना भी घटित हो गई जब उन्होंने नोटिस किया कि एक व्यक्ति लगातार उनका पीछा कर रहा है। वह उनके हर कार्यक्रम में दिखाई देता था। यहाँ तक कि एयरपोर्ट में भी वह उनके पीछे रहता। जिस फ्लाइट से वो जातीं उसी से वो जाता। जिस होटल में वह ठहरती थीं, उसी होटल में मे ही वह भी कमरा बुक करता था। वह भी कोई बड़ा अमीर व्यक्ति था, लेकिन वह जया किशोरी के पीछे पड़ा था। जब जया किशोरी को इस बात को नोटिस करना शुरू किया तब उन्होंने इसके विरुद्ध आवाज उठाना जरूरी समझा। उन्होंने उस व्यक्ति के खिलाफ कंप्लेंट कराई और फिलहाल वह व्यक्ति पुलिस की गिरफ्त में है।

जया किशोरी खाटू श्याम जी को भी बहुत मानती हैं और जब तब खाटू राजस्थान के खाटू श्याम जी जाती रहती हैं और वहां पर भजन कीर्तन करती हैं। जया किशोरी के द्वारा में अनेक प्रसिद्ध भजनों को गाया है। उनका अपना एक यूट्यूब चैनल भी है जिस पर तीन मिलियन से अधिक सब्स्क्राइबर हैं।

जया किशोरी का यूट्यूब चैनल

https://www.youtube.com/@Iamjayakishori


ये भी पढ़ें…

What is Mutual Fund – म्युचुअल फंड क्या है? इसके क्या फायदे और नुकसान हैं? इसमें कैसे निवेश करें?

हम अक्सर टीवी या इंटरनेट, यूट्यूब या किसी भी प्लेटफार्म आदि पर म्युचुअल फंड (What is Mutual Fund) से संबंधित बहुत से एड देखते हैं। ‘म्युचुअल फंड सही है’ ये टैगलाइन ऐड बहुत ज्यादा लोकप्रिय है। तब हमारे मन में जिज्ञासा होती है कि म्युचुअल फंड आखिर है क्या? यह कैसे काम करता है? म्युचुअल से हमें क्या-क्या फायदे हो सकते हैं? हम म्युचुअल फंड में कैसे निवेश कर सकते हैं? म्युचुअल फंड कितने तरह के होते हैं, इसके बारे में समझते हैं।

म्यूचुअल फंड क्या है? (What is Mutual Fund)

म्यूच्यूअल फंड एक तरह का सामूहिक निवेश होता है, एक निवेश करने का एक तरीका है, जिसमें कई व्यक्तियों से धन एकत्र करके है और इसे स्टॉक, बॉन्ड और अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करता है।  यानि म्युचुअल फंड में अलग-अलग निवेशकों से निवेश एकत्रित करके एक सामूहिक निवेश के रूप में शेयर बाजार, बॉन्ड आदि में निवेश करता है और इस निवेश से जो भी लाभ प्राप्त होता है, उसे भी निवेशकों में उनके निवेश के अनुसार वितरित कर दिया जाता है।

सही अर्थों में हम समझे तो म्यूचुअल फंड में कई निवेशकों का पैसा एक जगह जमा कर लिया जाता है फिर इस फंड को एक साथ बाजार में निवेश कर दिया जाता है। इस निवेश को एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) द्वारा मैनेज किया जाता है्। इस ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में कई तरह की म्युचुअल फंड स्कीम होती है।

म्युचुअल फंड को सरल अर्थों में समझें तो उदाहरण के द्वारा समझते हैं कि माना ₹1000 की कोई वस्तु है और किसी व्यक्ति की उस ₹1000 की वस्तुओं को खरीदने की हैसियत नहीं है, तो ऐसे में यदि चार व्यक्ति ₹250-₹250 लगाकर ₹1000 वह वस्तु को खरीद लें तो उस वस्तु में चार व्यक्तियों का निवेश हो गया। अब यही वस्तु बेचने पर यदि जो भी लाभ प्राप्त होगा, वह चारों व्यक्तियों द्वारा लगाई गई रकम के अनुसार वितरित हो जाएगा।

चूँकि चारों ने ₹250 लगाए इसलिए उन्हें समान लाभ प्राप्त होगा। यदि किसी व्यक्ति ने ₹400 किसी ने तीन ने ₹200-200  लगाये होते तो उन्हे उनके निवेश के अनुसार लाभ मिलता। ये सारा काम म्युचुअल फंड मैनेजमेंट कंपनी द्वारा देखरेख में किया जाता जिसमे बाजार के एक्सपर्ट शामिल होते हैं।

कंपनी बाजार की स्थिति पर नजर रखती है, सही समय पर सही बाजार में निवेश करती है। म्यूचल फंड का सारा निवेश कार्य एक्सपर्ट्स कंपनी की देखरेख में किया जाता है, जो सेबी (SEBI) में रजिस्टर्ड होती है। यह AMC यानि एक्सपर्ट मैनेज कंपनी म्युचुअल फंड की स्कीम बनाती है, लोगों से पैसा इकट्ठा करती है और बाजार में निवेश करती है।

म्युचुअल फंड कंपनीज बहुत सी म्युचुअल फंड स्कीम चलाती है। स्कीम में निवेश का अलग-अलग लक्ष्य होता है। किसी की स्कीम के अंतर्गत केवल बड़ी कंपनियों के शेयरों में ही पैसा लगाया जाता है तो किसी स्कीम के अंतर्गत छोटी कंपनियों में पैसा लगाया जाता है । कोई स्कीम केवल सरकारी कंपनी में ही निवेश करती है, किसी कंपनी में कार्पोरेट कंपनियों को ही देखा जाता है।

म्युचुअल फंड का इतिहास क्या है?

सबसे पहले म्यूचल फंड का प्रचलन 1774 में देखा गया था जब डच व्यापारी  एड्रियन वैन केटविच इस तरह की वित्तीय व्यवस्था का प्रस्ताव रखा था कि निवेश के लिए किसी अमीर आदमी के नियंत्रण की जगह जनता को भी निवेश का विकल्प उपलब्ध कराना चाहिए। इस प्रस्ताव में कई निवेशकों से पैसा एकत्रित कर बाजार में लगाना चाहिए। पहला आधुनिक म्युचुअल निवेश 1924 ईस्वी में प्रचलन में आया था। म्युचुअल फंड निष्क्रिय निवेश के रूप में लाभांश प्राप्त करने के सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक है।

म्यूचुअल फंड में कौन निवेश कर सकता है?

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कोई भी नागरिक इसमें निवेश कर सकता है। उसके लिए उसके आवश्यक दस्तावेज होने आवश्यक है। जिसमें बैंक में बैंक अकाउंट, आधार और पैन कार्ड होने आवश्यक हैं। म्युचुअल निवेश के लिए ₹500 से निवेश किया जा सकता है। भारतीय निवासी या एन.आर.आई दोनों म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा वह अपने जीवनसाथी तथा संतान के नाम पर भी निवेश कर सकते हैं।

म्युचुअल फंड में निवेश कैसे किया जाए?

फंड में निवेश करने के लिए केवाईसी करानी होती है। यह पहचान प्रक्रिया से संबंधित प्रक्रिया होती है। इसमें पहचान और पते के दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं। इन दस्तावेजों में आधार कार्ड और पैन कार्ड प्रमुख है। इसके अलावा एक बैंक अकाउंट आवश्यक है। म्युचुअल फंड मैनेज करने के लिए कई पोर्टल इंटरनेट पर उपलब्ध है, यहां से ऑनलाइन केवाईसी भी कराई जा सकती है।

म्युचुअल फंड के क्या लाभ हैं?

म्यूचुअल फंड मैनेज करने में आसान है। इसे आप कभी खरीद सकते हैं और कभी भी बेच सकते हैं। सामान्य निवेश जैसे एफडी, शेयर, सीटीएफ या बीमा आदि को केवल कामकाजी दिनों में ही खरीदा-बेचा सकता है, यानि रविवार और सरकारी छुट्टी के दिन नही खरीदा-बेचा जा सकता, लेकिन म्युचुअल फंड को किसी भी दिन 365 दिन खरीदा-बेचा जा सकता है।

म्यूच्यूअल फंड के अंतर्गत कम निवेश में कई स्टॉक और बांड लेने की सुविधा मिलती है। आप जिस म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं, उसमें किसी एक जगह पैसा नहीं लगाया जाता बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में लगाया जाता है ताकि इसी क्षेत्र में मंदी की स्थिति में दूसरे क्षेत्र से लाभ को मैनेज किया जा सके की।

म्युचुअल मैनेज करने फीस काफी कम होती है, जिसमें निवेश का 1.5% से 2.5%  तक देना होता है, जोकि एसेट मैनेजमेंट कंपनी यानि AMC को देना होता है। म्युचुअल फंड में पारदर्शिता होती है, जो कि सेबी (SEBI) द्वारा मैनेज किए जाते हैं।

म्युचुअल फंड में कैसे निवेश करें?

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए सबसे पहले हमें जिस प्रकार के फंड में निवेश करना है, वो चुनना होगा। ज्यादा जोखिम उठाने की सामर्थ्य होने पर इक्विटी फंड को चुनना चाहिए, जिसकी समय सीमा 5 वर्षों से अधिक हो। यदि कम जोखिम उठाने की सामर्थ्य हो तो हाइब्रिड फंड में निवेश किया जा सकता है।

यदि बेहद कम जोखिम उठाने की सामर्थ्य है तो डेट फंड में निवेश करना चाहिए। हालाँकि ये बात निश्चित है कि हर तरह के म्युचुअल फंड में थोडा बहुत जोखिम अवश्य होता है। म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए फंड को किस तरह के फंड में निवेश करना है, यह चुनने के बाद फंड मैनेज के अनुभव कंपनी का ट्रैक रिकार्ड आदि देखें, उसके बाद म्युचुअल फंड कंपनी की ये रिकार्ड देखना ज्यादा जोखिम के साथ छोटी कंपनियों से निवेश का ज्यादा लाभ कमाया जा रहा है या नहीं।

इसके अलावा यह भी देखना चाहिए कि किसी क्षेत्र में पैसा लगाया रहा है या अलग-अलग क्षेत्रों में पैसा लगाया रहा है। कितना पैसा इक्विटी में लगाया रहा है और कितना डेट में लगाया रहा है। फंड में निवेश करते समय एक्सपेंस भी देखना चाहिए जोकि AMC को देनी पड़ती है इसलिए ज्यादा एस्कपेंस होने पर लाभ कम हो सकता है।

क्या म्युचुअल फंड में निवेश करना सुरक्षित है?

इसमे निवेश बाजार जोखिम से जुड़ा हुआ है, ये स्पष्ट है, लेकिन इसमें कम जोखिम कम होता है क्योंकि यह सेबी की देखरेख में मैनेज किया जाता है और इसमें कई तरह के नियम लागू होते हैं। म्युचुअल फंड का निवेश कई क्षेत्रों में निवेश किया जाता है, इसी कारण स्टॉक मार्केट के मुकाबले काफी कम जोखिम होता है।

म्यूचुअल फंड में पैसा कैसे कमाया जा सकता है?

म्युचुअल फंड में दो तरीके से पैसा कमाया जा सकता है। समय सीमा और ग्रोथ रेट के द्वारा। समय सीमा के अंतर्गत निवेशक एक निश्चित समय के लिए फंड में निवेश करता है और उस समय के दौरान उसे स्कीम से लाभ प्राप्त होता है। इस तरह का विकल्प उन निवेशकों द्वारा चुना जाता है जो निवेश को भी बनाए रखना चाहते हैं और लाभ भी कमाना चाहते हैं।

दूसरे तरीके में ग्रोथ रेट होता है। ग्रोथ रेट में लाभ की गारंटी नहीं होती। निवेशक कुछ यूनिट अपने पास रख लेता है, यदि यूनिट का रेट बढ़ता करता है तो निवेशक को लाभ होता है रेट घटने पर उसे हानि हो सकती है। रेट बढ़ने पर उचित समय देखकर यूनिट को बेचकर लाभ कमाया जा सकता है, लेकिन इसमे जोखिम अधिक हो सकता है।

म्युचुअल फंड कितने प्रकार के होते हैं?

म्युचुअल फंड को चार मूल श्रेणियों में बांटा जा सकता है।

स्टॉक फंड : यह फंड कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं।

बॉन्ड फंड : यह फंड बॉन्ड और अन्य डेट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं।

मनी-मार्केट फंड : यह फंड पूर्ण गुणवत्ता वाली अल्पकालीन सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं।

टारगेट डेट-फंड : यह फंड निवेशकों के लिए एक विशिष्ट सेवानिवृत्ति की तारीख को ध्यान में रखकर बनाई जाते हैं। स्टॉक फंड को ग्रोथ रेट फंड के रूप में जाना जा सकता है, क्योंकि यह औसत से अधिक शेयर के रिटर्न पर जोर देते हैं, लेकिन इसमें जोखिम की संभावना भी अधिक होती है। यहाँ पर हमें म्युचुअल फंड के बारे में जाना। म्युचुअ फंड में निवेश करने से पहले अच्छी म्युचुअल फंड कंपनी तथा अच्छे म्यूचुअल फंड मैनेजर को चुनना चाहिए तथा कंपनी का पूरा ट्रैक रिकॉर्ड देखने के बाद ही निवेश के बारे में सोचना चाहिए।

Post topic: Mutual Fund

 


ये भी पढ़ें…

जैन साधु और साध्वी का कठोर जीवन – त्याग और तपस्या की कहानी है।

जैन साधु और साध्वी अपनी कठोर और त्यागमयी जीवन शैली (Difficult lifestyle of Jain Sadhu and Sadhvi) के लिए जाने जाते हैं। आइए उनके बारे में जानते हैं…

बेहद कठोर जीवन होता है जैन साधुओं और साध्वियों का जीवन (Difficult lifestyle of Jain Sadhu and Sadhvi)

जैन धर्म, जो अपने अहिंसा और त्याग के सिद्धांतों के लिए जाना जाता है, में साधुओं का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है। दीक्षा लेने के बाद, ये साधु और साध्वियां कठोर जीवन जीते हैं, जो सादगी, अनुशासन और आत्म-संयम पर आधारित होता है। वे अपने जीवन में वो सब कुछ त्याग देते हैं, जिनको सामान्य मनुष्य त्यागने की कल्पना भी नही कर सकता।

जैन साधुओं का वस्त्र

जैन धर्म में दो सम्प्रदाय होते हैं। श्वेतांबर और दिगंबर।  श्वेतांबर साधु और साध्वियां एक पतला सा सूती वस्त्र धारण करते हैं, जबकि दिगंबर साधु बिल्कुल भी वस्त्र नहीं पहनते। दिगम्बर का अर्थ ही है वस्त्र से रहित। अर्थात जिसने वस्त्र नही धारण किया हो।

दिसंबर साधु तो अपने शरीर पर बिल्कुल ही वस्त्र नही धारण करते । दिगंबर साध्वियां एक सफेद वस्त्र (साड़ी) पहनती हैं। चाहे कितनी भी कड़ाके की ठंड पड़ रही हो। वो उस कड़ाके की ठंड में भी वे इसी तरह के वस्त्र पहनते हैं। श्वेतांबर साधु 14 चीजों में एक पतली कंबली रखते हैं, जो केवल सोते समय ओढ़ते हैं।

आवास और भोजन

ये साधु जमीन पर, चटाई पर या सूखी घास पर सोते हैं। इनकी नींद बहुत कम होती है। भोजन के लिए वे भिक्षा मांगते हैं और जो मिलता है उसे ग्रहण करते हैं। वे स्वादिष्ट भोजन, मसालेदार भोजन और रात का भोजन नहीं करते हैं। जैन साधुओं और साध्वियों में चाहे वह श्वेतांबर हों या दिगंबर ये परंपरा रही है कि वह रात्रि का भोजन सदैव के त्याग देते हैं। वे दिन में केवल एक समय भोजन करते हैं। इस व्रत का पालन वह अपने पूरे जीवन पर्यंत करते हैं।

कभी भी स्नान नही करते

दीक्षा लेने के बाद जैन साधु और साध्वियां कभी नहीं नहाते। माना जाता है कि उनके स्नान करने से सूक्ष्म जीवों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। यहाँ तक कि वे मुँह पर हमेशा कपड़ा लगाए रखते हैं ताकि कोई सूक्ष्म जीव मुँह के रास्ते शरीर में नहीं पहुंचे। वे गीले कपड़े से शरीर को पोंछकर शुद्ध करते हैं।

जैन साधु साध्वी कभी भी स्नान क्यों नहीं करते?

जैन धर्म अहिंसा प्रधान धर्म है। वह हर किसी के जीवन को महत्व देता है, चाहें इस जगत का सूक्ष्म से सूक्ष्म प्राणी क्यों न हो। इसलिए इस अहिंसा धर्म का पालन करते हुए वह कभी भी स्नान नहीं करते। स्नान के नाम पर वह केवल आंशिक स्नान करते हैं। आवश्यकता पड़ने पर अपने मस्तक पर थोड़ा सा जल डालकर उसे धो लेते हैं और शरीर को गीले कपड़े से पोछ लेते हैं। यह कार्य भी वह नित्य नहीं करते बल्कि जब आवश्यकता होती है, तभी करते हैं।

जैन धर्म के अनुसार मान्यता है कि शरीर पर अनेक सूक्ष्म जीवों का वास होता है। यदि स्नान करेंगे तो उनका जीवन नष्ट होगा और यह एक पाप कर्म होगा। इसीलिए जैन मुनि और साध्वी स्नान नहीं करते। इसके अतिरिक्त जैन धर्म मानता है कि शरीत तो बाहरी आवरण है। बाहरी स्वच्छता की अपेक्षा मन की स्वच्छता अधिक महत्वपूर्ण है। विचारों की शुद्धता अधिक महत्वपूर्ण है। इसीलिए वह चिंतन मनन द्वारा अपने विचारों और मन को शुद्ध करने का प्रयत्न करते हैं। बाहरी स्वच्छता केवल सौंदर्य का प्रतीक है, जबकि आंतरिक स्वच्छता वीतराग होने का प्रतीक है, इसीलिए जैन मुनि साधु कभी भी स्नान नहीं करते।

कठोर और त्यागमयी जीवन

जैन भिक्षु सभी तरह के भौतिक सुखों का त्याग कर देते हैं। वे परिवार, धन, संपत्ति, और भौतिक सुविधाओं का त्याग करते हैं। वे एक साधारण जीवन जीते हैं और अपनी आत्मा की उन्नति पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

जैन मुनि साधु के केशलोंच नामक कठिन प्रथा का पालन करते हैं। आप कल्पना कीजिए यदि आप अपने शरीर के बाल, सिर के बाल, दाढ़ी-मूंछ के बाल अपने हाथों से उखाड़े तो आपको असहनीय दर्द होगा, लेकिन जैन साधु ऐसा कार्य करते हैं। वे अपने हाथों से अपने सिर और दाढ़ी-मूँछ के बाल को उखाड़ते हैं।

केशलोंच करने के पीछे क्या कारण है?

केशलोंच करने के पीछे का मुख्य कारण जैन दिगंबर जैन साधु मानते हैं कि दाढ़ी-मूँछ से आदि में अनेक सूक्ष्म जीव जंतुओं का वास होता है। यदि उन्हें काटेंगे तो इन सूक्ष्म जीव-जंतुओं का जीवन भी खतरे में पड़ेगा। वह अपने दाढ़ी मूंछ के और सर के बाल को जब अपने हाथों से उखाड़ते हैं तो भले ही उन्हें असहनीय दर्द होता है, लेकिन इससे उनमें दर्द सहने की क्षमता विकसित होती है और जैन धर्म कष्ट को अधिक से अधिक सहने की क्षमता विकसित करने को प्राथमिकता देता है ताकि संसार से अधिक से अधिक विरक्ति हो।

केशलोंच करके वह अहिंसा धर्म का पालन करते हैं और शरीर पर दोबारा बाल ना उगने का भी रास्ता साफ करते हैं।उनका मानना है कि नित्य सिर के बाल काटना या दाढ़ी-मूँछ के बाल काटना एक भौतिक कर्म है। वह इस भौतिक कर्म में नहीं पड़ना चाहते। केशलोंच करने से बाल जड़ से बाहर निकल जाते हैं और फिर सर पर या दाढ़ी-मूंछ के बाल नहीं उगते इससे उन्हें भविष्य में केश को काटने के प्रक्रिया से भी मुक्ति मिलती है।

अंत में..

इस तरह जैन साधुओं का जीवन त्याग, तपस्या और आत्म-संयम का प्रतीक है। वे सादगी और अनुशासन से जीवन जीने का मार्ग दिखाते हैं। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपनी इच्छाओं और भौतिक सुखों को त्यागकर आत्म-ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रयास करें।


ये भी पढ़ें…

The Great Indian Kapil Show – 30 मार्च से आ रहा कपिल शर्मा का नया शो, नेटफ्लिक्स पर हर शनिवार रात 8 बजे।

कपिल शर्मा कॉमेडी जगत के जाने-माने सुपरस्टार हैं। वह एक सुपरस्टार कॉमेडियन है। पिछले दो दशक से वह कॉमेडी के माध्यम से लोगों का मनोरंजन करते रहे हैं। 2013 से अलग-अलग टीवी चैनलों पर उनका अपना पर्सनल कॉमेडी शो आता रहा है, जिसने उन्हें ऊंचाइयों की बुलंदियों पर पहुंचा दिया था।

कलर्स पर 2013 से ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ के माध्यम से और फिर सोनी टीवी पर 2016 से ‘द कपिल शर्मा शो’ के माध्यम से कपिल शर्मा ने लगातार लोगों को कॉमेडी की भरपूर डोज देते रहे हैं। ऐसे में उनके कई साथी कलाकारों ने भी भरपूर योगदान दिया है। बीच में यह शो एक-दो बार बंद भी हुआ है।

सोनी टीवी पर कपिल शर्मा का टीवी शो बीच-बीच में समय-समय पर ब्रेक लेता रहा है और नए फ्रेश अंदाज में वापसी करता है। सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाला था कपिल शर्मा शो का पिछला सीजन काफी समय से ऑफ एयर हो चुका था, और लोगों को बेसब्री से नए सीजन का इंतजार था।

कपिल शर्मा अब नया शो लेकर तो आ रहे हैं, लेकिन वह इस बार सोनी टीवी पर नहीं बल्कि ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर नया कॉमेडी शो लेकर आ रहे हैं। उनके साथ उनके वही चिर परिचित साथी कलाकार इस नए टीवी शो में दिखेंगे। इन साथी कलाकारों में कृष्णा अभिषेक, किकू शारदा, राजीव ठाकुर, अर्चना पूरन सिंह और सुनील ग्रोवर के नाम प्रमुख हैं।

सुनील ग्रोवर का पिछले कुछ वर्षों पहले कपिल शर्मा से विवाद हो गया था। जिसके बाद उन्होंने कपिल शर्मा शो छोड़ दिया था। अब दोबारा से दोनों कलाकार फिर साथ दिखाई दे रहे हैं इसलिए लोग दोनों को एक साथ देने के लिए देखने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

कपिल शर्मा का नया शो का नाम, समय, तारीख और प्लेटफार्म

नेटफ्लिक्स पर आने वाले कपिल शर्मा के इस नए शो का नाम ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’ है। ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’ नाम का यह नया शो नेटफ्लिक्स पर 30 मार्च से हर शनिवार रात 8:00 बजे प्रसारित किया जाया करेगा। इस कॉमेडी शो में कपिल शर्मा के अलावा कृष्णा अभिषेक, किकू शारदा, सुनील ग्रोवर, राजीव ठाकुर और शो की जज के तौर पर अर्चना पूरन सिंह दिखाई देंगी।

नेटफ्लिक्स इंडिया ने अपने यूट्यूब चैनल पर इसका प्रोमो भी जारी कर दिया है।

अब 30 मार्च को नेटफ्लिक्स पर कपिल शर्मा के नए शो के माध्यम से कॉमेडी की ताजा खुराक लेने के लिए तैयार रहें।

  • शो का नाम : द ग्रेट इंडियन कपिल शो
  • प्लेटफार्म : नेटफ्लिक्स इंडिया
  • तारीख : 30 मार्च से आरंभ
  • समय : हर शनिवार रात 8 बजे
  • कलाकार : कपिल शर्मा, कृष्णा अभिषेक, सुनील ग्रोवर, कीकू शारदा, राजीव ठाकुर और अर्चना पूरन सिंह

 

कपिल शर्मा के नए कॉमेडी शो का प्रोमो देखें

ये भी पढ़ें…

महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनातें है? क्या है मान्यता और पूजन विधि? जानें सब कुछ।

8 मार्च को महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का पर्व है। यह पर्व भगवान शिव के लिए समर्पित सबसे बड़ा महोत्सव है। श्रावण मास में शिवरात्रि और फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि दोनों का अपना ही महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे क्या मान्यता है? महाशिवरात्रि का पर्व कैसे मनाएं? विस्तार से जानते हैं…

सभी जानते हैं कि भगवान शिव देवों के देव हैं। वह देवों के देव महादेव हैं। समस्त सृष्टि की उत्पत्ति उन्हीं से हुई है। उन्हें आदिदेव कहा जाता है। आदिदेव जिनका तेज करोड़ सूर्याओं के समान है। वह फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन ही शिवलिंग के रूप में ब्रह्मांड में प्रकट हुए थे और इसी दिन से सृष्टि का आरंभ हुआ था और भगवान शिव निराकार से साकार रूप में अवतरित हुए। इसी कारण यह विशेष दिन महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।

फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि।
शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:॥

महाशिवरात्रि मनाने के पीछे क्या-क्या मान्यताएं हैं?

महाशिवरात्रि मनाने के पीछे अनेक तरह की कहानी और मान्यताएं छुपी हैं। एक कथा के अनुसार जब परमपिता ब्रह्मा के मानस पुत्र दक्ष प्रजापति राजा बने तो उन्होंने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था। उस यज्ञ में उन्होंने तीनों लोकों से अनेक गणमान्य अतिथियों को बुलावा भेजा। उन्होंने सबको यज्ञ में बुलाया, लेकिन भोलेनाथ शिव को नहीं बुलाया। उस समय सती शिव की अर्धांगिनी थी। सती स्वयं दक्ष प्रजापति की पुत्री भी थीं।

माता पार्वती ने भगवान शिव से अपने पिता के यज्ञ में साथ चलने के लिए कहा। लेकिन शिव बोले कि जब उन्हें यज्ञ में सम्मिलित होने का आमंत्रण ही नहीं मिला है तो वह बिना आमंत्रण के यज्ञ में नहीं जाएंगे। अंततः माता पार्वती सती स्वयं अकेले ही अपने पिता के यज्ञ में सम्मिलित होने के लिए चल दीं। जब वह यह स्थल पर पहुंची था वहाँ उन्हें अपने पति शिव की निंदा सुनाई दी।

अपनी पुत्री सती के सामने भी दक्ष प्रजापति शिव की दर लगातार निंदा करते रहे। अपने पिता के मुख से अपने पति की घोर निंदा सुनकर सती को सहन नहीं हुआ और अपमान से त्रस्त होकर उन्होंने यज्ञ स्थल पर बने अग्निकुंड में ही आत्मदाह कर लिया। जब भगवान शिव को इस बात का पता चला तो वह सती को बचाने के लिए तुरंत यज्ञ स्थल पर पहुंचे, लेकिन तब तक सब कुछ समाप्त हो चुका था। माता सती यज्ञ की अग्नि में स्वयं का दाह कर चुकी थीं। ये देखकर भगवान बेहद क्रोधित हो गए। भगवान शिव ने क्रोधित होकर सती का नृत्य शरीर उठा लिया और तांडव नृत्य करने लगे।

जिस दिन भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था। वह दिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। महापुराण की कथा के अनुसार इसी दिन के कारण महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाने लगा।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार सती ने अगला जन्म माता पार्वती के रूप में लिया। भगवान शिव और माता पार्वती शिव-शक्ति का प्रतीक है। माता पार्वती और शिव का विवाह हुआ था सती के चले जाने के बाद जब उनके शोक में भगवान शिव गहन समाधि में ध्यान मग्न हो गए और उन्होंने सारे जग से नाता तोड़ लिया। सभी देवगणों ने अनेक जतन किए लेकिन वह भगवान शिव को सृष्टि से नहीं जोड़ पाए। इससे सृष्टि का संचालन बाधित होने लगा।

देवों समझ में नहीं आ रहा था कि भगवान शिव को सृष्टि के साथ कैसे जोड़ा जाए? उनका ध्यान कैसे तोड़ा जाए? उधर सती ने पर्वतरात हिमालय की पुत्री के रूप में पार्वती के रूप में पुनर्जन्म ले लिया था। पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या करती हैं और तपस्या के कारण भगवान से प्रकट होते हैं और फिर शिव पार्वती का विवाह होता है। शिव पार्वती का विवाह भी फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन हुआ था, इसीलिए तभी से महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था तो उसमें अनेक बहुमूल्य रतन के अलावा हलाहल नाम का विष भी निकला। वह विष बेहद की तीव्र था। इस भयंकर विष के दुष्प्रभाव से पूरी सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को हलाहल विष को स्वयं ग्रहण कर लिया। उस तीव्र विष के प्रभाव से भगवान शिव का गला नीला पड़ गया। इसके बाद ही वह नीलकंठ महादेव के नाम से भी प्रसिद्ध हुए। इस भयंकर विष का प्रभाव भगवान शिव से पूरे शरीर पर ना पड़े इसके लिए आवश्यकता थीं, वह पूरी रात जागते रहें और निद्रा में ना जाएं, क्योंकि निद्रा में जाने का अर्थ था कि विष उनके शरीर को पूरी तरह अपने प्रभाव में ले सकता था। इसीलिए भगवान शिव को पूरी रात जगाए रखने के लिए अनेक तरह के प्रयोजन किए गए। देवताओं ने उनके समक्ष तरह-तरह के नृत्य-संगीत आदि प्रस्तुत किया।

इस तरह पूरी रात निकल गई, तब तक भगवान शिव पर से विष का प्रभाव भी खत्म हो गया था और देवताओं द्वारा पूरी रात उनके लिए किए जाने वाले प्रयासों से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने सभी देवताओं को आशीर्वाद दिया। वह रात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी, इसीलिए उस दिन को महाशिवरात्रि के नाम से जाना गया।

शिवरात्रि के पर्व का क्या महत्व है?

महाशिवरात्रि के पर्व का बड़ा ही महत्व है, जो शिव के भक्त हैं। वह इस दिन भगवान शिव के नाम पर व्रत धारण करते हैं और पूरे दिन फलाहार पर या बिना अन्न जल के रहते हैं। जो कुंवारी लड़कियां होती हैं वह शिव के समान पति पाने के लिए इस दिन व्रत धारण करती हैं ताकि उन्हें विश्व भगवान शिव के समान ओजस्वी पति प्राप्त हो। महाशिवरात्रि के व्रत का महत्व स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से है।

महाशिवरात्रि के महापर्व के पीछे भले ही अनेक तरह की पौराणिक मान्यताएं और कथाएं आदि छुपी हुई हों। लेकिन सभी का एक सार्थक और एकमेव प्रयोजन यही है कि यह भगवान शिव के लिए समर्पित उत्सव है। इस दिन पूरी तरह देवों के देव महादेव भगवान शिव की आराधना की जाती है।

शिवरात्रि के दिन क्या करना चाहिए?

इस दिन शिव के भक्त और अनुयायी भगवान शिव के नाम पर व्रत धारण करते हैं। शिव मंदिर जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करते हैं। किसी भी आयु वर्ग के स्त्री पुरुष भगवान शिव की पूजा आराधना कर सकते हैं।

इस भक्तगण सूर्योदय होते ही शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर दुग्ध और जल अर्पित करते हैं और यदि आसपास कोई पवित्र नदी हो तो पवित्र नदी में स्नान करते हैं। बहुत से भक्तगण भगवान शिव के नाम पर पूरे दिन व्रत धारण करते हैं। इस व्रत में वह तो या तो अल्प मात्रा में फलाहार लेते हैं, नहीं तो कुछ भी ग्रहण नहीं करते।

भगवान महाशिवरात्रि के दिन शिव की आराधना करने का क्या महत्व है?

शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आराधना करने का विशेष महत्व है। इस दिन शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दुग्ध और जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। इस दिन शिवलिंग पर जो जल अर्पित किया जाए, उसमें दूध और शहद मिलाकर उसे अर्पित किया जाए। इसके अलावा उसमें बेर या बेल के पत्ते को भी मिलाया जाए।

महाशिवरात्रि के दिन दान धर्म करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन निर्धनों और असहायों के लिए जरूरी वस्तुओं का दान करना चाहिए।

महाशिवरात्रि के दिन शिव आराधना करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

भगवान शिव यानी शिवलिंग पर कभी भी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाए जाते हैं।

ना ही उन्हें कुमकुम आदि चढ़ाया जाता है। ना ही उन्हें हल्दी चढ़ाई जाती है, इसलिए शिवलिंग पर कभी भी यह वस्तुएं न चढ़ाएं।

इसके अलावा चंपा और केतकी के फूल भी चढ़ाना वर्जित है।

भारत के अलग-अलग हिस्सों में महाशिवरात्रि का पर्व अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कश्मीर में महाशिवरात्रि का पर्व बेहद हर्षोल्लाह से मनाया जाता है तो उत्तर भारत और मध्य भारत में भी बड़े-बड़े संख्या में भक्तगण शिवरात्रि का पर्व मनाते हैं। दक्षिण भारत के राज्यों में भी शिवरात्रि अलग-अलग रूपों में विशेष हर्षोल्लास से मनाई जाती है।

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग भारत की सभी दिशाओं में स्थित हैं, इसीलिए हर जगह भगवान शिव का अपना अलग महत्व है और भगवान शिव के सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग से संबंधित मंदिरों में इस दिन भारी मात्रा में भीड़ लगती है।

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं…

  1. श्री केदारनाथ, केदारनाथ (उत्तराखंड)
  2. श्री काशीविश्वनाथ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
  3. श्री महाकालेश्वर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
  4. श्री ओंकारेश्वर, खंडवा (मध्य प्रदेश)
  5. श्री सोमनाथ, सौराष्ट्र (गुजरात)
  6. श्री नागेश्वर, द्वारिकापुरम (गुजरात)
  7. श्री भीमाशंकर, पुणे (महाराष्ट्र)
  8. श्री त्रयंबकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)
  9. श्री घुष्मेश्वर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र)
  10. श्री बैद्यनाथ, देवघर (झारखंड)
  11. श्री मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश)
  12. श्री रामेश्वरम, रामेश्वरम (तमिलनाडु)

महाशिवरात्रि का पूजन विधि-विधान

महाशिवरात्रि में व्रत धारण करने के लिए महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व ही व्रत धारण कर लेना चाहिए यानी त्रयोदशी की रात्रि से ही व्रत को धारण कर लेना चाहिए और व्रत का संकल्प ले लेना चाहिए।

उसके बाद चतुर्दशी के दिन पूरे दिन निराहार रहना चाहिए। यदि पूरी तरह निराहार रहना संभव न हो तो फलों का हल्का-फुल्का रस आदि लिया जा सकता है।

चतुर्दशी के दिन अपने दैनिक कार्यों से नृत्य हो निवृत्त होकर अपने घर के मंदिर में शिव की पूजा का पूजा-आराधना करनी चाहिए।

यदि घर में शिवलिंग स्थापित हो तो उस पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करना चाहिए।किसी निकटतम शिव मंदिर जाकर दुग्धाभिषेक और जलाभिषेक करना चाहिए। संभव हो और उपलब्ध हो तो गंगाजल से जलाभिषेक करने का विशेष्य फल प्राप्त होता है।

इस दिन शिवलिंग पर पंचामृत भी चढ़ाना चाहिए। वह भी बेहद फलदायक होता है।

पूरे दिन ओम नमः शिवाय मंत्र का मानसिक जप करते रहना चाहिए तथा पूजा करते समय भी ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए।

उसके अलावा शिव आराधना संबंधी अनेक स्त्रोत हैं, जिनका पाठ पाठन करना चाहिए, जिसमें अमोघ सदाशिव कवच, वेदसार शिव स्तव, शिव तांडव स्त्रोत आदि प्रमुख हैं। अंत में शिव क्षमापन आराधना स्तोत्र का पाठ करके भगवान शिव से क्षमा याचना करनी चाहिए। पूरे दिन और रात्रि तक व्रत धारण करने के बाद अगले दिन प्रातःकाल ब्राह्मण और निर्धनों को उचित दान दक्षिणा देकर व्रत को पूर्ण करना चाहिए।

 


ये भी पढ़ें…

8 March – International Women Day – 8 मार्च – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास जानें।

पूरे संसार में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ‘8 मार्च’ (8 March – International Women Day) के दिन मनाया जाता है। 8 मार्च को महिलाओं की उपलब्धियों के जश्न के तौर पर मनाया जाता है। महिलाओं के लिए खास इस महत्वपूर्ण दिवस के बारे में जानते हैं…

महिला दिवस क्यों मनाया जाता है? (8 March International Women Day – )

प्रश्न यह उठता है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है। तो इसके पीछे कुछ कारण हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के अधिकारों के लिए शुरू किया गया एक आंदोलन था, जो एक श्रम आंदोलन था। इस आंदोलन की शुरुआत 1908 में हुई जब अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में लगभग 15000 महिलाओं ने अपने कार्य करने के घंटों को कम करने अपने लिए पुरुषों के समान अच्छा वेतन और वोट देने के अधिकार की मांग के लिए आंदोलन की शुरुआत की और विरोध प्रदर्शन करना आरंभ किया।

उसके बाद से अमेरिका में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत हो गई। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार क्लारा जेटकिन’ नाम की एक महिला के दिमाग में आया था, जब उसने 1910 में अमेरिका के कोपेनहेगन में आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस ऑफ वर्किंग विमेन’ में यह प्रस्ताव पेश किया कि महिलाओं की उपलब्धियों के जश्न के लिए एक विशेष दिन मनाया जाना चाहिए।

इस कॉन्फ्रेंस में पूरे विश्व के लगभग 17 देशों से आई महिलाएं भाग ले रही थी और उसके बाद से 1911 से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। तब यूरोप के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया। आधिकारिक रूप से 1975 में संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र संघ ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।

8 मार्च को ही क्यों?

प्रश्न यह है कि 8 मार्च को ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है? तो जब ‘क्लेरा जेककिन’ कोपनहेगन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का प्रस्ताव पेश किया था तो उसने कोई निश्चित तारीख प्रस्तावित नहीं की थी, लेकिन ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’8 मार्च’ को मनाने का संबंध रूस में हुई क्रांति से जुड़ा है।

1917 में रूस की महिलाओं ने अपने लिए रोटी और समान अधिकार तथा शांति की मांग के लिए चार दिनों का विरोध प्रदर्शन किया। जिस कारण रूस के तत्कालीन जार को अपनी सत्ता भी गवांनी पड़ी थी। जिस दिन यह लोग प्रदर्शन आरंभ हुआ था उस दिन रूसी कैलेंडर के अनुसार 23 फरवरी का दिन था लेकिन गेग्रेरियन कैलेंडर जो अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर है, उसके अनुसार 8 मार्च का दिन था।

उसी दिन से 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में निश्चित हो गया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के प्रतीक के रूप में तीन रंगों को प्रयुक्त किया जाता है। बैंगनी, हरा और सफेद रंग। जहां बैंगनी रंग न्याय महिलाओं की न्याय महिलाओं के लिए समान न्याय और गरिमा का प्रतीक है। वही हरा रंग महिलाओं के लिए आशा का प्रतीक है।  सफेद रंग शुद्धता का प्रतीक माना गया है। यह तीनों रंग 1908 में महिलाओं के प्रतीक चिन्ह के रूप में ब्रिटेन में ‘विमेंस सोशल एंड पॉलीटिकल यूनियन’ द्वारा निश्चित किए गए थे।

विश्व के कई देशों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन अनेक तरह के आयोजन किए जाते हैं। क्योंकि 8 मार्च रूस के साथ विशेष रूप से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस दिन रूस में पूरे दिन का राष्ट्रीय अवकाश रहता है। चीन में भी इस दिन महिलाओं को आधे दिन की छुट्टी मिलती है। यूरोप के अनेक देशों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन अलग-अलग आयोजन शामिल हैं। अमेरिका में तो पूरे मार्च का महीना ही महिलाओं की उपलब्धियों के महीने के तौर पर मनाया जाता है।

हर वर्ष एक नई थीम

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हर वर्ष एक नई थीम होती है। 2023 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ‘एम्ब्रेस इक्विटी’ (Embrace equity) यानि ‘समानता को अपनाओ’ है।

2024 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ‘इंस्पायर इनक्लूज़न’ है। यह थीम, महिलाओं के समावेशन को महत्व देने पर केंद्रित है। इसका मतलब है कि जब हम सभी अलग-अलग पृष्ठभूमि की महिलाओं की सराहना करते हैं, तो दुनिया बेहतर हो जाती है।

 


ये भी पढ़ें…

जानिए गगनयान मिशन पर जाने वाले चार अंतरिक्ष यात्री कौन हैं?

भारत अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। गगनयान मिशन के तहत, 4 वीर अंतरिक्ष यात्रियों (Who are Gaganyaan Mission Astronauts) को 2025 में अंतरिक्ष भेजा जाएगा। यह मिशन भारत के लिए गौरव का क्षण होगा और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में देश की प्रगति को दर्शाएगा।

भारत अपना गगनयान मिशन लॉन्च करने वाला है। अपने गगनयान मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च करते ही भारत विश्व का वह चौथा देश बन जाएगा।

27 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन के लिए जाने वाले चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम की घोषणा की। यह अंतरिक्ष यात्री रुस से विशेष ट्रेनिंग लेकर आए हैं। प्रधानमंत्री ने खुद इन्हें एस्ट्रोनॉट्स विंग्स पहनकर इनका स्वागत किया और उनके नाम की घोषणा की।

केरल के तिरुवनंतपुरम विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में इन एस्ट्रोनॉट्स का परिचय कराया गया। यह चारों एस्ट्रोनॉट्स बेहद कुशल एवं दक्ष है और उनकी विशेष ट्रेनिंग रूस में हुई है। यह भारत की एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट और सिस्टम टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट के टेस्ट पायलेट्स हैं।

यह चारों एस्ट्रोनॉट्स भारत की वायुसेना की बेंगलुरु के एयरक्राफ्ट और सिस्टम टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट के टेस्ट पायलेट्स हैं। इन चारों एस्ट्रोनॉट के बारे में जानते हैं

भारत के चार एस्ट्रोनॉट्स के नाम क्या हैं?

  • ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर
  • विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
  • ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन
  • ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप

चारों एस्ट्रोनॉट्स के बारे में

ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर

ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्ण केरल से संबंध रखते हैं। उनका जन्म 26 अगस्त 1974 को केरल में हुआ था। उनकी पढ़ाई लिखाई केरल में नौकर कुवैत में हुई है। भारत वापस आकर उन्होंने नेशनल डिफेंस अकादमी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। वहां पर उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सोर्ड ऑफ ऑनर का सम्मान भी मिला था। 1999 में वह एक कमीशन अधिकारी के रूप में भारतीय वायु सेवा में शामिल हुए। वह पायलट के रूप में सुखोई फाइटर प्लेन को उड़ा चुके हैं।

विवरण
  • 47 वर्षीय हैं, केरल से संबंध रखते हैं।
  • 26 अगस्त 1976 को जन्म हुआ।
  • नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से स्नातक किया।
  • ‘स्वोर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित हो चुके हैं।
  • 1999 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुए।
  • सुखोई फाइटर प्लेन उड़ा चुके हैं।
  • अनुभव : 23 वर्षों का उड़ान अनुभव, जिसमें 3000 से अधिक घंटे शामिल हैं।
  • शौक : खेल, संगीत, यात्रा।
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर

विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 10 अक्टूबर 1985 को हुआ था। उन्होंने भी नेशनल डिफेंस अकादमी से एनडीए से ग्रेजुएशन किया है। वह 2004 में भारतीय वायु सेवा में विंग कमांडर के रूप में शामिल हुए थे। वे बेहद अनुभवी पायलट हैं। उन्होंने Su-30 MKI,MiG-21, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 जैसे एअरक्रॉफ्ट उड़ाएं हैं।

  • 38 वर्षीय हैं। लखनऊ (उ. प्र.) से संबंध रखते हैं।
  • 10 अक्टूबर 1985 को जन्म हुआ।
  • नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से स्नातक किया।
  • 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायु सेना में शामिल हुए।
  • यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षित हैं।
  • Su-30 MKI, MiG-21, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं।
  • अनुभव : 18 वर्षों का उड़ान अनुभव, जिसमें 2500 से अधिक घंटे शामिल हैं।
  • शौक : खेल, पढ़ना, यात्रा।
विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला

ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन

अजीत कृष्णन का जन्म तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 19 अप्रैल 1982 को हुआ था। उन्होंने भी एनडीए से ग्रेजुएशन किया है। उन्हें प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल और सोर्ड ऑफ ऑनर जैसे सम्मान मिल चुके हैं। वह भारतीय वायु सेवा की फाइटर स्ट्रीम में 2003 में शामिल हुए थे। वह एक फ्लाइट फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं। उन्होंने  वह भी बेहद अनुभवी हैं और Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं।

  • 41 वर्षीय हैं, चेन्नई से संबंध रखते हैं।
  • 19 अप्रैल 1982 को जन्म।
  • नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से स्नातक।
  • ‘प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल’ और ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित।
  • 21 जून 2003 को भारतीय वायु सेना में शामिल हुए।
  • Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं।
  • अनुभव : 19 वर्षों का उड़ान अनुभव, जिसमें 2800 से अधिक घंटे शामिल हैं।
  • शौक : खेल, संगीत, यात्रा।

ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन

ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप

कैप्टन अंगद प्रताप का संबंध भी यूपी से ही है। उनका जन्म प्रयागराज में 17 जुलाई 1982 को हुआ था। उन्होंने भी एनडीए से ग्रेजुएशन किया है। वह 2004 में भारतीय वायु सेवा में शामिल हुए थे। वह भी एक फ्लाइंग स्ट्रक्चर हैं और उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ाने का अनुभव है।

  • 41 वर्षीय हैं। प्रयागराज से संबंध रखते हैं।
  • 17 जुलाई 1982 को जन्म हुआ है।
  • नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से स्नातक है।
  • 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायु सेना में शामिल हुए।
  • Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं।
  • अनुभव : 19 वर्षों का उड़ान अनुभव, जिसमें 2700 से अधिक घंटे शामिल हैं।
  • शौक : खेल, पढ़ना, यात्रा।
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप

चारों एस्ट्रोनॉट्स का सिलेक्शन कैसे हुआ?

चारों एस्ट्रोनॉट्स के सिलेक्शन की प्रक्रिया 2019 में ही आरंभ हो गई थी। उस समय एस्ट्रोनॉट्स बनने के लिए सैकड़ो पायलट ने आवेदन किया था। फिर प्रारंभिक स्तर की छंटनी के बाद सितंबर 2019 में पहले राउंड का सिलेक्शन प्रोसेस पूरा किया गया और सभी आवेदनों में से 12 पायलेट्स की छंटनी की गई।

उसके बाद अनेक सिलेक्शन राउंड हुए और अंत में फाइनल राउंड में चार पायलेट्स को चुना गया। यह प्रक्रिया 2020 तक पूरी हो चुकी थी। फिर इसरो और रूस की स्पेस एजेंसी के बीच इन चारों पायलट की ट्रेनिंग के लिए एक करार हुआ।

फरवरी 2020 में चारों पायलेट्स को ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। जहाँ मार्च 2021 तक उनकी ट्रेनिंग पूरी हुई। उसके बाद से चारों पायलेट्स लगातार गगनयान मिशन से जुड़े हुए हैं और अपनी तैयारियां पूरी कर रहे हैं।

गगनयान मिशन के बारे में कुछ और…

भारत का गगनयान मिशन भारत का पहला मानव युक्त अंतरिक्ष अभियान है। इस अभियान के तहत भारत अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा से 400 किलोमीटर दूर पृथ्वी के लोअर ऑर्बिट में अपना एक अंतरिक्ष यान भेजेगा, जिसमें मानव होंगे, यानी मानव युक्त अंतरिक्ष यान भेजा जाएगा।

यह चारों अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में दो से तीन दिन बिताएंगे और उसके बाद वापस पृथ्वी पर इनको लैंड कराया जाएगा। यह अभियान सफल होने के भारत बाद भारत विश्व के का वह चौथा देश बन जाएगा। जिसे अंतरिक्ष में मानव युक्त गगनयान मिशन भेजा हो। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन मानव युक्त अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में भेज चुके हैं।


ये भी पढ़ें…

महिला क्रिकेट में युवा सनसनी शैफाली वर्मा का लाइफ स्कैन

भारत की उभरती महिला क्रिकेटर और धमाकेदार ओपनर शैफाली वर्मा ने बेहद की कम समय में अपनी धाक जमा ली है। उनके जीवन का एक (Life Scan of Shafali Verma) स्कैन करते हैं…

शैफाली वर्मा का जीवन परिचय (Life Scan of Shafali Verma)

केवल 18 साल की उम्र में शैफाली वर्मा ने वो कर दिखाया है, जिसका ज्यादातर क्रिकेटर सिर्फ सपना ही देख सकते हैं। इस तेजतर्रार बल्लेबाज के नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय क्रिकेटर होने का रिकॉर्ड है और वह तेजी से आगे बढ़ते हुए भारतीय महिला क्रिकेट टीम की दिग्गज खिलाड़ियों में से एक बन गई है। बाधाओं के बावजूद सफल होने की दृढ़ता के साथ उनकी विस्फोटक बल्लेबाजी शैली ने देश का ध्यान खींचा है।

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

हरियाणा के रोहतक के पास एक छोटे से गाँव की रहने वाली शैफाली का जन्म 28 जनवरी 2004 को क्रिकेट के खेल के प्रति समर्पित एक परिवार में हुआ था। उनके पिता संजीव वर्मा है।

शेफाली का परिवार हरियाणा के स्वर्णकार जाति से संबंध रखता था। इनका परिवार की जड़ें राजस्थान के अलवर जिले की मुंडावर तहसील के झालावासा नामक गांव से संबंधित थी, जहाँ पर उनके परदादा की पीढ़ी रहती थी। उसके बाद उनकी परदादी अपने गृहराज्य  रोहतक आ गई और यहीं पर शेफाली के पूर्वज पूरी तरह बस गए। रोहतक में ही फिर शेफाली का जन्म हुआ।

शैफाली के पिता संजीव वर्मा खुद एक समय खुद एक महत्वाकांक्षी क्रिकेटर थे लेकिन उनका क्रिकेट करियर बहुत आगे नही बढ़ पाया इसलिए उन्होंने  छोटी उम्र से ही अपनी बेटी के खेल के प्रति जुनून को बढ़ावा दिया।

उन्होंने शैफाली को अपने घर मे पीछे के की जगह में बल्लेबाजी और गेंदबाजी की भरपूर ट्रेनिंग हालाँकि पेशेवर रूप से क्रिकेट खेलना उस युवा लड़की के लिए दूर की कौड़ी लग रहा था क्योंकि गाँव में लड़कियों के लिए कोई प्रशिक्षण अकादमियाँ नहीं थीं।

अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक लड़के का भेष धारण किया

अपनी बेटी की प्रतिभा को हकीकत में बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित शैफाली के पिता संजीव एक प्लान सोचा। जब शैफाली सिर्फ 9 साल की थी, तो उन्होंने उसके बाल छोटे कर दिए और उसे एक लड़के का रूप देकर स्थानीय क्रिकेट अकादमियों में दाखिला दिला दिया, जो केवल लड़कों के लिए थी।

इस तरह कई वर्षों तक शैफाली लड़का बनकर लड़कों के साथ प्रशिक्षण लिया। शैफाली ने एक मजबूत ऑलराउंडर के रूप में अपने प्रतिभा दिखानी शुरु कर दी। जल्द ही उसे लड़कों की अंडर-14 क्रिकेट टीम के लिए चुन लिया गया और उस टीम में शैफाली ने अच्छा प्रदर्शन किया।

पहचान उजागर हुई

जब शैफाली 11 साल की हुई तो शैफाली की पहचान उजागर हो गई। सबको पता चला गया कि शैफाली लड़की है और उसने लड़का बनकर प्रशिक्षण लिया है। तब हरियाणा और देश में क्रिकेट की स्थितिया बदल रही थी। भारत में महिला क्रिकेट एकेडमी का स्थापना हो रही थी। और क्रिकेट एकेडमी भी शैफाली की असामयिक प्रतिभा को नजरअंदाज नहीं कर सकती थीं और जब उनके क्षेत्र में महिला क्रिकेट कोचिंग सुविधाएं आखिरकार खुलनी शुरू हुईं तो शैफाली ने महिला क्रिकेट एकेडमी ने एडमीशन ले लिया।

अब शैफाली को अपनी पहचान छुपाकर ट्रेनिंग नही लेनी पड़ती थी। उसे अब खुलकर अच्छी क्रिकेट ट्रेनिंग मिल रही थी इसलिए उसकी प्रतिभा निखरती गई।

अंडर-19 पदार्पण

14 साल की उम्र में, उन्होंने अंडर-19 में पदार्पण किया और अपने आक्रामक बल्लेबाजी से चयनकर्ताओं और कोचों को प्रभावित किया। उन्होंने 2018 में महिला टी20 चैलेंज जैसे घरेलू टूर्नामेंट में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया था। 6 मैचों में 173 रन बनाने के बाद, शैफाली ने 2019 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी20 श्रृंखला के लिए सिर्फ 15 साल की उम्र में पहली बार भारत कॉल-अप अर्जित किया।

सबसे कम उम्र की भारतीय T20I डेब्यूटेंट

24 सितंबर 2019 को, 15 वर्षीय शैफाली दक्षिण अफ्रीका महिलाओं के खिलाफ भारत के लिए बल्लेबाजी की शुरुआत करने के लिए उतरी, और अंतरराष्ट्रीय टी20 मैचों में खेलने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बन गई। इसके बाद कई अच्छे स्कोर आए, जिससे टीम की ओपनर बैटर के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हो गई।

सर्वश्रेष्ठ युवा महिला क्रिकेटर – 2019

शैफाली को उनके प्रदर्शन और क्षमता के लिए 2019 में बीसीसीआई की सर्वश्रेष्ठ महिला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर (जूनियर) नामित करके पुरस्कृत किया गया था। उन्होंने तब महिला क्रिकेट में सबसे तेज टी20 अर्धशतक का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था।

2020 महिला टी20 वर्ल्ड कप का उभरता सितारा

दाएं हाथ की इस बल्लेबाज ने ऑस्ट्रेलिया में आयोजित 2020 महिला टी20 विश्व कप में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी बनकर अपना दबदबा जारी रखा। उन्होंने 158+ की धमाकेदार स्ट्राइक रेट से 163 रन बनाकर कई रिकॉर्ड तोड़े। उनकी निडर बल्लेबाजी की सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों ने सराहना की, जिन्होंने उनके लिए ‘रॉकस्टार’ उपनाम रखा।

एक क्रिकेटर के रूप में आईसीसी रैंकिंग

शैफाली ने हासिल किया नंबर. अपनी निरंतरता के कारण मार्च 2021 में ICC महिला T20 बल्लेबाजी रैंकिंग में पहला स्थान प्राप्त किया। चूँकि उसने अधिक अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं, इसलिए उसने अपनी ऑफ-साइड प्ले और रोटेशनल स्ट्राइक क्षमता में सुधार करने पर काम किया है। उनका पहला एकदिवसीय अर्धशतक 2021 में आया। हालांकि वह एक आक्रामक सलामी बल्लेबाज बनी हुई हैं, शैफाली ने अधिक सफलता के लिए अपने खेल को परिपक्व किया है।

शैफाली वर्मा के बारे में कुछ रोचक तध्य

शैफाली वर्मा की अब तक की प्रेरणादायक क्रिकेट यात्रा की कुछ मुख्य झलकियाँ

  • उन्होंने उम्र, लिंग या पृष्ठभूमि की सीमाओं के बावजूद दृढ़ संकल्प और दृढ़ता के साथ अपनी महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाया।
  • उनकी जन्मजात प्रतिभा को कम उम्र से ही परिवार के समर्थन और कठोर ट्रेनिंग से स्वयं को निखारा गया।
  • शेफाली का भाई जी स्थानीय क्लब के लिए क्रिकेट खेलता था। उस क्लब ने उन्हें खेलने का मौका नहीं दिया क्योंकि शेफाली लड़की थी।
  • एक बार शैफाली का भाई बीमार हो गया जो हरियाणा के एक स्थानीय क्लब के लिए खेलता था। ऐसी स्थिति में शैफाली को उस टीम में जगह मिल गई और अपनी टीम के लिए खेलते हुए शैफाली ने पूरे मैच में अच्छा प्रदर्शन किया और मैन ऑफ द मैच भी बनी।
  • क्रिकेट के प्रति अपने जुनून को हासिल करने के लिए उन्होंने अपनी पहचान को लड़के के रूप में बदल दिया था ताकि क्रिकेट के ट्रेनिंग ले सकें।
  • शेफाली वर्मा प्रसिद्ध क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानती हैं।
  • शेफाली वर्मा को निखारने में उनके पिता संजीव वर्मा का सबसे बड़ा योगदान रहा है, जो स्वयं एक क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन अपना सपना उन्होंने अपनी बेटी के माध्यम से पूरा किया।
  • शेफाली वर्मा क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए खेलती हैं, तो राष्ट्रीय स्तर पर वह हरियाणा की टीम तथा आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलती हैं।
  • हर टीम में वह ओपनर की भूमिका निभाती हैं।
  • शेफाली वर्मा धुआंधार बल्लेबाजी के साथ-साथ दाहिने हाथ से ऑफ ब्रेक स्पिन गेंदबाजी भी कर लेती हैं।
  • शेफाली वर्मा की वर्तमान आयु मात्र 20 साल है, यानी उनके सामने एक लंबा चौड़ा क्रिकेट करियर पड़ा है।

अंत में…

अपने अब तक के छोटे से करियर में, शैफाली वर्मा ने पहले ही ऐसी उपलब्धियां हासिल कर ली हैं जिन्हें हासिल करने में आमतौर पर क्रिकेटरों को कई साल लग जाते हैं। क्रिकेट के प्रति उनकी एकनिष्ठ निष्ठा और अंतर्निहित प्रतिभा ने क्रिकेट जगत को इस ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रेरित किया है। यदि वह इसी राह पर आगे बढ़ती रही, तो निश्चित रूप से महिला क्रिकेट में उसकी महानता तय है। शैफाली की यात्रा उभरते खिलाड़ियों, विशेषकर लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है, जो यह साबित करती है कि किसी के क्रिकेट सपनों का पीछा करने की कोई सीमा नहीं होती।


ये भी पढ़ें…

कौन हैं ध्रुव जुरेल? भारत के नए उभरते विकेटकीपर।

भारतीय क्रिकेटर ध्रुव जुरेल ने इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में धूम मचा दी है। अपने शानदार प्रदर्शन से धूम मचा दी है। कौन हैं  (Dhruv Jurel Life Scan) ध्रुव जुरेल?

भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही वर्तमान टेस्ट श्रृंखला में ध्रुव जुरैल ने अपने दोनों टेस्ट में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने हाल ही में खत्म हुए टेस्ट मैच में कठिन परिस्थितियों में अच्छी पारी खेलकर भारत को संकट से निकाला और भारत की जीत की राह भी बनाई।

ध्रुव जुरैल के प्रदर्शन से टेस्ट टीम में दूसरे विकेटकीपर की करियर पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि ध्रुव जीवन का अगर ऐसा ही प्रदर्शन रहा तो वह टेस्ट क्रिकेट में नियमित विकेटकीपर का विकल्प बन सकते हैं, आईए ध्रुव जुरेल का एक छोटा सा लाइफ स्कैन करते हैं…

ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel Life Scan)

ध्रुव जुरैल मूल रूप से उत्तर प्रदेश के क्रिकेटर हैं, जिनका जन्म 21 जनवरी 2001 को उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में हुआ था। 23 वर्षीय इस क्रिकेटर का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम नेम सिंह है, जो भारतीय सेवा में सैनिक थे और उन्होंने कारगिल युद्ध में भी भाग लिया था। कारगिल युद्ध समाप्त होने के बाद 2001 में ध्रुव जुरेल का जन्म हुआ।

बचपन से ही ध्रुव जुरेल की क्रिकेट के प्रति रुचि थी, लेकिन पिता अपने बेटे को क्रिकेट खिलाने से डरते थे। वह उसे आर्मी में भेजना चाहते थे, इसीलिए आर्मी स्कूल में ही उन्होंने उसकी पढ़ाई शुरू करवाई, जहाँ पर ध्रुव जुरेल ने पिता के कहने पर तैराकी सीखना शुरू कर दिया। लेकिन उन्हें तैराकी के साथ-साथ क्रिकेट में और अधिक रुचि थी।

इसीलिए जब स्कूल में उनकी तरह की की कक्षाएं चलतीं तो वह वहीं पर अतिरिक्त समय में क्रिकेट भी खेला करते थे। बाद में वह क्रिकेट में इतनी अधिक जुड़ते होते गए कि उन्होंने तैराकी से अपना ध्यान पूरी तरह हटा लिया और पूरी तरह अपना ध्यान क्रिकेट पर ही फोकस कर लिया। पिता को जब इस बात का पता चला तो पहले तो वह काफी गुस्सा हुए लेकिन बाद में मान गए और इस तरह ध्रुव को पूरी तरह क्रिकेट खोलने का खेलने का मौका मिल गया।

उस समय उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती थी, इसीलिए क्रिकेट का बैट लेने के लिए भी पहला बैट लेने के लिए भी पिता को अपने दोस्तों से ₹800 का कर्ज लेना पड़ा था और अपने बेटे को क्रिकेट का बात दिलाना पड़ा।

कोच परवीन सिंह की भूमिका

ध्रुव को निखारने में उनके कोच परवीन सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। परवीन सिंह से ही ध्रुव जुरेल ने अपनी क्रिकेट की सारी कोचिंग ली है। जब ध्रुव स्कूल में पढ़ते थे तो वह अपना स्कूल खत्म होने के बाद काफी दूर स्थित कोचिंग केंद्र में प्रैक्टिस के लिए साइकिल से जाते थे। उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए उनके कोच परवीन सिंह ने ध्रुव को आगे बढ़ाने में काफी मदद की।

खेल करियर

ध्रुव जुरेल उत्तर प्रदेश के लिए अंडर-14 और अंडर-16 वर्ग की क्रिकेट खेल चुके हैं। जब 2020 में अंदर-19 वर्ल्ड कप हुआ था, तो वहां पर भी उन्हें चुना गया और उस वर्ल्ड कप में वह टीम के उप-कप्तान भी बने। फाइनल में भले ही भारतीय टीम बांग्लादेश से हार गई हो लेकिन ध्रुव का प्रदर्शन उसमें अच्छा रहा। बाद में ध्रुव को अंदर-19 की उस भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया जो एशिया कप खेलने गई। यहाँ पर ध्रुव की कप्तानी में अंडर-19 एशिया कप भारत ने जीता और इस तरह ध्रुव की किस्मत का सितारा चमक उठा और वह लाइमलाइट में आ गए।

ध्रुव ने जब अपनी क्रिकेट प्रैक्टिस स्टार्ट की थी तो वह ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी करते थे, लेकिन गेंदबाजी उन्हें अधिक रास नहीं आई और उन्होंने विकेट कीपिंग में अपना हाथ आजमाने शुरू कर दिए। इस तरह विकेट कीपिंग के साथ-साथ बल्लेबाजी करने की दूरी भूमिका निभाने लगे। विकेट कीपिंग उन्हें रास आ गई और उनकी बल्लेबाजी भी निखरती चली गई।

2022 में उत्तर प्रदेश जब रणजी ट्राफी के मैच चल रहे थे, तो विदर्भ के खिलाफ उत्तर प्रदेश की टीम में ध्रुव जुरेल ने रणजी ट्राफी में अपना डेब्यू किया।

ध्रुुव ज्वेल ने अभी तक 15 प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेले हैं। जिसमें उन्होंने कुल 790 रन बनाए हैं। उनका बेस्ट स्कोर भी 249 रन है। उन्होंने 10 लिस्ट-ए श्रेणी के मैच तथा 23 T20 मैच भी खेले हैं।

आईपीएल में मौका

2022 के मेगा ऑप्शन में ध्रुव जेल को राजस्थान रॉयल ने 20 लाख के बेस प्राइस में खरीदा, हालांकि 2022 में उन्हें आईपीएल में कोई भी मैच खेलने को नहीं मिला।

2023 में उन्हें आईपीएल में अपना डेब्यू करने को मिला। जब 5 अप्रैल 2023 को राजस्थान रॉयल्स ने पंजाब किंग्स के साथ हुए मैच में ध्रुव को इंपैक्ट प्लेयर के रूप में मौका दिया। अपने पहले ही आईपीएल मैच में उन्होंने 15 गेंद में 32 रन की धुआंधार पारी खेल कर सबको प्रभावित किया। उसके बाद से 2023 के पूरे सीजन में उन्होंने सारे मैच खेले और कुल 152 रन बनाए। उनके प्रदर्शन को देखते हुए राजस्थान रॉयल ने उन्हें अगले सीजन के लिए भी रिटेन कर लिया।

भारतीय टीम में मौका

भारतीय टीम में मौका मिलना, किस्मत की बात रही। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद पहले तो ध्रुव को को भारत की ए टीम में खेलने का मौका मिला। जब भारत की ए टीम 2023 के अंत में दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गई तो ध्रुव जुरेल ने चार दिवसीय मैच में 69 रन बनाए और विकेटकीपर के तौर पर तीन कैच भी लिए।

उनके प्रदर्शन को को देखते हुए भारतीय भारत की टीम में उन्हें मुख्य विकेटकीपर के तौर पर मौका मिल गया। हालांकि इसमें उनके किस्मत का भी काफी हाथ है क्योंकि भारतीय टेस्ट टीम के नियमित और वर्तमान समय में सबसे सफल विकेटकीपर ऋषभ पंत फिलहाल क्रिकेट से दूर चल रहे हैं और उनके विकल्प के तौर पर आए के एस भारत ने अपने प्रदर्शन से निराश किया है। इसलिए ध्रुव जुरेल को मौका मिला।

अब आगे देखना होगा कि वह जब ऋषभ पंत वापस आएंगे तो दोनों में से किसको अधिक चांस मिलता है और ध्रुव जुरेल ऋषभ पंत को अच्छी चुनौती पेश कर पाएंगे या नहीं।


ये भी पढ़ें…

रोमानियत से भरी आवाज के जादूगर – पंकज उधास

पंकज उधास भारत के सबसे लोकप्रिय ग़ज़ल गायकों मे एक थे, जिन्होंने जगजीत सिंह के बाद ग़ज़ल गायकी में सबसे ज्यादा नाम कमाया। उनके जीवन (Pankaj Udhas Biography) को जानते हैं..

80, 90 और 2000 के दशक में अपनी रोमानी आवाज से गजलें गाकर लोगों के दिल में रोमानियत भरने वाले गजल गायक पंकज उधास का 26 फरवरी 2024 को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

जगजीत सिंह के बाद पंकज उदासी ऐसे गायक थे, जिन्होंने भारत में गजलों को नई ऊंचाइयां दीं। उनके द्वारा गई ग़ज़ल ‘चाँदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल, एक तू ही धनवान है गोरी, बाकी सब कंगाल’ लोगों की जुबान पर चढ़ गई थी।

फिल्म ‘नाम’ के लिए गया गया गाना ‘चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है’ के द्वारा वह घर-घर जाने पहचाने जाने लगे थे।

पंकज उदास का जीवन परिचय (Pankaj Udhas Biography)

ग़ज़ल को पसंद करने वालों में कौन होगा जो पंकज उधास परिचित नही होगा। ग़ज़लों के लिए उनके योगदान को कौन भुला सकता है। आइए पंकज उधास को जानते हैं…

जन्म और जीवन परिचय

पंकज उदास का जन्म गुजरात के जैतपुर नमक कस्बे में हुआ था, जो गुजरात के राजकोट जिले का एक छोटा सा कस्बा है। पंकज उदास के पिता का नाम केशुभाई उधास और माता का नाम जिशुबेन उधास था।

पंकज उदास कुल तीन भाई थे, उनके बड़े भाई मनहर उधास तथा निर्मल उधास थे। उनके दोनों भाईयों भी पार्श्व गायक के के रूप में अपना कैरियर बनाया।

मनहर उधास ने कई हिंदी फिल्मों के लिए सफलतापूर्वक गाने गए तो उनके दूसरे भाई निर्मल उधास ने भी पंकज उधास की तरह गजल गायकी में अपना करियर बनाया।

शिक्षा

पंकज उदास की आरंभिक पढ़ाई-लिखाई गुजरात के भावनगर के बीपीटीआई विद्यालय में हुई। उसके बाद उनका पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया था।

यहाँ पर पंकज उधास ने मुंबई के विल्सन कॉलेज और सेंट जेवियर्स कॉलेज से अपने आगामी पढ़ाई पूरी की। यहाँ पर विज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

परिवार

पंकज उदास के पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात की जाए तो उनका परिवार गुजरात के राजकोट जिले के चरखड़ी नामक कस्बे से संबंध रखता था। उनका परिवार एक पारंपरिक जमीदार परिवार था और उनके दादा गाँव के जमींदार थे। वह अपने गाँव से ग्रेजुएट होने वाले पहले व्यक्ति भी थे तथा भावनगर रियासत के दीवान भी थे।

पंकज दास के पिता केशुभाई उधास सरकारी सेवा में थे। उन्हें संगीत में भी रुचि थी इसी कारण उन्होंने प्रसिद्ध वीणा वादक अब्दुल करीम खान से दिलरुबा नमक वाद्य यंत्र बनाना सीखा। पंकज उदास बचपन से ही अपने पिता को एक तार वाला दिलरुबा वाद्य यंत्र बजाते देखते थे, इसी कारण पंकज उदास और उनके दोनों भाइयों की संगीत में रुचि जागृत हुई।

अपने बेटों की संगीत में रुचि देखकर पंकज उधास के पिता केशुभाई उधास ने अपने तीनों बेटों मनहर उधास, निर्मल उदास और पंकज उदास को राजकोट की एक संगीत अकादमी में प्रवेश कर दिया, जहाँ पर वह संगीत की आरंभिक शिक्षा लेने लगे।

पंकज उदास इस संगीत अकादमी में तबला बजाना सीखने लगे। बाद में पंकज उदास ने गुलाम कादर खान से हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन में शास्त्रीय संगीत में सीखना शुरू कर दिया। उसके अलावा उन्होंने ग्वालियर करने के गायक नवरंग नागपुरकर के सानिध्य में भी संगीत की शिक्षा ली।

गीत-संगीत का सफर

पंकज उदास ने गायक के रूप में अपना करियर 1972 में शुरु किया था जब 1972 में उन्होंने ‘कामना’ नाम की एक फिल्म के लिए गाया गाया। फिल्म को अधिक सफलता तो नही मिली लेकिन पंकज द्वारा गाए गए गाने के काफी पसंद किया।

उसके बाद उन्होंने गायन में बहुत अधिक सफलता नही मिली तो वह कनाडा चले गए और वहाँ एक रेडियो स्टेशन में भी एक म्जूजिक कार्यक्रम करने लगे। उसके अलावा वह अमेरिका कनाडा में ग़ज़ल गायक के रूप में स्टेज परफार्मेंस देने लगे। जल्दी ही वहाँ पर उनका मन ऊब गया और वह वापस भारत आ गए।

भारत आकर 1980 में उनकी ‘आहट’ नामक उनकी पहली गजल एल्बम रिलीज हुई। उसके बाद एक 1981 में उनकी दूसरी एल्बम मुकर्रर, 1982 में तरन्नुम तथा 1983 में महफिल नामक एल्बम रिलीज हुई।

अब वह एक सफल गजल गायक के रूप में अपना नाम स्थापित कर चुके थे और उनके जगह-जगह गजल गायकी के शो भी होने लगे। उन्होंने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हाल में 1984 में अपना लाइव कंसर्ट भी प्रस्तुत किया।

पंकज उदास के द्वारा गाई गई ग़ज़ल चांदी जैसा रंग है, सोना तेरा सोने जैसे बाल ने पंकज दास को प्रसिद्ध के शिखर पर पहुंचा दिया था। उनके द्वारा गाई गई यह गजल उसे समय लोगों की जुबान पर चढ़ उठी थी और हर कोई इस ग़ज़ल को गुनगुनाता था। पंकज उदास जहाँ भी अपना लाइव कंसर्ट करने जाते उनके द्वारा किया गजल की फरमाइश अवश्य की जाती थी।

उसके बाद 1986 में आई ‘नाम’ फिल्म में उनके द्वारा गाया गाया गाना ‘चिट्ठी आई है वतन से’ ने उनको लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचा दिया। इस फिल्म में वह स्वयं गाना गाते हुए दिखाई भी पड़े थे। उसके बाद 1991 में आई साजन फिल्म में भी उन्होंने जिए तो जिए कैसे गाना गया और उसमें भी वह गाना गाते हुए गायक के रूप में फिल्म में दिखाई दिए थे।

पंकज उदास को गाने की प्रेरणा भी अपने बड़े भाई मनहर उधास से मिली थी। उनके बड़े भाई मनोहर उदास भी गायक थे और गायन में रुचि रखते थे। पंकज उधास भी जब तक घर में गाना गा लेते थे। भाई मनहर ने पंकज के टैलेंट को पहचान लिया था और जब बड़े भाई मनहर किसी संगीत कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाते तो वह अपने छोटे भाई पंकज को भी साथ ले जाया करते थे। इस तरह मात्र 7 साल की उम्र से ही पंकज उधास ने स्टेज परफॉर्मेंस देने शुरू कर दी थी।

पंकज दास ने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस गाना भारत-चीन युद्ध के समय दिया था। वह गाना ए मेरे वतन के लोगों था। पंकज उदास को फिल्मों में भी गाने का मौका मिला और फिल्मों में उन्हें गाने का पहला मौका 1972 में आई फिल्म कामना से मिला।

वैवाहिक जीवन

पंकज उदास के परिवार में उनकी पत्नी तथा दो बेटियां हैं। पहली बड़ी बेटी का नाम नायब उधास है, जिसका नाम उन्होंने अपनी ही हिट एल्बम नायाब के नाम पर रखा है। उनकी दूसरी बेटी का का नाम रिवा उधास है। उनकी पत्नी का नाम फरीदा है जो पारसी कम्यूनिटी से संबंध रखती हैं।

पंकज दास की जीवन की लव स्टोरी भी बड़ी ही रोचक रही। उन्होंने अंतर धार्मिक विवाह किया है यानी उनकी पत्नी फरीदा पारसी थीं। मुंबई में फरीदा उनके पड़ोस में ही रहती थी। आस-पड़ोस में रहने के कारण दोनों में एक दूसरे के प्रति आकर्षण उत्पन्न हो गया।

पंकज उदास उस समय पढ़ाई कर रहे थे और अपना ग्रेजुएशन पूरा करने वाले थे। वहीं पर फरीदा एयर होस्टेस का काम करती थीं। दोनों में दोस्ती हुई और धीरे-धीरे यह दोस्ती मुलाकातों के दौर से चलते हुए प्रेम में बदल गई। अलग-अलग धर्म से संबंध रखने के कारण शादी में अड़चन आना स्वाभाविक था। पंकज दास के परिवार वाले तो शादी को राजी हो गए थे लेकिन फरीद के परिवार वाले की शादी के लिए राजी नहीं थे।

फरीदा पारसी धर्म से संबंधित थी और उनके माता-पिता पारसी कम्युनिटी से बाहर शादी करने के लिए राजी नहीं थे, इसलिए पंकज और फरीदा ने इस समय तय किया कि वह अपने माता-पिता की मर्जी से ही शादी करेंगे। उनके खिलाफ जाकर नहीं। अंत में काफी प्रयास करने के बाद फरीद के माता-पिता भी मान गए और सभी के आशीर्वाद से दोनों शादी के बंधन में बने।

पारिवारिक विरासत

पंकज दास के बड़े भाई मनहर उधास ने भी कई फिल्मों में गाने गए हैं। सुभाष गई निर्देशित फिल्म सौदागर का गाना इलू इलू मनहर उदास द्वारा ही गया गया था और वह गाना अच्छा खासा लोकप्रिय हुआ था। मनोहर उदास ने सुभाष गई की कई फिल्मों के लिए गाने गए हैं। पंकज दास के छोटे भाई निर्मल उदास ने भी गजल गायक में अपने हाथ आजमाएं हैं।

पंकज उधास क्योंकि मूल रूप से गुजराती थे इसलिए उनकी उर्दू भाषा पर बहुत अच्छी पकड़ नहीं थी। गजल गायकी में महारत हासिल करने के लिए उन्होंने उर्दू भाषा भी सीखी क्योंकि अधिकतर गजलें उर्दू में होती थी।

पंकज के ग़ज़ल एल्बम

  • आहट (1980)
  • मुकर्रर (1981)
  • तरन्नुम (1982)
  • महफ़िल (1983)
  • शामखाना
  • पंकज उधास अल्बर्टा हॉल लाइव (1984)
  • नायाब (1985)
  • दंतकथा
  • खजाना
  • आफरीन (1986)
  • शगुफ्ता
  • नबील
  • आशियाना (1992)
  • एक धुन प्यार की (1992)
  • रुबी
  • तीन मौसम
  • यहूदी बस्ती
  • कैफ
  • कल्पित
  • एक आदमी
  • वो लड़की याद आती है
  • चोरी हुए पल
  • नशा (1997)
  • महके (1999)
  • घूंघट
  • मन
  • धड़कन
  • पंकज उधास का सर्वश्रेष्ठ खंड-1,2
  • पंकज उदास ‘लाइफ स्टोरी’ खंड-1,2
  • पंकज उधास खंड-1,2,3,4
  • हाथ
  • जेनमन
  • जश्न (2006)
  • अपार प्रेम
  • शायर
  • राजुआत (गुजराती)
  • बैसाखी (पंजाबी)
  • कौन
  • कभी आंसू कभी खुशबू कभी नाघुमा
  • हमनशीं
  • इन सर्च ऑफ मीर (2003)
  • इच्छा (2005)
  • भालोबाशा (बंगाली)
  • यारा – संगीत उस्ताद अमजद अली खान द्वारा
  • शबद – संगीत वैभव सक्सैना और गुंजन झा का है
  • शायर (2010)
  • बरबाद मोहब्बत
  • नशीला
  • मन (2013)
  • खामोशी की आवाज़ (2014)
  • ख्वाबों की कहानी (2015)[9]
  • मदहोश
  • गुलज़ार के साथ नायाब लम्हे (2018)

फिल्मों में गाए उनके गाए गाने

  • गाना — फिल्म/एल्बम — रिलीज़ का साल
  • मुन्ने की अम्मा ये तो बताओ — तुम हसीं मैं जवां — 1970
  • कामना—1972
  • चिट्ठी आई है — नाम — 1986
  • दिल से दिल मिला, फिर कैसा गिला, हो गया प्यार — तमाचा — 1988
  • चाँदी जैसा रंग है — एक ही मकसद — 1988
  • गा मेरे संग प्यार का गीत नया — गुनाहों का फैसला — 1988
  • आज फिर तुमपे — दयावान — 1988
  • एक एक हो जाए फिर घर चले जाना — गंगा जमुना सरस्वती — 1988
  • तेरे दर को छोड़ चले — पंकज उधास — 1988
  • सहारा तेरे इंतज़ार का है — हम इंतज़ार करेंगे — 1989
  • याद आयी, याद आयी, भूली वो कहानी फिर याद आयी — गोला बारूद — 1989
  • तुमने रख तो ली तस्वीर हमारी — लाल दुपट्टा मलमल का — 1989
  • कुछ बात है तुम में जो — पंकज उधास और अनुराधा पौडवाल — 1989
  • माहिया तेरी कसम — घायल — 1990
  • इश्क में जान गवा देंगे — पाप की कमाई — 1990
  • और भला मैं क्या मांगूं रब से — थानेदार — 1990
  • मोहब्बत इनायत करम देखते हैं — बहार आने तक — 1990
  • जीये तो जीये कैसे — प्राप्तकर्ता — 1991
  • जाने जान मुझे ऐसा क्या हुआ — विषकन्या — 1991
  • गीत बैंके लबों पे — अधर्म — 1992
  • धड़कने सांसें जवानी — बीटा — 1992
  • जो गीत नहीं जन्मा — संगीत — 1992
  • एक पल एक दिन — जिगर — 1992
  • अपनी मोहब्बत कभी कम ना हो — आजा सनम — 1992
  • किसी ने भी तो ना देखा — दिल आशना है — 1992
  • ये क्या क्या दिखती है — मेहरबान — 1993
  • दिल देता है रो रो दोहाई — फिर तेरी कहानी याद आयी — 1993
  • रबसे भी पहले होंथों पे मेरेसाजन तेरा — इज्जत की रोटी — 1993
  • मत कर इतना गुरुर — आदमी खिलोना है — 1993
  • आदमी खिलोना है (पुरुष) — पंकज उधास — 1993
  • तुझको सांसों में — कसम तेरी कसम — 1993
  • तेरी आंखें मेरी मंजिल — फ़ैज़ बाक़ी — 1993
  • खुदा करे मोहब्बत में — सनम (फिल्म 1997 में रिलीज़) — 1993
  • आँखे मेरे यार की दुखे (सोलो) — एक ही रास्ता — 1993
  • आँख मेरे यार की दुखे (युगल) — पंकज उधास और कविता कृष्णमूर्ति — 1993
  • छुपाना भी नहीं आता — बाजीगर — 1993
  • मोहब्बतों का सफ़र है (युगल) — मोहब्बतों का सफर — 1993
  • मोहब्बतों का सफ़र है (एकल) — पंकज उधास — 1993
  • अभी अभी ये समझा है — दिल अपना और प्रीत पराई — 1993
  • दिल जब से टूट गया (युगल) — नमस्ते — 1994
  • दिल जब से टूट गया (सोलो) — पंकज उधास — 1994
  • आँखों के काजल से — मैं तेरा आशिक (अप्रकाशित फ़िल्म) — 1994
  • मैं दीवाना हूं जिसका — ये दिल्लगी — 1994
  • ना कजरे की धार — टिकट — 1994
  • होठों पे तेरा नाम — मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी — 1994
  • मैं तुमसे प्यार करता हूं — घर की इज्जत — 1994
  • रिश्ता तेरा मेरा — जय विक्रांता — 1994
  • आंसू जुदाई के — मिलन — 1995
  • हमने खामोशी से तुम्हें दिल में बसाया है — मझधार — 1996
  • मित्र मित्र बातें — पत्तागोभी — 1997
  • जिंदगी को गुज़ारने के लिए — जीवन युद्ध — 1997
  • चंदकिंता चंदा— स्पर्श — 1999
  • “बरेयादा मौनादा कैविटे” — पंकज उधास, कविता कृष्णमूर्ति, अभिषेक उडुपा — 1999
  • राम करे — जंग — 2000
  • तेरी आशिकी — घाट — 2000
  • लंदन मेरा भारत — ये है जलवा — 2002
  • चाँदी जैसा रंग — ग़ज़ल ए मोहब्बत, वॉल्यूम। 1 — 2004
  • एक तो शराब कम — मान गए मुगल-ए-आजम — 2008
  • मैं दिल की दिल में — सनम तेरी कसम — 2009
  • साईं बाबा गीत सुधा — मोहम्मद एक — 2010
  • शब्द — पंकज उधास — 2010
  • पलछिन — माता की भेटें — 2011
  • मैय्या पुकारे रे (युगल) — 2011
  • आरती  — 2011
  • रात भर तन्हा रहा — दिल तो दीवाना है — 2016

पंकज उधास के मिले पुरुस्कार और सम्मान

  • पंकज उधास के अपने जीवन में कई पुरुस्कार और सम्मान मिले। जो कि इस प्रकार हैं…
  • 2006 में उन्हें गायन के लिए भारत का चौथा सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री प्राप्त हुआ।
  • 2006 में उन्हें हसरत नामक एल्बम के लिए प्रतिष्ठित कोलकाता का प्रतिष्ठित कलाकार पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • 2004 में उन्हें वैंबली कॉन्फ्रेंस सेंटर लंदन में विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
  • 1985 में उन्हें उसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ गजल गायक का के एल सहगल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • 1990 में उन्हें विशेष सेवा प्रदान करने के लिए उत्कृष्ट युवा व्यक्ति पुरस्कार इंडियन जूनियर्स चैंबर्स द्वारा प्राप्त मिला।
  • 1993 में पंकज उधास को संगीत के क्षेत्र में उच्चतम योगदान देने के लिए जॉइंट्स इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • 1994 में उन्हें रेडियो की आधिकारिक हिट परेड में अपने कई गानों के लिए रेडियो लोटस अवार्ड, डरबन विश्वविद्यालय दक्षिणी अफ्रीका से प्राप्त हुआ।
  • 1996 में उन्हें संगीत में उत्कृष्ट योगदान के लिए इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पुरस्कार मिला।
  • 1998 में अटलांटिक सिटी में अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्टिस्ट द्वारा उत्कृष्ट कलात्मक उपलब्धि पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • 1998 में उन्हें अमेरिका की न्यू जर्सी सिटी के मेयर द्वारा भारतीय कला पुरस्कार मिला।
  • 1999 में भारतीय संगीत विशेषकर गजलों को भारत और विदेशों में बढ़ावा देने के लिए उन्हें भारतीय विद्या भवन (यूएसए) द्वारा सम्मानित किया गयाष
  • 2001 में उन्हें गजल गायक के रूप में उत्कृष्ट योगदान के लिए रोटरी क्लब ऑफ मुंबई डाउनटाउन द्वारा वोकेशनल रिकॉग्निशन अवार्ड प्रदान किया गया।
  • 2002 में उन्हें इंडो अमेरिकन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ।
  • 2002 में ही पंकज उधास को मुंबई में सहयोग फाउंडेशन द्वारा संगीत क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • 2003 में उन्हें गजल और संगीत में उत्कृष्ट योगदान के लिए दादाभाई नौरोजी इंटरनेशनल सोसायटी द्वारा दादाभाई नौरोजी मिलेनियम पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • 2003 में उन्हें दुनिया भर में गजलों को लोकप्रिय बनाने के लिए बॉलीवुड म्यूजिक अवार्ड, न्यूयॉर्क में विशेष रूप से प्राप्त हुआ।
  • 2003 में उन्हें अपनी एल्बम इन सर्च ऑफ मीर के लिए एम टीवी इमीज अवार्ड मिला।
  • 2004 में उन्हें अपने सफल 20 साल पूरा होने पर वैंबली कॉन्फ्रेंस सेंटर लंदन में विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

उनका जाना…

26 फरवरी 2024 को लंबी बीमारी के बाद मुंबई में उनका निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे। उनकी आवाज और ग़ज़लों के रूप में वे अपने प्रशंसकों के दिल में जिंदा रहेंगे।

 


ये भी पढ़ें…

रामधारी सिंह दिनकर – वीर रस के अद्भुत कवि (जीवन परिचय)

रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar Biography) वीर रस के अद्भुत कवि रहे हैं। वे आधुनिक युग की कविता के सर्वश्रेष्ठ वीर रस के कवि रहे हैं। उनकी कविताओं में वीर रस पूर्ण रूप से झलकता है। मैथिलीशरण गुप्त के बाद उन्हें भी राष्ट्रकवि के नाम से जाना गया। उनकी रचनाओं में विद्रोह एवं राष्ट्रवाद दोनों झलकते हैं। आइये रामधारी सिंह दिनकर के बारे में कुछ जानते हैं…

रामधारी सिंह का जीवन परिचय (Ramdhari Singh Dinkar Biography)

जन्म

रामधारी सिंह दिनकर जी का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के मुंगेर के सिमरिया घाट नामक गाँव में हुआ था।

जीवन परिचय

‘रामधारी सिंह दिनकर’ का पूरा नाम ‘रामधारी सिंह’ था। उनका कवि नाम था। जो उन्होंने कविता क्षेत्र में प्रसिद्ध होने पर ‘दिनकर’ रखा।

रामधारी सिंह के पिता का नाम ‘रवि सिंह’ तथा उनकी माता का नाम ‘मंजू देवी’ था। उनके पिता एक साधारण एक किसान थे। जब रामधारी सिंह मात्र 2 वर्ष के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया। उनका और उनके भाई बहनों का पालन पोषण उनकी माता ने किया था। इसलिए रामधारी सिंह का बचपन संघर्षों में बीता था।

उनका आरंभिक बचपन अपने गाँव में ही प्राकृतिक अंचल में बीता, जिस कारण उनके मन में प्राकृतिक रूप से कविता के संस्कार अंकुरित होने लगे थे। अपने जीवन में होने वाले निरंतर संघर्ष और जीवन की वास्तविकता धरातल का सामना होने से उन्हें जीवन की वास्तविकता और कठोरता का गहरा ज्ञान हो गया था।

उनकी प्राथमिक शिक्षा गाँव के प्राथमिक विद्यालय में की हुई और बाद में उन्होंने अपने निकटवर्ती ‘बोरो’ गाँव से राष्ट्रीय मिडिल स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने हाई स्कूल की शिक्षा ‘मोकामाघाट’ हाई स्कूल से प्राप्त की। इसी बीच उनका विवाह भी हो चुका था और वह पुत्र के पिता भी बन चुके थे।

रामधारी दिनकर जी ने सन 1928 में मैट्रिक की परीक्षा तथा 1932 में इतिहास में बीए ऑनर्स पटना विश्वविद्यालय से किया। बीए ऑनर्स करने के बाद एक विद्यालय में प्रधानाध्यापक प्रधानाध्यापक के रूप में कार्य करने लगे और उसके बाद उन्होंने बिहार सरकार के अंतर्गत सब रजिस्ट्रार के पद पर भी कार्य किया।

उन्होंने 9 वर्षों तक सरकारी सेवा की 1947 में जब भारत को आजादी मिली तो वह बिहार विश्वविद्यालय के अन्तर्गत मुजफ्फरपुर में हिंदी के प्राध्यापक और हिंदी विभागाध्यक्ष बने।

सन 1952 में राज्यसभा के सांसद भी राज्यसभा के सदस्य भी चुने गए और वह दिल्ली रहने लगे वह तीन बार लगभग 12 वर्षों तक संसद सदस्य रहे। वे 1964 से 1965 तक भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। 1965 से 1971 के बीच उन्होंने भारत सरकार के लिए हिंदी सलाहकार के पद पर भी कार्य किया।

दिनकर जी वीर रस के अद्भुत कवि रहे हैं। उनकी रचनाएं वीर रस से ओतप्रोत रही हैं। यद्यपि वह गाँधीवाद के अनुयायी और अहिंसा के समर्थक थे, लेकिन उन्होंने वीर रस की अनेक रचनाएं रखी है। वह कुरुक्षेत्र, परशुराम की प्रतिज्ञा आदि वीर रस की रचना करने से नहीं चूके।

‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ उनकी यह रचना सत्ता के प्रति आम जनता के मनोभावों को प्रकट करती है, तो परशुराम की प्रतीक्षा के माध्यम से उन्होंने महाभारत की वीर कथा का वर्णन किया है।

हिंदी के जितने भी आधुनिक कवि रहे हैं, उन कवियों में वे प्रथम पंक्ति के कवि माने जाते रहे हैं और उनकी रचनाएं आज भी उतनी ही तन्मयता से गुनगुनायी और पढ़ी जाती हैं।

रश्मिरथी उनकी ऐसी रचना है जो 7 सर्गों में विभाजित है, जिसमें उन्होंने महाभारत काल की कथा का वर्णन किया है।उनकी कुरुक्षेत्र नामक रचना भी महाभारत काल से संबंधित रही है।

रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के साहित्य के अन्य कवियों हरिवंश राय बच्चन और सूर्यकुमार त्रिपाठी निराला के साथ

रामधारी सिंह दिनकर की साहित्यिक रचनाएं

रामधारी सिंह दिनकर ने अपने जीवन काल में अनके पद्य एवं गद्य की रचनाएं की। उनकी साहित्यिक रचनाएं इस प्रकार हैं…

काव्य कृतियां

बारदोली-विजय संदेश (1928)प्रणभंग (1929)रेणुका (1935)हुंकार (1938)रसवन्ती (1939)
6.द्वंद्वगीत (1940)कुरूक्षेत्र (1946)धूप-छाँह (1947)सामधेनी (1947)बापू (1947)
इतिहास के आँसू (1951)धूप और धुआँ (1951)मिर्च का मज़ा (1951)रश्मिरथी (1952)दिल्ली (1954)
नीम के पत्ते (1954)नील कुसुम (1955)सूरज का ब्याह (1955)चक्रवाल (1956)कवि-श्री (1957)
सीपी और शंख (1957)नये सुभाषित (1957)लोकप्रिय कवि दिनकर (1960)उर्वशी (1961)परशुराम की प्रतीक्षा (1963)
आत्मा की आँखें (1964)कोयला और कवित्व (1964)मृत्ति-तिलक (1964) औरदिनकर की सूक्तियाँ (1964)हारे को हरिनाम (1970)
संचियता (1973)दिनकर के गीत (1973)रश्मिलोक (1974)उर्वशी तथा अन्य शृंगारिक कविताएँ (1974)

रश्मि रथी काव्य

रश्मिरथी प्रथम सर्गरश्मिरथी द्वितीय सर्गरश्मिरथी तृतीय सर्गरश्मिरथी चतुर्थ सर्ग
रश्मिरथी पंचम सर्गरश्मिरथी षष्ठ सर्गरश्मिरथी सप्तम सर्ग

गद्य रचनायें

दिनकर ने काव्य कृतियों के अलावा गद्य कृतियों की भी रचना की।

मिट्टी की ओर (1946)चित्तौड़ का साका (1948)अर्धनारीश्वर (1952)रेती के फूल (1954)हमारी सांस्कृतिक एकता (1955)
भारत की सांस्कृतिक कहानी (1955)संस्कृति के चार अध्याय 1956उजली आग 1956देश-विदेश 1957राष्ट्र-भाषा और राष्ट्रीय एकता 1955
काव्य की भूमिका 1958पन्त-प्रसाद और मैथिलीशरण 1958वेणुवन 1958धर्म, नैतिकता और विज्ञान 1969वट-पीपल 1961
लोकदेव नेहरू 1965शुद्ध कविता की खोज 1966साहित्य-मुखी 1968राष्ट्रभाषा आंदोलन और गांधीजी 1968हे राम! 1968
संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ 1970भारतीय एकता 1971मेरी यात्राएँ 1971दिनकर की डायरी 1973चेतना की शिला 1973
विवाह की मुसीबतें 1973आधुनिकता बोध 1973

निबंध संग्रह

मिट्टी की ओर (1946ई०)अर्द्धनारीश्वर (1952ई०रेती के फूल (1954ई०)हमारी संस्कृति (1956ई०)वेणुवन (1958ई०)
उजली आग (1956ई०)राष्टभाषा और राष्ट्रीय एकता (1958ई०)धर्म नैतिकता और विज्ञान (1959ई०)वट पीपल (1961ई०)साहित्य मुखी (1968ई०)
आधुनिकता बोध (1973ई०)

सम्मान एवं पुरस्कार

दिनकर जी को अपने जीवनकाल मे हिंदी साहित्य में अपने योगदान के लिए अनेक पुरुस्कार मिले, जो इस प्रकार हैं…

  • राष्ट्रकवि दिनकर को भारत सरकार की ओर से 1959 में ‘पद्मविभूषण’ का पुरस्कार मिल चुका है।
  • उन्हें अपनी पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ 1959 मिला
  • उन्हें अपनी रचना ‘उर्वशी’ के लिए उन्हें भारतीय साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ 1972 मिला।
  • दिनकरजी को उनकी रचना कुरुक्षेत्र के लिये काशी नागरी प्रचारिणी सभा, उत्तरप्रदेश सरकार और भारत सरकार से सम्मान मिला।
  • दिनकर को कुरुक्षेत्र रचना के लिए इलाहाबाद की साहित्यकार संसद द्वारा 1948 में पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • 1968 में राजस्थान विद्यापीठ ने उन्हें साहित्य-चूड़ामणि से सम्मानित किया।

देहावसान

रवि शंकर का देहांत 24 अप्रैल 1974 को मद्रास (चेन्नई) में हुआ था।

राष्ट्रकवि दिनकर जी सफल एवं वीर रहे हैं, जिन्होंने अपनी जोश भर देने वाली रचनाओं से हिंदी साहित्य प्रेमियों के मन में वीर रस का जोश भरा है।

रामधारी सिंह दिनकर के सम्मान में भारत सरकार द्वारा 1999 जारी हुआ डाक टिकट

ये भी पढ़ें…

Kookaburra ball-Duke ball-SG ball – कूकाबूरा बॉल, ड्यूक बॉल तथा एसजी बॉल क्या होती हैं और इनमें क्या अंतर है?

क्रिकेट के खेल में हम अक्सर कूकाबूरा बॉल, ड्यूक बॉल और एसजी बॉल (Kookaburra ball-Duke ball-SG ball) जैसे नामों को सुनते हैं। क्रिकेट जगत में इन तीनों बॉल का उपयोग किया जाता है। कोई देश कूकाबूरा बाल से खेलता है, कहीं पर ड्यूक बॉल से क्रिकेट खेली जाती है तो कहीं पर एसजी बॉल से क्रिकेट खेली जाती है।

आइए जानते हैं कि कूकाबूरा बॉल, ड्यूक बॉल और एलजी बॉल (Kookaburra ball-Duke ball-SG ball) क्या है। इनमें क्या अंतर है। कौन-कौन से देशों में और कहाँ-कहाँ पर इन गेदों से क्रिकेट खेली जाती है…

कूकाबूरा बॉल, ड्यूक बॉल और एसजी बॉल (Kookaburra ball-Duke ball-SG ball)

यूँ तो क्रिकेट में बहुत तरह की गेंदों से क्रिकेट खेली जाती है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में अधिकतर तीन तरह की गेंदों से क्रिकेट खेली जाती है, वो हैं…

  • कूकाबूरा बॉल (Kookaburra ball)
  • ड्यूक बॉल (Duke ball)
  • एसजी बॉल (Sanspareil Greenlands ball)

कूकाबूरा बॉल (Kookaburra ball)

यदि विश्व क्रिकेट में किसी गेंद से सबसे अधिक क्रिकेट खेला जाता है तो वह कूकाबूरा गेंद है। कूकाबूर बॉल से सबसे अधिक से अधिक सबसे अधिक देशों में क्रिकेट खेली जाती है। इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान, जिंबॉब्वे जैसे देश प्रमुख हैं।

इन देशों कूकाबूरा की गेंद से ही विश्व स्तर की क्रिकेट खेली जाती है। कूकाबूरा बॉल ऑस्ट्रेलिया में बनाई जाती है। यह ऑस्ट्रेलिया में स्थित कूकाबूरा नाम की कंपनी द्वारा बनाई जाती है। ये कंपनी क्रिकेट और फील्ड हॉकी उपकरण बनाती है। कूकाबूरा बॉल का नाम ऑस्ट्रेलिया के एक जीव से लिया गया है, जो कि अधिकांशतः ऑस्ट्रेलिया में ही पाया जाता है।

कूकाबूरा बॉल को बनाते समय इसकी सिलाई हाथ से नही की जाती है, बल्कि इसकी सिलाई मशीन से की जाती है। कूकाबूरा बॉल की सीम दबी हुई होती है। ये बॉल खेल में शुरु के 20-30 ओवर तेज गेंदबाजों के लिए अधिक मददगार होती है। बाद में ये बल्लेबाजों के लिए आसान होती जाती है।

इस बॉल की सीम दबी हुई होने के कारण ये बॉल स्पिनरों के लिए अधिक मददगार नही होती है। इसीलिए ये बॉल ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउध अफ्रीका जैसों देशों में अधिक लोकप्रिय हैं, क्योंकि यहाँ की पिचें तेज गेंदबाजों के अनूकूल होती है।

ड्यूक बॉल (Duke ball)

ड्यूक बॉल से जिन देशों में सबसे अधिक क्रिकेट खेली जाती है, वह देश हैं, इंग्लैंड, आयरलैंड, स्कॉटलैंड, वेस्टइंडीज आदि। ड्यूक बॉल का खासियत ये है कि इसकी सिलाई हाथ से ही की जाती है। इसकी सीम उभरी हुई होती है। ड्यूक बॉल से भी कूकाबूरा बॉल की तरह तेज गेंदबाजों को अधिक मदद मिलती है।

इस बॉल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बॉल 60 ओवर तक कठोर बनी रहती है और इससे 20-30 ओवर के बाद ही गेंदबाजों को रिवर्स स्विंग मिलने लगती है, जबकि कूकाबूरा बॉल और एसजी बॉल से लगभग 50 ओवरों के बाद रिवर्स स्विंग मिलती है। ड्यूक बॉल भी कूकाबूरा बॉल की तरह तेज गेंदबाजों के लिए मददगार होती है।

ड्यूक बॉल इंग्लैंड में ही स्थित कंपनी द्वारा बनाई जाती है। यह कंपनी 1760 में ड्यूक फैमिली द्वारा बनाई गई थी। यह कंपनी क्रिकेट के उपकरण बनाती है। इस कंपनी को 1987 में भारतीय बिजनेस में दिलीप जाजोदिया ने खरीद लिया था यानी भारतीय मूल के मालिक द्वारा यह कंपनी अब ड्यूक बॉल बनाती है, जो कि इंग्लैंड, आयरलैंड, वेस्टइंडीज के क्रिकेट की सबसे प्रमुख बॉल है।

एसजी बॉल (Sanspareil Greenlands ball)

एसजी बॉल जिसका पूरा नाम सन्सपैरील ग्रीनलैंड्स (Sanspareil Greelands) है, यह बॉल पूरी तरह से विशुद्ध भारतीय बॉल है और यह क्रिकेट बॉल भारत के क्रिकेट की सबसे प्रमुख बॉल है।  एसजी बॉल की खासियत यह होती है कि यह बॉल स्पिनरों के लिए अधिक मददगार होती है। इसी कारण भारत में अधिकतर क्रिकेट एसजी बॉल से खेली जाती है, क्योंकि भारत की पिचें स्पिनरों के लिए अधिक मददगार होती हैं।

भारत की सारी घरेलू क्रिकेट और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट एसजी बॉल से खेली जाती है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जो एसजी बॉल का ही प्रयोग करता है। अन्य देशों में सबसे अधिक कूकाबूरा बॉल का प्रयोग किया जाता है, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, बांग्लादेश, जिंबाब्वे, अफगानिस्तान, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज, भारत का ही प्रयोग करता है।

एसजी बॉल उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में स्थापित कंपनी द्वारा बनाई जाती है। यह कंपनी 1950 में बनी थी। तब से ये कंपनी एसजी बॉल बनाती है। एसजी बॉल कंपनी की स्थापन द्वारकानाथ और केदारनाथ आनंद द्वारा 1950 में मेरठ मे की गई थी।

सन 1931 में पहले केदारनाथ आनंद और द्वारकानाथ आनंद सन्सपैरिल कंपनी की स्थापना स्यालकोट में की, जो कि अब पाकिस्तान में है, वहीं पर उन्होंने 1940 में ग्रीनलैंड्स कंपनी की स्थापना की, जिसका मुख्य कार्य एक्सपोर्ट करना था। भारत के विभाजन के बाद दोनों भाई भारत आ गए और आगरा-मेरठ में बस गए।

मेरठ में ही इन दोनों ने 1950 में उन्होंने अपनी पहली दोनों कंपनियों को मिलाकर एसजी कंपनी की स्थापना की, जिसने ड्यूक बॉल बनाना शुरु किया। ये कंपनी 1950 से एसजी बॉल बना रही है। एलजी बॉल के अलावा ये कंपनी खेलों के कई उपकरण बनाती है।

इसके बनाए क्रिकेट बैट बहुत लोकप्रिय हैं, जिनकी मांग भारत के अलावा विदेशों विशेषकर ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड में बहुत है। समय-समय पर भारत के ही कई क्रिकेटरों ने एसजी बॉल की गुणवत्ता की आलोचना की है, जिसमें रविचंद्रन अश्विन, कुलदीप यादव, उमेश यादव, विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों का नाम प्रमुख है।

उनके अनुसार एसजी बॉल की अपेक्षा कूकाबूरा बॉल तथा ड्यूक बॉल की गुणवत्ता अधिक अच्छी होती है। हालांकि भारत में एसजी बॉल को ही सबसे अधिक सपोर्ट दिया जाता है और भारत में एसजी बॉल से ही सबसे अधिक क्रिकेट खेली जाती है।

Kookaburra ball-Duke ball-SG ball


ये भी पढ़ें..

हर कष्ट से मुक्ति दिलाने वाले हैं, श्री कष्टभंजन देव हनुमान जी। गुजरात के सांरगपुर में स्थित है अद्भुत दिव्य मंदिर, जहाँ पूरी होती है हर मनोकामना।

गुजरात के सारंगपुर में श्री हनुमान जी का दिव्य मंदिर श्री कष्टभंजन हनुमान देव मंदिर (Shree Kashtbhanjan Dev Hanuman Mandir) स्थित है, ये मंदिर भक्तों की मनोकामना पूरी करने के लिए प्रसिद्ध है, आइए जानते हैं पूरा विवरण…

हनुमान जी शक्ति के देवता हैं, वह पृथ्वी के जागृत देवता हैं। वह चिरंजीव हैं अर्थात उनके बारे में मान्यता है कि वह पृथ्वी पर अभी भी सशरीर मौजूद है, क्योंकि उन्हें अमरता का वरदान मिला हुआ है।

इस कलयुग में हनुमान जी शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं। यदि उनकी भक्ति भाव से आराधना की जाए तो वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।

हनुमान एक ऐसे देवता हैं जो जिनके भारत में सबसे अधिक मंदिर मिल जाएंगे। किसी भी अन्य देवता के इतने मंदिर नहीं मिलते, जितने श्री हनुमान जी के मंदिर होते हैं। भारत के हर नगर, गाँव, कस्बे में एक हनुमान मंदिर अवश्य मिल जाएगा।

भारत में कोने-कोने पर ऐसे अनेक दिव्य मंदिर हैं, जो अपनी विशेष दिव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं। श्री कष्टभंजन देव हनुमान मंदिर ऐसे ही दिव्य मंदिरों की श्रेणी में है। इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त लोग श्री हनुमान के दर्शन करने को आते है और यहाँ पर आकर हनुमान जी का दर्शन करने और उनका स्मरण करने मात्र श्री हनुमान भक्तों के कष्ट का भंजन कर देते हैं, इसीलिए वह कष्टभंजन हनुमान कहलाए।

कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहाँ पर है?

कष्टभंजन हनुमान मंदिर गुजरात के सारंगपुर नामक छोटे से कस्बे में स्थित है। ये कस्बा गुजरात के भावनगर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

श्री कष्टभंजन देव हनुमान मंदिर (Shree Kashtbhanjan Dev Hanuman Mandir)

ये मंदिर हनुमान जी का ऐसा मंदिर है, जहाँ पर उनके साथ शनिदेव भी विराजमान हैं, और शनिदेव स्त्री रूप में हनुमान जी के चरणों में विराजमान हैं।

इस मंदिर का निर्माण स्वामी नारायण संप्रदाय द्वारा किया गया है। यह स्वामीनारायण संप्रदाय का एकमात्र मंदिर है। जहाँ पर मुख्य देव के रूप में श्री हनुमान विराजमान हैं, नहीं तो स्वामीनारायण संप्रदाय के हर मंदिर में स्वामीनारायण की मूर्ति तथा श्री कृष्ण की मूर्ति अवश्य होती है, लेकिन इस मंदिर में श्री हनुमान जी की मूर्ति मुख्य प्रतिमा के रूप में स्थापित है।

इस संबध में एक कथा प्रचलित है।

प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन समय में शनि देव का प्रकोप इस क्षेत्र में काफी बढ़ गया था, जिसके कारण यहाँ के सभी निवासियों को तरह-तरह की परेशानियों और दुखों का सामना करना पड़ रहा था। मान्यता के अनुसार उस समय यहाँ स्थानीय निवासियों ने भगवान हनुमान जी से प्रार्थना की कि वह उन्हें इस संकट से मुक्ति दिलाए।

अपने भक्तों का कष्ट हनुमान देखा नही गया। हनुमान जी ने अपने भक्तों की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और उन्हें शनि के प्रकोप से बचने के लिए सांरगपुर नामक इस जगह पर प्रकट हुए। कहा जाता है कि इसके बाद हनुमान जी शनिदेव पर क्रोधित हो गए और उन्हें दंड देने का निश्चय किया।

शनिदेव को जब इस बात का पता चला कि हनुमान जी क्रोध में हैं और उन्हें दंड देना चाहते हैं तो वह बहुत डर गए और हनुमान जी के क्रोध से बचने के लिए उपाय सोचने लगे। शनि देव जानते थे कि हनुमान जी किसी भी किसी स्त्री पर वार नहीं करते। इसलिए शनि देव ने उनके क्रोध से बचने के लिए स्त्री रूप धारण कर लिया और उनके चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगे।

शनिदेव द्वारा क्षमा मांगने और भक्तों को नही सताने के वचन के बाद हनुमान जी ने शनिदेव को क्षमा कर दिया। कहते हैं कि तभी से यहाँ हनुमान जी कष्टभंजन के रूप में स्थापित हो गए और शनिदेव उनके चरणों स्त्री के रूप में स्थापित हो गए।

मंदिर के गर्भ गृह में हनुमान जी की प्रतिमा को कष्टभंजन के रूप में दर्शाया गया है, जिसके आधार पर शनि देव को हनुमान जी के चरणों में स्त्री रूप में पूजा जाता है। हनुमान जी द्वारा भक्तों के कष्टों का निवारण करने की वजह से ही उन्हें कष्टभंजन हनुमान के नाम से जाना जाता है।

प्रचलित मान्यता के अनुसार अगर किसी मनुष्य की कुंडली में शनि दोष होता है तो यहां आकर कष्टभंजन हनुमान जी के दर्शन और पूजन अर्चन करने से दोष भी समाप्त हो जाते हैं। यही कारण है कि पूरे साल इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने और अपनी कुंडली से शनि दोष को दूर करने के लिए आने वाले भक्तों का ताँता लगा रहता है।

यहाँ पर श्री हनुमान जी को महाराजाधिराज कहा जाता है, क्योंकि वह इस सुंदर विशाल भव्य मंदिर में एक विशाल और भव्य मंडप के बीच 45 किलो सोने और 95 किलो चांदी से बने एक सुंदर सिंहासन पर विराजमान है। उनके सिर पर हीरे-जवाहरातों का मुकुट सुसज्जित है और उनके निकट में ही सोने की एक गदा भी रखी हुई है।

हनुमान जी के चारों तरफ उनकी वानर सेवा की छोटी-छोटी मूर्तियां भी अंकित हैं तथा उनके पैरों में स्त्री रूप में श्री शनि देव महाराज विराजमान हैं।

कष्टभंजन हनुमान मंदिर में दो बार आरती की जाती है। सुबह 5:30 बजे मंगला आरती होती है फिर वेद मंंत्रो के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। उसके बाद शाम के समय आरती की जाती है।

मंगलवार और शनिवार के दिन यहाँ पर भक्तों की विशेष भीड़ लगती है। जिन लोगों के ऊपर शनि का प्रकोप है, वह यहाँ पर आकर शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने की कामना लेकर आते हैं।

मंगलवार और शनिवार दिन आना यहां पर विशेष लाभदायक है। शनिवार के दिन आने से यहां पर हनुमान जी के साथ-साथ शनि महाराज का भी आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है। मंगलवार और शनिवार के दिन यहां संख्या चार से पांच गुना तक बढ़ जाती है।

कष्टभंजन हनुमान जी को चढ़ाए जाने वाली सामग्री और प्रसाद की बात करें तो यहाँ नारियल पुष्प और कई प्रकार की मिठाइयों का प्रसाद भेंट किया जाता है।

नारियल चढ़कर अपनी मनोकामना को हनुमान जी के सामने रखने वाले भक्तों की संख्या सबसे अधिक देखी जाती है।

यहाँ पर आकर नारियल चढ़ाना विशेष फलदाई माना गया है और नारियल चढ़कर यहाँ पर अपनी समस्त चिंताओं से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके अलावा यहां शनि दशा से दोष मुक्ति मिल ही जाती है, साथ ही साथ संकट मोचन रक्षक कवच भी मिल जाता है।

इसी कारण श्री कष्टभंजन हनुमान जी का ये प्रसिद्ध दिव्य मंदिर सिर्फ गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया में प्रसिद्ध है। यहाँ देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु भक्त एक बार इस मंदिर में दर्शन करने जरूर आते हैं।

कैसे जाएं?

यदि कष्टभंजन हनुमान मंदिर जाना हो तो भावनगर आगर वहाँ से टैक्सी अथवा किसी भी वाहन द्वारा सारंगपुर कस्बे में आया जा सकता है। सारंगपुर कस्बा एक छोटा सा कस्बा है जिसकी जनसंख्या 5000 से भी काम है।

भावनगर से सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर की दूरी करीब 90 किलोमीटर है और अगर आप राजकोट से सारंगपुर तक आना चाहते हैं तो वहां से इस मंदिर की दूरी करीब 120 किलोमीटर है, जबकि अहमदाबाद से यह दूरी करीब 165 किलोमीटर है। मंदिर तक जाने आने के लिए बस सेवा और प्राइवेट टैक्सी जैसी सभी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती है।

भावनगर में हवाई अड्डा भी है यदि हवाई मार्ग से आना हो तो देश के अलग-अलग हिस्सों से हवाई जहाज से भावनगर जाकर वहाँ से सारंगपुर आए जा सकता है।

भावनगर के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से कई ट्रेने भी चलती हैं। भावनगर तक ट्रेन से आकर आगे सारंगपुर का सफर टैक्सी द्वारा या बस द्वारा पूरा किया जा सकता है। अहमदाबाद से भी सारंगपुर आया जा सकता है।

मंदिर के बारे में…

मंदिर के पास में ही एक विशाल भवन है जिसे व्हाइट हाउस कहा जाता है। यहाँ पर खाने-ठहरने की उत्तम व्यवस्था है। यहाँ पर बड़े-बड़े कमरे और एक सार्वजनिक हाल भी है। हाल में ठहरने के लिए निशुल्क व्यवस्था है। यदि आप ग्रुप में जा रहे हैं तो विशेष कमरा लेकर ठहर सकते हैं।  मंदिर के पास में ही एक विशाल धर्मशाला और निशुल्क को भोजनालय भी है, जहां पर निशुल्क को भोजन की व्यवस्था है। व्हाइट हाउस भवन में ठहरन के लिए बुकिंग आदि के लिए मंदिरी वेबसाइट के माध्यम से भी बुकिंग करा सकते हैं।

गुजरात के सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर का परिसर और यह मंदिर एकदम स्वच्छ सुसज्जित और एक खुले मैदान के आकार का दिखाई देता है। यह मंदिर भव्यता के साथ उत्तम नक्काशी और आकर्षण का केंद्र है।

कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर के साथ ही में भगवान श्री स्वामी नारायण जी का भी बेहद सुंदर और आकर्षक मंदिर भी मौजूद है, जिसमें उनकी स्मृतियों को दर्शाया गया है। करीब 170 वर्ष पुराने इस स्वामीनारायण मंदिर की विशेषता यह है कि इसकी स्थापना भगवान श्री स्वामीनारायण के अनुयाई परम पूज्य श्री गोपालानंद स्वामी जी के द्वारा हुई थी।

यह मंदिर लकड़ी की आकर्षक एवं परंपरागत नक्काशी से सज्जित है। मंदिर परिसर क्षेत्र का स्वच्छ वातावरण एवं निर्मल हवा श्रद्धालुओं को एक सकारात्मक ऊर्जा का एहसास दिलाता है।

सारंगपुर की अधिकतर आबादी स्वामी नारायण संप्रदाय से जुड़ी हुई है, लेकिन यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण कष्टभंजन हनुमान जी का यह मंदिर ही है और यह दोनों ही मंदिर एक ही प्रांगण में मौजूद है।

इस मंदिर के कारण सांरगपुर कस्बे का भी खूब विकास हुआ है। कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर के आसपास के कुछ अन्य प्रसिद्ध दर्शनीय और पर्यटन स्थलों में शिव शक्ति मंदिर, श्री जगन्नाथ मंदिर, इस्कॉन मंदिर, सरिता उद्यान एवं हिरण का उद्यान शामिल हैं।

कष्टभंजन हनुमान जी के मंदिर के पास ही में एक गौशाला भी है जिसमें प्राचीन और उत्तम नस्ल की भारतीय गायों के दर्शन और उनकी सेवा भी की जा सकती है और उनसे प्राप्त होने वाले दूध-घी से ही मंदिर में प्रसाद और भोजन सामग्री तैयार किया जाता है।

 

अधिक जानकारी के लिए श्री कष्टभंजन हनुमान देव मंदिर की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।

मंदिर ट्रस्ट की वेबसाइट

https://salangpurhanumanji.org/


ये भी पढ़ें…

Cyber Crime Complaint – अपने साथ हुए किसी भी तरह के साइबर क्राइम की ऑनलाइन कम्पलेंट कैसे करें?

इस डिजिटल और तकनीक युग में साइबर क्राइम के खतरे बहुत बढ़ गए हैं। ऐसी स्थिति में अपने साथ हुए किसी भी तरह के साइबर क्राइम या फ्रॉड की Cyber Crime Complaint Online कैसे करें, ये जानें…

बढ़ते तकनीक के प्रयोग से लोगों की गैजेट्स और तकनीक पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। यह लोगों के जीवन का आवश्यक अंग बन गई है। लेकिन जैसे-जैसे हम डिजिटल युग में अधिक इनवॉल्व होते जा रहे हैं, साइबर क्राइम जैसे मामलों की संख्या भी बढ़ने लगी है।

लोगों के साथ लगातार होने वाले साइबर क्राइम या साइबर फ्रॉड आदि को रोकने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन साइबर अपराधी और हैकर्स अपनी हरकतों से बाज नहीं आते और वह रोज नए-नए तरीके निकाल कर लोगों से फ्रॉड करने की कोशिश करते हैं।

ऐसी में यदि आपके साथ कोई साइबर क्राइम हो जाए। आपके बैंक से कोई साइबर अपराधी पैसे निकाल ले या आपका फोन हैक हो जाए या आपका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो जाए तो ऐसी समय में आपके सामने यह समस्या उठ खड़ी होती है कि आप अपने साथ हुए इस साइबर क्राइम की कंप्लेंट कहाँ पर करें, क्योंकि साइबर मामलों से निपटने के लिए साइबर सेल में कंप्लेंट करना ज्यादा ठीक रहता है ताकि तुरंत एक्शन लिया जा सके।

इसलिए आपको यहाँ पर आपके साथ साइबर क्राइम होने पर कंप्लेंट करने का रास्ता बताते हैं ताकि आप तुरंत एक्शन लेकर अपने साथ हुए अपराध से होने वाले नुकसान को कर कर सकें या उसका असर कम कर सकें।

साइबर क्राइम का शिकार होने पर क्या करें? (Cyber Crime complaint)

यदि आपके साथ कोई भी साइबर क्राइम हो जाए। आपके बैंक अकाउंट से गलत तरीके से आपकी जानकारी के बिना कोई पैसे निकाल ले या आपका फोन हैक हो जाए या आपका कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो जाए और आपको निम्नलिखित स्टेप आने चाहिए।

  • सबसे पहले आपको अपने नजदीकी पुलिस स्टेशनन में जाकर रिपोर्ट करनी चाहिए। हर पुलिस स्टेशन में साइबर क्राइम की रिपोर्ट करने के लिए अलग साइबर सेल होती है। यदि आप ऐसी जगह पर हैं जहाँ आपके नजदीक में कोई पुलिस स्टेशन नहीं है। पुलिस स्टेशन अधिक दूर है। आपका पुलिस स्टेशन तक जाना पाना संभव नहीं है, तो आप ऑनलाइन कंप्लेंट कर सकते हैं।

साइबर क्राइम होने की दिशा में ऑनलाइन कंप्लेंट कैसे करें?

  • ऑनलाइन कम्पलेंट करने के लिए आपको सबसे पहले यह करना पड़ेगा कि आप जिस राज्य में रहते हैं, उस राज्य से संबंधित साइबर क्राइम की वेबसाइट पर जाएं। अपने राज्य से संबंधित साइबर क्राइम से संबंधित वेबसाइट पर विजिट करके आपको आपके एरिया का साइबर क्राइम रिपोर्ट करने वाला थाने का सीयूजी नंबर और ईमेल दिखेगा।
  • आप इस सीयूजी नंबर पर फोन करके अथवा दिए गए ईमेल पर ईमेल करके, अपने साथ हुए फ्रॉड की शिकायत को दर्ज कर सकते हैं।
यह तो राज्य स्तर पर कंप्लेंट करने के बात हुई यदि आप राष्ट्रीय स्तर पर साइबर क्राइम की रिपोर्ट करना चाहते हैं तो आपको इस वेबसाइट पर विजिट करना होगा।
https://cybercrime.gov.in/

 

  • वेबसाइट पर विजिट करने के बाद आपको होमपेज पर ही तीन विकल्प दिखाई देंगे। इन तीनों विकल्पों में एक विकल्प महिलाओं और बच्चों के साथ हुए छेड़खानी से संबंधित होगा। दूसरा विकल्प आपके साथ हुआ किसी भी तरह के फाइनेंशियल फ्रॉड यानी बैंकिंग फ्रॉड संबंधित विकल्प होगा। तीसरा विकल्प दूसरी तरह के साइबर क्राइम होंगे जैसे फोन हैक हैकिंग, सोशल मीडिया अकाउंट हैकिंग आदि का विकल्प होगा।
  • आपके साथ जिस तरह का साइबर क्राइम हुआ, आप उस विकल्प को चुनें। उसके बाद उस विकल्प को चुनने के बाद register a complaint करने का ऑप्शन आएगा।
  • आपको उस पर क्लिक करना होगा। फिर file a complaint पर क्लिक करके अपनी कंप्लेंट दर्ज करनी होगी।
  • यदि आपका इस वेबसाइट पर पहले से रजिस्ट्रेशन नहीं है तो आपको पहले अपने ईमेल द्वारा इसका रजिस्ट्रेशन करना होगा।
  • रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता कार्यवाही पूरी करने के बाद आप अपने साथ हुए साइबर क्राइम की रिपोर्ट को दर्ज कर सकते हैं।
  • आपको साइबर क्राइम की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद एक एक्नॉलेजमेंट मिल जाएगा और उसके द्वारा आप अपने साथ हुए साइबर क्राइम की प्रोग्रेस स्टेटस को चेक कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें…

कौन हैं कश्मीर की पत्रकार और एक्टिविस्ट याना मीर (लाइफ स्कैन)

पिछले दो दिनो से भारत के कश्मीर राज्य की एक पत्रकार याना मीर (Yana Mir) का ब्रिटेन की संसद में दिया गया बयान बहुत वायरल हो रहा है, जिसमें वह पाकिस्तान की सोशल एक्टिविस्ट मलाला यूसुफजई को ताना मारते हुए अपनी बात भी रख रही हैं और अपने देश भारत की प्रशंसा करते हुए कह रही हैं कि उन्हें अपने देश भारत और अपने राज्य कश्मीर में कोई भी डर नहीं है।

भारत के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हुए उनका यह बयान काफी वायरल हो रहा है। लोगों के मन में यह उत्सुकता उठी है कि याना मीर कौन है? आइए याना मीर को जानते हैं…

याना मीर (Yana Mir)

याना मीर भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य की एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इसके अलावा वह यूट्यूब पर कश्मीर से संबंधित वीडियो भी बनाती हैंं, यानि वह Vloger भी हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर की पहली महिला यूट्यूब ब्लॉगर के रूप में जाना जाता है। उनके यूट्यूब

वह कश्मीर के ‘द रियल कश्मीर न्यूज़’ की प्रधान संपादक हैं और ‘जम्मू और कश्मीर युथ सोसाइटी’ की उपाध्यक्ष हैं। उनकी उम्र की बात की जाए तो वर्तमान समय में वह 31 साल की हैं।

परिचय

याना मीर का जन्म 7 जुलाई 1992 जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिलें में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा अनंत अनंतनाभ जिले में ही हुई। उसके बाद बाद वह कुछ समय के लिए मुंबई शिफ्ट हो गईं और उन्होंने उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने IEC University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में डिग्री भी प्राप्त की है। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह वापस कश्मीर लौट आई और एक सामाजिक कार्यकर्ता तथा पत्रकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की।

वह कश्मीर के लिए कश्मीर की तरफ से निडर और मुखर पत्रकारिता के रूप में जाने जाती हैं। जब कश्मीर से अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 हटाया गया था, तब भी इन्होंने इसका समर्थन किया था और वह भारत की वर्तमान सरकार का भी समर्थन करती हैं।

वह जम्मू कश्मीर घाटी में घाटी के युवाओं और महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए कार्य करती हैं। उन्होंने कश्मीर में मानवाधिकार से संबंधित अनेक उल्लेखनीय कार्य किया तथा कश्मीर के लिए पत्रकारिता आरंभ की।

वर्तमान समय में वह श्रीनगर में स्थित रहती हैं। मूल रूप से वह मुस्लिम परिवार से संबंधित है लेकिन उनके बारे में कहा जाता है कि वह हिंदू धर्म से प्रभावित हैं।  उनकी पूरा नाम याना मीरचंदानी है और सभी धर्म में अपनी आस्था रखती हैं।

उनके पिता का देहांत हो चुका है और वह उनके दादा कश्मीर पुलिस में काम करते थे। उनके चाचा कश्मीर की भाजपा इकाई से जुड़े हुए थे। उनके चाचा की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। याना मीर के दो भाई भी हैं।

याना मीर की वैवाहिक स्थिति की बात की जाए तो वह फिलहाल अविवाहित हैं और उनकी उम्र इस समय 2024 में 31 साल है।

अभी वह ख्याल वह ब्रिटेन के दौरे पर हैं और वहां पर कश्मीर के संबंध में अपनी बात रख रही हैं।

याना मीर (Yana Mir) का इंस्टाग्राम

https://www.instagram.com/realyanamir/?hl

याना मीर (Yana Mir) का यूट्यूब चैनल

https://www.youtube.com/@YanaMir


ये भी पढ़ें…

ओटीटी की ये पुरानी वेबसीरीज आपको डरने पर मजबूर कर देंगी।

अगर आप ओटीटी पर थ्रिल, सस्पेंस, एक्शन, लव, रोमांस, कॉमेडी आदि कंटेंट देखकर बोर हो चुके हैं और हॉरर मूवी को ट्राई करना चाहते हैं तो आपके लिए कुछ ऐसी बेहतरीन हिंदी हॉरर वेब सीरीज (Hindi Horror Webseries) हैं, जो आपको डरने पर मजबूर कर देंगी।

इन हॉरर वेब सीरीज को देखकर आप अपने हॉरर कंटेट देखने की भूख को शांत कर सकते हैं। ध्यान रहे इन्हें अकेले में देखने की कोशिश नहीं करें, नहीं तो आप परेशानी में पड़ सकते हैं।

परछाई

ओटीटी प्लेटफॉर्म – जी5 (ZEE5)

‘परछाई’ वेब सीरीज ओटीटी प्लेटफॉर्म ZEE5 पर 2019 में रिलीज हुई थी। यह वेब सीरीज यह वेब सीरीज प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक रस्किन बॉन्ड के उपन्यास पर आधारित है। इसमें सुमित व्यास, इशा तलवार और अनुरीता झा और फरीदा जलाल ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। वेब सीरीज में कुल अलग 12 अलग-अलग कहानी देखने को मिलेंगी। हर कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी है, जो हॉरर शो का भरपूर मजा देगी।

परछाई का ट्रेलर

भ्रम

ओटीटी प्लेटफॉर्म – जी5 (ZEE5)

कल्कि कोच्लिन मेन रोल वाली भ्रम वेब सीरीज भी 2019 में ZEE5 प्लेटफार्म पर रिलीज की गई थी। यह एक साइको, हॉरर वेब सीरीज है, जो हॉरर की भरपूर डोज देती है। इसमें कल्कि कोचलीन अलीशा खन्ना के रोल में हैं। उनके अलावा भूमिका चावला तथा संजय सूरी भी अहम रोल में है।

फिल्म की कहानी बेहद डरावनी है। पूरी वेब सीरीज बेहद डरावनी है। इसे देखकर आपको निश्चित रूप डर लगेगा। इस आप जी5 ओटीटी पर कभी भी देख सकते हैं।

भ्रम का ट्रेलर

टाइपराइटर

ओटीटी प्लेटफार्म – नेटफ्लिक्स (NETFLIX)

टाइपराइटर वेब सीरीज भी 2019 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज की गई थी। इस वेब सीरीज में पूरब कोहली, पॉलोमी घोष, जिशु सेनगुप्ता, समीर कोचर जैसे कलाकार दिखाई देंगे। यह कहानी बच्चों के समूह की कहानी है, जो गोवा में रहते हैं और खेल-खेल मं एक भूत क्लब बनाते हैं और फिर अपने पड़ोस में एक भूत बंगले में भूत की तलाश करने का फैसला करते हैं। इस क्रम में उनके साथ किन-किन हॉरर घटनाओं का सामना करना पड़ता है, वह इस वेब सीरीज में दिखेगा। है जब वह भूत की तलाश में उसे भूत हवेली में जाते हैं तो वहां उन्हें बेहद डरावनी स्थितियों का सामना करना पड़ता है। यह सारी सीक्वेंस आपको डरने पर मजबूर कर देंगी।

टाइपराइटर का ट्रेलर

घोल

ओटीटी प्लेटफॉर्म – नेटफ्लिक्स (NETFLIX)

घोल ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर 2018 में रिलीज की गई थी। यह नेटफ्लिक्स इंडिया पर रिलीज हुई दूसरी वेब सीरीज थी, क्योंकि उस समय नेटफ्लिक्स इंडिया में नया-नया ही लॉन्च हुआ था। यह एक हॉरर स्ट्रीमिंग मिनी वेब सीरीज है, जो भारत में घटना वाले काल्पनिक भविष्य को आधार बनाकर देखी गई है।

इसमें राधिका आप्टे और मानव कॉल में रोल में है। इस वेब सीरीज में एक ऐसे आतंकवादी की कहानी है, जिसे मिलिट्री पकड़ लेती है फिर उस पकड़े आतंकवादी के साथ ऐसी डरावनी घटनाएं घटती हैं, जो फिल्म में सबको डरने पर मजबूर कर देंगी। इसमें राधिका आप्टे निदा रहीम के रूप में एक मिलिट्री ऑफिसर के रोल में है तथा मानव कॉल भी एक मिलिट्री ऑफिसर के रोल में है। वहीं आतंकवादी अली सईद के रूप में महेश बलराज है।

घोल वेबसीरीज ट्रेलर

गहराईयां

ओटीटी प्लेटफार्म – वियू (VIU)

गहराईयां वेब सीरीज 2017 में व्यू (VIU) ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज की गई थी। इसे भारत की पहली हॉरर वेब सीरीज माना जाता है। विक्रम भट्ट के प्रोडक्शन में बनी इस हॉरर वेब सीरीज में वत्सल सेठ और संजीदा शेख ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। इसका निर्देशन भी सिद्धांत सचदेव ने किया था। फिल्म की कहानी वत्सल सेठ और संजीदा शेख के आसपास घूमती है, जो दोनों कपल है और मुंबई में रहते हैं। उनके घर में अनेक तरह के डरावनी घटनाएं घटती हैं। तीन भाग में बनी यह वेब सीरीज दर्शकों को डराए बिना नहीं छोड़ेगी।

गहराइयां वेबसीरीज का ट्रेलर

ये भी पढ़ें…

जयशंकर प्रसाद – छायावाद के पुरोधा कवि (जीवनी)

जयशंकर प्रसाद (Jaishankar Prasad) छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। वे हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि, नाटककार, उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार थे। उन्होंने अपनी अप्रतिम साहित्य रचनाओं से हिंदी जगत में एक अलग ही मुकाम स्थापित किया। आइये जयशंकर प्रसादके बारे में जानते हैं…

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Jaishankar Prasad Biography)

जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य जगत के एक महान साहित्यकार थे। वे अद्भुत कवि और लेखक थे। हिंदी साहित्य के छायावाद युग की स्थापना का श्रेय भी उनको ही जाता है। छायावाद के वे सबसे प्रथम स्तंभ माने जाते हैं। उनके अतिरिक्त सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा इन तीन साहित्यकारों को छायावाद के अन्य तीन स्तंभ माना जाता है।

जयशंकर प्रसाद ने अपने काव्य में खड़ी बोली का प्रयोग करके अपने काव्य को अद्भुत और मधुरता से भरपूर बनाया। उनकी प्रसिद्ध रचना कामायनी  हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक मील का पत्थर बन गई।

जन्म

जयशंकर प्रसाद का जन्म माघ शुक्ल पक्ष दशमी संवत 1946 अर्थात 28 जनवरी 1890 को ब्रिटिश कालीन संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के काशी (वाराणसी) नगर में हुआ था।

परिवार

जयशंकर प्रसाद के पिता का नाम बाबू देवी प्रसाद था। उनकी माता का नाम मुन्नी देवी था। उनके दादा का नाम बाबू सिमरन साहू था। उनका परिवार काशी में एक प्रतिष्ठित परिवार था, जो काफी में साहू सुंघनी परिवार के नाम से जाना जाता था।

जब वे मात्र 11 वर्ष के थे तो उनके पिता का देहांत हो गया और 15 वर्ष की अवस्था में उनकी माता का भी देहांत हो गया। उसके बाद भी उन पर दुखों का सिलसिला थमा नहीं और 1907 में जब वे केवल 17 वर्ष के थे, तो उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया। उनके बड़े भाई ही थे जो इनकी माता-पिता की मृत्यु के बाद उनकी देखभाल करके थे और उनके लिये सर्वस्व थे। अब उन पर उनके भाई के परिवार का दायित्व भी आ पड़ा था। इस तरह उन पर बेहद कम अवस्था में ही दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। उन्होंने बचपन में अनेक कष्टों का सामना किया क्योंकि उनके सभी निकटतम परिवार जन मृत्यु को प्राप्त हो चुके थे। उनके अन्य संबंधी उनकी संपत्ति पर को हड़पने का षड्यंत्र रचते रहते थे। इसका उन्होंने ने डटकर सामना किया।

उनकी शिक्षा दीक्षा काशी के क्वींस कॉलेज में हुई जहाँ पर उन्होंने आठवीं तक पढ़ाई की। उन्होंने हिंदी और संस्कृत भाषा की शिक्षा घर पही प्राप्त की थी। उनका आरंभिक जीवन समय काशी में ही व्यतीत हुआ।

साहित्य यात्रा

साहित्य में उनको शुरू से ही रुचि थी, इसलिए और उनके परिवार का वातावरण भी साहित्य एवं कला से परिपूर्ण था। इसी कारण मात्र 9 वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने ‘कलाधर’ के नाम से ब्रज भाषा में एक सवैये की रचना कर डाली।

प्रसादजी का ‘कामायनी’ नाटक बेहद प्रसिद्ध हुआ था। यह हिंदी साहित्य की कालजयी रचना साबित हुआ। उनका नाटक राजश्री था। कामायनी उनका अंतिम नाटक था। प्रसादजी को प्रेम और सौंदर्य का कवि कहा जाता था। उनकी रचनाओं में गहन और गंभीर भाव दिखाई पड़ता है। उन्होंने जीवन के अत्यंत सूक्ष्म और व्यापक आयामों का चित्रण किया है।

उनकी भाषा शुद्ध खड़ी बोली थी, जो संस्कृतनिष्ठ हिंदी थी। हालांकि उन्होंने अपने साहित्यिक यात्रा की शुरुआत ब्रजभाषा से की थी, लेकिन वह धीरे-धीरे खड़ी बोली में लिखने लगे और उन्होंने खड़ी बोली में स्थायी रूप से लिखना आरंभ कर दिया।

साहित्यिक रचनायें

काव्य कृतियां

प्रसाद जी की ‘कामायनी’ नामक काव्य कृति बेहद प्रसिद्ध हुई। ये हिंदी साहित्य की कालजयी कृतियों में एक मानी जाती है।

कामायनीप्रेम-पथिककरुणायलयमहाराण का महत्वझरना
लहरआँसू चित्राधारकानन कुसुम

कहानियाँ

प्रसादजी ने अनेक कहानियां लिखीं। उनके नाम इस प्रकार हैं :

आकाशदीपपुरस्कारप्रणयचिह्नशरणागतचंदा
देवदासी स्वर्ग के खंडहरगुंडा पंचायतउवर्शी
इंद्रजालनीराबिसातीअमिट स्मृतिजहाँआरा
चित्र मंदिरमधुआ ग्राम गुलामभीख में
छोटा जादूगररमला बभ्रुवाहनविराम चिन्हसालवती
रसिया बालमसिकंदर की शपथब्रह्मर्षि

 नाटक

प्रसाद जी द्वारा रचे गए नाटक इस प्रकार हैं।

स्कंदगुप्त चंत्रगुप्तध्रुवस्वामिनीजनमेजय का नाग यज्ञ
राज श्रीकामनाएक घूंट

उपन्यास

कंकालतितलीइरावती

 कहानी संग्रह

छायाप्रतिध्वनिआकाशदीपआँधीइंद्रजाल

देहावसान

जयशंकर प्रसाद अपने जीवन के अंतिम समय में बहुत रोगग्रस्त रहने लगे थे। अंततः 15 नवंबर 1937 को मात्र 47 वर्ष की आयु में  उनका निधन क्षय रोग के कारण हो गया।


ये भी पढ़ें…

POMIS – पोस्ट ऑफिस की इस मंथली इन्कम योजना में निवेश करके आप भविष्य के लिए अच्छी मासिक आय का प्रबंध कर सकते हैं। पति-पत्नी दोनों साथ में भी एप्लाई कर सकते हैं।

इस पोस्ट मे हम पोस्ट ऑफिस द्वारा चलाई जाने वाली POMIS (Post Office Monthly Income Scheme) बचत योजना के बारे में बात करेंगे, जो आपको अपने भविष्य के लिए स्थायी और मासिक आय की गारंटी देती है। इस योजना के बारे में जानते हैं…

पोस्ट ऑफिस मासिक इन्कम योजना – POMIS (Post Office Monthly Income Scheme)

अस्थिर शेयर बाजारों और कम बैंक जमा दरों के समय में, पोस्ट ऑफिस की मासिक आय योजना (POMIS) नियमित आय के लिए एक सुरक्षित और स्थिर निवेश विकल्प प्रदान करती है।

POMIS योजना पोस्ट ऑफिस की ऐसी मासिक बचत योजना है जो आपको अपने भविष्य के लिए एक स्थायी मासिक आय की गारंटी देती है। आपको मासिक आय के साथ-साथ आपकी जमा राशि भी ज्यों की त्यों सुरक्षित रहती है।

पोस्ट ऑफिस की यह मासिक बचत योजना में आप अकेले या पति-पत्नी दोनों निवेश कर सकते हैं। सिंगल अकाउंट में निवेश के लिए अधिकतम राशि सीमा ₹9 लाख रुपए तथा पति या पत्नी के साथ ज्वाइंट अकाउंट में अधिकतम निवेश सीमा 15 लाख रुपए है।

निवेश की अवधि 5 साल की है। निवेश की मैच्योरिटी हो जाने पर हर महीने ब्याज के रूप में अच्छी खासी कमाई हो सकती है और आपकी निवेश राशि भी पूरी तरह सुरक्षित रहेगी।

वर्तमान समय में पोस्ट ऑफिस कि इस बचत स्कीम में मौजूदा ब्याज दर 7.4% है। अगर पति और पत्नी दोनों जॉइंट अकाउंट खोलकर उसमें 15 लाख रुपए तक का निवेश करते हैं तो मौजूदा ब्याज दर के हिसाब से हर साल ₹1,11000 का रिटर्न मिलेगा यानी कुल 5 साल में 15 लाख रुपए की राशि पर ₹5,55000 की कमाई होगी और आपकी 15 लाख रुपए की राशि भी सुरक्षित रहेगी।

पूरी राशि को अगर हर महीने में बांटकर देखा जाए तो हर महीने की आमदनी ₹9250 होगी जो एक अच्छी मासिक आई का स्रोत बनेगी।

यदि सिंगल अकाउंट खोलकर आप इसमें ₹900000 तक का निवेश करते हैं तो हर साल 1 साल में 6,600 और पूरे 5 साल में 3 लाख 3,3000 ब्याज के रूप में प्राप्त होंगे। इसको अगर महीने में बांटा जाए तो 5,550 हर महीने कमाई होगी।

इस योजना का लाभ कैसे उठा सकते हैं?

  • इस योजना में लाभ के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है और उसके पास आवश्यक पहचान पत्र होने जरूरी है।
  • इस योजना में निवेश के लिए पति-पत्नी के अलावा बच्चों के नाम से भी निवेश किया जा सकता है।
  • 10 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए निवेश करने पर उसके माता-पिता या अभिभावक संरक्षक होंगे।
  • योजना में निवेश करने के लिए पोस्ट ऑफिस में एक बचत खाता खोलना पड़ेगा।
  • बचत खाता खोलने के लिए आवश्यक पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड और पैन कार्ड होना जरूरी है।

क्या 5 साल से पहले पैसा निकाल सकते हैं?

POMIS योजना में निवेश करने के 1  साल बाद आप अपना पैसा कभी भी निकाल सकते हैं, लेकिन 1 साल से पहले आप अपना पैसा नहीं निकाल पाएंगे।

1 साल के बाद और 5 साल से पहले यदि आपको पैसे की जरूरत पड़ती है और आप पैसा निकालना चाहते हैं तो आपको पेनल्टी देनी पड़ेगी।

1 साल की अवधि पूरा होने के बाद अगर आपको पैसे की जरूरत पड़ती है और आप मैच्योरिटी पूरा होने से पहले ही अपना पैसा निकालना चाहते हैं, तो 1 साल से 3 साल की अवधि के बीच पैसे निकालने पर आपको आपकी कुल जमा रकम का 2% पेनल्टी के रूप में देना होगा।

यदि 3 साल से 5 साल की अवधि के बीच आप पैसा निकालते हैं तो आपको आपकी कुल जमा रकम पर एक 1% पेनल्टी के रूप में देना होगा।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए आय अधिक हो सकती है जिन्हें अतिरिक्त 0.5% ब्याज दर मिलती है। POMIS ब्याज आय कर योग्य है।

POMIS में निवेश आपको अपनी पूंजी की सुरक्षा के साथ आय स्थिरता प्रदान करती है, जो इसे सेवानिवृत्त लोगों, वरिष्ठ नागरिकों या जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए एक सुरक्षित बचत निवेश है।

पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. POMIS में न्यूनतम और अधिकतम निवेश सीमा क्या है?

उत्तर. न्यूनतम 1,500 रुपये, अधिकतम सीमा सिंगल अकाउंट के लिए 9 लाख रुपये और ज्वाइंट एकाउंट (पति-पत्नी) के लिए 15 लाख है।

Q2. POMIS योजना की अवधि क्या है?

उत्तर. 5 वर्ष है, जिसे आगे 5 वर्ष और बढ़ाया जा सकता है।

Q3. POMIS में ब्याज का भुगतान कितनी बार किया जाता है?

उत्तर. ब्याज का भुगतान मासिक आधार पर किया जाता है।

Q4. क्या POMIS खाता परिपक्वता से पहले बंद किया जा सकता है?

उत्तर. हाँ, एक वर्ष के बाद थोड़े से जुर्माने के साथ समय से पहले बंद करने की अनुमति है।

Q5. क्या POMIS योजना के तहत अर्जित ब्याज कर योग्य है?

उत्तर. हां, अर्जित ब्याज आयकर के अधीन है।


ये भी पढ़ें…

दुनिया की वह जगहें, जिनके ऊपर हवाई जहाज उड़ाने की इजाजत नही है।

दुनिया में कुछ जगहें ऐसी हैं जहाँ के आसमान में से कोई भी प्लेन नही गुजर सकता है, वह कौन सी जगह (No Flying Zone of the world) हैं? जानते हैं..

पूरे दुनिया में एक देश से दूसरे जाने पूरी दुनिया में एक देश से दूसरे देश जाने या दुनिया के कोने से दूसरे कोने जाने के लिए हवाई जहाज एक सबसे तेज गति वाला साधन है। अब कुछ ही घंटे में हजारों किलोमीटर दूर बसे देश में आसानी से पहुंचा जा सकता है।

हवाई जहाज का यह सफर दुनिया में भ्रमण करने के लिए सबसे तेज गति का साधन है। किसी भी देश के एयरलाइंस की प्लेन को दूसरे दूर स्थित किसी दूसरे देश में जाने के लिए अनेक हवाई क्षेत्र से गुजरना पड़ता है। हर देश के ऊपर की हवाई सीमा उसके अधिकार क्षेत्र में आती है। यह उसे देश के ऊपर निर्भर है कि वह अपनी हवाई सीमा में किसी हवाई जहाज को गुजरने दे अथवा नहीं।

सामान्यतः सभी देशों में आपस में एक आपसी समझ है और इस समझ के तहत हवाई जहाज को उनके हवाई क्षेत्र को उपयोग करने की इजाजत मिलती है। किसी विशेष परिस्थिति में कोई देश अपनी फ्लाइंग जोन से किसी देश के या किसी एयरलाइंस के हवाई जहाज को गुजरने नहीं देता। लेकिन कुछ इस दुनिया में कुछ ऐसी जगह भी हैं, जहाँ पर किसी भी परिस्थिति में कोई भी हवाई जहाज ऊपर से गुजर नहीं सकता।

जी हाँ देश के कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जो हमेशा के लिए नो फ्लाइंग जोन के अंतर्गत आते हैं। ऐसी क्षेत्रों के आसमान से कोई भी हवाई जहाज गुजर नहीं सकता लिए। ऐसे ही कुछ नो फ्लाइंग जोन के क्षेत्र को जानते हैं…

दुनिया की नो फ्लाइंग जोन (No Flying Zone of the world)

ताजमहल

भारत का ताजमहल विश्व के साथ आश्चर्य में से एक है। हमारे भारत का ताजमहल का हवाई क्षेत्र नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है। ताजमहल के ऊपर से किसी भी प्लेन को उड़ाने की इजाजत नहीं है। ताजमहल को नो फ्लाइग जोन सन 2006 में घोषित कर दिया गया था।

तिब्बत

तिब्बत दुनिया के सबसे ऊंँची जगह में से एक जगह है। तिब्बत की सामान्य ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 16000 फीट के लगभग है। यहाँ पर अनेक ऊँची-ऊँची पहाड़ियां स्थित हैं। इसी कारण तिब्बत के कुछ क्षेत्रों को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है। कुछ विशेष परिस्थितियों में कुछ प्लेन को यहाँ पर से उड़ाने की इजाजत है।

मक्का

मुसलमान का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल काब मस्जिद जोकि अरब के मक्का शहर में है, वहाँ पर मक्का के ऊपर के हवाई क्षेत्र से किसी भी हवाई जहाज को प्लेन को उड़ाने की इजाजत नहीं है। सऊदी अरब सरकार ने मक्का आने वाले तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और इस धर्म स्थल की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए मक्का के ऊपर के सारे हवाई क्षेत्र को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया हुआ है।

डिजनी पार्क

डिजनी पार्क अमेरिका कैलिफोर्निया तथा फ्लोरिडा जैसे राज्यों में स्थित है। इन दोनों वर्ल्ड डिजनी पार्क के ऊपर के हवाई क्षेत्र को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है और इस क्षेत्र के ऊपर से कोई भी प्लेन या हेलीकाप्टर नहीं उड़ाया जा सकता।

माचू-पिचू

माचू पिचू दक्षिणी अमेरिका के देश पेरु में एक बेहद सुंदर प्राकृतिक जगह है। इस जगह को भी नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है। यह एक बेहद समृद्ध प्राकृतिक स्थल है। यहाँ पर अनेक बहुमूल्य पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। ऐसे दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे और जीव-जंतु दुनिया में और कहीं नहीं पाए जाते। इसलिए यहाँ के प्राकृतिक संरक्षण को सुरक्षित करने के उद्देश्य से इस क्षेत्र के हवाई क्षेत्र को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है।

बकिंघम पैलेस

बकिंघम पैलेस इंग्लैंड का एक प्रमुख क्षेत्र है जो यूनाइटेड किंगडम के राजा का आवास भी है यहां पर इंग्लैंड के यूनाइटेड किंगडम के राजा और रानी निवास करते हैं यह विश्व के जाने-माने संसार के जाने-माने राजर्षि प्रदेशों में से एक है बकिंघम पैलेस के ऊपर के हवाई क्षेत्र को भी नोट लाइन जोन घोषित किया गया है और यहां से कोई भी प्लान गुर्जर नहीं सकता तो इस तरह यह कुछ दुनिया के कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनके ऊपर के आसमान को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है


ये भी पढ़ें…

आईपीएल 2024 का शेड्यूल घोषित हुआ। जानें क्या है शेड्यूल?

TATA IPL के 17वें सीजन का आरंभ 22 मार्च से हो चुका है। आईपीएल के 17वें सीजन का आधा शेड्यूल (TATA IPL 2024 Schedule) बीसीसीआई द्वारा घोषित किया गया था। अब बीसीसीआई ने पूरा शेड्यूल घोषित कर दिया है।

बीसीसीआई ने शुरुआत में 21 मैचों का शेड्यूल घोषित किया था, क्योंकि अप्रैल-मई महीने में ही लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और लोकसभा के चुनाव की तिथि घोषित हो चुकी है। ऐसी स्थिति में आईपीएल मैचों की तारीख है और लोकसभा चुनाव की तारीखें आपस में टकरा सकती हैं, इसीलिए आईपीएल ने पहले तो 21 मैचों का शेड्यूल जारी किया था। बाद में बाकी मैचों का शेड्यूल भी घोषित कर दिया।

आईपीएल के घोषित शेड्यूल के अनुसार 22 मार्च से आईपीएल का 17 सीजन शुरू हो चुका है। आईपीएल का पहला मैच वर्तमान चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के बीच चेन्नई में खेला जाएगा। उसके बाद अगला मैच 23 मार्च को दिल्ली कैपिटल और पंजाब किंग्स के बीच खेला जाएगा।

आईपीएल की सभी दस टीमों के बीच कुल 70 लीग मैच होंगे। हर टीम 14 मैच खेलेगी।

आईपीएल के एलिमिनेटर, क्वालिफायर मैच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम और चेन्नई के एम चिदंबमरम स्टेडियम में खेले जाएंगे।

आईपीएल का फाइनल मैच 26 मई 2024 को चेन्नई के एम चिदंबरम स्टेडियम में होगा।

IPL 2024 का शेड्यूल
मैचटीमेंवेन्यूतारीखसमय
1एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई सुपर किंग्स Vs रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरएम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई22 मार्च 20247:30 शाम
2पंजाब किंग्स Vs अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली कैपिटल्समहाराज यादवेन्द्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़23 मार्च 20243:30 शाम
3इडेन गार्डन, कोलकाता नाइट राइडर्स Vs सनराइजर्स राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबादइडेन गार्डन, कोलकाता23 मार्च 20247:30 शाम
4राजस्थान रॉयल्स Vs भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ सुपर जॉइंट्ससवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर24 मार्च 20243:30 शाम
5गुजरात टाइटंस Vs वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई इंडियन्सनरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद24 मार्च 20247:30 शाम
6रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर Vs पंजाब किंग्सएम. चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु25 मार्च 20247:30 शाम
7एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई सुपर किंग्स Vs गुजरात टाइटंसएम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई26 मार्च 20247:30 शाम
8सनराइजर्स राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद Vs वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई इंडियन्सराजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद27 मार्च 20247:30 शाम
9राजस्थान रॉयल्स Vs अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली कैपिटल्ससवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर28 मार्च 20247:30 शाम
10रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर Vs इडेन गार्डन, कोलकाता नाइट राइडर्सएम. चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु29 मार्च 20247:30 शाम
11भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ सुपर जॉइंट्स Vs पंजाब किंग्सभारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ30 मार्च 20247:30 शाम
12गुजरात टाइटंस Vs सनराइजर्स राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबादनरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद31 मार्च 20243:30 शाम
13अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली कैपिटल्स Vs एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई सुपर किंग्सवाई एस राजशेखर रेड्डी स्टेडियम, विशाखापत्तनम31 मार्च 20247:30 शाम
14वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई इंडियन्स Vs राजस्थान रॉयल्सवानखेड़े स्टेडियम, मुंबई1 अप्रैल7:30 शाम
15रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर Vs  भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ सुपर जॉइंट्सएम. चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु2 अप्रैल7:30 शाम
16अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली कैपिटल्स Vs इडेन गार्डन, कोलकाता नाइट राइडर्सवाई एस राजशेखर रेड्डी स्टेडियम, विशाखापत्तनम3 अप्रैल7:30 शाम
17गुजरात टाइटंस Vs पंजाब किंग्सनरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद4 अप्रैल7:30 शाम
18सनराइजर्स राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद Vs एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई सुपर किंग्सराजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद5 अप्रैल7:30 शाम
19राजस्थान रॉयल्स  Vs रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोरसवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर6 अप्रैल7:30 शाम
20वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई इंडियन्स Vs अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली कैपिटल्सवानखेड़े स्टेडियम, मुंबई7 अप्रैल3:30 शाम
21भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ सुपर जॉइंट्स Vs गुजरात टाइटंसभारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ7 अप्रैल7:30 शाम
22चेन्नई सुपर किंग्स vs कोलकाता नाइट राइडर्सएम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई8 अप्रैल7:30 बजे शाम
23पंजाब किंग्स vs सनराइजर्स हैदराबादमहाराज यादवेन्द्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़9 अप्रैल7:30 बजे शाम
24राजस्थान रॉयल्स vs गुजरात टाइटंससवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर10 अप्रैल7:30 बजे शाम
25मुंबई इंडियंस vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरुवानखेड़े स्टेडियम, मुंबई11 अप्रैल7:30 बजे शाम
26लखनऊ सुपर जायंट्स vs दिल्ली कैपिटल्सभारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ12 अप्रैल7:30 बजे शाम
27पंजाब किंग्स vs राजस्थान रॉयल्समहाराज यादवेन्द्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़13 अप्रैल7:30 बजे शाम
28कोलकाता नाइट राइडर्स vs लखनऊ सुपर जायंट्सइडेन गार्डन, कोलकाता14 अप्रैल3:30 बजे दोपहर
29मुंबई इंडियंस vs चेन्नई सुपर किंग्सवानखेड़े स्टेडियम, मुंबई14 अप्रैल7:30 बजे शाम
30रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु vs सनराइजर्स हैदराबादएम. चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु15 अप्रैल7:30 बजे शाम
31गुजरात टाइटंस vs दिल्ली कैपिटल्सनरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद16 अप्रैल7:30 बजे शाम
32कोलकाता नाइट राइडर्स vs राजस्थान रॉयल्सइडेन गार्डन, कोलकाता17 अप्रैल7:30 बजे शाम
33पंजाब किंग्स vs मुंबई इंडियंसमहाराज यादवेन्द्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़18 अप्रैल7:30 बजे शाम
34लखनऊ सुपर जायंट्स vs चेन्नई सुपर किंग्सभारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ19 अप्रैल7:30 बजे शाम
35दिल्ली कैपिटल्स vs सनराइजर्स हैदराबादअरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली20 अप्रैल7:30 बजे शाम
36कोलकाता नाइट राइडर्स vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरुइडेन गार्डन, कोलकाता21 अप्रैल3:30 बजे दोपहर
37पंजाब किंग्स vs गुजरात टाइटंसमहाराज यादवेन्द्र सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, मुल्लनपुर, चंडीगढ़21 अप्रैल7:30 बजे शाम
38राजस्थान रॉयल्स vs मुंबई इंडियंससवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर22 अप्रैल7:30 बजे शाम
39चेन्नई सुपर किंग्स vs लखनऊ सुपर जायंट्सएम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई23 अप्रैल7:30 बजे शाम
40दिल्ली कैपिटल्स vs गुजरात टाइटंसअरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली24 अप्रैल7:30 बजे शाम
41सनराइजर्स हैदराबाद vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरुराजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद25 अप्रैल7:30 बजे शाम
42कोलकाता नाइट राइडर्स vs पंजाब किंग्सइडेन गार्डन, कोलकाता26 अप्रैल7:30 बजे शाम
43दिल्ली कैपिटल्स vs मुंबई इंडियंसअरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली27 अप्रैल3:30 बजे दोपहर
44लखनऊ सुपर जायंट्स vs राजस्थान रॉयल्सभारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ27 अप्रैल7:30 बजे शाम
45गुजरात टाइटंस vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरुनरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद28 अप्रैल3:30 बजे दोपहर
46चेन्नई सुपर किंग्स vs सनराइजर्स हैदराबादएम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई28 अप्रैल7:30 बजे शाम
47कोलकाता नाइट राइडर्स vs दिल्ली कैपिटल्सइडेन गार्डन, कोलकाता29 अप्रैल7:30 बजे शाम
48लखनऊ सुपर जायंट्स vs मुंबई इंडियंसभारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ30 अप्रैल7:30 बजे शाम
49चेन्नई सुपर किंग्स vs पंजाब किंग्सएम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई1 मई 20247:30 बजे शाम
50सनराइजर्स हैदराबाद vs राजस्थान रॉयल्सराजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद2 मई 20247:30 बजे शाम
51मुंबई इंडियंस vs कोलकाता नाइट राइडर्सवानखेड़े स्टेडियम, मुंबई3 मई 20247:30 बजे शाम
52रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु vs गुजरात टाइटंसएम. चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु4 मई 20247:30 बजे शाम
53पंजाब किंग्स vs चेन्नई सुपर किंग्सधरमशाला5 मई 20243:30 बजे दोपहर
54लखनऊ सुपर जायंट्स vs कोलकाता नाइट राइडर्सभारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई एकाना स्टेडियम, लखनऊ5 मई 20247:30 बजे शाम
55मुंबई इंडियंस vs सनराइजर्स हैदराबादवानखेड़े स्टेडियम, मुंबई6 मई 20247:30 बजे शाम
56दिल्ली कैपिटल्स vs राजस्थान रॉयल्सअरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली7 मई 20247:30 बजे शाम
57सनराइजर्स हैदराबाद vs लखनऊ सुपर जायंट्सराजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद8 मई 20247:30 बजे शाम
58पंजाब किंग्स vs रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरुधरमशाला9 मई 20247:30 बजे शाम
59गुजरात टाइटंस vs चेन्नई सुपर किंग्सनरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद10 मई 20247:30 बजे शाम
60कोलकाता नाइट राइडर्स vs मुंबई इंडियंसइडेन गार्डन, कोलकाता11 मई 20247:30 बजे शाम
61चेन्नई सुपर किंग्स vs राजस्थान रॉयल्सएम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई12 मई 20243:30 बजे दोपहर
62रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु vs दिल्ली कैपिटल्सएम. चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु12 मई 20247:30 बजे शाम
63गुजरात टाइटंस vs कोलकाता नाइट राइडर्सनरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद13 मई 20247:30 बजे शाम
64दिल्ली कैपिटल्स vs लखनऊ सुपर जायंट्सअरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली14 मई 20247:30 बजे शाम
65राजस्थान रॉयल्स vs पंजाब किंग्सगुवाहाटी15 मई 20247:30 बजे शाम
66सनराइजर्स हैदराबाद vs गुजरात टाइटंसराजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद16 मई 20247:30 बजे शाम
67मुंबई इंडियंस vs लखनऊ सुपर जायंट्सवानखेड़े स्टेडियम, मुंबई17 मई 20247:30 बजे शाम
68रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु vs चेन्नई सुपर किंग्सएम. चिन्नस्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु18 मई 20247:30 बजे शाम
69सनराइजर्स हैदराबाद vs पंजाब किंग्सराजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद19 मई 20243:30 बजे दोपहर
70राजस्थान रॉयल्स vs कोलकाता नाइट राइडर्सगुवाहाटी19 मई 20247:30 बजे शाम
71क्वालीफायर 1नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद21 मई 20247:30 बजे शाम
72इलिमिनेटरनरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद22 मई 20247:30 बजे शाम
73क्वालीफायर 2एम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई24 मई 20247:30 बजे शाम
74फाइनलएम. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नई26 मई 20247:30 बजे शाम
Source:

https://www.iplt20.com/


ये भी पढ़ें…

अमीन सयानी – आवाज के जादूगर, जिन्होंने रेडियो प्रेजेंटेशन को नई पहचान दी।

अमीन सयानी (Ameen Sayani) एक समय रेडियो की आवाज के पर्याय बन चुके थे। उन्होने अपनी जादुई आवाज के बल पर रेडियो पर कई  सालों तक राज किया। उनके जीवन को जानते हैं…

अमीन सयानी : रेडियो पर खनकती आवाज़ के जादूगर (Ameen Sayani)

अमीन सयानी, जिन्हें ‘आवाज़ के जादूगर’ के नाम से जाना जाता था, रेडियो जॉकी के इतिहास में एक शानदार नाम थे। पहले ‘बिनाका गीतमाला’ और फिर नाम बदलने पर ‘सिबाका गीतामाला’ जैसे प्रसिद्ध कार्यक्रमों के माध्यम से, उन्होंने 46 वर्षों तक रेडियो सीलोन और बाद में विविध भारती पर अपनी मधुर आवाज़ और दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध किया।

जीवन परिचय

अमीन सयानी भारतीय रेडियो उद्घोषक और प्रस्तोता थे, जिन्हें ‘आवाज़ के जादूगर’ के रूप में जाना जाता था। वे रेडियो के इतिहास में पहले जॉकी के तौर पर भी प्रसिद्ध थे और विश्व के श्रेष्ठ रेडियो जॉकी के रूप में उनकी ख्याति थी।

सयानी का जन्म 21 दिसंबर 1932 में मुंबई में हुआ था। उनके मन में गायक बनने की इच्छा थी लेकिन संयोगवश वह ‘ऑल इंडिया रेडियो’ में आ गए, जहाँ उनके भाई हामिद सयानी ने उन्हें रेडियो जॉकी के रूप में उन्हें रेडियो उदघोषक बनने के लिए प्रेरित किया।

पहले उन्होंने 10 साल तक अंग्रेजी कार्यक्रमों की प्रस्तुति की। उसके बाद जब विविध भारती की शुरुआत हुई तो विविध भारती ने उन्हें अपने यहाँ काम करने के न्योता दिया। विविध भारती पर ‘बिनाका गीत माला’ जैसे कार्यक्रमों के साथ उन्होंने हिंदी रेडियो में क्रांति ला दी। अपनी सुगम और अनोखी आवाज के दम पर उन्होंने भारत में रेडियो को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई।

1952 से 1994 तक इस कार्यक्रम के ज़रिए उनकी आवाज़ ‘बहनों और भाइयो’ ने लाखों दिलों को छू लिया।

कार्यक्रम और उपलब्धियां

‘गीतमाला’ के अलावा, सयानी ने 54,000 से अधिक रेडियो कार्यक्रमों की मेजबानी की और 19,000 जिंगल्स रिकॉर्ड किए। ‘बहनों और भाइयो’ जैसे उनके अभिवादन और ‘आपका अपना अमीन सयानी बोल रहा है’ जैसे वाक्य आज भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं।

मेगास्टार अमिताभ बच्चन के संबंध में एक रोचक प्रसंग

उन दिनों अमिताभ बच्चन संघर्ष कर रहे थे और अभिनेता नहीं बने थे। वह किसी तरह अपने करियर को बनाने के लिए संघर्षरत थे। इसी सिलसिले में वह ऑल इंडिया रेडियो में उद्घोषक बने के लिए गए और ऑल इंडिया रेडियो के मुंबई स्थित स्टूडियो में ऑडिशन देने के लिए गए। उस समय ऑल इंडिया रेडियो में अमीन सयानी ही वहां के कर्ताधर्ता के और उनसे मिलकर ही अमिताभ बच्चन का कार्य हो सकता था।

पहली बार जब अमिताभ बच्चन उनसे मिलने गए तब अमीन सयानी की सेक्रेटरी ने उन्हें बताया कि कोई अमिताभ बच्चन नाम का युवक आपसे मिलना चाहता है। तब अमीन सयानी का समय बेहद व्यस्त होता था। उन्होंने कहा कि वह अपॉइंटमेंट लेकर नहीं आए हैं, उनसे कहो कि अपॉइंटमेंट लेकर मिलने आए। उसके बाद दोबारा फिर अमिताभ बच्चन अपना वॉइस एडमिशन देने के लिए बिना अपॉइंटमेंट दिए ही ऑल इंडिया रेडियो के ऑफिस में आ गए।

इस बार भी अमीन सयानी से वह मिल नहीं पाए क्योंकि अमीन सयानी व्यस्तता के कारण उनसे मिल नहीं सके। अमीन सयानी ने एक साक्षात्कार में इस घटना का जिक्र भी किया। उन्होंने बताया था कि वह 1960 का दशक था और उस समय वह एक हफ्ते में 20-20 कार्यक्रम किया करते थे और उनका अधिकतर समय साउंड स्टूडियो आदि में ही गुजरता था। इसी कारण उनके पास कितना समय नहीं होता था।

इस तरह अमिताभ बच्चन रेडियो उदघोषक बनते बनते रहे गए। अमिताभ बच्चन के संघर्षों की कथा जहां भी सुनाई जाती है, वहाँ पर यह जिक्र अवश्य होता है कि ऑल इंडिया रेडियो ने उनकी आवाज को रिजेक्ट कर दिया था।

पुरस्कार और सम्मान

अमीन सयानी को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनको मिले सम्मान और पुरुस्कार इस प्रकार हैं…

  • पद्म श्री (2009)
  • लिविंग लीजेंड अवॉर्ड (2006)
  • इंडियन सोसाइटी ऑफ एटवरटाइजमेंट की तरफ से गोल्ड मेडल (1991)
  • लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स – पर्सन ऑफ द ईयर अवॉर्ड (1992)
  • कान हॉल ऑफ़ फेम अवॉर्ड, 2003 – रेडियो मिर्ची की तरफ से

अवसान

20 फरवरी, 2024 को अचानक उनकी तबियत खराब हुई। उन्हे तुरंत उपचार के लिए मुंबई में अस्पताल ले जाया जाने लगा तो अस्पताल पहुँचने से पहले ही हार्ट अटैक से मुंबई में उनका निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे।

अमीन सयानी केवल एक रेडियो जॉकी नहीं थे, वे एक संस्था थे। उन्होंने रेडियों के माध्यम से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। उनकी मधुर आवाज़ और मनमोहक व्यक्तित्व हमेशा लोगों के दिलों में याद रहेंगे।

अमीन सयानी का निधन 20 फरवरी 2024 को हार्ट अटैक के कारण हुआ। उनकी मृत्यु से भारतीय रेडियो जगत ने अपने सबसे बड़े सितारों में से एक को खो दिया, जिसकी आवाज़ लाखों दिलों में हमेशा रहेगी।


ये भी पढ़ें…

सिरुली महावीर मंदिर – श्री हनुमान का अनोखा दिव्य मंदिर जहाँ भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।

श्री रामभक्त श्री हनुमान की महिमा निराली है। श्री हनुमान के भारत में जितने अधिक मंदिर हैं, उतने अधिक मंदिर अन्य किसी देवता के नहीं। ऐसे सिरुली महावीर दिव्य मंदिर (Siruli Mahavir Mandir Odisha) उड़ीसा में है। इस मंदिर की महिमा को जानते हैं।

सिरुली महावीर मंदिर (उड़ीसा) (Siruli Mahavir Mandir Odisha)

भारत का कोई भी गाँव हो, नगर हो, हर जगह हनुमान मंदिर अवश्य मिल जाएगा। शिव मंदिर और हनुमान मंदिर हर जगह मिल जाते हैं।

सिरुली महावीर मंदिर एक अद्भुत मंदिर है जो अपनी धार्मिक, ऐतिहासिक और वास्तुकला महत्व के लिए जाना जाता है। यदि आप ओडिशा की यात्रा कर रहे हैं, तो यह मंदिर निश्चित रूप से आपके दर्शनीय स्थलों की सूची में होना चाहिए।

मेहंदीपुर बालाजी से लेकर कई ऐसे आने की दिव्य मंदिर हैं जो अपनी दिव्यता के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक दिव्य मंदिर उड़ीसा के पुरी धाम में स्थित है। यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना है जो उड़ीसा के सिरुली गाँव में जगन्नाथ पुरी धाम जाने के रास्ते में स्थित है।

यह हनुमान मंदिर एक बेहद पौराणिक मंदिर है। इस मंदिर के साथ एक कथा भी जुड़ी हुई है जिसके अनुसार क्योंकि जगन्नाथ स्वयं भगवान विष्णु के अवतार का स्वरूप हैं, जो श्री राम और श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिए। भगवान श्री महावीर इन्हीं जगन्नाथ की सेवा जगन्नाथ पुरी के श्री मंदिर के सिंह द्वार पर रहकर किया करते थे, लेकिन जब वह खर्राटे लेते तो श्री लक्ष्मी जी को उनके खर्राटों से बेहद परेशानी होती थी। इसीलिए इसकी शिकायत उन्होंने जगन्नाथ प्रभु जगन्नाथ से की तो प्रभु जगन्नाथ में श्री महावीर को आदेश दिया कि यहाँ से थोड़ी दूर पर जाकर अपना बस जाओ।

उसके बाद से उनकी आज्ञा को शिरोधार्य करके श्री महावीर जगन्नाथ धाम से 33 किलोमीटर की दूरी पर जाकर बस गए और वहीं पर उनका मंदिर बन गया, जो सिरुली महावीर मंदिर के नाम से विख्यात है।

जो हनुमान जी के परम भक्त हैं उन्हें इस मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए कहते हैं, यहाँ पर आकर दीपक जलाकर अपनी मन्नत मांगने से मन्नत पूरी होती है।

यदि यहां पर नहीं आ पाए तो भी भारत के किसी को नहीं में या विश्व के किसी भी कोने में हों, वहां पर सिरुली महावीर का ध्यान करके उनके नाम पर दिया जलाकर अपनी सारी मनोकामना की पूर्ति कर सकते हैं। श्री महावीर मनोकामना को अवश्य पूर्ण करते हैं।

मंदिर के मुख्य आकर्षण

  • मंदिर की वास्तुकला देखने अद्भुत है। मंदिर के गर्भगृह, मंडप और शिखर सभी अत्यंत सुंदर हैं।
  • भगवान हनुमान की मूर्ति बहुत ही आकर्षक है। मूर्ति के चेहरे पर वीरता और भक्ति का भाव झलकता है।
  • मंदिर में हर वर्ष होने वाली चंदन यात्रा एक अद्भुत धार्मिक अनुभव देती है।
  • मंदिर के परिसर में स्थित अंजनी तालाब एक शांत और सुंदर जगह है।

मंदिर कहाँ पर है?

सिरुली, भुवनेश्वर, ओडिशा, भारत

किस बात के लिए प्रसिद्ध है?

भगवान हनुमान, चंदन यात्रा, अंजनी तालाब

मंदिर का इतिहास क्या है?

सिरुली महावीर मंदिर, भगवान हनुमान को समर्पित, 12वीं शताब्दी में गंग राजवंश द्वारा निर्मित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भुवनेश्वर से लगभग 60 किलोमीटर दूर पुरी जाने वाली सड़क पर सिरुली नामक गाँव में स्थित है।

मंदिर की विशेषताएं

  • हनुमान जी कीमूर्ति : मंदिर में भगवान हनुमान की 8 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है। मूर्ति काले पत्थर से बनी है और भगवान हनुमान को वीर मुद्रा में दर्शाया गया है।
  • चंदन यात्रा : सिरुली महावीर मंदिर अपनी चंदन यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। यह यात्रा हर साल रथयात्रा के दौरान आयोजित की जाती है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ की चंदन की मूर्ति को सिरुली महावीर मंदिर लाया जाता है।
  • अंजनी तालाब : मंदिर के पास एक तालाब है जिसे अंजनी तालाब कहा जाता है। यह तालाब माता अंजनी, भगवान हनुमान की मां को समर्पित है।

मंदिर का महत्व

  • सिरुली महावीर मंदिर ओडिशा के सबसे महत्वपूर्ण हनुमान मंदिरों में से एक है।
  • यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और भगवान हनुमान की सुंदर मूर्ति के लिए जाना जाता है।
  • चंदन यात्रा और अंजनी तालाब इस मंदिर के धार्मिक महत्व को बढ़ाते हैं।

मंदिर कैसे पहुँचे?

  • भुवनेश्वर से सिरुली तक बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
  • भुवनेश्वर हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है।
  • पुरी रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है।

सिरुली महावीर मंदिर में हर सप्ताह मंगलवार तथा शनिवार को देश-विदेश से हजारों हनुमान भक्त जाकर सिरुली महावीर का दर्शन करते हैं और प्रसाद के रूप में चूड़ाखास तथा एंडुरी पिठा ग्रहण करते हैं, जो उड़ीसा का पारंपरिक व्यंजन है।

यहां के स्थानीय लोग अपने खेतों में जुताई-बुवाई करने से पहले सिरुली महावीर के दर्शन अवश्य करते हैं और उनके आशीर्वाद के कारण उनके खेतों में अच्छी फसल होती है, ऐसी मान्यता है।

सिरुली महावीर का प्रमुख प्रसाद चूड़ाखास तथा एंडुरी पिठा है। यह प्रसाद भक्तगण बड़े चाव से ग्रहण करते हैं। मंदिर के प्रांगण में एक तालाब भी है, जिसे अंजनी तालाब कहा जाता है। इस अंजनी तालाब के बारे में ऐसी मान्यता है कि श्री महावीर जी भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के समय अक्षय तृतीया से लेकर 21 दिनों तक जगन्नाथ प्रभु की भारी चंदन यात्रा अनुष्ठित करते हैं और इस तालाब में उनको नौका विहार करते हैं।

सिरुली महावीर मंदिर में श्री हनुमान के अलावा श्री गणेश, दुर्गा जी, शिवलिंग, दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित हैं और शिवलिंग और नंदी बैल भी स्थापित हैं। मंदिर की दीवारों पर नवग्रह का अंकन किया गया है मंदिर के प्रवेश द्वार पर दोनों तरफ दो सिंह मूर्तियां हैं।

 


ये भी पढ़ें…

जेमिमा रोड्रिग्स – महिला क्रिकेटर का जीवन परिचय

जेमिमाह रोड्रिग्स भारत की स्टार महिला क्रिकेटर हैं, जो भारत की महिला क्रिकेट टीम की नियमित सदस्य हैं। उनके जीवन से (Jemimah Rodrigues Biography) परिचित होते हैं..

जेमिमा रोड्रिग्स का एक परिचय — Jemimah Rodrigues Biography

जेमिमाह रोड्रिग्स भारतीय महिला क्रिकेट में एक उभरती हुई ऑलराउंडर महिला क्रिकेटर हैं। वह भारत में घरेलू क्रिकेट में मुंबई की तरफ से खेलती हैं। WPL में दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलती हैं। मूल रूप से मुंबई की रहने वाली जेमिमाह रोड्रिग्स भारतीय टीम में भी अपना स्थान बना चुकी है। जेमिमा एकआलराउंडर महिला क्रिकेटर हैं। वह एक मिडिल आर्डर बैटर हैं तथा राइट आर्म ऑफ ब्रेक बॉलर हैं।

जीवन पर एक नजर

जेमिमा का पूरा नाम जेमिमाह जेसिका रोड्रिग्स’ (Jemimah Jessica Rodrigues) है। उनका निक नेम जेमी’ है।

  • जेमिमा का जन्म 5 सितंबर 2000 को मुंबई के भांडुप नामक उपनगर में हुआ था।
  • जेमिमा के पिता का नाम इवान रोड्रिग्स और माता का नाम लविता रोड्रिग्स है।
  • उनके दो भाई हैं, जिनके नाम हनोक रोड्रिग्स और एली रोड्रिग्स हैं।
  • उनका जन्म भांडुप में हुआ और वह मुंबई के बांद्रा उपनगर में पली बढ़ीं।
  • जेमिमा ने मुंबई के बांद्रा उपनगर के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट हाई स्कूल से आरंभिक स्कूली शिक्षा हासिल की है।
  • उन्होंने बांद्रा के ही रिजवी कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स से बीकॉम की डिग्री हासिल की है।
  • जेमिमा ईसाई धर्म को फॉलो करती हैं।
  • वह अविवाहित है।

खेल करियर

जेमिमा बचपन से ही खेल में रुचि थी। वह केवल क्रिकेट ही नहीं हो हॉकी का खेल भी खेल चुकी हैं। जेमिमा मुंबई की अंडर-17 कैटेगरी की टीम में क्रिकेट और हॉकी दोनों खेलों के लिए खेल चुकी हैं। शुरुआती दिनों में वह हॉकी भी खेलती थी, बाद में वह क्रिकेट से जुड़ी और क्रिकेट पर ज्यादा फोकस किया।

एक समय ऐसा आया जब उन्हें किसी एक खेल को चुनना था, तब उन्होंने क्रिकेट को चुना। जेमिमाह रोड्रिग्स ने अपना पहला घरेलू क्रिकेट मैच 13 साल की उम्र में खेला था, जब उन्हे महाराष्ट्र की अंडर-19 क्रिकेट टीम में के सदस्य के रूप में चुना गया। घरेलू क्रिकेट में महाराष्ट्र और मुंबई की तरफ से वह अनेक टीमों में खेली हैं।

उन्होंने घरेलू क्रिकेट में 50 ओवर के फर्स्ट क्लास मैच में दोहरा शतक भी बनाया है। जेमिमा के कोच उनके पिता इवान रोड्रिग्स ही हैं, जिन्होंने उनके स्कूल में क्रिकेट टीम बनाई और यहीं से जेमिमा का क्रिकेट करियर शुरु हुआ। भारत की राष्ट्रीय टी-20 क्रिकेट टीम में जेमिमा का डेब्यू 13 फरवरी 2018 को दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध खेले मैच मे हुआ।

भारत की राष्ट्रीय वनडे क्रिकेट टीम में उनका डेब्यू 12 मार्च 2018 को ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध हुए मैच में हुआ। तब नियमित रूप से भारतीय वनडे और टी-20 क्रिकेट में बनी हुई हैं। कुछ समय के लिए उन्हे भारत की वनडे टीम से बाहर भी होना पडा तो तब वह निराश होकर क्रिकेट छोडने का मन रही थीं, लेकिन वो क्रिकेट से जुड़ी रही और वह भारतीय क्रिकेट टीम की नियमित सदस्य बनी हुई हैं।

जनवरी 2023 में हुए महिला टी-20 वर्ल्डकप में उन्होंने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया है। हाल ही में शुरू हुए पहले महिला प्रीमियर लीग यानि (WPL) में वह दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलती है। दिल्ली कैपिटल्स ने उन्हें नीलामी में 2.2 करोड़ रुपए में खरीदा उनकी स्टार वैल्यू को बताता है।

उपलब्धियाँ

  • जेमिमा घरेलू क्रिकेट में घरेलू वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाली पहली महिला हैं।
  • वह टी20 क्रिकेट में मिताली राज के बाद सबसे अधिक सबसे तेज 1000 रन बनाने वाली दूसरी भारतीय हैं।
  • जेमिमा हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना और मिताली राज के बाद टी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत के लिए चौथी सबसे अधिक रन बनाने वाली महिला खिलाड़ी हैं।
  • अपने पहले टी-20 इंटरनेशनल डेब्यू मैच में उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 27 गेंद में 37 रन की पारी खेली।
  • जेमिमा ने अपना पहला वनडे अर्धशतक 24 जनवरी 2019 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाया, जब उन्होंने 81 रन की पारी खेली।
  • अपने पहले इंटरनेशनल वनडे डेब्यू मैच में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 8 गेंद में 1 रन बनाये।

  जेमिमा का इंस्टाग्राम

Jemimah Rodrigues Instagram


ये भी पढ़ें…

कबीर – भक्तिकाल के क्रांतिकारी कवि (जीवन परिचय)

भक्तिकाल प्रमुख और ईश्वर के निर्गुण रूप के उपासक संत कवि कबीर ने अपने दोहों के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों और पाखंड ऊपर प्रहार करने के लिए जाने जाते रहे हैं। आइए संत कबीर (Kabir Biography) के बारे में कुछ जानते हैं।

कबीर का पूरा जीवन परिचय (Kabir Biography)

कबीर हिंदी साहित्य के भक्तिकाल में निर्गुण विचारधारा के सबसे महान संत कवि रहे हैं। समाज और नीतिपरक कबीर के दोहे जितने अधिक प्रसिद्ध है, उतने दोहे किसी और कवि के प्रसिद्ध नही हैं। उनके पूरे जीवन की यात्रा क्या थी। वो कैसे कवि बने उनके पूरे जीवन को समझते हैं…

जन्म

कबीर दास कबीर दास का जन्म के बारे में यह कहा जाता है कि उनका जन्म काशी में लहरतारा नामक तालाब के पास हुआ था, उनके माता-पिता के विषय में कोई स्पष्ट विवरण नहीं है और कहते हैं कि उनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनका जन्म सन् 1398 को हुआ था।

कबीर की जीवन यात्रा

कबीर निर्गुण विचार धारा के कवि थे। उन्होंने अपने जीवन में जितने भी दोहों की रचना की वह ईश्वर के निर्गुण रूप पर आधारित थे। उन्होंने ईश्वर का साकार रूप नहीं बल्कि निराकार रूप का गुणगान किया।

कवि ने अपने दोहों के माध्यम से तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों का, पाखंडों, गैर जरूरी धार्मिक मान्यताओं का विरोध किया। उन्होंने हिंदू एवं मुस्लिम दोनों संप्रदायों पर समान रूप से प्रहार किया था।

वह अपने जीवनपर्यंत पाखंड धार्मिक पाखंड का विरोध करते रहे। वह हिंदी साहित्य की भक्तिकाल धारा के इकलौते कवि रहे हैं जिन्होंने अपने पूरे जीवन पर्यंत धार्मिक पाखंड, आंडबरों का विरोध किया। कबीर ईश्वर के निर्गुण रूप को मानते थे।

कबीर के जन्म के विषय में स्पष्ट विवरण नहीं है, लेकिन संभवत उनके माता-पिता उनके बचपन में ही मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। एक दिन वे लावारिस रूप में स्वामी रामानंद को काशी के घाट की सीढ़ियों पर पड़े मिले। स्वामी रामानंद गंगा स्नान करने के लिए जा रहे थे और उनका पैर सीढ़ियों पर पड़े कबीर से टकरा गया। उनके मुंह से राम-राम शब्द निकल पड़ा। कबीर इसी शब्द को अपना गुरु मंत्र मान लिया।

दूसरी किवदंती के अनुसार कबीर स्वामी रामानंद को अपना गुरु बनाना चाहते थे इसलिये जानबूझ कर उनके रास्ते में लेट गये थे।

उसके बाद कबीर स्वामी रामानंद के शिष्य बन गए। इस प्रकार कबीर के गुरु स्वामी रामानंद थे।

कबीर पेशे से जुलाहा थे। जुलाहा का काम करके अपना जीवन यापन करते थे और बेहद सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करते थे। समय-समय पर वह अपनी काव्य रचनाएं करते रहते थे।

कबीर की साखियां और दोहे बेहद प्रसिद्ध है। कबीर के जितने भी दोहे बचे हैं, वह नीतिपरक दोहे रहे हैं। कबीर के दोहों में अद्भुत ज्ञान-दर्शन मिलता है। कबीर बिल्कुल ही पढ़े-लिखे नही थे। ये उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से खुद स्पष्ट किया है। उस मध्यकालीन युग में एक साधारण बिना पढ़े लिखे कवि का इतना ज्ञान रखना अद्भुत है।

कबीर का दोहा एक से बढ़कर है।

उदाहरण के लिए कबीर कहते हैं,

पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय

यहां पर कबीर प्रेम के महत्व को स्पष्ट करते हैं और कहते हैं बड़े-बड़े धर्म शास्त्रों को पढ़ने से से कोई विद्वान नही बन जाता, ईश्वर को नही जान पाता। सच्चा ज्ञानी बनने के लिए प्रेम की भाषा समझना पड़ता है।

कबीर की रचनायें

कबीरदास जी रचनायें कबीर के दोहे नाम प्रसिद्ध हैं। उनके शिष्यों ने उनकी रचनाओं का संग्रह कर उसको बीजक’ नाम दिया। इस ग्रंथ के तीन भाग हैं।

  • रमैनी
  • शबद
  • साखी

रमैनी ⦂ रमैनी अधिकतर चौपाईयां छंदों के रूप में लिखे गयी हैं। इसमें कबीर के दार्शनिक विचारों का प्रकटीकरण होता है।

शबद ⦂ शबद अर्थात पद। इसमें कबीरदास जी ने संगीतात्मक शैली में भावप्रधान होकर लिखा हैं। इन पदों में कबीर अपने प्रेम और साधना के भाव को अभिव्यक्त करते हैं।

साखी ⦂ इसमें दोहों के रूप में साखियां लिखी गयी हैं। साखी संस्कृत के साक्षी शब्द का अपभ्रंश रूप है। कबीर की साखियां ही जनमानस में सबसे अधिक लोकप्रिय हैं।

बीजक ग्रंथ में कबीर द्वारा रचित दोहों का संकलन किया गया है। इस ग्रंथ में कबीर के 600 से अधिक छंद (दोहे) संकलित हैं। बीजक ग्रंथ में कुल ग्यारह खंड या अंग या अध्याय हैं, जो इस प्रकार हैं..

  • रमैनी
  • शब्द
  • ज्ञान चौंतीसा
  • विप्रमतीसी
  • कहरा
  • वसन्त
  • चाचर
  • बेलि
  • बिरहुली
  • हिंडोला
  • साखी

कबीर की भाषा-शैली

कबीर की भाषा सधुक्कड़ी भाषा रही है, क्योंकि वे पढ़े-लिखे नहीं थे। इसलिए उनकी बोली सामान्य जन की बोली थी। उनकी उनके रचनाओं मेंसभी भाषाओं का मिश्रण मिलता है। उन्होंने हिंदी, उर्दू, अरबी, फारसी, पंजाबी, अवधी, ब्रज सभी भाषाओं के शब्दों को ग्रहण किया है।

कबीर स्वभाव से बेहद मस्त मौला व्यक्ति थे और वे जीवन भर फक्कड़ मिजाजी में जीते रहे। उनके समय में तत्कालीन समाज की सामाजिक दशा बेहद खराब थी। भारत में इस्लाम धर्म का आगमन हो चुका था। हिंदू धर्म में अनेक कुरीतियां व्याप्त हो चुकी थी।

कबीर ने ऐसे समय में अपने नीतिपरक रचनाओं द्वारा समाज में चेतना जगाने का प्रयत्न किया था।

देहावसान

कबीर का निधन 1518 ईस्वी में ‘मगहर’ नामक जगह पर हुआ था।

उनके निधन के बाद उनके भक्तों में जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों थे, में उनके अंतिम संस्कार को लेकर विवाद छिड़ गया। लेकिन जब कबीर के शव के पास गए तो वहां पर उनका शव नहीं था और उसकी जगह फूल पड़े थे। तब दोनों हिंदू मुस्लिम दोनों भक्तों ने फूल आपस में बैठकर अपनी अपनी रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार कर दिया।

इस तरह कबीर ने हिंदी साहित्य एक अद्भुत ज्ञान से आलोकित किया। वह हिंदी के महान कवियों में एक हैं।


ये भी पढ़ें…

मीराबाई – भक्तिकाल की कृष्णभक्त संत कवयित्री (जीवन परिचय)

मीराबाई हिंदी काव्य जगत की एक महान कवयित्री थीं। वह कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति के लिए जानी जाती थीं। कृष्ण की भक्ति के जितने भी महान कवि कवयित्री हुये हैं, उनमें मीराबाई का नाम सबसे प्रमुख है। उनके जीवन (Meerabai Biography) को जानते हैं…

मीराबाई का पूरा जीवन परिचय (Meerabai Biography)

मीराबाई भक्तिकाल की एक प्रमुख कवयित्री संत थीं। मीराबाई कृष्ण भक्ति शाखा की कवयित्री थीं। वह कृष्ण से आध्यात्मिक स्तर का प्रेम करती थी और उन्होंने अपना पूरा जीवन कृष्ण के प्रति आध्यात्मिक प्रेम में समर्पित कर दिया था। वह श्रीकृष्ण के प्रति निर्मल, शुद्ध, सात्विक और आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीक थीं।

जन्म

मीराबाई का जन्म पंद्रहवीं शताब्दी में सन् 1498 ईस्वी में राजस्थान के पाली जिले के ‘कुड़की’ नाम के गाँव में हुआ था।

जीवन परिचय और परिवार

मीराबाई के पिता का नाम रतन सिंह राठौड़ था। उनकी माता का नाम वीरकुमारी और उनके दादा का नाम राव दूदा था, जो कि मेड़ता के राजघराने से संबंध रखते थे।

मीराबाई को बचपन से ही कृष्ण के प्रति बेहद लगाव था और वह बचपन में ही कृष्ण को अपना पति मान बैठी थीं। वह आध्यात्मिक प्रवृत्ति में रुचि रखती थीं। हालांकि उनकी इच्छा के विपरीत उनका विवाह मेवाड़ के राजघराने में राणा भोजराज सिंह से कर दिया गया, जो महाराणा सांगा के बड़े पुत्र थे। जो बाद में राणा कुंभा के नाम से प्रसिद्ध हुए।

जब मीाराबाई का विवाह चित्तौड़ के राणा सांगा के बड़े पुत्र भोजराज के साथ तया हुआ तो वह विवाह करने की इच्छुक नहीं थीं, परन्तु अपने परिवार वालों के दवाब में उन्होंने विवाह कर लिया।

परन्तु सच्चाई यही थी कि वह मन ही मन श्री कृष्ण को ही अपना पति मानती थीं। विवाह के समय पति के घर जाते समय वह श्री कृष्ण की मूर्ति अपने साथ ले गई थी और नित्य श्रीकृष्ण की साधना-अराधना करती रहती थीं। उनके ससुराल वालों को यह सब पसंद नहीं था, परन्तु मीराबाई अपनी श्रीकृष्ण भक्ति में रमी रहती थीं। मीराबाई का वैवाहिक जीवन बहुत अधिक लंबे समय तक नहीं चला और 5 वर्ष के वैवाहिक जीवन के बाद उनके पति भोजराज की मृत्यु हो गई।

आध्यात्मिक यात्रा

पति की मृत्यु के बाद मीराबाई ने अपनी ससुराल छोड़कर जीवन से विरक्त भाव अपना लिया, और साधु संतों के साथ हरि कीर्तन करने लगीं।
भजन कीर्तन में जाती रहतीं और नृत्य एवं गायन करती थीं। वह बचपन से ही अपने पति के रुप में श्री कृष्ण को ही स्वीकार कर चुकी थीं। उनका श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम आध्यात्मिक स्तर की पराकाष्ठा वाला प्रेम था। उनके बारे में कहा जाता है कि वह पूर्व जन्म में गोपी थीं, जो श्रीकृष्ण से बेहद प्रेम करती थी। उसी गोपी ने मीराबाई के रूप में जन्म लिया। उन्होंने अपना अधिकांश समय वृंदावन, मथुरा और द्वारका में बताया और साधु-संतों की सत्संगति करते हुए कृष्ण भक्ति से भरे पदों की रचना की।

मीराबाई के गुरु संत रविदास थे, जिनसे उन्होंने भक्ति का पाठ पढ़ा।

अपने गुरु के बारें उन्होंने कहा…

नहिं मैं पीहर सासरे, नहिं पियाजी री साथ
मीरा ने गोबिन्द मिल्या जी, गुरु मिलिया रैदास

जीवन विवरण

मीरा बाई का बचपन से ही कृष्ण के प्रति आध्यात्मिक लगाव हो गया था। इसके बारे में एक प्रसंग है कि जब वह छोटी थी तो उनके घर के पास पड़ोस में किसी की बारात आई। मीरा बाई ने उत्सुकता बस अपनी माँ से पूछा कि मेरा दूल्हा कौन है, तो उनकी माँ ने श्री कृष्ण की मूर्ति की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह तुम्हारे दूल्हा हैं। तभी से मीराबाई के मन में यह बात बैठ गई और वे श्रीकृष्ण को अपना पति मानने लगीं। इसके बाद वह श्रीकृष्ण की भक्ति के प्रति पूरी तरह समपर्पित हो गईं।

पति की मृत्यु के बाद मीराबाई ने पूरी तरह अपने स्वयं को श्रीकृष्ण भक्ति के प्रति समर्पित कर दिया। वह साधु संतों के साथ संगत करने लगी। वह भजन-कीर्तन करते समय श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने आनंद विभोर होकर नाचने लगती थीं। उनके ससुरालवालों को यह सब पसंद नहीं आया। उनके ससुराल वालों ने अनेक तरह के षड्यंत्र रचे किन्तु मीराबाई से टस से मस नहीं हुईं।

अंततः अपने ससुराल वालों के रोज के षड्यंत्रों और ताने-प्रताड़ना से तंग आकर उन्होंने अपनी ससुराल चित्तौड़गढ़ को छोड़ दिया और मेड़ता आ गई। वहां से वाराणसी होती हुई वृंदावन की ओर चली गई। वाराणसी में गुरु रविदास उर्फ संत रैदास को अपना गुरु बनाया। उसके बाद वह पूरी तरह आध्यात्मिक पथ पर चलने लगी। उन्होंने अपना अधिकांश समय मथुरा, वृंदावन और द्वारका में बिताया। उनके जीवन के अंतिम पल द्वारका में बीते।

साहित्यिक रचनाएं

मीराबाई ने कुल 4 ग्रंथों की रचना की थी, जिनके नाम इस प्रकार हैं :

  • बरसी का मायरा
  • गीत गोविंद टीका
  • राधा गोविंद
  • राग सोरठ के पद

मीराबाई के सभी रचनाओं को ‘मीराबाई के पद’ नामक ग्रंथ में एक साथ संकलित किया गया है।

प्रसिद्ध भजन

पायो जी मैंने नाम रतन धन पायो।
बस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।
जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो।
खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढ़त सवायो।
सत की नाव खेवहिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरख-हरख जस पायो।।

देहावसान

मीराबाई के जीवन का अंतिम समय द्वारका में बीता । कहते हैं कि द्वारका के एक मंदिर में जन्माष्टमी के दिन वह साधना करते-करते श्रीकृष्ण की मूर्ति में समा गयीं।

मीराबाई का निधन सन् 1547  ईस्वी में वाराणसी मे 49 वर्ष की आयु में हुआ था।

इस प्रकार मीराबाई ने श्रीकृष्ण की भक्तिधारा के पथ पर चलकर स्वयं को इतिहास के पन्नों में अमर कर लिया।


ये भी पढ़ें…

पॉलिग्राफ (Polygraph Test) टेस्ट और नार्को (Narco Test) क्या हैं?

हम अक्सर समाचारों में, न्यूज़ चैनल्स में, अखबारों में, नार्को टेस्ट पॉलीग्राफ टेस्ट आदि के बारे में सुनते रहते हैं। कभी कोई अपराध होता है, तो उस अपराधी के संबंध में नारको टेस्ट या पॉलीग्राफ़ टेस्ट के बारे में सुनते रहते हैं, तब हमारे मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न होती होगी, यह नारको टेस्ट या पॉलीग्राफ टेस्ट (Polygraph Test-Narco Test) क्या है? इसके बारे में जानते हैं।

पॉलिग्राफ टेस्ट और नार्को टेस्ट के बारे में जानें (Polygraph Test-Narco Test)

पॉलीग्राफ़ टेस्ट और नार्को टेस्ट अपराधियों से किसी अपराध के संबंध में सच्चाई उगलवाने की दो वैज्ञानिक और चिकित्सीय विधि हैं, जिनके सहायता से अपराधियों से वह सच उगल वाया जा सकता है जो अपराधी सामान्य तौर पर पूछताछ में नहीं बताते।

यह टेस्ट अक्सर कड़ी प्रवृत्ति वाले अपराधियों पर आजमाया जाता है, जो पुलिस द्वारा कड़ी पूछताछ में भी सच नहीं बताते और सच को छुपाते रहते हैं। ऐसी स्थिति में जब कोई पुलिस या जाँच एजेंसी को ये अंदाजा हो जाता है कि अपराधी सच को छुपा रहा है और आसानी से नही बतायेगा तो उस पर पॉलिग्राफ टेस्ट और नार्को टेस्ट आजमाया जाता है। ये टेस्ट लगभग सटीक परिणाम देते है, हालाँकि 100% रिजल्ट की गारंटी नही होती।

पॉलिग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) क्या है?

पॉलिग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) की खोज सबसे पहले 1921 में एक अमेरिकन फिजियोलॉरिस्ट जॉन ए लार्सन ने की थी। पॉलिग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) पॉलिग्राफ अपराधी द्वारा बोले जाने वाले झूठ को पकड़ने ही एक टेक्निक है, जो एक मशीन की सहायता से की जाती है।

यह अपराधी की गतिविधियों के आधार पर निष्कर्ष निकालने की एक टेक्निक है। इस टेक्निक में अपराधी से कुछ सवाल पूछे जाते हैं और जब उन सवालों का जवाब देता है तो उसकी गतिविधियों को पकड़ा जाता है। जब अपराधी सवाल का जवाब दे रहा होता है तो उसकी एक्टिविटी को नोट किया जाता है।

उसके होठों द्वारा बोलने की दशा, उसके दिमाग में हो रही गतिविधि, उसकी आँखों की गतिविधि, उसकी दिल की धड़कन, नाड़ी की गति, साँस लेने की दर तथा पसीने निकलने आदि को नोट किया जाता है। हम सब जानते हैं कि झूठ बोलने की स्थिति में मनुष्य के अंदर कुछ अलग परिवर्तन होते हैं।

झूठ बोलने व्यक्ति के अंदर हमेशा कुछ न कुछ डर रहता है, पॉलिग्राफ टेस्ट इसी सिद्धांत पर काम करता है। यदि अपराधी झूठ बोल रहा होता है तो उसके शरीर में कुछ अलग परिवर्तन होते हैं। उसके दिमाग में कुछ हलचल हो रही होती है,  दिल की धड़कन अलग हो सकती है, यह सभी गतिविधि पॉलीग्राफ टेस्ट में नोट की जाती ,है जिसके लिए एक मशीन का प्रयोग किया जाता है। इस टेस्ट को लाई डिटेक्टर टेस्ट यानि झूठ पकड़ने वाली मशीन भी कहा जाता है।

पॉलिग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) कैसे करते हैं?

पॉलीग्राफ टेस्ट करते समय मशीन को अपराधी के शरीर के अलग-अलग हिस्सों के साथ जोड़ दिया जाता है, ताकि उसके शरीर के बाहरी और अंदरूनी अंगों की गतिविधि को नोट किया जा सके। प्रश्न कर्ता उस अपराधी से प्रश्न पूछता है और जब व्यक्ति जवाब देता है तो जवाब देते समय उसके शरीर की क्या गतिविधियां होती हैं। वह सब सिग्नल मशीन में नोट कर दिए जाते हैं उसके आधार पर सारी गतिविधियों का एनालिसिस किया जाता है और उसके आधार पर रिजल्ट निकाला जाता है।

टेस्ट करने से पहले मशीन से अपराधी के अलग-अलग प्वाइंट को जोड़ा जाता है, उसके सीने पर एक बेल्ट बाँधी जाती है, जिसे  न्यूमोग्राफ ट्यूब (Pneumograph Tube) कहते हैं। जो अपराधी के दिल की धड़कन को नापती है। अपराधी की उंगलियों पर लोमब्रोसो ग्लव्स (Lombroso Gloves) बांधे जाते हैं, उंगलियों के मूवमेंट पर नजर रखते हैं।

अपराधी की बाहों पर बाजू पल्स कफ (Pulse Cuff) बांधे जाते है, जो उसके घटते-बढ़ते ब्लड प्रेशर पर नजर रखते हैं। ये सारी एक्टिविटी एक स्क्रीन पर दिखती रहती हैं और एक्सपर्ट बारीकी से उस पर नजर रखते हैं। सवालों के जवाब के समय अपराधी की सारी गतिविधियों को बारीकी से नोट किया जाता है

पॉलिग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) किस पर किया जाता है?

पॉलीग्राफ़ टेस्ट किसी आम अपराध के लिए नहीं किया जाता। यह टेस्ट करने के लिए विशेष परिस्थिति में बेहद संगीन अपराधों के लिये ही किया जाता है और इस टेस्ट के लिए अदालत से परमिशन लेनी पड़ती है। भारत में पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए अदालत से परमिशन लेने के बाद ही जांच एजेंसी अपराधी का पॉलिग्राफ टेस्ट कर सकती है। पॉलिग्राफ टेस्ट के लिए अपराधी की सहमति होनी भी जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार अपराधी की इच्छ के विरुद्ध उस पर पॉलिग्राफ टेस्ट नही कराया जा सकता है।

पॉलीग्राफ़ टेस्ट किन किन मामलों में किया जा सकता है?

जब यह टेस्ट अधिकतर बेहद संगीन अपराधों के मामले में किया जाता है। जब अपराधी ने बहुत गंभीर अपराध किया हो और वह पुलिस के साथ सहयोग नहीं कर रहा हो और अपराध बेहद हाई प्रोफाइल मामले से संबंधित हो। तब पुलिस जांच एजेंसी अपराधी पर जवाब देने का निर्णय लेती है, उसके लिए उसे अदालत से परमिशन लेनी पड़ती है।

पॉलिग्राफ टेस्ट किन मामलों में किया जा सकता है?

ये टेस्ट यौन दुर्व्यवहार, रेप, हत्या, नशीली दवाओं के प्रयोग, बैंक फ्रॉड, वित्तीय फ्रॉड आदि के मामले में पॉलीग्राफ टेस्ट किया जा सकता है। अदालत केवल विशेष परिस्थितियों में ही पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति देती है। यह परीक्षण जांच एजेंसियों के अधिकारियों, एक्सपर्ट तथा डॉक्टरों आदि देखरेख मे किया जाता है, इसकी वीडियो रिकार्डिंग भी की जाती है।

क्या ये टेस्ट सटीक रिजल्ट देता है?

बहुत शातिर अपराधी जिन्हें टेस्ट के बारे में पहले से पता है, जो प्रोफेशनल अपराधी है। वह स्वयं को मानसिक रूप से ऐसा तैयार कर सकते हैं कि अपने शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित कर लें। लेकिन बहुत कम मामलों में ऐसा हो पाता है। अधिकतर मामलों में यह टेस्ट सटीक रिजल्ट देता है। हालांकि 100% रिजल्ट नही मिले ऐसा जरूरी नही लेकिन अधिकतर मामलों में इस टेस्ट से सही रिजल्ट ही मिलते हैं।

क्या पॉलीग्राफ टेस्ट के रिजल्ट को साक्ष्य के रूप में प्रयोग किया जा सकता है?

नहीं। पॉलीग्राफ टेस्ट का रिजल्ट सीधे साक्ष्य के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता बल्कि उसके आधार पर आगे की जांच में यदि कोई ऐसा सबूत मिलता है, जो अपराधी द्वारा पॉलीग्राफ टेस्ट में पूछे गए सवालों के जवाब को सही सिद्ध करता हो, तो उन सबूतों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। पॉलीग्राफ़ टेस्ट इन्वेस्टीगेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद करता है और यह साक्ष्य जुटाने में मददगार होता है।

नार्को टेस्ट (Narco Test) क्या है?

नार्को टेस्ट भी बेहद संगीन अपराध के मामले में किया जाने वाला टेस्ट है। यह बेहद गंभीर और विशेष परिस्थिति में ही किया जाता है। यह टेस्ट हर किसी अपराधी पर नहीं किया जा सकता है। इसके लिए अपराधी की शारीरिक और मानसिक स्थिति तथा उसकी उम्र और स्वास्थ्य आदि को ध्यान में रखकर ही टेस्ट किया जा सकता है। इस टेस्ट को करने के लिए अदालत से विशेष परमिशन की जरूरत पड़ती है।

यह टेस्ट पॉलीग्राफ टेस्ट से अधिक जटिल टेस्ट है. क्योंकि इसमें विशेष प्रकार की ड्रग्स को इंजेक्शन आदि द्वारा अपराधी के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे उसके शरीर और दिमागी स्थिति अलग अवस्था में पहुंच आती है। उसका दिमाग ना तो खुद के कंट्रोल में रहता है और ना ही वो पूरी तरह बेहोश हुआ होता है, यानी अपराधी होश और बेहोश की बीच की अवस्था में होता है। ऐसी अवस्था में वह जो कुछ बोलता है, वह वही बोलता है जो सच होता है। वह चाह कर भी झूठ नहीं बोल पाता।

नार्को (Narco Test) कैसे करते हैं?

नार्को टेस्ट करने के लिए अपराधी को ‘ट्रुथ सिरम’ नाम का एक ड्रग दिया जाता है। इस ड्रग को ट्रुथ ड्रग भी कहा जाता है। उसके बाद अपराधी को ‘सोडियम पेंटोथल’ का इंजेक्शन लगाया जाता है। इन दोनों दवाओं के असर होते ही व्यक्ति अर्थ चेतन की अवस्था में पहुंच जाता है अर्थात ना तो वह पूरी तरह होश में रहता है और ना ही बेहोश हुआ होता है।

इन दवाइयों के असर से व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता समाप्त हो जाती है और केवल उसका अंदरूनी चेतन मस्तिष्क काम कर रहा होता है। इस कारण वह ऐसी वही सवालों का जवाब देता है, जो उससे पूछे जाते हैं। उसका खुद पर कंट्रोल ना होने के कारण वह बातों को इधर-उधर घुमा-फिरा कर और झूठ नही बोल सकता है।

झूठ बोलने के लिए व्यक्ति को काफी कुछ सोचना पड़ता है और वह बातों को घुमाने की कोशिश करके बोलने की कोशिश करता है, लेकिन टेस्ट के दौरान दवाओं के प्रभाव से व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है और वह हर सवाल का सीधा जवाब देता है, ऐसी स्थिति में उसके द्वारा झूठ बोलने की गुंजाइश खत्म हो जाती है।

नार्को (Narco Test) किन पर किया जाता सकता है?

नार्को टेस्ट भी पॉलीग्राफ टेस्ट की तरह विशेष परिस्थितियों में ही विशेष अपराधी पर किया जा सकता है। बल्कि कहें तो पॉलीग्राफ टेस्ट तो बहुत से अपराधियों पर आसानी से किया जा सकता है, लेकिन नार्कोटेस्ट के लिए तो बहुत विशेष परिस्थिति की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि इसमें अपराधी के स्वास्थ्य, उसकी उम्र आदि का भी ध्यान रखना पड़ता है।

यदि अपराधी को कोई बीमारी है तो उस पर नारको टेस्ट नहीं आजमाया जा सकता क्योंकि उस पर ड्रग का दुष्प्रभाव पड़ सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है। नार्को टेस्ट में जो ट्रक दी जाती है वह काफी हाई पावर की ड्रग होती हैं। थोड़ी सी भी ज्यादा ड्रग मिलने पर अपराधी की मौत भी हो सकती है।

नार्को टेस्ट करने के लिए भी जांच एजेंसी को अदालत की विशेष परमिशन लेनी पड़ती है। नार्कोटेस्ट कराने से पूर्व व्यक्ति के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति की जांच की जाती है। उसकी उम्र को भी ध्यान में रखा जाता है तथा ड्रग के दबाव को सहने की उसकी क्षमता आदि को ध्यान में रखा जाता है। इसके अलावा अपराध की सहमति होना भी आवश्यक है। इसके बाद ही अदालत की परमिशन ली जाती है। अदालत अपराध की संगीनता और केस की स्थिति को देखते हुए ही परमिशन देती है।

नार्को टेस्ट विशेष एक्सपर्ट्स की देखरेख में किया जाता है, क्योंकि इसके लिए बहुत अधिक सावधानी की आवश्यकता पड़ती है इसमें जांच अधिकारी के अलावा, चिकित्सक, विशेष नार्को एक्सपर्ट और मनोचिकित्सक शामिल होते हैं। टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाती है ताकि उसकी विश्वसनीयता पर कोई सवाल ना कर सके। विश्व का सबसे नारको टेस्ट 1922 में किया गया था। यह टेस्ट अमेरिका में किया गया था और कैदियों पर इसको आजमाया गया था।

क्या नार्को टेस्ट (Narco Test) एकदम सटीक रिजल्ट देता है?

नार्कों टेस्ट अधिकतर मामलों में एकदम सटीक रिजल्ट ही देता है। बहुत कम मामले ऐसे हुए हैं, जिसमें नार्को को टेस्ट को से सही रिजल्ट नहीं मिला हो नहीं तो अधिकतर इस मामले में लगभग सटीक रिजल्ट ही मिलता है। नार्कोटेस्ट अपराधियों द्वारा सच्चाई उगलवाने के लिए एक सटीक टेक्निक है, जिसके माध्यम से अपराधी से बिल्कुल सच उगलवाया जा सकता है, लेकिन यह हर अपराधी पर नहीं आजमाया जा सकता है। इसलिए इसका लाभ हर मामले में नहीं मिल पाता।

पॉलिग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) एवं नार्को टेस्ट (Narco Test) में अंतर

पॉलीग्राफ टेस्ट मशीन के आधार पर अपराधियों द्वारा झूठ बोलने की गतिविधि को पकड़ने का एक टेस्ट है, जिसमें एक उपकरण के माध्यम से अपराधी की गतिविधियों को रिकॉर्ड करके उनके आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है, जबकि नार्को टेस्ट दवाओं के माध्यम से अपराधी को आधी बेहोशी की स्थिति में लाकर उससे सच उगलवाने की एक टेक्निक है, जिसमें अपराधी अधिकतर मामलों में सच बोल ही देता है।

दोनों टेस्ट में नार्को टेस्ट अधिक सटीक रिजल्ट देता है। तो हमने जाना कि पॉलीग्राफ टेस्ट एवं नार्को टेस्ट क्या होते हैं। आशा है आपको इसके बारे में बहुत कुछ जानने को मिला होगा। आपको यह पोस्ट कैसी लगी इसके बारे में अपनी राय नीचे कमेंट दें।

Polygraph Test Narco Test 


ये भी पढ़ें…

तैलीय त्वचा से छुटकारा पाएं – ये उपाय आजमाएं

आजकल तैलीय त्वचा (Oily Skin Remedy) की समस्या बहुत आम हो गई है । त्वचा के तैलीय हो जाने के कारण मुँहासे, व्हाइटहेड्स, ब्लैकहेड्स की समस्या होने लगती है । आज हम तैलीय त्वचा (Oily Skin) से छुटकारा पाने के उपाय आजमाएंगे और इसके के बारे में विस्तार से कुछ घरेलू उपाये बताएंगे, जिसका प्रयोग आप घर में आसानी से कर सकते हो।

तैलीय त्वचा से छुटकारा पाने के उपाय (Oily Skin Remedy)

बहुत से लोगों के त्वचा बेहद तैलीय होती है, जिस कारण उनके मुँह पर मुँहासे आदि की समस्या होना बेहद आम है। इस तैलीय त्वचा से छुटकारा पाने के उपाय से पहले तैलीय त्वचा के बारे में जानते हैं।

तैलीय त्वचा (Oily Skin)क्या है?

कफ दोष तैलीय त्वचा के लिए जिम्मेदार होता है। तैलीय त्वचा मोटी तथा बड़े रोमछिद्र लिए हुए होती है। किन्तु तैलीय त्वचा में झुर्रियाँ शुष्क तथा सामान्य त्वचा की अपेक्षा देर से पड़ती है। इसे कफज त्वचा भी कहा जा सकता है। आपकी त्वचा कैसी है? यह मुख्य रूप से तीन बातों पर निर्भर करता है। यहाँ पर हम आपको तैलीय त्वचा से छुटकारा पाने के आसान उपाय बता रहे हैं।

तैलीय त्वचा से बचाव के उपाय

1) तैलीय त्वचा (Oily Skin) के लिए फायदेमंद दही

दही चेहरे के अतिरिक्त तेल को सोखने में मदद करती है। अपने चेहरे पर दही लगाकर 15 मिनट तक छोड़ दे फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें।

2) खीरे की मदद से लाएं तैलीय त्वचा (Oily Skin) में निखार

रात को सोने से पहले खीरे की एक स्लाइस से त्वचा पर मालिश कर के छोड़ दें। सुबह त्वचा को गर्म पानी से धो लें।

3) हल्दी का मिश्रण तैलीय त्वचा (Oily Skin) के लिए लाभकारी

  • एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर, आधा चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। इसे चेहरे पर लगाकर सूखने दें जब यह सूख जाए तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। ऑयली स्किन केयर के लिए आप इस उपाय को आजमा सकती हैं।
  • एक चम्मच चन्दन पाउडर, दो चम्मच बेसन, आधा चम्मच हल्दी पाउडर, दो बूँद रोज ऑयल, दो बूँद लैवंडर ऑयल तथा एक चम्मच दूध, सब को मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे चेहरे पर लगाएँ तथा सूखने पर गुनगुने पानी से धो लें।

4) नींबू तैलीय (Oily Skin)) त्वचा  के लिए फायदेमंद

एक चम्मच नींबू का रस, आधा चम्मच शहद और एक चम्मच दूध लेकर मिलाएँ। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर 10-15 मिनट के लिए छोड़ दें फिर ठंडे पानी से धो लें।

5) आटा तैलीय त्वचा (Oily Skin) के लिए फायदेमंद

एक चम्मच गेहूँ का आटा, एक चम्मच शहद और दो चम्मच दही मिलाकर गाढ़ा लेप बनाएँ। इस लेप को हफ्ते में दो बार चेहरे पर लगाने से तैलीय त्वचा निखर उठती है।

6) तैलीय त्वचा (Oily Skin) में टमाटर के फायदे

टमाटर में ऑयल एब्सॉर्बिंग एसिड होता है जो त्वचा के अतिरिक्त तेल को सोखने में मदद करता है। टमाटर के एक टुकड़े से त्वचा की तब तक मसाज करें जब तक त्वचा उसका जूस न सोख ले फिर 15 मिनट तक रखकर ठंडे पानी से धो लें।

7) संतरे का छिलका तैलीय त्वचा (Oily Skin) में फायदेमंद

तीन चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर, चार चम्मच दूध, एक चम्मच नारियल का तेल तथा दो से चार चम्मच गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें। 15-20 मिनट तक इसे चेहरे पर लगाकर धो लें।

8) ग्रीन टी तैलीय त्वचा (Oily Skin) में फायदेमंद

  • ग्रीन टी पीने के साथ-साथ चेहरे पर लगाने से भी लाभ करती है। इसमें पॉलीफोलिक और एन्टी इंफ्लैमटोरी गुण पाए जाते हैं जो त्वचा सम्बन्धी रोगों से हमारी रक्षा करते हैं।
  • दो चम्मच ग्रीन टी, एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच चावल का आटा लेकर पेस्ट बना ले। 15-20 मिनट तक इसे चेहरे पर लगाएँ रखें। इसके बाद चेहरे को ताजे पानी से धो लें।

9) मेथी तैलीय त्वचा (Oily Skin) के लिए लाभकारी

  • 2-3 चम्मच मेथी के दानों को लेकर रातभर भीगने के लिए रख दें। अगली सुबह इसे पीस कर पेस्ट बना लें, इससे चेहरे पर थोड़ी देर मालिश कर सूखने के लिए छोड़ दें। सूख जाने पर ठण्डे पानी से धो लें।

10) मुल्तानी मिट्टी तैलीय त्वचा (Oily Skin) के लिए गुणकारी

  • मुल्तानी मिट्टी और पानी मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर सूखने दें। पूरी तरह सूखने के बाद पानी से धो लें।
  • मुल्तानी मिट्टी और आधा चम्मच नींबू का रस या संतरे का रस मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर सूखने दें। पूरी तरह सूखने के बाद ठण्डे पानी से चेहरे को धो लें। यह लाभ पहुंचाता है।

उपर लिखे गए सभी उपाय हमारी तैलीय त्वचा (Oily Skin) से छुटकारा पाने में बहुत मदद करेगी।

Post topic: Oily skin remedy

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

 


ये भी पढ़ें…

Windows Key Tricks – विंडोज ‘की’ के कमाल के फंक्शन बड़े काम के हैं।

कम्प्यूटर में काम करते समय ctrl key और alt key कॉम्बिनेशन की से बहुत से परिचित होंगे, लेकिन Widows key के भी अलग-अलग keys के साथ कॉम्बिनेशन भी बड़े उपयोगी और कमाल के हैं, आइए जानते है इन कॉम्बिनेशन (Windows Key functions) को…

विंडोज ‘की’ के कमाल के फंक्शन – Windows Key Tricks : कंप्यूटर का उपयोग आज हर व्यक्ति के जीवन की आवश्यकता बन चुकी है। हर किसी व्यक्ति को किसी न किसी कार्य हेतु कंप्यूटर का उपयोग करना ही पड़ता है। आज कंप्यूटर किसी की पहुंच से दूर नहीं है।

हर व्यक्ति को कंप्यूटर चलाने की बेसिक नॉलेज होती है। कंप्यूटर पर काम करते समय हमें अक्सर विंडोज ‘की’ (windows key) के कमाल के फंक्शन के बारे में नहीं पता होता। आइए विंडोज की के ऐसे ही कुछ कमाल के फंक्शन के बारे में जानते हैं…

विंडोज ‘की’ के कमाल के फंक्शन – Windows Key Functions

कंप्यूटर में विंडोज ‘की’ (Windows Key) वह key होती है, जो space bar के बाई तरफ ctrl और alt  key के बीच में पाई जाती है। इसकी key को दबा करके इसके साथ दूसरी अलग-अलग keys दबाकर अलग-अलग तरह के फंक्शन चलाए जा सकते हैं। कई तरह की कमांड दी जा सकती हैं।

विंडोज key के अनेक उपयोग हैं। Win key का उपयोग के द्वारा हम अनेक तरह के कार्य को आसान बना सकते हैं हमें बहुत से विंडोज की प्रेस करके उसके फंक्शन के बारे में पता नहीं होता ही विंडोज की के साथ दूसरी की दबाकर क्या-क्या लाभ उठाया जा सकता है विंडोज की किन्ही कमाल के फंक्शन के बारे में जानते हैं।

Win + Numbers (1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9)

अक्सर आप टास्क बार (Task bar) पर वो प्रोग्राम को सेट करके रखते हैं, जो आप सबसे ज्यादा प्रयोग में लातें है ताकि जरूरत पड़ने पर फटाफट उस प्रोग्राम के आइकन पर क्लिक करके प्रोग्राम को ओपन किया जा सके। आप अपनी जरूरत के अनुसार सारे प्रोग्राम को एक क्रम में सेट कर देते हैं।

अगर आपको इनमें से किसी प्रोग्राम को ओपन करना हो तो आप टास्क बार में उस प्रोग्राम के आइकन माउस ले जाकर क्लिक जाकर उस प्रोग्राम को ओपन करना पड़ता है। लेकिन यदि आपको आप चाहें तो माउस का उपयोग करे बिना भी win key और numbers key के काम्बिनेशन से टास्क बार का कोई भी प्रोग्राम ओपन कर सकते हैं।

माना कि आपने टास्क बार पर गूगल क्रोम, माइक्रोसॉफ्ट एज, फाइल एक्सप्लोरर, एमएस वर्ड और एमएस एक्सेल ये पाँच प्रोग्राम सेट इसी क्रम मे सेट करके रखें है। तो Win key और ऊपर की Row की 1 नंबर key दबाइये। गूगल क्रोम तुरंत ओपन हो जायेगा। या अगर आपने गूगल ओपन करके रखा है, और आप दूसरे किसी प्रोग्राम पर है तो Win + 1 दबाने पर आप तुरंत गूगल क्रोम में स्विच हो जायेंगे।

इसी प्रकार अगर आपकी टास्क बार पर दूसरे क्रम में माइक्रोसॉफ्ट एज प्रोग्राम सेट है, तो Win + 2 का काम्बिनेशन दबाने पर माइक्रोसाॉफ्ट एज ओपन हो जायेगा। आप इसी तरह टास्क बार के सभी प्रोग्राम Win key और अलग-अलग नंबरों को सहायता फटाफट ओपन कर सकते हैं।

Win + shift + S

अक्सर आपको कम्प्यूटर पर काम करते समय अपनी स्क्रीन का कोई स्नैपशॉट निकालना पड़ता है या स्क्रीन पर कोई विशेष हिस्सा crop करने की जरूरत पड़ती है, तब आपको snipping tool  का उपयोग करना पड़ता है।

इसके लिए या तो आपको नीचे लेफ्ट साइड की सर्च बार जाकर snipping tool टाइप करके सर्च करना पड़ता है या पहले टास्क बार या डेस्कटॉप पर सेव snipping tool के आइकन पर क्लिक करके ओपन करना पड़ता है। लेकिन आप चाहें तो  Win key  की मदद से सीधे snipping tool को ओपन कर सकते हैं।

Win + Shift + S keys का काम्बिनेशन दबायें। आपके सामने snipping tool ओपन हो जायेगा। आप snipping tool की मदद से स्क्रीन का मनचाहा भाग crop कर सकते हैं।

Win + R

मान लिया आप कंप्यूटर पर कोई कार्य कर रहे हैं और आपको अचानक कोई प्रोग्राम ओपन करने की जरूरत पड़ती है। वह प्रोग्राम आपके टास्कबार पर सेव नहीं है और ना ही डेक्सटॉप पर उसका आइकन है। ऐसे में अपना मनचाहा प्रोग्राम सबसे सरल उपाय है, Win + R दबाएं। अब छोटी सी विंडो ओपन होगी, उसमें आप प्रोग्राम का नाम टाइप कर दें। आपके सामने आपका प्रोग्राम खुल जाएगा। इसमें आप कोई भी फोल्डर, फाइल अथवा किसी भी प्रोग्राम का नाम टाइप करके तुरंत वो प्रोग्राम को ओपन कर सकते हैं।

Win + Arrows keys

माना आप किसी विंडोज पर कोई कार्य कर रहे हैं और वह विंडोज आपको मूव करनी है या आपको वह विंडोज छोटी करनी है तथा एक दूसरी विंडोज में भी साथ में कार्य करना है, तो आप इसके लिए Win key और Arrows keys के काम्बिनेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप जिस विंडोज में कार्य कर रहे हैं, उसको ओपन रखिए और Win key + Left Arrows दबायें।

आपकी एक्टिव विंडो लेफ्ट साइड में हाफ विंडो के रूप में मिनिमाइज हो जाएगी। आप दूसरी विंडो ओपन कीजिए। Win + Right Arrows दबायें। ये विंडो स्क्रीन की राइट की तरफ हाफ विंडों के रूप में minimize हो जायेगी। इसी तरह Win key के साथ Up और Down Arrows keys का प्रयोग करके आप अपनी एक्टिव विंडों को ऊपर या नीचे हाफ विंडो के रूप में सेट कर सकते हैं।

Win + H

वॉइस टूल द्वारा टाइपिंग करने के लिए यह कमांड एक बेहतर उपाय है। अक्सर हमें किसी बड़े मैटर को वॉइस द्वारा टाइप करने की जरूरत पड़ती है और जब हमें किसी बाहरी टूल की मदद लेनी पड़ती है, लेकिन विंडोज में ही ऐसा सिस्टम है कि आप वॉइस टूल के द्वारा वह टाइपिंग कर सकते हैं।

यह सुविधा माइक्रोसॉफ्ट के किसी भी प्रोग्राम को सपोर्ट करती है, लेकिन इसमें केवल अंग्रेजी भाषा के माध्यम से ही टाइप कर सकते हैं अन्य भाषाओं के लिए इस टूल में अभी सपोर्ट नहीं है। आप माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में या माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल में बोलकर टाइप करना चाहते हैं तो माइक्रोसॉफ्ट वर्ड या एक्सल ओपन करें।

Win + H key कॉम्बिनेशन को दबायें। स्क्रीन पर ऊपर एक छोटी से बार ओपन हो जायेगी जिसमे एक माइक शो हो रहा होगा। आप बस बोलना शुरु कीजिए। आपके द्वारा बोले शब्द अपने टाइप होते जायेंगे। ध्यान रहे फिलहाल इसमें केवल इंग्लिश भाषा को ही सपोर्ट है, और ये माइक्रोसॉफ्ट के सभी प्रोग्राम पर चल सकता है।

Win + E

फाइल एक्सप्लोरर ओपन करने के लिए यह एक बेहतरीन कमांड है। अक्सर आपको काम करते समय किसी फाइल की तलाश करने के लिए फोल्डर एक्सप्लोरर में जाना होता है। ये फाइल एक्सप्लोरर ओपन करने के लिए शार्टकट की है। Win + E keys दबाएं। आपके सामने फाइल एक्सप्लोरर ओपन हो जाएगा और आप वहाँ पर अपनी कोई भी फाइल को सर्च कर सकते हैं।

Win + Tab

यह बहुत उपयोगी और मजेदार शार्टकट की है। इसके माध्यम से आप अपने कंप्यूटर में की जाने वाली सारी एक्टिविटी यानि आपने कौन सी फाइल कब खोली, उसके बारे में पता कर सकते हैं। Win + Tab दबाएं। स्क्रीन पर आपके सामने वह सभी फाइलें दिखनी शुरू हो जाएंगे जो आपने ओपन कीं, या कर ओपन कीं। यहाँ आपको पिछले 20 से 25 दिनों में ओपन की गईं फाइलों और फोल्डर आदि की हिस्ट्री मिल जायेगी। अगर आपकी अनुपस्थिति में किसी ने फाइल ओपन की है तो आपको उसका पता चल सकता है।

Win + I

Win + I का कॉन्बिनेशन आपको सेटिंग फोल्डर को ओपन करने में मदद करता है। यदि आपको अपने कंप्यूटर की सेटिंग में जाना है, तो सीधे Win + I दबायें। आपके सामने सेटिंग फोल्डर ओपन हो जायेगा। आप उसमे से अपनी सेटिंग कर सकते हैं।

Win + D

आप किसी विंडोज में काम कर रहे हैं और आपको सीधे डेक्सटॉप पर जाना है। आपको डेस्कटॉप पर कोई आइकॉन की सर्च करना है या दूसरा कोई भी कार्य करना है तो सीधे डेस्कटॉप ओपन करने के लिए Win + D दबाएं। आपकी एक्टिव विंडोज मिनिमाइज हो जाएगी और जितने भी प्रोग्राम एक्टिव होंगे वह सब मिनिमाइज होकर टास्क बार में चले जाएंगे और आपके सामने डेक्सटॉप दिखने लगेगा। डेस्कटॉपर अपना काम करने के बाद आप दोबारा से Win + D दबायेंगे तो आपकी एक्टिव विंडोस वापस स्क्रीन पर आ जाएगी।

Win + alt +R

Win + alt + R  keys कॉम्बिनेशन की मदद से आप अपनी एक्टिव स्क्रीन को रिकॉर्ड कर सकते हैं। आपको काम करते समय अपनी स्क्रीन को रिकॉर्ड करने की जरूरत पड़ रही है तो आपको किसी बाहरी टूल की मदद लेने की कोई जरूरत नही है। विंडोज में रिकार्डिंग फीचर है।

Win + Alt + R दबाएं। आपकी एक्टिव स्क्रीन की रिकॉर्डिंग शुरू हो जाएगी। ऊपर एक छोटी सी एक्टिव बार दिखाई देगी जहां पर रिकॉर्डिंग होने का टाइमिंग शो होता रहेगा। आप जब चाहें स्टॉप रिकॉर्डिंग आइकॉन पर क्लिक करके रिकॉर्डिंग को रोक सकते हैं। आपकी रिकॉर्डिंग कंप्यूटर के Videos फोल्डर में Capture फोल्डर में मिलेगी।

Win + G

यह भी स्क्रीन रिकॉर्ड करने का फीचर है। इसमें भी ऊपर दिए गए ऑप्शन के अनुसार ही स्क्रीन रिकॉर्डिंग की जा सकती है। इसमें आप स्क्रीनशॉट भी ले सकते हैं। दरअसल ये एक गेमिंग फीचर्स है, जो कंप्यूटर पर गेम खेलते समय स्क्रीन रिकॉर्ड करने के लिए बनाया गया है। इसकी सहायता से आप सामान्य रिकॉर्डिंग भी कर सकते हैं।

Win + V

इस कमांड के द्वारा आप क्लिपबोर्ड को एक्टिव कर सकते हैं। Win + V दबाइये। आपके सामने क्लिपबोर्ड की छोटी सी विंडो ओपन हो जाएगी। इस विंडो में आपके द्वारा कॉपी किया गया सारा डाटा शो होने लगेगा। आपने पिछले समय में जो भी फाइल, फोल्डर, इमेज अथवा डाटा कॉपी किया होगा वह सारा का सारा क्लिपबोर्ड में आपको शो होगा। आप उनमें से अपना मनचाहा डाटा कहीं पर भी पेस्ट कर सकते हैं।

Win + L

विंडोज और L key के फंक्शन के साथ आप अपने कम्प्यूटर को लॉक कर सकते हैं। मान लीजिए आप कंप्यूटर पर कोई महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। आपको अचानक किसी काम से बाहर जाना है। आप कंप्यूटर को बंद नहीं करना चाहते, क्योंकि आपको उन फाइल में दोबारा से काम करना है।

आप यही चाहते हैं कि कम्प्यूटर तो चालू रहे लेकिन आपकी फाइल को कोई देख न सके। Win + L दबाइये। आपका कंप्यूटर एक्टिव रहते हुए लॉक हो जाएगा। अब आपकी अनुपस्थिति में आपके कम्प्यूटर के साथ को छेड़छाड़ नही कर सकेगा। जब आप अपना काम निपटा कर वापस आए तो पासवर्ड द्वारा अपने कंप्यूटर को अनलॉक कर सकते हैं, और आगे का काम शुरु कर सकते हैं।

Win + P

इस कमांड के द्वारा आप अपने कंप्यूटर की स्क्रीन को प्रोजेक्टर के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। आप अपने कंप्यूटर की स्क्रीन को किसी बाहरी स्क्रीन से प्रोजेक्टर के रूप कनेक्ट कर सकते हैं। Win + P दबाइये आपकी स्क्रीन की दाहिनी तरफ एक पैनल ओपन हो जाएगा। जहाँ से आप अपनी कंप्यूटर स्क्रीन को प्रोजेक्टर के रूप में जैसा चाहे वैसा प्रयोग कर सकते हैं।

Post topic: Windows Key functions


ये भी पढ़ें…

जानें कौन पूजा गोल्हानी, जिन्होंने “मेरे भारत का बच्चा-बच्चा जय-जय श्रीराम बोलेगा” गाया है।

‘मेरे भारत का बच्चा-बच्चा, जय-जय श्रीराम बोलेगा’ ये भजन गीत आजकल हर धार्मिक उत्सव बजाया जाने लगा है। इस गीत को गाने वाली गायिका का नाम पूजा गोल्हानी हैं, कौन हैं पूजा गोल्हानी? (Pooja Golhani Biography) आइए जानते हैं…

पूजा गोल्हानी (Pooja Golhani Biography)

2021 में एक एक भजन गीत रिलीज हुआ था, मेरे भारत का बच्चा-बच्चा जय जय श्री राम बोलेगा। भजन रिलीज होने के बाद यह गीत लोगों की जुबान पर चढ़ गया था हिंदू धर्म के हर धार्मिक कार्यक्रम में यह गाना डीजे पर जोर-जोर से बजाया जाता था।

अयोध्या में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह गाना और अधिक लोकप्रिय हो उठा है, और अब हर धार्मिक समारोह या धार्मिक व्रत त्यौहार आदि पर होने वाले उत्सवों में यह गाना जरूर बजाया जाता है।

बहुत से लोगों को शायद यह पता ना हो यह गाना किस गायिका ने गाया है या बहुत से लोगों को यह उत्सुकता हो कि यह गाना किसने गया है, तो इस गायिका का नाम पूजा गोल्हानी है।

कौन है पूजा गोल्हानी?

इस गाने को गाने वाली गायिका का नाम पूजा गोल्हानी है। पूजा गोल्हानी एक प्रसिद्ध भजन गायिका हैं, जो हिंदू धर्म के देवी-देवताओं पर आधारित भजनों को गाती हैं। उन्होंने ही इस भजन गीत को गाकर पूरे भारत में लोकप्रिय कर दिया। इस जीत की गायिका पूजा गोल्हानी है और इसके गीतकार नंदू ताम्रकार हैं।

पूजा गोल्हानी का परिचय

पूजा गोल्हानी मूल रूप से मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं। उनका जन्म 14 जनवरी को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के लखनादौन नामक कस्बे के एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनके परिवार में उनके माता-पिता के अलावा उनका एक भाई भी है, जिसका नाम दीपक गोल्हानी है। उनकी एक बहन भी है जिसका नाम निधि गोल्हानी हैं।

वह अविवाहित हैं, और अपने परिवार के सात मध्यप्रदेश के सिवनी के लखनादौन में रहती हैं।

उनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा मध्य प्रदेश के इस सिवनी जिले के लखनादौन के स्वामी विवेकानंद गवर्नमेंट कॉलेज से हुई, जहाँ से उन्होंने ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त की थी। उन्हें बचपन से ही जीत भजन गाने में रुचि थी और उन्होंने 2017 में भजन गीत गाने का अपना करियर आरंभ किया।

सबसे पहले उन्होंने ‘बलियो के बली बजरंग बली’ नामक गीत गाया। इस जीत के गीतकार और निर्देशक नंदू ताम्रकर ही है, जिन्होंने भारत का बच्चा-बच्चा गीत की रचना की। उसके बाद पूजा गोल्हानी ने अनेक भजन गीतों को गाया है।

उन्होंने सभी हिंदू देवी-देवताओं पर भजन गीत गाए हैं। यूट्यूब पर उनके गीत-भजन बेहद लोकप्रिय हैं। उनके गाए लगभग सभी भजन गीतों के गीतकार नंदू ताम्रकार ही हैं।

वर्तमान समय वह मध्यप्रदेश के अपने गृहनगर लखनादौन में ही रहती हैं और भजन गीत गाकर अपने करियर को आगे ले जा रही हैं।

 

मेरे भारत का बच्चा-बच्चा ये भजन यूट्यूब पर देखिए। वीडियो में पूजा गोल्हानी स्वयं है।

ये भी पढ़ें…

पुरुषों के वनडे वर्ल्ड कप क्रिकेट के सभी 13 वर्ल्डकप का पूरा इतिहास जानें।

1975 से शुरु हुए पुरुषों के वनडे वर्ल्ड कप क्रिकेट के 13 संस्करण हो चुकें हैं। इन सभी संस्करणों में कौन सी टीम कब चैंपियन बनी? सभी वनडे वर्ल्ड कप का क्या इतिहास (All one-day cricket world cup history) है आइए जानते हैं…

वनडे क्रिकेट वर्ल्डकप का पूरा इतिहास (All one-day cricket world cup history)

5 अक्टूबर 2023 से भारत में वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप का 13वां संस्करण खत्म हुआ। आस्ट्रेलिया ने फाइनल में भारत को हराकर 6वीं बार वनडे वर्ल्ड कप जीता। कुल मिलाकर पुरुष क्रिकेट के 13 वर्ल्ड कप हो चुके हैं। क्रिकेट के इन 13 वर्ल्ड कप में 6 वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया ने 2-2 वर्ल्ड कप भारत और वेस्टइंडीज ने तथा श्रीलंका, पाकिस्तान और इंग्लैंड ने 1-1 वर्ल्ड कप जीता थे।

क्रिकेट के वनडे वर्ल्ड कप की यात्रा कैसे आरंभ हुई? कौन सा वर्ल्ड कप किसने और कब जीता? किन-किन देशों ने अब तक वर्ल्ड कप में भाग लिया है। वर्ल्ड कप के पूरे इतिहास (all one-day cricket world cup history) का एक आकलन करते हैं…

वनडे वर्ल्ड कप कब शुरु हुआ?

क्रिकेट के वर्ल्ड कप का यह सिलसिला 1975 में आरंभ हुआ थास जो अब 13वें वर्ल्ड कप के रूप में 2023 तक आ पहुँचा। अब अगला यानि 14वां वनडे वर्ल्ड कप दक्षिणी अफ्रीका, जिम्बॉब्वे और नामीबिया में संयुक्त रूप से आयोजित किया जाएगा।

वनडे क्रिकेट का सबसे पहला वर्ल्ड कप 1975 में हुआ था। यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला सबसे बड़ा टूर्नामेंट था। वनडे क्रिकेट कुछ वर्षों पहले ही लोकप्रिय होना शुरू हुआ था, जब लगभग 5 वर्ष पहले की 1971 में 5 जनवरी 1971 को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पहला एकदिवसीय यानी वनडे मैच खेला गया था। तब से वनडे मैच धीरे-धीरे अपनी लोकप्रियता प्राप्त करने लगा और फिर आईसीसी द्वारा क्रिकेट का वनडे वर्ल्ड कप आजोजित कराने करने का निर्णय लिया गया।

पहला वनडे वर्ल्ड कप (1st One-day World-cup)│इंग्लैंड-1975

पहला वनडे वर्ल्ड कप 1975 में इंग्लैंड में खेला गया था। पहले वनडे वर्ल्ड कप को प्रूडेंशियल कप के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इंग्लैेड की प्रूडेंशियल इंश्योरेंश कंपनी इस वर्ल्ड कप की मुख्य प्रायोजक थी।

पहला आईसीसी वर्ल्ड कप जून 1 जून 1975 से 21 जून 1975 के बीच में इंग्लैंड में आयोजित किया गया। पहले वनडे वर्ल्ड कप में कुल आठ देशों ने भाग लिया था। उस समय क्रिकेट में केवल 6 देश ही टेस्ट क्रिकेट खेलते थे। इसीलिए पहले वनडे वर्ल्ड कप में सभी छह टेस्ट मैच खेलने वाले देशों ने भाग लिया। यह टेस्ट मैच खेलने वाले देश के भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज थे। इन छह टेस्ट मैच खेलने वाले देशों के अलावा दो एसोसिएट सदस्य देशों ने भी पहले वनडे वर्ल्ड कप में भाग लिया। यह देश थे, श्रीलंका और ईस्ट अफ्रीका थे।

पहले वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली 8 टीमें इस प्रकार थीं..

  1. भारत
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. इंग्लैंड
  4. न्यूजीलैंड
  5. वेस्टइंडीज
  6. पाकिस्तान
  7. श्रीलंका
  8. पूर्वी अफ्रीका

इस तरह पहले वनडे वर्ल्ड कप में 8 देशों ने भाग लिया। सभी 8 देशों को चार-चार टीमों के ग्रुप ए और ग्रुप बी में बांटा गया।

ग्रुप Aग्रुप B
भारतऑस्ट्रेलिया
इंग्लैंडपाकिस्तान
न्यूजीलैंडवेस्टंडंडीज
ईस्ट अफ्रीकाश्रीलंका

उस समय वनडे क्रिकेट 60 ओवर का मैच होता था, यानी पूरे मैच में दोनों टीमों के साथ साथ कुल 120 ओवर फेंके जाते थे। इसलिए पहला वनडे वर्ल्ड कप 60 ओवर के मैच वाला वनडे वर्ल्ड कप था।

इस वनडे वर्ल्ड कप में हर टीम को अपने ग्रुप की बाकी तीनों टीमों से एक-एक मैच खेलना था। दोनों ग्रुप की टॉप दो टीमो को सेमीफाइनल में पहुंचना था। ग्रुप ‘A’ में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड ने टॉप किया तो ग्रुप ‘B’ में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज ने टॉप किया।

भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और ईस्ट अफ्रीका ये चारों टीमें ग्रुप मैचों के चरण में ही बाहर हो गईं और सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाईं।

ग्रुप ‘A’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1इंग्लैंड330012
2न्यूज़ीलैंड32108
3भारत31204
4पूर्वी अफ़्रीका30300

ग्रुप ‘B’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1वेस्टइंडीज330012
2ऑस्ट्रेलिया32108
3पाकिस्तान31204
4श्रीलंका30300

ग्रुप ‘A’ के मैचों का संक्षिप्त विवरण

ताऱीखटीमवेन्यूस्कोरप्लेयर ऑफ दी मैचपरिणाम
7 जून 1975इंग्लैंड—भारतलॉर्ड्स, लंदनइंग्लैंड 334/4 (60 ओवर) भारत 132/3 (60 ओवर)डेनिस एमिस (इंग्लैंड)इंग्लैंड ने 202 रनो से भारत को हराकर मैच जीता।
7 जून 1975न्यूजीलैंड—ईस्ट अफ्रीकाएजबेस्टन, बर्मिघमन्यूज़ीलैंड 309/5 (60 ओवर) पूर्वी-अफ़्रीका 128/8 (60 ओवर)ग्लेन टर्नर (न्यूजीलैंड)न्यूजीलैंड 181 रनों से जीता
11 जून 1975इंग्लैंड-न्जूजीलैंडट्रेंट ब्रिज, नॉटिंघमइंग्लैंड 266/6 (60 ओवर) न्यूज़ीलैंड 186 (60 ओवर)कीथ फ्लेचर (इंग्लैंड)इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को 80 रनों से हराया।
11 जून 1975भारत-पूर्वी अफ्रीकाहेडिंग्ले, लीड्सपूर्वी अफ़्रीका 120 (55.3 ओवर) भारत 123/0 (29.5 ओवर)फारुख इंजीनियर (भारत)भारत 10 विकेट से जीता
14 जून 1975इंग्लैंड—पूर्वी अफ्रीकाएजबेस्टन, बर्मिंघमइंग्लैंड : 290/5 (60 ओवर) पूर्वी अफ़्रीका 94/10 (52.3 ओवर)जॉन स्नो (इंग्लैंड)इंग्लैंड 196 रनों से जीता
14 जून 1975भारत—न्यूजीलैंडओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टरभारत  230 (60 ओवर) न्यूज़ीलैंड  233/6 (58.5 ओवर)ग्लेन टर्नर (न्यूजीलैंड)न्यूजीलैंड 4 विकेट से जीता

ग्रुप ‘B’ के मैचों का संक्षिप्त विवरण

तारीखटीमवेन्यूस्कोरप्लेयर ऑफ दि मैचपरिणाम
7 जून 1975ऑस्ट्रेलिया—पाकिस्तानहेडिंग्ले , लीड्सऑस्ट्रेलिया 278/7 (60 ओवर) पाकिस्तान 205 (53 ओवर)डेनिस लिली (ऑस्ट्रेलिया)ऑस्ट्रेलिया 73 रन से जीता
7 जून 1975वेस्टइंडीज—श्रीलंकाओल्ड ट्रैफर्ड , मैनचेस्टरश्रीलंका 86 (37.2 ओवर) वेस्टइंडीज 87/1 (20.4 ओवर)बर्नार्ड जूलियन (वेस्टइंडीज)वेस्टइंडीज 9 विकेट से जीता
11 जून 1975ऑस्ट्रेलिया—श्रीलंकाओवल, लंदनऑस्ट्रेलिया 328/5 (60 ओवर) श्रीलंका 276/4 (60 ओवर)एलन टर्नर (ऑस्ट्रेलिया)ऑस्ट्रेलिया 52 रन से जीता
11 जून 1975पाकिस्तान—वेस्टइंडीजएजबेस्टन , बर्मिंघममैचपाकिस्तान  266/7 (60 ओवर) वेस्टइंडीज 267/9 (59.4 ओवर)सरफराज नवाजवेस्टइंडीज 1 विकेट से जीता
14 जून 1975ऑस्ट्रेलिया-वेस्टइंडीजओवल, लंदनऑस्ट्रेलिया 192 (53.4 ओवर), वेस्टइंडीज़ 195/3 (46 ओवर)एल्विन कालीचरण (वेस्टइंडीज)वेस्टइंडीज ने 7 विकेट से जीत दर्ज की
14 जून 1975पाकिस्तान—श्रीलंकाट्रेंट ब्रिज, नॉंघमपाकिस्तान 330/6 (60 ओवर) श्रीलंका 138 (50.1 ओवर)जहीर अब्बास (पाक)पाकिस्तान 192 रनों से जीता

सेमीफाइनल में 4 टीमें पहुंची। ग्रुप ए से इंग्लैंड और न्यूजीलैंड तथा ग्रुप बी से ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज। पहला सेमीफाइनल 18 जून को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच तथा दूसरा सेमीफाइनल 18 जून को ही वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया।

सेमीफाइनल

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरप्लेयर ऑफ दि मैचपरिणाम
पहला सेमीफाइनल18 जून 1975ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैडहेंडिग्ले, लीड्सइंग्लैंड 93/10 (36.2 ओवर) ऑस्ट्रेलिया 94/6 (28.4)गैरी गिल्मर (ऑस्ट्रेलिया)ऑस्ट्रलिया ने 4 विकेट से मैच जीता
दूसरा सेमीफाइनल18 1975वेस्टइंडीज-न्यूजीलैंडओवल, लंदनन्यूजीलैंड 158/10 (52.2) वेस्टइंडीज 159/5 (40.1)एल्विन कालीचरण (वेस्टइंडीज)वेस्टइंडीज ने 5 विकेट से न्यूजीलैंड को हराया

फाइनल

ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को और वेस्टइंडीज ने न्यूजीलैंड को हराकर फाइनल में जगह बनाई। पहले वर्ल्ड कप का फाइनल 21 जून 1975 को लंदन के लार्ड्स मैदान पर खेला गया।

फाइनल मैच में वेस्टइंडीज ने पहले बैटिंग करते हुए 60 ओवर में कुल 8 विकेट खोकर 291 रन बनाए। जवाब में ऑस्ट्रेलिया की टीम 58.4 ओवर में केवल 274 रन ही बना सकी। इस तरह वेस्टइंडीज ने ऑस्ट्रेलिया को 17 रन से हराकर क्रिकेट के पहले वर्ल्ड कप में पहला चैंपियन होने का गौरव प्राप्त किया।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरप्लेयर ऑफ दि मैचपरिणाम
फाइनल25 जून 1975ऑस्ट्रेलिया-वेस्टइंडीजलार्ड्स, लंदनवेस्टइंडीज 291/8 (60) ऑस्ट्रेलिया 174/10 (58.4)क्लाइव लॉयड (वेस्टइंडीज)वेस्टइंडीज ने ऑस्ट्रेलिया को 17 रन से हराकर पहला वर्ल्ड कप जीता।

पहले वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 1 जून 1975 से 21 जून 1975
  • मेजबान देश इंग्लैंड
  • भाग लेने वाले देश 8
  • कुल मैच खेले गए 15
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट घोषित नही
  • सबसे अधिक रन 333 – ग्लेन टर्नर (न्यूजीलैंड)
  • सबसे अधिक विकेट 11 – गैरी गिल्मर (ऑस्ट्रेलिया)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन वेस्टइंडीज


दूसरा वनडे वर्ल्ड कप (2nd One-day World-cup)│इंग्लैंड-1979

वनडे क्रिकेट का दूसरा वर्ल्ड कप भी इंग्लैंड में ही खेला गया। क्रिकेट का दूसरा वर्ल्ड कप को भी प्रूडेंशियल वर्ल्ड कप के नाम से जाना जाता है क्योंकि ये कंपनी ही वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप के दूसरे संस्करण की प्रायोजक थी।

वनडे क्रिकेट का दूसरा वर्ल्ड कप 9 जून 1979 से 23 जून 1979 के बीच इंग्लैंड में लगातार दूसरी बार आयोजित किया गया। इस टूर्नामेंट में भी 8 टीमों ने भाग लिया। 7 टीमें पहले वर्ल्ड कप वाली ही थीं और एक टीम नई थी। नई टीम कनाडा थी, जो पूर्वी अफ्रीका के जगह पर दूसरे वर्ल्ड कप में खेल रही थी।

दूसरे वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली 8 टीमें इस प्रकार थीं..

  1. भारत
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. इंग्लैंड
  4. न्यूजीलैंड
  5. वेस्टइंडीज
  6. पाकिस्तान
  7. श्रीलंका
  8. कनाडा

दूसरा वर्ल्ड कप का प्रारूप भी पहले जैसा ही था। जिसमें सभी टीमों को ग्रुप ए और ग्रुप बी दो ग्रुपों में बांटा गया।

ग्रुप Aग्रुप B
ऑस्ट्रेलियाभारत
इंग्लैंडवेस्टइंडीज
पाकिस्तानन्यूजीलैंड
कनाडाश्रीलंका

दूसरे वनडे वर्ल्ड कप का प्रारूप भी पहले वनडे वर्ल्ड कप जैसा ही था, जिसमें और दो ग्रुप में चार चार टीमें थी। यानी हर टीम को अपनी ग्रुप की बाकी तीनों टीमों से एक-एक मैच खेलना था।

ग्रुप स्टेज के मैचों का आरंभ 9 जून 1975 से हुआ ग्रुप ए में इंग्लैंड तथा पाकिस्तान ने अपने ग्रुप में टॉप किया तथा सेमीफाइनल में जगह बनाई। ग्रुप बी में वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड ने टॉप किया तथा सेमीफाइनल में जगह बनाई। भारत, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और कनाडा ये चारों टीमें ग्रुप स्टेज के मैचों में निचले स्थान पर रहकर सेमीफाइनल की दौड़ से बाहर हो गईं।

ग्रुप ‘A’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1 इंग्लैंड330012
2 पाकिस्तान32108
3 ऑस्ट्रेलिया31204
4 कनाडा30300

ग्रुप ‘B’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1 वेस्ट इंडीज320010
2 न्यूज़ीलैंड32108
3 श्रीलंका31106
4 भारत30300

ग्रुप ‘A’ के मैचों का संक्षिप्त विवरण

तारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
9 जून 1979ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंडलॉर्ड्स, लंदन, इंग्लैंडऑस्ट्रेलिया 159/9 (60 ओवर), इंग्लैंड 160/4 (47.1 ओवर)इंग्लैंड 6 विकेट से जीता
9 जून 1979कनाडा-पाकिस्तानहेडिंग्ले, लीड्स, इंग्लैंडकनाडा 139/9 (60 ओवर), पाकिस्तान 140/2 (40.1 ओवर)पाकिस्तान 8 विकेट से जीता
13-14 जून 1979पाकिस्तान-ऑस्ट्रेलियाट्रेंट ब्रिज, नॉटिंघम, इंग्लैंडपाकिस्तान 286/7 (60 ओवर) ऑस्ट्रेलिया 197 (57.1 ओवर)पाकिस्तान 89 रन से जीता
13-14 जून 1979कनाडा-इंग्लैंडओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टर, इंग्लैंडकनाडा 45 (40.3 ओवर) इंग्लैंड 46/2 (13.5 ओवर)इंग्लैंड 8 विकेट से जीता
16 जून 1979कनाडा-ऑस्ट्रेलियाएजबेस्टन, बर्मिंघम, इंग्लैंडकनाडा 105 (33.2 ओवर), ऑस्ट्रेलिया 106/3 (26 ओवर)ऑस्ट्रेलिया 7 विकेट से जीता
16 जून 1979पाकिस्तान-इंग्लैंडहेडिंग्ले, लीड्स, इंग्लैंडइंग्लैंड 165/9 (60 ओवर), पाकिस्तान 151 (56 ओवर)इंग्लैंड 14 रन से जीता

ग्रुप ‘B’ के मैचों का संक्षिप्त विवरण

तारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
9 जून 1979भारत-वेस्टइंडीजएजबेस्टन, बर्मिंघम, इंग्लैंडभारत 190 (53.1 ओवर), वेस्टइंडीज 194/1 (51.3 ओवर)वेस्टइंडीज ने 9 विकेट से जीता
9 जून 1979श्रीलंका-न्यूजीलैंडट्रेंट ब्रिज, नॉटिंघम, इंग्लैंडश्रीलंका 189 (56.5 ओवर), न्यूज़ीलैंड 190/1 (47.4 ओवर)न्यूजीलैंड ने 9 विकेट से जीत हासिल की
13-15 जून 1979श्रीलंका-वेस्टइंडीजओवल, लंदन, इंग्लैंडश्रीलंका 0/0 वेस्ट इंडीज 0/0मैच रद्द कर दिया गया
13 जून 1979भारत-न्यूजीलैंडहेडिंग्ले, लीड्स, इंग्लैंडभारत  182 (55.5 ओवर), न्यूजीलैंड 183/2 (57 ओवर)न्यूजीलैंड 8 विकेट से जीता
16-18 जून 1979भारत-श्रीलंकाओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टर, इंग्लैंडश्रीलंका 238/5 (60 ओवर), भारत 191 (54.1 ओवर)श्रीलंका ने 47 रन से जीता
16 जून 1979इंग्लैंड-वेस्टइंडीजट्रेंट ब्रिज, नॉटिंघम,वेस्टइंडीज 244/7 (60 ओवर), इंग्लैंड 212/9 (60 ओवर)वेस्टइंडीज ने 32 रनों से जीत हासिल की

सेमीफाइनल

दूसरे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली 4 टीमें इंग्लैंड, पाकिस्तान, वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड थीं। वर्ल्ड कप का

पहला सेमीफाइनल 20 जून को मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया, जिसमें इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को 9 रन से हराकर फाइनल में प्रवेश किया।

दूसरा सेमीफाइनल वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के बीच लंदन के ओवल मैदान पर खेला गया, जिसमें वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान पर 40 रनों से जीत हासिल की और लगातार दूसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल में अपनी जगह बनाई।

दूसरे वर्ल्डकप का सेमीफाइनल मैचों का स्कोरकार्ड

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल20 जून 19750इंग्लैंड-न्यूजीलैंडओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टरइंग्लैंड 221/8 (60) न्यूजीलैंड 212/9 (60)इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को 9 रन से हराया
दूसरा सेमीफाइनल20  जून 1975वेस्टइंडीज-पाकिस्तानद ओवल, लंदनवेस्टइंडीज 293/6 (60) पाकिस्तान 250/10 (56.2)वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान को 43 रन से हराया

फाइनल

वर्ल्ड कप का फाइनल मैच 23 जून 1979 को वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच लंदन के ऐतिहासिक लार्ड्स मैदान पर खेला गया।

फाइनल मैच में वेस्टइंडीज ने पहले बैटिंग करते हुए 60 ओवर में 9 विकेट खोकर 286 रन बनाए। जवाब में इंग्लैंड की टीम 51 ओवर में 194 रन पर ऑल आउट हो गई।

इस तरह वेस्टइंडीज ने लगातार दूसरी बार वनडे क्रिकेट का वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया। उसने लगातार दूसरी बार वर्ल्ड कप जीता।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल23 जून 1979वेस्टइंडीज-इंग्लैंडलार्ड्स, लंदनवेस्टइंडीज 286/9 (60) इंग्लैंड 194/10 (51)वेस्टइंडीज इंग्लैंड को 92 रन से हराकर दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बना

दूसरे वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 9 जून 1979 से 23 जून 1979 तक
  • मेजबान देश इंग्लैंड
  • भाग लेने वाले देश 8
  • कुल मैच खेले गए 15
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट घोषित नही
  • सबसे अधिक रन 253 – गार्डन ग्रीनिज (वेस्टइंडीज)
  • सबसे अधिक विकेट 10 – माइक हेंड्रिक(इंग्लैंड)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन वेस्टइंडीज


तीसरा वनडे वर्ल्ड कप (3rd One-day World-cup)│इंग्लैंड-1983

वनडे क्रिकेट का तीसरा वर्ल्ड कप इंग्लैंड में ही खेला गया। इस तीसरे वर्ल्ड कप का नाम भी प्रूडेंशियल वर्ल्ड कप ही था। वनडे क्रिकेट का तीसरा वर्ल्ड कप 9 जून 1983 से 25 जून 1983 के बीच इंग्लैंड और वेल्स में आयोजित किया गया।

इस टूर्नामेंट में भी पिछले 2 टूर्नामेंट की तरह 8 देशों ने भाग लिया। 7 देश पिछले टूर्नामेंट वाले ही थे। इस बार जिंबाब्वे इस टूर्नामेंट में नया सदस्य था। जिंबाब्वे ने 1982 की आईसीसी ट्रॉफी जीती थी, इसी कारण उसे वनडे वर्ल्ड कप में प्रवेश मिला।

इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाले 8 देशों के नाम इस प्रकार थे।

  1. भारत
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. इंग्लैंड
  4. न्यूजीलैंड
  5. वेस्टइंडीज
  6. पाकिस्तान
  7. श्रीलंका
  8. जिम्बॉब्वे

तीसरे वर्ल्ड कप का प्रारूप भी पहले जैसा ही था। जिसमें 8 टीमों को ग्रुप ए और ग्रुप बी दो ग्रुपों में बांटा गया।

ग्रुप Aग्रुप B
भारतइंग्लैंड
ऑस्ट्रेलियान्यूजीलैंड
वेस्टइंडीजपाकिस्तान
जिम्बॉब्वेश्रीलंका

इस बार प्रारूप में थोड़ा परिवर्तन किया गया और सभी दोनों ग्रुप की चारों टीमों को अपनी अन्य तीन टीमों से एक नहीं बल्कि दो-दो मैच खेलने थे। इस तरह ग्रुप स्टेज में हर टीम को अपनी बाकी तीन सदस्य टीमों से 2-2 मैच खेलने थे यानी ग्रुप स्टेज में हर टीम को कुल 6 मैच खेलने थे। 9 जून से ग्रुप स्टेज के मैचों का आरंभ हो गया।

ग्रुप ‘A’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1 इंगलैंड651020
2 पाकिस्तान633012
3 न्यूज़ीलैंड633012
4 श्रीलंका61504

ग्रुप ‘B’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1 वेस्ट इंडीज651020
2 भारत642016
3 ऑस्ट्रेलिया62408
4 ज़िम्बाब्वे61504

ग्रुप ‘A’ के मैचों का संक्षिप्त विवरण

तारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
9 जून 1983इंग्लैड-न्यूजीलैंडओवल, लंदनइंग्लैंड 322/6 (60 ओवर), न्यूज़ीलैंड 216 (59 ओवर)इंग्लैंड 106 रन से जीता
9 जून 1983पाकिस्तान-श्रीलंकासेंट हेलेन्स, स्वानसीपाकिस्तान 338/5 (60 ओवर), श्रीलंका 288/9 (60 ओवर)पाकिस्तान ने 50 रन से जीत दर्ज की
11 जून 1983इंग्लैंड-श्रीलंकाकाउंटी ग्राउंड, टॉनटनइंग्लैंड 333/9 (60 ओवर), श्रीलंका 286 (58 ओवर)इंग्लैंड ने 47 रन से जीत दर्ज की
11 जून 1983न्यूजीलैंड-पाकिस्तानएजबेस्टन, बर्मिंघमन्यूज़ीलैंड 238/9 (60 ओवर), पाकिस्तान 186 (55.2 ओवर)न्यूज़ीलैंड 52 रन से जीता
13 जून 1983पाकिस्तान-इंग्लैडलॉर्ड्स, लंदनपाकिस्तान, 193/8 (60 ओवर), इंग्लैंड 199/2 (50.4 ओवर)इंग्लैंड 8 विकेट से जीता
13 जून 1983श्रीलंका-न्यूजीलैंडकाउंटी ग्राउंड, ब्रिस्टलश्रीलंका 206 (56.1 ओवर), न्यूज़ीलैंड 209/5 (39.2 ओवर)न्यूजीलैंड ने 5 विकेट से जीता
15 जून 1983इंग्लैंड-न्यूजीलैडएजबेस्टन, बर्मिंघम,इंग्लैंड 234 (55.2 ओवर), न्यूज़ीलैंड 238/8 (59.5 ओवर)न्यूज़ीलैंड 2 विकेट से जीता
16 जून 1983पाकिस्तान-श्रीलंकाहेडिंग्ले, लीड्सपाकिस्तान 235/7 (60 ओवर), श्रीलंका 224 (58.3 ओवर)पाकिस्तान 11 रन से जीता
18 जून 1983पाकिस्तान-इंग्लैंडओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टरपाकिस्तान 232/8 (60 ओवर), इंग्लैंड 233/3 (57.2 ओवर)इंग्लैंड ने 7 विकेट से जीता
18 जून 1983न्यूजीलैंड-श्रीलंकाकाउंटी ग्राउंड, डर्बीन्यूज़ीलैंड 181 (58.2 ओवर), श्रीलंका 184/7 (52.5 ओवर)श्रीलंका ने 3 विकेट से जीत दर्ज की
20 जून 1983श्रीलंका-इंग्लैंडहेडिंग्ले, लीड्सश्रीलंका  136 (50.4 ओवर), इंग्लैंड, 137/1 (24.1 ओवर)इंग्लैंड 9 विकेट से जीता
20 जून 1983पाकिस्तान-न्यूजीलैंडट्रेंट ब्रिज, नॉटिंघमपाकिस्तान 261/3 (60 ओवर), न्यूज़ीलैंड, 250 (59.1 ओवर)पाकिस्तान 11 रन से जीता

ग्रुप ‘B’ के मैचों का संक्षिप्त विवरण

तारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
9 जून 1983ऑस्ट्रेलिया-जिम्बॉब्वेट्रेंट ब्रिज, नॉटिंघमजिम्बाब्वे 239/6 (60 ओवर), ऑस्ट्रेलिया226/7 (60 ओवर)जिम्बाब्वे 13 रन से जीता
9 जून 1983भारत-ऑस्ट्रेलियाओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टरभारत 262/8 (60 ओवर), वेस्टइंडीज 228 (54.1 ओवर)भारत ने 34 रन से जीत दर्ज की
11 जून 1983वेस्टइंडीज-ऑस्ट्रेलियाहेडिंग्ले, लीड्सवेस्टइंडीज 252/9 (60 ओवर), ऑस्ट्रेलिया 151 (30.3 ओवर)वेस्टइंडीज 101 रन से जीता
11 जून 1983भारत-जिम्बॉब्वेग्रेस रोड, लीसेस्टरजिम्बाब्वे 155 (51.4 ओवर), भारत 157/5 (37.3 ओवर)भारत 5 विकेट से जीता
13 जून 1983भारत-ऑस्ट्रेलियाट्रेंट ब्रिज, नॉटिंघमऑस्ट्रेलिया 320/9 (60 ओवर), भारत 158 (37.5 ओवर)ऑस्ट्रेलिया 162 रनों से जीता
13 जून 1983जिम्बॉब्वे-वेस्टइंडीजन्यू रोड, वॉर्सेस्टरजिम्बाब्वे 217/7 (60 ओवर), वेस्टइंडीज़ 218/2 (48.3 ओवर)वेस्टइंडीज ने 8 विकेट से जीत दर्ज की
15 जून 1983भारत-वेस्टइंडीजओवल, लंदनवेस्टइंडीज 282/9 (60 ओवर), भारत 216 (53.1 ओवर)वेस्टइंडीज ने 66 रन से जीत दर्ज की
16 जून 1983ऑस्ट्रेलिया-जिम्बॉब्वेकाउंटी ग्राउंड, साउथेम्प्टनऑस्ट्रेलिया 272/7 (60 ओवर), जिम्बाब्वे 240 (59.5 ओवर)ऑस्ट्रेलिया ने जिम्बॉब्वे को 32 रन से हराया
18 जून 1983ऑस्ट्रेलिया-वेस्टइंडीजलार्ड्स, लंदनऑस्ट्रेलिया 273/6 (60 ओवर), वेस्टइंडीज 276/3 (57.5 ओवर)वेस्टइंडीज  7 विकेट से जीता
18 जून 1983भारत-जिम्बॉव्बेनेविल ग्राउंड, ट्यूनब्रिजभारत 266/8 (60 ओवर), जिम्बाब्वे 235 (57 ओवर)भारत ने 31 रन से जीत दर्ज की
20 जून 1983भारत-ऑस्ट्रेलियाकाउंटी ग्राउंड, चेम्सफोर्डभारत 247 (55.5 ओवर), ऑस्ट्रेलिया 129 (38.2 ओवर)भारत ने 118 रन से जीत दर्ज की
20 जून 1983जिम्बॉब्वे-वेस्टइंडीजएजबेस्टन, बर्मिघमजिम्बाब्वे 171 (60 ओवर), वेस्टइंडीज़ 172/0 (45.1 ओवर)वेस्टइंडीज ने 10 विकेट से जीत दर्ज की

सेमीफाइनल

ग्रुप ए में इंग्लैंड और पाकिस्तान ने टेबल में पहले 2 स्थान पर जगह में बनाई। इंग्लैंड पहले स्थान पर और पाकिस्तान दूसरे स्थान पर रहा, जबकि ग्रुप बी में भारत और वेस्टइंडीज ने पहले दो स्थान में जगह बनाई।

वेस्टइंडीज पहले स्थान पर और भारत दूसरे स्थान पर रहा। भारत ने इस टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया था और पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।

तीसरे वनडे वर्ल्डकप का पहला सेमीफाइनल 22 जून 1975 को भारत और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्ट के ओल्ड ट्रैफर्ड में खेला गया, जिसमें भारत ने इंग्लैंड को 6 विकेट से हराकर टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया।

दूसरा सेमीफाइनल वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के बीच 22 जून 1983 को लंदन के द ओवल मैदान में खेला गया। वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान को 8 विकेट से हराकर लगातार तीसरी बार फाइनल में वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के फाइनल में अपनी जगह बनाई।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल22 जून 19750भारत-इंग्लैंडओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टरइंग्लैंड 213/10 (60) भारत 217/4 (54.4)भारत ने इंग्लैड को 6 विकेट से हराया
दूसरा सेमीफाइनल22  जून 1975वेस्टइंडीज-पाकिस्तानद ओवल, लंदनपाकिस्तान 184/8 (60) वेस्टइंडीज 188/2 (48.4)वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान को 8 विकेट से हराया

फाइनल

तीसरे वनडे वर्ल्ड कप का फाइनल 25 जून 1983 को भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था। भारत पहली बार फाइनल में पहुंचा था जबकि वेस्टइंडीज लगातार तीसरी बार फाइनल में पहुंचने वाली टीम थी। सभी लोगों को यही उम्मीद थी कि वेस्टइंडीज ही इस बार फिर से चैंपियन बनेगा, लेकिन भारत ने उलटफेर करते हुए वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम को हराकर पहली बार वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीता।

यह भारत के क्रिकेट इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन था, जिस कारण भारत में क्रिकेट निरंतर आगे बढ़ता गया। फाइनल मैच में भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 54.4 ओवर में 10 विकेट खोकर 183 रन बनाए। जवाब में वेस्टइंडीज की टीम 52 ओवर में 140 रन बनाकर ही ऑल आउट हो गई।

फाइनल में मैच में भारत के मोहिंदर अमरनाथ को प्लेयर ऑफ दि मैच का पुरुस्कार मिला।  उन्होंने 7 ओवर में 12 रन देकर तीन विकेट लिए थे।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल25 जून 1979भारत-वेस्टइंडीजलार्ड्स, लंदनभारत 183/10 (54.4) वेस्टइंडीज 140/10 (52)भारत ने वेस्टडंडीज को 43 रन से हराकर पहली बार वनडे वर्ल्ड कप जीता

तीसरे वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 9 जून 1979 से 23 जून 1979 तक
  • मेजबान देश इंग्लैंड
  • भाग लेने वाले देश 8
  • कुल मैच खेले गए 27
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट घोषित नही
  • सबसे अधिक रन 384 – डेविड गॉवर (इंग्लैंड)
  • सबसे अधिक विकेट 18 – रोजर बिन्नी (भारत)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन भारत


चौथा वनडे वर्ल्ड कप (4th One-day World-cup)│भारत-पाकिस्तान 1987

अभी तक के तीनों वर्ल्ड कप इंग्लैंड में ही आयोजित किए गए थे, लेकिन अब वर्ल्ड कप का यह सफर इंग्लैंड से बाहर निकलकर भारतीय उपमहाद्वीप में आ पहुंचा था यानी चौथा वनडे वर्ल्ड कप भारतीय उपमहाद्वीप में आयोजित किया गया था।

दूसरे वर्ल्ड कप की भारत और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से मेजबानी की थी। 1987 के वर्ल्ड कप को आधिकारिक रूप से रिलायंस कप के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि धीरूभाई अंबानी की रिलायंस कंपनी इस वर्ल्ड कप आयोजन की प्रमुख प्रायोजक थी।

1987 का वर्ल्ड कप भारत और पाकिस्तान में संयुक्त रूप से 8 अक्टूबर 1987 से 8 नवंबर 1987 के बीच खेला गया।

भारत और पाकिस्तान दोनों ने इस टूर्नामेंट की संयुक्त रूप से मेजबानी की थी। इसी कारण सेमीफाइनल और फाइनल को मिलाकर कुल 27 मैचों में 17 मैच भारत में तथा 10 मैच पाकिस्तान में खेले गए। एक सेमीफाइनल भारत में तथा दूसरा सेमीफाइनल पाकिस्तान में खेला गया।

टूर्नामेंट का फाइनल मैच भारत में खेला गया। इस वर्ल्ड कप में पिछले तीनों टूर्नामेंट की तरह 8 देशों ने ही भाग लिया और वह आठ देश पिछले वर्ल्ड कप वाले 8 देश ही थे, जिन्होंने पिछले 1983 के वर्ल्ड कप में भाग लिया। इनमें सात देश टेस्ट खेलने का दर्जा रखने वाले देश थे और 8वां देश जिंबाब्वे एसोसिएट सदस्य देश था, जिसने 1986 की आईसीसी ट्रॉफी जीतकर

इस टूर्नामेंट में खेलने का अधिकार पाया था। इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाले 8 देशों के नाम इस प्रकार थे।

  1. भारत
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. इंग्लैंड
  4. न्यूजीलैंड
  5. वेस्टइंडीज
  6. पाकिस्तान
  7. श्रीलंका
  8. जिम्बॉब्वे

चौथे वर्ल्ड कप का प्रारूप भी पहले जैसा ही था। जिसमें 8 टीमों को ग्रुप ए और ग्रुप बी दो ग्रुपों में बांटा गया।

ग्रुप Aग्रुप B
भारतइंग्लैंड
ऑस्ट्रेलियावेस्टइंडीज
न्यूजीलैंडपाकिस्तान
जिम्बॉब्वेश्रीलंका

दोनो ग्रुप की चारों टीमों को अपने ग्रुप की बाकी तीन टीमों से दो-दो बार भिड़ना था यानि प्रत्येक टीम को हर टीम से दो बार मैच खेलने थे। इस तरह हर टीम को ग्रुप स्टेज में 6 मैच खेलने थे। दोनो की ग्रुप की टॉप पर रहने वाली 2 टीमों को सेमीफाइनल में जगह मिलनी थी। ग्रुप स्टेज की मैचों की शुरुआत 8 अक्टूबर 1987 से हो चुकी थी।

ग्रुप ‘A’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1 भारत651020
2 ऑस्ट्रेलिया651020
3 न्यूज़ीलैंड62408
4 ज़िम्बाब्वे60600

ग्रुप ‘B’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारटाइअंक
1 पाकिस्तान651020
2 इंगलैंड642016
3 वेस्ट इंडीज633012
4 श्रीलंका60600

सेमीफाइनल

चौथे वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड ने जगह बनाई। पिछले 3 वर्ल्ड कप मैच का फाइनल चलने वाली तथा शुरू के 2 वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम इस बार सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई और ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गई।

इस तरह सेमीफाइनल के लिए भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के रूप में चार टीमें क्वालिफाई हुईं। पहला सेमीफाइनल मैच पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के पाकिस्तान के लाहौर शहर में खेला गया था। ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 18 रन से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। इससे पहले वह 1975 के वर्ल्ड कप मे फाइनल में पहुँचा था और उपविजेता रहा था।

पहला सेमीफाइनल 4 नवंबर 1987 को पाकिस्तान के लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में खेला गया था । ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवरों में 8 विकेट खोकर 267 रन बनाए जवाब में पाकिस्तान की टीम 50 ओवर मे 249 रन बनाकर आउट हो गई।

दूसरा सेमीफाइनल 5 नवंबर 1987 को भारत और इंग्लैंड के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया। इंग्लैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 6 विकेट खोकर 254 रन बनाए। जवाब में भारतीय टीम केवल 219 रन बनाकर ऑल आउट हो गई।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल4 नवंबर 1987ऑस्ट्रेलिया-पाकिस्तानगद्दाफी स्टेडियम, लाहौरऑस्ट्रेलिया 267/8 (50) पाकिस्तान 249/10 (49)आस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 18 रन से हराया
दूसरा सेमीफाइनल5 नंवबर 1987भारत-इंग्लैंडवानखेड़े स्टेडियम, मुंबईइंग्लैड 254/6 (50) भारत 219/10 (45.3)इंग्लैंड ने भारत को 35 रन से हराया

फाइनल

चौथे वर्ल्ड कप का फाइनल मैच भारत के कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) शहर के ईडन गार्डन में खेला गया था। फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 7 रन से हराकर अपना पहला वनडे वर्ल्ड कप जीता।

ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए निर्धारित 50 ओवर में 5 विकेट खोकर कुल 253 रन बनाए जवाब में इंग्लैंड की टीम 50 ओवर में 8 विकेट खोकर 246 रन ही बना सकी। इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने अपना पहला वनडे वर्ल्ड कप जीता।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल8 नवंबर 1987ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंडईडन गार्डन, कोलकाता (कलकत्ता)ऑस्ट्रेलिया 253/3 (50) इंग्लैंड 246/8 (50)ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 7 रन से हराया

चौथे वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 8 अक्टूबर 1987 से 8 नवंबर 1987
  • मेजबान देश भारत-पाकिस्तान
  • भाग लेने वाले देश 8
  • कुल मैच खेले गए 27
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट घोषित नही
  • सबसे अधिक रन 471 – ग्राहम गूच (इंग्लैंड)
  • सबसे अधिक विकेट 18 – क्रेग मैक्डरमोट (ऑस्ट्रेलिया)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन ऑस्ट्रेलिया


पाँचवा वनडे वर्ल्ड कप (5th One-day World-cup)│ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड 1992

पाँचवा वर्ल्ड कप 1992 में आयोजित किया गया। इस बार पांचवा वनडे वर्ल्ड कप 1992 में ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड में आयोजित किया गया। इस वर्ल्ड कप को प्रायोजक बेंसन एंड हेजेज कप के नाम से भी जाना जाता है, जो इस टूर्नामेंट का मुख्य प्रायोजक था।

पांचवा वनडे वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 22 फरवरी 1992 से 25 मार्च 1992 के बीच खेला गयाष अब इस वनडे वर्ल्ड कप में कुल 9 टीमों ने भाग लिया और टूर्नामेंट का प्रारूप पूरी तरह से बदल दिया गया। अब सभी 9 टीमों को 2 ग्रुपों में नहीं बांटा गया बल्कि सारे मैच राउंड रोबिन फॉर्मेट के आधार पर खेले गए। सभी 9 टीमों को टूर्नामेंट की बाकी 8 अन्य टीमों से मैच खेलने थे।

इस वर्ल्ड कप तक श्रीलंका को टेस्ट मैच खेलने का दर्जा मिल चुका था। इसी कारण टेस्ट मैच खेलने वाले सभी 8 देश इस टूर्नामेंट में शामिल हुए। जिम्बॉब्वे एसोसियेट सदस्य के रूप में शामिल हुआ था। हालाँकि वनडे वर्ल्ड कप तक दक्षिणी अफ्रीका की टीम को टेस्ट मैच का दर्जा नही मिला था लेकिन वनडे वर्ल्ड कप के एक महीने बाद उसे टेस्ट मैच देश का दर्जा मिल गया था। प्रतिबंध लगने से पहले भी भी दक्षिणी अफ्रीका एक टेस्ट मैच खेलने वाला देश ही था।

दक्षिणी अफ्रीका की टीम पहली बार वनडे वर्ल्ड कप में शामिल हुई, उसे भी पहले से ही देश का दर्जा मिला हुआ था, लेकिन प्रतिबंधों के कारण वह कई वर्षों से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेल पा रही थी। 1992 में साउथ अफ्रीका के ऊपर से आईसीसी का प्रतिबंध हट गया और उसने पांचवे वनडे वर्ल्ड कप में पहली बार भाग लिया।

5वें वनडे वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में भाग लेने वाले सभी 9 देशों के नाम इस प्रकार हैं

  1. भारत
  2. पाकिस्तान
  3. आस्ट्रेलिया
  4. न्यूजीलैंड
  5. इंग्लैंड
  6. वेस्टइंडीज
  7. श्रीलंका
  8. जिम्बॉब्वे
  9. दक्षिणी अफ्रीका

टूर्नामेंट की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1 न्यूज़ीलैंड871014
2 इंगलैंड852011
3 दक्षिण अफ्रीका853010
4 पाकिस्तान84309
5 ऑस्ट्रेलिया84408
6 वेस्ट इंडीज84408
7 भारत82505
8 श्रीलंका82505
9 ज़िम्बाब्वे81702

सेमीफाइनल

टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका ने अपनी जगह बनाई। टूर्नामेंट का पहला सेमीफाइनल न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच 21 मार्च 1992 में न्यूजीलैंड में ऑकलैंड के ईडन पार्क स्टेडियम पर खेला गया। न्यूजीलैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 7 विकेट खोकर 50 ओवर में 7 विकेट खोकर 262 रन बनाए जवाब में पाकिस्तान की टीम ने 49 ओवर में 6 विकेट खोकर 264 रन बनाकर मैच 4 विकेट से मैच जीत लिया और टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया।

टूर्नामेंट का दूसरा सेमीफाइनल 22 मार्च 1992 को इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच सिडनी के सिडनी क्रिकेट ग्राउंड स्टेडियम में खेला गया। इस सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 45 ओवर में छह विकेट पर 252 रन बनाए जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 40 ओवर में छह विकेट खोकर 232 रन ही बना पाई। इंग्लैंड ने 19 रन से मैच जीतककर टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल21 मार्च 1992पाकिस्तान-न्यूजीलैंडईडन पार्क, आकलैंडन्यूजीलैंड 262/7 (50) पाकिस्तान 264/6 (49)पाकिस्तान ने न्जूजीलैंड को 4 विकेट से हराया
दूसरा सेमीफाइनल22 मार्च 1992इंग्लैंड-दक्षिणी अफ्रीकासिडनी क्रिकेट ग्राउंड, सिडनीइंग्लैंड 252/6 (45) दक्षिणी अफ्रीका 232/6 (43)इंग्लैंड ने दक्षिणी अफ्रीका को 19 रन से हराया

फाइनल

टूर्नामेंट का फाइनल 25 मार्च 1992 को पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच खेला गया। फाइनल मैच में पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए  50 ओवर में छह विकेट खोकर 249 रन बनाए। जवाब में इंग्लैंड की टीम 49.2 ओवर में केवल 227 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। पाकिस्तान ने 22 रन से मैच जीतकर पाँचवा वनडे वर्ल्ड कप जीत लिया।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल25 मार्चइंग्लैंड-पाकिस्तानमेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड, मेलबर्नपाकिस्तान 249/6 (50) इंग्लैंड 227/10 (49.2)पाकिस्तान ने इंग्लैड को 19 रन से हराया

5वें वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 22 फरवरी 1992 से 25 मार्च 1992
  • मेजबान देश ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड
  • भाग लेने वाले देश 9
  • कुल मैच खेले गए 39
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट मार्टिन क्रो
  • सबसे अधिक रन 456 – मार्टिन क्रो (न्यूजीलैंड)
  • सबसे अधिक विकेट 18 – वसीम अकरम (पाकिस्तान)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन पाकिस्तान


छठा वनडे वर्ल्ड कप (6th One-day World-cup)│भारत-पाकिस्तान-श्रीलंका 1996

छठा वनडे वर्ल्डकप टूर्नामेंट 1996 में खेला गया। 1987 के बाद एक एक बार फिर ये टूर्नामेट भारतीय उपमहाद्वीप में खेला गया।

6वे वनडे वर्ल्ड कप का आयोजन भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में 14 फरवरी 1996 से 17 मार्च 1996 के बीच किया गया। इस वर्ल्ड कप की मेजबानी भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका तीनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी। इस वर्ल्ड कप का आधिकारिक नाम विल्स वर्ल्ड कप था, क्योंकि विल्स कंपनी इस वर्ल्ड कप की मुख्य प्रायोजक कंपनी थी।

छठे वनडे वर्ल्ड कप में कुल 12 देशों ने भाग लिया। इस वर्ल्ड कप में टेस्ट खेलने वाले सभी 9 देशों ने भाग लिया इसके अतिरिक्त तीन एसोसिएट सदस्य देशों ने भी भाग लिया। जिंबाब्वे को 1996 तक टेस्ट खेलने का दर्जा मिल चुका था। इस तरह टेस्ट खेलने वाले 9 देश हो चुके थे। इन सभी 9 देशों के अलावा 3 देश एसोसियेट सदस्य संयुक्त अरब अमीरात, केन्या और नीदरलैंड थे।

भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका द्वारा संयुक्त रूप मेजबानी करने के कारण भारत ने 17 मैचों की मेजबानी की तो पाकिस्तान ने 16 मैचों की मेजबानी की। श्रीलंका ने चार मैचों की मेजबानी की। यानी कुल 36 मैचों में से 17 भारत में खेले गए। 16 मैच पाकिस्तान में खेले गए तथा 4 मैच श्रीलंका में खेले गए। इनमें दो सेमीफाइनल और एक फाइनल भी शामिल था। इस बार एक सेमीफाइनल भारत में तथा एक सेमी फाइनल श्रीलंका में खेला गया। फाइनल मैच पाकिस्तान में खेला गया।

छठे वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले सभी 12 देश इस प्रकार थे…

  1. भारत
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. इंग्लैंड
  4. न्यूजीलैंड
  5. वेस्टइंडीज
  6. पाकिस्तान
  7. श्रीलंका
  8. दक्षिणी अफ्रीका
  9. जिम्बॉब्वे
  10. नीदरलैंड
  11. केन्या
  12. संयुक्त अरब अमीरात

दूसरा वर्ल्ड कप का प्रारूप राउड रोबिन से हटाकर फिर से ग्रुप वाला कर दिया गया। जिसमें सभी टीमों को ग्रुप ए और ग्रुप बी दो ग्रुपों में बांटा गया।

ग्रुप ‘A’ग्रुप ‘B’
भारतइंग्लैड
ऑस्ट्रेलियान्यूजीलैड
वेस्टइंडीजपाकिस्तान
श्रीलंकादक्षिणी अफ्रीका
जिम्बॉब्वेनीदरलैड
केन्यासंयुक्त अरब अमीरात

इस बार टूर्नामेंट का प्रारूप थोड़ा बदला हुआ था। दोनों ग्रुप में से टॉप की चार टीमों को नॉकआउट चरण में प्रवेश करना था, जिसे क्वार्टर फाइनल कहा गया। दोनों ग्रुप की सभी टीमों को बाकी अन्य 5 दिनों से एक एक मैच खेलना था। हर ग्रुप में से चार टीमें क्वार्टर फाइनल में प्रवेश करने वाली थी। यानी नॉकआउट चरण (क्वार्टर फाइनल) के लिए 8 टीमें जाने वाली थी।

ग्रुप स्टेज के मैचों का आरंभ 17 फरवरी 1996 से हो गया और ग्रुप स्टेज के मैचों में ग्रुप ए से श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और वेस्टइंडीज ने पहले 4 स्थानों मे जगह बनाई तो ग्रुप बी से दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड ने पहले 4 स्थानों में जगह बनाई। ग्रुप ए से जिम्बॉब्वे और केन्या तथा ग्रुप बी से नीदरलैड और संयुक्त अरब अमीरात बाहर हो गईं।

ग्रुप ‘A’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1श्रीलंका550010
2ऑस्ट्रेलिया53206
3भारत53206
4वेस्ट इंडीज52304
5ज़िम्बाब्वे51402
6केन्या51402

ग्रुप ‘B’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1दक्षिण अफ्रीका550010
2पाकिस्तान54108
3न्यूज़ीलैंड53206
4इंग्लैंड52304
5संयुक्त अरब अमीरात51402
6नीदरलैंड50500

क्वार्टर फाइनल का रिजल्ट

ग्रुप स्टेज के मैच पूरे हो चुके थे। दोनों ग्रुप से टॉप की चार-चार टीमों ने क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। क्वार्टर फाइनल में सभी 8 टीमों को एक-एक में मैच खेला था और सेमीफाइनल में जगह बनानी थी। कुल 4 क्वार्टर फाइनल होने थे।

पहले क्वार्टर फाइनल में 9 मार्च 1996 को इंग्लैंड का मुकाबला श्रीलंका से हुआ। श्रीलंका ने इंग्लैंड को 5 विकेट से हराकर पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई।

दूसरे क्वार्टर फाइनल में 9 मार्च 1996 को भारत एवं पाकिस्तान के बीच मुकाबला हुआ। भारत ने पाकिस्तान को 39 रन से हराकर सेमीफाइनल की राह पकड़ी।

तीसरे क्वार्टर फाइनल में 10 मार्च 1996 को वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका एक दूसरे से के लिए अपना स्थान पक्का किया।

चौथे क्वार्टर फाइनल में 11 मार्च 1996 को ही न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच हुआ, जिसमें ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड को 6 विकेट से हराकर सेमीफाइनल की चौथी टीम बनी।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला क्वार्टर फाइनल9 मार्च 1996इंग्लैंड-श्री लंकाइकबाल स्टेडियम, फैसलाबादइंग्लैंड 235/8 (50) श्रीलंका 236/5.4श्रीलंका ने इंग्लैंड को पांच विकेट से हराया
दूसरा क्वार्टर फाइनल9 मार्च 1996भारत-पाकिस्तानएम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरुभारत 287/8(50) पाकिस्तान 248/9 (49)भारत ने पाकिस्तान को 39 रन से हराया
तीसरा क्वार्टर फाइनल11 मार्च 1996वेस्टइंडीज-दक्षिणी अफ्रीकानेशनल स्टेडियम, कराचीवेस्ट इंडीज 264/8(50) दक्षिण अफ्रीका 245/10 (49.3)वेस्टइंडीज ने दक्षिण अफ्रीका को 19 रन से हराया
चौथा क्वार्टर फाइनल11 मार्च 1996न्यूजीलैंड-ऑस्ट्रेलियाएमए. चिदंबरम स्टेडियम, चेन्नईन्यूजीलैंड 286/9 (50) ऑस्ट्रेलिया 289/447.5ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को 6 विकेट से हराया

सेमीफाइनल

सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चार टीमें भारत, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज थीं। पहला सेमीफाइनल 13 मार्च 1996 को भारत और श्रीलंका के बीच कोलकाता के ईडन गार्डन स्टेडियम में हुआ। श्रीलंका ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 8 विकेट पर 251 रन बनाए। जवाब में भारतीय टीम केवल 34.1 ओवर में 8 विकेट खोकर 120 रन ही बना पाई।

भारतीय टीम के बेहद खराब प्रदर्शन के कारण दर्शक बेहद गुस्सा हो गए और मैच में दर्शकों द्वारा व्यवधान उत्पन्न किए जाने के कारण मैच को रोकना पड़ा। बाद में तकनीकी आधार पर श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया गया। इस तरह श्रीलंका छठे वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने वाली टीम बन गई।

दूसरा सेमीफाइनल 14 मार्च 1996 को ऑस्ट्रेलिया एवं वेस्टइंडीज के बीच मोहाली के पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 8 विकेट पर 207 रन बनाए जब आप में वेस्टइंडीज की टीम 49.3 ओवर में 202 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने पांच रनों से मैच जीत कर वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल फाइनल मैच में अपनी जगह बनाई।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल13 मार्च 1996भारत-श्रीलंकाईडन गार्डन, कोलकाताश्रीलंका 251/8 (50) भारत 120/8 (34.1)श्रीलंका ने भारत को हराया। श्रीलंका तकनीकी आधार पर विजेता
दूसरा सेमीफाइनल14 मार्च 1996ऑस्ट्रेलिया-वेस्टइंडीजगद्दाफी स्टेडियम, लाहौरऑस्ट्रेलिया 207/8 (50) वेस्टइंडीज 202/10 (49.3)ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज को 5 रन से हराया

फाइनल

वर्ल्ड कप का फाइनल ऑस्ट्रेलिया एवं श्रीलंका के बीच लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 7 विकेट खोकर 241 रन बनाए। जवाब में श्रीलंका की टीम ने 40.5 ओवर में 245 रन बनाकर मैच जीत लिया और श्रीलंका ने पहली बार वनडे वर्ल्ड कप का चैंपियन होने का गौरव प्राप्त किया।

मैचतारीखटीमवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल17 मार्च 1996ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंकागद्दाफी स्टेडियम, लाहौरऑस्ट्रेलिया 207/8 (50) वेस्टइंडीज 202/10 (49.3)ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज को 5 रन से हराया

6वें वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 14 फरवरी 1996 से 17 मार्च 1996 तक
  • मेजबान देश भारत-पाकिस्तान-श्रीलंका
  • भाग लेने वाले देश 12
  • कुल मैच खेले गए 37
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट सनथ जयसूर्याा (श्रीलंका)
  • सबसे अधिक रन 523 – सचिन तेंदुलकर (भारत)
  • सबसे अधिक विकेट 15 – अनिल कुंबल (भारत)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन श्रीलंका


सातवां वनडे वर्ल्ड कप (7th One-day World-cup)│इंग्लैड 1999

सातवां वनडे वर्ल्ड कप एक बार फिर 1999 में इंग्लैंड में खेला गया। यह चौथा अवसर था जब इंग्लैंड में वनडे वर्ल्ड कप खेला जा रहा था।

आईसीसी द्वारा आयोजित सातवां वनडे वर्ल्ड कप 14 मई 1999 से 20 जून 1999 के बीच इंग्लैंड में खेला गया। इंग्लैंड इस वर्ल्ड कप का मुख्य आयोजक था। उसके अलावा कुछ मैच स्कॉटलैंड, आयरलैंड, नीदरलैंड और वेल्स में भी खेले गए जो सह मेजबान थे।

सातवें वनडे वर्ल्ड कप में कुल 12 टीम में शामिल हुई, जिनके बीच कुल 42 मैच हुए थे। सभी टीमों को छह टीमों के दो ग्रुप में बांटा गया। टूर्नामेंट का प्रारूप इस तरह था कि ग्रुप मैच के बाद सुपर सिक्स फॉर्मेट होगा यानी हर ग्रुप से तीन-तीन टीम में सुपर सिक्स में जाने वाली थीं। यह वर्ल्ड कप में एक नया प्रारूप था।

सातवें वनडे वर्ल्ड कम में 9 टेस्ट मैच खेलने वाले देशों के अलावा बांग्लादेश, केन्या और स्कॉटलैंड की टीमें भी शामिल थी। इस बार बांग्लादेश की टीम आईसीसी ट्रॉफी के विजेता के तौर पर पहली बार वनडे वर्ल्ड कप खेल रही थी। केन्या की टीम आईसीसी ट्रॉफी की उपविजेता थी और स्कॉटलैंड ने आईसीसी ट्रॉफी में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। इसी आधार पर इन तीनों टीमों को शामिल किया गया। बाकी 9 देश टेस्ट खेल मैच खेलने वाले देश थे।

सातवें वनडे वर्ल्ड कप में कल 12 देशों ने भाग लिया जिनके नाम इस प्रकार हैं

  • भारत
  • ऑस्ट्रेलिया
  • इंग्लैंड
  • न्यूजीलैंड
  • पाकिस्तान
  • दक्षिण अफ्रीका
  • वेस्टइंडीज
  • जिंबॉब्वे
  • श्रीलंका
  • बांग्लादेश
  • केन्या
  • स्कॉटलैंड

सभी 12 टीमों को छह टीमों के दो ग्रुप में बांटा गया जो कि इस प्रकार थे।

ग्रुप ‘A’ग्रुप ‘B’
भारतऑस्ट्रेलिया
इंग्लैंडन्यूजीलैड
दक्षिणी अफ्रीकापाकिस्तान
श्रीलंकावेस्टइंडीज
जिम्बॉब्वेबांग्लादेश
केन्यास्कॉटलैंड

ग्रुप स्टेज

ग्रुप स्टेज के मैच 14 मई से आरंभ हो गए। ग्रुप ए में दक्षिण अफ्रीका, भारत और जिंबॉब्वे ने प्वाइंट टेबल में पहले तीन स्थानों में जगह बनाई। ग्रुप बी में पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने पहले तीन स्थानों में जगह बनाई। मेजबानी इंग्लैंड, श्रीलंका केन्या, वेस्टइंडीज, बांग्लादेश और स्कॉटलैंड जैसी टीम पहले चरण में ही बाहर हो गईं।

ग्रुप ‘A’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1दक्षिण अफ्रीका54108
2भारत53206
3ज़िम्बाब्वे53206
4इंगलैंड53206
5श्रीलंका52304
6केन्या50500

ग्रुप ‘B’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1पाकिस्तान54108
2ऑस्ट्रेलिया53206
3न्यूज़ीलैंड53206
4वेस्टइंडीज53206
5बांग्लादेश52304
6स्कॉटलैंड50500

सुपर सिक्स स्टेज

दोनों ग्रुप से टॉप की टीम 3-3 टीमें सुपर सिक्स में पहुंचीं। सुपर सिक्स में पहुंचने वाली छः टीमें भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और जिंबाब्वे थीं। सुपर सिक्स में पहुंचने वाले सभी 6 टीमों को एक ही ग्रुप में रखा गया और हर टीम को बाकी की 5 टीमों से मैच खेलने थे।

टॉप के 4 स्थानों पर रहने वाली टीमों को सेमीफाइनल में प्रवेश मिलना था। सुपर सिक्स में पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका और न्यूजीलैंड ने टॉप 4 स्थान पर जगह बनाई और सेमीफाइनल में प्रवेश किया। भारत और जिम्बॉब्वे ये दोनो टीमें सुपर सिक्स में टूर्नामेंट से बाहर हो गईं।

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1पाकिस्तान53206
2ऑस्ट्रेलिया53206
3दक्षिण अफ्रीका53206
4न्यूज़ीलैंड52215
5ज़िम्बाब्वे52215
6भारत51402

सेमीफाइनल

सेमी फाइनल में पहुंचने वाली चार टीमें ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका थी। पहला सेमीफाइनल 16 जून 1999 को न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच खेला गया। न्यूजीलैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 7 विकेट होकर कल 241 रन बनाए, जवाब में पाकिस्तान की टीम ने केवल एक विकेट खोकर 242 रन बनाकर मैच जीत लिया और टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया।

दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी अफ्रीका का मुकाबला 17 जून 1999 को हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए 49.2 ओवर में 213 रन बनाए। जबाव में दक्षिणी अफ्रीकाकी टीम ने भी 49.4 ओवर में 213 रन ही बनाए। दोनों का स्कोर टाइ होने के बाद बेहतर रन रेट के आधार पर ऑस्ट्रेलिया को विजेता घोषित किया गया और उसे फाइनल में जगह मिली।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल16 जून 1999पाकिस्तान-न्यूजीलैंडओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टरन्यूजीलैंड 241/7 (50) पाकिस्तान 242/1 (47.3)पाकिस्तान ने न्यूजीलैंड को 9 विकेट से हराया
दूसरा सेमीफाइनल17 जून 1999ऑस्ट्रेलिया-दक्षिणी अफ्रीकाएजबेस्टन, बर्मिघमऑस्ट्रेलिया 213/10 (49.2) दक्षिणी अफ्रीका 213/10 (49.4)ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिणी अफ्रीका को बेहतर रन रेट के आधार पर हराया

फाइनल

सातवें वर्ल्ड कप का फाइनल मैच 20 जून 1999 को पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया। इस फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 8 विकेट से हराकर अपना दूसरा वनडे वर्ल्ड कप जीता। पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 39 ओवर में 132 रन बनाए तो ऑस्ट्रेलिया की टीम ने केवल 20.1 ओवर में ही दो विकेट होकर 133 रन बनाकर मैच जीत लिया। इस तरह ऑस्ट्रेलिया दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बना।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल20 जून 1999ऑस्ट्रेलिया- पाकिस्तानलार्ड्स, लंदनपाकिस्तान 132 (39) ऑस्ट्रेलिया 133/2 (20.1)ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 8 विकेट से हराया

7वें वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • टूर्नामेंट खेला गया 14 मई 1999 से 20 जून 1999 तक
  • मेजबान देश इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, आयरलैंड, नीदरलैंड, वेल्स
  • कुल टीमों ने भाग लिया 12
  • कुल मैच खेले गए 42
  • प्लेयर ऑफ टूर्नामेंट लांस क्लूजनर (दक्षिण अफ्रीका)
  • सबसे अधिक रन 461 – राहुल द्रविड़ (भारत)
  • सबसे अधिक विकेट विकेट 20 – ज्योफ एलॉट (न्यूजीलैंड) एवं 20 – शेन वार्न (ऑस्ट्रेलिया)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन ऑस्ट्रेलिया


आठवां वनडे वर्ल्ड कप (8th One-day World-cup)│द. अफ्रीका-जिम्बॉब्वे-केन्या 2003

आठवां वनडे वर्ल्ड कप 2003 दक्षिण अफ्रीका, जिम्बॉब्वे और केन्या में संयुक्त रूप से खेला गया। आठवां वनडे का वर्ल्ड कप 9 फरवरी 2003 से 23 मार्च 2003 के बीच दक्षिण अफ्रीका, जिम्बॉब्वे और केन्या में खेला गया। आठवें वनडे वर्ल्ड कप में कल 14 टीमों ने भाग लिया। यह अब तक किसी भी वनडे वर्ल्ड कप में सबसे अधिक टीमों की संख्या थी।

इन 14 टीमों के बीच कुल 54 मैच खेले गए। वनडे वर्ल्ड कप का प्रारूप 1999 वाले पिछले वर्ल्ड कप जैसा ही था। जिसमें सभी टीमों को दो ग्रुप में बांटा गया और हर ग्रुप की टॉप 3 टीमो को सुपर सिक्स के लिए क्वालिफाई करना था। आठवें वनडे वर्ल्ड कप में 10 टेस्ट मैच खेलने वाले देश शामिल थे क्योंकि बांग्लादेश को भी टेस्ट मैच खेलने का दर्जा मिल चुका था। इसके अलावा एसोसिएट सदस्य के रूप में केन्या, कनाडा, नामीबिया और नीदरलैंड ने भाग लिया।

आठवें वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले 14 देश इस प्रकार थे,

  1. भारत
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. न्यूजीलैंड
  4. इंग्लैंड
  5. पाकिस्तान
  6. दक्षिणी अफ्रीका
  7. वेस्ट इंडीज
  8. श्रीलंका
  9. जिम्बॉब्वे
  10. बांग्लादेश
  11. केन्या
  12. कनाडा
  13. नामीबिया
  14. नीदरलैंड

आठवें वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले सभी 14 देश को 7-7 टीमों के दो ग्रुप में बांटा गया, ग्रुप ए और ग्रुप बी।

ग्रुप ‘A’ग्रुप ‘B’
भारतन्यूजीलैंड
ऑस्ट्रेलियादक्षिणी अफ्रीका
जिम्बॉब्वेवेस्ट इंडीज
इंग्लैंडश्रीलंका
पाकिस्तानकेन्या
नीदरलैंडबांग्लादेश
नामीबियाकनाडा

ग्रुप स्टेज

ग्रुप स्टेज के मैचों का आरंभ 10 फरवरी से हो गया। ग्रुप ए में ऑस्ट्रेलिया. भारत और जिम्बॉब्वे टॉप तीन स्थान पर रहे। इस वर्ल्ड कप में बड़ा उलट पर देखने को मिला जब इंग्लैंड और पाकिस्तान जैसी बड़ी टीम ग्रुप ए में नीचे रहकर बाहर हो गईं। ग्रुप बी में श्रीलंका, केन्या और न्यूजीलैंड ने पहले तीन स्थान पर कब्जा किया। इस ग्रुप में भी उलटफेर देखने को मिला जब दक्षिणी अफ्रीका और वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीमें बाहर हो गई।

ग्रुप ‘A’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1 ऑस्ट्रेलिया660024
2 भारत651020
3 ज़िम्बाब्वे632114
4 इंगलैंड633012
5 पाकिस्तान623110
6 नीदरलैंड61504
7 नामिबिया60600

ग्रुप ‘B’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइअंक
1 श्रीलंका641018
2 केन्या642016
3 न्यूज़ीलैंड642016
4 दक्षिण अफ्रीका632014
5 वेस्ट इंडीज632114
6 कनाडा61504
7 बांग्लादेश60512

सुपर सिक्स स्टेज

सुपर सिक्स स्टेज में प्रवेश करने वाली 6 टीम में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जिम्बॉब्वे, केन्या, श्रीलंका और न्यूजीलैंड थीं। सुपरसिक्स स्टेज में टॉप की 4 टीमों को सेमीफाइनल में प्रवेश मिलना था। सुपर सिक्स स्टेज में में भारत, ऑस्ट्रेलिया, केन्या और श्रीलंका में शानदार प्रदर्शन करते हुए टॉप चार में जगह बनाई। न्यूजीलैंड और जिंबाब्वे की टीम सुपर सिक्स से बाहर हो गई। इस तरह भारत, ऑस्ट्रेलिया, केन्या और श्रीलंका ने सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई।

पोजीशनटीममैचडब्ल्यूएलटाइ/कैंसिलअंक
1श्रीलंका641118
2केन्या642016
3न्यूज़ीलैंड642016
4दक्षिण अफ्रीका632114
5वेस्ट इंडीज632114
6कनाडा61504
7बांग्लादेश60502

सेमीफाइनल

सेमीफाइनल में आने वाली 4 टीमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और केन्या थीं। पहला सेमीफाइनल 18 मार्च 2003 को ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच खेला गया। ऑस्ट्रेलिया में पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 7 विकेट खोकर 212 रन बनाए जवाब में श्रीलंका की टीम 38.1 ओवर में 7 विकेट खोकर 123 रन ही बना सकी। ऑस्ट्रेलिया ने 48 रन से मैच जीत लिया। मैच का रिजल्ट डकवर्थ लुइस मैथड से निकालना पड़ा था क्योंकि बारिश के कारण मैच पूरा नही हो पाया।

दूसरा सेमीफाइनल 20 मार्च  2003 को भारत और केन्या के बीच खेला गया। भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 4 विकेट खोकर 270 रन बनाए। जवबा में केन्या की टीम 46.4 ओवर में 179 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह भारत ने दूसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई, जहां उसका सामना ऑस्ट्रेलिया से होना था।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल18 मार्च 2003ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंकासेंट ऑफ जार्ज क्रिकेट ग्राउंड, पोर्ट एलिजाबेथऑस्ट्रेलिया 212/7 (50) श्रीलंका 123/7 (38.1)ऑस्टेलिया ने श्रीलंका को 48 रनो से हराया
दूसरा सेमीफाइनल20 मार्च 2003भारत-केन्याकिंग्समीड क्रिकेट स्टेडियम, डरबनऑस्ट्रेलिया 213/10 (49.2) दक्षिणी अफ्रीका 213/10 (49.4)भारत ने केन्या को 91 रनों से हराया

फाइनल

आठवें वनडे वर्ल्ड कप का फाइनल 23 मार्च 2003 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 2 विकेट खोकर 359 रन का स्कोर खड़ा कर दिया, जवाब में भारतीय टीम 39.2 ओवर में केवल 234 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 125 रनों से हराकर अपना लगातार दूसरा और कुल तीसरा वनडे वर्ल्ड कप जीता।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल23 मार्च 2003भारत-ऑस्ट्रेलियावांडरर्स, जोहान्सबर्गऑस्ट्रेलिया 259/2 (50) भारत 234/10 (39.4)ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 125 रन से हराया

8वें वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 9 फरवरी 2003 से 23 मार्च 2003
  • मेजबान देश दक्षिण अफ्रीका, केन्या, जिम्बॉब्वे।
  • भाग लेने वाले देश 14
  • कुल मैच खेले गए 54
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट सचिन तेंदुलकर (भारत)
  • सबसे अधिक रन 673 – सचिन तेंदुलकर (भारत)
  • सबसे अधिक विकेट 23 – चमिंडा वास (श्रीलंका)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन ऑस्ट्रेलिया


नौवां वनडे वर्ल्ड कप (9th One-day World-cup)│वेस्टइंडीज 2007

नौवां वनडे वर्ल्ड कप अब एक अपने नए मुकाम पर पहुंच चुका था। आठवां वनडे वर्ल्ड कप इस बार वेस्टइंडीज के देशों में आयोजित किया गया। वेस्टइंडीज उ70 80 और 90 के दशक में एक बेहद ताकतवर टीम मानी जाती थी लेकिन अभी तक वेस्टइंडीज के देशों में वनडे वर्ल्ड कप का आयोजन नहीं किया गया था। इस बार आईसीसी ने 2007 का आठवां वनडे वर्ल्ड कप वेस्टइंडीज के देशों में आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

नौवां वनडे वर्ल्ड कप 13 मार्च 2007 से 28 अप्रैल 2007 के बीच वेस्टइंडीज में आयोजित किया गया। इस वनडे वर्ल्ड कप में कुल 16 देशों ने भाग लिया था और कल 51 मैच खेले गए थे। इस बार टूर्नामेंट का प्रारूप पिछले सभी वर्ल्ड कप से अलग था।

इस बार भाग लेने वाली सभी 16 टीमों को चार-चार टीमों के चार ग्रुप में बांटा गया। टूर्नामेंट का प्रारूप इस प्रकार रखा गया कि हर ग्रुप से टॉप की दो टीमें अगले नॉकआउट चरण सुपर-8 में प्रवेश करने वाली थीं। नौवें वनडे वर्ल्ड कप में टेस्ट मैच खेलने वाले सभी 10 देशों और 6 एसोसियेट देशों ने भाग लिया।

9वें वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले 16 देश के नाम इस प्रकार थे…

  1. भारत
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. इंग्लैंड
  4. न्यूजीलैंड
  5. दक्षिण अफ्रीका
  6. वेस्टइंडीज
  7. पाकिस्तान
  8. बांग्लादेश
  9. श्रीलंका
  10. जिम्बॉब्वे
  11. बरमूडा
  12. केन्या
  13. नीदरलैंड
  14. कनाडा
  15. आयरलैंड
  16. स्कॉटलैंड

इन सभी 16 देश की टीमों को चार-चार टीमों के ग्रुप में बांटा गया। ग्रुप ए, ग्रुप बी, ग्रुप सी और ग्रुप डी।

ग्रुप ‘A’ग्रुप B’ग्रुप ‘C’ग्रुप ‘D’
 ऑस्ट्रेलियाभारत न्यूज़ीलैंड पाकिस्तान
 दक्षिण अफ़्रीका श्रीलंका इंग्लैंड वेस्ट इंडीज
 स्कॉटलैंड बांग्लादेश केन्या ज़िम्बाब्वे
 नीदरलैंड बरमूडा कनाडा आयरलैंड

ग्रुप स्टेज

ग्रुप स्टेज के मैचों का आरंभ 14 मार्च 2007 से हो गया। ग्रुप ए में ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका ने टॉप 2 में अपनी जगह बनाई। नीदरलैंड और स्कॉटलैंड बाहर हो गए। ग्रुप बी में श्रीलंका और बांग्लादेश ने टॉप 2 में जगह बनाई। भारत जैसी बड़ी टीम के लिए यह वर्ल्ड कप अच्छा नहीं रहा, और वह ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गई। उसके साथ बरमूडा की टीम भी ग्रुप स्टेज से बाहर हो गई।

ग्रुप सी में न्यूजीलैंड और इंग्लैंड ने टॉप 2 में जगह बनाई। केन्या और कनाडा बाहर हो गई। ग्रुप डी से वेस्टइंडीज और आयरलैंड ने टॉप 2 में जगह बनाई। इस ग्रुप में भी उलट फिर हुआ और पाकिस्तान जैसी मजबूत टीम भी पहले चरण में ही बाहर हो गई।

इस तरह ग्रुप स्टेज में भारत और पाकिस्तान जैसी बड़ी टीमें पहले चरण में ही बाहर हो गईं, जिससे वनडे वर्ल्ड कप का रोमांच पीका पड़ गया। अब हर ग्रुप से टॉप की दो टीमों ने अगले चरण यानी सुपर-8 के लिए क्वालीफाई कर लिया था।

ग्रुप ‘A’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलअंक
1ऑस्ट्रेलिया33006
2दक्षिण अफ्रीका32104
3नीदरलैंड31202
4स्कॉटलैंड30300

ग्रुप ‘B’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलअंक
1श्रीलंका33006
2बांग्लादेश32104
3भारत31202
4बरमूडा30300

सुपर 8 चरण

सुपर-8 में पहुंचने वाली 8 टीमें ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज, बांग्लादेश और आयरलैंड थीं। सुपर-8 का प्रारूप राउंड रोबिन आधार पर रखा गया यानी सभी आठ टीमों को एक टीम को छोड़कर बाकी 6 टीमों से एक-एक मैच खेलना था।

सुपर-8 में ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, न्यूजीलैंड और दक्षिणी अफ्रीका ने पहले चार स्थान पर कब्जा करके सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई। नीचे पॉइंट टेबल में सात मैच में दिए गए हैं, जबकि सुपर-8 में हर टीम ने केवल 6 मैचे खेले। इसका मुख्य कारण यह है कि इसमें एक मैच ग्रुप स्टेज का रिजल्ट भी शामिल है। वह ग्रुप मैच जो एक टीम ने अपने ग्रुप की उस टीम के साथ खेला था, जो सुपर-8 के लिए क्वालिफाई की।

इसी कारण सुपर-8 के चरण हर टीम बाकी सात टीमों में केवल उसी टीम के साथ मैच नही खेला जो ग्रुप स्टेज में उसकी साथ थी।

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलअंक
1ऑस्ट्रेलिया770014
2श्रीलंका752010
3न्यूज़ीलैंड752010
4दक्षिण अफ्रीका74308
5इंग्लैंड73406
6वेस्ट इंडीज72504
7बांग्लादेश71602
8आयरलैंड71602

सेमीफाइनल

सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चार टीमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और दक्षिणी अफ्रीका थीं। पहला सेमीफाइनल 24 अप्रैल 2007 को किंग्सटन में सबीना पार्क में खेला गया। पहले सेमीफाइनल में श्रीलंका ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 5 विकेट खोकर 289 रन बनाएय़ जवाब में न्यूजीलैंड की टीम 41.4 ओवर में केवल 208 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह श्रीलंका ने न्यूजीलैंड को 81 रन से हराकर दूसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल में प्रवेश किया।

दूसरे सेमीफाइनल में 25 अप्रैल 2007 को ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला दक्षिण अफ्रीका से हुआ। दक्षिण अफ्रीका ने पहले बैटिंग करते हुए 43.5 ओवर में कुल 149 रन बनाए और ऑल आउट हो गई। जवाब में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 31.3 ओवर में ही 3 विकेट खोकर 153 रन बनाकर मैच जीत लिया। इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने 7 विकेट से मैच जीत कर वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल फाइनल में पाँचवी बार जगह बनाई।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल24 अप्रेल 2007श्रीलंका-न्यूजीलैंडसबीना पार्क, किंग्सटनश्रीलंका 289/5 (50) न्यूजीलैंड 208/10 (41.4)श्रीलंका ने न्जूजीलैंड को 81 रन से हराया
दूसरा सेमीफाइनल25 अप्रेल 2007ऑस्ट्रेलिया-दक्षिणी अफ्रीकाब्यूजजोर स्टेडियम, ग्रोस आइलेटदक्षिणी अफ्रीका 149/10 (43.5) ऑस्ट्रेलिया 153/3 (31.3)ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिणी अफ्रीका को 7 विकेट से हराया।

फाइनल

फाइनल मुकाबला 28 अप्रैल 2007 को ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच खेला गया। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने 38 ओवर में चार विकेट खोकर 281 रन बनाए। जवाब में श्रीलंका की टीम 36 ओवर में 8 विकेट खोकर केवल 215 रन ही बना सकी। बरसात के कारण मैच 50 ओवर से केवल 38 ओवर का ही खेला जा सका।

इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने श्रीलंका को 53 रन से हराकर वर्ल्ड कप का अपना चौथा खिताब जीता। उसने यह खिताब लगातार तीसरी बार जीता था और कुल चौथी बार जीता था। इस तरह ऑस्ट्रेलिया वनडे वर्ल्ड कप चार बार जीतने वाली और लगातार तीन बार वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली टीम बन गई।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल28 अप्रेल 2007ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंकाकेंग्सिटन ओवल, ब्रिजटाउनऑस्ट्रेलिया 281/4 (38) श्रीलंका 215/8 (36)ऑस्ट्रेलिया ने श्रीलंका को 53 रन से हराया

9वें वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 13 मार्च 2007 से 28 अप्रेल 2007
  • मेजबान देश वेस्टइंडीज
  • भाग लेने वाले देश 16
  • कुल मैच खेले गए 51
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट ग्लेन मैक्ग्राथ (ऑस्ट्रेलिया)
  • सबसे अधिक रन 659 – मैथ्यू हैडन (ऑस्ट्रेलिया)
  • सबसे अधिक विकेट 23 – ग्लेन मैक्ग्राथ (ऑस्ट्रेलिया)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन ऑस्ट्रेलिया


दसवां वनडे वर्ल्ड कप (10th One-day World-cup)│भारत-श्रीलंका-बांग्लादेश 2011

दसवां वनडे वर्ल्ड कप 2011 में एक बार फिर से भारतीय उपमहाद्वीप में खेला गया। इस बार भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश ने 10वें वनडे वर्ल्ड कप की मेजबानी संयुक्त रूप से की थी। दसवां वनडे वर्ल्ड कप भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में 9 फरवरी 2011 से 2 अप्रैल 2011 के बीच खेला गया। इस वनडे वर्ल्ड कप में कुल 14 टीमों ने भाग लिया था और कुल 49 मैच खेले गए। 14 टीमों में 10 टीमे टेस्ट मैच खेलने वाली टीम थीं तथा चार टीमें एसोसिएट सदस्य के रूप में भाग ले रही थीं। इस वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले 14 टीमों के नाम इस प्रकार हैं..

  1. भारत
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. न्यूजीलैंड
  4. इंग्लैंड
  5. पाकिस्तान
  6. दक्षिणी अफ्रीका
  7. वेस्ट इंडीज
  8. श्रीलंका
  9. जिम्बॉब्वे
  10. बांग्लादेश
  11. केन्या
  12. कनाडा
  13. आयरलैंड
  14. नीदरलैंड

दसवें वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले सभी 14 देश को 7-7 टीमों के दो ग्रुप में बांटा गया, ग्रुप ए और ग्रुप बी।

ग्रुप ‘A’ग्रुप ‘B’
ऑस्ट्रेलियाभारत
पाकिस्तानदक्षिणी अफ्रीका
श्रीलंकावेस्टइंडीज
न्यूजीलैंडइंग्लैंड
जिम्बॉब्वेआयरलैंड
कनाडानीदरलैंड
केन्याबांग्लादेश

ग्रुप स्टेज

इस टूर्नामेंट का फॉर्मेट इस प्रकार था कि सभी 14 टीमों को 7-7 टीमों के दो ग्रुप में बांटा गया। हर ग्रुप में से टॉप की चार टीमों को अगले दौर यानी क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई करना था। सभी टीमों ग्रुप मैचों का आरंभ 2 फरवरी 2011 से हो गया।

ग्रुप ए में ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और श्रीलंका ने टॉप करते हुए पहले चार स्थान में जगह बनाई और अगले नॉक आउट चरण के लिए क्वालीफाई किया। जिम्बॉब्वे, कनाडा और केन्या की टीम बाहर हो गईं। ग्रुप बी में भारत, दक्षिणी अफ्रीका, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज ने टॉप के चार स्थानों में जगह बनाई और अगले नॉकआउट चरण के लिए क्वालीफाई किया। बांग्लादेश, आयरलैंड और नीदरलैंड की टीम बाहर हो गईं।

ग्रुप ‘A’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारटाइ/कैंसिलअंक
1पाकिस्तान651010
2श्रीलंका64109
3ऑस्ट्रेलिया64109
4न्यूज़ीलैंड64208
5ज़िम्बाब्वे62404
6कनाडा61502
7केन्या60600

ग्रुप ‘B’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलअंक
1दक्षिण अफ्रीका651010
2भारत64119
3इंग्लैंड63217
4वेस्टइंडीज63306
5बांग्लादेश63306
6आयरलैंड62404
7नीदरलैंड60600

क्वार्टरफाइनल

क्वावर्टर फाइनल में प्रवेश करने वाली आठ टीमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज, दक्षिणी अफ्रीका और न्यूजीलैंड थी। क्वार्टर फाइनल मैचों का आरंभ  23 मार्च 2011 से हुआ। पहले क्वार्टर फाइनल मैच 23 मार्च 2011 को वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के बीच खेला गया, जिसमें पाकिस्तान ने वेस्टइंडीज को 10 विकेट से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

दूसरा क्वार्टर फाइनल 24 मार्च 2011 को ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच खेला गया जिसमें भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। तीसरा क्वार्टर फाइनल मैच 25 मार्च 2011 को न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुआ, जिसमें न्यूजीलैंड ने दक्षिणी अफ्रीका को 49 रन से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। चौथा क्वार्टर फाइनल 26 मार्च 2011 को इंग्लैंड और श्रीलंका के बीच हुआ, जिसमें श्रीलंका ने इंग्लैंड को 10 विकेट से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला क्वार्टरफाइनल23 मार्च 2011वेस्टइंडीज-पाकिस्तानशेर बांग्ला नेशनल क्रिकेट स्टेडियम, ढाकावेस्टइंडीज 112 (43.3 ओवर) पाकिस्तान 113/0 (20.5 ओवर)पाकिस्तान ने वेस्टइंडीज को 10 विकेट से हराया
दूसरा क्वार्टरफाइनल24 मार्च 2011भारत-ऑस्ट्रेलियासरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम, अहमदाबादऑस्ट्रेलिया 260/6 (50 ओवर) भारत 261/5 (47.4 ओवर)भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराया
तीसरा क्वार्टरफाइनल25 मार्च 2011न्यूजीलैंड-दक्षिणी अफ्रीकाशेरे बांग्ला नेशनल क्रिकेट स्टेडियम, ढाकान्यूज़ीलैंड 221/8 (50 ओवर) दक्षिण अफ़्रीका 172 (43.2 ओवर)न्यूजीलैंड ने दक्षिण अफ्रीका को 49 रन से हराया
चौथा क्वार्टरफाइनल26 मार्च 2011इंग्लैंड-श्रीलंकाआर प्रेमदासा स्टेडियम, कोलंबोइंग्लैंड 229/6 (50 ओवर) श्रीलंका 231/0 (39.3 ओवर)श्रीलंका ने इंग्लैंड को 10 विकेट से हराया

सेमीफाइनल

सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चार टीमें भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका थीं। पहला सेमीफाइनल 29 मार्च 2011 को न्यूजीलैंड और श्रीलंका के बीच हुआ। श्रीलंका ने न्यूजीलैंड को पांच विकेट से हराकर तीसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल में प्रवेश किया। दूसरा सेमीफाइनल 30 मार्च 2011 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के पाकिस्तान के बीच हुआ। भारत ने पाकिस्तान को 29 रन से हराकर तीसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल में प्रवेश किया।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल29 मार्च 2011न्यूजीलैंड-श्रीलंकाआर प्रेमदासा स्टेडियम, कोलंबोन्यूज़ीलैंड  217 (48.5 ओवर) श्रीलंका 220/5 (47.5 ओवर)श्रीलंका ने न्यूजीलैंड को 5 विकेट से हराया
दूसरा सेमीफाइनल30 मार्च 2011भारत-पाकिस्तानआईएस बिंद्रा पंजाब क्रिकेट एसोसियेशन एसोसिएशन स्टेडियम, मोहालीभारत 260/9 (50 ओवर) पाकिस्तान 231 (49.5 ओवर)भारत ने पाकिस्तान को 29 रन से हराया

फाइनल

वर्ल्ड कप का फाइनल मैच 2 अप्रैल 2011 को भारत और श्रीलंका के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में हुआ। इस मैच में श्रीलंका ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 6 विकेट कोकर 274 रन बनाए। जवाब में भारत की टीम ने गौतम गंभीर के 97 और महेंद्र सिंह धोनी के 91 रन की बदौलत 48.2 ओवर में चार विकेट खोकर 277 रन बनाए और दूसरी बार वनडे वर्ल्ड कप का चैंपियन होने का गौरव प्राप्त किया।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल2 अप्रेल 2011भारत-श्रीलंकावानखेड़े स्टेडियम, मुंबईश्रीलंका 274/6 (50 ओवर) भारत 277/4 (48.2 ओवर)भारत ने श्रीलंका को 6 विकेट से हराया

10वें वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 9 फरवरी 2011 से 2 अप्रेल 2011
  • मेजबान देश भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश
  • भाग लेने वाले देश 14
  • कुल मैच खेले गए 49
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट युवराज सिंह (भारत)
  • सबसे अधिक रन 500 – तिकरत्ने दिलशान ((श्रीलंका)
  • सबसे अधिक विकेट 21 – जहीर खान (भारत) और शाहिद आफरीदी (पाकिस्तान)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन भारत


ग्यारहवाँ वनडे वर्ल्ड कप (11th One-day World-cup)│ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड 2015

ग्यारहवां वनडे वर्ल्ड कप 2015 में ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड ने संयुक्त रूप से आयोजित किया।

11वां वनडे वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में 14 फरवरी 2015 से 29 मार्च 2015 के बीच खेला गया। पिछले वर्ल्ड कप की तरह इस वनडे वर्ल्ड कप में भी कुल 14 टीमों ने भाग लिया था और कुल 49 मैच खेले गए। सभी 14 टीमों में 10 टीमे टेस्ट मैच खेलने वाली टीम थीं तथा चार टीमें एसोसिएट सदस्य के रूप में भाग ले रही थीं। इस वर्ल्ड कप में पिछले वर्ल्ड कप की तीन टीमें बदल गईं।

इस बार केन्या और कनाडा वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई। उनकी जगह संयुक्त अरब अमीरात और स्कॉटलैंड की टीम वर्ल्ड कप में खेलीं। उसके अलावा नीदरलैंड भी वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई और उसकी जगह अफगानिस्तान की टीम ने वर्ल्ड कप में पहली बार भाग लिया।

सभी दस टेस्ट मैच खेलने वाले देशों के अलावा केवल आयरलैंड की टीम ही पिछले वर्ल्ड कप की थी। आयरलैंड और अफगानिस्तान वर्ल्ड क्रिकेट लीग चैंपियनशिप के विजेता और उपविजेता थे। इस कारण उन्हें 11वें वर्ल्ड कप में प्रवेश मिला। संयुक्त अरब अमीरात और अफगानिस्तान ने वर्ल्ड कप क्वालीफायर राउंड में अपने मैच जीत कर वर्ल्ड कप में प्रवेश किया।

इस वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले 14 टीमों के नाम इस प्रकार हैं..

  1. भारत
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. न्यूजीलैंड
  4. इंग्लैंड
  5. पाकिस्तान
  6. दक्षिणी अफ्रीका
  7. वेस्ट इंडीज
  8. श्रीलंका
  9. जिम्बॉब्वे
  10. बांग्लादेश
  11. अफगानिस्तान
  12. संयुक्त अरब अमीरात
  13. आयरलैंड
  14. स्कॉटलैंड

11वें वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले सभी 14 देश को 7-7 टीमों के दो ग्रुप में बांटा गया, ग्रुप ए और ग्रुप बी।

ग्रुप ‘A’ग्रुप ‘B’
ऑस्ट्रेलियाभारत
न्यूजीलैंडदक्षिणी अफ्रीका
इंग्लैंडवेस्टइंडीज
बांग्लादेशपाकिस्तान
श्रीलंकाआयरलैंड
स्कॉटलैंडजिम्बॉब्वे
अफगानिस्तानसंयुक्त अरब अमीरात

ग्रुप स्टेज

इस टूर्नामेंट का फॉर्मेट पिछले वर्ल्ड कप जैसा ही था कि सभी 14 टीमों को 7-7 टीमों के दो ग्रुप में बांटा गया। हर ग्रुप में से टॉप की चार टीमों को अगले दौर यानी क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई करना था। सभी टीमों ग्रुप मैचों का आरंभ 14 फरवरी 2015 से हो गया।

ग्रुप ए में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और बांग्लादेश ने टॉप करते हुए पहले चार स्थान में जगह बनाई और अगले नॉक आउट चरण के लिए क्वालीफाई किया। इंग्लैड, अफगानिस्तान और स्कॉटलैंड की टीमें बाहर हो गईं।

ग्रुप बी में भारत, दक्षिणी अफ्रीका, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज ने टॉप के चार स्थानों में जगह बनाई और अगले नॉकआउट चरण के लिए क्वालीफाई किया। आयरलैंड, जिम्बॉब्वे और संयुक्त अरब अमीरात की टीमें बाहर हो गईं।

ग्रुप ‘A’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलअंक
1न्यूज़ीलैंड660012
2ऑस्ट्रेलिया64109
3श्रीलंका64208
4बांग्लादेश63207
5इंगलैंड62404
6अफ़ग़ानिस्तान61502
7स्कॉटलैंड60600

ग्रुप ‘B’ की प्वाइंट टेबल

पोजीशनटीममैचजीतेहारेटाइ/कैंसिलअंक
1 भारत660012
2 दक्षिण अफ्रीका64208
3पाकिस्तान64208
4वेस्टइंडीज63306
5आयरलैंड63306
6ज़िम्बाब्वे61502
7संयुक्त अरब अमीरात60600

क्वार्टर-फाइनल

क्वार्टर फाइनल में प्रवेश करने वाली 8 टीम में ग्रुप ए से न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और बांग्लादेश तथा ग्रुप बी से भारत, पाकिस्तान, दक्षिणी अफ्रीका और वेस्टइंडीज थी। न्यूजीलैंड ने ग्रुप ए में टॉप किया था तथा भारत ने ग्रुप बी में टॉप किया था।

क्वार्टर फाइनल में सभी आठ टीमों को किसी दूसरी टीम से एक बार भिड़ना था और जीतकर सीधे सेमीफाइनल का टिकट कटाना था। क्वार्टर फाइनल मैच 18 मार्च 2015 से आरंभ हो गए।

पहले क्वार्टर फाइनल में 18 मार्च 2015 को श्रीलंका और दक्षिणी अफ्रीका का आमना सामना हुआ। दक्षिणी अफ्रीका ने श्रीलंका को 9 विकेट से हराकर पहला क्वार्टर फाइनल जीत लिया और सेमीफाइनल में पहुंचने बनने वाली पहली टीम बनी।

19 मार्च 2015 को दूसरे क्वार्टरफाइनल में भारत और बांग्लादेश का मुकाबला हुआ, जिसमें भारत ने बांग्लादेश को 109 रन से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

20 मार्च 2015 को तीसरी क्वार्टरफाइनल में ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान का आमना-सामना हुआ, जिसमें आस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 6 विकेट से हराकर सेमीफाइनल की तीसरी टीम बनी।

चौथे क्वार्टर फाइनल में 21 मार्च 2015 को न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज का मैच हुआ जिसमें न्यूजीलैंड ने वेस्टइंडीज को 143 रन से हराकर चौथा क्वार्टर फाइनल जीत लिया और न्यूजीलैंड सेमीफाइनल में प्रवेश करने वाली चौथी टीम बनी।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला क्वार्टरफाइनल18 मार्च 2015श्रीलंका-दक्षिणी अफ्रीकासिडनी क्रिकेट ग्राउंड, सिडनीश्रीलंका 133 (37.2 ओवर) दक्षिण अफ़्रीका 134/1 (18 ओवर)दक्षिणी अफ्रीका ने श्रीलंका को 9 विकेट से हराया
दूसरा क्वार्टरफाइनल19 मार्च 2015भारत-बांग्लादेशमेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड, मेलबॉर्नभारत 302/6 (50 ओवर) बांग्लादेश 193 (45 ओवर)भारत ने बांग्लादेश को 109 रन से हराया
तीसरा क्वार्टरफाइनल20 मार्च 2015ऑस्ट्रेलिया-पाकिस्तानएडीलेड ओवल, एडिलेडपाकिस्तान  213 (49.5 ओवर) ऑस्ट्रेलिया 216/4 (33.5 ओवर)ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 6 विकेट से हराया
चौथा क्वार्टरफाइनल21 मार्च 2015न्यूजीलैंड-वेस्टइंडीजवेलिंगटन रीजनल स्टेडियम, वेलिंगटनन्यूज़ीलैंड  393/6 (50 ओवर) वेस्टइंडीज 250 (30.3 ओवर)न्यूजीलैंड ने वेस्टइंडीज को 141 रन से हराया

सेमीफाइनल

सेमीफाइनल में भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड ये चारों टीमें पहुंची थीं।

पहला सेमीफाइनल 24 मार्च 2015 को दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के बीच ऑकलैंड के ईडन पार्क स्टेडियम में खेला गया। दक्षिण अफ्रीका ने पहले बैटिंग करते हुए 43 ओवर में 5 विकेट खोकर 281 रन बनाए। जवाब में न्यूजीलैंड की टीम ने 42.5 ओवर में 1 विकेट खोकर 299 रन बनाकर 4 विकेट से मैच जीत लिया। बारिश के कारण बाधित होने के कारण इस मैच का निर्णय डकवर्थ लुईस पद्धति के आधार पर हुआ था। इसी कारण न्यूजीलैंड को 299 रन का लक्ष्य मिला था।

दूसरे सेमीफाइनल में भारत और ऑस्ट्रेलिया का आमना-सामना हुआ। 26 मार्च 2015 को खेले गए दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 7 विकेट खोकर 328 रन बनाए। जवाब में भारतीय टीम 46.5 ओवर में केवल 245 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने 95 रन से मैच जीत लिया।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल24 मार्च 2015न्यूजीलैंड-दक्षिणी अफ्रीकाईडेन पार्क, ऑकलैंडदक्षिण अफ़्रीका 281/5 (43 ओवर) न्यूज़ीलैंड 299/6 (42.5 ओवर)न्यूजीलैंड ने दक्षिण अफ्रीका को डकवर्थ लुईस पद्धति के तहत 4 विकेट से हराया
दूसरा सेमीफाइनल26 मार्च 2015भारत-ऑस्ट्रेलियासिडनी क्रिकेट ग्राउंड, सिडनीऑस्ट्रेलिया 328/7 (50 ओवर) भारत 233 (46.5 ओवर)ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 95 रन से हराया

सेमीफाइनल

11वें वर्ल्ड कप का फाइनल मैच 29 मार्च 2015 को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुआ। ऑस्ट्रेलिया 7वीं बार वर्ल्ड कप का फाइनल खेल रहा था। जबकि न्यूजीलैंड पहली बार वर्ल्ड कप का फाइनल खेला रहा था।

ऑस्ट्रेलिया इससे पहले 6 बार फाइनल खेलकर चार फाइनल मैच जीत चुका था। दोनों टीमों का आमना-सामना मेलबर्न के मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड स्टेडियम में हुआ। दोनों मेजबान देश थे, यानी जो चैंपियन बनना था, वह मेजबान देश ही बनना था। न्यूजीलैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 45 ओवर में कुल 183 रन बनाए और उसकी पूरी टीम ऑल आउट हो गई। जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने मात्र 33.1 ओवर में 3 विकेट खोकर 186 रन बना लिए और न्यूजीलैंड को 7 विकेट से हराकर मैच जीत लिया।

इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने 11वें वनडे वर्ल्ड कप का फाइनल जीतकर पांचवीं बार चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया। ऑस्ट्रेलिया विश्व की एकमात्र ऐसी टीम बन गई, जिसने 5 बार आईसीसी वर्ल्ड कप जीता हो। 3 बार तो उसने 1999, 2003 और 2007 में लगातार वर्ल्ड कप जीते थे।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल29 मार्च 2015ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंडमेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड, मेलबर्नश्रीलंका 274/6 (50 ओवर) भारत 277/4 (48.2 ओवर)ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को 7 विकेट से हराकर वर्ल्ड कप जीता

11वें वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 14 फरवरी 2015 से 29 मार्च 2015 तक
  • मेजबान देश ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड
  • भाग लेने वाले देश 14
  • कुल मैच खेले गए 49
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट मिशेल स्टार्क (ऑस्ट्रेलिया)
  • सबसे अधिक रन 547 – मार्टिन गप्टिल (न्यूजीलैंड)
  • सबसे अधिक विकेट 22 – मिशेल स्टार्क (ऑस्ट्रेलिया) और 22 – ट्रेंट बोल्ड (न्यूजीलैंड)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन ऑस्ट्रेलिया


बारहवां वनडे वर्ल्ड कप (12th One-day World-cup)│इंग्लैंड 2019

12वां वनडे वर्ल्ड कप एक बार फिर इंग्लैंड में आयोजित किया गया। यह पांचवा वनडे वर्ल्ड कप था जो इंग्लैंड में आयोजित किया जा रहा था।

12वां वनडे वर्ल्ड कप इंग्लैंड और वेल्स में 30 मई 2019 से 14 जुलाई 2019 के बीच आयोजित किया गया। इस बार वनडे वर्ल्ड कप का प्रारूप बिल्कुल ही बदल दिया गया था। इस बार वनडे वर्ल्ड कप में केवल 10 देशों ने ही भाग लिया क्योंकि आईसीसी ने वनडे वर्ल्ड कप की क्वालिटी में और सुधार करने के लिए उच्च रैंकिंग वाले 10 देश के बीच ही टूर्नामेंट आयोजित कराने का निर्णय लिया गया था।।

इस टूर्नामेंट का प्रारूप पिछले दो-तीन वर्ल्ड कप टूर्नामेंट से अलग था। इस इस बार 1992 के राउंड रोबिन टूर्नामेंट को ही फॉलो किया गया यानी सभी 10 टीमों को दो अलग-अलग ग्रुपों में नहीं बांटा गया बल्कि सभी 10 टीमों के बीच राउंड रोबिन आधार पर मैच कराए गए। इसका मतलब था कि सभी 10 टीमों में से हर टीम को बाकी 9 टीमों से एक बार मैच खेलने था। 12वें वनडे वर्ल्ड कप में कुल 10 देशों ने भाग लिया जिनके बीच कुल 48 मैच हुए।

12वें वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले 10 देश के नाम इस प्रकार हैं…

  1. भारत
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. इंग्लैंड
  4. न्यूजीलैंड
  5. पाकिस्तान
  6. श्रीलंका
  7. दक्षिण अफ्रीका
  8. बांग्लादेश
  9. वेस्टइंडीज
  10. अफगानिस्तान

टूर्नामेंट का प्रारूप कुछ इस तरह था कि लीग मैचों में टॉप की 4 टीमों को सीधे अगले चरण यानि सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करना था। इस टूर्नामेंट में कोई क्वार्टर फाइनल नही था बल्कि लीग मैचों के बाद सीधे सेमी-फाइनल और फाइनल थे।

लीग मैचों का आरंभ 14 जुलाई 2019 को हो गया, जब पहले मैच में इंग्लैंड और दक्षिणी अफ्रीका खेले। आखिर लीग मैच 6 जुलाई को इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया। लीग मैचों की संख्या कुल 45 थी। लीग मैचों का चरण खत्म होने के बाद भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड ने पहले चार स्थानों में जगह बनाते हुए सीधे सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान की टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गईं। लीग मैचों में भारत ने टेबल को टॉप किया और उसके सबसे अधिक 14 अंक थे। भारत ने लीग मैच में अपने 9 में से से 7 मैच जीते 1 मैच हारा और उसका एक मैच बिना खेल रद्द कर हो गया था। ऑस्ट्रेलिया ने भी सात मैच जीते और दो मैच हारे इसलिए वह टेबल में दूसरे स्थान पर रहा। इंग्लैंड तीसरे तथा न्यूजीलैंड चौथे स्थान पर रहा।

टूर्नामेंट के लीग मैचों की प्वाइंट टेबल

क्रमटीममैचजीतेहारेटाइ/ड्राअंकनेट रन रेटपरिणाम
1भारत971115+0.809सेमीफाइनल में पहुंचे
2ऑस्ट्रेलिया972014+0.868
3इंग्लैंड963012+1.152
4न्यूज़ीलैंड953111+0.175
5पाकिस्तान953111−0.430टूर्नामेंट से बाहर
6श्रीलंका93428−0.919
7दक्षिण अफ्रीका93517−0.030
8बांग्लादेश93517-0.410
9वेस्ट इंडीज92615−0.225
10अफ़ग़ानिस्तान90900−1.322

सेमीफाइनल

सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चार टीमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड थीं।

पहला सेमीफाइनल भारत और न्यूजीलैंड के बीच 9 जुलाई 2019 को मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान में खेला गया। न्यूजीलैंड ने 50 ओवर में 8 विकेट होकर कल 239 रन बनाए। जैसे ही भारत की पारी आरंभ हुई बारिश हो गई, इस कारण मैच उस दिन मैच संपन्न नहीं हो पाया। अगले दिन रिजर्वडे के दिन मैच को खेला गया। जवाब में भारत की टीम 49.3 ओवर में केवल 221 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह न्यूजीलैंड ने 18 रनों से मैच जीत कर लगातार दूसरी बार टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया। वह 2015 के वर्ल्ड कप फाइनल में भी ऑस्ट्रेलिया के साथ खेला था।

दूसरा सेमीफाइनल 11 जुलाई 2019 को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए 49 ओवर में कल 223 रन ही बनाए और उसकी पूरी टीम ऑल आउट हो गई। जवाब में इंग्लैंड की टीम ने 32.8 ओवर में मात्र दो विकेट होकर 226 रन बनाकर 8 विकेट से मैच जीत लिया और वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया। इंग्लैंड चौथी बार वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा था।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
पहला सेमीफाइनल9-10 अप्रेल 2019भारत-न्यूजीलैंडओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टरन्यूज़ीलैंड 239/8 (50 ओवर) भारत 221 (49.3 ओवर)न्यूजीलैंड ने भारत को 18 रन से हराया
दूसरा सेमीफाइनल11 अप्रेल 2019इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलियाएजबेस्टन, बर्मिघमऑस्ट्रेलिया 223 (49 ओवर) इंग्लैंड 226/2 (32.1 ओवर)इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराया

फाइनल

12वें वर्ल्ड कप का फाइनल मैच 14 जुलाई 2019 को इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच लंदन के लॉर्ड्स मैदान में खेला गया। न्यूजीलैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 8 विकेट खोकर कल 241 रन बनाए। जवाब में इंग्लैंड की टीम भी 50 ओवर में 241 रन बनाकर और ऑल आउट हो गई।

इस तरह दोनों टीमों के बीच मैच टाई हो गया। अब मैच का नतीजा निकलने के लिए सुपर ओवर कराया गया। सुपर ओवर में भी दोनों टीमों का स्कोर बराबर रहा यानी इंग्लैंड और न्यूजीलैंड दोनों ने 15-15 रन ही बनाएय़ ऐसी स्थिति में मैच का फैसला करने के लिए बाउंड्री की संख्या को आधार बनाया गया तो इंग्लैंड ने अधिक बाउंड्री लगाई थी, इसी कारण इंग्लैंड को विश्व विजेता घोषित कर दिया गया।

इस तरह इंग्लैंड ने पहली बार वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप का टूर्नामेंट जीता और वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल14 अप्रेल 2019इंग्लैंड-न्यूजीलैंडमेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड, मेलबर्नन्यूजीलैंड 241/8 (50 ओवर) इंग्लैंड 241 (50 ओवर)(टाइ) इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को ज्यादा चौके लगाने के आधार पर हराया

12वें वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया 30 मई 2019 से 14 जुलाई 2019
  • मेजबान देश इंग्लैंड-वेल्स
  • भाग लेने वाले देश 10
  • कुल मैच खेले गए 48
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट केन विलियमसन (न्यूजीलैंड)
  • सबसे अधिक रन 348 – रोहित शर्मा (भारत)
  • सबसे अधिक विकेट 27 – मिशेल स्टार्क (ऑस्ट्रेलिया)
  • टूर्नामेंट का चैंपियन इंग्लैंड


तेरहवाँ वनडे वर्ल्ड कप (13th One-day World-cup)│भारत-2019

13वां वनडे वर्ल्ड कप भारत में 5 अक्टूबर 2023 से 19 नवंबर 2023 के बीच भारत मे खेला गया। इस वनडे वर्ल्ड कप में भी कुल 10 टीमों े भाग लिया।

13वें वनडे वर्ल्ड कप का फॉर्मेट पिछला वर्ल्ड कप पर जैसा ही था यानी सभी 10 टीमों के बीच राउंड रोबिन आधार पर मैच खेलने थे। इस तरह कुल 45 लीग मैचों हुए और तीन मैच नॉक आउट चरण (2 सेमीफाइनल और फाइनल) के हुए।

यह पहला वनडे वर्ल्ड कप है जो पूरी तरह भारत में आयोजित किया गया था। इससे पहले भारत में जो भी तीन वनडे वर्ल्ड कप हुए हैं, वह संयुक्त मेजबानी में हुए हैं यानी भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका भी सह मेजबान रहे थे। इस वनडे वर्ल्ड कप का मेजबान अकेला भारत था।

13वें वनडे वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली 10 टीमें इस प्रकार थीं..

  1. भारत
  2. इंग्लैंड
  3. ऑस्ट्रेलिया
  4. न्यूजीलैंड
  5. पाकिस्तान
  6. श्रीलंका
  7. बांग्लादेश
  8. अफगानिस्तान
  9. दक्षिण अफ्रीका
  10. नीदरलैंड

इस वनडे वर्ल्ड कप में पहले दो कप की वर्ल्ड कप विजेता वेस्टइंडीज की टीम भाग नहीं ले पाई है, क्योंकि वह वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई करने में असमर्थ रही थी। ये पहली बार था कि कोई चैंपियन टीम वनडे वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई तक नही कर पाई।

टूर्नामेंट का उद्घाटन मैच भी 5 अक्टूबर 2023 को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में इंग्लैंड एवं न्यूजीलैंड के बीच खेला गया। टूर्नामेंट का फाइनल मैच 19 नवंबर 2023 को ही अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला गया।

इस टूर्नामेंट का प्रारूप भी पिछले टूर्नामेंट की तरह ही राउंड रोबिन था यानि सभी 10 टीमों को बाकी की 9 टीमों से लीक मैच खेलने थे।  लीग मैचों में टॉप की 4 टीमों को सीधे अगले चरण यानि सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करना था। इस टूर्नामेंट में कोई क्वार्टर फाइनल नही था बल्कि लीग मैचों के बाद सीधे सेमी-फाइनल और फाइनल थे।

लीग मैचों का आरंभ 5 अक्टूबर 2023 को हो गया, जब पहले मैच में अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच उद्घाटन मैच हुआ। आखिर लीग मैच 12 नवंबर 2023 को भारत और नीदरलैंड के बीच खेला गया। लीग मैचों की संख्या कुल 45 थी।

लीग मैचों का चरण खत्म होने के बाद भारत, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने पहले चार स्थानों में जगह बनाते हुए सीधे सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

पिछली चैंपियन इंग्लैंड सहित पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नीदरलैंड और अफगानिस्तान की टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गईं। लीग मैचों में भारत ने टेबल को टॉप किया और उसके सबसे अधिक 18 अंक थे। भारत ने लीग मैच में अपने 9 में से से 9 मैच जीते। भारत टूर्नामेंट की एकमात्र टीम रही जिसने कोई भी लीग मैच नही हारा।

दक्षिणी अफ्रीका ने 9 में 7 मैच जीतकर प्वाइंट टेबल मे दूसरे स्थान पर जगह बनाई। ऑस्ट्रेलिया ने भी सात मैच जीते और दो मैच हारे और वह टेबल में तीसरे स्थान पर रहा। न्यूजीलैंड चौथे स्थान पर रहा।

टूर्नामेंट के लीग मैचों की प्वाइंट टेबल
टीममैच जीतेहारेअंकनेट रन रेट
भारत99018+2.570
दक्षिण अफ़्रीका97214+1.261
ऑस्ट्रेलिया97214+0.841
न्यूजीलैंड95410+0.743
पाकिस्तान9458-0.199
अफगानिस्तान9458-0.336
इंग्लैंड9366-0.572
बांग्लादेश9274-1.087
श्रीलंका9274-1.419
नीदरलैंड9264-1.825

सेमीफाइनल मैच

पहला सेमीफाइनल भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में 15 नवंबर 2023 को खेला गया। भारत ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए कुल चार विकेट खोकर 397 रन बनाए। भारत की तरफ से विराट कोहली और श्रेयस अय्यर ने सेंचुरी मारी। उसके जवाब में न्यूजीलैंड की टीम डेरिल मेशिल के 134 रनों के बावजूद 327 रन बनाकर ऑल आउट हो गई और भारत ने 70 रन से मैच जीत कर फाइनल में प्रवेश किया।

दूसरा सेमीफाइनल दक्षिणी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच 16 नवंबर 2023 को कोलकाता के ईडन गार्डन स्टेडियम में खेला गया। दक्षिण अफ्रीका ने पहले बैटिंग करते हुए 49.4 ओवर में कल 212 रन बनाए और वह और ऑल आउट हो गई। जवाब में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 47.2 ओवर में 7 विकेट पर 2015 रन बनाकर आसानी से मैच जीत लिया। इस तरह फाइनल में भारत और ऑस्ट्रेलिया का आमना सामना होना था।

सेमीफाइनलदिनाँकवेन्यू टीमविजेता
पहला सेमीफाइनल15 नवंबर 2023वानखेड़े स्टेडियम, मुंबईभारत-न्यूजीलैंडभारत
दूसरा सेमीफाइनल16 नवंबर 2023ईडेन गार्डन, कोलकाताऑस्ट्रेलिया-दक्षिण अफ्रीकाऑस्ट्रेलिया

फाइनल

टूर्नामेंट का फाइनल मैच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में 19 नवंबर 2023 को खेला गया। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया भारत ने पहले बैटिंग करते हुए कल 240 रन बनाए और उसकी पूरी टीम 50 ओवर में ऑल आउट हो गई। भारत की तरफ से राहुल ने सबसे अधिक 66 रन के एल राहुल ने बनाए। विराट कोहली ने 54 बनाए। रोहित शर्मा ने 47 रन बनाए। भारत की शुरुआत धुआंधार रही थी लेकिन रोहित शर्मा के आउट होने के बाद भारत की पारी लड़खड़ा गई और उसके सभी खिलाड़ी जल्दी-जल्दी आउट होते गए। कोहली और राहुल केएल राहुल ने पारी को कुछ संभाला लेकिन उनकी पारी बेहद धीमी रही। इसी कारण भारत केवल 240 रन ही बना पाया। जवाब में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने चार विकेट कोकर 43 ओवर में ही 241 रन बनाकर मैच जीत लिया।

ऑस्ट्रेलिया की तरफ से ऑस्ट्रेलिया के ओपनर ट्रेविस हेड ने सबसे अधिक 137 रन बनाए। मार्नस लाबुशेन ने 58 रनों का योगदान दिया। इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6 विकेट से हराकर छठी बार वनडे वर्ल्ड कप जीता।

मैचतारीखटीमेंवेन्यूस्कोरपरिणाम
फाइनल19 नवंबर 2023भारत-ऑस्ट्रेलियानरेंद्र मोदी स्टेडियमभारत 240/10 (50 ओवर) ऑस्ट्रेलिया 241/4 (43 ओवर)ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6 विकेट से हराया

13वें वनडे वर्ल्ड कप की कुछ खास बातें

  • वर्ल्ड कप खेला गया  5 अक्टूबर 2023 से 19 नवंबर 2023 तक
  • मेजबान देश भारत
  • भाग लेने वाले देश 10
  • कुल मैच खेले गए  48
  • प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट ➩ विराट कोहली
  • सबसे अधिक रन ➩ विराट कोहली (भारत) – 765 रन
  • सबसे अधिक विकेट मोहम्मद शमी (भारत) – 24
  • टूर्नामेंट का चैंपियन ऑस्ट्रेलिया


ये भी पढ़ें

बसंत पंचमी को जानें। क्यों मनाते हैं? कैसे मनाते हैं? बसंत पंचमी का अर्थ और महत्व।

वसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक त्यौहार है, जो वसंत ऋतु के आगमन के साथ-साथ विद्या की देवी सरस्वती की आराधना के लिए भी प्रसिद्ध है। बसंत पंचमी का त्यौहार क्यों मनाते हैं? इसे कैसे मनाते हैं? इस दिन क्या किया जाता है। इसके बारे में पूरी तरह जानते हैं…

बसंत पंचमी (Basant Panchami)

बसंत पंचमी बसंत ऋतु का एक प्रमुख त्यौहार है, जो हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। यह त्योहार विद्या की देवी सरस्वती के लिए समर्पित त्यौहार है, क्योंकि इस दिन देवी सरस्वती की पूजा आराधना की जाती है।

देवी सरस्वती विद्या और ज्ञान की देवी हैं, इसलिए जो विद्या के उपासक हैं, जो छात्र हैं, जो शिष्य हैं, जो विद्वान हैं वह सब बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा आराधना करते हैं।

वसंत ऋतु में आने के कारण यह त्यौहार ऋतुओं से भी जुड़ गया है, क्योंकि बसंत ऋतु का आगमन बसंत पंचमी के दिन से ही माना जाता है। इस दिन से वसंत ऋतु का आगमन होता है और चारों तरफ मदमस्त वातावरण छा जाता है। प्रकृति में चारों तरफ पीले-पीले पुष्प खिल उठते हैं। सरसों के पीले-पीले खेत फसल से लहलहा उठाते हैं।

स्त्री-पुरुष पीले वस्त्र पर पहनकर बसंत पंचमी के दिन हर्षोल्लास से बसंत ऋतु का स्वागत करते हैं। जो विद्यार्थी हैं, जो विद्वानजन हैं, विद्या के उपासक है, वह इस दिन विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा आराधना करते हैं और उनसे अपने जीवन में विद्या और बुद्धि देने की प्रार्थना करते हैं।

बसंत पंचमी कब मनाई जाती है?

बसंत पंचमी हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व जनवरी अथवा फरवरी महीने में पड़ता है। सामान्यतः फरवरी के प्रथम अथवा द्वितीय सप्ताह में यह पर्व पड़ता है।

माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से ही वसंत ऋतु का आगमन होता है और इसी दिन वसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है।

वसंत पंचमी का त्यौहार मनाने के पीछे क्या कारण है?

बसंत ऋतु में प्रकृति में जितनी अधिक सुंदरता और होती है और प्रकृति जितनी अधिक सुहानी होती है, उतनी अन्य किसी ऋतु में नहीं होती। बसंत ऋतु में चारों तरफ मदमस्त वातावरण छा जाता है, क्योंकि इसी दिन से बसंत ऋतु का आगमन होता है। इसीलिए वसंत ऋतु के आगमन के दिन को वसंत पंचमी के त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा। वसंत ऋतु का त्योहार हर्षोल्लास के आगमन का प्रतीक है और इस दिन का लोग ऋतुओं की रानी बसंत ऋतु के स्वागत करने लगे हेतु बसंत पंचमी का त्योहार मनाने लगे।

ऋग्वेद में यह वर्णन मिलता है कि देवी सरस्वती जिसकी जीभ पर बैठ जाती हैं, उसकी जीभ पर सरस्वती का वास माना जाता है और वह अत्यंत विद्वान व कुशाग्र विधि का व्यक्ति होता है। जो लोग विद्या को महत्व देते हैं, विद्वान बनना चाहते हैं, जो पुस्तकों को बहुत अधिक पढ़ते हैं, जिनका संबंध लेखन, पठन और साहित्य कार्य से रहता है, वह देवी सरस्वती को अपना इष्ट मानकर उनकी पूजा आराधना करते हैं।

बहुत से विद्यालय में जोकि भारतीय संस्कृति के लिए समर्पित हैं, वहाँ पर भी विद्यार्थियों को देवी सरस्वती की पूजा आराधना करने की जाती है और सरस्वती वंदना गाई जाती है।

बसंत पंचमी मनाने के पीछे पौराणिक मान्यताएं?

बसंत पंचमी का त्यौहार मनाने के पीछे अनेक पौराणिक मान्यताएं भी छुपी हैं। यह त्यौहार पूरी तरह विद्या की देवी सरस्वती के लिए समर्पित कर दिया गया है। भारत के अनेक धार्मिक ग्रंथो में विद्या की देवी सरस्वती और बसंत पंचमी के त्यौहार का वर्णन मिलता है।

यह त्यौहार देवी सरस्वती के जन्मदिन के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है विद्या की देवी सरस्वती का प्रकटीकरण बसंत पंचमी के दिन ही हुआ था। बसंत पंचमी के दिन को उनके आविर्भाव का दिन माना जाता है। उनका आभिर्भाव होने के कारण इस दिन को वागेश्वरी जयंती अथवा श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। वागेश्वरी देवी सरस्वती का ही एक नाम है।

वसंत पंचमी को मनाने के पीछे पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब ब्रह्मा जी ने अपनी किसी समस्या के निवारण के लिए अपने कमंडल से जल लेकर अपनी हथेली पर रखा और संकल्प लिया, फिर उसे जल को छिड़ककर उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना करना आरंभ की तो भगवान विष्णु तत्काल ही उनके सामने प्रकट हुए।

भगवान ब्रह्मा ने भगवान विष्णु को अपनी समस्या बताई। तब भगवान विष्णु ने आदिशक्ति दुर्गा माता का आह्वान किया उनके आह्वान पर भगवती दुर्गा तुरंत प्रकट हुई। तब दोनों देवों में देवी दुर्गा से समस्या के निवारण का निवेदन किया। उनकी समस्या को जानकर आदिशक्ति दुर्गा ने शरीर से श्वेत रंग का एक तेज उत्पन्न हुआ तो वह एक तेज दिव्य नारी के रूप में परिवर्तित हो गया।

उन दिव्य नारी का स्वरूप चतुर्भुजधारी था। उनके चारों हाथों में से एक हाथ में वीणा थी तो दूसरे हाथ में पुस्तक थी। एक हाथ में माला थी तथा चौथा हाथ से उन्होंने वर मुद्रा धारण की हुई थी। जैसे ही वह दिव्य स्वरुप वाली देवी प्रकट हुईं तो प्रकट होते ही उन्होंने अपनी वीणा से मधुर नाद किया, जिससे सृष्टि के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई। पूरे सृष्टि में वाणी की हलचल होने लगी और कोलाहल होने लगा। सृष्टि में शब्द और रस का संचार करने वाली उन देवी को सरस्वती कहा गया।

उनका प्रकटीकरण वसंत पंचमी यानी मार्ग शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ही हुआ था, इसीलिए बसंत पंचमी को माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को देवी सरस्वती के अभिर्भाव दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

बसंत पंचमी का त्यौहार का महत्व

बसंत पंचमी का त्यौहार का पर्व का दिन बेहद शुभ माना गया है। यह सभी शुभ कार्यों के लिए बेहद सर्वश्रेष्ठ दिन है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। बसंत पंचमी का पूरा दिन ही शुभ मुहूर्त माना गया है। यह माघ मास में आता है और माघ मास धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व वाला मानस माना गया है। इसीलिए बसंत पंचमी का त्यौहार भी बेहद शुभ और महत्वपूर्ण त्यौहार है।

बसंत पंचमी का त्यौहार कैसे मनाते हैं?

बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की आराधना की जाती है, इसलिए जो देवी सरस्वती के उपासक हैं, वह इस दिन व्रत धारण करते हैं और देवी के वीणाधारी स्वरूप की मूर्ति अथवा चित्र को अपने घर अथवा संस्थान में बने मंदिर में स्थापित करके उनकी विधि विधान से पूजा करते हैं।

इसी दिन विद्या के उपासक को पूरे दिन व्रत धारण करना चाहिए और स्वयं अथवा किसी ब्राह्मण के द्वारा स्वास्ति वचन करना चाहिए। उसके बाद विधि विधान से गंध, अक्षत, फल, फूल, धूप, दीप नैवेद्य आदि के द्वारा पूजा करनी चाहिए।

देवी सरस्वती के मंत्र की कम से कम एक माला जपनी चाहिए और देवी सरस्वती के स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। पूरे दिन मौन रहकर व्रत धारण करना चाहिए और संध्या के समय ही भोजन करना चाहिए। यदि व्रत नहीं धारण कर रहे हो तो भी विधि विधान से पूजा पाठ करने के बाद ही सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।

देवी सरस्वती को  सफेद पदार्थ का भोग अर्पण करना चाहिए अर्थात उन्हें चावल, दूध से बने पदार्थ का भोग लगाना चाहिए। देवी सरस्वती की विधि-विधान से पूजा पाठ करने पर उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है और वह व्यक्ति विद्या के क्षेत्र में अवश्य विद्वान बनता है।

वसंत पंचमी का ऋतु की दृष्टि से महत्व

बसंत पंचमी का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक त्यौहार है। उत्तर भारत में यह त्यौहार विशेष रूप से प्रसिद्ध है, क्योंकि यहाँ पर इस दिन बसंत की बहार चारों तरफ छाई रहती है। सरसों के पीले पीले खेत लहलहा रहे होते हैं। पीले रंग को हिंदू धर्म में शुभ रंग भी माना गया है। इस दिन सभी लोग पीले वस्त्र धारण कर नृत्य और गान करते हैं और हर्षोल्लास से त्यौहार मनाते हैं। वह अपने घर में तिल से मिठाइयां बनाते हैं। केसर युक्त खीर बनाते हैं, पीले लड्डू बनाते हैं और खाते हं।

वसंत पंचमी संबधी कुछ विशेष तथ्य

  • बसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु का आगमन होता है।
  • वसंत पंचमी के दिन ही भगवान प्रभु श्री राम माता शबरी के आश्रम में गए थे।
  • वसंत पंचमी के दिन ही भगवान शिव ने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से भस्म किया था और उसके बाद कामदेव ने श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लिया था, इसलिए इस दिन कामदेव की भी पूजा की जाती है।
  • वसंत ऋतु के दिन ही राजा भोज का जन्मदिन भी आता है, राजा भोज प्राचीन भारत में परमार वंश के एक प्रसिद्ध राजा थे जो मध्य भारत में मालवा क्षेत्र के आसपास आसपास केंद्रित था।
  • हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्मदिन भी बसंत पंचमी के दिन ही आता है।

ये भी पढ़ें…

श्री गुरुनानक देव जी – सिखों के प्रथम गुरु और भारत के दिव्य संत के जीवन को जानें।

सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी से कौन परिचित नही है। वह भारत के ओजस्वी आध्यात्मिक संत रहें है, जिन्होंने भारत में भक्ति की अलख जगाई और भारत में सिख धर्म की नींव भी रखी। उनके जीवन का आकलन (Guru Nanakdev ji Biography) करते हैं।

हमारे बड़े-बुजुर्ग हमारे लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं होते है। हमारे बुजुर्ग हमारा साथ कभी नहीं छोड़ते है। वह हमेशा हमारे साथ होते है। हमें अपने बुजुर्गों का हमेशा सत्कार करना चाहिए। यह हमेशा हमें अपने जीवन के अनुभव के साथ सिखाते है। बुजुर्ग हमारा साथ कभी नहीं छोड़ते है। हमें अपने बुजुर्गों की बताई हुई बातों को हमेशा याद रखना चाहिए। बुजुर्गों के बिना हमारा कोई वजूद नहीं है। हमें हमेशा उनकी इज्जत करनी चाहिए।

गुरुनानक देव जी का जीवन परिचय (Guru Nanakdev ji Biography)

भारत सदैव से संत और सिद्ध महापुरुषों, ऋषि-मुनियों की धरती रही है। भारत में एक से बढ़कर सिद्ध महात्मा, महान पुरुष रहे हैं। भारत के कुछ प्रसिद्ध संतों की बात की जाए तो उन में से गुरु नानक देव जी एक है।

गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की थी। वह सिखों के पहले गुरु थे। गुरु नानक जी के दोहे आज तक हमें ज्ञान देते है। गुरु नानक जी ने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया। उन्होंने अपने जीवन में मूर्ति पूजा को निरर्थक माना और रूढ़िवादी सोच का विरोध किया।

गुरु नानक जी ने समाज में एकता का प्रचार किया था। सभी को मानवता और दया का पाथ पढ़ाया था। नानक जी के दोहे आज भी हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते है।

गुरु नानकदेव जी का जन्म और परिवार

गुरु नानक देव जी का जन्म पंजाब में रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी नामक गाँव में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हुआ था। तलवंडी नामक गाँव वर्तमान समय मे पाकिस्तान में स्थित है जिसे ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।

कुछ विद्वान के मतानुसार उनकी जन्मतिथि 15 अप्रेल 1469 को मानते हैं, लेकिन सामान्यत उनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा दिवाली के ठीक 15 दिन बाद आती है।

गुरु नानक देव जी के पिता का नाम कल्याण दास बेदी उर्फ कालू चंद्र खत्री था। उन्हें सामान्यतः कालू मेहता कहा जाता था। उनकी माता का नाम तृप्ता देवी था। नानक देव जी का जन्म एक हिंदू पंजाबी खत्री कुल में हुआ। नानक देव जी के दादा का नाम शिवराम बेदी और परदादा का नाम राम नारायण बेदी था। उनके पिता हिंदू ब्राह्मण थे और एक व्यापारी भी थे। गुरु नानक देव जी एक बहन भी थी जिनका नाम नानकी था, जो उनके पाँच वर्ष बढ़ी थीं। सन् 1475 में उनका विवाह हो गया और उनके पति का नाम जयराम जो तत्कालीन दिल्ली सल्तनत के लाहौर प्रांत के गर्वनर दौलत खान के यहाँ अधिकारी थे।

जीवन यात्रा

बचपन से ही गुरु नानक देव जी बेहद प्रखर बुद्धि के धनी थे। उनके अंदर प्रतिभा कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह बचपन से ही सांसारिक जीवन के प्रति उदासीन रहा करते थे और उनका मन ईश्वर के प्रति चिंतन में अधिक लगता था। इसी कारण वह बहुत अधिक शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाए और मात्र 8 वर्ष की आयु के बाद ही उन्होंने पाठशाला त्याग दी और प्रभु के चिंतन में स्वयं को रमा लिया।

अब  वह अपना अधिकतर जीवन आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में बिताते थे। उनके द्वारा ऐसी चमत्कारिक घटनाएं भी हुईं जिससे उनके गाँव के लोग उन्हें दिव्य पुरुष मानने लगे।

मात्र 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह पंजाब के गुरदासपुर जिले के लाखौकी नामक गाँव सुलक्खिनी देवी से हुआ। उसके बाद गुरु नानक देव जी आध्यात्मिक चिंतन करते हुए गृहस्थ जीवन भी व्यतीत करने लगे। विवाह की काफी लंबे समय के बाद 32 वर्ष की आयु में उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जब उनके पहले पुत्र श्रीचंद का जन्म हुआ। उनके बड़े पुत्र के बाद श्रीचंद्रमुनि के नाम से जाना गया जिन्होंने उदासीन संप्रदाय की स्थापना की। पहले पुत्र के जन्म के ठीक 4 वर्ष बाद उनके दूसरे पुत्र लख्मीचंद का जन्म हुआ।

इस तरह दो पुत्रों के जन्म के बाद सन् 1507 ईस्वी में गुरु नानक देव जी ने अपना भरा-पूरा परिवार छोड़ दिया और परिवार का उत्तरदायित्व अपने ससुर को सौंपते हुए वह आध्यात्मिक चिंतन और ईश्वर की खोज में निकल पड़े।

उनके साथ उनके उनके चार शिष्य बाला, मरदाना, लहना और रामदास भी थे। अपने चारों शिष्यों के साथ वह तीर्थ यात्रा के लिए निकल पड़े। वह अनेक स्थानों पर जाते, वहाँ पर सत्संग करते, भजन कीर्तन करते, लोगों को उपदेश देते।

गुरु नानक देव जी अपने चारों शिष्यों के साथ-साथ जगह-जगह घूम कर उपदेश देने लगे। 1507 से 1521 ई के बीच 17 वर्षों में उन्होंने अपने चार यात्रा चक्र पूरे किए, जिसमें उन्होंने भारत सहित अफगानिस्तान, फारस और अरब सहित कई जगहों का भ्रमण किया। उनकी इन आध्यात्मिक यात्राओं को पंजाब सिख धर्म में उदासियां कहा जाता है।

अपनी यह यात्राएं पूरी करते-करते वह एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत बन चुके थे और उनके हजारों लाखों अनुयाई बन चुके थे वह वापस पंजाब लौटकर आ चुके थे और 55 वर्ष की आयु में मैं पंजाब के करतारपुर साहिब में स्थाई रूप से बस गए और अपनी मृत्यु पर्यंत वहीं पर रहे।

बीच-बीच में वह कई छोटी-छोटी यात्राओं पर गए थे, लेकिन उन्होंने अपना स्थाई निवास करतारपुर में ही बना दिया। करतारपुर पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है। ये भारत की सीमा से केवल 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच करतापुर साहिब कारीडोर बना है, जो भारत के जाने वाले सिख तीर्थयात्रियों के लिए बनाया गया है।

करतारपुर में निवास करते-करते इस अवधि में पंजाब और आसपास के क्षेत्र में उनके लाखों अनुयाई बन चुके थे जो उनके द्वारा बताए गए उपदेशों पर चलते थे।

गुरु नानक देव जी ने स्पष्ट रूप से खालसा पंथ यानी सिख धर्म की नींद नहीं रही की थी, लेकिन उनके द्वारा एक नई परंपरा का प्रचलन हो गया था और इसी परंपरा के उत्तराधिकारी के तौर पर उन्होंने अपने शिष्य लहना को चुना और उनका नाम बदलकर गुरु अंगद देव रखा गया, जो सिखों के दूसरे गुरु कहलाए।

देहावसान

अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करने के कुछ समय बाद ही गुरु नानक देव जी का देहावसान 22 सितंबर 1539 को 70 वर्ष की आयु में करतारपुर साहिब में ही हो गया। करतारपुर में उनका स्मृति में एक विशाल गुरुद्वारा है।

उनके देहावसन के संबंध में एक कथा प्रचलित है कि जब उनका देहावसान हुआ तो उनके शिष्य हिंदू और मुसलमान दोनों धर्म से थे तो दोनों उनके दाह संस्कार को लेकर आपस में झगड़ने लगे। इसलिए जब उन्होंने उनके शरीर को ढकने वाली चादर को खींचा गया तो वहाँ पर गुरु नानक देव जी का शरीर नहीं मिला और वहाँ पर उन्हें फूलों का ढेर मिला।

गुरनानक देव जी के सिद्धांत

एक ओंकार : एक ओंकार का अर्थ है, ईश्वर एक है, ईश्वर का नाम एक ही है, ईश्वर हम सब के अंदर है हमें ईश्वर को बाहर नहीं खोजना चाहिए। गुरु नानक जी कहते थे कि एकता और एकपन में भूत ताक़त होती है।

सतनाम : सतनाम का अर्थ होता है, सत्य का नाम। हमेशा सत्य और ईमानदारी और दया, धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए। अंत में हमारे कर्म हमारे साथ जाते है।

करता करीम : नानक जी ने हमेशा समझाते थे, ईश्वर की कृपा, दया और उनकी महर हमेशा हमारे ऊपर बनी रहती है।

नाम जपो : गुरु नानक जी ने हमेशा नाम का भजन-सिमरन करने को कहा है। नाम का सिमरन करने से आत्मा को शांति और आनंद मिलता है।

गुरुनानक देव जी की शिक्षाएं

गुरु नानक देव जी ने सदैव ईश्वर एक है, यानी एक ओंकार यानी ईश्वर एक है पर जोर दिया। गुरु नानक देव जी कहते हैं की सदैव ईश्वर की उपासना करो ईश्वर एक है और वह सर्वत्र व्याप्त है।

नानक देव जी के अनुसार ईश्वर सर्वशक्तिमान है और इस सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपासना करने वाले को अन्य किसी का भय नहीं रहता।

नानक देव जी कहते हैं कि अपना जीवन सदैव ईमानदारी से निर्वाह करना चाहिए। ईमानदारी से परिश्रम करके अपने जीवन को सात्विक तरीके से बिताना चाहिए।

नानक देव जी के अनुसार कभी भी ना तो कोई बुरा कार्य करने के बारे में सोचें और ना ही कोई बुरा कार्य करें।

नानक देव जी कहते हैं कि कभी किसी को न सताएं। ना किसी को दिल दुखाएं। किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं।

नानक देवी जी कहते हैं कि अपनी गलतियों के लिए बिना किसी संकोच के सदैव ईश्वर से क्षमा मांग लेनी चाहिए।

नानक देव जी कहते हैं कि अपने परिश्रम से कमाए हुए धन से कुछ हिस्सा कि जरूरतमंदों और गरीबों की सहायता के लिए अवश्य देना चाहिए।

नानक देव जी के अनुसार स्त्री-पुरुष में कोई भेद नहीं होता। स्त्री और पुरुष दोनों समान हैं। नानक देव जी ने जाति प्रथा को भी पूरी तरह नकार दिया था। उनके अनुसार समाज में कोई ऊँचा-नीचा नहीं होता, सब बराबर हैं।

नानक देव जी किसी भी तरह लोभ-लालच और संग्रह करने की प्रवृत्ति से दूर रहने की शिक्षा देते हैं। उनके अनुसार केवल उतना ही रखना चाहिए जिससे वर्तमान जरूरत पूरा हो। किसी भी तरह का संग्रह करने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए क्योंकि संग्रह करने की प्रवृत्ति मन में लोभ-लालच को जन्म देती है और लोभ-लालच पतन की ओर ले जाता है।

गुरु नानक देव जी से संबंधित के जीवन से संबंधित प्रमुख बातें

  • नानक देव जी का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। उनका जन्म पाकिस्तान के तलवंडी नामक गांव में हुआ जो वर्तमान समय में नानकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।
  • नानक देव जी एक हिंदू परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता हिंदू ब्राह्मण खत्री थे, लेकिन नानक देव जी ने जीवन पर्यंत ना तो स्वयं को हिंदू-मुस्लिम से परे माना।
  • नानक देव जी के अंदर बचपन से ही प्रतिभा कूट-कूट कर भरी थी, जितनी समय वह पाठशाला में पढ़े, अपनी सहज बुद्धि से शिक्षकों के प्रश्नों का उत्तर तुरंत दे देते थे और कभी-कभी अपने शिक्षकों से विचित्र सवाल भी पूछ लेते थे, जिनका जवाब उनके शिक्षकों के पास नहीं होता था।
  • नानक देव जी बचपन से ही सांसारिक विषय वासनाओं से उदासीन रहा करते थे और उनका अधिकतर समय ईश्वर के चिंतन और सत्संग में व्यतीत होता था।
  • नानक देव जी ने बचपन से ही कुछ ऐसी चमत्कारिक घटनाएं करनी शुरू कर दी थी, जिससे लोग उन्हें दैविक शक्ति से युक्त दिव्य पुरुष मान्य लगे थे।
  • नानक देव जी का विवाह 16 वर्ष की आयु में ही हो गया था और 32 वर्ष की आयु में उनके श्रीचंद नाम के पहले पुत्र तथा 36 वर्ष की आयु में लक्ष्मीदास नाम के दूसरे पुत्र हुए।
  • उनके पहले पुत्र श्रीचंद ने उदासी नामक संप्रदाय की स्थापना की थी।
  • नानक देव जी ने 1507 ई से 1521 ई के बीच 17 वर्ष तक विश्व के कई प्रमुख स्थान का भ्रमण किया, जिनमें भारत के अलावा अफगानिस्तान, ईरान, फारस (वर्तमान ईरान) अब जैसे स्थान शामिल थे। वह अरब के मक्का भी गए थे।
  • नानक देव जी ने सदैव ‘इक ओंकार’ का नारा दिया यानी ईश्वर एक है।
  • नानक देव जी ने ही सार्वजनिक रसोई की परंपरा शुरु की जो बाद में सिख धर्म में लंगर का नाम से प्रसिद्ध हुई। आज लंगर और सिख धर्म के एक-दूसरे पर्याय बन चुके हैं।
  • नानक देव जी ने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य लहना अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था जो बाद में गुरु अंगद देव कहलाए।

ये भी पढ़ें

टूथपेस्ट के बॉटम पर लगे हुए लाल, नीले और हरे चौकोर निशान का मतलब समझें।

टूथपेस्ट खरीदते समय टूथपेस्ट के रैपर पर बॉटम मे एक निशान बना होता है, जो लाल, नीला या हरा होता है। इन निशानों (Red Blue and Green Mark on Toothpaste Meaning) का टूथपेस्ट पर क्या अर्थ है, आइए समझते हैं…

टूथपेस्ट पर अंकित लाल नीले काले और हरे निशानों का मतलब (Red Blue and Green Mark on Toothpaste Meaning)

टूथपेस्ट का उपयोग सभी करते हैं, चाहे कोई किसी भी ब्रांड का टूथपेस्ट क्यों ना हो। हर किसी का अपना-अपना पसंदीदा ब्रांड है। टूथपेस्ट हर किसी के जीवन का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन बहुत से लोगों को अपने दाँतों को साफ करने के लिए मुँह की दुर्गंध को दूर करने के लिए टूथपेस्ट हर किसी के काम आता है। टूथपेस्ट हर किसी की जरूरत है, लेकिन लोगों को अपनी इस बेहद जरूरी और दैनिक उपयोग वाली वस्तु के विषय में बहुत सी जानकारियां पता नहीं होती।

आजकल टूथपेस्ट में नमक है, टूथपेस्ट में लांग हैं, टूथपेस्ट में नीम है अथवा तरह-तरह की औषधीय मिली हुई हैं, ऐसे दावे करते हुए अनेक तरह के ब्रांड बाजार में हैं। लेकिन इसी टूथपेस्ट को जब हम खरीदते हैं तो टूथपेस्ट के पीछे बॉटम के चपटे हिस्से में एक रंग-बिरंगा चेक का निशान होता है। उस मार्क का मतलब क्या है, यह कभी किसी ने गौर नहीं किया।

यह निशान लाल, नीले, हरे अथवा काले रंग का चौकोर निशान होता है। इस निशान के पीछे भी एक अर्थ होता है, यह बहुत से लोगों को पता नहीं। आईए जानते हैं टूथपेस्ट की ट्यूब के पतले हिस्से पर अंकित इस लाल, हरे, नीले अथवा काले निशान का मतलब क्या होता है। इन निशानों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आप किस क्वालिटी का टूथपेस्ट खरीद रहे हैं।

लाल निशान

अगर आपके टूथपेस्ट पर लाल निशान दिखाई दे तो इसका मतलब यह नहीं है कि नॉनवेज टूथपेस्ट है यानि उसको बनाने में कुछ मांसाहारी तत्वों को मिलाया  गया है। हमें पता है कि खाने पीने की वस्तुओं पर लाल रंग का मार्क नॉनवेज खाद्य पदार्थ होने का संकेत देता है। लेकिन टूथपेस्ट के संदर्भ में यह अलग अर्थ रखता है।

टूथपेस्ट पर लाल निशान होने का मतलब है कि टूथपेस्ट में केमिकल का भी उपयोग किया गया है। इसमें नेचुरल पदार्थों के अलावा केमिकल पदार्थ भी डाले गए हैं। ये टूथपेस्ट मिक्स पदार्थों को मिलाकर बनाया गया है। इस तरह यह टूथपेस्ट ना तो बहुत खराब है और ना ही बहुत अच्छा है।

नीला निशान

मुझे निशान का मतलब है कि इस टूथपेस्ट में नेचुरल तत्वों के साथ-साथ कुछ मेडिसनल गुणों से युक्त तत्व भी डाले गए हैं। ये तत्व दाँतों की बीमारी से संबंधित किसी दवा से संबंधित हो सकते हैं। यह टूथपेस्ट उपयोग करने के लिए ठीक रहता है। खासकर जब दाँतो की कोई बीमारी हो।

काला निशान

इस टूथपेस्ट का मतलब है कि इस टूथपेस्ट में बहुत अधिक केमिकल का इस्तेमाल किया गया है और यह टूथपेस्ट खरीदने से बचना चाहिए। यह टूथपेस्ट सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे टूथपेस्ट दाँतों को तुरंत लाभ देने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनका लंबे समय तक उपयोग करना नुकसानदायक हो सकता है।

हरा निशान

यह टूथपेस्ट सबसे अधिक उपयोगी और सेफ माना गया है। हरे रंग के निशान वाले टूथपेस्ट का मतलब है कि यह पूरी तरह प्राकृतिक चीजों से बनाया गया है। यह टूथपेस्ट पूरी तरह नेचुरल है और औषधि गुनों वाली वनस्पतियों से इसे बनाया गया है। प्योह हर्बल टूथपेस्ट पर अक्सर ऐसा निशान होता है।

तो आप भविष्य में जब कभी भी टूथपेस्ट खरीदने जाए तो उसके बॉटम पर अंकित चौकोर निशान को अवश्य देख लें ताकि आपको अंदाजा हो जाए कि आप किस तरह का टूथपेस्ट खरीद रहे हैं।


ये भी पढ़ें

पपीता के लाजवाब फायदे और गुण – पपीता खाएं सेहत बनाएं

पपीता एक ऐसा फल है जो अपने कमाल के सेहतमंद गुणों के लिए जाना जाता है। पपीते क्या लाजवाब गुण (Know papaya benefits) हैं, ये सेहत के लिए कितना फायदेमंद है? आइए जानते हैं।

पपीता क्या है?

पपीता एक ऐसा फल है जो बहुत ही आसानी से कहीं भी मिल सकता है। यहाँ तक कि आप घर के आस-पास थोड़ी-सी जगह होने पर वहां भी लगा सकते हैं। पपीता को कच्चा या पका दोनों अवस्थाओं में खा सकते हैं। कच्चा हो या पका पपीता के औषधीय गुणों के कारण ये कई बीमारियों के लिए उपचारस्वरुप प्रयोग किया जाता है।

पपीता के गुण

आयुर्वेद में पपीता के पौष्टिक गुणों के कारण इसको दाँत और गले के दर्द के साथ-साथ दस्त, जीभ के घाव,दाद, सूजन जैसे अनेक बीमारियों के लिए औषधि के रुप प्रयुक्त किया जाता है।

पपीता का पेड़ हल्के छोटे और आसानी से उगने वाले होते हैं। पपीता के फल विभिन्न आकार के, गोलाकार अथवा बेलनाकार, कच्ची अवस्था में हरे तथा  पकने के बाद पीले रंग के हो जाते हैं। फलों के अन्दर काले धूसर रंग के गोल मरिच जैसे बीज रहते हैं। इसकी फलमज्जा पकने पर पीली तथा मीठी होती है।

इस पौधे के किसी भी भाग में हल्का खरोंच आने पर भी दूध जैसा पदार्थ निकलने लगता है, जिसको आक्षीर कहते है। पपीता कच्चा हो या पका उसमें इतने सारे मिनरल, विटामिन, प्रोटीन, एनर्जी आदि है कि वह बहुत सारे रोगों के लिए फायदेमंद साबित होता है।

पपीता प्रकृति से कड़वा, गर्म, तीखा, कफ और वात कम करने वाला और जल्दी हजम होने वाला होता है। पपीता का क्षीर या कच्चे पपीते को काटने से जो दूध निकलता है वह पाचक होता है। पपीता  का कच्चा फल  थोड़ा कड़वा तथा मधुर होता है। और पका हुआ फल मधुर, पित्त कम करने वाला, सूजन का दर्द कम करने वाला, वात को कम करने के साथ – साथ रक्त को भी शुद्ध करता है।

यह विष हरने वाला, बल बढ़ाने वाला, पसीना निकालने वाला तथा कुष्ठनाशक होता है। पपीता का वानस्पतिक नाम है कैरिका पपाया। पपीता Caricaceae (कैरीकेसी) कुल का होता है। पपीता को अंग्रेजमें Papaya (पपाया) कहते हैं।

पपीता के फायदे (Know papaya benefits)

पपीता में विटामिन ए, विटामिन सी, फाइबर, पोटाशियम, एनर्जी जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं। जिसके कारण आयुर्वेद में पपीते के पत्ते, बीज, जड़ और फल सब का रोगों के उपचार के तौर पर प्रयोग किया जाता है।

मुँह के छालों को ठीक करने में फायदेमंद पपीता

कई बार किसी दवाई के एलर्जी के कारण,  किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के वजह से या शरीर में किसी विटामिन की कमी से मुंह में छाले या घाव होने लगते हैं। इस परेशानी से राहत पाने के लिए पपीते का इस्तेमाल ऐसे करने पर आराम मिलता है। पपीते के दूध या आक्षीर को जीभ पर लगाने से जीभ पर होने वाला घाव जल्दी भर जाते हैं।

दाँत दर्द में लाभकारी पपीता

अगर दाँत दर्द से परेशान हैं तो पपीते का इस तरह से सेवन करने पर जल्दी आराम मिलता है। पपीते से प्राप्त दूध को रूई में लपेटकर लगाने से दाँत का दर्द कम होता है।

कंठरोग से दिलाये राहत पपीता

कई बार ठंड लगने के कारण गले में दर्द या सूजन हो जाती है लेकिन पपीता से बनाये गए घरेलू उपाय का प्रयोग करने से जल्दी आराम मिलता है। पपीता से प्राप्त आक्षीर या दूध को जल में मिलाकर गरारा करने से गले के रोगों में लाभ होता है।

कमजोरी दूर करने में मदद करता है पपीता

अगर लंबे बीमारी के कारण या पौष्टिकता की कमी के वजह से कमजोरी महसूस हो रही है तो पपीता का इस तरह से सेवन करने पर लाभ  (papaya benefits)मिलता है। पपीता के कच्चे फलों का साग बनाकर सेवन करने से अग्निमांद्य (Dyspepsia) तथा कमजोरी में लाभ होता है। कहने का मतलब यह है कि पपीता खाने के फायदे कमजोरी दूर होने में मदद मिलती है।

दस्त रोके पपीता

अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का  नाम ही नहीं ले रहा तो पपीता का घरेलू उपाय बहुत काम आता है। पके बीजों का सेवन चावल के साथ करने से अतिसार या दस्त में फायदा पहुँचता है। इसके अलावा कच्चे फल का साग बनाकर सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है।

बवासीर में फायदेमंद पपीता

आजकल के असंतुलित खान-पान के वजह से बवासीर की समस्या बढ़ने लगी है। इसके दर्द से राहत पाने में पपीता बहुत फायदेमंद साबित होता है। पपीता के कच्चे फलों से प्राप्त आक्षीर या दूध को अर्श के मस्सों पर लगाने से बवासीर में लाभ होता है। इसका प्रयोग चिकित्सकीय परामर्शानुसार करना चाहिए।

लीवर-प्लीहा से जुड़े रोगों में लाभकारी है पपीता

अगर कोई लीवर और स्प्लीन संबंधी बीमारियों से परेशान है तो पपीता का सेवन करना फायदेमंद साबित हो सकता है। पपीता के फलों का सेवन करने से रक्तार्श, यकृत् तथा प्लीहा – विकारों का शमन होता है। लकवा के लक्षणों से दिलाये राहत पपीता लकवा होने पर जो परेशानियां होती है उससे राहत दिलाने में पपीता काम करता है। पपीता के बीजों से तेल बनाकर, छानकर मालिश करने से लकवा तथा अर्दित (मुँह का लकवा) में लाभ होता है।

त्वचा-विकार से दिलाये राहत पपीता

आजकल के तरह-तरह के नए-नए कॉज़्मेटिक प्रोडक्ट के दुनिया में त्वचा रोग होने का खतरा भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। पपीता के द्वारा बनाये गए घरेलू उपाय चर्म या त्वचा रोगों से निजात दिलाने में मदद करते हैं। पौधे से निकलने वाले आक्षीर को सिध्म, गोखरू, अर्बुद, गाँठ तथा चर्म रोगों में लगाने से लाभ होता है।

दाद-खुजली से दिलाए आराम पपीता

आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में दाद-खुजली रोग होने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। हर कोई किसी न किसी त्वचा संबंधी परेशानी से ग्रस्त हैं। पपीता इन सब परेशानियों को कम करने में मदद करता है। पपीता के बीजों को पीसकर, उसमें ग्लिसरीन मिलाकर दाद पर लगाने से दाद तथा खुजली में लाभ होता है। इसके अलावा इसके फलों से प्राप्त आक्षीर को लगाने से दाद तथा खुजली की परेशानी कम होती है।

सूजन को करें कम पपीता

अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो पपीता के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है।  पपीता के फल मज्जा को पीसकर लगाने से सूजन कम होती है।

कोलेस्ट्रॉल कम करने में फायदेमंद पपीता

पपीता  सेवन कोलेस्ट्रॉल को कम  करने में आपकी मदद कर सकता है क्योकि रिसर्च के अनुसार पपीता में एंटीऑक्सीडेंट का गुण पाया जाता है जो की कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करता है।

रोग प्रतिरक्षक क्षमता बढ़ाने में सहायक पपीता

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पपीता का सेवन आपके लिए एक अच्छा साधन हो सकता है क्योंकि रिसर्च के अनुसार पपीता में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का गुण पाया जाता है।

आँखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक

पपीता पपीते में विटामिन ए और सी पाए जाने के कारण यह आँखों के लिए भी लाभकारी होता है।

पाचन तंत्र को सक्रिय करने में सहायक पपीता

पपीते की दीपन और पाचन गुण के कारण यह पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है साथ ही  पपीता में रेचन यानि लैक्सटिव का गुण भी पाया जाता है  जो कि कब्ज को भी दूर करने में मदद करता है। पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से दिलाये राहत पपीता पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द वात दोष के अधिक बढ़ने के कारण होता है। पपीते में वात शामक गुण पाए जाने के कारण यह इसमें राहत देता है।

वजन घटाने में मददगार पपीता

पपीता अपने दीपन, पाचन और रेचन गुण के कारण वजन घटाने में मदद करता है। इससे पाचन स्वस्थ होता है एवं शरीर के सभी विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।

डायबिटीज के लक्षणों से दिलाये राहत पपीता

डायबिटीज के लक्षणों को कम करने में पपीता के बीज का सत्व फायदेमंद हो सकता है क्योंकि एकरिसर्च के अनुसार  इसमें एंटी डायबिटिक का गुण होता है।

तनाव को कम करने में मददगार पपीता

अगर आपको किसी प्रकार का या आप डिप्रेशन के शिकार है तो पपीता का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि एक रिसर्च केअनुसार पपीता में एंटी डिप्रेशन के गुण पाए जाते है।

गठिया के दर्द से दिलाये राहत पपीता

गठिया का रोग वात दोष के बढ़ने के कारण होता है। पपीते में पाए जाने वाले वात शामक गुण इस रोग के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है।

बिच्छू के काटने पर पपीते का प्रयोग

बिच्छू के काटने पर उसके असर को कम करने में पपीता मदद करता है। पपीते के कच्चे फल से प्राप्त आक्षीर या दूध को दंश-स्थान पर लगाने से वृश्चिक या बिच्छू दंशजन्य विषाक्त प्रभाव कम  होता है।

मासिक धर्म में कम ब्लीडिंग होने पर पपीता फायदेमंद

पपीता के उपयोगी भाग पपीते के फल, पत्ते, बीज, जड़ और आक्षीर का इस्तेमाल औषधि के लिए किया जाता है।

पपीता का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए ?

बीमारी के लिए पपीता के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए पपीता का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

पपीता से चेहरे के अनचाहे बालों से मुक्ति

पपीता में पैपैन एंजाइम होता है, जो बालों को बढ़ने से रोकता  है। इसका उपयोग करने से आपके बालों का बढ़ना कम हो जाता है, और वे जल्दी दिखाई नहीं पड़ते। पपीता संवेदनशील त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है। इसके उपयोग से आप हमेशा के लिए इस समस्या से निजात पा सकते हैं।

यह अनचाहे बाल हटाने का बहुत ही सटीक तरीका है। इसके लिए 1-2 टी-स्पून पपीता और 1/2 टी-स्पून हल्दी पाउडर लें। सबसे पहले पपीता को छीलकर मिक्सी में पीस लें। इस पेस्ट में हल्दी मिलाएं। पेस्ट को 15 मिनट के लिए फेस और गर्दन में अच्छे से लगायें। कुछ देर बाद पानी से धो लें। इस पेस्ट का इस्तेमाल हफ्ते में 2 बार करें।

पपीते से करें डेंगू बुखार का इलाज

पपीते के पत्ते डेंगू बुखार में बहुत लाभदायक होते हैं। अगर आपको डेंगू बुखार के लक्षण नजर आते हैं तो चिकित्सक की सलाह के अनुसार इसका सेवन करें। पपीते में मौजूद पोषक तत्वों और कार्बनिक यौगिकों का मिश्रण प्लेटलेट्स की संख्या में वृद्धि करता है।

पपीता कहाँ पाया और उगाया जाता है ?

पपीता का मूल रूप से दक्षिण अमेरिका से आया है। 400 वर्ष पूर्व पोर्तुगीज लोगों के द्वारा यह भारत में लाया गया। मालूम होता है पहले यह दक्षिण भारत के केरल देश में आया है। केरल निवासी इसे कप्पकाय‘ कहते हैं। इसका मूल उत्पत्ति स्थान दक्षिण अमेरिका है, किन्तु अब तो यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में न्यूनाधिक प्रमाण में घरों में और बागों में पाया जाता है। मुंबई, पूना, बंगलौर, चेन्नई और राँची के पपीते प्रसिद्ध और उत्तम माने जाते हैं।

तो आज हमने जाना कि पपीते के बहुत सारे गुण हैं, इसके फायदों की तो बात ही निराली है। यदि हम पपीते को अपने दैनिक डाइट में शामिल कर लें तो सेहत के लिए किसी वरदान से कम नही होगा।


ये भी पढ़ें

जगजीत सिंह : ग़ज़ल सम्राट – चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश, जहाँ तुम चले गए। (जीवन स्कैन)

जगजीत सिंह : ग़ज़ल सम्राट (Jagjit Singh)

जगजीत सिंह (Jagjit Singh) जो ‘ग़ज़ल सम्राट’, ‘ग़ज़ल के बादशाह’ जैसे नामों से नवाजे जाते हैं। गज़़ल के क्षेत्र में उनका जो स्थान है, वैसा स्थान भारत में कोई नहीं बना पाया। जो ग़ज़ल विधा को एक नई ऊँचाइयाँ दी है, उनके याद करते हैं…

जगजीत सिंह जो अपनी मखमली आवाज के जादू में सबको मदमस्त करते थे, वह 10 अक्टूबर 2011 को इस दुनिया से चले गए। उनकी यादें आज भी सब गजल प्रेमियों के दिल में बसी हुई हैं।

जगजीत सिंह भारत के एक महान ग़ज़ल कार थे। उन्होंने ग़ज़ल को जिस ऊँचाई तक पहुंचाया उस कारण उन्हें ग़ज़ल सम्राट ग़ज़ल के बादशाह आदि उपाधियों से विभूषित किया जाता था। उनके जैसा ग़ज़ल कार भारत में इससे पहले कोई नहीं हुआ और आगे भविष्य में ना कोई होगा यह बात भी तय है।

ग़ज़ल को आधुनिक और लोकप्रिय रूप देने का श्रेय अगर भारत में किसी को जाता है तो वह उसका नाम जगजीत सिंह है। जगजीत सिंह से पहले ग़ज़ल केवल एक खास वर्ग तक ही सीमित थी, लेकिन जगजीत सिंह ने ग़ज़ल में अनोखे प्रयोग करके और अपनी मखमली आवाज के जादू से ग़ज़ल को हर वर्ग में खासकर युवा वर्ग में बेहद लोकप्रिय बनाया।

जन्म

जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में एक सिख परिवार में हुआ था। जगजीत सिंह के पिता का नाम अमर सिंह धमानी था। वे राजस्थान के गंगानगर में एक सरकारी कर्मचारी थे। मूलतः वेे पंजाब के रोपड़ जिले के रहने वाले थे।

जगजीत सिंह के पिता ने सिख धर्म अपनी स्वेच्छा से स्वीकार किया था, उससे पहले वह हिंदू धर्म से संबंध रखते थे। जगजीत सिंह के बचपन का नाम ‘जीत’ था।

उनकी आरंभिक शिक्षा श्रीगंगानगर के खालसा विद्यालय में हुई थी और उसके बाद उन्होंने जालंधर की ओर रुख किया और वहाँ से डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। जगजीत सिंह के पिता भी संगीत में रुचि रखते थे। इसीलिए संगीत उन्हें विरासत में मिला था। श्रीगंगानगर में ही उन्होंने पंडित छगनलाल शर्मा से लगभग 2 साल तक शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली और संगीत के क्षेत्र में अपने कदम रख दिये।

हालाँकि उनके पिता उन्हे आईएएस बनाना चाहते थे, लेकिन जगजीत सिंह के मन में तो संगीत के बीज पढ़ चुके थे और उन पर गायक बनने की धुन सवार हो गई थी। वह श्रीगंगानगर में ही कार्यक्रमों छोटा-मोटा गायन करने लगे और अपनी पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने अपनी गायन प्रतिभा को निरंतर निखारा और अनेक छोटी-मोटी प्रस्तुतियां दी।

गायन के प्रति उनकी रुचि देखकर उनके मित्रों और शुभचिंतकों की सलाह पर वह 1965 में मुंबई आ गए। मुंबई में आरंभिक दिनों में उन्होंने काफी संघर्ष किया। उन्होंने विज्ञापनों के लिए जिंगल कर उन्होंने अपने संघर्ष का समय काटा। यह उनके संघर्ष का दौर था।

धीरे-धीरे वह मुंबई में उन्हें काम मिलने लगा, लेकिन जैसा काम वे चाहते थे और जिस तरह की आशाएं पालकर में मुंबई आए थे, वैसा अभी तक कुछ हुआ नहीं था। उन्होंने कई फिल्मों में संगीत भी दिया लेकिन उस समय उनके द्वारा दी गई संगीत दी गई फिल्में खास चली गई और उनका संगीत औसत दर्जे का ही रहा। उन्हें सही सफलता फिल्म साथ-साथ में उनके द्वारा दिये गये संगीत और गानों से मिली उसके बाद प्रेमगीत फिल्म का उनका गीत ‘होठ से छू लो तुम’ गीत काफी लोकप्रिय हुआ। फिल्म ‘अर्थ’ में उनके द्वारा गायी सभी ग़ज़लें बेहद लोकप्रिय हुईं। इस फिल्म में संगीत भी उन्होने ही दिया। फिल्मों गाने या ग़ज़लों के मामले में उन्हें बहुत अधिक विशेषता नही मिली थी। कुछ फिल्में उनके द्वारा गायी ग़ज़लें/गाने बेहद लोकप्रिया हुईं।

फिल्मों में उनके द्वारा गाये कुछ गीत और ग़ज़ल बेहद लोकप्रिय हुए जोकि इस प्रकार हैं…

  • साथ-साथ ➩ तुमको देखा तो ये ख़्याल आया, जिंदगी धूप तुम घना साया
  • साथ-साथ ➩ प्यार मुझसे किया तुमने तो क्या पाओगी
  • साथ-सात ➩ ये तेरा घर ये मेरा घर
  • अर्थ ➩ झुकी-झुकी सी नज़र बेकरार है कि नही
  • अर्थ ➩ तुम जो इतना मुस्कुरा रहे हो
  • अर्थ ➩ तेरी खुश्बू में बसे खत
  • प्रेमगीत ➩ होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो
  • दुश्मन ➩ चिट्ठी ना कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गये,
  • जॉगर्स पार्क ➩ बड़ी नाजुक है यह मंजिल, मोहब्बत का सफर है
  • सरफरोश ➩ होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है
  • ट्रैफिक सिग्नल ➩ हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते
  • तुम बिन ➩ कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो
  • तरकीब ➩ किसका चेहरा अब मैं देखूं, तेरा चेहरा देखकर
  • नरगिस ➩ मैं कैसे कहूँ जानेमन, तेरा दिल सुने मेरी बात

ग़जलों का सफर

मुंबई में छोटे-मोटे कार्यक्रमों में गजलें गाने के दौरान और संगीत सीखने की प्रक्रिया के दौरान उनकी मुलाकात 1967 में चित्रा सिंह से हुई, जो खुद गायन करती थीं और शादीशुदा थीं।

2 साल तक दोनों का प्रेम प्रसंग चला। चित्रा सिंह की पहली शादी एक असफल शादी थी, इसीलिए उनका उनके पति से तलाक हो गया और 1969 में जगजीत सिंह ने चित्रा सिंह से विवाह कर लिया।

ग़ज़लों के क्षेत्र में दोनों को सबसे पहली से सफलता तब मिली जब 1975 में एचएमवी कंपनी ने जगजीत सिंह और चित्रा का पहला एल्बम ‘द अनफॉरगेटेबल’ निकाला।

उसके बाद जगजीत सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और दोनों ग़ज़ल युगल के अनेक एल्बम आए। दोनों पति पत्नी साथ गाते रहे और लोकप्रियता के शिखर पर चढ़ते चले गए।

1987 में जगजीत सिंह ने डिजिटल सीडी एल्बम ‘बियोंड टाइम्स’ निकाला जो किसी भारतीय संगीतकार द्वारा निकाला गया पहाल सीडी एल्बम था।

1991 में जगजीत सिंह के पुत्र विवेक सिंह की मृत्यु के बाद चित्रा सिंह ने गायन छोड़ दिया। जगजीत सिंह भी कई महीनों तक सदमे में रहे और कुछ महीनों के बाद दुख से उबलने के बाद उन्होने दोबारा गायन शुरु किया लेकिन चित्रा सिंह फिर कभी नही गा पाईं।

फिल्मों में अर्थ और साथ-साथ फिल्मों में उन्होंने लगभग सभी गाने गाए थे और सभी गाने नगर बेहद लोकप्रिय हुए थे। जगजीत सिंह की प्रमुख एल्बम के नाम इस प्रकार हैं

  • द अनफॉरगेटेबल (The Unforgettable) 1975
  • एटर्निटी (Eternity) 1978
  • ए माइलस्टोन (A Milestone) 1980
  • मैं और मेरी तन्हाई (Mai Aur Meri Tanhai) 1981
  • दे लेटेस्ट (The Latest) 1982
  • द गोल्ड डिस्क (The God Disk)1983
  • ए मेरे दिल (Ye Mere Dil)1983
  • एस्कटेसिस (Ecstasies) 1984
  • ए साउंड अफेयर (A Sound Affair) 1985
  • इकोस (Echoes) 1986
  • समवन समव्हेयर (Someone Somewhere) 1986
  • पैशन (Passion) 1987
  • बियोंड टाइम्स (Beyond Times)1987
  • द अनफॉरगेटेबल हिट्स (The Unforgettable Hits) 1987
  • मिर्जा गालिब (Mirza Ghalib)1988 (टीवी सीरियल)
  • डिज़ायर्स (Desires) 1989
  • इमोशंस (Emotions) 1989
  • महफिल (Mehfil) 1990
  • मेमोरेबल ग़ज़ल (Memorable Ghazals) 1990
  • सज़दा (Sazda) 1991
  • होप (Hope) 1991
  • कहकशां (Kahakashan)1991 (टीवी सीरियल)
  • इन सर्च (In Search)1992
  • विजन (Vision) 1992
  • अदा (Adaa)1992
  • रेअर गेम्स (Rare Games) 1992
  • योर चॉइस 1993
  • चिराग 1993
  • इनसाइट 1994
  • यूनिक 1996
  • क्राइ फॉर क्राइ 1995
  • फेस टू फेस 1996
  • मिरेज 1996
  • सिलसिले 1998
  • रिश्तो में दरार आई 1996
  • लव इस ब्लाइंड 1998
  • जाम उठा 1998
  • मरासिम 1999
  • नई दिशा 1999
  • रेअर मूमेंट्स 1999
  • रॉयल सेल्यूट 1999
  • सहर 2000
  • एक जर्नी 2000
  • क्लासिक फॉरएवर 2000
  • टुगेदर 2000
  • आइना 2000
  • डिफरेंट स्ट्रोक्स 2001
  • सॉलि़ड गोल्ड 2001
  • सोज़ 2001
  • खामोशी 2008
  • खुमार 2001
  • ख्वाहिश 2001
  • संवेदना 2002
  • फॉरएवर 2002
  • फॉरगेट मी नोट 2002
  • माय फेवरेट 2002
  • क्लोज टू माई हार्ट 2002
  • मुंतज़िर 2004
  • प्रे फॉर इंडिया 2004
  • तुम तो नहीं हो 2005
  • जीवन क्या है 2005
  • कोई बात चले 2006
  • स्टोलेन मोमेंट्स 2006
  • आवाज 2006
  • कबीर 2006
  • जज्बात 2008
  • इंतेहा 2009
  • रवायत 2009
  • दर्दे जिगर 2011
  • द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जगजीत सिंह 2011
  • शुकराना 2011
  • निवेदन 2011
  • रोमांस 2011 तेरे बयां ग़ालिब 2012
  • द वॉइस फ्रॉम बियोंड 2013

जगजीत सिंह – रोमानियत का अहसास

जगजीत सिंह ग़ज़ल की दुनिया में अनोखे ग़ज़लकार थे। उन्होंने गजलों में अनेक प्रयोग किए। उन्होंने ही गजलों में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के अलावा आधुनिक वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया और ग़ज़लों को एक नया रूप दिया। उनके इस प्रयोग से गजल आधुनिक पीढ़ी की युवा में भी लोकप्रिय हुई नहीं तो उससे पहले गजल यह बोरिंग विधा बन चुकी थी।

जगजीत सिंह की भारी और मखमली आवाज लोगों के दिल के तारों को छेड़ दी थी थी। उनकी आवाज और उनके द्वारा गाई हुई ग़ज़लों से एक रूमानियत का एहसास होता था। हम जब भी जगजीत सिंह की गजलें सुनते तो रोमानियत की अनोखी दुनिया में पहुँच जाते थे।

जगजीत सिंह की ग़ज़लों मैं एक नई आशा, एक नई रोमानियत और आध्यात्मिकता दी। उनकी गजलों का जवाब नहीं था। व्यक्तिगत तौर पर कहूँ तो जगजीत सिंह की गजलों को सुनकर एक अलग अलग ही पवित्रता और आध्यात्मिकता का बोध होता था, वो आध्यात्मिकता थी प्रेम की आध्यमिकता।

जहाँ पर प्रेम की पवित्रता के अलावा कुछ नही होता। उनकी ग़जलों को सुनकर मन की सारी वासनायें भस्म हो जाती थीं और मन पवित्र प्रेम की आध्यात्मिकता से भर उठता था, ये व्यक्तिगत अनुभव है। आज भी उनकी ग़ज़ले जीवन की निराशा को दूर करती है।

जगजीत सिंह का जाना

जगजीत सिंह 2011 में सितंबर-अक्टूबर के महीनों के दौरान काफी से समय से ब्रेन स्ट्रोक के कारण अस्पताल में भर्ती थे। 10 अक्टूबर 2011 को जगजीत सिंह को ब्रेन स्ट्रोक की तकलीफ के कारण होने के कारण वह हम सब को छोड़कर इस दुनिया से चले गए, लेकिन अपनी गजलों के रूप में वह आज भी सभी लोगों के दिलों में जिंदा हैं।  उनको भावभीनी श्रद्धांजलि।


ये भी पढ़ें…

हरित क्रांति के जनक और भारत रत्न से सम्मानित एस. स्वामीनाथन को जानिए।

एस स्वामी नाथन भारत में हरित क्रांति के जनक के तौर पर जाने जाते हैं, उन्होंने भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान दिया था। एस स्वामीनाथन कौन थे? (S. Swaminathan biography) उनका भारत के कृषि क्षेत्र में क्या योगदान रहा है, उनके बारे में जानते हैं…

भारत सरकार ने एस स्वामीनाथन को भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया है। भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। एस स्वामीनाथन को 9 फरवरी 2024 को भारत सरकार द्वारा की गई घोषणा के द्वारा भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा हुई है। इस तरह वह भारत रत्न सम्मान पाने वाले 53वें व्यक्ति बन गए।

एस स्वामीनाथन भारत में हरित क्रांति के जनक के तौर पर जाने जाते है। उन्हें भारत रत्न सम्मान से पहले भारत के अन्य नागरिक सम्मान पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री भी मिल चुके हैं। भारत के चारों सर्वोच्च नागरिक सम्मान वाले भारत की हरित क्रांति के जनक एस स्वामीनाथन ही थे जिन्होंने 1960 के दशक में हुई भारत की हरित क्रांति के कार्यक्रम का खाका तैयार किया था, जिस कारण भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बन गया था।

एस स्वामीनाथन का जीवन परिचय (S. Swaminathan biography)

एम एस स्वामीनाथन भारत के एक कृषि वैज्ञानिक थे। जिन्होंने भारत को कृषि के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। हरित क्रांति से तात्पर्य उस क्रांति से है, जो 1960 के दशक में भारत में खाद्यान्न को आत्मनिर्भर बनाने के लिए की गई थी। हरित क्रांति कृषि क्षेत्र से संबंधित आंदोलन था, और इसके अन्तर्गत आधुनिक तकनीक और उपायों द्वारा कृषि की उपज बढ़ाने का प्रयास किया गया था, इसीलिए इसे ‘हरित क्रांति’ कहा जाता है। भारत में हरित क्रांति का नेतृत्व एस एस स्वामीनाथन द्वारा किया गया थ।

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत उन्होंने ही की थी इसी कारण से उन्हें भारत में हरित क्रांति का जनक कहा जाता हैं। इसके अलावा भी उन्होंने कृषि के लिए काफी कार्य किए थे, उन कार्यों के कारण ही भारत कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सका।

जन्म और व्यक्तिगत जीवन और परिवार

एम एस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनके पिता का नाम डॉ. एमके सांबासिवन और माता का नाम पार्वती थंगम्मल सांबासिवन था। बचपन में ही उनके पिता का देहांत हो गया था और उनका पालन-पोषण उनके चाचा ने किया था।

वर्तमान समय में उनके परिवार में उनकी पत्नी मीना स्वामीनाथन और एक पुत्र नित्य स्वामीनाथन और दो पुत्रियां सौम्या स्वामीनाथन और मधुरा स्वामीनाथन हैं।

शिक्षा-दीक्षा और करियर

स्वामीनाथन बचपन से ही प्रतिभा के धनी थे। इसलिए इसी पढ़ाई में वह काफी अच्छे थे। परंतु वह कृषि क्षेत्र से ना जुड़कर किसी अन्य क्षेत्र से जुड़ना चाहते थे लेकिन उस वक्त भारत की स्थिति कृषि के क्षेत्र में बहुत ही खराब थी जिसे देखते हुए उन्होंने कृषि की ओर अपना रुख किया जिसके लिए एग्रीकल्चर में शिक्षा ग्रहण की।

स्वामीनाथन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कुंभकोणम के कैथोलिक लिटिल फ्लावर स्कूल से की। 1940 में उन्होंने केरल के महाराज कॉलेज से जूलॉजी में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की।

उसके बाद उन्होंने मद्रास के एग्रीकल्चर कॉलेज में दाखिला लिया और वहा से इन्होंने बीएससी में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया, जिसके बाद इन्हें बैचलर ऑफ़ साइंस की उपाधि मिली।

फिर 1949 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से जेनेटिक्स में एसोसिएटशिप की डिग्री प्राप्त की तथा 1952 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अनुवांशिकी में पीएचडी की उपाधि हासिल की।

कृषि में पीएचडी करने के बाद वह घोर अनुसंधान में जुट गए और भारत में कृषि की पैदावार को बढ़ाने के उपायों पर काम करने लगे क्योकि उस भारत में कृषि की दशा अच्छी नही थी। भारत अपने नगारिकों के पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न नही उत्पन्न नहीं कर पाता था और उसे बाहर के देशों से अनाज मंगाना पड़ता था।

उन्होंने 1954 से 1972 के बीच कटक के कृषि संस्थान तथा नई दिल्ली में पूसा स्थित प्रतिष्ठित कृषि संस्थानों में काफी शोध कार्य किया। वे 1963 में हेग में हुई अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष भी बनाए गए।

1966 में जेनेटिक्स वैज्ञानिक स्वामीनाथ ने भारत के बीजो को विदेशी बीजो की किस्म के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए। स्वामीनाथन का ये प्रयास सफल रहा और पहले ही वर्ष देशभर में काफी पैदावार हुई। 1969 में डॉ. स्वामीनाथन इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी के सचिव बनाए गए साथ वे इसके फेलो मेंबर भी बने।

1972 में भारत सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिषद का महानिदेशक नियुक्त किया। साथ ही उन्हें भारत सरकार में सचिव भी नियुक्त किया। 1979 से 1980 तक वे मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर फ़ॉर्म के प्रिंसिपल सेक्रेटरी भी बने। उन्होंने 1982 से 88 तक जनरल डायरेक्टर के पद पर रहते हुए इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट की सेवा भी की।

इसके साथ ही उन्होंने विदेशी और भारत के बीजो की किस्मों के मिश्रण को भी जारी रखा। इस बार उन्होंने पिछली बार से भी ज्यादा उन्नत किस्म के बीज की उपज करके अन्न के उत्पादन को कई गुना बढ़ा दिया और देश में हरित क्रांति लेकर आए। जिससे देश में सभी जगह से अन्न की समस्या खत्म हो गई।

1988 मैं इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ़ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज के प्रेसिडेंट भी बने। 1999 में टाइम पत्रिका ने उन्हें 20वीं सदी के 200 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया।

भारत में उस समय पुराने तरीकों से कृषि की जाती थी जिससे बहुत अधिक पैदावर नही होती थी। इसी कारण भारत एक कृषि प्रधान देश होने के बावजूद कृषि के मामले में बेहद पिछड़ा हुआ था। इसी कारण वह कृषि के उन्नत तरीकों और उन्नत बीजों के विकास के लिए काम करते रहे। उन्होंने विदेशी बीजों को भारत की किस्म के बीजों के साथ मिश्रित करके एक उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की किस्म तैयार की।

उनके इस प्रयोग के कारण वजह से भारत में अन्न की भरपूर पैदावार होने लगी। इसी कारण 1960 के दशक में भारत में हरित क्रांति सम्पन्न हुई जिसका नेतृत्व एस. स्वामीनाथन ने ही किया था।

एस स्वानीनाथन के प्रयासों के कारण ही भारत कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन और उन्हें भारत में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है।

एम एस स्वामीनाथन ने वर्ष 1990 के दशक के आरंभिक वर्षों में अवलंबनीय कृषि तथा ग्रामीण विकास के लिए चेन्नई में एकशोध केंद्र की स्थापना की।

स्वामीनाथन की उपलब्धियां और पुरुस्कार

एस स्वामीनाथन को अपने जीवन में अनेक पुरुस्कार मिल चुके हैं, जो कि इस प्रकार हैं…

उपलब्धियां

  • एस स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्य सदन में मनोनित संसद सदस्य भी रहे।
  • एस स्वानीनाथन को 1999 में अमेरिका की टाइम पत्रिका ने उन्हें 20वी सदी के 200 प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया।
  • उन्हें कृषि के क्षेत्र में बेतरीन योगदान के लिए पद्म श्री, पद्म भूषण तथा पद्म विभूषण तथा भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।
  • भारत में हरित क्रांति के जनक के नाम से जाने जाते हैं।

पुरुस्कार

  • 2024 : भारत रत्न
  • 1967 : पद्म श्री
  • 1972 : पद्म भूषण
  • 1989 : पद्म विभूषण
  • 1987 : विश्व खाद्य पुरस्कार
  • 1971 : सामुदायिक नेतृत्व के लिए ‘मैग्सेसे पुरस्कार’
  • 1986 : ‘अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंस पुरस्कार’
  • 1987 : पहला ‘विश्व खाद्य पुरस्कार’
  • 1991 : अमेरिका में ‘टाइलर पुरस्कार’
  • 1994 : पर्यावरण तकनीक के लिए जापान का ‘होंडा पुरस्कार’
  • 1997 : फ़्राँस का ‘ऑर्डर दु मेरिट एग्रीकोल’ (कृषि में योग्यताक्रम)
  • 1998 : मिसूरी बॉटेनिकल गार्डन (अमरीका) का ‘हेनरी शॉ पदक’
  • 1999 : ‘वॉल्वो इंटरनेशनल एंवायरमेंट पुरस्कार’
  • 1999 : ही ‘यूनेस्को गांधी स्वर्ग पदक’ से सम्मानित

अंतिम यात्रा

भारत के महान कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक एस स्वामीनाथन का निधन 28 सितंबर 2023 को 98 वर्ष की आयु में हुआ।

2024 में भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया है।


ये भी पढ़ें…

के के मोहम्मद वह मुस्लिम पुरातत्वविद जिसने धर्म से परे हटकर पूरी ईमानदारी से काम किया। कौन हैं के के मोहम्मद?

आरडी (RD) और एफडी (FD) में अंतर क्या है? समझें।

आरडी और एफडी का नाम सेविंग के संदर्भ में बेहद आम है। इनमें अंतर (Difference between RD and FD) क्या है? ये जानते हैं…

आरडी और एफडी में अंतर (Difference between RD and FD)

आरडी RD और एफडी FD में अंतर : बचत के लिए निवेश करते समय हमें अक्सर आरडी (RD) और एफडी (FD) के बीच कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो जाती है, तब मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि आरडी क्या है? और एफडी क्या है? किस में निवेश करना सही रहेगा, जिससे सही मायनों में बचत हो सके और अधिक फायदेमंद हो। आइए दोनों को समझते हैं और दोनों के बीच के अंतर को समझते है…

आरडी RD और एफडी FD में अंतर को समझें

आरडी RD और एफडी FD में अंतर को समझते हैं…

आरडी (RD) क्या है?

आरडी यानी रिकरिंग डिपॉजिट एक बचत निवेश योजना है। इसको हिंदी में ‘आवर्ती जमा’ भी कहते हैं। यह एक छोटी अवधि की बचत निवेश योजना है, जिसके माध्यम से शॉर्ट टर्म यानि छोटी अवधि के निवेश किया जाता है। इस बचत निवेश योजना के तहत एक किसी बैंक में एक रिकरिंग डिपॉजिट अकाउंट खोलना होता है और हर महीने एक निश्चित एकमुश्त रकम एक निश्चित अवधि तक जमा करनी होती है।

वह समय अवधि पूरी होने के बाद ब्याज सहित जो रकम बनती है उसे आरडी खाते से निकाला जा सकता है। उदाहरण के लिए आपने एक साल के लिए आरडी (RD) खोली है। आपने ₹2000 प्रतिमाह का निवेश चुना है तो आपको अपने आरडी खाते में हर माह ₹2000 जमा कराने होंगे। इस तरह 1 साल तक आपकी कुल जमा रकम ₹24000 हो जायेगी।

इस रकम पर आपको 6% से 9% का वार्षिक ब्याज मिलेगा। ब्याज सहित आपकी जो रकम बनेगी आपक आरडी के मैच्योर होने पर निकाल सकते है। आप चाहें तो उसी आरडी को आगे बढ़ा सकते हैं। आरडी (RD) में निवेश करना उन लोगों के लिए बहुत अच्छा होता है, जिन्हें शार्ट टर्म के लिए निवेश करना होता है और जिन्हें बहुत जल्दी ही पैसे की आवश्यकता पड़ सकती है।

आरडी (RD) के क्या फायदे हैं?

आरडी (RD) के मुख्य फायदा यह है कि आरडी (RD) छोटे समय का निवेश है। इसके लिए यदि साल भर बाद हमें किसी कार्य के लिए पैसे की जरूरत पड़ने वाली है, तो आरडी (RD) खोल कर बचत कर सकते हैं और आपकी जरूर का समय आने पर आरडी (RD) के मैच्योर से पैसा निकाल सकते हैं।

आरडी में जो ब्याज मिलता है, वह बचत खाते से अधिक मिलता है। इसलिए बचत खाते में पैसा जमा रखने की जगह आईडी खोलकर पैसा जमा किया जाए तो अधिक ब्याज मिलने की संभावना होती है।

आरडी छोटे निवेशकों के लिए सही बचत योजना है, जो एक साथ एक मुश्त और बड़ी रकम का निवेश नही कर सकते इसलिये वो आरडी के माध्यम से छोटा निवेश कर सकते है।

आरडी (RD) 100 से रूपये से लेकर कितनी भी पैसों से की जा सकती है। आप कम से कम से एक साल से लेकर पाँच साल तक की आरडी खोल सकते हैं। आरडी पर ब्याजदर 6% से 9% तक मिलती है जो अलग-अलग बैंकों मे अलग-अलग होती है। ये ब्याज दर समय समय पर बदलती रहती है।

एफडी (FD) क्या है?

एफडी यानी फिक्स डिपाजिट जिसे हिंदी में ‘सावधि जमा खाता’ कहते हैं। यह लंबे समय के लिए निवेश करने की एक या अधिक सुरक्षित बचत योजना है।

एफडी में निवेश करने से निवेशकों को सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि एफडी में निवेश करते समय होने पर निवेशक को कितना लाभ प्राप्त होगा इसका निवेशक पहले से अनुमान हो जाता है। इसमें पहले से तय ब्याज दर पर एफडी में निवेश किया जाता है और वह ब्याज निश्चित रहती है यानि एफडी खोलते समय जो ब्याज दर तय होती है वो पूरी अवधि के दौरान नही बदलेगी। ना ही अधिक मिलेगी नहीं कम होगी, इससे निवेशक को एक निश्चित अनुमान हो जाता है कि उसे एफडी में निवेश करने पर कितना लाभ प्राप्त होगा।

एफडी उन निवेशकों के लिए सही रहती है जो लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं। जिनके पास अधिक धन है और वह धन की बड़ी राशि को लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं। एफडी किसी भी बैंक या डाकघर में खोली जा सकती है।

एफडी में एक बार में एकमुश्त रकम जमा करनी पडती है इसमे आरडी की तरह हर महीने पैसा जमा नही करना पड़ता। एफडी को बीच में जरूरत पड़ने पर निकाला जा सकता है। लेकिन निवेशक को एफडी बीच तोड़ने का शुल्क देना पड़ता है। एफडी कम से कम 6 महीने और अधिकतम 10 वर्ष की अवधि के लिए की जा सकती है।

एफडी की ब्याज दर सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज दर से अधिक होती है जो 6 से 9% के बीच हो सकती है। समय-समय पर ब्याज दरें परिवर्तित होती रहती है। लेकिन एफडी में एक बार अगर निवेश कर दिया तो एफडी में वही ब्याज दर रहेगी जो एफडी में निवेश करते समय तय हुई थी।

एफडी (FD) के क्या फायदे हैं?

एफडी (FD) में निवेश करने का मुख्य फायदा यह है कि यह लंबे समय के निवेश के लिए एक सुरक्षित योजना है। बड़ी राशि का निवेश करने के लिए भी एक अच्छा विकल्प है। एफडी (FD) पर मार्केट के उतार-चढ़ाव का कोई प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि एफडी में निवेश करते समय जो ब्याज दर तय हो जाती है वह ही स्थिर रहती है।

मार्केट में ब्याज दर कम ज्यादा होने पर एफडी की ब्याज दर प्रभावित नहीं होती। एफडी में निवेश करने से निवेशकों को इन्कमटैक्स में भी छूट मिल सकती है। यदि निवेशक को किसी आपात स्थिति में धन की आवश्यकता पड़तीहै तो वह अपने एफडी अकाउंट के आधार पर बैंक से लोन ले सकते हैं और फिर सही समय आने पर बैंक को उसकी वापसी कर सकते हैं।

आरडी (FD) और एफडी (FD) में क्या अंतर है?

आरडी में एक निश्चित अवधि के लिए निवेश किया जाता है और यह निवेश हर महीने पैसा जमा करने के आधार पर किया जाता है। जबकि आरडी में एक निश्चित अवधि के लिए निवेश किया जाता है, लेकिन यह निवेश एक बार में ही करना होता है। आरडी उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है, जिनकी एक निश्चित मासिक आय है और वह अपने उस मासिक आय से हर महीने निवेश करना चाहते हैं।

एफडी उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है, जिनके पास एक बड़ी धनराशि अतिरिक्त पैसे के रूप में है और वह उसे एफडी में निवेश करके अपनी धनराशि को ना केवल सुरक्षित कर सकते हैं बल्कि उस पर अच्छा ब्याज भी प्राप्त कर सकते हैं। एफडी 6 महीने से लेकर 10 साल की अवधि तक खोली जा सकती है।

एफडी भी 6 महीने से लेकर 10 साल की अवधि तक खोली जा सकती है। आरडी में निवेश करने पर इनकम टैक्स में कोई लाभ प्राप्त नहीं होता जबकि एफडी में निवेश करने पर इनकम टैक्स में छूट मिल सकती है। आरडी पर बाजार के उतार-चढ़ाव का प्रभाव पड़ सकता है, जबकि एफडी पर बाजार के उतार-चढ़ाव का प्रभाव नही पड़ता है, उसकी ब्याज दर स्थिर रहती है।

रिटर्न की अगर तुलना की जाए तो आरडी की तुलना में एफडी ज्यादा रिटर्न देती है, और उस पर अधिक ब्याज प्राप्त होता है।

  Post topic: Difference between RD and FD


ये भी पढ़ें…

टीडीएस और टीसीएस में अंतर क्या है?

कब्ज में राहत दिलाते हैं, ये फल, आज ही करें अमल। रोज ये फल खाएं, कब्ज दूर भगाएं।

कब्ज में राहत पाने के लिए ये फल बेहद राहत देते हैं। इनका नियमित खाने से कब्ज उड़नछू हो जाती है। आइए इन फलों के नाम (fruits for constipation remedy) जानते हैं… 

बिगड़ते खानपान और बिगड़ती जीवनशैली के कारण आज कब्ज (Constipation) की समस्या से हर कोई परेशान है। बहुत से लोगों की कब्ज की समस्या हमेशा बनी रहती है। कभी-कभी कुछ दिन राहत मिलती है फिर वापस समस्या शुरू हो जाती है। कब्ज की समस्या में कुछ फल (constipation remedy) बेहद आराम पहुंचाते हैं, क्योंकि यह फल high-fiber वाले होते हैं। हम जानते हैं कि फाइबर कब्ज का दुश्मन है, जब हम फाइबर वाला खाना खाना खाएंगे तो कब्ज की समस्या नहीं होगी। आइए जानते हैं कौन कौन से फल कब्ज की समस्या में बेहद फायदेमंद हैं,

कब्ज में राहत दिलाते हैं, ये फल। कब्ज (fruits for constipation remedy) मिटाने को ये फल खाएं

अमरूद

अमरूद बहुत अधिक फाइबर से युक्त फल होता है, इसको नियमित रूप से खाने से कब्ज में बेहद राहत मिलती हैष अमरूद में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। कब्ज में अमरूद एक रामबाण इलाज की तरह है।

नाशपाती

नाशपाती भी कब्ज से राहत पाने में बेहद उपयोगी फल है। नाशपाती में लगभग 5.5 ग्राम फाइबर पाया जाता है। मानव को रोज लगभग 25 से 30 ग्राम रोज जरुरत होती है। एक अमरूद का सेवन करने के रोज की फाइबर जरूरत का लगभग 20% प्राप्त हो जाता है। नाशपाती को छिलके के साथ खाना चाहिए। इसके में ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो कब्ज में बेहद लाभदायक होता है और पेट में जमा सख्त मल को ढीला करने में सहायक होता है।

संतरा

संतरा एक ऐसा फल है जिसका नियमित रूप से सेवन करने से कब्ज में बहुत राहत मिलती है। एक संतरे में लगभग 4 से 5 ग्राम फाइबर पाया जाता है जो रोज की फाइबर जरूरत का लगभग 20% है।

कीवी

कीवी का फल कब्ज में बेहद लाभदायक होता है। यह भी फाइबर रिच फल होता है। कीवी को नियमित रूप से खाने कब्ज में राहत मिलती है इसमें लगभग 2 ग्राम पाया जाता है। इसके छिलके में और अधिक फाइबर पाया जाता है, इसलिए इसको छिलके के  साथ खाना चाहिए।

जामुन

जामुन भी हाई फाइबर से युक्त एक फल है। इसका नियमित सेवन करने से पुरानी से पुरानी कब्ज में  राहत मिलती है।

सेब

कब्ज से राहत पाने में सेब  बेहद उपयोगी फल है, इसका नियमित सेवन करने से भी कब्ज में बहुत राहत मिलती है। सेब का नियमित सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। सेब के अंदर सर्बिटोल नामक  तत्व पाया जाता है, जो कब्ज के कराण पेट में जमा हो गए मल को नरम करता है, जिससे पेट से मल साफ हो जाता है और कब्ज में राहत मिलती है। सेब को हमेशा खाली पेट और छिलके के साथ ही खाना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद सेब को नही खाना चाहिए।  सेब का प्योह जूस भी कब्ज में लाभकारी होता है।

पपीता

कब्ज में राहत पाने के लिए पपीता एक बेहद उपयोगी पल है। पपीते में विटामिन ए, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है। यह high-fiber से युक्त फल है। इसका नियमित सेवन करने से शरीर का पाचन तंत्र मजबूत होता है आंतों की सफाई होती है, मल बाहर निकल जाता है। पपीता केवल कब्ज में ही नही बल्कि पेट की कई बीमारियों में राहत दिलाता है। तो ये कुछ फल हैं जो Constipation remedy में उपयोगी है, इनको नियमित खाने से फल में बेहद राहत मिलती है।

Constipation remedy

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।


ये भी पढ़ें…

इन लक्षणों से पता चलता है कि किडनी खराब होने वाली है या खराब हो चुकी है। इस तरह करें बचाव।

इन लक्षणों से पता चलता है कि किडनी खराब होने वाली है या खराब हो चुकी है। इस तरह करें बचाव।

शरीर के बेहद महत्वपूर्ण अंग किडनी के खराब होने की स्थिति में बेहद मुश्किल हो जाती है। किडनी खराब होने वाली है या खराब हो चुकी है, इसका कैसे पता चले और किडनी डैमेज को कैसे कंट्रोल  (Kidney damage symptoms and control) करें, आइए जानते हैंं…

किडनी डैमेज होने के लक्षण और डैमेज कंट्रोल के उपाय (Kidney damage symptoms and control)

किडनी मानव शरीर का एक महत्वूपर्ण अंग है। शरीर में दो किडनियां पाई जाती हैं। इन्हें हिंदी मे यकृत कहा जाता है। सामान्य बोलचाल की भाषा में किडनी को गुर्दा भी कहा जाता है।

मानव शरीरा में दो किडनियां पाई जाती हैं। यदि मानव शरीर की एक किडनी खराब हो जाए तो भी पीड़ित व्यक्ति केवल एक किडनी के सहारे जीवित रह सकता है।

किडनी शरीर में खून की गंदगी को साफ करने का काम करती है। लेकिन यही किडनी अगर खराब हो जाए तो शरीर में अनेक तरह की समस्याएं हो जाते है। एक बार किडनी अगर पूरी तरह डैमेज हो जाए तो उसे फिर से ठीक कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। फिर रोगी को जीवन भर दवाइयों या डायलिसिस के सहारे जीवन बिताना पड़ता है या फिर किडनी ट्रांसप्लान्ट जैसे मंहगे आपरेशन की तरफ जाना पड़ता है।

लेकिन यदि व्यक्ति समय रहते संभल जाए और किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षणों के दिखने पर सेहत के प्रति सचेत हो जाए तो फिर किडनी को डैमेज होने से बचाया जा सकता है।

किडनी खराब होने के लिए हमारी जीवन शैली और गलत खान-पान की आदते मुख्य जिम्मेदार होती है। किडनी डैमेज एक साइलेंट किलर की तरह होता है। यानि व्यक्ति अगर ज्यादा ध्यान न दे तो उसे तुरंत पता ही नही चल पाता कि उसकी किडनी खराब हो चुकी है।

व्यक्ति की किडनी खराब हो चुकी है या खराब होने की ओर बढ़ रही है, इसका पता व्यक्ति को बहुत देर बाद चलता है इस कारण व्यक्ति फिर किडनी डैमेज के रोग की चपेट मे आ जाता है।

अगर व्यक्ति के किडनी खराब होने की ओर बढ़ रही है तो शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं, अगर व्यक्ति इन लक्षणों को पहचान करके तुरंत सचेत हो जाए तो वह अपनी किडनी को खराब होने के बचा सकता है।

किडनी डैमेज होने के लक्षण

किडनी का मानव शरीर मे मुख्य कार्य शरीर के खून में मौजूद गंदगी को हटाना और यूरिन के रास्ते बाहर निकालना होती है। किडनीज की खराबी के कारण ये गंदगी ब्लड में टॉक्सिंस के रूप में बढ़ रहती हैं। यदि किडनी ठीक से काम नहीं कर रही हैं तो इससे शरीर पर खराब सेहत का असर दिखने लगता है।

किडनीज के खराब होने के शुरूआती सिम्टम्स में से बहुत कम लक्षण पकड़ में आते हैं। इसलिए, किडनीज के खराब होने की पहचान करना काफी मुश्किल हो सकता है। किडनीज के खराब हो जाने पर 70 से 80 प्रतिशत किडनीज डैमेज हो चुकी होती हैं। यही कारण है कि डॉक्टर किडनी फेलियर को साइलेंट किलर भी कहते हैं।

किडनीज के खराब होने के लक्षण

पेशाब में रंग बदलाव और पेशाब का बार-बार आना :

अगर बारृबार पेशाब जाना पड़ रहा है। पेशाब करने की फ्रीक्वेंसी बहुत अधिक हो गई है। रात में बार-बार उठकर पेशाब करने को जाना पड़ रहा है। पेशाब में झाग या गंदी स्मेल आ रही है, तो ये किडनी के खराब होने के लक्षण है। ध्यान रखे ये जो लक्षण बताए गए हैं, ये लक्षण अगर लंबे समय तक रहते हैं तो फिर चिंता होने की बात है। केवल दो-चार यदि ये समस्या हो जाए फिर सब सामान्य हो जाए तो किडनी की समस्या हो, ये जरूरी नही।

पेशाब करते हुए जलन या रुक-रुक के पेशाब आना

यदि पेशाब करते समय जलन होती है और रुक-रुक कर पेशाब आती है तो इन लक्षणों का मतलब है कि किडनी में इंफेक्शन हो सकता है और वह खराब होने की ओर बढ़ रही है।

पैरों मे सूजन होना या आँखों के नीचे सूजन होना

पैरों में स्वेलिंग यानि सूजन होना, आँखों के नीचे सूजन के लक्षण भी किडनी की सेहत के खराब होने के संकेत हो सकते हैंं।

पीठ मे दर्द होना

बिना किसी कारण के बार-बार या लगातार होने वाला बैक पेन यानि पीठ दर्द भी किडनी के खराब होने का संकेत हो  सकता है।

हाथ-पैरों में बार-बार खुजली होना।

यदि शरीर पर दिन भर खुजली होती रहती है या स्किन पर पैचेज बनते हैं, तो इससे पता चलता है कि किडनी ठीक से काम नहीं कर रही हैं।

हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का होना

किडनी के खराब होने का मुख्य कारण हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज हो सकते हैं। यदि व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर से या डायबिटीज से पीड़ित है, तो किडनी खराब होने की संभावना बेहद बढ़ सकती है।

किडनी के सेहत को ठीक करने के उपाय

यदि ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई देने लगें तो किडनी की सेहत पर कोई दुष्प्रभाव पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में अगर किडनी की सेहत बनाए रखने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते है, जिनकी सहायता से किडनी को खराब होने से बचाया जा सकता है। ये उपाय आजमाएं…

भरपूर पानी पिएं

पानी पीने के महत्व को सभी जानते हैं। हमेशा अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती है। पानी शरीर के लिए वरदान के समान है। जब किडनी संबंधी समस्या हो तो अच्छी मात्रा में पानी पीना और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इसलिए भरपूर मात्रा में पानी पिएं। दिन में 10 से 12 गिलास पानी अवश्य पिएं। इससे किडनी को अपने कार्य को करने में आसानी होगी और उसकी सेहत सुधरने लगेगी।

गर्म पानी पिएं

गर्म पानी पीने से भी किडनी की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसीलिए यथासंभव गर्म पानी पिएं। सुबह उठते समय दिन की शुरुआत गर्म पानी पीकर ही करें। इससे भी किडनी की सेहत पर अच्छा असर पड़ेगा।

पेन किलर खाने से बचें

विज्ञान द्वारा भी सिद्ध हो चुका है कि बार-बार पेन किलर लेने से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है, इसीलिए बिना डॉक्टर की सलाह के थोड़ी सी समस्या होने पर पेन किलर्स खाने से बचें। अधिक मात्रा में पेन किलर किडनी को डैमेज करने  सकता है।

नमकीन और ज्यादा नमक वाली चीजों को खाने से बचें

अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थ जिनमें नमक की मात्रा अधिक हो, तेल मसाले की मात्रा अधिक हो, ऐसी चीज खाने से बचें यह चीज भी किडनी की सेहत को खराब करती हैं। अत्यधिक नमक खाने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या उत्पन्न होती है, जो किडनी को भी प्रभावित करता है।

योग को अपनाएँ

योग शरीर की सेहत के लिए एक सर्वोत्तम उपाय है। योग में कपालभाति प्राणायाम के द्वारा किडनी को काफी हद तक राहत पहुंचाई जा सकती है। उचित योग प्रशिक्षक की देख-देख में पहले कपालभाति प्राणायाम सीखे और उसका निरंतर अभ्यास करें।

कपालभाति प्राणायाम का निरंतर अभ्यास करने से खराब होती किडनी पर सकारात्मक असर पड़ेगा और धीरे-धीरे किडनी ठीक होना शुरू होगी।

अंत में…

मानव के शरीर में दो किडनियां पाईं जाती है। किडनी शरीर की एक नेचुरल डिटॉक्स सिस्टम होती हैं और इसका बेहद महत्वपूर्ण है। किडनी की सेहत को सुधारने के लिए शुगर और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने से बेहद मदद मिलती है।

 

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

ये भी पढ़ें…

ये 6 बातें अपनाकर बढ़ती हुई तोंद घटाएं, अपने को बिल्कुल फिट पाएं।

टीडीएस और टीसीएस में अंतर क्या है?

टैक्स फाइलिंग करते समय टीडीएस और टीसीएस जैसे टर्म अक्सर सुनने में आते हैं। इन दोनों क्या अंतर (Difference between TDS and TCS) क्या है, समझते हैं…

टैक्स फाइलिंग करते समय टीडीएस और टीसीएस जैसे टर्म अक्सर सुनने में आते हैं। जो लोग किसी अच्छी कंपनी में अच्छी सैलरी पर है, उन्हें टीडीएस सुनने को मिलता है। जो किसी कोई व्यापार कर रहे हैं, किसी उत्पाद या सेवा को बेच रहे हैं उनका वास्ता टीसीएस से पड़ता रहता है।

अक्सर लोग टीडीएस और टीसीएस के अंतर को नहीं समझ पाते और इस कारण अक्सर भ्रम की स्थिति में आ जाते हैं। टीडीएस और टीसीएस दोनों सरकार द्वारा टैक्स वसूल करने के दो अलग-अलग तरीके हैं। आइए दोनों के बीच अंतर को समझते हैं

टीडीएस और टीसीएस में अंतर (Difference between TDS and TCS)

सबसे पहले टीडीएस को समझते है कि वो क्या है?

टीडीएस (TDS)

टीडीएस यानि Tax Deducted at the Source (TDS) TDS एक ऐसा प्रत्यक्ष कर है जो किसी भी तरह के लाभ पर सरकार द्वारा भुगतान से पहले ही काट लिया जाता है, यानी लाभार्थी को जो भुगतान प्राप्त हो रहा है, उसका टीडीएस उसे कटकर मिलेगा।

उदाहरण के लिए यदि किसी को ₹10000 किसी लाभ के रूप में प्राप्त हो रहे हैं और 10% टीडीएस का प्रावधान है तो उसे 10% टीडीएस कट कर ₹9000 ही प्राप्त होंगे।

टीडीएस काटने वाले को डिडक्टर (Deducter) तथा जिसका टीडीएस काटा जाता है, उसे डिडक्टी (Deductee) कहा जाता है। यानि डिडक्टर 10% टीडीएस काटकर डिडक्टी को देगा। टीडीएस काटने वाले की ये जिम्मेदारी होती है, कि वो काटा गया टैक्स सरकार में जमाकरे।

दूसरा उदाहरण देते हैं जैसे किसी व्यक्ति को ₹100000 की लॉटरी लगी है या उसने ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी तरह के अन्य गेम आदि में कोई पुरस्कार जीता है और उसे ₹100000 की धनराशि प्राप्त हुई है तो उसे ₹100000 नहीं प्राप्त होंगे बल्कि उस पर 30% टीडीएस कट कर उसे मात्र ₹70000 ही प्राप्त होंगे।

टीडीएस कटने के नियम अलग-अलग स्रोतों के लिए अलग-अलग हैं। टीडीएस नौकरी करने वाले व्यक्तियों, डिवेंचर या म्यूचुअल से मिलने वाले ब्याज के लाभ पर, 5 साल से और 50 हजार से अधिक एफडी कराने पर, डिविडेंड या लाभांश के रूप में आमदनी होने पर, लॉटरी, क्रॉसवर्ड, ऑनलाइन गेम अथवा किसी भी तरह के आधिकारिक गैम्बलिंग गेम आदि पर होने वाली आमदनी पर काटा जाता है।

कहने का तात्पर्य यह है जिस किसी व्यक्ति को किसी लाभ के भुगतान के रूप में जो आमदनी प्राप्त होती है, उस पर उसका टीडीएस पहले से ही काट कर भुगतान प्राप्त होता है। TDS काटने के अलग-अलग मानदंड हैं।

सैलरी और पेंशन पर (सेक्शन 192 के अनुसार) : ताजा वित्तीय वर्ष के अलग-अलग टैक्स स्लैब के अनुसार 5 साल से और 50 हजार से ज्यादा एफडी करने पर – 10% शेयर, डिवेंचर या म्यूचुअल फंड, डिविडेंट आदि से मिलने वाले ब्याज लाभांश पर – 10% शेयर पर मिलने वाले जमा पर ब्याज मिलने वाले ब्याज पर – 10% लॉटरी या गेम या आधिकारिक गैम्बलिंग गेम जीतने पर- 30% इसके अलावा भी अलग-अलग आमदनी स्रोतों पर अलग-अलग TDS प्रतिशत है।

टीडीएस के लाभ

टीडीएस आमदनी के आरंभ में ही काटने से सरकार को पहले से ही टेक्स्ट प्राप्त हो जाता है, जो कि उसे ताजा वित्तीय वर्ष में प्राप्त हो जाता है। इससे टैक्स चोरी की संभावना कम होती है। टीडीएस पहले से ही कटने के कारण बाद में टैक्स फाइलिंग करते समय टैक्सपेयर को कोई राशि नहीं जमा करानी पड़ती है क्योंकि उसकी आमदनी पर पहले ही टैक्स कट चुका है।

टीसीएस (TCS) क्या होता है?

टीसीएस यानि Tax Collected at the Source (TCS) सरकार द्वारा टैक्स वसूलने का एक दूसरा तरीका है, जोकि व्यापार में किसी वस्तु के सौदे पर लगता है।

यह टैक्स किसी भी तरह के वस्तु के सौदे पर. वस्तु बेचने वाला वस्तु बेचते समय भुगतान लेते समय खरीदार से लेता है और वस्तु की मूल राशि में टीसीएस जोड़कर भुगतान लेता है। वस्तु का जो मूल्य होता है उसमें पीसीएस अलग से जोड़कर भुगतान लिया जाता है। वस्तु बेचने वाले की जिम्मेदारी होती है कि वह टीसीएस को खरीदार से वसूले और उसे सरकार के पास जमा कराएं।

उदाहरण के लिए कोई वित्तीय संस्थान किसी व्यक्ति को हजार रुपए की कोई वस्तु बेच रहा है, तो उस पर यदि मानदंडों के अनुसार 5% टीसीएस है तो वस्तु बेचने वाला खरीदार से रुपए की ₹1000 जगह ₹1050 का भुगतान प्राप्त करेगा। यानि वह 5% जोड़कर ₹1050 देने के लिए खरीदार को कहेगा।

हर वस्तु पर टीसीएस नहीं लिया जाता बल्कि यह केवल सरकार द्वारा निर्धारित व्यापारिक उद्देश्य की कुछ विशेष वस्तुओं की बिक्री पर ही काटे जाने का प्रावधान है। यह टीसीएस व्यक्ति के लिए किसी वस्तु के सौदे होने पर नहीं काटा जाता। टीसीएस अधिकतर शराब, इमारती लकड़ी, आदि वस्तुओं की बिक्री पर ही काटा जाता है।

टीसीएस शराब उत्पाद तेंदूपत्ता कबाड़ फर्नीचर इमारती लकड़ी आदि की बिक्री पर ही काटा जाता है। यह आयात माल पर टीसीएस नहीं लगाया जाता।


ये भी पढ़ें…

टीजर (Teaser) और ट्रेलर (Trailer) में क्या अंतर है? जानें और समझें।

ज्ञानवापी मंदिर की पूरी कहानी और इसके इतिहास को जानें।

ज्ञानवापी मंदिर का विवाद काफी समय से चल रहा है। इसका क्या इतिहास है, क्यों ये विवाद उत्पन्न हुआ? सारी कहानी (Gyanvapi Mandir full History) को समझते हैं…

ज्ञानवापी मंदिर विवाद का पूरा इतिहास (Gyanvapi Mandir full History)

अयोध्या के राम मंदिर बनने के बाद आप ज्ञानवापी मंदिर का मामला जोर-जोर से उठने लगा है। अभी हाल-फिलहाल में ही अदालत ने ज्ञानवापी मंदिर परिसर में हिंदू पक्ष को पूजा करने की इजाजत दी है। इसके साथ ही अब हिंदू पक्ष और हिंदू धर्म के अनुयायियों की तरफ से यह मांग उठने लगी है कि उन्हें शीघ्र ही इस ज्ञानवापी मंदिर का परिसर पूरी तरह सौंप दिया जाए और यहाँ पर भगवान शिव के मंदिर को पुनर्स्थापित करने की आज्ञा प्रदान की जाए।

हालांकि इस प्रक्रिया में समय लगेगा और ये कानूनी लड़ाी है। पुरातत्व पुरातत्व विभाग द्वारा ज्ञानवापी मंदिर परिसर का जो सर्वेक्षण किया गया था। उसमें जो साक्ष्य प्राप्त हुए। वह भी यहां पर ज्ञानवापी मंदिर परिसर में जिस जगह पर मस्जिद बनी हुई है, वहां पर मंदिर होने का को प्रमाणित करते हैं और यह सिद्ध होता है कि वहाँ पर पहले एक मंदिर ता जिसे तोड़कर ही वहां पर मस्जिद बनाई गई।

ज्ञानवापी मंदिर विवाद क्या है, इसका आरंभ कैसे हुआ? वहाँ पर शिव मंदिर को कब तोड़ा गया। वहाँ कब मंदिर बनाया गया था, किसने उसे मंदिर को तोड़ा? यह विवाद कब से चला आ रहा है आगे इसमें क्या प्रगति होने की संभावना है। सारी बातों को समझते हैं

ज्ञानवापी मंदिर परिसर में भगवान भोलेनाथ का शिव मंदिर होना के अनेक ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं। उससे पहले हम पौराणिक धर्म ग्रंथो के साक्ष को भी जानेंगे। जहाँ पर काशी में ज्ञानवापी मंदिर होने का वर्णन मिलता है।

काशी भगवान भोलेनाथ की नगरी मानी गई है। हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह विश्वास है कि काशी नगरी भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल पर बसी हुई है। यह संसार की सबसे प्राचीन नगर है यह भी एक स्थापित मान्यता है।

काशी विश्व में भगवान भोलेनाथ का मंदिर हो, इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। भगवान भोलेनाथ को समर्पित इस पवित्र नगरी में भगवान शिव का मंदिर होना स्वाभाविक है। हिंदू प्राचीन धर्म के अनेक धर्म ग्रंथो में काशी नगरी और वहां पर मंदिर होने के विषय में अनेक वर्णन मिलता है।

स्कंद पुराण की रचना 5वीं से 7वीं शताब्दी के बीच मानी जाती है। स्कंद पुराण में यह वर्णन मिलता है कि काशी में ज्ञानवापी परिसर था और वहाँ पर एक भगवान शिव का भव्य विशाल मंदिर था। स्कंद पुराण के काशी खंड के 36वें, 37वें, 38वें और 39वें श्लोक काशी के ज्ञानवापी मंदिर और उसके परिसर का वर्णन मिलता है। स्कंद पुराण के 70वें श्लोक में भी ज्ञानवापी मंदिर के बारे में वर्णन मिलता है।

वर्तमान समय में ज्ञानवापी परिसर में जहां पर मस्जिद बनी हुई है, वहाँ पर औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई थी, यह बात सभी जानते हैं। औरंगजेब में 17वीं शताब्दी में ये मंदिर तोड़ा था।

मंदिर होने के ऐतिहासिक साक्ष्य

काशी के ज्ञानवापी परिसर मे जहाँ पर आज ज्ञानवापी मस्जिद है, वहाँ पर पहले कभी भगवान शिव का एक भव्य मंदिर था, इसके प्रमाण भी एक ब्रिटिश इतिहासकार की पुस्तक से मिलते हैं। एक ब्रिटिश यात्री की द्वारा लिखी गई पुस्तक से मिलते हैं। पीटर मंडी नामक ये यात्री ने अपनी पुस्तक ‘द ट्रैवलर आफ पीटर मंडी इन यूरोप एंड एशिया 1608-1667’ में काशी का वर्णन करते हुए लिखा है कि किताब में उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में एक के भव्य शिव मंदिर होने की पुष्टि की है।

उन्होंने बताया है कि काशी में उसे समय क्षत्रिय, ब्राह्मण और बनिया वर्ण के लोग रहते थे, जो एक सफेद गोल पत्थर की पूजा करते हैं। वह उसे पर जल चढ़ाते हैं और उसकी नियमित पूजा करते हैं। वह काशी के ज्ञानवापी परिसर में स्थित एक मंदिर में गए वहां पर उन्होंने देखा कि एक चबूतरे पर बड़ा लंबा गोल सफेद रंग का पत्थर है, जिस पर लोग पास की गंगा नदी से लाया हुआ जल चढ़ा रहे हैं और दूध चढ़ा रहे हैं तथा फूल आदि चढ़कर पूजा कर रहे हैं। इस पत्थर को ये लोग महादेव बोलते हैं। उनका ये वर्णन भी काशी के ज्ञानवापी मंदिर परिसर में शिव मंदिर होने का साक्ष्य मिलता है।

काशी में जिस जगह पर भगवान शिव का मंदिर था वहाँ पर सबसे पहली बार मंदिर 11वीं शताब्दी राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। ऐसा इतिहासकार बताते हैं। ये वो विक्रमादित्य नही हैं, जो उज्जैन के राजा थे और गुप्त वंश के प्रमुख शासक थे। ये राजा विक्रमादित्य दूसरे हैं।

मंदिर कब तोड़ा गया?

काशी में भगवान शिव का मंदिर 11वीं शताब्दी में बना, यह बात हमको पता चल गई, लेकिन इस पर सबसे पहला हमला 12वीं शताब्दी में हुआ, जब मोहम्मद गौरी ने कन्नौज के राजा जयचंद को हराया और जयचंद को हराने के बाद मोहम्मद गौरी के सैनिकों ने काशी की और कूच किया। वहाँ पर उनके रास्ते में जितने भी मंदिर पड़े, उन्होंने उनको तहस-नहस करना आरंभ कर दिया। काशी विश्वनाथ के मंदिर को भी उन्होंने भारी भरकम क्षति पहुंचाई। यह काशी विश्वनाथ मंदिर पर पहला हमला था। इसका वर्णन फारसी भाषा के एक कई इतिहासकार हसन निजामी ने अपनी पुस्तक ताज उल मासिर से में किया है।

उसके कई वर्षों बाद काशी बड़े-बड़े व्यापारियों ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया और मंदिर फिर से बनकर खड़ा हो गया। मोहम्मद गौरी के बाद फिर कई मुस्लिम आक्रांता आए और उन्होंने फिर से मंदिरों को तोड़ने का प्रयास किया। काशी विश्वनाथ का मंदिर भी इसका शिकार बना। 14 वीं 15 शताब्दी में भी मंदिर को फिर से तोड़ा गया। 14 शताब्दी मंदिर को मुस्लिम शासकों द्वारा फिर से दुबारा तोड़ा गया। ये दूसरा मौका था, जब काशी विश्वनाथ का मंदिर तोड़ा गया। उसके बाद वहाँ 100 वर्षों तक कोई मंदिर नही बन पाया।

15वीं शताब्दी के बाद भारत में मुगलों का आगमन हुआ। अकबर के शासनकाल में अकबर के नवरत्नों में से एक रन राजा टोडरमल ने अपने पुत्र को आदेश देकर वाराणसी के मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। लेकिन जब शाहजहां का शासन काल आया तो शाहजहां ने काशी विश्वनाथ के मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन भारी विरोध के कारण वह मंदिर को तोड़ नहीं सका।

शाहजहाँ के बाद उसका पुत्र औरंगजेब का शासन काल आया जो सभी मुगलों में सबसे क्रूर था। जिसने अपने शासनकाल में हजारों मंदिरों को तोड़ा और काशी विश्वनाथ का मंदिर भी उसके इसी विध्वंस का कारण बना। औरंगजेब ने ही वहाँ पर मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया। उसने जानबूझकर अपने प्रभुत्व को दिखाने के लिए मंदिर के एक तरफ की दीवार को बने रहने दिया ताकि वह हिंदु धर्म के अनुयायियों के बार-बार याद दिलाता रहे।। वह दीवार आज भी मौजूद है, जो कि वहां पर मंदिर होने का पुख्ता सबूत देती है।

उसने मंदिर की दिशा में नंदी बैल की मूर्ति को भी नष्ट नहीं किया गया। आमतौर पर किसी भी शिव मंदिर में नंदी बैल की मूर्ति शिवलिंग की और मुख किए हुए स्थापित की जाती है। काशी विश्वनाथ मंदिर की विवादित जगह पर जहां पर वर्तमान समय में नंदी बैल की मूर्ति है, वह उसे जगह की ओर देख रही है, जहाँ पर मस्जिद बनी हुई है। इससे स्पष्ट होता है मस्जिद की जगह पर कभी वहाँ पर शिव मंदिर था।

औरंगजेब ने काशी में भगवान शिव के मंदिर को जब तोड़ा था तो उसने एक शाही फरमान जारी किया था। वह फरमान आज भी मौजूद है और कोलकाता की एशियाटिक लाइब्रेरी में संरक्षित रखा हुआ है, इससे पुष्टि होती है कि काशी विश्वनाथ में उस जगह पर कभी भगवान शिव का मंदिर था, जिसे तोड़कर औरंगजेब ने वहाँ पर मस्जिद बनवा दी।

औरंगजेब के समय के ही एक तत्कालीन मुस्लिम इतिहासकार साकिब मुस्तइक खान ने अपनी पुस्तक मसीदे आलमगिरि में मंदिर के गिराने का विस्तार पूर्वक वर्णन किया है, जो वहां पर मंदिर के होने की पुष्टि करता है।

उसके अलावा इतिहासकार एलजी शर्मा ने भी अपनी किताब मध्यकालीन भारत में लिखते हैं कि 1669 ईस्वी में औरंगजेब ने अपने सभी सूबेदारों को आदेश दिया था कि जो भी हिंदू मंदिर और हिंदू पाठशाला हैं, उन सबको नष्ट कर दिया जाए।

उसके बाद जब औरंगजेब ने जगह पर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना दी तो फिर वहाँ पर कोई मंदिर नहीं बचा था। लेकिन यह कम 100 साल तक जारी रहा और 100 साल बाद इंदौर की रानी महारानी अहिल्याबाई होलकर ने उस मस्जिद के आसपास की जमीन को खरीद लिया और मस्जिद के पास ही भगवान भोलेनाथ का मंदिर बनाया जोकि वर्तमान समय में मौजूद है, लेकिन यह मंदिर उस जगह पर मौजूद नहीं है जहाँ पर कभी बाबा भोलेनाथ का मंदिर हुआ करता था। उस जगह पर औरंगजेब द्वारा बनवाई गई मस्जिद मौजूद है, जिसके कारण ही सारा विवाद उत्पन्न हो रहा है।

इसी परिसर में विश्वनाथ मंदिर बनवाया, जिस पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया और नेपाल के महाराजा ने वहाँ पर नंदी की प्रतिमा स्थापित करवाई। नंदी की प्रतिमा का मुख उल्टा होने का रहस्य यही है कि पहले जहाँ मंदिर था, वहाँ मस्जिद बना ली गई।

इसी मंदिर को की जगह को दुबारा पाने के लिए हिंदु धर्म के लोग संघर्ष करते रहे। 1810 को बनारस में अंग्रेज अधिकारी वाटसन ने वाइस प्रेसिडेंट इन काउंसिल को खत लिखकर ज्ञानवापी परिषद हिंदुओं को हमेशा के लिए सौंपने के लिए कहा था, लेकिन यह भी कभी संभव नही हो सका।

एक अंग्रेज लेखक ने अपनी पुस्तक बनारस इलस्ट्रेटेड में विस्तान  में लिखा है कि मस्जिद की जगह पर शिव मंदिर था। उसके लिए उसने वैज्ञानिक तकनीक की सहायता से अध्ययन करके ये निष्कर्ष निकाला। उन्होंने अपनी किताब में वहां पर कई हिंदू कलाकृतियां होने की भी बात की। उन्होंने आज से 200 साल पहले यह कह दिया था कि मंदिर को एक नहीं कई बार तोड़ा गया और यह सब उन्होंने बाकायदा साइंटिफिक सर्वे करके साबित किया।

80 के दशक में मामले ने फिर से जोर पकड़ना शुरु किया।

उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था और भारत के लोग भारत के स्वतंत्रता के आंदोलन में सक्रिय हो गए थे इस कारण मंदिर का मामला ठंडा पड़ा रहा।

1984 में विश्व हिंदू परिषद इस मुद्दे को फिर से उठाया जब वह हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखने वाले तीन मंदिरों का जब जिक्र किया, तब पहली बार ज्ञानवापी मस्जिद का भी मामला फिर उछला। ये तीन मंदिरों में अयोध्या, मथुरा और काशी के मंदिर थे।

उस समय अयोध्या के राम मंदिर पर अधिक फोकस किया जा रहा था। 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहली बार पिटीशन लगाई गई और पिटीशन लगाकर ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी।

1991 के बाद से काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रगति रिपोर्ट

  • काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मामले सबसे पहली बार 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दायर किया गया था। इस याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई थी। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इस याचिका में शामिल थे।
  • इस याचिका के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में तत्कालीन नरसिम्हाराव की कांग्रेस सरकार ने पूजा स्थल कानून बना दिया।
  • इस पूजा स्थल कानून 1991 के अनुसार 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता था। इसका उल्लंघन करने पर तीन साल की सजा का प्रावधान थी।
  • अयोध्या का मामला उस वक्त अदालत में में था इसलिए अयोध्या के मामले को इस कानून से अलग रखा गया था।
  • ज्ञानवापी मंदिर के मामले में इसी कानून का हवाला देकर ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की गई।
  • इसी कानून को आधार बनाकर मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
  • तब 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया।
  • उसके बाद 25 साल तक इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश करती जा रही।
  • 2018 में मामले ने फिर बल पकड़ना शुरु किया जब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी मामले में स्टे ऑर्डर की वैधता केवल छह महीने के लिए ही होगी। उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा।
  • सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद 2019 में वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवारी मामले की सुनवाई शुरू हुई।
  • 2021 में इस मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दी। ये निर्णय इस मामले में हिंदु पक्ष की एक बड़ी सफलता माना गया।
  • उसके बाद कोर्ट के इस आदेश के बाद में एक कमीशन नियुक्त किया गया और इस कमीशन को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए। 10 मई तक अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी थी।
  • उसके बाद मंदिर का सर्वे पुरातात्विक सर्वे होना शुरु हो गया। 6 मई को केवल एक दिन का ही सर्वे हो पाया था कि मुस्लिम पक्ष इसके विरोध को लेकर कोर्ट पहुँच गया।
  • 12 मई को मुस्लिम पक्ष द्वारा की गई कमिश्नर को बदलने की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया और ये आदेश भी पारित किया कि 17 मई तक सर्वे का काम पूरा कर लिया जाए और रिपोर्ट बनाकर अदालत में पेश की जाए।
  • कोर्ट ने कहा सर्वे का काम बिना किसी रोक-टोक तुरंत ही पूरा करने का आदेश दिया।
  • 14 मई से ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की का पूरा सर्वे हुआ। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई।
  • 16 मई तक सर्वे हो चुका था। हिंदू पक्ष ने इसके वैज्ञानिक सर्वे की मांग की। मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया।लेकिन  21 जुलाई 2023 को जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी देते हुए ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दे दिया।
  • उसके बाद ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे शुरु हो गया। लगभग 100 दिनों तक ये सर्वे चला।
  • जो सर्वे हुआ था उसकी रिपोर्ट पुरातात्विक विभाग द्वारा अदालत में जमा की जा चुकी थी लेकिन उस रिपोर्ट के सार्वजनिक नही किया गया था।
  • 24 जनवरी 2024 को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने ने वादी पक्ष को सर्वें रिपोर्ट दिए जाने का आदेश दिया।
  • 25 जनवरी 2024 को रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई।
  • पुरातात्विक विभाग की जो रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक ज्ञानवापी में जो सर्वे हुआ उसमे ये पाया गया कि मस्जिद के अंदर ऐसे अनेक प्रमाण मिले हैं जो वहाँ पर पहले किसी मंदिर के होने के पुष्टि करते हैं।

पुरातात्विक विभाग के रिपोर्ट के अनुसार

  • 100 दिनों तक चले इस सर्वे में कल 321 ऐसे प्रमाण मिले हैं, जो उसे जगह पर किसी हिंदू मंदिर के होने की पुष्टि करते हैं।
  • सर्वे में शिव, विष्णु, कृष्ण, हनुमान आदि की मूर्तियां मिली हैं।
  • मंदिर के ऐसे कई संरचनायें मिली, जिन्हें प्लास्टर और चूने के द्वारा छुपाया गया। उस प्लास्टर और चूने को हटाने पर पाया गया कि ये मंदिर का स्ट्रक्चर है।
  • मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव के नाम लिखे हुए पाए गए हैं।
  • मंदिर की जो पश्चिमी दीवार है वह स्पष्ट रूप से किसी हिंदू मंदिर की दीवार नजर आ रही है, क्योंकि उसकी संरचना पूरी तरह किसी हिंदू मंदिर के दीवार की संरचना की तरह ही पाई गई है। उस पर स्वास्तिक और त्रिशूल के निशान भी पाए गए हैं, जो वहाँ पर मंदिर होने की पुष्टि करते हैं।
  • इस सर्वे में 32 ऐसे शिलालेख और पत्थर आदि भी पाए गए जिन पर यह लिखी भाषा से स्पष्ट होता है कि वहां पर कोई हिंदू मंदिर था। यह पत्थर और शिलालेख वहाँ पर किसी हिंदू मंदिर के होने की पुष्टि करते हैं। इन पर देवनागरी लिपि के अलावा कन्नड़ और तेलुगु जैसी भाषाओं में लिखे हुए शिलालेख भी पाए गए हैं। इन शिलालेखों में कई शिलालेखों पर भगवान शिव के नाम भी लिखे हुए पाए गए हैं।
  • मंदिर में एक खंडित शिवलिंग भी पाया गया है। उसके अलावा नंदी बैल की खंडित मूर्ति भी पाई गई है। एक गदा का ऊपरी भाग भी प्राप्त हुआ है। गदा एक ऐसा अस्त्र है, जो हिंदू राजाओं द्वारा ही प्रयोग किया जाता था।
  • ऐसी कई आकृतियां पाई गईं है, जो किसी हिंदू मंदिर या हिंदू राजा द्वारा की बनवाई गई थीं।
  • मंदिर के सर्वे के दौरान यह भी पाया गया कि मंदिर में पाई जाने वाली कई आकृतियों और संरचनाओं तथा मूर्ति आदि को मिटाने और नष्ट करने का भी प्रयास किया गया है ताकि इन साक्ष्यों को मिटाया जा सके।
  • दीवारों पर जो हिंदू देवी देवताओं के नाम अंकित थे, उन्हें खुरचकर मिटाने का प्रयास किया है।

अब इस मामले में आगे क्या होता है और अदालत का क्या रूख रहता है ये देखना होगा।


ये भी पढ़ें…

अयोध्या के श्रीराम मंदिर कैसे जाएं? जानें पूरी गाइड।

वाराणसी का स्वर्वेद महामंदिर जो संसार का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र है, जानें इसके बारे में।

सर्वाइकल कैंसर क्या है? ये महिलाओं के लिए क्यों खतरनाक है? इससे कैसे बचें?

सर्वाइकल कैंसर क्या (What is cervical caner) है, जो महिलाओं के लिए जानलेवा साबित होता है। इससे कैसे बचें? आइए जानते हैं…

सर्वाइकल कैंसर: एक संपूर्ण जानकारी (What is Cervical Cancer)

मॉडल पूनम पांडे की सर्वाइकल कैंसर से डेथ की अफवाह पिछले दिनों उड़ी थी जोकि खुद मॉडल द्वारा ही उड़ाई गई थी। बाद में अगले दिन खुद मॉडल ने खुद की बताया कि ऐसा उन्होंने सर्वाइकल कैंसर को के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए किया था। तो सर्वाइकल कैंसर की चर्चा चल पड़ी कि ये रोग क्या है।

सर्वाइकल कैंसर एक गंभीर रोग है जो महिलाओं के गर्भाशय के ग्रीवा क्षेत्र में उत्पन्न होता है। इसका कारण वहाँ पर इंफेक्शन हो सकता है, जो लंबे समय तक धीरे-धीरे बढ़ता रहता है और समय के साथ कैंसर बन जाता है। इस पोस्ट में हम इस जानलेवा बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (Cervical Cancer) क्या है?

सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय के ग्रीवा क्षेत्र में विकसित होने वाला कैंसर है। यह अक्सर एक प्रकार के वायरस, जिसे ह्यूमन पैपिल्लोमावायरस (HPV) कहा जाता है, के कारण होता है। इसका वायरस एक साथी से दूसरे साथी में सेक्सुअल संबंधों के माध्यम से फैलता है।

सर्वाइकल कैंसर तब शुरू होता है, जब गर्भाशय ग्रीवा में स्वस्थ कोशिकाएं असामान्य हो जाती हैं और नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, जिससे एक संरचना बन जाती है, जिसे ट्यूमर कहा जाता है। गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय का निचला हिस्सा है जो योनि से जुड़ता है। गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर आमतौर पर समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है, क्योंकि गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर पूर्व परिवर्तन होते हैं। यदि उपचार न किया जाए, तो ये असामान्य कोशिकाएं कैंसर बन सकती हैं और आस-पास के ऊतकों पर आक्रमण कर सकती हैं या शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं।

सर्वाइकल कैंसर क्यों होता है?

सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण है, HPV इंफेक्शन, जो कई प्रकार का हो सकता है। इस इंफेक्शन के कुछ प्रकार अपने आप समाप्त हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामूली होते हैं और समय के साथ कैंसर में बदल जाते है।

सर्वाइकल कैंसर के कितने प्रकार हैं?

सर्वाइकल कैंसर कई प्रकार के हो सकते हैं, जो उनकी प्रकृति पर निर्भर करता है। सामान्यत: गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के दो मुख्य प्रकार हैं:

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, जो गर्भाशय ग्रीवा के बाहरी भाग की पतली, सपाट कोशिकाओं में शुरू होता है और एडेनोकार्सिनोमा, जो आंतरिक गर्भाशय ग्रीवा की ग्रंथि कोशिकाओं में विकसित होता है।

सर्वाइकल कैंसर का प्राथमिक कारण ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के खिलाफ नियमित जांच और टीकाकरण के माध्यम से सर्वाइकल कैंसर को अत्यधिक रोका जा सकता है।

सर्वाइकल कैंसर के सामान्य लक्षणों में योनि से असामान्य रक्तस्राव, पेल्विक दर्द, सेक्स के दौरान दर्द और योनि स्राव शामिल हैं। हालाँकि, कई महिलाओं में शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसीलिए पैप परीक्षण और एचपीवी परीक्षणों के साथ नियमित सर्वाइकल कैंसर की जांच इसका पता लगाने और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है।

इसके क्या लक्षण हैं?

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण अक्सर अस्वस्थता या इंफेक्शन के सामान्य लक्षणों के साथ मिलते हैं, लेकिन कभी-कभी वे अद्वितीय हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं बार-बार पेशाब का इरादा, खूनी पेशाब, और तेजी से वजन घटाना।

इससे क्या नुकसान होते हैं?

सर्वाइकल कैंसर गंभीर हो सकता है और अगर समय पर नहीं रोका जाता है, तो यह जानलेवा हो सकता है। ये पीड़ित स्त्री के स्वास्थ्य को बेहद बुरी तरह प्रभावित करता है।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव कैसे किया जा सकता है?

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए नियमित गाइनेकोलॉजिकल चेकअप अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। HPV वैक्सीनेशन भी एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय है जो इस बीमारी से बचाव कर सकता है।

उपचार के विकल्प कैंसर के चरण पर निर्भर करते हैं, लेकिन इसमें सर्जरी, विकिरण, कीमोथेरेपी या संयोजन शामिल हो सकते हैं। मुख्य शल्य प्रक्रिया हिस्टेरेक्टॉमी, गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा को हटाना है।

कई महिलाएं सर्वाइकल कैंसर के इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाती हैं, खासकर जब शुरुआती चरण में इसका पता चल जाता है। दर्द, थकान और अन्य दुष्प्रभावों को देखने के लिए देखभाल उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

उचित जांच और सही देखभाल से, सर्वाइकल कैंसर के अधिकांश मामलों और मौतों को रोका जा सकता है। एचपीवी टीकाकरण और सुरक्षित यौन व्यवहार भी इसके जोखिम को कम करते हैं। लेकिन अगर सर्वाइकल कैंसर होता है, तो बीमारी और आपके उपचार विकल्पों को समझने से इसके निदान और उपचार से निपटने में मदद मिल सकती है।

सर्वाइकल कैंसर का उपचार क्या है?

इस बीमारी का सही समय पर पता लगाना महत्वपूर्ण है, और यह विभिन्न तरीकों पता लगाया जा सकता है, जैसे कि शल्यचिकित्सा, रेडिओथेरेपी, और कीमोथेरेपी।

यदि असामान्य ग्रीवा कोशिकाएं पाई जाती हैं, तो कोल्पोस्कोपी और बायोप्सी जैसे आगे के परीक्षण यह निर्धारित कर सकते हैं कि कैंसर मौजूद है या नहीं। परिणामों के आधार पर, ट्यूमर के आकार और यह फैल गया है या नहीं, इसका आकलन करने के लिए सर्वाइकल कैंसर का चरण I से IV तक किया जाता है। गर्भाशय ग्रीवा तक सीमित प्रारंभिक चरण के कैंसर का पूर्वानुमान सबसे अच्छा होता है।

Disclaimer
इस आर्टिकल में आपको जो भी जानकारी दी गई है वह मेडिकल बैकग्राउंड वाली कुछ वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर तैयार की गई। किसी जानकारी में कोई त्रुटि होना मानवीय भूल हो सकती है। इस आर्टिकल में उपलब्ध जानकारी को केवल बेसिक नॉलेज के रूप में समझे। यहाँ किसी चिकित्सीय एक्सपर्ट की कोई राय नही है।

 


ये भी पढ़ें…

अयोध्या के श्रीराम मंदिर कैसे जाएं? जानें पूरी गाइड।

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री राम के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा हो चुकी है। अब हर कोई श्री राम के दर्शन करना चाहता है। श्री राम मंदिर (Shri Ram Mandir) में कैसे जाएं, बिल्कुल आसान तरीके से समझें.. 

श्रीराम मंदिर अयोध्या – एक पूर्ण गाइड (Shri Ram Mandir)

अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित एक पवित्र नगरी है जो हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ पर श्री राम जी की जन्मभूमि स्थित है जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आकर उनके दर्शन करते हैं। इस पोस्ट हम आपको अयोध्या के राम मंदिर के बारे में विस्तार से बताएंगे।

श्री राम जन्म स्थान

राम मंदिर अयोध्या उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में स्थित है। यहां पर श्री राम जन्मभूमि है और यह भगवान श्री राम के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

हिंदू धर्म में प्रभु श्री राम का बहुत महत्व है। प्राचीन मान्यताओं और धार्मिक आस्था के अनुसार अयोध्या में ही प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था। अयोध्या एक प्राचीन धार्मिक नगरी है। यह 5000 वर्षों से हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र नगरी रही है।

उस जगह पर जहां पर श्री राम का जन्म हुआ था। वहाँ पर अयोध्या में भव्य विशाल मंदिर बनकर तैयार हुआ है। उसके बाद से 2024 में वहाँ पर भव्य विशाल श्रीराम मंदिर बनकर तैयार हो गया है। जहाँ पर 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्री राम के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा हुई।

उसके बाद से पूरा भारत देश राममय हो गया है। हर कोई अयोध्या जाना चाहता है और प्रभु श्रीराम के दिव्य दर्शन करना चाहता है।

अयोध्या कहाँ पर है?

अयोध्या भारत के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित एक छोटा सा नगर है। जो श्री राम जन्मभूमि होने के कारण एक बेहद पवित्र तीर्थ क्षेत्र बन गया है। अयोध्या दिल्ली से अयोध्या की दिल्ली से दूरी लगभग 700 किलोमीटर है।

दिल्ली से तथा भारत के कई प्रमुख शहरों से अयोध्या के लिए ट्रेन सेवा उपलब्ध है। यदि आपको अयोध्या जाना है तो आप दिल्ली से अयोध्या के लिए ट्रेन से जा सकते हैं। नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन अयोध्या जाने के लिए कई ट्रेन उपलब्ध है। अभी हाल में ही दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनस रेल्वे स्टेशन से अयोध्या के लिए वंदे भारत ट्रेन शुरु की गई है। जो आपको दिल्ली से अयोध्या साढ़े आठ घंटे में पहुँचा देगी। ये ट्रेन सुबह 6 बजे चलती है।

इसके अलावा अयोध्या के लिए अब विमान सेवा भी शुरू हो गई है, क्योंकि अयोध्या में भव्य एयरपोर्ट बनकर तैयार हो गया है। भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से विशेषकर दिल्ली-मुंबई से अयोध्या के लिए सीधी विमान सेवा है।

अयोध्या जाने के लिए यदि आप ट्रेन से आगे जा रहे हैं तो आपको अयोध्याधाम जंक्शन रेलवे स्टेशन उतरना पड़ेगा जो कि नया-नया बना है और यह स्टेशन इतना अधिक विकसित किया गया है कि यह किसी एयरपोर्ट से जैसा लुक देता है।

अयोध्या कब जाएं?

वैसे तो ये आस्था का विषय है। जब आपकी आस्था है आप जा सकते हैं, क्योंकि प्रभु के दर्शन करने के लिए सुविधाएं नही देखी जातीं। फिर भी अगर आप मौसम देखकर जाना चाहे तो श्री राम मंदिर में श्री राम के दर्शन करने के लिए सबसे उचित समय अक्टूबर से मार्च महीने के बीच का है, क्योंकि इस समय बहुत अधिक गर्मी नहीं पड़ती है।

अप्रैल के बाद जून महीने तक यहां पर भीषण गर्मी पड़ती है, इसलिए अक्टूबर से मार्च का महीना का समय सबसे उपयुक्त समय है।

अयोध्या पहुँच कर कहाँ ठहरें

श्रीराम का मंदिर अयोध्याधाम रेल्वे स्टेशन से मात्र 1-2 किलोमीटर की दूरी पर ही है। आप चाहें तो यहाँ पर पैदल या ई रिक्शा के माध्यम से पहुंच सकते हैं।  अगर आप प्लाइट से जा रहे है तो भी अयोध्या एअरपोर्ट उतरकर आप आसानी से श्रीराम मंदिर पहुँच सकते हैं।

 श्री राम मंदिर के आसपास एक से दो किलोमीटर के एरिया में आपको 500 से लेकर 2000 प्रतिदिन के अनेक होटल और धर्मशालाएं मिल जाएंगी। सीजन के अनुसार रेट में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

अयोध्या स्टेशन से आपको ई रिक्शा अथवा टैक्सी के रूप में कई तरह के साधन मिल जाएंगे, जिनके द्वारा आप श्री राम मंदिर पहुंच सकते हैं। एयरपोर्ट से भी आपको ई रिक्शा टैक्सी के रूप में सार्वजनिक साधन मिल जाएंगे।

हनुमानगढ़ी मंदिर

अयोध्या में श्री राम का दर्शन करने से पहले मान्यता है कि हनुमानगढ़ी मंदिर जाना बेहद आवश्यक होता है। हनुमानगढ़ी मंदिर हनुमान जी का मंदिर है, जो अयोध्या के हनुमानगढ़ी नामक स्थान पर है। आप यदि अयोध्या सुबह पहुंच जाते हैं तो आप किसी होटल आदि में ठहरकर फ्रेश होकर सबसे पहले हनुमानगढ़ी के दर्शन करें। फिर श्रीराम में श्रीराम के दर्शन करें।

हनुमानगढ़ी मंदिर श्री राम मंदिर के बाद अयोध्या का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पर भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है। हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन के बाद से श्री राम मंदिर की दूरी केवल आधा किलोमीटर है इसीलिए आप हनुमानगढ़ी मंदिर में श्री हनुमान के दर्शन करने के बाद श्री राम मंदिर के दर्शन के लिए निकल सकते हैं।

श्री राम मंदिर

राम मंदिर अयोध्या में दर्शन करने के लिए आपको एक विशेष प्रक्रिया का पालन करना होगा। आपको मंदिर के प्रांगण में अपने मोबाइल और कैमरा जैसी इलेक्ट्रॉनिक चीजें नहीं ले जाने दिया जाता है। आप यहां पर लॉकर पर अपनी चीजें सुरक्षित रख सकते हैं। दर्शन करने के लिए आपको मंदिर के द्वार पर ही निशुल्क लॉकर की सुविधा मिलेगी। आप अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को इस लॉकर में रख सकते हैं।

दर्शन का समय

राम मंदिर अयोध्या में दर्शन का समय निम्नलिखित है:

  • सुबह 7:00 बजे से 11:30 बजे तक
  • दोपहर 2:00 बजे से शाम को 7:00 बजे तक
  • रात 10:00 बजे तक (केवल श्रीराम जन्मभूमि के लिए)

आरती का समय

राम मंदिर अयोध्या में दो बार आरती होती है। पहली आरती सुबह 6:30 बजे होती है और दूसरी आरती शाम को 7:30 बजे होती है। आप ऑनलाइन श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की वेबसाइट पर जाकर अपने दर्शन का समय रजिस्टर कर सकते हैं।

धार्मिक स्थानों के आसपास होटल

अयोध्या जी में आपको राम मंदिर के आसपास एक से दो किलोमीटर की दूरी पर होटल्स और धर्मशालाओं की विविधता मिलेगी। आप अपनी प्राथमिकता के अनुसार होटल का चयन कर सकते हैं।

प्रमुख दर्शन स्थल

राम मंदिर के अलावा, अयोध्या में कई प्रमुख दर्शन स्थल हैं। हनुमानगढ़ी मंदिर, दशरथ महल, कनक भवन आदि इनमें से कुछ हैं। आप अपनी यात्रा के दौरान इन स्थलों का भी दर्शन कर सकते हैं।

अयोध्या एक तीर्थ नगरी है लेकिन यह एक बहुत बड़ा शहर नहीं है यदि आप चाहे तो एक दिन में ही श्री राम मंदिर के दर्शन तथा अन्य मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। इसके लिए आप एकदम सुबह अयोध्या नगरी पहुंचकर किसी होटल में या धर्मशाला में ठहरें और नहा धोकर तैयार होकर सबसे पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में श्री हनुमान जी के दर्शन करें। उसके बाद श्री राम मंदिर के दर्शन करने के लिए जाएं। उसके बाद आप अयोध्या के अन्य मंदिरों के भी दर्शन कर सकते हैं। इस तरह आप एक दिन में ही सभी मंदिरों के दर्शन करके शाम को वापस अपने शहर भी लौट सकते हैं

लेकिन हम आपके सुझाव देंगे कि आप कम से कम दो दिन अयोध्या के लिए निकालकर जाएं, क्योंकि अयोध्या में सरयू नदी के तट पर जो आरती की जाती है, वह बड़ा ही दिव्य वातावरण उत्पन्न करती है। उस आरती में शामिल होकर आरती के दिव्या भाव को अनुभव करें और अगले दिन सुबह आप अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान कर सकते हैं।

कौन-कौन से दर्शनीय स्थल हैं?

अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमानगढ़ी के अलावा कनक भवन, दशरथ महल, गुप्तार घाट, सूरजकुंड, आदि जगह प्रसिद्ध हैं। सरयू नदी के तट पर राम कै पैड़ी पर घाटों पर सुबह के समय और शाम के समय होने वाली आरती भी दर्शनीय होती है।

यदि आप दो दिन का समय निकालकर अयोध्या जा रहे हैं तो आप सुबह और शाम की आरती में भी शामिल हो सकते हैं। राम की पैड़ी वह स्थान है, जहाँ पर सरयू नदी के तट पर घाट बने हैं। यहीं पर आरती होती है और उसके बाद शाम के समय लेजर शो भी होता है, जो देखने लायक होता है।

दशरथ महल वह जगह है, जहाँ पर श्री राम के पिता महाराज दशरथ रहा करते थे। कनक भवन वह जगह है, जहां पर श्री राम माता सीता के साथ रहा करते थे। गुप्तार घाट और सूरजकुंड इन जगहों से थोड़ी दूर पर स्थित हैं, लेकिन वहाँ पर भी घूम जा सकता है।

अयोध्या में जाने का खर्चा कितना होगा?

यदि दो लोगों का परिवार या दो जन अयोध्या जा रहे हैं तो आप चाहे तो अयोध्या में 2 से 3000 रुपये में अपना काम निकाल सकते है। इसमें  होटल आदि में ठहरकर और भोजन आदि करके एक दिन में दर्शन करना शामिल है।

भोजन का खर्च एक व्यक्ति पर 500 से ₹700 हो सकता है और होटल में ठहरने का कर्ज ₹2000 हो सकता है। धर्मशाला मे इससे कम में काम हो जाएगा। यदि आप दो दिन का प्रोग्राम बनाकर जा रहे हैं तो दो व्यक्तिों के लिए 2 से 3000 रुपये में अयोध्या नगरी में दर्शन कर सकते हैं।

यदि आप किसी होटल में नहीं ठहरता चाहते तो अयोध्या छोटा सा नगर है और यहां पर सभी दर्शनीय स्थान के दर्शन एक दिन में ही किया जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में आप मात्र ₹500 में भी अपने कार्यक्रम को निपटा सकते हैं, क्योंकि एकदम सुबह आकर सभी मंदिरों के दर्शन कर लें और शाम तक आप वापस निकाल सकते हैं।

अयोध्या छोटा शहर होने के कारण आपको 10 या ₹20 में ई-रिक्शा कहीं पर भी आज आने-जाने के लिए मिल जाएंगे इसलिए यहाँ पर ट्रांसपोर्ट पर बहुत अधिक खर्च नहीं होने वाला।

अंत में…

अयोध्या में राम मंदिर का दर्शन करना एक अद्भुत और आध्यात्मिक अनुभव है। इस स्थान पर आकर श्री राम जी के दर्शन करने का आनंद लें और अपने जीवन को धार्मिकता से प्रेरित करें। यहां पर ध्यान देने योग्य वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता आपको शांति और सुकून का अनुभव कराएगी।


ये भी पढ़ें…

हिंदू धर्म के 33 करोड़ देवी-देवता का सच जानकर हैरान रह जाएंगे।

ये 6 बातें अपनाकर बढ़ती हुई तोंद घटाएं, अपने को बिल्कुल फिट पाएं।

आजकल की अनियमित जीवनशैली के कारण लोग बढ़ती हुई तोंद से परेशान रहते हैं। यहाँ कुछ ऐसे तरीके हैं, जिन्हे अपनाकर आप अपनी बढ़ती हुई तोंद (Belly Fat) को घटाकर उससे छुटकारा पा सकते हैं। 

तोंद से छुटकारा: छह बातें जो पेट की चर्बी कम करने में मदद करती हैं। (Belly fat)

लोग कहते हैं कि सब कुछ ठीक है, लेकिन यह जो तोंद है यह जो पेट पर चर्बी बन गई है, यह कम नहीं होती। इस बात में कोई संदेह नही कि बढ़ती हुई तोंद यानि बैली फैट आजकल हर व्यक्ति की समस्या बन गई है विशेषकर बढ़ती उम्र के साथ तोंद का बढ़ना बेहद आम हो गया है।

एक पुरुष की कमर का साइज 40 से अधिक होना और स्त्री की कमर का साइज 35 से अधिक होना शरीर पर बढ़ रही चर्बी का निशान है और सेहत पर खतरे का सूचक है।

यहाँ आपको कुछ ऐसे उपाय बताएं जा रहे हैं कि आप अपनी बढ़ती तोंद को बढ़ने से रोक सकते हैं और अगर आपकी तोंद बढ़ गई है तो इन उपायों को आजमाकर आप अपने पेट की चर्बी को घटाकर तोंद को कम कर सकते हैं और फिट रह सकते हैं।

नियमित रूप से भरपूर पानी पिएं

नियमित रूप से पानी पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद अच्छा होता है। सुबह उठकर सबसे पहले गुनगुना पानी एक बोतल या दो गिलास दो से तीन गिलास गुनगुना पानी पीने से न केवल पेट साफ होता है, बल्कि यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को गलाने का भी कार्य करता है। इसलिए सुबह उठते ही सबसे पहले हल्का गुनगुना सादा पानी पिएं।

गरम पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है। मेटाबोलिज्म बढ़ाने से शरीर में जो भी फैट जमा होता है, वह पिघलने लगता है और धीरे-धीरे वह फैट कम होने लगता है।

गर्म पानी पीने से पाचन शक्ति भी बेहद दुरुस्त रहती है। इसीलिए सुबह उठते ही सबसे पहले हलका गुनगुना पानी पिएं। कम से कम दो गिलास और ज्यादा हो सके तो 3 या 4 गिलास तक पानी पी सकते हैं। यह आप अपनी क्षमता के अनुसार निर्धारित कर सकते हैं।

हमेशा पेट भर पानी पीने के बाद ही शौच के लिए जाएं। जिससे सुबह-सुबह ही आपका अच्छे से पेट साफ हो जाएगा। पेट अच्छे से साफ होगा तो अंदर जो कई दिनों का पुराना मल पड़ा हुआ है, वो बाहर आएगा। इससे पेट कम होगा।

प्रोटीन का अधिक से अधिक सेवन करें

प्रोटीन शरीर के लिए बेहद आवश्यक है जोकि शरीर की अतिरिक्त चर्बी को घटाने में सहायक होता है। अभी तक अनेक साइंटिफिक रिसर्च के अनुसार प्रोटीन एक ऐसा माइक्रो न्यूट्रिएंट है जो बहुत धीरे-धीरे पचता है। धीरे-धीरे पचने के कारण आपको पेट भरा हुआ होने का एहसास होता है। इसलिए आपको बार-बार खाने की इच्छा नहीं होती।

इसलिए प्रोटीन वाले पदार्थ खाने से पेट की चर्बी और बढ़ी हुई चर्बी को घटाने में मदद मिलती है। प्रोटीन वाले पदार्थ प्रोटीन का डाइट बढ़ाने के लिए प्रोटीन पाउडर का उपयोग करने की कोई जरूरत नहीं। यह बिल्कुल भी ठीक नहीं बल्कि हर तरह की दाल, ओट्स, सोयाबीन, राजमा, डेयरी पदार्थ जैसे पनीर, दूध, दही, घी आदि में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है।

हमेशा शाकाहारी पदार्थ से बने प्रोटीन का ही इस्तेमाल करें। शाकाहारी पदार्थ में पाए जाने वाला प्रोटीन को शेयर जल्दी ऑब्जर्व कर लेता है और यह सेहत के लिए ज्यादा अच्छा होता है। अपने दिन की तीनों डाइट यानी ब्रेकफास्ट लंच और डिनर दोनों में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन डाइट को शामिल करें

शुगर का प्रयोग करना बिल्कुल बंद करें

सफेद चीनी स्वास्थ्य के लिए धीमे जहर के समान है। इसीलिए संभव हो सके तो सफेद चीनी का प्रयोग करना बिल्कुल भी बंद कर दें। मीठा के विकल्प के तौर पर गुड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन सफेद प्रोसैस्ड चीनी का प्रयोग बंद करना आपकी तोंद को घटाने में मदद करेगा।

किसी भी तरह की मिठाई से भी परहेज करें। हलवाइयों के यहां जो भी मिठाई बनाई जाती हैं, वह उसमें बड़ी मात्रा में सफेद शक्कर डाली जाती है। यह सारी मिठाइयां सेहत के लिए ठीक नहीं होती। जलेबी, पेस्ट्री, बिस्किट, गुलाब जामुन, रसगुल्ला आदि सारी मिठाइयां खाना बिल्कुल बंद करें।

तले पदार्थों से परहेज करें

किसी भी तरह के तले हुए पदार्थों से जैसे समोस, कचौड़ी, पकौड़े, पूरी, छोले भठूरे से बिल्कुल परहेज करे। ये तले पदार्थ खाना या बिल्कुल बंद करें या बहुत इच्छा होने पर कभी-कभार खाना ही चुनें।

एक ही तेल में बार-बार खाने को न पकाएं। रिसर्च के मुताबिक तेल का बार-बार इस्तेमाल करने से त्रांस फैट बनने लगते हैं। ट्रांस फैट आर्टिरीज को ब्लॉक करने लगता है। इसलिए कई तले खाने जैसे टिक्की, समोसा, पकोड़े, पूरी और भटूरे को खाने से बचे करते हैं।

कच्ची घानी के शुद्ध तेल में पकाया खाना। गाय के दूध से बने देसी घी का एक चम्मच सब्जी के ऊपर डालकर खाएं। रिसर्च के मुताबिक देसी घी में नेचरली CLA होता है। शुद्ध कच्चे देसी घी को जब किसी खाने के पदार्थ विशेषकर सब्जी के ऊपर डाला जाता है तो वह उस सब्जी में ग्लिाइसेमिक इंडेक्स को कम कर देता है। ग्लिाइसेमिक इंडेक्स कम होने से ब्लड शुगर बढ़ती नहीं है और इंसुलिन भी स्पाइक नहीं होता। इस कारण बहुत अधिक फैट नहीं बनता है, इसलिए खाना खाते समय अपनी सब्जी में एक चम्मच कच्चा गाय का देसी घी डालकर खाएं।

मैदे से बने खाने को खाने से बच्चे और खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं

अपने खाने में मैदे से बने पदार्थों को बिल्कुल भी बंद कर दें और पूरा खाना खाएं। पूरा खाना खाने से मतलब जूस की जगह फल खाएं, मैदे की जगह चोकर वाला आता खाएं। मोटे अनाज को प्राथमिकता दें। अनाज बदल-बदल कर खाएं।

केवल गेहूं की रोटी खाना ही सेहत के लिए ठीक नहीं होता। कई तरह के अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मकई, रागी सभी तरह के अनाजों की रोटियां बारी-बारी से बदल-बदल कर खाएं।

केवल रोटियां ही नहीं बल्कि अपनी डाइट में कभी ओट्स कभी बेसन का चीला, कभी डोसा, कभी चावल इस तरह बदल बदल कर अपनी डाइट में वैराइटी लाएं। इससे आपके शरीर को हर तरह के पोषक तत्व मिलेंगे और फाइबर वाला खाना अधिक मात्रा में लेने से शरीर में फैट बनना बंद होगा।

रात में खाना हमेशा जल्दी खाएं और हल्का खाना खाएं

देर रात को खाना खाना शरीर की सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता। जितना संभव हो 5 से 7 बजे के बीच तक अपना डिनर कर लें। यह भी ध्यान रखें कि सोने से कम से कम 3 घंटे पहले अपना डिनर कर लेना चाहिए। दरअसल रात के समय शरीर का मेटाबॉलिज्म काफी कम हो जाता है जिससे शरीर खाने को ठीक तरह से पच नहीं पाता। इसीलिए शाम 7 बजे से पहले हल्का खाना खा ले।

ध्यान रखें शाम को जो भी खाएं वह हल्का-फुल्का खाना हो। बहुत भारी भरकम डाइट बिल्कुल भी ना लें। यदि आपको रात में 7 बजे के बाद हल्की भूख का एहसास हो तो और कंट्रोल ना हो तो किसी सब्जी आदि का सूप ले सकते हैं। लेकिन रात में भारी भरकम खाना और देर रात डिनर लेना बिल्कुल भी बंद कर दें।

शाम 7 बजे तक खाना खा लेने के बाद कुछ भी ना खाएं और अगली डाइट सुबह 8 से 9 के बीच में लें। इस तरह शरीर को 15-16 घंटे का आराम मिल जाता है और शरीर अपनी डैमेज सेल्स की रिपेयरिंग कर लेता है और उस शरीर की इंसुलिन भी कंट्रोल में रहती है, जो कि शरीर की चर्बी को घटाने में मदद करती है।

रात को खाना खाने और सुबह के ब्रेकफास्ट के बीच 15-16 की घंटे का फास्ट रखना एक बहुत ही कॉमन और प्रभावी उपाय है जो कि हमारे भारतीय समाज में काफी समय से प्रचलन में रहा है।

हमारे गाँवों में देखा गया है कि गाँव के लोग अधिकतर शाम 6-7 बजे तक ही खाना खा लेते थे और फिर सुबह 8 बजे ही नाश्ता करते थे।

तो इस तरह इन उपायों यानि अपनी खान-पान की शैली में ये बदलाव करके आप बढ़ती हुई तोंद को बढ़ने के रोक सकते हैं और अपनी शरीर की चर्बी को कम कर सकते हैं।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

ये भी पढ़ें…

वजन बढ़ाने के ये अनोखे उपाय, इनको जरूर आजमायें। फायदा मिलेगा।

यू-ट्यूब (YouTube) की स्थापना कब हुई? — भारत में यू-ट्यूब कब आया?

YouTube के नाम से कौन परिचित नही होगा? ये एक ऐसा सोशल प्लेटफार्म है जिसने कई लोगों की जिंंदगी बदल दी है। इंटरनेट पर यूट्यूब का आगमन (When YouTube founded) कब हुआ? ये कैसे स्टार्ट हुआ जानते हैं…

यू-ट्यूब के बारे में.. (When YouTube Founded)

यूट्यूब (YouTube) के नाम से कौन परिचित नहीं है। यूट्यूब संसार की सबसे बड़ी वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा है। यह सूचना, मनोरंजन, समाचार, नॉलेज संबंधित हर तरह के कंटेट का माध्यम बन चुका है। ये सबसे उपयोगी सबसे सशक्त सोशल मीडिया माध्यम है। यूट्यूब के माध्यम से अनेक कंटेंट क्रिएटर हजारों लाखों करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। ऐसे में हमें यह जानने की उत्सुकता हो जाती है कि यूट्यूब की स्थापना कब हुई? यूट्यूब का मालिक कौन है? पहला यूट्यूब वीडियो कब डाला गया? तो जानते हैं।

यूट्यूब (YouTube) की स्थापना ’14 फरवरी 2005′ में हुई थी।

वर्तमान समय में यूट्यूब का मालिक गूगल कंपनी है, लेकिन यूट्यूब की स्थापना गूगल ने नहीं की थी बल्कि यूट्यूब को तीन दोस्तों ने मिलकर बनाया था। इन तीन दोस्तों के नाम थे – चैड हर्ले, स्टीव चेन और जावेद करीम।

इन तीनों दोस्तों ने मिलकर 14 फरवरी 2005 में यूट्यूब सोशल वीडियो प्लेटफॉर्म बनाया और इसका पंजीकरण करवाया। ये तीनों अमेरिका के रहने वाले थे और अमेरिका की कॉमर्स कंपनी में पे-पॉल (PayPal) काम करते थे। इन्होंने यूट्यूब का पंजीकरण करवाकर यूट्यूब की स्थापना की।

इन्होंने यूट्यूब पर सब संसार का सबसे पहला वीडियो 24 अप्रैल 2005 को रात 8:27 पर जावेद (Jawed) नाम के चैनल से डाला।

वीडियो का शीर्षक था मी एट जू’ (Me at zoo) वीडियो की अवधि मात्र 19 सेकंड की थी। ये संसार का पहला यूट्यूब वीडियो था। ये वीडियो आज भी यूट्यूब पर मौजूद है, इसको देखने के लिए इस लिंक पर जाएं या नीचे वीडियों देखें…

First YouTube video 24 April 2005

भारत में यूट्यूब कब आया?

भारत में यूट्यूब के शुरुआत की बात की जाए तो भारत में 7 मई 2008 को यूट्यूब लांच हुआ। 7 मई 2008 को गूगल ने यूट्यूब को भारत में आधिकारिक तौर पर लांच किया था।

तब भारत में यूट्यूब को लांच करने में गूगल के साथ  बेनेट कोलमैन एंड कंपनी, यूटीवी, राजश्री ग्रुप और जूम चैनल का भी योगदान है।

इन बड़े कारपोरेट हाउस ने गूगल के साथ मिलकर भारत में यूट्यूब को लांच किया। भारत का पहला यूट्यूब वीडियो किसने और कब बनाया और भारत का पहला यूट्यूब चैनल कौन सा है इस विषय में कुछ स्पष्ट जानकारी नही है।


ये भी पढ़ें…

फेसबुक की स्थापना कब हुई? किसने की? भारत में फेसबुक कब आया?

फेसबुक की स्थापना कब हुई? किसने की? भारत में फेसबुक कब आया?

फेसबुक एक बेहद लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफार्म है। सभी सोशल मीडिया में फेसबुक सबसे अधिक लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफार्म है। इसकी स्थापना कब और कैसे हुई (when Facebook founded) जानते हैं…

फेसबुक के बारे में… (When Facebook Founded)

फेसबुक (Facebook) एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जो संसार का सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। इसके वर्ल्डवाइड यूजर्स की संख्या 300 करोड़ से अधिक है।

फेसबुक की स्थापना की बात की जाए तो फेसबुक की स्थापना “4 फरवरी 2004” को ‘मार्क जुकरबर्ग’ (Mark Zuckerberg) ने की थी।

मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने अपने साथियों डस्टिन मोस्कोविट्ज़ (Dustin Moskovitz), क्रिस ह्यूजेस (Chris Hughes), एंड्रयू मैककोलम (Andrew McCollum), एडुआर्डो सेवरिन (Eduardo Saverin) के साथ मिलकर फेसबुक 4 फरवरी 2004 को अमेरिका के मैसाचुसेट्स के केम्ब्रिज में फेसबुक की स्थापना की थी।

यह दोनों उस समय अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र थे, जोकि कैम्ब्रिज में ही थी। मार्क जुकरबर्ग का पूरा नाम मार्क एलियट जुकरबर्ग है, जो फेसबुक के मुख्य और सह संस्थापक हैं। उन्हें फेसबुक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की स्थापना करने का श्रेय जाता है।

जब उन्होंने 2004 में फेसबुक की स्थापना की था, तब इसका नाम फेसबुक’ था। बाद में 2005 में उन्होंने फेसबुक’ का नाम बदलकर ‘फेसबुक’ कर दिया।

फेसबुक ऐसा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। जहाँ पर लोग अपने व्यक्तिगत जीवन से संबंधित पल, फोटो, वीडियो आदि अपने मित्रों रिश्तेदारों को शेयर करते हैं, जो कि उनकी फ्रेंडलिस्ट में होते है।

  • फेसबुक एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। फेसबुक की लोकप्रियता पूरे संसार में है और यह संसार की लगभग सभी मुख्य भाषा और मुख्य देशों में उपलब्ध है।
  • किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के यूजर्स की संख्या की दृष्टि से फेसबुक नंबर एक है, क्योंकि पूरे संसार में इसकी यूजर्स की संख्या लगभग 3 बिलियन यानी कि 300 करोड़ है।
  • फेसबुक के मुख्य मालिक मार्क जुकरबर्ग संसार के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक हैं।
  • फेसबुक की पैरेन्ट कंपनी का नाम ‘मेटा प्लेटफॉर्म इन्कॉरपोरेशन’ है, इससे पहले इसकी पैरंट कंपनी का नाम फेसबुक इनकॉरपोरेशन था।
  • फेसबुक का मुख्य थीम कलर नीला रंग है, इसका कारण यह है कि इसके मालिक मार्क जुकरबर्ग को एक ऐसी कलर ब्लाइंड बीमारी है, जिसके कारण उन्हें हरे और लाल रंग का अंतर पता नहीं हो पाता। इसी कारण उन्होंने फेसबुक का मुख्य थीम कलर नीला रखा।

भारत में फेसबुक की शुरुआत कब हुई?

भारत में फेसबुक की शुरुआत इसकी स्थापना के लगभग दो साल बाद 26 सितंबर 2006 से हुई थी।

कुछ और तथ्य

  • भारत में ही पूरे संसार में सबसे अधिक यूजर्स है यानि भारत के लोग सबसे अधिक फेसबुक चलाते हैं।
  • दूसरी स्थान पर अमेरिका और फिर ब्राजील और इंडोनेशिया का नंबर आता है।
  • फेसबुक का मुख्यालय अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के मेलोंपार्क में है।
  • फेसबुक का सीईओ मार्क जुकरबर्ग हैं।
  • फेसबुक गूगल और यूट्यूब के बाद संसार में सबसे ज्यादा एक्सेस की जाने वाली तीसरी वेबसाइट है।
फेसबुक का लिंक
Facebook.com

ये भी पढ़ें…

यू-ट्यूब (YouTube) की स्थापना कब हुई? — भारत में यू-ट्यूब कब आया?

क्रिकेट में बैटर के आउट होने के 11 नियमों को जानें।

बहुत से लोगों के मन में क्रिकेट के अलग-अलग नियमों के बारे में जिज्ञासा रहती है। आइए क्रिकेट में कोई भी बैटर कितने तरीकों से आउट हो सकता है (know 11 ways to get a batter out in cricket) इसके बारे में जानते हैं।

क्रिकेट में बैटर के आउट होने के 11 नियम… (11 ways to get a batter out in cricket)

1st तरीका

बोल्ड आउट (Bold out)

क्रिकेट में बोल्ड आउट होने का यह सबसे सामान्य तरीका है। इसमें जब बॉलर द्वारा फेंकी गई गेंद बैटर के बल्ले पर ना लग कर सीधे स्टंप पर लगती है और स्टम्स की गिल्लियां बिखर जाती हैं, तो बैटर को बोल्ड आउट माना जाता है। बोल्ड आउट होने के तरीका किसी बैटर के आउट होने का सबसे स्पष्ट तरीका है। इसमें फील्ड अंपायर या थर्ड अंपायर की भी आवश्यकता नही पड़ती।

2nd तरीका

कैच आउट (Catch Out)

यह भी क्रिकेट में आउट होने का एक सामान्य तरीका है। इस तरीके में जब बैटर गेंद को खेलता है तो गेंद बल्ले से लगकर हवा में उड़ जाती है और मैदान मे खड़े किसी भी फील्डर द्वारा कैच कर ली जाती है, तो उसे कैच आउट माना जाता है। कैच आउट होने की शर्त यह है कि गेंद बल्ले से लगकर जमीन पर टच नहीं हुई हो और बल्ले से लगकर सीधे फील्डर के हाथ में जाए।

वह फील्डर मैदान की बाउंड्री लाइन के भीतर होना चाहिए। गेंद को कैच करते समय फील्डर के शरीर का कोई भी हिस्सा बाउंड्री लाइन को छूना नही चाहिए। गेंद को कैच करने वाला फील्डर मैदान के चारों तरफ खड़े 9 फील्डर हो सकता है अथवा बॉल फेंकने वाला बॉलर भी हो सकता है अथवा विकेट के पीछे खड़ा विकेट कीपर भी हो सकता है।

यदि बॉलर द्वारा फेंकी गई ऐसी गेंद पर कोई फील्डर कैच कर लेता है जो कि अंपायर द्वारा नो-बॉल घोषित कर दी गई हो तो वह बैटर आउट नही माना जाएगा।

3rd तरीका

स्टम्प्स आउट (Stumps out)

यह किसी बैटर के आउट होने का तीसरा सामान्य तरीका का है। इस तरीके में जब बैटर बॉलर द्वारा फेंकी गई गेंद को बैठकर खेलने का प्रयास करता है और वह गेंद को खेलने के प्रयास में अपनी क्रीज से बाहर निकल जाता है और विकेट के पीछे पड़ा विकेट कीपर बॉल से स्टम्प्स की गिल्लियां बिखेर दें तो वह और बैटर क्रीज के बाहर हो तो उस बैटर को आउट माना जाता है।

जब तक बॉलर गेंद को फेंकता है और बैटर गेंद को खेलता है तो ये किसी ओवर की एक बॉल का पूरा प्रोसेस होता है। इस प्रोसेस के पूरा होने तक बैटर क्रीज से बाहर नही होना चाहिए।

4rh तरीका

एलबीडब्ल्यू – लेग बिफोर विकेट (LBW – Leg Before Wicket)

यह किसी बेटर के आउट होने का चौथा सामान्य तरीका है। इसमें जब कोई बॉलर गेंद फेंकता है और बैटर उस गेंद को खेलने का प्रयास करता है, तो यदि वह बॉल को खेलने से चूक जाता है, लेकिन गोल उसके पैड से टकराती है और यदि बॉल की लाइन और पीछे के स्टम्प्स की लाइन एक ही सीध में हों तो उस बैटर को आउट घोषित कर दिया जाता है।

क्योंकि यदि बैटर वह गेंद अपने पैड से नहीं रोकता या उसके पैड से टकराकर गेंद नहीं रुकती तो सीधे स्टंप पर जा लगती और बैटर बोल्ड हो जाता, लेकिन क्योंकि बैटर ने बॉल बैट से खेले बिना पैड से रोका या उसके पैड से टकराक बॉल रुक गई, इसीलिए उस बल्लेबाज को एलबीडब्ल्यू आउट दिया जाता है।

एलबीडब्ल्यू आउट के लिए बॉलर द्वारा फेंकी गई गेंद स्टम्प्स की सीध मे होनी चाहिए। तब ही बॉलर एलबीडब्ल्यू की अपील कर सकता है। एलबीडब्ल्यू आउट करने का तरीका अक्सर अंपायर के विवेक पर होता है। कभी-कभी अंपायर इस मामले में चूककर  जाते हैं और गलत एलबीडब्ल्यू आउट दे देते हैं।

ऐसी स्थिति में थर्ड अंपायर का सहारा लेना पड़ता है जो तकनीक द्वारा वीडियो रीप्ले में गेंद की सही लाइन देखता है कि वास्तव में गेंद बैटर ने बल्ले से नहीं खेली और वह उसके पैड से टकराकर रोकी गई तथा गेंद की लाइन स्टम्स की लाइन की सीध में थी।

5th तरीका

रन आउट (Run out)

किसी भी बटन के आउट होने का पांचवा तरीका है। इसमें और किए जाने पर बैटर का विकेट किसी भी बॉलर को नहीं मिलता बल्कि इसे रन आउट माना जाता है। कोई भी बल्लेबाज रन आउट तब होता है, जब जब वह बॉलर द्वारा फेंकी की गई गेंद को खेल कर दौड़ कर रन लेने का प्रयास करता है और अगले छोर पर पहुंचने से पहले ही फील्डर द्वारा गेंद को स्टंप्स से टकराकर उसकी गिल्लियां बिखेर दी जाती हैं।

यदि रन के लिए दौड़ने वाला बैटर गिल्लियां गिरने से पहले क्रीज तक नहीं पहुंच पाया है तो उसे रन आउट मान लिया जाता है। रन आउट स्थिति में आउट होने का क्रेडिट बॉलर को नहीं मिलता बल्कि जिस फील्डर ने बॉल थ्रो की और जिसने बॉल को टकराकर स्टम्प्स की गिल्लियां बिखेरीं उनका नाम रन आउट करने वालों में शामिल होता है।

6th तरीका

हिट विकेट (Hit Wicket)

इस तरीके में जब कोई बैटर बॉलर द्वारा फेंकी गई गेंद को खेलने का प्रयास करता है तो गेंद को खेलने के प्रयास में वह पीछे की ओर चला जाता है और गलती से उसके पैर अथवा हाथ से टच होकर स्टम्स की गिल्लियां गिर जाती हैं, तो बैटर को हिट विकेट मानकर आउट दे दिया जाता है।

यानी उसने अपनी गलती से ही स्टम्प्स की गिल्लियां गिरा दीं। आमतौर पर बैटर गेंद के खेलने के प्रयास में पीछे जाकर गलती से अपने पैर से स्टम्प्स को टच कर देता है और स्टम्प्स की गिल्लियां गिर जाती हैं। इसलिए उसे हिट विकेट मान लिया जाता है। इस तरह के हिट विकेट आउट में हाथ से स्टम्प्स को टच करने के मामले कम ही होते हैं।

7th तरीका

डबल हिट बॉल या हिट द बॉल ट्वाइस (Double hit or Hit the ball twice)

इस तरीके में जब कोई बैटर बॉल को खेलने का प्रयास करता है और वह बॉल को खेल कर दोबारा से उसी बॉल को हिट करता है यानी बॉल को दो बार बल्ले से हिट कर दे तो उसे डबल हिट या हिट द बॉल ट्वाइस के अन्तर्गत आउट दे दिया जाता है।

8th तरीका

ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्डिंग (Obstructing the field)

जब कोई बैटर किसी फील्डर के द्वारा उस या उसके साथी बैटर को रन आउट करने के प्रयास को रोकता है अथवा किसी फील्डर द्वारा किसी बॉल को कैच करने के प्रयास को रोकता है तो उस बैटर को ‘ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड’ मानकर आउट दे दिया जाता है। ऐसा कोई बैटर जानबूझकर या अनजाने में कर सकता है।

जब बैटर कोई बॉल खेलता है और वह रन लेने के लिए आगे दौड़ता है। उसकी नॉल स्ट्राइकर छोर वाला बैटर भी रन लेने को दौड़ता है। तब फील्डर दोनों बैटर में किसी बैटर को रन आउट करने के लिए गेंद को स्टम्प्स पर हिट करने का प्रयास कर रहा है और बैटर उस स्टम्प्स में बाधा उत्पन्न करे या तो जानबूझकर गेंद और स्टम्प्स के बीच में आ जाए जिससे गेंद स्टम्प्स पर नही लग पाए तो उस बैटर को ‘ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड’ मानकर आउट दे दिया जाता है।

अथवा जब बैटर कोई शॉट हवा में खेल बैठा हो और फील्डर द्वारा उसे कैच करने का प्रयास किया जा रहा हो और बैटर फील्डर को कैच करने में बाधा उत्पन्न करें। या तो बैटर जानबूझकर फील्डर से टकरा जाए या अनजाने में उससे टकरा जाए, जिससे वो फील्डर उस बॉल को कैच नही कर पाए तो बैटर को ‘ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड’ मानकर आउट दे दिया जाता है।

9th तरीका

टाइम आउट (Time out)

किसी भी बैटर के आउट होने के बाद अगले बैटर के मैदान में आने का एक निश्चित टाइम होता है। उस टाइम के अंदर अगले बैटर को मैदान में आना होता है। यह टाइम 3 मिनट का होता है। यदि बैटर के आउट होने के बाद 3 मिनट के अंदर नया बैटर मैदान में नहीं आता है तो जो भी बैटर मैदान में आने वाला है, उसे आउट दे दिया जाता है और वह बैटर बिना कोई गेंद खेले आउट मान लिया जाता है। ऐसी स्थिति में उसके बाद जो बैटर आने वाला है, वह ही आएगा।

10th तरीका

हैंडल्ड दा बॉल (Handled the ball)

जब कोई मैटर गेंद को खेलते समय विरोधी टीम की अनुमति के बिना गेंद को अपने हाथ से छू लेता है अथवा अपने हाथ से रोकने का प्रयास करता है, तो उसे ‘हैडल्ड द बॉल’ मानकर आउट दे दिया जाता है। कोई भी बॉलर गेंद को फेंकता है और उसके बाद बैटर उसे खेलता है, ये किसी ओवर की एक गेंद का प्रोसेस होता है।

इस समय में कोई भी बैटर बॉल को अपने हाथ से छू नहीं सकता, जब तक कि बैटर उस बॉल पर शॉट न खेल ले। इस दौरान वह बॉल के हाथ से छू नही सकता न ही हाथ से रोक सकता है। बॉल पर शॉट पूरा होने के बाद जब रन का प्रोसेस पूरा हो गया है और बॉल बैटर के पास जमीन पड़ी है तो तब वह चाहे तो बॉल को उठाकर बॉलर या फील्डर को दे सकता है। यानि शॉट पूरा होने से पहले और शॉट के दौरान वह बॉल को हाथ से छू नही सकता। शॉट पूरा होने के बाद वह छू सकता है।

11th तरीका

मांकडिंग आउट (Mankading out)

जब कोई बॉलर गेंद को फेंकने जा रहा गो और नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़ा बैटर बॉलर के बॉल फेंकने से पहले ही अपनी क्रीज से बाहर निकल आया हो तो ऐसी स्थिति में बॉलर चाहे तो बॉल को स्टम्प्स से टकराकर नॉन स्ट्राइकर एंड वाले बैटर को आउट कर सकता है। इस तरह आउट हुए तरीके को मांकडिंग आउट कहते हैं।

11-ways-to-get-a-batter-out-in-cricket


ये भी पढ़ें…

आईपीएल (IPL) में 2008 से अब तक कितनी टीमें खेलीं है?

ब्राउन राइस और व्हाइट राइस में क्या अंतर है? कौन सा चावल सेहत के लिए बेहतर है?

सफेद चावल तो सभी खाते हैं, लेकिन ब्राउन राइस का ट्रेंड भी आजकल बहुत चल रहा है। सामान्य चावल और ब्राउन राइस में क्या अंतर (Brown rice vs white rice) है, समझते हैं… 

ब्राउन राइस और व्हाइट राइस (Brown rice vs white rice)

आजकल ब्राउन राइस को खाने का प्रचलन बेहद बढ़ चला है। सफेद चावल के नुकसान बताकर ब्राउन राइस खाने की सलाह अक्सर कई हेल्थ एक्सपर्ट द्वारा दी जाती रही है। सोशल मीडिया पर ब्राउन राइस के अनेक फायदे बताए गए हैं। हेल्थ एक्सपर्ट और डॉक्टर वगैरा पहले से ही सफेद चावल के नुकसान बताते रहे हैं।

सफेद चावल के नुकसानों को बताकर ब्राउन राइस के फायदों और अधिक हाईलाइट किया जाने लगा है। ऐसे में हमें यह जानना हो हो जाता है कि हमारी सेहत के लिए ब्राउन राइस खाना बेहतर है अथवा व्हाइट राइस खाना बेहतर है। उससे पहले हम यह समझ लेते हैं कि ब्राउन राइस आखिर होता क्या है और व्हाइट राइस यानि सफेद चावल क्या है?

ब्राउन राइस क्या है?

ब्राउन राइस के बारे में सबसे पहले यह जान ले कि यह कोई विशेष तरीके से उगाया उगाया गया चावल नहीं है। बल्कि यह वही सामान्य चावल है जो सामान्य रूप से पाया जाता है। ब्राउन राइस की सबसे मुख्य खासियत यह होती है कि इसको रिफाइंड नहीं किया जाता यानी चावल का प्रसंस्करण करते समय उस की भूसी ऊपर से उतारी नहीं जाती। इस कारण ब्राउन राइस में अधिक पोषक तत्वों की मात्रा होती है।

चूँकि ब्राउन राइस के ऊपर से उसकी भूसी नहीं उतारी जाती इसलिए वह भूरे रंग का दिखता है। इसी कारण उसे ब्राउन राइस कहते हैं। आमतौर पर चावल के दानों को उसकी फसल से अलग करते समय चावल के धान में से चावल निकालते समय उसकी रिफायनिंग की जाती है और पॉलिशिंग की जाती है। इस प्रक्रिया में चावल के ऊपर से उसकी भूसी यानी धान के छिलके उतार लिए जाते हैं। फिर जो चावल तैयार होता है वह सफेद चावल कहलाता है। जिसके छिलके पूरी तरह नही उतारे जाते हैं और उन पर भूसी लगी रह जाती है तथा उन दानों की पॉलिशिंग नही की जाती है, वह ही ब्राउन राइस बनता है।

इस चावल की प्रोसेसिंग करते समय चावल के धान के छिलके पूरी तरह नही उतारे जाते हैं। इसलिए इन चावल के छिलकों में पोटेशियम, मैग्नीशियम, प्रोटीन, फास्फोरस जैसे मिनरल की मात्रा सफेद चावल के मुकाबले अधिक पाई जाती है। इसीलिए एक्सपर्ट ब्राउन राइस को खाने की सलाह देते हैं और आजकल सेहत के नाम पर ब्राउन राइस खाने की सलाह देने वाले बातें अनेक लोगों द्वारा सुनी जाती हैं।

लेकिन हमें ब्राउन राइस के फायदे और नुकसान तथा सफेद चावल के फायदे एवं नुकसान दोनों के बारे में जान लेना चाहिए। यह जरूरी नहीं कि हमेशा ब्राउन राइस हमेशा सबके लिए फायदेमंद ही हो और इसे  खाना सेहत के लिए अच्छा ही हो और यह भी जरूरी नहीं कि सफेद चावर हमेशा नुकसानदायक ही होता है। इसलिए भूरा चावल यानि ब्राउन राइस तथा सफेद चावल यानि व्हाइट राइस के फायदे एवं नुकसान के बारे में जानते हैं…

ब्राउन राइस खाने के फायदे

ब्राउन राइस मानव शरीर के ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। इसको खाने से ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ता। इसीलिए ब्राउन राइस को व्हाइट राइस की तुलना में खाना अधिक फायदेमंद बताया जाता है।

ब्राउन राइस में कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा व्हाइट राइस के मुकाबले अधिक पाई जाती है, जिससे यह शरीर की हड्डियों के लिए एक अच्छा स्रोत है।

ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा भी अधिक पाई जाती है। ब्राउन राइस को खाने से पेट को भरा होने का एहसास होता है और इसलिए कम मात्रा में खाया जाता है, जिससे वेट लॉस में मदद मिलती है।

ब्राउन राइस में प्रोटीन की मात्रा भी व्हाइट राइस के मुकाबले अधिक पाई जाती है। ब्राउन राइस को खाने से स्ट्रेस लेवल कम होता है और यह दिल के लिए भी बेहद अच्छा होता है।

ब्राउन राइस हमारे शरीर में पढ़ने वाले कोलस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है जिससे हृदय रोग की संभावना कम होती है। इसमें फाइबर अधिक मात्रा में होने के कारण यह खाने को धीरे-धीरे पचाता है, जिससे भूख कम लगती है। इससे वेट लॉस में मदद मिलती है।

ब्राउन राइस खाना डायबिटीज के लोगों के लिए भी बेहद अच्छा है जो रोगी टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हैं, उन्हें अपने डायबिटीज को कंट्रोल करने में ब्राउन राइस मदद करता है। ब्राउन राइस में फाइबर प्रोटीन फाइटोकेमिकल और मिनरल की पर्याप्त मात्रा पाए जाने के कारण यह डायबिटीज में बेहद लाभकारी है। यह शरीर में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है।

ब्राउन राइस वेट लॉस यानी वजन को नियंत्रित करने में बेहद फायदेमंद होता है। ब्राउन राइस हड्डियों को दुरुस्त करने के लिए बेहद फायदेमंद है, इसमें मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, इसी कारण बोन मिनरल डेंसिटी को बढ़ाने में यह मदद करता है।

ब्राउन राइस खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है क्योंकि इसमें विटामिन पाया जाता है जो एक एंटीऑक्सीडेंट का कार्य करता है। इसका सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।

हृदय के लिए ब्राउन राइस फायदेमंद होता है क्योंकि इसको खाने से हृदय रोग की संभावना कम होती है। अस्थमा जैसे रोगों में भी ब्राउन राइस फायदेमंद होता है।

बाउन राइस के नुकसान

ब्राउन राइस के कुछ नुकसान भी हैं। ब्राउन राइस हर किसी के खाने योग्य नहीं होता। इसको लगातार इसका सेवन करने से बहुत से लोगों को समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।

ब्राउन राइस उन लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है, जिनको पाचन संबंधी समस्याएं हैं क्योंकि यह शीघ्रता से डाइजेस्ट नहीं होता। यह बहुत देर तक पेट के अंदर रहता है और धीरे-धीरे पचता है, इसमें प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है जिससे कब्ज जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

ब्राउन राइस में साइट्रिक एसिड नमक एक कंपाउंड पाया जाता है जो शरीर में मिनरल को आसानी से शोषित नहीं होने देता।

ब्राउन राइस में फोलिक एसिड बहुत कम मात्रा में होता है, जबकि सफेद चावलों में फोलिक एसिड ठीक-ठाक मात्रा में होता है। फोलिक एसिड शरीर के लिए अच्छा माना जाता है और जरूरी ब्राउन राइस को खाने से शरीर के लिए आवश्यक फोलिक एसिड नहीं मिल पाता।

ब्राउन राइस को पकने में अधिक समय लगता है, इसलिए जो रोज चावल खाने के आदी हैं। उनके लिए यह एक परेशानी वाला काम भी हो सकता है।

ब्राउन राइस का स्वाद भी आम चावलों के स्वाद के मुकाबले अलग होता है, जिन्हें सफेद चावल खाने की आदत है वह ब्राउन राइस के स्वाद को शायद पसंद ना करें।

सफेद चावल क्या है?

सफेद चावल एक प्रकार का चावल है जो भूरे चावल को छीलकर और चोकर और बीजों को हटाकर बनाया जाता है। यह दुनिया के सबसे लोकप्रिय खाद्य पदार्थों में से एक है और भारत और कई एशियाई देशों में मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है। सफेद चावल एक अच्छा कार्बोहाइड्रेट स्रोत है और इसमें कुछ पोषक तत्व भी होते हैं, जैसे कि विटामिन बी1, विटामिन बी3 आदि।

हालांकि, सफेद चावल भूरे चावल की तुलना में कम पोषक तत्वों से भरपूर होता है, क्योंकि छीलने और चोकर को हटाने से कुछ पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. सफेद चावल के कुछ फायदे इस प्रकार हैं…

  • यह एक अच्छा कार्बोहाइड्रेट स्रोत है और इसमें कुछ पोषक तत्व होते हैं। सफेद चावल इंस्टेंट एनर्जी का एक अच्छा स्रोत हैय़ सफेद चावल में कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इसका सेवन करने से तुरंत पर्याप्त ऊर्जा मिलती है इसीलिए सफेद चावल इंस्टेंट एनर्जी देने का कार्य करता है।
  • सफेद चावल चूँकि ग्लूटेन फ्री होता है, इसीलिए यह ग्लूटेन से एलर्जी की समस्या वाले लोगों के लिए एक अच्छा आहार स्रोत है। सफेद चावल में ग्लूटेन नहीं पाया जाता, सफेद चावल सुपाच्य होता है। यह बहुत जल्दी पच जाता है। हमारे पाचन तंत्र के लिए यह एक सुपाच्य पदार्थ है। कब्ज की समस्या से परेशान लोगों के लिए सफेद चावल एक अच्छा भोजन है।
  • सफेद चावल ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है तथा इसके अलावा दिल की बीमारियों में भी यह फायदेमंद होता है।
  • सफेद चावल में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो मानव शरीर को फ्री रेडिकल से बचाते हैं।
  • सफेद चावल में पोटेशियम, मैग्नीशियम और पोषक तत्व पाए जाते हैं।
  • यह एक किफायती भोजन है और इसे आसानी से तैयार किया जा सकता है।
  • यह एक बहुमुखी भोजन है और इसे कई तरह से खाया जा सकता है।
  • यह एक ऊर्जा का अच्छा स्रोत है और इसे वर्कआउट के बाद खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है।

सफेद चावल के कुछ नुकसान

  • यह एक ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला भोजन है, जिसका मतलब है कि यह रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है। सफेद चावल डायबिटीज के रोगों के लिए बेहद नुकसानदायक है। सफेद चावल का अधिक सेवन करने से डायबिटीज के खतरे की संभावना बढ़ती है। जिन लोगों को पहले से ही डायबिटीज है, उन्हें सफेद चावल का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • सफेद चावल में कार्बोहाइड्रेट बड़ी मात्रा में पाया जाता है। ये वजन बढ़ाता है। सफेद चावल का ज्यादा सेवन करने से वजन बढ़ने का खतरा रहता है। यह मोटापा बढ़ाने का कार्य करता है। सफेद चावल का अधिक सेवन करने से वजन बढ़ता है और मोटापे की समस्या पैदा हो सकती है।
  • यह एक लो फाइबर वाला भोजन है, जिसका मतलब है कि यह पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • यह एक अनाज है, जो गैर-जैविक होता है।
  • यह एक ग्लूटेन युक्त भोजन है, जो ग्लूटेन से एलर्जी वाले लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • यदि आप सफेद चावल खाते हैं, तो इसे सीमित मात्रा में खाना और इसे अन्य स्वस्थ खाद्य पदार्थों के साथ मिलाना महत्वपूर्ण है. आप सफेद चावल को भूरे चावल, ज्वार, बाजरा या quinoa जैसे अन्य स्वस्थ अनाज के साथ बदल सकते हैं.

यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं कि आप सफेद चावल को स्वस्थ तरीके से कैसे खा सकते हैं।

  • इसे सीमित मात्रा में खाएं
  • इसे अन्य स्वस्थ खाद्य पदार्थों के साथ मिलाएं, जैसे कि सब्जियां, प्रोटीन और साबुत अनाज।
  • इसे बिना किसी अतिरिक्त चीनी या वसा के पकाएं।
  • इसे एक स्वस्थ भोजन के हिस्से के रूप में खाएं, जैसे कि एक अच्छी तरह से संतुलित भोजन के साथ.

यदि आप सफेद चावल खाते हैं, तो यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप इसे स्वस्थ तरीके से खा रहे हैं ताकि आप इसके नुकसान से बच सकें.

निष्कर्ष

यहाँ पर हमने ब्राउन राइस और व्हाइट राइस दोनों के फायदे और नुकसानों के बारे में जाना। अंत में निष्कर्ष यह निकलता है कि ब्राउन राइस अधिक पौष्टिक तथा सेहत के लिए अधिक अच्छा है, लेकिन कुछ मामलों में ब्राउन राइस सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

इसके अलावा ब्राउन राइस एक महंगा आहार है। ये सफेद चावल के मुकाबले महंगा आता है। इस कारण हर कोई इसे अपना नियमित भोजन नहीं बना सकता। ब्राउन राइस हर जगह आसानी से उपलब्ध भी नहीं होता है। सफेद चावल का बुद्धिमानी से प्रयोग करें।

उसे सहायक भोजन के रूप में सीमित मात्रा में प्रयोग करें और कभी-कभी ब्राउन चावल को अपने आहार में शामिल करके अपनी सेहत को एक नया बूस्ट दे सकते है।

Post topic: Brown Rice Vs White Rice

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

ये भी पढ़ें…

वजन बढ़ाने के ये अनोखे उपाय, इनको जरूर आजमायें। फायदा मिलेगा।

Samrat Chaudhary Biography – कौन हैं बिहार के नए उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी? जानिए पूरा परिचय।

सम्राट चौधरी बिहार बीजेपी के प्रमुख नेता हैं, जो अब बिहार के उप-मुख्यमंत्री भी बन चुके है। सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary Biography) कौन हैं? उनके बारे में जानते हैं…

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल के साथ अपना गठबंधन तोड़कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। फिर वह भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना नया गठबंधन बनाकर दोबारा से बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनके साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में भारतीय जनता पार्टी के नेता सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे।

सम्राट चौधरी

सम्राट चौधरी बीजेपी के एक फायर ब्रांड नेता है, जो बिहार बीजेपी के सबसे अग्रणी नेताओं में जाने जाते हैं। आईए सम्राट चौधरी के जीवन का एक आकलन करते हैं…

सामान्य परिचय

सम्राट चौधरी का जन्म 16 नवंबर 1968 को बिहार के मुंगेर जिले के लखनपुर नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम शकुनी चौधरी तथा माता का नाम पार्वती देवी था। वह चौधरी कोइरी जाति से संबंध रखते थे जोकि पिछड़ी जाति की श्रेणी में आती है।

उनके परिवार में उनके माता-पिता शकुनि चौधरी और पार्वती देवी के अलावा उनकी पत्नी ममता कुमारी चौधरी और एक पुत्र तथा एक पुत्री हैं।

शिक्षा

सम्राट चौधरी की आरंभिक शिक्षा बिहार में ही हुई। उसके बाद उन्होंने तमिलनाडु के मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।

राजनीतिक करियर

राजनीति उनको पारिवारिक विरासत में मिली थी, क्योंकि उनके पिता शकुनी चौधरी बिहार के खगड़िया विधानसभा क्षेत्र से सात बार विधायक रहे हैं। इसके अलावा एक बार वह लोकसभा सांसद भी रहे। उनकी माँ पार्वती देवी भी बिहार के तारापुर निर्वाचन क्षेत्र से एक बार विधायक रही हैं।

राजनीति पारिवारिक विरासत में मिली होने के कारण वह जल्दी ही सक्रिय राजनीति में आ गए। जब मात्र 22 साल की उम्र में 1990 में वह सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए। उन्होंने पहली बार तत्कालीन जनता दल की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। जनता दल बाद में टूटकर कई अलग-अलग धड़ों में बट गया और लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल के साथ जुड़ गए। 1999 में वह तत्कालीन राबड़ी देवी सरकार में कृषि मंत्री भी बने।

वह लंबे समय तक राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े रहे। इसी बीच में दो बार 2000 और 2010 में बिहार विधानसभा के परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी बने। इसके अलावा वह बिहार विधान परिषद के भी सदस्य रह चुके हैं। वह 2014 में बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे।

2014 में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल छोड़ दिया और जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए। जब 2014 में नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री बने और सम्राट चौधरी भी जीतन राम मांझी के मंत्रिमंडल में शहरी विकास और आवास मंत्री बने। 2018 तक वह जनता दल यूनाइटेड से जुड़े रहे।

2018 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और 2020 के विधायक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अपना स्टार प्रचारक बनाया था। भारतीय जनता पार्टी के नेता के रूप में उन्होंने बिहार में अच्छी खासी लोकप्रियता प्राप्त कर ली थी।

उनके बारे में कहा जाने लगा कि यदि बिहार में बीजेपी का कोई मुख्यमंत्री बनेगा तो वह सम्राट चौधरी हो सकते हैं। 2021 में जब जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन वाली सरकार की कैबिनेट का विस्तार हुआ तो वह पंचायती राज्य मंत्री बनाए गए। उसके बाद 2022 तक में पंचायती राज मंत्री रहे।

2022 में जब नीतीश कुमार ने एक बार फिर भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया तो सरकार गिर गई और सम्राट चौधरी भी सत्ताविहीन हो गए। लेकिन वह भारतीय जनता पार्टी के नेता के तौर पर बिहार में लगातार सक्रिय रहे। वह नितीश कुमार के मुखर आलोचकों में गिने जाने लगे थे।

अब दोबारा से नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके दोबारा से सरकार बनाई है, जिसमें सम्राट चौधरी बिहार के मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री बने हैं।

सम्राट चौधरी के बारे में कुछ खास बातें

  • सम्राट चौधरी बिहार के बरबत्ता विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके हैं। वह पहली बार 2000 में और दूसरी बार 2010 में परबत्ता विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहे।
  • राजनीतिक कैरियर की दृष्टि से वह राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी इन तीन दलों से जुड़े रहे हैं।
  • सबसे पहले वह 1990 से 2014 तक राष्ट्रीय जनता दल के साथ जुड़े। उसके बाद 2014 में जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए। उसके बाद 2018 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
  • सम्राट चौधरी के पिता शकुनि चौधरी राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख नेताओं में से थे और वह सात बार विधायक तथा एक बार सांसद रह चुके हैं। उनकी माता भी एक बार विधायक रह चुकी हैं।
  • सम्राट चौधरी मार्च 2023 में भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष बने। उसके बाद से वह लगातार बिहार में भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं में अपनी भूमिका निभाते रहे हैं।


ये भी पढ़ें…

बिहार के जननायक नेता – कर्पूरी ठाकुर

गोल-गोल छोटी सी काली मिर्च अद्भुत गुणों से भरी है, जिसके फायदे ही फायदे हैं।

गोल-गोल छोटी सी काली मिर्च हर भारतीय घर में पाई जाती है। ये छोटा सा मसाला अद्भुत गुणों से भरपूर है जो अनेक तरह घरेलू उपायों में काम आता है, आइए इसके फायदे (black pepper benefit) जानते हैं…

काली मिर्च के गुण और फायदे (black pepper benefit)

आइए काली मिर्च के गुण और इसके अद्भुत औषधीय फायदों के बारे में जानते हैं। इनको जानने से पहले हम काली मिर्च को समझ लेते हैं कि ये है क्या?

काली मिर्च का परिचय

भारत में ऐसा कोई घर नहीं होगा जहाँ काली मिर्च का प्रयोग नहीं होता हो। यह मसालों की रानी मानी जाती है। चाहे हम कोई भी सब्जी बनाएं। सब्जी सूखी हो या रसेदार या फिर नमकीन से लेकर सूप आदि तक, सभी तरह के व्यंजन में काली मिर्च का प्रयोग जरूर होता है।

भोजन में काली मिर्च का इस्तेमाल केवल स्वाद के लिए नहीं किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक है। काली मिर्च एक अच्छी औषधि भी है। लंबे समय से आयुर्वेद में इसका औषधीय प्रयोग होता रहा है। वास्तव में काली मिर्च के औषधीय गुणों के कारण ही इसे भोजन में शामिल किया जाता है।

काली मिर्च का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। काली मिर्च के काफी अधिक औषधीय लाभ हैं। यह वात और कफ को नष्ट करती है और कफ तथा वायु को निकालती है। यह भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, लीवर को स्वस्थ बनाती है और दर्द तथा पेट के कीड़ों को खत्म करती है। यह पेशाब बढ़ाती है और दमे को नष्ट करती है। तीखा और गरम होने के कारण यह मुंह में लार पैदा करती है और शरीर के समस्त स्रोतों से मलों को बाहर निकाल कर स्रोतों को शुद्ध करती है। इसे प्रमाथी द्रव्यों में प्रधान माना गया है।

आइए जानते हैं कि आप बीमारियों को ठीक करने के लिए काली मिर्च का उपयोग कैसे कर सकते हैं।

क्या है काली मिर्च

काली मिर्च एक औषधीय मसाला है। इसे काली मिर्च भी कहते हैं। यह दिखने में थोड़ी छोटी, गोल और काले रंग की होती है  इसका स्वाद काफी तीखा होता है। इसकी लता बहुत समय तक जीवित रहने वाली होती है। यह पान के जैसे पत्तों वाली, बहुत तेजी से फैलने वाली और कोमल लता होती है। इसकी लता मजबूत सहारे से लिपट कर ऊपर बढ़ती है। एक वर्ष में इसकी लगभग दो उपज प्राप्त होती हैं।

पहली उपज अगस्त-सितम्बर में और दूसरी मार्च-अप्रैल में। बाजारों में दो प्रकार की मिर्च बिकती है – सफेद मिर्च और काली मिर्च। काली मिर्च की तासीर आयुर्वेद के अनुसार न शीत है और न उष्ण, लेकिन कहीं-कहीं पर इसको उष्ण तासीर का भी बताया गया है।

कुछ लोग सफेद मिर्च को काली मिर्च की एक विशेष जाति मानते हैं। कोई सहिजन के बीजों को ही सफेद मिर्च मान लेते हैं। सफेद मिर्च काली मिर्च का ही एक अलग रूप है। आधे पके फलों की काली मिर्च बनती है तथा पूरे पके फलों को पानी में भिगोकर, हाथ से मसल कर ऊपर का छिल्का उतार देने से वह सफेद मिर्च बन जाती है। छिलका हट जाने से इसकी गरम तासीर कुछ कम हो जाती है तथा गुणों में कुछ सौम्यता आ जाती है।

काली मिर्च का वानस्पतिक  यानी लैटिन भाषा में नाम पाइपर नाइग्रम् (Piper nigrum Linn.) है। यह पाइपरेसी (Piperaceae) कुल का पौधा है।

काली मिर्च के औषधीय गुण और लाभ

काली मिर्च का भोजन में प्रयोग करने से भी आपको बहुत लाभ मिलता है। उदाहरण के लिए, ठंड के दिनों में बनाए जाने वाले सभी पकवानों में काली मिर्च का उपयोग किया जाता है ताकि ठंड और गले की बीमारियों से रक्षा हो सके। काली मिर्च नपुंसकता, रजोरोध यानी मासिक धर्म के न आने, चर्म रोग, बुखार तथा कुष्ठ रोग आदि में लाभकारी है। आँखों के लिए यह विशेष हितकारी होती है। जोड़ों का दर्द, गठिया, लकवा एवं खुजली आदि में काली मिर्च में पकाए तेल की मालिश करने से बहुत लाभ होता है।

सिर दर्द दूर करें

काली मिर्च का सेवन  एक काली मिर्च को सुई की नोक पर लगाकर उसे दीपक में जला लें। उसमें से निकलने वाले धुंए को सूंघने से सिरदर्द में आराम होता है। इससे हिचकी भी बंद होती है। सिर दर्द में काली मिर्च के फायदे बहुत लाभकारी साबित होते हैं। भृंगराज के रस अथवा चावलों के पानी के साथ काली मिर्च को पीसकर माथे पर लेप करने से आधासीसी का दर्द यानी माइग्रेन भी ठीक होता है।

सिर के जुंए (डैंड्रफ या रूसी) भगाए काली मिर्च का प्रयोग

बालों में जूँ हो जाने पर 10-12 सीताफल के बीज और 5-6 काली मिर्चों को पीस कर सरसों के तेल में मिला लें। इसे रात में सोने से पहले बालों की जड़ों में लगा लें। सुबह बाल धोकर साफ कर लें। जूं नष्ट हो जाएगी। सिर के बाल यदि झड़तें हो तो काली मिर्च को प्याज व नमक के साथ पीसकर लगाने से लाभ होता है।

खाँसी-जुकाम दूर करें काली मिर्च का सेवन काली मिर्च के 2 ग्राम चूर्ण को गर्म दूध तथा मिश्री के साथ पी लेने अथवा इसके 7 दाने निगलने से जुकाम तथा खाँसी में लाभ होता है। 50 ग्राम दही, 15-20 ग्राम गुड़ और एक-डेढ़ ग्राम काली मिर्च चूर्ण को मिला लें। इसे दिन में 3-4 बार सेवन करने से जुकाम में लाभ होता है।

आँखों की बीमारी में फायदेमंद काली मिर्च का उपयोग

काली मिर्च को दही के साथ पीसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी में लाभ होता है। इसे अत्यन्त सावधानीपूर्वक बाहर-बाहर ही लगाएं। आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए रोजाना सुबह आधा से 1 ग्राम तक काली-मिर्च में 1 चम्मच घी तथा आवश्यकतानुसार मिश्री मिलाकर चाटें। बाद में दूध पीएं। इससे आँखों की बीमारी में लाभ होता है। आँखों की पलकों पर अगर फुंसी हो जाए तो काली मिर्च को पानी में घिसकर लेप करने से फुंसी पककर फूट जाती है। काली मिर्च के आधे ग्राम चूर्ण को एक चम्मच देशी घी में मिलाकर खाने से अनेक प्रकार के नेत्र रोगों का खात्मा होता है।

दाँत दर्द में आराम दिलाये

काली मिर्च का इस्तेमाल काली मिर्च के 1-2 ग्राम चूर्ण को 3-4 जामुन या अमरूद के पत्तों या पोस्तदानों के साथ पीस लें।  इससे कुल्ला करने से दाँत दर्द ठीक होता है। गले के रोग व आवाज बैठ जाने पर भी यह प्रयोग लाभप्रद है। सेंधा नमक, काली मिर्च, शहद तथा नींबू के रस को मिला कर तालू पर लेप करने से मुँह के छाले में लाभ होता है।

काली मिर्च का सेवन से दमा-खाँसी का इलाज

2-3 ग्राम काली मिर्च चूर्ण को शहद और घी (असमान मात्रा में) में मिला लें। इसे सुबह-शाम चाटने से सर्दी, सामान्य खाँसी, दमा और सीने का दर्द मिटता है। इससे फेफड़ों में जमा कफ निकल जाता है। 200 मिली गाय के दूध में 2 ग्राम काली मिर्च चूर्ण को पकाकर पिलाने से दमा-खाँसी में लाभ होता है।

यदि खाँसी बार-बार उठती हो, भोजन निगलने में कष्ट हो तो दिन में 2-3 बार काली मिर्च के हल्के काढ़े से कुल्ला करें। काली मिर्च चूर्ण 2 भाग, पीपली चूर्ण 2 भाग, अनार की छाल 4 भाग तथा जौ एक भाग का चूर्ण बना लें। इसमें 8 भाग गुड़ मिलाकर 1-1 ग्राम की गोलियाँ बना लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से गले का दर्द (कष्टदायक खाँसी) में लाभ होता है। गले की खराश व खाँसी में 2-3 काली मिर्च मुंह में रखकर चूसने मात्र से लाभ होता है।

दस्त रोकने के लिए करें काली मिर्च का प्रयोग

एक भाग काली मिर्च की चूर्ण तथा एक भाग भुनी हींग को अच्छी तरह खरल कर लें। इसमें दो भाग शुद्ध देशी कपूर मिलाकर 125 मिली ग्राम की गोलियाँ बना लें। इसे आधे घंटे के अंतर से 1-1 गोली देने से हैजे की शुरुआती (प्रथम) अवस्था में लाभ होता है।

काली मिर्च की चूर्ण 1 ग्राम तथा भुनी हींग 1 ग्राम को अच्छी तरह खरल कर लें। इसमें 3 ग्राम अफीम मिलाकर शहद में घोटकर 12 गोलियाँ बना लें। कर 1-1 गोली 1 घंटे के अंतर से दें। बहुत समय तक न दें। इससे पेचिश में भी अत्यन्त लाभ होता है। अफीम मिले होने के कारण इसका प्रयोग सावधानी से करें। काली मिर्च चूर्ण 1/2 ग्राम, हींग 1/4 ग्राम तथा अफीम 100 मिग्रा को मिला लें। इसे जल या शहद के साथ सुबह, दोपहर तथा सायं सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।

पेट के रोगों में फायदेमंद काली मिर्च का उपयोग

2-3 ग्राम काली मिर्च चूर्ण को 1 कप छाछ के साथ सुबह खाली पेट लेने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं। 8-10 काली मिर्च को 5-7 ग्राम शिरीष के पत्तों के साथ पीसकर छान लें। इसे पीने से गैस के कारण होने वाले पेट दर्द और पेट फूलने में आराम मिलता है। एक कप पानी में आधा नींबू निचोड़ लें। इसमें 5-6 काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर भोजन के बाद सुबह-शाम पीने से पैट की गैस, भूख का घटना-बढ़ना आदि में लाभ होता है।

काली मिर्च के चूर्ण के साथ बराबर भाग सोंठ, पीपली, जीरा और सेंधा नमक मिला लें। 1-1 ग्राम की मात्रा में, भोजन के बाद गर्म जल के साथ लेने से अपच तथा बदहजमी में लाभ होता है। काली मरिच, सोंठ, पीपल तथा हरड़ चूर्ण मिलाकर शहद के साथ देने से अथवा इसके काढ़े को पीने से अपच तथा पेट की गैस में लाभ होता है।

काली मिर्च के सेवन से बवासीर में फायदा

दो ग्राम काली मिर्च चूर्ण, 1 ग्राम भुना जीरा, 15 ग्राम शहद या शक्कर को मिला लें। दो बार छाछ के साथ या गर्म जल के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है। काली मिर्च चूर्ण 25 ग्राम, भुना जीरा चूर्ण 35 ग्राम और शुद्ध शहद 180 ग्राम को मिला लें। इसे अवलेह (चटनी) बनाकर रखें। इस अवलेह को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।

काली मिर्च और जीरे के मिश्रण में सेंधा नमक मिला लें। इसे दिन में दो बार छाछ के साथ 3-4 मास तक सेवन करते रहने से बवासीर में आराम मिलता है। इससे कमजोरी या वृद्धावस्था के कारण हुए बवासीर या गुदभ्रंश (काँच निकलना) ठीक होते हैं। इससे पाचन व जठराग्नि ठीक रहत है।

कब्ज और पेट की गैस में भी यह प्रयोग लाभप्रद है। एक ग्राम काली मिर्च चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार प्रयोग करें। इससे गुदा का बाहर निकलना बंद हो जाता है।

मूत्र रोग (पेशाब संबंधी बीमारी) में फायदेमंद मिर्च का इस्तेमाल एक ग्राम काली मिर्च और बराबर मात्रा में खीरा या ककड़ी के बीज को 10-15 मिली पानी के साथ पीस लें। इसमें मिश्री मिलाकर छानकर पिलाएं। इससे पेशाब में जलन तथा पेशाब में दर्द आदि की परेशानी में लाभ होता है।

नपुंसकता दूर करें काली मिर्च का सेवन एक गिलास दूध में 8-10 काली मिर्च को डाल लें। इसे अच्छी तरह उबालकर, सुबह-शाम नियमपूर्वक सेवन करने से वीर्य विकार ठीक होता है। गर्मी के मौसम में मात्रा कम की जा सकती है।

घाव सुखाने के लिए करें मिर्च का उपयोग काली मिर्च को पानी में पीसकर फोड़े-फुंसियों व सूजन पर लेप करने से घाव सुख जाता है। इससे घाव जल्दी भर जाते हैं और सूजन दूर होती है।

हिस्टीरिया में फायदेमंद मिर्च का प्रयोग

3 ग्राम वच चूर्ण में 1 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। इसे खट्टी दही के साथ सुबह खाली पेट सेवन करने से हिस्टीरिया में लाभ होता है।

चेहरे के लकवा में लाभकारी है मिर्च का प्रयोग

अर्दित रोग यानी फेशियल पैरालिसिस में चेहरे के अंगों में लकवा मार देता है। यदि जीभ में जकड़न हो तो मिर्च के चूर्ण को जीभ पर घिसने से लाभ होता है। काली मिर्च चूर्ण को किसी भी वातशामक तेल में मिला लें। इसे लकवाग्रस्त अंग पर मालिश करने से बहुत लाभ होता है। काली मिर्च खाने से चेहरे पर लकवा मारने में बहुत फायदेमंद होता है।

कमजोरी दूर कर शारीरिक ताकत बढ़ाए

काली मिर्च का सेवन कमजोरी आलस्य, उदासीनता आदि दूर करने के लिए काली मिर्च के 4-5 दाने, सोंठ, दालचीनी, लौंग और इलायची थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिला लें। इसे चाय की तरह उबाल लें। इसमें दूध और शक्कर मिलाकर पीने से लाभ होता है। कमजोरी दूर करने में काली मिर्च के औषधीय गुण बहुत फायदेमंद साबित होते हैं।

बुखार उतारे काली मिर्च का प्रयोग

1-3 ग्राम काली मिर्च चूर्ण में आधा लीटर पानी और 20 ग्राम मिश्री मिलाकर आठवाँ भाग शेष रहने तक उबाल कर काढ़ा बना लें। इसे सुबह, दोपहर तथा शाम पिलाने से साधारण बुखार यानी वायरल फीवर में लाभ होता है। 5 दाने काली मिर्च, अजवाइन एक ग्राम और हरी गिलोय 10 ग्राम, सब को 250 मिली पानी में पीस, छानकर पिलाने से तेज बुखार में लाभ होता है। एक ग्राम काली मिर्च चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से गैस के कारण होने वाला बुखार तथा पेट दर्द दूर होता है।

शरीर का पोषण बढ़ाने में फायदेमंद काली मिर्च

काली मिर्च में आयुर्वेद के अनुसार ऐसे गुण होते है जो कि शरीर के पोषण को बढ़ावा देते है विशेष रूप सदीपन का गुण जो कि पाचकाग्नि का बढ़ा कर शरीर को पोषण देने में मदद कर करता है।

वजन कम करने में फायदेमंद काली मिर्च

अगर आप बढ़े हुए वजन से परेशान है तो, काली मिर्च का सेवन आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है। क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार कालीमिर्च में पाये जाने वाला एक तत्व चर्बी यानि फैट को कम करने में मदद करता है।

गठिया का दर्द कम करे काली मिर्च का औषधीय गुण

गठिया दर्द को कम करने में कालीमिर्च एक अच्छा उपाय है, क्योंकि कालीमिर्च में आयुर्वेद के अनुसार वात को कम करने का गुण होता है। जिसके वजह से गठिया का दर्द को कम होने में मदद मिलती है। आयुर्वेद में गठिया को वात प्रधान रोग माना जाता है। कैंसर के इलाज में काली मिर्च फायदेमंद कालीमिर्च का सेवन कैंसर को फैलने से रोकने में आपकी मदद कर सकता है, क्योंकि कालीमिर्च में एंटी- कैंसर का गुण पाया जाता है जो कि कैंसर को फैलने से रोकने में मदद करता है।

अवसाद या डिप्रेशन को कम करने में उपयोगी काली मिर्च का सेवन

कालीमिर्च का सेवन आपको डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है क्योंकि रिसर्च के अनुसार इसमें पाये जाने वाले एल्कलॉइड में एंटी -डिप्रेशन का गुण पाया जाता है।

विटिलिगो के इलाज में काली मिर्च का औषधीय गुण फायदेमंद

विटिलिगो की समस्या में काली मिर्च का उपयोग फ़ायदेमंद हो सकता है, क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार काली मिर्च का जब बाहरी रूप से प्रयोग किया जाता है तो ये पिगमेंटेशन को बढ़ाकर रोगों के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।

इस्तेमाल के लिए काली मिर्च के उपयोगी हिस्से

फल

काली मिर्च के सेवन की मात्रा

चूर्ण – 1-2 ग्राम औषधि के रूप में काली मिर्च का इस्तेमाल से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार सुबह के समय काली मिर्च का सेवन करना फायदेमंद है। खासतौर पर सर्दियों के मौसम में सुबह काली मिर्च डाली हुई चाय का सेवन करने से कफ दूर होता है और इसमें कफ को कम करने का गुण होता है इस वजह से काली मिर्च वाली चाय पीने से गले को आराम मिलता है।

काली मिर्च कहाँ पाई या उगाई जाती है ?

काली मिर्च के पौधे का मूल स्थान दक्षिण भारत ही माना जाता है। पूरी दुनिया में काली मिर्च की पैदावार सबसे ज्यादा भारत में पाई जाती है। भारत से बाहर इंडोनेशिया, बोर्नियो, इंडोचीन, मलय, लंका और स्याम इत्यादि देशों में भी इसकी खेती की जाती है। कुछ वन प्रदेशों में यह स्वयं उत्पन्न होती है, लेकिन दक्षिणी भारत के उष्ण और आर्द्र भागों में काली मिर्च की बेलें बोई जाती हैं। काली मिर्च के कारण ही एक समय भारत विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति था।

Post Topic: Benefits of Black pepper, काली मिर्च के फायदे

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

ये भी पढ़ें…

मुलेठी के गुण और लाभ एकदम कमाल के हैं।

पद्म पुरुस्कार क्या होते हैं? कैसे चुने जातें हैं। 2024 के पद्म पुरुस्कार विजेता कौन-कौन हैं? सारे विजेताओं की लिस्ट जानें।

2024 के पद्म पुरुस्कारों की घोषणा हो चुकी है। किन-किन व्यक्तियों को पुरुस्कार (List of Padma Award 2024) मिला।  पद्म पुरुस्कार क्या होते हैं, आइए जानते हैं…

पद्म पुरुस्कार (List of Padma Award 2024)

2024 के पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है इस बार भारत सरकार ने कुल 132 व्यक्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया है।

पद्म पुरस्कार तीन श्रेणी में दिये जाते हैं। पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री। पद्म पुरस्कारों में पद्म विभूषण सर्वोच्च श्रेणी है, उसके बाद पद्म भूषण और अंत में पद्मश्री की श्रेणी आती है।

इस बार 2024 में कुल 5 व्यक्तित्वों को पद्म विभूषण पुरस्कार दिए गए हैं। कुल 17 व्यक्तित्वों को पद्म भूषण पुरस्कार दिए गए हैं। कल 110 व्यक्तित्वों को पद्मश्री पुरस्कार दिए गए हैं।

2024 के पद्म पुरस्कार धारी व्यक्तित्वों के नाम जानने से पहले लिए जानते हैं कि पद्म पुरस्कार क्या है?

पद्म पुरुस्कार

पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं। यह सम्मान अलग-अलग क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों को दिए जाते हैं।

पद्म पुरस्कारों की स्थापना 1954 में की गई थी। पहले पद्म पुरस्कार 1954 में दिए गए थे। उसके बाद कुछ वर्ष जैसे 1978, 1979, 1993 तथा 1997 के वर्षों को छोड़कर हर वर्ष पद्म पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।

पद्म पुरस्कार तीन श्रेणी में दिए जाते हैं। पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री। यह तीनों सम्मान भारत की दूसरी, तीसरी और चौथी श्रेणी के सर्वोच्च सम्मान है।

भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न है। 2024 तक कुल 49 व्यक्तित्वों को भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

पद्म पुरस्कारों की तीन श्रेणियां में पद्म विभूषण सच्चे सर्वोच्च श्रेणी है, उसके बाद पद्म भूषण और पद्म श्री श्रेणी है।

पद्म विभूषण

पद्म विभूषण पुरस्कार किसी क्षेत्र में बेहद असाधारण कार्य और अति विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है।

पद्म भूषण

पद्म भूषण पुरस्कार किसी क्षेत्र में उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है।

पद्मश्री

पद्मश्री सम्मान किसी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा करने के लिए दिया जाता है।

पद्म पुरस्कारों की पात्रता

पद्म पुरस्कार किसी लिंग, धर्म जाति, पद, व्यवसाय आदि के भेदभाव पर नहीं दिए जाते बल्कि यह भारत के हर नागरिक को दिए जा सकते हैं।

पद्म पुरुस्कारों की श्रेणियां

पद्म पुरस्कारों की कई श्रेणियां हैं जो यह श्रेणी इस प्रकार हैं,

  • कला (संगीत, चित्रकला, मूर्तिकला, फोटोग्राफी, सिनेमा, रंगमंच आदि शामिल हैं)
  • सामाजिक कार्य (इसमें सामाजिक सेवा, धर्मार्थ सेवा, सामुदायिक परियोजनाओं में योगदान आदि शामिल हैं)
  • सार्वजनिक मामले (कानून, सार्वजनिक जीवन, राजनीति आदि शामिल हैं)
  • विज्ञान और इंजीनियरिंग (अंतरिक्ष इंजीनियरिंग, परमाणु विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी, विज्ञान और उसके संबद्ध विषयों में
  • अनुसंधान और विकास आदि शामिल हैं)
  • व्यापार और उद्योग (बैंकिंग, आर्थिक गतिविधियाँ, प्रबंधन, पर्यटन को बढ़ावा देना, व्यवसाय आदि शामिल हैं)
  • चिकित्सा (आयुर्वेद, होम्योपैथी, सिद्ध, एलोपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा आदि में चिकित्सा अनुसंधान, विशिष्टता/विशेषज्ञता शामिल है)
  • साहित्य और शिक्षा (पत्रकारिता, शिक्षण, पुस्तक रचना, साहित्य, कविता, शिक्षा का प्रचार, साक्षरता का प्रचार, शिक्षा सुधार आदि शामिल हैं)
  • सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्रशासन आदि में विशिष्टता/उत्कृष्टता शामिल है)
  • खेल (लोकप्रिय खेल, एथलेटिक्स, साहसिक कार्य, पर्वतारोहण, खेलों को बढ़ावा देना, योग आदि शामिल हैं)
  • अन्य (ऊपर शामिल नहीं किए गए क्षेत्र और इसमें भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार, मानवाधिकारों की सुरक्षा, वन्य जीवन संरक्षण/संरक्षण आदि शामिल हो सकते हैं)

पद्म पुरुस्कारों के बारे में विशेष तथ्य

  • पद्म पुरस्कार सामान्यत किसी भी व्यक्तित्व को मरणोपरांत नहीं प्रदान किए जाते हैं, जैसाकि वीरता पुरस्कार अथवा भारत रत्न पुरस्कार के मामले में होता है।
  • विशिष्ट मामलों में अपवाद स्वरूप यह पुरस्कार मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकते हैं। इस बार भी लगभग तीन व्यक्तियों को पद्मश्री पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान किए गए हैं।
  • पद्य पुरस्कार कि किसी निम्न श्रेणी में यदि किसी को पद्म पुरस्कार मिल गया है तो उसे उच्च श्रेणी का पद्म पुरस्कार 5 वर्ष के बाद ही मिल सकता है। अर्थात 5 वर्ष की अवधि के अंदर उसे दो पद्म पुरस्कार नहीं मिल सकते। अपवाद स्वरूप किसी मामले में इसमें छूट दी जा सकती है।
  • पद्म पुरस्कारों की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्ण संध्या पर की जाती है और इन पुरस्कारों को प्रदान करने का कार्य राष्ट्रपति भवन में मार्च अथवा अप्रैल के महीने में किया जाता है और राष्ट्रपति द्वारा यह सम्मान प्रदान किए जाते हैं।
  • पद्म पुरस्कारों में राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर एक प्रमाण पत्र और एक पदक प्रदान किया जाता है। इसमें किसी भी तरह की धनराशि नहीं प्रदान की जाती। सम्मान धारक को पदक की एक छोटी पद्म पुरुस्कार प्रतिकृति भी दी जाती है।
  • पद्म पुरस्कार किसी भी तरह की उपाधि नहीं है। यानि इन्हें प्राप्त करने वाला प्राप्तकर्ता इन्हें अपने नाम के आगे या अंत में उपाधि की तरह उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में प्रयोग नहीं कर सकता।

पद्म पुरस्कारों का निर्णय कौन करता है?

पद में पुरस्कारों का निर्णय करने के लिए पद्म पुरस्कार समिति का गठन किया जाता है। जिसका गठन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है। पद्म पुरस्कार समिति के अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं। इसमें गृह सचिव, राष्ट्रपति के सचिव के अलावा 4 से 6 प्रतिष्ठित व्यक्ति सदस्य के रूप में सम्मिलित होते हैं। समिति की सिफारिश के अनुमोदन के आधार पर ही पहले प्रधानमंत्री और उसके बाद राष्ट्रपति पुरस्कारों पर अंतिम मोहर लगाते हैं।


2024 के पद्म विभूषण की लिस्ट

क्रमनामक्षेत्रराज्य
1वैजयंतीमाला बालीकलातमिलनाडु
2कोनिडेला चिरंजीवीकलाआंध्र प्रदेश
3एम वेंकैया नायडूसार्वजनिक मामनेआंध्र प्रदेश
4बिंदेश्वर पाठकसामाजिक कार्यबिहार
5पद्मा सुब्रह्मण्यमकलातमिलनाडु


2024 के पद्म भूषण की लिस्ट

क्रमविजेताक्षेत्रराज्य/देश
1एम फातिमा बीवीपब्लिक अफेयर्सकेरल
2होर्मुसजी एन कामासाहित्य एवं शिक्षा – पत्रकारितामहाराष्ट्र
3मिथुन चक्रवर्तीकलापश्चिम बंगाल
4सीताराम जिंदलव्यापार एवं उद्योगकर्नाटक
5यंग लियूव्यापार एवं उद्योगताइवान
6अश्विन बालचंद मेहतामेडिसिनमहाराष्ट्र
7सत्यब्रत मुखर्जीपब्लिक अफेयर्सपश्चिम बंगाल
8राम नाइकपब्लिक अफेयर्समहाराष्ट्र
9तेजस मधुसूदन पटेलमेडिसिनगुजरात
10ओलानचेरी राजगोपालपब्लिक अफेयर्सकेरल
11दत्तात्रेय अंबादास मयालू उर्फ राजदत्तकलामहाराष्ट्र
12तोगदान रिनपोछेअन्य – अध्यात्मवादलद्दाख
13प्यारेलाल शर्माकलामहाराष्ट्र
14चंद्रेश्वर प्रसाद ठाकुरचिकित्साबिहार
15उषा उथुपकलापश्चिम बंगाल
16विजयकांतकलातमिलनाडु
17कुन्दन व्याससाहित्य एवं शिक्षा-पत्रकारितामहाराष्ट्र


2024 के पद्म श्री की लिस्ट

क्रमनामक्षेत्रराज्य/देश
1खलील अहमदकलाउत्तर प्रदेश
2बदरप्पन एमकलातमिलनाडु
3कालूराम बामनियाकलामध्य प्रदेश
4रेज़वाना चौधरीकलाबांग्लादेश
5नसीम बानोकलाउत्तर प्रदेश
6रामलाल बरेठकलाछत्तीसगढ़
7गीता रॉय बर्मनकलापश्चिम बंगाल
8पारबती बरुआसामाजिक कार्यअसम
9सरबेश्वर बसुमतारीअन्य – कृषिअसम
10सोम दत्त बट्टूकलाहिमाचल प्रदेश
11तकदीरा बेगमकलापश्चिम बंगाल
12सत्यनारायण बेलेरीअन्य – कृषिकेरल
13द्रोण भुइयांकलाअसम
14अशोक कुमार विश्वासकलाबिहार
15रोहन मचांदा बोपन्नास्पोर्ट्सकर्नाटक
16स्मृति रेखा चकमाकलात्रिपुरा
17नारायण चक्रवर्तीविज्ञान एवं इंजीनियरिंगपश्चिम बंगाल
18ए वेलु आनंद चारीकलातेलंगाना
19राम चेत चौधरीविज्ञान एवं इंजीनियरिंगउत्तर प्रदेश
20के चेल्लाम्मलअन्य – कृषिअंडमान और निकोबार द्वीप समूह
21जोशना चिनप्पास्पोर्ट्सतमिलनाडु
22चार्लोट चोपिनअन्य – योगफ़्रांस
23रघुवीर चौधरीसाहित्य एवं शिक्षागुजरात
24जो डी क्रूज़साहित्य एवं शिक्षातमिलनाडु
25गुलाम नबी डारकलाजम्मू और कश्मीर
26चित्त रंजन देबबर्माअन्य – अध्यात्मवादत्रिपुरा
27उदय विश्वनाथ देशपांडेखेलमहाराष्ट्र
28प्रेमा धनराजमेडिसिनकर्नाटक
29राधा कृष्ण धीमानमेडिसिनउत्तर प्रदेश
30मनोहर कृष्ण डोलेमेडिसिनमहाराष्ट्र
31पियरे सिल्वेन फ़िलिओज़ैटसाहित्य और शिक्षाफ़्रांस
32महाबीर सिंग गुड्डुकलाहरियाणा
33अनुपमा होस्केरेकलाकर्नाटक
34यज़्दी मानेकशामेडिसिनगुजरात
35राजाराम जैनसाहित्य एवं शिक्षाउत्तर प्रदेश
36जानकीलालकलाराजस्थान
37रतन कहारकलापश्चिम बंगाल
38यशवन्त सिंह कठोचसाहित्य एवं शिक्षाउत्तराखंड
39ज़हीर काज़ीसाहित्य एवं शिक्षामहाराष्ट्र
40गौरव खन्नास्पोर्ट्सउत्तर प्रदेश
41सुरेंद्र किशोरसाहित्य एवं शिक्षा – पत्रकारिताबिहार
42दसारी कोंडप्पाकलातेलंगाना
43श्रीधर मकाम कृष्णमूर्तिसाहित्य एवं शिक्षाकर्नाटक
44यानुंग जमोह लेगोअन्य – कृषिअरुणाचल प्रदेश
45जॉर्डन लेप्चाकलासिक्किम
46सतेन्द्र सिंह लोहियाखेलमध्य प्रदेश
47बिनोद महाराणाकलाओडिशा
48पूर्णिमा महतोस्पोर्ट्सझारखंड
49उमा माहेश्वरी डीआर्टआंध्र प्रदेश
50दुखु माझीसामाजिक कार्यपश्चिम बंगाल
51राम कुमार मल्लिककलाबिहार
52हेमचंद मांझीचिकित्साछत्तीसगढ़
53चन्द्रशेखर महादेवराव मेश्राममेडिसिनमहाराष्ट्र
54सुरेंद्र मोहन मिश्र (मरणोपरांत)कलाउत्तर प्रदेश
55अली मोहम्मद एवं गनी मोहम्मदकलाराजस्थान
56कल्पना मोरपारियाव्यापार एवं उद्योगमहाराष्ट्र
57चामी मुर्मूसामाजिक कार्यझारखंड
58ससींद्रन मुथुवेलसार्वजनिक मामलेपापुआ न्यू गिनी
59जी नचियारमेडिसिनतमिलनाडु
60किरण नादरकलादिल्ली
61पकारावुर चित्रन नंबूदरीपाद (मरणोपरांत)साहित्य एवं शिक्षाकेरल
62नारायणन ईआर्टकेरल
63शैलेश नायकविज्ञान एवं इंजीनियरिंगदिल्ली
64हरीश नायक (मरणोपरांत)साहित्य एवं शिक्षागुजरात
65फ्रेड नेग्रिटसाहित्य एवं शिक्षाफ़्रांस
66हरिओमविज्ञान एवं इंजीनियरिंगहरियाणा
67भागवत पधानकलाओडिशा
68सनातन रूद्र पालकलापश्चिम बंगाल
69शंकर बाबा पुंडलिकराव पापलकरसामाजिक कार्यमहाराष्ट्र
70राधे श्याम पारीकमेडिसिनउत्तर प्रदेश
71दयाल मावजीभाई परमारमेडिसिनगुजरात
72बिनोद कुमार पसायतकलाओडिशा
73सिल्बी पासाहकलामेघालय
74शांति देवी पासवान एवं शिवन पासवानकलाबिहार
75संजय अनंत पाटिलअन्य – कृषिगोवा
76मुनि नारायण प्रसादसाहित्य एवं शिक्षाकेरल
77के एस राजन्नासामाजिक कार्यकर्नाटक
78चन्द्रशेखर चन्नापटना राजन्नाचारचिकित्साकर्नाटक
79भगवतीलाल राजपुरोहितसाहित्य एवं शिक्षामध्य प्रदेश
80रोमालो रामकलाजम्मू और कश्मीर
81नवजीवन रस्तोगीसाहित्य एवं शिक्षाउत्तर प्रदेश
82निर्मल ऋषिकलापंजाब
83प्राण सभरवालकलापंजाब
84गद्दाम सम्मैयाकलातेलंगाना
85संगथंकिमासामाजिक कार्यमिजोरम
86मचिहान सासाकलामणिपुर
87ओमप्रकाश शर्माकलामध्य प्रदेश
88एकलब्य शर्माविज्ञान एवं इंजीनियरिंगपश्चिम बंगाल
89राम चंदर सिहागविज्ञान एवं इंजीनियरिंगहरियाणा
90हरबिंदर सिंहस्पोर्ट्सदिल्ली
91गुरविंदर सिंहसोशल वर्कहरियाणा
92गोदावरी सिंहकलाउत्तर प्रदेश
93रवि प्रकाश सिंहविज्ञान एवं इंजीनियरिंगमेक्सिको
94शेषमपट्टी टी शिवलिंगमकलातमिलनाडु
95सोमन्नासामाजिक कार्यकर्नाटक
96केथवथ सोमलालसाहित्य एवं शिक्षातेलंगाना
97शशि सोनीव्यापार एवं उद्योगकर्नाटक
98उर्मीला श्रीवास्तवकलाउत्तर प्रदेश
99नेपाल चंद्र सूत्रधारकलापश्चिम बंगाल
100गोपीनाथ स्वैनकलाओडिशा
101लक्ष्मण भट्टतैलंग कलाराजस्थान
102माया टंडनसामाजिक कार्यराजस्थान
103अश्वथी थिरुनल गौरी लक्ष्मी बाई थंपुरट्टीसाहित्य और शिक्षाकेरल
104जगदीश लाभशंकर त्रिवेदीकलागुजरात
105सानो वामुज़ोसोशल वर्कनागालैंड
106बालकृष्णन सदनम पुथिया वीटिलकलाकेरल
107कुरेला विट्ठलाचार्यसाहित्य एवं शिक्षातेलंगाना
108किरण व्यासअन्य – योगफ़्रांस
109जागेश्वर यादवसामाजिक कार्यछत्तीसगढ़
110बाबू राम यादवकलाउत्तर प्रदेश

 


ये भी पढ़ें…

बिहार के जननायक नेता – कर्पूरी ठाकुर


2024 पद्म पुरुस्कार लिस्ट साभार

https://www.padmaawards.gov.in/padma_home.aspx

मुलेठी के गुण और लाभ एकदम कमाल के हैं।

मुलैठी एक अद्भुत जड़ी-बूटी है। इसके अनेक लाभ है। आइए इसके लाभ (Benefits of Licorice) को जानते हैं… 

मुलेठी के गुण और लाभ (Benefits of Licorice)

दोस्तों आपने बहुत सी जड़ी बूटियों क बारे में सुना होगा। आज में आपको एक ऐसी जड़ी बूटी के बारे में बताने जा रही हूँ, जो आपके घरों में ही होगी इसको हम सब मुलेठी के नाम से जानते हैं। मुलेठी एक बहुत ही गुणकारी जड़ी-बूटी है। आइए मुलैठी के गुण और लाभ (Benefits of Licorice) को जानते हैं।

मुलेठी के गुण और लाभ

आम बोलचाल की भाषा में मुलैठी को मीठी जड़’ के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर लोग इसका इस्तेमाल सर्दी-जुकाम या खांसी में आराम पाने के लिए करते हैं। गले की खराश में इसका उपयोग करना  सबसे ज्यादा असरदार होता है। हालांकि मुलेठी के फायदे सिर्फ इतने ही नहीं हैं बल्कि इसका मुख्य इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में किया जाता है। इस लेख में हम आपको मुलेठी के फायदे और सेवन के तरीकों के बारे में भी विस्तार से बता रहे हैं। मुलेठी के फायदों के बारे में  जानने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि असल में मुलेठी है क्या ?

मुलेठी क्या है ?

मुलेठी एक झाड़ीनुमा पौधा होता है आमतौर पर इसी पौधे के तने को छाल सहित सुखाकर उसका उपयोग किया जाता है। इसके तने में कई औषधीय गुण होते हैं। इसका स्वाद मीठा होता है। यह दाँतों, मसूड़ों और गले के लिए बहुत फायदेमंद है। इसी वजह से आज के समय में कई टूथपेस्ट में मुलेठी का इस्तेमाल किया जाता है।

मुलेठी के फायदे और सेवन का तरीका

औषधीय दृष्टि से देखें तो मुलेठी कई रोगों में लाभकारी है। यह वात और पित्त दोष को कम करती है। शरीर के बाहरी हिस्सों की बात करें तो यह त्वचा रोगों और बालों के लिए फायदेमंद हैं। मुलेठी के प्रयोग से खून साफ़ होता है, बाल बढ़ते हैं और बुद्धि तेज होती है। इसके अलावा भी मुलेठी के फायदे कई हैं जिनके बारे  में हम आपको आगे बता रहे हैं।

सिरदर्द से आराम दिलाती है मुलेठी

अगर आप अकसर सिरदर्द से परेशान रहते हैं तो मुलेठी आपके लिए बहुत काम की चीज है। मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर के एक भाग में इसका चौथाई भाग कलिहारी चूर्ण और थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाएं। इसे सूंघने से सिरदर्द से आराम मिलता है।

मुलेठी बाल बढ़ाने में फायदेमंद

मुलेठी का उपयोग बालों को सही पोषण देने और बढ़ाने में भी किया जाता है। मुलेठी के क्वाथ से बालों को धोने से बालों तेजी से बढ़ते हैं। इसी तरह मुलेठी और तिल को भैंस के दूध में पीसकर सिर पर लेप लगाने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है।

माइग्रेन के दर्द से आराम दिलाती मुलेठी

माइग्रेन के दर्द से परेशान रहते हैं तो आपको मुलेठी का उपयोग करना चाहिए। मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर में शहद मिलाकर इसे नेजल ड्राप की तरह नाक में डालें। इससे माइग्रेन के दर्द से आराम मिलता है।

बालों के सफ़ेद होने से रोकथाम

बाल सफ़ेद होना एक आम समस्या है और आज कल ज्यादातर लोग बाल समय से पहले सफ़ेद होने से परेशान रहते हैं। मुलेठी के उपयोग से आप बालों को झड़ने और सफ़ेद होने से रोक सकते हैं। इसके लिए 50 ग्राम मुलेठी कल्क , 750 मिली आंवला स्वरस और 750 मिली तिल के तेल को मिलाकर पाक बना लें। नियमित रूप से इस तेल पाक की 1-2 बूँद नाक में डालने से असमय बाल सफ़ेद नहीं होते और बालों का झड़ना भी कम होता है।

आँखों के रोगों में मुलेठी के फायदे

आँखों में जलन या आँखों से जुड़ा कोई रोग होने पर भी मुलेठी का इस्तेमाल करने से फायदा पहुँचता है। इसके लिए मुलेठी के काढ़ा से आँखों को धोएं। इसके अलावा मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाएं। इस चूर्ण को सुबह शाम खाने से आँखों की जलन कम होती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है।

कंजक्टीवाइटिस या आँख आना में मुलेठी के फायदे

मुलेठी का औषधीय गुण आँख आने पर उसके दर्द, जलन जैसे लक्षणों से आराम दिलाने में बहुत सहायता करती है। मुलेठी को पानी में पीसकर, उसमें रूई का फाहा भिगोकर आँखों पर बाँधने से आंखों की लालिमा कम होती है।

तिमिर या आँखों में सफ़ेद धब्बे की रोकथाम

मुलेठी और आँवले को पीसकर पानी में मिलाकर या उसके काढ़े से नहाने से या आंखों को धोने से पित्त कम होता है और आँखों के सफ़ेद धब्बों में भी मुलेठी से लाभ होता है।

पित्त से होने वाले कान के रोग में मुलेठी के फायदे

मुलेठी और द्राक्षा से पकाए हुए दूध को कान में डालने से पित्त के कारण होने वाले कान के रोग में लाभ होता है। मुलेठी के औषधीय गुण कान के बीमारियों में बहुत फायदेमंद होते हैं। नाक के रोगों से आराम में मुलेठी के फायदे 3-3 ग्राम मुलेठी और शुण्ठी में छह छोटी इलायची और 25 ग्राम मिश्री मिलाकर इसका काढ़ा बनाएं। इस काढ़े की 1-2 बूँद नाक में डालने से नाक के रोग ठीक होते हैं।

मुँह के छालों से आराम में मुलेठी के फायदे

मुँह के छालों से परेशान रहते हैं तो मुलेठी के औषधीय गुणों का फायदा क्यों नहीं उठाते हैं। अगर मुँह में छाले हो गए हैं तो मुलेठी के कुछ टुकड़े लें और उसमें शहद मिलाकर चूसें। इससे छाले जल्दी ठीक होते हैं। गला बैठने के इलाज में लाभदायक मुलेठी कभी-कभी गले में संक्रमण की वजह से गला बैठ जाता है और ऐसी हालत में आवाज भारी हो जाती है या आवाज नहीं निकलती है। मुलेठी को मुंह में लेकर चूसते रहने से गला बैठने की समस्या में आराम मिलता है। मुलेठी चूसने से गले के कई अन्य रोगों में भी जल्दी फायदा मिलता है।

मुलेठी के फायदे खांसी या सूखी खाँसी में

मुलेठी मुँह में रखकर देर तक चूसते रहने से खांसी से आराम मिलता है। अगर आपको सूखी खांसी है तो एक चम्मच मुलेठी को शहद के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार चाटकर खाएं। इसी तरह मुलेठी का काढ़ा बनाकर 20-25 मिली मात्रा का सुबह और शाम को सेवन करने से मुलेठी का पूरा फायदा मिलता है।

हिचकी से आराम दिलाती है मुलेठी

अगर आपको हिचकी आ रही है और बंद होने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में मुलेठी को कुछ देर मुँह में रखकर चूसें। मुलेठी चूसने से थोड़ी ही देर में हिचकी आना बंद हो जाता है। मुलेठी के फायदे सांसो से जुड़े रोगों में मुलेठी का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीन से साँस से जुड़े रोग ठीक होते हैं।

दिल से जुड़ी बीमारियों में मुलेठी फायदेमंद

3-5 ग्राम मुलेठी और इतनी ही मात्रा में कुटकी चूर्ण मिलाएं। इस मिश्रण को 15-20 ग्राम मिश्री मिले हुए पानी के साथ रोजाना पिए। इसके सेवन से दिल से जुड़ी बीमारियों में राहत मिलती है।  पित्त दोष से होने वाले ह्रदय रोगों के लिए गंभारी, मुलेठी, शहद, शक्कर और कूट को मिलाकर  चूर्ण बना लें और इस चूर्ण से उलटी करवाएं।

पेट के अल्सर में फायदेमंद है मुलेठी

पेट का अल्सर एक गंभीर समस्या है और इसका इलाज कराना बहुत ज़रूरी है। मुलेठी को घरेलू उपायों के रुप में इस्तेमाल करके भी आप पेट के अल्सर को ठीक कर सकते हैं। इसके लिए एक चम्मच मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर को एक कप दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। पेट में अल्सर होने पर मिर्च मसालों और तीखी चीजों से परहेज करें।

पेट दर्द से आराम दिलाती है मुलेठी

गलत खान-पान या खाई हुई चीज ठीक से ना पचने के कारण पेट में ऐंठन और दर्द होने लगता है। इससे आराम पाने के लिए एक चम्मच मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे पेट और आंतों की ऐंठन एवं दर्द से राहत मिलती है।

मुलेठी के फायदे पेट फूलने की समस्या

पेट फूलना आज कल के लोगों की एक आम समस्या है। खाया हुआ भोजन ठीक से ना पचने के कारण या शारीरिक व्यायाम ना करने की वजह से पेट फूलने की समस्या होती है। इससे आराम पाने के लिए 2-5 ग्राम मुलेठी चूर्ण) या मुलेठी पाउडर को पानी और मिश्री के साथ मिलाकर खाएं।

उलटी में खून आना रोकती है मुलेठी

अगर उलटी करते समय उसमें खून निकल रहा है तो मुलेठी का सेवन करें। मुलेठी और रक्त चन्दन चूर्ण दोनों की 1-2 ग्राम मात्रा को दूध में पीसकर, इसमें 50मिली दूध मिलाएं। इसकी थोड़ी-थोड़ी मात्रा पीने से उलटी में खून आना बंद होने लगता है।

खून की कमी में मुलेठी के फायदे

अगर शरीर में खून की कमी होने पर मुलेठी का सेवन करना बहुत फायदेमंद रहता है। इसके लिए एक चम्मच मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर खाएं या 10-20 मिली मुलेठी काढ़े में शहद मिलकर लें |

मूत्र में जलन से रोकथाम मुलेठी के फायदे

अगर आपको पेशाब करते समय जलन हो रही है तो एक चम्मच मुलेठी चूर्ण को एक कप दूध के साथ सेवन करें। इससे पेशाब में होने वाली जलन कम हो जाती है।

यूरिनरी रिटेंशन से बचाव

मुलेठी, दारुहल्दी और एर्वारुबीज के चूर्ण की बराबर मात्रा को मिलाकर दिन में तीन बार तण्डुलोदक के साथ मिलाकर पिए। इसके सेवन से यूरिनरी रिटेंशन की समस्या में आराम मिलता है।

मुलेठी के इस्तेमाल से स्तनों में दूध बढ़ाता है

प्रसव के बाद बच्चों के लिए माँ का दूध सबसे ज्यादा फायदेमंद रहता है। कुछ महिलाओं में स्तनपान के दौरान दूध कम बनता है। ऐसी महिलाओं को मुलेठी का सेवन करना चाहिए। मुलेठी स्तनों में दूध बढ़ाने में मदद करती है। इसके लिए 2 चम्मच मुलेठी चूर्ण और 3 चम्मच शतावर चूर्ण को एक कप दूध में उबालें। जब उबलता हुए दूध पककर आधा हो जाए तो इसे आंच से उतार लें। इसमें से आधा सुबह और बाकी आधा शाम को एक कप दूध में मिलाकर पिएं। इसके अलावा 100 मिली दूध में 2-4 ग्राम मुलेठी और 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर माँ को रोजाना सुबह शाम पिलाने से स्तनों में दूध ज्यादा बनता है।

माहवारी में होने वाले अधिक रक्तस्राव से आराम

अगर माहवारी के दिनों में बहुत ज्यादा खून निकल रहा है तो ऐसे में मुलेठी के सेवन से ब्लीडिंग को कम किया जा सकता है। इसके लिए 1-2 ग्राम मुलेठी चूर्ण में 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर चावल के धोवन (तण्डुलोदक) के साथ पीसकर पिएं।

घाव या अल्सर के दर्द से आराम

किसी चीज से चोट लग जाने पर या अल्सर के दर्द से जल्दी राहत पाने के लिए मुलेठी का सेवन करना चाहिए। मुलेठी चूर्ण को घी में मिलाकर थोड़ा गर्म करके घाव या अल्सर वाली जगह पर लगाने से दर्द से जल्दी आराम मिलता है। इसी तरह फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वे जल्दी पककर फूट जाते हैं।

शरीर की कमजोरी दूर करने में मुलेठी के फायदे

अगर आप बहुत कमजोरी महसूस कर रहे हैं तो मुलेठी का सेवन करें। एक चम्मच मुलेठी चूर्ण में आधा चम्मच शहद और एक चम्मच घी मिलाकर एक कप दूध के साथ सुबह शाम रोजाना 5-6 हफ़्तों तक सेवनकरें। इसका सेवन करने से शरीर में बल बढ़ता है।

शरीर की दुर्गंध दूर करने में सहायक

अगर आपके शरीर से पसीने की तेज दुर्गंध आती है तो मुलेठी की मदद से आप इस दुर्गंध से छुटकारा पा सकते हैं। इसके लिए मुलेठी को पीसकर शरीर में लगाएं। ऐसा करने से पसीने की बदबू दूर हो जाती है।

मिरगी रोग में फायदेमंद

मुलेठी के एक चम्मच महीन चूर्ण को घी में मिलाकर दिन में ३ बार सेवन करने से मिरगी में लाभ होता है। इसके अलावा 5 ग्राम मुलेठी को पेठे के रस में महीन पीसकर ३ दिन तक खाने से मिरगी में आराम मिलता है।

मुलेठी के फायदे सेक्स क्षमता बढ़ाने में

मुलेठी में कामोत्तेजक गुण पाए जाते हैं। जिन लोगों की सेक्स की इच्छा में कमी होती है उन्हें इसका सेवन करना चाहिए। इसके लिए 2-4 ग्राम मुलेठी चूर्ण में घी और शहद मिलाकर दूध के साथ पीने से कामोत्तेजना और सेक्स क्षमता में बढ़ोतरी होती है।

मुलेठी की खुराक

सामान्य तौर पर 3-5 ग्राम मुलेठी चूर्ण के सेवन की सलाह दी जाती है। अगर आप किसी रोग के इलाज के लिए मुलेठी का सेवन करना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करें। मुलेठी के गुण और लाभ – कमाल के हैं। आपको ये पोस्ट कैसी लगी नीचे कमेंट में अपना अनुभव शेयर करें।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

ये भी पढ़ें…

दालचीनी के गुण और उपयोग – दालचीनी के अनोखे फायदे जानिए।

लौंग : छोटी सी मगर, लौंग के फायदे बड़े-बड़े

एनिमल और सैम बहादुर दोनों फिल्में ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज होने वाली हैं, जब कहाँ और कब?

एनिमल और सैमबहादुर मूवी थियेटर में अपना कमाल दिखाने के बाद अब ओटीटी पर रिलीज (Animal And Sam Bahadur Movies OTT Release) होने वाली हैं, जानें कौन से ओटीटी पर रिलीज होने वाली हैं… 

एनिमल और सैम बहादुर दोनों मूवी की ओटीटी रिलीज डेट जानें (Animal And Sam Bahadur Movies OTT Release)

एनिमल और से बहादुर मूवी दोनों एक ही दिन यानी 1 दिसंबर 2023 को एक साथ रिलीज हुई थीं। एनिमल मूवी ने सिनेमाहॉल में जबरदस्त प्रदर्शन किया और छप्पर फाड़ कमाई की थी तो सैम बहादुर भी ठीक-ठाक कमाई कर ले गई एनिमल मूवी लंबे समय तक थिएटर में टिकी रही।

एनिमल मूवी अभी कुछ दिनों पूर्व ही वह थिएटर से उतरी है। जो लोग सिनेमा हॉल में जाकर मूवी को नहीं देख पाए थे, उनके लिए खुशखबरी है कि एनिमल मूवी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आने वाली है।

सैम बहादुर मूवी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली है। दोनों वह भी अलग-अलग ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होगीं।

एनिमल

एनिमल मूवी 26 जनवरी 2024 को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर प्रीमियर होने वाली है। 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर एनिमल मूवी नेटफ्लिक्स पर रात 12:00 बजे से प्रीमियम होना शुरू हो जाएगी।

पहले यह खबर आई थी कि एनिमल मूवी में सेंसर बोर्ड ने जो कट लगाए थे, वह कट ओटीटी वर्जन की रिलीज जोड़ दिए जाएंगे और ओटीपी पर एनिमल मूवी अनसेंसर्ड वर्जन के रूप में रिलीज होगी।

लेकिन अब नेटफ्लिक्स ने अपनी पॉलिसी में बदलाव कर दिया है, अब वह भारत में अपने प्लेटफार्म पर वही मूवी दिखाएगा जो कि सेंसर द्वारा सिनेमा हॉल में प्रदर्शन के लिए पास की गई है। ऐसा नेटफ्लिक्स इंडिया ने आगे होने वाले किसी भी कानूनी पचड़े से बचने के लिए किया है।

इस तरह एनिमल मूवी सिनेमा हॉल में जिस वर्जन में रिलीज हुई थी, उसी वर्जन में ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के मौके पर रिलीज होगी।

एनिमल मूवी में रणबीर कपूर, अनिल कपूर और रश्मिका मंदाना तथा बॉबी देओल प्रमुख रोल में थे। इस मूवी ने सिनेमा हॉल में जबरदस्त कमाई की थी और साल 2024 की चौथी सबसे अधिक कमाई करने वाली बॉलीवुड मूवी बनी।

सैम बहादुर

सैम बहादुर मूवी भी 26 जनवरी 2024 को ही गणतंत्र दिवस के अवसर पर रिलीज होने वाली है। सैम बहादुर मूवी ओटीटी प्लेटफॉर्म Zee5 पर रिलीज होगी। यह मूवी भी अपने थियोरेटिकल वर्जन में ही रिलीज होगी।

सैम बहादुर मूवी ने भी बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक कमाई की थी और उसने अपनी लागत निकाल ली थी। हालांकि कमाई के मामले मे एनिमल के मुकाबले बेहद पीछे थी।

सैम बहादुर मूवी में विकी कौशल ने भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम बहादुर की भूमिका निभाई थी। यह एक रीयल लाइफ स्टोरी पर आधारित फिल्म थी।

…तो दोनों मूवी का ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मजा लेने के लिए तैयार रहे।


ये भी पढ़ें…

अक्षय कुमार-टाइगर श्राफ की ‘बड़े मियाँ-छोटे मियाँ’ का टीजर आउट हुआ। एक्शन का डबल डोज है मूवी में।

बिहार के जननायक नेता – कर्पूरी ठाकुर

कर्पूरी ठाकुर को देश का 49वां भारत रत्न देने के घोषणा हुई है। कर्पूरी ठाकुर कौन हैं? उनके बारे में Karpoori Thakur Biography) जानते हैं…

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक कहलाने वाले नेता कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur Biography)

2019 के बाद 2024 में भारत सरकार ने फिर से भारत रत्न के लिए किसी विभूति को चुना है। उसे विभूति का नाम कर्पूरी ठाकुर है। इस तरह कर्पूरी ठाकुर को 49 वन भारत रत्न प्रदान किया जाएगा।

बिहार के जननायक नेता कहे जाने वाले और पिछड़ों के नेता के नाम बिहार के दो बार के मुख्यमंत्री एक बार के उपमुख्यमंत्री बनने वाले तथा पिछड़ों के नेता कहे जाने वाले और बिहार के जननायक नेता के तौर पर मशहूर कर्पूरी ठाकुर का जन्मदिन भी 24 जनवरी को ही है, जिस दिन उन्हें भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा की गई।

कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक बेहद ईमानदार नेता थे, जिन्होंने अपने जीवन में दलित, शोषित और पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया और पूरे जीवन उनके लिए संघर्ष करते रहे। वह बेहद सादा जीवन जीने वाले सरल स्वभाव स्पष्ट विचार वाले ईमानदार नेता थे, जो आज की घोटाला वाली राजनीति से इधर एक ऐसे ईमानदार नेता थे जिनका नाम सुनकर विश्वास नहीं होता कि राजनीति में ऐसे ईमानदार नेता भी हो सकते हैं।

कर्पूरी ठाकुर का जन्म और परिचय

कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर के पिंतौझिया गाँव में हुआ था। इस गाँव को अब उनके नाम पर कर्पूरीग्राम कहा जाता है। उनके पिता का नाम श्री गोकुल तथा माता का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था।

उनके पिता एक किसान थे और उसके साथ-साथ अपना पेशेवर काम यानि बाल काटने का कार्य भी करते थे, क्योंकि वह नाई जाति से संबंध रखते थे।

कर्पूरी ठाकुर की आरंभिक शिक्षा-दीक्षा उनके गाँव में ही हुई। फिर उन्होंने 1940 में पटना विश्वविद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की। उसके बाद पढ़ाई छोड़ दी।

राजनीतिक जीवन और करियर

1940 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद, वह भारत के स्वाधीनता संग्राम से जुड़ गए क्योंकि उसे समय भारत का स्वाधीनता संग्राम अपने चरम पर था। उन्होंने 1942 में गांधी जी द्वारा चलाया जाए सहयोग आंदोलन में भाग लिया और इस आंदोलन के कारण उन्होंने 26 महीने तक जेल की सजा भी कटी। इस दौरान वह दो बार जेल गए थे। 1945 में जेल से बाहर आए और फिर वह सक्रिय राजनीति से जुड़ गए। 2 साल तक वह राजनीति में सक्रियता निभाने रहे। 1947 में भारत को आजादी मिल गई और कर्पूरी ठाकुर भी बिहार की सक्रिय राजनीति से जुड़ते गए।

1945 में वह जयप्रकाश नारायण और आचार्य नरेंद्र देव द्वारा संचालित संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो चुके थे और 1948 में इस सोशलिस्ट पार्टी के प्रादेशिक मंत्री बने। 1947 में देश आजाद हो गया और वह निरंतर राजनीति में सक्रिय रहे।

कर्पूरी ठाकुर का पूरा नाम कर्पूरी ठाकुर नहीं था, बल्कि उनका असली नाम कर्पूरी ही था, लेकिन ठाकुर उपनाम उनके नाम के साथ तब जुदा जब समस्तीपुर में हुए घटनाक्रम में उनके लिए उनके द्वारा दिए गए ओजस्वी भाषण के कारण तत्कालीन समाजवादी नेता रामनंदन मिश्रा ने उन्हें ठाकुर उपनाम दिया और उनसे कहा कि वह कर्पूरी नहीं बल्कि कर्पूरी ठाकुर हैं। तब से वह कर्पूरी ठाकुर के नाम से मशहूर हो गए।

कर्पूरी ठाकुर बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने। पहली बार मुख्यमंत्री वह 1970 में बने तो दूसरी बार मुख्यमंत्री 1977 मे बने।

1967 में जब उनके पार्टी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने बड़ी संख्या में सीट पाई। तब वह 1967 में बिहार के उपमुख्यमंत्री बने और 1970 में वे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।

उन्होंने 22 दिसंबर 1970 को बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली, लेकिन उनका पहला मुख्यमंत्री कार्यकाल बेहद छोटा रहा और वह केवल 5 महीने यानि कुल 163 दिनों महीने तक ही मुख्यमंत्री रहे। उसके बाद उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा।

1973 के बाद जयप्रकाश नारायण का छात्र आंदोलन काफी जोर पकड़ रहा था और वह लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाए जा रहे छात्र आंदोलन से जुड़ गए।

1977 में वह पहली बार समस्तीपुर संसदीय निवड निर्वाचन क्षेत्र सांसद बने और पहली बार चुनकर लोकसभा पहुंचे। 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी को पूरे देश में भारी जीत हासिल हुई थी। बिहार में भी जनता पार्टी को भारी जीत मिली थी और तब कर्पूरी ठाकुर दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। इस बार भी वह केवल 2 साल तक ही मुख्यमंत्री रहे।

अपने मुख्यमंत्री कार्य दोनों मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने पिछड़े दलित और शोषितों के उत्थान के लिए अनेक कार्य किया। उन्होंने बिहार में मैट्रिक तक की पढ़ाई मुफ्त की। उन्होंने बिहार शिक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता और वर्चस्व को खत्म किया। उन्होंने बिहार के सभी स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य किया। इससे बिहार के गाँवों और दूर-दराज क्षेत्रों के छात्रों को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मार्ग खुलता गया।

उन्होंने गरीबों, पिछड़ों और अति पिछड़ाओं के उत्थान के लिए ऐसे अनेक कार्य किया, जिसने बिहार की राजनीति की दिशा बदल दी।

वह पूरे जीवन भर बेहद ईमानदार मुख्यमंत्री रहे और उनकी ईमानदारी के चर्चे इतने थे कि उनके पास अपना एक वाहन तक नहीं था। वह वहीं कहीं आने-जाने के लिए रिक्शा आदि का इस्तेमाल करते थे अथवा उन्हें इमरजेंसी में यदि कहीं जाना पड़ता था तो वह अपने किसी परिचित की गाड़ी उठाकर मांग कर ले जाते थे।

कर्पूरी ठाकुर का जब निधन हुआ, तब भी उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी। वह अपने पीछे स्वयं का मकान तक नहीं छोड़ कर गए ना ही उनेक पास कोई बड़ा बैंक-बैलेंस था। इससे उनकी ईमानदारी की बात पर मोहर लगती है।

अपने जीवन काल में वह अलग-अलग पार्टियों में शामिल रहे जिसमें सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय क्रांति दल, जनता पार्टी और लोकदल शामिल हैं।

कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री पहली बार 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तक रहे तथा दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 तक रहे।

बिहार के उपमुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने 5 मार्च 1967 से 31 जनवरी 1968 तक कार्य किया। उस समय बिहार के मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिंह थे।

कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी 1988 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ।


ये भी पढ़ें…

कौन हैं अरुण योगीराज, जिनकी बनाई रामलला की मूर्ति अयोध्या के राम मंदिर में प्रतिस्थापित हुई है। अरुण योगीराज के बारे में जानें।

हिंदू धर्म के 33 करोड़ देवी-देवता का सच जानकर हैरान रह जाएंगे।

हिंदू धर्म में अक्सर यह सुनते हैं कि 33 करोड़ देवी-देवता होते हैं। इस बात में कितनी सच्चाई है? (Truth of 33 Crore Hindu devi-devata) लोगों में अक्सर यह बातें होती हैं कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता होते हैं। आइए जानते हैं…

33 करोड़ देवी-देवता का सच क्या है? (Truth of 33 Crore Hindu devi-devata)

हिंदु धर्म में 33 देवी-देवता होते ये बात सच नही है। ऐसा कोई सच नहीं है। हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता नहीं होते हैं। देवी-देवताओं से तात्पर्य पूजा करने योग्य आराध्यों से होता है। हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता नहीं है।

33 करोड़ देवी-देवता होना संभव ही नहीं हैं, क्योंकि आज से भले ही भारत में हिंदू आबादी 100 करोड़ के आसपास हो, परन्तु भारत की स्वतंत्रता के समय भारत की कुल जनसंख्या ही लगभग 33-35 करोड़ ही थी, जिसमें सब धर्मों के लोग थे।

अगर माना जाये कि स्वतंत्रता के समय हिंदु जनसंख्या33 करोड़ के आसपास की थी, तो हर व्यक्ति के लिए एक अलग देवता हो ये बात अजीब सी है। इससे देवता शब्द का महत्व ही नही रह जाता है जिसे खाली एक व्यक्ति ही पूजता हो। स्वंतत्रता से काफी समय पहले प्राचीन भारत की जनसंख्या 33 करोड़ से भी कम थी, इसलिए जितनी जनसंख्या है उससे अधिक देवी-देवता होना यह बात तार्किक दृष्ट से ठीक नही है।

फिर ऐसा क्यों कहा जाता है कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता होते हैं?

दरअसल यह एक कुछ लोगों द्वारा फैलाया गया गलत भ्रम, कुछ लोगों द्वारा बात के गलत अर्थ को समझना तथा अनुवाद की गलतियां हैं। इसी कारण यह बात प्रचलित हो गई कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता होते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में 33 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है।

कोटि शब्द के संस्कृत और हिंदी भाषा में दो अर्थ निकलते हैं। कोटि शब्द का अर्थ होता है, करोड़ कोटि शब्द का दूसरा अर्थ होता है, प्रकार (अंग्रेजी का टाइप Type) अथवा प्रदर्शन या गुणवत्ता का मानक करोड़ संख्या के संदर्भ में प्रयुक्त होता है। जैसे

  • 100 कोटि यानि 100 करोड़, 200 कोटि यानि करोड़,  35 कोटि यानि 35 करोड़, 1 कोटि यानि 1 करोड़

जबकि कोटि का दूसरा अर्थ ‘प्रकार’ अथवा प्रदर्शन अथवा गुणवत्ता के मानक संबंध में प्रयुक्त होता है। जैसे

  • यह उच्च कोटि की पुस्तक है।
  • उसका स्वभाव उच्च कोटि का है।
  • तुम्हारा एकदम निम्न कोटि का है।
  • यह मोबाइल उच्च कोटि का है।
  • सूर्यकुमार यादव ने मैच में उत्कृष्ट कोटि का प्रदर्शन किया।

यहाँ पर 33 करोड़ देवी देवता के संदर्भ में ‘कोटि’ शब्द का अर्थ ‘प्रकार’ से था, नाकि ‘करोड़’ से। कुछ अनुवादकों ने जिसमे अधिकतर विदेशी अनुवादक थे, धर्म ग्रंथों का अनुवाद करते समय गलत अनुवाद कर दिया और ‘कोटि’ का अनुवाद ‘करोड़’ कर दिया जबकि वो ‘प्रकार’ था। अर्थात हिंदू धर्म में 33 कोटि यानि 33 प्रकार के देवी-देवता पाए जाते हैं जो कि इस प्रकार हैं। आठ (8) अष्टवसु, ग्यारह (11) रुद्र, बारह (12) आदित्य, इंद्र और प्रजापति (2) 8 अष्टवसु

  1. आप ध्रुव 3. सोम 4. धर 5. अनिल 6. अनल 7. प्रत्यूष 8. प्रभाष

11 रूद्र

  1. मनु मन्यु 3. शिव 4. महत 5. ऋतुध्वज 6. महिनस 7. उम्रतेरस 8. काल 9. वामदेव 10. भव 11. धृत-ध्वज

12 आदित्य

  1. अंशुमान अर्यमन 3. इंद्र 4. त्वष्टा 5. धातु 6. पर्जन्य 7. पूषा 8. भग 9. मित्र 10. वरुण 11. वैवस्वत 12. विष्णु

2 इंद्र एवं प्रजापति   इस तरह कुल 33 कोटि यानि 33 प्रकार के देवी-देवता हो गये। यही हिंदु धर्म (सनातन धर्म) के मुख्य देवी-देवता हैं।

…तो किस प्रकार देखा कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता नहीं बल्कि 33 कोटि यानी 33 प्रकार के देवी-देवता होते हैं।

दूसरा भ्रम इस कारण उत्पन्न हुआ कि कुछ कवियों विशेषकर कवि रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी कविता सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ में भी 33 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख किया है,

वे कहते हैं कि

सब से विराट जनतंत्र जगत का आ पहुंचा,
तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तय करो,
अभिषेक आज राजा का नहीं प्रजा का है,
तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो।
आरती लिये तू किसे ढूंढता है मूरख,
मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में?
देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे,
देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में।

शायद उस कारण भी 33 करोड़ देवी देवताओं की बात प्रचलित हो गई। कवि दिनकर जी ने 33 करोड़ देवी-देवता हिंदु धर्म में तैंतीस करोड़ देवी देवता होने के संदर्भ में नही कही थी। ये बात उन्होंने भारतवासियों के संदर्भ में व्यक्त की थी।

जब रामधारी सिंह दिनकर ने यह कविता लिखी थी la उस समय भारत आजाद ही हुआ था और भारत की जनसंख्या 33 करोड़ के आसपास ही थी।

इसलिए उन्होंने सभी भारतवासियों को देव स्वरूप माना था। उन्होंने प्रत्येक भारतवासी को देवी-देवता का स्वरूप मानकर उन्हें 33 करोड़ देवी-देवताओं की संज्ञा दी थी। इसी कारण उन्होंने कविता की इन पंक्तियों में इसका उल्लेख किया।

शायद उनकी कविता की पंक्तियां के कारण भी लोगों में भ्रम उत्पन्न हो गया और यह बात प्रचलित हो गई कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता (Truth of 33 Crore Hindu devi-devata) पाए जाते हैं, जबकि वास्तव में सच्चाई नहीं है।

हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता नहीं बल्कि 33 कोटि देवी-देवता यानि 33 प्रकार के देवी-देवता पाए जाते हैं।

अंत में…

तो हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता का वास्तविक सच (Truth of 33 Crore Hindu devi-devata) जानकर आप हैरान रह गए न?


ये भी पढ़ें…

प्राण-प्रतिष्ठा क्या है? ये क्यों की जाती है? हिंदू-सनातन धर्म में इसका क्या महत्व है?

मकर संक्रांति का पर्व क्या है? ये क्यों और कैसे मनाते हैं? पूरा कहानी और विधि-विधान जानें।

प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना क्या है? जाने पूरी डिटेल।

राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत ही एक नई योजना प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना (Pradhanmantri Suryodaya Yojna) की घोषणा की। पूरी डिटेल समझते हैं…

प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना – भारती की जनता के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक साधन कराने की ओर बढ़ाया गया कदम (Pradhanmantri Suryodaya Yojna)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पिछले 11 दिनों से उपवास पर थे। इसी बीच वे अनेकों मंदिरों के दर्शन भी कर आए। अब  राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब अपने वर्किंग फ्रंट पर जुट गए हैं।

राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद वह तुरंत दिल्ली लौट गए और दिल्ली लौटते ही उन्होंने अपनी नई महत्वाकांक्षी जन कल्याण योजना की घोषणा की।

‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ नामक इस जनकल्याणकारी योजना के द्वारा प्रधानमंत्री ने देशवासियों को ऊर्जा के वैकल्पिक साधन को आसानी से उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है। इस योजना के तहत देशवासियों को सरकार अपने घरों की छत पर रूफ टॉप सोलर पैनल इंस्टॉलेशन के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी ताकि अधिक से अधिक लोग सौर ऊर्जा का उपयोग करने के लिए प्रेरित हों।

प्रधानमंत्री और उनकी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम देशवासियों को ऊर्जा के क्षेत्र में अधिक आत्मनिर्भर बनाने की एक प्रक्रिया है।

सभी को पता है कि पेट्रोल, डीजल, कोयला जैसे ऊर्जा के साधन जल्दी ही खत्म हो जाएंगे। उसके अलावा बिजली का उत्पादन भी मांग के मुकाबला कम ही होता है। इसलिए ऊर्जा के ऐसे दूसरे वैकल्पिक साधनों की खोज निरंतर जारी है, जिनको अपनाकर अपनी ऊर्जा की जरूरत को पूरा किया जा सके और किसी एक ऊर्जा संसाधन पर अत्यधिक निर्भरता को कम किया जा सके।

भारत सरकार निरंतर इसी दिशा में लगातार काम कर रही है और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ की घोषणा करके इस दिशा में ठोस कदम रख दिया है।

प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना के अंतर्गत फिलहाल  में सरकार देश के नागरिकों को सोलर पैनल लगाने में मदद प्रदान करेगी सोलर पैनल लगाने के लिए जो उपकरण जरूरी होते हैं, उन पर सरकार सब्सिडी प्रदान करेगी ताकि अधिक से अधिक लोग अपने घरों की छत पर सोलर पैनल लगवाने के लिए प्रेरित हों।

फिलहाल इस योजना के तहत देश के एक करोड़ को सोनल सोलर पैनल लगवाने का लाभ दिया जाएगा। बाद में इसकी संख्या बढ़ाई जा सकती है।

योजना का लाभ कैसे उठाएं

इसके लिए अभी विस्तृत जानकारी आना बाकी है क्योंकि प्रधानमंत्री ने इस योजना की घोषणा 22 जनवरी 2024 को ही की  है। यह योजना गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोगों के लिए ही उपलब्ध होगी।


ये भी पढ़ें…

अटल पेंशन योजना – अपने बुढ़ापे को आत्मनिर्भर बनाने की सरकारी गारंटी

ये हैं वो कहावतें और मुहावरे जो समय और शब्दों की गड़बड़ी के कारण बदल गए।

हमारे रोजमर्रा के जीवन में ऐसे अनेक मुहावरे या कहावतें है, ये मुहावरे या कहावतें जिस रूप में आज बोले जाते हैं, उस तरह नही थे। (Kahwaten and Muhaware changed over time) आइए जानते हैं…

समय और शब्दों की समझ की गड़बड़ी के कारण बनने वाले मुहावरे/कहावतें (Kahwaten and Muhaware changed over time)

हम लोगों ने सभी ने अनेक तरह के मुहावरे, कहावतें सुनी है, बोली हैं, बचपन में पढ़ीं है, लेकिन बहुत से कहावतों मुहावरों में शब्दों का हेरफेर हो गया कैसे? ये कहावतें और मुहावरे समय के साथ कैसे बदल गए? आइए जानते हैं…

हम सभी ने अपने बचपन से अनेक मुहावरे, कहावतें, लोकोक्तियां आदि सुनी होंगी। मुहावरों में जिन शब्दों का प्रयोग हुआ था, उन शब्दों का कहावत या मुहावरे के छिपी कहानी या उस अर्थ से कुछ ना कुछ संबंध रहा है, लेकिन कुछ कुछ मुहावरे ऐसे हो गए जिनमें प्रयोग किए गए शब्द मूल शब्दों से बदल गए। इन मूल शब्दों का अर्थ ज्यों का त्यों बना रहा, जबकि जो नए शब्द आए उनका इस मुहावरे के अर्थ से कोई संबंध नहीं बनता था और वह बेतुके प्रतीत होते थे। लोगों ने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया आइए। ऐसे कुछ कहावत/मुहावरों पर नजर डालते हैं।

पहली कहावत

धोबी का कुत्ता ना घर का न घाट का

ये एक मुहावरा है जो हमने अपने बचपन से सुना होगा। हमने अपने विद्यालय में इस मुहावरे का अनेक बार प्रयोग किया है। इस मुहावरे का ये अर्थ निकलता है, कि कोई ऐसी घटना हुई होगी जिसमें किसी धोबी ने कोई कुत्ता पाला होगा जिसे धोबी न अपने घर से निकला दिया होगा और जिसे धोबी अपने घाट पर भी नही आने देता होगा। या धोबी का कोई पालतू कुत्ता होगा जिसे धोबी अपने घर के अंदर नही घुसने देता होगा और उसे बाहर ही रखता होगा। लेकिन क्या आप जाने हैं कि असली मुहावरा क्या था।

असली मुहावरा था…

धोबी का कुतका न घर का न घाट का

कुतका एक प्रकार का लकड़ी का खूंटा होता है, जिस पर धोबी गंदे कपड़े टांगते थे। जब वह घाट पर कपड़े धोने को लेकर जाते तो घर के बार उस कुतके यानि खूँटे से कपड़े उतारकर घाट पर ले जाते थे। धोबी वह कुतका वह घर के बाहर ही लगाते थे। घाट एकदम खुला होता था तो वहाँ पर उन्हें घाट उस कुतके यानि खूंटे को लगाने के उन्हे कोई जरूरत ही नही थी।

इसलिये ये कहावत बनी कि धोबी का कुतका न घर का न घाट का। ये कहावत इसलिये बनी क्योंकि कुतका ना तो घर के अंदर लगाया जाता है और ना ही उसे घाट पर लगाया जाता है। चूँकि कुतका शब्द एक जानवर कुत्ते से मिलता-जुलता है इसलिये धीरे-धीरे कुतका शब्द कब कुत्ते में बदल गया, लोगो पता ही नही चला और कहावत बन गई।

धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट।

हमने कभी यह नहीं सोचा कि धोबी के पास कुत्ते का क्या काम ? धोबी को गधे पालते तो देखा है, जिस पर वह कपड़े का गट्ठर लाद कर नदी या घाट पर ले जाते थे। कुत्ते का धोबी के पास कोई उपयोग नहीं तो धोबी कुत्ता क्यों पालेगा?

तो इस इस कहावत में शब्दों की गड़बड़ी हुई और कुतका शब्द कुत्ते में बदल गया।

दूसरी कहावत

ना नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी

इस कहावत से यह भ्रम होता है कि जब नौ मन तेल होगा, तब नौ मन तेल सामने होने पर ही राधा नाम की कोई युवती नाचती होगी। यदि नौ मन तेल नहीं होगा तो राधा नहीं नाचती होगी। जबकि हमने यह नहीं सोचा कि मन किसी द्रव्य पदार्थ को मापने की इकाई नहीं है। मन किसी ठोस पदार्थ को तोलने की इकाई होती थी। मन से अनाज के वजन की मात्रा को दर्शाया जाता था।

इस कहावत के पीछे जो भी कहानी छुपी हो लेकिन इस कहावत जो का अर्थ बनता था, वह यह था कि कोई कठिन कार्य के लिए कोई विशेष परिस्थिति की आवश्यकता होती है। यदि वह परिस्थिति नहीं होगी तो वह काम भी नहीं होगा। यानि एक काम होने पर दूसरा काम होगा। साथ ही यह मूल कहावत यह नहीं थी। मूल कहावत क्या थी?

मूल कहावत थी…

ना नौमन नतेल होगा ना राधा नाचेगी

दरअसल पहले ग्रामीण इलाकों में नाटक कंपनियां होती थीं। ये नाटक कंपनियां गाँव आदि में मनोरंजन का साधन थीं। इन नाटक कंपनियों में नृत्य करने वाली युवतिया नर्तकियां भी होती थी और नाटक कंपनी का मालिक या कोई नर्तक पुरुष होता था, जिसे ‘नतेल’ कहा जाता था, क्योंकि वह या तो नाचने वाली युवती को नाचने का डायरेक्शन देता या उसके साथ नाचता भी थी। किसी नाटक कंपनी में ‘नौमन’ नाम का नतेल था। जो किसी बाहर के देश से आया था।

उसी नाटक कंपनी में राधा नाम की एक युवती नर्तकी थी। जब भी नृत्य कार्यक्रम होता तो ‘नौमन’ ‘नतेल’ अवश्य होता। उसी के निर्देश और उसी की जुगलबंदी पर राधा नृत्य करती थी, जिस दिन ‘नौमन’ नतेल नहीं होता, राधा नाचती नहीं थी।

इसीलिए यह कहावत बन गई कि…

न ‘नौमन’ ‘नतेल’ होगा, न राधा नहीं नाचेगी

बाद में धीरे-धीरे शब्दों का गड़बड़ होकर नौमन दो शब्दों में टूट गया ‘नौ’ और ‘मन’ तथा नतेल शब्द का ‘न’ गायब हो गया और ‘तेल’ रह गया।

और नई कहावत बनी..

न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी

इससे शब्दों का गड़बड़ होकर कहावत का मूल अर्थ दो वही रहा लेकिन शब्दों का हेर फेर होने से शब्दों का अर्थ बदल गया।

एक कहावत को और लेते हैं। यह कहावत है…

अपना उल्लू सीधा करना

इस कहावत का अर्थ यही है अपने स्वार्थ की पूर्ति करना। अपने मतलब के लिए कोई ऐसा करना जिससे स्वयं का फायदा हो, भले ही दूसरे का नुकसान क्यों ना हो। इस कहावत में उल्लू सीधा करना बात अटपटी लगती है। उल्लू तो एक पक्षी होता है। उल्लू सीधा करना बेतुकी बात लगती है।

यह कहावत ‘उल्लू’ नामक पक्षी के संदर्भ में नहीं है। दरअसल इसके पीछे बात यह है कि उल्लू एक उपकरण होता है, जो खेत में उस जगह पर लगाया जाता है। जहाँ एक खेत से दूसरे खेत में पानी जाता है। यह काठ यानि लकड़ी का बना उपकरण होता है, जिसे ‘उल्लू’ कहा जाता है।

यह खेत में पानी के प्रवाह वाली नहर में उस जगह पर लगाया जाता है, जहाँ दो खेतों के बीच विभाजक वाली रेखा हो। इसको लगाने से पानी का प्रवाह मोड़ा जा सकता है। यदि इस उपकरण को सीधा कर दिया जाये तो पानी का बहाव अपने खेत की ओर हो जाता है।

इसी कारण ये कहावत बनी और उल्लू नाम के काठ के उपकरण को सीधा करके पानी के बहाव को अपने खेत की ओर मोड़ लेना और ये अपने स्वार्थ की पूर्ति करने के संदर्भ में माना जाना लगा। यहाँ पर इस कहावत में उल्लू नाम के पक्षी का कोई लेना-देना नही था।

इस तरह हम देखते हैं, कि कहावतों मुहावरों का संसार अनोखा है। अनेक कहावत मुहावरे अतीत में घटी किसी घटना से उपजी हैं। उनमें प्रयुक्त शब्दों का संबंध में उसी घटना और कहावत के अर्थ से संबंध रखता रहा है। लेकिन कुछ कहावत, मुहावरों में प्रयुक्त शब्द समय के बदलते गये हैं।

हालाँकि कहावतों ने अपनी साथ जुड़ी घटना का मूल अर्थ तो बरकरार रखा लेकिन शब्दों के मूल रूप के बिगड़ने के कारण उनका संबंध कहावत के अर्थ से नही बनता है। ये तीनो मुहावरे उसी का प्रमाण हैं।

इस प्रकार ये कुछ कहावतें आदि थीं जो लोगों की शब्दों की समझ की कमी के कारण बदल गए। आगे और भी ऐसी कहावते/मुहावरें अपडेट की जाएंगी।


ये भी पढ़ें…

बाथरूम और वॉशरूम के बीच अंतर को समझें।

कौन हैं अरुण योगीराज, जिनकी बनाई रामलला की मूर्ति अयोध्या के राम मंदिर में प्रतिस्थापित हुई है। अरुण योगीराज के बारे में जानें।

अयोध्या के भव्य राममंदिर में रामलला की मूर्ति नए आकर्षण दिव्य रूप में प्रतिस्थापित की गई है, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को की गई। इस मूर्ति को गढ़ने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज (Life Scan of Arun Yogiraj) को जानें…

अरुण योगीराज का पूरा जीवन परिचय (Life Scan of Arun Yogiraj)

22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की भव्य प्रतिमा प्रतिस्थापित हो चुकी है। रामलला की इस भव्य प्रतिमा का चुनाव राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया गया था। 5 वर्ष की आयु के रामलला की यह प्रतिमा देखने में बेहद भव्य एवं अलौकिक दिखाई दे रही है।

प्रभु श्रीराम के बालरूप की इस प्रतिमा की ऊँचाई 4.24 फीट है। इस प्रतिमा का वजन लगभग 200 किलोग्राम है। इस मूर्ति में श्रीराम के पाँच वर्ष के बाल रूप के साथ-साथ भगवान विष्णु के समस्त 10 अवतारों को भी दर्शाया गया है।

इस सुंदर भव्य और दिव्या प्रतिमा को बनाने का श्रेय कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज को जाता है, जिन्होंने अपने अधिक परिश्रम से यह प्रतिमा गढ़ी। अरुण योगीराज कौन हैं? आइए उनके बारे में जानते हैं…

अरुण योगीराज

अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर नगर के एक प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। वह मैसूर के अग्रहरा क्षेत्र के रहने वाले हैं और मूर्तियों को गढ़ने की परंपरा उनको विरासत में मिली है क्योंकि उनका परिवार पिछली छः पीढ़ियों से और 300 सालों मूर्तियों को गढ़ने का कार्य करता रहा है। अरुण योगीराज के पिता योगीराज और उनके दादा बसवन्ना शिल्पी भी एक प्रसिद्ध मूर्तिकार थे।

अरुण योगीराज का जन्म और परिचय

अरुण योगीराज का जन्म कर्नाटक के मैसूर में 1983 में हुआ था। उनकी जन्मतिथि की स्पष्ट तारीख पता नही चल सकी है। उनका जन्म 1983 में हुआ और वह इस समय 41 वर्ष के हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी विजेता योगीराज, एक पुत्री और एक पुत्र हैं।

अरुण योगीराज के पिता योगीराज भी एक प्रसिद्ध मूर्तिकार थे और उनके दादा बासवन्न शिल्पी भी प्रसिद्ध मूर्तिकार थे।जो मैसूर के राजा के शाही मूर्तिकार थे। मूर्ति गढ़ने की कला विरासत में मिली होने के कारण बचपन से ही अरुण योगीराज को मूर्ति की नक्काशी करने का रुझान पैदा हो गया थाष हालांकि उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और एमबीए की डिग्री प्राप्त की।

उसके पश्चात उन्होंने करियर के लिए एक निजी कंपनी में कुछ समय कार्य भी किया लेकिन शीघ्र ही उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर मूर्ति को गढ़ने के अपने खानदानी पेशे को पूरी तरह से अपना लिया क्योंकि मूर्ति गढ़ने की कला उनकी रग-रग में बसी हुई थी।

2008 से वह लगातार मूर्तियों को गढ़ने का कार्य कर रहे हैं। उनको प्रसिद्ध मिलना तब शुरू हुई जब उनके द्वारा गढ़ी गई कई मूर्तियों को देश के अलग-अलग प्रसिद्ध स्थानों पर लगाया जाने लगा।

इंडिया गेट के पीछे अमर जवान ज्योति के पीछे छाते के नीचे सुभाष चंद्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जो 30 फुट की मूर्ति लगी हुई है, उसको भी अरुण योगीराज ने ही गढ़ा है। नेताजी सुभाष चंद्र की यह मूर्ति का अनावरण नेताजी की 125वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके जबरदस्त प्रशंसक बन चुके हैं और उनको भी अरुण योगीराज ने 2 फीट की नेताजी सुभाष चंद्र की सुभाष चंद्र बोस की एक प्रतिमा भेंट की थी।

अरुण योगीराज ने अनेक भारत की कई प्रसिद्ध विभूतियों की मूर्तियों को गढ़ा है, जिनमें आदिगुरु शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा से लेकर, संविधान निर्माता डॉक्टर बी आर अंबेडकर की 15 फीट ऊंची प्रतिमा, मैसूर जिले के चुंचुनकट्टे में पवन पुत्र हनुमान की 21 फीट ऊंची प्रतिमा, मैसूर में ही स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृतशिला प्रतिमा, भगवान शिव के वाहन नंदी की 6 फीट ऊंची प्रतिमा, बनशंकरी देवी की 6 फीट ऊंची मूर्ति के अलावा कई अन्य प्रसिद्ध व्यक्तित्वो के अलावा अनेक देव प्रतिमाएं उन्होंने गढ़ी हैं। मैसूर रियासत के शाही परिवार में उनके परिवार का योगदान अमूल्य रहा है।

अरुण योगीराज द्वारा गढ़ी वह मूर्तियों जो देश के अनेक प्रसिद्ध स्थलों पर लगाई गईं

  • अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के बालरूप की मूर्ति।
  • इंडिया गेट, दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट की अखंड काले ग्रेनाइट पत्थर की मूर्ति।
  • कर्नाटक में चुंचुनकट्टे, केआर नगर में पवनपुत्र हनुमान की 21 फीट की अखंड पत्थर होयसला शैली की मूर्ति।
  • उत्तराखंड में केदारनाथम में आदिगुरु शंकराचार्य की 12 फीट की ऊँची मूर्ति।
  • मैसूर में डॉ. बीआर अंबेडकर की 15 फीट की अखंड सफेद संगमरमर पत्थर की मूर्ति।
  • मैसूर में श्री रामकृष्ण परमहंस भारत की सबसे बड़ी 10 फीट की अखंड सफेद संगमरमर पत्थर की मूर्ति।
  • मैसूर के साथ महाराजा जयचामाराजेंद्र वोडेयार की 15 फीट की अखंड सफेद संगमरमर पत्थर की मूर्ति।
  • मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर में सृजन का सृजन की अवधारणा में गढ़ी गई 11 फीट की अखंड आधुनिक कला की पत्थर की मूर्ति।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) बेंगलुरु में श्री यूआर राव की कांस्य प्रतिमा।
  • मैसूर में भगवान गरुड़ की 5 फीट की मूर्ति।
  • केआर नगर में भगवान योगनरसिम्हा स्वामी की 7 फीट ऊंची मूर्ति।
  • सर एम.विश्वेश्वरैया की अनेक मूर्तियाँ
  • अनेक जगहों पर संविधान निर्माता डॉ बी आर अम्बेडकर की मूर्तियां
  • विभिन्न मंदिरों में भगवान पंचमुखी गणपति, भगवान महाविष्णु, भगवान बुद्ध, नंदी, स्वामी शिवबाला योगी, स्वामी शिवकुमार और देवी बनशंकरी की मूर्तियां।
  • हाथ से बनाए गए मंडप, विभिन्न पत्थर के स्तंभों की कलाकृतियाँ।

अरुण योगीराज का मिले पुरुस्कार

  • संयुक्त राष्ट्र संगठन के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान द्वारा कार्यशाला का दौरा और व्यक्तिगत सराहना मिली।
  • मैसूर जिला प्रशासन द्वारा नलवाड़ी पुरस्कार 2020 में मिला।
  • कर्नाटक शिल्प परिषद द्वारा मानद सदस्यता 2021 में मिला।
  • 2014 में भारत सरकार द्वारा साउथ जोन यंग टैलेंटेड आर्टिस्ट अवार्ड मिला।
  • मूर्तिकार संघ द्वारा शिल्पा कौस्तुभा का पुरुस्कार मिला।
  • मैसूरु जिला प्राधिकरण द्वारा राज्योत्सव पुरस्कार मिला।
  • कर्नाटक राज्य के माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई द्वारा सम्मानित किया गया।
  • मैसूरु जिले की खेल अकादमी द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ।
  • अमरशिल्पी जकनाचार्य ट्रस्ट द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ।

रामलला की मूर्ति को बनाने का उनका अनुभव

अरुण योगीराज एक इंटरव्यू में बताते हैं कि रामलला की मूर्ति को बनाने में उनको सात महीने का समय लगा। रामलला की मूर्ति को गढ़ने के लिए उन्होंने सात महीनो को स्वयं को पूरे परिवार से अलग कर लिया था। वह दिन-रात मूति को गढ़ने में लगे रहते थे। वह अपने बच्चों को अपना सबसे बड़ा आलोचक मानते हैं। मूर्ति को गढ़ने की हर चरण में वह अपने बच्चों को दिखा उनकी राय लेते थे। उनकी 8 साल की एक बेटी और एक छोटा बेटा है।

उनके अलावा दो और कलाकारों को रामलला की मूर्ति गढ़ने की जिम्मेदारी मिली थी। इन्ही तीन मूर्तियों में से ही एक मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने के लिए चुना जाना था।

ये सौभाग्य अरुण योगीराज की गढ़ी रामलला की मूर्ति को ही मिला। वे बताते है कि उन्हें दिसंबर में राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से सूचना मिली की उनके द्वारा गढ़ी गई रामलला की मूर्ति को राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने के लिए चुन लिया गया है। ये सुखद समाचार सुनकर वह आनंद की कोई सीमा नही रही।

उन्होंने इतनी सुंदर मूर्ति गढ़ी कि रामलला की ये मूर्ति को जो भी देखता है वो देखता रह जाता है। इतनी भव्य, सुंदर, अद्भुत और दिव्य मनमोहक मूर्ति बनाने के लिए उनको देशभर से प्रशंसा मिल रही है।

अरुण योगीराज की वेबसाइट

https://arunyogiraj.com

अरुण योगीराज की Instagram ID

https://www.instagram.com/arun_yogiraj/?hl=en

अरुण योगीराज का ट्विटर हैंडल

Twitter.com/yogiraj_arun


ये भी पढ़ें…

22 जनवरी को राम मंदिर में श्री राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कराने के लिए पूजन कार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित कराएंगे। जाने कौन हैं?

के के मोहम्मद वह मुस्लिम पुरातत्वविद जिसने धर्म से परे हटकर पूरी ईमानदारी से काम किया। कौन हैं के के मोहम्मद?

वजन बढ़ाने के ये अनोखे उपाय, इनको जरूर आजमायें। फायदा मिलेगा।

वजन बढ़ाना, न बढ़ाना भी आज के समय में चिन्ता का विषय बन गया है। पतले लोग दिखने में अच्छे नहीं लगते है। हमें इस बारे में चिंता न करके हमें वजन बढ़ाने के कुछ घरेलू उपायों (Increase your weight remedy) के बारे में जानेगे…

वजन बढ़ाने के लिए घरेलू  उपाय (Increase your weight remedy)

हमारे शरीर का बहुत अधिक वजन होना हमारे अच्छे स्वास्थ्य की निशानी नही है। अधिक वजन अनेक बीमारियों को जन्म देता है। अगर अधिक वजन होना स्वास्थ्य के लिए ठीक नही है तो कम वजन होना भी अच्छे स्वास्थ्य की निशानी नही है। शरीर का वजन कम होने के तात्पर्य है कि शरीर का विकास ठीक नही हो रहा है।

पतले लोग दिखने में अच्छे नहीं लगते है। उनके मन में अक्सर अपने कम वजन को लेकर हीन-भावना रहती है। हमें इस बारे में चिंता न करके हमें वजन बढ़ाने के उपाय (Increase your weight remedy) के बारे में सोचना चाहिए। इसीलिए वजन बढ़ाने के कुछ घरेलू उपायों को आजमाकर आप अपने शरीर का वजन बढ़ा सकते हैं। इसके हमें अपने जीवन में आसानी से उपलब्ध कुछ खाद्य पदार्थो को अपनाकर और कुछ आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर इसका लाभ उठा पा सकते हैं…

1- केला

वजन बढ़ाने के लिए आप खाने में केले का इस्तेमाल कर सकते हैं। मोटे होने के लिए आपको दिन में कम से कम 3 – 4 केले खाने चाहिए। केला पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। आप वजन बढ़ाने के लिए दूध या दहीं के साथ केला खा सकते हैं इससे तेजी से वजन बढ़ता है।

2- दूध और शहद

वजन बढ़ाने के लिए आप रोज दूध के साथ शहद पीएं। इसे मोटा होने की दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आप नाश्ते में और रात में सोने से पहले शहद वाला दूध पी सकते हैं। इससे आपका पाचन अच्छा होगा और वजन भी बढ़ेगा।

3- बादाम, खजूर और अंजीर

वजन बढ़ाने के लिए 3-4 बादाम, खजूर और अंजीर को आप दूध में डालकर उबाल लें और आप इस दूध को रोज पीएं। इससे वजन बढ़ाने में मदद मिलेगी और रात में सोने से पहले इस दूध को पीने से शरीर और पाचन तंत्र मजबूत होगा।

4- बीन्स

 बीन्स पोष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। वजन बढ़ाने के लिए आप डाइट में बीन्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। सब्जी को आप सब्जी या सलाद के रुप में भी खा सकते हैं। बीन्स से वजन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

5- दूध और ओट्स

वजन बढ़ाने के लिए आप दूध – दलिया या दूध ओट्स भी खा सकते हैं। इसके लिए आप फुल फैट मिल्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे वजन में वृद्धि होगी और शरीर स्वस्थ रहेगा।

6- सेब और गाजर

मोटा होने के लिए आप सेब और गाजर का सेवन करें। आप बराबर मात्रा में सेब और गाजर को कद्दूकस कर लें और अब इसे लंच के बाद खाएं।  इससे कुछ हफ्तों में ही आपका वजन बढ़ने लगेगा।

7- किशमिश

वजन बढ़ाने के लिए आप किशमिश भी खा सकते हैं। आप करीब 10 ग्राम किशमिश को थोड़ी देर दूध में भिगो दें। अब रात में सोने से पहले दूध को उबाल लें और पी लें। दूध के साथ किशमिश को भी खा लें इससे शरीर पुष्ट बनेगा और वजन भी तेजी से बढ़ेगा।

8- जौ

जौ आपका वजन बढ़ाने में मदद करता है। आप जौ को भीगोकर कूट लें जिससे छिलका उतर जाए और अब जौ की अच्छे गाढ़े दूध में खीर बना लें। इसमें मेवा डालकर सुबह नाश्ते में करीब 2-3 महीने तक खाएं। आपका वजन बढ़ने लगेगा और इससे दुबले शरीर में ताकत भी आएगी और आप बीमारियों से भी दूर रहेंगे।

9- सोयाबीन

आप नाश्ते में सोयाबीन और अंकुरित अनाज का सेवन भी कर सकते हैं। इनमें भरपूर प्रोटीन होता है, जिससे शरीर मजबूत बनाता है और वजन भी बढ़ता है। मोटा होने की दवा के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।

10- पीनट बटर

 वजन बढ़ाने आप पीनट बटर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जिम ट्रेनर अक्सर पीनट बटर के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। पीनट बटर कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर है और इसे खाने से वजन बढ़ता है। आप नाश्ते में ब्रेड या टोस्ट के साथ इसे खा सकते हैं।

वजन बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक उपाय (Increase your weight remedy)

आयुर्वेद में कुछ उपाय करके वजन को बढ़ाया जा सकता है आयुर्वेद द्वारा सुझाई गई कुछ उपाय और जड़ी – बूटियों का सेवन आपकी मदद कर सकते हैं। कई औषधियों को तो अत्यंत प्रभावी ढंग से वजन बढ़ाने में मददगार माना जाता है। सबसे खास बात यह है आयुर्वेदिक औषधियों से किसी प्रकार के साइड – इफेक्ट्स का भी खतरा कम होता है। आइए जानते हैं कि किन उपायों और औषधियों को प्रयोग में लाकर आसानी से वजन बढ़ाने और आकर्षक लुक – फिटनेस पाने में मदद मिल सकती है?

अश्वगंधा का सेवन करें

प्राकृतिक रूप से वजन को बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में कई सारी औषधियों का जिक्र मिलता है , जिसमें अस्वगंधा सबसे प्रभावी औषधि मानी जाती है यह औषधि शरीर के फिटनेस के साथ वजन को भी तेजी से बढ़ाने में आपकी मदद कर सकती है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के मुताबिक एक गिलास गर्म दूध में 2 चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिलाकर सेवन करने से आपको कुछ ही दिनों में इसका लाभ देखने को मिल सकता है ध्यान रखें , हर किसी की स्वास्थ्य स्थिति अलग होती है, इसलिए अगर आप पहले से किसी रोग के शिकार हैं तो किसी भी औषधि के सेवन से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।

यष्टिमधु के लाभ

आयुर्वेद विशेषज्ञ कहते हैं यदि आपका पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है तो यह वजन को बढ़ने से रोक सकती है , इसलिए सबसे पहले इन दोनों को ठीक करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती देने में यष्टिमधु का सेवन करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।  यह औषधि इम्युनिटी पावर को बढ़ाने के साथ पाचन तंत्र को ठीक रखने और शरीर के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए काफी कारगर मानी जाती है।

सतावरी भी फायदेमंद

अश्वगंधा की ही तरह सतावरी भी उन अत्यंत फायदेमंद औषधियों में से एक है जो आसानी से वजन बढ़ाने में आपकी मदद कर सकती है। शरीर में द्रव संतुलन को बनाए रखने के साथ पाचन तंत्र को ठीक रखकर भोजन से पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाने में इस औषधि के लाभ के बारे में पता चलता है। इस प्रकार से यह वजन बढ़ाने में आपके लिए काफी फायदेमंद औषधि हो सकती है।आमतौर पर स्तन पान कराने वाली माताओं और गर्भवती महिलाओं को इस औषधि के सेवन की सलाह दी जाती है।

कुछ बातों का रखें ध्यान

विशेषज्ञों के मुताबिक आप वजन कम करना चाहते हैं , या बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं , दोनों ही स्थितियों में दिनचर्या और जीवनशैली को ठीक रखना बहुत आवश्यक है। विशेष रूप से रात को अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कम से कम आठ घंटे की उचित नींद जरूर लें। अच्छी नींद के लिए एक गिलास गाय के दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाकर पिएं |

इसके अलावा आहार में दालचीनी, लहसुन, अदरक, इलायची , लौंग और काली मिर्च जैसे मसालों को प्रयोग में लाना आपके पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली दोनों को स्वस्थ रखने में सहायक है, जो स्वाभाविक रूप से वजन को बढ़ाने में मदद कर सकती है।

यह वजन बढ़ाने के उपाय हमारे लिए बहुत लाभदायक हो सकते है, यदि हम इसका प्रयोग अच्छे से करें। हम घर बैठे बिना दवाइयों का इस्तेमाल उपयोग किए अपने वजन को आसानी बढ़ा सकते है।

Post topic: Increase your weight remedy

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

ये भी पढ़ें…

दाँत मोतियों जैसे चमकाना चाहते हैं, ये 15 उपाय आजमाएं।

वेबसाइट पर DDoS Attack क्या है? इससे कैसे बचें?

DDoS Attack  किसी वेबसाइट के सामान्य ट्रैफिक को प्रभावित और बाधित करने का साइबर खतरा है जो कि हैकर्स द्वारा किसी लोकप्रिय वेबसाइट के ट्रैफिक को डाउन करने के लिए किया जाता है। DDos Attack क्या होता है, समझते हैं…

वेबसाइट पर होने वाले DDos Attack के बारे में जानें

DDoS Attack  किसी वेबसाइट के सामान्य ट्रैफिक को प्रभावित और बाधित करने का साइबर खतरा है जो कि हैकर्स द्वारा किसी लोकप्रिय वेबसाइट के ट्रैफिक को डाउन करने के लिए किया जाता है। DDos Attack क्या होता है, समझते हैं…

वेबसाइट पर DDos Attack क्या है? इससे कैसे बचें?

ब्लॉगिंग करना आज के डिजिटल युग में बहुत सामान्य बात हो गई है और ब्लॉगिंग निरंतर लोकप्रिय होती जा रही है। लोग अपनी-अपनी वेबसाइट बनाकर अपने ब्लॉग के माध्यम से तरह-तरह की जानकारियां प्रदान करने का प्रयास करते हैं। कुछ लोग अपने परिश्रम और यूनिक जानकारी के बल पर अपनी वेबसाइट को लोकप्रियता के शिखर तक पहुंचा देते हैं।

ऐसी स्थिति में जब कोई सफलता की ओर बढ़ रहा होता है तो उससे ईर्ष्या करने वाले भी पैदा हो जाते हैं, जो तरह-तरह के तरीकों लोकप्रिय हो रही वेबसाइट को डाउन करने का प्रयास करते हैं। DDoS Attack एक ऐसा ही साइबर अटैक है तो हैकर्स द्वारा किसी वेबसाइट के ट्रैफिक को डाउन करने के लिए किया जाता है।

DDoS Attack क्या है?

DDoS Attack  जिस की फुल फॉर्म है Distributed Denial-of-Service यह एक तरह का cyber-attack है जो किसी वेबसाइट को लक्ष्य बनाकर hackers द्वारा किया जाता है। DDoS Attack के अंतर्गत हैकर्स किसी वेबसाइट को टारगेट करके उस पर अनयूजुअल ट्रैफिक भेजते हैं। जिससे उस वेबसाइट का नियमित ट्रैफिक प्रभावित होता है।

टारगेट की गई वेबसाइट पर बेहद अधिक मात्रा में अलग-अलग स्रोतों द्वारा ट्रैफिक भेजा जाता है, जिससे वेबसाइट का जो रेगुलर ट्रैफिक होता है, वह ट्रैफिक बाधित होता है। बहुत अधिक मात्रा में एक साथ वेबसाइट पर ट्रैफिक आ जाने के कारण वेबसाइट का सर्वर क्रैश हो जाता है। जिस कारण वेबसाइट डाउन हो जाती है।

वेबसाइट के जो legitimate user होते हैं वो वेबसाइट को एक्सेस नही कर पाते। गूगल सर्च इंजन या दूसरा कोई भी सर्च इंजन प्रभावित वेबसाइट पर एकदम अचानक बड़ी मात्रा में ट्रैफिक आ जाने के कारण भ्रमित हो जाता है। सर्च इंजन को लगता है कि वेबसाइट का ऑनर किसी अवैध तरीके से वेबसाइट पर ज्यादा ट्रैफिक लाने की कोशिश कर रहा है। इसी कारण सर्च इंजन उस वेबसाइट की रैंकिंग को डाउन देता है।

सर्च इंजन के रिजल्ट में वेबसाइट गायब हो जाती है और उसका legitimate ट्रैफिक यानि रेगुलर ट्राफिक है, वह भी डाउन होने लगता है।

DDoS Attack कैसे किया जाता है।

DDoS Attack जो अटैकर्स अटैक करवा रहा है वह किसी बॉट्स द्वारा ट्रैफिक जेनेरेट करता है। बॉट्स का ये समूह बॉटनेट कहलाता है। ये बॉटनेट अलग-अलग स्रोतों के माध्यम से वेबसाइट को टारगेट कर उस पर बड़ी मात्रा में ट्रैफिक भेजते है।

बॉटनेट अलग-अलग आईपीएड्रेस से एक साथ ट्रैफिक भेजते हैं। जो बहुत अधिक मात्रा में होता है। ये ट्रैफिक कोई genuine ट्रैफिक तो होता नही है इसलिए ये केवल बॉट्स होते हैं, तो वेबसाइट जिस उद्देश्य के लिए बनाई गई है ये उस वेबसाइट पर वो काम भी नही करते हैं। जैसे कि अगर आपकी वेबसाइट एक ब्लॉग है तो यह आपकी वेबसाइट पर जाकर ब्लॉग को नहीं पढ़ते है या आपकी वेबसाइट एक कमर्शियल वेबसाइट है, कोई प्रोडक्ट सेल कर रही है तो यह आपकी वेबसाइट पर जाकर प्रोडक्ट को परचेज नहीं करते।

इन बॉट्स का कार्य केवल आपकी वेबसाइट पर ट्रैफिक का लोड बढ़ाना है ताकि आपकी वेबसाइट का सर्वर क्रैश हो जाए। चूँकि इंटरनेट पर बॉट्स एक वैध उपकरण है, इसलिए बॉट्स के रूप में आए ट्रैफिक को सामान ट्राफिक से अलग करना मुश्किल हो जाता है और सर्च इंजन द्वारा भी इसकी पहचान करनी आसान नहीं होती। DDoS अटैक के अंतर्गत जिस वेबसाइट को टारगेट करना है, उसके नेटवर्क और सर्वर को बॉट्स द्वारा टारगेट करके अलग-अलग आईपी एड्रेस से अनुरोध भेजा जाता है, जिससे वेबसाइट का नेटवर्क अचानक आए ट्रैफिक से कंफ्यूज हो जाता है।

किसी भी वेबसाइट की ट्रैफिक को हैंडल करने की एक सीमा होती है। सीमा से अधिक ट्रैफिक आने के कारण वेबसाइट का सर्वर बहुत अधिक ट्रैफिक के लोड को नही ले नहीं पाता और उसका सर्वर क्रैश हो जाता है, जिससे वेबसाइट डाउन हो जाती है।

DDoS अटैक की पहचान कैसे हो?

  • DDoS अटैक की सबसे पहली पहचान यह है कि जब अचानक ऐसा लगे कि वेबसाइट पर अचानक से बहुत अधिक मात्रा में ट्रैफिक बढ़ गया है और वह ट्राफिक बढ़ता ही जा रहा है है है तो ऐसा मानना चाहिए कि उस पर DDoS अटैक किया गया है।
  • वेबसाइट के ऑनर को अपने ट्रैफिक का अंदाजा होता है कि उसके वेबसाइट पर नियमित रूप से कितने ट्रैफिक आ रहा है। यदि ट्रैफिक बढ़ना भी शुरू होता है तो वह धीरे धीरे बढ़ता है। एक ही दिन में मिनटों में अचानक ट्रैफिक 100 गुना बढ़ जाए तो वह DDoS अटैक का संकेत है।
  • अचानक वेबसाइट इंटरनेट पर दिखाई देनी बंद हो जाए। वेबसाइट का एड्रेस टाइप करने पर वो एक्सेस नही हो।
  • वेवसाइट के रेगुलर यूजर्स शिकायत करें कि वेबसाइट एक्सेस नही हो रही है और वेबसाइट ऑनर को फिर अपने बैकएंड पर ट्रैफिक आता दिख रहा हो तो समझ जाना चाहिए की वेबसाइट पर DDoS अटैक किया गया है।

DDoS अटैक क्यों किया जाता है?

  • DDos अटैक करने के अनेक कारण हो सकते हैं। किसी एक ही विषय पर बनी कई वेबसाइट में कंपटीशन होने की स्थिति में कोई विरोधी कंपटीटर किसी एक वेबसाइट के ट्रैफिक को नुकसान पहुंचाने के लिए हैकर्स की सेवा लेता है और उस पर वेबसाइट पर DDoS अटैक कराता है ताकि उस वेबसाइट को DDoS अटैक किया जा सके और अटैकर्स अपनी वेबसाइट को प्रभावित वेबसाइट के ऊपर ला सकेत।
  • इसके अलावा कई राजनीतिक कारण, सामाजिक कारण या ईर्ष्या भी DDoS अटैक कराने का कारण हो सकती है।

ध्यान रहे कि DDos अटैक कराना हर किसी के बस की बात नहीं है। कोई भी सामान्य सामान्य व्यक्ति यूँ ही DDoS अटैक नहीं करवा सकता। DDoS Attack अटैक कराने के लिए भी उसे काफी पैसे खर्च करने पड़ जाते हैं। उसे हैकर्स की सेवा लेनी पड़ती है और वेबसाइट पर अनयूजुअल ट्रेफिक को भेजने के लिए उसे भी खर्चा करना पड़ता है, इसीलिए DDoS अटैक कराना आसान नहीं है। ये केवल बड़ी वेबसाइट को टारगेट करके ही किया जाता है।

DDoS अटैक से कैसे बचा जाए?

DDoS Attack अटैक में अटैकर्स अलग-अलग स्रोतों से अलग-अलग IP-address से बड़ी मात्रा में ट्रैफिक भेजते हैं, इसलिए इसलिए किसी एक IP-address को पहचान कर उसे ब्लॉक करना संभव नहीं हो पाता। इसीलिए DDoS अटैक होने पर उसे तुरंत रोक पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।

  • मॉनिटरिंग टूल

DDoS अटैक से बचने के लिए अपनी वेबसाइट पर नेटवर्क मॉनिटरिंग टूल को सेट किया जा सकता है। यह टूल आपके वेबसाइट पर आ रहे ट्रैफिक की मॉनिटरिंग करता रहता है, जिससे वेबसाइट पर अचानक किसी भी तरह के अवांछित ट्रैफिक का पता चलता है तो यह टूल आपको तुरंत नोटिफिकेशन भेजेगा, जिससे आप समय रहते सावधान होकर डिटॉक्स अटैक आरंभ होने पर आप तुरंत उसको रोकने के उपाय में जुट जाएं।

  • DDoS अटैक मिटिगेशन सर्विस

DDoS अटैक  से बचने का दूसरा तरीका यह है कि डिजिटल मार्केट में ऐसे अनेक सेवाएं उपलब्ध हैं, जो DDoS अटैकिंग की पहचान करती हैं। ऐसी किसी भी सेवा प्रदाता से संपर्क करके उनकी सेवा ली जा सकती है। यह सेवाएं अनयूजुअल ट्रेफिक को DDoS Attack Mitigation Service के नाम से अपनी सेवाएं देती है। यह सेवाएं आपकी वेबसाइट पर आने वाले अवांछित ट्राफिक की पहचान करके केवल सही ट्रैफिक को ही अपनी वेबसाइट पर आने देते हैं।

  • फायरबॉल

आप अपनी वेबसाइट पर अपने होस्टिंग सर्विस प्रोवाइडर द्वारा फायरबॉल को लगाकर DDoS अटैक से बच सकते हैं। यह फायरबॉल किसी भी तरह के अवांछित को आने से रोकती है।

  • ब्लैक होल रूटिंग

ब्लैक होल रूटिंग होस्टिंग सर्विस प्रोवाइडर से बात ब्लैक होल रूटिंग सर्विस ली जा सकती है। इसमें  होस्टिंग सर्विस प्रोवाइडर एक ब्लैक होल रूट बनाता है और उस ब्लैक होल रूट से ही वेबसाइट पर आने वाला सारा ट्रैफिक गुजरता है। इस तरह से जो भी अवांछित ट्रैफिक उस पर कंट्रोल पाया जा सकता है।

हालाँकि ये यह एक लांग टर्म उपाय नहीं है क्योंकि इससे वेबसाइट पर आने वाला legitimate ट्रैफिक भी रुक सकता है। लेकिन अचानक जब वेबसाइट पर बहुत अधिक मात्रा में अवांछित ट्रैफिक आने लगा है तो वेबसाइट पर आने वाले सारे ट्रैफिक को रोकने के लिए कुछ समय के लिए legitimate ट्रैफिक को भी रोकना पड़ सकता है।

  • सर्वर लिमिटेशन सेटिंग

DDoS अटैक हमले से बचने के लिए एक तरीका यह भी है कि एक समय सीमा के अंतर्गत सर्वर द्वारा स्वीकार किए जाने वाले अनुरोधों की संख्या को सीमित कर दिया जाए। इससे जब वेबसाइट के सर्वर पर जब बहुत अधिक मात्रा में ट्रैफिक भेजा जाएगा तो सर्वर उस अनुरोध को अस्वीकार कर देगा और वेबसाइट पर अचानक बहुत बड़ी मात्रा में नहीं ट्रैफिक नही आएगा।


ये भी पढ़ें…

ifixit.com कमाल की वेबसाइट है ये। अपने घर बैठे ही इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स रिपेयर करना सीखें।

के के मोहम्मद वह मुस्लिम पुरातत्वविद जिसने धर्म से परे हटकर पूरी ईमानदारी से काम किया। कौन हैं के के मोहम्मद?

के के मोहम्मद (K K Muhammed) एक अनोखे पुरातत्वविद जो मुस्लिम हैं, लेकिन उन्होंने अपनी जॉब में अपने धर्म में को आड़े हाथों आने नही दिया। जानते हैं उनके बारे में…

K K Muhammed – एक मुस्लिम पुरातत्वविद जो हमेशा राम मंदिर के सच के साथ खड़ा रहा

के के मोहम्मद एक ऐसे इतिहासकार रहे हैं, जिन्होंने राम मंदिर के पुरातात्विक सर्वेक्षण में अहम भूमिका निभाई है। वह भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक रहे थे। उन्होंने ही राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद में बाबरी ढांचे के नीचे पुरातात्विक सर्वेक्षण किया था। उनके नेतृत्व में टीम ने इस ढांचे का सर्वेक्षण करके अदालत में यह साक्ष्य दिए थे कि बाबरी मस्जिद का जो ढांचा था, उसकी जगह पर पहले कभी एक हिंदू मंदिर था। क्योंकि पुरातात्विक विभाग को खुदाई में जमीन के नीचे से मंदिर के कई अवशेष मिले थे।

के के मोहम्मद इस्लाम धर्म के अनुयाई हैं और दक्षिण भारत के केरल राज्य के रहने वाले हैं, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने पुरातात्विक विभाग में अपनी धार्मिक आस्था को कभी भी आड़े हाथ नहीं आने दिया। उन्होंने उसी बात का समर्थन किया जो कि सच है।

अपने अनेक इंटरव्यू में वह हिंदू धर्म की उदारता और सहिष्णुता की प्रशंसा कर चुके हैं। मंदिर होने के साक्ष्य प्रमाण देने के कारण उन्हें अपने समुदाय के लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा है, लेकिन वह अपना कार्य निश्चित होकर करते रहे हैं। आईए जानते हैं कि एक मोहम्मद कौन हैं?

के के मोहम्मद भारत के पुरातात्विक विभाग में काम करने वाले एक सर्वेक्षण अधिकारी थे क्योंकि अब वह रिटायर हो चुके हैं। वह भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के उत्तर क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक रहे थे। उनके नेतृत्व में अनेक पुरातात्विक स्थलों का उत्खनन किया गया है।

राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद की पृष्ठभूमि में विवादित स्थल का पुरातत्व उत्खनन भी उनके नेतृत्व में उनकी टीम ने किया था। इसके अलावा उन्हें बौद्ध स्मारकों और हिंदू मंदिरों की खोज का श्रेय भी दिया जाता है।

उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अनेक ऐसे लुप्तप्राय मंदिरों की खोज की जो भारत में मध्यकाल में आक्रमणकारियों द्वारा ध्वस्त कर दिए गए थे और उनकी जगह पर या तो मस्जिदों आदि का निर्माण कर दिया गया था या फिर उन मंदिरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया था।

के के मोहम्मद का परिचय

के के मोहम्मद का जन्म केरल के कोझीकोड (कालीकट) में स्थित कोडुवेल्ली नामक गाँव में उनका जन्म 1 जुलाई 1952 को हुआ। उनके पिता का नाम बीयराम कुट्टी हाजी तथा माता का नाम मरियम था। वह कुल पाँच बहन भाई थे, जिसमें उनका नंबर दूसरा था।

उनकी आरंभिक शिक्षा केरल के कोझीकट (कालीकट) जिले में ही हुई। जहां के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उसके बाद वह उत्तरी भारत चले आए और अलीगढ़ में स्थित प्रसिद्ध अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से उन्होंने 1973-75 में इतिहास में मास्टर डिग्री प्राप्त ली।

फिर उन्होंने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा संचालित नई दिल्ली स्थित स्कूल आफ आर्कियोलॉजी से पुरातत्व साइंस में स्नातकोत्तर पोस्ट ग्रेजुएशन (1976) ली।

करियर

उनके करियर का आरंभ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में एक तकनीकी सहायक के तौर पर आरंभ हुआ। फिर वहीं पर वह सहायक पुरातत्वविद भी बने। उसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए वह उपअधीक्षक पुरातत्वविद के रूप में चुने गए।

अपने करियर के शुरुआती दौर में उन्हें 1988 में पुरातत्व विभाग की ओर से मद्रास में तैनात किया गया। फिर उन्हें 1991 में गोवा में नियुक्ति मिली। उसके बाद 1997 में उनकी अधीक्षक पुरातत्वविद के रूप में पदोन्नति हुई।

समय-समय पर उनका भारत के अलग-अलग राज्य में तबादला होता रहा और उन्होंने उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली जैसे कई राज्यों के प्राकृतिक विभाग में अपनी सेवा दी। 2012 में उन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर क्षेत्र) बनाया गया और 2012 में ही उनकी सेवा निवृत्ति हो गई।

के के मोहम्मद क्यों चर्चित रहे?

सभी जानते हैं कि के के मोहम्मद एक मुस्लिम हैं, लेकिन उन्होंने अपने जो भी पुरातात्विक सर्वेक्षण किया उसमें से अधिकतर सर्वेक्षण में उन्होंने जो भी निर्णय सही पाया उसे पूरी तरह ईमानदारी के पेश किया और अपने पद पर पूरी ईमानदारी से कार्य किया।

यह निर्णय हिंदू धर्म के दावों को समर्थन करते थे, इसी कारण अक्सर वह अपने समुदाय के लोगों की नाराजगी का भी कारण बनते रहे हैं।

के के मोहम्मद ने अनेक महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज की है। उनकी प्रमुख प्राकृतिक खोज में से

केके मुहम्मद की प्रमुख पुरातात्विक खोजें

  • अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम का नेतृत्व किया और 1976 में की गई खुदाई में मंदिर के अवशेषों का पता लगाया। वह 1976 में बीडी लाल के नेतृत्व वाली पुरातात्विक टीम का हिस्सा थे। इस खोज ने अयोध्या में राम मंदिर के अस्तित्व को प्रमाणित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उन्होंने भारत के कई महत्वपूर्ण मंदिरों की खुदाई की और उनके जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • बटेश्वर मंदिर परिसर, मध्य प्रदेश
    • महाबलीपुरम, तमिलनाडु
    • कांचीपुरम, तमिलनाडु
    • हम्पी, कर्नाटक
  • उन्होंने कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और जीर्णोद्धार का काम भी किया, जिनमें शामिल हैं:
    • ताजमहल, उत्तर प्रदेश
    • लाल किला, दिल्ली
    • हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली
    • अजंता और एलोरा की गुफाएं, महाराष्ट्र
    • इबादत खाना, आगरा
    • के के मोहम्मद ने अपने पुरातात्विक कार्यकाल के दौरान अनेक हिंदू मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य किया था। यह कार्य उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के अपने पेशे की ईमानदारी के आधार पर किया।

केके मुहम्मद की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • उन्हें 2019 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।
  • उन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) 2012 में नियुक्त किया गया। वह इस पद को सुशोभित करने वाले पहले व्यक्ति थे। उसी वर्ष वह रिटायर हो गए।
  • उन्हें आगा खान संस्कृति ट्रस्ट में पुरातात्विक परियोजना निदेशक नियुक्त किया गया।

अक्सर वामपंथियों के निशाने पर रहते हैं और वह खुद भी वामपंथियों को निशाने पर लेते रहते हैं।

के के मोहम्मद अक्सर वामपंथियों के निशाने पर रहते हैं क्योंकि वह वामपंथियों की आलोचना करने से नहीं चूकते। उन्होंने भारतीय इतिहास को बिगाड़ने में वामपंथियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार वामपंथियों ने भारत की अनेक प्रमाणित इतिहास को नकारते हुए इतिहास को अंग्रेजों और इस्लामी शासन के अनुरूप लिखा और भारतीय हिंदू धर्म से संबंधित इतिहासों के स्वरूप को बिगाड़ा।

राम मंदिर के बारे में भी के के मोहम्मद की यही धारणा है कि 1976 की बी डी लाल के नेतृत्व में पुरातात्विक टीम में  वामपंथी इतिहास कार्य जानते थे कि उस जगह के नीचे पहले कभी मंदिर था लेकिन उन्होंने इस बात को स्वीकार किया और अदालत में झूठे दावे पेश किए।

2016 में के के मोहम्मद ने मलयालम भाषा में अपनी आत्मकथा में ‘एक भारतीय नाम’ (I am an Indian name) नाम से प्रकाशित की। इस पुस्तक में भी उन्होंने वामपंथी इतिहासकारों पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने कट्टरवादी मुस्लिम गुटों का समर्थन किया और उनके अनुसार ही इतिहास के कथाएं गढ़ीं।

इन वामपंथी इतिहासकारों ने अयोध्या के राम मंदिर विवाद में एक सही समाधान खोजने को नकारा। इन इतिहासकारों ने  पुरातत्व खुदाई में मिले साक्ष्यों को भी नाकारा और अदालत को भी गुमराह करने की कोशिश की । उन्होंने चरमपंथी मुस्लिम गुटों का समर्थन किया, जिस कारण अयोध्या का राम मंदिर विवाद उलझा रहा। यदि वामपंथी इतिहासकार सच्चाई को सामने लाते और जो सच है, उसको सही से प्रकट करते तो इस मुद्दे का समाधान काफी पहले सौहार्दपूर्ण वातावरण में हो गया होता।

उन्होंने इतिहासकार इरफान हबीब पर भी आरोप लगाया है कि इरफान हबीब ने भारतीय इतिहास से बहुत छेड़छाड़ की। उन्होने ही अयोध्या विवाद के साक्ष्यों को नकारने और दबाने की कोशिश की।

के के मोहम्मद अपने कार्यकाल में 80 से अधिक मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य कर चुके हैं। के के मोहम्मद एक इस्लाम धर्म के अनुयाई होने के बाद भी हिंदू जीवन शैली से काफी प्रभावित हैं। वह अक्सर अपने कई इंटरव्यू में हिंदू धर्म के बारे में तारीफ कर चुके हैं।

उन्होंने लल्लनटॉप नामक यूट्यूब चैनल को दिए गए अपने एक इंटरव्यू में यह कहा था कि यूं तो वह किसी धर्म को नहीं मानते और पूरी तरह नास्तिक होने में विश्वास रखते हैं। यदि अगला जन्म उन्हें मिले तो वह नास्तिक के रूप में जन्म लेना पसंद करेंगे, लेकिन फिर भी उन्हें कोई धर्म चुनने का अवसर प्राप्त हो तो वह अगले जन्म में हिंदू धर्म में जन्म लेना पसंद करेंगे।  उनके अनुसार हिंदू धर्म जितने उदारवादी लोग किसी अन्य धर्म में नहीं पाए जाते। जो बहुत अधिक आक्रामक नही होते।


ये भी पढ़ें…

22 जनवरी को राम मंदिर में श्री राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कराने के लिए पूजन कार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित कराएंगे। जाने कौन हैं?


हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

अंकुरित अनाज के अनोखे फायदे, अच्छी सेहत का राज हैं ये।

अंकुरित अनाज का अपना ही महत्व है। अंकुरित अनाज खाना शरीर के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक रहता है। आज हम शरीर को स्वास्थ्य बनाने के लिए अंकुरित अनाज (Benefits of sprouts) के फायदे के बारे में जानेंगे…

अंकुरित अनाज (Sprouts) के फायदे (Benefits of sprouts)

शरीर को स्वास्थ्य बनाने के लिए अंकुरित अनाज (Benefits of sprouts) का अपना ही महत्व है। स्प्राउट्स खाने का सबसे अच्छा समय समय है। रात के खाने से पहले या दूसरे शब्दों में, शाम के नाश्ते के समय और रात के खाने के समय के बीच अंकुरित अनाज (स्प्राउट्स) का सेवन करना बेहतर होता है। वैसे अंकुरित अनाज (स्प्राउट्स) लेने का सबसे बेहतर समय सुबह का ही माना गया है।  सबसे पहले हम जानेंगे की अंकुरित अनाज यानि स्प्राउट्स क्या होते हैं।

अंकुरित अनाज यानि स्प्राउट्स क्या होता है ?

अंकुरित अनाज यानी कि स्प्राउट्स ऐसे बीज होते हैं जिनसे छोटे- छोटे अंकुर निकलने शुरू हो जाते हैं। यह अंकुरण प्रक्रिया आमतौर पर कई घंटों तक अनाज या बीजों को भिगोने से शुरू होती है। अंकुरित होने पर अनाज में पाया जाने वाला स्टार्च-ग्लूकोज, फ्रक्टोज और माल्टोज शर्करा में बदल जाता है। इससे न केवल अनाज का स्वाद बढ़ता है, बल्कि इसके पोषक तत्वों और पाचक गुणों में भी वृद्धि होती है। यही कारण है कि साबुत अनाज की तुलना में अंकुरित ज्यादा पौष्टिक माने जाते हैं।

अंकुरित अनाज के नाम

वैसे तो अंकुरित अनाज कोई अनाज नहीं होता है। इसकी कई किस्में उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग आप खुद को फिट और हेल्दी रखने के लिए कर सकते हैं।

अंकुरित अनाज में कई तरह के अनाज, फलियां, सब्जियों के बीज, नट्स आदि प्रयोग किये जाते हैं। इन्हें आप अंकुरित होने के बाद कच्चा या फिर पकाकर भी खा सकते हैं।

जैसे :- सेम, मटर, बादाम, मूली के बीज, अल्फाल्फा के बीज, कद्दू के बीज, तिल के बीज, सूरजमुखी के बीज, ब्रसेल्स, मूंग दाल, चना, मेथी, सोयाबीन, क्विनोआ।

अंकुरित अनाज में पाये जाने पोषक तत्व

अंकुरित आहार में क्लोरोफिल, विटामिन ए, बी, सी, डी और के, भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जोकि कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन जैसे खनिजों लवणों का बेहतर स्त्रोत है। अंकुरित अनाज में फाइबर, फोलेट, ओमेगा- 3 फैटी एसिड भी पाया जाता है। इनमें खासतौर से विटामिन- सी, बी-कॉम्प्लेक्स, थायमिन, राइबोप्लेविन और नायसिन की मात्रा दोगुनी हो जाती है।

अंकुरित अनाज खाने के फायदे

अंकुरित अनाज हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका उपयोग हमें कई तरह की बीमारियों से बचाता है।

आइए जानते हैं, अंकुरित अनाज को अपने आहार में शामिल करने के अनगिनत फायदों के बारे में…

मोटापे के लिए अंकुरित अनाज

अगर आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो अपने आहार में अंकुरित आहार जरूर शामिल करें। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिसे खाने के बाद हमारा पेट काफी देर तक भरा रहता है और हम अतिरिक्त कैलोरी लेने से बच जाते हैं। अंकुरित अनाज में कैलोरी की मात्रा बहुत ही कम होती है, इसीलिए यह वजन घटाने में कारगर साबित होता है।

स्टैमिना बढ़ाने के लिए

स्टैमिना बढ़ाने का मतलब है शरीर में कमजोरी दूर करना, शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से खुद को स्ट्रॉन्ग करना ताकि आप जो भी काम करें, बिना रुके और बिना थकावट के पूरा कर सकें। अंकुरित आहार एनर्जी का भंडार है। यही कारण है कि इसे सुबह के नाश्ते के अलावा कई लोग भोजन में भी नियमित तौर पर शामिल करते हैं, जिससे उनका स्टैमिना बना रहे।

आँखों के लिए

आँखों के लिए अंकुरित अनाज बहुत लाभदायक होते हैं। इसका सेवन करने से हमारी दृष्टि यानि कि देखने की क्षमता बेहतर होती है। आंखों से संबंधित रोगों से लड़ने के लिए स्प्राउट्स काफी मददगार साबित होते हैं।

बेहतर पाचन तंत्र

अंकुरित अनाज पाचन शक्ति बढ़ाने और उसे दुरस्त रखने का काम करते हैं। अंकुरण की प्रक्रिया के बाद अनाज में पाये जाने वाले कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन और भी ज्यादा पाचक व पौष्टिक हो जाते हैं। इससे आपका पाचन तंत्र भी सुचारु रूप से कार्य करता है।

रोगप्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी पावर )बढ़ाएं

अंकुरित आहार को नियमित तौर पर लेने से रोगप्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है और शरीर के हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।

मधुमेह रोग (डायबिटीज) में स्प्राउट्स

अगर आपको डायबिटीज यानि कि मधुमेह रोग है तो अंकुरित आहार लेना शुरू कर दें। कुछ अध्ययन बताते हैं कि अंकुरित अनाज कार्बोस की कुल मात्रा को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही इसमें एमिलेज एंजाइम होता है जोकि ग्लूकोज को तोड़ने और पचाने में मदद करता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मधुमेह रोग (डायबिटीज) में मेथी को अंकुरित करके खाना अधिक फायदेमंद होता है इससे बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है।

त्वचा (स्किन) और बालों के लिए

अंकुरित अनाज (स्प्राउट्स) में ढेरों विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं, जोकि हमारी त्वचा (स्किन) और बालों को स्वस्थ (हेल्दी) रखने का काम करते हैं। अंकुरित अनाज (स्प्राउट्स) एक तरह से ब्लड प्यूरीफिकेशन का काम करते हैं, जिससे हमारी त्वचा (स्किन) बेदाग और निखरी नजर आती है। इसके सेवन से आप के बाल घने होंगे और उनका झड़ना भी कम हो जायेगा।

दिल के रोगों के लिए रामबाण

आपको शायद यह बात जानकर हैरानी होगी कि अंकुरित अनाज का सेवन करना दिल के लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित होता है। जो लोग रोजाना अपने आहार में अंकुरित अनाज शामिल करते हैं, उन्हें अन्य लोगों के मुकाबले में हार्ट अटैक पड़ने की आशंका बहुत कम होती है। दरअसल, अंकुरित अनाज में मौजूद पोषक तत्व आपके रक्त में उपस्थित हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर देता है, जिससे दिल से संबंधित रोग होने की आंशका कम हो सकती हैं।

अंकुरित अनाज कैंसर में फायदेमंद

अंकुरित अनाज (स्प्राउट्स) में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रैडिकल्स को नष्ट करते हैं ताकि त्वचा को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे और त्वचा कैंसर की आशंका खत्म हो सके। यौन स्वास्थ्य के लिए स्प्राउट्स अंकुरित अनाज का नियमित सेवन करने से आपकी यौन समस्याओं को भी ठीक करने में मदद मिलती है। दरअसल, अंकुरित अनाज आपके जननांगों में रक्त प्रवाह में वृद्धि करने में मदद करते हैं।

प्रेगनेंट महिला के लिए अंकुरित अनाज के फायदे

प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिलाओं को अंकुरित अनाज अपने आहार में शामिल करने का सुझाव दिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे नवजात शिशु की मानसिक और शारीरिक कमजोरियों को दूर करने में लाभ मिलता है। इसका उपयोग करने से शिशु के विकास में भी मदद मिलती है।

अनाज को अंकुरित करने का तरीका

अंकुरित अनाज यानि कि स्प्राउट्स सबसे सस्ता और पौष्टिक आहार होता है। अंकुरित अनाज (स्प्राउट्स) बनाने की विधि में किसी तरह की कोई रॉकेट साइंस नहीं लगती है और न ही ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। बस आप जिस अनाज को अंकुरित करना चाहते हैं, उसे रात भर पानी में भिगोकर रख दें। अगले दिन उसे चार – पांच बार पानी से अच्छी तरह धो लें और किसी गीले कपड़े में अच्छी तरह से लपेट कर रख दें।

ध्यान रहे कि कपड़े में नमी बरकरार रहे, अगर ऐसा नहीं है तो समय-समय पर पानी का छिड़काव करते रहें। अगले दिन ही आपके द्वारा गीले किये गये अनाज अंकुरित हो जायेंगे। सर्दियों के मौसम की अपेक्षा गर्मी के मौसम में बीजों को अंकुरित करना ज्यादा आसान होता है। इस प्रक्रिया से आप अपने लिए प्रतिदिन अंकुरित आहार तैयार कर सकते हैं।

अंकुरित अनाज खाते समय बरतें ये सावधानियां

अंकुरित अनाज (स्प्राउट्स) भिगोते समय यह ध्यान रखें कि अनाज में कहीं किसी तरह का घुन(कीड़ा) तो नहीं लगा है। खाने से पहले अंकुरित अनाज (स्प्राउट्स) को पानी से अच्छी तरह धो लें, इससे अनाज पर लगे फंगस या पेस्टीसाइड के कण साफ हो जायेंगे।

अंकुरित अनाज (स्प्राउट्स) को तेल में भूनने से उनकी पौष्टिकता नष्ट हो जाती है, इसलिए अगर इसे आप पका कर ही खाना चाहते हैं तो भाप पर पका कर लें। ज्यादा दिनों के अंकुरित अनाज खाने से आमतौर पर दो प्रकार के जीवाणु ई. कोलाई और साल्‍मोनेला के फैलने की आशंका होती है।

अगर अंकुरित अनाज कई दिनों से रखे हैं तो उसे खाने से पहले जांच लें, पीले और बदबूदार होने पर उन्हें भूलकर भी न खाएं, आप बीमार पड़ सकते हैं। बाजार में मिल रहे अंकुरित अनाज खरीदने से बेहतर है कि घर पर ही अनाज को अंकुरित करें।


Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

ये भी पढ़ें…

संतरे के फायदे और गुण अनेक हैं, जान लीजिए।

नीम के फायदे ही फायदे – नीम एक घरेलु हकीम


हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

ifixit.com कमाल की वेबसाइट है ये। अपने घर बैठे ही इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स रिपेयर करना सीखें।

ifixit.com कमाल की वेबसाइट है ये। आप इसकी सहायता अपने घर के गैजेट्स को रिपेयर (Repair anything with ifixit website) करना सीख सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे…?

Ifixit.com website से अपने इलेक्ट्रानिक गैजेट्स को रिपेयर करना सीखें

हमारे जीवन में चारों तरफ गैजेट्स ही गैजेट्स की भरमार हैं। हमारे घर में अनेक तरह के गैजेट्स मिल जाते हैं। मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, फ्रिज, एसी, वाशिंग मशीन यह सारे गैजेट्स हर किसी घर में पाए जाते हैं।

अक्सर हमारे घर के गैजेट्स में कोई ना कोई खराबी आ जाती है तो हमें उस गैजेट्स को रिपेयर करान के लिए मैकेनिक के पास दौड़ना पड़ता है या भारी-भरकम फीस देकर मैकेनिक को बुलाना पड़ता है।

कभी-कभी हमारे गैजेट्स की प्राब्लम इतनी छोटी होती है, लेकिन हमें जानकारी नही होती। मैकेनिक हमारे गैजेट्स की छोटी सी प्राब्लम को बड़ा बताकर हमसे मोटी रकम ऐंठ ले जाता है। यदि हमें अपने गैजेट्स को छोटी-मोटी मरम्मत को रिपेयर करना खुद आ जाए तो हम अपने काफी पैसे भी बचा सकते हैं और अपना समय भी बचा सकते हैं।

इसलिए यह https://www.ifixit.com/ वेबसाइट बेहद काम की है। जहाँ पर आप स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप, पीसी, टीवी, पीसी गेम, कैमरा, टैबलेट कुछ भी ठीक कर सकते हैं। आपको बस इस वेबसाइट पर विजिट करने की जरूरत है और आपका जो गैजेट खराब हो गया है, उसकी जानकारी डालने की जरूरत है।

अपनी गैजेट का टाइप, उसका मॉडल नंबर अभी सब कुछ प्रॉपर डालने के बाद उससे संबंधित समस्या डालने से वेबसाइट पर आपको उसका सॉल्यूशन मिल जाएगा। सॉल्यूशन में दिए गए इंस्ट्रक्शन के अनुसार आप घर बैठे ही अपने उसे गैजेट्स को रिपेयर कर लेंगे और मैकेनिक की भारी भरकम फीस को देने से बच सकते हैं।

इस वेबसाइट पर आपको स्टेप बाय स्टेप हर तरह के गैजेट्स की इलेक्ट्रॉनिक प्रॉब्लम का सॉल्यूशन मिल जाएगा। जब आप वेबसाइट ओपन करेंगे तो हम स्क्रीन पर आपको Fix you stuff ऑप्शन दिखाई देगा। उस पर क्लिक करने आपको कई सारे गैजेट्स के ऑप्शन दिखाई देंगे। आप उसमें से अपने गैजेट्स को चुन सकते हैं और मॉडल को चुनने के बाद आगे प्रक्रिया करते जाएं अपने गैजेट्स से संबंधित समस्याए डालें। वहां पर आपको प्रॉपर सॉल्यूशन मिल जाएगा।

यदि आपको वेबसाइट पर कोई प्रॉपर सॉल्यूशन नहीं मिलता है तो वेबसाइट की कम्युनिटी पोस्ट में अपने गैजेट से रिलेटेड पूरी समस्या को पोस्ट कर सकते हैं। वहां पर आपको कोई एक्सपर्ट जरूर जवाब दे देगा।

वेबसाइट का लिंक

https://www.ifixit.com/


ये भी पढ़ें…

WhatsApp ला रहा है नया फीचर, अब स्टीकर को अपने मन मुताबिक खुद ही कस्टमाइज कर सकेंगे।


हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

नीम के फायदे ही फायदे – नीम एक घरेलु हकीम

नीम का पेड़ भारत के गाँव में लगभग हर घर के आंगन में पाया जाता है। नीम के पेड़ का हर भाग बेहद उपयोगी है। इसके अद्भुत गुणों और फायदे को (Benefits of Neem) जानते हैं…

अपने घरेलू हकीम नीम के गुण और फायदों का जान लें (Benefits of Neem)

नीम का पेड़ भारतीय जनमानस में बेहद लोकप्रिय है। सभी भारतीय नीम के पेड़ से भली-भांति परिचित है। भारतीय घरों में नीम के पेड़ का पाया जाना एक आम बात थी, क्योंकि ग्रामीण लोग नीम के पेड़ के गुण और लाभ को जानते थे। नीम का पेड़ इतने अधिक गुणों से भरपूर है, कि नीम के साथ हकीम शब्द भी जुड़ गया। हकीम यानि वैद्य यानि घरेलु चिकित्सक। जीहाँ नीम का पेड़ है ही इतने अधिक गुणों से भरपूर। आइए नीम के फायदों को (Benefits of Neem) जानते हैं…

नीम का पेड़ क्या है?

नीम का पेड़ मूल रूप से भारतीय वृक्ष है। यह एक पर्णपाती वृक्ष है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में मुख्य रूप से पाया जाता है। हालांकि यह वृक्ष अब दुनिया के अन्य हिस्सों में भी पाया जाने लगा है, लेकिन मूल रूप से यह भारतीय वृक्ष ही है। इसलिए भारत में प्राचीन काल से ही नीम के पेड़ का अत्यधिक महत्व रहा है।

नीम के पत्तों का स्वाद कड़वा होता है, इसलिए नीम को एक कड़वा वृक्ष भले ही बोला जाता है, लेकिन यह जिंदगी में स्वास्थ्य की मिठास बोलता है और इसके द्वारा अनेक तरह के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं, जो किसी मिठास से कम नहीं है।

नीम का पेड़ 15 से 20 मीटर की ऊँचाई का एक पेड़ होता है। यह एक विशाल वृक्ष होता है, जिसका तना सीधा और छोटा होता है। नीम के पेड़ की छाल और पत्तियां और टहनियां सभी उपयोगी होती हैं। आयुर्वेद में नीम के पेड़ का महत्व है। नीम की पत्तियों और छाल में औषधीय गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

नीम के पेड़ को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नाम से जाना जाता है जो कि इस प्रकार हैं…

  • हिंदी (Hindi) ➩ नीम, निम्ब
  • संस्कृत (Sanskrit) ➩ निम्ब, अग्निधमन, पिचुमर्द, पिचुमन्द, सर्वतोभद्र, मालक, अर्कपादप, छर्दन, हिजु, काकुल, निम्बक, प्रभद्र, पूकमालक, पीतसारक, गजभद्रक, सुमना, सुभद्र, शुकप्रिय, शीर्षपर्ण, शीत, धमन, तिक्तक, अरिष्ट, हिङ्गुनिर्यास।
  • अंग्रेजी (English)  ➩  मार्गोसा ट्री (Margosa tree), नीम (Neem)
  • उर्दू (Urdu) ➩  नीम
  • पंजाबी (Punjabi)   निम्ब, निप, बकम
  • गुजराती (Gujarati)   लिम्बा, कोहुम्बा
  • मराठी (Marathi)   बलन्तनिंब
  • बंगाली (Bengali)   निम, निमगाछ
  • तमिल (Tami)   बेम्मू, वेप्पु
  • तेलुगु (Telugu)   वेमू, वेपा
  • कन्नड़ (Kannada)   निम्ब, बेवू
  • मलयालम (Malayalam)  वेप्पु, निम्बम
  • उड़िया (Oriya)   नीमो, निम्ब
  • नेपाली (Nepali)   नीम
  • अरबी (Arabic)  ➩  अजाडेरिखत, मरगोसा, निम
  • फारसी (Persian)   नीब, निब, आजाद दख्तुल हिंद

नीम के फायदे

नीम औषधीय गुणों से भरपूर एक पौधा है इसमें इतनी अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं कि उनकी गिनती नहीं की जा सकती।आयुर्वेदिक में नीम का बेहद ही महत्व है और नीम के पेड़ की पत्तियों, छाल, टहनियों, निंबोरी आदि से अनेक तरह की आयुर्वेदिक दवाई बनाई जाती हैं। नीम के उपयोग और फायदे इस प्रकार हैं….

त्वचा व चर्म रोगो में लाभकारी

  • त्वचा संबंधित रोगों और चर्म रोगों में नीम बेहद ही फायदा देता है।
  • नीम की कुछ पत्तियों को दही व शहद के साथ पीसकर उसका लेप लगाएं तो यह लेप दाद में लाभ देता है और किसी भी तरह के घाव को भरने में बेहद लाभकारी होता है।
  • नीम की जड़ की ताजी छाल और नीम के बीज की गिरी दोनों की 10-10 ग्राम मात्रा लेकर नीम के पत्ते के ताजे रस में पीस लें और फिर उसमें और ताजे पत्तों का रस डालते जाएं कि यह एक उबटन की तरह बन जाए। इस उबटन को त्वचा पर होने वाली खुजली, दाद, गर्मी में होने वाले फोड़े फुंसियों आदि पर लगाने से बेहद लाभ मिलता है। यही लेप लगाने से शरीर की दुर्गंध भी कम होती है।
  • यदि एक्जिमा रोग हो और वह पुराना और सूखा हो गया हो तो नीम के पत्ते के रस में पट्टी को भिगोकर एग्जिमा पर बांधे और निरंतर यह उपाय अपनाएं तो लाभ मिलता है।
  • नीम के पत्ते के रस में कत्था, पित्त-पापड़ा, कलौंजी, नीला थोथा और सुहागा इन सभी की समान मात्रा लेकर मिलायें और खूब देर तक घोंटे। फिर उसकी की गोलियां बना लें। इस गोली को पानी में घिसकर किसी भी तरह के दाद लगाने से किसी भी तरह का दाद समाप्त हो जाता है।
  • नीम के छाल को रात भर पानी में भिगोकर पानी के साथ दिन में आँवले के चूर्ण के साथ 2 बार लेने से पुराने से पुराना शीत-पित्त खत्म हो जाता है।
  • किसी भी तरह के दाद, खाज, खुजली, फोड़ा, फुंसी, उपदंश (सिफलिश) तथा छाजन (एग्जीमा) आदि रोग होने पर 100 वर्ष पुराने नीम के पेड़ की सूखी छाल को महीन पीसकर चूर्ण बना लें और इसमें से 3 ग्राम चूर्ण को 250 मिलीलीटर रात भर पानी में भिगो दें। सुबह यह पानी छानकर शहद मिलाकर पीने से यह सारे चर्म रोग दूर हो जाते हैं।

चेचक रोग में लाभकारी

  • नीम चेचक के रोग में बेहद लाभकारी होता है।
  • नीम की सात लाल कोमल पत्तियों को लेकर सात काली मिर्च के दाने इसमें मिलाने दोनों को पीसकर 1 महीने तक नियमित सेवन करने से चेचक निकलने का भय नही रहता
  • तीन ग्राम नीम की कोंपलों को 15 दिन तक लगातार खाने से चेचक निकलने का भय समाप्त हो जाता है।
  • नीम के बीजों की 5 से 10 गिरी को पानी में भिगोकर पीसकर लेप लगाने से चेचक के दानों की जलन में आराम मिलता है।
  • नीम की छाल को जलाकर उसके अंगारों को पानी में डालकर बुझा लिया जाए और इस पानी को चेचक के रोगी को पिलाने से उसकी प्यास बुझ जाती है और उसे अधिक प्यास नहीं लगती। यदि इस उपाय से पूरा आराम ना मिले तो 1 लीटर पानी में 10 ग्राम नीम की कोमल पत्तियों को उबालकर जब पानी आधा रह जाए तो उसे पिलाने से चेचक के रोगी को अधिक प्यास नहीं लगती।
  • उसके साथ ही साथ यह चेचक के विष तथा तेज बुखार को भी हल्का करता है और चेचक के दानों को सूखने में मदद करता है।
  • चेचक के दानों में अगर बहुत गर्मी हो तो नीम की 10 ग्राम कोमल पत्तियों को पीसकर इसका पतला लेप बना लें और चेचक के गानों पर लगाएं, इससे आराम मिलता है।

गठिया के रोग में लाभकारी

  • गठिया के रोग में यदि नीम के बीज के तेल की मालिश की जाए तो लाभ होता है।
  • नीम के 20 ग्राम पत्ते और कड़वे परवल के 20 ग्राम पत्तों को मिलाकर 300 मिलीलीटर पानी में उबालने और एक चौथाई पानी रह जाने पर इस पानी में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खून शुद्ध होता है और वात दोष शांत होता है, जिससे गठिया के रोग में आराम मिलता है।
  • गठिया के रोग में दर्द होने पर 20 ग्राम नीम की छाल को पानी के साथ खूब महीन पीसकर दर्द के स्थान पर लेप लगाने से दर्द में आराम मिलता है। दर्द के स्थान पर इसका लेप लगाने से तीन चार बार ऐसा करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

स्त्रियों के रोगों में लाभकारी

  • मासिक धर्म संबंधी किसी भी रोग में नीम की मोटी कुटी हुई छाल को 20 ग्राम मात्रा में लेकर इसे गाजर के बीज की 6 ग्राम मात्रा तथा ढाक के बीच की 6 ग्राम मात्रा के साथ काले तिल और पुराना गुड़ 20-20 ग्राम लेकर इन सभी को 300 मिलीलीटर पानी में पकाना चाहिए। जब केवल 100 मिलीलीटर पानी रह जाए तो उस पानी को मासिक धर्म से पीड़ित रोगी को 7 दिन तक लगातार पिलाने से संबंधित किसी भी विकार में लाभ प्राप्त होता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि इसे गर्भवती स्त्री को नहीं देना चाहिए।
  • स्त्रियों को होने वाले योनि के दर्द में नीम की गिरी की तो नीम के पत्ते के रस में पीसकर उसकी गोली बना लेनी चाहिए। इस गोली को कपड़े के भीतर रखकर सुनकर उसमें एक डोरा (धागा) बांधा देना चाहिए और इस गोली को योनि मार्ग में रखने से योनि के दर्द में आराम मिलता है।
  • नीम की छाल को पानी में धोकर उस पानी में रुई को भिगोकर योनि में रखने से, नीम की छाल को सुखाकर, जलाकर उसका धुआँ योनि के मुँह पर देने से और नीम के पानी से बार-बार योनि को धोने से ढीली योनि सख्त हो जाती है।
  • नीम के बीज की गिरी और अरंडी के बीज की गिरी तथा नीम के पत्ते के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर की उसकी बत्ती बनाकर योनि में लगाने से योनि का दर्द ठीक हो जाता है।
  • स्त्रियों को होने वाले श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) के रोग में नीम की छाल और बबूल की छाल को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका 10 से 30 मिलीलीटर काढ़ा बनाएं और इस 10 से 30 मिलीलीटर काढ़े को रोज सुबह-शाम सेवन करने से किसी भी तरह के श्वेत प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
  • मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव हो रहा हो तो 10 ग्राम नीम के छाल को उतने ही बराबर गिलोय में पीसकर उसमें दो चम्मच शहद मिला लेना चाहिए और दिन में तीन बार रोगी को पिलाने से मासिक धर्म के दौरान होने वाले रक्तस्राव में आराम मिलता है।
  • स्त्री प्रसव के दौरान ज्यादा दर्द होने पर 3 से 6 ग्राम नीम के बीज के चूर्ण का सेवन करने से प्रसव में आराम मिलता है।
  • नीम की लकड़ी तो यदि प्रसव स्त्री के कमरे में जलाया जाए तो नवजात शिशु शिशु के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
  • नीम की 6 ग्राम छाल को पानी के साथ पीसकर उसमें 20 ग्राम देशी घी मिलाकर कांजी के साथ पिलाने से प्रसव के बाद होने वाले रोग में लाभ प्राप्त होता है।
  • नीम गर्भनिरोधक का भी काम करता है और नीम के शुद्ध तेल में रुई का फाहा भिगोकर संभोग करने से पहले योनि के भीतर रखने से गर्भ धारण नहीं होता।
  • यदि 10 ग्राम नीम के गोंद को ढाई सौ मिलीलीटर पानी में गला कर कपड़े से छान लिया जाए और इस पानी में 45 सेंटीमीटर लंबा 45 सेंटीमीटर चौड़ा मलमल का कपड़ा भिगोकर छाया में सुखा लिया जाए और इस कपड़े के3 सेंटीमीटर व्यास के गोल-गोल टुकड़े काटकर 1 सीसी में भर दिए जाएं फिर संभोग करने से एक टुकड़ा पहले योनि के अंदर रख लिया जाए तो उसे गर्भ नहीं ठहरता

मधुमेह ( डायबिटीज ) के रोग में लाभकारी

  • मधुमेह के रोग से पीड़ित होने पर यदि नीम के पत्तों को पीसकर उसकी टिकिया बना ली जाएं और उसमें मधुमेह के रोग से पीड़ित होने पर नीम के पत्तों को पीसकर उसकी टिकिया बना लें और इस टिकिया को गाय के घी में अच्छी तरह से तल लें। जब टिकिया पूरी तरह जल जाए तो इस घी को छानलें। इस घी को रोटी के साथ नियमित रूप से सेवन करने से मधुमेह के रूप में बेहद लाभ मिलता है।
  • यदि 20 ग्राम नीम के पत्ते के रस में एक ग्राम नीला थोथा अच्छी तरह से मिलाकर सुखा लिया जाए और इसे कौड़ियों में रखकर जला कर भस्म बनाकर 250 मिलीग्राम भस्म को गाय के दूध के साथ दिन में 2 बार सेवन किया जाए तो मधुमेह के रोग में लाभ मिलता है।
  • 10 मिलीलीटर नीम के पत्ते के रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से मधुमेह के रोग में लाभ प्राप्त होता है।
  • नीम के छाल की 40 ग्राम मात्रा लेकर उसे मोटा मोटा कूट लें और फिर इसे ढाई लीटर पानी में डालकर मिट्टी के बर्तन में पकाएं। जब केवल 200 मिलीमीटर पानी शेष रह जाए तो उसे छानकर दोबारा से पानी में पकाएं और इसमें 20 या 25 ग्राम कलमी शोरा चुटकी से डालते जाएं और नीम की लकड़ी से पानी को हिलाते जाएं। जब पूरी तरह से सूख जाए तब इसे पीसकर छान लें और उसकी 250 मिलीग्राम की मात्रा रोजाना गाय के दूध के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोग में लाभ मिलता है।

पीलिया के रोग में लाभकारी

  • यदि नीम की सींक जोकि 6 ग्राम की हो और सफेद पुनर्नवा की जड़ जो 6 ग्राम की हो, इन दोनों को पानी में पीसकर लिया जाए और इस पानी को कुछ दिनों तक रोगी को पिलाते रहने से पीलिया के रोग में लाभ प्राप्त होता है।
  • 10 मिलीलीटर नीम के पत्ते के रस में 10 मिलीमीटर अडूसा के पत्ते का रस और 10 ग्राम शहद मिलाकर खाली पेट सेवन करने से पीलिया के रोग में लाभ मिलता है।
  • यदि पित्त की नली में रूकावट होने से पीलिया हो जाए तो 10 से 20 मिलीलीटर नीम के पत्ते के रस में 3 ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाएं और इसमें 6 ग्राम शहद को मिलाएं। यह मिश्रण को 3 दिन तक सुबह सुबह खाली पेट सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।

दमा के रोग में लाभकारी

  • यदि नीम के बीज के तेल की 4-10 बूंदे पान में डालकर नित्य खायें जाए तो दवा, साँस फूलना तथा साँस के अन्य लोगों में बेहद लाभ मिलता है।

टीबी (तपेदिक) के रोग में लाभकारी

  • यदि नीम के तेल की चार बूंदों को कैप्सूल में भरकर दिन में तीन बार सेवन किया जाए तो टीबी जैसे रोग में बेहद लाभ मिलता है।

पेट के रोग में लाभकारी

  • यदि नीम की छाल के साथ इंद्रजौ और बायविडंग की बराबर मात्रा लेकर तीनों का चूर्ण बना लिया जाए और इस चूर्ण डेढ़ ग्राम मात्रा में चौथाई ग्राम भुनी हुई हींग मिलानी जाए फिर इस मिश्रण को शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से किसी भी तरह के पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
  • बैगन या किसी भी दूसरी सब्जी के साथ नीम के आठ से दस पत्तों छौंककर खाने से पेट के सारे कीड़े मर जाते हैं।

दाँतों के लिए लाभकारी

  • नीम दाँतों के रोग में नीम अत्यंत लाभकारी है। नीम की टहनी से बनी दातुन का प्रयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है।
  • इसके अलावा नीम की जड़ की छाल का 50 ग्राम चूर्ण, उसके साथ सोना गेरु की 50 ग्राम तथा सेंधा नमक की 50 ग्राम मात्रा लेकर इन तीनों को मिलाकर खूब महीन पीस लें। फिर इस मिश्रण को नीम के पत्ते के रस में भिगोकर छाया में सुखा लेंय़ इस तरह की यह भावना हुई। ऐसी ही 3 भावनाएं देकर जूएँ को पूरी तरह सुखाकर सीसी में भरने इस चूर्ण से रोज दाँतों को माँजने से दाँतों को बेहद लाभ मिलता है। दाँतों में से खून बहना बंद हो जाता है, दाँतों से पीव नहीं निकलता, मुँह में छाले नहीं पड़ते, मुँह की दुर्गंध जाती रहती है।
  • नीम की जड़ की 100 ग्राम मात्रा को कूटकर आधा लीटर पानी में तब तक उबालें जब तक पानी एक चौथाई ना रह जाए। फिर इस पानी से कुल्ला करने से दाँतों के अनेक रोगों में लाभ मिलता है।

सिर के दर्द में लाभकारी

  • यदि सूखे नीम के पत्ते और काली मिर्च तथा चावल की बराबर मात्रा को मिलाकर चूर्ण बना लिया जाए, तो ये चूर्ण आधासीसी यानी माइग्रेन के रोग में लाभकारी होता है। सूर्योदय से सिर के जिस हिस्से में दर्द हो रहा है, तो उसी ओर की नाक में वह चूर्ण डाल लिया जाये तो आधा सीसी में लाभ मिलता है।
  • नीम के तेल को माथे पर लगाने से सर दर्द में लाभ होता है।

नकसीर में लाभाकारी

  • नीम की पत्तियों को अजवाइन के साथ बराबर पीसकर कनपटियों पर उसका लेप करने से नाक से खून बहना यानि नकसीर बंद होती है।

रक्त विकार के रोगों में लाभकारी

  • रक्त विकार संबंधी रोग में नीम बेहद लाभकारी है। रक्त विकार की स्थिति में नीम का काढ़ा बना कर दिया जाए या नीम का ठंडा रस बनाकर उसकी 5 से 10 मिली की मात्रा रोज पीने से किसी भी तरह के रक्त संबंधी रोग में बेहद लाभ प्राप्त होता है।
  • यदि 20 मिली नीम के पत्ते के रस में अडूसा के पत्ते का रस मिलाकर उसमें थोड़ा शहद मिलाया जाए और दिन में 2 बार सेवन किया जाए तो रक्त शुद्ध होता है।
  • नींद के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसका सेवन करने से रक्त की गर्मी की समस्या में लाभ प्राप्त होता है।

कुष्ठ के रोग में लाभकारी

  • नीम कुष्ठ रोग में बेहद लाभकारी है। कुष्ठ रोग होने की स्थिति में कुष्ठ रोगी को 12 महीने नीम के पेड़ के नीचे रहने से उसे काफी लाभ प्राप्त होता है।
  • कुष्ठ रोगी को नीम की लकड़ी की दातुन नियमित रूप से करनी चाहिए।
  • कुष्ठ रोग होने की स्थिति में नीम के पत्तों के पानी से स्नान करना चाहिए।
  • कुष्ठ रोगी को नीम की ताजी पत्तियों से बने बिस्तर पर सोना चाहिए ।
  • रोज सुबह दस मिली नीम के पत्ते का रस का सेवन करने से कुष्ठ रोग में लाभ प्राप्त होता है।
  • नीम के तेल में नीम की पत्तियों की राख मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से सफेद दाग में आराम मिलता है।

बुखार में लाभकारी

  • यदि नीम की छाल, लाल चंदन, पद्मकाष्ठ, गिलोय, धनिया और सोंठ इन सब का काढ़ा बनाकर उसकी 10 से 30 मिली मात्रा का सेवन किया जाए तो बुखार में लाभ प्राप्त होता है।
  • यदि 5 ग्राम मात्रा नीम की छाल और आधा ग्राम लौंग अथवा दालचीनी को मिलाकर चूर्ण बना लिया जाए और इस चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा को सुबह-शाम पानी से लिया जाए तो किसी भी तरह का साधारण वायरल बुखार, मियादी बुखार, टाइफाइड बुखार आदि दूर होता है।
  • नीम की छाल और गिलोय को बराबर मात्रा में मिलाकर 100 मिली पानी में काढ़ा बनाकर उसकी 20 मिली मात्रा को सुबह-शाम पीने से बुखार में लाभ प्राप्त होता है।

इसके अलावा नीम के अनेक उपयोग एवं लाभ हैं, जो कि इस प्रकार हैं…

  • यदि दोपहर को नीम के पेड़ की शीतल छाया में बैठा जाए तो इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
  • मच्छरों का प्रकोप होने की स्थिति में शाम के समय यदि नीम की सूखी पत्तियों का धुआँ दिया जाए तो सारे मच्छर भाग जाते हैं।
  • नीम की कोमल कोंपलों को चबाने से हाजमा ठीक होता है।
  • रोज सुबह नीम की दातुन से दाँत साफ करने से दाँत बेहद मजबूत और स्वस्थ तथा चमकदार बनते हैं और मसूड़े मजबूत होते हैं।
  • नीम के फूलों के काढ़े से कुल्ला करने पर भी दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं।
  • नीम की जड़ को पानी में उबालकर खींचकर कील मुहांसों पर लगाने से कील मुंहासे खत्म हो जाते हैं।
  • नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर स्नान करने से अनेक तरह के चर्म रोगों से आराम मिलता है।
  • नीम के पानी से सिर धोने से बालों के जुएँ मर जाते हैं।
  • नीम के पत्तों का रस खून को साफ करता है और यह खून को बढ़ाने में भी सहायक है।
  • इसके पत्तों के रस की 5 से 10 मिली की मात्रा का रोज सेवन करना चाहिए।
  • नीम की पत्तियों को यदि अनाज में रखा जाए तो अनाज में कीड़े नहीं पड़ते।

 Benefits of Neem


ये पोस्ट भी पढ़े

संतरे के फायदे और गुण अनेक हैं, जान लीजिए।

लौंग : छोटी सी मगर, लौंग के फायदे बड़े-बड़े


Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।
हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

संतरे के फायदे और गुण अनेक हैं, जान लीजिए।

संतरा एक अद्भुत फल है। हल्के खट्टे-मीठे स्वाद वाला ये फल अनेक गुणों से युक्त है। इसी खट्टे-मीठे फल के गुणों और उसके फायदे (Benefits of orange) को जानते हैं…

नारंगी रंग के खट्टे-मीठे स्वाद वाले अद्भुत गुणों और इसके लाभों का जान लें (Benefits of orange)

संतरा जिसे हम नारंगी के नाम से भी जानते हैं, वह एक मजेदार रसदार हल्का सा खट्टा मीठा स्वाद ले जाए वह फल होता है । यह विटामिन C से भरपूर एक फल है और स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है। संतरा यानी नारंगी का नियमित सेवन करना ना केवल स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है बल्कि ये इसका रस यानि जूस बेहद स्फूर्तिदायक पेय है। अनेक औषधीय गुणों से युक्त होने के कारण एक औषधि के रूप में भी प्रयुक्त किया जाता है। आइये संतरे के गुण, उसके फायदे और उसके औषधीय गुणों के बारे में जानते हैं…

संतरा क्या है?

संतरा एक खट्टे-मीठे स्वाद वाला और गर्म तासीर वाला फल है। यह नारंगी के रंग का होता है इसलिये इसे नारंगी कहते हैं। इसका पेड़ 3 से 4 फुट ऊँचा होता है, जिसमें कंटीली टहनियां लगी होती है। इस का पेड़ झाड़ी की तरह दिखाई देता है। संतरे के फल से मीठी मंद मंद मधुर सुगंध आती है। संतरे के फूल भी सुगंधित और मनमोहक होते हैं और इसके फूल भी औषधीय गुणों से युक्त होते हैं। संतरे का फल नारंगी रंग का मांसल फल होता है, जिसमें छिलके के अंदर मुख्य फल के रूप में अनेक छोटे-छोटे गूदेदार टुकड़े होते हैं, जिन्हें ‘फाँके’ कहते हैं। संतरे की इन फाँकों में रस भरा गूदा होता है।

संतरा कहाँ पाया जाता है?

भारत की बात करें तो संतरा उत्तर भारत में पाया जाता है। हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश ,पश्चिम और दक्षिण भारत के महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में पाया जाता है। औषधीय गुणों से युक्त संतरे के अनेक फायदे हैं। इन फायदों के जानते हैं…

त्वचा के रोग में लाभकारी

  • यदि त्वचा संबंधी कोई समस्या हो तो संतरा उसमें बेहद लाभकारी है।
  • संतरे के पत्ते और उसकी छाल को पीसकर उसका लेप करने से सिर की रूसी से राहत मिलती है।
  • इसी लेप को यदि त्वचा पर पुराने चकत्तों, एग्जिमा कैसे खुजली वाले स्थान पर लगाया जाए तो से काफी लाभ प्राप्त होता है।
  • संतरे के पत्ते और छाल के लेप से सामान्य खुजली और त्वचा संबंधी दूसरे लोगों में भी राहत मिलती है।
  • संतरे का फूल खुजली की बीमारी में भी लाभकारी होता है।

चेहरे के सौंदर्य में लाभकारी

  • संतरे के फल के छिलकों को छांव में सुखाकर उसे पीसकर उसका चूर्ण बना लें. इस चूर्ण में गुलाब जल मिलाकर और थोड़ी सी मलाई मिलाकर चेहरे पर लगाएं इससे ना केवल चेहरे पर निखार आता है, बल्कि चेहरे के कील मुंहासे खत्म हो जाते हैं।

बुखार और खाँसी में लाभकारी

  • यदि संतरे के जूस में सेंध नमक डालकर पिया जाए तो यह जूस बुखार तथा खाँसी के रोग में फायदा करता है।

भूख बढ़ाने में लाभकारी

  • संतरे फल के लगभग 20 मिलीग्राम छिलके लें और उसका काढ़ा बना लें। इस काढ़े में नींबू का रस मिलाकर सुबह-सुबह खाली पेट सेवन करने से भूख संबंधी समस्या दूर होती है।
  • भूख बढ़ाने के लिए एक उपाय किया जा सकता है। संतरे के छिलके का चूर्ण बनाकर उसमें जीरा, इलायची, सोंठ और मरिच की बराबर मात्रा मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण में सेंधा नमक मिलाकर इस मिश्रण को छाछ (मट्ठा) के साथ पीने से भूख बढ़ती है।

पेट के रोगों के लिए लाभकारी

  • संतरे का जूस उल्टी, दस्त रोकने और कब्ज में भी लाभकारी होता है।
  • संतरे के जूस का सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं तथा जिन लोगों को बहुत प्यास लगती है, दस्त की समस्या अथवा अफारा यानि अधिक पेट भरने की समस्या और अपच की समस्या है, तो संतरे का जूस उसके लिए बेहद लाभकारी है।

डायबिटीज के रोग में लाभकारी

  • यदि संते के संतरे के फल का गूदा और संतरे के छिलके तथा संतरे के पत्ते और फूलों को भून लिया जाए और फिर इन्हें पीसकर उनका सेवन किया जाए तो डायबिटीज के रूप में बेहद लाभ प्राप्त होता है।

रक्त विकार संबंधी रोगों में लाभकारी

  • संतरे का 20 मिलीग्राम जूस लें और उसमें 5 मिलीग्राम चिरायता का रस मिला लें। इस मिश्रण को पीने से तरह-तरह के रक्त विकार संबंधी रोगों में लाभ प्राप्त होता है।
  • यदि संतरे के फल का या इसके जूस का नियमित रूप से सेवन किया जाए तो भी रक्त विकार संबंधी अनेक समस्याएं दूर होती हैं।

मलेरिया के रोग में लाभकारी

  • संतरे में एंटी मलेरिया का गुण पाया जाता है। इसका सेवन करने से मलेरिया के रोग से लड़ने में बेहद लाभ प्राप्त होता है।

रक्तचाप को नियंत्रित करने में लाभकारी

  • संतरे में वातशामक होने का गुण मौजूद होता है। यह गुण रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए संतरे के जूस का अथवा संतरा के फल का नियमित सेवन करने से रक्तचाप में बेहद लाभ प्राप्त होता है।

आँखों के रोग में लाभकारी

  • संतरे का नियमित सेवन करने से आँखों में जलन, सूजन, खुजली आदि समस्याओं से राहत मिलती है।

अवसाद यानी डिप्रेशन के रोग में बेहद लाभकारी

  • अवसाद यानी डिप्रेशन की समस्या बात संबंधी समस्या है। यह वात दोष के असंतुलित होने के कारण ही उत्पन्न होता है। संतरे में वातशामक का गुण पाया जाता है। इसलिए संतरे का नियमित सेवन करने से अवसाद से मुक्ति पाई जा सकती है।

सर्दी जुकाम में लाभकारी

  • संतरे के 10 से 20 मिलीग्राम जूस में शहद और सेंधा नमक मिलाकर उसका सेवन करने से सर्दी जुकाम से राहत मिलती है। यही मिश्रण टीबी के रोग, अस्थमा का रोग तथा संबंधित अन्य लोगों में भी लाभ प्रदान करता है।
  • संतरे के रस की एक या दो बूंद नाक में डालने से सर्दी जुकाम में लाभ प्राप्त होता है। संतरे के फल के 20 मिलीग्राम के छिलके को का काढ़ा बनाकर इसमें 5 से 10 ग्राम नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से भी सर्दी और जुकाम में राहत मिलती है।

डेंगू के बुखार में लाभकारी

  • डेंगू के बुखार में संतरा लाभकारी सिद्ध हुआ है। संतरे के जूस में एंटीऑक्सीडेंट का गुण पाया जाता है और इसमें विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है। यह दोनों तत्व डेंगू बुखार के वायरस को नष्ट करने में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं, इसीलिए संतरे के जूस का सेवन करने से डेंगू बुखार में काफी फायदा मिलता है और बुखार से जल्दी रिकवरी होती है।
  • संतरे का जूस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।

शारीरिक कमजोरी में लाभकारी

  • संतरे के रस की एक से दो बूंद को नाक में डालने और संतरे के फूल के रस से मालिश करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।

गठिया के रोग में लाभकारी

  • संतरे के पत्ते, तथा संतरे की छाल का पेस्ट बनाकर इसे थोड़ा गर्म करके दर्द या सूजन वाले जोड़ों पर लगाने से दर्द और सूजन दोनों में राहत मिलती है। यह गठिया के रूप में बेहद लाभ देता है।

मूत्र संबंधी रोग में लाभकारी

  • यदि संतरे के 10 से 20 मिलीग्राम रस में 10 से 15 मिलीग्राम कच्चे नारियल का पानी मिलाया जाए और इसका सेवन किया जाए तो मूत्र संबंधी रोगों में लाभ प्राप्त होता है।
  • संतरे के जूस सेवन करने से किडनी की सूजन कम होती है तथा मूत्र मलिका की सूजन कम होती है।

पेट दर्द में लाभकारी पेट दर्द

  • संतरे के छिलके की 500 मिलीग्राम मात्रा का सेवन करने से पेट दर्द में लाभ मिलता है।

हृदय विकार में लाभकारी

  • संतरे के फूल के रस से छाती पर नियमित रूप से मालिश करने से हृदय संबंधी रोगों में लाभ प्राप्त होता है।
  • संतरे के छिलके का काढ़ा बनाकर पीने से भी हृदय संबंधी रोगों में लाभ प्राप्त होता है।

संतरे के उपयोगी भाग

संतरे के चार उपयोग होते हैं जो औषधीय गुणों से युक्त हैं।

  • संतरे का मुख्य फल
  • संतरे के फल का छिलका
  • संतरे का फूल
  • संतरे के पत्ते

संतरे के फायदे जानकार आपको ये पोस्ट कैसी लगी ? नीचे कमेंट में अपना सुझाव दें। आपका कमेंट अपेक्षित है।

Post topic: Benefits of orange, संतरे के लाभ, संतरे के फायदे,


ये पोस्ट भी पढ़ें

एलोवेरा के क्या लाभ है और इसकी क्या हानियां है, समझ लीजिए।

दालचीनी के गुण और उपयोग – दालचीनी के अनोखे फायदे जानिए।


Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

सनातन परंपरा के लिए समर्पित हैं, डॉ. कुलदीप एम. पाइ और उनका यूट्यूब चैनल

कुलदीप एम पाइ (Kuldeep M Pai) जिनका यूट्यूब चैनल पूरी सनातन परंपरा के लिए समर्पित है। एक प्रसिद्ध म्यूजिक कम्पोजर, गायक और  यूट्यूबर हैं, उनके बारे में जानने का प्रयास करते हैं…

सनातन धर्म भारत का मूल धर्म है, जिसे आज हिंदू धर्म के नाम से भी जाना जाता है। सनातन परंपरा भारत की प्राचीन परंपरा है। भारत की धर्म संस्कृति के लिए अनेक लोग अच्छा कार्य कर रहे हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यम से भी बहुत अद्भुत कार्य किया जा रहे हैं जो भारत की सनातन परंपरा और सनानत संस्कृति को निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं कड़ी में कुलदीप एम पै का नाम सबसे आगे आता है।

अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से वह भारतीय सनातन परंपरा के वीडियो डालकर भारत के लोगों को अपनी संस्कृति को समझने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनके वीडियो सभी देवी-देवीताओं की आराधना स्तोत्र और संगीतमय मंत्रोच्चारण के वीडियो डालकर दर्शको मंत्र मुग्ध करते हैं।  सबसे सराहनीय बात यह है कि अपने वीडियो में वह छोटे-छोटे बाल कलाकारों गायको को प्रस्तुत करते हैं। यह बालक-बालिकाएं अपने शुद्ध मंत्रोच्चारण द्वारा वीडियो की प्रस्तुति को अद्भुत बना देते हैं।

जो भी उनके वीडियो को देखा है वह आध्यात्मिकता के रस से परिपूर्ण हो जाता है। उनका यह कार्य अद्भुत है। कुलदीप एम पै का यूट्यूब चैनल बेहद लोकप्रिय है और उनके यूट्यूब चैनल पर 2 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर हैं और उनके चैनल को 2 अरब से अधिक व्यूज मिल चुके हैं, इससे उनकी लोकप्रियता का अंदाज स्पष्ट हो जाता है।

अपने ‘वंदे गुरु परंपरा’ (VGP) मिशन द्वारा वह भारतीय संस्कृति और परंपरा को भारत और विश्व के लोगों तक पहुँचाने का कार्य सफलतापूर्वक कर रहें हैं।

कौन है कुलदीप एम पाइ?

कुलदीप एम पाइ जिनका पूरा नाम कुलदीप मुरलीधर पै है। वह एक प्रसिद्ध भारतीय संगीतकार हैं उन्होंने अनेक तरह के अद्भुत संगीतों की रचना की है। वह कर्नाटक संगीत में महारत हासिल रखते हैं। वह एक प्रसिद्ध यूट्यूर है और उनके यूट्यूब चैनल पर दो मिलियन से अधिक सब्स्क्राइबर हैं।

कुलदीप एम पाइ का परिचय

कुलदीप एम पर का जन्म 9 जनवरी 1982 को भारत के केरल राज्य के कोच्चि शहर में हुआ था उनके पिता का नाम जी मुरलीधर पै और माता का नाम वीएस विजय कुमारी था। वह मूल से कोंकणी भाषी परिवार से संबंध रखते थे, उनके परिवार की जड़े कर्नाटक राज्य से हैं।

उनकी आरंभिक शिक्षा केरल की कोच्चि शहर में ही हुई। उन्होंने कोच्चि के सेंट जूड्स स्कूल, सीसीपीएलएम एंग्लो इंडियन हाई स्कूल और प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स (पीयूसी) कोचीन कॉलेज से पूरी की। उसके बाद उन्होंने बीपीसी कॉलेज पिरावोम , कोच्चि से कंप्यूटर एप्लीकेशन में ग्रेजुएशन की डिग्री भी प्राप्त की।

शास्त्रीय संगीत की परंपराओं उनको विरासत में मिली थी और उनकी शास्त्रीय संगीत में शुरू से ही रुचि रही है। इसके अलावा सनातन धर्म के संस्कार भी उनको बचपन से ही विरासत में मिले हैं।

उन्होंने अपना करियर 2002 में शुरू किया, जब वह कोच्चि से चेन्नई स्थानांतरित हो गए और गायन तथा संगीत कार्य करने लगे। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय में भारतीय शास्त्रीय संगीत कर्नाटक में पोस्ट ग्रेजुएशन में स्वर्ण पदक भी हासिल किया है और साउंड इंजीनियरिंग में उन्होंने डिप्लोमा भी प्राप्त किया है।

उन्होंने कर्नाटक संगीत के गायक के रूप में अपना करियर शुरु करके अपना नाम स्थापित कर लिया था। वह चेन्नई और दक्षिण भारत के अलग-अलग शहरों में संगीत समारोह में संगीतकार और गायक के रूप में अपनी प्रस्तुति देते थे। उन्होंने कई वर्षों तक भारतीय शास्त्रीय नृत्य कार्यक्रमों में अपनी आवाज भी दी है। अनेक जिंगल्स भी गाए।

अपने इसी संगीत के अद्भुत सफर और सनातन धर्म के प्रति अपनी अभिरुचि को मिलाकर उन्होंने 2013 में सोशल मीडिया में अपना ऑनलाइन पदार्पण किया और अपना यूट्यूब चैनल आरंभ किया।

उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल का नाम भी अपने नाम पर Kulee M Pai ही रखा। इस यूट्यूब चैनल पर उन्होने पहला वीडियो अगस्त 2013 में डाला। शुरु में उन्होने संगीत कार्यक्रमो में उन्होंने अपनी प्रस्तुति के अनेक वीडियों डाले।

उनके यूट्यूब चैनल पर सबसे बड़ा परिवर्तन तब हुआ जब उन्होने बालिका सूर्यागायत्री के साथ देवी-देवताओं के स्तुति गान के वीडियो डालने शुरु किए। सूर्यागायत्री के द्वारा गाया गया हनुमान चालीसा वाला वीडियो पहला वीडियो था। उसके बाद सूर्या गायत्री के सोलो परफार्मेंस वाले और कुलदीप एम पै तथा सूर्यागायत्री की जुगलबंदी वाले वीडियो उनके चैनल की पहचान बन गए। किशोल बालिका सूर्यागायत्री उनके यूट्यूब चैनल की पहचान बन गई। बाद उनके यूट्यूब चैनल पर अलग-अलग आध्यात्मिक प्रस्तुति लिए अनेक बालक-बालिका जुड़ते चले गए।

आज कुलदीप एम पै के यूट्यूब चैनल पर एक से बढ़कर एक 280 से अधिक वीडियो है। नन्हे और किशोर आयु के बालक-बालिकाओं द्वारा वीडियो की प्रस्तुति उनके वीडियो को अद्भुत बना देती है।

उन्होंने अलग-अलग संगीत कार्यक्रमों की लगभग 300 से अधिक संगीत कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुतियां दी हैं और 11 वर्षों तक लगातार अलग-अलग भारतीय संगीत कार्यक्रमों में अपना प्रस्तुति दी है और अनेक शास्त्रीय गायको के गायक गायको के साथ भी गाया है।

कुलदीप एम पै को अनेक पुरस्कार भी मिल चुके हैं। 2008 में उन्हें कार्तिक फाइन आर्ट्स में डीके पटम्मल पुरस्कार मिला तो 2007 में भारत कालाचार्य संस्था से उन्हें युवकला भारती पुरस्कार प्राप्त हुआ है। उन्हें सामाजिक गोवा में हुए एक समारोह में सामाजिक सद्भाव का पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। वह 1999 में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय युवा महोत्सव में कला प्रतिभा पुरस्कार भी जीत चुके हैं।

उनकी अपनी वेबसाइट है जिस पर वह अपने गतिविधियों की जानकारी देते रहते हैं..

कुलदीप एम पै की वेबसाइट

https://www.kuldeepmpai.com/

यदि आप भारतीय सनातन परंपरा को गहराई से जानने में रुचि रखते हैं। संगीत की लय से परिपूर्ण अलग-अलग हिंदू देवी-देवताओं के स्तोत्र का आनंद लेना चाहते हैं तो कुलदीप एम पै का यूट्यूब आपको जरूर फॉलो करना चाहिए।

कुलदीप एम पै का ट्विटर आईडी

https://www.twitter.com/kuldeepmpai

कुलदीप एम पै का यूट्यूब चैनल का लिंक

https://www.youtube.com/@kuldeepmpai

उनके यूट्यूब चैनल का लेटेस्ट वीडियो
प्रभु श्रीराम पर उनका लेटेस्ट वीडियो

ये भी पढ़ें

लौंग : छोटी सी मगर, लौंग के फायदे बड़े-बड़े

लौंग भले ही छोटी सी हो लेकिन ये छोटा सा मसाला बहुत ही उपयोगी है। अपने छोटे से आकार में ये मसाला अनेक गुणों से युक्त है, इन्ही गुणों (Benefits of Cloves) को जानते हैं…

छोटी सी लौंग के फायदे बड़े-बड़े (Benefits of Cloves)

अधिकांश लोग लौंग से जरूर परिचित होंगे।  देखने में  लौंग : छोटी सी मगर फायदे बड़े-बड़े है।  आज हम विस्तार से लौंग के फायदों (Benefits of Cloves) के बारे में जानेंगे।

अनेक मौकों पर लौंग का सेवन भी करते होंगे। लोगों को यह तो पता है कि लौंग के सेवन से फायदे होते हैं। लेकिन लोगों को लौंग के प्रयोग से होने वाले अनेक लाभों के बारे में जानकारी ही नहीं होती। इस कारण लोग लौंग को केवल कुछ ही चीजों में प्रयोग करते हैं।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में लौंग के इस्तेमाल से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं। लौंग के सेवन से भूख बढ़ती है, उलटी रुकती है, पेट की गैस, अत्यधिक प्यास लगने की समस्या और कफ-पित्त दोष ठीक होते हैं। इसके साथ ही आप रक्त विकार, सांसों की बीमारी, हिचकी और टीवी रोग में भी लौंग का उपयोग कर लाभ पा सकते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार पुरुषों के लिए लौंग लाभदायक मानी जाती है। आइए लौंग के फायदे के बारे में विस्तार से जानते हैं।

लौंग क्या है?

लौंग हर रसोई में इस्तेमाल होने वाली चीज़ है जिसके अनगिनत फायदे हैं | लौंग के वृक्ष पर लगभग 9 वर्ष की आयु में फूल लगने शुरू हो जाते हैं। इसकी फूल कलियों को ही सुखाकर बाजार में लौंग के नाम से बेचते हैं। गर्भवती महिलाओं को होने वाली उलटी में लौंग बहुत लाभदायक होती है।

लौंग के फायदे इस प्रकार हैं

  • लौंग के सेवन से भूख बढ़ती है। आमाशय की रस क्रिया सही रहती है।
  • भोजन के प्रति रुचि पैदा होती है और मन प्रसन्न होता है।
  • लौंग पेट के कीड़ों को खत्म करती है।
  • यह चेतना-शक्ति को सही रखती है।
  • यह शरीर की दुर्गन्ध को खत्म करती है।
  • दर्द, घाव पर लेप करने से रोग सही होते हैं।
  • लौंग मूत्र मार्ग को सही रखती है और पेशाब के रास्ते हानिकारक चीजों को बाहर निकालने में मदद करती है।

लौंग के फायदे और उपयोग

लौंग के औषधीय प्रयोग एवं प्रयोग की मात्रा एवं विधियां यह है : –

सिर दर्द और माइग्रेन में लौंग का प्रयोग लाभदायक

आप लौंग के फायदे सिर दर्द की परेशानी में ले सकते हैं। अगर कोई रोगी आधासीसी से पीड़ित है या फिर अन्य प्रकार के सिर दर्द की समस्या से परेशान है तो लौंग का प्रयोग लाभ दिलाता है। इसके लिए 6 ग्राम लौंग को पानी में पीसकर सुखा लें। इसे थोड़ा गर्म कर लें।

इसका कान के आस-पास गाढ़ा लेप करने से सिर दर्द या आधासीसी की समस्या में लाभ होता है। 2 लौंग और 65 मिग्रा अफीम को पानी के साथ पीसकर गर्म कर लें। इसको ललाट पर लेप करने से सर्दी के कारण होने वाले सिर दर्द से आराम मिलता है।

आँखों की बीमारियों में लौंग का उपयोग फायदेमंद

लौंग को तांबे के बरतन में पीस लें। इसे शहद मिलाकर आँखों में लगाने से आँखों के रोगों में लाभ मिलता है।

दाँतों के रोग में लौंग के प्रयोग से लाभ

दाँतों की बीमारियों में भी लौंग काफी फायदेमंद है। लौंग के तेल को रूई के फाहे में लगाकर दांतों में लगाएं। इससे दांतों के दर्द से आराम मिलता है। इससे दांत में लगे कीड़े भी खत्म हो जाते हैं।

बलगम की समस्या में लौंग का सेवन लाभदायक

लौंग के 2 ग्राम कूटे हुए चूर्ण को 125 मिली पानी में उबालें। जब यह एक चौथाई रह जाए तो छानकर थोड़ा गर्म कर पी लें। यह कफ को बाहर निकालने में मदद करता है।

लौंग के सेवन से खत्म होती है मुँह और सांसों की बदबू

लौंग को मुंह में रखने से मुंह और सांस की दुर्गन्ध मिटती है।

दमा रोग में फायदेमंद लौंग का सेवन

दमा रोग में भी लौंग के फायदे मिलते हैं। लौंग, आंकडे के फूल और काला नमक को बराबर मात्रा में लें। इन्हें पीसकर चने के आकार की गोली बना लें। इसे मुंह में रखकर चूसने से दमा और श्वासनलिका के विकार ठीक होते हैं।

लौंग के सेवन से कुक्कुर खाँसी का इलाज

3-4 नग लौंग को आग पर भूनकर पीस लें। इसे शहद मिलाकर चाटने से कुक्कुर खांसी में लाभ) होता है।

हैजा में फायदेमंद लौंग का इस्तेमाल

हैजा होने पर बहुत अधिक प्यास लगने की समस्या भी हो जाती है। इस समस्या में लौंग खाने से बहुत फायदा मिलता है। एक या डेढ ग्राम लौंग को करीब डेढ़ ली जल में डालकर उबालें। 2-3 उबाल आने पर नीचे उतार कर ढक दें। इसमें से 20-25 मिली जल को बार-बार पिलाने से हैजा के कारण लगने वाली अत्यधिक प्यास की समस्या ठीक होती है।

अपच की समस्या में लौंग के उपयोग से लाभ

1 ग्राम लौंग और 3 ग्राम हरड़ को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक डालकर पिलाने से अपच की समस्या ठीक होती है।

जी मिचलाने पर करें लौंग का प्रयोग

जी मिचला रहा हो तो आप लौंग के फायदे लें। लौंग को पानी के साथ पीसकर थोड़ा गर्म कर लें। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से जी मिचलाने और अत्यधिक प्यास लगने की समस्या ठीक होती है। बुखार में लौंग का सेवन लाभदायक लौंग और छोटी पिप्पली को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें।

इस चूर्ण को 1½ ग्राम की मात्रा में लेकर मधु मिलाकर सुबह और शाम चाटने से बुखार और बुखार के कारण होने वाली शारीरिक कमजोरी में लाभ होता है। लौंग तथा चिरायता को समान भाग लें। इसे पानी में पीसकर पिलाने से बुखार में लाभ होता है।

पेट की गैस की समस्या में लौंग से फायदा

10 ग्राम लौंग, 10 ग्राम सोंठ, अजवायन और 10 ग्राम सेंधा नमक तथा 40 ग्राम गुड़ को पीस लें। इसकी 325-325 मिग्रा की गोलियाँ बना लें। 1 गोली को दिन में 2-3 बार सेवन करने से पेट की गैस की समस्या ठीक होती है।

पेट दर्द में लौंग के फायदे

लौंग,शुंठी, मिर्च, पीपल, अजवाइन 10-10 ग्राम, सेंधा नमक 50 ग्राम तथा मिश्री 50 ग्राम को महीन पीस लें। इन्हें चीनी मिट्टी के बरतन में रखें और इतना  नींबू का रस डालें कि पूरा चूर्ण नींबू के रस से डूब जाए। इसे धूप में सुखा लें। इसे एक चम्मच भोजन के बाद सेवन करने से मुंह का स्वाद अच्छा हो जाता है।

इससे बदहजमी व खट्टी डकार आने की समस्या ठीक हो जाती है। 1-2 ग्राम लौंग को कूट लें। इसे 100 मिली जल में मिलाकर काढ़ा बना लें। जब काढ़ा 20-25 मिली रह जाए तो इसे छानकर ठंडाकर पिएं। इससे हैजा और अपच की समस्या में लाभ होता है।

लौंग के तेल से गैस की समस्या तुरंत ठीक हो जाती है।

जायफल, लौंग तथा जीरा को समान मात्रा में लें। इनका चूर्ण बना लें। इसे 2-3 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद और शक्कर के साथ सेवन करें। इससे पेट का दर्द ठीक होता है। लौंग के दरदरे 10 ग्राम चूर्ण को 1 लीटर उबलते हुए जल में डालकर ढक दें। आधे घंटे बाद छान लें।

25-50 मिली जल को दिन में 3 बार पिलाने से अपच की समस्या ठीक होती है और भूख लगती है। लौंग, सोंठ, 10-10 ग्राम तथा अजवाइन व सेंधा नमक 12-12 ग्राम का चूर्ण बना लें। इसे 1 ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद जल के साथ सेवन करें। इससे अपच और एसी.डि.टी की समस्या  ठीक होती है।

उलटी (गर्भवती महिलाओं को होने वाली उलटी) को रोकने के लिए लौंग का उपयोग

गर्भवती महिलाओं को उलटी होना आम बात है। खास बात यह है कि इस दौरान लौंग खाने से उलटी रोकने में बहुत फायदा मिलता है। इससे गर्भवती महिलाओं को बहुत आराम मिलता है। 1 ग्राम लवंग (लौंग) चूर्ण को मिश्री की चाशनी और अनार के रस में मिलाकर चाटें। इससे गर्भवती महिलाओं को होने वाली उलटी बंद  हो जाती है।लौंग का काढ़ा पिलाने से गर्भवती स्त्री की उलटी बन्द हो जाती है। ध्यान रखें कि बुखार में यह काढ़ा ना दें।

गठिया में फायदेमंद लौंग

लौंग के फायदे आप गठिया जैसी बीमारी में भी ले सकते हैं। लौंग के तेल से गठिया में लाभ होता है। इसे गठिया वाले स्थान पर लगाएं। इससे लाभ मिलता है।

नासूर (पुराना घाव) में लौंग से लाभ

5-6 लौंग और 10 ग्राम हल्दी को पीसकर लगाने से नासूर (पुराना घाव) ठीक हो जाता है। छाती की जलन को ठीक करती है लौंग अनेक लोग छाती में जलन की समस्या से पीड़ित रहते हैं। इसमें भी लौंग के फायदे ले सकते हैं। 2-4 नग लौंग शीतल जल में पीस लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से हृदय की जलन मिटती है।

दस्त रोकने के लिए करें लौंग का उपयोग

1 ग्राम लौंग और 3 ग्राम हरड़ को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक डालकर पिलाने से दस्त पर रोक (laung benefits) लगती है। जायफल, लौंग तथा जीरा को समान मात्रा में लें। इनका चूर्ण बना लें। इसे 2-3 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद और शक्कर के साथ सेवन करें। इससे दस्त ठीक होता है।

मधुमेह में लौंग के फायदे

लौंग का सेवन मधुमेह में आपको फायदा दे सकता है क्योंकि यह रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। सूजन को कम करने में लौंग फायदेमंद लौंग का तेल सूजन कम करने में मदद करता है क्योंकि इसमें एंटी- इंफ्लेमेटरी का गुण पाया जाता है जो कि सूजन को कम करने में मदद करता है।

पाचन तंत्र को मजबूत बनाये लौंग

अगर आप का पाचन तंत्र कमजोर है तो आप के लिए लौंग का सेवन फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार लौंग में दीपन और पाचन के गुण पाये जाते है।

कैंसर के इलाज में फ़ायदेमंद है लौंग

लौंग का उपयोग कैंसर के लक्षणों को कम करने में फ़ायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें कैंसर रोधी गुण होता है।

तनाव को कम करें लौंग

लौंग का तेल तनाव को कम करने में मदद करता है क्योंकि ये सर्कुलेटरी सिस्टम को उत्तेजित कर शारीरिक थकान को कम कर तनाव से मुक्ति देता है।

सिरदर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद लौंग

यदि आप सिर दर्द से परेशान है तो लौंग का तेल सिर दर्द को कम करने में मदद करता है। अस्थमा के इलाज में लौंग के फायदे अस्थमा या कफ संबंधी समस्या में फ़ायदे के लिए लौंग का सेवन कर सकते है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार लौंग में कफ से राहत दिलाने का गुण होता है।

जी-मिचलाना कम करने में लौंग के फायदे

अगर आपको यात्रा के दौरान व किसी अन्य कारण से जी – मिचलाने या उलटी होने की समस्या है तो आप लौंग का प्रयोग कर सकते है क्योंकि इसमें एंटी एमेटिक का गुण पाया जाता है।

जोड़ों का दर्द कम करने फायदेमंद लौंग

जोड़ों किए दर्द की समस्या में भी लौंग फ़ायदेमंद होता है क्योंकि आयुर्वेद में लौंग को दर्द निवारक माना जाता है जिसके कारण लौंग का तेल जोड़ों के दर्द के लिए फ़ायदेमंद होता है।

लौंग के उपयोगी भाग

  • फूल कालिका
  • लौंग के प्रयोग की मात्रा
  • चूर्ण – 1-2 ग्राम
  • लौंग के तेल – 1-3 बूँद

अधिक लाभ के लिए लौंग का इस्तेमाल चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।

लौंग कहाँ पाया या उगाया जाता है ?

लौंग के पैदा होने का स्थान मलक्का द्वीप है, लेकिन भारत के दक्षिण में केरल और तमिलनाडू में इसकी खेती की जाती है। भारतवर्ष में लौंग का अधिकांश आयात सिंगापुर से किया जाता है। लौंग : छोटी सी मगर फायदे बड़े-बड़े है। हमें  लौंग का सही उपयोग करके अपने स्वास्थ्य के लिए प्रयोग करना चाहिए।


ये पोस्ट भी पढ़ें

दालचीनी के गुण और उपयोग – दालचीनी के अनोखे फायदे जानिए।

अजवाइन के फायदे ही फायदे हैं, बहुत सारे।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

 

हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

दालचीनी के गुण और उपयोग – दालचीनी के अनोखे फायदे जानिए।

दालचीनी अनेक तरह के औषधीय गुणों से युक्त एक बहुत उपयोगी मसाला है। इस पोस्ट में हम दालचीनी के अनोखे (Benefits of Cinnamon) के बारे में जानेंगे…

दालचीनी के गुण और उपयोग अनोखे फायदे जानें (Benefits of Cinnamon)

आपने दालचीनी का नाम जरूर सुना होगा और इसका उपयोग भी किया होगा लेकिन आमतौर पर लोग दालचीनी का प्रयोग केवल मसालों के रूप में ही करते हैं, क्योंकि लोगों को दालचीनी के गुण और उपयोग – दालचीनी के फायदे  बारे में पूरी जानकारी नहीं है। आयुर्वेद में दालचीनी को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, दालचीनी के इस्तेमाल से कई रोगों का इलाज किया जा सकता है। दालचीनी के फायदों (Benefits of Cinnamon) के बारे में जानते हैं…

दालचीनी क्या है ?

दालचीनी एक मसाला है। दालचीनी की छाल तेज पात की वृक्ष छाल से अधिक पतली, पीली, और अधिक सुगन्धित होती है। यह भूरे रंग की मुलायम, और चिकनी होती है। फलों को तोड़ने पर भीतर से तारपीन जैसी गन्ध आती है। इसके फूल छोटे, हरे या सफेद रंग के होते हैं। अगर आप दालचीनी की पत्तियों को मलेंगे तो इससे तीखी गंध आती है। दालचीनी का प्रयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक किया जाता है।

दालचीनी के फायदे

पतंजलि के अनुसार, दालचीनी के सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत, व सिर दर्द, चर्म रोग, मासिक धर्म की परेशानियां ठीक की जा सकती हैं। इसके साथ ही दस्त, और टीबी में भी इसके प्रयोग से लाभ मिलता है। आप जरूर जान लें कि दालचीनी के इस्तेमाल से कितने प्रकार के फायदे होते हैं, ताकि समय पर दालचीनी का उपयोग कर आप भी फायदा ले सकें। दालचीनी के गुण और उससे अनेक फायदे हैं, जोकि इस प्रकार हैं…

हिचकी की परेशानी में दालचीनी का सेवन

हिचकी आना बहुत ही साधारण सी बात है, लेकिन कई ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें हमेशा हिचकी आने की शिकायत रहती है। ऐसे लोग दालचीनी का उपयोग कर सकते हैं। दालचीनी के 10-20 मिली काढ़ा को पिएं। इससे आराम मिलता है।

भूख को बढ़ाने के लिए दालचीनी का सेवन

500 मिग्रा शुंठी चूर्ण, 500 मिग्रा इलायची, तथा 500 मिग्रा दालचीनी को पीस लें। भोजन के पहले सुबह-शाम लेने से भूख बढ़ती है।

उलटी को रोकने के लिए दालचीनी का प्रयोग

दालचीनी का प्रयोग उलटी रोकने के लिए भी किया जाता है। दालचीनी, और लौंग का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से उलटी पर रोक लगती है।

आँखों के रोग में दालचीनी के प्रयोग से फायदे

अनेक लोग बराबर शिकायत करते हैं कि उनकी आँखें फड़कती रहती हैं। दालचीनी का तेल आँखों के ऊपर (पलक पर) लगाएं। इससे आंखों का फड़कना बन्द हो जाता है, और आँखों की रोशनी भी बढ़ती है। दाँत के दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी का सेवन जिन लोगों को दाँत में दर्द की शिकायत रहती है, वे लोग दालचीनी का फायदा ले सकते हैं। दालचीनी के तेल को रूई से दाँतों में लगाएं। इससे आराम मिलेगा। दालचीनी के 5-6 पत्तों को पीसकर मंजन करें। इससे दाँत साफ, और चमकीले हो जाते हैं।

दालचीनी का प्रयोग कर सिर दर्द से आराम

  • अगर आप सिर दर्द से परेशान रहते हैं, तो दालचीनी का सेवन करें।
  • दालचीनी के 8-10 पत्तों को पीसकर लेप बना लें। दालचीनी के लेप को मस्तक पर लगाने से ठंड, या गर्मी से होने वाली सिर दर्द से आराम मिलता है। आराम मिलने पर लेप को धोकर साफ कर लें।
  • दालचीनी के तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सर्दी की वजह से होने वाले सिरदर्द से आराम मिलती है।
  • दालचीनी, तेजपत्ता, तथा चीनी को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। इसे चावल के धोवन (चावल को धोने के बाद निकाला गया पानी) से पीस कर बारीक चूर्ण बना लें। इसे नाक के रास्ते लें। इसके बाद गाय के घी को भी नाक के रास्ते लें। इससे सिर से संबंधित विकारों में आराम मिलता है।
  • आप तंत्रिका-तंत्र संबंधी परेशानियों के लिए दालचीनी के तेल को सिर पर लगाएं। इससे फायदा होता है।

जुकाम में दालचीनी का इस्तेमाल

  • दालचीनी को पानी में घिस कर, गर्म कर लें, और लेप के रूप में लगाएं। इससे जुकाम में फायदा होता है।
  • दालचीनी का रस निकालकर सिर पर लेप करने से भी लाभ होता है।

दालचीनी के उपयोग से खाँसी में फायदा

  • खाँसी के इलाज के लिए दालचीनी का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। खांसी से परेशान रहने वाले लोग आधा चम्मच दालचीनी के चूर्ण को, 2 चम्मच मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे खाँसी से आराम मिलता है।
  • दालचीनी के पत्ते का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से खांसी ठीक होती है।
  • एक चौथाई चम्मच दालचीनी के चूर्ण में 1 चम्मच मधु को मिला लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी, और दस्त में फायदा होता है।

नाक के रोग में दालचीनी का इस्तेमाल

दालचीनी 3½ ग्राम, लौंग 600 मिग्रा, सोंठ 2 ग्राम को एक लीटर पानी में उबाल लें। जब यह पानी 250 मिली रह जाए, तो इसे छान लें। इसको दिन में 3 बार लेने से नाक के रोग में लाभ होता है। आपको इसे 50 मिली की मात्रा में लेना है।

पेट फूलने पर दालचीनी से फायदा

पेट से संबंधित कई तरह के रोगों में दालचीनी बहुत ही फायदेमंद होती है। 5 ग्राम दालचीनी चूर्ण में 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करें। पेट के फूलने की बीमारी ठीक होती है।

कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दालचीनी फायदेमंद

जिन लोगों के शरीर का वजन अधिक होता है, वे वजन को कम करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। आप भी मोटापा कम करने में दालचीनी से फायदा ले सकते हैं। एक कप पानी में दो चम्मच मधु, तथा तीन चम्मच दालचीनी का चूर्ण  मिला लें। इसका रोज 3 बार सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल कम होता है।

दस्त पर रोक लगाने के लिए दालचीनी का उपयोग

  • 5 ग्राम दालचीनी चूर्ण में 1 चम्मच मधु मिला लें और इसे दिन में 3 बार सेवन करें। इससे दस्त में फायदा होता है।
  • 750 मिग्रा दालचीनी के चूर्ण में 750 मिग्रा कत्था चूर्ण मिला लें। इसे पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करें। इससे दस्त पर रोक लगती है।
  • इसी तरह 4 ग्राम दालचीनी, तथा 10 ग्राम कत्था को मिलाकर पीस लें। इसमें 250 मिली खौलते हुए पानी में डालकर ढक दें। दो घंटे बाद इसे छानकर दो हिस्से करके पिएं। इससे दस्त बन्द हो जाते हैं।
  • बेलगिरी के शर्बत में 2-5 ग्राम दालचीनी का चूर्ण मिला लें। इसे सुबह-शाम पीने से दस्त की समस्या में लाभ होता है।
  • 10-20 मिली दालचीनी का काढ़ा पीने से पेट संबंधी बीमारियों में लाभ होता है।
  • दालचीनी की जड़, और छाल का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में पिएं। इससे आमाशय विकार, और दस्त में लाभ मिलता है।

आमाशय विकार में दालचीनी का प्रयोग

  • दालचीनी (सिनेमन), इलायची, और तेज पत्ता को बराबर-बराबर लेकर काढ़ा बना लें। इसके सेवन से आमाशय की ऐंठन ठीक होती है।
  • दालचीनी के 5-10 मिली तेल को 10 ग्राम मिश्री के साथ खाने से आमाशय में होने वाला दर्द, और उलटी में लाभ मिलता है।

आँतों के रोग में दालचीनी के सेवन से फायदा

आँतों को स्वस्थ रखने के लिए भी दालचीनी का इस्तेमाल करना अच्छा परिणाम देता है। दालचीनी (सिनेमन) का तेल पेट पर मलने से आंतों का खिंचाव दूर हो जाता है।

प्रसव के बाद दालचीनी के सेवन से फायदा

त्रिकटु, पीपरामूल, दालचीनी, इलायची, तेजपात, तथा अकरकरा लें। इनके 1-2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ चाटें। इससे माँबनने वाली महिलाओं के रोग ठीक हो जाते हैं।

चर्म रोग में दालचीनी से फायदा

चर्म रोग को ठीक करने के लिए शहद एवं दालचीनी को मिलाकर रोग वाले अंग लगाएं। आप देखेंगे कि थोड़े ही दिनों में खुजली-खाज, तथा फोड़े-फुन्सी ठीक होने लगेंगे।

दालचीनी के सेवन से बुखार में लाभ

एक चम्मच शहद में 5 ग्राम दालचीनी का चूर्ण मिला लें। सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से ठंड के साथ आने वाला संक्रामक बुखार ठीक होता है।

बहरेपन की समस्या में दालचीनी से लाभ

बहरापन एक ऐसी बीमारी है, जिसके कारण जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। बहरेपन के इलाज में भी दालचीनी से फायदा होता है। इसके लिए दालचीनी के तेल को कान में 2-2 बूंद डालें। बहरेपन में लाभ होता है।

दालचीनी का उपयोग कर रक्तस्राव पर रोक

  • अगर फेफड़ों, या गर्भाशय से रक्तस्राव हो रहा है तो दालचीनी का काढ़ा 10-20 मिली पिएं। आपको काढ़ा को सुबह, दोपहर तथा शाम पीना है। इससे लाभ पहुंचता है।
  • शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव होने पर एक चम्मच दालचीनी चूर्ण को एक कप पानी के साथ सेवन करें। इसे 2-3 बार सेवन करना है।

साइनस में दालचीनी से फायदा

दालचीनी, आक का दूध, तथा दारुहल्दी को पीस लें। इसका पेस्ट (बत्ती के जैसा) बना लें। साइनस में नाक के अंदर घाव बन जाता है, इसे उस घाव पर लगाएं। इससे घाव को भर दें। इससे साइनस में फायदा होता है।

टीबी (तपेदिक) में दालचीनी से लाभ

टीबी (तपेदिक) एक जानलेवा बीमारी है, जिससे देश भर में कई लोग ग्रस्त हैं। पतंजलि के अनुसार, टीबी के इलाज के लिए दालचीनी से लाभ मिलता है। टीबी मरीज को दालचीनी के तेल को थोड़ी मात्रा में पीना है। इससे टीबी के कीटाणु खत्म हो जाते हैं।

गठिया में फायदेमंद दालचीनी का उपयोग

  • 10-20 ग्राम दालचीनी के चूर्ण को 20-30 ग्राम मधु में मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे दर्द वाले स्थान पर धीरे-धीरे मालिश करें। इससे फायदा मिलेगा।
  • इसके साथ-साथ एक कप गुनगुने पानी में 1 चम्मच मधु, एवं दालचीनी का 2 ग्राम चूर्ण मिला लें। इसे सुबह, दोपहर, तथा शाम सेवन करें। गठिया में लाभ देता है।
  • दालचीनी के पत्ते के तेल को लगाने से भी गठिया में आराम मिलता है।

दालचीनी के उपयोगी भाग

दालचीनी का सेवन कई तरह से किया जा सकता है, जो ये हैंः-

  • पत्ते
  • छाल
  • जड़
  • तेल

दालचीनी का इस्तेमाल कैसे करें ?

  • छाल का चूर्ण- 1 से 3 ग्राम
  • पत्तों का चूर्ण- 1 से 3 ग्राम
  • तेल- 2 से 5 बूंद

दालचीनी कहाँ पाया या उगाया जाता है?

दालचीनी की खेती दक्षिण-पश्चिमी भारत के समुद्र-तटीय, और निचले पहाड़ी क्षेत्रों जैसे- तमिलनाडु, कर्नाटक एवं केरल में की जाती है। दालचीनी 6-16 मीटर ऊंचा, और मध्यम आकार का होता है। इसके पत्ते गुलाबी रंग के, और चमकीले-हरे होते हैं। इसकी खेती जुलाई से दिसम्बर तक की जाती है।

दालचीनी के कुछ और लाभ

आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में दालचीनी का सेवन काफी फायदेमंद होता है।  वैसे तो अधिकांश घरों में दालचीनी का उपयोग मसाले के रूप में होता है लेकिन आप चाहें तो चाय या काढ़ा के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं। चाय में दालचीनी डालने से एक तो चाय का स्वाद बढ़ जाता है और दूसरा यह सर्दी से भी बचाव करती है।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, दालचीनी मेटाबॉलिज्म को बेहतर करती है जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं तो नियमित रूप से दालचीनी के पाउडर या इससे बने काढ़े का उपयोग करें। इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी अधिक लाभ के चक्कर में बहुत अधिक मात्रा में दालचीनी का सेवन ना करें।

दालचीनी का पाउडर कैसे बनाएं?

दालचीनी का पाउडर घर पर बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए दालचीनी के टुकड़ों को धूप में सुखा लें। इसके बाद इन टुकड़ों को खरल (कूटने के लिए उपयोग में लाए जाना वाला उपकरण) में डालकर कूट लें। इन कूटे हुए दालचीनी के टुकड़ों को ग्राइंडर में डालकर बारीक पीस ले। अब आपका दालचीनी पाउडर उपयोग के लिए तैयार है, इसे किसी साफ सूखे एयर टाइट डिब्बे में स्टोर कर लें। रोजाना सीमित मात्रा में इसका उपयोग करें।

दालचीनी का काढ़ा

दालचीनी का काढ़ा इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा बताए गए हर्बल काढ़े में भी दालचीनी मुख्य घटक के रूप में शामिल है। सर्दियों में होने वाली मौसमी बीमारियाँ जैसे कि सर्दी-खांसी, गले में खराश आदि से राहत पाने के लिए दालचीनी के काढ़े का उपयोग करना चाहिए।

आयुष मंत्रालय के अनुसार कोरोना वायरस से बचाव के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना बहुत ज़रूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए आयुष मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी करते हुए लोगों से हर्बल काढ़ा (इम्यूनिटी बूस्टर काढ़ा) पीने की अपील की थी।

दालचीनी के गुण और उपयोग बहुत है, दालचीनी में भी इम्यूनिटी बढ़ाने वाले औषधीय गुण होते हैं और इसलिए इस काढ़े में दालचीनी को मुख्य घटक के रूप में शामिल किया गया है। कोरोना वायरस के संक्रमण के अलावा यह सर्दियों में होने वाले छोटे-मोटे संक्रमण से बचाव में भी कारगर है। इसलिए रोजाना सीमित मात्रा में दालचीनी का सेवन ज़रूर करें।


यह पोस्ट भी पढ़ें

अजवाइन के फायदे ही फायदे हैं, बहुत सारे।

गुणों से भरपूर है लहसुन, एक नही है अनेकों है गुण।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

अजवाइन के फायदे ही फायदे हैं, बहुत सारे।

अजवाइन का नाम हम सब सुना ही है। देखने में बहुत छोटी सी होती है। आज हम अजवाइन के फायदे (Benefits of Celery) के बारे में विस्तार से जानेंगे। 

अजवाइन के बहुत सारे फायदे ही फायदे (Benefits of Celery)

अजवाइन छोटा सा दाना होने के साथ यह बहुत गुणकारी होती है ।  हमारे सेहत के लिए बहुत लाभकारी होती है। आइये अजवाइन के फायदे के बारे में जानते हैं…

अजवाइन के फायदे

एक ऐसी चीज है, जिसके बारे में हर कोई भली-भांति जानता होगा। अजवाइन हर घर में मिल जाएगी । इसका उपयोग लगभग हर घर में हर रोज किया जाता है। अजवाइन छोटे-छोटे अंडाकार के बीज होते हैं, जो स्वाद में कड़वे और तीखे होते हैं। अजवाइन को आमतौर पर कैरम या बिशप बीड के नाम से जाना जाता है।

अजवाइन का वैज्ञानिक नाम ट्रेकिस्पर्मम अम्मी है। अजवाइन को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि तेलुगु में वामु, तमिल में ओमम, मलयालम में अयोधमकम, कन्नड़ में ओमम और कलुगलु आदि।

ज्यादातर अजवाइन की खेती काली मिट्टी में की जाती हैं । माना जाता है कि अजवाइन की उत्पत्ति मिश्र और पूर्वी भूमध्य क्षेत्र से हुई है । मिश्र सहित ईरान, अफगानिस्तान और भारत जैसे कई अन्य देशों में भी अजवाइन की खेती की जाती है । भारत में अजवाइन मुख्यता पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और तमिलनाडु आदि में पाई जाती है।

अजवाइन का उपयोग

अजवाइन का ज्यादातर उपयोग मसाले के रूप में खाना पकाने में किया जाता है। लेकिन अजवाइन में खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ और भी कई गुणकारी तत्व छुपे हैं, जिनसे हम अब तक अनजान हैं। अजवाइन के छोटे-छोटे बीज औषधीय गुणों के भंडार हैं। जिनका उपयोग कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ठीक करने में किया जा सकता है। अजवाइन में विभिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं, जैसे– प्रोटीन, ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, वसा, कैरोटीन, नियासिन, थायमिन आदि। इसका मुख्य घटक थाइमोल है। इन्हीं पोषक तत्वों के कारण अजवाइन हमारे शरीर को कई लाभ पहुंचाती है।

अजवाइन के गुण:

पाचन तंत्र को बेहतर बनाना

अजवाइन पेट संबंधी कई समस्याओं को दूर करके हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करती है । अजवाइन का चूर्ण बनाकर इसका सेवन करने से एसिडिटी, उल्टी, अपच, पेट दर्द, गैस, कब्ज आदि कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

सर्दी जुकाम से राहत

अजवाइन को पानी में उबालकर, काला नमक मिलाकर इसका काढ़ा पीने से खांसी और सर्दी जुकाम में राहत मिलती है।

वजन घटाने में

अजवाइन का पानी पीने से हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है। जिससे हमारे शरीर की चर्बी घटने लगती हैं। इस प्रकार अजवाइन वजन घटाने में भी काफी मददगार है।

त्वचा संबंधी समस्याओं से राहत

अजवाइन में एंटीवायरल, एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं । जो त्वचा से फंगस और बैक्टीरिया को दूर रखते हैं । अजवाइन का लेप चेहरे पर लगाने से कील मुहांसों की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है।

कोलेस्ट्रॉल

अजवाइन के बीजों में एंटीहाइपरलिपिडेमिक गुण पाया जाता है। जो हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है।

स्तनपान में

प्रसव के बाद कुछ महिलाओं में इंसफिशिएंट मिल्क सप्लाई की समस्या पाई जाती है। जिस कारण बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता। अजवाइन का सेवन करने से दूध की मात्रा में वृद्धि होती है। और दूध स्त्राव को बेहतर करने में भी मदद मिलती है।

रक्तचाप

अजवाइन में भारी मात्रा में थाइमोल पाया जाता है। जो रक्तचाप को संतुलित करके हृदय जोखिम को कम करने में सहायक होता है।

गठिया

अजवाइन गठिया के रोग से राहत दिलाने में भी सहायता करती हैं। अजवाइन में पाए जाने वाले औषधीय गुण शरीर में इलास्टेज एंजाइम के स्तर को कम करके पुरानी सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं।

अनियमित पीरियड्स

अजवाइन का पानी अनियमित पीरियड की समस्या को खत्म करता है । इसके साथ-साथ पीरियड्स में होने वाले दर्द से भी राहत दिलाता है।

घावों के लिए

अजवाइन के बीजों में थाइमोल और कार्वाक्रोल नामक तेल होते हैं। जिनमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। इसलिए अजवाइन के पानी को घावों को साफ करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। यह घावों में  बैक्टीरिया और फंगस के विकास को रोककर संक्रमण होने से रोकता है।

साँस संबंधी समस्याओं के लिए

सांस संबंधी समस्याओं जैसे कि ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियों के लिए अजवाइन और अदरक के मिश्रण का उपयोग किया जा सकता है। इससे पुरानी से पुरानी खांसी और सर्दी में भी राहत मिलती है।

डायरिया में भी लाभकारी

अजवाइन के बीजों के उपयोग से दस्त या पेचिश की समस्या से राहत पाई जा सकती है। अजवाइन को एक गिलास पानी में उबालकर ठंडा करके पीने से दस्त को रोका जा सकता है।

बालों के लिए

बालों को सही पोषण न मिलने से बाल सफेद होने लगते हैं। टूटकर झड़ने लगते हैं। अजवाइन से बने तेल के इस्तेमाल से बालों को पर्याप्त पोषण मिलता है। और बालों के झड़ने की समस्या को भी रोका जा सकता है।

डायबिटीज के लिए

अजवाइन के सेवन से डायबिटीज को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

कीटनाशक और कृमि नाशक

अजवाइन को कीटनाशक के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। इसके साथ-साथ अजवाइन में कृमिनाशक गुण भी पाए जाते हैं।  जो बच्चों के पेट के कीड़ों से राहत दिलाने में भी मदद करता है। इसके अलावा इसका उपयोग जहरीले कीड़ों जैसे कि मधुमक्खी, बिच्छू, ततैया, भंवरा आदि के काटने पर किया जा सकता है।

जैसा कि हमने जाना कि अजवाइन के फायदे  बहुत है । इसके के छोटे-छोटे बीज बहुत ही गुणकारी और लाभदायक होते हैं। लेकिन किसी भी चीज के सकारात्मक गुणों के साथ-साथ उसमें कुछ नकारात्मक गुण भी होते हैं। उसी प्रकार अजवाइन के लाभ तो हैं लेकिन कुछ नुकसान भी हैं।

अजवाइन के नुकसान

अजवाइन का सेवन अगर ज्यादा मात्रा में किया जाए तो यह हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसके कई नुकसान हो सकते हैं जैसे कि जी मिचलाना, उलटी आना, पेट में जलन, शरीर में गर्मी का बढ़ना, मुंह में छाले होना, सिर दर्द होना आदि। अजवाइन के बहुत सारे फायदे और लाभ है । हमें इसका प्रयोग हिसाब के साथ करना चाहिए । अधिक मात्रा में प्रयोग करने से हानिकारक हो सकता है ।   अजवाइन के फायदे जानकर आपको ये पोस्ट कैसी लगी? अपनी राय कमेंट में दें।

ये भी पढ़ें…

एलोवेरा के क्या लाभ है और इसकी क्या हानियां है, समझ लीजिए।

मेथी के गुण और उपयोग – गुण अनेक हैं तो फायदे भी अनेक हैं।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

4 शंकराचार्य कौन हैं। कौन से मठ से शंकराचार्य चुने जाते हैं? विस्तार से जानें।

आदिगुरु शंकराचार्य ने हिंंदू-सनातन धर्म पुनर्स्थापना के लिए भारत की चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी, जिसके चार शंकराचार्य होते हैंं। ये चार शंकराचार्य कौन है? वे चार मठ कौन से हैं? (4 Shankracharya of 4 Math) आइए जानते हैं..  

आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठ और उनके 4 शंकराचार्य ( 4 Shankracharya of 4 Math)

आदिगुरु शंकराचार्य जिन्होंने भारत में हिंदू सनातन धर्म के उत्थान के लिए बेहद महत्वपूर्ण कार्य किया था। लगभग 600 वर्ष ईसापूर्व भारत में सनातन धर्म में हीनता आ गई थी और सनातन धर्म पतन की ओर बढ़ रहा था तब उन्होंने पूरे भारत में सनातम धर्म और वैदिक संस्कृति की पुनर्स्थापना के लिए न केवल पूरे भारत की पदयात्रा की बल्कि अपने प्रयासों से लोगों को जागरूक किया, लोगों में धर्म संस्कार विकसित किये।

आदिगुरु शंकराचार्य और चार मठ

आदिगुरु शंकराचार्य ने भारत के चार कोनों में चार मठो की स्थापना की और इन सभी चारों मठों में उच्च पद पर अपने चार शिष्यों को प्रतिनिधि के रूप में एक-एक शंकराचार्य को नियुक्त किया,  तब से चार मठ चार शंकराचार्य के परंपरा चली आ रही है। यह चारों मठ हिंदू सनातन धर्म में बेहद पवित्र मठ माने जाते हैं और इन मठों चारो शंकराचार्य को बेहद श्रद्धा एवं सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

आईए जानते समझते हैं कि यह पवित्र चार मठ कौन से हैं और इन चारों मठों में वर्तमान समय में कौन-कौन शंकराचार्य के पद पर हैं।

आदिगुरु शंकराचार्य ने भारत की चार दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में चार मठों की स्थापना की। उत्तर में उन्होंने ज्योतिष पीठ अर्थात ज्योतिर्पीठ बद्रिकाश्रम की स्थापना की। पूर्व में उन्होंने पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की। पश्चिम में उन्होंने द्वारिका शारदा पीठ की स्थापना की और दक्षिण में उन्होंने श्रृंगेरी पीठ की स्थापना की।

इस तरह भारत के चार दिशाओं के चार कोनों में अधिक गुरु शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की और हर मठ के एक शंकराचार्य के रूप में नियुक्त किया। तभी से नियमित रूप से अलग-अलग मठो के शंकराचार्य परिवर्तित होते रहते हैं, और किसी शंकराचार्य के देहावसान के बाद नए शंकराचार्य की नियुक्ति की जाती है। ये पंरपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।

इन सभी चारों शंकराचार्य को हिंदू सनातन धर्म में बेहद महत्व और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। ये चारों मठ और इनके वर्तमान शंकराचार्य इस प्रकार हैं…

ज्योतिरपीठ बद्रिकाश्रम (ज्योतिष पीठ) – (जोशीमठ – उत्तराखंड)

आदिगुरु शंकराचार्य उत्तर में ज्योर्तिमठ यानी ज्योतिष पीठम की स्थापना की। यह ज्योतिरपीठ उत्तराखंड के जोशीमठ जिले में स्थित है।

ज्योतिर्मठ के वर्तमान शंकराचार्य ‘स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज’ हैं।

पुरी गोवर्धन पीठ (जगन्नाथ पुरी – उड़ीसा)

पुरी भारत के उड़ीसा राज्य के जगन्नाथ पुरी नगर में स्थित है। जगन्नाथ पुरी एक बेहद पवित्र नगर है, जो भगवान विष्णु अर्थात भगवान जगन्नाथ के लिए प्रसिद्ध है। पुरी का मठ पुरी गोवर्धन पीठ के नाम से जाना जाता है।

पुरी गोवर्धन पीठम मठ के वर्तमान शंकराचार्य ‘स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज’ हैं।

श्रृंगेरी मठ (चिकमंगलूर – कर्नाटक)

श्रृंगेरी मठ भारत के कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले में स्थित है। यह भारत के दक्षिणी भाग का प्रतिनिधित्व करता है। इस मठ की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य ने 600 वर्ष ईसापूर्व की थी जब वह श्रंगेरी में कुछ समय ठहरे थे।

श्रंगेरी मठ के वर्तमान शंकराचार्य ‘स्वामी श्री भारती तीर्थ महाराज’ हैं

द्वारका शारदा पीठम (द्वारका – गुजरात)

द्वारका शारदा पीठम मठ भारत के पश्चिमी भाग का प्रतिनिधित्व करता हुआ मठ है। इस मठ की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य ने 600 वर्ष ईसापूर्व भारत के पश्चिमी दिशा में की थी। यह मठ गुजरात राज्य के द्वारका नगर में स्थित मठ है।

द्वारका शारदा पीठम मठ के वर्तमान शंकराचार्य ‘स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ‘हैं।


ये भी पढ़ें…

प्राण-प्रतिष्ठा क्या है? ये क्यों की जाती है? हिंदू-सनातन धर्म में इसका क्या महत्व है?

मकर संक्रांति का पर्व क्या है? ये क्यों और कैसे मनाते हैं? पूरा कहानी और विधि-विधान जानें।


हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

मकर संक्रांति का पर्व क्या है? ये क्यों और कैसे मनाते हैं? पूरा कहानी और विधि-विधान जानें।

मकर संक्रांति का पर्व (Makar Sankranti Festival) का पर्व पूरे भारत में अलग-अलग रूपों में बेहद उल्लास एवं उत्साह से मनाया जाता है। यह पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता है? भारत के अलग-अलग प्रदेशों में यह किन रूपों में मनाया जाता है, आईए जानते हैं…

मकर संक्रांति पर्व, इतिहास, मनाने के कारण (Makar Sankranti Festival)

मकर संक्रांति भारत के प्रमुख पर्वों में से है, जो भारत के हर राज्य में बेहद हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हालांकि मकर संक्रांति का पर्व भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्यौहार है जो विभिन्न रूप धारण किए हुए हैं।

यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। ये पर्व दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। सूर्य हर छः माह दक्षिण से उत्तर और हर छः माह उत्तर से दक्षिण दिशा में गति करते हैं। मकर संक्रांति के दिन दक्षिण दिशा से उत्तर की ओर गमन करते हैं और इसी दिन मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसी खगोलीय घटना को भारत में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और इसी कारण मकर संक्रांति का यह पर्व मनाया जाता है।

मकर संक्रांति के इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है क्योंकि सूर्य इसी दिन दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर जाते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं।

मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। भारत के जिन राज्यों में जिस नाम से जाना जाता है, वह इस प्रकार हैं…

मकर संक्रांति : छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू
ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल : तमिलनाडु
उत्तरायण : गुजरात, उत्तराखण्ड
उत्तरैन : माघी संगरांद : जम्मू
शिशुर सेंक्रात : कश्मीर घाटी
माघी : हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब
भोगाली बिहु : असम
खिचड़ी : पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार
पौष संक्रान्ति : पश्चिम बंगाल
मकर संक्रमण : कर्नाटक

केवल भारत में बल्कि भारत से बाहर भी कई देशों में यह पर्व उत्साह एवं उल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व उन देशों में जहाँ पर भारतीय अच्छी खासी संख्या में बसे हुए हैं या उन देशों में जहां पर पहले कभी हिंदू धर्म प्रचलन में था और वहां पर हिंदू शासन स्थापित था। ऐसे देशों में आज भी यह पर्व उत्साह से मनाया जाता है। इन देशों में थाईलैंड, कंबोडिया,  फिजी, मारीशस, लाओस, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल आदि देशों के नाम प्रमुख है। यह सभी एशियाई देश हैं। इन देशों में मकर संक्रांति को इन नाम से जाना जाता है

बांग्लादेश : संक्रैन/ पौष संक्रान्ति
नेपाल : माघे संक्रान्ति या ‘माघी संक्रान्ति’ ‘खिचड़ी संक्रान्ति’
थाईलैण्ड : सोंगकरन
लाओस : पि मा लाओ
म्यांमार : थिंयान
कम्बोडिया : मोहा संगक्रान
श्री लंका : पोंगल, उझवर तिरुनल

विस्तार से जानते हैं कि भारत के कौन से राज्य में मकर संक्रांति किस रूप में और किस नाम से और किस तरह मनाई जाती है…

उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से ही जाना जाता है। यह पर्व पूरे उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व है और पवित्र नदियों में स्नान करने का अलग महत्व है। उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां हैं। इसी कारण इन इन नदियों के तट पर मकर संक्रांति के दिन विशाल मेला लगता है और इस मेले को माघ मेले के नाम से जाना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन धर्म में आस्था रखने वाले लोग इन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मकर संक्रांति के दिन उत्तर प्रदेश में उड़द की काली दाल की खिचड़ी बनाकर खाने का विशेष रिवाज है। इस दिन मीठे पकवान के रूप में तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। यह दोनों पकवान मकर संक्रांति के दिन अवश्य बनाए जाते हैं और इस दिन इन दोनों पकवानों को बनाना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष रिवाज है।

बिहार : मकर संक्रांति को बिहार में खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उड़द की दाल की खिचड़ी बनाई जाती है। तिल, चिवड़ा के लड्डू बनाए जाते हैं। उसके अलावा दान के रूप में गो-दान किया जाता है अथवा स्वर्ण आभूषण, वस्त्र, गरीबों को वस्त्र, कंबल आदि दान देने का भी अलग महत्व है।

महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के दिन कपास तेल अथवा नमक आदि से बनी चीजों का दान करने का रिवाज है। यहां पर खिचड़ी बनाने का रिवाज नहीं है, लेकिन तिल के बने लड्डू अथवा हलवे बनाने की प्रथा है।

गुजरात : गुजरात में भी मकर संक्रांति का पर्व उत्साह से मनाया जाता है और तिल के बने व्यंजन बनाए जाते हैं। गुजरात मकर संक्रांति के दिन पतंग बहुत अधिक उड़ाने का रिवाज है।

बंगाल : मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने तथा तिल का दान करने की परंपरा है। यहाँ पर गंगासागर है, जहाँ पर हर साल विशाल मेला लगता है।

तमिलनाडु : तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के नाम से जाना जाता है और यह पर्व 4 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल या केनु पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल होता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति पर्व पर कूड़ा-करकट आदि जमा करके उसे जलाने की प्रथा है। इसके साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है तथा जिनके घर में पशु धन है अर्थात गाय, भैंस, बकरी, बैल आदि हैं तो उनकी भी पूजा की जाती है।

पोंगल के दिन तमिलनाडु के लोग स्नान करके खुले आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनाते हैं। इस खीर को पोंगल प्रसादम कहा जाता है। पोंगल को पहले सूर्य भगवान को प्रसाद के रूप में खीर अर्पण करने के बाद उसे खीर को सभी लोग प्रसाद के रूप में खाते हैं।

असम : असम में मकर संक्रांति के पर्व को बिहू माघ अथवा भोगली बिहू के नाम से जाना जाता है। इस दिन वहां पर पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य गान आदि किए जाते हैं। असम के लोग इस दिन लोग असमी वेशभूषा धारण कर नृत्य करते हुए उत्सव मनाते हैं।

राजस्थान : राजस्थान में मकर संक्रांति के पर्व के दिन लोग सुहागन महिलाएं अपनी सास से विशेष आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस दिन महिलाएं किसी सौभाग्य सूचक वस्तुओं का पूजन करती हैं और यह वस्तुएं संख्या 14 होती है। इस दिन वे संकल्प करके 14 ब्राह्मण को दान भी देती हैं।

उत्तराखंड : उत्तराखंड में मकर संक्रांति का पर्व घुघुतिया के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड के लोग मकर संक्रांति के दिन सुबह नहा धोकर अपने घरों की साफ सफाई करते हैं तथा मिट्टी आदि की सहायता से घरों की लिपाई-पुताई की जाती है। उसके बाद घर में जो भी देवी देवता की मूर्ति स्थापित है, उनकी पूजा की जाती है। इस दिन उत्तराखंड के लोग घुगुतिया नामक पकवान बनाते हैं जो कि आटे का बना होता है। इस घुघुतिया पकवान को अलग-अलग आकृतियों में बनाया जाता है। इस तरह यह घुघुतिया पकवान परिवार के सभी लोग खाते हैं। सबसे पहले परिवार के छोटे बच्चों द्वारा यह घुघुतिया पकवान कौवे को खिलाया जाता है।

जम्मू-कश्मीर और पंजाब : जम्मू-कश्मीरा और पंजाब में यह पर्व उत्तरण अथवा माघी संक्रांत के नाम से जाना जाता है। जम्मू और पंजाब में इससे एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व भी मनाया जाता है और फिर मकर संक्रांति के पर्व के दिन से माघ मास का आरंभ होता है इसीलिए इसे माघी संक्रांत भी कहा जाता है। जम्मू और पंजाब के लोग भी माँह की दाल की खिचड़ी बनाते हैं और खाते हैं और उसका दान करते हैं। जम्मू और पंजाब के कुछ क्षेत्रों में ऐसे खिचड़ी वाला पर्व भी कहा जाता है।

इसके अलावा भी देश के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग नाम से जाना जाता है।

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति पर दान का महत्व मकर संक्रांति के पर्व में दान का विशेष महत्व है इस दिन दान पुण्य को बेहद शुभ माना जाता है। निर्धनों और जरूरतमंदों को वस्त्र धन तथा उपयोगी वस्तुओं का दान करना बेहद शुभ माना गया है। इस दिन उड़द की काली दाल का दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति आस्था का पर्व है। इस दिन सूर्य दक्षिण से उत्तर की दिशा की ओर गति करते हैं। दक्षिणायन को देवता की रात माना जाता है तो उत्तरायण को देवता का दिन माना जाता है, इसलिए सूर्य का उत्तरायण में प्रवेश करना बेहद शुभ माना गया है और इस दिन से देवताओं के दिन का आरंभ होता है। उत्तरायण को देवयान भी माना जाता है, इसलिए उत्तरायण में सभी शुभ कार्य किए जाते हैं।

मकर संक्रांति कैसे मनाए?

मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके नियमित पूजा पाठ करनी चाहिए। यदि आपके घर के निकट कोई पवित्र नदी है तो वहां पर जाकर स्नान कर सकते हैं। पवित्र नदियों में स्नान करने का इस दिन महत्व है।

यदि घर पर ही है तो स्नान के पश्चात अपने घर में स्थापित देवी-देवताओं की पूजा करें। सूर्य भगवान को जल का अर्ध्य दें। आपके क्षेत्र में जो भी प्रथा प्रचलित हो, उसके अनुसार पकवान बनाएं। विशेष कर उड़द की काली दाल की खिचड़ी बनाना विशेष शुभ माना जाता है। तिल के बने व्यंजन भी बना सकते हैं।

इस दिन बहुत से क्षेत्र में इस दिन पतंग उड़ाए जाने का रिवाज है। दोपहर और शाम को पतंग के उड़ाई जाती हैं। युवा लोग इस आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। पतंग उड़ाते समय तीखी धार वाले मांजे का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें। इससे अनेक पशु-पक्षियों को हानि पहुंचाने की आशंका रहती है। त्योहार कुछ ढंग से मनाया जो किसी के लिए कष्टायक हो, सभी जीवो पर दया करते हुए अपने आनंद को मनाना ही त्यौहार की सार्थकता को सिद्ध करता है।

मकर संक्रांति के दिन क्या-क्या दान करना शुभ रहता है?

मकर संक्रांति के दिन काली उड़द की दाल, चावल, गुड़, मूंगफली के दाने, तिल, सफेद कपड़ा, मूंग दाल, कंबल, चांदी के बर्तन, सफेद तिल आदि का दान करना बेहद शुभ फलदायी माना गया है।

 


ये भी पढ़ें…

प्राण-प्रतिष्ठा क्या है? ये क्यों की जाती है? हिंदू-सनातन धर्म में इसका क्या महत्व है?

हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

प्राण-प्रतिष्ठा क्या है? ये क्यों की जाती है? हिंदू-सनातन धर्म में इसका क्या महत्व है?

प्राण-प्रतिष्ठा (Pran-Pratishtha) क्या है? ये क्यों आवश्यक है? इसे कैसे किया जाता है? इन सभी का उत्तर आज हम जानेंगे…

प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ, उसका महत्व और प्राण प्रतिष्ठा की विधि (Pran-Pratishtha)

प्राण प्रतिष्ठा हिंदू सनातन धर्म में एक धार्मिक रीति है, जो किसी भी देवी-देवता के विग्रह अर्थात उसकी मूर्ति अथवा चित्र को पूजन योग्य एवं जीवंत बनाने की एक प्रक्रिया है।

प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा किसी भी देवी देवता से संबंधित उसके विग्रह उसकी मूर्ति, उसकी प्रतिमा, देवी-देवता का चित्र अथवा देवी-देवता से संबंधित यंत्र, माला आदि की संबंधित मंत्र के उच्चारण और षोडशोपचार पूजन द्वारा चैतन्यता जागृत की जाती है।

सनातन धर्म के अनुसार बिना प्राण-प्रतिष्ठित विग्रह व मूर्ति चित्र आदि की पूजा करने से पूजा का विशेष फल प्राप्त नहीं होता। किसी भी देवी देवता के विग्रह की पूजा करते समय उस विग्रह को प्राण-प्रतिष्ठित होना आवश्यक होता है।

प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है, प्राणों की स्थापना।

किसी भी देवी देवता की धातु की मूर्ति अथवा मिट्टी की मूर्ति अथवा किसी भी पदार्थ से बनी हुई मूर्ति जिसे विग्रह कहा जाता है अथवा उसके चित्र आदि को जब बनयाा जाता है तो वह केवल एक पदार्थ से बनी सरंचना ही होती है। उसमें संबंधित मंत्र के द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा के द्वारा चैतन्य जागृत किया जाता है। इस प्रकार उसमें प्राणों का संचार प्रतिस्थापन करके उसे जीवंत बनाया जाता है जिससे वह उत्पन्न होता है कि उसे व्यक्ति उसे विग्रह में संबंधित देवी देवता साक्षात शुक्ला रूप में उपस्थित हैं।

इसी कारण किसी भी मंदिर आदि में किसी भी देवी देवता की मूर्ति की स्थापना करने से पहले करते समय उसमें प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और उसमें प्राणों की स्थापना करके मूर्ति को चैतन्य जागृत किया जाता है। उसके बाद ही वह मूर्ति पूजा के योग्य हो जाती है। बिना प्राण प्रतिष्ठा के वह मूर्ति मात्र केवल एक साधारण मूर्ति के अलावा कुछ नहीं। उसमें प्राण-प्रतिष्ठा करके उसमें संबंधित देवी-देवता को सूक्ष्म रूप से स्थापित होने की भावना दी जाती है।

प्राण-प्रतिष्ठा कैसे की जाती है?

प्राण-प्रतिष्ठा करने के लिए सबसे पहले उस मूर्ति या विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए उचि मुहूर्त निकाला जाता है।

मुहूर्त निकालने के बाद जिस दिन प्राण-प्रतिष्ठा की जानी है, उस दिन मूर्ति-विग्रह को स्नान कराकर मूर्ति का श्रंगार करके वस्त्र धारण कराए जाते हैं। उसके बाद जिस जगह देवी या देवता की मूर्ति की स्थापना की जानी है। उस जगह पर मूर्ति को स्थापित कर दिया जाता है। उसके बाद उस देवी देवता से संबंधित बीज मंत्र का उच्चारण किया जाता है। हर देवी-देवता का एक बीच मंत्र होता है। फिर उस देवी-देवता का सूक्ष्म रूप में आह्वान किया जाता है।

देवी-देवता से संबंधित मंत्रों का जाप जाप किया जाता है फिर षोडशोपचार विधि द्वारा पूजन किया जाता है। षोडशोपचार विधि द्वारा पूजन का अर्थ है, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, फल-फूल, नैवेद्य द्वारा पूजन करना।

पूरा पूजन कार्य संपन्न होने के बाद विग्रह में पूरी तरह प्राप्त प्राणों की स्थापना हो जाती है और वह मूर्ति या विग्रह साक्षात उस देवी या देवता के जीवंत रूप का प्रतीक बन जाती है। ऐसी भावना हो जाती है कि वह देवी-देवता सूक्ष्म जीवंत रूप में साक्षात उस मूर्ति-विग्रह में उपस्थित हैं।उसके बाद वह मूर्ति-विग्रह भक्तों द्वारा नियमित पूजा के योग्य बन जाता है।

किस-किस की प्राण-पतिष्ठा की जाती है?

प्राण-प्रतिष्ठा केवल देवी-देवताओं की मूर्तियों की ही नहीं बल्कि संबंधित देवी-देवताओं के यंत्रों की भी जाती है। उस देवी देवता से संबंधित किसी भी वस्तु जैसे माला या यंत्र में भी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।

प्राण प्रतिष्ठा करने से वह माला, यंत्र अथवा अन्य कोई पूजन सामग्री उस विशेष चैतन्य प्रभाव से युक्त हो जाती है। यदि उस प्राण-प्रतिष्ठित माला या यंत्र का प्रयोग पूजा में किया जाता है तो पूजा में जल्दी और विशेष सफलता प्राप्त होती है।

बिना प्राण-प्रतिष्ठित विग्रह की पूजा करने से पूजा का पूरा और तीव्र प्रभावी फल नही मिलता है। उसी प्रकार बिना प्राण-प्रतिष्ठित माला या यंत्र का प्रयोग करने से भी जिस प्रयोजन के लिए पूजा अनुष्ठान कर रहे हैं उसमे सफलता नही मिलती है।

प्राण-प्रतिष्ठा का महत्व

साधना-सिद्धि के क्षेत्र में प्राण-प्रतिष्ठा का बेहद महत्व है। साधना करते समय हर उपयोगी सामग्री प्राण-प्रतिष्ठित होनी आवश्यक है। साधना करते समय प्राण-प्रतिष्ठित माला से मंत्र जाप करना चाहिए। इसके अलावा जिस देवी देवता की साधना-अनुष्ठान कर रहे हैं, उससे संबंधित यंत्र भी प्राण-प्रतिष्ठित होना चाहिए। जिस विग्रह का प्रयोग कर रहे हैं, वह विग्रह भी प्राण-प्रतिष्ठित होना चाहिए। प्राण प्रतिष्ठित होने से जो साधन अनुष्ठान किया जा रहा है उसके सफल होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।

किसी भी मंदिर या देवालय में प्राण प्रतिष्ठा के बिना कोई भी विग्रह स्थापित नही किया जाता है। मंदिर में देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठित मूर्ति की ही स्थापना की जाती है।


ये भी पढ़ें…

देवरहा बाबा कौन थे? देवरहा बाबा का पूरा जीवन परिचय जानिए।

सफला एकादशी क्या है? सफला एकादशी की पूजा-विधि और महत्व जानें।

हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

गुणों से भरपूर है लहसुन, एक नही है अनेकों है गुण।

सफेद रंग का छोटा सा कंद लहसुन घर-घर में प्रयोग किया जाता है। ये अनेक गुणों से युक्त होता है। इसके गुणों (Benefits of Garlic) को जानते हैं…

गुणों की खान है लहसुन – सारे गुणों को जानें (benefits of garlic)

हर घर में इस्तेमाल होता है लहसुन। इसका प्रयोग सदियों से घर-घर में मसाले तथा औषधि के रूप में किया जाता है। समस्त भारत में इसकी खेती की जाती है। गुणों से भरपूर है लहसुन, एक नही है अनेकों है गुण होते है। आइये लहसुन के अद्भुत फायदों को जानते हैं…

लहसुन (Garlic) क्या है?

लहसुन एक सफेद रंग का तीव्र गंध वाला कंद है जो जमीन के अंदर उगाया जाता है। इसमें अम्ल रस को छोड़कर शेष पाँचों रस विद्यमान होते हैं । इसकी गन्ध उग्र होती है, इसलिए इसे उग्रगन्धा भी कहते हैं । इसके शल्ककन्द को लहसुन कहा जाता है। इसके अन्दर लहसुन की 5-12 कली होती है। इसे रसोन भी कहा जाता है।

अलग-अलग भाषाओं में इसके अलग-अलग नाम है…

  • संस्कृत : लहसुन , रसोन , उग्रगन्ध , महौषध, म्लेच्छकन्द, यवनेष्ट, रसोनक
  • हिन्दी : लहसुन, लशुन
  • कन्नड़ : बेल्लुल्लि (Bellulli)
  • गुजराती : शूनम (Shunam), लसण (Lasan)
  • तेलुगु : वेल्लुल्लि (Velulli), तेल्लागडडा (Tellagadda)
  • तमिल  : वेल्लापुंडू (Vallaipundu), वल्लाई पुन्डु (Vallai pundu)
  • बंगाली : रसून (Rasoon)
  • नेपाली : लसुन (Lasun)
  • मराठी : लसूण (Lasun)
  • मलयालम : वेल्लुल्ली (Vellulli)।
  • अंग्रेजी : कॉमन गार्लिक (Common garlic);
  • अरबी : सूम (Soom), फोम (Foam);
  • फारसी : सीर (Seer)।

साद्रपुष्प रसोन (Allium schoenoprasum Linn) : उपरोक्त वर्णित रसोन की मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त इसकी निम्नलिखित दो प्रजातियां पाई जाती हैं । जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है ।

इसके शल्ककन्द पूर्णतया परिपक्व हो जाने पर पतले, श्वेत रंग के आवरण से युक्त होते हैं, इसका कंद चिकना तथा गोलाकार होता है। इसके पत्ते सुषिर (पोले), गोलाकार, भूरे वर्ण के तथा चमकीले होते हैं । इसके पुष्प हल्के बैंगनी वर्ण की आभा से युक्त होते हैं। इसके शल्ककन्द का प्रयोग उदरकृमियों की चिकित्सा हेतु किया जाता है । इसके पत्ते तथा शल्ककन्द में आक्सीकरण-रोधी क्रिया पाई जाती है ।

वन्य रसोन (Allium tuberosum Roxb) : इसके पत्ते चपटे तथा हरे रंग के होते हैं । इसके पुष्प श्वेत वर्ण के होते हैं । पहाड़ी स्थानों में इसके पत्तों का प्रयोग दाल, कढ़ी व सब्जियों में छौंक लगाने के लिए किया जाता है । इसके बीजों का प्रयोग शुक्रमेह की चिकित्सा में किया जाता है ।

लहुसन का सेवन करने से इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद मिल सकती है । सर्दी और फ्लू जैसे वायरस के कारण होने वाली बीमारियों से सुरक्षा देने और खांसी, बुखार, सर्दी के लक्षणों को कम करने में लहसुन के सेवन के लाभ देखे गए हैं । रोजाना लहसुन की दो कलियां खाना सेहत को लाभ दे सकता है ।

आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव

लहसुन की नाल मधुर तथा पित्तकारक होती है । लहसुन तिक्त, कषाय, लवण, कटु, (अम्लवर्जित पंचरसयुक्त), तीक्ष्ण, गुरु, उष्ण तथा वातकफशामक होती है ।

यह दीपन, रुचिकारक, बृंहण, वृष्य, स्निग्ध, पाचक, सारक, भग्नसंधानकारक, पिच्छिल, कण्ठ के लिए हितकारी, पित्त तथा रक्तवर्धक, यह बल तथा वर्ण को उत्पन्न करने वाला, मेधाशक्ति वर्धक, नेत्रों के लिए हितकर, रसायन, धातुवर्धक, वर्ण, केश तथा स्वर को उत्तम बनाने वाली होती है ।

यह हिक्का, हृद्रोग, जीर्णज्वर, कुक्षिशूल, विबन्ध, गुल्म, अरुचि, कास, शोथ, अर्श, कुष्ठ, अग्निमांद्य, श्वास, कृमि, अजीर्ण तथा ज्वर शामक है।

लहसुन का सेवन किन्हें नही करना चाहिए?

पाण्डु रोग, उदर रोग, उरक्षत, शोथ, तृष्णा, पानात्यय, वमन, विषजन्य विकार, पैत्तिक रोग, नेत्ररोग से पीड़ित तथा दुर्बल शरीर होने पर लहसुन (रसोन) का सेवन नहीं करना चाहिए ।

लहसुन सेवन करने वालों के लिए हितकर तथा अहितकर पदार्थ

मद्य, मांस तथा अम्लरस-युक्त भक्ष्य पदार्थ लहसुन सेवन करने वालो के लिए हितकर होते हैं । व्यायाम, आतप (धूप) सेवन, क्रोध करना, अत्यन्त जलपान, दूध तथा गुड़ इनका सेवन करने वाले मनुष्यों को लहसुन का सेवन करना अहितकर होता है । शीतल जल, गुड़ तथा दूध का अधिक सेवन करने वाले और पिष्टी (उड़द की पीठी), अम्ल रस तथा मद्य से द्वेष करने वाले व्यक्ति को अत्यधिक तीक्ष्ण पदार्थों के साथ तथा अजीर्ण (अपच) में रसोन सेवन करना अहितकर होता है ।

लहसुन का शल्ककन्द

श्वसनिकाशोथ, विबन्ध, आमवात, ज्वर, रक्तभाराधिक्य, मधुमेह, कृमिरोग, जीवाणु तथा कवक-संक्रमण शामक होता है । रसोन – रक्तभाराधिक्य तथा धमनी काठिन्य रोगियों में प्रकुंचनीय तथा अनुशिथिल धमनी तनाव को ठीक करता है तथा रक्त कोलेस्टेरॉल स्तर को कम करता है । इसका प्रयोग उच्च रक्तगत वसा (Hyperlipidaemia) एवं अल्प रक्तचाप (Mild hypertension) के उपचार के लिए किया जाता है । इसमें जीवाणुनाशक गुण पाए जाते हैं ।

लहसुन के फायदे

लहसुन से अनेक रोगों, विकारों और समस्यायों में लाभ मिलता है। जो कि इस प्रकार हैं।

गंजापन

लहसुन को तिल तेल में पकाकर, छानकर, तेल को सिर में लगाने से खालित्य (गंजापन) में लाभ होता है ।

सिर में होने वाले दाद (शिरोगत दद्रु)

लहसुन को पीसकर सिर पर लगाने से सिर में होने वाली दाद का शमन होता है ।

सिरदर्द (आधासीसी)

लहसुन को पीसकर मस्तक पर लगाने से आधासीसी की वेदना का शमन होता है ।

कान में दर्द (कर्णशूल)

लहसुन, अदरख, सहिजन, मुरङ्गी, मूली तथा केले के रस को किंचित् उष्ण (गुनगुना) करके, कान में डालने से कर्णशूल (कान के दर्द) का शमन होता है ।

लहसुन को अर्कपत्र में लपेट कर, आग में गर्म कर, फिर लहसुन का रस निकाल कर 1-2 बूंद रस को प्रातःकाल कान में डालने से वात तथा पित्तजन्य कर्णस्राव में लाभ होता है ।

रसोन स्वरस में लवण मिलाकर 1-2 बूंद कान में डालने से कान की वेदना का शमन होता है ।  सरसों के तैल में लहसुन को पकाकर छानकर, 1-2 बूंद कान में डालने से कर्णशूल का शमन होता है ।

स्तन्यवृद्धि

लहसुन का सेवन करने से स्तन्य की वृद्धि होती है ।

दमा में लाभ

5 मिली लहसुन स्वरस को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से दमा में लाभ होता है । श्वास (दमा) में लहसुन तथा प्याज के रस का नस्य (नाक में डालना) लेने से लाभ होता है ।

हृदय रोग

10 मिली रसोन क्वाथ में दुग्ध मिलाकर अल्प मात्रा में प्रयोग करने से उदावर्त, गृध्रसी, राजयक्ष्मा हृदय रोगों में लाभ होता है ।

वातज गुल्म

(लहसुन क्षीर) सूखे हुए छिलका रहित 200 ग्राम लहसुन में 8-8 गुना दूध एवं जल मिलाकर दूध शेष रहने तक पकाकर, छानकर (15-20 मिली मात्रा में) पीने से वातगुल्म, पेट फूलना (उदावर्त), गृध्रसी, विषमज्वर (मलेरिया), हृद्रोग, विद्रधि तथा शोथ (सूजन) में शीघ्र लाभ होता है ।

विसूचिका

लहसुनादि वटी (लहसुन, जीरा, सेंधानमक, गंधक, सोंठ, मरिच, पिप्पली, हींग) का सेवन करने से विसूचिका रोग में शीघ्र लाभ होता है।

वात-विकार

लहसुन स्वरस से सिद्ध तिल तैल का प्रयोग सभी प्रकार के वात-विकारों का शमन करता है । वातरोग में लहसुन का प्रयोग श्रेष्ठ है ।

लहसुन का रसायन विधि से सेवन करने से पित्त तथा रक्त के आवरणों के अतिरिक्त वात के सभी आवरणों का शमन होता है।

प्रतिदिन लहसुन के कल्क तथा स्वरस से सिद्ध तैल का सेवन करने से दुर्निवार्य वात रोग में भी शीघ्र लाभ मिलता है ।

मुख का लकवा (अर्दित)

लहसुन कल्क (1-2 ग्राम) को तैल तथा घृत के साथ सेवन करने से अर्दित (मुख का लकवा) रोग में लाभ होता है ।

वातव्याधि

लहसुन के कल्क (1-2 ग्राम) को तिल तैल तथा सेंधानमक के साथ खाने से सम्पूर्ण वातरोगों तथा विषमज्वर का शमन होता है । 7 दिन तक प्रतिदिन बढ़ाते हुए लहसुन कल्क को दूध, तैल, घी अथवा चावल आदि के साथ खाने से वातजन्य विकार, विषमज्वर, गुल्म, प्लीहा, शूल, शुक्रदोष आदि रोगों का शमन होता है । शीतकाल में अग्नि एवं बल के अनुसार लहसुन का सेवन अन्न निर्मित भोज्य पदार्थों के साथ करना चाहिए ।

गर्दन का जकड़ना

उड़द की दाल को लहसुन के साथ पीसकर, सेंधानमक, अदरख कल्क तथा हींग चूर्ण मिलाकर, तिल तैल में उसका वटक छान कर खाने से हनुस्तम्भ (गर्दन का जकड़ना) में लाभ होता है ।

प्रतिदिन प्रातःकाल लहसुन (1-2 ग्राम) कल्क में सेंधानमक तथा तिल तैल मिलाकर खाने से हनुग्रह (गर्दन का जकड़ना) में लाभ होता है ।

लकवा

लहसुन, सोंठ तथा र्निगुण्डी के क्वाथ (10-15 मिली) का सेवन करने से आम का पाचन होकर आमवात में लाभ होता है । जल के अनुपान से 2-4 ग्राम रसोन कल्क का सेवन करने से आमवात (लकवा) सर्वांगवात, एकांगवात, अपस्मार, मंदाग्नि, विष, उन्माद (पागलपन), भग्न, शूल (दर्द) आदि रोगों में लाभ होता है ।

मोच तथा स्नायुशूल

रसोन स्वरस में लवण मिलाकर लेप करने से स्नायुशूल तथा मोच में लाभ होता है ।

वात विकार

लहसुन को तैल में पकाकर, छानकर मालिश करने से वात विकारों का शमन होता है । प्रतिदिन प्रातःकाल 1-2 ग्राम लहसुन कल्क में घी मिला कर सेवन करने से वातविकारों का शमन होता है ।

त्वचारोग

लहसुन को पीसकर व्रण, शोथ, विद्रधि तथा फून्सियों में लगाने से लाभ होता है ।

त्वचा विकार

लहसुन को राई के तैल में पकाकर छानकर तैल की मालिश करने से त्वचा-विकारों का शमन होताहै ।

मलेरिया (विषमज्वर)

भोजन से पूर्व लहसुन कल्क में तिल तैल मिलाकर खाने के पश्चात्, मेदवर्धक आहार का सेवन करने से विषमज्वर (मलेरिया) में लाभ होता है ।

ज्वर

शीत तथा कम्पयुक्त-ज्वर में लहसुन का प्रयोग प्रशस्त होता है ।

रसायन

एक वर्ष तक प्रतिदिन 1 ग्राम लहसुन में 5 ग्राम घी तथा थोड़ा मधु मिलाकर, खाकर, अनुपान में दूध पीने से शरीर सम्पूर्ण रोगों से मुक्त होकर दीर्घायु होता है । इस अवधि में आहार में चावल तथा दूध का प्रयोग करना चाहिए।

बिच्छू (वृश्चिक विष)

लहसुन को अमचूर के साथ पीसकर वृश्चिक दंशस्थान पर लगाने से दंशजन्य-विषाक्त प्रभावों का शमन होता है।

प्रयोग करने वाले भाग

(प्रयोज्याङ्ग) शल्ककंद कलिका तथा फल।

मात्रा – कल्क 2-4 ग्राम । क्वाथ 10-15 मिली । चिकित्सक के परामर्शानुसार।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए लहसुन का इस्तेमाल

लहसुन हर घर में इस्तेमाल में लाया जाता है । लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार होता है । लहसुन से हाई बी.पी को नियंत्रित कर सकते हैं ।

गुणों से भरपूर है लहसुन, एक नही है अनेकों है गुण से युक्त है । हमें घर में इसका इस्तेमाल करके अपनी बीमारियों को ठीक करना चाहिए । लहसुन बहुत ही गुणकारी होता है । यदि लहुसन का सही से इस्तेमाल किया तो यह हमारे लिए बहुत उपयोगी होता है।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

Post topic: Benefits of Garlic, लहसुन के फायदे, लहसुन के लाभ, लहसुन के गुण, Lehsun ke fayade, lehsun ks gun, benefits of Garlic.

ये भी पढ़ें

एलोवेरा के क्या लाभ है और इसकी क्या हानियां है, समझ लीजिए।

हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

एलोवेरा के क्या लाभ है और इसकी क्या हानियां है, समझ लीजिए।

एलोवेरा के नाम से कौन परिचित नही है। औषधीय गुणों से युक्त इस पौधे की अनेक विशेषताएं होती हैं। आइए इसके लाभ और हानि (Advantages and disadvantages of Aloe Vera) को जानते हैं।

एलोवेरा के लाभ और हानि (Advantages and disadvantages of Aloe Vera)

एलोवेरा (Aloe Vera) औषधीय गुणों से युक्त एक बेहद गुणकारी पौधा है। भारत में इसे घृतकुमारी, ग्वारपाठा अथवा कारंगदल के नाम से भी जाना जाता है। औषधीय गुणों से युक्त इस पौधे की अनेक विशेषताएं होती हैं। इसके अनेक लाभ हैं। इस तरह एलोवेरा का प्रयोग के प्रभावी औषधीय पौधे के रूप में किया जाता है तो इसकी कुछ हानियाँ भी हैं। इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों (Advantages and disadvantages of Aloe Vera) को समझते हैं।

एलोवेरा : लाभ और हानि

एलोवेरा एक बेहद गुणकारी पौधा है। अपने अत्याधिक औषधीय गुणों की वजह से इसे औषधीय पौधा भी कहा जाता है। आज के समय में एलोवेरा के औषधीय गुण से सभी परिचित हो रहे हैं। इसी कारण यह पौधा हर घर में मिलने लगा है। एलोवेरा पर आधारित उत्पाद आज बेहद प्रचलित है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम होते हैं।

एलोवेरा पौधा पोषक तत्वों का खजाना होता है। इस पौधे के अनेक गुण होते हैं। मूल रूप एलोवेरा की उत्पत्ति के विषय में कहा जाता है कि यह उत्तरी अफ्रीका में उत्पन्न हुआ था। धीरे-धीरे यह पौधा संसार के सभी भागों में फैल गया। इस पौधे के औषधीय गुण लगभग हर जगह स्वीकारे गये हैं।

भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी एलोवेरा का घृतकुमारी के रूप में उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद में घृतकुमारी का उपयोग प्राचीन समय से किया जाता रहा है। एलोवेरा अनेक रोगों में लाभदायक होता है। यह शरीर के अनेक विकारों को दूर करता है। एलोवेरा का जूस औषधीय गुणों से युक्त होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, इसमें कार्बोहाइड्रेट, शुगर, सोडियम, कैल्शियम, विटामिन-सी, आयरन जैसे पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

एलोवेरा के लाभ (Benefits of Alovera)

एलोवेरा के लाभ इस प्रकार हैं…

त्वचा के लिए लाभदायक

एलोवेरा का जूस त्वचा के लिए बेहद लाभदायक होता है। इसके जूस का नियमित सेवन करने से त्वचा के कोलेजन स्तर में बढ़ोतरी होती है और बढ़ती आयु के लोगों में झुर्रियों को बढ़ने से रोका जा सकता है।

डायबिटीज में लाभदायक

एलोवेरा का जूस का नियमित सेवन करने से ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है। डायबिटीज के लोगों के लिए यह बेहद लाभदायक है। इसके नियमित सेवन से डायबिटीज को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

पाचन तंत्र में लाभदायक

एलोवेरा का जूस पाचन तंत्र के लिए बेहद लाभदायक होता है। इसके जूस का नियमित सेवन करने से कब्ज जैसे रोग से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा एसिडिटी तथा सीने में जलन जैसी पाचन संबंधी समस्याओं के निराकरण करने में भी एलोवेरा का जूस बेहद लाभदायक है।

मुख के रोगों के लिए लाभदायक

एलोवेरा एंटीमाइक्रोबॉयल गुणों से युक्त होता है। इसके जूस को थोड़ी देर मुँह में रखने से मुँह में दर्द या सूजन आदि में राहत मिलती है। 1 महीने तक रोज 30 मिलीलीटर एलोवेरा का जूस का सेवन करने से ना केवल मुँह की दुर्गंध दूर होती है बल्कि मुँह में अंदर किसी भी तरह के दर्द या सूजन आदि की समस्या से भी राहत मिलती है। मुँह के छालों के लिये एलोवेरा का जूस बेहद प्रभावकारी है। एलोवेरा का जूस माउथवॉश करने के लिए बेहद लाभकारी है और यह दाँतों की सेंसिटिविटी तथा दाँतो के दर्द आदि के लिए भी लाभदायक है।

इंफेक्शन में लाभकारी

एलोवेरा के जूस में एंटीऑक्सीडेंट पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, जो किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं।

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में लाभदायक

एलोवेरा का जूस का नियमित सेवन करने से शरीर का कोलेस्ट्रोल धीरे-धीरे कम होने में मदद मिलती है ।

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम के लिए लाभदायक

एलोवेरा में वह तत्व होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को पुष्ट करते हैं और शरीर में होने वाले संक्रमण को नष्ट करते हैं। इस तरह इसके जूस का नियमित सेवन करने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।

तनाव में राहत

एलोवेरा का जूस तनाव को कम करने में भी लाभदायक है। ये रक्त प्रवाह में सुधार लाता है। एलोवेरा के जूस से नियमित सेवन करने से शरीर में रक्त प्रवाह परिसंचरण में सुधार होता है।

एलोवेरा के नुकसान

जहाँ एलोवेरा के अनेक लाभ हैं, वहीं इसके कुछ नुकसान भी हैं, जो इस प्रकार हैं।

एलोवेरा के अत्याधिक उपयोग से त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

इसका अधिक इस्तेमाल त्वचा पर रैशेज की समस्या उत्पन्न कर सकता है।

एलोवेरा का जूस हाई ब्लड प्रेशर से परेशान लोगों के लिए लाभदायक है क्योंकि यह ब्लड शुगर को कम करता है, लेकिन लो ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। इसलिए लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को एलोवेरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

एलोवेरा का जूस सुबह-सुबह खाली पेट पीने से डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

 

पालक के फायदे : पोषक तत्वों से भरपूर है ये वनस्पति

हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

 

बाथरूम और वॉशरूम के बीच अंतर को समझें।

सामान्य बोलचाल की भाषा में बाथरूम और वाशरूम का बहुत उपयोग करते हैं। अक्सर बाथरूम और वाशरूम (Bathroom Vs Washroom) के बीच के अंतर को नही समझ पातें, आइए बाथरूम और वाशरूम के बीच के अंतर को जानते हैं…

बाथरूम और वॉशरूम दोनों शब्द हर किसी के जीवन में रोजमर्रा के जीवन में बोले जाने वाले शब्द हैं। बाथरूम और वॉशरूम दे ऐसी जगह हैं, जिसकी हर व्यक्ति को जरूरत पड़ती है। कहने को तो दोनों शब्द अंग्रेजी के हैं, लेकिन अब यह हिंदी भाषा में भी ये शब्द कॉमन शब्द हो गए हैं।

बाथरूम शब्द तो हम सब अनेक वर्षों से सुनते आ रहे हैं, लेकिन लगभग 15-20 वर्षों से वॉशरूम शब्द का भी प्रचलन हो गया है। नहीं तो पहले वॉशरूम शब्द इतना कॉमन शब्द नहीं था।

अक्सर लोग बाथरूम और वॉशरूम को एक ही समझ लेते हैं और बाथरूम की जगह वॉशरूम तथा वॉशरूम की जगह बाथरूम शब्द को भी बोल देते हैं। लेकिन यह जानने वाली बात है कि दोनों शब्दों का अर्थ अलग है। दोनों शब्द अलग-अलग जगह के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इन दोनों शब्दों के बीच अंतर (Bathroom Vs Washroom) को जानते हैं।

बाथरूम क्या है? (What is Bathroom?)

बाथरूम, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है, नहाने की जगह। अर्थात वह जगह जहाँ पर हम सभी नहाते हैं। बाथरूम शब्द हमारी जिंदगी में हम और उन सब से ही सुनते आए हैं। बाथरूम शब्द का मतलब सब यही जानते थे कि जगह नहाने की जगह। सभी बाथरूम शब्द का प्रयोग नहाने के जगह के लिए वर्षों के करते रहे हैं।

हिंदी भाषा में अंग्रेजी के कुछ शब्दों का अपना अलग अर्थ भी विकसित कर लिया और शब्द के अर्थ का देसी अवतार भी बना दिया। इसी कारण हिंदी भाषा और अन्य भारतीय भाषाओं में ‘बाथरूम’ शब्द पेशाब करने से संदर्भ में भी आम जनता प्रयोग करने लगी। जिस किसी को पेशाब लगी होती वो बोलता है कि मुझे बाथरूम लगी है या बाथरूम करने जाना है।

इस तरह बाथरूम शब्द प्रयोग इस संदर्भ में ऐसे लोगों के बीच अधिक होने लगा जो आमजन थे और अंग्रेजी में निपुण नही होते थे।

बाथरूम का सही अर्थ क्या है?

‘बाथरूम’ यानि वह जगह जहाँ पर नहाने की सुविधा होती है। वह छोटा सा कमरा, जहाँ पर नहाने के लिए बाल्टी हो, या फव्वारा (शॉवर) लगा हो, नहाने के लिए नल लगा हो, या बाथटब हो या वॉशबेसिन होता है।

किसी भी इमारत में वह छोटा सा कमरा जहाँ पर नहाया जा सकता हो, वो बाथरूम है। बाथरूम में जरूरी नही कि टॉयलेट सीट भी हो, या यूरिन करने की व्यवस्था हो। लेकिन बाथरूम में नहाने की सुविधा जरूर होती है।

बाथरूम लिंग यानि जेंडर पर आधारित नही होते। सामान्यतः बाथरूम घरों या निजी इमारतों में ही पाये जाते हैं, अथवा होटलों में या ठहरने की जगह पर होते हैं। आमतौर पर बाथरूम सभी के कॉमन प्रयोग के लिए होते हैं।

वॉशरूम क्या है? (What is Washroom?)

वॉशरूम, यह शब्द हमारे जीवन में 15-20 वर्षों से प्रचलन में आया है। पश्चिम में शायद यह सब पहले से बोला जाता रहा हो लेकिन भारत में वॉशरूम शब्द अभी हाल-फिलहाल के वर्षों में ही सामान्य रूप में लोकप्रिय हुआ है।

लेकिन लोग बाथरूम को वॉशरूम ही समझ लेते हैं और बाथरूम के लिए वॉशरूम शब्द का ही प्रयोग कर लेते हैं। वॉशरूम वह जगह है, जहाँ पर फ्रेश होने के लिए जाते हैं।

वॉशरूम के अंदर टॉयलेट सीट होती है, सिंक यानि वाशबेसिन होता है। नल होता है तथा कपड़े बदलने की व्यवस्था भी हो सकती है। वॉशरूम में नहाने की सुविधा हो, यह आवश्यक नहीं। वहाँ पर बाथटब हो ये भी जरूरी नही है। वॉशरूम में टॉयलेट सीट, यूरिनल पॉट और सिंक (वॉशबेसिन) होना जरूरी है। आधुनिक हाईटेक वॉशरूम में कपड़े बदलने की भी सुविधा हो सकती है।

वॉशरूम सामान्यतः सार्वजनिक इमारतों में पाई जाते हैं। हम किसी मॉल में शॉपिंग करने जाते हैं अथवा किसी मूवी थिएटर में मूवी देखने जाते हैं, तो फ्रेश होने के लिए जिस कक्ष का प्रयोग करते हैं, वह वॉशरूम है। वह बाथरूम नहीं है क्योंकि वहाँ पर फ्रेश होने की सुविधा है। यूरिनल एवं टॉयलेट की सुविधा है। लेकिन नहाने की सुविधा नहीं होती है।

वॉशरूम में जाकर फ्रेश तो हुआ जा सकता है, कपड़े बदले जा सकते हैं। लेकिन नहाने की सुविधा हो, ऐसा आवश्यक नहीं। वॉशरूम नहाने की जगह नहीं बल्कि हाथ-मुँह धोने, फ्रेश होने, कपड़े बदलने, यूरिन-टॉयलेट की जगह है।

वॉशरूम जेंडर आधारित होते हैं, क्योंकि वॉशरूम अधिकतर सार्वजनिक इमारतों आदि में ही पाए जाते हैं, इसलिए वॉशरूम स्त्री-पुरुषों के लिए अलग-अलग होते हैं।

…तो अब हमें बाथरूम और वॉशरूम (Bathroom Vs Washroom) के बीच अंतर समझ आ गया होगा। आज ही इस अंतर समझकर व्यवहार करें।

Topic : Bathroom Vs Washroom में अंतर


ये भी पढ़ें…

प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर लक्षद्वीप को जानिए और वहाँ पर घूमकर आइए। लक्षद्वीप कैसे जाएं? पूरी टूरिस्ट गाइड जानिए।

लक्षद्वीप भारत का एक केंद्र शासित आईलैंड है, जहाँ पर बेहद खूबसूरत समुद्री बीच हैं। हिंदी महासागर में स्थित इस सुंदर भारतीय द्वीप समूह (Lakshadweep complete guide) को जानते हैं…

छोटे से भारतीय द्वीप लक्षद्वीप को जानें, कैसे जाएं लक्षद्वीप (Lakshadweep complete guide)

लक्षद्वीप भारत के दक्षिण-पश्चिम तट के पास बैठा हुआ भारत का एक खूबसूरत आइलैंड है, जो अरब सागर में स्थित है। यह छोटे-छोटे द्वीपों का एक समूह है।

आजकल का लक्षद्वीप का नाम काफी सुनने को मिल रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप विजिट के बाद से लक्षद्वीप का नाम काफी चर्चा में आया था। उसके बाद मालद्वीप के बीच में कूदने से लक्षद्वीप और अधिक चर्चा में आ गया।

भारत के लोग अभी तक लक्षद्वीप को भारत के एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में हीजानते थे, लेकिन यह एक खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी बन सकता है, यह अब लोगों को पता चल रहा है और इसकी तुलना मालदीव्स से ही की जा रही है।

लक्षद्वीप और मालदीव में मुख्य अंतर यही है कि मालदीव एक छोटा सा द्वीपीय देश है, जो लक्षद्वीप की तरह ही बीच समुद्र में स्थित है और छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है। जबकि लक्षद्वीप भारत का एक द्वीपीय प्रदेश है, जो मालदीव के जैसी ही प्राकृतिक सुंदरता रखता है और ये भी अनेक छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है।

 

लक्षद्वीप कहाँ पर स्थित है और लक्षद्वीप की भौगोलिक संरचना और इतिहास क्या है?

लक्षद्वीप भारत के उत्तरी-पश्चिमी दिशा में स्थित छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है। यह अरब सागर में स्थित है। भारत की मुख्य भूमि से इसकी दूरी लगभग 400 किलोमीटर है। लक्षद्वीप से भारत की मुख्य भूमि का सबसे नजदीक शहर केरल का कोच्चि पड़ता है। केरल के कोच्चि शहर से लक्षद्वीप की दूरी लगभग 400 किलोमीटर है।

लक्षद्वीप को पहले ‘लक्कादीव-मिनिकॉय-अमिनीदिवि द्वीप’ के नाम से भी जाना जाता था। भारत सरकार की लक्षद्वीप की वेबसाइट के अनुसार लक्षद्वीप का क्षेत्रफल 32 वर्ग किमी है। इस द्वीप समूह में कुल 36 द्वीप छोटे-बड़े द्वीप हैं। इनमें से केवल 10 द्वीपों पर ही मानव आबादी बसती है। 17 द्वीप निर्जन हैं. यानि वहाँ पर कोई नही रहता है। चार द्वीप नए-नए बने आइलेट है और 5 जलमग्न रीफ हैं।

जिन द्वीपों पर मानव आबादी बसती है, उनमें कवारत्ती, अगात्ती, अमिनी, कदमत, किलातन, चेतलाट, बिट्र्रा, आन्दोट, कल्पनी और मिनिकॉय हैं। कवरत्ती लक्षद्वीप की राजधानी है। यहाँ पर आबादी भी सबसे अधिक है तो बिटररा द्वीप पर आबादी सबसे कम है।

लक्षद्वीप की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 64000 है। यहाँ की 95% आबादी इस्लाम धर्म को फॉलो करती है। मिनिकॉय द्वीप को छोड़कर सभी द्वीपों रहने वाली आबादी मलयालम भाषा बोलती है। इसका मुख्य कारण भारतीय केरल यहाँ से सबसे अधिक निकट है। मिनिकॉय द्वीप पर माही या माह्ल भाषा बोली जाती है।

लक्षद्वीप का इतिहास

लक्षद्वीप के इतिहास की बात की जाए तो यहाँ पर भले ही अभी इस्लाम धर्म के अनुयाई सबसे अधिक रहती हो, लेकिन इससे पहले यहां पर हिंदू तथा बौद्ध धर्म का प्रभाव क्षेत्र था और यहां की अधिकतर जनसंख्या हिंदू और बौद्ध धर्म को का पालन करती थी। इस द्वीप समूह पर राजा चेरामल पेरुणल का शासन था। हिंदू राजा चेरामन पेरूमल का शासन था। सातवीं शताब्दी के बाद यहां पर परिवर्तन हुआ और धीरे-धीरे इस्लाम धर्म ने यहाँ पर पांव पसारने शुरू कर दिए।

9वीं शताब्दी में यहां पर इस्लाम धर्म का अभ्युदय हुआ और धीरे-धीरे यहां पर इस्लाम धर्म के पालन करने वाले अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी। बाद में अंग्रेजों के भारत आगमन पर कुछ समय तक लक्षद्वीप पर टीपू सुल्तान का भी शासन रहा। बाद में अंग्रेजों के भारत आगमन के बाद यहां पर अंग्रेजों ने अपना अधिकार स्थापित कर लिया था।

अगर लक्षद्वीप घूमने जाना हो तो कैसे जाएं?

लक्षद्वीप में पर्यटन उद्योग अभी विकास की अवस्था में है और भारत सरकार द्वारा यहां पर पर्यटन को विकसित करने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इसे भारत का नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं।

लक्षद्वीप एक प्रतिबंधित द्वीप है। यहाँ पर पहुँचने के बाद अपनी ऑफिशियल एंट्री दर्ज करानी होती है। लक्षद्वीप के सभी द्वीप पर जाने की अनुमति नही है, अगर जाना भी हो तो भी सरकार की परमीशन लेनी होती है।

फिलहाल भारत से लक्षद्वीप जाने के लिए बहुत अधिक सुविधा नहीं है। भारत की राजधानी दिल्ली से अधिक लक्षद्वीप जाना हो तो ना तो सीधे कोई फ्लाइट है और ना ही कोई ट्रेन है, क्योंकि ट्रेन तो होने का सवाल ही नहीं होता क्योंकि लक्षद्वीप समुद्र में स्थित है।

अगर लक्षद्वीप जाना हो तो सबसे पहले केरल के एर्नाकुलम साउथ रेलवे स्टेशन जाना होगा। वहां से समुद्री मार्ग के द्वारा अथवा फ्लाइट के द्वारा लक्षद्वीप पहुंचा जा सकता है। एर्नाकुलम कोच्चि शहर का ही सेंट्रल प्वाइंट है।

दिल्ली से एर्नाकुलम के लिए कई ट्रेनें हैं। एर्नाकुलम से लक्षद्वीप जाने के लिए समुद्री मार्ग से जाना हो तो भारतीय नौवहन निगम द्वारा कोच्चि से कई तरह की फेरी सेवाएं चलाई जाती हैं। समुद्र मार्ग द्वारा कोच्चि से लक्षद्वीप पहुंचने का 12 से 20 घंटे तक लग जाता है।

यदि वायु मार्ग से जाना हो तो कोच्चि एयरपोर्ट से लक्षद्वीप के अगात्ती द्वीप पर अगात्ती हवाई अड्डे तक के लिए फ्लाइट मिल जाएगी। जहाँ से डेढ़ घंटे में वायु मार्ग द्वारा लक्षद्वीप पहुंचा जा सकता है। फिलहाल दिल्ली, मुंबई, चेन्नई अथवा भारत के किसी भी मुख्य शहर से सीधे लक्षद्वीप के किसी भी द्वीप के लिए सीधी फ्लाइट नहीं है।

कुछ कंपनियां सीधी फ्लाइट की सेवा उपलब्ध करा भी रही है तो भी वह फ्लाइट अलग-अलग दो-तीन जगह पर रुक कर जाती है जिससे काफी अधिक समय लगता है और किराया भी काफी मंहगा होता है। बेहतर यही होगा कि दिल्ली से या भारत के किसी शहर से कोच्चि एयरपोर्ट तक फ्लाइट पकड़ी जाए और वहाँ से लक्षद्वीप के लिए आसानी से जाया जा सकता है।

यदि आप बिना किसी पैकेज के सीधे लक्षद्वीप जा रहे हैं तो आपको पहले जाने का परमिट लेना होगा इसके लिए आपको कोच्चि में लक्षद्वीप सेंटर मे विजिट करके परमिट लेना होगा। उसके बाद ही आपको लक्षद्वीप जाने को मिलेगा।

कोई पैकेज लेने पर आपको ये सब मशक्कत नही करनी पड़ेगी और आपका पैकेज आपरेटर ये सब काम करके देगा।

लक्षद्वीप तक जाने का किराया कितना होगा?

अगर आप फ्लाइट द्वारा कोच्चि से अगात्ती आईलैंड तक जाते हैं तो आपको 4 से 5 हजार का किराया देना होगा। जो सीजन और समय के अनुसार कम ज्यादा हो सकता है।

अगर आपक सरकार द्वारा आयोजित ‘समुद्रम’ पैकेज को लेकर जाते हैं, तो आपको 4 दिन 5 रात का लगभग ₹36000 (डायमंड क्लास) और 28000 (गोल्ड क्लास) पड़ेगा। ये पैकेज आपको सबसे किफायती पडेगा। इस पैकेज में आपको लक्षद्वीप के तीन आईलैंड मिनिकॉय, कदमत और कल्पेनी आईलैंड घूमने को मिलते हैं। पूरे पैकेज लंच, डिनर, ट्रांसपोर्टेशन शामिल होता है। शिप ही आपको कोच्चि से पहले मिनिकॉय लेकर जाएगा, फिर कदमत और कल्पेनी आईलैंड की सैर कराई जाएगी।

इस पैकेज में शिप द्वारा अलग-अलग आईलैड पर सैर कराई जाएगी और रात में वापस शिप आना होगा। फिर शिप अगले आईलैड को निकल पडेगा। कुछ वाकर स्पोर्ट्स पैकेज मे शामिल हैं तो कुछ वाटर एडवेंचर के लिए आपको अलग से पैसे देने होंगे।

शिप पर या आईलैड पर लंच और डिनर का अरेंजमेंट पैकेज की तरफ से ही किया जाएगा।

समुद्र पैकेज या तो आप किसी ट्रैवल एजेंट के द्वारा बुक कर सकते है अथवा सीधे गवर्नमेट की वेबसाइट पर बुक कर सकते हैं। वेबसाइट का लिंक नीचे दिया है…

https://samudram.utl.gov.in/sprt_BookingList.aspx

लक्षद्वीप कब जाएं

लक्षद्वीप में घूमने का सबसे उचित समय अक्टूबर से अप्रैल के बीच का माना जाता है क्योंकि इस समय यहाँ पर बहुत अधिक तापमान नहीं होता और यहां का तापमान 30 डिग्री के आसपास रहता है तब ना तो बहुत अधिक गर्मी होती है और ना ही ठंड होती है। अप्रैल के बाद यहां पर बहुत तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है और अधिक गर्मी पड़ती है।

लक्षद्वीप के लिए में घूमने की कौन सी जगह सबसे अधिक फेमस है

लक्षद्वीप में घूमने के लिए अगात्ती, कवरत्ती, मिनकॉय, कदमत, कल्पेनी और वारंगल द्वीप सबसे अधिक फेमस है, जहां पर अधिक बहुत से टूरिस्ट स्पॉट आपको घूमने के लिए मिल जाएंगे।

अगात्ती आइलैंड में लक्षद्वीप का एकमात्र हवाई अड्डा है। अगर आप हवाई यात्रा करके लक्षद्वीप पहुंच रहे हैं तो अगात्ती में सबसे पहले अपनी एंट्री करानी होगी और घूमने का परमिट लेना होगा। आपको लक्षद्वीप से अपने जाने का समय भी बताना होगा।

लक्षद्वीप में आपको खूबसूरत सफेद रेत के बीच और पूरे लक्षद्वीप के सबसे खूबसूरत लगूंस देखने को मिलेंगे। लक्षद्वीप के अगात्ती आईलैंड की दूरी कोच्चि से 400 किलोमीटर है। इसकी लंबाई लगभग 7 किलोमीटर है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 3.86 स्क्वायर किलोमीटर है।

अगात्ती के अलावा, मिनिकॉय, कवारत्ती, कल्पेनी, कदमत, बंगारल और कवरत्ती आईलैंड मे घूमने का मजा ले सकते है। आप लक्षद्वीप के किसी भी द्वीप घूमने को जाए तो वहाँ के सूर्यास्त को देखने का मौका मिस न करें। यहाँ के सभी द्वीपों पर सूर्यास्त देखना बेहद सुंदर होता है।

लक्षद्वीप में क्या-क्या एक्टिविटी फेमस है

लक्षद्वीप में आप वाटर से संबंधित कोई सी भी एक्टिविटी कर सकते हैं और अपने वेकेशन को इंजॉय कर सकते हैं। लक्षद्वीप में वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज को अंजाम दे सकते हैं और लक्षद्वीप में इन एक्टिविटीज को करते हुए अपना समय हम बिता सकते हैं। इन एक्टिविटीज में कुछ प्रमुख एक्टिविटीज है जैसेकि कयाकिंग, कैनोइंग, पैडल बोटिंग, सेल बोटिंग, विंड सर्फिंग, स्नौर क्लिंग, स्कूबा डाइविंग जैसी वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज का आनंद ले सकते हैं।

खाने की वैरायटी

खाने के नजरिए से आपको लक्षद्वीप में दक्षिण भारत के फ्लेवर वाला खाना सीफूड और अधिकतर नॉनवेज फूड ही मिलेगा। यदि आप पूरे शाकाहारी हैं, तो भी आपको दक्षिण भारतीय शैली का शाकाहारी खाना मिल जाएगा। यदि आप किसी टूर पैकेज के द्वारा लक्षद्वीप जा रहे हैं तो आपका टूर पैकेज आपको शुद्ध शाकाहारी खाना उपलब्ध कराएगा। यदि आप भारत सरकार के समुद्रम पैकेज से जा रहें है तो आपकी च्वाइस के अनुसार दोनो तरह का भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।

क्या ध्यान रखें?

लक्षद्वीप में सूरज की सीधी किरणें पड़ती हैं, इसलिये सही क्वालिटी के सनग्लास लेकर जाएं। त्वचा के सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने के लिए सनस्क्रीन का भी प्रयोग करें।

शिप पर या किसी आईलैंड पर सी-सिकनेस जैसी कोई समस्या हो सकती है इसलिए जरूरी दवाईयां भी साथ रख लें।

लक्षद्वीप एक संवेदनशील और क्रेंद्रशासित प्रदेश होने के कारण यहाँ पर घूमने के लिए परमिट लेना आवश्यक है। इसलिये सरकार के नियमों का पालन करें। लक्षद्वीप पहुँचते ही अपनी एंट्री पुलिस स्टेशन में जरूर करा दें और परमिट भी ले लें।

यदि आप भारत सरकार के समुद्रम पैकेज पर जा रहे हैं या किसी भी टूर पैकेज पर जा रहे हैं तो आपको परमिट लेने की जरूरत नही। ये सारा काम आपका पैकेज आपरेटर करेगा।

अंत में…

यदि आप बिना किसी पैकेज के अकेले या अपने ग्रुप के साथ सीधे लक्षद्वीप जाना चाहते हैं और लक्षद्वीप के सारे आइलैंड को घूमना चाहते हैं तो आपका खर्चा बहुत अधिक हो सकता है क्योंकि हर आइलैंड एक दूसरे से बहुत दूरी पर स्थित है, और आपके लिए हर जगह के ट्रांसपोर्टेशन के लिए अलग-अलग चार्ज देने पड़ेंगे।

सामान्यतः लक्षद्वीप के चार से पांच आइलैंड को घूमने के लिए एक व्यक्ति का खर्चा 50 से 60-70 तक आ सकता है।
यदि आप किसी पैकेज के थ्रू जाते हैं तो आपको लक्षद्वीप के सारे आइलैंड घूमने को नहीं मिलेंगे और आपको तीन से चार आईलैंड ही घूमने को मिलेंगे। लेकिन यह पैकेज आपको किफायती पड़ेगा और इसमें आपको बहुत सारी असुविधाओं से से मुक्ति मिल जाएगी, क्योंकि अकेले सीधे लक्षद्वीप जाने पर आपको बहुत तरह की फॉर्मेलिटी करनी पड़ सकती हैं।

 

तो फिर लक्षद्वीप की भी सैर कीजिए और अपने सुंदर भारत की सुंदरता को परखिए।

लक्षद्वीप के बारे और अधिक जानने के लिए ये वीडियो भी देखें


 

हमारा WhatsApp Channel Follow करें…https://whatsapp.com/channel/Mindians.in
हमारा Facebook Page Follow करें…https://www.facebook.com/mindians.in
हमारा X handle (Twitter) Follow करें…https://twitter.com/Mindians_In
हमारा Telegram channel Follow करें…https://t.me/mindians1

 


अल्मोड़ा में गोलू देवता का मंदिर जहाँ प्रार्थना नही शिकायत की जाती है।

देवरहा बाबा कौन थे? देवरहा बाबा का पूरा जीवन परिचय जानिए।

प्रसिद्ध संत देवरहा बाबा (Devraha Baba) कौन थे? वह क्यों प्रसिद्ध थे? उनके पूरे जीवन का एक आकलन करते हैं…

प्रसिद्ध संत देवरहा बाबा जो कई सौ साल तक जीवित रहे (Devraha Baba Biography)

भारत के कुछ प्रसिद्ध सिद्ध पुरुष-संतों की बात की जाए तो उनमें देवरहा बाबा और नीम करौली बाबा का नाम सबसे ऊपर है। देवरहा बाबा जो अपनी आशीर्वाद देने की विशिष्ट शैली के लिए जाने जाते थे और उनके बारे में यह मान्यता थी कि उनकी आयु कई सैकड़ो वर्ष थी। उनके बारे में कहा जाता है कि वह अपनी आयु को जीत चुके थे।

सामान्यतः मनुष्य की आयु अधिकतम 100 वर्ष होती है। आज के समय में तो 80 वर्ष तक भी जीना बहुत अधिक माना जाता है। लेकिन हमारे भारत के प्राचीन काल में कई ऐसे सिद्ध महापुरूष हुए हैं जिन्होंने आयु पर विजय पाई है और वह कई सौ वर्ष जिए थे। प्राचीन भारत में 100 वर्ष की आयु तक जीना सामान्य था और साधु-संत, ऋषि-मुनि, सिद्ध योगी आदि तो कई सौ वर्षो तक जीते ते। लेकिन इस कलयुग में 100 वर्ष की आयु से अधिक जीना आश्चर्यजनक माना जाता है।

देवराहा बाबा आयु परे एक सिद्ध पुरुष संत थे, जो न केवल कई सौ वर्षो तक लंबे समय तक जिए बल्कि वह एक ऐसी तीव्र सिद्ध शक्ति वाले आध्यात्मिक संत थे जिनके पास अनोखी सिद्ध शक्तियां थीं। उनकी कहीं बाते सच होती थीं और उनके द्वारा दिया गया आशीर्वाद भी फलीभूत होता था।

वह पैरों द्वारा आशीर्वाद देने के लिए विख्यात थे। किसी-किसी को तो वह अपने हाथों से भी आशीर्वाद दे देते थे तो समझो उसकी नैया पार लगना तो पक्का था।

देवरहा बाबा का जीवन परिचय

देवरहा बाबा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के देवरिया जिले में नादौली गाँव में रहते थे। उनकी असली नाम तो किसी को पता नही था लेकिन उनको देवराहा बाबा कहा जाता था।

उनके जन्म के बारे में कोई स्पष्ट तारीख किसी को पता नहीं है। लोग बताते हैं कि वह कई 100 साल तक जीवित रहे। कोई उनकी आयु 250 साल तो कोई 500 साल कोई 600 साल तो कोई 900 साल तक बताता है। बहुत से लोग बताते है कि वह उनके बचपन से ही यूँ ही देखते आ रहे थे।

उनके जन्म की तिथि भले ही स्पष्ट नहीं लेकिन उनका निधन यानि देवलोक गमन 19 जून 1990 को हुआ। जब योगिनी एकादशी के दिन उन्होंने अपने इस भौतिक शरीर का त्याग किया।

देवरहा बाबा कौन थे वह कहां से आए थे। यह किसी को पता नहीं चल सका बस लोगों को इतना पता है कि वह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में आ गए और वहां पर सरयू नदी के तट पर अपना आश्रम बनाकर रहने लगे।

वह अपने आश्रम में लकड़ी के एक मचान पर ही रहते थे और उनकी सेवा करने वाले उनके भक्तगण बताते हैं कि वह दिन में केवल एक बार अपने मचान से उतरते थे जब उन्हें स्नान करना होता था।

जब तक वह जीवित रहे उनके पास से देश उनके पास देश-विदेश से अनेक लोग आते थे और उनके आश्रम में अपनी मुरादे अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की इच्छाएं पूरी करने उनका आशीर्वाद पाने के लिए लोगों का तांता लगा रहता था ।

बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ, फिल्मी सितारे, उद्योगपति तथा अन्य कई क्षेत्रों के जाने-माने व्यक्ति उनके पास आते और उनसे आशीर्वाद लेते थे। वह अपनी परंपरागत शैली में अपने पैर से ही लोगों को आशीर्वाद देते थे क्योंकि वह लकड़ी की ऊंची मचान पर बैठे थे और जब कोई उनकी मचान के नीचे खड़ा होकर उनसे आशीर्वाद लेता तो वह अपने पैर से लोगों का सर पर रखकर आशीर्वाद देते। लेकिन जिस पर वह अधिक प्रसन्न हो जाते थे उसे अपने हाथों से भी आशीर्वाद दे देते थे।

बताते हैं कि भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी उनके पास जाकर आशीर्वाद लिया था। इंदिरा गांधी को उन्होंने अपने हाथों से आशीर्वाद दिया था और तभी से इंदिरा गांधी के जीवन में अनोखा परिवर्तन आया था।

इसके अलावा भी जिन जिन व्यक्तियों को उन्होंने आशीर्वाद दिया उनका व्यक्ति का जीवन बदल गया। आज अयोध्या में जो राम मंदिर बन रहा है उसके बारे में भी देवरहा बाबा ने पहले से ही भविष्यवाणी कर दी थी। आज से 30 साल पहले उन्होंने राम मंदिर बनने के बारे में भविष्यवाणी कर दी थी कि आने वाले सालों में कभी भी राम मंदिर बिना किसी विवाद के आसानी से बन जाएगा और राम मंदिर जरूर बनेगा और आज उनकी यह भविष्यवाणी सच हो गई।

देवरहा बाबा के पास अनेक तरह की सिद्धियां थी। हमने अपने प्राचीन ग्रंथो में सिद्ध महापुरुषों के बारे में सुना है, जिनके पास ऐसी सिद्धियां होती थी कि वह पानी पर चल सकते थे, बिना खाए पिए रह सकते थे, हवा में कोई भी वस्तु को प्रकट कर सकते थे, कहीं पर भी आ जा सकते थे। लेकिन देवराहा बाबा इन सभी सिद्धिओं के प्रत्यक्ष उदाहरण थे। उनके पास ऐसी अनेकों सिद्धियां थीं।

लोग बताते हैं कि वह पानी पर चल सकते थे। पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। वह केवल अपनी मचान पर रहते थे और दिन में एक बार केवल स्नान करने के लिए ही उतरते थे।

वह अपने शरीर पर कोई वस्त्र नही धारण करते थे और लगभग निर्वस्त्र ही रहते थे। शरीर पर केवल नाममात्र के लिए मृगछाला (हिरण की खाल) ही पहनते थे।

भयंकर सर्दी हो या प्रचंड गर्मी वे हर मौसम मे यूँ ही रहते थे। उन्होंने योग विद्या के द्वारा अपने शरीर साध लिया था कि उन पर सर्दी-गर्मी का कोई असर नही होता था।

वह कभी किसी भी वाहन की सवारी नहीं करते थे। वह स्नान के लिए कुंभ के मेले में जाते थे। लेकिन वह कब और कैसे स्नान करने पहुंच गए किसी को पता नही चलता था।

उनके बारे में बताते हैं कि वह किसी के भी मन की बात जान लेते थे और जो व्यक्ति उनके पास अपनी समस्या लेकर आता था। वह उसका उचित समाधान करते हुए उसे आशीर्वाद देते थे। वह सबसे बेहद विनम्र होकर बात करते थे और प्रेमभाव से मिलते थे।

देवरहा बाबा के साक्षात्कार का दुर्लभ वीडियो देखें


नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on X.com (twitter) https://twitter.com/Mindians_In

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


88 साल के हुए अभिनेता धर्मेंद्र – एक लाइफ स्कैन

साँप के जानलेवा ज़हर को लोग नशे का जरिया कैसे बना लेते हैं? पूरी कहानी समझें।

अक्सर साँप के जहर के नशे की खबरें हमें मीडिया जगत से यदा-कदा सुनने को मिलती रहती हैं। सवाल ये है कि साँप का जहर जो जान लेवा होता है उससे लोग नशे का जरिया (how snake venom use as drug) कैसे बना लेते हैं, पूरी कहानी को समझते हैं…

साँप के जानलेवा ज़हर को लोग नशे का जरिया कैसे बना लेते हैं? पूरा मामला जानें (how snake venom use as drug)

पिछले दिनों एक प्रसिद्ध यूट्यूबर पर साँप के जहर का नशा करने का आरोप लगा था। उन पर लगे आरोप में क्या सच्चाई थी ये जांच एजेंसियो को काम था लेकिन लोगों के मन में लोगों के मन में ये सवाल उठने लगे कि साँप का जहर तो जानलेवा होता है, जिसके जरा से असर से लोग मर जाते हैं। उससे नशा कैसे किया जा सकता है।

सभी लोग साँप के काटने से डरते हैं। सबको पता है कि साँप के काटने से आदमी की चंद्र मिनटों में ही मौत हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में उसे साँप के जहर को ड्रग और नशे के रूप में कैसे इस्तेमाल कर लिया जाता है। उस साँप के जहर से बने दवाइयों से आदमी की मौत क्यों नहीं होती?

इससे पहले कई बार रेव पार्टियों पर छापेमारी की बातें समाचारों में सुनाई देती रहती हैं, रेव पार्टियों में सांप के जहर से बने ड्रग (दवाइयों) का नशे के रूप में इस्तेमाल होता रहा है। चाहे दिल्ली हो या मुंबई अथवा और दूसरे महानगर सभी महानगरों में रेव पार्टियों का धड़ल्ले से आयोजन किया जा रहा है।

युवाओं में रेव पार्टी आजकल फैशन स्टेटस बन गया है और इन पार्टियों में नशे का इस्तेमाल भी आम हो चला हैष वास्तव में रेव पार्टी नशे करने का सेंटर बन गई हैं और यह पार्टियों तरह-तरह के नशे के शौक को पूरा करने के लिए ही की जाती हैं। इन्हीं पार्टियों में अनेक तरह के ड्रग का इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता है।

साँप के जानलेवा जहर से दवाईयाँ कैसे बन जाती हैं? यह जानलेवा क्यों नही होती?

सवाल यह उठता होता है कि साँप का जहर से दवाइयां ड्रग कैसे बन जाती हैं और यह आम आदमी लोगों तक कैसे आसानी से उपलब्ध हो जाती है?

वैज्ञानिकों के अनुसार साँप के जहर में कुछ ऐसे तत्व या केमिकल पाए जाते हैं, जिनके कारण आनंद की अनुभूति होती है, जो नशे का कारण बनते हैं। इस तरह के केमिकल साँप की जहर में पाए जाते हैं, इसलिए कुछ खास प्रजातियों के साँप के जहर को प्रोसेस करके उसे पाउडर में बदल लिया जाता है।

उदाहरण के लिए 500 ml साँप के जहर को प्रोसेस कके पाउडर में बदल दिया जाता है फिर इसी पाउडर का इस्तेमाल अल्कोहल में मिलाकर नशे की ड्रग बनाने में किया जाता है।  500 ml साँप के जहर से बने पाउडर से 1000 लीटर शराब में मिलाकर नशीली शराब बनाई जा सकती है।

कुछ खास प्रजातियों के साथ कोबरा, हरा साँप और क्रॉमन क्रैत आदि के जहर में अनेक तरह के केमिकल पाए जाते हैं। जो नशे की अनुभूति करते हैं, लेकिन साँप के जहर को सीधे तौर पर नहीं दिया जा सकता। इसकी बहुत ही कम मात्रा को दूसरे ड्रग में मिलाकर जैसे अल्कोहल आदि में मिलाकर नशीली दवा बना ली जाती है। इसी का इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाता है। साँप के जहर को सायकोएक्टिक श्रेणी में रखा गया है जो बेहद नशीला होता है।

पूरी दुनिया में साँप के जहर से बनी ड्रग के सेवन का प्रचलन युवाओं में बढ़ता जा रहा है। साँप का जहर का नशा बेहद टॉक्सिक होता है, जिस युवा को साँप के जहर से बनी ड्रग के नशे की लत लग जाती है उसे दूसरा कोई नशा अच्छा नही लगता।

कैसे बनती है साँप के जहर से ड्रग?

साँप के जहर से नशीली ड्रग बनाने के लिए साँप के जहर को प्रोसेस करके उसका पाउडर बनाकर उसे छोटी-छोटी गोलियां में बदल दिया जाता है। यही गोलियां 25 से 25 से 30 हजार रुपए में आसानी से बिकती हैं। आमतौर पर कोई दूसरा नशीली ड्रग दो-तीन हजार में आसानी से आ जाती है, लेकिन साँप के जहर से बनी ड्रग 25 से 30 हजार में बिकती है।

साँप के बनाने वालों को साँप मिलते कहाँ से हैं।

इसका जवाब है सपेरे। सपेरे साँप के जहर की सप्लाई का प्रमुख स्रोत हैं। यह सपेरे जो साँपों को पकड़ के लाते हैं, और साँपों के खेल दिखाते हैं। अब ये सपेरे ज्यादा पैसा कमाने के लालच में साँपों के जहर के कारोबार में भी शामिल हो चुके हैं। पैसा किसे प्यारा नहीं होता। साँप के जहर के इन्हें मोटे पैसे मिल जाते हैं। इसलिए ये सपेरे पैसे के लालच में जहर के कारोबार में शामिल हो चुके हैं।


नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on X.com (twitter) https://twitter.com/Mindians_In

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


इंटरनेट ब्राउजिंग में कुकीज़ (Cookies) क्या-हैं?

स्वाति मालीवाल का पूरा परिचय जानें।

स्वाति मालीवाल पूरा परिचय जानें (Introduction of Swati Maliwal)

स्वाति मालीवाल दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता भी है। वह लंबे समय से आम आदमी पार्टी से भी जुड़ी रही है और अक्सर आम आदमी पार्टी के समर्थन में खड़ी रहती हैं। वह महिलाओं के लिए आवाज उठाने के लिए भी जानी जाती हैं और महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर काफी सक्रिय भी रहती हैं। हालांकि केवल आम आदमी पार्टी के पक्ष में ही समर्थित मुद्दों को उठाने के कारण अक्सर उनकी आलोचना भी होती रहती है।

अपने इन्हीं सकारात्मक और नकारात्मक बातों से अक्सर खबरों में बनी रहती हैं। दिल्ली की राजनीति में वह एक जाना पहचाना चेहरा है। आम आदमी से जुड़ा उनका जुड़ाव जाहिर है। अब आम आदमी पार्टी ने उनको राज्यसभा का सांसद बनाकर यह बात पूरी तरह पक्की कर दी है।

फिलहाल वह अरविंद केजरीवाल के सेक्रेटरी विभव सिंह के साथ हुए विवाद के कारण फिर से चर्चा में है। आईए जानते हैं, स्वाति मालीवाल कौन है?

स्वाति मालीवाल जन्म और परिचय

स्वाति मालीवाल प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता रही हैं। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1984 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा गाजियाबाद के एमिटी इंटरनेशनल स्कूल से हुई।

बाद में उन्होंने जेएसएस अकैडमी आफ टेक्निकल एजुकेशन से आईटी में बैचलर डिग्री भी प्राप्त की। आईटी में बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने अपना करियर एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करके शुरू किया, लेकिन जॉब में अधिक दिनों तक उनका मन नहीं लगा और वह समाज सेवा से जुड़ गईं। वे परिवर्तन नामक एक सामाजिक संस्था से जुड़कर सामाजिक कार्य करने लगीं।

उस समय 2010-11 में अन्ना हजारे आंदोलन अपने चरम पर था। इसी कारण अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों द्वारा चलाई जा रही संस्था इंडिया अगेंस्ट करप्शन का अहम हिस्सा बन गईं।

जब 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन हुआ, तब वह भी आम आदमी पार्टी से जुड़ीं और उसकी कार्यकर्ता बनीं। इसी कारण आम आदमी पार्टी ने दिल्ली महिला आयोग का उन्हें अध्यक्ष बनाया। वह अरविंद केजरीवाल के खास पसंदीदा लोगों में जानी जाती हैं।

अपने राजनीतिक करियर के दौरान उनकी मुलाकात आम आदमी पार्टी के ही एक कार्यकर्ता नवीन जयहिंद से हुई, जो आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए थे और हरियाणा की आम आदमी पार्टी के संयोजक थे। नवीन जयहिंद से मुलाकात के बाद धीरे-धीरे दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगी और 2018 में दोनों ने शादी कर ली। बाद में अपने पति नवीन जयहिंद से मनमुटाव के बाद 2020 में दोनों का तलाक हो गया।

स्वाति मालीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाहकार के रूप में भी काफी समय तक काम किया है। 2015 से वर्तमान समय तक वह दिल्ली की प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष रही थीं। वह दिल्ली महिला आयोग की सबसे कम उम्र की अध्यक्ष रह चुकी हैं।

विवादों से नाता

स्वाति मालीवाल का विवादों से भी नाता रहा है। उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे हैं। इसके अलावा उन्होंने एक बार अपने पिता की भी आलोचना कर दी। उन्होने बताया कि बचपन में उन्हें उनके पिता उन पर जुल्म करते थे और उनका यौन शोषण करते थे। उनके पिता सेा में रह चुके थे और वर्तमान समय में दुनिया में नहीं हैं।

उनके अनुसार जब वे छोटी थी तो उनके पिता उन्हें बहुत मारते थे और उनकी चोटी पड़कर सर दीवा में मार देते थे। 2023 में अपने पिता की आलोचना करने से पहले 2016 में तक वह अपने पिता की जबरदस्त तारीफ भी कर चुकी हैं। कभी पिता की जबरदस्त तारीफ करना और उन पर गर्व करना और कभी अपने पिता को यौन उत्पीड़कबता देना उनको विवादों में घसीटता रहा है।

उन्होंने अपने पति नवीन जय हिंद तक की आलोचना की है, जब उनके पति ने महिला अधिकारों के संबंध में 2018 में एक बयान दे दिया था तो उन्होंने पति की निंदा कर दी थी।

स्वाति मालीवाल पर अक्सर एक पक्ष के रूप में सक्रिय रहने के भी आरोप लगाते रहे हैं, क्योंकि वह दिल्ली की आम आदमी पार्टी से जुड़ी है, इसीलिए वे महिला अधिकारों का नाम पर केवल वही मुद्दे उठाती हैं, जो उनकी पार्टी के हित में हूँ। दूसरी पार्टी की महिलाओं और उनके हितों वाले महिला अधिकारों पर वह बहुत अधिक सक्रिय होकर कार्य नहीं करती हैं।

स्वाति मालीवाल विवादों में एक बार तब भी आई जब उन्होंने दिल्ली में जनवरी 2023 के महीने में अपने साथ हुई एक छेड़छाड़ का वीडियो शेयर कर दिया। बाद में उनके वीडियो के आधार पर आरोपी को पकड़ तो लिया लेकिन पूरा वीडियो देखने पर ऐसा लग रहा था कि स्वाति मालीवाल ने जानबूझकर यह घटना को तिल का ताड़ बनाने कोशिश की थी इसलिए लोग उनकी मंशा पर भी सवाल उठा रहे थे।

अब वह फिलहाल आम आदमी पार्टी की तरफ राज्यसभा सांसद बन चुकी हैं। अभी वह विभव सिंह के मारपीट वाले विवाद के कारण चर्चा में हैं।


नुपूर शिखरे-इरा खान की शादी हो गई। आमिर खान के दामाद नुपूर शिखरे कौन हैं?

Post topic: Swati Maliwal introduction, Swati Maliwal ke jeevan parichay, स्वाति मालीवाल जीवन परिचय, स्वाति मालीवाल जीवनी, दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल

9वें T20 वर्ल्डकप में भारत के मैचों का शेड्यूल और पूरे टूर्नामेंट का शेड्यूल।

पुरुषों का 9th T20 वर्ल्डकप 2024 जो वेस्टइंडीज और अमेरिका में जून महीने में शुरु हो चुका है। पूरे टूर्नामेंट का शेड्यूल (ICC T20 World Cup 2024 Schedule) घोषित हो चुका है। भारत के मैच कब हैं? पूरा शेड्यूल जान लेते हैं।

पुरुषों के 9वें T20 वर्ल्ड कप का आयोजन इसी साल 2024 में जून माह में वेस्टइंडीज और अमेरिका में हो रहा है। क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट का यह महाकुंभ अपने 9वें संस्करण में वेस्टइंडीज के अलावा पहली बार अमेरिका की धरती पर भी अपनी छटा बिखेरेगा।

इस बार T20 वर्ल्ड कप में रिकॉर्ड 20 टीमें भाग लेंगी जो क्रिकेट के ग्लोबल लेवल पर लोकप्रिय होने का प्रमाण है। सभी 20 टीमों को पाँच-पाँच टीमों के ग्रुप में बांटा गया है। हर ग्रुप की टॉप की दो टॉप टीमें सुपर 8 चरण के लिए क्वालीफाई करेंगी जोकि नॉकआउट चरण होगा।

T20 वर्ल्ड कप का पहला मैच 1 जून 2024 को होगा और फाइनल मैच 29 जून 2024 को खेला जाएगा यानी 29 दिन तक चलने वाले इस टूर्नामेंट में फाइनल का एक मैच तथा सेमीफाइनल के दो मैच सहित कुल 55 मैच होंगे, जिनमें 40 ग्रुप मैच तथा 15 मैच नॉकआउट चरण के मैच हैं।

इस तरह 29 जून 2024 को 9वें T20 वर्ल्ड चैंपियन का फैसला हो जाएगा। सभी मैच वेस्टइंडीज और अमेरिका की धरती पर खेले जाएंगे।

40 ग्रुप मैचों में से से 15 मैच अमेरिका में खेले जाएंगे। उसके बाद के सभी मैच वेस्टइंडीज में यानि कैरेबियाई द्वीप समूह के देशों में ही खेले जाएंगे। सेमीफाइनल और फाइनल मैच भी वेस्टइंडीज में ही खेले जाएंगे।

भारत को ग्रुप ए में रखा गया है उसके साथ पाकिस्तान. अमेरिका, आयरलैंड और कनाडा की टीमे हैं।

भारत अपना पहला मैच 5 जून 2024 को आयरलैंड के विरुद्ध खेलेगा। उसके बाद भारत और पाकिस्तान का बहुप्रतीक्षित मैच 9 जून 2024 को खेला जाएगा। अमेरिका के साथ भारत का मैच 11 जून को होगा तथा कनाडा के साथ 15 जून को होगा।

भारत ग्रुप चरण के अपने चारों मैच खेलेगा अमेरिका में ही खेलेगा।

टूर्नामेंट में भाग लेने वाली सभी 20 टीमें और ग्रुप

ग्रुप – Aभारतपाकिस्तानअमेरिकाकनाडाआयरलैंड
ग्रुप – Bइंग्लैंडऑस्ट्रेलियास्कॉटलैंडनामीबियाओमान
ग्रुप – Cवेस्ट इंडीजन्यूजीलैंडअफगानिस्तानयुगांडापापुआ न्यू गिनी
ग्रुप – Dदक्षिणी अफ्रीकाश्रीलंकाबांग्लादेशनीदरलैंडनेपाल

भारत के सभी चार ग्रुप मैचों का शेड्यूल 

दिनाँकदिनटीमेंवेन्यू
 5 जून 2024बुधवारभारत 〓 आयरलैंडन्यूयॉर्क
 9 जून 2024रविवारभारत 〓 पाकिस्तानन्यूयॉर्क
 12 जून 2024बुधवारभारत 〓 अमेरिकान्यूयॉर्क
 15 जून 2024शनिवारभारत 〓 कनाडाफ्लोरिडा

पूरे टूर्नामेंट का शेड्यूल

मैच क्रमदिनाँकदिनसमयटीमेंवेन्यू
मैच 1 1 जून 2024शनिवार6.00 amयूएसए 〓 कनाडाडलास
मैच 2 2 जून 2024रविवार8.00 pmवेस्ट इंडीज 〓 पापुआ न्यूगिनीगुयाना
मैच 3 2 जून 2024रविवार6.00 amनामीबिया 〓 ओमानबारबाडोस
मैच 4 3 जून 2024सोमवार8.00 pmश्रीलंका 〓 दक्षिण अफ्रीकान्यूयॉर्क
मैच 5 3 जून 2024सोमवार6.00 amअफगानिस्तान 〓 युगांडागुयाना
मैच 6 4 जून 2024मंगलवार8.00 pmइंग्लैंड 〓 स्कॉटलैंडबारबाडोस
मैच 7 4 जून 2024मंगलवार9.00 pmनीदरलैंड्स 〓 नेपालडलास
मैच 8 5 जून 2024बुधवार8.00 pmभारत 〓 आयरलैंडन्यूयॉर्क
मैच 9 5 जून 2024बुधवार5.00 amपापुआ न्यू गिनी 〓 युगांडागुयाना
मैच 10 5 जून 2024बुधवार6.00 amऑस्ट्रेलिया 〓 ओमानबारबाडोस
मैच 11 6 जून 2024गुरुवार9.00 pmयूएसए 〓 पाकिस्तानडलास
मैच 12 6 जून 2024गुरुवार12.30 amनामीबिया 〓 स्कॉटलैंडबारबाडोस
मैच 13 7 जून 2024शुक्रवार8.00 pmकनाडा 〓 आयरलैंडन्यूयॉर्क
मैच 14 7 जून 2024शुक्रवार5.00 amन्यूजीलैंड बनाम अफगानिस्तानगुयाना
मैच 15 7 जून 2024शुक्रवार6.00 amश्रीलंका 〓 बांग्लादेशडलास
मैच 16 8 जून 2024शनिवार8.00 pmनीदरलैंड्स 〓 साउथ अफ्रीकान्यूयॉर्क
मैच 17 8 जून 2024शनिवार10.30 amऑस्ट्रेलिया 〓 इंग्लैंडबारबाडोस
मैच 18 8 जून 2024शनिवार8.00 amवेस्ट इंडीज 〓 युगांडागयाना
मैच 19 9 जून 2024रविवार8.00 pm भारत 〓 पाकिस्तानन्यूयॉर्क
मैच 20 9 जून 2024रविवार10.30 amओमान 〓 स्कॉटलैंडएंटीगुआ
मैच 21 10 जून 2024सोमवार8.00 pmदक्षिण अफ्रीका 〓 बांग्लादेशन्यूयॉर्क
मैच 22 11 जून 2024मंगलवार8.00 pmपाकिस्तान 〓 कनाडान्यूयॉर्क
मैच 23 11 जून 2024मंगलवार5.00 amश्रीलंका 〓 नेपालफ्लोरिडा
मैच 24 11 जून 2024मंगलवार6.00 amऑस्ट्रेलिया 〓 नामीबियाएंटीगुआ
मैच 25 12 जून 2024बुधवार8.00 pmभारत 〓 अमेरिकान्यूयॉर्क
मैच 26 12 जून 2024बुधवार6.00 amवेस्ट इंडीज 〓 न्यूजीलैंडत्रिनिदाद
मैच 27 13 जून 2024गुरुवार12.30 amइंग्लैंड 〓 ओमानएंटीगुआ
मैच 28 13 जून 2024गुरुवार8.00 pmबांग्लादेश 〓 नीदरलैंडसेंट विंसेंट
मैच 29 13 जून 2024गुरुवार6.00 amअफगानिस्तान 〓 पापुआ न्यूगिनीत्रिनिदाद
मैच 30 14 जून 2024शुक्रवार8.00 pmयूएसए 〓 आयरलैंडफ्लोरिडा
मैच 31 14 जून 2024शुक्रवार5.00 amदक्षिण अफ्रीका 〓 नेपालसेंट विंसेंट
मैच 32 14 जून 2024शुक्रवार6.00 pmन्यूजीलैंड बनाम युगांडात्रिनिदाद
मैच 33 15 जून 2024शनिवार8.00 pmभारत 〓 कनाडाफ्लोरिडा
मैच 34 15 जून 2024शनिवार10.30 pmनामीबिया 〓 इंग्लैंडएंटीगुआ
मैच 35 15 जून 2024शनिवार6.00 amऑस्ट्रेलिया 〓 स्कॉटलैंडसेंट लूसिया
मैच 36 16 जून 2024रविवार8.00 pmपाकिस्तान 〓 आयरलैंडफ्लोरिडा
मैच 37 16 जून 2024रविवार5.00 amबांग्लादेश 〓 नेपालसेंट विंसेंट
मैच 38 16 जून 2024रविवार6.00 amश्रीलंका 〓 नीदरलैंडसेंट लूसिया
मैच 39 17 जून 2024सोमवार8.00 pmन्यूजीलैंड 〓 पापुआ न्यूगिनीत्रिनिदाद
मैच 40 17 जून 2024सोमवार6.00 amवेस्ट इंडीज 〓 अफगानिस्तानसेंट लूसिया
मैच 41 19 जून 2024बुधवार8.00 pmए 2 〓 डी 1एंटीगुआ
मैच 42 19 जून 2024बुधवार6.00 amबी 1 〓 सी 2सेंट लूसिया
मैच 43 20 जून 2024गुरुवार8.00 pmसी 1 〓 ए 1बारबाडोस
मैच 44 20 जून 2024गुरुवार6.00 amबी 2 〓 डी 2एंटीगुआ
मैच 45 21 जून 2024शुक्रवार8.00 pmबी 1 〓 डी 1सेंट लूसिया
मैच 46 21 जून 2024शुक्रवार6.00 amए 2 〓 सी 2बारबाडोस
मैच 47 22 जून 2024शनिवार8.00 pmए 1 〓 डी 2एंटीगुआ
मैच 48 22 जून 2024शनिवार6.00 amसी 1 〓 बी 2सेंट विंसेंट
मैच 49 23 जून 2024रविवार8.00 pmए 2 〓 बी 1बारबाडोस
मैच 50 23 जून 2024रविवार6.00 amसी 2 〓 डी 1एंटीगुआ
मैच 51 24 जून 2024सोमवार8.00 pmबी 2 〓 ए 1सेंट लूसिया
मैच 52 25 जून 2024सोमवार6.00 amसी 1 〓 डी 2सेंट विंसेंट
मैच 53 27 जून 2024बुधवार6.00 amसेमीफाइनल 1गुयाना
मैच 54 27 जून 2024गुरुवार8.00 pmसेमीफाइनल 2त्रिनिदाद
मैच 55 29 जून 2024शनिवार7.30 फाइनलबारबाडोस

 


ये भी पढ़ें…

T20 World Cup 2024 में भाग लेने वाली सभी 20 टीमों और उनके खिलाड़ियों के नाम जानिए।

टेस्ट क्रिकेट के पूरे इतिहास में 25 टेस्ट मैच ऐसे हो चुके हैं जो दो दिन में खत्म हो चुके हैं, जानें पूरी लिस्ट।

सफला एकादशी क्या है? सफला एकादशी की पूजा-विधि और महत्व जानें।

भगवान विष्णु को समर्पित ‘सफला एकादशी व्रत’ (Safala Ekadashi Vrat) का अपना ही महत्व है। ये व्रत कब और क्यों रखा जाता है, इसका क्या महत्व है? आइए जानते है… 

सफला एकादशी व्रत का मुहूर्त, पूजा-विधि और लाभ और महत्व को जाने (Safala Ekadashi Vrat)

हिंदू सनातन धर्म में हर माह कोई ना कोई विशिष्ट व्रत-त्यौहार अवश्य आता है। इसीलिए हिंदू धर्म व्रत, त्यौहार, उत्सव की दृष्टि से बेहद समृद्धि धर्म है।

2024 के पहले महीने जनवरी में सफला एकादशी का व्रत आने वाला है। भगवान विष्णु को समर्पित यह व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। सफला एकादशी का व्रत हर वर्ष पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों रख सकते है।

इस पवित्र दिन के दिवस को व्रत धारण करने से 100 अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है और व्रतधारी के सारे मनोरथ सिद्ध होते हैं। जिस किसी ने इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना कर ली और उनके नाम पर व्रत रख लिया। उसके सारे मनोरथ सफल होने सिद्ध हैं। आईए जानते हैं सफला एकादशी व्रत क्या है और यह कब क्यों और कैसे रखा जाता है, इसकी पूरी पूजन विधि क्या है?

सफला एकादशी कब मनाई जाती है?

सफला एकादशी पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु को समर्पित होते हुए व्रत रखा जाता है।

सफला एकादशी का व्रत धारण करने से क्या लाभ होता है?

सप्लाई एकादशी का व्रत धारण करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। व्यक्ति जिस मनोकामना की पूर्ति के लिए व्रत धारण करता है, उस मनोकामना को मन ही मन स्मरण करके व्रत धारण करना चाहिए, इससे न केवल उसे मनोकामना की पूर्ति होती है बल्कि उस व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का भी आगमन होता है। उसे धन और दीर्घायु प्राप्त होती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सफला एकादशी के व्रत का प्रभाव इतना अधिक तीव्र है कि 1000 अश्वमेध यज्ञ करने के के फल के बराबर फल एकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता है। इस दिन एकादशी का व्रत धारण करने से भगवान विष्णु माता लक्ष्मी सहित प्रसन्न होते हैं।

वर्ष 2024 में सफला एकादशी व्रत कब है और उसका समय और मुहूर्त कब है?

वर्ष 2024 में सफला एकादशी का व्रत 8 जनवरी 2024 को होगा। सफला एकादशी का मुहूर्त 7 जनवरी को रात्रि 12:41 से शुरू होगा और 24 घंटे तक मुहूर्त रहेगा यानी अगले दिन राति 12:46 पर मुहूर्त समाप्त होगा। इस तरह सफला एकादशी का व्रत रात्रि 12:41 से रखा जा सकेगा। व्रत के पारण का समय 8 जनवरी 2024 को सुबह 6:39 से 8:39 के बीच रहेगा। इसका अर्थ ये है कि 8 जनवरी 2024 की सुबह 6.39 से 8.39 के बीच पूजा आदि करके व्रत आरंभ कर लेना चाहिए।

सफला एकादशी के दिन और क्या-क्या करना चाहिए?

सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने के अलावा घर में तुलसी का पौधा लगाने का भी विशेष महत्व है। इस दिन घर में तुलसी का पौधा लाकर लगाने से भी विशेष फल प्राप्त होता है।

तुलसी का पौधा अपने घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्वी अथवा उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन घर में खीर के रूप में विशेष व्यंजन बनाया जाता है और उस खीर में तुलसी के पत्ते डालकर भगवान विष्णु को भोग लगाया जाता है।

सफला एकादशी का व्रत कैसे करें और इसकी पूजन विधि क्या है?

सफला एकादशी के दिन यानी 8 जनवरी 2024 को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद अपने पूजा स्थान को एकदम साफ एवं स्वच्छ कर लें। पूजा स्थान में लकड़ी की चौकी अथवा बाजोट पर कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा चित्र को स्थापित करें।

सारी पूजन सामग्री अपने पास रख लें, जिसमें चंदम, कुंकुम, अक्षत, हल्दी, वस्त्र, फूल, फल, नैवेद्य (खीर), जल, धूप-दीप, पान, नारिया आदि सभी हो। पंचामृत भी बना लें। पंचामृत में दूध, दही, शक्कर, शहद, घी ये पाँच तत्व मिलाए जाते हैं। नैवेद्य के रूप में खीर बना लें और तुलसी के पत्ते खीर में डाल दें।

फिर विधि-विधान से पहले भगवान गणपति का संक्षिप्त पूजन करें और फिर भगवान विष्णु का पूजन करना आरंभ करें। पहले उनकी मूर्ति या चित्र को पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र अर्पण करें। फिर चंदन, कुंकुम से तिलक करें। अक्षत (चावल) अर्पण करें। पुष्प अर्पण करे। धूप-दीप दिखाकर फिर नैवेद्य के रूप में खीर का अर्पण करें तथा फल फूल अर्पण करें। पान और नारियल आदि को भी अर्पण करें।

उसके बाद भगवान विष्णु के किसी विशेष स्तोत्र अथवा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और अंत में कपूर से भगवान विष्णु की आरती संपन्न करें। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है। सुबह को व्रत आरंभ करने के बाद पूरे दिन व्रत धारण करने के बाद शाम को व्रत खोलें। यथा संभव निर्धनों तथा जरूरतमंदों को दान दें। इस दिन दान-पुण्य करने से भी विशेष फल प्राप्त होता है।

सफला एकादशी के दिन क्या-क्या दान करना चाहिए?

सफला एकादशी के दिन जरूरतमंदों को अन्न और भोजन दान करना चाहिए। निर्धनों को जरूरी वस्तुओं का दान करना चाहिए। उन्हें वस्त्र-कंबल आदि का दान करना चाहिए। भूखे को भोजन कराना चाहिए। अनाज के रूप में गेहूं, बाजरा, ज्वार आदि का दान कर सकते हैं। सर्दी के समय गरीबों को कंबल अथवा गर्म वस्त्रो का दान कर सकते हैं। किसी निर्धन छात्र को शिक्षा संबंधी कोई भी दान दे सकते हैं। जैसे शिक्षा में किताबें अथवा उसके विद्यालय का शुल्क आदि का दान भी किया जा सकता है।

सफला एकादशी व्रत का महत्व और इतिहास?

सप्लाई एकादशी का व्रत हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान श्री हरि अर्थात भगवान विष्णु की आराधना से संबंधित है। यह व्रत जीवन में सफल होने और सभी तरह की बाधाओं को दूर करने की कामना से किया जाता है।

व्रत धारण करने वाला व्रतधारी भगवान विष्णु की विशेष पूजा आराधना करता है और उनका ध्यान करते हुए पूरे दिन व्रत धारण करता है। इस दिन भगवान विष्णु के सभी अवतारों 10 अवतारों की पूजा की जाती है, विशेषकर उनके श्री राम और श्री कृष्ण अवतार की पूजा विशेष तौर पर की जाती है, क्योंकि यही दो अवतार उनके सबसे अधिक सफल सिद्ध और पूर्ण अवतार माने जाते हैं।

सफला एकादशी व्रत के पीछे कथा

सफला एकादशी व्रत के पीछे एक कथा है, जिसके अनुसार राजा महिष्मत के राज्य में बेहद सुख-शांति थी। उनके कई पुत्र थे, लेकिन उसका बड़ा पुत्र आचरण-विहीन था और हमेशा गलत कार्यों में संलग्न रहता था। वह हमेशा सदैव देवी देवताओं की निंदा किया करता था, जबकि राजा माहिष्मती बेहद धर्म परायण व्यक्ति थे।

एक दिन उन्होंने अपने पुत्र के व्यवहार से तंग आकर उसे अपने राज्य से निकाल दिया और वन में भेज दिया। उन्होंने उसका नाम भी बदलकर लम्बुक रख दिया। जब लम्बुक को देश निकाला हो गया तो वह जंगल में जाकर भटकने लगा और वहां पर कंदमूल-फल अधिक खाकर अपना जीवन यापन करने लगा।

वह दिनभर जंगलों में भटककर फल-फूल आदि खाता और रात के समय एक पीपल के वृक्ष के नीचे विश्राम किया करता था। जब सर्दी का मौसम आया तो बहुत ठंड पड़ने लगी। अत्यधिक ठंड के कारण उसे बेहद कष्ट हो रहा था। एक दिन वह पौष माह की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को सर्दी और भूखे के कारण निष्प्राण होकर वृक्ष के नीचे गिर गया और रात भर यूं ही पड़ा रहा।

अगले दिन यानी एकादशी के दिन जब सूरज उगा और सूरज की किरणे उसके चेहरे पर पड़ीं, तब उसे होश आया। वह अत्यधिक भूख से व्याकुल था। उसने अपनी भूख को मिटाने के लिए जंगल से फल एकत्रित करने की ठानी और किसी तरह चलते-फिरते वह थोड़े से फल एकत्रित करके ले आया। लेकिन इस कार्य में उसको पूरा दिन लग गया और सूर्य अस्त होने वाला था। उसने वह फल पीपल के वृक्ष के नीचे जड़ों में रख दिए।

जिस वृक्ष के नीचे वह विश्राम किया करता था, स्वतः ही उसके मुँह से यह निकल गया कि इन फलों को लक्ष्मीपति विष्णु को अर्पण करता हूँ वह प्रसन्न हों और फलों को ग्रहण करें। अनजाने में उसके द्वारा किए इस कार्य से भगवान विष्णु बहेद प्रसन्न हुए और उसके वरदान प्रदान किया। उनके वरदान के कारण ही वह सामाजिक जीवन में वापस आ सका और उसे राज्य, धन, विवाह पुत्र आदि सब की प्राप्ति हुई।

तब से ही हर वर्ष पौष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी के नाम से व्रत किया जाने लगा और लोग भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस दिन व्रत धारण करने लगे।


Post topic: सफला एकादशी व्रत, सफला एकादशी व्रत विधि, एकादशी व्रत, भगवान विष्णु, सफला एकादशी व्रत कब है? सफला एकादशी व्रत 2024 समय और मुहूर्त, सफला एकादशी व्रत विधि. Safala Ekadashi Vrat


नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on X.com (twitter) https://twitter.com/Mindians_In

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


अल्मोड़ा में गोलू देवता का मंदिर जहाँ प्रार्थना नही शिकायत की जाती है।

पालक के फायदे : पोषक तत्वों से भरपूर है ये वनस्पति

वैसे तो आप सभी को पता है कि पालक का उपयोग सब्जी के रूप में ज्यादातर घरों में किया जाता है। इसका उपयोग औषधि के रूप में जूस के तौर पर भी किया जा सकता है । आज हम विस्तार से पालक के फायदे (Benefits of Spinach (Palak) के बारे में जानेंगे…

पालक के फायदे ही फायदे हैं, विटामिन से भरपूर है (Benefits of Spinach)

पालक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है, क्योंकि पालक के सेवन से शरीर में होने वाली विटामिन्स और मिनरल की कमी को प्राकृतिक रूप से पूरा किया जा सकता है ।

पालक

पालक की पौष्टिकता की जितनी बखान करेंगे, वह कम ही होगी, क्योंकि पालक में मिनरल्स और विटामिन्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं । पालक एक ऐसी सब्जी है , जिसे हर कोई खाना पसंद करता है , लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि पालक औषधीय रुप से भी प्रयोग में लाई जाती है । आपने भी पालक खाया होगा , लेकिन इन जरूरी जानकारियों के बारे में शायद आप भी नहीं जानते होंगे ।

चलिए अब पालक के फायदे के बारे में जानते हैं कि यह किन – किन बीमारियों में और कैसे-कैसे फायदेमंद हैं ?

आयुर्वेद के अनुसार, पालक वात–कफ-पित्त को कम करता है । पालक में विटामिन, मिनरल, फाइटोन्यूट्रिएन्ट्स, प्रोटीन, फाइबर आदि भरपूर मात्रा में तो होते ही हैं, साथ ही कैलोरी ना के बराबर होती है ।

पालक क्या है ?

पालक एक ऐसी सब्जी है जो अपनी पौष्टिकता के कारण सुपरफूड मानी जाती है । शाकाहारी हो या मांसाहारी , सभी लोग इस सुपरफूड से कई तरह के पकवान बनाकर खाते हैं । पालक से सूप , दलिया , सब्जी , साग , सलाद , दाल , खिचड़ी आदि जैसे बहुत तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं ।

पालक के पत्ते का विरेचक गुण यानि मलाशय को साफ करने में मदद करने तथा शरीर की हानिकारक चीजों को पेशाब के रास्ते बाहर निकालने में सहायता करता है । पालक के सेवन से खाना अच्छी तरह से हजम होने में मदद मिलती है । इसके पत्ते जितने काटे जाते हैं उतनी ही तेजी से बढ़ते हैं । इसकी जड़ गुच्छेदार होती है । जड़ छोटी, सीधी और लगभग 30–60 में सेमी ऊंची होती है ।

इसके पत्ते सीधे, एकांतर होते हैं । पत्तों में बीच का भाग बड़ा , मांसल होता है । इसके फूल हरे-पीले रंग के होते हैं। पालक का वानस्पतिक नाम (स्पाइनेसिया ओलेरेसिया) है, और यह  (कीनोपोडिएसी) कुल की है ।

पालक के फायदे

पालक को साग के रूप में सब खाते हैं , और ये भी जानते हैं कि पालक के फायदे अनेक रोगों में मिलते हैं । लेकिन पालक किन-किन बीमारियों में और कैसे काम करता है |

पालक के सेवन से सिर दर्द में आराम

आजकल तो सिर दर्द आम समस्या बन गई है । दिन भर धूप में रहने , कंप्यूटर पर काम करने , या फिर खान – पान में बदलाव के कारण सिर दर्द होना आम बात है । सर्दी – खांसी और बुखार के वजह से भी सिर दर्द हो जाती है ।

सर्दी–जुकाम में पालक में पालक के सेवन से  फायदा मिलता है । जिन लोगों को भी सिर दर्द की परेशानी होती है, उनको पालक का सेवन जरूर करना चाहिए ।

मोतियाबिंद में पालक फायदेमंद

उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद की बीमारी होना आम बात हो गई है। मोतियाबिंद होने से लोगों को देखने में परेशानी होने लगती है। आयुर्वेद के अनुसार, पालक का सेवन करने से मोतियाबिंद से आराम मिल सकता है।

पालक का प्रयोग आँखों के रोग में फायदेमंद

पालक के गुण से आँखों संबंधी समस्याओं में लाभ पहुंचता है । पालक पंचांग के रस को आंखों में लगाने से आँखों की सूजन ठीक होती है । पालक की जड़, पीपल, शंख और अश्वगंधा को अलग-अलग 4-4 मासा (0.97 ग्राम) लें । इन्हें  जम्बीरी नींबू के रस से पीस लें और इसकी गोलियां बना लें । इन गोलियों को पीसकर आंखों में लगाने से आंखों के रोग में लाभ होता है ।

पालक के प्रयोग से गले के दर्द से आराम

अकसर मौसम के बदलने पर गले में खराश या गले में दर्द की शिकायत होने लगती है । इस परेशानी को पालक के सेवन से दूर कर सकते हैं । पालक के पत्तों को उबाल लें फिर इस रस को गुनगुना होने पर पिएं । पालक के जूस के फायदे से गले की सूजन से आराम मिलता है ।

फेफड़ों के सूजन में फायदेमंद पालक का सेवन

कभी-कभी सांस लेने वाली नली में किसी प्रकार के संक्रमण के कारण फेफड़ों में सूजन आ जाती है । इसमें पालक के पत्ते का रस यानि पालक के जूस के फायदे से सूजन कम होने में मदद मिलती है ।  5 मिली पालक पत्ते के रस का सेवन करें । इससे फेफड़ों की सूजन कम होती है ।

आईबीएस रोग (पेट की समस्या) में पालक के उपयोग से लाभ

इरिटेब्ल बॉवेल सिंड्रोम या ग्रहणी एक ऐसी बीमारी है जिसमें लोगों को पेट से संबंधित समस्या हो जाती है । इसमें आंतों में सूजन हो जाती है , और इसके कारण खाना हजम नहीं हो पाता । इसके कारण उल्टी भी होने लगती है । पालक का औषधीय गुण इस अवस्था को सुधारने में मदद करता है । आप पालक का साग बनाकर खाएं । इससे लाभ होता है । यह डायबिटीज रोग में लाभ दिलाती है ।

गुदा मार्ग के सूजन में पालक के फायदे

जिनको पाइल्स या बवासीर की समस्या है, उनको गुदा में सूजन की परेशानी भी हो जाती है । इस हालत में पालक का प्रयोग लाभकारी होता है । पालक के पत्ते का साग बनाकर सेवन करने से गुदा की सूजन कम होती है ।

लीवर के सूजन में पालक के लाभ

लीवर के सूजन में पीलिया होने का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है । पीलिया या जॉन्डिश होने पर पालक के बीज या पालक का पेस्ट बनाकर खाने से लाभ मिलता है । 1-2 ग्राम पालक बीज का चूर्ण या 1-2 ग्राम पालक पेस्ट का सेवन करें। इससे लीवर की सूजन और पाण्डु या एनीमिया रोग में भी लाभ  मिलता है । पालक का गुण लीवर के सूजन को कम करने में मदद करता है ।

मूत्र रोग में पालक के सेवन से लाभ

जिन लोगों को पेशाब करते वक्त दर्द होता है, उन्हें पालक का इस्तेमाल इस तरह से करना चाहिए । आप 5-10 मिली पालक बीज का काढ़ा बना लें । इसका सेवन करने से पेशाब में दर्द की बीमारी ठीक होती है ।

गठिया के दर्द से दिलाये राहत पालक

गठिया का दर्द लोगों को बहुत परेशान करता है । हाथ-पैर , कमर में और जोड़ो में भी गठिया के कारण तेज दर्द होता है। इसमें लाभ पाने के लिए पालक के बीज और पत्ते का इस्तेमाल इस तरह कर सकते हैं । आप पालक के बीजों तथा पत्तों को पीसकर जोड़ों पर लगाएं । इससे दर्द और सूजन कम होती है । गठिया का दर्द कम करने में पालक का गुण फायदेमंद साबित होता है ।

सफेद दाग में पालक का इस्तेमाल

सफेद दाग की समस्या में भी पालक का प्रयोग करना फायदेमंद होता है । पालक के पत्ते का पेस्ट बनाकर लगाने से दाग कम होते हैं।

पामा या खुजली में फायदेमंद पालक

अकसर त्वचा के शुष्क हो जाने या किसी एलर्जी के कारण , त्वचा पर खुजली या लाल-लाल दाने आने लगते हैं । इसके लिए पालक के बीजों में समान मात्रा में खसखस के बीजों को मिला लें । इसे पीसने के बाद प्रभावित जगह पर ठीक से लगा लें । इसके बाद नीम के पत्ते वाली पानी से नहा लें । इससे खुजली या एग्जिमा ठीक होती है ।

कमजोरी दूर करें पालक

अकसर पौष्टिकता की कमी या किसी बीमारी के वजह से कमजोरी हो जाती है । शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए 5-10 मिली पालक पत्ते के रस का रोज सेवन करें । इससे शरीर में खून की कमी दूर होती है और शरीर को नई ऊर्जा मिलती है ।

हड्डियों के लिए पालक जूस के फायदे

पालक का जूस हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंद होता है । पालक में पाए जाने वाले  विटामिन्स और मिनिरल जैसे कैल्शियम और आयरन हड्डियों को मज़बूती प्रदान करते हैं जिससे ऑस्टोपोरोसिस , एनीमिया जैसी  बीमारियों से बचाव होता है ।

डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया में पालक के फायदे

पालक का सेवन शरीर के डेटोक्सिफिकेशन में सहायता करता है। पालक आहारनालिका में जमी गंदगी यानि टोक्सिन्स को बाहर निकालकर शरीर के शुद्ध करती है, क्योंकि पालक में विरेचक (लैक्सटिव) का गुण पाया जाता है।

उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद पालक

आजकल तो तनाव और अंसुतलित खान-पान के कारण ज्यादातर लोगों को उच्च रक्तचाप की बीमारी होने लगी है । इसके लिए 5- 10 मिली पालक के रस में समान भाग नारियल का जल मिला लें । इसके सेवन से उच्च रक्तचाप में फायदा पहुंचता है ।

पालक का उपयोगी भाग

आयुर्वेद में पालक के पत्ते और बीज का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है ।

पालक का इस्तेमाल कैसे करें?

हर बीमारी के लिए पालक का सेवन और इस्तेमाल कैसे करना चाहिए , इसके बारे में पहले ही बताया गया है । अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए पालक का उपयोग कर रहें हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

पालक कहाँ पाई या उगाई जाती है ?

पालक लगभग 2100 मीटर तक की ऊंचाई पर होती है । यह खेतों तथा बागों में बोई जाती है । यह भाद्रपद महीने में ज्यादा उगती है। मार्गशीर्ष से चैत्र मास तक इसके पत्ते साग के लिए काटे जाते हैं ।

गर्भवती महिलाओं के लिए क्या पालक फायदेमंद होता है ?

जी हाँ गर्भवती महिलाओं के लिए पालक का सेवन बहुत फायदेमंद होता है , क्योंकि पालक आयरन का  मुख्य स्रोत होता है जिसकी गर्भवती महिलाओं को आवश्यकता होती है । पालक का सेवन किस प्रकार और कब तक करना है इसके लिए चिकित्सक से परामर्श लेना ही बेहतर होता है ।

यदि पालक का उपयोग सही तरीके से किया जाए तो, पालक के फायदे बहुत सारे है । यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है । पालक में बहुत से गुण पाए जाते है । तो आज ही पालक को अपनी खानपान का महत्वपूर्ण हिस्सा बना लें। पालक के फायदे जानकार आपको ये पोस्ट कैसी लगी अपने विचार कमेंट में बताएं।

Post topic: Benefits of Spinach (Palak) पालक के फायदे, पालक के गुण, पालक, Palak ke fayade, Benefits of Palak

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on X.com (twitter) https://twitter.com/Mindians_In

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


मेथी के गुण और उपयोग – गुण अनेक हैं तो फायदे भी अनेक हैं।

मेथी के गुण और उपयोग – गुण अनेक हैं तो फायदे भी अनेक हैं।

दोस्तों आप सभी मेथी के बारे में जरूर जानते होंगे । इसे मेथिका भी कहते हैं। मेथी का इस्तेमाल हर घर में होता है । आज हम मेथी के गुण (Benefits of fenugreek) के बारे में जानेगे ।

मेथी गुणों से भरपूर है, इसको खाने के अनेक फायदे हैं (Benefits of fenugreek)

मेथी के साग को घर-घर में पसंद किया जाता है। मेथी का साग स्वादिष्ट होने के साथ-साथ बेहद पौष्टिक भी होता है। मेथी के बीजों का अपना अलग उपयोग है। आइए मेथी के बारे में विस्तार से जानते हैं…

मेथी क्या है ?

लोग मेथी के पत्तों का साग बहुत पसंद करते हैं । मेथी का पौधा साल में एक बार होता है । पौधे की लंबााई लगभग 2-3 फीट लंबा होती है । पौधे में छोटे-छोटे फूल आते हैं । इसकी फली मूंग दाल के जैसी होती है । इसके बीज बिलकुल छोटे-छोटे होते हैं । यह स्वाद में कड़वा होता है ।

मेथी के पत्ते हल्के हरे और फूल सफेद रंग के होते हैं । इसकी फली में 10 से लेकर 20 छोटे, पीले-भूरे रंग के तेज गंध वाले बीज होते हैं। इन बीजों का उपयोग कई सारे रोगों में किया जाता है । इसकी एक और प्रजाति होती है, जिसको वन मेथी कहते हैं । यह कम गुण वाला होता है । इसे जानवरों के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है ।

कई लोग मेथी की चटनी पसंद करते हैं । मेथी के दानों से साबुन और सौंदर्य प्रसाधनों की चीजें बनाई जाती हैं । इसके अलावा भी मेथी के कई फायदे हैं । क्या आप जानते हैं कि मेथी का उपयोग एक औषधि के रूप में भी किया जाता है, और मेथी से लाभ लेकर रोगों का इलाज किया जाता है ?

आयुर्वेद में यही बताया गया है कि मेथी अनेक रोगों की दवा भी है । इसके बीजों का प्रयोग मसालों के साथ-साथ औषधि के रूप में किया जाता है। गाँवों में प्रसूता स्त्री को मेथी के लड्डू विशेष रूप से दिये जाते हैं।

मेथी और मेथी के तेल में डायबिटीज को नियंत्रित करने और गाँठ को बनने से रोकने के गुण होते हैं। आइए जानते हैं कि आप मेथी के फायदे किस तरह से ले सकते हैं।

अन्य भाषाओं में मेथी के नाम

मेथी का वानस्पतिक नाम ट्राइगोनेला फीनम् ग्रीकम् है। यह फेबेसी कुल का पौधा है । अंग्रेजी और विविध भारतीय भाषाओं में इसका नाम निम्नानुसार हैं :-

  • हिंदी (Hindi) मेथी
  • अंग्रेजी (English) ⦂ फेनुग्रीक (Fenugreek),
  • ग्रीक (Greek) ⦂ ग्रीक क्लोवर (Greek clover)
  • संस्कृत (Sanskrit) ⦂ मेथिका, मेथिनी, मेथी, दीपनी, बहुपत्रिका, बोधिनी, बहुबीजा, ज्योति, गन्धफला, वल्लरी, चन्द्रिका, मन्था, मिश्रपुष्पा, कैरवी, कुञ्चिका, बहुपर्णी, पीतबीजा, मुनिच्छदा
  • उड़िया (Oriya) मेथी (Methi)
  • असमिया (Assamese) मेथी (Methi)
  • कन्नड़ (Kannada) मेंथे (Menthe), मेन्ते (Mente)
  • गुजराती (Gujarati) मेथी (methi), मेथनी (Methani)
  • तमिल (Tamil) मेंटुलु (Mentulu), वण्डयम् (Vandayam)
  • तेलुगु (Telugu) मेन्तीकूरा (Mentikura); मेन्तूलू (Mentulu)
  • बंगाली (Bengali) मेथी (Methi), मेथनी (Methani)
  • नेपाली (Nepali) मेथी (Methi)
  • पंजाबी (Punjabi) मेथी (Methi), मेथिनी (Methini)
  • मराठी (Marathi) मेथी (Methi)
  • मलयालम (Malayalam) उल्लव (Ullav), उलूवा (Uluva)
  • मणिपुरी (Manipuri) मेथी (Methi)
  • अरबी (Arabic) हिल्बेह (Hilbeh), हुल्बाह (Hulbah)

मेथी के फायदे ही फायदे

मेथी के फायदे की बात की जाये तो मेथी इतने फायदे हैं कि कहने की ही क्या। ये गुणों से भरपूर है, और इसके फायदे ही फायदे हैं।

बालों का झड़ना रोकने में मेथी के औषधीय गुण फायदेमंद

मेथी की सहायता से बालों का झड़ना रोका जा सकता है । इसके लिए 1-2 चम्मच मेथी के दानों को रात भर के लिए भिगो दें। इसे सुबह पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं । एक घण्टे बाद बालों को धो लें । सप्ताह में दो से तीन बार लगाने से बालों का गिरना बंद हो जाता है।

कान के बहने पर मेथी के औषधीय गुण

कान के बहने की बीमारी में मेथी के फायदे ले सकते हैं । मेथी के बीजों को दूध में पीस लें । इसे छानकर तैयार कर लें। इस रस को गुनगुना या हल्का गर्म करके 1-2 बूँद कान में डालें । इससे कान का बहना बंद हो जाता है ।

मेथी के सेवन से ह्रदय रोग में लाभ

एंटीआक्सीडेंट गुणों के कारण मेथी हृदय रोग के लिए लाभकारी है । यह रक्त-संचार को सही रखता है । मेथी में घुलनशील फाइबर होता है जो हृदय रोग के खतरे को घटाता है । हृदय को स्वस्थ रखने के लिए मेथी के 10-15 मिली काढ़े में शहद मिलाकर पिएं । मेथी के दाने खराब कोलेस्ट्रॉल को भी कम करते हैं। रोजाना मेथी के दानों के चूर्ण का सेवन करने से खराब कोलेस्ट्रॉल कम होते हैं।

पेट के रोग में मेथी के सेवन से लाभ

मेथी के बीज कब्ज दूर करने में काफी लाभकारी हैं। मेथी, चंद्रसूर, मंगरैला (कलौंजी) और अजवाइन का रोजाना सेवन करें। इससे गैस सम्बन्धी रोग, अपच, पेट में दर्द, भूख की कमी, पेट का फूलना, पेट दर्द और कमर दर्द आदि रोगों में लाभ होता है ।

मेथी के सेवन से कब्ज का इलाज

कब्ज में मेथी का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। अगर कब्ज से परेशान रहते हैं तो मेथी के पत्तों का साग बनाकर खाएं। इससे कब्ज की परेशानी से राहत मिलती है। मेथी मल को नरम करके कब्ज को ठीक करता है।

मेथी के औषधीय गुण से उलटी पर रोक

उलटी की परेशानी में मेथी के औषधीय गुण से लाभ मिलता है । बार-बार उलटी से परेशान रहते हैं तो मेथी के बीजों का चूर्ण का सेवन करें । इससे उलटी बंद होती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मेथी का औषधीय गुण लाभदायक

आप मेथी के फायदे डायबिटीज में भी ले सकते हैं। मेथी का नियमित सेवन करने से खून में चीनी की मात्रा नियंत्रित रहती है। एक चम्मच मेथी के दानों का चूर्ण बना लें। इसे रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें। मेथी के दानों को रोज पानी में भिगो दें । इसे सुबह चबा-चबा कर खाएं । ऊपर से मेथी दाने का पानी भी पी लें।

पेचिश में मेथी का फायदे

मेथी से पेचिश का इलाज किया जा सकता है। इसके लिए 5 ग्राम मेथी के बीजों को घी में भून लें। इसे खाने से दस्त में लाभ होता है । मेथी के बीजों को भूनकर काढ़ा बना लें । 15-20 मिली मात्रा में काढ़ा पीने से पेचिश में लाभ होता है । अगर लंबे समय से दस्त से परेशान हैं तो 1-2 ग्राम मेथी चूर्ण को छाछ में मिलाकर पीने से लाभ होता है ।

प्रसव के बाद महिलाओं को होता है मेथी के सेवन से लाभ

महिलाओं को प्रसव के बाद मेथी के औषधीय गुण से बहुत लाभ मिलता है । मेथी दाना से प्रसूता स्त्रियों के स्तनों में दूध बढ़ता है । इसके के सेवन से माता के दूध की गुणवत्ता भी बढ़ती है जिससे शिशु का स्वास्थ्य भी अच्छा होता है । माताएं मेथी की सब्जी, सूप आदि का सेवन कर सकती हैं ।

जीरा, सौंफ, सोया, मेथी आदि में गुड़, दूध एवं गाय का घी मिलाकर पका लें । इसका सेवन कराएं । इससे योनि के रोग, बुखार, टीबी, खाँसी, सांसों का फूलना, एनीमिया, दुबलापन आदि बीमारियों में लाभ होता है । गैस बनने और गैस के कारण होने वाले रोगों में भी मेथी के सेवन से लाभ होता है । मेथी के दानों को रात-भर भिगो कर सुबह खाया जाता है ।

मासिक धर्म विकार में मेथी के फायदे

आज बड़ी संख्या में महिलाएँ मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं से पीड़ित हैं। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेट में दर्द, अधिक रक्तस्राव जैसी परेशानी होने लगती है। मासिक धर्म की प्रक्रिया को एस्ट्रोजेन नामक एक हारमोन नियंत्रित करता है। इसके दानों में एस्ट्रोजेन के गुण होते हैं, इसलिए यह मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में लाभदायक होता है।

मेथी के सेवन से खून भी बनता है, और दर्द भी कम होता है तथा मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करने के लिए मेथी के 1-2 ग्राम बीजों का सेवन करें । हम मेथी के दानों की चाय बनाकर भी पी सकते है । मेथी की चाय को मीठा बनाकर थोड़ा ठंडा होने दें । इसमें शहद मिला लें । अधिक लाभ होगा ।

गोनोरिया रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है

1-2 ग्राम मेथी के चूर्ण में गुड़ मिलाकर सेवन करने से गोनोरिया रोग में लाभ होता है । उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें ।

घावों में मेथी के फायदे

घाव में मेथी के औषधीय गुण से लाभ मिलता है । घाव में अगर सूजन हो गई हो, और जलन भी हो रही तो मेथी के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं । इससे घाव की सूजन और जलन दोनों ही ठीक हो जाती है । बंद मुंह वाले घावों में मेथी के बीजों को पीसकर लगाएं।

लीवर को स्वस्थ रखने के लिए मेथी का सेवन फायदेमंद

एक रिसर्च के अनुसार, मेथी में एंटी-ऑक्सीडेंट और हिपेटो-प्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं । यह लीवर के लिए भी लाभदायक होता है ।

न्यूरो समस्याओं (तंत्रिका विकार) में मेथी का औषधीय गुण लाभदायक

1-2 ग्राम मेथी के बीज का चूर्ण सेवन करें। इससे तंत्रिका-तंत्र से संबंधित विकारों में लाभ होता है । इसके इस्तेमाल से धीरे-धीरे तंत्रिका-तंत्र की समस्याएं ठीक होने लगती हैं ।

शरीर में दर्द होने पर मेथी का औषधीय गुण फायदेमंद

मेथी के दानों में दर्दनिवारक गुण होते हैं। 1-2 ग्राम मेथी चूर्ण का सेवन करने से पूरे शरीर का दर्द कम होता है ।

त्वचा रोग में मेथी के औषधीय गुण से लाभ

आप मेथी के फायदे से त्वचा रोग का इलाज भी कर सकते हैं । मेथी का लेप बना लें । इसे त्वचा रोग जैसे दाद-खाज-खुजली या एग्जिमा वाले स्थान पर लगाएं । यह लाभ दिलाता है ।

सूजन में मेथी के फायदे

मेथी में एंटी-इनफ्लेमेटरी (सूजनरोधी) गुण भी पाया जाता है । किसी भी प्रकार की सूजन होने पर मेथी के पत्तों एवं बीजों को पीसकर लगाने से आराम मिलता है ।  मेथी के बीज और जौ के आटे को सिरके के साथ पीस लें । अगर गालों पर सूजन हो गई हो तो गालों पर पतला लेप करें । इससे सूजन कम होती है ।

अर्थराइटिस (गठिया) के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है मेथी गठिया की बीमारी में भी मेथी से लाभ होता है । दरअसल गठिया (अर्थराइटिस) वात दोष के कारण होता है । मेथी में वात को संतुलित करने के गुण पाए जाते हैं । यह गठिया (अर्थराइटिस) के दर्द को कम करने में मदद करता है । आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से गठिया में मेथी के इस्तेमाल की जानकारी लें ।

पाचन-तंत्र विकार में मेथी के फायदे

मेथी में उष्ण और दीपन गुण पाए जाते हैं। इसके कारण यह पाचन अग्नि को बढ़ाकर पाचन-तंत्र को मजबूत रखता है। यह भूख बढ़ने में भी मदद करता है ।

रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मेथी फायदेमंद

आपको रक्तचाप की समस्या है तो मेथी से लाभ ले सकते हैं । मेथी में एंटी-हाइपरटेन्सिव का गुण होता है जिससे यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है ।

मेथी के उपयोगी हिस्से

आप मेथी के पौधे के इन भागों का उपयोग कर सकते है –

  • पत्ते
  • बीज

मेथी का इस्तेमाल कैसे करें ?

मेथी के दानों का काढ़ा – 10-20 मिली मेथी के दानों का चूर्ण – 1-2 ग्राम अधिक लाभ के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श अनुसार मेथी का इस्तेमाल करें ।

मेथी कहाँ पाया या उगाया जाता है?

भारत के समस्त प्रदेशों में मेथी की खेती की जाती है । मुख्यतः गंगा के ऊपरी मैदानी भागों और कश्मीर एवं पंजाब में मेथी की खेती की जाती है । भूमध्यसागरीय इलाकों, दक्षिणी यूरोप और पश्चिमी एशिया में विशेष रूप से इसकी खेती की जाती है । चीन में सुगंधित बीजों के कारण इसे उगाया जाता है ।  अफ्रीका में जानवरों के चारे के लिए इसकी खेती की जाती है।

मेथी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है । हमें दवाइयों का सेवन कम करके घर में मेथी के गुणों का उपयोग करना चाहिए । मेथी सब के घरों में आसानी से मिल जाती है । इसके सेवन में खाने से लेकर अपने स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए कर सकते है ।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

Post topic: Benefits of fenugreek, मेथी के गुण, मेथी के साग के फायदे, मेथीदानों के फायदे, मेथी के लाभ, Methi ke Fayde, methi ka gun


नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on X.com (twitter) https://twitter.com/Mindians_In

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


पालक के फायदे : पोषक तत्वों से भरपूर है ये वनस्पति

टेस्ट क्रिकेट के पूरे इतिहास में 25 टेस्ट मैच ऐसे हो चुके हैं जो दो दिन में खत्म हो चुके हैं, जानें पूरी लिस्ट।

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच 3 जनवरी 2024 को शुरु हुआ दूसरा टेस्ट मैच केवल दो दिन में ही खत्म हो गया। दो दिन में खत्म होने वाले 25 टेस्ट मैच की लिस्ट (Test matches ending in two days) को जानते हैं…

अभी तक 25 टेस्ट मैच ऐसे हो चुके है जो केवल दो दिन में खत्म हो गए  (Test matches ending in two days)

अफ्रीका के दौर में दो टेस्ट मैच की सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच 3 जनवरी 2024 को शुरू हुआ था और 4 जनवरी 2024 को टेस्ट मैच खत्म हो गया। यानी दोनों टीमों ने दो दिन के अंदर ही चार इनिंग खेल डालीं। जिस तरह यह टेस्ट मैच टेस्ट क्रिकेट के डेढ़ सौ साल के इतिहास में सबसे कम समय में खत्म होने वाला टेस्ट मैच भी बन गया।

टेस्ट क्रिकेट की डेढ़ सौ साल के इतिहास में इससे पहले 24 बार ऐसे टेस्ट मैच ऐसे हुए हैं, जो केवल 2 दिन में ही खत्म हो गए। भारत और दक्षिणी अफ्रीका के बीच खेला गया। यह टेस्ट मैच 25वां टेस्ट मैच था, जो केवल 2 दिन के अंदर ही खत्म हो गया।

जाहिर है, अगर टेस्ट मैच 2 दिन के अंदर खत्म हुआ है तो वह उसमें रिजल्ट अवश्य निकला होगा। पहली बार 2 दिन में खत्म होने वाला टेस्ट मैच 1882 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था। यह टेस्ट मैच 28 अगस्त 1882 को इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था, जो केवल दो दिन में ही खत्म हो गया और इस टेस्ट मैच को ऑस्ट्रेलिया ने जीता था। उसके बाद से एक के बाद एक 24 टेस्ट मैच ऐसे हुए जो केवल 2 दिन में ही खत्म हो गए।

इन सभी टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दोनों ने 9-9 बार 2 दिन में टेस्ट मैच जीते थे। भारत ने ऐसे तीन टेस्ट मैच 2 दिन में जीते हैं। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया वर्तमान टेस्ट मैच तीसरा टेस्ट मैच था जो भारत ने दो दिन में जीत लिया।

1. इंग्लैंड ⟺ ऑस्ट्रेलिया, ओवल, 1882

  • ऑस्ट्रेलिया – 63/10 और 122/10
  • इंग्लैंड – 101/10 और 77/10

परिणाम – ऑस्ट्रेलिया 7 रन से जीता

2. इंग्लैंड ⟺ ऑस्ट्रेलिया, लॉर्ड्स, 1888

  • ऑस्ट्रेलिया – 116/10 और 60/10
  • इंग्लैंड – 53/10 और 62/10
  • परिणाम – ऑस्ट्रेलिया 61 रन से जीता।

3. इंग्लैंड ⟺ ऑस्ट्रेलिया, ओवल, 1888

  • इंग्लैंड – 317/10
  • ऑस्ट्रेलिया 80/10 और 100/10

परिणाम – इंग्लैंड एक पारी और 137 रन से जीाता।

4. इंग्लैंड ⟺ ऑस्ट्रेलिया, मैनचेस्टर, 1888

  • इंग्लैंड – 172/10
  • ऑस्ट्रेलिया – 81/ और 70/10

परिणाम – इंग्लैंड एक पारी और 21 रन से जीता।

5. दक्षिण अफ़्रीका ⟺ इंग्लैंड, पोर्ट एलिज़ाबेथ, 1889

  • दक्षिण अफ्रीका – 84/10 और 129/10
  • इंग्लैंड – 148/10 और 67/2

परिणाम – इंग्लैंड ने 8 विकेट से जीत हासिल की।

6. दक्षिण अफ़्रीका ⟺ इंग्लैंड, केप टाउन, 1889

  • इंग्लैंड – 292/10
  • दक्षिण अफ्रीका – 47/10 और 43/10

परिणाम – इंग्लैंड एक पारी और 202 रन से जीता।

7. इंग्लैंड ⟺ ऑस्ट्रेलिया, ओवल, 1890

  • ऑस्ट्रेलियाई- 92/10 और 102/10
  • इंग्लैंड – 100/10 और 95/8

परिणाम – इंग्लैंड 2 विकेट से जीता।

8. दक्षिण अफ़्रीका ⟺ इंग्लैंड, पोर्ट एलिज़ाबेथ, 1896

  • इंग्लैंड – 185/10 और 226/10
  • दक्षिण अफ्रीका – 93/10 और 30/10

परिणाम – इंग्लैंड 288 रन से जीता।

9. दक्षिण अफ्रीका ⟺ इंग्लैंड, केप टाउन, 1896 

  • दक्षिण अफ्रीका – 115/10 और 117/10
  • इंग्लैंड – 265/10

परिणाम – इंग्लैंड एक पारी और 33 रन से जीता।

10. ऑस्ट्रेलिया ⟺ दक्षिण अफ्रीका, मैनचेस्टर, 1912

  • ऑस्ट्रेलिया – 448/10
  • दक्षिण अफ्रीका – 265/10 और 95/10

परिणाम – ऑस्ट्रेलिया एक पारी और 88 रन से मैच जीता।

11. इंग्लैंड ⟺ दक्षिण अफ्रीका, ओवल, 1912

  • दक्षिण अफ्रीका – 95/10 और 93/10
  • इंग्लैंड – 176/10 और 14/0

परिणाम – इंग्लैंड ने 10 विकेट से मैच जीता।

12. इंग्लैंड ⟺ ऑस्ट्रेलिया, नॉटिंघम, 1921

  • इंग्लैंड – 112/10 और 147/10
  • आस्ट्रेलियाई – 232/10 और 30/0

परिणाम – ऑस्ट्रेलिया ने 10 विकेट से जीत दर्ज की।

13. ऑस्ट्रेलिया ⟺ वेस्ट इंडीज, मेलबर्न, 1931

  • वेस्टइंडीज- 99/10 और 107/10
  • ऑस्ट्रेलिया – 328/8

परिणाम – ऑस्ट्रेलिया ने एक पारी और 122 रन से जीत दर्ज की।

14. दक्षिण अफ़्रीका ⟺ ऑस्ट्रेलिया, जोहान्सबर्ग, 1936

  • दक्षिण अफ्रीका – 157/10 और 98/10
  • ऑस्ट्रेलिया – 439/10

परिणाम – ऑस्ट्रेलिया ने एक पारी और 184 रनों से जीत हासिल की.

15. न्यूजीलैंड ⟺ ऑस्ट्रेलिया, वेलिंगटन, 1946

  • न्यूजीलैंड – 42/10 और 54/10
  • ऑस्ट्रेलिया – 199/8 रन

परिणाम – ऑस्ट्रेलिया ने 103 रन से जीत दर्ज करने की।

16. इंग्लैंड ⟺ वेस्टइंडीज, लीड्स, 2000

  • वेस्टइंडीज – 172/10 और 61/10
  • इंग्लैंड – 272/10

परिणाम – इंग्लैंड ने एक पारी और 39 रन से जीत दर्ज की.

17. ऑस्ट्रेलिया ⟺ पाकिस्तान, शारजाह, 2002

  • पाकिस्तान – 59/10 और 53/10
  • ऑस्ट्रेलिया – 319/10

परिणाम – ऑस्ट्रेलिया ने एक पारी और 198 रन से जीत हासिल की।

18. दक्षिण अफ़्रीका ⟺ ज़िम्बाब्वे, केप टाउन, 2005

  • जिम्बाब्वे – 54/10 और 265/10
  • दक्षिण अफ्रीका – 340/3

परिणाम – दक्षिण अफ्रीका एक पारी और 21 रन से जीत से जीता।

19. जिम्बाब्वे ⟺ न्यूजीलैंड, हरारे, 2005

  • न्यूजीलैंड – 452/9
  • जिम्बाब्वे – 59/10 और 99/10

परिणाम – न्यूजीलैंड ने एक पारी और 294 रन से जीत हासिल की।

20. दक्षिण अफ्रीका ⟺ जिम्बाब्वे, पोर्ट एलिजाबेथ 2017

  • दक्षिण अफ्रीका – 309/9
  • जिम्बाब्वे – 68/10 और 121/10

परिणाम – दक्षिण अफ्रीका एक पारी और 120 रन से जीता।

21. भारत ⟺ अफगानिस्तान, बेंगलुरु, 2018

  • भारत – 474/10
  • अफगानिस्तान – 109/10 और 103/10

परिणाम – भारत एक पारी और 262 रन से जीता।

22. भारत ⟺ इंग्लैंड, अहमदाबाद, 2021

  • इंग्लैंड – 112/10 और 81/10
  • भारत – 145/10 और 49/0

परिणाम – भारत 10 विकेट से जीता।

23. अफगानिस्तान ⟺ जिम्बाब्वे, अबू धाबी, 2021

  • जिम्बाब्वे – 131/10 और 135/10
  • अफगानिस्तान – 250/10 और 17/0

परिणाम – अफगानिस्तान 10 विकेट से जीता

24. ऑस्ट्रेलिया ⟺ दक्षिण अफ्रीका, ब्रिस्बेन, 2022

  • दक्षिण अफ्रीका – 152/10 और 99/10
  • ऑस्ट्रेलिया – 218/10 और 35/4

परिणाम – ऑस्ट्रेलिया 6 विकेट से जीता

25. भारत ⟺ दक्षिण अफ्रीका (केपटाउन, 2023)

  • दक्षिण अफ्रीका – 55/10 और 173/10
  • भारत – 153/10 और 80/3

परिणाम – भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 7 विकेट से हराया

Post topic: Test matches ending in two days, दो दिन में खत्म हो जाने वाले टेस्ट मैच, सबसे कम समय में खत्म हो जाने वाला टेस्ट मैच।


नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on X.com (twitter) https://twitter.com/Mindians_In

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


विराट कोहली – सेंचुरी किंग – विराट की सभी सेंचुरी की लिस्ट देखें।

नुपूर शिखरे-इरा खान की शादी हो गई। आमिर खान के दामाद नुपूर शिखरे कौन हैं?

बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान की बेटी इरा खान की शादी नुपूर शिखरे (Nupur Shikhare-Ira Khan Wedding) से हो गई है। बॉलीवुड स्टार के बेटी होने के कारण इरा खान को तो सब जानते हैं, पर नुपूर शिखरे कौन हैं, जानते हैं…

आमिर खान के दामाद और इरा खान के पति नुपूर शिखरे को जान लीजिए (Nupur Shikhare-Ira Khan wedding)

आमिर खान की बेटी इरा खान ने अपने बॉयफ्रेंड ने नुपूर शिखरे के साथ 3 जनवरी 2024 को शादी कर ली है। एक सादे समारोह में दोनों पक्षों के परिवार के नजदीकी लोगों की उपस्थिति में पारंपरिक मराठी रीति रिवाज और कोर्ट मैरिज के से इरा-खान और नुपूर शिखरे शादी के बंधन में बंध गए।

दोनों ने बेहद सादगी से शादी की थी। यहाँ तक की दूल्हा नुपूर शिखरे शादी के समय पारंपरिक दूल्हे के ड्रेस में तक नही थी। वह हाफ पैंट और बनियान पहन कर अपनी बारात लेकर आए। इसी वेशवूषा में उन्होंने इरा खान के साथ कोर्ट मैरिज की।

दोनों की शादी संपन्न हो गई। इरा खान और नूपुर क्षेत्र लंबे समय से रिलेशन में थे। दोनों अपने-अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अक्सर एक दूसरे के साथ एक्टिविटी के फोटोस डालते रहते थे। दोनों एक दूसरे को काफी समय से डेट कर रहे थे। दोनों अपने संबंधों को सोशल मीडिया के जरिए जाहिर कर चुके थे। अब फाइनली दोनों ने शादी कर ली है।

आमिर खान की बेटी इरा खान कुछ समय पहले अपने मेंटली स्ट्रेस को लेकर काफी चर्चा में आई थी। उन्होंने खुद के डिप्रेशन में जाने तथा मेंटली प्रॉब्लम होने के बारे में कई बार अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पोस्ट भी डाले थे। नूपुर शिखरे के साथ भी वह अक्सर सोशल मीडिया पर पोस्ट डालती रहती थी।

आमिर खान के दामाद और इरा खान के पति नूपुर शिखरे कौन है?

नुपूर शिखरे एक फिटनेस ट्रेनर है। वह बॉलीवुड की कई जाने वाली सेलिब्रिटी को फिटनेस ट्रेनिंग दे चुके हैं। इनमें सुष्मिता सेन का नाम भी प्रमुख है, जिन्हें उन्होंने दो साल तक फिटनेस ट्रेनिंग दी। इसके अलावा वह आमिर खान को भी फिटनेस ट्रेनिंग दे चुके हैं।

जब आमिर खान ने अपनी बेटी की फिटनेस ट्रेनिंग के लिए नूपुर शिखरे अप्वॉइंट किया तो धीरे-धीरे ट्रेनिंग देते देते दोनों कपल एक दूसरे के करीब आ गए और एक दूसरे को डेट करने लगे।

नुपूर शिखरे का परिचय

नूपुर क्षेत्र का जन्म 17 अक्टूबर 1985 को महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुआ था। इस समय वह 38 वर्ष के है। वह एक महाराष्ट्रीयन परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता नहीं है। उनकी माता का नाम प्रीतम शिखरे है। उनकी माँ एक डांस टीचर है। इसी कारण नूपुर भी एक अच्छे डांसर हैं।

उनकी स्कूलिंग महाराष्ट्र के पुणे में हुई। उसके बाद वह मुंबई शिफ्ट हो गए और मुंबई के माटुंगा स्थित पोद्दार कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री ली। वह राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर टेनिस भी खेल चुके हैं। इसके अलावा उन्हें अच्छे से डांस करना भी आता है।

उन्होंने अपना करियर फिटनेस ट्रेनिंग के रूप में प्रारंभ किया। वह बॉलीवुड की कई जाने वाली हस्तियों को फिटनेस ट्रेनिंग दे चुके हैं। सुष्मिता सेन को उन्होंने 2 साल तक ट्रेनिंग दी। उसके बाद में आमिर खान को भी उन्होंने ही फिटनेस ट्रेनिंग दी।

आमिर खान ने अपनी बेटी को ट्रेनिंग देने के लिए भी उन्हें ही अप्वॉइंट किया। ये 2020 की बात है। उस समय कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन चल रहा था। लॉकडाउन में ही उन्होंने इरा खान को फिटनेस ट्रेनिंग देना आरंभ किया था। लॉकडाउन के समय से ही दोनों एक दूसरे के नजदीक आ गए और धीरे-धीरे एक दूसरे को डेट करने लगे।

इरा खान को डिप्रेशन और मेंटली प्रॉब्लम से बाहर निकलने में नुपूर शिखरे भी अहम योगदान है, इसीलिए दोनों में जबर्दस्त बॉडिंग हैं। इसी कारण दोनों शादी के बंधन में बने।

इरा खान 

इरा खान की बात की जाए तो इरा खान का जन्म 17 अगस्त 1997 को मुंबई में हुआ था। वह इस समय 26 साल की हैं। उनके पिता आमिर खान बड़े सुपरस्टार हैं और उनकी माँ रीना दत्ता है। उनके माता-पिता का तलाक हो चुका है। उनकी एक सौतेली माँ है, जिनका नाम किरण राव खान है।

इरा खान का एक बड़ा भाई भी है, जिसका नाम जुनैद खान है, जो आमिर खान की सबसे बड़ी संतान है। इसके अलावा आमिर खान की अपनी दूसरी पत्नी किरण राव से एक बेटा है, जिसका नाम आजाद राव खान है।

इरा खान बॉलीवुड में अभिनेत्री के रूप में डेब्यू करने वाली है, ऐसा कुछ नहीं होने वाला। क्योंकि यदि उन्हें बॉलीवुड में डेब्यू करना होता तो वह काफी समय पहले कर चुकी होती और उम्र के इस मोड़ पर शादी नहीं करतीं। उनका बड़ा भाई जुनैद खान भी निर्देशक के रूप में बॉलीवुड में अपनी करियर को आरंभ कर रहा है। भविष्य में हो सकता है उनका भाई निर्देशक या अभिनेता के रूप में बॉलीवुड में डेब्यू करें।

अब नुपूर शिखरे और इरा खान की शादी हो चुकी है और उनकी शादी के बाद आमिर खान ने 13 जनवरी को दोनों की शादी का शानदार रिसेप्शन दिया है। जिसमें फिल्म जगत की जानी-मानी हस्तियां शामिल होंगी।

 

नुपूर शिखरे का Instagram ID

https://www.instagram.com/nupur_popeye/

इरा खान का Instagram ID

https://www.instagram.com/khan.ira/

 

 


नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on X.com (twitter) https://twitter.com/Mindians_In

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


ये हैं 2023 की महाफ्लॉप फिल्में जिनकी बड़ी हिट होने की उम्मीदें थीं।

करेला – स्वाद में भले ही कड़वा है पर गुणों में बेहद मीठा है।

स्वाद में कड़वा होने के कारण करेला अनेक लोगो को भले ही पसंद न हो लेकिन इसके फायदे (Benefits of Bitter Gourd) अद्भुत हैं, आइए इन अद्भुत गुणोंं को जानते हैं…

कड़वे करेले के अनोखे और मीठे गुणों को जान लें (Benefits of Bitter Gourd)

करेला एक ऐसी सब्जी है जिसे बहुत कम लोग खाना पसंद करते हैं, लेकिन करेला जहाँ जितने कम लोगों की पसंद होता है, उसके विपरीत उसमें गुणों की मात्रा बहुत अधिक होती है। करेले के कड़वे स्वाद के कारण बहुत लोग उसे खाना पसंद नहीं करते और उसके अनमोल गुणों से वंचित रह जाते हैं।

करेले के हम खुद इन्हीं गुणों को हम जानते हैं ताकि आप करेले के गुणों को जानकर करेले से प्यार करने लग जाएंगे। करेले के अंदर अनेक तरह के पोषक तत्व छुपे होते हैं। यह एक तरह से पोषक तत्वों का पिटारा है। करेले के गुणों को जानते हैं।

करेले में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए बेहद लाभदायक होता है। करेले में बहुत कम कैलोरी होती है और फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिससे इसे खाने से पाचन शक्ति तो मजबूत होती ही है. कैलोरी भी बहुत अधिक नहीं मिलती।

100 ग्राम करेले में पाए जाने वालो पोषक तत्वों की मात्रा

  • कैलोरी : 17 ग्राम
  • कार्बोहाइड्रेट : 37 ग्राम
  • फाइबर : 28 ग्राम
  • शुगर : 10 ग्राम
  • प्रोटीन : 2 ग्राम

इसके अलावा करेले में विटामिन सी, विटामिन ए, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन आदि पोषक तत्व थोडी-थोड़ी मात्रा में पाए जाते हैं।

करेले के लाभ

करेला स्वाद में कड़वा होने के बावजूद गुणों से बहुत भरा हुआ है। ये मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है। इसके लाभ को जानते हैं…

डायबिटीज मे लाभदायक

100 ग्राम करेले का नियमित सेवन शरीर का शुगर लेवल काफी हद तक नियंत्रित हो सकता है। करेले में चारैनटिन तथा पॉलिपेप्टाइड जैसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में इंसुलिन को प्राकृतिक रूप से बनाने में सहायता करते हैं। इससे शरीर के अंदर रक्त शर्करा यानी ब्लड शुगर का लेवल नियंत्रित रहता है। करेले के गुण के कारण यह डायबिटीज के रूप में बेहद लाभदायक है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं। इसी कारण इसका सेवन तनाव को दूर करने में मदद करता है।

वजन को नियंत्रित करने में सहायक

करेला में बेहद कम मात्रा में कैलोरी पाई जाती है तथा यह हाई फाइबर वाली सब्जी है। इसी कारण करेले को अपनी भोजन की दिनचर्या का नियमित हिस्सा बनाने से ये वजन को नियंत्रित करने में सहायक होता है। अधिक फाइबर होने के कारण इसको खाने से बहुत अधिक भूख नहीं लगती, जिससे व्यक्ति कम खाता है जो वजन घटाने के लिए आवश्यक है।

लिवर को बीमारी में लाभदायक

करेले में लिवर को स्वस्थ रखने वाले गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से लिवर की सूजन कम होती है होता है। करेले के जूस में जो गुण पाए जाते हैं, वो लिवर के लिए बेहद लाभदायक हैं।

रूसी में लाभदायक

रूसी से परेशान हैं? करेले का ताजा रस सिर पर लगाएं रूसी में लाभ मिलेगा।

गले के रोगों मे लाभदायक

जब आपकी आवाज अत्यधिक बात करने या चिल्लाने से गला बैठ गया हो या खराब हो गया हो  5 ग्राम करेले की जड़ के पेस्ट को शहर या 5 मिलीलीटर तुलसी के रस के साथ सेवन करने से गले के बैठने में काफी आराम मिलता है तथा गले की सूजन भी कम होती है। गले की सूजन कम करने के लिए करेले को सुखाकर उसे सिरके (विनेगर) के साथ पीस लें और फिर इसे गर्म करके इसका लेप गले पर लगाने से गले की सूजन कम होती है।

सर्दी जुकाम में करेला लाभदायक

5 ग्राम करेले के जड़ का पेस्ट बनाकर उसे शहद या 5 मिलीमीटर तुलसी के रस के साथ खाने से सर्दी जुकाम में काफी लाभ मिलता है तथा कफ आदि की समस्या भी मिटती है

कान के दर्द में करेला लाभदायक

कान के दर्द में करेले कान का दर्द होने पर करेले के ताजे पत्तों को कूट कर उसका रस निकाल कर उसे गुनगुना करके दो बूंद कान में डालने से कान के दर्द में आराम मिलता है।

पेट के कीड़े होने पर करेला लाभदायक

यदि पेट में कीड़े हो गए हो तो 10 से 12 मिलीलीटर के करेले पत्ते का रस पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

चर्म रोगों में करेला बेहद लाभदायक

किसी भी तरह के चर्म रोग होने पर करेले का जूस के नियमित सेवन करने से काफी लाभ मिलता है। इसके अलावा करेले के पत्ते, दालचीनी, पीपर और चावल को बादाम के तेल में मिलाकर लगाने से तमाम तरह के त्वचा विकार तथा चर्म रोगों में लाभ मिलता है।

फोड़े-फुंसी होने पर करेले के पत्ते के रस को फोड़ों पर लगाने से फोड़े-फुंसी ठीक हो जाते हैं। करेले के जूस एक उत्तम रक्तशोधक है। इसके जूस का नियमित सेवन रक्त को शुद्ध करता है। रक्त संबंधी बीमारियां ठीक होती हैं। फोड़े फुंसी कम होते हैं।

अंत में…

तो करेले के कुछ लाभ से आप परिचित हो गए। इसके और भी बहुत लाभ है। आप करेले की सब्जी से दूर न भागे और उसे जब-तब खाए कम से कम हफ्ते मे दो बार अवश्य खाएं। आपको काफी लाभ होगा।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

Post topic: Benefits of Bitter Gourd

करेला के फायदे, करेला के गुण, करेला के लाभ, Benefits of Bitter gourd, Herbal, Ayurveda benefits


नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on X.com (twitter) https://twitter.com/Mindians_In

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


अश्वगंधा के फायदे व सेवन की विधि – जरूर जानें

अश्वगंधा के फायदे व सेवन की विधि – जरूर जानें

आज एक ऐसी अश्वगंधा औषधि के फायदे व सेवन की विधि (Ashwagandha benefits)  के बारे में जानते है, जो राम बाण से कम नहीं है और बड़ी ही आसानी से उपलब्ध हो जाती है। आप इसे अपने घर पर गमले में भी लगा सकते हैं।

अश्वगंधा औषधि के अनोखे फायदे (Ashwagandha benefits)

आपने अपने ही घरों में दादी-नानी के मुंह से कई बार अश्वगंधा का नाम सुना होगा। अखबारों या टीबी में अश्वगंधा के विज्ञापन आदि भी देखे होंगे। आप सोचते होंगे कि अश्वगंधा क्या है या अश्वगंधा के गुण क्या है ? तो मैं आपको बता दूँ कि अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है। अश्वगंधा का प्रयोग कई रोगों में किया जाता है।

क्या आप जानते हैं कि मोटापा घटाने, बल और वीर्य विकार को ठीक करने के लिए अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अश्वगंधा के फायदे और भी हैं। अश्वगंधा के कुछ खास औषधीय गुणों के कारण यह बहुत तेजी से प्रचलित हुआ है। आइए आपको बताते हैं आप अश्वगंधा का प्रयोग किन-किन बीमारियों में और कैसे कर सकते हैं।

अश्वगंधा क्या है ?

अलग-अलग देशों में अश्वगंधा कई प्रकार की होती है, लेकिन यदि आप असली अश्वगंधा की पहचान करना चाहते हैं तो इसके पौधों को मसलने पर घोड़े के पेशाब जैसी गंध आती है, वह ही असली अश्वगंधा है। अ

श्वगंधा की ताजी जड़ में यह गंध अधिक तेज होती है। वन में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में खेती के माध्यम से उगाए जाने वाले अश्वगंधा की गुणवत्ता अच्छी होती है। तेल निकालने के लिए वनों में पाया जाने वाला अश्वगंधा का पौधा ही अच्छा माना जाता है। अश्वगंधा के  दो प्रकार हैं।

छोटी असगंध (अश्वगंधा)

इसकी झाड़ी छोटी होने से यह छोटी असगंध कहलाती है, लेकिन इसकी जड़ बड़ी होती है। राजस्‍थान के नागौर में यह बहुत अधिक पाई जाती है और वहां के जलवायु के प्रभाव से यह विशेष प्रभावशाली होती है। इसीलिए इसको नागौरी असगंध भी कहते हैं।

बड़ी या देशी असगंध (अश्वगंधा)

इसकी झाड़ी बड़ी होती है, लेकिन जड़ें छोटी और पतली होती हैं। यह बाग-बगीचों, खेतों और पहाड़ी स्थानों में सामान्य रूप में पाई जाती है। असगंध में कब्ज गुणों की प्रधानता होने से और उसकी गंध कुछ घोड़े के पेशाब जैसी होने से संस्कृत में इसकी बाजी या घोड़े से संबंधित नाम रखे गए हैं।

बाजार में अश्‍वगंधा की दो प्रजातियां मिलती हैं।

  • पहली मूल अश्‍वगंधा – Whitmanian somniferous (Linn.) Dunal,

ये 0.3-2 मीटर ऊंचा, सीधा, धूसर रंग का घनरोमश तना वाला होता है।

  • दूसरी काकनज  Withania coagulans (Stocks) Duanl

ये लगभग 1.2 मीटर तक ऊंचा, झाड़ीदार तना वाला होता है। हमारे देश में भिन्न-भिन्न धर्मों ,संप्रदायों , जातियों और संस्कृति के लोग रहते हैं | जिनकी भाषा भी अलग होती है और इसई कारण विभिन्न भाषाओं में अश्वगंधा के नाम भी भिन्न-भिन्न हैं। अश्वगंधा को लोग आम बोलचाल में असगंध के तौर पर जानते हैं। लेकिन देश-विदेश में इसको कई नाम से जाना जाता है।

अश्वगंधा का वानस्पतिक नाम (Botanical name) Withania somnifera (L.) Dunal (विथेनिआ सॉम्नीफेरा) Syn-Physalis somnifera Linn. है।

अन्य भाषाओँ में इसके नाम इस प्रकार हैं :

  • हिंदी में : असगन्ध, अश्वगन्धा, पुनीर, नागोरी असगन्ध
  • अंग्रेजी में : विंटर चेरी, पॉयजनस गूज्बेर्री
  • हिंदी में : असगन्ध, अश्वगन्धा, पुनीर, नागोरी असगन्ध
  • अंग्रेजी में : विंटर चेरी, पॉयजनस गूज्बेर्री
  • संस्कृत में : वराहकर्णी, वरदा, बलदा, कुष्ठगन्धिनी, अश्वगंधा
  • ओड़िया में : असुंध उर्दू में : असगंधनागोरी
  • कन्नड़ में : अमनगुरा), विरेमङड्लनागड्डी
  • गुजराती में : आसन्ध, घोडासोडा, असोड़ा
  • तमिल में : चुवदिग, अमुक्किरा, अम्कुंग
  • तेलगू में : पैन्नेरुगड्डु, आंड्रा , अश्वगन्धी
  • बंगाली में : अश्वगन्धा
  • नेपाली में : अश्वगन्धा
  • पंजाबी में : असगंद
  • मलयालम में : अमुक्कुरम
  • मराठी में : असकन्धा, टिल्लि
  • अरबी में : तुख्मे हयात, काकनजे हिन्दी
  • फारसी में : मेहरनानबरारी, असगंध-ए-नागौरी वराहकर्णी, वरदा, बलदा, कुष्ठगन्धिनी, अश्वगंधा
  • ओड़िया में : असुंध उर्दू में : असगंधनागोरी
  • कन्नड़ में : अमनगुरा), विरेमङड्लनागड्डी
  • गुजराती में : आसन्ध, घोडासोडा, असोड़ा
  • तमिल में : चुवदिग, अमुक्किरा, अम्कुंग
  • तेलगू में : पैन्नेरुगड्डु, आंड्रा , अश्वगन्धी
  • बंगाली में : अश्वगन्धा
  • नेपाली में : अश्वगन्धा
  • पंजाबी में : असगंद
  • मलयालम में : अमुक्कुरम
  • मराठी में : असकन्धा, टिल्लि
  • अरबी में : तुख्मे हयात, काकनजे हिन्दी
  • फारसी में : मेहरनानबरारी, असगंध-ए-नागौरी

अश्वगंधा के फायदे

आयुर्वेद में अश्वगंधा का इस्तेमाल अश्वगंधा के पत्ते, अश्वगंधा चूर्ण के रुप में किया जाता है।  अश्वगंधा के फायदे जितने अनगिनत हैं उतने ही अश्वगंधा के नुकसान भी है क्योंकि चिकित्सक के बिना सलाह के सेवन करने से शारीरिक अवस्था खराब हो सकती है। कई रोगों में आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी अश्वगंधा का औषधीय इस्तेमाल करना चाहिए। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं –

सफेद बाल की समस्या में अश्वगंधा के फायदे

2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करें। अश्वगंधा के फायदे के वजह से समय से पहले बालों के सफेद होने की समस्या ठीक होती है।

आँखों की ज्योति बढ़ाए अश्वगंधा के फायदे

2 ग्राम अश्वगंधा, 2 ग्राम आंवला (धात्री फल) और 1 ग्राम मुलेठी को आपस में मिलाकर, पीसकर अश्वगंधा चूर्ण कर लें। एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण को सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। अश्वगंधा के फायदे के कारण आँखों को आराम मिलता है।

गले के रोग (गलगंड) में अश्वगंधा के पत्ते के फायदे

अश्वगंधा के फायदे के कारण और औषधीय गुणों के वजह से अश्वगंधा गले के रोग में लाभकारी सिद्ध होता है।

अश्वगंधा पाउडर तथा पुराने गुड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर 1/2-1 ग्राम की वटी बना लें। इसे सुबह-सुबह बासी जल के साथ सेवन करें। अश्वगंधा के पत्ते का पेस्‍ट तैयार करें। इसका गण्डमाला पर लेप करें। इससे गलगंड में लाभ होता है।

टीबी रोग में अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग से फायदे

अश्‍वगंधा चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा को असगंधा के ही 20 मिलीग्राम काढ़े के साथ सेवन करें। इससे टीबी की बीमारी में लाभ होता है।

अश्‍वगंधा की जड़ से चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 2 ग्राम लें और इसमें 1 ग्राम बड़ी पीपल का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद मिला लें। इसका सेवन करने से टीबी (क्षय रोग) में लाभ होता है। अश्वगंधा के फायदे टीबी की बीमारी के लिए लाभकारी होता है।

अश्वगंधा के इस्तेमाल से खाँसी का इलाज

असगंधा की 10 ग्राम जड़ों को कूट लें। इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिली ग्राम पानी में पकाएं। जब इसका आठवां हिस्सा रह जाए तो आंच बंद कर दें। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से कुकुर खांसी या वात से होने वाले कफ की समस्या में विशेष लाभ होता है।

असगंधा के पत्तों से तैयार 40 मिलीग्राम गाढ़ा काढ़ा लें। इसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण, 10 ग्राम कत्था चूर्ण, 5 ग्राम काली मिर्च तथा ढाई ग्राम सैंधा नमक मिला लें। इसकी 500 मिलीग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों को चूसने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है।

टीबी के कारण से होने वाली खांसी में भी यह विशेष लाभदायक है। अश्वगंधा के फायदे खांसी से आराम दिलाने में उपचार स्वरूप काम करता है।

छाती के दर्द में अश्वगंधा के लाभ

अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा का जल के साथ सेवन करें। इससे सीने के दर्द में लाभ होता है।

पेट की बीमारी में अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग अश्वगंधा चूर्ण के फायदे आप पेट के रोग में भी ले सकते हैं। पेट की बीमारी में आप अश्वगंधा चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं। अश्वगंधा चूर्ण में बराबर मात्रा में बहेड़ा चूर्ण मिला लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।

अश्वगंधा चूर्ण में बराबर भाग में गिलोय का चूर्ण मिला लें। इसे 5-10 ग्राम शहद के साथ नियमित सेवन करें। इससे पेट के कीड़ों का उपचार होता है।

अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग से कब्ज की समस्या का इलाज

अश्वगंधा चूर्ण या अश्वगंधा पाउडर की 2 ग्राम मात्रा को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से कब्ज की परेशानी से छुटकारा मिलता है।

गर्भधारण करने में अश्वगंधा के प्रयोग से लाभ

20 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक लिटर पानी तथा 250 मिली ग्राम गाय के दूध में मिला लें। इसे कम आंच पर पकाएं। जब इसमें केवल दूध बचा रह जाए तब इसमें 6 ग्राम मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिला लें। इस व्यंजन का मासिक धर्म के शुद्धि स्नान के तीन दिन बाद, तीन दिन तक सेवन करने से यह गर्भधारण में सहायक होता है।

अश्वगंधा चूर्ण के फायदे गर्भधारण की समस्या में भी मिलते हैं। अश्वगंधा पाउडर को गाय के घी में मिला लें। मासिक-धर्म स्नान के बाद हर दिन गाय के दूध के साथ या ताजे पानी से 4-6 ग्राम की मात्रा में इसका सेवन लगातार एक माह तक करें। यह गर्भधारण में सहायक होता है।

असगंधा और सफेद कटेरी की जड़ लें। इन दोनों के 10-10 मिली ग्राम रस का पहले महीने से पांच महीने तक की गर्भवती स्त्रियों को सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होता है।

ल्यूकोरिया के इलाज में अश्वगंधा से फायदा

2-4 ग्राम असगंधा की जड़ के चूर्ण में मिश्री मिला लें। इसे गाय के दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है। अश्वगंधा, तिल, उड़द, गुड़ तथा घी को समान मात्रा में लें। इसे लड्डू बनाकर खिलाने से भी ल्यूकोरिया में फायदा होता है।

इंद्रिय दुर्बलता (लिंग की कमजोरी) दूर करता है अश्वगंधा का प्रयोग असगंधा के चूर्ण को कपड़े से छान कर (कपड़छन चूर्ण) उसमें उतनी ही मात्रा में खांड मिलाकर रख लें। एक चम्मच की मात्रा में लेकर गाय के ताजे दूध के साथ सुबह में भोजन से तीन घंटे पहले सेवन करें।

रात के समय अश्वगंधा की जड़े के बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह से घोंटकर लिंग में लगाने से लिंग की कमजोरी या शिथिलता दूर होती है।

असगंधा, दालचीनी और कूठ को बराबर मात्रा में मिलाकर कूटकर छान लें। इसे गाय के मक्खन में मिलाकर सुबह और शाम शिश्‍न (लिंग) के आगे का भाग छोड़कर शेष लिंग पर लगाएं। थोड़ी देर बाद लिंग को गुनगुने पानी से धो लें। इससे लिंग की कमजोरी या शिथिलता दूर होती है।

अश्वगंधा का गुम गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद

2 ग्राम अश्वगंधा पाउडर को सुबह और शाम गर्म दूध या पानी या फिर गाय के घी या शक्कर के साथ खाने से गठिया में फायदा होता है। इससे कमर दर्द और नींद न आने की समस्या में भी लाभ होता है।

असगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्तों को, 250 मिली ग्राम पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर पी लें। एक सप्ताह तक पीने से कफ से होने वाले वात तथा गठिया रोग में विशेष लाभ होता है। इसका लेप भी लाभदायक है।

चोट लगने पर करें अश्वगंधा का सेवन

अश्वगंधा पाउडर में गुड़ या घी मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करने से शस्त्र के चोट से होने वाले दर्द में आराम मिलता है। अश्वगंधा के प्रयोग से त्वचा रोग का इलाज

अश्वगंधा के पत्तों का पेस्‍ट तैयार कर लें। इसका लेप या पत्‍तों के काढ़े से धोने से त्वचा में लगने वाले कीड़े ठीक होते है।

इससे मधुमेह से होने वाले घाव तथा अन्य प्रकार के घावों का इलाज होता है।

यह सूजन को दूर करने में लाभप्रद होता है।

अश्वगंधा की जड़ को पीसकर, गुनगुना करके लेप करने से विसर्प रोग की समस्या में लाभ होता है।

अश्वगंधा के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी

2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक वर्ष तक बताई गई विधि से सेवन करने से शरीर रोग मुक्त तथा बलवान हो जाता है।

10-10 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, तिल व घी लें। इसमें तीन ग्राम शहर मिलाकर जाड़े के दिनों में रोजाना 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से शरीर मजबूत बनता है।

6 ग्राम असगंधा चूर्ण में उतने ही भाग मिश्री और शहद मिला लें। इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलाएं। इस मिश्रण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शीतकाल में 4 महीने तक सेवन करने से शरीर का पोषण होता है।

3 ग्राम असगंधा मूल चूर्ण को पित्त प्रकृति वाला व्यक्ति ताजे दूध (कच्चा/धारोष्ण) के साथ सेवन करें। वात प्रकृति वाला शुद्ध तिल के साथ सेवन करें और कफ प्रकृति का व्यक्ति गुनगुने जल के साथ एक साल तक सेवन करें। इससे शारीरिक कमज़ोरी दूर होती है और सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।

20 ग्राम असगंधा चूर्ण, तिल 40 ग्राम और उड़द 160 ग्राम लें। इन तीनों को महीन पीसकर इसके बड़े बनाकर ताजे-ताजे एक महीने तक सेवन करने से शरीर की दुर्बलता खत्म हो जाती है।

असगंधा की जड़ और चिरायता को बराबर भाग में लेकर अच्छी तरह से कूट कर मिला लें। इस चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से शरीर की दुर्बलता खत्म हो जाती है।

एक ग्राम असगंधा चूर्ण में 125 मि.ग्रा मिश्री डालकर, गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से वीर्य विकार दूर होकर वीर्य मजबूत होता है तथा बल बढ़ता है।

रक्त विकार में अश्वगंधा के चूर्ण से लाभ

अश्वगंधा पाउडर में बराबर मात्रा में चोपचीनी चूर्ण या चिरायता का चूर्ण मिला लें। इसे 3-5 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से खून में होने वाली समस्याएं ठीक होती हैं।

बुखार उतारने के लिए करें अश्वगंधा का प्रयोग 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण तथा 1 ग्राम गिलोय जूस को मिला लें। इसे हर दिन शाम को गुनगुने पानी या शहद के साथ खाने से पुराना बुखार ठीक होता है।

अश्वगंधा के उपयोगी हिस्से

  • पत्ते
  • जड़
  • फल
  • बीज

अश्वगंधा से जुड़ी विशेष जानकारी

बाजारों में जो असगंधा बिकती है उसमें काकनज की जड़े मिली हुई होती हैं। कुछ लोग इसे देशी असगंध भी कहते हैं। काकनज की जड़ें असगंधा से कम गुण वाली होती हैं। जंगली अश्वगंधा का बाहरी प्रयोग ज्यादा होता है।

अश्वगंधा का सेवन कैसे करें

अश्वगंधा का सही लाभ पाने के लिए अश्वगंधा का सेवन कैसे करें ये पता होना ज़रूरी होता है। अश्वगंधा के सही फायदा पाने और नुकसान से बचने के लिए चिकित्सक के परामर्श के अनुसार सेवन करना चाहिए |

  • जड़ का चूर्ण – 2-4 ग्राम
  • काढ़ा – 10-30 मिली ग्राम

अश्वगंधा कहाँ पाया या उगाया जाता है?

पूरे भारत में और खासकर सूखे प्रदेशों में अश्वगंधा के पौधे पाए जाते हैं। यह अपने आप उगते हैं। इसकी खेती भी की जाती है। यह वनों में मिल जाते हैं। अश्वगंधा के पौधे 2000-2500 मीटर की ऊंचाई तक पाए जाते हैं। हमारा देश जड़ी – बूटियों की खान है।

अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट, लीवर टॉनिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल के साथ-साथ और भी कई पोषक तत्व होते हैं जो आपकी बॉडी को हेल्दी रखने में हेल्प  करते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी-स्ट्रेस गुण भी होते है जो स्ट्रेस फ्री करने में मदद करते है। इसके अलावा इसे घी या दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से वजन बढ़ने में मदद होती है।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

 


अश्वगंधा औषधि के गुण व फायदे, आयुर्वेद, हर्बल, अश्वगंधा के फायदे. benefits of Ashwagandha,


तुलसी : बेहद गुणकारी – फायदे ही फायदे

हल्दी के फायदे ही फायदे – इनका लाभ उठाने से बिल्कुल न चूकें।

आज हम हल्दी के फायदे (Benefits of Turmeric) उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में जानते है। आयुर्वेद में हल्दी के फायदे के बारे में विस्तृत उल्लेख है । इस लेख में हम आपको हल्दी के फायदे–नुकसान और खाने के तरीके के बारे में विस्तार से बताएंगे…

हल्दी के फायदे, उपयोग और औषधीय गुण (Benefits of Turmeric)

आपको हर घर की रसोई में हल्दी ज़रूर मिलेगी । हल्दी खाने का स्वाद और रंग रूप तो बढ़ाती ही है साथ ही यह कई तरह के रोगों से भी रक्षा करती है । भारतीय मसालों में हल्दी का एक अलग ही महत्व है प्राचीन काल से ही हल्दी को जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है ।

हल्दी क्या है ?

हल्दी एक जड़ी-बूटी है । इसका इस्तेमाल मसालों के रुप में प्रमुखता से किया जाता है । हिंदू धर्म में पूजा में या कोई भी शुभ काम करते समय हल्दी का उपयोग किया जाता है । खाने के अलावा कई तरह की बीमारियों से बचाव में भी हल्दी का उपयोग होता है । इस समय पूरी दुनिया में हल्दी के गुणों पर रिसर्च चल रही है और कई रिसर्च आयुर्वेद में बताए गुणों कि पुष्टि करते हैं। हल्दी की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित चार प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

हल्दी के फायदे और सेवन का तरीका

हल्दी हमारे शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाती है जिस वजह से तमाम तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है । हल्दी में वात कफ दोषों को कम करने वाले गुण होते हैं और यह शरीर में खून बढ़ाने में मदद करती है । डायबिटीज में हल्दी का सेवन बहुत ही उपयोगी माना जाता है । आइए जानते हैं कि हल्दी के सेवन से किन रोगों में आराम मिलता है और इसका सेवन किस तरह करना चाहिए ।

जुकाम में हल्दी के फायदे

हल्दी की तासीर गर्म होने की वजह से जुकाम में इसका सेवन करना फायदेमंद रहता है । हल्दी के धुंए को रात के समय सूंघने से जुकाम जल्दी ठीक होता है । हल्दी सूंघने के कुछ देर बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए ।

सिर की फुंसियों से आराम दिलाती है हल्दी

गर्मी के मौसम में सिर में फुंसियां निकलना एक आम समस्या है। फुंसियों के कारण सिर में तेज खुजली और जलन होती है। इस समस्या से आराम पाने के लिए हल्दी और दारूहरिद्रा, भूनिम्ब, त्रिफला, नीम और चन्दन को पीसकर रोजाना सिर पर मालिश करें ।

आँखों के दर्द से आराम दिलाती है हल्दी

आँखों में दर्द होने पर या किसी तरह का संक्रमण होने पर हल्दी का प्रयोग करना फायदेमंद रहता है। 1 ग्राम हल्दी को 25 मिली पानी में उबालकर छान लें। छानने के बाद इसे आँखों में बार-बार डालने से आँखों के दर्द से आराम मिलता है। कंजक्टीवाइटिस होने पर भी आप इसी घरेलू उपाय की मदद से आराम पा सकते हैं । हल्दी का गुण आँखों के लिए बहुत ही उपयोगी होता है ।

कान बहने की समस्या में हल्दी से आराम

कान से गाढ़ा तरल निकलना एक समस्या है जिसे आम भाषा में लोग कान बहना कहते हैं। इससे आराम  पाने के लिए हल्दी को पानी में उबालकर, छान लें और उसे कान में डालें ।

पायरिया में हल्दी के फायदे  

सरसों का तेल, हल्दी मिलाकर सुबह-शाम मसूड़ों पर लगाकर अच्छी प्रकार मालिश करने तथा बाद में गर्म पानी से कुल्ले करने पर मसूड़ों  के सब प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं । हल्दी का गुण पायरिया के लिए फायदेमंद होता है ।

गले की खराश में हल्दी से आराम

गले की खराश होने पर अजमोदा, हल्दी, यवक्षार और चित्रक इन सबके 2-5 ग्राम चूर्ण को एक चम्मच शहद के साथ सेवन करने से गले की खराश दूर होती है । खाँसी से आराम दिलाती है हल्दी हल्दी को भूनकर चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम हल्दी चूर्ण के शहद या घी के साथ मिलाकर खाने से खांसी में आराम मिलता है । पेट दर्द में हल्दी से आराम पेट दर्द होने पर भी हल्दी का सेवन करने से दर्द से जल्दी आराम मिलता है । 10 ग्राम हल्दी को 250 ml पानी में उबाल लें । पेट दर्द होने पर इसमें गुड़ मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पियें ।

बवासीर में हल्दी के फायदे

खराब जीवनशैली और खराब खान-पान की वजह से अधिकांश लोग कब्ज के मरीज हो जाते हैं । कब्ज के कारण ही आगे चलकर बवासीर की समस्या होने लगती है। बवासीर से आराम पाने के लिए सेहुंड के दूध में 10 ग्राम हल्दी मिलाकर मस्सों में लगाएं। इसके अलावा सरसों के तेल में हल्दी चूर्ण को मिलाकर मस्सों पर लगाने से बवासीर में आराम मिलता है।

पीलिया से आराम दिलाती है हल्दी

पीलिया एक ऐसी समस्या है जिसका सही इलाज ना करवाने पर आगे चलकर यह बहुत गंभीर समस्या में बदल जाती है । छोटे बच्चों में यह समस्या ज्यादा होती है । पीलिया होने पर 6 ग्राम हल्दी चूर्ण को मठ्ठे में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने पर 4- 5 दिन में ही पीलिया से आराम मिल जाता है । इसके अलावा 5-10 ग्राम हल्दी चूर्ण में 50 ग्राम दही मिलाकर खाने से भी पीलिया में फायदा होता है । लौह भस्म, हरड़ और हल्दी इन तीनों को एक बराबर मात्रा में मिलाकर इसकी 375mg मात्रा में घी और शहद मिलाकर सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है ।

डायबिटीज में हल्दी के फायदे  

2 से 5 ग्राम हल्दी चूर्ण में आंवला रस और शहद मिलाकर सुबह और शाम को खाना, डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है । इसके अलावा हल्दी, दारुहल्दी, तगर और वायविडंग का क्वाथ बनाकर उसकी 20-40 ml की मात्रा में 5-10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह- शाम सेवन करने से डायबिटीज में फायदा होता है ।

स्तन संबंधी रोगों से हल्दी में फायदे  

स्तन से जुड़ी समस्याओं में भी हल्दी का उपयोग करना फायदेमंद रहता है ।  हल्दी और लोध्र को पानी में घिसकर स्तनों पर लेप करने से स्तन से जुड़े रोगों में लाभ होता है । प्रदर या ल्यूकोरिया में हल्दी के फायदे  हल्दी चूर्ण और गुग्गुल चूर्ण को एक बराबर मात्रा में मिलाकर इसकी 2-5 ग्राम मात्रा का सुबह-शाम सेवन करने ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है । इसके अलावा 1-2 ग्राम हल्दी चूर्ण को 100 ml दूध में उबालकर उसमें गुड़ मिलाकर खाने से भी ल्यूकोरिया में फायदा पहुँचता है ।

कुष्ठ रोग में हल्दी के फायदे 

हल्दी के प्रयोग से कुष्ठ रोग के प्रभाव को भी कुछ हद तक कम किया जा सकता है । इसके लिए 1-2 ग्राम हल्दी चूर्ण में गोमूत्र मिलाकर पिएं । इसके अलावा हरिद्राचूर्ण में बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर गोमूत्र के साथ सेवन करने से दाद और कुष्ठ रोग में फायदा होता है ।

दाद खुजली में हल्दी के फायदे 

अगर आपकी त्वचा पर कहीं दाद खुजली हो गयी है तो हल्दी के इस्तेमाल से आप इन समस्याओं को जल्दी ठीक कर सकते हैं। इसके लिए खुजली वाली जगह पर हल्दी का लेप या हल्दी के साथ नीम की पत्तियों का लेप लगाएं ।

चर्म रोग में हल्दी के फायदे 

खुजली, दाद के अलावा चर्म रोग में भी हल्दी का प्रयोग करने से फायदा होता है । इसके लिए 2-5 ग्राम हल्दी चूर्ण को गोमूत्र में मिलाकर दिन में दो तीन बार सेवन करें । इसके अलावा हल्दी के चूर्ण में मक्खन मिलाकर चर्म रोग वाली जगह पर लगाने से भी फायदा होता है ।

सूजन से आराम दिलाती है हल्दी

शरीर के किसी हिस्से में अगर सूजन हो रही है तो हल्दी के उपयोग से आप सूजन कम कर सकते हैं । इसके लिए हल्दी, पिप्पली, पाठा, छोटी कटेरी, चित्रकमूल, सोंठ, पिप्पली, जीरा और मोथा को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें । इसे कपड़े से छान कर अलग रख लें। इस चूर्ण का 2-2 ग्राम की मात्रा गुनगुने जल के साथ मिलाकर खाने से सूजन में कमी आती है ।

बालों का झड़ना करें कम हल्दी के फायदे

बालों का झड़ने रोकने में हल्दी बहुत उपयोगी माना गया है । बालों के झड़ने का कारण पाचन का ख़राब होना होता  है, क्योंकि पाचन खराब होने से बालों की जड़ों तक उचित मात्रा में पोषण नहीं पहुँच पाता जिसकी वजह से बाल झड़ने लगते हैं। इसके अलावा कफ दोष की वृद्धि के कारण भी बालों का झड़ना देखा गया है । ऐसे में हल्दी में उष्ण और कफ का शमन करने का गुण होने के कारण यह आपके पाचन को स्वस्थ कर बालों के झड़ने से रोकती है ।

मुहाँसों से राहत दिलाने में हल्दी फायदेमंद

मुँहासों से छुटकारा पाने में भी हल्दी के फायदे देखे गए है । त्वचा में अधिक तेल की उत्पत्ति होने के कारण मुँहासे निकलने लगते हैं। ऐसे में हल्दी के रूक्ष गुण के कारण यह इस तेल को सोक कर मुँहासों को छुटकारा दिलाने में लाभ पहुंचाती है साथ ही त्वगदोषहर गुण होने के कारण त्वचा के रोगों को दूर रखने में भी उपयोगी होती है ।

घाव को ठीक करने में हल्दी के फायदे

हल्दी में रोपण एवं शोथहर गुण होने के कारण यह हर प्रकार के घाव को भरने एवं उसकी सूजन आदि को भी ठीक करने में सहयोगी होती है । मुंह के छालों को ठीक करने में लाभकारी हल्दी मुंह के छालों का होना पाचन क्रिया के खराब होने के कारण होता है । हल्दी में उष्ण गुण होने के कारण यह पाचकाग्नि को ठीक कर पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करती है, जिससे मुंह के छालों में आराम मिलता है साथ ही इसमें रोपण (हीलिंग) का भी गुण पाया जाता  है जो की मुंह के छालों को जल्द भरने में सहायक होती है ।

सूखी खाँसी में फायदेमंद हल्दी

खाँसी चाहे सूखी हो या बलगम वाली दोनों ही कफ दोष प्रकुपित होने के कारण होती है । हल्दी में कफ को संतुलित करने का गुण होता है जिसके कारण यह हर प्रकार की खांसी में लाभदायक होती है ।

जोड़ों के दर्द से दिलाये राहत हल्दी

जोड़ों में होने वाले दर्द एवं सूजन में भी हल्दी बहुत फायदेमंद हो सकती है क्योंकि इसमें उष्ण एवं शोथहर गुण होते है । इसके सेवन से ये अपनी गर्माहट के कारण दर्द से जल्दी आराम दिलाने में मदद करती है ।

पेट के कीड़े से राहत दिलाने  में फायदेमंद हल्दी

पेट के कीड़े भी पाचन तंत्र के खराब होने के कारण होती है । हल्दी पाचक एवं कृमिघ्न गुण होने के कारण यह पेट के कीड़ों से भी राहत दिलाती है ।

पेट में गैस के लिए हल्दी के फायदे

पेट में गैस आदि परेशानियाँ भी पाचकाग्नि के मंद पड़ जाने के कारण होती है जो पाचन तंत्र को भी बिगाड़ देती है । हल्दी में उष्ण गुण होने के कारण यह पाचकाग्नि को बढ़ा कर पाचन तंत्र को स्वस्थ करने में मदद करती है, जिससे गैस की समस्या से छुटकारा मिलता है ।

खून की कमी के लिए हल्दी के फायदे

खून की कमी ये एनीमिया की स्थिति में भी हल्दी के फायदे देखे गए है । एक रिसर्च के अनुसार हल्दी एंटी ऑक्सीडेंट और हिपेटो प्रोटेक्टिव होने के कारण यह एनीमिया में लाभदायक होती है साथ ही आयुर्वेद के अनुसार हल्दी में पाण्डुहर गुण होने के कारण यह पाण्डु यानि एनीमिया की स्थिति में लाभदायक होती है एवं खून बढ़ाने में मदद करती है ।

पेट के अल्सर के लिए हल्दी के फायदे

पेट में अल्सर जैसी समस्या भी कहीं न कहीं पाचन का खराब होना ही माना गया है । हल्दी में पाचक और शोथहर होने के साथ इसमें रोपण (हीलिंग) का भी  गुण होने के कारण ये पेट के अल्सर से छुटकारा दिलाती है ।

कैंसर के लिए हल्दी के फायदे

एक रिसर्च के अनुसार हल्दी में एंटीकैंसर गुण पाए जाने कारण यह कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं में भी लाभदायक साबित हो सकती है ।

खून में शुगर की मात्रा करें कम 

खून में शुगर  की मात्रा का बढ़ना यानी डायबिटीज का होना । इस अवस्था में भी हल्दी लाभदायक होती है क्योंकि डायबिटीज होने का एक कारण पाचन का खराब होना माना गया है, जिससे मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ जाता है साथ ही इस स्थिति में कफ दोष भी बढ़ जाता है । हल्दी में पाचक गुण होने के कारण यह पाचन को स्वस्थ बनाती है और मेटाबोलिज्म ठीक करती है । साथ ही कफ शामक होने के कारण यह डायबिटीज के लक्षणों को कम करने में मदद करती है ।

हल्दी की सामान्य ख़ुराक

आमतौर पर 1-2 ग्राम हल्दी का रोजाना सेवन करना सेहत के लिए उपयुक्त है । अगर आप किसी ख़ास बीमारी के लिए हल्दी का उपयोग करना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार करें ।

हल्दी के सेवन से इम्यूनिटी बढ़ती है

विशेषज्ञों के अनुसार हल्दी का सेवन इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है । सर्दियों के मौसम में या फिर मौसम में बदलाव के दौरान अकसर हम लोग जल्दी -जल्दी बीमार पड़ जाते है और हमें ठीक होने में भी समय लगता है । वास्तव में इम्यूनिटी का कमजोर होना ही इसका मुख्य कारण है। इसलिए सर्दियों के मौसम में या मौसम में बदलाव के दौरान अपने खान-पान में हल्दी ज़रूर शामिल करें।

हल्दी दूध पीना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है

हल्दी अपने आप में कई गुणों से भरपूर है और जब आप इसका सेवन दूध में मिलाकर करते हैं तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं । हल्दी वाला दूध बनाना भी बहुत आसान है । एक गिलास दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर अच्छे से उबाल लें और फिर गुनगुना होने पर इसका सेवन करें ।

हल्दी मिश्रित दूध को गोल्डन मिल्क कहा जाता है सर्दी-जुकाम से आराम पाने का यह अचूक उपाय है इसके अलावा शरीर में दर्द होने पर या ठंड लगने पर इसका सेवन करना बहुत उपयोगी होता है । सर्दियों के मौसम में हल्दी का सेवन करना चाहिए सर्दी का मौसम आते है कई प्रकार के रोग होना शुरू हो जाते है। चाहे वह सर्दी-जुकाम हो या फिर जोड़ों का दर्द । यह सभी समस्याएं सर्दी के मौसम को कई लोगों के लिए दुखदायी बना देती हैं।

आयुर्वेद के अनुसार हल्दी के सेवन से आप इन रोगों को कुछ हद तक घर पर ही ठीक कर सकते है । इसलिए सर्दियों के मौसम में आयुर्वेदिक चिकित्सक भी हल्दी के सेवन की सलाह देते हैं | इस बात का ध्यान रखें कि जरूरत से ज्यादा मात्रा में हल्दी का सेवन करना नुकसानदायक भी हो सकता है इसलिए सर्दी या गर्मी कोई भी मौसम हो हल्दी का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करें ।

अस्थमा के मरीजों के लिए हल्दी का सेवन फायदेमंद होता है

फेफड़ों के रोगों में हल्दी का सेवन फायदेमंद होता है जैसे अस्थमा की समस्या। हल्दी, अस्थमा में जमे हुए कफ को दूर करने में मदद करती है जिससे अस्थमा के लक्षणों में कमी होने लगती है । इसीलिए अस्थमा के मरीजों को हल्दी के सेवन की सलाह दी जाती है ।

अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार हल्दी का नियमित सेवन करें। दवाइयों का कम सेवन करके हमें घर पर जड़ी-बूटियों से अपना इलाज करने की कोशिश करनी चाहिए।

अब हम हल्दी के फायदे जान चुके है, इसलिए हम इसका आसानी से प्रयोग कर सकते है और साथ ही दूसरों को इसके फायदों के बारे में बता सकते है ।

Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on X.com (twitter) https://twitter.com/Mindians_In

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


इलायची के फायदे और उपयोग – छोटे मसाले के बड़े फायदे

ये हैं 2023 की महाफ्लॉप फिल्में जिनकी बड़ी हिट होने की उम्मीदें थीं।

2023 में फ्लॉप होने वाली वह बड़ी फिल्में जो बड़े नाम वाले स्टारों वाले नाम के बावजूद फ्लॉप हुईं (Biggest Flop Hindi Movies of 2023)

2023 में बॉलीवुड की बहुत से फिल्में ब्लॉकबस्टर रहीं तो कुछ फिल्में ऐसी भी थींं, जो अपनी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी और बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर (Biggest Flop Hindi Movies of 2023) साबित हुईं। आइए इन फिल्मों के नाम जानते हैं…

2023 से पहले पिछले दो-तीन साल बॉलीवुड के लिए बेहद खराब गए, जब बॉलीवुड की फिल्में धड़ाधड़ फ्लॉप हो रही थीं। 2019 में कोरोना महामारी के आक्रमण के बाद 2020, 2021 और 2022 में बॉलीवुड की फिल्में कुछ खास सफल नहीं हो रही थी। इक्का-दुक्का फिल्मों को छोड़कर अधिकतर फिल्में फ्लॉप हो जाती थी।

2023 साल बॉलीवुड के लिए बहुत अच्छा रहा, जब बॉलीवुड की चार-पाँच फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुईं। इन सभी चार-पाँच फिल्मों ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक नई जान फूंक दी है। जवान, पठान, ग़दर 2, एनिमल, टाइगर 3, ओ माय गॉड 2, रॉकी और रानी की प्रेम कथा, दी केरल स्टोरी और डंकी जैसी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर बेहद सफल रहीं।

इन फिल्मों ने ओटीटी की मुड़ रहे दर्शकों को वापस सिनेमा हॉल में खींच लिया, लेकिन इसी 2023 के साल में कुछ ऐसी बड़ी-बड़ी मूवी भी आई जो बेहद बड़ी-बड़ी स्टार कास्ट और बड़े बैनर को लेकर बड़े कैनवास पर बनाई गई थीं। इन फिल्मों से बड़ी उम्मीदे थीं, लेकिन यह मूवी अपनी अपेक्षा पर खरी नहीं उतरीं। यह मूवी बॉक्स ऑफिस पर महाफ्लॉप साबित हुईं।

2023 की ऐसी ही कुछ फिल्मों के नाम इस प्रकार हैं, जो बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुईं…

किसी का भाई किसी की जान

सलमान खान की फिल्मों का अलग ही क्रेज होता है। वह बॉक्स ऑफिस पर अपनी मूवी को हिट करने के लिए जाने जाते हैं। 2009 में वांटेट फिल्म से उनकी किस्मत का जो सितारा बुलंद हुआ वह लगातार चलता ही रहा और एक के बाद एक उनकी फिल्में ब्लॉकबस्टर रही हैं।

किसी का भाई किसी की जान मूवी जब 2023 में ईद के मौके पर रिलीज की गई थी तो उससे भी यही उम्मीद की गई थी कि यह मूवी सलमान खान की पिछली फिल्मों की तरह ब्लॉकबस्टर साबित होगी। लेकिन सलमान खान की यह मूवी बॉक्स ऑफिस पर महाफ्लॉप साबित हुई। फिल्म ने कुल मिलाकर 110 करोड़ की ही कमाई की। फिल्म का बजट 132 करोड़ था। भारत में इसने 110 करोड़ का ही कलेक्शन किया जबकि वर्ल्डवाइड कुल 172 करोड़ की कमाई की। इस तरह यह फिल्म कुछ खास प्रॉफिट नहीं काम सकी। सलमान की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर 300 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन करती हैं लेकिन किसी का भाई किसी जान फिल्म ऐसा नही कर सकी इसलिए इसे 2023 की महाफ्लॉप मूवी माना गया।

132 के लगभग बजट में बनी इस फिल्म ने भारत में 110 करोड़ और वर्ल्डवाइड केवल 172 करोड़ का ही बिजनेस किया।

आदिपुरुष 

आदिपुरुष द्वारा निर्देशित फ़िल्म थी, जिसमें प्रभास भगवान राम की भूमिका में थे। तन्हाजी फिल्म की सफलता के बाद ओम राऊत से काफी उम्मीदें थीं। आदि पुरुष बेहद विशाल कैनवास पर बनाई गई थी और इस मूवी का जबरदस्त हाइप क्रिएट किया गया था। हिंदी के अलावा इसे तेलुगू, तमिल सहित अन्य दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी रिलीज किया गया था।

700 करोड़ के बजट में बनी आदिपुरुष जब रिलीज हुई तो बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई। पहले दिन आदिपुरुष ने भले ही जबरदस्त ओपनिंग ली हो लेकिन दर्शकों को यह मूवी खास पसंद नहीं आई। धार्मिक आस्थाओं पर बनी इस मूवी के साथ अनेक ऐसे प्रयोग किए गए थे जो लोगों की धार्मिक मान्यताओं को आहत करते थे। श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान जैसे धार्मिक चरित्रों जिनके प्रति हिंदु धर्म के अनुयायियों में गहरी आस्था हैं, उनके मुँह से सस्ते फिल्मी डायलॉग बुलवाना लोगों को पसंद नही आया। दर्शकों ने इस मूवी को पसंद नही किया। इसके बारे मे सोशल मीडिया पर हर किसी ने काफी निगेटिव रिव्यू ही दिए जिसका असर इसके कलेक्शन पर पड़ा।

शुरू के तीन दिनों में मूवी का कलेक्शन भले ही जबरदस्त रहा हो और डिजिटल राइट्स आदि बेचकर मूवी ने अपनी लागत लगभग निकली हो, लेकिन इस फिल्म को बहुत बड़ी हिट मूवी नहीं कहा जा सकता और दशकों में किसी भी वर्ग को यह मूवी पसंद नहीं आई।

700 करोड़ की इस मूवी ने भारत में 143 करोड़ और वर्ल्डवाइड केवल 388 करोड़ का ही बिजनेस किया।

सेल्फी

सेल्फी अक्षय कुमार की फिल्म थी, जिसमें अक्षय कुमार के अलावा इमरान हाशमी भी थे। सेल्फी का बजट लगभग 100 करोड़ था, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर इसने कल 23 करोड़ की ही कमाई की। फिल्म दर्शकों को जरा भी पसंद नहीं आई। अक्षय कुमार की फिल्में पिछले कुछ समय से खास नहीं चल रही थी। कोरोना के बाद उनकी सूर्यवंशी ही हिट हुई थी। सेल्फी मूवी ने भी अक्षय कुमार को निराशा ही दी और यह दर्शकों द्वारा नकार दी गई।

100 करोड़ के बजट वाली सेल्फी मूवी ने केवल 23 करोड़ का ही कलेक्शन किया।

भोला

भोला अजय देवगन की बहुप्रतीक्षित फिल्म थी। इसमें अजय देवगन ने मुख्य भूमिका निभाई थी, लेकिन अजय देवगन के लिए यह मूवी घाटे का सौदा ही रही। इस मूवी का कुल बजट 100 करोड़ था और बॉक्स ऑफिस पर कुल 111 करोड़ की ही कमाई की। इस तरह यह मूवी बहुत ही कम प्रॉफिट कर पाई और ब्लॉक बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई।

100 करोड़ के बजट वाली भोला मूवी ने केवल 111 करोड़ का ही कलेक्शन किया।

तेजस

तेजस कंगना रनौत की मुख्य भूमिका वाली फिल्म थी। कंगना रनौत की फिल्में हीरोइन केंद्रित फिल्में होती हैं। तेजस में भी कंगना रनौत ने तेजस गिल नाम के एक महिला पायलट का रोल किया था। बड़े जोर-शोर के साथ यह मूवी रिलीज की गई थी। इसका कुल बजट 70 करोड़ था। भारी-भरकम बजट में रिलीज हुई इस मूवी ने बॉक्स ऑफिस पर केवल 5 करोड़ से कुछ ज्यादा ही कलेक्शन किया। इस तरह यह मूवी कंगना रनौत के लिए बेहद नुकसान का सौदा साबित हुई। यह 2023 की सबसे महान डिजास्टर फिल्म मानी जा सकती है जो अपनी लागत का 10% भी नहीं निकाल सकी।

शहजादा

शहजाद फिल्म कार्तिक आर्यन की फिल्म थी। कार्तिक आर्यन की पिछले साल भूल भुलैया 2 ठीक-ठाक चली थी और 2022 की हिट मूवी में इस मूवी का नाम शामिल था, इसलिए शहजादा मूवी से भी कार्तिक आर्यन को बेहद उम्मीद थीं। लेकिन यह मूवी भी 2023 की महाफ्लॉप मूवी में शामिल हुई। कार्तिक आर्यन और कृति सेनन के मुख्य रोल वाली यह मूवी का बजट 85 करोड़ था और उसने बॉक्स ऑफिस पर केवल 39 करोड़ का ही। बिजनेस किया इस तरह यह मूवी अपनी लागत भी नहीं निकल पाई।

शहजादा फिल्म जिसकी लागत 85 करोड़ थी उसने बॉक्स ऑफिस पर केवल 39 करोड़ की ही बिजनेस किया।

गणपत

गणपत मूवी टाइगर श्रॉफ की मूवी थी, जिसमें टाइगर श्रॉफ के अलावा अमिताभ बच्चन का भी अहम रोल था। कृति सेनन उसमें उनकी हीरोइन थी। टाइगर श्रॉफ की मूवी बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक बिजनेस कर लेती हैं। उनकी अपनी मार्केट वैल्यू है, लेकिन गणपत मूवी बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई। इसका बजट 200 करोड रुपए बताया जाता है और इस यह मूवी 2023 की महाफ्लॉप मूवी में से एक मूवी है, जिसने बॉक्स ऑफिस पर केवल 13 करोड़ के लगभग ही कलेक्शन किया। इस तरह यह मूवी अपनी लागत भी नहीं निकल पाई। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कब रिलीज हुई कब आई और कब उतर गई लोगों को पता ही नहीं चला।

गणपत फिल्म जिसका बजट 200 करोड़ बताया जाता है, जिसने 13 करोड़ का बिजनेस किया।

इस तरह 2023 में ये जबरदस्त हाइप वाली फिल्में थीं जो अपनी अपेक्षाओं पर खरी नही उतरीं।

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on X.com (twitter) https://twitter.com/Mindians_In

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


2023 में सबसे अधिक कलेक्शन करने वाली टॉप 10 हिंदी फिल्मों की लिस्ट जानें।

नव वर्ष की शुभकामना संदेश, नए साल की बधाई के संदेश।

नव वर्ष की शुभकामना संदेश, नए साल की बधाई के संदेश। (New Year Wishes in Hindi)

नया साल 2024 आने वाला है। नए साल में सब अपने मित्रों और प्रियजनों को शुभकामना संदेश भेजते हैं। नए साल पर नववर्ष के आगमन पर कौन-कौन से शुभकामना संदेश भेजें। यहां आपके लिए कुछ शुभकामना संदेश (New Year Wishes in Hindi) दिए जा रहे हैं। 

नए साल 2024 के आगमन पर अपने मित्रों, संबंधियों, प्रियजनों, परिवारजनों, साथियों, ऑफिस सहकर्मियों, सहपाठियों, बड़े जनों, अपने छोटों को, शुभचिंतकों आदि सभी के लिए शुभकामना संदेश भेजकर नए साल का स्वागत कीजिए…

संदेश नंबर 1

जाते-जाते यह साल कह गया महीनों से,
मैं लौट के फिर ना आऊंगा,
क्योंकि मैं भी कम नहीं हूँ हसीनों से

संदेश नंबर 2

बीत गया जो साल वह भूल जाओ,
नए लक्ष्य नई उम्मीदों को गले लगाओ,
पुराना भूल कर नए को अपनाओ
नए साल में नया करके दिखाओ

संदेश नंबर 3

नये साल में जीवन में आए नया उजाला
खुल जाए आपके भाग्य का ताला
आप पर सदा कृपा बरसाए ऊपर वाला
यही दुआ करता है आपका चाहने वाला

संदेश नंबर 4

नए साल में यह दुआ है हमारी
आपको जिंदगी में मिले खुशियां सारी
ना कोई गम ना मिले न कोई बीमारी
आंगन में खुशियों की किलकारी
नये वर्ष की शुभकामनाएं

संदेश नंबर 5

नया वर्ष, नया दिन
नया सवेरा, नई किरण
नई आशाएं, नई मुस्कान
नई लक्ष्य, नई पहचान
आपको नववर्ष की शुभकामनाएं

संदेश नंबर 6

नए साल में होगी नई बात
नए साल में होगी नई मुलाकात
नए साल में नया सवेरा होगा
नए साल में उम्मीदों का नया बसेरा होगा
आपको नया साल मुबारक हो

संदेश नंबर 7

नए वर्ष में सुख समृद्धि का हो आगमन
आपके घर में भर धान्य और धन
खुश रहे आपका हर परिवारजन
आपके लिए दुआ करता है हमारा ये मन
आपको नूतन वर्ष की शुभकामनाएं

संदेश नंबर 8

भगवान से हर पल दुआ मांगू तुम्हारे वास्ते,
ये साल तुम्हारा कटे हँसते-हँसते
खुल जाए तुम्हारी खुशियों के सारे
नव वर्ष की शुभकामनाएं

संदेश नंबर 9

स्वर्णिम बने नया साल तुम्हारा
नए साल का नया संकल्प पूरा हो सारा
खुशियों से भर जाए जहाँ तुम्हारा
यही है संदेश हमको तुम्हारा
नए साल की शुभकामनाएं

संदेश नंबर 10

साल आता है, साला जाता है
इसको कौन रोक पाता है
हम तो हर साल यही दुआ करते हैं
आपको तो वो मिले जो आपका दिल चाहता है

 

नववर्ष शुभकामना संदेश, नववर्ष के बधाई संदेश, नया साल मुबारक, नया साल मुबारक संदेश, बधाई संदेश, शुभकामना संदेश, Happy new year wishes in Hindi, New year wishes 2024

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


2024 के जनवरी माह में कौन-कौन से व्रत त्योहार और महत्वपूर्ण दिवस पड़ेंगे। पूरी सूची इस प्रकार है।

न्यूजीलैंड के भारतीय मूल के क्रिकेटर रचिन रविंद्र का लाइफ स्कैन।

कौन हैं न्यूजीलैंड के उभरते युवा क्रिकेटर रचिन रविंद्र? जिन्होंने वनडे वर्ल्ड कप 2023 में धूम मचा दी थी। (Rachin Ravindra A Short life scan)

न्यूजीलैंड के क्रिकेटर रचिन रविंद्र नें भारत में हुए वनडे वर्ल्ड कप मे धूम मचा दी थी। उससे पहले भी उन्होंने 2022 में भारत के अपने टूर में अच्छा प्रदर्शन किया था। उनकी जीवन के बारे जानने का प्रयास करते हुए उनका एक जीवन का स्कैन (Rachin Ravindra A Short life scan) करते हैं…

न्यूजीलैंड के उभरते हुए युवा क्रिकेटर सचिन रविंद्र (Rachin Ravindra) इस समय वर्ल्ड कप में धूम मचाए हुए हैं। उन्होंने वर्ल्ड कप में 578 रन बनाकर बहुत सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिये। रचिन रविंद्र ने का यह डेब्यू वनडे वर्ल्ड कप था, और उन्होंने 578 रन बनाकर पिछले वर्ल्ड कप में जॉनी बैयरेस्टो द्वारा डेब्यू वर्ल्ड कप में सबसे अधिक 532 रन बनाने का रिकॉर्ड तोड़ दिया था।

उन्होंने न केवल बल्ले बल्कि गेंद से भी कमाल दिखाया और रन बनाने के साथ-साथ विकेट भी ले रहे हैं। उनके प्रदर्शन को देखते हुए स्पष्ट हो रहा है कि वह न्यूजीलैंड के भविष्य के क्रिकेटर हैं।

रचिन रविंद्र का शॉर्ट लाइफ स्कैन

रचिन रविंद्र जैसा कि नाम से जाहिर होता है, उनका नाम भारतीय है, तो इससे पता चलता है कि वह भारत से संबंध रखने वाले विदेशी क्रिकेटर हैं। वह भारतीय मूल के क्रिकेटर हैं, जो न्यूजीलैंड में रहते हैं। उनके पिता भारत में बेंगलुरु से संबंध रखते हैं जो बाद में न्यूजीलैंड में जाकर बस गए> वहीं पर रचिन रविंद्र का जन्म हुआ।

रचिन रविंद्र का जन्म और परिचय

रचिन रविंद्र का जन्म 18 नवंबर 1999 को न्यूजीलैंड के वेलिंगटन में हुआ था।

रचिन रविंद्र के पिता का नाम रवि कृष्णमूर्ति रविंद्र है। वह बेंगलुरु के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे जो 1997 में न्यूजीलैंड जाकर बस गए। वहीं पर 18 नवबर 1999 को रचिन रविंद्र का जन्म हुआ था।

रविंद्र के पिता रविकृष्ण मूर्ति रविंद्र क्लब स्तर पर क्रिकेट खेल चुके हैं और उनकी क्रिकेट में गहन रुचि थी।

वह उस समय के भारतीय क्रिकेट स्टार सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के घोर प्रशंसक थे, इसीलिए जब उनके पुत्र का 18 नवंबर 1999 को जन्म हुआ तो उन्होंने अपने पुत्र का नाम इन्हीं दो भारतीय क्रिकेट सितारों राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर के नाम को मिलाकर रखा।

उन्होंने राहुल द्रविड़ के नाम के पहले दो अक्षर और ‘RA’ तथा सचिन तेंदुलकर के सचिन नाम के आखिरी चार अक्षर ‘CHIN’ को मिलाकर ‘रचिन’ (Rachin) शब्द की रचना की और अपने बेटे का नाम Rachin रखा।

ये बात रचिन रविंद्र के नामकरण के बारे में इंटरनेट और विभिन्न स्रोतो पर प्रचलित है लेकिन एक बार एक इंटरव्यू में रचिन रविंद्र के पिता ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे का नाम सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के नाम पर नही रखा था बल्कि उनकी पत्नी ने ये नाम सोचकर रखा था। 

रचिन का क्रिकेट में लगाल बचपन से ही था। उनको क्रिकेट में आगे बढ़ने का सारा श्रेय उनके पिता को ही जाता है। रचिन ने अपना क्रिकेट वेलिंगटन शहर में खेलना आरंभ किया, लेकिन वह नियमित रूप से भारत आते रहे और बेंगलुरु में आकर क्रिकेट क्लब स्तर का क्रिकेट भी खेलते थे।

वह 2016 और 2018 में वह अंडर-19 वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड की टीम में भी खेले। उसके बाद वह न्यूजीलैंड की तरफ से न्यूजीलैंड की ए टीम में अलग-अलग देशों के खिलाफ खेले।

रचिन रविंद्र को पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तब मौका मिला, जब अप्रैल 2021 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट के लिए न्यूजीलैंड की टीम में चुना गया, लेकिन उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ कोई मैच खेलने का अवसर नहीं प्राप्त हुआ।

रचिन रविंद्र को नवंबर 2021 में न्यूजीलैंड के भारत दौरे पर अपना टेस्ट डेब्यू करने का मौका तब मिला जब 25 नवंबर 2021 को उन्होंने भारत के विरुद्ध अपना टेस्ट डेब्यू किया। उन्होंने इस टेस्ट सीरीज में अच्छा प्रदर्शन करके खुद को चर्चा में ला दिया। उन्होंने 25 मार्च 2023 को श्रीलंका के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू भी किया।

रचिन रविंद्र की किस्मत तब चमकी जब न्यूजीलैंड  के वर्ल्ड कप 2023 के लिए न्यूजीलैंड की टीम में उन्हें अचानक जगह मिल गई। जब न्यूजीलैंड ने 2023 के वर्ल्ड कप के लिए अपनी टीम की घोषणा की थी तो उन्हें उसमें जगह नहीं मिली थी लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाड़ी माइकल ब्रेसवेल के घायल हो जाने के कारण उन्हें 15 सदस्य न्यूजीलैंड टीम में जगह मिल गई।

जब वर्ल्ड कप टूर्नामेंट शुरू हुआ तो उन्हें अंतिम 11 में जगह भी किस्मत से मिली, जब न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन घायल हो गए और उनकी जगह पर अचानक रचिन रविंद्र को शामिल किया गया। उन्होंने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 96 गेंद में 123 रन बनाकर वर्ल्ड कप में धमाकेदार शुरुआत की और अपने पहले वर्ल्ड कप मैच में ही शतक लगाने वाले न्यूजीलैंड के चौथे खिलाड़ी बन गए। यह उनका पहला वनडे शतक भी था।

वह 23 साल 321 दिन की उम्र में वर्ल्ड कप में सेंचुरी लगाने वाले सबसे कम उम्र के न्यूजीलैंड के खिलाड़ी भी बन गए। उसके बाद से वर्ल्ड कप में दो सेंचुरी और लगा चुके हैं और कुल 565 रन बनाकर सबसे अधिक रन बनाने वाले टॉप 10 बल्लेबाजों में शुमार हो चुके हैं।

उन्होंने सचिन तेंदुलकर के एक सिंगल वर्ल्ड कप में 25 साल की उम्र में सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड को तोड़ने के साथ-साथ डेब्यू वनडे वर्ल्ड कप में सबसे अधिक रन बनाने के जॉनी बेयरेस्टो के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है।

डेब्यू वर्ल्ड कप में सबसे अधिक रन

  1. रचिन रविंद्र : 578 रन (2023)
  2. जॉनी बेयरस्टो : 532 रन (2019)
  3. बाबर आजम : 474 रन (2019)

उन्होंने 25 वर्ष की आयु में डेब्यू वनडे वर्ल्ड कप में 578 रन बनाकर सचिन तेंदुलकर द्वारा 25 वर्ष की आयु में सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए गए  523 रनों के रिकार्ड को भी तोड़ दिया।

25 वर्ष की आयु में सिंगल वनडे वर्ल्ड कप में सबसे अधिक रन

  1. रचिन रविंद्र : 578 रन (2023)
  2. सचिन तेंदुलकर : 523 रन (1996)
  3. बाबर आजम : 474 रन (2019)
  4. एबी डिविलियर्स :  372 रन (2007)

रचिन रविंद्र और प्रोमिला मोरार

निजी जीवन

आज रचिन काफी फेमस हो चुके हैं। वह न्यूजीलैंड के उभरते ऑलराउंडर बन चुके हैं। उनके निजी जीवन की बात की जाए तो वह अपने माता-पिता के साथ न्यूजीलैंड के वेलिंगटन शहर में रहते हैं, उनकी एक गर्लफ्रेंड भी है जिनका नाम प्रमिला मोरार है, वह न्यूजीलैंड के ऑकलैंड शहर में रहती हैं। सोशल मीडिया पर रचिन रविंद्र और उनकी गर्लफ्रेंड के कई फोटो देखे जा सकते हैं। उनकी गर्लफ्रेंड को मिला अक्सर अपने सोशल मीडिया हैंडल पर रचिन के साथ अपने फोटो शेयर करती रहती हैं।प्रोमिला मोरार

प्रमिला मोरार न्यूजीलैंड की वेस्सी यूनिवर्सिटी में पढ़ती है, और न्यूजीलैंड की एक कंपनी में काम भी करती है।  फोटो देखकर पता चल रहा है कि रचिन की गर्लफ्रेंड काफी ग्लैमरस हैं, और रचिन से उनकी अच्छी बॉंडिंग है। उनकी फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार उनका जन्म 22 नवंबर 2000 को हुआ था।

रचिन रविंद्र की जीवन परिचय, न्जूजीलैंड का क्रिकेटर, न्यूजीलैंड, क्रिकेटर, रचिन रविंद्र की जीवनी, Rachin Ravindra Life Introduction, Rachin Ravindra Jeevani in Hindi, Rachin Ravindra life, Girl friend. Pramila Morar


नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


वनडे क्रिकेट इतिहास की वो 3 यादगार पारियां, जो हमेशा याद रहेंगी।

विराट कोहली – सेंचुरी किंग – विराट की सभी सेंचुरी की लिस्ट देखें।

विराट कोहली ने क्रिकेट के तीनों फार्मेंट में बहुत सेंचुरी बनाई हैं। उन्होंने क्रिकेट के तीनों फार्मेट में कब और कितनी सेंचुरी (Virat Kohli All Centuries list) बनाई हैं, उनके इस रिकार्ड पर नजर डालते हैं।

क्रिकेटर विराट कोहली भारत के महानतम बल्लेबाज हैं। बल्लेबाजी में सचिन तेंदुलकर के बाद विराट कोहली ने अपना एक नया स्थान बनाया है। अपनी अद्भुत बल्लेबाजी के कारण वह भारत के सर्वश्रेष्ठ महानतम क्रिकेटरों सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर, कपिल देव के समकक्ष नज़र आते हैं।

16 नवंबर 2023 को वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के साथ मैच खेलते हुए उन्होंने सेंचुरी बनाकर सचिन तेंदुलकर की वनडे में 49 सेंचुरी का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस तरह वह वनडे क्रिकेट में 50 सेंचुरी बनाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए। वह टेस्ट क्रिकेट में भी 29 सेंचुरी बना चुके हैं और T20 क्रिकेट में 1 सेंचुरी लगा चुके हैं। इस तरह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी कुल 80 सेंचुरी हो गई है।

सचिन तेंदुलकर ने वनडे में 49 और टेस्ट में 51 सेंचुरी मिलाकर कुल मिलाकर 100 सेंचुरी बनाई हैं। सचिन तेंदुलकर के 100 अंतर्राष्ट्रीय शतकों के इस रिकार्ड को अगर कोई तोड़ सकता है, तो वह विराट कोहली ही हो सकते हैं। वह उनके रिकार्ड के करीब आ चुके हैं।

विराट कोहली ने अपनी पहली वनडे सेंचुरी दिसंबर 2009 में लगाई थी उसके बाद वह 16 नवंबर 2023 तक 50 वनडे सेंचुरी लगा चुके हैं।

विराट कोहली की 50 वनडे सेंचुरी की लिस्ट

क्रमरनविरुद्ध टीमस्ट्राइक रेटवेन्यूतारीखपरिणाम
1107श्रीलंका93.85ईडन गार्डन, कोलकाता24 दिसंबर 2009भारत ने मैच जीता
2102*बांग्लादेश107.37शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम, ढाका11 जनवरी 2010भारत ने मैच जीता
3118ऑस्ट्रेलिया97.52आंध्र प्रदेश क्रिकेट एसोसियेशन स्टेडियम, विशाखापट्टनम20 अक्टूबर 2010भारत ने मैच जीता
4105न्यूज़ीलैंड100.96नेहरू स्टेडियम, गुवाहाटी28 नवंबर 2010भारत ने मैच जीता
5100*बांग्लादेश120.48शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम, ढाका19 फरवरी 2011भारत ने मैच जीता
6107इंगलैंड115.05सोफिया गार्डन, कार्डिफ़16 सितंबर 2011भारत मैच हार गया
7112*इंगलैंड114.28फ़िरोज़ शाह कोटला मैदान, दिल्ली17 अक्टूबर 2011भारत ने मैच जीता
8117वेस्ट इंडीज95.12आंध्र प्रदेश क्रिकेट एसोसियेशन स्टेडियम, विशाखापट्टनम2 दिसंबर 2011भारत ने मैच जीता
9133*श्रीलंका154.65बेलेरिव ओवल, होबार्ट28 फरवरी 2012भारत ने मैच जीता
10108श्रीलंका90.00शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम, ढाका13 मार्च 2012भारत ने मैच जीता
11183पाकिस्तान123.64शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम, ढाका18 मार्च 2012भारत ने मैच जीता
12106श्रीलंका93.80एमआरआईसी स्टेडियम, हंबनटोटा21 जुलाई 2012भारत ने मैच जीता
13128*श्रीलंका107.56आर प्रेमदासा स्टेडियम, कोलंबो31 जुलाई 2012भारत ने मैच जीता
14102वेस्ट इंडीज122.89क्वींस पार्क ओवल, पोर्ट ऑफ स्पेन5 जुलाई 2013भारत ने मैच जीता
15115ज़िम्बाब्वे106.48हरारे स्पोर्ट्स क्लब, हरारे24 जुलाई 2013भारत ने मैच जीता
16100*ऑस्ट्रेलिया192.30सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर16 अक्टूबर 2013भारत ने मैच जीता
17115*ऑस्ट्रेलिया174.24वीसीए स्टेडियम, नागपुर30 अक्टूबर 2013भारत ने मैच जीता
18123न्यूज़ीलैंड110.81मैकलीन पार्क, नेपियर19 जनवरी 2014भारत मैच हार गया
19136बांग्लादेश111.47खान शाहेब उस्मान अली स्टेडियम, फतुल्लाह26 फरवरी 2014भारत ने मैच जीता
20127वेस्ट इंडीज111.40हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसियेशन स्टेडियम, धर्मशाला17 अक्टूबर 2014भारत ने मैच जीता
21139*श्रीलंका110.31जेएससीए स्टेडियम, रांची16 नवंबर 2014भारत ने मैच जीता
22107पाकिस्तान84.90एडिलेड ओवल, एडिलेड15 फरवरी 2015भारत ने मैच जीता
23138दक्षिण अफ्रीका98.57एमए चिदम्बरम स्टेडियम, चेन्नई22 अक्टूबर 2015भारत ने मैच जीता
24117ऑस्ट्रेलिया100.00मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड, मेलबर्न17 जनवरी 2016भारत मैच हार गया
25106ऑस्ट्रेलिया115.21मनुका ओवल, कैनबरा20 जनवरी 2016भारत मैच हार गया
26154*न्यूज़ीलैंड114.92आई एस बिंद्रा स्टेडियम, मोहाली23 अक्टूबर 2016भारत ने मैच जीता
27122इंगलैंड116.19महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, पुणे15 जनवरी 2017भारत ने मैच जीता
28111*वेस्टइंडीज96.52सबीना पार्क, किंग्स्टन6 जुलाई 2017भारत ने मैच जीता
29131श्रीलंका136.45आर प्रेमदासा स्टेडियम, कोलंबो31 अगस्त 2017भारत ने मैच जीता
30110*श्रीलंका94.82आर प्रेमदासा स्टेडियम, कोलंबो3 सितंबर 2017भारत ने मैच जीता
31121न्यूज़ीलैंड96.80वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई22 अक्टूबर 2017भारत मैच हार गया
32113न्यूज़ीलैंड106.60ग्रीन पार्क स्टेडियम, कानपुर29 अक्टूबर 2017भारत ने मैच जीता
33112दक्षिण अफ्रीका94.11किंग्समीड क्रिकेट ग्राउंड, डरबन1 फरवरी 2018भारत ने मैच जीता
34160*दक्षिण अफ्रीका100.62न्यूलैंड्स क्रिकेट ग्राउंड, केप टाउन7 फरवरी 2018भारत ने मैच जीता
35129*दक्षिण अफ्रीका134.37सुपरस्पोर्ट पार्क, सेंचुरियन16 फरवरी 2018भारत ने मैच जीता
36140वेस्ट इंडीज130.84एसीए स्टेडियम, गुवाहाटी21 अक्टूबर 2018भारत ने मैच जीता
37157*वेस्ट इंडीज121.71आंध्र प्रदेश क्रिकेट एसोसियेशन स्टेडियम, विशाखापट्टनम24 अक्टूबर 2018बंधा होना
38107वेस्ट इंडीज89.91महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, पुणे27 अक्टूबर 2018भारत मैच हार गया
39104ऑस्ट्रेलिया92.85एडिलेड ओवल, एडिलेड15 जनवरी 2019भारत ने मैच जीता
40116ऑस्ट्रेलिया96.67विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, नागपुर5 मार्च 2019भारत ने मैच जीता
41123ऑस्ट्रेलिया129.47जेएससीए स्टेडियम, रांची8 मार्च 2019भारत मैच हार गया
42120वेस्ट इंडीज96.00क्वींस पार्क ओवल, पोर्ट ऑफ स्पेन11 अगस्त 2019भारत ने मैच जीता
43114*वेस्ट इंडीज115.15क्वींस पार्क ओवल, पोर्ट ऑफ स्पेन14 अगस्त 2019भारत ने मैच जीता
44113बांग्लादेश124.17ज़ोहुर अहमद चौधरी स्टेडियम, चटगांव10 दिसंबर 2022भारत ने मैच जीता
45113श्रीलंका129.88एसीए स्टेडियम, गुवाहाटी10 जनवरी 2023भारत ने मैच जीता
46166*श्रीलंका150.90ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल स्टेडियम, तिरुवनंतपुरम15 जनवरी 2023भारत ने मैच जीता
47122*पाकिस्तान129.78आर प्रेमदासा स्टेडियम, कोलंबो10 सितंबर 2023भारत ने मैच जीता
48103*बांग्लादेश106.18महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, पुणे19 अक्टूबर 2023भारत ने मैच जीता
49101*दक्षिण अफ्रीका83.47ईडन गार्डन, कोलकाता5 नवंबर 2023भारत ने मैच जीता
50117न्यूज़ीलैंड103.54वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई15 नवंबर 2023भारत ने मैच जीता

*नॉट आउट

विराट कोहली की टेस्ट सेंचुरी की लिस्ट

विराट कोहली ने अपनी पहली टेस्ट सेंचुरी 2012 में लगाई थी। उसके बाद से वह अब तक 29 टेस्ट सेंचुरी लगा चुके हैं।

क्रमरनविरुद्ध टीमवेन्यूदिनाँकपरिणाम
1116 ऑस्ट्रेलियाएडिलेड ओवल, एडिलेड24 जनवरी 2012भारत मैच हार गया
2103 † न्यूज़ीलैंडएम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु31 अगस्त 2012भारत मैच जीत गया
3103 इंगलैंडविदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, नागपुर13 दिसंबर 2012अनिर्णित
4107 ऑस्ट्रेलियाएमए चिदम्बरम स्टेडियम, चेन्नई22 फरवरी 2013भारत मैच जीत गया
5119 दक्षिण अफ्रीकावांडरर्स स्टेडियम, जोहान्सबर्ग18 दिसंबर 2013अनिर्णित
6105* न्यूज़ीलैंडबेसिन रिजर्व, वेलिंगटन14 फरवरी 2014अनिर्णित
7115 ऑस्ट्रेलियाएडिलेड ओवल, एडिलेड9 दिसंबर 2014भारत मैच हार गया
8141 ऑस्ट्रेलियाएडिलेड ओवल, एडिलेड9 दिसंबर 2014भारत मैच हार गया
9169 ऑस्ट्रेलियामेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड, मेलबर्न26 दिसंबर 2014ड्रॉ
10147 ऑस्ट्रेलियासिडनी क्रिकेट ग्राउंड, सिडनी6 जनवरी 2015ड्रॉ
11103 श्रीलंकागॉल इंटरनेशनल स्टेडियम, गॉल12 अगस्त 2015भारत मैच हार गया
12200 वेस्ट इंडीजसर विवियन रिचर्ड्स स्टेडियम, एंटीगुआ21 जुलाई 2016भारत मैच जीत गया
13211 न्यूज़ीलैंडहोलकर स्टेडियम, इंदौर8 अक्टूबर 2016भारत मैच जीत गया
14167 इंगलैंडएसीए-वीडीसीए क्रिकेट स्टेडियम, विशाखापत्तनम17 नवंबर 2016भारत मैच जीत गया
15235 इंगलैंडवानखेड़े स्टेडियम, मुंबई8 दिसंबर 2016भारत मैच जीत गया
16204 बांग्लादेशRajiv Gandhi Stadium, Hyderabad9 फरवरी 2017भारत मैच जीत गया
17103* श्रीलंकागॉल इंटरनेशनल स्टेडियम, गॉल26 जुलाई 2017भारत मैच जीत गया
18104* श्रीलंकाईडन गार्डन, कोलकाता16 नवंबर 2017ड्रॉ
19213 श्रीलंकाविदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, नागपुर24 नवंबर 2017भारत मैच जीत गया
20243 श्रीलंकाफ़िरोज़ शाह कोटला मैदान, दिल्ली2 दिसंबर 2017ड्रॉ
21153 दक्षिण अफ्रीकासुपरस्पोर्ट पार्क, सेंचुरियन13 जनवरी 2018भारत मैच हार गया
22149 इंगलैंडएजबेस्टन, बर्मिंघम1 अगस्त 2018भारत मैच हार गया
23103 इंगलैंडट्रेंट ब्रिज, नॉटिंघम18 अगस्त 2018भारत मैच जीत गया
24139 वेस्ट इंडीजसौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, राजकोट4 अक्टूबर 2018भारत मैच जीत गया
25123 ऑस्ट्रेलियापर्थ स्टेडियम, पर्थ14 दिसंबर 2018भारत मैच हार गया
26254* दक्षिण अफ्रीकामहाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, पुणे10 अक्टूबर 2019भारत मैच जीत गया
27136 बांग्लादेशईडन गार्डन, कोलकाता22 नवंबर 2019भारत मैच जीत गया
28186 ऑस्ट्रेलियानरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद9 मार्च 2023ड्रॉ
29121 वेस्ट इंडीजक्वींस पार्क ओवल, पोर्ट ऑफ स्पेन20 जुलाई 2023ड्रॉ

*नॉट आउट

विराट कोहली की एकमात्र टी20 सेंचुरी

विराट कोहली ने टी20 क्रिकेट में केवल एक सेंचुरी बनाई है।

क्रमरनविरुद्ध टीमस्ट्राइक रेटवेन्यूतारीखपरिणाम
1122*अफगानिस्तान200.00दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, दुबई8 September 2022भारत ने मैच जीता

ये भी पढ़ें…

के एल राहुल ने विकेटकीपर के रूप भारत से बाहर टेस्ट सेंचुरी लगाकर उस लिस्ट में अपनी जगह बनाई जिसमें ऋषभ पंत सबसे ज्यादा 4 सेंचुरी लगाकर टॉप पर हैं।

2023 में सबसे अधिक कलेक्शन करने वाली टॉप 10 हिंदी फिल्मों की लिस्ट जानें।

2023 में बॉलीवुड की हिंदी फिल्मों में किसने कितना कलेक्शन किया और कितनी कमाई की और कौन सी फिल्म टॉप 10 की लिस्ट (Top 10 Collection Hindi Movies of 2023) में शामिल रही? आइए जानते हैं…

2020 में कोरोना महामारी के कारण बॉलीवुड की हालत बेहद खराब थी। 2020 और 2021 में तथा 2022 में बॉलीवुड की कोई भी फिल्म बहुत अधिक सफल नहीं हो पा रही थी। जो गिनी चुनी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट या सुपरहिट हो रही थीं, उनमें अधिकतर दक्षिण भारतीय फिल्में थी।

2023 का साल बॉलीवुड के लिए बेहद अच्छा रहा। इसकी शुरुआत बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान की फिल्म पठान से हुई, जिसने जनवरी के महीने में रिलीज होकर बॉक्स ऑफिस पर बेहद अच्छा कलेक्शन किया और बेजान बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस में एक नई जान फूंक दी। उसके बाद द केरल स्टोरी फिल्म रिलीज हुई, जिस पर काफी विवाद हुआ। लेकिन विवाद के बावजूद भी फिल्म ने बेहद अच्छी कमाई की।

इन दोनों फिल्मों के बाद गदर 2 फिल्म आई और उसने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया। सनी देओल के एक्शन को खूब पसंद किया गया। हिंदी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस की चाँदी तब हो गई जब शाहरुख खान की जवान फिल्म रिलीज हुई। जवान ने बॉक्स ऑफिस पर सबसे अधिक कमाई करके एक नया इतिहास रचा।

जाते जाते दिसंबर में रिलीज हुई एनिमल ने बॉक्स ऑफिस पर कोहराम मचा दिया। फिर शाहरूख खान की डंकी भी ठीक-ठाक कलेक्शन कर गई। इस तरह बॉलीवुड के लिए साल की शुरुआत और अंत दोनों शानदार रहे।

अब बॉलीवुड के बॉक्स ऑफिस की रौनक हो चुकी थी। बीच-बीच में रॉकी और रानी की प्रेम कथा, ओ माय गॉड 2, टाइगर 3 और डंकी जैसी फिल्मों ने भी ठीक-ठाक कमाई करके बॉक्स ऑफिस की रौनक को वापस लौटा दिया था।

2023 की सबसे अधिक कलेक्शन करने वाली मूवी की लिस्ट पर नजर डाली जाए तो जवान इस लिस्ट में सबसे टॉप पर है, जिसने भारत में कुल 644 करोड़ के लगभग तथा वर्ल्डवाइड 1148 करोड़ का कलेक्शन करके सबसे अधिक कलेक्शन करने का रिकॉर्ड बनाया।

इसी लिस्ट में दूसरे नंबर पर शाहरुख खान की पठान रही, जिसने भारत में 543 करोड़ का कलेक्शन किया  और वर्ल्डवाइड 1050 करोड़ का कलेक्शन किया।

पहले इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर सनी देओल की गदर 2 फिल्म थी, लेकिन उसको रणबीर कपूर की एनिमल मूवी ने पीछे छोड़ते हुए तीसरे स्थान पर जगह बनाई।

सलमान खान की टाइगर 3 बॉक्स ऑफिस पर बहुत धमाल तो नहीं मचा सकी लेकिन उसने बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक कलेक्शन कर लिया और अपनी लागत भी आराम से निकाल ली।

उसके अलावा अक्षय कुमार की ओ माय गॉड 2 ने भी अच्छी खासी कमाई की। तो रणवीर सिंह-आलिया भट्ट की रॉकी और रानी की प्रेम कहानी भी ठीक-ठाक चलीं।

2023 मेें बॉलीवुड की सबसे अधिक कलेक्शन करने वाली टॉप 10 फिल्मों की लिस्ट

फिल्मभारत नेट कलेक्शनविदेशों में नेट कलेक्शनकुल वर्ल्डवाइड कलेक्शन
जवान643.87386.341148.32
पठान543.05396.021050.3
एनिमल662.33255.49917.82
गदर 2525.4565.54691.08
डंकी262.25196.68458.93
टाइगर 3285.27120.55466.33
दि केरला स्टोरी242.2015.64303.97
रॉकी और रानी की प्रेमकथा153.60172.75355.61
ओ माई गॉड 2150.1742.31221.08
तु झूठी मैं मक्कार149.0542.66220.10


ये भी पढ़ें…

के एल राहुल ने विकेटकीपर के रूप भारत से बाहर टेस्ट सेंचुरी लगाकर उस लिस्ट में अपनी जगह बनाई जिसमें ऋषभ पंत सबसे ज्यादा 4 सेंचुरी लगाकर टॉप पर हैं।

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच चल रहे पहले टेस्ट मैच में केएल राहुल भारत के बाहर सेंचुरी लगाने वाले (Indian Wicket Keepers Home Away Centuries) विकेटकीपर की लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराया है। लेकिन ऋषभ पंत का इस लिस्ट में दबदबा है।

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच भारत की टीम दक्षिणी अफ्रीका के दौरे पर है। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच 26 दिसंबर 2023 से दूसरा टेस्ट आरंभ हुआ था। इस टेस्ट मैच में भारतीय टीम ने पहले पारी में पहले बैटिंग करते हुए केवल 245 रन का स्कोर बनाया और पूरी टीम ऑल आउट हो गई।

पूरी टीम में केवल एक बल्लेबाज के एल राहुल ने ही सबसे अधिक रन बनाया और विकेट पर टिक कर एक जुझारु पारी खेलते हुए 137 बॉल में 101 रन बनाए। भारत उनकी इस पारी की बदौलत ही 245 रन बन पाया। केएल राहुल इस टेस्ट मैच में विकेटकीपर के रूप में खेल रहे थे, क्योंकि भारत के नियमित टेस्ट विकेटकीपर ऋषभ पंत चोट के कारण 1 साल से क्रिकेट से दूर हैं।

केएल राहुल ने भारत के बाहर विकेटकीपर के रूप में सेंचुरी लगाकर, उस विशेष लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवा लिया जिसमें भारत के बाहर किसी विकेटकीपर ने सेंचुरी मारी हो।

इस लिस्ट में गिने-चुने विकेटकीपर के नाम ही हैं, जिनमें केएल राहुल के अलावा ऋषभ पंत, एमएस धोनी, विजय मांजरेकर, रिद्धिमान साहा और अजय यात्रा का नाम शामिल है। लेकिन इस लिस्ट में ऋषभ पंत का दबदबा है।

केवल 9 बार ऐसा हुआ है कि भारत के बाहर टेस्ट मैच खेलते हुए किसी भारतीय विकेटकीपर ने सेंचुरी मारी हो और इन 9 सेंचुरी में चार सेंचुरी अकेले ऋषभ पंत ने ही बनाई हैं। यह चारों सेंचुरी पिछले 5 सालों के अंदर ही आई हैं। इस तरह ऋषभ पंत विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में टेस्ट मैच में अपना दबदबा रखते हैं।

ऋषभ पंत ने टेस्ट मैच में अपनी बल्लेबाजी से जो छाप छोड़ी है, वह हर कोई जानता है। उन्हें टेस्ट मैचों का सहवाग कहा जा सकता है क्योंकि वीरेंद्र सहवाग ने जिस तरह टेस्ट मैचों में अपनी तेजतर्रार बैटिंग से अपना नाम बनाया वैसा ही ऋषभ पंत करते हैं।

दुर्भाग्यवश उनका एक्सीडेंट हो गया और वह सक्रिय क्रिकेट से फिलहाल दूर हैं और उनकी जगह विकेटकीपर की जिम्मेदारी केएल राहुल संभाल रहे हैं।

के एल राहुल ने अपनी जुझार सुपारी से भारतीय टीम को संकटसंकट से निकाला और विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में भारत के बाहर टेस्ट सेंचुरी मार मार लगाकर विशेष सूची में नाम दर्ज कर लिया। वह इस सूची में नवे स्थान पर हैं।

पूरी लिस्ट इस प्रकार है..

क्रमविकेटकीपररनविरुद्ध टीमवेन्यूवर्ष
1ऋषभ पंत159ऑस्ट्रेलियासिडनी2019
2महेंद्र सिंह धोनी148पाकिस्तानफैसलाबाद2006
3ऋषभ पंत146इंग्लैंडबर्मिंघम2018
4विजय मांजरेकर118वेस्ट इंडीजएंटिगुआ1953
5अजय रात्रा115वेस्टइंडीजकिंग्सटन2002
6ऋषभ पंत114इंग्लैंडलंदन2018
7ऋद्धिमान साहा104वेस्टइंडीजसेंट लूसिया2016
8केएल राहुल101दक्षिण अफ्रीकासेंचुरियन2023
9ऋषभ पंत100दक्षिण अफ्रीकाकेपटाउन2022

ये भी पढ़ें…

मास्क आधार कार्ड का उपयोग करके अपने आधार कार्ड के डेटा को सुरक्षित बनाएं। मास्क आधार कार्ड कैसे बनाएं?

अगर आपको अपने आधार कार्ड के इस्तेमाल को सुरक्षित बनाना है तो मास्क आधार कार्ड (Mask Aadhaar Card) का उपयोग करें। जानें कैसे?

अपने नाम और पते के सबूत के रूप में आधार कार्ड जैसे वैधानिक डॉक्यूमेंट का प्रयोग अब सामान्य हो चला है। आधार कार्ड बहुत से जरूरी कार्यों के लिए बेहद जरूरी हो गया है। हर जगह आधार कार्ड की मांग की जाती है, चाहे सिम कार्ड लेना हो अथवा कोई बैंक खाता खोलना हो, बैंक से लोन लेना हो, अथवा सरकार की किसी योजना का लाभ लेना हो। कोई भी जरूरी कार्य हो हर जगह आधार कार्ड जरूरी हो गया है।

ऐसी स्थिति में अपने आधार कार्ड की ऑनलाइन फोटोकॉपी अथवा ऑफलाइन हार्ड कॉपी देते समय आधार कार्ड के गलत इस्तेमाल की संभावनाएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। ये डर बना रहता है कि हम जहां पर अपना आधार कार्ड जमा कर रहे हैं, वहाँ इसका कोई गलत उपयोग भी कर सकता है, अथवा आधार कार्ड के नंबर और पर्सनल डेटा को चुराकर कोई फ्राड किया जा सकता है।

आधार कार्ड के जरिए तरह के बैंकिंग फ्रॉड की अनेक घटनाएं सामने आई हैं, इसलिए अब यूजर को आधार कार्ड को संभाल कर उसे करने की जरूरत आन पड़ी है।

सरकार की तरफ से भी आधार कार्ड के सुरक्षित इस्तेमाल की सलाह निरंतर जारी दी जाती रही है। सरकार की तरफ से आधार कार्ड के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए मास्क आधार कार्ड (Mask Aadhar Card) के इस्तेमाल की सलाह दी जाती रही है, ताकि ऑनलाइन या ऑफलाइन आधार कार्ड का सुरक्षित इस्तेमाल किया जा सके और हैकर्स वगैरा आधार कार्ड का नंबर और पर्सनल डाटा ना चुरा सकें।

मास्क आधार कार्ड क्या होता है?

मास्क आधार कार्ड आधार कार्ड का ही एक संक्षिप्त प्रतिरूप है। इसे आधार कार्ड के सभी नंबर उजागर नही होते है, बल्कि आखिर के चार अंक ही दिखते है। इसको बिना किसी भी डर और बिना किसी जोखिम के किसी के साथ भी साझा किया जा सकता है।

मास्क आधार कार्ड में आधार कार्ड यूजर की पर्सनल डिटेल जाहिर नहीं होती है, क्योंकि इसमें आधार कार्ड नंबर के शुरू के 8 डिजिट मास्क यानी छुपे रहते हैं, केवल आखिर के चार डिजिट ही दिखाई देते हैं। इसके अलावा यूजर का नाम पता भी भी शार्ट रूप में दर्ज होता है। इस कारण कोई हैकर्स या फ्राड आपके आधार कार्ड के नंबर को पता नही कर पाएगा ना ही उसे आपका आधार कार्ड डेटा पूरी तरह से पता चलेगा। इससे फ्रॉड की संभावना कम हो जाती है।

मास्क आधार कार्ड को ऑनलाइन भी डाउनलोड किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल हम ऑफलाइन या ऑनलाइन किसी भी तरह से आधार कार्ड की कॉपी रूप में कर सकते हैं।

मास्क आधार कार्ड ऐसी अनजान जगहों जैसे कि यात्रा के समय, कहीं टहलने के लिए होटल आदि में या किसी अनजान व्यक्ति को अपने किसी कार्य के लिए आधार कार्ड की जरूरी डिटेल देते समय काम आता है। अधिकतर जगह मास्क आधार कार्ड को स्वीकार कर लिया जाता है। केवल कुछ सरकारी योजनाओं का लाभ लेते समय जहाँ बहुत से मान्य दस्तावेज जमा कराने पड़ते हैं, केवल वहाँ पर ही मास्क आधार कार्ड मान्य नही होता। वहाँ पर रेग्युलर आधार कार्ड की कॉपी ही देनी होती है। उसके अलावा हर जगह मास्क आधार कार्ड से काम चल सकता है।

आप अपने आधार कार्ड का नंबर बिना शो किए हुए भी मास्क आधार कार्ड के रूप में किसी से अपना आधार कार्ड साझा कर सकते हो। मास्क आधार कार्ड को कहीं पर भी आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। इसके लिए आपके आधार कार्ड के साथ आपका मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड होना चाहिए।

मास्क आधार कार्ड को कैसे डाउनलोड करें?

मास्क आधार कार्ड को डाउनलोड करने के लिए सबसे पहले आधार कार्ड की ऑफिशल वेबसाइट पर जाना होगा। वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है।

https://eaadhaar.uidai.gov.in/

इस लिंक पर क्लिक करके अपना 12 डिजिट का आधार नंबर डालना होगा। उसके बाद I wand mask Aadhaar card को ऑप्शन पर क्लिक करें।

उसके बाद कैप्चा आदि डालने के बाद वेरीफिकेशन प्रोसेस पूरा करना होगा। फिर रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आएगा जिसको डालने के बाद मास्क आधार कार्ड की एक कॉपी को डाउनलोड किया जा सकता है। इस मास्क आधार कार्ड की कॉपी को आप अपने आधार कार्ड के सबूत के रूप में कहीं पर भी दे सकते हैं।

इससे इस आधार कार्ड पर आपकी पूरी पहचान उजागर नहीं होगी, जिससे हैकर्स को इसे एक्सेस करना आसान नहीं होगा और आपके आधार कार्ड का पर्सनल डाटा सुरक्षित रहेगा।


ये भी पढ़ें…

व्हाट्सएप पर ये सेटिंग तुरंत कर लें, नही तो कोई भी आपकी लोकेशन जान सकता है।

व्हाट्सएप पर ये सेटिंग तुरंत कर लें, नही तो कोई भी आपकी लोकेशन जान सकता है।

WhatsApp के आईपी एड्रेस प्रोटेक्ट फीचर (IP Address Protect feature) से अपनी लोकेशन सिक्योर करें, जाने कैसे?

इंटरनेट के युग में अपनी प्राइवेसी को सुरक्षित रखना, अपनी लोकेशन आदि को सिक्योर करना आदि बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, नहीं तो हैकर्स की नजर हमेशा आपकी सुरक्षा में सेंधमारी की रहती है। हमारे मोबाइल में अक्सर बहुत सी ऐप ऐसी होती हैं, जो लोकेशन एक्सेस भी मांगते हैं, लेकिन हर किसी को अपनी लोकेशन एक्सेस देना आवश्यक नहीं है, इसीलिए अपनी लोकेशन को सुरक्षित रखना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

हमारी डिवाइस चाहे वह लैपटॉप हो या मोबाइल उस पर हमारा आईपी एड्रेस ही हमारे लिए हमारी लोकेशन को ट्रेस करने के लिए काफी है और हैकर्स हमारे आईपी एड्रेस को हैक करके हमारी लोकेशन को भी ट्रेस कर सकते हैं और आवश्यक जानकारी जुटा सकते हैं।

व्हाट्सएप उनके लिए एक ऐसा माध्यम बन सकता है। इसीलिए व्हाट्सएप ने ‘आईपी एड्रेस प्रोटेक्ट फीचर’ (IP Address Protect feature) को इंट्रोड्यूस किया है, इसके माध्यम से आपके आईपी एड्रेस को कोई भी ट्रेस नहीं कर सकता और लोकेशन नहीं जान पाएगा।

इस फीचर्स की सहायता से व्हाट्सएप आईपी एड्रेस को एकदम सिक्योर कर देता है, जिससे कोई भी लोकेशन को नहीं जान पाएगा।

व्हाट्सएप में सामान्य सेटिंग के माध्यम से हम अपनी लोकेशन को हाईड किया जा सकता है, लेकिन आईपी एड्रेस के द्वारा भी हैकर्स लोकेशन को ट्रेस कर सकते हैं। यदि व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल अथवा वॉइस कॉल कर रहे हैं तो हैकर्स आईपी एड्रेस को आसानी से हैक कर सकते हैं और उसके माध्यम से लोकेशन को भी जान सकते हैं। व्हाट्सएप के नए फीचर्स के माध्यम से आईपी एड्रेस को सुरक्षित किया जा सकता है।

व्हाट्सएप में अपना एक नए फीचर्स इंट्रोड्यूस किया है। व्हाट्सएप ने अपने ब्लॉग पोस्ट में बताया है कि व्हाट्सएप का इस्तेमाल करने पर जो भी वॉइस कॉल अथवा वीडियो कॉल होते हैं, वह व्हाट्सएप सर्वर से रिले किए जाते हैं। इस स्थिति में कॉल के दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति को आपका आईपी ऐड्रेस पता नहीं चलेगा और वह आपका आईपी एड्रेस को आपका लोकेशन ट्रेस करने का माध्यम नहीं बना सकता। जिससे आपकी प्राइवेसी अधिक सुरक्षित होगी। व्हाट्सएप के इस नए फीचर्स में वॉइस कॉल और वीडियो कॉल एंड इंक्रिप्शन तकनीक पर आधारित होगी।

आईपी प्रोटेक्ट फीचर को कैसे इनेबल करें? (IP address protect feature)

इसके लिए आपको व्हाट्सएप का लेटेस्ट वर्जन अपडेट करना पड़ेगा। यदि आपका व्हाट्सएप अपडेट नहीं हुआ है तो पहले उसे अपडेट करें।

  • उसके बाद सेटिंग में जाएं और सेटिंग को ओपन करें।
  • वहां पर प्राइवेसी टैब पर जाएं।
  • प्राइवेसी टैब में सबसे नीचे स्क्रॉल करने पर एडवांस ऑप्शन दिखाई देगा।
  • एडवांस ऑप्शन पर क्लिक करें।
  • उसके बाद ‘Protect IP address in calls’ ऑप्शन को इनेबल कर दें।

अब आपका डिवाइस चाहे वह लैपटॉप हो या मोबाइल अथवा टैबलेट सब पर काम करने लगेगा। आपका आईपी एड्रेस पूरी तरह सुरक्षित हो जाएगा और व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल या वॉइस कॉल करते समय कोई भी आईपी एड्रेस को एक्सेस नहीं कर पाएगा, जिससे आपकी प्राइवेसी सुरक्षित रहेगी।

ऐसी स्थिति में अनजान नंबर से कोई भी व्हाट्सएप कॉल आने पर आपकी प्राइवेसी सुरक्षित रहेगी। अगर आप यह चाहते हैं कि आपको अनजान नंबर से कोई भी व्हाट्सएप कॉल नहीं आए तो आपको प्राइवेसी सेटिंग में Calls ऑप्शन में Silent unknown calls ऑप्शन को इनेबल करना होगा।

इस फीचर को इनेबल करने से जिसका नंबर आपके फोन बुक में नहीं है, वह आपको व्हाट्स एप पर Voice call या Video call नहीं कर सकेगा सकेगा। इससे आप अनजान कॉल और साइबर अटैक से बच सकेंगे।


ये भी पढ़ें…

वनडे क्रिकेट इतिहास की वो 3 यादगार पारियां, जो हमेशा याद रहेंगी।

भारत में हुए 13वें वनडे वर्ल्ड कप 2023 में  ग्लेन मैक्सवेल द्वारा 7 नवंबर 2023 को अफगानिस्तान के विरुद्ध 201 रन की पारी खेली जाने के बाद मन में यह सवाल उठा कि क्या यह पारी वनडे क्रिकेट की सर्वश्रेष्ठ ऐतिहासिक पारी है? (3 memorable innings of ODI cricket history) तो इसमें कोई शक नहीं है कि मैक्सवेल की यह पारी वर्ल्ड क्रिकेट की ऐतिहासिक पारियों में शामिल हो गई है।

जब से वनडे क्रिकेट खेला जाना शुरू हुआ है, उसके बाद से कई बार ऐसे मौके आए हैं, जब खिलाड़ियों ने कठिन परिस्थितियों में ऐसी यादगार पारिया खेली हैं, जिनकी वजह से न केवल उनकी टीम जीती बल्कि उनकी वह पारी भी लोगों के दिमाग में बस गई। ऐसी अनेक खिलाड़ियों द्वारा खेली गई पारियां हैं, लेकिन यहां पर वनडे क्रिकेट इतिहास की तीन ऐसी बेहतरीन पारियों की बात की जा रही है जिनके ऊपर और कोई पारी नहीं है।

इन तीन पारियो में पहली पारी भारत के कपिल देव द्वारा 18 जून 1983 को तीसरे वनडे वर्ल्ड कप में जिम्बॉब्वे के विरुद्ध खेली गई 175 रन की ऐतिहासिक पारी है।

दूसरी पारी दक्षिण अफ्रीका के बैटर हर्शेल गिब्स द्वारा 12 मार्च 2006 को खेली गई 175 रन की ऐतिहासिक पारी है।

तीसरी पारी में ग्लेन मैक्सवेल द्वारा 7 नवंबर 2023 को वनडे वर्ल्ड कप में खेली गई 201 रन की ऐतिहासिक पारी है।

कपिल देव की ऐतिहासिक 175 रन की पारी

कपिल देव की 175 रन की ऐतिहासिक पारी वनडे क्रिकेट की सर्वकालिक महान पारियों में से एक पारी है। कपिल देव ने 175 रन की यह पारी 18 जून 1983 में जिम्बॉब्वे के विरोद्ध खेली थी।

उस समय तीसरा वर्ल्ड कप इंग्लैंड में चल रहा था। कपिल देव उस वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के कप्तान थे। भारत और जिंबॉब्वे के बीच इंग्लैंड के ट्यून ब्रिज वेल्स में 18 जून 1983 को मैच हुआ। मैच में टॉस जीतकर भारत ने पहले बैटिंग करने का निर्णय लिया। कप्तान कपिल देव का यह निर्णय सही साबित नही हुआ, जब भारत के पांच विकेट बेहद जल्दी गिर गए।

भारत ने अपने पहले पांच विकेट 17 रन पर ही खो दिए और भारत की टीम संकट में आ गई।  तब ऐसा लग रहा था कि भारत की टीम बेहद कम स्कोर पर आउट हो जाएगी और जिम्बॉब्वे बाद में आसानी से वह रन बनाकर मैच जीत लेगा, लेकिन कपिल देव ने भारतीय टीम के लिए संकट मोचन की भूमिका निभाते हुए एक कप्तानी पारी खेली। उन्होंने 138 गेंद का सामना करते हुए नाबाद 175 रन बनाए, जिसमें उन्होंने 16 चौके और 6 छक्के जड़े थे।

उस मैच में भारतीय टीम के विकेटकीपर सैयद किरमानी ने उनका भरपूर साथ दिया और एक छोर को संभालने रखा, दूसरे छोर पर कपिल देव तेजतर्रार खेल दिखाते रहे। सैयद किरमानी के अलावा रोजर बिन्नी और मदनलाल ने भी कपिल देव का साथ दिया था।

इससे भारत ने 17 रन पर पांच विकेट की मुश्किल परिस्थिति से उबरते हुए 8 विकेट होकर 266 रन का एक चैलेंजिंग स्कोर बना लिया। इसके बाद जिम्बॉब्वे को 235 रन पर ऑल आउट करके मैच भी जीता। उसके बाद में नया इतिहास रचा गया जब भारत ने अपना पहला वनडे वर्ल्ड कप भी जीता। इसी वनडे वर्ल्ड कप की जीत ने ही भारत में क्रिकेट की दशा बदल दी।

कपिल देव ने 175 रन की वह शानदार पारी नही खेली होती तो भारत सेमीफाइनल ही नही खेल पाता और वर्ल्डकप भी नही जीत पाता। कपिल देव की वह 175 रन की पारी वनडे क्रिकेट इतिहास की यादगार पारियों में शामिल है।


हर्शेल गिब्स की 175 रन की पारी

यह मैच 12 मार्च 2006 को ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच दक्षिणी अफ्रीका के जोहानिसबर्ग के वांडरर्स मैदान में खेला गया था। तब पहली बार वनडे क्रिकेट में 400 रन का स्कोर बना था।

आस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए 434 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। उस समय 400 के पार स्कोर देखकर ऐसा लग रहा था कि दक्षिणी अफ्रीका यह मैच शत-प्रतिशत हार जाएगा, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों ने कमाल कर किया और हर्शेल गिब्स की इसमें सबसे बड़ी भूमिका रही।

दक्षिण अफ्रीका ने साहसपूर्वक बैटिंग करते हुए 438 रन बनाकर मैच जीत लिया। इतने बड़े रन चेज का रिकॉर्ड आज तक नहीं तोड़ा जा सका है। हर्शेल में 175 रन की ऐतिहासिक पारी खेली, जिसमें उन्होंने 111 गेंद का सामना किया। हर्शेल गिब्स के साथ कप्तान ग्रीन स्मिथ ने उनका साथ दिया और 90 रन बनाए। बाद में मार्क बाउचर ने भी 50 रन बनाए।

इस मैच में दोनों टीमों ने मिलकर कल 872 रन बनाए थे, जो भी एक रिकॉर्ड है। इससे पहले इसी मैच में कप्तान रिकी पोंटिंग ने 105 गेंदों में 164 रन की पारी खेली थी, जिसके कारण ही ऑस्ट्रेलिया 434 रन का बड़ा स्कोर बना पाया था।

हर्शेल गिब्स  की 175 रन की वह ऐतिहासिक पारी संकट महान पारियों में से एक है क्योंकि इस पारी की बदौलत दक्षिणी अफ्रीका ने इतने विशाल स्कोर को आसानी से पूरा करके मैच जीता।


ग्लेन मैक्सवेल की 201 रन की अद्भुत पारी

यह पारी 7 नवंबर 2023 को 13वें वनडे वर्ल्डकप में खेली गई। यह ग्लेन मैक्सवेल द्वारा खेली गई पारी ऐतिहासिक पारिया वनडे वर्ल्ड कप वनडे क्रिकेट की ऐतिहासिक पारियों में शामिल हो गई है।

13वें वनडे वर्ल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के बीच ग्रुप मैच में अफगानिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 5 विकेट होकर 291 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया ने जब बैटिंग करना आरंभ किया तो ऑस्ट्रेलिया के विकेट जल्दी-जल्दी गिरने लगे और 91 रन पर उसके साथ 7 विकेट गिर चुके थे। ऐसा लग रहा था कि ऑस्ट्रेलिया अब मैच हर जाएगा, लेकिन जब ग्लेन मैक्सवेल बैटिंग करने आए तो फिर ऐसा जमे कि फिर अफगानिस्तान का कोई बॉलर उनको आउट नहीं कर सका।

ग्लेन मैक्सवेल को बैटिंग करते समय अनेक समस्याएं भी हुई और उनको क्रैम्प की तकलीफ का सामना करना पड़ा, लेकिन वह तकलीफ झेलते हुए भी बैटिंग करते रहे और उनका बखूबी साथ दिया। कप्तान पैट कमिंस ने बखूबी साथ दिया। दोनों ने मिलकर 202 रन की साझेदारी भी की।

ग्लेन मैक्सवेल ने 128 गेंद में 201 रन की ऐतिहासिक पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया को न केवल संकट से निकाला बल्कि मैच भी जीता और ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल में भी पहुंच गया। यह पारी वनडे वर्ल्ड कप की ऐतिहासिक महान पारियों में एक पारी है।


ये भी पढ़ें…

अटल पेंशन योजना – अपने बुढ़ापे को आत्मनिर्भर बनाने की सरकारी गारंटी

अटल पेंशन योजना – अपने बुढ़ापे को आत्मनिर्भर बनाने की सरकारी गारंटी (Atal Pension Scheme Benefits)

अटल पेंशन योजना भारत सरकार द्वारा चलाई गई एक ऐसी योजना है। जिसके अंतर्गत व्यक्ति इसमें मासिक निवेश करके 60 वर्ष का होने पर हर महीने पेंशन पा सकता है, जिससे उसे अपने बुढ़ापे में आत्मनिर्भर बनने में मदद प्राप्त होगी।

अटल पेंशन योजना की शुरुआत भारत सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर 2015 में शुरू की गई थी। इस योजना को प्रस्तुत करने का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को वृद्धावस्था में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का था।

इस योजना के अंतर्गत लाभ लेने वाले व्यक्ति को हर महीने एक निश्चित प्रीमियम राशि जमा करनी होगी और एक निश्चित समय अवधि तक उसे यह राशि जमा करनी होगी। वह अवधि उसकी 60 वर्ष की आयु तक की होती है। 60 वर्ष पूरा होने के बाद व्यक्ति को पेंशन के रूप में हर महीने एक निश्चित राशि प्राप्त होगी।

यह राशि ₹1000 से लेकर ₹5000 महीने तक की हो सकती है। पेंशन प्राप्त होने की राशि व्यक्ति द्वारा प्रीमियम प्लान चुनने के ऊपर निर्भर होगी। जितना अधिक धन व्यक्ति निवेश करेगा, उसे उतने ही अधिक पेंशन प्राप्त होगी।

पेंशन का लाभ लेने के लिए लाभार्थी की आयु सीमा 18 वर्ष से 40 वर्ष के बीच रखी गई है। यदि 18 वर्ष की आयु में इस योजना से जुड़ जाता है तो उसे अपनी 60 वर्ष की आयु तक यानी 42 वर्ष तक हर महीने 210 रुपए का प्रीमियम देने देना होगा।

42 वर्षों तक हर महीने 210 रुपए का पेमेंट देने पर उसे 60 वर्ष की आयु पूरा होने पर ₹5000 की नियमित पेंशन उसके जीवन पर्यंत प्राप्त हुआ करेगी। यदि वह व्यक्ति 60 वर्ष की आयु होने से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है तो उसकी उसकी कुल जमा राशि उसके द्वारा नामित व्यक्ति को मिल जाएगी।

अटल पेंशन योजना का प्रीमियम प्लान अलग-अलग है, यदि व्यक्ति साथ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 210 रुपए प्रति का प्लान लेता है तो उसे 60 वर्ष की आयु तक 210 रुपए प्रति माह देने होंगे। यदि व्यक्ति 18 वर्ष का है तो उसे 210 रुपए प्रतिमाह देने होंगे। यदि व्यक्ति 19 वर्ष का है तो उसके प्रीमियम की राशि बढ़ जाएगी। जिस आयु में व्यक्ति इस योजना का लाभ लेना चाहेगा इस आयु के अनुसार उसके प्रीमियम का प्लान बढ़ता चला जाएगा।

पेंशन का लाभ कौन लोग ले सकते हैं?

पेंशन की योजना भारत सरकार भारत के उन सभी नागरिकों के लिए शुरू की गई है, जो किसी भी सरकारी सह योगदान का लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं है। यह भारत सरकार के सभी आम नागरिकों के लिए शुरू की गई है, लेकिन इनकम टैक्स भरने वाले व्यक्तियों के लिए अटल पेंशन योजना के पात्र नहीं होंगे। इसके अलावा निम्नलिखित अधिनियमों का लाभ लेने वाले व्यक्ति भी इस योजना का पात्र नही होंगे।

  • कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952
  • कोयला खान भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1948
  • असम चाय बागान भविष्य निधि और विविध प्रावधान, 1955
  • नाविक भविष्य निधि अधिनियम, 1966
  • जम्मू-कश्मीर कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1961
  • कोई भी अन्य वैधानिक सामाजिक सुरक्षा योजना

पेंशन के लिए आवश्यक दस्तावेज और योग्यता

  • भारतीय नागरिक पहचान पत्र
  • अभ्यर्थी की आयु 18 से 40 वर्ष होनी चाहिए |
  • बैंक खाता
  • आधार कार्ड
  • मोबाइल नंबर
  • स्थायी पता का प्रमाण
  • पासपोर्ट साइज फोटो

अटल पेंशन योजना की खास बातें

  • इस योजना के अंतर्गत 18 से 40 वर्ष की बीच की आयु का कोई भी व्यक्ति इसका लाभ उठा सकता है।
  • व्यक्ति ने जिस प्रीमियम प्लान के अनुसार योजना में निवेश करना शुरू किया है, उस आयु से उसकी 60 वर्ष की आयु तक नियमित रूप से प्रीमियम भरना होगा।
  • 60 वर्ष की आयु के बाद व्यक्ति को अपने प्रीमियम के अनुसार ₹1000 से लेकर ₹5000 तक की मासिक पेंशन प्राप्त होगी।
  • ₹210 के प्रीमियम पर ₹5000 की मासिक पेंशन प्राप्त होगी तो 42 रुपए प्रति माह के प्रीमियम पर ₹1000 की मासिक पेंशन प्राप्त होगी।
  • यदि व्यक्ति की मृत्यु 60 वर्ष की आयु से पहले ही हो जाती है तो उसकी जमा कुल धनराशि और उस पर अर्जित ब्याज सहित जितनी धनराशि होगी, वह राशि व्यक्ति के नॉमिनी को दे दी जाएगी।
  • 60 वर्ष की अवधि होने के बाद यदि व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी मैच्योरिटी राशि व्यक्ति के नॉमिनी को मिलेगी जो कि प्रीमियम प्लान के अनुसार अलग-अलग होगी।
  • यदि कोई व्यक्ति योजना का लाभ लेने के बाद तीन माह तक अपनी प्रीमियम का भुगतान नहीं करता है तो उसके खाते को फ्रीज कर दिया जाएगा। 6 माह तक भुगतान न करने की स्थिति में उसके खाते को निलंबित कर दिया जाएगा और 2 साल तक कोई भी भुगतान न करने पर उसका पेंशन योजना खाता रद्द कर दिया जाएगा।
  • योजना का लाभ केवल 18 से 40 वर्ष की आयु तक के व्यक्ति ही ले सकते हैं।
  • 18 वर्ष में योजना का लाभ लेने पर सबसे कम प्रीमियम तथा 40 वर्ष की आयु में लाभ लेने पर सबसे अधिक प्रीमियम देना पड़ेगा।
  • पति और पत्नी दोनों में से कोई एक या दोनों इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। पति की मृत्यु की स्थिति में पत्नी को पेंशन का लाभ मिलेगा।
  • एक व्यक्ति अपने नाम केवल एक ही खाता अटल पेंशन खाता में निवेश कर सकता है।
  • अटल पेंशन योजना का लाभ केवल उन्हीं व्यक्तियों को मिलेगा जोकि इनकम टैक्स के दायरे से बाहर हैं। यह योजना असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है।

आवेदन कैसे करें?

जो व्यक्ति इस पेंशन योजना का लाभ लेना चाहते हैं उन्हें या तो अपने बैंक से अटल पेंशन का फार्म मिल जाएगा। अथवा वो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके वह फार्म डाउनलोड कर सकते हैं।

फार्म डाउनलोड करने के बाद फार्म भरें और जिस बैंक में खाता है वहाँ पर फार्म जमा करें। उसके साथ जिस प्रीमियम का प्लान लिया है उसके अनुसार बैंक खाते आटो डेबिट की सुविधा के लिए बैंक को परमीशन देनी होगी।

https://www.npscra.nsdl.co.in/nsdl-forms.php

अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी वेबसाइट पर विजिट करें।

https://www.india.gov.in/spotlight/atal-pension-yojana

₹1000 की पेंशन पाने के लिए आयु के अनुसार कैलकुलेटर चार्ट
शामिल होने

की आयु

प्रीमियम

की अवधि

प्रीमियम

की राशि

(प्रति माह)

पेंशन

मिलेगी

(प्रतिमाह)

मैच्युरिटी राशि

(नॉमिनी को)

18 वर्ष42 वर्ष₹42₹1000₹1.7 लाख
19 वर्ष41 वर्ष₹46₹1000₹1.7 लाख
20 वर्ष40 वर्ष₹50₹1000₹1.7 लाख
21 वर्ष39 वर्ष₹54₹1000₹1.7 लाख
22 वर्ष38 वर्ष₹59₹1000₹1.7 लाख
23 वर्ष37 वर्ष₹64₹1000₹1.7 लाख
24 वर्ष36 वर्ष₹70₹1000₹1.7 लाख
25 वर्ष35 वर्ष₹76₹1000₹1.7 लाख
26 वर्ष34 वर्ष₹82₹1000₹1.7 लाख
27 वर्ष33 वर्ष₹90₹1000₹1.7 लाख
28 वर्ष32 वर्ष₹97₹1000₹1.7 लाख
29 वर्ष31 वर्ष₹106₹1000₹1.7 लाख
30 वर्ष30 वर्ष₹116₹1000₹1.7 लाख
31 वर्ष29 वर्ष₹126₹1000₹1.7 लाख
32 वर्ष28 वर्ष₹138₹1000₹1.7 लाख
33 वर्ष27 वर्ष₹151₹1000₹1.7 लाख
34 वर्ष26 वर्ष₹165₹1000₹1.7 लाख
35 वर्ष25 वर्ष₹181₹1000₹1.7 लाख
36 वर्ष24 वर्ष₹198₹1000₹1.7 लाख
37 वर्ष23 वर्ष₹218₹1000₹1.7 लाख
38 वर्ष22 वर्ष₹240₹1000₹1.7 लाख
39 वर्ष21 वर्ष₹264₹1000₹1.7 लाख

 

₹2000 की पेंशन पाने के लिए आयु के अनुसार कैलकुलेटर चार्ट
शामिल होने

की आयु

प्रीमियम

की अवधि

प्रीमियम

की राशि

(प्रति माह)

पेंशन

मिलेगी

(प्रतिमाह)

मैच्युरिटी राशि

(नॉमिनी को)

18 वर्ष42 वर्ष₹84₹20003.4 लाख
19 वर्ष41 वर्ष₹92₹20003.4 लाख
20 वर्ष40 वर्ष₹100₹20003.4 लाख
21 वर्ष39 वर्ष₹108₹20003.4 लाख
22 वर्ष38 वर्ष₹117₹20003.4 लाख
23 वर्ष37 वर्ष₹127₹20003.4 लाख
24 वर्ष36 वर्ष₹139₹20003.4 लाख
25 वर्ष35 वर्ष₹151₹20003.4 लाख
26 वर्ष34 वर्ष₹164₹20003.4 लाख
27 वर्ष33 वर्ष₹178₹20003.4 लाख
28 वर्ष32 वर्ष₹194₹20003.4 लाख
29 वर्ष31 वर्ष₹212₹20003.4 लाख
30 वर्ष30 वर्ष₹231₹20003.4 लाख
31 वर्ष29 वर्ष₹252₹20003.4 लाख
32 वर्ष28 वर्ष₹276₹20003.4 लाख
33 वर्ष27 वर्ष₹302₹20003.4 लाख
34 वर्ष26 वर्ष₹330₹20003.4 लाख
35 वर्ष25 वर्ष₹362₹20003.4 लाख
36 वर्ष24 वर्ष₹386₹20003.4 लाख
37 वर्ष23 वर्ष₹436₹20003.4 लाख
38 वर्ष22 वर्ष₹480₹20003.4 लाख
39 वर्ष21 वर्ष₹528₹20003.4 लाख

 

₹3000 की पेंशन पाने के लिए आयु के अनुसार कैलकुलेटर चार्ट
शामिल होने

की आयु

प्रीमियम

की अवधि

प्रीमियम

की राशि

(प्रति माह)

पेंशन

मिलेगी

(प्रतिमाह)

मैच्युरिटी राशि

(नॉमिनी को)

18 वर्ष42 वर्ष₹126₹30005.1 लाख
19 वर्ष41 वर्ष₹138₹30005.1 लाख
20 वर्ष40 वर्ष₹150₹30005.1 लाख
21 वर्ष39 वर्ष₹162₹30005.1 लाख
22 वर्ष38 वर्ष₹177₹30005.1 लाख
23 वर्ष37 वर्ष₹192₹30005.1 लाख
24 वर्ष36 वर्ष₹208₹30005.1 लाख
25 वर्ष35 वर्ष₹226₹30005.1 लाख
26 वर्ष34 वर्ष₹246₹30005.1 लाख
27 वर्ष33 वर्ष₹268₹30005.1 लाख
28 वर्ष32 वर्ष₹292₹30005.1 लाख
29 वर्ष31 वर्ष₹318₹30005.1 लाख
30 वर्ष30 वर्ष₹347₹30005.1 लाख
31 वर्ष29 वर्ष₹379₹30005.1 लाख
32 वर्ष28 वर्ष₹414₹30005.1 लाख
33 वर्ष27 वर्ष₹453₹30005.1 लाख
34 वर्ष26 वर्ष₹495₹30005.1 लाख
35 वर्ष25 वर्ष₹543₹30005.1 लाख
36 वर्ष24 वर्ष₹594₹30005.1 लाख
37 वर्ष23 वर्ष₹654₹30005.1 लाख
38 वर्ष22 वर्ष₹720₹30005.1 लाख
39 वर्ष21 वर्ष₹792₹30005.1 लाख

 

₹4000 की पेंशन पाने के लिए आयु के अनुसार कैलकुलेटर चार्ट
शामिल होने

की आयु

प्रीमियम

की अवधि

प्रीमियम

की राशि

(प्रति माह)

पेंशन

मिलेगी

(प्रतिमाह)

मैच्युरिटी राशि

(नॉमिनी को)

18 वर्ष42 वर्ष₹168₹40006.8 लाख
19 वर्ष41 वर्ष₹183₹40006.8 लाख
20 वर्ष40 वर्ष₹198₹40006.8 लाख
21 वर्ष39 वर्ष₹215₹40006.8 लाख
22 वर्ष38 वर्ष₹234₹40006.8 लाख
23 वर्ष37 वर्ष₹254₹40006.8 लाख
24 वर्ष36 वर्ष₹277₹40006.8 लाख
25 वर्ष35 वर्ष₹301₹40006.8 लाख
26 वर्ष34 वर्ष₹327₹40006.8 लाख
27 वर्ष33 वर्ष₹356₹40006.8 लाख
28 वर्ष32 वर्ष₹388₹40006.8 लाख
29 वर्ष31 वर्ष₹423₹40006.8 लाख
30 वर्ष30 वर्ष₹462₹40006.8 लाख
31 वर्ष29 वर्ष₹504₹40006.8 लाख
32 वर्ष28 वर्ष₹551₹40006.8 लाख
33 वर्ष27 वर्ष₹602₹40006.8 लाख
34 वर्ष26 वर्ष₹659₹40006.8 लाख
35 वर्ष25 वर्ष₹722₹40006.8 लाख
36 वर्ष24 वर्ष₹792₹40006.8 लाख
37 वर्ष23 वर्ष₹870₹40006.8 लाख
38 वर्ष22 वर्ष₹957₹40006.8 लाख
39 वर्ष21 वर्ष₹1,054₹40006.8 लाख

 

₹5000 की पेंशन पाने के लिए आयु के अनुसार कैलकुलेटर चार्ट
शामिल होने

की आयु

प्रीमियम

की अवधि

प्रीमियम

की राशि

(प्रति माह)

पेंशन

मिलेगी

(प्रतिमाह)

मैच्युरिटी राशि

(नॉमिनी को)

18 वर्ष42 वर्ष₹210₹50008.5 लाख
19 वर्ष41 वर्ष₹228₹50008.5 लाख
20 वर्ष40 वर्ष₹248₹50008.5 लाख
21 वर्ष39 वर्ष₹269₹50008.5 लाख
22 वर्ष38 वर्ष₹292₹50008.5 लाख
23 वर्ष37 वर्ष₹318₹50008.5 लाख
24 वर्ष36 वर्ष₹346₹50008.5 लाख
25 वर्ष35 वर्ष₹376₹50008.5 लाख
26 वर्ष34 वर्ष₹409₹50008.5 लाख
27 वर्ष33 वर्ष₹446₹50008.5 लाख
28 वर्ष32 वर्ष₹485₹50008.5 लाख
29 वर्ष31 वर्ष₹529₹50008.5 लाख
30 वर्ष30 वर्ष₹577₹50008.5 लाख
31 वर्ष29 वर्ष₹630₹50008.5 लाख
32 वर्ष28 वर्ष₹689₹50008.5 लाख
33 वर्ष27 वर्ष₹752₹50008.5 लाख
34 वर्ष26 वर्ष₹824₹50008.5 लाख
35 वर्ष25 वर्ष₹902₹50008.5 लाख
36 वर्ष24 वर्ष₹990₹50008.5 लाख
37 वर्ष23 वर्ष₹1,087₹50008.5 लाख
38 वर्ष22 वर्ष₹1,196₹50008.5 लाख
39 वर्ष21 वर्ष₹1,318₹50008.5 लाख

 

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


किसानों के कल्याण के लिए यूपी सरकार की जबरदस्त योजना। 4 से 50 लाख तक का अनुदान

इन लक्षणों से समझ जाएं कि आपका मोबाइल फोन हैक हो चुका है या कोई आपके मोबाइल एक्टिविटी पर नजर रख रहा है।

इन लक्षणों से समझ जाएं कि आपका मोबाइल फोन हैक हो चुका है या कोई आपकी मोबाइल एक्टिविटी पर नजर रख रहा है। (Signs of mobile phone being hacked)

Dgital Era में आजकल ऑनलाइन फ्रॉड और स्कैन बढ़ते जा रहे हैं। हैकर्स की नजर अक्सर हमारे Dital Devices पर रहती है। वह हमारे डिजिटल डिवाइस को हैक करके हमें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इसलिए मोबाइल फोन के हैक होने लक्षण (Signs of mobile phone being hacked) पहचानना जरूरी हो जाता है। ताकि इससे बचा जा सके।

स्मार्टफोन एक ऐसा उपकरण है जो आजकल हर किसी की पॉकेट में है। हर किसी के स्मार्टफोन में लोगों की पर्सनल जानकारी, फोटो, बैंक डिटेल्स तथा कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज आदि से होते हैं। हैकर्स इन्हीं संवेदनशील डाटा को चुराकर फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।

कभी-कभी हमारा मोबाइल हैक हो जाता है और हमें पता ही नहीं चलता। जब हमारा कोई बड़ा नुकसान होता है, तब हमें पता चलता है कि हैकर्स हमारे मोबाइल को हैक कर चुके थे और हमारी जरूरी जानकारी को चुरा चुके थे। यदि समय रहते ही हमें पता चल जाए कि हमारा मोबाइल हैक किया जा रहा है या है हो चुका है तो हम ऐतिहातन सुरक्षा संबंधी कदम उठा सकते हैं।

आपका स्मार्टफोन कब हैक हो चुका है, इसके कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यदि आपके स्मार्टफोन में यह लक्षण दिखाई दें तो आप तुरंत समझ जाएं कि आपका मोबाइल फोन हैक किया जा चुका है अथवा हैकर्स उसको हैक करने की कोशिश कर रहे हैं या आपका स्मार्टफोन हैकर्स की निगरानी में है।

स्मार्टफोन हैक होने के लक्षण

स्मार्टफोन हैक होने के ये लक्षण जानकर आपको अपने स्मार्टफोन के हैक होने का पता चल सकता है।

जब आपका स्मार्टफोन जरूरत से अधिक हैंग होने लगे अथवा स्लो चलने लगे

मोबाइल हैंग होने का सबसे बड़ा कारण मोबाइल में पर्याप्त स्टोरेज ना होना होता है। उसके अलावा मोबाइल में कोई मालवेयर वायरस आदि आ जाने पर भी स्मार्टफोन हैंग होता है। कोई भारी भरकम एप्लीकेशन या बड़ी फाइल डाउनलोड करने पर भी स्मार्टफोन हैंग होने लगता है। लेकिन जब यह सारे कारण ना हों, आपने कोई भारी-भरकम एप्लीकेशन डाउनलोड नहीं किया। आपके मोबाइल में पर्याप्त स्टोरेज हो फिर भी आपका मोबाइल बार-बार हैंग हो रहा है तो आपको तुरंत समझ जाना चाहिए कि आपके स्मार्टफोन को किसी ने हैक कर लिया है और आप तुरंत किसी विश्वसनीय मोबाइल फोन विशेषज्ञ को इसकी जांच करवानी चाहिए। यदि आपका कुछ नुकसान हो चुका है तो आपको तुरंत साइबर क्राइम में कम्प्लेंट करानी चाहिए।

अचानक तेजी से बैटरी डिस्चार्ज होने लग जाए

मोबाइल को जितना अधिक यूज करेंगे, उसकी बैटरी उतनी जल्दी खत्म होगी। लेकिन अगर आपने अपना मोबाइल स्मार्टफोन बहुत अधिक यूज नहीं किया है और आपका स्मार्टफोन अधिकतर आपकी पॉकेट में ही रहता है, लेकिन उसके बावजूद भी आप देखते हैं कि शाम को आपके स्मार्टफोन की बैटरी बेहद डाउन हो चुकी है, तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपके मोबाइल फोन को किसी ने हैक कर लिया है। आपके मोबाइल में छुपा हुआ कोई भी मालवेयर या छुपी हुई एप्लीकेशन है, जो आपकी बैटरी को खा रही है। हो चुकी है।

यहाँ ये ध्यान दें ये बाते नए मोबाइल के बारे में है। मोबाइल बहुत अधिक पुराना होने पर उसकी बैटरी की लाइफ कम होने लगती है और उसका जल्दी डिस्चार्ज होना स्वाभाविक है।

बिना किसी कारण के अचानक स्मार्टफोन का डाटा शेयर होना अथवा डाउनलोड होना

आपने स्मार्टफोन पर कुछ भी डाउनलोड नहीं किया है, लेकिन आपको नोटिफिकेशन पैनल में कोई फाइल डाउनलोड होती दिखने लगे अथवा बिना वजह आपका डाटा शेयर होने लगे तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपके स्मार्टफोन को किसी ने हैक कर लिया है।

लगातार लोकेशन ऑन रहना

आपने अपने स्मार्टफोन पर किसी ऐप को लोकेशन की परमिशन नहीं दी है, लेकिन फिर भी आपकी लोकेशन बार-बार ऑन हो जाती है और ऐसी ऐप पर भी लोकेशन ऑन हो जाती है, जहाँ आपने इसको ऑन नहीं किया है। तब आपको समझ जाना चाहिए कि आपके मोबाइल को हैकर्स ऑपरेट कर रहे हैं और उन्होंने आपके मोबाइल को हैक कर लिया है।

फोन अचानक तेजी से गर्म होने लगना

आप अपने फोन पर कोई एप्लीकेशन चलाते हैं, कुछ भी ब्राउजिंग करते हैं तो फोन अचानक से बहुत हीट होने लगता है। लेकिन बहुत अधिक यूज न करने पर भी आपका फोन बिना वजह हीट होने लगे तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपका फोन में बैकग्राउंड में कुछ अनजाने एप चल रहे हैं, जिनके बारे में आपको जानकारी नहीं है। यह ऐप्स हैकर्स द्वारा डाले गए हैं और आपका फोन हैक हो चुका है।

अचानक फोन रीस्टार्ट होने लगना

बिना किसी कारण के अचानक स्मार्टफोन का रीस्टार्ट होने लगता है तो आपको समझना चाहिए कि आपका स्मार्टफोन हैक हुआ हो सकता है।

अचानक आपको ऐसे प्लेटफार्म पर लॉगइन होने का मैसेज आने लगना

जिन ऐप्स या प्लेटफार्म पर आपने लॉगइन नहीं किया है फिर भी आपको उस प्लेटफार्म पर लॉगइन होने का मैसेज आने लगना तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपके फोन को किसी ने हैक कर लिया है।

अनजान नंबर से बार-बार फोन कॉल या SMS आदि आने लगना

अनजान नंबर से फोनकॉल आने लगना अथवा अनजान नंबर से एसएमएस आदि आने लगने का अर्थ है कि आपके फोन को किसी ने हैक कर लिया है और आपकी प्राइवेट जानकारी को चुराकर आपको ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है।

फोन हैक होने की स्थिति में क्या करें?

हैकर्स से बचाव करने के लिए यदि आपको लगे कि आपका स्मार्टफोन किसी ने हैक कर लिया है तो तुरंत स्मार्टफोन विशेषज्ञ के पास जाकर अपने मोबाइल का सारा डाटा का बैकअप लेकर अपने मोबाइल को पूरी तरह फॉर्मेट करें।

साइबर क्राइम में अपनी कम्पलेंट दर्ज करवाएं

हैकर्स से बचाव कैसे करें

  • हैकर्स से बचाव के लिए आप हमेशा गूगल प्ले स्टोर अथवा एप स्टोर जैसे विश्वसनीय प्लेटफार्म से ही विश्वसनीय एप्स को ही डाउनलोड करें।
  • किसी भी अनजान सोर्स से अनजान एप्स कभी भी डाउनलोड ना करें।
  • अपने फोन को सदैव अपने पास ही रखें। किसी भी गैर-विश्वसनीय अथवा गैर जानकार व्यक्ति के पास थोड़े समय के लिए भी मोबाइल छोड़ने से मोबाइल फोन के हैकिंग होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • अपने मोबाइल फोन को हमेशा कठिन पासकोड द्वारा लॉक रखें ताकि कोई भी आपके मोबाइल फोन को ओपन ना कर सके।
  • आपने अपने मोबाइल पर जो भी एप्लीकेशन एप्स वगैरा डाउनलोड किया है, उसके लिए मजबूत पासवर्ड बनाकर रखें।
  • हर एप्लीकेशन के लिए अलग पासवर्ड बनाना एक कठिन कार्य हो सकता है, लेकिन इसके लिए आप एक सुरक्षित पासवर्ड मैनेजर की मदद ले सकते हैं। जहाँ पर आप सारे पासवर्ड को सेव करें।
  • अपने मोबाइल फोन में कभी भी पासवर्ड सेव नहीं करें।
  • अपने इंटरनेट ब्राउज़र की हिस्ट्री को समय-समय पर क्लीन करते रहें।
  • हमेशा किसी भी एप्लीकेशन को लॉगिन करने के लिए टू-स्टेप वेरीफिकेशन की सुविधा का उपयोग करें।
  • अपने मोबाइल के सभी एप्स को निरंतर अपडेट करते रहें ताकि उनमें मौजूद कोई भी बग (Bug) आपके मोबाइल कs हैक होने का कारण ना बने।
  • किसी भी सार्वजनिक वाई-फाई का कभी भी उपयोग न करें और हमेशा विश्वसनीय अथवा निजी वाई-फाई का ही उपयोग करें।

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


सावधान! एसएमएस या व्हाट्सएप पर भेजे गए लिंक पर क्लिक करने से आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है। कई तरह के तरीके अपना रहे फ्रॉड लोग।

69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेताओं की सूची को जानें।

69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेताओं की सूची को देखें, कौन-कौन है विजेता। (69 National Film Award Winners List)

69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (69 National Film Award Winners List) की घोषणा 25 अगस्त 2023 को कर दी गई थी। भारत में बनने वाले सभी भाषाओं की फिल्मों के अलग-अलग क्षेत्रों में हर वर्ष अपना योगदान देने वालों के लिए और उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अलग कैटेगरी में दिए जाते हैं।

इस बार 2023 में 69 वे राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए। इसकी घोषणा 25 अगस्त 2023 को नई दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर में कर दी गई थी। भारत के सिनेमा जगत के अलग-अलग व्यक्तित्व को उनके प्रदर्शन के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में चुना गया।

भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले ये राष्ट्रीय पुरुस्कार भारत में बनने वाली सभी भाषाओं की फिल्मों को आधार बना कर दिए जाते हैं, इस बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार ‘अल्लू अर्जुन’ और अभिनेत्री का पुरस्कार ‘आलिया भट्ट’ और ‘कृति सेनन’ को संयुक्त रूप से मिला है। इसके अलावा सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरुस्कार फिल्म ‘राकेट्री’ को तो सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरुस्कार ‘निखिल महाजन’ को मिला है।

विजेताओं की सूची (69 National Film Award Winners List)

कुल मिलाकर अलग-अलग कैटेगरी अलग-अलग पुरस्कार प्रदान किए गए। सभी पुरस्कारों की सूची इस प्रकार है :

बेस्ट फीचर फिल्मरॉकेट्री
बेस्ट निर्देशकनिखिल महाजन, गोदावरी
बेस्ट पॉपुलर फिल्म प्रोवाइडिंग होलसम एंटरटेनमेंटआरआरआर
राष्ट्रीय एकता पर बेस्ट फीचर फिल्म के लिए नरगिस दत्त पुरस्कारद कश्मीर फाइल्स
बेस्ट एक्टरअल्लू अर्जुन (पुष्पा)
बेस्ट एक्ट्रेसआलिया भट्ट (गंगूबाई काठियावाड़ी) और कृति सेनन (मिमी)
बेस्ट सपोर्टिंग एक्टरपंकज त्रिपाठी (मिमी)
बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेसपल्लवी जोशी ( द कश्मीर फाइल्स)
बेस्ट चाइल्ट आर्टिस्टभाविन रबारी (छैलो शो)
बेस्ट स्क्रीनप्ले (ओरिजनल)शाही कबीर (नयट्टू)
बेस्ट स्क्रीनप्ले (एडेप्टेड)संजय लीला भंसाली और उत्कर्षिनी वशिष्ठ (गंगूबाई काठियावाड़ी)
बेस्ट डायलॉग राइटरउत्कर्षिनी वशिष्ठ और प्रकाश कपाड़िया (गंगूबाई काठियावाड़ी)
बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर (स़ॉन्गस)देवी श्री प्रसाद (पुष्पा)
बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन (बैकग्राउंड म्यूजिक)एमएम कीरावनी (आरआरआर)
बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगरकाला भैरव (आरआरआर)
बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगरश्रेया घोषाल, इराविन निज़ल
बेस्ट लिरिक्सचंद्रबोस, कोंडा पोलम का धम धम धम
बेस्ट हिंदी फिल्मसरदार उधम
बेस्ट कन्नड़ फिल्म777 चार्ली
बेस्ट मलयालम फिल्महोम
बेस्ट गुजराती फिल्मछैलो शो
बेस्ट तमिल फिल्मकदैसी विवासयी
बेस्ट तेलुगु फिल्मउप्पेना
बेस्ट मैथिली फिल्मसमानान्तर
बेस्ट मिशिंग फिल्मबूम्बा राइड
बेस्ट मराठी फिल्मएकदा काय जाला
बेस्ट बंगाली फिल्मकल्कोक्खो
बेस्ट असमिया फिल्मअनुर
बेस्ट मेइतिलोन फिल्मइखोइगी यम
बेस्ट उड़िया फिल्मप्रत्यक्षा
इंदिरा गांधी अवॉर्ड फॉर बेस्ड डेब्यू फिल्म ऑफ डायरेक्टरमेप्पडियन, विष्णु मोहन
सामाजिक मुद्दों पर बेस्ट फिल्मअनुनाद – द रेज़ोनेंस
बेस्ट फिल्म ऑन एनवायरमेंट कंजर्वेशन/प्रिजर्वेशनआवासव्यूहम
बेस्ट बाल फिल्मगांधी एंड कंपनी
बेस्ट ऑडियोग्राफी (लोकेशन साउंड रिकॉर्डिस्ट)अरुण असोक और सोनू केपी, चविट्टू
बेस्टट ऑडियोग्राफी (साउंड डिजाइनर)अनीश बसु, झिल्ली
बेस्ट ऑडियोग्राफी (री-रिकॉर्डिस्ट ऑफ फाइनल मिक्स्ड ट्रैक)सिनॉय जोसेफ, सरदार उधम
बेस्ट कोरियोग्राफीप्रेम रक्षित, आरआरआर
बेस्ट सिनेमाटोग्राफीअविक मुखोपाध्याय, सरदार उधम
बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइनरवीरा कपूर हां, सरदार उधम
बेस्ट स्पेशल इफेक्ट्सश्रीनिवास मोहन, आरआरआर
बेस्ट प्रोडक्शन डिज़ाइनदिमित्री मलिक और मानसी ध्रुव मेहता, सरदार उधम
बेस्ट एडीटिंगसंजय लीला भंसाली, गंगूबाई काठियावाड़ी
बेस्ट मेकअपप्रीतिशील सिंह, गंगूबाई काठियावाड़ी
बेस्ट स्टंट कोरियोग्राफीकिंग सोलोमन, आरआरआर
स्पेशल जूरी पुरस्कारशेरशाह, विष्णुवर्धन
स्पेशल मेंशन1. स्वर्गीय श्री नल्लंदी, कदैसी विवासयी 2. अरन्या गुप्ता और बिथन बिस्वास, झिल्ली 3. इंद्रांस, होम 4. जहांआरा बेगम, अनुर
बेस्ट नॉनफीचर फिल्मएक था गाँव
बेस्ट डायरेक्शन (नॉन-फीचर फिल्म)बकुल मटियानी, स्माइल प्लीज़
बेस्ड डेब्यू नॉन फीचर फिल्म ऑफ डायरेक्टरपांचिका, अंकित कोठारी
बेस एंथ्रोपोलॉजिकल फिल्मफायर ऑन एज
बेस्ट बायोग्राफिकल फिल्म1. रुखु मतिर दुखु माझी, 2. बियॉन्ड ब्लास्ट
बेस्ट आर्ट्स फ़िल्मेंटी.एन. कृष्णन बो स्ट्रिंग्स टू डिवाइन
सबेस्ट साइंड एंड टेक्नोलॉजी फ़िल्मेंएथोस ऑफ़ डार्कनेस
बेस्ट प्रमोशनल फिल्मलुप्तप्राय विरासत ‘वर्ली आर्ट’
बेस्ट पर्यावरण फिल्म (नॉन-फीचर फिल्म)मुन्नम वलावु
सामाजिक मुद्दों पर बेस्ट फिल्म (नॉन-फीचर फिल्म)1. मिट्ठू दी, 2. थ्री टू वन
बेस्ट इंवेस्टिगेटिव फिल्मलुकिंग फॉर चालान
बेस्ट एक्सप्लोरेशन फिल्मआयुष्मान
बेस्ट एजुकेशनल फिल्मसिरपिगलिन सिरपंगल
बेस्ट शॉर्ट फिक्शन फिल्मदाल भात
बेस्ट एनिमेशन फिल्मकंदित्तुंडु
बेस्ट फिल्म ऑफ फैमिली वैल्यूजचांद सांसे
बेस्ट सिनेमैटोग्राफी (नॉन-फीचर फिल्म)बिट्टू रावत, पाताल
बेस्ट ऑडियोग्राफी (री-रिकॉर्डिस्ट ऑफ फाइनल मिक्स्ड ट्रैक) (नॉन-फीचर फिल्म)उन्नी कृष्णन, एक था गांव
बेस्ट प्रोडक्शन साउंड रिकॉर्डिस्ट (लोकेशन/सिंक साउंड) (नॉन-फीचर फिल्म)सुरुचि शर्मा, मीन राग
बेस्ट एडीटिंग (नॉन-फीचर फिल्म)अभ्रो बनर्जी, इफ मेमोरी सर्व्स मी राइट
बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन (नॉन-फीचर फिल्म)ईशान दिवेचा, सक्सेलेंट
बेस्ट नैरेशन/वॉयस ओवर नॉन-फीचर फिल्म)कुलदा कुमार भट्टाचार्जी, हाथीबंधु
स्पेशल मेंशन (नॉन-फीचर फिल्म)1. अनिरुद्ध जटकर, बाले बंगारा, 2. श्रीकांत देवा, करुवराई, 3. स्वेता कुमार दास, द हीलिंग टच, 4. राम कमल मुखर्जी, एक दुआ
स्पेशल जूरी पुरस्कार (नॉन-फीचर फिल्म)शेखर बापू रणखंबे, रेखा
सिनेमा पर बेस्ट पुस्तकम्यूजिक बाय लक्ष्मीकांत प्यारेलाल – द इनक्रेडिबली मेलोडियस जर्नी बाय राजीव विजयकर
बेस्ट फ़िल्म क्रिटिकपुरूषोत्तम चार्युलु
बेस्ट फ़िल्म क्रिटिक (स्पेशल मेंशन)सुब्रमण्य बंडूर

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार क्या है?

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भारत में बनने वाली फिल्मों की अलग-अलग क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाले कलाकारों के लिए हर वर्ष प्रदान किए जाते हैं। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 1954 से प्रदान किए जाते रहे हैं। पहले राष्ट्रीय पुरुस्कार सन् 1954 में प्रदान किए गए थे।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की दो मुख्य कैटेगरी होती हैं, फीचर फिल्म तथा गैर फीचर फिल्म। इन दोनों मुख्य कैटेगरी में अलग-अलग सब-कैटेगरी होती हैं। फिल्म पुरस्कारों की इन कैटिगरी में उपयुक्त व्यक्ति को चुनने का कार्य एक जूरी करती है। इस जूरी की नियुक्ति फिल्म समारोह निदेशालय करता है। जूरी पूर्ण रूप से स्वतंत्र जूरी होती है, इस पर भारत सरकार अथवा फिल्म समारोह निदेशालय का कोई प्रभाव नहीं होता।
जूरी स्वतंत्र रूप से अपने विवेक के आधार पर अलग-अलग में उपयुक्त व्यक्ति को के लिए स्वतंत्र होती है, इसके लिए कठोर मानदंड होते हैं। पूरे भारत में अलग-अलग भाषाओं में जो भी फिल्में बनती हैं, उन्हें हर श्रेणी के लिए गैर फीचर और फीचर फिल्में नामित की जाती है। उन फिल्मों में से जूरी अलग-अलग कैटेगरी में विजेता को चुनती है।

Topic: 69 National Film Award Winners List

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


भारत में रिलीज के पहले दिन ही सबसे ज्यादा ओपनिंग-डे कलेक्शन करने वाली टॉप 10 मूवी।

इंटरनेट ब्राउजिंग में कुकीज़ (Cookies) क्या-हैं?

इंटरनेट ब्राउजिंग में कुकीज़-cookies-क्या-हैं? (What is Cookies)

इंटरनेट ब्राउज़िंग में कुकीज़ क्या होती है (What is Cookies)। क्या ये जरूरी हैं या नही? इसके क्या लाभ हैं? क्या हानि हैं? आइये इसको समझते हैं?

इंटरनेट ब्राउजिंग में कुकीज़-cookies-क्या-हैं?

कुकीज़ इंटरनेट ब्राउजिंग में बेहद आवश्यक है, क्योंकि यह हमारी गोपनीयता से संबंधित होती हैं। यह ब्राउज़र के लिए एक आवश्यक तत्व है, जिसकी सहायता से वेबसाइट को ब्राउजिंग करना सुविधाजनक होता है। इनसे यूज़र (उपयोगकर्ता) को सहायता प्राप्त होती है। कुकीज़ के कई लाभ भी हैं और कुछ नकारात्मक हानियां भी हैं, लेकिन अधिकांश कुकीज़ पूरी तरह सुरक्षित होती हैंं। आइये समझते हैं कुकीज़ क्या होती है और कैसे काम करती हैं?

कुकीज़ क्या होती है?

कुकीज़ एक तरह की टेक्स्ट फाइल होती हैं, जिनमें डाटा के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं, जो किसी कम्प्यूटर पर उपयोगकर्ता इंटरनेट ब्राउज़िंग इतिहास आदि को सेव करती हैं। इनका उपयोग कंप्यूटर और कंप्यूटर के नेटवर्क को पहचान बनाए रखने के लिए किया जाता है। इनकी सहायता से उपयोगकर्ता की पहचान की जाती है और उसकी ब्राउज़र के व्यवहार को जानकर उसके रुचि से संबंधित डाटा का सुझाव उसे दिया जाता है ताकि उसका ब्राउज़िंग अनुभव बेहतर बने।

कुकीज़ माध्यम से जो डेटा संग्रह किया जाता है, वेब सर्वर पर उपयोगकर्ता के कनेक्शन के नाम पर होता है। यह डेटा कंप्यूटर के आईपी ऐड्रेस के साथ कनेक्ट होता है। जब कंप्यूटर और नेटवर्क सर्वर के बीच कुकीज़ का आदान प्रदान किया जाता है तो वह सर्वर कंप्यूटर की आईडी पढ़ लेता है और उसको पता चल जाता है कि संबंधित कंप्यूटर को कौन सी विशेष जानकारी प्रदान की जानी है। जब भी कोई यूजर कोई वेबसाइट को खोलता है, उसकी डिवाइस पर उसकी गतिविधि से संबंधित जानकारी कुकीज के माध्यम से सेव हो जाती है, जिसका उपयोग यूजर की ब्राउज़िंग संबंधी गतिविधि का पता लगाने के लिए किया जाता है।

कुकीज़ के माध्यम से ऑनलाइन एडवर्टाइज कंपनियों को बहुत सहायता प्राप्त होती है, इससे क्योंकि वह इससे उपयोगकर्ता की रूचि और उसकी ब्राउज़िंग गतिविधि का पता लगा लेती है कि उपयोगकर्ता क्या सर्च कर रहा है और फिर भविष्य में यूजर उसी वेबसाइट पर दोबारा आता है अथवा किसी अन्य वेबसाइट पर जाता है तो एडवर्टाइज कंपनी उसकी रुचि और सर्च से संबंधित एड दिखाने लगती है।

कुकीज़ का उपयोग करना आजकल सभी ब्राउज़र के लिए उपयोगी जरूरी हो गया है, क्योंकि इसके माध्यम से उनके ब्राउज़र की परफॉर्मेंस को बढ़ाते हैं। वह यूजर के अनुभव को और अधिक बेहतर बनाते हैं। जो ब्राउज़र जितना अधिक लोकप्रिय है, उसके द्वारा कुकीज का इस्तेमाल करना उतना ही अधिक संभव है और आजकल लगभग सभी वेबसाइट कुकीज़ का इस्तेमाल करती हैं। कुकीज के कई प्रकार होते हैं..

सेशन कुकीज़

यह कुकीज केवल वेबसाइट पर नेविगेट करते समय बनती हैं और यह केवल रेंडम एक्सेस मेमोरी में ही सेव होती हैं। यह कुकीज़ हार्ड ड्राइव पर सेव नहीं होती है। जब सेशन (सत्र) समाप्त हो जाता है तो यह कुकीज़ अपने आप हट जाती हैं।

प्रेसिस्टेंस कुकीज़

यह कुकीज़ कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव पर अनिश्चितकाल के लिए सेव रहती हैं, कुछ कुकीज़ की समापन तिथि भी होती है, जिसके आने पर यह कुकी अपने आप ही वहां से हट जाती हैं। ट्रैंकिग कुकीज़ दो तरह के उद्देश्यों के लिए प्रयोग की जाती है।

प्रमाणीकरण हेतु :

इसके माध्यम से यह ट्रैक करती है कि उपयोगकर्ता लॉगिन है अथवा नहीं और किस नाम से लॉगिन है। इनक कुकीज़ का कार्य लॉगइन की जानकारी को सुव्यवस्थित करना तथा उपयोगकर्ता के साइट पासवर्ड आदि को सेव करना होता है।

ट्रैकिंग हेतु :

ये कुकीज़ यूजर के अलग-अलग साइटों पर विजिट के इतिहास को संग्रह करती रहती हैं और उसी के अनुसार सुझाव प्रस्तुत करती हैं। इनका कार्य यूजर के ब्राउज़िंग गतिविधि पर नजर रखना और उसे भविष्य के सुझाव के लिए सेव करना होता है।

प्रथम पक्ष यानी फर्स्ट पार्टी कुकीज़

ये कुकीज़ वह कुकीज़ होती हैं, जो उसी वेबसाइट द्वारा संग्रहित की जाती है जिस पर यूजर विजिट कर रहा है। यदि वेबसाइट विश्वसनीय है तो यूज़र के लिए किसी तरह की कोई हानि नहीं है। यह वेबसाइट के ऑनर को डाटा एकत्रित करने तथा कई अन्य उपयोगी कार्य करने के लिए मदद करती है और उपयोगकर्ता को भी अच्छा अनुभाव प्राप्त होता है।

द्वितीय पक्ष यानी सेकंड पार्टी कुकीज़

ये कुकीज़ वह कुकीज़ होती है, जिन्हें एक कंपनी जिसने फर्स्ट पार्टी कुकीज़ सेव की हैं वह किसी दूसरी कंपनी को डाटा पार्टनरशिप के जरिए ट्रांसफर कर देती है। यानि एक फर्स्ट पार्टी कुकीज़ बनाने वाली कंपनी वो कुकीज़ किसी पार्टी को से साझा कर ले। वह द्वितीय पक्ष यानि सेकंड पार्टी कुकीज़ कहलाती है।

तृतीय पक्ष यानि थर्ड पार्टी कुकीज़

वो कुकीज़ होती है, जो यूजर जिस साइट पर विजिट कर रहा हैं, उसके द्वारा सेव करने के अलावा अन्य किसी तीसरे पक्ष द्वारा भी सेव कर ली जाती हैं। यह तृतीय पक्ष कोई ऑनलाइन विज्ञापन एजेंसी हो सकती है, अथवा अन्य को तीसरा पक्ष हो सकता है। जो यूजर की गतिविधि को ट्रैक करने का कार्य करती है।

कुकीज़ के लाभ है या हानि?

कुकीज आमतौर पर लाभदायक और हानिकारक दोनों तरह होती हैं। कुकीज़ कोई विशेष हानि तो नहीं पहुंचाती लेकिन कुछ कुकीज यूज़र की निजी गोपनीयता के लिए खतरा होती हैं। वास्तव में कुकीज़ का कार्य यूज़र की गतिविधि को जानकर उसके अनुसार उसके लिए ब्राउज़र संबंधी सुझाव. ऐड आदि का सुझाव देना होता है, लेकिन कभी-कभी कुकीज़ के माध्यम से हैकर यूज़ह को कोई नुकसान पहुंचाने का कार्य कर सकते हैं।

अक्सर थर्ड पार्टी कुकीज़ खतरे का विषय हो सकती हैं। ऐसी कुकीज़ हानिकारक हो सकती है और यूजर की गतिविधि हो चुराकर हैकर तक पहुँचा सकती है, जिसमें यूज़र द्वारा किसी वेबसाइट पर डाली गई निजी एवं विश्वसनीय जानकारी भी हो सकती है। इसीलिए थर्ड पार्टी कुकीज़ के मामले में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। थर्ड पार्टी कुकीज़ से सावधान रहें।

थर्ड पार्टी कुकीज़ को रोकने के लिए अपने ब्राउज़र की सेटिंग पर जाकर ब्लॉक कुकीज़ को इनेबल करना होता है, जिससे आपका संबंधित ब्राउज़र हर तरह की वेबसाइट पर किसी भी तरह कुकीज़ को रोकेगा।

उसके अलावा यूज़र अगर किसी वेबसाइट उसे कुकीज़ को स्वीकार करने के विषय में विषय में पूछा जाता है, तब यूजर अपने विवेक के अनुसार कि हाँ या ना की अनुमति दे सकता है और कुकीज़ को रोक सकता है। एडब्लॉक एक्सटेंशन के माध्यम से भी अवांछित को कुकीज़ ब्लॉक किया जा सकता है।

Topic: कुकीज़-cookies-क्या-हैं?

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


सावधान आपके घर में लगा सीसीटीवी भी हैक हो सकता है, कैसे करें बचाव? जानें।

शहद के फायदे : अद्भुत-अनोखे हैं।

शहद के फायदे : अद्भुत-अनोखे हैं। (Amazing Benefits of Honey)

शहद नाम पढ़ते ही मुँह में मिठास आ जाती है । मिठास के साथ-साथ शहद के फायदे ((Amazing Benefits of Honey) बहुत है । शहद का उपयोग बीमारियों को ठीक करने के लिए कर सकते है । शहद बहुत से घरेलू नुस्खों  में काम आता है । आइए शहद के फायदों और खाने के सही तरीके के बारे जानते हैं । वैसे तो आपने शहद कई बार खाया होगा कभी चपाती के साथ कभी डबल रोटी (bread) के साथ । शायद आप इसके फ़ायदों के बारे में जानते होंगे तो आज  विस्तार से  शहद के फायदों के बारे में जानते है ।

शहद के फायदे : अद्भुत-अनोखे

शहद को गुणों के आधार पर देखा जाए तो शहद जैसा पौष्टिक आहार दूसरा और कोई नहीं है । शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के साथ-साथ यह कई तरह की बीमारियों से बचाता है । प्राचीन काल से ही शहद का इस्तेमाल औषधि के रुप में होता रहा है और आज के समय में भी अधिकांश दवाइयों में इसका उपयोग किया जाता है । मीठा होने के कारण शहद का इस्तेमाल मिठास के लिए भी किया जाता है ।

शहद क्या है ?

शहद एक गाढ़ा, चिपचिपा, पीलापन और कालापन लिए हुए भूरे रंग का तरल पदार्थ है । यह मधुमखियों द्वारा इकट्ठा किए गए फूलों के परागों से तैयार किया जाता है । यह शरीर में प्रकुपित हुए दोषों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है ।

शहद के गुण

आमतौर पर शहद में कफ, विष, रक्त पित्त, प्यास और हिचकी को खत्म करने वाले गुण होते हैं। नया शहद ताकत बढ़ाने वाला और थोड़ी मात्रा में कफ को नष्ट करने वाला होता है। वहीं पुराना शहद कब्ज, चर्बी और मोटापा नष्ट करने वाला होता है। शहद अच्छा योगवाही है अर्थात इसे जिसके साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है यह उसके गुणों से युक्त हो जाता है । अतः आयुर्वेद औषधियों में अनुपातन के रूप में सबसे अधिक शहद का प्रचलन है । अधिकांश आयुर्वेदिक दवाइयों को शहद के साथ लेने की सलाह दी जाती है ।

शहद के फायदे

शहद के अनगिनत फायदे हैं। पाचन को सुधारने, खांसी से आराम दिलाने के अलावा शहद त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं। आपको शहद के कुछ प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से बताते हैं।

इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक

शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण आपको तमाम तरह की बीमारियों से बचाते हैं । शहद का नियमित सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है ।

शहद घाव भरने में उपयोगी

अगर आपका घाव जल्दी ठीक नहीं हो रहा है तो ऐसे में शहद का इस्तेमाल करने से वह जल्दी ठीक हो जाता है । शहद त्वचा को नमी प्रदान कर त्वचा को मुलायम बनाता है और क्षतिग्रस्त त्वचा का पुनः निर्माण करके घावों को भरता है।

शहद कफ दूर करने में सहायक

गले और सीने में कफ जमा हो जाने की वजह से कई दिक्कतें होने लगती है । साँस लेने में तकलीफ होना, खांसी आना या गले में खराश होने जैसी समस्याएं जमे हुए कफ के कारण ही होती है । शहद में ऐसे गुण होते हैं जो जमे हुए कफ को टुकड़े टुकड़े करके बाहर निकालती है और इन समस्याओं से राहत दिलाती है ।

शहद शरीर के विषैले पदार्थों को दूर करता है  

हम जो भी खाना खाते हैं उसका अधिकांश हिस्सा तो आसानी से पच जाता है लेकिन कुछ भाग पचते नहीं हैं और ये शरीर में इकठ्ठा होते रहते हैं । यह सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं । इन्हें ही आयुर्वेद में ‘अमा’ कहा गया है । शहद इन हानिकारक विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है ।

शहद पाचक अग्नि को बढ़ाता है

शरीर का पूरा पाचन तंत्र, जठराग्नि या पाचक अग्नि पर ही निर्भर है। इसीलिए आयुर्वेद में पाचक अग्नि के संतुलित होने पर काफी जोर दिया गया है। शहद खाने से पाचक अग्नि बढ़ती है, जिससे पेट से जुड़ी तमाम तरह की बीमारियों से बचाव होता है।

शहद भूख बढ़ाने में सहायक

शहद खाने से भूख बढ़ती है । कई लोगों को भूख ना लगने की समस्या होती है जिसकी वजह से वे समय पर खाना नहीं खाते हैं । इस कारण शरीर में कमजोरी और अन्य कई बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है । ऐसे में शहद का सेवन करना गुणकारी है । विशेषज्ञों के अनुसार शहद खाने से भूख बढ़ती है ।

शहद त्वचा में निखार लाता है

शहद सिर्फ आपको बीमारियों से ही नहीं बचाता बल्कि इसका उपयोग आप अपना सौंदर्य बढ़ाने के लिए भी कर सकते हैं। शहद में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो चेहरे की चमक बढ़ाते हैं और दाग धब्बों को दूर करते हैं । यही कारण है कि कई ब्यूटी क्रीम में शहद का इस्तेमाल किया जाता है । आप भी चेहरे पर निखार लाने के लिए शहद का उपयोग कर सकते हैं ।

अतिसार या दस्त में उपयोगी है शहद

गर्मियों और बरसात के मौसम में दस्त होना एक आम समस्या है । खासतौर पर बच्चे बहुत जल्दी इस बीमारी की चपेट में आते हैं । आयुर्वेद के अनुसार दस्त होने पर शहद का सेवन करना फायदेमंद होता है ।

शहद के अन्य उपयोग 

उपरोक्त बताए गए फायदों के अलावा शहद डायबिटीज, कुष्ठ, उल्टी आदि रोगों में फायदेमंद है । हालांकि इन रोगों के इलाज के लिए शहद का सेवन किसी चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करें ।

शहद के साथ क्या ना खाएं 

इन चीजों का सेवन शहद के साथ ना करें, आयुर्वेद में इन्हें शहद के साथ में खाने से मना किया गया है ।

  • घी (समान मात्रा में पुराना घी)
  • तेल और वसा
  • अंगूर
  • कमल का बीज
  • मूली
  • अधिक गर्म पानी
  • गर्म दूध या अन्य गर्म पदार्थ

शहद से जुड़ी कुछ विशेष ध्यान रखने वाली बातें 

  • शहद को कभी भी गर्म करने ना खाएं । इसका मतलब यह है कि किसी भी आहार को पकाते समय उसमें शहद डालकर ना पकाएं। शहद को अधिक तापमान कर गर्म करने से उसमें विषैला प्रभाव आ जाता है, जो सेहत के लिए हानिकारक है।
  • अगर आप खाली पेट सुबह पानी में शहद डालकर पी रहे हैं तो पानी में शहद डालकर उबालें नहीं बल्कि आंच बंद करने के बाद पानी को गिलास में डालकर तब उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं ।
  • इसी तरह उबलते हुए दूध में शहद ना डालें बल्कि दूध को उबालकर उसे कुछ देर सामान्य तापमान तक ठंडा कर लें । जब दूध गुनगुना रहे तब उसमें शहद मिलाकर पिएं । हालांकि उलटी करने में गर्म शहद का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि उलटी के दौरान शहद शरीर से बाहर निकल जाता है ।
  • शहद और गाय के घी को कभी भी एक बराबर मात्रा में मिलाकर ना खाएं । एक बराबर मात्रा की बजाय अगर आप शहद और घी की अलग-अलग मात्रा को साथ में मिलाकर खाएं तो यह बहुत अधिक उपयोगी होता है ।

शहद के फायदे बहुत है, पर यदि इसका इस्तेमाल अच्छी जानकारी के साथ किया जाए तो!

 

Disclaimer: ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें। 

 

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


इलायची के फायदे और उपयोग – छोटे मसाले के बड़े फायदे

ये टिप्स अपनाएं तो नारियल का छिलका एकदम आसानी से उतर जाएगा।

ये टिप्स अपनाएं तो नारियल का छिलका एकदम आसानी से उतर जाएगा। (Useful tips to remove coconut peel easily)

नारियल एक बेहद उपयोगी फल है और हर घर में चटनी बनाने में तथा सब्जी आदि डालने में प्रयोग किया जाता है। दक्षिण भारत में तो नारियल का बहुत अधिक ही प्रयोग किया जाता है और बहुत सी सब्जियों में नारियल को डाला जाता है। नारियल की चटनी बेहद स्वादिष्ट होती है, जो आज घर-घर की पसंद बन चुकी है।

लेकिन जब भी नारियल को घर लेकर आते हैं और उसे तोड़कर उसका छिलका चलने का प्रयास करते हैं, तो नारियल के बाहरी सख्त आवरण को निकालने में बड़ी मेहनत करनी पड़ती है। नारियल को दो टुकड़ों में करके चाकू आदि की सहायता से उसके ऊपर के सख्त छिलके निकालने में अक्सर हाथ में चोट आदि लगने का डर भी बना रहता है।

तब मन में बात आती है कि कोई एक ऐसा आसान सा तरीका हो, जिसको अपना कर नारियल का छिलका बेहद आसानी से निकाला जा सके, तो बहुत अच्छा हो।

तो इस समस्या का हल प्रस्तुत है। इसके लिए नीचे दिए गए कुछ टिप्स अपनाएं तो नारियल का छिलका बेहद आसानी से निकाल सकेंगे।

टिप्स नंबर 1

नारियल को जब भी घर लाएं उसे धोकर उसके ऊपर से धूल-मिट्टी साफ कर लें और नारियल को तोड़कर दो टुकड़ों में बांट लें। उसके बाद नारियल का एक हाफ टुकड़ा गैस के बर्नर पर रखें। उसका सख्त खोल गैस के बर्नर की लौ के संपर्क में आए। गैस की आंच को धीमी रखें। धीरे-धीरे उसे गर्म होने दें।

नारियल के इस सख्त खोल को इतना गर्म होने दें कि वह काला पड़ जाए।नारियल का ये सख्त खोल हल्का काला पड़ने के बाद उसे गैस से उतार लें और साफ ठंडे पानी में डाल दें। ठंडे पानी के मैप में डालने के बाद उसे निकालकर जमीन पर हल्के से पटकने और फिर चाकू की सहायता से बेहद आसानी से नारियल और उसका सख्त खोल अलग-अलग हो जाते हैं।

टिप्स नंबर 2

नारियल को तोड़े नहीं और उसे अच्छी तरह से धो लें। यदि घर में यदि ओवन हो तो उसे ओवन में 40 डिग्री टेम्परेचर पर सेट करके 1 मिनट तक गर्म होने दें। उसके बाद ओवन को बंद कर कर नारियल को बाहर निकालें और फिर नारियल को तोड़कर उसके छिलके को बेहद आसानी से निकाला जा सकता है।

टिप्स नंबर 3

पूरा साबुत नारियल फ्रिज के फ्रीजर में रातभर रखें। जब नारियल जम जाए तो उसको फ्रीजर से निकालकर उसको जमीन पर पटकने से या हल्का हथौड़ा मारने से नारियल टूट जाएगा और उसका छिलका भी आसानी से नारियल से अलग हो जाएगा।

तो ये टिप्स आजमाकर देखें। नारियल का कठोर छिलका बहुत आसानी से नारियल से अलग हो जाएगा।

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


दाँत मोतियों जैसे चमकाना चाहते हैं, ये 15 उपाय आजमाएं।

भारत में रिलीज के पहले दिन ही सबसे ज्यादा ओपनिंग-डे कलेक्शन करने वाली टॉप 10 मूवी।

पहले दिन सबसे ज्यादा ओपनिंग डे कलेक्शन करने वाली 10 मूवी।(Top 10 opening day collection movies)

भारत में कई जानी मानी फिल्मों ने अपने जबर्दस्त क्रेज के चलते पहले दिन धमाकेदार ओपनिंग ली (Top 10 opening day collection movies) है और एक रिकार्ड कायम किया है। इन फिल्मों के पहले ही दिन रिकार्डतोड़ ओपनिंग कलेक्शन का कारण इन मूवी की स्टारकास्ट का सबसे बड़ा योगदान रहा है। इन फिल्मों ने अपनी स्टारपावर और जबर्दस्त हाइप के कारण पहले दिन रिकार्डतोड़ ओपनिंग ली। कुछ फिल्में चल पाईं और कुछ फिल्में ऐसी भी रहीं जो पहले दिन रिकार्डतोड़ ओपनिंग कलेक्शन करने के बावजूद बाद में बॉक्स ऑफिस पर फुस्स हो गईं।

भारत में अपनी रिलीज के पहले दिन ही यानि ओपनिंग डे पर रिकार्डतोड़ कलेक्शन करने वाली ओवरऑल टॉप 10 मूवी के नामों में अधिकतर साउथ की मूवी है। ये बात साउथ की फिल्मो का भारत की फिल्म इंडस्ट्री पर दबदबा दिखाती है।

अपनी रिलीज के पहले ही दिन रिकार्डतोड़ ओपनिंग लेने वाली टॉप की 10 फिल्मों के नामो की लिस्ट नीचे दी गई है। इनमें सबसे नई एंट्री सालार फिल्म की है जो 22 दिसंबर 2023 को ही रिलीज हुई है।

फिल्‍म
ओपनिंग डे कलेक्‍शन (भारत में)
ओपनिंग डे कलेक्शन (वर्ल्डवाइड)
आर आर आर (RRR)133 करोड़223 करोड़
बाहुबली 2 (Bahubali 2)121 करोड़217 करोड़
केजीएफ 2 (KGF 2)116 करोड़159 करोड़
सालार (Salaar)95 करोड़अपडेट आना बाकी है
साहो (Saho)89.00 करोड़130.00 करोड़
आदिपुरुष (Adipurush)86.75 करोड़127.50 करोड़
जवान (Jawan)75 करोड़129.10 करोड़
लियो (Lio)64.8 करोड़142.70 करोड़
एनिमल (Animal)63.8 करोड़116.00 करोड़
2.060.25 करोड़110 करोड़
पठान (Pathan)57 करोड़104.80 करोड़

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


Tripti Dimri – एनिमल की वो एक्ट्रेस जिसने रश्मिका मंदाना से ज्यादा लाइम लाइट लूट ली।

वडा पाव की कहानी – कैसे बना मुंबई का सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड

वडा पाव की कहानी – कैसे बना मुंबई का सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड (Story of Vada Pav)

मुंबई के वडा पाव का नाम तो सभी ने सुना होगा, यह मुंबई का सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड है और मुंबई में जितना अधिक वडा पाव खाए जाता है, उतना अधिक और कोई फास्ट फूड नही खाया जाता। वडा पाव बनने के पीछे भी एक कहानी (Story of Vada Pav) है, जिसने वडा पाव को लोकप्रिय बनाया।

शायद ही कोई ऐसा मुंबईकर (मुंबई निवासी) हो, जिसने बड़ा पाव नहीं खाया हो। मुंबई में और मुंबई के बाहर महाराष्ट्र में भी वडा पाव की लोकप्रियता का आलम यह है कि मुंबई के हर कोने कोने में चप्पे-चप्पे पर कुछ मिले ना मिले लेकिन वडापाव का स्टॉल जरूर मिल जाएगा। बहुत से लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि वड़ापाव कैसे बना, क्योंकि मुंबई और महाराष्ट्र में वडापाव लोकप्रिय है, इसलिए लोग समझते हैं कि वडापाव एक पारंपरिक महाराष्ट्रीयन व्यंजन है और यह कई सैकड़ों वर्षो से महाराष्ट्र का व्यंजन होगा। लेकिन ऐसा नहीं है।

सच बात तो यह है कि वडापाव का इतिहास बहुत अधिक पुराना नहीं है। वडापाव एक ऐसा फस्टफूड है, जो आजादी के बाद 1960 के दशक में अस्तित्व में आया और तभी से यह लोकप्रिय हुआ। जब बड़ा पाव लोकप्रिय हुआ तो फिर इतना लोकप्रिय कि आज मुंबई का सबसे अधिक लोकप्रिय और पसंदीदा फास्टफूड बड़ा पाव ही है।

चाहे अमीर हो या गरीब हर कोई बड़ा पाव का दीवाना है। मुंबई में तो बड़ा पाव आम आदमी का सबसे लोकप्रिय भोजन है, क्योंकि बेहद सस्ता और आसानी से हर जगह उपलब्ध हो जाता है। आज हम वडा पाव के बनने की कहानी जानेंगे।

वडा पाव कैसे बना?

असल बात तो यह है कि वडा पाव कोई बेहद पुराना पारंपरिक भारतीय व्यंजन नहीं है, जो भारत में या विशेषकर महाराष्ट्र या मुंबई में बहुत सैकड़ों साल पहले से खाया जाता रहा हो। वडा पाव में जिस पाव का उपयोग किया जाता है, वह भी भारत में पुर्तगालियों द्वारा लाया गया था इसीलिए वडापाव का इतिहास बहुत अधिक पुराना नहीं है। बड़ा पाव के बनने और उसकी लोकप्रियता की कहानी 1960-70 के दशक में शुरू हुई।

1960 के दशक में मुंबई में कपड़ा मिलो का साम्राज्य था। देश की अधिकतर कपड़ा मिले मुंबई में स्थित थीं। मुंबई का लोअर परेल इलाका कपड़ों का गढ़ था जहाँ पर मुंबई की अधिकतर कपड़ा मिलें स्थित थीं। मुंबई दादर और लोअर परेल एक दूसरे के नजदीक ही हैं। 1960-70 के दशक में मुंबई में कपड़ा मिल की स्थिति खराब होनी शुरू हुई और धीरे-धीरे एक-एक करके कपड़ा मिलें बंद होनी शुरू हो गई।

बहुत सी कपड़ा मिले मुंबई से सूरत की ओर शिफ्ट करने लगी थी। इन कपड़ों में काम करने वाले कामगारों के प्रति के सामने रोजगार का भी संकट उत्पन्न होने लगा था। 1966 में ही मराठी अस्मिता के नाम पर बाल ठाकरे ने शिवसेना पार्टी का गठन किया था और वड़ापाव की उत्पत्ति भी शिवसेना से जुड़ी हुई है।

शिवसेना के एक कार्यकर्ता अशोक वैद्य नाम के एक व्यक्ति ने ही वडा पाव का आविष्कार किया। अशोक वैद्य को ही वडापाव जैसे लोकप्रिय व्यंजन ईजाद करने का श्रेय मिलता है।

वडा पाव बनने की कहानी

दरअसल जब 1960-70 के दशक में मुंबई में कपड़ा मिलो बंद होनी शुरू हो गई तो उन में काम करने वाले अनेक कामगारों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया। अशोक वैद्य भी ऐसी ही कपड़ा मिल में काम करते थे और वह शिवसेना पार्टी से भी जुड़े थे, क्योंकि 1966 में ही शिवसेना पार्टी की स्थापना हुई थी।

अशोक वैद्य ने अपने रोजगार के लिए दादर स्टेशन के बाहर खानपान की चीजों का स्टॉल लगाना शुरू कर दिया। शुरू वे पारंपरिक नाश्ते आदि में महाराष्ट्रीयन और दक्षिण भारतीय फास्ट फूड बेचा करते थे। उस समय वह वडा तो बनाते थे लेकिन उसे केवल वडा के रूप में ही बेचा करते थे। इसके अलावा वह अपने स्टॉल पर इडली-उडुपी जैसे दक्षिण भारतीय नाश्ते बेचा करते थे क्योंकि उस समय ये नाश्ते ही मुंबई में लोकप्रिय थे।

उनके स्टॉल पर अक्सर मिलों के कामगार खाना खाने आया करते थे, जो अक्सर साधारण आम आदमी होते थे और अक्सर सस्ते नाश्ते या खाने की तलाश में रहते थे। अशोक वैद्य अपने खाने के स्टॉल पर पाव भी रखा करते थे क्योकि उस समय मुंबई में पाव डबलरोटी के रूप में लोकप्रिय हो चुका था।

एक दिन अशोक वैद्य के दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यो न पाव के अंदर कुछ दूसरी खाने की चीज रखकर बेची जाए। उन्होंने पाव को चीरकर उसमें वडा रखकर बेचना शुरू कर दिया। बड़ा पहले से ही महाराष्ट्र में पारंपरिक भोजन के रूप में बनाया जाता था। पाव बहुत अधिक मोटी ब्रेड होती थी इसलिए उसे चीरकर उसमे कुछ दूसरा खाने का पदार्थ रखकर बेचा जा सकता था।

अशोक वैद्य का ये आयडिया काम कर गया। उनका पाव को चीरकर उसमें वडा रखकर बेचना शुरु कर दिया। स्वाद बढ़ाने के लिए उन्होंने वडा पाव के साथ तली हुई रही मिर्च और लहसुन-लाल मिर्च की पारंपरिक सूखी चटनी भी लगानी शुरु कर दी।

धीरे-धीरे उनका यह नया व्यंजन आसपास के लोगों को बेहद पसंद आने लगा। अशोक वैद्य द्वारा वडा पाव बनाए जाने के बाद उसकी लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती गई और आसपास के लोगों ने भी वैसे ही वडा पाव बनाना शुरू कर दिया। वडा पाव को लोकप्रिय बनाने में शिवसेना का भी योगदान रहा।

शिवसेना पार्टी ने इसे महाराष्ट्रीयन डिश माना और इसे महाराष्ट्रीयन डिश के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया। उससे पहले मुंबई में फास्ट फूड के रूप में दक्षिण भारतीय इटली-डोसा-उडुपी अधिक लोकप्रिय थे और लोग नाश्ते में इडली डोसा को खाते थे, लेकिन वडा पाव ने धीरे-धीरे मुंबई के लोगों के पसंदीदा के नाश्ते का स्थान ले लिया।

आज के समय में मुंबई में कोई बाहर का व्यक्ति आए और वह वडा पाव ना खाए तो उसका मुंबई आना अधूरा है, क्योंकि मुंबई और वडा पाव दोनों एक दूसरे के पूरक बन चुके हैं। भले ही वडापाव का इतिहास बहुत अधिक पुराना ना हो लेकिन अब वडा पाव इतना अधिक लोकप्रिय हो चुका है कि यह मुंबई और महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में भी काफी पसंद किया जाने लगा है।

1998 में अशोक वैद्य की मृत्यु हो गई लेकिन वह वडा पाव के आविष्कारक के रूप में जाने जाते रहेंगे। शायद उन्होंने भी कभी नही सोचा होगा कि उनके द्वारा बनाया एक नया व्यंजन आने वाले समय में मुंबई का सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड बन जाएगा।

वडा पाव का ब्रांड अवतार

1960 में शुरू हुआ वडा पाव का सफर 2000 के दशक तक आते-आते अपनी लोकप्रियता के चरम पर पहुंच गया था। वडा पाव मुंबई की रग-रग में बस चुका था और मुंबई के चप्पे-चप्पे पर वडा पाव मिलने लगा था। लेकिन वडा पाव कोई एक ब्रांड नहीं बन पाया था।

वडा पाव की इसी लोकप्रियता का सबसे सटीक फायदा उठाने और उसको एक ब्रांड का नाम देने का कार्य गुप्ता दंपत्ति ने किया। धीरज गुप्ता और उनकी पत्नी रीता गुप्ता ने अगस्त 2001 में ‘जंबो किंग’ के नाम से एक फ्रेंचाइजी की स्थापना की जो वडा पाव को हाइजेनिक तरीके से बनाने लगी। इससे पहले वडा पाव केवल लोकल स्तर पर स्थानीय खाद्य विक्रेताओं द्वारा ही बनाया जाया करता था।

गुप्ता दंपति ने 2001 में मलाड स्टेशन (ईस्ट) के बाहर सबसे पहले ‘जंबो किंग’ नाम की आउटलेट खोली जो वडा पाव जैसे देसी व्यंजन का एक ब्रांड अवतार था। धीरे-धीरे उनकी आउटलेट चल पढ़ी और उसकी संख्या बढ़ती गई। मलाड के बाद कांदिवली और उसके बाद मुंबई के अन्य हिस्सों में जंबों किंग के नाम की आउटलेट खुलती गईं। शुरु में उन्होंने बड़ा पाव की एक वैरायटी से शुरुआत की। बाद उन्होंने जंबो किंग आउटलेट में वडा पाव की अनेक वैरायटी रखनी शुरू कर दी।

आज जंबोकिंग एक जाना माना ब्रांड बन चुका है। जिसकी मुंबई में अनेक आउटलेट हैं इसके  अलावा देश के कई हिस्सों में भी उसकी आउटलेट हैं। आज जंबो किंग वड़ा पाव के अलावा अन्य फास्ट फूड आइटम भी बेचता है। आज मुंबई में जंबो किंग ही नही अन्य कई नाम से वडा पाव के ब्रांड बन चुके हैं और सड़क से शुरु हुआ वडा पाव का सफर बड़े-बड़े होटल और रेस्तरां तक पहुँच चुका है।

वडा पाव केवल मुंबई में नहीं बल्कि यह मुंबई की सीमा से बाहर निकल कर महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों में भी काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। यहां तक कि इसने ग्लोबल स्तर पर भी अपने वडा पाव ने अपनी पहचान बनानी शुरु कर दी हैं।

वडा पाव को देसी बर्गर कहा जा सकता है। Test Atlas नाम की एक वेबसाइट जो कि खानपान से संबंधित चीजों की लोकप्रियता की लिस्ट जारी करती है। उसने दुनिया के 100 सबसे अधिक लोकप्रिय सैंडविच में वडापाव को 30वां स्थान दिया है।

वडा पाव संबंधित कुछ विशेष बातें

  • वडा पाव का आविष्कार करने वाले व्यक्ति का नाम ‘अशोक वैद्य’ है। अशोक वैद्य ने ही 1966 में वडा पाव को सबसे पहले बनाया। इससे पहले बड़ा पाव नाम का कोई भी फास्ट फूड या सैंडविच अस्तित्व में नहीं था।
  • वडा पाव विश्व के 100 लोकप्रिय सैंडविच में से 30वें स्थान पर है।
  • वडा पाव को देसी बर्गर के नाम से भी जाना जाता है।
  • देसी वर्गर के नाम से जाना जाने के बावजूद वडा पाव में प्रयोग की जाने वाली दोनों मुख्य सामग्री यानी पाव और आलू दोनों ही विदेशी सामग्री है, जो कि विदेशियों द्वारा भारत में लाई गईं।
  • पाव और आलू दोनों ही मूल रूप से भारतीय खाद्य नहीं है, ये विदेश से भारत में आईं।
  • वडा पाव का वडा से विशुद्ध भारतीय व्यंजन है। ये महाराष्ट्र में काफी समय से बनाया जाता रहा है, इसे महाराष्ट्रीयन शैली का पकौड़ा कहा जा सकता है।
  • वडा पाव बनाने के लिए आलू को उबाल के उन्हें मैश किया जाता है। फिर उसमें तरह-तरह के मसाले मिलाए जाते हैं और फिर उनके गोले बनाकर उन्हें बेसन के घोल में डुबोकर तेल में तला जाता है।
  • फिर पाव को लेकर पाव को दो हिस्सों में चीर कर उसके अंदर वडा को रखकर उसमें चटनियां डाली जाती है। इन चटनियों में तीखी व मीठी चटनी तथा लहसुन की पारंपरिक महाराष्ट्रीयन सूखी चटनी लगाई जाती है जो कि वडा पाव के स्वाद को कई गुना बढ़ा देती है।

वडा पाव मुंबई का एक प्रसिद्ध फास्ट फूड है, जो सुबह से लेकर शाम तक हर समय खाया जाता है और हर समय वडा पाव जरूर मिलेगा। वडा पाव पसंद करने में अमीरी गरीबी का कोई भेद नहीं है। यह समाज के हर वर्ग को बेहद पसंद आता है। मुंबई का रहने वाला कोई भी निवासी वडा पाव के स्वाद से अपरिचित नहीं रह सकता।

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


हिमाचली धाम – हिमाचल प्रदेश की अनोखी थाली, हिमाचल आएं जरूर खाएं।

हिमाचली धाम – हिमाचल प्रदेश की अनोखी थाली, हिमाचल आएं जरूर खाएं।

हिमाचली धाम – हिमाचल प्रदेश की अनोखी थाली, हिमाचल आएं जरूर खाएं। (Himachali-dham Himachali Food)

हिमाचली धाम (Himachali-dham Himachali Food) एक ऐसी ही पारंपरिक थाली है जोकि हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध एवं पारंपरिक व्यंजनों का सम्मिश्रण है। हिमाचली धाम एक खाद्य उत्सव है, एक थाली है, जो अक्सर हिमाचल प्रदेश में पर्व-त्योहारों अथवा विशेष अवसरों पर बनाई जाती है अथवा हिमाचल प्रदेश के बड़े-बड़े होटल, रेस्टोरेंट में हिमाचली धाम थाली हिमाचल प्रदेश खाद्य संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हुई परोसी जाती है। आइए ‘हिमाचली धाम’ के विषय में जानते हैं…

हिमाचली धाम – हिमाचल प्रदेश की अनोखी थाली और व्यंजन परंपरा (Himachali-Dham-Himachali-Food)

हिमाचल प्रदेश भारत के उत्तरी हिस्से का एक बेहद सुंदर प्रदेश है, जो एक पहाड़ी प्रदेश है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है। हिमाचल प्रदेश ना केवल अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है बल्कि अपने अनोखे खानपान के लिए भी विख्यात है। हिमाचल प्रदेश के खाने में पारंपरिक पहाड़ी व्यंजन तथा उत्तर भारतीय व्यंजनों का प्रभाव देखने को मिलता है।

Himachali Dham हिमाचली धाम एक ऐसी ही पारंपरिक थाली है जोकि हिमाचल प्रदेश में खासी लोकप्रिय है। हिमाचल प्रदेश में ‘हिमाचली धाम’ के नाम से प्रसिद्ध यह थाली हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग विशेषता लिए होती है। हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के हिमाचली धाम थाली अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों का मिश्रण है। हिमाचली धाम थाली की यह विशेषता है कि यह पूरी तरह शुद्ध शाकाहारी थाली होती है, जो सात्विक व्यंजनों से युक्त होती है। इसे बनाने वाले भी ब्राह्मण रसोइए होते हैं।

Himachali Dham

‘हिमाचली धाम’ थाली के बारे में कहा जाता है कि इसे ब्राह्मण रसोइयों द्वारा शुद्ध सात्विक तरीके से बनाया जाता है। हिमाचली धाम थाली में हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रीय एवं पारंपरिक व्यंजनों का मिश्रण होता है। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध व्यंजनों में मद्रा, कढ़ी, सत्तू, मीठा चना सेपु वड़ी, खट्टा, कद्दू, आलू, पालक, बाबरू, सीदू जैसे पारंपरिक हिमाचली व्यंजन शामिल होते हैं।

हिमाचली धाम थाली की शुरुआत कैसे हुई?

‘हिमाचली धाम’ थाली के शुरुआत के बारे में कहा जाता है कि इसकी शुरुआत हिमाचल प्रदेश की एक रियासत चंबा के राजा ‘जयस्तंभ’ ने की थी। आजादी से पहले जब हिमाचल प्रदेश का चंबा जिला एक रियासत था, तब वहाँ के राजा एक बार अपने पड़ोसी राज्य कश्मीर के भ्रमण पर गए। वहां पर उन्हें वहाँ की एक पारंपरिक थाली बेहद पसंद आई।

चंबा वापस आकर उन्होंने भी अपने क्षेत्र में ऐसी ही एक पारंपरिक थाली बनाने का निर्णय लिया। इसीलिए उन्होंने अपने रसोइयों को निर्देश दिया कि शुद्ध शाकाहारी एवं सात्विक तरीके से एक पारंपरिक हिमाचली थाली बनाई जाए। तब से हिमाचल प्रदेश में हिमाचली धाम के नाम से हिमाचली थाली की यह परंपरा चल पड़ी।

Himachali Dham

उस समय राजा के ब्राह्मण रसोइयों द्वारा यह थाली शुद्ध सात्विक व्यंजनों को आधार ध्यान में रखकर बनाई गई थी। इसीलिए हिमाचली धाम थाली को ब्राह्मणों द्वारा बनाने की परंपरा चल पड़ी। जब चंबा के राजा के यहाँ हिमाचली धाम थाली बनाई जाती थी तो उसमें केवल दालों तथा दूध से बने व्यंजनों को ही बनाया गया और किसी भी तरह की सब्जी का प्रयोग नहीं किया गया।

उस समय चंबा में मसाले व दालें तथा दूध का खूब उत्पादन होता था। इसीलिए उस समय पारंपरिक हिमाचली धाम थाली में दालों और दूध से बने सात्विक खाद्य पदार्थों का प्रयोग किया गया। हिमाचली धाम थाली हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग विशेषता लिए हुए हैं। जैसे कांगड़ा जिले की अपनी हिमाचली धाम थाली है तो चंबा की अपनी अलग हिमाचली धाम थाली होगी। यही विशेषता शिमला तथा अलग-अलग हिमाचली क्षेत्रों की हिमाचली धाम थाली में होती है।

हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों अलग-अलग जिलों के अलग-अलग पारंपरिक व्यंजनों को हिमाचली धाम थाली में परोसा जाता है। एक बात हिमाचली धाम थाली में कॉमन होती है कि यह पूरी तरह शाकाहारी और शुद्ध सात्विक व्यंजनों पर आधारित खाली होती है। जिसे सात्विक तरीके से ब्राह्मणों द्वारा बनाया जाता है। खाना बनाने वाले इन ब्राह्मण रसोइयों को ‘बोटी’ कहा जाता है।

हिमाचल प्रदेश के कुछ प्रसिद्ध व्यंजन जिन्हें हिमाचली धाम थाली में परोसा जाता है।

मद्रा : यह दही पर आधारित चने की एक सब्जी होती है, जिसे गाढ़े दही में चने, मसाले आदि मिलाकर बनाया जाता है। यह बेहद स्वादिष्ट व्यंजन है ।

Himachali Dham

कढ़ी : यह भी हिमाचल प्रदेश की पारंपरिक कढ़ी है। इसे दही, बेसन तथा मसालों और कई तरह की जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाया जाता है सत्तू इसे भुने हुए देशन में मसाले और जड़ी बूटियां आदि मिलाकर बनाया जाता है कि अक्सर नाश्ते या हल्के भोजन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है हिमाचली धाम पाली बनाने में के खाना बनाने में अक्सर तांबे के बर्तनों का ही प्रयोग किया जाता है।

परंपरा की दृष्टि से देखा जाए तो हिमाचली धाम थाली को लोग पारंपरिक दृष्टि से जमीन पर बैठकर पत्तल में खाते हैं लेकिन अब बड़े-बड़े रेस्टोरेंट जिन्हें पतलू कहते हैं लेकिन अब बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और होटल में हिमाचली धाम थाली धातु के बर्तनों में पड़ोसी जाती है

भाटी : यह चावल से बना हुआ व्यंजन है, जिसे हिमाचली में धाम में विशेष तरीके से पकाया जाता है और इसे पकाते समय इसमें देसी घी तथा मसालों का प्रयोग किया जाता है।

दाल : यह तरह-तरह की दालों से बना व्यंजन है, जिसमें मसाले और जड़ी-बूटियों को मिलाकर पकाया जाता है।

वेजिटेबल कढ़ी : ये विभिन्न तरह की सब्जियों से बना व्यंजन होता है। जिसमें तरह-तरह के मसाले और जड़ी-बूटियों को मिलाकर इसे बनाया जाता है।

रायता : यह दही से बना व्यंजन है, जिसमें दही के अलावा अलग-अलग तरह की सब्जियां पल में भी आदि मिलाए जाते हैं। इसके अलावा हिमाचली धाम थाली में पापड़, सलाद, जलेबी आदि होता है।

Himachali Dham

हिमाचल के अलग-अलग क्षेत्रों के अलग-अलग हिमाचली धाम थाली

हिमाचली धाम थाली की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों की अलग-अलग हिमाचली धाम खाली होती है। जिनमें क्षेत्रीय व्यंजनों को शामिल किया जाता है। जैसे शिमला की हिमाचली धाम, कांगडा की हिमाचली धाम आदि

शिमला की हिमाचली धाम

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की हिमाचली धाम थाली धाम में माह और उड़द की दाल, मद्रा, चने की दाल, दही में बनाए गए सफेद चने, जिमीकंद, पनीर महानी, आलू,, खट्टा में काला चना या पकोड़े, बदाणा, छोटे गुलाब जामुन तथा मिठाई आदि परोसी जाती है।

चंबा की हिमाचली धाम

हिमाचली धाम थाली की शुरुआत ही चंबा से हुई थी, इसी कारण यहां पर बेहद पारंपरिक तरीके से हिमाचली धाम थाली परोसी जाती है जोकि हिमाचली धाम थाली की शुरुआत में परोसी जाती थी। चंबा की हिमाचली धाम में पत्तलों में खाना परोसा जाता है, जिसमें दोने भी होते हैं। पत्तल, साबुत मूंग की दाल, बड़ी, मीठे चावल, खट्टा, मीठी सेवइयां आदि और परोसी जाती है। यहाँ की हिमाचली धाम थाली में एक पंक्ति में बैठकर खाना खिलाया जाता है तथा खाना परोसने का काम ‘बोटी’ करते हैं जो कि खाने को पकाते हैं। यहाँ पर पूरे नियम-अनुशासन का पालन किया जाता है। एक पंक्ति में बैठ जाने पर दूसरी पंक्ति में नहीं बैठ सकते तथा सबका खाना पूरा खत्म होने से पहले बीच में उठ नहीं सकते।

Himachali Dham

कांगड़ा की हिमाचली धाम

कांगड़ा की हिमाचली धाम में चने की दाल और उड़द की साबुत दाल, मद्रा, दही, चना, खट्टा चने और पनीर मटर की सब्जी, राजमा, जिमीकंद, कचालू, अरबी, बूंदी, बदाणा आदि परोसे जाते हैं तथा रंगीन चावल और पूरी भी परोसी जाती है।

हमीरपुर की हिमाचली धाम

हमीरपुर की हिमाचली धाम थाली में दालें अधिक परोसी जाती है। इसमें दालों के साथ मीठा और पैठा भी परोसा जाता है। इसके अलावा कद्दू और कद्दू बदाणा भी परोसा जाता है। यहाँ पर राजमा, आलू का मद्रा, चने का खट्टा और कढ़ी भी परोसी जाती है।

ऊना की हिमाचली धाम

ऊना की हिमाचली धाम में सामूहिक रूप से भोजा खाया जाता है। यह अक्सर विशेष अवसरों पर थाली परोसी जाती है। पहले परंपरा के अनुसार उना में मामा की तरफ से हिमाचली धाम दी जाती थी। ऊना की हिमाचली धाम में चावल, दाल, चना, दाल माश, सलूणा, कढ़ी आदि परोसे जाते हैं। ऊना की हिमाचली धाम में पंजाबी खाने का भी अधिक प्रभाव है।

बिलासपुर की हिमाचली धाम

बिलासपुर की हिमाचली धाम में उड़द की धुली हुई दाल, साबुत उड़द, काले चने का खट्टा, तले हुए आलू, आलू पालक में बने कचालू, मीठा, बदाणा तथा कद्दू या घिया की सब्जी, लोबिया की सब्जी आदि प्रसिद्ध परोसी जाती है। उसके साथ चावल परोसे से जाते हैं।

मंडी की हिमाचली धाम

मंडी की हिमाचली धाम में सेपू वड़ी, मूंग दाल कद्दू का मीठा या छोटे गुलाब जामुन, मटर पनीर, राजमा, काले चने, मटर पनीर, लोबिया, खट्टा, आलू का मद्रा. दही का झोल, पतली कढ़ी आदि परोसी जाती है।

कुल्लू-मनाली की हिमाचली धाम

कुल्लू की हिमाचली धाम में बदाणा, कद्दू, आलू या कचालू खट्टे, उड़द की धुली हुई दाल, लोबिया सेतू की वड़ी, पकोड़े वाली कढ़ी, दाल राजमा तथा मीठे चावल परोसे जाते हैं।

सोलन की हिमाचली धाम

सोलन की हिमाचली धाम में हलवा, पूरी, पटांडे, आलू गोभी की सब्जी या फिर कोई मौसमी सब्जी, मिक्स दाल चावल आदि परोसे जाते हैं।

किन्नौर की हिमाचली धाम

किन्नौर की हिमाचली धाम में माह की मांसासारी व्यंजनों का भी समावेश हो गया है। यहां की हिमाचली धाम अन्य हिमाचली धाम थालियों से अलग है क्योंकि यहां पर मांस भी परोसा जाता है।

Himachali Dham

लाहौल स्पीति की हिमाचली धाम

लाहौल स्पीति की हिमाचली धाम में चावल, दाल, चना, राजमा, आलू, गोभी, मटर की सब्जी तथा मांसाहारी व्यंजन परोसे जाते हैं। यहां पर भी मांसाहारी व्यंजनों का प्रचलन शामिल है।

सिरमौर की हिमाचली धाम

सिरमौर की हिमाचली धाम  चावल, माह की दाल, मूंग की दाल की, पूड़े, जेलबी, हलवा आदि परोसे जाते हैं।  तो है ना हिमाचली धाम थाली अनोखी थाली। यदि आप हिमाचल के हैं तो हिमाचली धाम थालियों से जरूर परिचित होंगे। यदि आप हिमाचल के बाहर से है तो हिमाचली धाम थाली का आनंद जरूर उठाएं नहीं तो हिमाचल धाम थाली का स्वाद उठाए बिना आपकी हिमाचल यात्रा अधूरी रह जाएगी।

Himachali-Dham-Himachali-Food

 

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


वडा पाव की कहानी – कैसे बना मुंबई का सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड

बुरांश फूल : लाभ और उपयोग

बुरांश फूल : लाभ और उपयोग (Benefits and Use of Buransh Flower)

बुरांश एक उपयोगी जड़ी-बूटी है । बुरांश के औषधीय गुण के कारण इसका इस्तेमाल रोगों के इलाज के लिए किया जाता है । आइए इसके लाभ और उपयोग (Benefits and Use of Buransh Flower) पर नजर डालते हैं…

बुरांश क्या है ?

बुरांश एक लाल रंग का फूल है जो उत्तराखंड राज्य का राष्ट्रीय वृक्ष है । बुरांश का फूल नेपाल का राष्ट्रीय फूल भी है।इसके फूलों का इस्तेमाल दवाई बनाने के लिए किया जाता है । हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में इसके फूलों से शर्बत भी बनाया जाता है । जब गर्मी का मौसम आता है तो बुरांश के वृक्ष में फूल आते हैं । बुरांश की दो प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है, जो निम्नलिखित हैं :-

बुरांश ( Rhododendron arboreum Sm.)

बुरांश का यह वृक्ष लगभग 10 मीटर ऊंचा होता है । यह हमेशा हरा रहता है । इसके पत्ते शाखाओं के छोड़ पर गुच्छों में होते हैं । पत्ते 5 -15 सेमी लम्बे , चमड़े के रंग के होते हैं । इसके फूल मखमली और लाल रंग के होते हैं ।

मदगन्धा बुरांश (Rhododendron campanulatum D. Don)

यह पौधा लगभग 1-4.5 मीटर ऊंचा और झाड़ीदार वृक्ष होता है । यह भी हमेशा हरा रहता है । यह हिमालय और कश्मीर के उच्च पर्वतीय शिखरों में पाया जाता है । इसके पत्ते चमकीले और चिकने होते हैं । इसके फूल सफेद और गुलाबी रंग के होते हैं |

बुरांश कहां पाया या उगाया जाता है ?

भारत में कई स्थानों पर बुरांश के पौधे पाए जाते है । यह भारत में हिमालयी क्षेत्रों में 2500 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है । नेपाल में इसकी कई प्रजातियां पाई जाती हैं । आयुर्वेद में बुरांश के बारे में कई अच्छी बातें बताई गई हैं । यहां बुरांश के फायदे के बारे में पूरी जानकारी दी जा गई है । आइए जानते हैं कि आप किस-किस बीमारी में बुरांश से लाभ ले सकते हैं।

बुरांश के फायदे और उपयोग

आप सिरदर्द, सांसों से जुड़े रोग और दाद–खाज -खुजली आदि में बुरांश के फायदे ले सकते हैं । इसके अलावा अन्य कई बीमारियों में भी बुरांश के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। आइए जानते हैं कि बुरांश का औषधीय प्रयोग कैसे कर सकते हैं । बुरांश से इलाज करते समय प्रयोग की मात्रा क्या होनी चाहिए और इसकी विधियां क्या है-

सिर दर्द में बुरांश के फायदे

  1. कई लोगों को प्रायः सिर दर्द की शिकायत रहती है । ऐसे में बार-बार एलोपैथिक दवाओं से नुकसान पहुंच सकता है । आप सिर दर्द से राहत पाने के लिए बुरांश का इस्तेमाल कर सकते हैं । इसके लिए बुरांश के पत्तों को पीसकर सिर पर लगाएँ । इससे सिर दर्द से आराम मिलता है ।
  2. इसके साथ ही बुरांश के पत्ते का चूर्ण बनाकर नाक के रास्ते से लेने पर भी सिर दर्द से राहत मिलती है ।

सांसों के रोग में बुरांश के सेवन से लाभ

  1. सांसों से संबंधित बीमारी में भी बुरांश का उपयोग करना लाभ पहुंचाता है । इसके सूखे पत्तों को तम्बाकू के साथ मिलाएं , और इससे धुंए की सांस लें । इससे श्वसन तंत्र संबंधित विकार में लाभ होता है ।
  2. बुरांश के पत्ते का चूर्ण बनाकर नाक से लेने से भी सांसों के रोग में लाभ होता है ।

शरीर की जलन में बुरांश के फायदे

बहुत सारे लोगों को शरीर में जलन होती रहती है । इस बीमारी में भी बुरांश के औषधीय गुण से लाभ मिलता है । बुरांश के फूलों का शर्बत बनाकर पीने से पूरे शरीर में होने वाली जलन शांत हो जाती है ।

आप दाद में भी बुरांश के फायदे ले सकते हैं ।

इसके लिए बुरांश के नए पत्तों को पीस लें । इसे दाद पर लगाएं । दाद में फायदा होता है ।

बुरांश के औषधीय गुण से गठिया का इलाज

जोड़ों में दर्द या गठिया रोग में बुरांश का औषधीय गुण लाभ दिलाता है । बुरांश के पत्तों को पीसकर जोड़ों पर लगाएं । इससे जोड़ों के दर्द और सूजन में लाभ होता है ।

खाँसी में बुरांश के सेवन से लाभ

  1. खांसी के इलाज में बुरांस के औषधीय गुण से फायदा होता है । खांसी हो तो बुरांश के पत्ते का चूर्ण बना लें । इसे नाक से लें । इससे खांसी ठीक हो जाती है ।
  2. बुरांश के सूखे पत्तों को तम्बाकू के साथ मिलाकर धूम्रपान करने से भी खांसी की बीमारी में लाभ होता है ।

हृदय रोग में बुरांश के सेवन से लाभ

बुरांश में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट तत्त्व हृदय के लिए भी फायदेमंद होते हैं । इसके फूल (फूल से निकलने वाला सार भी) के उपयोग से हृदय रोग में लाभ होता है । बेहतर इस्तेमाल के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें ।

किडनी और लीवर विकार में बुरांश के औषधीय गुण से फायदा

किडनी और लीवर विकार में भी बुरांश के सेवन से फायदा होता है । बुरांश डाईयूरेटिक (पेशाब लाने वाली) औषधि है। इसकी छाल में लीवर को स्वास्थ्य रखने के भी गुण पाए जाते हैं ।

हड्डियों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा है बुरांश

हड्डियों में दर्द हो तो बुरांश के औषधीय गुण से फायदा होता है । इसके फूलों में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूती देता है ।

एनीमिया में बुरांश के फायदे

एनीमिया से ग्रस्त हैं तो बुरांश से एनीमिया का इलाज कर सकते हैं । बुरांश के फूलों में मौजूद आयरन खून की कमी को दूर करने में भी मदद करता है ।

डायबिटीज (मधुमेह) को नियंत्रित करने की आयुर्वेदिक दवा है बुरांश

बुरांश का सेवन करने से डायबिटीज (मधुमेह) को नियंत्रित कर सकते हैं । एक रिसर्च के अनुसार, बुरांश में एन्टी हिपेरग्लिसेमिक का गुण पाया जाता है जिससे ब्लड में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है ।

शारीरिक कमजोरी में बुरांश के सेवन से लाभ

बुरांश स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है । यह पोषक तत्वों से भरा होता है । इसमें एंटी माइक्रोबियल गुण भी पाया जाता है जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है । इसमें आयरन, कैल्शियम, जिंक कॉपर आदि जैसे पोषक तत्त्व पाए जाते हैं । इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है ।

बुरांश के उपयोगी भाग

  1. बुरांश का फूल
  2. बुराश के पत्ते

बुरांश का इस्तेमाल कैसे करें ?

आप खुद से बुरांश का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करें । एक औषधि के रूप में बुरांश के जूस या अन्य किसी तरह से बुरांश का इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर ले लें ।

 

Disclaimer: ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें। 

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


तुलसी : बेहद गुणकारी – फायदे ही फायदे

टीजर (Teaser) और ट्रेलर (Trailer) में क्या अंतर है? जानें और समझें।

टीजर (Teaser) और ट्रेलर (Trailer) में क्या अंतर है? जानें और समझें। (Teaser and Trailer difference)

अक्सर हम समाचारों के माध्यम से अथवा इंटरनेट आदि के माध्यम से या विभिन्न तरह के सोशल मीडिया के माध्यम से यह सुनते रहते हैं कि अमुक फिल्म का ‘टीजर’ लॉन्च हुआ या होने वाला है अथवा हम उस फिल्म का ‘ट्रेलर’ लॉन्च हुआ या होने वाला है। तब हमारे मन में उत्सुकता जागती है कि ‘टीजर’ और ‘ट्रेलर’ क्या अलग-अलग होती हैं।

टीजर-teaser-और-ट्रेलर-trailer (Teaser and Trailer-difference) में अंतर क्या है? क्या दोनों एक ही हैं, आइए ‘टीजर’ और ‘ट्रेलर’ को समझते हैं…

टीजर और ट्रेलर में अंतर 

‘ट्रेलर’ (Trailer) शब्द हम काफी समय पहले से सुनते आ रहे हैं। जब कभी हम कोई फिल्म देखने जाते तो फिर आरंभ होने से पहले अथवा फिल्म के इंटरवल के दौरान हम किसी नई आने वाली फिल्म का ट्रेलर देखते थे अथवा हमें टीवी आदि पर आने वाली फिल्मों के ट्रेलर दिखाई देते थे। बाद में डिजिटल क्रांति का युग आया और कुछ वर्षों से हम एक नया शब्द सुनते आ रहे हैं। वह शब्द है, ‘टीजर’ (Teaser)।

‘टीजर’ शब्द एक नया शब्द है। शुरू शुरू में जब हमें टीजर शब्द सुनने को मिला, तब यही लगता था कि टीजर और ट्रेलर में कोई अंतर नहीं है। टीजर ट्रेलर का ही पर्यायवाची है। दोनों का मतलब एक है। लेकिन वास्तव में ऐसा नही है। ‘टीजर’ और ‘ट्रेलर’ दोनों शब्दों में अतर है।

टीजर (Teaser) क्या है?

टीजर किसी भी फिल्म अथवा किसी भी उत्पाद का एक छोटा सा शार्ट वीडियो होता है। इसकी लंबाई अधिकतम 1 मिनट की होती है। टीजर में किसी भी फिल्म के विषय में पूरी जानकारी नहीं होती बल्कि फिल्म के कुछ हिस्सों के दृश्य दिखाई जाते हैं और फिल्ल के बारे कोई पूरी डिटेल नहीं होती।

टीजर में फिल्म की स्टार कास्ट से लेकर उसके निर्माण संबंधी जानकारियां भी नहीं होती नहीं। किसी फिल्म का टीजर उस फिल्म के कुछ महत्वपूर्ण और रोचक दृश्यों की छोटी-छोटी क्लिप का मिक्स वीडियो होता है।

टीजर में किसी भी फिल्म के बेहद महत्वपूर्ण भागो की छोटी-छोटी क्लिप्स डाल दी जाती है। टीजर हमेशा ट्रेलर से पहले ही लॉन्च किया जाता है। ये दर्शकों में फिल्म के प्रति उत्सुकता जगाने के लिए लॉन्च किया जाता है।

टीचर फिल्म के पूरा होने से पहले ही लॉन्च कर दिया जाता है, ताकि टीजर के ऊपर आये दर्शकों के रिएक्शन के हिसाब से फिल्म निर्माता-निर्देशक अपनी फिल्म में कुछ परिवर्तन कर सके।

जब फिल्म की शूटिंग चल रही होती है या लगभग खत्म हुई होती है और पूरी तरह एडिटिंग कार्य नहीं हुआ होता है, तब उससे पहले ही टीजर लॉन्च करके दर्शकों में उत्सुकता जगाई जाती है और उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए टीचर लॉन्च किया जाता है।

टीजर फिल्म रिलीज होने के बहुत पहले ही जारी कर दिया जाता है। कभी कभी ये किसी फिल्म के रिलीज होने के एक साल पहले ही जारी कर दिया जाता है। टीजर के आने के बाद भी फिल्म में परिवर्तन हो सकते है क्योकि फिल्म पूरी तरह प्रदर्शन के लिये तैयार नही हुई होती है।

वास्तव में टीजर जारी करने का मुख्य उद्देश्य ये हीहोता है कि निर्माता-निर्देशक पहले तो दर्शकों के मन में फिल्म के प्रति क्रेज बना सके और दर्शकों की प्रतिक्रिया जान सके, जिससे फिल्म के रिलीज होने से पहले ही उसमें दर्शकों की प्रतिक्रिया के अनुसार अगर बदलाव करने हैं तो कर सके।

ट्रेलर (Trailer) क्या है?

ट्रेलर किसी फिल्म के रिलीज होने से कुछ दिन पहले जारी किया गया एक प्रचार वीडियो होता है। ट्रेलर फिल्म की पूरी जानकारी 2 से 3 मिनट की अवधि के वीडियो में समेटे हुए होता है। ट्रेलर में फिल्म के निर्माण संबंधी और उसके कलाकारों से संबंधित सभी जानकारियां होती हैं।

ट्रेलर में टीजर की अपेक्षा दृश्यों को अधिक विस्तृत रूप से दिखाया जाता है तथा फिल्म के निर्माण संबंधी और कलाकार संबंधी सभी जानकारियां भी प्रदर्शित की जाती हैं। ट्रेलर जारी होने के बाद फिल्म निर्माण में कोई परिवर्तन नहीं होता क्योंकि फिल्म निर्माण के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी होती है।

ट्रेलर दर्शकों को सिनेमा हॉल तक लाने के लिए आकर्षित करने का एक वीडियो है। इसमें फिल्म कौन सी तारीख को रिलीज होने वाली है, यह भी स्पष्ट होता है। ट्रेलर में आने वाली फिल्म के लिए व्यवस्थित रूप से शुरू से लेकर आखिर तक के सभी दृश्यों का संयोजन किया जाता है और दृश्यों को इस क्रम में रखा जाता है कि पूरी फिल्म का एक का खाका दशक के मन में बैठ जाए और वह फिल्म देखने के लिए उत्सुक हो जाए।

ट्रेलर का मतलब यह है कि फिल्म प्रदर्शन के लिए तैयार है और आने वाले कुछ दिनों में प्रदर्शित हो जाएगी ताकि दर्शक देखने के लिए उत्सुक हो जाये और अपने टिकटों की एडवासं बुकिग करा ले।

टीजर (Teaser) और ट्रेलर (Trailer) में मुख्य अंतर (Teaser-Trailer-difference)

टीजर किसी फिल्म का एक बेहद छोटा वीडियो होता है, जिसकी लंबाई 1 मिनट से कम होती है,ट्रेलर किसी फिल्म के रिलीज होने से कुछ दिन पहले जारी किया गया 2 से 5 मिनट तक की लंबाई का वीडियो होता है।
टीजर फिल्म के रिलीज होने से काफी दिन पहले जारी कर दिया जाता है और इसमें फिल्म निर्माण संबंधी बहुत अधिक जानकारी नहीं होती, केवल कुछ दृश्य रोचक दृश्य होते हैं।ट्रेलर में फिल्म संबंधी सभी जानकारी विस्तृत रूप से होती है और सभी दृश्य टीजर की अपेक्षा अधिक विस्तृत रूप से दिखाए जाते हैं।
टीजर में फिल्म रिलीज होने की कोई तारीख स्पष्ट नहीं होती।ट्रेलर में फिल्म रिलीज होने की स्पष्ट तारीख होती है।
टीजर 1 मिनट से अधिक की लंबाई का नहीं होता।ट्रेलर 1 मिनट से अधिक और सामान्यतः 2 से 5 मिनट का वीडियो होता है।
टीजर जारी करने के बाद भी फिल्म में काफी परिवर्तन किए जाते हैं।ट्रेलर जारी होने के बाद फिल्म में कोई परिवर्तन नहीं होता क्योंकि उसके कुछ दिनों बाद ही फिल्म रिलीज हो जाती है।
टीजर, जब फिल्म पूरी तरह तैयार नहीं हुई होती, तब ही जारी कर दिया जाता है।ट्रेलर तब जारी किया जाता है, जब फिल्म पूरी तरह तैयार हो गई होती है और आने वाले कुछ दिनों में सिनेमाघर में लगने ही वाली होती है।
टीजर का मुख्य उद्देश्य आने वाली फिल्म के लिये दर्शकों में मन उत्सुकता और उत्तेजना जगाना होता है।ट्रेलर का मुख्य उद्देश्य दर्शकों को फिल्म के बारे में ये सूचना देना होता है कि फिल्म प्रदर्शित हो चुकी है या प्रदर्शित होने वाली है, और आप आये अथवा अपना टिकट बुक करा लें।

 

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


सावधान आपके घर में लगा सीसीटीवी भी हैक हो सकता है, कैसे करें बचाव? जानें।

सावधान आपके घर में लगा सीसीटीवी भी हैक हो सकता है, कैसे करें बचाव? जानें।

सावधान आपके घर में लगा सीसीटीवी भी हैक हो सकता है, कैसे करें बचाव? जानें। (Prevention of CCTV Hacking)

आज हर घर और ऑफिस में सीसीटीवी लगना आम बात हो गई है। लोग अपने घरों की सुरक्षा के लिए और अपनी अनुपस्थिति में अपने घरों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरा अपने घर में लगाते हैं। ऑफिस में भी यह कैमरा सुरक्षा की दृष्टि से लगाया जाता है ताकि किसी संदिग्ध व्यक्ति अथवा संदिग्ध गतिविधि का पता लगाया जा सके।

सुरक्षा के लिए लगाए जाने वाला सीसीटीवी कैमरा (Prevention of CCTV Hacking) अब हैकर्स की निगाह में आ गया है और लोग CCTV  को भी हैक करने लगे हैं। जी हाँ, सीसीटीवी कैमरा भी अब हैकर्स की बुरी नजर में आ गया है। बहुत से ऐसे मामले आए हैं जिनमें सीसीटीवी कैमरा हैक करके घर की अंदर होने वाली निजी गतिविधियों को हैकर्स ने रिकॉर्ड कर लिया और उसे इंटरनेट पर वायरल कर दिया।

इस तरह किसी की निजता का उल्लंघन करने के मामले बढ़ाने की आशंका भी हो चली है। पिछले दिनों मुंबई के बांद्रा में ऐसा ही एक केस आया था, जब एक व्यक्ति के घर पर लगे कैमरे को हैक करके उसके घर के सदस्यों की निजी गतिविधियों के फोटो निकालकर, उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

इस तरह की घटनाओं से जिनके घरों में CCTV  लगे हैं, उनके लिए चिंता होनी स्वाभाविक है। ऐसे में उन्हें अपने सीसीटीवी कैमरा को फुल प्रूफ बनाने की जरूरत है, ताकि उनके घर पर लगे CCTV  को हैक नहीं किया जा सके।

यहाँ पर कुछ उपाय हैं, जिनसे आप पता लगा सकते हैं कि आपका सीसीटीवी कैमरा हैक है, अथवा नहीं और आप अपने CCTV  को हैक होने से कैसे बचाएं?

हैक होने का पता लगने के संकेत

सीसीटीवी कैमरा जब भी घर पर या ऑफिस आदि जगह पर लगाया जाता है तो उस पर एक रेड लाइट बिलिंक (blink) करती रहती है। यानि यह रेड लाइट जलती और बुझती दिखाई देती है। लेकिन यदि यह रेड लाइट, जो एलइडी लाइट होती है, वह अगर लगातार जलती हुई दिखाई दे और बिलिंक करना बंद कर दे, तो आपको समझ जाना चाहिए कि कुछ गड़बड़ है और आपकी CCTV  को हैक हो गया हो ऐसा हो सकता है।

अगर आप पर CCTV  से कुछ अजीबोगरीब आवाज आने लगे और उससे पहले यह आवाज नहीं आ रही हों, तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपका CCTV  को हैकर्स ने हैक कर लिया है।

अगर आपका सीसीटीवी कैमरा आपके द्वारा दिए गए इंस्ट्रक्शन के बिना ही अपने आप अचानक किधर भी घूमने लगता है और अपने CCTV  को घूमने का कोई कमांड नहीं दिया है, तो आपको समझ जाना चाहिए कि हैकर्स ने आपके CCTV  को हैक कर लिया है और वह CCTV  को ऑपरेट कर रहे हैं।

अगर आपकी CCTV  की सुरक्षा संबंधी सेटिंग में आपको कुछ बदलाव दिखाई दे, तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपको सीसीटीवी कैमरा हैक कर लिया गया है।

अगर आपके सीसीटीवी कैमरा में अचानक डाटा बहुत अधिक कंज्यूम होने लगे जबकि इससे पहले ऐसा नही होता था लेकिन अचानक उसके कंज्यूम होने की मात्रा बढ़ जाय तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपका सीसीटीवी कैमरा हैक किया जा चुका है।

सीसीटीवी कैमरा हैक होने से कैसे बचाव करें?

CCTV  को हैकिंग से बचने के लिए आप निम्नलिखित उपाय को आजमा सकते हैं…

हमेशा अपने CCTV  को एक्सेस करने के लिए एक मजबूत पासवर्ड को ही रखें, जिसमें स्पेशल कैरक्टर आदि होने जरूरी हैं।

अपने यूजरनेम और पासवर्ड भी नियमित तौर पर बदलते रहें। हर महीने दो महीने में आप अपने पासवर्ड और यूजर नेम को चेंज कर सकते हैं, जिससे हैकर्स आपके पासवर्ड को हैक ना कर सके।

सीसीटीवी को कैमरे को हैक करने के लिए हमेश टू स्टेप वेरिफिकेशन का प्रयोग करें। इसके लिए आप अपने मोबाइल नंबर का प्रयोग कर सकते हैं। यह आपके CCTV  को हैक होने से बचने के लिए एक सुरक्षित उपाय है।

अपने CCTV  को हमेशा ऑटो अपडेट पर रखें क्योंकि अक्सर कैमरे में बग्स (bugs) होने पर हैकर्स आपके कमरे को हैक कर सकते हैं। ऑटो अपडेट होने से कैमरे में जो भी पुराने बग्स (bugs) होंगे वह दूर हो जाएंगे।

अपने CCTV  को एक्सेस करने के लिए लॉगिन करने की जिम्मेदारी हमेशा किसी एक व्यक्ति के पास ही रखें, जो की जिम्मेदार व्यक्ति हो ताकि कोई गैर जिम्मेदार व्यक्ति लॉगिन जानकारी को गलत उपयोग न कर सकें।

 

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


सावधान! एसएमएस या व्हाट्सएप पर भेजे गए लिंक पर क्लिक करने से आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है। कई तरह के तरीके अपना रहे फ्रॉड लोग।

इलायची के फायदे और उपयोग – छोटे मसाले के बड़े फायदे

इलायची के फायदे और उपयोग – छोटे मसाले के बड़े फायदे (Benefits and Uses of Cardamom)

दोस्तों क्या आप जानते है कि मसालों की रानी किसे कहा जाता है ? अगर नहीं जानते  तो आज हम जाएंगे, इसका नाम है इलायची। इलायची के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of Cardamom) के बारे में आज हम विस्तार से जानेंगे।

इलायची पर हमने अमिताभ बच्चन का सुप्रसिद्ध होली गीत लौंगा इलायची का बीड़ा लगाया’ सुना ही होगा। यह गीत मसालों की रानी के नाम से प्रसिद्ध इलायची पर ही है ।

इलायची क्या है ?

इलायची एक सुगंधित मसाला है । इलायची का पौधा लगभग 10-12 फुट लंबा होता है जो समुद्र के किनारे वर्ष भर पैदा होता है । यह पत्तेदार होता है । इसके पत्ते ऊपर से एकदम हरे, भाले के आकार के और दो फुट तक लंबे होते हैं । इसमें गुच्छों की तरह फल लगते हैं । सूखे हुए फल ही छोटी इलायची के नाम से जाने जाते हैं । इलायची दो प्रकार की होती है – छोटी और बड़ी ।

इलायची का औषधीय महत्व काफी अधिक होने के कारण आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में इन दोनों का ही प्रयोग किया जाता है । इलायची पचने में हल्की, भूख बढ़ाने वाली और भोजन को पचाने वाली होती है । यह मुंह की बदबू  दूर करती है । यह दम फूलने, जुकाम, सूखी खाँसी, बवासीर, पेशाब की समस्याओं, दर्द, गैस, खुजली आदि चर्मरोग आदि में काफी लाभकारी है।

इलायची के फायदे और उपयोग

भारत के घर-घर में गरम मसालों से लेकर खीर, हलवा आदि खाद्य पदार्थों में इलायची का प्रयोग किया जाता है। पान या फिर केवल लौंग के साथ भी छोटी इलायची का इस्तेमाल होता है। भोजन के बाद मुंह को सुगंधित करने के लिए भी इलायची के सेवन किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि इलायची केवल एक सुगंधित मसाला ही नहीं है, बल्कि यह एक अच्छी औषधि भी है। यदि आप छोटी इलायची के फायदे को जान जाएं तो अनेक रोगों का इलाज आप घर पर बैठ कर सकते हैं। इलायची खाने के बहुत फायदे हैं।

इलायची के गुण

इलायची  के बीज गैस को खत्म करते हैं, भूख बढ़ाते हैं, पेशाब की समस्या दूर करते हैं और हृदय तथा शरीर को बल प्रदान करते हैं। इसलिए इलायची के बीजों का अपच, पेट दर्द, जुकाम, खाँसी, लीवर की समस्याओं, उलटी आदि अनेक बीमारियों में प्रयोग किया जाता है । इस प्रकार देखें तो छोटी इलायची के फायदे बहुत हैं ।

इलायची के फायदे

इलायची के औषधीय लाभ बहुत अधिक हैं । यदि सही तरीके से इसका सेवन किया जाए तो अनेक रोगों को आप दूर भगा सकते हैं । इसके कुछ प्रयोग  और फायदे यहाँ दिए जा रहे हैं।

सिर दर्द भगाए इलायची का उपयोग 

चिंता और तनाव से सिर दर्द होना आज के जीवन में सामान्य बात है। ऐसे में दो छोटी इलायची 1 बड़ी इलायची तथा 1 ग्राम कपूर को पीस लें । इसे ललाट पर लगाने से दवा से भी ठीक न होने वाला सिरदर्द और तनाव आदि दूर होते हैं।

आँखों की बीमारी में छोटी इलायची के फायदे

  • कम्प्यूटर और मोबाइल के इस युग में सबसे अधिक प्रभावित हमारी आँखें ही हो रही हैं । छोटे-छोटे बच्चों तक को आँख की समस्याएं होने लगी हैं और उन्हें चश्मा चढ़ने लगा है ।
  • आँखों में अँधेरा छाता हो, आँखें चौंधियाती हों या आँखों में फुंसी हो गई हो तो छोटी इलायची के चूर्ण को बारीक मलमल के कपड़े से छान लें । इसमें तीन दिन तक बकरे के मूत्र में भिगो कर छाया में सुखाएं । इस चूर्ण को आँखों में काजल की तरह लगाएं । इससे आँखों की शुद्धि होगी और उपरोक्त सभी रोग ठीकहोंगे ।
  • रोजाना एक चम्मच मधु के साथ एक छोटी इलायची खाने से आँखों की रौशनी बढ़ती है, उसके तंत्रिका-तंत्र को बल मिलता है और आँखों के सामान्य स्वास्थ्य की रक्षा होती है।

इलायची के फायदे और उपयोग

मुँह के रोग में फायदेमंद छोटी इलायची का उपयोग 

  • मुँह में किसी भी प्रकार का संक्रमण हुआ हो अथवा मुँह में छाले पड़ गए हों । दाँतों या मसूड़ों में सड़न के कारण मुँह से दुर्गंध आती हो तो दालचीनी, नागरमोथा, छोटी इलायची तथा धनिया बराबर मात्रा में लें ।
  • इसका चूर्ण बनाकर मिलाकर 125 मि.ग्रा. की वटी बना लें । इस वटी को मुँह में रख कर चूसें या चूर्ण का मंजन करें । इसके बाद इसे पानी में घोल बनाकर उससे गरारा करें । इससे मुँह का संक्रमण दूर होगा ।

गले के रोग में छोटी इलायची का उपयोग 

  • अधिक तेज बोलने से अथवा सर्दियों के कारण गले में खराश होना या फिर आवाज बैठना एक सामान्य समस्या है।
  • कई बार गले के अंदर लटकने वाली छोटी जीभ में सूजन हो जाती है, उसके कारण भी गले में समस्या होती है।
  • ऐसी कोई भी समस्या होने पर छोटी इलायची तथा दालचीनी को पानी में उबाल लें । इसे पानी से थोड़ी देर तक मुंह में रखे रहने और उसके बाद कुल्ला करने से गले की सूजन, आवाज बैठना आदि रोगों में लाभ होता है।
  • किसी भी कारण से आवाज बैठी हो अथवा गले में खराश हो, तो सुबह उठते समय और रात को सोते समय छोटीइलायची चबा-चबाकर खा लें तथा ऊपर से गुनगुना पानी पी लें । काफी लाभ होगा।

छोटी इलायची के इस्तेमाल से दमा-खाँसी का इलाज

आज के प्रदूषण भरे वातावरण के कारण लोगों को सूखी खाँसी तथा दम फूलने की शिकायत अकसर हो जाती है । इलायची तथा काली मिर्च की बराबर मात्रा का काढ़ा बना लें । इस 10-20 मि.ली. काढ़े में खांड़ मिलाकर पीएं । इससे सूखी खाँसी तथा सांसों के फूलने की परेशानी ठीक होती है ।

हृदय को स्वस्थ बनाने में मदद करती है छोटी इलायची

छोटी इलायची रक्त संचार (खून के बहाव) को ठीक बनाए रखती है जो कि हृदय के लिए काफी लाभकारी होता है । छोटी इलायची चूर्ण तथा पिप्पली की जड़ के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला लें । इसकी 1-2 ग्राम की मात्रा को दोगुने घी में मिलाकर खाने से हृदय रोग तथा गैस के कारण होने वाले सीने में दर्द में लाभ होता है ।

पेट की गैस में लाभदायक छोटी इलायची का चूर्ण

  • इलायची पेट में गैस और एसिडिटी में राहत देती है । यदि आपको भोजन के बाद एसिडिटी होती हो तो भोजन के बाद नियमित रूप से इलायची का सेवन करें । यह भोजन को पचाने में भी लहायक है ।
  • लंबी यात्रा आदि में कई बार पेशाब को रोकने के कारण पेट में गैस हो जाती है । ऐसी स्थिति में आधा से एक ग्राम इलायची चूर्ण को कांजी के साथ पीने से पेट की गैस में लाभ होता है ।
  • सोने के पहले एक पका केला तथा एक इलायची का सेवन करने से अपच, एसिडिटी, कब्ज आदि और खून की उलटी आदि में लाभ होता है ।
  • यदि अधिक केले खाने के कारण पेट में दर्द हो रहा हो तो इलायची खाएं, तुरंत आराम मिलेगा ।

उल्टी बंद करने में करें छोटी इलायची का उपयोग

  • 500 मिग्रा इलायची चूर्ण में मधु तथा मिश्री मिलाकर सेवन करने से वात, पित्त और कफ में से किसी के भी कारण होने वाली उलटी बंद होती है ।
  • इलायची, धान का लावा, लौंग, नागकेशर, पिप्पली, प्रियंगु, बदर मज्जा, नागरमोथा तथा सफेद चंदन को मिलाकर चूर्ण बना लें । इसकी 1-2 ग्राम में मिश्री तथा शहद मिलाकर सेवन करने से हर प्रकार की उल्टी बंद होती है ।
  • जीरा बीज के 10-15 मिली काढ़े में 500 मिग्रा इलायची बीज का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पित्त की अधिकता यानी एसिडिटी के कारण आने वाले चक्कर, उल्टी आदि समाप्त होते हैं ।

पेचिश में छोटी इलायची से लाभ

इलायची को पानी में उबालकर उस पानी को 10-15 मिली मात्रा में सेवन करने से पेचिश, लूज मोशन, तथा पेशाब की समस्या में लाभ होता है।

पेशाब की समस्याओं में छोटी इलायची से फायदा

  • आँवला का रस, केला का रस अथवा मीठे नीम के रस में मधु तथा आधा से एक ग्राम इलायची चूर्ण मिला लें ।इसका सेवन करने से कफ के कारण होने वाली पेशाब की जलन में लाभ होता है ।
  • 1/2-1 ग्राम इलायची चूर्ण को गोमूत्र, शराब अथवा केले के रस के साथ सेवन करने से कफ के कारण होने वाली पेशाब की समस्या में लाभ होता है ।
  • 20-25 मिली एलादि काढ़ा में 1-2 ग्राम शिलाजीत मिलाकर पीने से पथरी के कारण होने वाली पेशाब की समस्या में लाभ होता है ।
  • 20-25 मिली आमलकी रस में एक ग्राम छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण मिला लें । इसे पीने से पेशाब बंद होने अथवा पेशाब करने में जलन होने में लाभ होता है ।
  • इलायची, पाषाणभेद, शिलाजीत एवं पिप्पली से बने चूर्ण (1-2 ग्राम) को गुड़ तथा चावल के पानी यानी चावल को धोने से निकले पानी के साथ सेवन करें । इससे पेशाब में दर्द की समस्या ठीक होती है ।

नपुंसकता और शीघ्रपतन में छोटी इलायची के इस्तेमाल से लाभ

  • 125 मिग्रा इलायची बीज चूर्ण को दूध में उबालकर, मधु मिला लें । इसेरोजाना सोने से पहले सेवन करने से नपुंसकता तथा शीघ्रपतन रोग में लाभ होता है ।
  • रक्त विकार में फायदेमंद छोटी इलायची का प्रयोग इलायची रक्त का संचार ठीक करती है। यदि पंचकर्म चिकित्सा में रक्तमोक्षण करने में खून ठीक से नहीं बह रहा हो तो इलायची, कूठ, तगर आदि के बारीक चूर्ण में नमक तथा तेल मिलाकर घाव के मुख पर रगड़ देने से खून ठीक से बहने लगता है।

दिमाग को मजबूत बनाए छोटी इलायची

  • रात में सोने के पहले छोटी इलायची के बीज चूर्ण को सूंघने से मिर्गी, मानसिक अवसाद तथा याद्दाश्त की कमी के रोग में लाभ होता है।
  • पाचन तंत्र मजबूत करने में फायदेमंद छोटी इलायची ।
  • इलायची का सेवन पाचन शक्ति को मजबूत करने में सहयोग करता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार इसमें दीपन का गुण पाया जाता है जो कि पाचक अग्नि को बढ़ाकर पाचक तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है ।

हिचकी बंद करने में छोटी इलायची लाभकारी

  • अगर आप हिचकी से परेशान है तो इलायची का सेवन आपको फायदा दे सकता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार इलायची में हिक्का को रोकने का गुण होता है ।
  • ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में लाभकारी छोटी इलायची ।
  • इलायची का सेवन आपके हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार इलायची ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में एक प्रभावी औषधि है ।

शरीर के विषाक्त को बाहर निकालने में लाभकारी छोटी इलायची

इलायची का सेवन शरीर के विषाक्त को बाहर निकालने में सहायक होता है क्योंकि इसमें दीपन का गुण होता है जो की पाचक अग्नि को बढ़ाकर पाचन में मदद करती  है। आयुर्वेद में आम(अपचित खाद्य पदार्थ) को विषाक्त की संज्ञा दी गयी है।

दिल की सुरक्षा करने में सहायक छोटी इलायची

इलायची का सेवन दिल की कार्यप्रणाली की सुचारु रूप से चलाने में मदद कर सकता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार इलायची में हृद्य यानि (कार्डिक टॉनिक ) का गुण पाया जाता है, जिसके कारण इलायची दिल को सुचारु रूप से कार्य करने में मदद करती है ।

पथरी के इलाज में इलायची फायदेमंद

अगर आपको पथरी की समस्या है तो इलायची का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इलायची पथरी को बनने से रोकने के साथ-साथ इसको बाहर निकालने में भी मदद करती है क्योंकि इलायची में मूत्रल यानि ड्यूरेटिक का गुण पाया जाता है ।

मुँह के छालों से छुटकारा पाने में इलायची फायदेमंद

मुंह के छालों ने यदि आपको परेशान कर रखा है तो आप इलायची का सेवन करें या मुंह में रखकर चूसे क्योंकि इलायची में पित्तशामक गुण होता है जो जलन को कम कर छालों को जल्दी ठीक करने में मदद करता है ।

स्वप्नदोष के इलाज में इलायची फायदेमंद

स्वप्नदोष में इलायची का सेवन फायदेमंद होता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार इलायची में वृष्य गुण होता है, जो कि स्वप्नदोष जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है ।

सिरदर्द से राहत दिलाने में लाभकारी इलायची

  • सिरदर्द में इलायची का सेवन फायदेमंद होता है क्योंकि इलायची में शीत गुण होता है और सिरदर्द में पित्त का प्रकोप भी एक कारण माना गया है ।
  • इलायची अपने शीत गुण के कारण पित्त को शांत करती है जिससे सिरदर्द में आराम मिलता है ।
  • छोटी इलायची के सेवन की मात्रा इलायची चूर्ण – 500 मिग्रा से 1 ग्राम
  • अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्श के अनुसार छोटी इलायची का प्रयोग करें ।

इलायची के सेवन का तरीका

  • बीज
  • फल
  • तेल

छोटी इलायची के नुकसान

सामान्यतः इलायची खाने से कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन कई बार अधिक मात्रा में इलायची के सेवन से कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जो ये हैं ।

  • पथरी के रोगियों को भी इलायची का सेवन करने से पहले चिकित्सक का परामर्श लेना चाहिए । यह पथरी का दर्द उत्पन्न कर सकती है ।
  • इलायची यदि ठीक से न पचे तो गॉल ब्लैडर की पथरी भी बनाती है ।
  • इलायची के अधिक सेवन से नपुसंकता की परेशानी भी हो सकती है ।

इलायची कहाँ पाई या उगाई जाती है ?

इलायची का पौधा सामान्यतः समुद्र के किनारे पाया जाता है । इसकी खेती विश्व में भारत, श्रीलंका एवं म्यांमार में की जाती है । भारत के दक्षिण भागों में 750-1500 मीटर की ऊँचाई पर कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडू आदि राज्यों के पश्चिमी घाट के सदाहरित वनों में भी इलायची पाई जाती है । खाना बनाने से लेकर औषधि के लिए का उपयोग किया जाता है ।  इलायची के फायदे और उपयोग बहुत है ।  हमें सही तरीके से इसका इस्तेमाल करना आना चाहिए।

Post topic: Benefits and Uses of Cardamom

Disclaimer: ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक के परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलु उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें। 

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


तुलसी : बेहद गुणकारी – फायदे ही फायदे

तुलसी : बेहद गुणकारी – फायदे ही फायदे

तुलसी के पेड़ की उपयोगिता और उसकी महिमा से भारत में कौन नही परिचित है। हिंंदू धर्म में तो तुलसी के पेड़ के बेहद पवित्र माना जाता है। अत्यन्त गुणी इस पौधे के गुणों और लाभ (Benefits of Basil) को जानते हैं…

गुणकारी तुलसी के अनोखे फायदे (Benefits of Basil)

शायद ही भारत का कोई ऐसा राज्य होगा जहाँ लोग तुलसी के पौधे के बारे में ना जानते हों । विदेशों में भी तुलसी के पौधे को उसके औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है । तुलसी – (ऑसीमम सैक्टम) एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है ।

आइए दोस्तों आज  तुलसी के पौधे के गुणों और लाभ (Benefits of Basil) बारे में जानते है । भारत में तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है । भारत के अधिकांश घरों में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है । हमारे ऋषियों को लाखों वर्ष पूर्व तुलसी के औषधीय गुणों का ज्ञान था इसलिए इसको दैनिक जीवन में प्रयोग हेतु इतनी प्रमुखत से स्थान दिया गया है । आयुर्वेद में भी तुलसी के फायदों का विस्तृत उल्लेख मिलता है ।

इस लेख में हम आपको तुलसी के फायदे, औषधीय गुणों और उपयोग के बारे में विस्तार से जाने ।

तुलसी क्या है ?

तुलसी एक औषधीय पौधा है जिसमें विटामिन (Vitamin) और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं | सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है क्योंकि इससे ज्यादा उपयोगी औषधि मनुष्य जाति के लिए दूसरी कोई नहीं है ।

तुलसी के धार्मिक-महत्व के कारण हर-घर आगंन में इसके पौधे लगाए जाते हैं तुलसी की कई प्रजातियां मिलती हैं । जिनमें श्वेत व कृष्ण प्रमुख हैं। इन्हें राम तुलसी और कृष्ण तुलसी भी कहा जाता है । राम तुलसी, जिसकी पत्तियाँ हरी होती हैं तथा कृष्णा तुलसी (या श्यामा तुलसी) जिसकी पत्तियाँ नीलाभ-कुछ बैंगनी रंग लिए होती हैं ।

राम तुलसी के पत्र तथा शाखाएँ श्वेताभ होते हैं जबकि कृष्ण तुलसी के पत्रादि कृष्ण रंग के होते हैं । गुण, धर्म की दृष्टि से काली तुलसी को ही श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु अधिकांश विद्वानों का मत है कि दोनों ही गुणों में समान हैं ।

चरक संहिता और सुश्रुत-संहिता में भी तुलसी के गुणों के बारे में विस्तार से वर्णन है । तुलसी का पौधा आमतौर पर  30 से 60 सेमी तक ऊँचा होता है और इसके फूल छोटे-छोटे सफेद और बैंगनी रंग के होते हैं ।इसका पुष्प काल एवं फल काल जुलाई से अक्तूबर तक होता है ।

तुलसी में पाए जाने वाले पोषक तत्व

तुलसी की पत्तियां विटामिन और खनिज का भंडार हैं । इसमें मुख्य रुप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन और क्लोरोफिल पाया जाता है  इसके अलावा तुलसी में सिट्रिक, टारटरिक एवं मैलिक एसिड पाया जाता है ।

तुलसी के फायदे एवं उपयोग

औषधीय उपयोग की दृष्टि से तुलसी की पत्तियां ज्यादा गुणकारी मानी जाती हैं ।इनको आप सीधे पौधे से लेकर खा सकते हैं । तुलसी के पत्तों की तरह तुलसी के बीज के फायदे भी अनगिनत होते हैं । आप तुलसी के बीज के और पत्तियों का चूर्ण भी प्रयोग कर सकते हैं । इन पत्तियों में कफ वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं

इसके अलावा तुलसी के पत्ते के फायदे बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण आदि में बहुत फायदेमंद हैं। तुलसी के औषधीय गुणों (Medicinal Properties of Tulsi) में राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी को प्रमुख माना गया है ।

आइये तुलसी के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

दिमाग के लिए फायदेमंद हैं तुलसी की पत्तियां

दिमाग के लिए भी तुलसी के फायदे लाजवाब तरीके से काम करते हैं । इसके रोजाना सेवन से मस्तिष्क की कार्य क्षमता बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है । इसके लिए रोजाना तुलसी की 4-5 पत्तियों को पानी के साथ निगलकर खाएं ।

सिर दर्द से आराम दिलाती है तुलसी

ज्यादा काम करने या अधिक तनाव में होने पर सिरदर्द होना एक आम बात है । अगर आप भी अकसर सिर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं तो तुलसी के तेल की एक दो बूंदें नाक में डालें । इस तेल को नाक में डालने से पुराने सिर दर्द और सिर से जुड़े अन्य रोगों में आराम मिलता है । सबसे ज़रूरी बात यह है कि तुलसी के उपयोग करने का तरीका सही होना चाहिए ।

सिर के जूँ और लीख से छुटकारा

अगर आपके सिर में जुएं पड़ गये हैं और कई दिनों से यह समस्या ठीक नहीं हो रही है तो बालों में तुलसी का तेल लगाएं। तुलसी के पौधे से तुलसी की पत्तियां लेकर उससे तेल बनाकर बालों में लगाने से उनमें मौजूद जूं और लीखें मर जाती हैं। तुलसी के पत्ते के फायदे, तुलसी का तेल बनाने में प्रयोग किया जाता है ।

रतौंधी में लाभकारी है तुलसी का रस

कई लोगों को रात के समय ठीक से दिखाई नहीं पड़ता है, इस समस्या को रतौंधी कहा जाता है। अगर आप रतौंधी से पीड़ित हैं तो तुलसी की पत्तियां आपके लिए काफी फायदेमंद है। इसके लिए दो से तीन बूँद तुलसी-पत्र-स्वरस को दिन में 2-3 बार आंखों में डालें।

साइनसाइटिस में लाभदायक

अगर आप साइनसाइटिस के मरीज हैं तो तुलसी की पत्तियां या मंजरी को मसलकर सूँघें । इन पत्तियों को मसलकर सूंघने से साइनसाइटिस रोग से जल्दी आराम मिलता है ।

कान के दर्द और सूजन में लाभदायक

तुलसी की पत्तियां कान के दर्द और सूजन से आराम दिलाने में भी असरदार है | अगर कान में दर्द है तो तुलसी-पत्र-स्वरस को गर्म करके 2-2 बूँद कान में डालें। इससे कान दर्द से जल्दी आराम मिलता है । इसी तरह अगर कान के पीछे वाले हिस्से में सूजन है तो इससे आराम पाने के लिए तुलसी के पत्ते तथा एरंड की कोंपलों को पीसकर उसमें थोड़ा नमक मिलाकर गुनगुना करके लेप लगाएं । कान दर्द से राहत दिलाने में भी  तुलसी के पत्ते खाने से फायदा मिलता है ।

दाँत दर्द से आराम

तुलसी की पत्तियां दाँत दर्द से आराम दिलाने में भी कारगर हैं। दांत दर्द से आराम पाने के लिए काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दांत के दर्द से आराम मिलता है।

गले से जुड़ी समस्याओं में फायदेमंद

सर्दी-जुकाम होने पर या मौसम में बदलाव होने पर अकसर गले में खराश या गला बैठ जाने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। तुलसी की पत्तियां गले से जुड़े विकारों को दूर करने में बहुत ही लाभप्रद हैं। गले की समस्याओं से आराम पाने के लिए तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर उससे कुल्ला करें। इसके अलावा तुलसी रस-युक्त जल में हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर कुल्ला करने से भी मुख, दांत तथा गले के सब विकार दूर होते हैं ।

खांसी से आराम

तुलसी की पत्तियों से बने शर्बत को आधी से डेढ़ चम्मच की मात्रा में बच्चों को तथा 2 से चार चम्मच तक बड़ों को सेवन कराने से, खांसी, श्वास, कुक्कुर खांसी और गले की खराश में लाभ होता है । इस शर्बत में गर्म पानी मिलाकर लेने से जुकाम तथा दमा में बहुत लाभ होता है।

इस शरबत को बनाने के लिए कास-श्वास-तुलसी-पत्र (मंजरी सहित) 50 ग्राम, अदरक 25 ग्राम तथा काली मिर्च 15 ग्राम को 500 मिली जल में मिलाकर काढ़ा बनाएं, चौथाई शेष रहने पर छानकर तथा 10 ग्राम छोटी इलायची बीजों के महीन चूर्ण मिलाकर 200 ग्राम चीनी डालकर पकाएं, एक तार की चाशनी हो जाने पर छानकर रख लें और इसका सेवन करें ।

तुलसी की पत्तियां अस्थमा मरीजों और सूखी खांसी से पीड़ित लोगों के लिए भी बहुत गुणकारी हैं इसके लिए तुलसी की मंजरी, सोंठ, प्याज का रस और शहद को मिला लें और इस मिश्रण को चाटकर खाएं, इसके सेवन से सूखी खांसी और दमे में लाभ होता है

डायरिया और पेट की मरोड़ से आराम

गलत खान-पान या प्रदूषित पानी की वजह से अकसर लोग डायरिया की चपेट में आ जाते हैं खासतौर पर बच्चों को यह समस्या बहुत होती है । तुलसी की पत्तियां डायरिया, पेट में मरोड़ आदि समस्याओं से आराम दिलाने में कारगर हैं । इसके लिए तुलसी की 10 पत्तियां और 1 ग्राम जीरा दोनों को पीसकर शहद में मिलाकर उसका सेवन करें।

अपच से आराम दिलाती है तुलसी

अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर है या फिर आप अपच या अजीर्ण की समस्या से पीड़ित रहते हैं तो तुलसी का सेवन करें । इसके लिए तुलसी की 2 ग्राम मंजरी को पीसकर काले नामक के साथ दिन में 3 से 4 बार लें ।

मूत्र में जलन से आराम

मूत्र में जलन होने पर भी तुलसी के बीज का उपयोग करने से आराम मिलता है। तुलसी के बीज (Tulsi seeds) और जीरे का चूर्ण 1 ग्राम लेकर उसमें 3 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ लेने से मूत्र में जलन, मूत्रपूय तथा वस्तिशोथ (ब्लैडर इन्फ्लेमेशन) में लाभ होता है।

पीलिया में लाभदायक है तुलसी

पीलिया या कामला एक ऐसी बीमारी है जिसका सही समय पर इलाज ना करवाने से यह आगे चलकर गंभीर बीमारी बन जाती है । 1-2 ग्राम तुलसी के पत्तों को पीसकर छाछ के साथ मिलाकर पीने से पीलिया में लाभ होता है । इसके अलावा तुलसी के पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से भी पीलिया में आराम मिलता है ।

पथरी दूर करने में फायदेमंद है तुलसी

पथरी की समस्या होने पर भी तुलसी का सेवन करना फायदेमंद रहता है । इसके लिए तुलसी की 1-2 ग्राम पत्तियों को पीसकर शहद के साथ खाएं । यह पथरी को बाहर निकालने में मददगार होती है । हालांकि पथरी होने पर सिर्फ घरेलू उपायों पर निर्भर ना रहें बल्कि नजदीकी डॉक्टर से अपनी जांच करवाएं।

प्रसव (डिलीवरी) के बाद होने वाले दर्द से आराम

प्रसव के बाद महिलाओं को तेज दर्द होता है और इस दर्द को दूर करने में तुलसी की पत्तियां काफी लाभदायक हैं तुलसी-पत्र-स्वरस में पुराना गुड़ तथा खाँड़ मिलाकर प्रसव होने के बाद तुरन्त पिलाने से प्रसव के बाद होने वाले दर्द से आराम मिलता है ।

नपुंसकता में लाभकारी

तुलसी बीज चूर्ण अथवा मूल चूर्ण में बराबर की मात्रा में गुड़ मिलाकर 1-3 ग्राम की मात्रा में, गाय के दूध के साथ लगातार एक माह या छह सप्ताह तक लेते रहने से नपुंसकता में लाभ होता है

कुष्ठ रोग (त्वचा रोग) में फायदेमंद है तुलसी का रस

अगर आप कुष्ठ रोग से पीड़ित हैं तो जान लें कि तुलसी का सेवन कुष्ठ रोग को कुछ हद तक दूर करने में सहायक है | पतंजलि आयुर्वेद के अनुसार 10-20 मिली तुलसी पत्र-स्वरस को प्रतिदिन सुबह पीने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

सफ़ेद दाग दूर करने में उपयोगी

तुलसी पत्रस्वरस (1 भाग), नींबू रस (1 भाग), कंसौदी-पत्र-स्वरस-(1 भाग), तीनों को बराबर-बराबर लेकर एक तांबे के बर्तन में डालकर चौबीस घंटे के लिए धूप में रख दें गाढ़ा हो जाने पर इसका लेप करने से ल्यूकोडर्मा (सफेद दाग या श्वित्र रोग) में लाभ होता है। इसको चेहरे पर लगाने से, चेहरे के दाग तथा अन्य चर्म विकार साफ होते हैं और चेहरा सुन्दर हो जाता है। इससे पता चलता है कि तुलसी के फायदे चेहरे के लिए कितने हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार

तुलसी के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे सर्दी-जुकाम और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। 20 ग्राम तुलसी बीज चूर्ण में 40 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस कर रख लें । सर्दियों में इस मिश्रण की 1 ग्राम मात्रा का कुछ दिन सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वात एवं कफ से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है । इसके अलावा 5-10 मिली कृष्ण तुलसी-पत्र स्वरस में दोगुनी मात्रा में गाय का गुनगुना घी मिलाकर सेवन करने से भी वात और कफ से जुड़े रोगों से आराम मिलता है ।

मलेरिया में फायदेमंद

तुलसी का पौधा मलेरिया प्रतिरोधी है तुलसी के पौधों को छूकर वायु में कुछ ऐसा प्रभाव उत्पन्न हो जाता है कि मलेरिया के मच्छर वहां से भाग जाते हैं, इसके पास नहीं फटकते हैं तुलसी-पत्रों का काढ़ा बनाकर सुबह, दोपहर और शाम को पीने से मलेरिया में लाभ होता है

टाइफाइड में उपयोगी

अगर आप टाइफाइड से पीड़ित हैं तो तुलसी-मूल-क्वाथ को 15 मिली की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करें । तुलसी अर्क के फायदे से टाइफाइड का बुखार जल्दी ठीक होता है । यही नहीं बल्कि 20 तुलसी दल और 10 काली मिर्च के दाने दोनों को मिलाकर काढ़ा बना लें और किसी भी तरह का बुखार होने पर सुबह, दोपहर शाम इस काढ़े का सेवन करें । यह काढ़ा सभी प्रकार के बुखार से आराम दिलाने में कारगर है ।

बुखार से आराम

परमपूज्य स्वामी रामदेव जी का प्रयोग के अनुसार, तुलसी का पौधा से 7 तुलसी के पत्र तथा 5 लौंग लेकर एक गिलास पानी में पकाएं दो बार पिएं । तुलसी पत्र व लौंग को पानी में डालने से पहले टुकड़े कर लें। पानी पकाकर जब आधा शेष रह जाए तब थोड़ा सा सेंधानमक डालकर गर्म-गर्म इसका दिन में दो बार सेवन करें ।

यह काढ़ा पीकर कुछ समय के लिए वस्त्र ओढ़कर पसीना ले लें । इससे बुखार तुरन्त उतर जाता है तथा सर्दी, जुकाम व खांसी भी ठीक हो जाती है इस काढ़े को दिन में दो बार दो तीन दिन तक ले सकते हैं छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम होने पर तुलसी व 5-7 बूंद अदरक रस में शहद मिलाकर चटाने से बच्चों का कफ, सर्दी, जुकाम, ठीक हो जाता है। नवजात शिशु को यह अल्प मात्रा में दें

दाद और खुजली में तुलसी के अर्क के फायदे

दाद और खुजली में तुलसी का अर्क अपने रोपण गुण के कारण लाभदायक होता है यह दाद में होने वाली खुजली को कम करता है, और साथ ही उसके घाव को जल्दी भरने में मदद करता है यदि तुलसी के अर्क का सेवन किया जाए तो यह रक्त शोधक (रक्त को शुद्ध करने वाला) होने के कारण अशुद्ध रक्त का शोधन अर्थात रक्त को साफ़ करता है और त्वचा संबंधित परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है

मासिक धर्म की अनियमितता में तुलसी के बीज के फायदे

शरीर में वात दोष के बढ़ जाने के कारण मासिक धर्म की अनियमितता हो  जाती है तुलसी के बीज में वात को नियंत्रित करने का गुण होता है इसलिए इसका प्रयोग मासिक धर्म की अनियमितता में किया जा सकता है तुलसी का बीज कमजोरी दूर करने में सहायक होता है, जिसके कारण मासिक धर्म होने के दौरान जो कमजोरी महसूस होती है उसको दूर करने में मदद करता  है

साँसों की दुर्गंध दूर करें तुलसी का उपयोग

साँसों की दुर्गन्ध ज्यादातर पाचन शक्ति कमजोर हो जाने के कारण होती है तुलसी अपने दीपन और पाचन गुण के कारण साँसों की दुर्गन्ध को दूर करने में सहायक होती है | इसमें अपनी स्वाभाविक सुगंध होने के करण भी यह सांसों की दुर्गन्ध का नाश करती है

चोट लगने पर तुलसी का उपयोग

चोट लगने पर भी तुलसी का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें रोपण और सूजन को कम करने वाला गुण होता है। तुलसी का यही गुण चोट के घाव एवं उसकी सूजन को भी  ठीक करने में सहायक होता है

तुलसी का उपयोग चेहरे पर लाए निखार

तुलसी का उपयोग चेहरे का खोया हुआ निखार वापस लाने के लिए भी किया जाता है, क्योंकि इसमें रूक्ष और रोपण गुण होता है । रूक्ष गुण के कारण यह चेहरे से की त्वचा को अत्यधिक तैलीय होने से रोकती है, जिससे कील मुंहासों को दूर करने मदद मिलती  है। इसके अलावा रोपण गुण से त्वचा पर पड़े निशानों और घावों को हटाने में भी सहायता मिलती है । यदि तुलसी का सेवन किया जाये तो इसके रक्त शोधक गुण के कारण अशुद्ध रक्त को शुद्ध कर चेहरे की त्वचा को निखारा जा सकता है ।

सांप काटने पर तुलसी का उपयोग

5-10 मि.ली. तुलसी-पत्र-स्वरस को पिलाने से तथा इसकी मंजरी और जड़ों को पीसकर सांप के काटने वाली जगह पर लेप करने से सर्पदंश की पीड़ा में लाभ मिलता है । अगर रोगी बेहोश हो गया हो तो इसके रस को नाक में टपकाते रहना चाहिए ।

तुलसी की सामान्य खुराक

आमतौर पर तुलसी का सेवन नीचे लिखी हुई मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए तुलसी का उपयोग कर रहें हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें । चूर्ण : 1-3 ग्राम स्वरस :  5-10 मिली सान्द्र सत् :  0.5-1 ग्राम अर्क :  0.5-1 ग्राम क्वाथ चूर्ण :  2 ग्राम या चिकित्सक के परामर्शानुसार

तुलसी कहाँ पायी या उगाई जाती है

तुलसी को आप अपने घर के आंगन में भी उगा सकते हैं । सामान्य तौर पर तुलसी के पौधे के लिए किसी ख़ास तरह के जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है । इसे कहीं भी उगाया जा सकता है । ऐसी धार्मिक मान्यता है कि तुलसी के पौधे का रखरखाव ठीक ढंग से ना करने पर या पौधे के आसपास गंदगी होने पर यह तुलसी का पौधा सूख जाता है ।

विज्ञान भी नतमस्तक

भारत के महान वैज्ञानिक श्री जगदीश चन्द्र बसु ने क्रेस्कोग्रॉफ संयंत्र की खोज कर यह सिद्ध कर दिखाया कि वृक्षों में भी हमारी तरह चैतन्य सत्ता का वास होता है । इस खोज से भारतीय संस्कृति की वृक्षारोपण के आगे सारा विश्व नतमस्तक हो गया । आधुनिक विज्ञान भी तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे हैरान  है ।

तुलसी में विद्युत शक्ति अधिक होती है । इससे तुलसी के पौधे के चारों ओर की 200-200 मीटर तक की हवा स्वच्छ और शुद्ध रहती है वृक्षारोपण ग्रहण के समय खाद्य पदार्थों में तुलसी की पत्तियाँ रखने की परम्परा है । ऋषि जानते थे कि तुलसी में विद्युतशक्ति होने से वह ग्रहण के समय फैलने वाली सौरमंडल की विनाशकारी, हानिकारक किरणों का प्रभाव खाद्य पदार्थों पर नहीं होने देती। साथ ही तुलसी-पत्ते कीटाणुनाशक भी होते हैं ।

तुलसीपत्र में पीलापन लिए हुए हरे रंग का तेल होता है, जो उड़नशील होने से पत्तियों से बाहर निकलकर हवा में फैलता रहता है । यह तेल हवामान को कांति, ओज-तेज से भर देता है ।

तुलसी का स्पर्श करने वाली हवा जहाँ भी जाती है, वहाँ वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है । तुलसी पत्ते ईथर नामक रसायन से युक्त होने से जीवाणुओं का नाश करते हैं और मच्छरों को भगाते हैं । तुलसी का पौधा उच्छवास में ओजोन गैस छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है । आभामंडल नापने के यंत्र यूनिवर्सल स्कैनर द्वारा एक व्यक्ति पर परीक्षण करने पर यह बात सामने आयी कि तुलसी के पौधे की 9 बार परिक्रमा करने पर उसके आभामंडल के प्रभाव क्षेत्र में 3 मीटर की आश्चर्यकारक बढ़ोतरी हो गयी ।

आभामंडल का दायरा जितना अधिक होगा, व्यक्ति उतना ही अधिक कार्यक्षम, मानसिक रूप से क्षमतावान व स्वस्थ होगा। लखनऊ के किंग जार्ज कॉलेज में तुलसी पर अनुसंधान किया गया । उसके अनुसार पेप्टिक अल्सर, हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, कोलाइटिस और दमे (अस्थमा) में तुलसी का उपयोग गुणकारी है । तुलसी में एंटीस्ट्रेस (तनावरोधी) गुण है । प्रतिदिन तुलसी की चाय (दूधरहित) पीने या नियमित रूप से उसकी ताजी पत्तियाँ चबाकर खाने से रोज के मानसिक तनावों की तीव्रता कम हो जाती है ।

वैज्ञानिक बोलते हैं कि जो तुलसी का सेवन करता है उसका मलेरिया खत्म हो जाता है अथवा होता नहीं है, कैंसर नहीं होता । लेकिन हम कहते हैं यह तुम्हारा नजरिया बहुत छोटा है, तुलसी भगवान की प्रसादी है । यह भगवत प्रिया है, हमारे हृदय में भगवत प्रेम देने वाली तुलसी माँ हमारी रक्षक और पोषक है, ऐसा विचार करके तुलसी खाओ, बाकी मलेरिया आदि तो मिटना ही है । हम लोगों का नजरिया केवल रोग मिटाना नहीं है बल्कि मन प्रसन्न करना है, जन्म-मरण का रोग मिटाकर जीते जी भगवद्रस जगाना है ।

तुलसी माला की महिमा

  • गले में तुलसी की माला पहनने से जीवनी शक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है। शरीर निर्मल, रोगमुक्त व सात्त्विकता बनता है।
  • तुलसी माला से भगवन्नाम जप करने एवं इसे गले में पहनने से आवश्यक एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर-स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु में मदद मिलती है।
  • तुलसी को धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-कोशों का विद्युत शक्ति धारण करने का सामर्थ्य बढ़ता है।
  • गले में तुलसी माला पहनने से विद्युत तरंगें निकलती हैं जो रक्त संचार में रुकावट नहीं आने देती । प्रबल विद्युतशक्ति के कारण धारक के चारों ओर आभामंडल विद्यमान रहता है।
  • गले में तुलसी माला धारण करने से आवाज सुरीली होती है। हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला हृदय व फेफड़े को रोगों से बचाती है। इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है ।
  • तुलसी की माला धारक के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाती है । कलाई में तुलसी का गजरा पहनने से नाड़ी संबंधी समस्याओं से रक्षा होती है, हाथ सुन्न नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है।
  • तुलसी की जड़ें अथवा जड़ों के मन के कमर में बाँधने से स्त्रियों को विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है। प्रसव वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है। कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात (लकवा) नहीं होता एवं कमर, जिगर, तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार नहीं होते हैं।
  • यदि तुलसी की लकड़ी से बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करें तो वह कोटि गुना फल देने वाले होते हैं । जो मनुष्य तुलसी लकड़ी से बनी माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुनः प्रसाद रूप से उसे भक्ति पूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं।
Disclaimer
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें।

 


ये भी पढ़ें..

इलायची के फायदे और उपयोग – छोटे मसाले के बड़े फायदे

दाँत मोतियों जैसे चमकाना चाहते हैं, ये 15 उपाय आजमाएं।

साई सुदर्शन कौन हैं। क्रिकेटर साई सुदर्शन का पूरा लाइफ स्कैन जानें।

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच दिसंबर में हुई वनडे मैचों की सीरीज में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय टीम में कई नए खिलाड़ियों को शामिल किया गया था। इन्हीं नए खिलाड़ियों में एक खिलड़ी का नाम साईं सुदर्शन का था, जिन्हें ओपनर के रूप में टीम में शामिल किया गया था।

साई सुदर्शन ने पहले दो मैच में लगातार दो हाफ सेंचुरी जड़कर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इससे पहले भी आईपीएल 2023 के फाइनल मैच में साई सुदर्शन ने 47 गेंद में 96 रन की पारी खेलकर अपने आप को साबित किया था और तब भी लोगों का ध्यान उनकी ओर गया था।

साई सुदर्शन भारत के ओर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने वाले 400वें खिलाड़ी बने हैं।

साई सुदर्शन का जीवन का स्कैन (Sai Sudarshan life scan)

साई सुदर्शन कौन हैं? वह कहां से खेलते हैं? उनके बारे में उनका पूरा लाइफ स्कैन करते हैं।

जन्म और परिचय

साई सुदर्शन मूल रूप से भारत के तमिलनाडु राज्य से संबंध रखते हैं।  उनका पूरा नाम ‘भारद्वाज साई सुदर्शन’ है।

साई सुदर्शन का पूर्व जन्म 15 अक्टूबर 2001 को तमिलनाडु के चेन्नई महानगर में हुआ था। उनके पिता का नाम आर. भारद्वाज है और उनकी माता का नाम उषा भारद्वाज है। उनके माता और पिता दोनों भी खिलाड़ी रह चुके हैं। साई सुदर्शन को खेल की विरासत अपने माता-पिता से मिली है।

साईं सुदर्शन के पिता एशियाई खेलों में बतौर एथलीट भाग ले चुके हैं तो उनकी मां उषा भारद्वाज तमिलनाडु की ओर से नेशनल लेवल पर वॉलीबॉल खेल चुकी हैं।

करियर

साईं सुदर्शन को खेल की विरासत अपने माता-पिता से ही मिली थी तो स्वाभाविक है, उनका झुकाव खेलों की तरफ ही होना था। उन्होंने क्रिकेट को अपने खेल करियर के रूप में चुना।

उनका क्रिकेट करियर सन 2019-20 में आरंभ हुआ, जब तमिलनाडु में उन्होंने राजा ऑफ पलायन पट्टी शील्ड टूर्नामेंट में पदार्पण किया। इस टूर्नामेंट में वह 635 रन बनाकर सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे।

उसके बाद उन्होंने T20 क्रिकेट में डेब्यू किया। उन्होंने भारत के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में तमिलनाडु की ओर से T20 क्रिकेट में अपना डेब्यू किया। उसके बाद वह विजय हजारे ट्रॉफी में भी लिस्ट ‘ए’ क्रिकेटर के रूप में खेले।

2021 में उन्हें तमिलनाडु की राज्य स्तरीय क्रिकेट लीग तमिलनाडु प्रीमियर लीग (TNLP) में एक फ्रेंचाइजी ‘लाइका कोवई किंग्स’ ने खरीद लिया। उन्होंने ‘लाइका कोवई किंग्स’ (LKK) की तरफ से तमिलनाडु प्रीमियर लीग में काफी अच्छा प्रदर्शन किया और 71.60 की औसत से 5 हाफ सेंचुरी सहित 358 रन बनाए। इसी प्रीमियर लीग के 2022 में अगले सीजन में भी उन्होंने कुल 10 मैचो में 336 रन बनाए। 2022 के सीजन में उन्होंने 4 हाफ सेंचुरी मारी।

उनके इसी प्रदर्शन के आधार पर उनको भारत की और विश्व की सबसे लोकप्रिय T20 क्रिकेट लीग ‘इंडियन प्रीमियर लीग’ (IPL) में गुजरात टाइटंस (GT) की टीम ने उनके बेस प्राइस 20 लाख रुपए में खरीद लिया। गुजरात टाइटंस ने उन्हें 2022 में खरीदा था और इस सीजन में उन्होंने एक हाफ सेंचुरी सहित 145 रन बनाए। 2023 के सीजन में उनको गुजरात टाइटंस ने रिटेन किया और कुछ एक लीग मैचो में मौका दिया, जिसमें उन्होंने एक मैच में अर्धशतक भी मारा।

टूर्नामेंट के फाइनल मैच में चेन्नई किंग्स के विरुद्ध खेलते हुए उन्होंने 47 बॉल में 96 रन बनाकर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। उनके स्कोर की बदौलत की गुजरात चेन्नई ने चेन्नई सुपर किंग्स के सामने एक बेहतरीन टोटल रखा। हालांकि गुजरात टाइटंस को फाइनल मैच में हार का सामना करना पड़ा और साई सुदर्शन की पारी बेकार चली गई। लेकिन वह अपना नाम स्थापित कर चुके थे।

घरेलू क्रिकेट में साईं सुदर्शन ने रणजी ट्रॉफी में तमिलनाडु की ओर से सात मैचों में 2022-23 के रणजी ट्रॉफी सीजन में 572 रन बनाए हैं, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 169 रन रहा है।

साईं सुदर्शन के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें सबसे पहले एशिया कप के लिए इमर्जिंग टीम्स एशिया कप टूर्नामेंट के लिए भारत की ए टीम के लिए चुना गया। इस टीम में उन्होंने पाकिस्तान के विरुद्ध एक सेंचुरी मारकर तथा उसके अलावा एक अन्य मैच में हाफ सेंचुरी मार कर कल 220 रन बनाए।

साई सुदर्शन इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में सरे की टीम से भी थोड़े समय के लिए खेले हैं। जहां पर उन्होंने तीन पारियों में कुल 116 रन बनाए हैं। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में साई सुदर्शन का प्रदर्शन बेहद अच्छा रहा है। लिस्ट ए क्रिकेट में उनके नाम 1354 रन है।

उनके इन्हीं सब प्रदर्शन के आधार पर उनको इंटरनेशल क्रिकेट में भी डेब्यू करने मौका मिला। सबसे उन्हें पहले चीन में 2023 में हुए एशियन गेम्स में भारतीय टीम में स्टैंड बाय क्रिकेटर के रूप में चुन लिया गया था। हालाँकि उन्हें टीम में खेलने का मौका नहीं मिल पाया।

उसके बाद सौभाग्य ने उनके दरवाजे तब दस्तक दी जब उन्हें दक्षिण अफ्रीका के दौरे के लिए भारत की वनडे टीम में ओपनर बल्लेबाज के रूप में चुन लिया गया। यहाँ पर उनका इंटरनेशल क्रिकेट में डेब्यू हुआ।

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच तीन वनडे मैच की सीरीज के पहले दो मैचों में लगातार दो हाफ सेंचुरी मारकर उन्होंने अपने नाम को स्थापित किया।  वह अपने ही मैच में दक्षिण अफ्रीका में हाफ सेंचुरी में डेब्यू करने वाले पहले क्रिकेटर बने और शुरुआती दो मैचों में हाफ सेंचुरी मारने वाले भी पहले क्रिकेटर हैं।

इस वर्ष 22 वर्षीय खिलाड़ी के खेलने का अंदाज देखते हुए उनके उज्जवल क्रिकेटर होने आशा की जा रही है और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में खुद को साबित किया है।

उनमें एक अच्छा ओपनर अथवा मिडिल ऑर्डर बैटर की संभावना जताई जा रही है। साई सुदर्शन ने ओपनर के रूप में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है तो मिडिल ऑर्डर बैटर के रूप में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उन्होंने आईपीएल में गुजरात टाइटंस की ओर मिडिल आर्डर में खेलकर अच्छा प्रदर्शन किया तो भारत की ओर से वनडे मैच में ओपनर के रूप में खेलते हुए दो शानदार हाफसेंचुरी मारी है।

संक्षेप में…

  • साईं सुदर्शन का पूरा नाम भारद्वाज साई सुदर्शन (बी. साई सुदर्शन) है।
  • उनकी ऊंचाई 6 फीट 1 इंच है।
  • वह बाएं हाथ से बैटिंग करते हैं। वह दाएं हाथ के से गेंदबाजी भी कर लेते हैं।
  • साईं सुदर्शन की आरंभिक शिक्षा चेन्नई के डीएवी स्कूर में हुई। उन्होंने चेन्नई के रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कॉलेज से बीकॉम किया है।
  • साई सुदर्शन राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में तमिलनाडु क्रिकेट प्रीमियर लीग के लिए लाइक कोवई किंग्स के लिए खेलते हैं।
  • वह इंडियन प्रीमियर लीग में गुजरात टाइटंस के लिए खेलते हैं।
  • साई सुदर्शन का इंटरनेशनल डेब्यू 17 दिसंबर 2023 को हुआ, जब उन्होंने भारत और दक्षिणी अफ्रीका के बीच हुए वनडे मैच में अपना पहला वनडे मैच खेला।
  • साईं सुदर्शन ने इंग्लैंड की क्रिकेट काउंटी में सरे की टीम के लिए भी कुछ मैच खेले हैं।
  • साईं सुदर्शन की वार्षिक आय की बात की जाए तो गुजरात टाइटंस ने उन्हें उनके 20 लाख बेस प्राइस में खरीदा तो तमिलनाडु प्रीमियर लीग में उन्हें 22 लाख की फीस मिलती है।
  • उनकी नेटवर्थ लगभग 50 लाख के आसपास है।
  • वह अविवाहित हैं और उनकी आयु 22 वर्ष है।
साई सुदर्शन का Instagram ID

https://www.instagram.com/sais_1509/


ये भी पढें…

आईपीएल (IPL) में 2008 से अब तक कितनी टीमें खेलीं है?

विराट कोहली और आरसीबी का ये आईपीएल रिकार्ड शायद आप न जानते हों!

आईपीएल (IPL) में 2008 से अब तक कितनी टीमें खेलीं है?

आईपीएल (IPL) में 2008 से अब तक कितनी टीमें खेलीं है? (All IPL teams since 2008 till now)

IPL यानि इंडियन प्रीमियर लीग के 2023 तक 16 सीजन हो चुके है। 2023 के 16वें सीजन में कुल 10 टीमों ने भाग लिया, लेकिन हमेशा टाटा आईपीएल में 10 टीमें ही नहीं खेलती है। पिछली दो सीजन से आईपीएल में 10 टीमें खेल रही है, उससे पहले आईपीएल में 8 टीमें खेलती थीं।

आईपीएल की All IPL teams since 2008 till now के बारे में जानते हैं।

आईपीएल में जो 10 टीमें खेलीं रही है, उनमें केवल 5 टीमें ऐसी हैं जो 2008 से लेकर अब तक सारे टूर्नामेंट खेली है। पहले सीजन में खेली 8 टीमों में से 2 टीमें 2 साल के लिए सस्पेंड हुई। एक टीम पूरी तरह खत्म हो चुकी है। आइए जानते हैं कि टाटा आईपीएल के इतिहास में 2008 से लेकर अब तक कुल कितनी टीमें खेल चुकी है। टाटा आईपीएल का आरंभ सन 2008 में हुआ था। पहला सीजन 2008 में आयोजित किया गया था, तब इसमें 8 टीमें शामिल थीं।

2008 आईपीएल के पहले सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली डेयरडेविल
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. राजस्थान रॉयल्स
5. कोलकाता नाइट राइडर्स
6. चेन्नई सुपर किंग्स
7. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
8. डेक्कन चार्जर्स

2009 आईपीएल के दूसरे सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली डेयरडेविल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. राजस्थान रॉयल्स
5. कोलकाता नाइट राइडर्स
6. चेन्नई सुपर किंग्स
7. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
8. डेक्कन चार्जर्स

2010 आईपीएल के तीसरे सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली डेयरडेविल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. राजस्थान रॉयल्स
5. कोलकाता नाइट राइडर्स
6. चेन्नई सुपर किंग्स
7. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
8. डेक्कन चार्जर्स

2011 चौथे सीजन में आईपीएल के चौथे सीजन में दो नई टीमों को शामिल किया और कुल टीमों की संख्या 10 हो गई।

2011 आईपीएल के चौथे सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली डेयरडेविल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. राजस्थान रॉयल्स
5. कोलकाता नाइट राइडर्स
6. चेन्नई सुपर किंग्स
7. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
8. डेक्कन चार्जर्स
9. पुणे वॉरियर्स
10. कोच्चि टस्कर्स केरला

2012 के आईपीएल के पाँचवे सीजन में चौथे सीजन की एक नई टीम कोच्चि टस्कर्स केरला हट गई और कुल 9 टीमें ही खेलीं।

2012 आईपीएल के 5वें सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली डेयरडेविल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. राजस्थान रॉयल्स
5. कोलकाता नाइट राइडर्स
6. चेन्नई सुपर किंग्स
7. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
8. डेक्कन चार्जर्स
9. पुणे वॉरियर्स

2013 छठे सीजन में पहले सीजन की एक टीम डेक्कन चार्जर्स खत्म हो गई और उसकी जगह नई टीम सनराइजर्स हैदराबाद आई।

2013 आईपीएल के 6वें सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली डेयरडेविल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. राजस्थान रॉयल्स
5. कोलकाता नाइट राइडर्स
6. चेन्नई सुपर किंग्स
7. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
8. सनराइजर्स हैदराबाद
9. पुणे वॉरियर्स

2014 के सातवें सीजन में पुणे वॉरियर्स की टीम भी खत्म हो गई और आईपीएल के छठे सीजन में फिर 8 टीमें खेलीं।

2014 आईपीएल के 7वें सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली डेयरडेविल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. राजस्थान रॉयल्स
5. कोलकाता नाइट राइडर्स
6. चेन्नई सुपर किंग्स
7. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
8. सनराइजर्स हैदराबाद

2015 के आठवें सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स यह दो टीमें मैच फिक्सिंग विवाद के कारण 3 साल के लिए सस्पेंड कर दी गई और आईपीएल के आठवें सीजन में दो नई टीमों की 2 साल के लिए एंट्री हुई।

2015 आईपीएल के 8वें सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली डेयरडेविल
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. कोलकाता नाइट राइडर्स
5. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
6. सनराइजर्स हैदराबाद
7. राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स
8. गुजरात लायन्स

2016 के नवें सीजन में भी सातवें सीजन वाली टीमें खेलीं।

2016 आईपीएल के 9वें सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली डेयरडेविल
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. कोलकाता नाइट राइडर्स
5. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
6. सनराइजर्स हैदराबाद
7. राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स
8. गुजरात लायन्स

2017 के दसवें सीजन में भी पिछले 2 सीजन वाली 8 टीमें में खेली। जो कि इस प्रकार थी।

2017 आईपीएल के 10वेंसीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली डेयरडेविल
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. कोलकाता नाइट राइडर्स
5. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
6. सनराइजर्स हैदराबाद
7. राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स
8. गुजरात लायन्स

2018 में आईपीएल के 11वें सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स की वापसी हुई तथा जो दो नई टीमें शामिल की गई थीं, वह खत्म कर दी गईं। दिल्ली डेयरडेविल्स ने अपना नाम बदलकर दिल्ली कैपिटल्स कर लिया। 2018 की आईपीएल टीमे इस प्रकार थीं…

2018 आईपीएल के 11वें सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली कैपिटल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. कोलकाता नाइट राइडर्स
5. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
6. सनराइजर्स हैदराबाद
7. चेन्नई सुपर किंग्स
8. राजस्थान रॉयल्स

2019 के 12वें सीजन में भी 2018 की तरह ही 8 टीमें खेलीं, जो कि इस प्रकार थीं।

2019 आईपीएल के 12वें सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली कैपिटल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स इलेवन
4. कोलकाता नाइट राइडर्स
5. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
6. सनराइजर्स हैदराबाद
7. चेन्नई सुपर किंग्स
8. राजस्थान रॉयल्स

2020 के 13वें सीजन में भी 2019 की तरह ही 8 टीमें खेलीं।

2020 आईपीएल के 13वें सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली कैपिटल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स
4. कोलकाता नाइट राइडर्स
5. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
6. सनराइजर्स हैदराबाद
7. चेन्नई सुपर किंग्स
8. राजस्थान रॉयल्स

2021 के 14वें सीजन में भी 2020 की तरह ही 8 टीमें खेलीं, जो कि इस प्रकार थीं…

2021 आईपीएल के 14वें सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली कैपिटल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स
4. कोलकाता नाइट राइडर्स
5. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
6. सनराइजर्स हैदराबाद
7. चेन्नई सुपर किंग्स
8. राजस्थान रॉयल्स

2022 के 15वें सीजन दो नई टीमों की एंट्री हुई और आईपीएल की कुल टीमों की संख्या 10 हो गई जो कि इस प्रकार है…

2022 आईपीएल के 15वें सीजन में खेली गई टीमें

1. दिल्ली कैपिटल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स
4. कोलकाता नाइट राइडर्स
5. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
6. सनराइजर्स हैदराबाद
7. चेन्नई सुपर किंग्स
8. राजस्थान रॉयल्स
9. लखनऊ सुपर जायंट्स
10. गुजरात टाइटंस

2023 के आईपीएल के 16वें सीजन में भी कुल 10 टीमें खेल रही हैं, जो कि इस प्रकार हैं…

2023 आईपीएल के 16वें सीजन में खेलने वाली टीमें

1. दिल्ली कैपिटल्स
2. मुंबई इंडियंस
3. पंजाब किंग्स
4. कोलकाता नाइट राइडर्स
5. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
6. सनराइजर्स हैदराबाद
7. चेन्नई सुपर किंग्स
8. राजस्थान रॉयल्स
9. लखनऊ सुपर जायंट्स
10. गुजरात टाइटंस

इस प्रकार आईपीएल के 16 संस्करण (2023 तक) तक कुल 15 टीमें खेल चुकी हैं, जिनमें से 5 टीमें अब आईपीएल में नही खेलती और आईपीएल के कुछ ही सीजन खेली हैं। आईपीएल में अब तक खेली कुछ टीमें इस प्रकार हैं…

1. दिल्ली कैपिटल्स (पहले दिल्ली डेयरडेविल)
2. मुंबई इंडियंस
3. चेन्नई सुपरकिंग्स
4. कोलकाता नाइट राइडर्स
5. पंजाब किंग्स (पहले पंजाब किंग्स इलेवन)
6. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
7. राजस्थान रॉयल्स
8. सनराइजर्स हैदराबाद
9. लखनऊ सुपर जायंट्स
10. गुजरात टाइटंस
11. गुजरात लायन्स
12. डेक्कन चार्जर्स
13. कोच्चि टस्कर्स केरला
14. राइजिंग पुणे सुपर जायंट्स
15. पुणे वॉरियर्स इंडिया

आईपीएल (IPL) के नए सीजन में 2024 में कुल 10 टीमें खेलेंगी।

नई पोस्ट की अपडेट पाने को Follow us on WhatsApp Channel https://whatsapp.com/channel/Mindians.in


Rules of Kabaddi – कबड्डी कैसे खेलें? कबड्डी खेल के नियम और पूरी जानकारी।

सभी एशियन गेम्स में भारत का ओवरऑल प्रदर्शन।

एशियन गेम्स एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा खेल इवेंट है। 1951 से शुरु हुए इस खेल इवेंट के हर संस्करण में भारत ने भाग लिया है। भारत का इन सभी एशियन गेम्स में कैसा प्रदर्शन (India’s performance in All Asia Games) रहा आइए जानते हैं…

भारत का एशियन गेम्स में ओवरऑल प्रदर्शन  (India’s performance in All Asian Games)

एशियन गेम्स एशिया महाद्वीप के देशों के बीच खेले जाने वाला सबसे बड़ा खेल आयोजन है। एशियन गेम्स का जन्मदाता भारत ही था। पहले एशियाई खेल 1951 में भारत में ही राजधानी नई दिल्ली में हुए थे। अर्थात भारत ने ही एशियाई खेलों की नींव डाली।

सन 1950 एशियाई खेलों का आयोजन करना निश्चित हुआ था लेकिन कुछ कारणों से 1950 में एशियाई खेलों का आयोजन नहीं हो पाया और पहले एशियाई खेल 1951 में आयोजित हुए। उसके बाद 3 वर्ष बाद 1954 में दूसरे एशियाई खेल हुए और फिर हर 4 वर्ष बाद एशिया महाद्वीप के अलग-अलग देशों में एशियाई खेलों का आयोजन किया जाने लगा।

1951 से लेकर 2018 तक 18 एशियाई खेलों का आयोजन हो चुका है। 19वें एशियाई खेल चीन के हांगझू शहर में 23 सितंबर से 8 अक्टूबर 2023 के बीच खेले गए।

भारत ने सभी एशियाई खेलों में भाग लिया है। भारत में सभी एशियाई खेलों में कैसा प्रदर्शन किया? (India’s performance in All Asian Games) सभी एशियाई खेलों में भारत के द्वारा किए जाने वाले प्रदर्शन पर एक नजर डालते हैं।

पहले एशियाई खेल (1st Asian Games) │ नई दिल्ली-1951

1951 में पहले एशियन गेम्स भारत में ही खेले गए थे। भारत की राजधानी नई दिल्ली में 4 मार्च 1951 से 11 मार्च 1951 के बीच खेले गए पहले एशियाई गेम्स में भारत सहित कुल 11 देशों ने भाग लिया था।  इन 11 देशों में केवल 8 देशों ने ही पदक तालिका में अपना स्थान बनाया। जापान ने उन 24 स्वर्ण पदक 21 पदक और 15 पदक मिलाकर कुल 60 पदक जीते थे और पदक तालिका में पहला स्थान बनाया। भारत ने पदक तालिका में जापान के बाद दूसरा स्थान बनाया।

1951 के एशियन गेम्स भारत में कुल 15 स्वर्ण पदक 16 रजत पदक और 20 कांस्य पदक सहित कुल  51 पदक जीते।

भारत की पदक तालिका

1st एशियन गेम्स│ 1951 │भारत के कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स10121234
साइक्लिंग0123
गोताखोरी2114
फ़ुटबॉल1001
तैराकी1146
वाटर पोलो1001
भारोत्तोलन0112
कुल15162051

दूसरे एशियाई खेल (2nd Asian Games) │ मनीला-1954

दूसरे एशियन गेम्स 1954 में फिलीपींस की राजधानी मनीला में 1 मई 1954 से 9 मई 1954  के बीच आयोजित किए गए। इन खेलों में कुल 19 देशों ने भाग लिया था। दूसरे एशियन गेम्स में भारत का प्रदर्शन पहले एशियन गेम्स की तुलना में अच्छा नहीं रहा और उसने केवल 4 स्वर्ण पदक, 4 रजत पदक और 8 कांस्य पदक सहित कुल 17 पदक ही जीते। कुल 12 देशों ने पदक तालिका में स्थान बनाया, जिसमें  भारत का स्थान पांचवा रहा।

भारत ने कुल 4 स्वर्ण पदक, 4 रजत पदक और 8 कांस्य पदक जीते। भारत ने कुल 17 पदक जीते और पदक तालिका में पाँचवा स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

2nd एशियन गेम्स │1954│ भारत के कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
व्यायाम53614
कुश्ती0112
गोताखोरी0011
कुल54817

तीसरे एशियाई खेल (3rd  Asian Games) │ टोक्यो-1958

तीसरे एशियाई खेलों का आयोजन 24 मई 1958 से 1 जून 1958 के बीच जापान के टोक्यो शहर में किया गया था। इन एशियाई खेलों में कुल 20 देशों ने भाग लिया। तीसरे एशियन गेम्स में भारत ने पदक तालिका में सातवां स्थान प्राप्त किया। मेजबान देश जापान 67 स्वर्ण पदक 41 रजत पदक और 30 कांस्य पदक जीतकर कुल 138 पदक जीतकर पहले स्थान पर रहा।

भारत ने  5 स्वर्ण पदक 4 रजत पदक और 4 कांस्य पदक जीते। तीसरे एशियन गेम्स में भारत ने सातवां स्थान प्राप्त किया। भारत की पदक तालिका

3rd एशियन गेम्स │1958│ भारत के कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
व्यायाम5229
मुक्केबाज़ी0112
हॉकी0101
वालीबाल0011
कुल54413

चौथे एशियाई खेल (4th Asian Games) │ जकार्ता-1962

चौथे एशियाई खेल 1962 में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में 24 अगस्त 1962 से 4 सितंबर 1962 के बीच आयोजित किए गए। चौथे एशियाड में कुल 17 देशों ने भाग लिया था, जिनमें 12 देशों ने पदक तालिका में स्थान बनाया। भारत का प्रदर्शन पिछले दो एशियन गेम्स के मुकाबले अपेक्षाकृत बेहतर रहा और भारत में पदक तालिका में तीसरा स्थान प्राप्त किया।

भारत ने 10 स्वर्ण पदक 13 रजत पदक और 10 कांस्य पदक जीतकर कुल 21 पदक जीते और पदक तालिका में पांचवा स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

4th एशियन गेम्स │1962│ भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स55414
मुक्केबाज़ी1023
हॉकी0101
फ़ुटबॉल1001
कुश्ती36312
शूटिंग0011
वालीबाल0101
कुल10131033

पाँचवे एशियाई खेल (5th Asian Games) │ बैंकॉक-1966

पाँचवें एशियाई खेल 1966 में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में 9 दिसंबर 1966 से 20 दिसंबर 1966 के बीच आयोजित किए गए। पांचवें एशियाई खेलों में कुल 18 देशों ने भाग लिया था, जिनमें 16 देशों ने पदक तालिका में स्थान बनाया। भारत ने पदक तालिका में पांचवा स्थान प्राप्त किया। जापान ने हमेश की तरह पदक तालिका में पहला स्थान बनाया।

भारत ने 5 स्वर्ण पदक 3 रजत पदक और 11 कांस्य पदक जीते भारत ने कुल 21 पदक जीतकर पदका तालिका में सातवां स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

5th एशियन गेम्स │1966│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स51511
मुक्केबाज़ी1102
हॉकी1001
टेनिस0011
कुश्ती0156
कुल731121

छठे एशियाई खेल ( 6th Asian Games) │ बैंकॉक-1970

छठे एशियाई खेल 9 दिसंबर 1970 से 20 दिसंबर 1970 के बीच थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित किए गए। ये लगातार दूसरे एशियाई खेल थे जो थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित किए गए। इन एशियाई खेलों में 18 भाग लिया था जिनमें से 16 देशों ने पदक तालिका में स्थान बनाया। भारत में तालिका में पांचवां स्थान प्राप्त किया। जापान ने पदक तालिका में पहला स्थान प्राप्त किया।

भारत में कुल 6 स्वर्ण पदक 9 रजत पदक और 10 कांस्य पदक जीते।  इस तरह भारत ने कुल 25 पदक जीतकर पदक तालिका में पांचवां स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

6th एशियन गेम्स │1970│ भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स45514
मुक्केबाज़ी1102
फ़ुटबॉल0011
हॉकी0101
तैरना0101
कुश्ती1135
नौकायन0011
कुल691025

सातवें एशियाई खेल ( 7th Asian Games) │ तेहरान-1974

सातवें एशियाई खेल 1974 में ईरान की राजधानी तेहरान में 1 सितंबर 1974 से 16 सितंबर 1974 के बीच आयोजित किए गए। इन एशियाई खेलों में कुल 19 देशों ने भाग लिया था, जिनमें सभी 19 देशों ने पदक तालिका में स्थान बनाया। भारत ने पदक तालिका में सातवां स्थान प्राप्त किया। जापान हमेशा की तरह पदक तालिका में पहले स्थान पर रहा।

भारत ने कुल 4 स्वर्ण पदक, 12 रजत पदक और 12 कांस्य पदक जीते। इस तरह भारत ने कुल 28 पदक जीतकर भारत पदक तालिका में सातवां स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

7th एशियन गेम्स │1974│ भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स47415
मुक्केबाज़ी0325
बैडमिंटन0011
हॉकी0101
शूटिंग0112
कुश्ती0044
कुल4121228

आठवें एशियाई खेल (8th  Asian Games) │ बैंकॉक-1978

8वें एशियाई खेल एक बार फिर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित किए गए। ये तीसरी बार था, जब बैंकॉक में एशियाई खेल आयोजित किए जा रहे थे। 8वें एशियाई खेल थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में 9 दिसंबर 1978 से 20 दिसंबर 1978 के बीच आयोजित किए गए।

इन खेलों में कुल 25 देशों ने भाग लिया, जिनमें से 19 देशों ने पदक तालिका में अपनी जगह बनाई। भारत ने पदक तालिका में छठा स्थान बनाया। पदक तालिका में जापान सबसे अधिक पदक जीतकर पहले स्थान पर रहा चीनी जनवादी गणराज्य दूसरे, दक्षिण कोरिया तीसरे, उत्तरी कोरिया चौथे और मेजबान थाईलैंड पांचवें स्थान पर रहा।

भारत ने कुल 11 स्वर्ण पदक, 11 रजत पदक और 6 कांस्य पदक जीते। इस तरह भारत ने कुल 28 पदक जीतकर पदक तालिका में छठा स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

8th एशियन गेम्स │1978│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स87318
मुक्केबाज़ी0123
हॉकी0101
नौकायन0101
कुश्ती2103
शूटिंग1001
टेनिस0011
कुल1111628

नौवें एशियाई खेल (9th Asian Games) │ नई दिल्ली-1982

9वें एशियाई खेल अपने जन्मदाता देश यानी कि भारत में वापस आ चुके थे। 9वें एशिाई खेल सन 1982 में भारत की राजधानी दिल्ली में 19 नवंबर 1982 से 4 दिसंबर 1982 के बीच आयोजित किए गए। इन एशियाई खेलों में कुल 33 देशों ने भाग लिया था, जिनमें से 22 देशों ने पदक तालिका में स्थान बनाया।

इन एशियाई खेलों में अप्पू हाथी खेलों का शुभंकर था तथा जंतर मंतर प्रतीक चिन्ह के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। 9वें एशियाई खेलों में भारत ने पदक तालिका में पांचवा स्थान प्राप्त किया। इस बार चीन पदक तालिका में पहले स्थान पर रहा, जापान दूसरे, कोरिया तीसरे डीपीआर कोरिया चौथे स्थान पर रहा।

भारत ने कुल 13 स्वर्ण पदक 19 रजत पदक और 25 कांस्य पदक जीते। इस तरह भारत ने कुल 57 पदक जीतकर पदक तालिका में पांचवा स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

9th एशियन गेम्स │1982│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स49821
बैडमिंटन0055
मुक्केबाज़ी1236
घुड़सवारी3115
हॉकी1102
गोल्फ़2103
रोइंग0011
नौकायन1113
कुश्ती1124
शूटिंग0213
टेनिस0101
वाटर पोलो0011
भारोत्तोलन0022
कुल13192557

दसवें एशियाई खेल (10th Asian Games) │ सिओल-1986

10वें एशियाई खेल सन 1986 में दक्षिणी कोरिया की राजधानी सियोल में 20 सितंबर 1986 से 5 अक्टूबर 1986 के बीच आयोजित किए गए। इन खेलों में कुल 27 देशों ने भाग लिया था, जिनमें से 22 देशों ने पदक तालिका में अपनी जगह बनाई। भारत ने पदक तालिका में पांचवा स्थान प्राप्त किया। पहले स्थान पर चीन, दूसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया, तीसरे स्थान पर जापान और चौथे स्थान ईरान रहा।

भारत में कुल 5 स्वर्ण पदक, 9 रजत पदक और 23 कांस्य पदक सहित कुल 37 पदक जीते। भारत ने पदक तालिका में पांचवा स्थान प्राप्त किया। 10वें एशियाई खेल भारत की उड़न परी के नाम से विख्यात पीटी उषा के नाम रहे क्योंकि भारत के द्वारा जीते गए कुल 5 स्वर्ण पदक में से 4 चार स्वर्ण पदक अकेले पीटी उषा ने ही जीते थे।

भारत की पदक तालिका

10th एशियन गेम्स│1986│ भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदकुल
एथलेटिक्स4239
बैडमिंटन0011
मुक्केबाज़ी0459
घुड़सवारी0022
हॉकी0022
जूदो0044
नौकायन0101
कुश्ती1023
शूटिंग0123
तैराकी0101
वॉलीबाल0011
भारोत्तोलन0011
कुल592337

ग्यारहवें एशियाई खेल (11th Asian Games) │ बीजिंग-1990

11 वे एशियाई खेलों में भारत का बेहद ही लचर प्रदर्शन रहा। 11वें एशियाई खेल 1990 में 22 सितंबर 1990 से 7 अक्टूबर 1990 के बीच चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित किए गए। एशियाई खेलों में 36 देशों ने भाग लिया था, जिनमें से 25 देशों ने पदक तालिका में अपनी जगह बनाई।

भारत का एशियाई खेलों में अभी तक का सबसे लचर प्रदर्शन था और भारत केवल एक स्वर्ण पदक ही जीत पाया। भारत ने पदक तालिका में चीन ने सबसे अधिक 341 पदक जीतकर पहला स्थान प्राप्त किया। दक्षिण कोरिया, जापान, उत्तर कोरिया यहाँ तक पाकिस्तान ने भी भारत से अधिक स्वर्ण पदक जीते।

भारत ने एशियाई खेलों में 1 स्वर्ण पदक पदक तथा 14 पदक सहित कुल 23 पदक जीते। भारत ने पदक तालिका में 12वां स्थान प्राप्त किया। भारत का एकमात्र स्वर्ण पदक कुश्ती की स्पर्धा में आया।

भारत की पदक तालिका

11th एशियन गेम्स │1990│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स0426
मुक्केबाज़ी0011
हॉकी0101
कबड्डी1001
रोइंग0044
नौकायन0022
कुश्ती0112
शूटिंग0011
टेनिस0011
भारोत्तोलन0224
कुल181423

बारहवें एशियाई खेल (12th Asian Games) │ हिरोशिमा-1994

12वें एशियाई खेल 1994 में जापान के हिरोशिमा शहर में आयोजित किए गए। यह खेल 2 अक्टूबर 1994 से 16 अक्टूबर 1994 के बीच आयोजित किए गए थे। 12वें एशियाई खेलों में कुल 42 देशों ने भाग लिया था, जिनमें से 32 देशों ने पदक तालिका में अपनी जगह बनाई। भारत पदक तालिका में आठवें स्थान पर रहा। पदक तालिका में सबसे पहला स्थान चीन ने बनाया, जिसने 125 स्वर्ण पदक सहित कुल 266 पदक जीते। जापान दूसरे, दक्षिणी कोरिया तीसरे स्थान पर रहा।

भारत ने 4 स्वर्ण पदक, 3 रजत पदक और 15 कांस्य पदक जीतकर, कुल 22 पदक जीते। इस तरह भारत ने पदक तालिका में 8वां स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

12th एशियन गेम्स│1994│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स0123
मुक्केबाज़ी0044
डोंगी चालन0011
हॉकी0101
जूडो0011
कबड्डी1001
रोइंग0011
नौका चालन0022
शूटिंग1012
टेनिस2013
भारोत्तोलन0134
कुल431623

तेरहवें एशियाई खेल ( 13th Asian Games) │ बैंकॉक-1998

13वें एशियाई खेल 1998 में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित किए गए। 13वें एशियाई खेल 6 दिसंबर 1998 से 20 दिसंबर 1998 के बीच थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित किए गए। इन खेलों में कुल 41 देशों ने भाग लिया था, जिनमें से 33 देशों ने पदक तालिका में अपनी जगह बनाई। भारत ने पदक तालिका में 9वां स्थान प्राप्त किया। पदक तालिका में पहला स्थान चीन, दूसरा स्थान दक्षिण कोरिया तथा तीसरा स्थान जापान ने प्राप्त किया था।

भारत ने कुल 7 स्वर्ण पदक, 11 रजत पदक और 17 कांस्य पदक जीते। भारत ने कुल 35 पदक जीते और पदक तालिका में 9वां स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

13th एशियन गेम्स│1998│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स26715
क्यू स्पोर्ट्स2114
मुक्केबाज़ी1012
घुड़सवार0011
हॉकी1102
कबड्डी1001
रोइंग0022
शूटिंग0213
टेनिस0044
भारोत्तोलन0101
कुल7111735

चौदहवें एशियाई खेल (14th Asian Games) │ बुसान-2002

14वें एशियाई खेल 2002 में दक्षिणी कोरिया के बुसान शहर में आयोजित किए गए। यह खेल 29 सितंबर 2002 से 14 अक्टूबर 2002 के बीच में आयोजित किए गए थे। 14वें एशियाई खेलों में कुल 44 देशों ने भाग लिया, जिनमें से लगभग 39 देशों ने पदक तालिका में अपनी जगह बनाई। भारत ने 14 वे एशियाई खेलों में पदक तालिका में आठवां स्थान प्राप्त किया। पदक तालिका में चीन ने 150 स्वर्ण पदक जीतकर पहला स्थान. दक्षिणी कोरिया ने दूसरा तथा जापान ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।

भारत ने कुल 10 स्वर्ण पदक, 12 रजत पदक और 13 कांस्य पदक जीते। भारत ने कुल 35 पदक जीते और पदक तालिका में आठवां स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

14th एशियन गेम्स│2002│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स76417
 टेनिस1124
 क्यू स्पोर्ट्स1113
 कबड्डी1001
 गोल्फ़1001
 शूटिंग0202
 नौकायन0123
 हॉकी0101
 तायक्वोंडो0011
 घुड़सवारी0011
 रोइंग0011
 कुश्ती0011
कुल11121336

पंद्रहवें एशियाई खेल (15th Asian Games) │दोहा-2006

15वें एशियाई खेल 2006 में कतर के दोहा शहर में 1 दिसंबर 2006 से 15 दिसंबर 2000 के बीच आयोजित किए गए थे। इन एशियाई खेलों में कुल 45 देशों ने भाग लिया था, जिनमें से 38 देशों ने पदक तालिका में अपनी जगह बनाई। भारत ने इन खेलों में पदक तालिका में आठवां स्थान प्राप्त किया। पदक तालिका में चीन ने 165 स्वर्ण पदक जीतकर कुल 316 पदक जीते और पदक तालिका में पहला स्थान प्राप्त किया। दक्षिण कोरिया और जापान ने दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया।

भारत ने 10 स्वर्ण पदक, 17 रजत पदक और 26 कांस्य पदक जीते। भारत ने पदक तालिका में आठवां स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका 

15th एशियन गेम्स│2006│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलसोनाचाँदीपीतलकुल
शूटिंग35614
टेनिस2204
शतरंज2002
व्यायाम1449
क्यू स्पोर्ट्स1124
कबड्डी1001
रोइंग0213
कुश्ती0156
नौकायन0112
गोल्फ़0101
मुक्केबाज़ी0022
तीरंदाजी0011
घुड़सवार0011
हॉकी0011
स्क्वाश0011
वुशु0011
कुल10172653

सोलहवें एशियाई खेल (16th Asian Games) │जकार्ता-2010

16 एशियाई खेल 2010 में चीन के ग्वांगझू में 12 नवंबर 2010 से 27 नवंबर 2010 के बीच आयोजित किए गए थे। इन एशियाई खेलों में कुल 45 देशों ने भाग लिया था, जिनमें से कुल 37 देशों ने पदक तालिका में अपनी जगह बनाई। भारत ने पदक तालिका में छठा स्थान प्राप्त किया था। चीन ने 199 स्वर्ण पदक जीतकर कुल 416 पदक जीते और पहला स्थान प्राप्त किया। दक्षिण कोरिया और जापान ने क्रमशः दूसरा एवं तीसरा स्थान प्राप्त किया।

भारत ने कुल 14 स्वर्ण पदक, 17 रजत और 33 कांस्य पदक जीते। इस तरह भारत ने कुल 64 पदक जीतकर पदक तालिका में छठा स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

16th एशियन गेम्स│2010│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स52512
मुक्केबाज़ी2349
टेनिस2125
कबड्डी2002
शूटिंग1348
रोइंग1315
क्यू स्पोर्ट्स1124
तीरंदाजी0123
वुशु0112
गोल्फ़0101
नौकायन0101
स्क्वाश0033
कुश्ती0033
शतरंज0022
रोलर स्पोर्ट्स0022
तैराकी0011
कसरत0011
हॉकी0011
कुल14173364

सत्रहवें एशियाई खेल (17th Asian Games) │इंचिओन-2014

17वें एशियाई खेल 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचिओन शहर में 19 सितंबर 2014 से 4 अक्टूबर 2014 के बीच आयोजित किए गए। एशियाई खेलों में भी कुल 45 देशों ने भाग लिया था और 37 देशों ने पदक तालिका में अपनी जगह बनाई। भारत ने पदक तालिका में फिर से आठवां स्थान प्राप्त किया। चीन ने 151 स्वर्ण पदक जीतकर पहला स्थान प्राप्त किया, उसके बाद दक्षिण कोरिया और जापान ने दूसरा एवं तीसरा स्थान प्राप्त किया।

भारत ने कुल 11 स्वर्ण पदक, 10 रजत पदक तथा 36 कांस्य पदक जीते। इस तरह भारत कुल 57 पदक जीतकर पदक तालिका में आठवां स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

17th एशियन गेम्स│2014│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स14712
कबड्डी2002
स्क्वाश1214
शूटिंग1179
टेनिस1135
कुश्ती1135
तीरंदाजी1124
मुक्केबाज़ी1045
हॉकी1012
रोइंग0033
वुशु0022
बैडमिंटन0011
नौकायन0011
तैराकी0011
कुल11103657

अठारहवें एशियाई खेल (18th Asian Games) │जकार्ता-2018

18वें एशियाई खेल इंडोनेशिया के जकार्ता शहर में 2018 में आयोजित किए गए। 18वें एशियाई खेल 18 अगस्त 2018 से 2 सितंबर 2018 के बीच जकार्ता में आयोजित किए गए थे। इन खेलों में कुल 45 एशियाई देशों ने भाग लिया, जिनमें से 37 देशों ने पदक तालिका में अपनी जगह बनाई। भारत ने पदक तालिका में आठवां स्थान प्राप्त किया। चीन में 132 स्वर्ण पदक जीतकर कुल 289 स्वर्ण पदक जीते और पदक तालिका में पहला स्थान प्राप्त किया। जापान ने दूसरा तथा दक्षिणी कोरिया ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। मेजबान इंडोनेशिया चौथे स्थान पर रहा।

भारत में कुल 16 स्वर्ण पदक, 23 रजत पदक तथा 31 कांस्य पदक जीते। भारत ने कुल 69 पदक जीतकर पदक तालिका में आठवां स्थान प्राप्त किया।

भारत की पदक तालिका

18th एशियन गेम्स│2018│भारत द्वारा जीते गए कुल पदक
खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य पदककुल
एथलेटिक्स89320
शूटिंग2439
कुश्ती2013
पुल1023
लॉन टेनिस1023
रोइंग1023
मुक्केबाज़ी1012
तीरंदाजी0202
घुड़सवार0202
स्क्वाश0145
नौकायन0123
बैडमिंटन0112
फील्ड हॉकी0112
कबड्डी0112
सेलिंग0112
वुशु0044
टेबल टेनिस0022
सेपकटकराव0011
कुल16233170

उन्नीसवें एशियाई खेल (19th Asian Games) │हांगझू-2023

19वें एशियाई खेल चीन के शहर हांगझू में हुए। 19वें एशियाई खेल चीन के हांगझू शहर में 23 सितंबर 2023 से 8 अक्टूबर 2023 के बीच खेले गए।

भारत के लिए यह खेल आयोजन बेहद यादगार रहे। भारत ने इस प्रतिष्ठित आयोजन में इस बार सबसे अधिक पदक प्राप्त किये। भारत ने 655 एथलीट का दल भेजा था। जिन्होंने विभिन्न खेल स्पर्धाओं में कुल 107 पदक जीत कर भारत को अपने खेल इतिहास की सबसे बड़ी सफलता दिला दी। इन 107 खेलों में कुल 28 स्वर्ण पदक भी शामिल थे। भारत ने क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन, तैराकी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, कबड्डी, निशानेबाजी जैसी प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीते। भारत ने इस बार कम से कम 100 पदक जीतने का लक्ष्य रखा था, जिसे उसने पूरा भी कर लिया।

भारत पदक तालिका में चौथे स्थान पर रहा भारत ने 28 स्वर्ण पदक , 38 रजत पदक और 41 कांंस्य पदक जीतकर कुल 107 पदक जीते।

भारत की पदक तालिका

खेलस्वर्ण पदकरजत पदककांस्य कांस्यकुल
निशानेबाजी79622
रोइंग0235
क्रिकेट2002
सेलिंग0123
इक्वेस्ट्रियन1012
वुशु0101
टेनिस1102
स्क्वैश2125
एथलेटिक्स614929
गोल्फ0101
बॉक्सिंग0145
बैडमिंटन1113
रोलर स्केटिंग0022
टेबल टेनिस0011
कैनोई स्प्रिंट0011
आर्चरी5229
रेसलिंग0156
सेपकटकराव0011
ब्रिज0101
हॉकी1012
कबड्डी2002
शतरंज0202
कुल283841107

अंत में…

तो इस तरह ये भारत का सभी एशियन गेम्स में ओवरऑल प्रदर्शन रहा है। भारत का सबसे लचर प्रदर्शन 1990 के एशियन गेम्स में रहा जब उसने केवल 1 स्वर्ण पदक ही जीता एशियाई खेलों के अपने इतिहास का अपना सबसे निचला प्रदर्शन किया था और पदक तालिका में 12 वें स्थान पर रहा था।

भारत का एशियाई खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 19वें एशियाड में रहा जो 2023 में चीन के हांगझू शहर में आयोजित किए गए। भारत ने अपने एशियाड खेलों के इतिहास में इस एशियन गेम्स में सबसे अधिक कुल 107 पदक जीते जिसमें सर्वाधिक 19 स्वर्ण पदक थे।


वनडे वर्ल्ड कप के वह मैच जिनमें कमजोर टीमों ने ताकतवर टीमों को हराकर उलटफेर किया

वाराणसी का स्वर्वेद महामंदिर जो संसार का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र है, जानें इसके बारे में।

वाराणसी का स्वर्वेद महामंदिर जो संसार का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र है, जानें इसके बारे में। (Swarved Temple Varansi Largest Meditation Centre)

18 दिसंबर 2023 को वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर (Swarved Temple Varansi) का लोकार्पण होने वाला है। यह महामंदिर वाराणसी के उमरहा गाँव में स्थित संसार का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र है। 18 दिसंबर को एक विशेष कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सबसे बड़े ध्यान केंद्र रूपी महामंदिर का लोकार्पण करेंगे।

सात तल वाला इस विशाल भव्य मंदिर अपने आप में एक अनूठा मंदिर है और यह संसार का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र है। इस ज्ञान केंद्र में 20 हजार व्यक्ति एक साथ ध्यान अवस्था में बैठ सकते हैं।

इस भव्य विशाल मंदिर के बारे में जानते हैं

स्वर्वेद महामंदिर वाराणसी के निकट उमरहा नामक क्षेत्र में स्थित एक विशाल मंदिर है। कहने को इसका नाम मंदिर है, लेकिन यहाँ पर किसी देवता की पूजा नहीं होती है। यहाँ पर किसी भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा नहीं की गई है। यह मंदिर किसी भी भगवान की प्रतिमा से रहित मंदिर है।

जिस तरह हिंदू धर्म में किसी  पवित्र स्थान को मंदिर की संज्ञा दी जाती है। आवश्यक नहीं कि वहां पर कोई देव प्रतिमा ही स्थापित हो, जैसे स्कूल को विद्या का मंदिर कहा जाता है। ससंद भवन को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है। उसी तरह यह मंदिर एक पवित्र जगह है, जहां पर ध्यान लगाया जाता है। यह ध्यान की शैली के लिए प्रसिद्ध एक विशाल भव्य मंदिर है।

स्वर्वेद मंदिर लगभग 18 साल से नियमित तौर पर बन रहा है और अब लगभग पूरा होने वाला है। 7 तलों में बने इस मंदिर में कोई भी कमरा नहीं है बल्कि हर तल पर विशाल हाल हैं, जहां पर ध्यान के इच्छुक साधन ध्यान अवस्था में बैठ सकते हैं। हर तल पर अलग-अलग ध्यान की अवस्था के लिए नियोजित किया गया है।

उमराह गांव में लगभग 64000 स्क्वायर फीट में फैले इस मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। इस मंदिर का निर्माण मकराना मार्बल पत्थरों से किया गया है। यह मंदिर अभी से नहीं बन रहा है बल्कि इसको बनते हुए लगभग 18 साल से अधिक की अवधि हो चुकी है। जैसे-जैसे साधक-श्रद्धालु अपना योगदान देते गए वैसे-वैसे मंदिर के निर्माण की प्रगति होती गई। अब यह मंदिर अपनी पूर्णता की ओर अक्सर है और लगभग पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो गया है।

मंदिर की विशेषताएं

  • स्वर्वेद महामंदिर संसार का सबसे बड़ा विशाल ध्यान केंद्र है।
  • इस मंदिर में सात मंजिल यानी सात तल हैं, जो ज्ञान की अलग-अलग अवस्थाओं के लिए बनाए गए हैं।
  • मंदिर 64000 स्क्वायर फीट जगह में बना हुआ है।
  • मंदिर की लगभग अनुमानित लागत 35 करोड़ बताई जा रही है।
  • मंदिर के भवन की ऊंचाई लगभग 180 फिट है।
  • इस मंदिर का निर्माण मकराला मार्बल के पत्थरों तथा गुलाबी बलुआ पत्थरों से किया गया है और इसको नागर स्थापत्य शैली में बनाया गया है।
  • मंदिर के दीवारों पर 3137 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं। मंदिर की दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है।
  • मंदिर के सबसे ऊपर विशाल 125 पंखुड़ियों वाले कमल के आकार का गुंबद बना हुआ है, जो मंदिर को एक भव्य सुंदरता प्रदान करता है।
  • भवन पूरी तरह भारतीय विरासत को समर्पित है, भारतीय संस्कृति की झलक देखनी मिलती है।
  • भवन का निर्माण विहंगम योग संस्थान द्वारा किया गया है। ये संस्था विहंगम योग सिखाने का कार्य करती है।
  • मंदिर के आगे एक विशाल मैदान है, जहाँ पर 25000 यज्ञ कुंड स्थापित किए गए हैं। हर यज्ञ कुंड पर चार परिवार यज्ञ कर सकते हैं। इस तरह इस विशाल मैदान में एक लाख परिवार एक साथ यज्ञ संपन्न कर सकते हैं।

कहाँ पर स्थित है, मंदिर?

यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी के उमरहा क्षेत्र में स्थित है। उमरहा वाराणसी से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है।

मंदिर कैसे जाएं?

मंदिर जाने के लिए वाराणसी जाकर वहाँ से उमरहा जाया जा सकता है। सारनाथ और कादीपुर स्टेशन के बीच तराया नामक स्टेशन पर उतरकर मंदिर जाना बेहद आसान है। तराया स्टेशन फिलहाल निर्माणाधीन है और शीघ्र ही यह स्टेशन आम जनता के लिए खुल जाएगा। यहाँ से मंदिर जाना बेहद सरल होगा। यह स्टेशन विशेष रूप से मंदिर तक पहुंचाने के लिए ही बनाया जा रहा है।

फिलहाल सारनाथ अथवा कादीपुर रेलवे स्टेशन जाकर वहाँ से मंदिर आराम से पहुंचा जा सकता है। वाराणसी रेल्वे स्टेशन से उमरहा 12 किलोमीटर दूर है। यहाँ से उमरहा के लिए बस अथवा टैक्सी द्वारा जाया जा सकता है।

विहंगम योग क्या है?

विहंगम योग ध्यान की एक शैली है। विहंगम योग शैली का आविष्कार स्वामी सदाफलदेव महाराज ने किया था। उन्होंने इस संस्था की स्थापना 1924 में की थी।

विहंगम योग की यह शैली इतनी अधिक लोकप्रिय हो गई कि संसार के 50 से अधिक देशों में विहंगम योग की शाखाएं चलती हैं। ध्यान की यह एक बेहद शक्तिशाली तकनीक है जो मन को आंतरिक शांति प्रदान करने और स्वयं को पहचानने का मार्ग प्रशस्त करती है। विहंगम योग संस्थान की तरफ से एक त्रैमासिक पत्रिका भी निकलती है, जिसका नाम ‘विहंगम योग संदेश’ है। इसके अलावा सदाफलदेव संदेश नाम एक अन्य पत्रिका भी निकलती है।

सदाफल देव महाराज कौन हैं?

सदाफल देव जी महाराज का जन्म 25 अगस्त 1888 को बलिया उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के पकड़ी नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम स्कंभ मुनि और माता का नाम मुक्तिदेवी था। वह बचपन से अध्यात्म में रम गए थे। अपने गुरु के मार्गदर्शन में उन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त किया और विहंगम योग प्रतिपादित किया। फिर उन्होंने विहंगम योग के प्रचार-प्रसार के लिए विहंगम योग संस्थान की स्थापना 1924 में की थी।

सन 1954 में माघ शुक्ल पक्ष की तिथि के दिन प्रयागराज में संगम के तट पर उन्होंने अपने देह का त्याग करते हुए स्वयं को योगमुद्रा में लीन कर लिया। उनके बाद उनकी परंपरा को संस्थान में आचार्य श्रीप्रभु बढा़ते रहे। 1967 उनके देहत्याग के बाद आचार्य स्वतंत्र देव जी महाराज संस्थान के प्रमुख के रूप में विहंगम योग को आगे बढ़ाते रहे।

आज विहंगम योग विश्व के 50 से अधिक देशों में लोकप्रिय है। वाराणसी के उमरहा गाँव में इसका मुख्यालय है जहाँ पर ये विशाल स्वर्वेद महामंदिर स्थित है।

18 दिसंबर को विहंगम योग संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशाल भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महामंदिर के विशाल भवन का लोकार्पण करेंगे। उसी दिन विशाल यज्ञ समारोह आयोजित किया जाएगा जो मंदिर के प्रागंण मे स्थित विशाल मैदान में 25000 यज्ञ कुंडो मे किया जाएगा। 1 लाख परिवार एक साथ यज्ञ की आहुति देंगे।

 


अल्मोड़ा में गोलू देवता का मंदिर जहाँ प्रार्थना नही शिकायत की जाती है।


स्वर्वेद महामंदिर की वेबसाइट

https://www.swarved-mahamandir.org/


अपडेट पाने के लिए हमें हमारे WhatsApp Channel पर follow करें

https://whatsapp.com/channel/Mindians.in

साई पल्लवी कौन है, जो नितेश तिवारी की रामायण की सीता बनेंगी?

साई पल्लवी कौन है, जो नई फिल्म रामायण की सीता बनेंगी? (Sai Pallavi)

दंगल फिल्म निर्देशन नितेश तिवारी ने रामायण पर भव्य फिल्म बनाने का घोषणा की है। उन्होंने रामायण पर आधारित अपनी महत्वकांक्षी फिल्म के लिए अभिनेता रणबीर कपूर को भगवान राम के रोल में लेने की घोषणा की है। माता सीता के रोल में उन्होंने दक्षिण भारतीय अभिनेत्री साई पल्लवी (Sai Pallavi) को लिया है और रावण के रोल में केजीएफ (KGF) फेम एक्टर यश का नाम चर्चा में है।

साई पल्लवी को माता सीता के रोल में लिए जाने की घोषणा के साथ यह उत्सुकता होती है कि साई पल्लवी कौन हैं? उनकी अभी तक कोई भी हिंदी फिल्म नहीं आई है। साई पल्लवी के बारे में उनका छोटा सा लाइक स्कैन करते हैं।

साई पल्लवी का जीवन परिचय (Life scan of Sai Pallavi)

साई पल्लवी एक दक्षिण भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने तमिल, तेलुगू और मलयालम भाषाओं की अनेक दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम किया है।

साई पल्लवी का पूरा नाम सई पल्लवी सेंथमराई कन्नन है।  उनका जन्म 9 मई 1992 को तमिलनाडु नीलगिरि जिले के कोटागिरि नाम के कस्बे में हुआ था। उनका परिवार बडगा आदिवासी समुदाय का था। उनके पिता का नाम सेंथमराई कन्नन और माता का नाम राधा कन्नन है। उनकी एक छोटी बहन है जिसका नाम पूजा कन्नन है।

साई पल्लवी की आरंभिक पढ़ाई अपने होम टाउन कोयंबटूर में ही हुई। उन्होंने कोयंबटूर के एविला कॉन्वेंट स्कूल से अपनी आरंभिक स्कूली शिक्षा हासिल की। उसके बाद 2016 में उन्होंने जॉर्जिया के 2016 में त्बिलिसी स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। हालाँकि उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई करके एमबीबीएस की डिग्री ली है लेकिन उन्होने अधिकृत प्रैक्टिशनर डॉक्टर के रूप में कभी काम नही किया है।

साई पल्लवी की पहली फिल्म अभिनय का सफर 2005 में कस्तूरी नाम की तमिल फिल्म से हुआ जिसमें उन्होंने एक बाल कलाकार का रोल किया। उसके बाद 2008 में ‘धमाधूम’ नामक की तेलुगु फिल्म में अभिनय किया।

मुख्य अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म 2015 में ‘प्रेमम’ नाम से आई जो कि एक मलयालम फिल्म थी। ये एक रोमांटिक कॉमेडी, जो अल्फोंस पुथ्रेन द्वारा निर्देशित है, जिसमें उन्होंने एक शिक्षक की भूमिका निभाई थी। जब उनसे फिल्म के लिए संपर्क किया गया था, जब वह अपनी मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी, और उन्होंने अपनी छुट्टी के दौरान फिल्म के लिए शूटिंग की। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी हिट रही।

पल्लवी ने इस फिल्म के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए, जिसमें सर्वश्रेष्ठ महिला डेब्यू के लिए फिल्मफेयर अवार्ड्स साउथ 2015 – मलयालम, साउथ इंडियन इंटरनेशनल मूवी अवार्ड्स (SIIMA) 2015 के लिए सर्वश्रेष्ठ फीमेल डेब्यू – मलयालम, और वनीता फिल्म अवार्ड्स 2016 के लिए शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने 2015 में उस साल सर्वश्रेष्ठ न्यूकमर का एशियानेट फिल्म ऑनर स्पेशल जूरी अवार्ड भी जीता।

अपनी दूसरी फिल्म काली (2016) मलयालम में थी। जिसमें नवविवाहित लड़की की भूमिका निभाई। समीर थाहिर द्वारा निर्देशित एक्शन थ्रिलर ने दुल्कर सलमान ने उनके अभिनेता थे। फिल्म 2016 की सबसे बड़ी बॉक्स ऑफिस की सक्सेस मूवी थी। में से एक थी। इसने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री – मलयालम का फिल्मफेयर अवार्ड्स (2016) के लिए नामांकन मिला।

उनकी सेखर कम्मुला की रोमांटिक कॉमेडी फिदा (2017) थी, जो एक तेलुगु फिल्म थी। ये तेलुगु में उनकी पहली फिल्म थी। इसमें वरुण तेजा उनके अभिनेता थे। ये फिल्म भी बेहद सफल रही। इसके लिए उन्हें 2018 का तेलुगु फिल्म फेयर अवार्ड मिला। वेनू श्रीराम द्वारा निर्देशित एक एक्शन कॉमेडी फिल्म MCA मिडिल क्लास अब्बाई (2017) उनकी अगली फिल्म थी।

साई पल्लवी ने अगली फिल्म दीया (2018) थी जो उनकी पहली तमिल फिल्म थी।उनकी अगली फिल्म पडी पदी लेचे मनसू (2018) थी।

उसके बाद उनकी अगली फिल्म मरी 2 (2018) में थी, जिसमें उन्होंने धनुष के साथ काम किया था। इस फिल्म का एक गाना, ‘राउडी बेबी’, YouTube पर दक्षिण भारत के सबसे अधिक देखे जाने वाले संगीत वीडियो में से एक बन गया था।2019 में, साई पल्लवी ने फहद फासिल के अनुकोनी अथिधी (2019) में काम किया।

उन्होंने एनजीके (2019) और एंथोलॉजी ड्रामा पवा कादागाल (2020) जैसी फिल्मों में भी काम किया है. जो नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई थी।

2021 में उनकी दो फिल्में लव स्टोरी (2021) और श्याम सिंघा रॉय (2021) थी, दोनों को बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक रहीं। उन्होंने लव स्टोरी के लिये फिल्मफेयर अवार्ड साउथ (2022) का सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड जीता। साई पल्लवी की अभी तक आखिरी फिल्म गरगी (2022) है, जो गौतम रामचंद्रन द्वारा निर्देशित थी।

फिल्म उद्योग में अपनी यात्रा को जारी रखते हुए, पल्लवी एनजीके (2019) और एंथोलॉजी ड्रामा पाव कादिगल (2020) में दिखाई दिए, जिनमें से उत्तरार्द्ध नेटफ्लिक्स पर जारी किया गया था।

साई पल्लवी एक कुशल अभिनेत्री तथा पेशे से एमबीबीएस डिग्री धारी होने के अलावा एक कुशल क्लासिकल डांसर भी हैं। उन्होंने दक्षिण भारत के कई शो में के कई टीवी चैनलों पर डांस शो में भाग लिया है। उनकी माँ भी एक कुशल नृत्यांगना थीं। अपने स्कूली जीवन में उन्होंने कई सांस्कृतिक नृत्य कार्यक्रमों में भाग लिया था। उन्होंने 2008 में विजय टीवी पर डांस रियलिटी शो शो अनगलिल यार अदुथा प्रभु देवा में भाग लिया तो 2009 में ईटीवी पर भी धी अल्टीमेट डांस शो में भी भाग लिया।

अब उन्हें नितेश तिवारी की रामायण मिली है जिसमें वह रणबीर कपूर के साथ काम करेंगी। रणबीर कपूर भगवान राम के रोल में दिखेंगे तो साई पल्लवी माता सीता के रोल में दिखेंगी। ये उनकी पहली हिंदी फिल्म होगी।

 


Tripti Dimri – एनिमल की वो एक्ट्रेस जिसने रश्मिका मंदाना से ज्यादा लाइम लाइट लूट ली।


अपडेट पाने के लिए हमें हमारे WhatsApp Channel पर follow करें

https://whatsapp.com/channel/Mindians.in

वर्ल्ड कप के वे सभी 8 मैच जिनमे भारत ने पाकिस्तान को हराया।

वर्ल्ड कप के वे सभी 8 मैच जिनमे भारत ने पाकिस्तान को हराया। One-day World Cup India-Pakistan All Clash

13वां वनडे वर्ल्ड कप भारत में चल रहा है। इस वनडे वर्ल्ड कप में 10 टीम में भाग ले रही हैं। 14 अक्टूबर 2023 को भारत और पाकिस्तान के बीच मैच खेला गया। जिसमें भारत ने पाकिस्तान को वनडे वर्ल्ड कप के इतिहास में आठवीं बार हराया, इससे पहले 1992 से लेकर 2019 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच सात मैच हो चुके थे।

इन सातों मैचों में सातों बार भारत को ही जीत प्राप्त हुई। भारत और पाकिस्तान आठ बार वनडे वर्ल्ड कप में एक दूसरे के खिलाफ मैच खेल चुके हैं और हर बार भारत को भी सफलता प्राप्त हुई है

भारत और पाकिस्तान पहली बार 1992 के वर्ल्ड कप में एक दूसरे से मैच खेले थे, हालांकि वनडे वर्ल्ड कप 1975 में ही शुरू हो गया था और 1992 से पहले 4 वर्ल्ड कप हो चुके थे, लेकिन भारत-पाकिस्तान का किसी भी वर्ल्ड कप में आमना सामना नहीं हुआ था। 1992 में भी शायद दोनों टीमों का आमना सामना नहीं होता, अगर टूर्नामेंट का फॉर्मेट राउंड रोबिन आधार पर नहीं होता।

1992 के वर्ल्ड कप में दोनों टीमें पहली बार भिड़ीं। भारत ने पाकिस्तान को हराकर वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ अपने अजेय अभियान की शुरुआत की और  उसके बाद से यह सिलसिला लगातार चल आ रहा है।

2007 के वर्ल्ड कप को छोड़कर दोनों टीमें हर वर्ल्ड कप में भिड़ती रही हैं और हर बार भारत को ही सफलता प्राप्त होती है। भारत ने पाकिस्तान को कब कौन से वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को कैसे हराया इन सभी आठ जीतों पर एक नजर डालते हैं…

1992 का वनडे वर्ल्ड कप

1992 का वर्ल्ड कप था जिसमें भारत और पाकिस्तान पहली बार एक दूसरे से भिड़े। 1992 का वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में खेला गया था। इस टूर्नामेंट का फॉर्मेट राउंड रोमिक आधार पर था। इस वर्ल्ड कप में 9 टीमों ने भाग लिया और सभी टीमों को एक दूसरे से मैच खेलने थे। इसी कारण भारत और पाकिस्तान को भी अपने ग्रुप चरण में एक दूसरे से मैच खेलने था।

1992 में 4 मार्च 1992 को भारत और पाकिस्तान सिडनी के सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में एक दूसरे से खेले। भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 49 ओवर में 7 विकेट होकर 216 रन बनाए। सचिन तेंदुलकर ने 62 गेदों में 54 रन की पारी खेली थी। जवाब में पाकिस्तान की टीम 48.1 ओवर में केवल 173 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। पाकिस्तान की तरफ से आमिर सोहेल ने सबसे अधिक 62 रन बनाए, लेकिन वह अपनी टीम को जीत नहीं दिला सके।

सचिन तेंदुलकर को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था। इस तरह भारत ने पाकिस्तान को पहली बार वर्ल्ड कप में 43 रन से हराया।

1996 का वनडे वर्ल्ड कप

अगला वर्ल्ड कप 1996 में भारत-पाकिस्तान-श्रीलंका में संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। इस वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में टीमों को ग्रुप में बांटा गया था और भारत तथा पाकिस्तान दोनों अलग-अलग ग्रुप में थे। क्वार्टर फाइनल में दोनों टीमों का आमना सामना हुआ।

1996 के वर्ल्ड कप में क्वार्टर फाइनल मुकाबले में भारत और पाकिस्तान का मुकाबला 9 मार्च 1996 को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुआ।

दिन रात के इस मैच में भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 8 विकेट कोकर 287 रन बनाए। जवाब में पाकिस्तान की टीम 49 ओवर में केवल 248 रन ही बना सकी और भारत को 39 रन से विजय प्राप्त हुई।

नवजोत सिद्धू ने इस मैच में 93 रन की पारी खेली थी तथा अंतिम ओवर में अजय जडेजा ने वकार यूनूस के ओवर में 22 कूट दिए थे। यह मैच अजय जडेजा द्वारा वकार यूनुस की धुनाई तथा पाकिस्तान के बैटर आमिर सुहेल और भारतीय गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद के बीच हुई नोंक-झोक के लिए भी जाना जाता है।

वेंकटेश प्रसाद ने इस मैच में तीन विकेट लिए थे। अजय जडेजा ने इस मैच में 24 गेंद में धुआंधार 45 रन बनाए थे। इस मैच में नवजोत सिद्धू को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था।

1999 का वनडे वर्ल्ड कप

1999 का वर्ल्ड कप इंग्लैंड में खेला गया था। इस टूर्नामेंट में भी टीमों को ग्रुप में बांटा गया। भारत और पाकिस्तान दोनों अलग-अलग ग्रुप में थे और दोनों की भिड़ंत ‘सुपर 6’ स्टेज में हुई।

इस वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान 8 जून 1999 को ‘सुपर 6’ स्टेज में एक दूसरे के खिलाफ खेले। इस बार भी भारत में पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 6 विकेट होकर 227 रन बनाए। भारत की तरफ से राहुल द्रविड़ ने सबसे अधिक 61 रन बनाए।

जवाब में पाकिस्तान की टीम 45.3 ओवर में केवल 180 रन बनाकर ऑल आउट हो गई और भारत को 47 रन से विजय प्राप्त हुई। पाकिस्तान के इंजमाम ने अपने सबसे अधिक 41 रन बनाए।

इस मैच में प्लेयर ऑफ द मैच वेंकटेश प्रसाद को घोषित किया गया था, जिन्होंने 27 रन देकर 5 विकेट लिए थे।

2003 का वनडे वर्ल्ड कप

2003 का वनडे वर्ल्ड कप साउथ अफ्रीका में खेला गया। इस टूर्नामेंट में भारत और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में थे, इसीलिए ग्रुप चरण में ही दोनों का मुकाबला हो गया।

इस वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच 1 मार्च 2003 को सेंचुरियन के सेंचुरियन पार्क में आमना सामना हुआ। इस बार पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 7 विकेट होकर कल 273 रन बनाए। पाकिस्तान की तरफ से सईद अनवर ने सबसे अधिक 101 रन बनाए।

जवाब में भारतीय टीम ने सचिन तेंदुलकर के 75 गेंद में 98 रन की बदौलत मात्र 45.4 ओवर में ही 4 विकेट खोकर 276 रन बनाकर 6 विकेट से मैच जीत लिया। सचिन तेंदुलकर को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।

2011 का वनडे वर्ल्ड कप

2003 के बाद 2007 के वनडे वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान दोनों पहले राउंड में ही बाहर हो गएत इसलिए उनका आपस में सामना सामना नहीं हुआ।

2011 के वनडे वर्ल्ड कप में पांचवीं बार भारत और पाकिस्तान का आमना सामना हुआय़ इस बार भी भारत को ही जीत प्राप्त हुई। 2011 का वनडे वर्ल्ड कप भारत में ही खेला गया था।

इस वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच आमना सामना क्वार्टर फाइनल मुकाबले में हुआ। भारत और पाकिस्तान यह दोनों टीमें अलग-अलग ग्रुप में थी। भारत और पाकिस्तान का आमना सामना क्वार्टर फाइनल मुकाबले में हुआ।

क्वार्टर फाइनल में भारत और पाकिस्तान के बीच 30 मार्च 2011 को मोहाली के आईएस बिंद्रा स्टेडियम में मैच खेला गया। इस मैच में भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 9 विकेट खोकर कल 260 रन बनाए। भारत की तरफ से सबसे अधिक रन सचिन तेंदुलकर ने बनाए, जिन्होंने 85 रन बनाए। वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर ने भारत को धुआंधार शुरुआत दी थी।

261 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 49.5 ओवर में 231 रन बनाकर ऑल आउट हो गई और इस तरह भारत ने 29 रन से मैच जीत कर भारत को वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के इतिहास में पांचवीं बार शिकस्त दी। इस मैच में सचिन तेंदुलकर को पहले प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।

2015 का वनडे वर्ल्ड कप

2015 का वनडे वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में खेला गया था। इस वनडे वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही ग्रुप में थे इसलिए ग्रुप चरण में ही दोनों की भिड़ंत हो गई।

इस वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच 15 फरवरी 2015 को कैंडिडेट के एडिलेड ओवल मैदान में मैच खेला गया।

इस मैच में भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में सात विकेट खोकर 300 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। भारत की तरफ से विराट कोहली ने सबसे अधिक 107 रन बनाए। सुरेश रैना ने 74 रन बनाए। जवाब में पाकिस्तान की टीम 47 ओवर में केवल 224 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह भारत को 76 रन से विशाल जीत प्राप्त हुई। विराट कोहली को इस मैच में प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था।

2019 का वनडे वर्ल्ड कप

2019 का वनडे वर्ल्ड कप इंग्लैंड में खेला गया। यह वर्ल्ड कप एक बार फिर राउंड रोबिन आधार फॉर्मेट में खेला गया था, इसीलिए भारत और पाकिस्तान का मुकाबला होना तय था।

इस वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच 16 जून 2019 को मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर मैच खेला गया।

भारत ने 50 ओवर में पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में पाँच विकेट खोकर 336 रन का विशाल स्कोर बनाया ।भारत की तरफ से रोहित शर्मा ने सबसे अधिक 140 रन बनाए, विराट कोहली ने 77 रन बनाए।

जवाब में पाकिस्तान की टीम पाकिस्तान की टीम 40 ओवर में 6 विकेट होकर केवल 212 रन ही बना सकी। पाकिस्तान की तरफ से फखर ज़मान ने 62 रन और बाबर आजम ने 48 रन बनाए थे। बारिश के कारण मैच को पूरा नहीं किया जा सकता था और डकवर्थ-लुइस मैथड के आधार पर भारत को 89 रन की जीत प्राप्त हुई। इस मैच में इस मैच में रोहित शर्मा को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।

2023 का वनडे वर्ल्ड कप

2023 का वनडे वर्ल्ड कप जो कि वर्तमान समय में चल रहा है। ये वनडे वर्ल्ड कप भारत में खेला जा रहा है। यह टूर्नामेंट  राउंड रोबिन आधार पर खेला जा रहा है।

इस वनडे वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान का मुकाबला 14 अक्टूबर 2023 को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हुआ।

भारत ने टॉस जीतकर पहले बॉलिंग करने का निर्णय लिया। पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 43.3 ओवर में कुल 191 रन ही बनाए। जवाब में भारतीय टीम में आसानी से 30.3 ओवर में 192 रन बनाकर मैच जीत लिया। भारत की तरफ से सबसे अधिक 86 रन रोहित शर्मा ने बनाए। जसप्रीत बुमराह को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।

इस तरह भारत और पाकिस्तान अभी तक हुए 13 वनडे वर्ल्ड कप में से आठ बार एक दूसरे से भिड़ चुके हैं और आठो बार भारत को ही विजय प्राप्त हुई है।
भारत और पाकिस्तान का वनडे वर्ल्ड कप में आल टाइम स्कोर 8-0 है।

T20 वर्ल्ड कप

T20 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में भी पाकिस्तान का बुरा हाल है। T20 वनडे वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान 7 बार एक दूसरे से भिड़ चुके हैं, जिसमें छः बार भारत को ही विजय प्राप्त हुई है। भारत केवल एक बार 2021 के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान से हारा।

2007 के पहले T20 वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान का दो बार आमना सामना हुआ। एक बार ग्रुप मैच में और दूसरी बार फाइनल मैच में। दोनो बार भारत की ही जीत मिली। ग्रुप मैच टाइ हो गया था जिसका रिजल्ट बोल्ड आउट मैथड के द्वारा निकाला गया, जिसमें भारत को जीत मिली। फाइनल मैच में भी भारत ने पाकिस्तान को हराया।

2009 और 2010 के T20 वर्ल्ड कप में दोनो टीमों का एक बार भी आमना-सामना नही हुआ।

2012, 2014, 2016, 2021 और 2022 ये सभी T20 वर्ल्ड कप में भारत पाकिस्तान का मैच हुआ। इनमें केवल 2021 के वर्ल्ड कप में ही पाकिस्तान ने भारत को हराया था। बाकी सभी T20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान हमेशा भारत से हारा।

इस तरह T20 वर्ल्ड कप में भी भारत-पाकिस्तान के मैच का स्कोर 6-1 है।

One-day World Cup India-Pakistan All Clash


वनडे वर्ल्ड कप के वह मैच जिनमें कमजोर टीमों ने ताकतवर टीमों को हराकर उलटफेर किया

वनडे वर्ल्ड कप के वह मैच जिनमें कमजोर टीमों ने ताकतवर टीमों को हराकर उलटफेर किया

वनडे वर्ल्ड कप के वह मैच जिनमें कमजोर टीमों ने ताकतवर टीमों को हराकर उलटफेर किया (Upsetting matches of one-day world cup)

वनडे वर्ल्ड कप चल रहा है, इस वनडे वर्ल्ड कप में अभी तक दो उलटफेर वाले हो चुके हैं। इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका जैसी मजबूत टीमों को कमजोर मानी जाने वाली अफगानिस्तान और नीदरलैंड्स जैसी टीमों ने हराकर इस वर्ल्ड कप में दो बड़े उलटफेर कर दिए हैं।

अभी आधा टूर्नामेंट बाकी है, इसलिए ये उलटफेर वाले मैचों में हार इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका को काफी प्रभावित कर सकती है और आगे रन रेट का मामला फंसने पर इन दोनों टीमों में से कोई एक या दोनों टीमों पर इसका पूरा असर पड़ सकता है।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि वर्ल्ड कप में किसी कमजोर टीम ने बड़ी टीम को हराकर उलटफेर किया हो। इससे पहले जितने वर्ल्ड कप हुए हैं, उनमें अक्सर कोई ना कोई उलटफेर मैच होता रहा है। पहले के कई वर्ल्ड कप में भी कमजोर मानी जाने वाली टीमों ने ताकतवर टीमों को हराया है और उलटफेर किया है। कुछ टीमें तो इस उलटफेर से बुरी तरह प्रभावित भी हुईं थीं।

आइए ऐसे ही कुछ उलटफेर के बारे में जानते हैं…

1979 का वनडे वर्ल्ड कप 

वर्ल्ड कप का पहला उलटफेर 1979 के दूसरे वर्ल्ड कप में हुआ, जब बेहद कमजोर माने जाने वाली श्रीलंका की टीम ने भारत को हराया। भारत की टीम उसे समय अच्छी खासी प्रतिष्ठित टीम थी, जबकि श्रीलंका की टीम को टेस्ट मैच खेलने का दर्जा भी हासिल नहीं हुआ था।

भारत और श्रीलंका के बीच 16 से 18 जून के बीच प्रूडेंशियल वर्ल्ड कप का मैच खेला गया। वर्षा के कारण मैच बाधित हुआ था इसलिए दो दिनों में संपन्न हो पाया 16 तारीख को वर्षा के कारण मैच पूरा नहीं हुआ। 17 तारीख को संडे के कारण मैच नहीं खेला गया और 18 तारीख को रिजर्व डे को दोबारा से मैच खेला गया। इस मैच में श्रीलंका ने भारत को  47 रन से हराकर किसी वर्ल्ड कप टूर्नामेंट का पहला उलटफेर किया।

श्रीलंका ने पहले बैटिंग करते हुए 5 विकेट पर कुल 238 रन बनाए। जवाब में भारत की टीम केवल 191 रन पर ढेर हो गई।

1983 का वनडे वर्ल्ड कप

वर्ल्ड कप का दूसरा उलटफेर 1983 में हुआ और इसका शिकार वर्ल्ड की जानी-मानी टीम ऑस्ट्रेलिया हुई। तब जिम्बॉब्वे जैसी नौसिखिया टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर सनसनी मचा दी।

1983 में इंग्लैंड में हुए तीसरे वर्ल्ड कप में 9 जून 1983 को जिम्बॉब्वे और ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच हुआ। जिम्बॉब्वे ने निर्धारित 60 ओवर में 6 विकेट होकर 239 रन बनाए। जवाब में ऑस्ट्रेलिया की टीम 60 ओवर में 7 विकेट खोकर केवल 226 रन बना सकी और उसे जिम्बॉब्वे के हाथों 13 रन की हार का सामना करना पड़ा।

इस तरह जिम्बॉब्वे ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर उस समय का सबसे बड़ा उलटफेर किया था। जिम्बॉब्वे बेहद नौसिखिया टीम थी और टेस्ट मैच भी नहीं खेलती थी। वर्ल्ड कप में भी वह पहली बार खेल रही थी। उसे टेस्ट मैच खेलने का दर्जा भी लगभग 9 साल बाद 1993 मे मिला था।

1987 के वर्ल्ड कप में कोई भी बड़ा उलटफेर नहीं हुआ। सभी बड़ी टीमें अपना मैच आसानी से जीत गईं थीं।

1992 का वनडे वर्ल्ड कप 

वर्ल्ड कप का तीसरा उलटफेर 1992 के वर्ल्ड कप में हुआ, जब बेहद कमजोर मानी जाने वाली जिम्बॉब्वे की टीम ने बेहद ताकतवर मानी जाने वाली इंग्लैंड की टीम को ग्रुप मैच में हरा दिया।

उस समय जिम्बॉब्वे की टीम को टेस्ट मैच खेलने का दर्जा तक नहीं मिल पाया था, जबकि इंग्लैंड की टीम वर्ल्ड की प्रतिष्ठित टीम थी और उस टूर्नामेंट में फाइनल में भी पहुंची थी, लेकिन 18 मार्च 1992 को खेले गए मैच में जिम्बॉब्वे ने इंग्लैंड को 9 रन से हराकर सनसनी मचा दी। जिम्बॉब्वे 1983 में भी ऑस्ट्रेलिया को हराकर ये कारनाम पहले भी कर चुका था।

जिम्बॉब्वे ने पहले बैटिंग करते हुए कल 40.8 ओवर में 134 रन बनाए। जवाब में इंग्लैंड जैसी टीम 49.1 ओवर में कुल 125 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह जिम्बॉब्वे ने 9 दिन से हराकर एक बड़ा उलटफेर कर दिया। हालाँकि इससे इंग्लैंड टीम पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने आगे लंबा सफर तय किया और फाइनल तक पहुंची।

1996 का वनडे वर्ल्ड कप

वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के इतिहास में तीसरा बड़ा उलटफेर 1996 के वर्ल्ड कप में देखने को मिला, जब केन्या जैसी बेहद कमजोर समझी जाने वाली टीम ने वेस्टइंडीज जैसी दो बार की वर्ल्ड चैंपियन टीम को हरा दिया। केन्या ने पहली बार वर्ल्ड कप में भाग लिया था जबकि वेस्टइंडीज दो बार वर्ल्ड चैंपियन रह चुकी थी।

29 फरवरी 1996 को पुणे में खेले गए मैच में केन्या ने वेस्टइंडीज को 73 रन से हराकर एक बड़ा उलटफेर कर दिया। केन्या ने पहले बैटिंग करते हुए 49.3 ओवर में कुल 166 रन बनाए। जवाब में वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम 35.5 ओवर में केवल 93 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी बेहद कमजोर माने जाने वाली टीम ने वर्ल्ड चैंपियन टीम को हराया हो हराया हो

हालांकि इस उलटफेर से वेस्टइंडीज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि उसने आगे टूर्नामेंट में सेमीफाइनल भी खेला और सेमीफाइनल में वह ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी।


1999 का वर्ल्ड कप

वर्ल्ड कप के इतिहास में चौथा बड़ा उलटफेर 1999 के वर्ल्ड कप में देखने को मिला, जब जिम्बॉब्वे ने भारत को तीन रन से हराकर एक बड़ा उलटफेर कर दिया।

जिम्बॉब्वे की टीम उस समय की कमजोर टीमों में से एक टीम थी, जबकि भारत की टीम एक मजबूत टीम थी और वह एक बार वर्ल्ड चैंपियन भी रह चुकी थी, लेकिन जिम्बॉब्वे ने भारत को तीन रन से हरा दिया।

19 मई 1999 को इंग्लैंड में हुए वर्ल्ड कप मैच में जिम्बॉब्वे ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 9 विकेट पर 252 रन बनाए। जवाब में भारत की टीम 45 ओवर में केवल 249 रन बनाकर ही ऑल आउट हो गई। इस तरह जिम्बॉब्वे ने भारत को 3 रन से हराकर सनसनी मचा दी।

इसी वर्ल्ड कप में जिम्बॉब्वे ने एक और उलटफेर कर दिया, जब उसने साउथ अफ्रीका जैसी मजबूत टीम को 48 रन से हराया।

29 मई 1999 को जिम्बॉब्वे और साउथ अफ्रीका के बीच खेले गए मैच में जिम्बॉब्वे ने 50 ओवर में 6 विकेट खोकर 233 रन बनाए। जवाब में साउथ अफ्रीका की टीम 47.2 ओवर में कुल 185 रन पर ही ऑल आउट हो गई। इस तरह इस टूर्नामेंट में जिम्बॉब्वे ने भारत और साउथ अफ्रीका दो मजबूत टीमों को हराकर टूर्नामेंट में सनसनी मचा दी थी।

इसी वर्ल्ड कप में एक तीसरा उलटफेर फिर देखने को मिला, जब बांग्लादेश जैसी कमजोर टीम ने पाकिस्तान को 5 विकेट से हराकर एक बड़ा उलटफेर कर दिया।

31 मई 1999 को बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच खेले गए मैच में बांग्लादेश ने 50 ओवर में 9 विकेट खोकर 223 रन बनाए। जबाव में पाकिस्तान की टीम 44.3 ओवर में केवल 161 रन बनाकर आल आउट हो गई।

इस तरह 1999 का वर्ल्ड कप तीन बार उलटफेर वाले मैचों के लिए जाना जाता है।

भारत जब जिम्बॉब्वे से हार गया तो उस पर इसका प्रभाव भी पड़ा और वह आगे चरण के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया। यदि भारत जिंबॉब्वे से वह मैच नहीं हारता तो वह अगले चरण के लिए क्वालीफाई कर सकता था जबकि पाकिस्तान पर बांग्लादेश की हार का कोई फर्क नहीं पड़ा और वह उस वर्ल्ड कप का फाइनल मैच भी खेला था।


2003 का वनडे  वर्ल्ड कप

वर्ल्ड कप का सातवां उलटफेर 2003 के वर्ल्ड कप में देखने को मिला, जब श्रीलंका जैसी मजबूत टीम को केन्या जैसी कमजोर टीम ने हरा दिया।

श्रीलंका की टीम 2003 तक अच्छी पहचान बना चुकी थी और एक बार वर्ल्ड चैंपियन भी बन चुकी थी, जबकि केन्या की टीम अभी भी कमजोर टीम ही मानी जाती थी।

24 फरवरी 2003 को दक्षिण अफ्रीका में खेले गए मैच में केन्या ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 9 विकेट कोकर 210 रन बनाए जवाब में श्रीलंका की टीम 45 ओवर में मात्र 157 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह श्रीलंका ने केन्या ने श्रीलंका को 53 रन से हराकर एक बड़ा उलटफेर कर दिया।

हालांकि इस उलटफेर का दोनों टीमों पर कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि यह सुपर सिक्स स्टेज थी, जिसमें श्रीलंका और केन्या दोनों टीमें पहुंची थीं और आगे दोनों टीमों ने सेमीफाइनल भी खेला। उस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भारत, ऑस्ट्रेलिया, केन्या और श्रीलंका यह चार टीमों ने सेमीफाइनल खेला था।


2007 का वर्ल्ड कप

2007 के वर्ल्ड कप में दो बड़े उलटफेर हुए। यह दोनों बड़े उलटफेर भारत और पाकिस्तान जैसी मजबूत टीमों के विरुद्ध हुए।

इन दोनों बड़े उलटफेर मैचों का परिणाम यह हुआ कि भारत और पाकिस्तान जैसी विश्व चैंपियन टीमें  2007 के वर्ल्ड कप में पहले दौर में ही बाहर हो गईं।

2007 के वर्ल्ड कप में बांग्लादेश जैसी कमजोर टीम ने भारत जैसी मजबूत टीम को हराकर सनसनी मचा दी। इस हार का परिणाम यह हुआ कि भारत को पहले दौर से ही बाहर होना पड़ा।

17 मार्च 2007 को भारत और बांग्लादेश के बीच मैच हुआ। भारत ने पहले बैटिंग करते 43.3 ओवर में कल 191 रन बनाए और ऑल आउट हो गई। जवाब में बांग्लादेश ने 48.3 ओवर में 5 विकेट कोकर 192 रन बनाकर मैच जीत लिया।

बांग्लादेश द्वारा इस हार के कारण भारत टूर्नामेंट के पहले दौर से ही बाहर हो गया क्योंकि उसने इस टूर्नामेंट में केवल बरमूडा के खिलाफ ही एक मैच जीता था। उसे बांग्लादेश और श्रीलंका दोनों से हार का सामना करना पड़ा था।

इसी वर्ल्ड कप में दूसरा उलटफेर तब हुआ, जब पाकिस्तान को आयरलैंड ने हराकर सनसनी मचा दी। 17 मार्च 2007 को किंग्सटन के सबीना पार्क में खेले गए मैच में पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 45.4 ओवर में कुल 132 रन बनाए और ऑल आउट हो गई। जवाब में आयरलैंड जैसी कमजोर टीम ने 41.5 ओवर में 7 विकेट खोकर कल 133 रन बना लिए और उसने पाकिस्तान को तीन विकेट से हराकर मैच जीत लिया। इस तरह आयरलैंड ने पाकिस्तान को हराकर उसे टूर्नामेंट से भी बाहर कर दिया।

भारत और पाकिस्तान दोनों टीमें टूर्नामेंट के पहले दौर से ही बाहर हो गईं। यह वर्ल्ड कप के इतिहास में पहली बार हुआ था।

2011 का वर्ल्ड कप

2011 में भी एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला, जब आयरलैंड जैसी कमजोर टीम ने इंग्लैंड को हराकर एक बड़ा उलटफेर कर दिया।

2011 के वर्ल्ड कप में इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच बेंगलुरु के और चिन्नास्वामी स्टेडियम में मैच हुआ। इंग्लैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 8 विकेट होकर 327 रन बनाए। जवाब में आयरलैंड जैसी कमजोर टीम ने 49.1 ओवर में 7 विकेट खोकर 329 रन बनाकर मैच जीत लिया। इस तरह आयरलैंड ने इंग्लैंड को 3 विकेट से हराकर एक बड़ा उलटफेर करते हुए सनसनी मचा दी। हालाँकि इंग्लैंड पर इस हार का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा और वह अगले दौर यानी क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई कर गई थी, जबकि आयरलैंड टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी क्योंकि उसे बाकी पाँच में से चार मैचों में हार का सामना करना पड़ा था।

2015 का वर्ल्ड कप

2015 के वर्ल्ड कप में भी एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला, जब आयरलैंड ने वेस्टइंडीज को हराकर उलटफेर कर दिया।

2015 के वर्ल्ड कप में आयरलैंड और वेस्टइंडीज के बीच 16 फरवरी 2015 को न्यूजीलैंड में नेल्सन के सेक्सस्टोन ओवल मैदान में मैच हुआ। वेस्टइंडीज ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 7 विकेट होकर 304 रन बनाए। जवाब में आयरलैंड की टीम ने 45.5 ओवर में 6 विकेट कोकर 307 रन बनाकर चार विकेट से मैच जीत लिया। इस तरह उसने वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम को हराकर उलटफेर तो किया लेकिन इस उलटफेर का टूर्नामेंट का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

वेस्टइंडीज अगले दौर यानि सुपर 8 के चरण के लिए क्वालीफाई कर गई थी। हालाँकि आयरलैंड और वेस्टइंडीज से बहुत अधिक पीछे नहीं थी और उसके वेस्टइंडीज के समान ही पॉइंट थे, लेकिन रन रेट के मामले में ऑनलाइन की टीम थोड़ा सा चूक गई। यदि आयरलैंड वेस्टडंडीज को थोड़ा और अधिक रनों के अंतर से हराती तो वह वेस्टइंडीज की जगह सुपर 8 यानि क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई कर जाती।

2019 का वर्ल्ड कप

2019 में इंग्लैंड में हुए वर्ल्ड कप में बांग्लादेश ने साउथ अफ्रीका को हराकर उलटफेर किया। बांग्लादेश की टीम इतनी कमजोर टीम नही थी लेकिन वह बहुत अधिक मजबूत टीम भी नही है।

2019 के वर्ल्ड कप में बांग्लादेश और साउथ अफ्रीका के बीच 2 जून 2019 को लंदन के द ओवल में मुकाबला हुआ। बांग्लादेश ने 50 ओवर में 6 विकेट कोकर 330 रन बनाए जवाब में साउथ अफ्रीका की टीम 50 ओवर में 8 विकेट होकर केवल 309 रन की बना सकी। इस तरह बांग्लादेश ने साउथ अफ्रीका को 21 रन से हराकर एक बड़ा उलटफेर  किया। हालाँकि की इससे दोनों टीमों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि दोनों ही टीमें सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करने से चूक गई थीं।

2023 का वर्ल्ड कप

2023 के वर्ल्ड कप में अभी तक दो उलटफेर हो चुके हैं। 2023 के वर्ल्ड कप में पहला उलटफेर इंग्लैंड और अफगानिस्तान के बीच हुए मैच में देखने को मिला, जब अफगानिस्तान ने इंग्लैंड को हराकर इस टूर्नामेंट का पहला बड़ा उलटफेर कर दिया।

2023 के वर्ल्ड कप में इंग्लैंड और अफगानिस्तान के बीच नई दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में 15 अक्टूबर 2023 को मैच हुआ। अफगानिस्तान ने 49.5 ओवर में पहले बैटिंग करते हुए ऑल आउट होकर 284 रन बनाए। जवाब में इंग्लैंड की टीम 40.3 ओवर में 215 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह अफगानिस्तान ने 69 रन से इंग्लैंड को हराकर मैच जीता और टूर्नामेंट का पहला उलटफेर कर दिया।

टूर्नामेंट का दूसरा उलटफेर 17 अक्टूबर 2023 को साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड की टीम के बीच मैच में हुआ। साउथ अफ्रीका की टीम पहले दो मैच बड़े अंतर से जीत चुकी थी और टूर्नामेंट में बेहद मजबूत नजर आ रही थी। वह वैसे भी मजबूत टीम मानी जाती है। नीदरलैंड्स की टीम उसके सामने काफी कमजोर है लेकिन नीदरलैंड्स ने फिर भी साउथ अफ्रीका को हराकर उलटफेर कर दिया।

17 अक्टूबर 2023 को नीदरलैंड्स और साउथ अफ्रीका के बीच हुए मैच में नीदरलैंड्स ने पहले बैटिंग करते हुए 43 ओवर में 8 विकेट खोकर 245 रन बनाए। जवाब में साउथ अफ्रीका की टीम 42.5 ओवर में केवल 207 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह नीदरलैंड्स ने साउथ अफ्रीका को 38 रन से हराकर इस टूर्नामेंट का दूसरा बड़ा उलटफेर कर दिया।

अभी तक टूर्नामेंट पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, इसलिए इन दोनो उलटफेर का चारों टीमों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ये देखना होगा। हो सकता है कि इस टूर्नामेंट में आगे भी कोई बड़ा उलटफेर देखने को मिले।

संक्षेप में कहा जाए तो वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के इतिहास में हर बड़ी टीम किसी कमजोर टीम से हार कर उलटफेर का शिकार हुई है, केवल न्यूजीलैंड एक ऐसी टीम है जो अब वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में अभी तक किसी कमजोर टीम से हार कर उलटफेर का शिकार नहीं हुई है।
केवल न्यूजीलैंड ही इसका अपवाद है, नहीं तो भारत, पाकिस्तान ,ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज  और श्रीलंका जैसी वर्ल्ड चैंपियन टीमें तथा साउथ अफ्रीका जैसी प्रतिष्ठित टीमें, ये सभी टीमें वर्ल्डकप टूर्नामेंट में उलटफेर का  शिकार हुई हैं।

Upsetting matches of One-day World Cup


Rules of Kabaddi – कबड्डी कैसे खेलें? कबड्डी खेल के नियम और पूरी जानकारी।

अल्मोड़ा में गोलू देवता का मंदिर जहाँ प्रार्थना नही शिकायत की जाती है।

अल्मोड़ा गोलू देवता का मंदिर जहाँ प्रार्थना नही शिकायत की जाती है। (Golu Devta Mandir)

मंदिर में हम सभी प्रार्थना के लिए जाते हैं। जब हम मंदिर जाते हैं तो भगवान से कुछ ना कुछ मांगते हैं अथवा अपने अच्छे जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं? हम भगवान के मंदिर में जाकर भगवान से के आगे गिड़गिड़ाते हैं, उनसे प्रार्थना करते हैं कि वह हमारी समस्याओं को सुलझा दें। सभी मंदिरों में भक्त अपनी कोई ना कोई इच्छा-कामना आदि लेकर पहुंचते हैं और चाहते हैं कि भगवान उनकी इच्छा कामना को पूरा करें, लेकिन क्या आपने कोई ऐसा मंदिर सुना है जहाँ पर जाने वाले भक्त भगवान से जाकर शिकायत करते हैं।

जी हाँ, एक ऐसा मंदिर भी है, जहाँ पर जाने वाले भक्तगण भगवान से प्रार्थना नहीं बल्कि उनसे शिकायत करते हैं। यह चिताई गाँव के गोलू देवता का मंदिर (Golu Devta Mandir) है। यह मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह एक ऐसा अनोखा मंदिर है। जहां पर भक्त अपनी शिकायतें लेकर पहुंचते हैं और देवता के चरणों में अपनी शिकायत को अर्पण करते हैं।

यह देवता गोलू देवता हैं। यहां पर मंदिर में आने वाले भक्त एक कागज पर अपनी शिकायत लिखकर मंदिर में वह कागज चढ़ा देते हैं और चढ़ावे के रूप में पैसा नहीं बल्कि घंटियां चढ़ाते हैं।

कहां है गोलू देवता का मंदिर

गोलू देवता का मंदिर अल्मोड़ा जिले के चिताई गांव में स्थित है। यह इस गांव उत्तराखंड अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर की दूरी पर पिथौरागढ़ हाइवे पर स्थित है। ये काठगोदाम रेलवे स्टेशन से बेहद नजदीक है। मंदिर में हर समय शिकायत लेकर आने वाले लोगों का मेला लगा रहता है। मंदिर में अंदर सफेद घोड़े पर गोलू देवता की मूर्ति विराजमान है।

Golu Devta Temple

कौन हैं गोलू देवता ?

गोलू देवता को भगवान शिव (भैरव) के अवतार के रूप में जाना जाता है। यहां आसपास के लोगों की मान्यता है कि वह भगवान शिव के अवतार हैं और उनकी आसपास के पूरे क्षेत्र में पूजा की जाती है। उन्हें न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि वह अपने भक्तों की शिकायत को सुनकर उसका न्याय करते हैं। इसीलिए सभी यहां पर आने वाले भक्त शिकायत लेकर आते हैं। गोलू देवता गोलू देवता को आसपास के गाँव में कुल देवता को रूप में भी पूजा जाता है। उत्तराखंड में गोलू देवता के कई मंदिर हैं, लेकिन चिताई गाँव का गोलू देवता का मंदिर सबसे अधिक प्रसिद्ध है।

गोलू देवता Golu Devta
गोल देवता की मूर्ति

चिताई गोलू देवता के मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर में गोलू देवता के बारे में मान्यता है कि यहां पर जाकर अपनी शिकायत करने पर उसे शिकायत से संबंधित समस्या गोलू देवता के आशीर्वाद से सुलझ जाती है।

इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त आते है। केवल उत्तराखंड ही नही बल्कि भारत के कोने-कोने से और विदेशों से भी भक्त अपनी शिकायत लेकल यहाँ पहुँचते हैं।

यहां पर आने वाले भक्त दूर-दूर से वक्त लोग आते हैं और अपनी शिकायत एक कागज अथवा स्टांप पेपर पर लिखकर गोलू देवता के चरणों में चढ़ा देते हैं। बताते हैं कि गोलू देवता भक्तों की समस्याओं शिकायत को दूर कर देते हैं।

यहां पर चढ़ावे के रूप में पैसा या प्रसाद नही चढ़ाया जाता बल्कि चढ़ावे के रूप में भक्त लोग यहां पर घंटियां बांधते हैं। यही गोलू देवता के यहां चढ़ावा चढ़ाने की प्रथा है। इसलिए मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में घंटियां बंधी हुई दिख जाएंगी।

यहाँ पर जिसको अपनी समस्या शिकायत करनी है और उसका न्याय चाहिए उसे एक कागज पर अपनी शिकायत लिखकर लानी होती है। कुछ भक्त लोग तो स्टाम्प पेपर पर अपनी शिकायत लिखकर लाते हैं। अपनी शिकायत का कागज देवता के चरणो अर्पित कर देने पर शीघ्र ही उस पर न्याय होता है।

गोलू देवता के मंदिर कैसे जाएं

गुरु देवता का मंदिर अल्मोड़ा जिले के चिताई नामक गांव में स्थित है। चिताई गाँव अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ पर यदि ट्रेन से आना है तो काठगोदाम रेल्वे स्टेशन सबसे नजदीक है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर उतरकर वहां से नैनीताल जागर वहां नैनीताल से टैक्सी द्वारा आसानी से गोलू देवता के मंदिर पहुंचा जा सकता है।

यदि दिल्ली से जाना है तो दिल्ली से अल्मोड़ा के लिए सीधे बस मिलती है। आनंद विहार रेलवे स्टेशन से दिल्ली अल्मोड़ा के लिए सीधे बस मिलेगी वहां से चितई गांव तक टैक्सी से जाया जा सकता है, नहीं तो अल्मोड़ा से हल्द्वानी के लिए बस पड़कर हल्द्वानी से अल्मोड़ा के लिए बस ली जा सकती है और वहां से चितई गांव के लिए किसी सवारी के माध्यम से जाया जा सकता है।

यदि विशेष रूप से मंदिर के दर्शन करने जाना है तो 3 दिन का समय लग सकता है। इसीलिए 3 दिन का समय के अनुसार शेड्यूल बनाकर ही मंदिर के दर्शन करने के लिए जाएं। एक व्यक्ति का सामान्य खर्चा ₹5000 से ₹7000 तक आ सकता है।


दिसंबर 2023 महीने में ये व्रत-त्योहार आने वाले हैं, जान लीजिए

Rules of Kabaddi – कबड्डी कैसे खेलें? कबड्डी खेल के नियम और पूरी जानकारी।

कबड्डी एक खेल है, इसके बारे में कौन नहीं जानता । सब इसके बारे में जानते है, और बहुत ख़ुशी से खेलते है। आज हर बच्चे की जुबान पर इसका नाम है ‘एक कबड्डी दो कबड्डी खेल कबड्डी। आज हम कबड्डी खेल की जानकारी और नियम (Rules of Kabaddi) के बारे में विस्तार से जानेगे

कबड्डी खेल का परिचय

जो मुख्य रूप से भारतीय उप महाद्वीप में खेली जाती है । ‘कबड्डी’ नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है, इस खेल को दक्षिण में ‘चेडुगुडु’ और पूर्व तथा पश्चिम भारत में ‘हु-तू-तू’ के नाम से भी जानते हैं । यह खेल भारत के पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी उतना ही लोकप्रिय है ।

कबड्डी, बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल भी है । आधुनिक कबड्डी इसी का संशोधित रूप है, जिसे विभिन्न जगहों पर अन्य कई नामों से जाना जाता है । यह विश्व स्तरीय ख्याति सन 1936 में बर्लिन ओलिंपिक से मिली । सन 1938 में इसे कलकत्ता में राष्ट्रीय खेलों में सम्मिलित किया गया । सन 1950 में अखिल भारतीय कबड्डी फेडरेशन का गठन हुआ और कबड्डी खेले जाने के नियम मुक़र्रर किए गए । इसी फेडरेशन को ‘अमैच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से सन 1972 में पुनर्गठित किया गया । इसका प्रथम राष्ट्रीय टूर्नामेंट चेन्नई में खेला गया ।

कबड्डी संबंधी कुछ तथ्य

  • राष्ट्रीय खेल है : बांग्लादेश
  • अधिकतम खिलाड़ी : 12 खिलाड़ी होते हैं
  • कबड्डी मैदान माप : पुरुषों के लिए ( 13X10 मीटर)
  • महिलाओं के लिए : (12X8 मीटर)
  • खेल समय सीमा : पुरुषों का 40 मिनट और
  • महिलाओं का : 30 मिनट का होता है.
  • रेड समय : 30 सेकंड
  • भारत में शुरुआत : 1915 और 1920 में
  • अन्य नाम : हु तू तू और चेडुगुडु.
  • पहला विश्व कप : 2004 में
  • वजन मापदंड : सीनियर पुरुषों के लिए 85kg
  • सीनियर महिलाओं के लिए : 75kg
  • जूनियर पुरुषों के लिए : 70kg
  • जूनियर गर्ल्स के लिए : 65kg
  • ब्रेक टाइम : 5 मिनट
  • महिला कबड्डी विश्वकप पहली बार : 2012 में
  • भारत कबड्डी फेडरेशन स्थापना : 1950 में
  • भारतीय कबड्डी प्रो लीग : 26 जुलाई 2014

कबड्डी के नियम (Rules of Kabaddi)

साधारण शब्दों में इसे ज्यादा अंक हासिल करने के लिए दो टीमों के बीच की एक स्पर्धा कहा जा सकता है | अंक पाने के लिए एक टीम का रेडर (कबड्डी-कबड्डी बोलने वाला) विपक्षी पाले (कोर्ट) में जाकर वहाँ मौजूद खिलाड़ियों को छूने का प्रयास करता है ।

इस दौरान विपक्षी टीम के स्टापर (रेडर को पकड़ने वाले) अपने पाले में आए रेडर को पकड़कर वापस जाने से रोकते हैं और अगर वह इस प्रयास में सफल होते हैं तो उनकी टीम को इसके बदले एक अंक मिलता है । और अगर रेडर किसी स्टापर को छूकर अपने पाले में चला जाता है तो उसकी टीम के एक अंक मिल जाता और जिस स्टापर को उसने छुआ है उसे नियमत: कोर्ट से बाहर जाना पड़ता है ।

कबड्डी में 12 खिलाड़ी होते हैं जिसमें से 7 कोर्ट में होते हैं और 5 रिज़र्व होते हैं । कबड्डी कोर्ट डॉज बॉल गेम जितना बड़ा होता है । कोर्ट के बीचोबीच एक लाइन खिंची होती है जो इसे दो हिस्सों में बाँटती है । कबड्डी महासंघ के हिसाब से कोर्ट का माप 13 मीटर × 10 मीटर होता है ।

विश्व स्तरीय कबड्डी के नियम

विश्व स्तरीय विश्वकप के दौरान कबड्डी की नियमावली कुछ अलग होती है । नीचे एक एक करके उन नियमावली के प्रमुख अंश 2 दिए जा रहे हैं । ग्रुप स्टेज के दौरान अगर कोई टीम अपने विरोधी टीम को मैच में 7 पॉइंट से अधिक कई मार्जिन से हराता है, तो जीतने वाली टीम को 5 लीग पॉइंट मिलते हैं । जबकि हारने वाली टीम को लीग पॉइंट शुन्य मिलता है ।

यदि विजेता टीम की जीत का मार्जिन 7 या 7 से कम पॉइंट का होता है तो जीतने वाली टीम को 5 लीग पॉइंट और हारने वाली टीम को 1 लीग पॉइंट मिलता है।

किसी मैच के टाई हो जाने पर दोनों टीमों को 3- 3 लीग पॉइंट दिये जाते है. ग्रुप मैच के टाई के बाद कौन सी टीम सेमी फाइनल में जाएगी, इसका निर्णय एक तरह के ‘डिफरेंशियल स्कोर’ द्वारा होता है । किसी टीम के लिए ये स्कोर उसके द्वारा कुल अर्जित पॉइंट और कुल स्वीकार्य पॉइंट के अंतर से पता चलता है, अधिकतम ‘डिफरेंशियल स्कोर’ पाने वाली टीम सेमी फाइनल में जाती है ।

यदि डिफरेंशियल स्कोर में दो टीमों का स्कोर बराबर आ जाता है तो ऐसे हालात में टीमों का कुल स्कोर देखा जाता है । अधिकतम पॉइंट अर्जित करने वाली टीम को सेमिफिनल में भेजा जाता है ।

खेलने का तरीका

कबड्डी खिलाडियों के पाले में आने के बाद टॉस जीतने वाली टीम सबसे पहले कोर्ट की साइड या रेड करना चुनती हैं। फिर रेडर कबड्डी-कबड्डी बोलते हुए जाता है और विपक्षी खिलाडियों को छूने का प्रयास करता हैं । वह अपनी चपलता का उपयोग कर विपक्षी खिलाडियों (स्टापरों) को छूने का प्रयास कर सकता है।

इस प्रक्रिया में अगर वह विपक्षी टीम के किसी भी स्टापर को छूने में सफल होता है तो उस स्टापर को मरा हुआ (डेड) समझ लिया जाता है । ऐसे में उस स्टापर को कोर्ट से बाहर जाना पड़ता है । और अगर स्टापरों को छूने की प्रक्रिया में रेडर अगर स्टापरों की गिरफ्त में आ जाता है तो उसे मरा हुआ (डेड) मान लिया जाता है।

यह प्रक्रिया दोनों टीमों की ओर से बारी-बारी चलती रहती है । इस तरह जिस दल के ज़्यादा अंक होते हैं उसे विजेता घोषित किया जाता हैं।

कबड्डी खेल में अतिरिक्त समय

यह नियम विश्वकप में फाइनल और सेमी फाइनल मैच के दौरान मौजूद होता है । फाइनल और सेमी फाइनल के दौरान यदि 40 मिनट का मैच टाई हो जाता है, तो खेल को अतिरिक्त समय के लिए बढाया जाता है ।

किसी सेमिफिनल या फाइनल मैच के टाई हो जाने पर 7 मिनट अतिरिक्त मैच खेला जाता है । ये समय दो भागों में एक मिनट के ब्रेक से साथ बंटा होता है. प्रत्येक भाग तीन मिनट का होता है ।

अपने बारह खिलाड़ियों के दल से किन्हीं सात बेहतरीन खिलाडियों के साथ दोनों टीमें फिर से सात मिनट के लिए मुकाबले में उतरती है । इस दौरान किसी भी टीम के कोच को ‘टाइम आउट’ कोचिंग की इजाज़त नहीं होती. हालाँकि लाइन अंपायर या असिस्टेंट स्कोरर की अनुमति से कोच टीम के साथ रह सकते हैं ।

अतिरिक्त समय के दौरान सिर्फ एक खिलाड़ी के प्रतिस्थापन की आज्ञा होती है । खिलाडी का ये प्रतिस्थापन सिर्फ एक मिनट के ब्रेक के दौरान हो सकता है । इस सात मिनट के बाद भी यदि मैच टाई ही रहता है, तो गोल्डन रेड रूल का इस्तेमाल होता है ।

कबड्डी खेल का मैदान कैसा होता है?

कबड्डी एक ऐसा खेल है जिसके लिए अलग- अलग तरह के मैदान तैयार किए जाते हैं पुरुषों के लिए अलग और महिला टीम के लिए अलग। साथ ही ये भी देखा जाता है कि जिस मैदान पर कबड्डी का खेल खेला जा रहा है उसकी जमीन समतल और नरम है या नहीं क्योंकि इसी से खेल का सही अनुमान लगाया जाता है।

इसके लिए आकार का भी खास ध्यान रखना पड़ता है । एक आकार तैयार किया जाता है 12.50 मीटर लम्बा और 10 मीटर । वहीं दूसरा 50 किग्रा भार से कम वर्ग के पुरुषों एवं महिलाओं के लिए यह लम्बाई 11 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर होती है ।

पूरे खेल क्षेत्र को दो हिस्सों में बांटा जाता है। जिसको आम भाषा में सेंट्रल लाइन और खेल की भाषा में मध्य रेखा कहते हैं। इसमें खेल मैदान की लंबाई और चौड़ाई का भी खास ध्यान रखा जाता है।

कबड्डी किट

इसके लिए खिलाड़ियो को उनकी टीम की टी-शर्ट और शाट्स दिए जाते हैं, साथ ही शूज भी । और फस्टएड किट हर किसी के पास होती है । जिसको समय पर इस्तेमाल किया जाता है ।

कबड्डी खेल में कितने खिलाड़ी होते हैं?

कबड्डी की टीम उतनी ही बड़ी होती है जितनी क्रिकेट की उसमें भी 12 खिलाड़ी होते हैं और इसमें भी अंतर ये होता है कि इसमें बस 7 खिलाड़ी ही खेलते हैं जो विरोधी टीम का सामना करते हैं ।

कबड्डी खेल पॉइंट्स

इस खेल में कुछ पॉइंट निम्न तरह से अर्जित किए जाते है ।

बोनस पॉइंट

डिफेंडर के कोर्ट में छः या छः से अधिक खिलाड़ियों की मौजूदगी में यदि रेडर बोनस लाइन तक पहुँच जाता है तो रेडर को बोनस पॉइंट मिलता है।

• टच पॉइंट

रेडर द्वारा एक या एक से अधिक डिफेंडर खिलाड़ियों को छू कर सफलता पूर्वक अपने कोर्ट में वापस आ जाने पर टच पॉइंट मिलता है । यह टच पॉइंट छुये गये डिफेंडर खिलाड़ियों की संख्या के बराबर होता है । छुये गए डिफेंडर खिलाड़ियों को कोर्ट से बहार कर दिया जाता है।

• टैकल पॉइंट

यदि एक या एक से अधिक डिफेंडर, रेडर को 30 सेकंड तक डिफेंड कोर्ट में ही रहने पर मजबूर कर देते हैं, तो डिफेंडिंग टीम को इसके बदले एक पॉइंट मिलता है।

आल आउट

यदि किसी टीम के सभी खिलाडियों को उसकी विरोधी टीम पूरी तरह से आउट करके मैदान से बाहर करने में सफ़ल हो जाती है, तो इसके एवज में जीती हुई टीम को 2 अतिरिक्त बोनस पॉइंट मिल जाते है ।

• एम्प्टी रेड

बौकल लाइन को पार करने के बाद यदि रेडर बिना किसी डिफेंडर को छुए या बिना बोनस लाइन को छुए वापस आ जाता है, तो इसे एम्प्टी रेड माना जाएगा. एम्प्टी रेड के दौरान किसी भी टीम को कोई पॉइंट नहीं मिलता।

• डू ओर डाई रेड

यदि किसी टीम द्वारा लगातार दो एम्प्टी रेड हो जाता है तो तीसरे रेड को ‘डू ओर डाई’ रेड कहा जाता है। इस रेड के दौरान टीम को आवश्यक तौर पर या तो बोनस या टच पॉइंट अर्जित करना पड़ता है। ऐसा नहीं करने पर डिफेंडर टीम को एक अतिरिक्त पॉइंट मिलता है।

• सुपर रेड

जिस रेड में रेडर तीन या तीन से अधिक पॉइंट अर्जित करता है, उस रेड को सुपर रेड कहा जाता है। यह  तीन पॉइंट बोनस और टच को मिला कर भी हो सकता है या सिर्फ टच पॉइंट भी हो सकता है।

• सुपर टैकल

यदि डिफेंडर टीम में खिलाड़ियों की संख्या तीन या तीन से कम हो जाती है, और वो टीम किसी रेडर को सँभालने और आउट करने में सफ़ल हो जाती है तो इसे सुपर टैकल कहते हैं । सुपर टैकल के लिए डिफेंडर टीम को एक अतिरिक्त पॉइंट भी मिलता है । इस पॉइंट का इस्तेमाल आउट हुए खिलाडी के पुनर्जीवन के लिए नहीं किया जा सकता है ।

खेल की अवधि

यह खेल आमतौर पर 20-20 मिनट के दो हिस्सों में खेला जाता है। हर हिस्से में टीमें पाला बदलती हैं और इसके लिए उन्हें पाँच मिनट का ब्रेक मिलता है। हालाँकि आयोजक इसके एक हिस्से की अवधि 10 या 15 मिनट की भी कर सकते हैं।

हर टीम में 5-6 स्टापर (पकड़ने में माहिर खिलाड़ी) व 4-5 रेडर (छूकर भागने में माहिर) होते हैं। एक बार में सिर्फ चार स्टापरों को ही कोर्ट पर उतरने की इजाजत होती है। जब भी स्टापर किसी रेडर को अपने पाले से बाहर जाने से रोकते हैं।

उन्हें एक अंक मिलता है लेकिन अगर रेडर उन्हें छूकर भागने में सफल रहता है तो उसकी टीम को अंक मिल जाता है । मैचों का आयोजन आयु और वजन के आधार पर किया जाता है, परन्तु आजकल महिलाओं की भी काफी भागीदारी हो रही है ।

पूरे मैच की निगरानी आठ लोग करते हैं: एक रेफ़री, दो अम्पायर, दो लाइंसमैन, एक टाइम कीपर, एक स्कोर कीपर और एक टीवी अम्पायर पिछले तीन एशियाई खेल में भी कबड्डी को शामिल करने से जापान और कोरिया जैसे देशों में भी कबड्डी की लोकप्रियता बढ़ी है।

भारतीय कबड्डी के प्रकार

कबड्डी खेल के चार बहुत विख्यात प्रारूप हैं, जिसे भारत में खेला जाता है । इसे भारत के अमैच्योर कबड्डी फेडरेशन द्वारा आयोजित किया जाता है।

संजीवनी कबड्डी

इस कबड्डी में खिलाडियों के पुनर्जीवन का नियम होता है । विरोधी दल के खिलाडी को आउट करने पर आक्रामक दल से बाहर हुए खिलाड़ियों में से एक को पुनर्जीवन मिल जाता है, और वह अपने दल की तरफ से फिर से खेलने लगता है । ये खेल भी 40 मिनट का होता है ।

जिसे खेलने के दौरान एक पांच मिनट का हाफ टाइम मिलता है। दो दलों में सात-सात खिलाड़ी मौजूद होते है, और जो दल अपने विरोधी के सभी खिलाड़ियों को आउट कर देता है, उसे बोनस के तौर पर अतिरिक्त चार पॉइंट मिलते हैं।

जेमिनी स्टाइल

कबड्डी के इस प्रारूप में भी दोनों दलों में सात सात खिलाड़ी मौजूद होते हैं । खेल के इस प्रारूप में खिलाडियों को पुनर्जीवन नहीं मिलता, यानि किसी दल का एक खिलाड़ी यदि खेल के दौरान मैदान से आउट होकर बाहर जाता है, तो वह तब तक बाहर रहता है जब तक खेल समाप्त न हो जाए।

इस तरह जो दल अपने विरोधी दल के सभी खिलाड़ियों को मैदान से बाहर करने में सफ़ल हो जाता है, तो उस दल को एक पॉइंट मिलता है । इस तरह से ये खेल पाँच या सात पॉइंट तक चलता है, यानि पूरे खेल में पांच या सात मैच खेले जाते हैं। इस तरह के मैच के दौरान समय तय नहीं रहता।

अमर स्टाइल

अमैच्योर कबड्डी फेडरेशन द्वारा आयोजित खेल का यह तीसरा प्रारूप है । ये प्रारूप अक्सर संजीवनी प्रारूप की ही तरह होता है, जिसमें समयावधि तय नहीं होती । इस तरह के खेल में आउट होने खिलाड़ी को मैदान से बाहर नहीं जाना पड़ता है ।

आउट होने वाला खिलाड़ी मैदान में रह कर आगे का खेल खेलता है । आउट करने के एवज में आक्रामक दल के खिलाड़ी को पॉइंट की प्राप्ति होती है।

पंजाबी कबड्डी

यह इस खेल का चौथा रूप है । इसे एक वृत्तिय परिसीमा के अन्दर खेला जाता है । इस वृत्त का व्यास 72 फिट का होता है. इस कबड्डी की भी तीन शाखाएं हैं, जिनके नाम लम्बी कबड्डी, सौंची कबड्डी और गूंगी कबड्डी है । यह सभी प्रारूप क्षेत्र विशेष में अधिक खेले जाते हैं।

कबड्डी में गोल्डन रेड

इस दौरान एक टॉस होता है, टॉस जीतने वाले टीम को गोल्डन रेड का मौक़ा मिलता है | इस दौरान बौलक लाइन को बोनस लाइन माना जाता है, दोनों दलों को एक बार इसका मौक़ा मिलता है । इसके बाद भी यदि टाई की ही अवस्था बनी रही, तो विजेता टॉस के ज़रिये मुक़र्रर किया जाता है ।

अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी

कबड्डी के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के दलों में प्रत्येक दल में 7 खिलाड़ी होते हैं । खेल का मैदान दो दलों में बराबर भागों में बंटा होता है । पुरुषों द्वारा खेले जाने वाले कबड्डी में मैदान का क्षेत्रफल (10 बाई 13) का होता है, वही स्त्रियों द्वारा खेले जाने वाले कबड्डी में मैदान का क्षेत्रफल (8 बाई 12) का होता है ।

दोनों दलों में तीन अतिरिक्त खिलाड़ी मौजूद होते हैं । ये खेल दो 20 मिनट के अंतराल पर खेला जाता है, जिसके बीच खिलाड़ियों को पांच मिनट का हाफ- टाइम मिलता है । इस हाफ टाइम के दौरान दोनों दल अपना कोर्ट बदल लेते हैं ।

इस खेल को खेलते हुए आक्रामक दल की तरफ़ से एक खिलाड़ी परिरक्षक दल के कोर्ट में ‘कबड्डी- कबड्डी’ कहते हुए जाता है. इस दौरान जाने वाले खिलाड़ी को एक पॉइंट अर्जित करने के लिए एक साँस में कबड्डी-कबड्डी कहते हुए परिरक्षक दल के कोर्ट में जा कर उस दल के एक या एक से अधिक खिलाड़ियों को छु कर जल्द से जल्द अपने कोर्ट में आना होता है ।

यदि बिना सांस छोड़े खिलाड़ी विरोधी दल के एक या एक से अधिक खिलाड़ी को छू कर अपने दल के कोर्ट में पहुंच जाता है तो, उसके दल को एक पॉइंट मिलता है ।

जाने वाले खिलाड़ी को कबड्डी-कबड्डी सिर्फ सांस छोड़ते हुए ही कहना होता है | यदि खिलाड़ी की सांस अपने कोर्ट में आने से पहले ही टूट जाती है, तो उसे आउट करार देकर रेफ़री द्वारा मैदान से बाहर कर दिया जाता है ।

यदि वह एक या एक से अधिक खिलाड़ी को छू कर अपने कोर्ट में बिना सांस लिए पहुँच जाता है, तो परिरक्षक दल के खिलाड़ी के छुए गये खिलाड़ी को रेफ़री आउट करार देकर मैदान से बाहर कर देता है, जिसके कारण आक्रामक दल को पॉइंट मिलता है ।

इस दौरान परिरक्षक दल के खिलाड़ी मैदान के बीचों–बीच खिंची गयी रेखा को पार नहीं कर सकते । इसके साथ ही एक और रेखा खिची रहती है, जिसे अपने कोर्ट में लौटते समय यदि आक्रामक दल का खिलाड़ी छू भी लेता है और इसके बाद सांस लेने लगता है तो उसे आउट नहीं किया जाएगा।

आउट हुए खिलाड़ी अस्थायी रूप से मैदान से बाहर जाते हैं ।  अपने विरोधी टीम के खिलाड़ी को मैदान से बाहर  भेज देने पर पॉइंट अर्जन होता है। यदि विरोधी दल पूरी तरह से मैदान से बाहर हो जाता है तो सामने वाले दल दो-दो अतिरिक्त पॉइंट बोनस के तौर पर मिलते हैं । इसे ‘लोना’ कहा जाता है. खेल के अंत में जिस दल का स्कोर पॉइंट अधिक होता है वो विजेता हो जाता है ।

इस खेल में होने वाले मैच खिलाड़ी की उम्र और उसके वजन के अनुसार विभाजित होते हैं । इस खेल के दौरान खिलाड़ियों के अतिरिक्त मैदान में 6 औपचारिक सदस्य भी मौजूद् होते हैं । इन सदस्यों मे एक रेफरी, दो अंपायर, एक स्कोरर और दो असिस्टेंट स्कोरर भी होते हैं ।

कबड्डी के प्रमुख मुकाबले

कबड्डी विभिन्न उम्र के लोग विभिन्न स्तर पर खेल सकते हैं । इस वजह से इसके कई बेहतरीन मुकाबले ज़िला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होते हैं । नीचे कुछ प्रमुख मुकाबलों का ज़िक्र किया जा रहा है ।

  • एशियाई खेलों में कबड्डी
  • एशिया कबड्डी कप
  • प्रो कबड्डी लीग
  • कबड्डी विश्व कप
  • महिला कबड्डी विश्व कप
  • यूके कबड्डी कप
  • विश्व कबड्डी लीग

एशियन गेम्स

इस खेल को एशियन गेम्स के तहत सन 1990 से खेला जा रहा है । भारत की कबड्डी टीम इस मुकाबले में सात स्वर्ण पदक जीत चुकी है । बांग्लादेश ने भी अपना प्रदर्शन इस मुकाबले में बहुत अच्छा किया है, और अपना स्थान दुसरे नम्बर पर दर्ज कराया है ।

एशिया कबड्डी कप

एशिया कबड्डी कप भी बहुत मशहूर टूर्नामेंट है | ये प्रतिवर्ष सिलसिलेवार ढंग से दो बार आयोजित किया जाता है । सन 2011 में इसका अभिषेकात्मक मुकाबला ईरान में किया गया था । इसके एक साल बाद सन 2012 में एशिया कबड्डी कप का आयोजन पाकिस्तान के लाहौर में किया गया था ।

यह 1 नवम्बर 2012 से 5 नवम्बर 2012 तक खेला गया था, जिस में एशिया महादेश में आने वाले लगभग सभी देशों ने भाग लिए था। इस टूर्नामेंट को एक तकनीकी चाल की सहायता से पाकिस्तानी टीम जीत गयी थी ।

कबड्डी विश्वकप

कबड्डी विश्वकप कबड्डी का सबसे अहम मुकाबला है, जिसमें विश्व के कई देशों की टीम भाग लेती है । पहली बार सन 2004 में इस टूर्नामेंट का आयोजन हुआ था । इसके बाद सन 2007 में इसे खेला गया. सन 2010 के बाद से इसे प्रति वर्ष खेला जा रहा है ।

भारत विश्व कप के सभी टूर्नामेंट को जीतता रहा है । सन 2016 में विश्वकप का आयोजन गुजरात के अहमदाबाद में किया गया था । इस टूर्नामेंट में बारह देशों ने भाग लिया था । इस टूर्नामेंट को भी भारतीय टीम ने अनूप कुमार की कप्तानी में जीता है ।

इस टूर्नामेंट के फाइनल मैच में भारत ने ईरान की टीम को 38- 29 के स्कोर से हराया. भारतीय कबड्डी टीम विश्व भर में सबसे अधिक सफ़ल टीम के रूप में सामने आई है । इस विश्वकप में पकिस्तान को किन्ही राजनैतिक कारणों से आमंत्रित नहीं किया गया था ।

वीमेन’स कबड्डी (Women’s Kabaddi)

वीमेन’स कबड्डी विश्वकप महिला खिलाड़ियों के लिए विश्व स्तरीय टूर्नामेंट है । इसे पहली बार भारत के पटना राज्य में सन 2012 में आयोजित किया गया था । भारतीय महिला टीम ने इस टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले के दौरान ईरान को हरा कर विश्व स्तर पर अपना नाम दर्ज कराया । इसके बाद 2013 के मुकाबले में डेब्यू की हुई न्यूज़ीलैंड की टीम को हराकर भारतीय महिला टीम ने फिर से एक बार फतह का परचम लहराया |

प्रो-कबड्डी लीग (Pro Kabaddi League)

सन 2014 में प्रो कबड्डी लीग की स्थापना हुई । यह क्रिकेट में होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग की तरह आयोजित किया गया । इस लीग के दौरान मार्केटिंग पर अधिक ध्यान दिया गया । इसका सीधा प्रसारण स्टार स्पोर्ट्स पर किया जाता है । भारतीय टेलेविज़न पर पीकेएल (प्रो कबड्डी लीग) बहुत अधिक पसंद किया गया, और लगभग 435 मिलियन दर्शकों द्वारा देखा गया । इसका पहला मैच लगभग 86 मिलियन दर्शकों द्वारा देखा गया था ।

यू. के. कबड्डी कप (UK Kabaddi)

इस खेल को इंग्लैंड में भी बहुत ख्याति मिली, जिस वजह से वहाँ ‘यू.के कबड्डी कप’ का आयोजन किया जाने लगा । सन 2013 में इसका आयोजन कई राष्ट्रीय दलों के साथ किया गया । इन दलों में भारत, पकिस्तान, इंग्लैंड, अमेरीका, कनाडा आदि की भागीदारी देखने मिली ।  इस टूर्नामेंट में पंजाब की वृत्तीय (सर्किल) स्टाइल कबड्डी खेली जाती है ।

विश्व कबड्डी लीग

विश्व कबड्डी लीग का गठन साल 2014 में हुआ ।  इन लीग में आठ दल और चार देशों का सम्मेलन देखा गया, इस देशों में कनाडा, इंग्लैंड, पकिस्तान और यूनाइटेड स्टेट अमेरिका है । इस लीग की कुछ टीमों के मालिक पूर्णतया या आंशिक रूप से कई अभिनेतायें हैं । इन अभिनेताओं में अक्षय कुमार खालसा वोर्रिएर्स, रजत बेदी पंजाब थंडर, सोनाक्षी सिन्हा यूनाइटेड सिंहस और यो यो हनी सिंह यो-यो टाइगर्स के मालिक हैं।

इस लीग का अभिषकात्मक सीजन सन 2014 के अगस्त से दिसम्बर के महीने के बीच खेला गया था, जिसमे टीम यूनाइटेड सिंहस, जो कि इंग्लैंड के बिर्मिंघम का अभिवेदन कर रही थी, की जीत हुई ।

कबड्डी का विश्वकप सबसे पहले 2004 में खेला गया था । उसके बाद  2007, 2010, 2012 , 2016 और 2020 में हुआ । 2016 तक भारत सभी में विजेता रहा है ।

कबड्डी वर्ल्ड कप के विजेता

वर्षविजेताफाइनल मैच
2004भारत भारत 55 – 27 ईरान
2007भारत भारत 29 – 19 ईरान
2010भारत भारत 58 – 24 पाक