पंकज उधास भारत के सबसे लोकप्रिय ग़ज़ल गायकों मे एक थे, जिन्होंने जगजीत सिंह के बाद ग़ज़ल गायकी में सबसे ज्यादा नाम कमाया। उनके जीवन (Pankaj Udhas Biography) को जानते हैं..
80, 90 और 2000 के दशक में अपनी रोमानी आवाज से गजलें गाकर लोगों के दिल में रोमानियत भरने वाले गजल गायक पंकज उधास का 26 फरवरी 2024 को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
जगजीत सिंह के बाद पंकज उदासी ऐसे गायक थे, जिन्होंने भारत में गजलों को नई ऊंचाइयां दीं। उनके द्वारा गई ग़ज़ल ‘चाँदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल, एक तू ही धनवान है गोरी, बाकी सब कंगाल’ लोगों की जुबान पर चढ़ गई थी।
फिल्म ‘नाम’ के लिए गया गया गाना ‘चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है’ के द्वारा वह घर-घर जाने पहचाने जाने लगे थे।
पंकज उदास का जीवन परिचय (Pankaj Udhas Biography)
ग़ज़ल को पसंद करने वालों में कौन होगा जो पंकज उधास परिचित नही होगा। ग़ज़लों के लिए उनके योगदान को कौन भुला सकता है। आइए पंकज उधास को जानते हैं…
जन्म और जीवन परिचय
पंकज उदास का जन्म गुजरात के जैतपुर नमक कस्बे में हुआ था, जो गुजरात के राजकोट जिले का एक छोटा सा कस्बा है। पंकज उदास के पिता का नाम केशुभाई उधास और माता का नाम जिशुबेन उधास था।
पंकज उदास कुल तीन भाई थे, उनके बड़े भाई मनहर उधास तथा निर्मल उधास थे। उनके दोनों भाईयों भी पार्श्व गायक के के रूप में अपना कैरियर बनाया।
मनहर उधास ने कई हिंदी फिल्मों के लिए सफलतापूर्वक गाने गए तो उनके दूसरे भाई निर्मल उधास ने भी पंकज उधास की तरह गजल गायकी में अपना करियर बनाया।
शिक्षा
पंकज उदास की आरंभिक पढ़ाई-लिखाई गुजरात के भावनगर के बीपीटीआई विद्यालय में हुई। उसके बाद उनका पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया था।
यहाँ पर पंकज उधास ने मुंबई के विल्सन कॉलेज और सेंट जेवियर्स कॉलेज से अपने आगामी पढ़ाई पूरी की। यहाँ पर विज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
परिवार
पंकज उदास के पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात की जाए तो उनका परिवार गुजरात के राजकोट जिले के चरखड़ी नामक कस्बे से संबंध रखता था। उनका परिवार एक पारंपरिक जमीदार परिवार था और उनके दादा गाँव के जमींदार थे। वह अपने गाँव से ग्रेजुएट होने वाले पहले व्यक्ति भी थे तथा भावनगर रियासत के दीवान भी थे।
पंकज दास के पिता केशुभाई उधास सरकारी सेवा में थे। उन्हें संगीत में भी रुचि थी इसी कारण उन्होंने प्रसिद्ध वीणा वादक अब्दुल करीम खान से दिलरुबा नमक वाद्य यंत्र बनाना सीखा। पंकज उदास बचपन से ही अपने पिता को एक तार वाला दिलरुबा वाद्य यंत्र बजाते देखते थे, इसी कारण पंकज उदास और उनके दोनों भाइयों की संगीत में रुचि जागृत हुई।
अपने बेटों की संगीत में रुचि देखकर पंकज उधास के पिता केशुभाई उधास ने अपने तीनों बेटों मनहर उधास, निर्मल उदास और पंकज उदास को राजकोट की एक संगीत अकादमी में प्रवेश कर दिया, जहाँ पर वह संगीत की आरंभिक शिक्षा लेने लगे।
पंकज उदास इस संगीत अकादमी में तबला बजाना सीखने लगे। बाद में पंकज उदास ने गुलाम कादर खान से हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन में शास्त्रीय संगीत में सीखना शुरू कर दिया। उसके अलावा उन्होंने ग्वालियर करने के गायक नवरंग नागपुरकर के सानिध्य में भी संगीत की शिक्षा ली।
गीत-संगीत का सफर
पंकज उदास ने गायक के रूप में अपना करियर 1972 में शुरु किया था जब 1972 में उन्होंने ‘कामना’ नाम की एक फिल्म के लिए गाया गाया। फिल्म को अधिक सफलता तो नही मिली लेकिन पंकज द्वारा गाए गए गाने के काफी पसंद किया।
उसके बाद उन्होंने गायन में बहुत अधिक सफलता नही मिली तो वह कनाडा चले गए और वहाँ एक रेडियो स्टेशन में भी एक म्जूजिक कार्यक्रम करने लगे। उसके अलावा वह अमेरिका कनाडा में ग़ज़ल गायक के रूप में स्टेज परफार्मेंस देने लगे। जल्दी ही वहाँ पर उनका मन ऊब गया और वह वापस भारत आ गए।
भारत आकर 1980 में उनकी ‘आहट’ नामक उनकी पहली गजल एल्बम रिलीज हुई। उसके बाद एक 1981 में उनकी दूसरी एल्बम मुकर्रर, 1982 में तरन्नुम तथा 1983 में महफिल नामक एल्बम रिलीज हुई।
अब वह एक सफल गजल गायक के रूप में अपना नाम स्थापित कर चुके थे और उनके जगह-जगह गजल गायकी के शो भी होने लगे। उन्होंने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हाल में 1984 में अपना लाइव कंसर्ट भी प्रस्तुत किया।
पंकज उदास के द्वारा गाई गई ग़ज़ल चांदी जैसा रंग है, सोना तेरा सोने जैसे बाल ने पंकज दास को प्रसिद्ध के शिखर पर पहुंचा दिया था। उनके द्वारा गाई गई यह गजल उसे समय लोगों की जुबान पर चढ़ उठी थी और हर कोई इस ग़ज़ल को गुनगुनाता था। पंकज उदास जहाँ भी अपना लाइव कंसर्ट करने जाते उनके द्वारा किया गजल की फरमाइश अवश्य की जाती थी।
उसके बाद 1986 में आई ‘नाम’ फिल्म में उनके द्वारा गाया गाया गाना ‘चिट्ठी आई है वतन से’ ने उनको लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचा दिया। इस फिल्म में वह स्वयं गाना गाते हुए दिखाई भी पड़े थे। उसके बाद 1991 में आई साजन फिल्म में भी उन्होंने जिए तो जिए कैसे गाना गया और उसमें भी वह गाना गाते हुए गायक के रूप में फिल्म में दिखाई दिए थे।
पंकज उदास को गाने की प्रेरणा भी अपने बड़े भाई मनहर उधास से मिली थी। उनके बड़े भाई मनोहर उदास भी गायक थे और गायन में रुचि रखते थे। पंकज उधास भी जब तक घर में गाना गा लेते थे। भाई मनहर ने पंकज के टैलेंट को पहचान लिया था और जब बड़े भाई मनहर किसी संगीत कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाते तो वह अपने छोटे भाई पंकज को भी साथ ले जाया करते थे। इस तरह मात्र 7 साल की उम्र से ही पंकज उधास ने स्टेज परफॉर्मेंस देने शुरू कर दी थी।
पंकज दास ने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस गाना भारत-चीन युद्ध के समय दिया था। वह गाना ए मेरे वतन के लोगों था। पंकज उदास को फिल्मों में भी गाने का मौका मिला और फिल्मों में उन्हें गाने का पहला मौका 1972 में आई फिल्म कामना से मिला।
वैवाहिक जीवन
पंकज उदास के परिवार में उनकी पत्नी तथा दो बेटियां हैं। पहली बड़ी बेटी का नाम नायब उधास है, जिसका नाम उन्होंने अपनी ही हिट एल्बम नायाब के नाम पर रखा है। उनकी दूसरी बेटी का का नाम रिवा उधास है। उनकी पत्नी का नाम फरीदा है जो पारसी कम्यूनिटी से संबंध रखती हैं।
पंकज दास की जीवन की लव स्टोरी भी बड़ी ही रोचक रही। उन्होंने अंतर धार्मिक विवाह किया है यानी उनकी पत्नी फरीदा पारसी थीं। मुंबई में फरीदा उनके पड़ोस में ही रहती थी। आस-पड़ोस में रहने के कारण दोनों में एक दूसरे के प्रति आकर्षण उत्पन्न हो गया।
पंकज उदास उस समय पढ़ाई कर रहे थे और अपना ग्रेजुएशन पूरा करने वाले थे। वहीं पर फरीदा एयर होस्टेस का काम करती थीं। दोनों में दोस्ती हुई और धीरे-धीरे यह दोस्ती मुलाकातों के दौर से चलते हुए प्रेम में बदल गई। अलग-अलग धर्म से संबंध रखने के कारण शादी में अड़चन आना स्वाभाविक था। पंकज दास के परिवार वाले तो शादी को राजी हो गए थे लेकिन फरीद के परिवार वाले की शादी के लिए राजी नहीं थे।
फरीदा पारसी धर्म से संबंधित थी और उनके माता-पिता पारसी कम्युनिटी से बाहर शादी करने के लिए राजी नहीं थे, इसलिए पंकज और फरीदा ने इस समय तय किया कि वह अपने माता-पिता की मर्जी से ही शादी करेंगे। उनके खिलाफ जाकर नहीं। अंत में काफी प्रयास करने के बाद फरीद के माता-पिता भी मान गए और सभी के आशीर्वाद से दोनों शादी के बंधन में बने।
पारिवारिक विरासत
पंकज दास के बड़े भाई मनहर उधास ने भी कई फिल्मों में गाने गए हैं। सुभाष गई निर्देशित फिल्म सौदागर का गाना इलू इलू मनहर उदास द्वारा ही गया गया था और वह गाना अच्छा खासा लोकप्रिय हुआ था। मनोहर उदास ने सुभाष गई की कई फिल्मों के लिए गाने गए हैं। पंकज दास के छोटे भाई निर्मल उदास ने भी गजल गायक में अपने हाथ आजमाएं हैं।
पंकज उधास क्योंकि मूल रूप से गुजराती थे इसलिए उनकी उर्दू भाषा पर बहुत अच्छी पकड़ नहीं थी। गजल गायकी में महारत हासिल करने के लिए उन्होंने उर्दू भाषा भी सीखी क्योंकि अधिकतर गजलें उर्दू में होती थी।
पंकज के ग़ज़ल एल्बम
- आहट (1980)
- मुकर्रर (1981)
- तरन्नुम (1982)
- महफ़िल (1983)
- शामखाना
- पंकज उधास अल्बर्टा हॉल लाइव (1984)
- नायाब (1985)
- दंतकथा
- खजाना
- आफरीन (1986)
- शगुफ्ता
- नबील
- आशियाना (1992)
- एक धुन प्यार की (1992)
- रुबी
- तीन मौसम
- यहूदी बस्ती
- कैफ
- कल्पित
- एक आदमी
- वो लड़की याद आती है
- चोरी हुए पल
- नशा (1997)
- महके (1999)
- घूंघट
- मन
- धड़कन
- पंकज उधास का सर्वश्रेष्ठ खंड-1,2
- पंकज उदास ‘लाइफ स्टोरी’ खंड-1,2
- पंकज उधास खंड-1,2,3,4
- हाथ
- जेनमन
- जश्न (2006)
- अपार प्रेम
- शायर
- राजुआत (गुजराती)
- बैसाखी (पंजाबी)
- कौन
- कभी आंसू कभी खुशबू कभी नाघुमा
- हमनशीं
- इन सर्च ऑफ मीर (2003)
- इच्छा (2005)
- भालोबाशा (बंगाली)
- यारा – संगीत उस्ताद अमजद अली खान द्वारा
- शबद – संगीत वैभव सक्सैना और गुंजन झा का है
- शायर (2010)
- बरबाद मोहब्बत
- नशीला
- मन (2013)
- खामोशी की आवाज़ (2014)
- ख्वाबों की कहानी (2015)[9]
- मदहोश
- गुलज़ार के साथ नायाब लम्हे (2018)
फिल्मों में गाए उनके गाए गाने
- गाना — फिल्म/एल्बम — रिलीज़ का साल
- मुन्ने की अम्मा ये तो बताओ — तुम हसीं मैं जवां — 1970
- कामना—1972
- चिट्ठी आई है — नाम — 1986
- दिल से दिल मिला, फिर कैसा गिला, हो गया प्यार — तमाचा — 1988
- चाँदी जैसा रंग है — एक ही मकसद — 1988
- गा मेरे संग प्यार का गीत नया — गुनाहों का फैसला — 1988
- आज फिर तुमपे — दयावान — 1988
- एक एक हो जाए फिर घर चले जाना — गंगा जमुना सरस्वती — 1988
- तेरे दर को छोड़ चले — पंकज उधास — 1988
- सहारा तेरे इंतज़ार का है — हम इंतज़ार करेंगे — 1989
- याद आयी, याद आयी, भूली वो कहानी फिर याद आयी — गोला बारूद — 1989
- तुमने रख तो ली तस्वीर हमारी — लाल दुपट्टा मलमल का — 1989
- कुछ बात है तुम में जो — पंकज उधास और अनुराधा पौडवाल — 1989
- माहिया तेरी कसम — घायल — 1990
- इश्क में जान गवा देंगे — पाप की कमाई — 1990
- और भला मैं क्या मांगूं रब से — थानेदार — 1990
- मोहब्बत इनायत करम देखते हैं — बहार आने तक — 1990
- जीये तो जीये कैसे — प्राप्तकर्ता — 1991
- जाने जान मुझे ऐसा क्या हुआ — विषकन्या — 1991
- गीत बैंके लबों पे — अधर्म — 1992
- धड़कने सांसें जवानी — बीटा — 1992
- जो गीत नहीं जन्मा — संगीत — 1992
- एक पल एक दिन — जिगर — 1992
- अपनी मोहब्बत कभी कम ना हो — आजा सनम — 1992
- किसी ने भी तो ना देखा — दिल आशना है — 1992
- ये क्या क्या दिखती है — मेहरबान — 1993
- दिल देता है रो रो दोहाई — फिर तेरी कहानी याद आयी — 1993
- रबसे भी पहले होंथों पे मेरेसाजन तेरा — इज्जत की रोटी — 1993
- मत कर इतना गुरुर — आदमी खिलोना है — 1993
- आदमी खिलोना है (पुरुष) — पंकज उधास — 1993
- तुझको सांसों में — कसम तेरी कसम — 1993
- तेरी आंखें मेरी मंजिल — फ़ैज़ बाक़ी — 1993
- खुदा करे मोहब्बत में — सनम (फिल्म 1997 में रिलीज़) — 1993
- आँखे मेरे यार की दुखे (सोलो) — एक ही रास्ता — 1993
- आँख मेरे यार की दुखे (युगल) — पंकज उधास और कविता कृष्णमूर्ति — 1993
- छुपाना भी नहीं आता — बाजीगर — 1993
- मोहब्बतों का सफ़र है (युगल) — मोहब्बतों का सफर — 1993
- मोहब्बतों का सफ़र है (एकल) — पंकज उधास — 1993
- अभी अभी ये समझा है — दिल अपना और प्रीत पराई — 1993
- दिल जब से टूट गया (युगल) — नमस्ते — 1994
- दिल जब से टूट गया (सोलो) — पंकज उधास — 1994
- आँखों के काजल से — मैं तेरा आशिक (अप्रकाशित फ़िल्म) — 1994
- मैं दीवाना हूं जिसका — ये दिल्लगी — 1994
- ना कजरे की धार — टिकट — 1994
- होठों पे तेरा नाम — मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी — 1994
- मैं तुमसे प्यार करता हूं — घर की इज्जत — 1994
- रिश्ता तेरा मेरा — जय विक्रांता — 1994
- आंसू जुदाई के — मिलन — 1995
- हमने खामोशी से तुम्हें दिल में बसाया है — मझधार — 1996
- मित्र मित्र बातें — पत्तागोभी — 1997
- जिंदगी को गुज़ारने के लिए — जीवन युद्ध — 1997
- चंदकिंता चंदा— स्पर्श — 1999
- “बरेयादा मौनादा कैविटे” — पंकज उधास, कविता कृष्णमूर्ति, अभिषेक उडुपा — 1999
- राम करे — जंग — 2000
- तेरी आशिकी — घाट — 2000
- लंदन मेरा भारत — ये है जलवा — 2002
- चाँदी जैसा रंग — ग़ज़ल ए मोहब्बत, वॉल्यूम। 1 — 2004
- एक तो शराब कम — मान गए मुगल-ए-आजम — 2008
- मैं दिल की दिल में — सनम तेरी कसम — 2009
- साईं बाबा गीत सुधा — मोहम्मद एक — 2010
- शब्द — पंकज उधास — 2010
- पलछिन — माता की भेटें — 2011
- मैय्या पुकारे रे (युगल) — 2011
- आरती — 2011
- रात भर तन्हा रहा — दिल तो दीवाना है — 2016
पंकज उधास के मिले पुरुस्कार और सम्मान
- पंकज उधास के अपने जीवन में कई पुरुस्कार और सम्मान मिले। जो कि इस प्रकार हैं…
- 2006 में उन्हें गायन के लिए भारत का चौथा सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री प्राप्त हुआ।
- 2006 में उन्हें हसरत नामक एल्बम के लिए प्रतिष्ठित कोलकाता का प्रतिष्ठित कलाकार पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- 2004 में उन्हें वैंबली कॉन्फ्रेंस सेंटर लंदन में विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
- 1985 में उन्हें उसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ गजल गायक का के एल सहगल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- 1990 में उन्हें विशेष सेवा प्रदान करने के लिए उत्कृष्ट युवा व्यक्ति पुरस्कार इंडियन जूनियर्स चैंबर्स द्वारा प्राप्त मिला।
- 1993 में पंकज उधास को संगीत के क्षेत्र में उच्चतम योगदान देने के लिए जॉइंट्स इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- 1994 में उन्हें रेडियो की आधिकारिक हिट परेड में अपने कई गानों के लिए रेडियो लोटस अवार्ड, डरबन विश्वविद्यालय दक्षिणी अफ्रीका से प्राप्त हुआ।
- 1996 में उन्हें संगीत में उत्कृष्ट योगदान के लिए इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पुरस्कार मिला।
- 1998 में अटलांटिक सिटी में अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्टिस्ट द्वारा उत्कृष्ट कलात्मक उपलब्धि पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- 1998 में उन्हें अमेरिका की न्यू जर्सी सिटी के मेयर द्वारा भारतीय कला पुरस्कार मिला।
- 1999 में भारतीय संगीत विशेषकर गजलों को भारत और विदेशों में बढ़ावा देने के लिए उन्हें भारतीय विद्या भवन (यूएसए) द्वारा सम्मानित किया गयाष
- 2001 में उन्हें गजल गायक के रूप में उत्कृष्ट योगदान के लिए रोटरी क्लब ऑफ मुंबई डाउनटाउन द्वारा वोकेशनल रिकॉग्निशन अवार्ड प्रदान किया गया।
- 2002 में उन्हें इंडो अमेरिकन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ।
- 2002 में ही पंकज उधास को मुंबई में सहयोग फाउंडेशन द्वारा संगीत क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- 2003 में उन्हें गजल और संगीत में उत्कृष्ट योगदान के लिए दादाभाई नौरोजी इंटरनेशनल सोसायटी द्वारा दादाभाई नौरोजी मिलेनियम पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- 2003 में उन्हें दुनिया भर में गजलों को लोकप्रिय बनाने के लिए बॉलीवुड म्यूजिक अवार्ड, न्यूयॉर्क में विशेष रूप से प्राप्त हुआ।
- 2003 में उन्हें अपनी एल्बम इन सर्च ऑफ मीर के लिए एम टीवी इमीज अवार्ड मिला।
- 2004 में उन्हें अपने सफल 20 साल पूरा होने पर वैंबली कॉन्फ्रेंस सेंटर लंदन में विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
उनका जाना…
26 फरवरी 2024 को लंबी बीमारी के बाद मुंबई में उनका निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे। उनकी आवाज और ग़ज़लों के रूप में वे अपने प्रशंसकों के दिल में जिंदा रहेंगे।
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- जगजीत सिंह : ग़ज़ल सम्राट – चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश, जहाँ तुम चले गए। (जीवन स्कैन)
- अमीन सयानी – आवाज के जादूगर, जिन्होंने रेडियो प्रेजेंटेशन को नई पहचान दी।
- रामधारी सिंह दिनकर – वीर रस के अद्भुत कवि (जीवन परिचय)