Sunday, December 1, 2024

हिमाचली धाम – हिमाचल प्रदेश की अनोखी थाली, हिमाचल आएं जरूर खाएं।

हिमाचली धाम – हिमाचल प्रदेश की अनोखी थाली, हिमाचल आएं जरूर खाएं। (Himachali-dham Himachali Food)

हिमाचली धाम (Himachali-dham Himachali Food) एक ऐसी ही पारंपरिक थाली है जोकि हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध एवं पारंपरिक व्यंजनों का सम्मिश्रण है। हिमाचली धाम एक खाद्य उत्सव है, एक थाली है, जो अक्सर हिमाचल प्रदेश में पर्व-त्योहारों अथवा विशेष अवसरों पर बनाई जाती है अथवा हिमाचल प्रदेश के बड़े-बड़े होटल, रेस्टोरेंट में हिमाचली धाम थाली हिमाचल प्रदेश खाद्य संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हुई परोसी जाती है। आइए ‘हिमाचली धाम’ के विषय में जानते हैं…

हिमाचली धाम – हिमाचल प्रदेश की अनोखी थाली और व्यंजन परंपरा (Himachali-Dham-Himachali-Food)

हिमाचल प्रदेश भारत के उत्तरी हिस्से का एक बेहद सुंदर प्रदेश है, जो एक पहाड़ी प्रदेश है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है। हिमाचल प्रदेश ना केवल अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है बल्कि अपने अनोखे खानपान के लिए भी विख्यात है। हिमाचल प्रदेश के खाने में पारंपरिक पहाड़ी व्यंजन तथा उत्तर भारतीय व्यंजनों का प्रभाव देखने को मिलता है।

Himachali Dham हिमाचली धाम एक ऐसी ही पारंपरिक थाली है जोकि हिमाचल प्रदेश में खासी लोकप्रिय है। हिमाचल प्रदेश में ‘हिमाचली धाम’ के नाम से प्रसिद्ध यह थाली हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग विशेषता लिए होती है। हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के हिमाचली धाम थाली अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों का मिश्रण है। हिमाचली धाम थाली की यह विशेषता है कि यह पूरी तरह शुद्ध शाकाहारी थाली होती है, जो सात्विक व्यंजनों से युक्त होती है। इसे बनाने वाले भी ब्राह्मण रसोइए होते हैं।

Himachali Dham

‘हिमाचली धाम’ थाली के बारे में कहा जाता है कि इसे ब्राह्मण रसोइयों द्वारा शुद्ध सात्विक तरीके से बनाया जाता है। हिमाचली धाम थाली में हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रीय एवं पारंपरिक व्यंजनों का मिश्रण होता है। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध व्यंजनों में मद्रा, कढ़ी, सत्तू, मीठा चना सेपु वड़ी, खट्टा, कद्दू, आलू, पालक, बाबरू, सीदू जैसे पारंपरिक हिमाचली व्यंजन शामिल होते हैं।

हिमाचली धाम थाली की शुरुआत कैसे हुई?

‘हिमाचली धाम’ थाली के शुरुआत के बारे में कहा जाता है कि इसकी शुरुआत हिमाचल प्रदेश की एक रियासत चंबा के राजा ‘जयस्तंभ’ ने की थी। आजादी से पहले जब हिमाचल प्रदेश का चंबा जिला एक रियासत था, तब वहाँ के राजा एक बार अपने पड़ोसी राज्य कश्मीर के भ्रमण पर गए। वहां पर उन्हें वहाँ की एक पारंपरिक थाली बेहद पसंद आई।

चंबा वापस आकर उन्होंने भी अपने क्षेत्र में ऐसी ही एक पारंपरिक थाली बनाने का निर्णय लिया। इसीलिए उन्होंने अपने रसोइयों को निर्देश दिया कि शुद्ध शाकाहारी एवं सात्विक तरीके से एक पारंपरिक हिमाचली थाली बनाई जाए। तब से हिमाचल प्रदेश में हिमाचली धाम के नाम से हिमाचली थाली की यह परंपरा चल पड़ी।

Himachali Dham

उस समय राजा के ब्राह्मण रसोइयों द्वारा यह थाली शुद्ध सात्विक व्यंजनों को आधार ध्यान में रखकर बनाई गई थी। इसीलिए हिमाचली धाम थाली को ब्राह्मणों द्वारा बनाने की परंपरा चल पड़ी। जब चंबा के राजा के यहाँ हिमाचली धाम थाली बनाई जाती थी तो उसमें केवल दालों तथा दूध से बने व्यंजनों को ही बनाया गया और किसी भी तरह की सब्जी का प्रयोग नहीं किया गया।

उस समय चंबा में मसाले व दालें तथा दूध का खूब उत्पादन होता था। इसीलिए उस समय पारंपरिक हिमाचली धाम थाली में दालों और दूध से बने सात्विक खाद्य पदार्थों का प्रयोग किया गया। हिमाचली धाम थाली हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग विशेषता लिए हुए हैं। जैसे कांगड़ा जिले की अपनी हिमाचली धाम थाली है तो चंबा की अपनी अलग हिमाचली धाम थाली होगी। यही विशेषता शिमला तथा अलग-अलग हिमाचली क्षेत्रों की हिमाचली धाम थाली में होती है।

हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों अलग-अलग जिलों के अलग-अलग पारंपरिक व्यंजनों को हिमाचली धाम थाली में परोसा जाता है। एक बात हिमाचली धाम थाली में कॉमन होती है कि यह पूरी तरह शाकाहारी और शुद्ध सात्विक व्यंजनों पर आधारित खाली होती है। जिसे सात्विक तरीके से ब्राह्मणों द्वारा बनाया जाता है। खाना बनाने वाले इन ब्राह्मण रसोइयों को ‘बोटी’ कहा जाता है।

हिमाचल प्रदेश के कुछ प्रसिद्ध व्यंजन जिन्हें हिमाचली धाम थाली में परोसा जाता है।

मद्रा : यह दही पर आधारित चने की एक सब्जी होती है, जिसे गाढ़े दही में चने, मसाले आदि मिलाकर बनाया जाता है। यह बेहद स्वादिष्ट व्यंजन है ।

Himachali Dham

कढ़ी : यह भी हिमाचल प्रदेश की पारंपरिक कढ़ी है। इसे दही, बेसन तथा मसालों और कई तरह की जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाया जाता है सत्तू इसे भुने हुए देशन में मसाले और जड़ी बूटियां आदि मिलाकर बनाया जाता है कि अक्सर नाश्ते या हल्के भोजन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है हिमाचली धाम पाली बनाने में के खाना बनाने में अक्सर तांबे के बर्तनों का ही प्रयोग किया जाता है।

परंपरा की दृष्टि से देखा जाए तो हिमाचली धाम थाली को लोग पारंपरिक दृष्टि से जमीन पर बैठकर पत्तल में खाते हैं लेकिन अब बड़े-बड़े रेस्टोरेंट जिन्हें पतलू कहते हैं लेकिन अब बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और होटल में हिमाचली धाम थाली धातु के बर्तनों में पड़ोसी जाती है

भाटी : यह चावल से बना हुआ व्यंजन है, जिसे हिमाचली में धाम में विशेष तरीके से पकाया जाता है और इसे पकाते समय इसमें देसी घी तथा मसालों का प्रयोग किया जाता है।

दाल : यह तरह-तरह की दालों से बना व्यंजन है, जिसमें मसाले और जड़ी-बूटियों को मिलाकर पकाया जाता है।

वेजिटेबल कढ़ी : ये विभिन्न तरह की सब्जियों से बना व्यंजन होता है। जिसमें तरह-तरह के मसाले और जड़ी-बूटियों को मिलाकर इसे बनाया जाता है।

रायता : यह दही से बना व्यंजन है, जिसमें दही के अलावा अलग-अलग तरह की सब्जियां पल में भी आदि मिलाए जाते हैं। इसके अलावा हिमाचली धाम थाली में पापड़, सलाद, जलेबी आदि होता है।

Himachali Dham

हिमाचल के अलग-अलग क्षेत्रों के अलग-अलग हिमाचली धाम थाली

हिमाचली धाम थाली की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों की अलग-अलग हिमाचली धाम खाली होती है। जिनमें क्षेत्रीय व्यंजनों को शामिल किया जाता है। जैसे शिमला की हिमाचली धाम, कांगडा की हिमाचली धाम आदि

शिमला की हिमाचली धाम

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की हिमाचली धाम थाली धाम में माह और उड़द की दाल, मद्रा, चने की दाल, दही में बनाए गए सफेद चने, जिमीकंद, पनीर महानी, आलू,, खट्टा में काला चना या पकोड़े, बदाणा, छोटे गुलाब जामुन तथा मिठाई आदि परोसी जाती है।

चंबा की हिमाचली धाम

हिमाचली धाम थाली की शुरुआत ही चंबा से हुई थी, इसी कारण यहां पर बेहद पारंपरिक तरीके से हिमाचली धाम थाली परोसी जाती है जोकि हिमाचली धाम थाली की शुरुआत में परोसी जाती थी। चंबा की हिमाचली धाम में पत्तलों में खाना परोसा जाता है, जिसमें दोने भी होते हैं। पत्तल, साबुत मूंग की दाल, बड़ी, मीठे चावल, खट्टा, मीठी सेवइयां आदि और परोसी जाती है। यहाँ की हिमाचली धाम थाली में एक पंक्ति में बैठकर खाना खिलाया जाता है तथा खाना परोसने का काम ‘बोटी’ करते हैं जो कि खाने को पकाते हैं। यहाँ पर पूरे नियम-अनुशासन का पालन किया जाता है। एक पंक्ति में बैठ जाने पर दूसरी पंक्ति में नहीं बैठ सकते तथा सबका खाना पूरा खत्म होने से पहले बीच में उठ नहीं सकते।

Himachali Dham

कांगड़ा की हिमाचली धाम

कांगड़ा की हिमाचली धाम में चने की दाल और उड़द की साबुत दाल, मद्रा, दही, चना, खट्टा चने और पनीर मटर की सब्जी, राजमा, जिमीकंद, कचालू, अरबी, बूंदी, बदाणा आदि परोसे जाते हैं तथा रंगीन चावल और पूरी भी परोसी जाती है।

हमीरपुर की हिमाचली धाम

हमीरपुर की हिमाचली धाम थाली में दालें अधिक परोसी जाती है। इसमें दालों के साथ मीठा और पैठा भी परोसा जाता है। इसके अलावा कद्दू और कद्दू बदाणा भी परोसा जाता है। यहाँ पर राजमा, आलू का मद्रा, चने का खट्टा और कढ़ी भी परोसी जाती है।

ऊना की हिमाचली धाम

ऊना की हिमाचली धाम में सामूहिक रूप से भोजा खाया जाता है। यह अक्सर विशेष अवसरों पर थाली परोसी जाती है। पहले परंपरा के अनुसार उना में मामा की तरफ से हिमाचली धाम दी जाती थी। ऊना की हिमाचली धाम में चावल, दाल, चना, दाल माश, सलूणा, कढ़ी आदि परोसे जाते हैं। ऊना की हिमाचली धाम में पंजाबी खाने का भी अधिक प्रभाव है।

बिलासपुर की हिमाचली धाम

बिलासपुर की हिमाचली धाम में उड़द की धुली हुई दाल, साबुत उड़द, काले चने का खट्टा, तले हुए आलू, आलू पालक में बने कचालू, मीठा, बदाणा तथा कद्दू या घिया की सब्जी, लोबिया की सब्जी आदि प्रसिद्ध परोसी जाती है। उसके साथ चावल परोसे से जाते हैं।

मंडी की हिमाचली धाम

मंडी की हिमाचली धाम में सेपू वड़ी, मूंग दाल कद्दू का मीठा या छोटे गुलाब जामुन, मटर पनीर, राजमा, काले चने, मटर पनीर, लोबिया, खट्टा, आलू का मद्रा. दही का झोल, पतली कढ़ी आदि परोसी जाती है।

कुल्लू-मनाली की हिमाचली धाम

कुल्लू की हिमाचली धाम में बदाणा, कद्दू, आलू या कचालू खट्टे, उड़द की धुली हुई दाल, लोबिया सेतू की वड़ी, पकोड़े वाली कढ़ी, दाल राजमा तथा मीठे चावल परोसे जाते हैं।

सोलन की हिमाचली धाम

सोलन की हिमाचली धाम में हलवा, पूरी, पटांडे, आलू गोभी की सब्जी या फिर कोई मौसमी सब्जी, मिक्स दाल चावल आदि परोसे जाते हैं।

किन्नौर की हिमाचली धाम

किन्नौर की हिमाचली धाम में माह की मांसासारी व्यंजनों का भी समावेश हो गया है। यहां की हिमाचली धाम अन्य हिमाचली धाम थालियों से अलग है क्योंकि यहां पर मांस भी परोसा जाता है।

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लाहौल स्पीति की हिमाचली धाम

लाहौल स्पीति की हिमाचली धाम में चावल, दाल, चना, राजमा, आलू, गोभी, मटर की सब्जी तथा मांसाहारी व्यंजन परोसे जाते हैं। यहां पर भी मांसाहारी व्यंजनों का प्रचलन शामिल है।

सिरमौर की हिमाचली धाम

सिरमौर की हिमाचली धाम  चावल, माह की दाल, मूंग की दाल की, पूड़े, जेलबी, हलवा आदि परोसे जाते हैं।  तो है ना हिमाचली धाम थाली अनोखी थाली। यदि आप हिमाचल के हैं तो हिमाचली धाम थालियों से जरूर परिचित होंगे। यदि आप हिमाचल के बाहर से है तो हिमाचली धाम थाली का आनंद जरूर उठाएं नहीं तो हिमाचल धाम थाली का स्वाद उठाए बिना आपकी हिमाचल यात्रा अधूरी रह जाएगी।

Himachali-Dham-Himachali-Food

 

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