Saturday, July 27, 2024

वडा पाव की कहानी – कैसे बना मुंबई का सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड

वडा पाव की कहानी – कैसे बना मुंबई का सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड (Story of Vada Pav)

मुंबई के वडा पाव का नाम तो सभी ने सुना होगा, यह मुंबई का सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड है और मुंबई में जितना अधिक वडा पाव खाए जाता है, उतना अधिक और कोई फास्ट फूड नही खाया जाता। वडा पाव बनने के पीछे भी एक कहानी (Story of Vada Pav) है, जिसने वडा पाव को लोकप्रिय बनाया।

शायद ही कोई ऐसा मुंबईकर (मुंबई निवासी) हो, जिसने बड़ा पाव नहीं खाया हो। मुंबई में और मुंबई के बाहर महाराष्ट्र में भी वडा पाव की लोकप्रियता का आलम यह है कि मुंबई के हर कोने कोने में चप्पे-चप्पे पर कुछ मिले ना मिले लेकिन वडापाव का स्टॉल जरूर मिल जाएगा। बहुत से लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि वड़ापाव कैसे बना, क्योंकि मुंबई और महाराष्ट्र में वडापाव लोकप्रिय है, इसलिए लोग समझते हैं कि वडापाव एक पारंपरिक महाराष्ट्रीयन व्यंजन है और यह कई सैकड़ों वर्षो से महाराष्ट्र का व्यंजन होगा। लेकिन ऐसा नहीं है।

सच बात तो यह है कि वडापाव का इतिहास बहुत अधिक पुराना नहीं है। वडापाव एक ऐसा फस्टफूड है, जो आजादी के बाद 1960 के दशक में अस्तित्व में आया और तभी से यह लोकप्रिय हुआ। जब बड़ा पाव लोकप्रिय हुआ तो फिर इतना लोकप्रिय कि आज मुंबई का सबसे अधिक लोकप्रिय और पसंदीदा फास्टफूड बड़ा पाव ही है।

चाहे अमीर हो या गरीब हर कोई बड़ा पाव का दीवाना है। मुंबई में तो बड़ा पाव आम आदमी का सबसे लोकप्रिय भोजन है, क्योंकि बेहद सस्ता और आसानी से हर जगह उपलब्ध हो जाता है। आज हम वडा पाव के बनने की कहानी जानेंगे।

वडा पाव कैसे बना?

असल बात तो यह है कि वडा पाव कोई बेहद पुराना पारंपरिक भारतीय व्यंजन नहीं है, जो भारत में या विशेषकर महाराष्ट्र या मुंबई में बहुत सैकड़ों साल पहले से खाया जाता रहा हो। वडा पाव में जिस पाव का उपयोग किया जाता है, वह भी भारत में पुर्तगालियों द्वारा लाया गया था इसीलिए वडापाव का इतिहास बहुत अधिक पुराना नहीं है। बड़ा पाव के बनने और उसकी लोकप्रियता की कहानी 1960-70 के दशक में शुरू हुई।

1960 के दशक में मुंबई में कपड़ा मिलो का साम्राज्य था। देश की अधिकतर कपड़ा मिले मुंबई में स्थित थीं। मुंबई का लोअर परेल इलाका कपड़ों का गढ़ था जहाँ पर मुंबई की अधिकतर कपड़ा मिलें स्थित थीं। मुंबई दादर और लोअर परेल एक दूसरे के नजदीक ही हैं। 1960-70 के दशक में मुंबई में कपड़ा मिल की स्थिति खराब होनी शुरू हुई और धीरे-धीरे एक-एक करके कपड़ा मिलें बंद होनी शुरू हो गई।

बहुत सी कपड़ा मिले मुंबई से सूरत की ओर शिफ्ट करने लगी थी। इन कपड़ों में काम करने वाले कामगारों के प्रति के सामने रोजगार का भी संकट उत्पन्न होने लगा था। 1966 में ही मराठी अस्मिता के नाम पर बाल ठाकरे ने शिवसेना पार्टी का गठन किया था और वड़ापाव की उत्पत्ति भी शिवसेना से जुड़ी हुई है।

शिवसेना के एक कार्यकर्ता अशोक वैद्य नाम के एक व्यक्ति ने ही वडा पाव का आविष्कार किया। अशोक वैद्य को ही वडापाव जैसे लोकप्रिय व्यंजन ईजाद करने का श्रेय मिलता है।

वडा पाव बनने की कहानी

दरअसल जब 1960-70 के दशक में मुंबई में कपड़ा मिलो बंद होनी शुरू हो गई तो उन में काम करने वाले अनेक कामगारों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया। अशोक वैद्य भी ऐसी ही कपड़ा मिल में काम करते थे और वह शिवसेना पार्टी से भी जुड़े थे, क्योंकि 1966 में ही शिवसेना पार्टी की स्थापना हुई थी।

अशोक वैद्य ने अपने रोजगार के लिए दादर स्टेशन के बाहर खानपान की चीजों का स्टॉल लगाना शुरू कर दिया। शुरू वे पारंपरिक नाश्ते आदि में महाराष्ट्रीयन और दक्षिण भारतीय फास्ट फूड बेचा करते थे। उस समय वह वडा तो बनाते थे लेकिन उसे केवल वडा के रूप में ही बेचा करते थे। इसके अलावा वह अपने स्टॉल पर इडली-उडुपी जैसे दक्षिण भारतीय नाश्ते बेचा करते थे क्योंकि उस समय ये नाश्ते ही मुंबई में लोकप्रिय थे।

उनके स्टॉल पर अक्सर मिलों के कामगार खाना खाने आया करते थे, जो अक्सर साधारण आम आदमी होते थे और अक्सर सस्ते नाश्ते या खाने की तलाश में रहते थे। अशोक वैद्य अपने खाने के स्टॉल पर पाव भी रखा करते थे क्योकि उस समय मुंबई में पाव डबलरोटी के रूप में लोकप्रिय हो चुका था।

एक दिन अशोक वैद्य के दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यो न पाव के अंदर कुछ दूसरी खाने की चीज रखकर बेची जाए। उन्होंने पाव को चीरकर उसमें वडा रखकर बेचना शुरू कर दिया। बड़ा पहले से ही महाराष्ट्र में पारंपरिक भोजन के रूप में बनाया जाता था। पाव बहुत अधिक मोटी ब्रेड होती थी इसलिए उसे चीरकर उसमे कुछ दूसरा खाने का पदार्थ रखकर बेचा जा सकता था।

अशोक वैद्य का ये आयडिया काम कर गया। उनका पाव को चीरकर उसमें वडा रखकर बेचना शुरु कर दिया। स्वाद बढ़ाने के लिए उन्होंने वडा पाव के साथ तली हुई रही मिर्च और लहसुन-लाल मिर्च की पारंपरिक सूखी चटनी भी लगानी शुरु कर दी।

धीरे-धीरे उनका यह नया व्यंजन आसपास के लोगों को बेहद पसंद आने लगा। अशोक वैद्य द्वारा वडा पाव बनाए जाने के बाद उसकी लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती गई और आसपास के लोगों ने भी वैसे ही वडा पाव बनाना शुरू कर दिया। वडा पाव को लोकप्रिय बनाने में शिवसेना का भी योगदान रहा।

शिवसेना पार्टी ने इसे महाराष्ट्रीयन डिश माना और इसे महाराष्ट्रीयन डिश के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया। उससे पहले मुंबई में फास्ट फूड के रूप में दक्षिण भारतीय इटली-डोसा-उडुपी अधिक लोकप्रिय थे और लोग नाश्ते में इडली डोसा को खाते थे, लेकिन वडा पाव ने धीरे-धीरे मुंबई के लोगों के पसंदीदा के नाश्ते का स्थान ले लिया।

आज के समय में मुंबई में कोई बाहर का व्यक्ति आए और वह वडा पाव ना खाए तो उसका मुंबई आना अधूरा है, क्योंकि मुंबई और वडा पाव दोनों एक दूसरे के पूरक बन चुके हैं। भले ही वडापाव का इतिहास बहुत अधिक पुराना ना हो लेकिन अब वडा पाव इतना अधिक लोकप्रिय हो चुका है कि यह मुंबई और महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में भी काफी पसंद किया जाने लगा है।

1998 में अशोक वैद्य की मृत्यु हो गई लेकिन वह वडा पाव के आविष्कारक के रूप में जाने जाते रहेंगे। शायद उन्होंने भी कभी नही सोचा होगा कि उनके द्वारा बनाया एक नया व्यंजन आने वाले समय में मुंबई का सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड बन जाएगा।

वडा पाव का ब्रांड अवतार

1960 में शुरू हुआ वडा पाव का सफर 2000 के दशक तक आते-आते अपनी लोकप्रियता के चरम पर पहुंच गया था। वडा पाव मुंबई की रग-रग में बस चुका था और मुंबई के चप्पे-चप्पे पर वडा पाव मिलने लगा था। लेकिन वडा पाव कोई एक ब्रांड नहीं बन पाया था।

वडा पाव की इसी लोकप्रियता का सबसे सटीक फायदा उठाने और उसको एक ब्रांड का नाम देने का कार्य गुप्ता दंपत्ति ने किया। धीरज गुप्ता और उनकी पत्नी रीता गुप्ता ने अगस्त 2001 में ‘जंबो किंग’ के नाम से एक फ्रेंचाइजी की स्थापना की जो वडा पाव को हाइजेनिक तरीके से बनाने लगी। इससे पहले वडा पाव केवल लोकल स्तर पर स्थानीय खाद्य विक्रेताओं द्वारा ही बनाया जाया करता था।

गुप्ता दंपति ने 2001 में मलाड स्टेशन (ईस्ट) के बाहर सबसे पहले ‘जंबो किंग’ नाम की आउटलेट खोली जो वडा पाव जैसे देसी व्यंजन का एक ब्रांड अवतार था। धीरे-धीरे उनकी आउटलेट चल पढ़ी और उसकी संख्या बढ़ती गई। मलाड के बाद कांदिवली और उसके बाद मुंबई के अन्य हिस्सों में जंबों किंग के नाम की आउटलेट खुलती गईं। शुरु में उन्होंने बड़ा पाव की एक वैरायटी से शुरुआत की। बाद उन्होंने जंबो किंग आउटलेट में वडा पाव की अनेक वैरायटी रखनी शुरू कर दी।

आज जंबोकिंग एक जाना माना ब्रांड बन चुका है। जिसकी मुंबई में अनेक आउटलेट हैं इसके  अलावा देश के कई हिस्सों में भी उसकी आउटलेट हैं। आज जंबो किंग वड़ा पाव के अलावा अन्य फास्ट फूड आइटम भी बेचता है। आज मुंबई में जंबो किंग ही नही अन्य कई नाम से वडा पाव के ब्रांड बन चुके हैं और सड़क से शुरु हुआ वडा पाव का सफर बड़े-बड़े होटल और रेस्तरां तक पहुँच चुका है।

वडा पाव केवल मुंबई में नहीं बल्कि यह मुंबई की सीमा से बाहर निकल कर महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों में भी काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। यहां तक कि इसने ग्लोबल स्तर पर भी अपने वडा पाव ने अपनी पहचान बनानी शुरु कर दी हैं।

वडा पाव को देसी बर्गर कहा जा सकता है। Test Atlas नाम की एक वेबसाइट जो कि खानपान से संबंधित चीजों की लोकप्रियता की लिस्ट जारी करती है। उसने दुनिया के 100 सबसे अधिक लोकप्रिय सैंडविच में वडापाव को 30वां स्थान दिया है।

वडा पाव संबंधित कुछ विशेष बातें

  • वडा पाव का आविष्कार करने वाले व्यक्ति का नाम ‘अशोक वैद्य’ है। अशोक वैद्य ने ही 1966 में वडा पाव को सबसे पहले बनाया। इससे पहले बड़ा पाव नाम का कोई भी फास्ट फूड या सैंडविच अस्तित्व में नहीं था।
  • वडा पाव विश्व के 100 लोकप्रिय सैंडविच में से 30वें स्थान पर है।
  • वडा पाव को देसी बर्गर के नाम से भी जाना जाता है।
  • देसी वर्गर के नाम से जाना जाने के बावजूद वडा पाव में प्रयोग की जाने वाली दोनों मुख्य सामग्री यानी पाव और आलू दोनों ही विदेशी सामग्री है, जो कि विदेशियों द्वारा भारत में लाई गईं।
  • पाव और आलू दोनों ही मूल रूप से भारतीय खाद्य नहीं है, ये विदेश से भारत में आईं।
  • वडा पाव का वडा से विशुद्ध भारतीय व्यंजन है। ये महाराष्ट्र में काफी समय से बनाया जाता रहा है, इसे महाराष्ट्रीयन शैली का पकौड़ा कहा जा सकता है।
  • वडा पाव बनाने के लिए आलू को उबाल के उन्हें मैश किया जाता है। फिर उसमें तरह-तरह के मसाले मिलाए जाते हैं और फिर उनके गोले बनाकर उन्हें बेसन के घोल में डुबोकर तेल में तला जाता है।
  • फिर पाव को लेकर पाव को दो हिस्सों में चीर कर उसके अंदर वडा को रखकर उसमें चटनियां डाली जाती है। इन चटनियों में तीखी व मीठी चटनी तथा लहसुन की पारंपरिक महाराष्ट्रीयन सूखी चटनी लगाई जाती है जो कि वडा पाव के स्वाद को कई गुना बढ़ा देती है।

वडा पाव मुंबई का एक प्रसिद्ध फास्ट फूड है, जो सुबह से लेकर शाम तक हर समय खाया जाता है और हर समय वडा पाव जरूर मिलेगा। वडा पाव पसंद करने में अमीरी गरीबी का कोई भेद नहीं है। यह समाज के हर वर्ग को बेहद पसंद आता है। मुंबई का रहने वाला कोई भी निवासी वडा पाव के स्वाद से अपरिचित नहीं रह सकता।

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