मकर संक्रांति का पर्व (Makar Sankranti Festival) का पर्व पूरे भारत में अलग-अलग रूपों में बेहद उल्लास एवं उत्साह से मनाया जाता है। यह पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता है? भारत के अलग-अलग प्रदेशों में यह किन रूपों में मनाया जाता है, आईए जानते हैं… |
मकर संक्रांति पर्व, इतिहास, मनाने के कारण (Makar Sankranti Festival)
मकर संक्रांति भारत के प्रमुख पर्वों में से है, जो भारत के हर राज्य में बेहद हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हालांकि मकर संक्रांति का पर्व भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्यौहार है जो विभिन्न रूप धारण किए हुए हैं।
यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। ये पर्व दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। सूर्य हर छः माह दक्षिण से उत्तर और हर छः माह उत्तर से दक्षिण दिशा में गति करते हैं। मकर संक्रांति के दिन दक्षिण दिशा से उत्तर की ओर गमन करते हैं और इसी दिन मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसी खगोलीय घटना को भारत में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और इसी कारण मकर संक्रांति का यह पर्व मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है क्योंकि सूर्य इसी दिन दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर जाते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। भारत के जिन राज्यों में जिस नाम से जाना जाता है, वह इस प्रकार हैं…
मकर संक्रांति : छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू
ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल : तमिलनाडु
उत्तरायण : गुजरात, उत्तराखण्ड
उत्तरैन : माघी संगरांद : जम्मू
शिशुर सेंक्रात : कश्मीर घाटी
माघी : हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब
भोगाली बिहु : असम
खिचड़ी : पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार
पौष संक्रान्ति : पश्चिम बंगाल
मकर संक्रमण : कर्नाटक
केवल भारत में बल्कि भारत से बाहर भी कई देशों में यह पर्व उत्साह एवं उल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व उन देशों में जहाँ पर भारतीय अच्छी खासी संख्या में बसे हुए हैं या उन देशों में जहां पर पहले कभी हिंदू धर्म प्रचलन में था और वहां पर हिंदू शासन स्थापित था। ऐसे देशों में आज भी यह पर्व उत्साह से मनाया जाता है। इन देशों में थाईलैंड, कंबोडिया, फिजी, मारीशस, लाओस, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल आदि देशों के नाम प्रमुख है। यह सभी एशियाई देश हैं। इन देशों में मकर संक्रांति को इन नाम से जाना जाता है
बांग्लादेश : संक्रैन/ पौष संक्रान्ति
नेपाल : माघे संक्रान्ति या ‘माघी संक्रान्ति’ ‘खिचड़ी संक्रान्ति’
थाईलैण्ड : सोंगकरन
लाओस : पि मा लाओ
म्यांमार : थिंयान
कम्बोडिया : मोहा संगक्रान
श्री लंका : पोंगल, उझवर तिरुनल
विस्तार से जानते हैं कि भारत के कौन से राज्य में मकर संक्रांति किस रूप में और किस नाम से और किस तरह मनाई जाती है…
उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से ही जाना जाता है। यह पर्व पूरे उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व है और पवित्र नदियों में स्नान करने का अलग महत्व है। उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां हैं। इसी कारण इन इन नदियों के तट पर मकर संक्रांति के दिन विशाल मेला लगता है और इस मेले को माघ मेले के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन धर्म में आस्था रखने वाले लोग इन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मकर संक्रांति के दिन उत्तर प्रदेश में उड़द की काली दाल की खिचड़ी बनाकर खाने का विशेष रिवाज है। इस दिन मीठे पकवान के रूप में तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। यह दोनों पकवान मकर संक्रांति के दिन अवश्य बनाए जाते हैं और इस दिन इन दोनों पकवानों को बनाना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष रिवाज है।
बिहार : मकर संक्रांति को बिहार में खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उड़द की दाल की खिचड़ी बनाई जाती है। तिल, चिवड़ा के लड्डू बनाए जाते हैं। उसके अलावा दान के रूप में गो-दान किया जाता है अथवा स्वर्ण आभूषण, वस्त्र, गरीबों को वस्त्र, कंबल आदि दान देने का भी अलग महत्व है।
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के दिन कपास तेल अथवा नमक आदि से बनी चीजों का दान करने का रिवाज है। यहां पर खिचड़ी बनाने का रिवाज नहीं है, लेकिन तिल के बने लड्डू अथवा हलवे बनाने की प्रथा है।
गुजरात : गुजरात में भी मकर संक्रांति का पर्व उत्साह से मनाया जाता है और तिल के बने व्यंजन बनाए जाते हैं। गुजरात मकर संक्रांति के दिन पतंग बहुत अधिक उड़ाने का रिवाज है।
बंगाल : मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने तथा तिल का दान करने की परंपरा है। यहाँ पर गंगासागर है, जहाँ पर हर साल विशाल मेला लगता है।
तमिलनाडु : तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के नाम से जाना जाता है और यह पर्व 4 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल या केनु पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल होता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति पर्व पर कूड़ा-करकट आदि जमा करके उसे जलाने की प्रथा है। इसके साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है तथा जिनके घर में पशु धन है अर्थात गाय, भैंस, बकरी, बैल आदि हैं तो उनकी भी पूजा की जाती है।
पोंगल के दिन तमिलनाडु के लोग स्नान करके खुले आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनाते हैं। इस खीर को पोंगल प्रसादम कहा जाता है। पोंगल को पहले सूर्य भगवान को प्रसाद के रूप में खीर अर्पण करने के बाद उसे खीर को सभी लोग प्रसाद के रूप में खाते हैं।
असम : असम में मकर संक्रांति के पर्व को बिहू माघ अथवा भोगली बिहू के नाम से जाना जाता है। इस दिन वहां पर पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य गान आदि किए जाते हैं। असम के लोग इस दिन लोग असमी वेशभूषा धारण कर नृत्य करते हुए उत्सव मनाते हैं।
राजस्थान : राजस्थान में मकर संक्रांति के पर्व के दिन लोग सुहागन महिलाएं अपनी सास से विशेष आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस दिन महिलाएं किसी सौभाग्य सूचक वस्तुओं का पूजन करती हैं और यह वस्तुएं संख्या 14 होती है। इस दिन वे संकल्प करके 14 ब्राह्मण को दान भी देती हैं।
उत्तराखंड : उत्तराखंड में मकर संक्रांति का पर्व घुघुतिया के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड के लोग मकर संक्रांति के दिन सुबह नहा धोकर अपने घरों की साफ सफाई करते हैं तथा मिट्टी आदि की सहायता से घरों की लिपाई-पुताई की जाती है। उसके बाद घर में जो भी देवी देवता की मूर्ति स्थापित है, उनकी पूजा की जाती है। इस दिन उत्तराखंड के लोग घुगुतिया नामक पकवान बनाते हैं जो कि आटे का बना होता है। इस घुघुतिया पकवान को अलग-अलग आकृतियों में बनाया जाता है। इस तरह यह घुघुतिया पकवान परिवार के सभी लोग खाते हैं। सबसे पहले परिवार के छोटे बच्चों द्वारा यह घुघुतिया पकवान कौवे को खिलाया जाता है।
जम्मू-कश्मीर और पंजाब : जम्मू-कश्मीरा और पंजाब में यह पर्व उत्तरण अथवा माघी संक्रांत के नाम से जाना जाता है। जम्मू और पंजाब में इससे एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व भी मनाया जाता है और फिर मकर संक्रांति के पर्व के दिन से माघ मास का आरंभ होता है इसीलिए इसे माघी संक्रांत भी कहा जाता है। जम्मू और पंजाब के लोग भी माँह की दाल की खिचड़ी बनाते हैं और खाते हैं और उसका दान करते हैं। जम्मू और पंजाब के कुछ क्षेत्रों में ऐसे खिचड़ी वाला पर्व भी कहा जाता है।
इसके अलावा भी देश के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति पर दान का महत्व मकर संक्रांति के पर्व में दान का विशेष महत्व है इस दिन दान पुण्य को बेहद शुभ माना जाता है। निर्धनों और जरूरतमंदों को वस्त्र धन तथा उपयोगी वस्तुओं का दान करना बेहद शुभ माना गया है। इस दिन उड़द की काली दाल का दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति आस्था का पर्व है। इस दिन सूर्य दक्षिण से उत्तर की दिशा की ओर गति करते हैं। दक्षिणायन को देवता की रात माना जाता है तो उत्तरायण को देवता का दिन माना जाता है, इसलिए सूर्य का उत्तरायण में प्रवेश करना बेहद शुभ माना गया है और इस दिन से देवताओं के दिन का आरंभ होता है। उत्तरायण को देवयान भी माना जाता है, इसलिए उत्तरायण में सभी शुभ कार्य किए जाते हैं।
मकर संक्रांति कैसे मनाए?
मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके नियमित पूजा पाठ करनी चाहिए। यदि आपके घर के निकट कोई पवित्र नदी है तो वहां पर जाकर स्नान कर सकते हैं। पवित्र नदियों में स्नान करने का इस दिन महत्व है।
यदि घर पर ही है तो स्नान के पश्चात अपने घर में स्थापित देवी-देवताओं की पूजा करें। सूर्य भगवान को जल का अर्ध्य दें। आपके क्षेत्र में जो भी प्रथा प्रचलित हो, उसके अनुसार पकवान बनाएं। विशेष कर उड़द की काली दाल की खिचड़ी बनाना विशेष शुभ माना जाता है। तिल के बने व्यंजन भी बना सकते हैं।
इस दिन बहुत से क्षेत्र में इस दिन पतंग उड़ाए जाने का रिवाज है। दोपहर और शाम को पतंग के उड़ाई जाती हैं। युवा लोग इस आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। पतंग उड़ाते समय तीखी धार वाले मांजे का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें। इससे अनेक पशु-पक्षियों को हानि पहुंचाने की आशंका रहती है। त्योहार कुछ ढंग से मनाया जो किसी के लिए कष्टायक हो, सभी जीवो पर दया करते हुए अपने आनंद को मनाना ही त्यौहार की सार्थकता को सिद्ध करता है।
मकर संक्रांति के दिन क्या-क्या दान करना शुभ रहता है?
मकर संक्रांति के दिन काली उड़द की दाल, चावल, गुड़, मूंगफली के दाने, तिल, सफेद कपड़ा, मूंग दाल, कंबल, चांदी के बर्तन, सफेद तिल आदि का दान करना बेहद शुभ फलदायी माना गया है।
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