हरियाली तीज (Hariyali Teej)एक ऐसा त्योहार है जो हर साल श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार अगस्त में मनाया जाता है और रक्षाबंधन से 11 दिन पहले आता है। आइए इसके बारे में जानत है…
हरियाली तीज त्योहार क्या है, इसके कैसे मनाएं सब कुछ जानें…(Hariyali Teej)
हरियाली तीज त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए समर्पित है और यह उनके सुख और समृद्धि का प्रतीक है। हरियाली तीज को सावन के महीने के त्योहार रूप में भी देखा जाता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का महीना है।
हरियाली तीज को मनाने का तरीका क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग होता है, लेकिन कुछ आम बातें हैं जो सभी क्षेत्रों में समान रूप से देखी जाती हैं। महिलाएं इस दिन नए कपड़े पहनती हैं और हरियाली के रंगों से सजती हैं वे हरियाली के पौधों, जैसे कि तुलसी, बेलपत्र, और आम की पत्तियों को अपने घरों में सजाती हैं। वे पूजा करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती से अपने परिवार के लिए सुख और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
हरियाली तीज उत्तर भारत में बड़े जोर-शोर से मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह त्यौहार सुख एवं समृद्धि का प्रतीक होता है। यह त्यौहार अधिकतर महिलाओं द्वारा ही मनाया जाता है। यह मुख्यतःपौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह त्यौहार भगवान शिव और पार्वती के पुनर्मिलन के स्मरण के तौर पर मनाया जाने वाला त्यौहार है।
हरियाली तीज त्यौहार में महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और घर में पूजा पाठ करते हैं तथा माता गौरी का सोलह सिंगार द्वारा पूजन करती हैं। इसके अलावा वह अपने पति की समृद्धि अपने घर की समृद्धि तथा पति की दीर्घायु की कामना करते हुए यह व्रत रखती हैं।
इस दिन विवाहित महिलाएं सोलह सिंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। उत्तर भारत में विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु व्रत रखती हैं। पूरा दिन व्रत रखने के बाद अंत में तीज की कथा सुनी जाती है और लोकगीत गाए जाते हैं तथा लोक नृत्य किए जाते हैं। यह त्योहार सावन के महीने में पड़ता है इसलिए गांव आदि में पेड़ों पर झूला झूले जाते हैं। घर में सात्विक भोजन बनाया जाता है तथा खीर-पुरी और बिना प्याज लहसुन का भोजन बनाया जाता है।
हरियाली तीज क्यों मनाया जाता है?
हरियाली तीज त्योहार के मनाने के पीछे यह कथा है कि एक बार भगवान शिव ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने के लिए एक कथा सुनाई थी। जिसके अनुसार माता पार्वती भगवान शिव को ही अपना पति मान चुकी थीं और उनको वर के रूप में पाने के लिए नित्य जप-तप करती थीं।
एक बार नारदजी उनके घर पधारे और कहा कि मैं भगवान विष्णु के कहने पर आया हूँ। वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर विवाह करना चाहते हैं। तब पार्वती जी के पिता पर्वतराज हिमालय प्रसन्न हो गए और अपनी कन्या पार्वती का विवाह विष्णु से कराने के लिए तैयार हो गए। लेकिन जब पार्वती को यह पता चला तो वह दुखी हो गई क्योंकि वह भगवान शिव को ही अपना वर मानती थीं। ऐसी स्थिति में एक जंगल में जाकर छुप गई। उनके पिता उन्हें नहीं ढूंढ पाए।
अपनी पुत्री के गायब होने पर पिता चिंतित होकर सोचने लगे कि यदि जब विष्णु बारात लेकर आएंगे तब वह क्या जवाब देंगे। पिता ने अपनी पुत्री पार्वती को बहुत ढूंढा लेकिन वो कहीं नहीं मिलीं। पार्वती एक गुफा में भगवान शिव का रेत का शिवलिंग बनाकर निरंतर शिव की आराधना करती थीं। इसके लिए उन्होंने अनेक कष्ट सहे और भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी तक की परवाह नही की। उ
नकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया। उसी समय उनके पिता उन्हें ढूंढते हुए वहाँ आ गए और अपनी पुत्री को साथ चलने के लिए कहने लगे। तब पार्वती ने उन्हें सारी बात बताई कि वह शिव को ही अपना पति मानती हैं और उनको ही अपने वर के रूप में वरण कर लिया है। यदि वह उनका विवाह शिव से कराने के लिए तैयार हैं, तो वह उनके साथ चलने के लिए तैयार हैं।
हिमालयराज अपनी पुत्री पार्वती की बात मान गए और उसके बाद भगवान शिव से पार्वती का विवाह हो गया। इसी विवाह के उपलक्ष में हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है, क्योंकि मां पार्वती ने कठोर व्रत रखकर भगवान शिव को प्राप्त किया था उसी कारण तभी से यह मान्यता चल पड़ी थी जो स्त्री व्रत रखेगी उसे अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी और उसके पति की दीर्घायु होगी।
हरियाली तीज के दिन निम्नलिखित उपाय भी करें
- महिलाएं भगवान शिव और माँ पार्वती को चावल और दूध से बनी खीर का भोग लगाएं और वह प्रसाद को पूजा समाप्त होने के बाद खुद खाएं तथा अपने पति को दें। इससे दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
- हरियाली तीज के दिन महिलाएं भगवान शिव को पान का बीड़ा चढ़ाएं और वह पान का बीड़ा फिर अपने पति को दे दें तो इससे दांपत्य जीवन में मधुरता आती है
- तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पति-पत्नी मिलकर पूजा करें और खीर का भोग लगाने से दांपत्य जीवन में मधुर संबंध बनते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- यदि किसी युवती का विवाह नहीं हो पा रहा हो या विवाह बार-बार टूट रहा हो, तो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के बाद पीले वस्त्र पहनकर प्रदोष काल में पूजा करें। माता पार्वती को कुमकुम अर्पित करें और उस कुमकुम को अपने पास रख लें और उसका टीका लगाएं तो शीघ्र विवाह संभावना होती है कि विवाह की समस्याएं दूर हो सकती हैं।
- भगवान शिव और माता पार्वती को सूजी का हलवा चढ़ाने से भी घर में सुख समृद्धि तथा दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
- भगवान शिव और माता पार्वती को घेवर का भोग लगाने से शुभ फल प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
- हरियाली तीज के दिन माँ पार्वती और शिव भगवान शिव को शहद का भोग लगाने से लगाकर उसको किसी ब्राह्मण को दान कर देने दाम्पत्य जीवन में मधुरता आती है।
- इसी तरह हरियाली तीज के दिन माता पार्वती को गुड़ से बनी किसी भी मिठाई का भोग लगाकर उस मिठाई को किसी को दान कर देने से आर्थिक संकट दूर होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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