के के मोहम्मद (K K Muhammed) एक अनोखे पुरातत्वविद जो मुस्लिम हैं, लेकिन उन्होंने अपनी जॉब में अपने धर्म में को आड़े हाथों आने नही दिया। जानते हैं उनके बारे में… |
K K Muhammed – एक मुस्लिम पुरातत्वविद जो हमेशा राम मंदिर के सच के साथ खड़ा रहा
के के मोहम्मद एक ऐसे इतिहासकार रहे हैं, जिन्होंने राम मंदिर के पुरातात्विक सर्वेक्षण में अहम भूमिका निभाई है। वह भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक रहे थे। उन्होंने ही राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद में बाबरी ढांचे के नीचे पुरातात्विक सर्वेक्षण किया था। उनके नेतृत्व में टीम ने इस ढांचे का सर्वेक्षण करके अदालत में यह साक्ष्य दिए थे कि बाबरी मस्जिद का जो ढांचा था, उसकी जगह पर पहले कभी एक हिंदू मंदिर था। क्योंकि पुरातात्विक विभाग को खुदाई में जमीन के नीचे से मंदिर के कई अवशेष मिले थे।
के के मोहम्मद इस्लाम धर्म के अनुयाई हैं और दक्षिण भारत के केरल राज्य के रहने वाले हैं, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने पुरातात्विक विभाग में अपनी धार्मिक आस्था को कभी भी आड़े हाथ नहीं आने दिया। उन्होंने उसी बात का समर्थन किया जो कि सच है।
अपने अनेक इंटरव्यू में वह हिंदू धर्म की उदारता और सहिष्णुता की प्रशंसा कर चुके हैं। मंदिर होने के साक्ष्य प्रमाण देने के कारण उन्हें अपने समुदाय के लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा है, लेकिन वह अपना कार्य निश्चित होकर करते रहे हैं। आईए जानते हैं कि एक मोहम्मद कौन हैं?
के के मोहम्मद भारत के पुरातात्विक विभाग में काम करने वाले एक सर्वेक्षण अधिकारी थे क्योंकि अब वह रिटायर हो चुके हैं। वह भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के उत्तर क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक रहे थे। उनके नेतृत्व में अनेक पुरातात्विक स्थलों का उत्खनन किया गया है।
राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद की पृष्ठभूमि में विवादित स्थल का पुरातत्व उत्खनन भी उनके नेतृत्व में उनकी टीम ने किया था। इसके अलावा उन्हें बौद्ध स्मारकों और हिंदू मंदिरों की खोज का श्रेय भी दिया जाता है।
उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अनेक ऐसे लुप्तप्राय मंदिरों की खोज की जो भारत में मध्यकाल में आक्रमणकारियों द्वारा ध्वस्त कर दिए गए थे और उनकी जगह पर या तो मस्जिदों आदि का निर्माण कर दिया गया था या फिर उन मंदिरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया था।
के के मोहम्मद का परिचय
के के मोहम्मद का जन्म केरल के कोझीकोड (कालीकट) में स्थित कोडुवेल्ली नामक गाँव में उनका जन्म 1 जुलाई 1952 को हुआ। उनके पिता का नाम बीयराम कुट्टी हाजी तथा माता का नाम मरियम था। वह कुल पाँच बहन भाई थे, जिसमें उनका नंबर दूसरा था।
उनकी आरंभिक शिक्षा केरल के कोझीकट (कालीकट) जिले में ही हुई। जहां के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उसके बाद वह उत्तरी भारत चले आए और अलीगढ़ में स्थित प्रसिद्ध अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से उन्होंने 1973-75 में इतिहास में मास्टर डिग्री प्राप्त ली।
फिर उन्होंने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा संचालित नई दिल्ली स्थित स्कूल आफ आर्कियोलॉजी से पुरातत्व साइंस में स्नातकोत्तर पोस्ट ग्रेजुएशन (1976) ली।
करियर
उनके करियर का आरंभ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में एक तकनीकी सहायक के तौर पर आरंभ हुआ। फिर वहीं पर वह सहायक पुरातत्वविद भी बने। उसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए वह उपअधीक्षक पुरातत्वविद के रूप में चुने गए।
अपने करियर के शुरुआती दौर में उन्हें 1988 में पुरातत्व विभाग की ओर से मद्रास में तैनात किया गया। फिर उन्हें 1991 में गोवा में नियुक्ति मिली। उसके बाद 1997 में उनकी अधीक्षक पुरातत्वविद के रूप में पदोन्नति हुई।
समय-समय पर उनका भारत के अलग-अलग राज्य में तबादला होता रहा और उन्होंने उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली जैसे कई राज्यों के प्राकृतिक विभाग में अपनी सेवा दी। 2012 में उन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर क्षेत्र) बनाया गया और 2012 में ही उनकी सेवा निवृत्ति हो गई।
के के मोहम्मद क्यों चर्चित रहे?
सभी जानते हैं कि के के मोहम्मद एक मुस्लिम हैं, लेकिन उन्होंने अपने जो भी पुरातात्विक सर्वेक्षण किया उसमें से अधिकतर सर्वेक्षण में उन्होंने जो भी निर्णय सही पाया उसे पूरी तरह ईमानदारी के पेश किया और अपने पद पर पूरी ईमानदारी से कार्य किया।
यह निर्णय हिंदू धर्म के दावों को समर्थन करते थे, इसी कारण अक्सर वह अपने समुदाय के लोगों की नाराजगी का भी कारण बनते रहे हैं।
के के मोहम्मद ने अनेक महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज की है। उनकी प्रमुख प्राकृतिक खोज में से
केके मुहम्मद की प्रमुख पुरातात्विक खोजें
- अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम का नेतृत्व किया और 1976 में की गई खुदाई में मंदिर के अवशेषों का पता लगाया। वह 1976 में बीडी लाल के नेतृत्व वाली पुरातात्विक टीम का हिस्सा थे। इस खोज ने अयोध्या में राम मंदिर के अस्तित्व को प्रमाणित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उन्होंने भारत के कई महत्वपूर्ण मंदिरों की खुदाई की और उनके जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- बटेश्वर मंदिर परिसर, मध्य प्रदेश
- महाबलीपुरम, तमिलनाडु
- कांचीपुरम, तमिलनाडु
- हम्पी, कर्नाटक
- उन्होंने कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और जीर्णोद्धार का काम भी किया, जिनमें शामिल हैं:
- ताजमहल, उत्तर प्रदेश
- लाल किला, दिल्ली
- हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली
- अजंता और एलोरा की गुफाएं, महाराष्ट्र
- इबादत खाना, आगरा
- के के मोहम्मद ने अपने पुरातात्विक कार्यकाल के दौरान अनेक हिंदू मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य किया था। यह कार्य उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के अपने पेशे की ईमानदारी के आधार पर किया।
केके मुहम्मद की प्रमुख उपलब्धियाँ
- उन्हें 2019 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।
- उन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) 2012 में नियुक्त किया गया। वह इस पद को सुशोभित करने वाले पहले व्यक्ति थे। उसी वर्ष वह रिटायर हो गए।
- उन्हें आगा खान संस्कृति ट्रस्ट में पुरातात्विक परियोजना निदेशक नियुक्त किया गया।
अक्सर वामपंथियों के निशाने पर रहते हैं और वह खुद भी वामपंथियों को निशाने पर लेते रहते हैं।
के के मोहम्मद अक्सर वामपंथियों के निशाने पर रहते हैं क्योंकि वह वामपंथियों की आलोचना करने से नहीं चूकते। उन्होंने भारतीय इतिहास को बिगाड़ने में वामपंथियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार वामपंथियों ने भारत की अनेक प्रमाणित इतिहास को नकारते हुए इतिहास को अंग्रेजों और इस्लामी शासन के अनुरूप लिखा और भारतीय हिंदू धर्म से संबंधित इतिहासों के स्वरूप को बिगाड़ा।
राम मंदिर के बारे में भी के के मोहम्मद की यही धारणा है कि 1976 की बी डी लाल के नेतृत्व में पुरातात्विक टीम में वामपंथी इतिहास कार्य जानते थे कि उस जगह के नीचे पहले कभी मंदिर था लेकिन उन्होंने इस बात को स्वीकार किया और अदालत में झूठे दावे पेश किए।
2016 में के के मोहम्मद ने मलयालम भाषा में अपनी आत्मकथा में ‘एक भारतीय नाम’ (I am an Indian name) नाम से प्रकाशित की। इस पुस्तक में भी उन्होंने वामपंथी इतिहासकारों पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने कट्टरवादी मुस्लिम गुटों का समर्थन किया और उनके अनुसार ही इतिहास के कथाएं गढ़ीं।
इन वामपंथी इतिहासकारों ने अयोध्या के राम मंदिर विवाद में एक सही समाधान खोजने को नकारा। इन इतिहासकारों ने पुरातत्व खुदाई में मिले साक्ष्यों को भी नाकारा और अदालत को भी गुमराह करने की कोशिश की । उन्होंने चरमपंथी मुस्लिम गुटों का समर्थन किया, जिस कारण अयोध्या का राम मंदिर विवाद उलझा रहा। यदि वामपंथी इतिहासकार सच्चाई को सामने लाते और जो सच है, उसको सही से प्रकट करते तो इस मुद्दे का समाधान काफी पहले सौहार्दपूर्ण वातावरण में हो गया होता।
उन्होंने इतिहासकार इरफान हबीब पर भी आरोप लगाया है कि इरफान हबीब ने भारतीय इतिहास से बहुत छेड़छाड़ की। उन्होने ही अयोध्या विवाद के साक्ष्यों को नकारने और दबाने की कोशिश की।
के के मोहम्मद अपने कार्यकाल में 80 से अधिक मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य कर चुके हैं। के के मोहम्मद एक इस्लाम धर्म के अनुयाई होने के बाद भी हिंदू जीवन शैली से काफी प्रभावित हैं। वह अक्सर अपने कई इंटरव्यू में हिंदू धर्म के बारे में तारीफ कर चुके हैं।
उन्होंने लल्लनटॉप नामक यूट्यूब चैनल को दिए गए अपने एक इंटरव्यू में यह कहा था कि यूं तो वह किसी धर्म को नहीं मानते और पूरी तरह नास्तिक होने में विश्वास रखते हैं। यदि अगला जन्म उन्हें मिले तो वह नास्तिक के रूप में जन्म लेना पसंद करेंगे, लेकिन फिर भी उन्हें कोई धर्म चुनने का अवसर प्राप्त हो तो वह अगले जन्म में हिंदू धर्म में जन्म लेना पसंद करेंगे। उनके अनुसार हिंदू धर्म जितने उदारवादी लोग किसी अन्य धर्म में नहीं पाए जाते। जो बहुत अधिक आक्रामक नही होते।
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