Saturday, July 27, 2024

देवरहा बाबा कौन थे? देवरहा बाबा का पूरा जीवन परिचय जानिए।

प्रसिद्ध संत देवरहा बाबा (Devraha Baba) कौन थे? वह क्यों प्रसिद्ध थे? उनके पूरे जीवन का एक आकलन करते हैं…

प्रसिद्ध संत देवरहा बाबा जो कई सौ साल तक जीवित रहे (Devraha Baba Biography)

भारत के कुछ प्रसिद्ध सिद्ध पुरुष-संतों की बात की जाए तो उनमें देवरहा बाबा और नीम करौली बाबा का नाम सबसे ऊपर है। देवरहा बाबा जो अपनी आशीर्वाद देने की विशिष्ट शैली के लिए जाने जाते थे और उनके बारे में यह मान्यता थी कि उनकी आयु कई सैकड़ो वर्ष थी। उनके बारे में कहा जाता है कि वह अपनी आयु को जीत चुके थे।

सामान्यतः मनुष्य की आयु अधिकतम 100 वर्ष होती है। आज के समय में तो 80 वर्ष तक भी जीना बहुत अधिक माना जाता है। लेकिन हमारे भारत के प्राचीन काल में कई ऐसे सिद्ध महापुरूष हुए हैं जिन्होंने आयु पर विजय पाई है और वह कई सौ वर्ष जिए थे। प्राचीन भारत में 100 वर्ष की आयु तक जीना सामान्य था और साधु-संत, ऋषि-मुनि, सिद्ध योगी आदि तो कई सौ वर्षो तक जीते ते। लेकिन इस कलयुग में 100 वर्ष की आयु से अधिक जीना आश्चर्यजनक माना जाता है।

देवराहा बाबा आयु परे एक सिद्ध पुरुष संत थे, जो न केवल कई सौ वर्षो तक लंबे समय तक जिए बल्कि वह एक ऐसी तीव्र सिद्ध शक्ति वाले आध्यात्मिक संत थे जिनके पास अनोखी सिद्ध शक्तियां थीं। उनकी कहीं बाते सच होती थीं और उनके द्वारा दिया गया आशीर्वाद भी फलीभूत होता था।

वह पैरों द्वारा आशीर्वाद देने के लिए विख्यात थे। किसी-किसी को तो वह अपने हाथों से भी आशीर्वाद दे देते थे तो समझो उसकी नैया पार लगना तो पक्का था।

देवरहा बाबा का जीवन परिचय

देवरहा बाबा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के देवरिया जिले में नादौली गाँव में रहते थे। उनकी असली नाम तो किसी को पता नही था लेकिन उनको देवराहा बाबा कहा जाता था।

उनके जन्म के बारे में कोई स्पष्ट तारीख किसी को पता नहीं है। लोग बताते हैं कि वह कई 100 साल तक जीवित रहे। कोई उनकी आयु 250 साल तो कोई 500 साल कोई 600 साल तो कोई 900 साल तक बताता है। बहुत से लोग बताते है कि वह उनके बचपन से ही यूँ ही देखते आ रहे थे।

उनके जन्म की तिथि भले ही स्पष्ट नहीं लेकिन उनका निधन यानि देवलोक गमन 19 जून 1990 को हुआ। जब योगिनी एकादशी के दिन उन्होंने अपने इस भौतिक शरीर का त्याग किया।

देवरहा बाबा कौन थे वह कहां से आए थे। यह किसी को पता नहीं चल सका बस लोगों को इतना पता है कि वह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में आ गए और वहां पर सरयू नदी के तट पर अपना आश्रम बनाकर रहने लगे।

वह अपने आश्रम में लकड़ी के एक मचान पर ही रहते थे और उनकी सेवा करने वाले उनके भक्तगण बताते हैं कि वह दिन में केवल एक बार अपने मचान से उतरते थे जब उन्हें स्नान करना होता था।

जब तक वह जीवित रहे उनके पास से देश उनके पास देश-विदेश से अनेक लोग आते थे और उनके आश्रम में अपनी मुरादे अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की इच्छाएं पूरी करने उनका आशीर्वाद पाने के लिए लोगों का तांता लगा रहता था ।

बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ, फिल्मी सितारे, उद्योगपति तथा अन्य कई क्षेत्रों के जाने-माने व्यक्ति उनके पास आते और उनसे आशीर्वाद लेते थे। वह अपनी परंपरागत शैली में अपने पैर से ही लोगों को आशीर्वाद देते थे क्योंकि वह लकड़ी की ऊंची मचान पर बैठे थे और जब कोई उनकी मचान के नीचे खड़ा होकर उनसे आशीर्वाद लेता तो वह अपने पैर से लोगों का सर पर रखकर आशीर्वाद देते। लेकिन जिस पर वह अधिक प्रसन्न हो जाते थे उसे अपने हाथों से भी आशीर्वाद दे देते थे।

बताते हैं कि भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी उनके पास जाकर आशीर्वाद लिया था। इंदिरा गांधी को उन्होंने अपने हाथों से आशीर्वाद दिया था और तभी से इंदिरा गांधी के जीवन में अनोखा परिवर्तन आया था।

इसके अलावा भी जिन जिन व्यक्तियों को उन्होंने आशीर्वाद दिया उनका व्यक्ति का जीवन बदल गया। आज अयोध्या में जो राम मंदिर बन रहा है उसके बारे में भी देवरहा बाबा ने पहले से ही भविष्यवाणी कर दी थी। आज से 30 साल पहले उन्होंने राम मंदिर बनने के बारे में भविष्यवाणी कर दी थी कि आने वाले सालों में कभी भी राम मंदिर बिना किसी विवाद के आसानी से बन जाएगा और राम मंदिर जरूर बनेगा और आज उनकी यह भविष्यवाणी सच हो गई।

देवरहा बाबा के पास अनेक तरह की सिद्धियां थी। हमने अपने प्राचीन ग्रंथो में सिद्ध महापुरुषों के बारे में सुना है, जिनके पास ऐसी सिद्धियां होती थी कि वह पानी पर चल सकते थे, बिना खाए पिए रह सकते थे, हवा में कोई भी वस्तु को प्रकट कर सकते थे, कहीं पर भी आ जा सकते थे। लेकिन देवराहा बाबा इन सभी सिद्धिओं के प्रत्यक्ष उदाहरण थे। उनके पास ऐसी अनेकों सिद्धियां थीं।

लोग बताते हैं कि वह पानी पर चल सकते थे। पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। वह केवल अपनी मचान पर रहते थे और दिन में एक बार केवल स्नान करने के लिए ही उतरते थे।

वह अपने शरीर पर कोई वस्त्र नही धारण करते थे और लगभग निर्वस्त्र ही रहते थे। शरीर पर केवल नाममात्र के लिए मृगछाला (हिरण की खाल) ही पहनते थे।

भयंकर सर्दी हो या प्रचंड गर्मी वे हर मौसम मे यूँ ही रहते थे। उन्होंने योग विद्या के द्वारा अपने शरीर साध लिया था कि उन पर सर्दी-गर्मी का कोई असर नही होता था।

वह कभी किसी भी वाहन की सवारी नहीं करते थे। वह स्नान के लिए कुंभ के मेले में जाते थे। लेकिन वह कब और कैसे स्नान करने पहुंच गए किसी को पता नही चलता था।

उनके बारे में बताते हैं कि वह किसी के भी मन की बात जान लेते थे और जो व्यक्ति उनके पास अपनी समस्या लेकर आता था। वह उसका उचित समाधान करते हुए उसे आशीर्वाद देते थे। वह सबसे बेहद विनम्र होकर बात करते थे और प्रेमभाव से मिलते थे।

देवरहा बाबा के साक्षात्कार का दुर्लभ वीडियो देखें


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