Friday, February 14, 2025

कौन हैं अरुण योगीराज, जिनकी बनाई रामलला की मूर्ति अयोध्या के राम मंदिर में प्रतिस्थापित हुई है। अरुण योगीराज के बारे में जानें।

अयोध्या के भव्य राममंदिर में रामलला की मूर्ति नए आकर्षण दिव्य रूप में प्रतिस्थापित की गई है, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को की गई। इस मूर्ति को गढ़ने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज (Life Scan of Arun Yogiraj) को जानें…

अरुण योगीराज का पूरा जीवन परिचय (Life Scan of Arun Yogiraj)

22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की भव्य प्रतिमा प्रतिस्थापित हो चुकी है। रामलला की इस भव्य प्रतिमा का चुनाव राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया गया था। 5 वर्ष की आयु के रामलला की यह प्रतिमा देखने में बेहद भव्य एवं अलौकिक दिखाई दे रही है।

प्रभु श्रीराम के बालरूप की इस प्रतिमा की ऊँचाई 4.24 फीट है। इस प्रतिमा का वजन लगभग 200 किलोग्राम है। इस मूर्ति में श्रीराम के पाँच वर्ष के बाल रूप के साथ-साथ भगवान विष्णु के समस्त 10 अवतारों को भी दर्शाया गया है।

इस सुंदर भव्य और दिव्या प्रतिमा को बनाने का श्रेय कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज को जाता है, जिन्होंने अपने अधिक परिश्रम से यह प्रतिमा गढ़ी। अरुण योगीराज कौन हैं? आइए उनके बारे में जानते हैं…

अरुण योगीराज

अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर नगर के एक प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। वह मैसूर के अग्रहरा क्षेत्र के रहने वाले हैं और मूर्तियों को गढ़ने की परंपरा उनको विरासत में मिली है क्योंकि उनका परिवार पिछली छः पीढ़ियों से और 300 सालों मूर्तियों को गढ़ने का कार्य करता रहा है। अरुण योगीराज के पिता योगीराज और उनके दादा बसवन्ना शिल्पी भी एक प्रसिद्ध मूर्तिकार थे।

अरुण योगीराज का जन्म और परिचय

अरुण योगीराज का जन्म कर्नाटक के मैसूर में 1983 में हुआ था। उनकी जन्मतिथि की स्पष्ट तारीख पता नही चल सकी है। उनका जन्म 1983 में हुआ और वह इस समय 41 वर्ष के हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी विजेता योगीराज, एक पुत्री और एक पुत्र हैं।

अरुण योगीराज के पिता योगीराज भी एक प्रसिद्ध मूर्तिकार थे और उनके दादा बासवन्न शिल्पी भी प्रसिद्ध मूर्तिकार थे।जो मैसूर के राजा के शाही मूर्तिकार थे। मूर्ति गढ़ने की कला विरासत में मिली होने के कारण बचपन से ही अरुण योगीराज को मूर्ति की नक्काशी करने का रुझान पैदा हो गया थाष हालांकि उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और एमबीए की डिग्री प्राप्त की।

उसके पश्चात उन्होंने करियर के लिए एक निजी कंपनी में कुछ समय कार्य भी किया लेकिन शीघ्र ही उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर मूर्ति को गढ़ने के अपने खानदानी पेशे को पूरी तरह से अपना लिया क्योंकि मूर्ति गढ़ने की कला उनकी रग-रग में बसी हुई थी।

2008 से वह लगातार मूर्तियों को गढ़ने का कार्य कर रहे हैं। उनको प्रसिद्ध मिलना तब शुरू हुई जब उनके द्वारा गढ़ी गई कई मूर्तियों को देश के अलग-अलग प्रसिद्ध स्थानों पर लगाया जाने लगा।

इंडिया गेट के पीछे अमर जवान ज्योति के पीछे छाते के नीचे सुभाष चंद्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जो 30 फुट की मूर्ति लगी हुई है, उसको भी अरुण योगीराज ने ही गढ़ा है। नेताजी सुभाष चंद्र की यह मूर्ति का अनावरण नेताजी की 125वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके जबरदस्त प्रशंसक बन चुके हैं और उनको भी अरुण योगीराज ने 2 फीट की नेताजी सुभाष चंद्र की सुभाष चंद्र बोस की एक प्रतिमा भेंट की थी।

अरुण योगीराज ने अनेक भारत की कई प्रसिद्ध विभूतियों की मूर्तियों को गढ़ा है, जिनमें आदिगुरु शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा से लेकर, संविधान निर्माता डॉक्टर बी आर अंबेडकर की 15 फीट ऊंची प्रतिमा, मैसूर जिले के चुंचुनकट्टे में पवन पुत्र हनुमान की 21 फीट ऊंची प्रतिमा, मैसूर में ही स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृतशिला प्रतिमा, भगवान शिव के वाहन नंदी की 6 फीट ऊंची प्रतिमा, बनशंकरी देवी की 6 फीट ऊंची मूर्ति के अलावा कई अन्य प्रसिद्ध व्यक्तित्वो के अलावा अनेक देव प्रतिमाएं उन्होंने गढ़ी हैं। मैसूर रियासत के शाही परिवार में उनके परिवार का योगदान अमूल्य रहा है।

अरुण योगीराज द्वारा गढ़ी वह मूर्तियों जो देश के अनेक प्रसिद्ध स्थलों पर लगाई गईं

  • अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के बालरूप की मूर्ति।
  • इंडिया गेट, दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट की अखंड काले ग्रेनाइट पत्थर की मूर्ति।
  • कर्नाटक में चुंचुनकट्टे, केआर नगर में पवनपुत्र हनुमान की 21 फीट की अखंड पत्थर होयसला शैली की मूर्ति।
  • उत्तराखंड में केदारनाथम में आदिगुरु शंकराचार्य की 12 फीट की ऊँची मूर्ति।
  • मैसूर में डॉ. बीआर अंबेडकर की 15 फीट की अखंड सफेद संगमरमर पत्थर की मूर्ति।
  • मैसूर में श्री रामकृष्ण परमहंस भारत की सबसे बड़ी 10 फीट की अखंड सफेद संगमरमर पत्थर की मूर्ति।
  • मैसूर के साथ महाराजा जयचामाराजेंद्र वोडेयार की 15 फीट की अखंड सफेद संगमरमर पत्थर की मूर्ति।
  • मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर में सृजन का सृजन की अवधारणा में गढ़ी गई 11 फीट की अखंड आधुनिक कला की पत्थर की मूर्ति।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) बेंगलुरु में श्री यूआर राव की कांस्य प्रतिमा।
  • मैसूर में भगवान गरुड़ की 5 फीट की मूर्ति।
  • केआर नगर में भगवान योगनरसिम्हा स्वामी की 7 फीट ऊंची मूर्ति।
  • सर एम.विश्वेश्वरैया की अनेक मूर्तियाँ
  • अनेक जगहों पर संविधान निर्माता डॉ बी आर अम्बेडकर की मूर्तियां
  • विभिन्न मंदिरों में भगवान पंचमुखी गणपति, भगवान महाविष्णु, भगवान बुद्ध, नंदी, स्वामी शिवबाला योगी, स्वामी शिवकुमार और देवी बनशंकरी की मूर्तियां।
  • हाथ से बनाए गए मंडप, विभिन्न पत्थर के स्तंभों की कलाकृतियाँ।

अरुण योगीराज का मिले पुरुस्कार

  • संयुक्त राष्ट्र संगठन के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान द्वारा कार्यशाला का दौरा और व्यक्तिगत सराहना मिली।
  • मैसूर जिला प्रशासन द्वारा नलवाड़ी पुरस्कार 2020 में मिला।
  • कर्नाटक शिल्प परिषद द्वारा मानद सदस्यता 2021 में मिला।
  • 2014 में भारत सरकार द्वारा साउथ जोन यंग टैलेंटेड आर्टिस्ट अवार्ड मिला।
  • मूर्तिकार संघ द्वारा शिल्पा कौस्तुभा का पुरुस्कार मिला।
  • मैसूरु जिला प्राधिकरण द्वारा राज्योत्सव पुरस्कार मिला।
  • कर्नाटक राज्य के माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई द्वारा सम्मानित किया गया।
  • मैसूरु जिले की खेल अकादमी द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ।
  • अमरशिल्पी जकनाचार्य ट्रस्ट द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ।

रामलला की मूर्ति को बनाने का उनका अनुभव

अरुण योगीराज एक इंटरव्यू में बताते हैं कि रामलला की मूर्ति को बनाने में उनको सात महीने का समय लगा। रामलला की मूर्ति को गढ़ने के लिए उन्होंने सात महीनो को स्वयं को पूरे परिवार से अलग कर लिया था। वह दिन-रात मूति को गढ़ने में लगे रहते थे। वह अपने बच्चों को अपना सबसे बड़ा आलोचक मानते हैं। मूर्ति को गढ़ने की हर चरण में वह अपने बच्चों को दिखा उनकी राय लेते थे। उनकी 8 साल की एक बेटी और एक छोटा बेटा है।

उनके अलावा दो और कलाकारों को रामलला की मूर्ति गढ़ने की जिम्मेदारी मिली थी। इन्ही तीन मूर्तियों में से ही एक मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने के लिए चुना जाना था।

ये सौभाग्य अरुण योगीराज की गढ़ी रामलला की मूर्ति को ही मिला। वे बताते है कि उन्हें दिसंबर में राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से सूचना मिली की उनके द्वारा गढ़ी गई रामलला की मूर्ति को राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने के लिए चुन लिया गया है। ये सुखद समाचार सुनकर वह आनंद की कोई सीमा नही रही।

उन्होंने इतनी सुंदर मूर्ति गढ़ी कि रामलला की ये मूर्ति को जो भी देखता है वो देखता रह जाता है। इतनी भव्य, सुंदर, अद्भुत और दिव्य मनमोहक मूर्ति बनाने के लिए उनको देशभर से प्रशंसा मिल रही है।

अरुण योगीराज की वेबसाइट

https://arunyogiraj.com

अरुण योगीराज की Instagram ID

https://www.instagram.com/arun_yogiraj/?hl=en

अरुण योगीराज का ट्विटर हैंडल

Twitter.com/yogiraj_arun


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