अमन सहरावत (Aman Sehrawat) भारतीय कुश्ती जगत का एक चमकता सितारा है। हरियाणा के एक छोटे से गाँव में जन्मे अमन ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन हार नहीं मानी। बचपन में माता-पिता को खोने के बावजूद उन्होंने अपने सपनों को जीवंत रखा और कड़ी मेहनत से कुश्ती के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। 2024 पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर अमन ने न सिर्फ इतिहास रचा, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल भी कायम की। आइए जानते हैं इस प्रतिभाशाली पहलवान की जीवन कहानी।
अमन सहरावत – संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक गाथा (Aman Sehrawat Life Scan)
अमन सहरावत का नाम आज भारतीय कुश्ती के क्षितिज पर एक चमकते हुए सितारे के रूप में उभरा है। अपनी असाधारण कुश्ती प्रतिभा और अद्वितीय संघर्ष के माध्यम से, अमन ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपने देश का नाम रोशन किया है। अमन के जीवन की कहानी प्रेरणादायक है और इसे हम निम्नलिखित लेख में विस्तार से समझेंगे।
जन्म और परिवार
अमन सहरावत का जन्म 16 जुलाई 2003 को हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर गांव में हुआ। उनके पिता सोमवीर सहरावत एक गरीब किसान थे, जबकि माँ कमलेश सहरावत गृहिणी थीं। बचपन से ही अमन को कुश्ती में रुचि थी और वे अक्सर गाँव के अखाड़े में मिट्टी की कुश्ती लड़ा करते थे। जब वह मात्र 11 वर्ष के थे, तब उनके जीवन में एक बड़ा झटका आया तब उनके पिता का निधन हो गया और उसके एक साल बाद ही उन्होंने अपनी मां को भी खो दिया। इस दुखद घटना के बाद अमन के दादा मायाराम सहरावत ने उनकी जिम्मेदारी संभाली और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा
अमन की प्रारंभिक शिक्षा बिरोहर गांव में ही हुई। अमन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की। माता-पिता के निधन के बाद उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ कुश्ती पर भी ध्यान केंद्रित किया। 10 साल की उम्र में वे दिल्ली के प्रसिद्ध छत्रसाल स्टेडियम में प्रशिक्षण लेने लगे। यहाँ उन्होंने कुश्ती की बारीकियाँ सीखीं और अपने कौशल को निखारा। स्कूली शिक्षा के साथ-साथ अमन ने खेल में भी उत्कृष्टता हासिल की और कई युवा प्रतियोगिताओं में पदक जीते।
जीवन यात्रा
अमन का जीवन संघर्षों से भरा रहा। माता-पिता के निधन के बाद उन्होंने गहरे अवसाद का सामना किया, लेकिन दादा के समर्थन और कुश्ती के प्रति जुनून ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। छत्रसाल स्टेडियम में कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने अपनी प्रतिभा को निखारा। आर्थिक तंगी के बावजूद अमन ने कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य पर डटे रहे। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और वे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने लगे।
करियर
अमन सहरावत का करियर अत्यधिक सफल और प्रेरणादायक रहा है।
अमन सहरावत ने 2021 में अपना पहला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खिताब जीतकर कुश्ती जगत में धमाकेदार प्रवेश किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2022 में उन्होंने अंडर-23 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और फिर अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक हासिल किया। यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे पहले भारतीय पहलवान बने।
2023 में अमन ने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और एशियाई खेलों में कांस्य पदक हासिल किया। जनवरी 2024 में उन्होंने ज़ाग्रेब ओपन कुश्ती टूर्नामेंट में पुरुषों की 57 किग्रा स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। इसी वर्ष उन्होंने 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और भारत के एकमात्र पुरुष पहलवान बने जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।
विशेष उपलब्धि
अमन सहरावत की सबसे बड़ी उपलब्धि 2024 पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना रही। 57 किलोग्राम भार वर्ग में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया। इस उपलब्धि के साथ वे व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बन गए। मात्र 21 वर्ष की आयु में यह पदक जीतना अमन की असाधारण प्रतिभा और मेहनत का परिणाम है।
पुरस्कार और सम्मान
– 2022 अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
– 2023 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
– 2023 एशियाई खेलों में कांस्य पदक
– 2024 ज़ाग्रेब ओपन कुश्ती टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक
– 2024 पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक
अमन सहरावत का छोटा सा लाइफ स्कैन
नाम: अमन सहरावत
जन्म तिथि: 16 जुलाई 2003
जन्म स्थान: बिरोहर गाँव, झज्जर, हरियाणा
माता-पिता: स्व. सोमवीर सहरावत (पिता), स्व. कमलेश सहरावत (माता)
भाई-बहन: जानकारी उपलब्ध नहीं
वैवाहिक स्थिति: अविवाहित
ऊंचाई: 5 फीट 8 इंच
धर्म: हिंदू
शहर/राज्य: हरियाणा
कुल संपत्ति: अनुमानित ₹5 करोड़
अंत में…
अमन सहरावत की जीवन गाथा संघर्ष, दृढ़ संकल्प और सफलता का एक अनूठा उदाहरण है। एक साधारण परिवार में जन्मे अमन ने अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ देश, बल्कि दुनिया में अपना नाम रोशन किया है। बचपन में माता-पिता को खोने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों को साकार करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।
अमन की सफलता सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य को पाने की ठान लेता है। उनका ओलंपिक पदक भारतीय खेल जगत के लिए एक नया अध्याय है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। अमन सहरावत की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है, बस उसे पाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है।
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Some information courtesy
https://en.wikipedia.org/wiki/Aman_Sehrawat