Sunday, December 1, 2024

Rules of Kabaddi – कबड्डी कैसे खेलें? कबड्डी खेल के नियम और पूरी जानकारी।
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कबड्डी एक खेल है, इसके बारे में कौन नहीं जानता । सब इसके बारे में जानते है, और बहुत ख़ुशी से खेलते है। आज हर बच्चे की जुबान पर इसका नाम है ‘एक कबड्डी दो कबड्डी खेल कबड्डी। आज हम कबड्डी खेल की जानकारी और नियम (Rules of Kabaddi) के बारे में विस्तार से जानेगे

कबड्डी खेल का परिचय

जो मुख्य रूप से भारतीय उप महाद्वीप में खेली जाती है । ‘कबड्डी’ नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है, इस खेल को दक्षिण में ‘चेडुगुडु’ और पूर्व तथा पश्चिम भारत में ‘हु-तू-तू’ के नाम से भी जानते हैं । यह खेल भारत के पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी उतना ही लोकप्रिय है ।

कबड्डी, बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल भी है । आधुनिक कबड्डी इसी का संशोधित रूप है, जिसे विभिन्न जगहों पर अन्य कई नामों से जाना जाता है । यह विश्व स्तरीय ख्याति सन 1936 में बर्लिन ओलिंपिक से मिली । सन 1938 में इसे कलकत्ता में राष्ट्रीय खेलों में सम्मिलित किया गया । सन 1950 में अखिल भारतीय कबड्डी फेडरेशन का गठन हुआ और कबड्डी खेले जाने के नियम मुक़र्रर किए गए । इसी फेडरेशन को ‘अमैच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से सन 1972 में पुनर्गठित किया गया । इसका प्रथम राष्ट्रीय टूर्नामेंट चेन्नई में खेला गया ।

कबड्डी संबंधी कुछ तथ्य

  • राष्ट्रीय खेल है : बांग्लादेश
  • अधिकतम खिलाड़ी : 12 खिलाड़ी होते हैं
  • कबड्डी मैदान माप : पुरुषों के लिए ( 13X10 मीटर)
  • महिलाओं के लिए : (12X8 मीटर)
  • खेल समय सीमा : पुरुषों का 40 मिनट और
  • महिलाओं का : 30 मिनट का होता है.
  • रेड समय : 30 सेकंड
  • भारत में शुरुआत : 1915 और 1920 में
  • अन्य नाम : हु तू तू और चेडुगुडु.
  • पहला विश्व कप : 2004 में
  • वजन मापदंड : सीनियर पुरुषों के लिए 85kg
  • सीनियर महिलाओं के लिए : 75kg
  • जूनियर पुरुषों के लिए : 70kg
  • जूनियर गर्ल्स के लिए : 65kg
  • ब्रेक टाइम : 5 मिनट
  • महिला कबड्डी विश्वकप पहली बार : 2012 में
  • भारत कबड्डी फेडरेशन स्थापना : 1950 में
  • भारतीय कबड्डी प्रो लीग : 26 जुलाई 2014

कबड्डी के नियम (Rules of Kabaddi)

साधारण शब्दों में इसे ज्यादा अंक हासिल करने के लिए दो टीमों के बीच की एक स्पर्धा कहा जा सकता है | अंक पाने के लिए एक टीम का रेडर (कबड्डी-कबड्डी बोलने वाला) विपक्षी पाले (कोर्ट) में जाकर वहाँ मौजूद खिलाड़ियों को छूने का प्रयास करता है ।

इस दौरान विपक्षी टीम के स्टापर (रेडर को पकड़ने वाले) अपने पाले में आए रेडर को पकड़कर वापस जाने से रोकते हैं और अगर वह इस प्रयास में सफल होते हैं तो उनकी टीम को इसके बदले एक अंक मिलता है । और अगर रेडर किसी स्टापर को छूकर अपने पाले में चला जाता है तो उसकी टीम के एक अंक मिल जाता और जिस स्टापर को उसने छुआ है उसे नियमत: कोर्ट से बाहर जाना पड़ता है ।

कबड्डी में 12 खिलाड़ी होते हैं जिसमें से 7 कोर्ट में होते हैं और 5 रिज़र्व होते हैं । कबड्डी कोर्ट डॉज बॉल गेम जितना बड़ा होता है । कोर्ट के बीचोबीच एक लाइन खिंची होती है जो इसे दो हिस्सों में बाँटती है । कबड्डी महासंघ के हिसाब से कोर्ट का माप 13 मीटर × 10 मीटर होता है ।

विश्व स्तरीय कबड्डी के नियम

विश्व स्तरीय विश्वकप के दौरान कबड्डी की नियमावली कुछ अलग होती है । नीचे एक एक करके उन नियमावली के प्रमुख अंश 2 दिए जा रहे हैं । ग्रुप स्टेज के दौरान अगर कोई टीम अपने विरोधी टीम को मैच में 7 पॉइंट से अधिक कई मार्जिन से हराता है, तो जीतने वाली टीम को 5 लीग पॉइंट मिलते हैं । जबकि हारने वाली टीम को लीग पॉइंट शुन्य मिलता है ।

यदि विजेता टीम की जीत का मार्जिन 7 या 7 से कम पॉइंट का होता है तो जीतने वाली टीम को 5 लीग पॉइंट और हारने वाली टीम को 1 लीग पॉइंट मिलता है।

किसी मैच के टाई हो जाने पर दोनों टीमों को 3- 3 लीग पॉइंट दिये जाते है. ग्रुप मैच के टाई के बाद कौन सी टीम सेमी फाइनल में जाएगी, इसका निर्णय एक तरह के ‘डिफरेंशियल स्कोर’ द्वारा होता है । किसी टीम के लिए ये स्कोर उसके द्वारा कुल अर्जित पॉइंट और कुल स्वीकार्य पॉइंट के अंतर से पता चलता है, अधिकतम ‘डिफरेंशियल स्कोर’ पाने वाली टीम सेमी फाइनल में जाती है ।

यदि डिफरेंशियल स्कोर में दो टीमों का स्कोर बराबर आ जाता है तो ऐसे हालात में टीमों का कुल स्कोर देखा जाता है । अधिकतम पॉइंट अर्जित करने वाली टीम को सेमिफिनल में भेजा जाता है ।

खेलने का तरीका

कबड्डी खिलाडियों के पाले में आने के बाद टॉस जीतने वाली टीम सबसे पहले कोर्ट की साइड या रेड करना चुनती हैं। फिर रेडर कबड्डी-कबड्डी बोलते हुए जाता है और विपक्षी खिलाडियों को छूने का प्रयास करता हैं । वह अपनी चपलता का उपयोग कर विपक्षी खिलाडियों (स्टापरों) को छूने का प्रयास कर सकता है।

इस प्रक्रिया में अगर वह विपक्षी टीम के किसी भी स्टापर को छूने में सफल होता है तो उस स्टापर को मरा हुआ (डेड) समझ लिया जाता है । ऐसे में उस स्टापर को कोर्ट से बाहर जाना पड़ता है । और अगर स्टापरों को छूने की प्रक्रिया में रेडर अगर स्टापरों की गिरफ्त में आ जाता है तो उसे मरा हुआ (डेड) मान लिया जाता है।

यह प्रक्रिया दोनों टीमों की ओर से बारी-बारी चलती रहती है । इस तरह जिस दल के ज़्यादा अंक होते हैं उसे विजेता घोषित किया जाता हैं।

कबड्डी खेल में अतिरिक्त समय

यह नियम विश्वकप में फाइनल और सेमी फाइनल मैच के दौरान मौजूद होता है । फाइनल और सेमी फाइनल के दौरान यदि 40 मिनट का मैच टाई हो जाता है, तो खेल को अतिरिक्त समय के लिए बढाया जाता है ।

किसी सेमिफिनल या फाइनल मैच के टाई हो जाने पर 7 मिनट अतिरिक्त मैच खेला जाता है । ये समय दो भागों में एक मिनट के ब्रेक से साथ बंटा होता है. प्रत्येक भाग तीन मिनट का होता है ।

अपने बारह खिलाड़ियों के दल से किन्हीं सात बेहतरीन खिलाडियों के साथ दोनों टीमें फिर से सात मिनट के लिए मुकाबले में उतरती है । इस दौरान किसी भी टीम के कोच को ‘टाइम आउट’ कोचिंग की इजाज़त नहीं होती. हालाँकि लाइन अंपायर या असिस्टेंट स्कोरर की अनुमति से कोच टीम के साथ रह सकते हैं ।

अतिरिक्त समय के दौरान सिर्फ एक खिलाड़ी के प्रतिस्थापन की आज्ञा होती है । खिलाडी का ये प्रतिस्थापन सिर्फ एक मिनट के ब्रेक के दौरान हो सकता है । इस सात मिनट के बाद भी यदि मैच टाई ही रहता है, तो गोल्डन रेड रूल का इस्तेमाल होता है ।

कबड्डी खेल का मैदान कैसा होता है?

कबड्डी एक ऐसा खेल है जिसके लिए अलग- अलग तरह के मैदान तैयार किए जाते हैं पुरुषों के लिए अलग और महिला टीम के लिए अलग। साथ ही ये भी देखा जाता है कि जिस मैदान पर कबड्डी का खेल खेला जा रहा है उसकी जमीन समतल और नरम है या नहीं क्योंकि इसी से खेल का सही अनुमान लगाया जाता है।

इसके लिए आकार का भी खास ध्यान रखना पड़ता है । एक आकार तैयार किया जाता है 12.50 मीटर लम्बा और 10 मीटर । वहीं दूसरा 50 किग्रा भार से कम वर्ग के पुरुषों एवं महिलाओं के लिए यह लम्बाई 11 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर होती है ।

पूरे खेल क्षेत्र को दो हिस्सों में बांटा जाता है। जिसको आम भाषा में सेंट्रल लाइन और खेल की भाषा में मध्य रेखा कहते हैं। इसमें खेल मैदान की लंबाई और चौड़ाई का भी खास ध्यान रखा जाता है।

कबड्डी किट

इसके लिए खिलाड़ियो को उनकी टीम की टी-शर्ट और शाट्स दिए जाते हैं, साथ ही शूज भी । और फस्टएड किट हर किसी के पास होती है । जिसको समय पर इस्तेमाल किया जाता है ।

कबड्डी खेल में कितने खिलाड़ी होते हैं?

कबड्डी की टीम उतनी ही बड़ी होती है जितनी क्रिकेट की उसमें भी 12 खिलाड़ी होते हैं और इसमें भी अंतर ये होता है कि इसमें बस 7 खिलाड़ी ही खेलते हैं जो विरोधी टीम का सामना करते हैं ।

कबड्डी खेल पॉइंट्स

इस खेल में कुछ पॉइंट निम्न तरह से अर्जित किए जाते है ।

बोनस पॉइंट

डिफेंडर के कोर्ट में छः या छः से अधिक खिलाड़ियों की मौजूदगी में यदि रेडर बोनस लाइन तक पहुँच जाता है तो रेडर को बोनस पॉइंट मिलता है।

• टच पॉइंट

रेडर द्वारा एक या एक से अधिक डिफेंडर खिलाड़ियों को छू कर सफलता पूर्वक अपने कोर्ट में वापस आ जाने पर टच पॉइंट मिलता है । यह टच पॉइंट छुये गये डिफेंडर खिलाड़ियों की संख्या के बराबर होता है । छुये गए डिफेंडर खिलाड़ियों को कोर्ट से बहार कर दिया जाता है।

• टैकल पॉइंट

यदि एक या एक से अधिक डिफेंडर, रेडर को 30 सेकंड तक डिफेंड कोर्ट में ही रहने पर मजबूर कर देते हैं, तो डिफेंडिंग टीम को इसके बदले एक पॉइंट मिलता है।

आल आउट

यदि किसी टीम के सभी खिलाडियों को उसकी विरोधी टीम पूरी तरह से आउट करके मैदान से बाहर करने में सफ़ल हो जाती है, तो इसके एवज में जीती हुई टीम को 2 अतिरिक्त बोनस पॉइंट मिल जाते है ।

• एम्प्टी रेड

बौकल लाइन को पार करने के बाद यदि रेडर बिना किसी डिफेंडर को छुए या बिना बोनस लाइन को छुए वापस आ जाता है, तो इसे एम्प्टी रेड माना जाएगा. एम्प्टी रेड के दौरान किसी भी टीम को कोई पॉइंट नहीं मिलता।

• डू ओर डाई रेड

यदि किसी टीम द्वारा लगातार दो एम्प्टी रेड हो जाता है तो तीसरे रेड को ‘डू ओर डाई’ रेड कहा जाता है। इस रेड के दौरान टीम को आवश्यक तौर पर या तो बोनस या टच पॉइंट अर्जित करना पड़ता है। ऐसा नहीं करने पर डिफेंडर टीम को एक अतिरिक्त पॉइंट मिलता है।

• सुपर रेड

जिस रेड में रेडर तीन या तीन से अधिक पॉइंट अर्जित करता है, उस रेड को सुपर रेड कहा जाता है। यह  तीन पॉइंट बोनस और टच को मिला कर भी हो सकता है या सिर्फ टच पॉइंट भी हो सकता है।

• सुपर टैकल

यदि डिफेंडर टीम में खिलाड़ियों की संख्या तीन या तीन से कम हो जाती है, और वो टीम किसी रेडर को सँभालने और आउट करने में सफ़ल हो जाती है तो इसे सुपर टैकल कहते हैं । सुपर टैकल के लिए डिफेंडर टीम को एक अतिरिक्त पॉइंट भी मिलता है । इस पॉइंट का इस्तेमाल आउट हुए खिलाडी के पुनर्जीवन के लिए नहीं किया जा सकता है ।

खेल की अवधि

यह खेल आमतौर पर 20-20 मिनट के दो हिस्सों में खेला जाता है। हर हिस्से में टीमें पाला बदलती हैं और इसके लिए उन्हें पाँच मिनट का ब्रेक मिलता है। हालाँकि आयोजक इसके एक हिस्से की अवधि 10 या 15 मिनट की भी कर सकते हैं।

हर टीम में 5-6 स्टापर (पकड़ने में माहिर खिलाड़ी) व 4-5 रेडर (छूकर भागने में माहिर) होते हैं। एक बार में सिर्फ चार स्टापरों को ही कोर्ट पर उतरने की इजाजत होती है। जब भी स्टापर किसी रेडर को अपने पाले से बाहर जाने से रोकते हैं।

उन्हें एक अंक मिलता है लेकिन अगर रेडर उन्हें छूकर भागने में सफल रहता है तो उसकी टीम को अंक मिल जाता है । मैचों का आयोजन आयु और वजन के आधार पर किया जाता है, परन्तु आजकल महिलाओं की भी काफी भागीदारी हो रही है ।

पूरे मैच की निगरानी आठ लोग करते हैं: एक रेफ़री, दो अम्पायर, दो लाइंसमैन, एक टाइम कीपर, एक स्कोर कीपर और एक टीवी अम्पायर पिछले तीन एशियाई खेल में भी कबड्डी को शामिल करने से जापान और कोरिया जैसे देशों में भी कबड्डी की लोकप्रियता बढ़ी है।

भारतीय कबड्डी के प्रकार

कबड्डी खेल के चार बहुत विख्यात प्रारूप हैं, जिसे भारत में खेला जाता है । इसे भारत के अमैच्योर कबड्डी फेडरेशन द्वारा आयोजित किया जाता है।

संजीवनी कबड्डी

इस कबड्डी में खिलाडियों के पुनर्जीवन का नियम होता है । विरोधी दल के खिलाडी को आउट करने पर आक्रामक दल से बाहर हुए खिलाड़ियों में से एक को पुनर्जीवन मिल जाता है, और वह अपने दल की तरफ से फिर से खेलने लगता है । ये खेल भी 40 मिनट का होता है ।

जिसे खेलने के दौरान एक पांच मिनट का हाफ टाइम मिलता है। दो दलों में सात-सात खिलाड़ी मौजूद होते है, और जो दल अपने विरोधी के सभी खिलाड़ियों को आउट कर देता है, उसे बोनस के तौर पर अतिरिक्त चार पॉइंट मिलते हैं।

जेमिनी स्टाइल

कबड्डी के इस प्रारूप में भी दोनों दलों में सात सात खिलाड़ी मौजूद होते हैं । खेल के इस प्रारूप में खिलाडियों को पुनर्जीवन नहीं मिलता, यानि किसी दल का एक खिलाड़ी यदि खेल के दौरान मैदान से आउट होकर बाहर जाता है, तो वह तब तक बाहर रहता है जब तक खेल समाप्त न हो जाए।

इस तरह जो दल अपने विरोधी दल के सभी खिलाड़ियों को मैदान से बाहर करने में सफ़ल हो जाता है, तो उस दल को एक पॉइंट मिलता है । इस तरह से ये खेल पाँच या सात पॉइंट तक चलता है, यानि पूरे खेल में पांच या सात मैच खेले जाते हैं। इस तरह के मैच के दौरान समय तय नहीं रहता।

अमर स्टाइल

अमैच्योर कबड्डी फेडरेशन द्वारा आयोजित खेल का यह तीसरा प्रारूप है । ये प्रारूप अक्सर संजीवनी प्रारूप की ही तरह होता है, जिसमें समयावधि तय नहीं होती । इस तरह के खेल में आउट होने खिलाड़ी को मैदान से बाहर नहीं जाना पड़ता है ।

आउट होने वाला खिलाड़ी मैदान में रह कर आगे का खेल खेलता है । आउट करने के एवज में आक्रामक दल के खिलाड़ी को पॉइंट की प्राप्ति होती है।

पंजाबी कबड्डी

यह इस खेल का चौथा रूप है । इसे एक वृत्तिय परिसीमा के अन्दर खेला जाता है । इस वृत्त का व्यास 72 फिट का होता है. इस कबड्डी की भी तीन शाखाएं हैं, जिनके नाम लम्बी कबड्डी, सौंची कबड्डी और गूंगी कबड्डी है । यह सभी प्रारूप क्षेत्र विशेष में अधिक खेले जाते हैं।

कबड्डी में गोल्डन रेड

इस दौरान एक टॉस होता है, टॉस जीतने वाले टीम को गोल्डन रेड का मौक़ा मिलता है | इस दौरान बौलक लाइन को बोनस लाइन माना जाता है, दोनों दलों को एक बार इसका मौक़ा मिलता है । इसके बाद भी यदि टाई की ही अवस्था बनी रही, तो विजेता टॉस के ज़रिये मुक़र्रर किया जाता है ।

अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी

कबड्डी के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के दलों में प्रत्येक दल में 7 खिलाड़ी होते हैं । खेल का मैदान दो दलों में बराबर भागों में बंटा होता है । पुरुषों द्वारा खेले जाने वाले कबड्डी में मैदान का क्षेत्रफल (10 बाई 13) का होता है, वही स्त्रियों द्वारा खेले जाने वाले कबड्डी में मैदान का क्षेत्रफल (8 बाई 12) का होता है ।

दोनों दलों में तीन अतिरिक्त खिलाड़ी मौजूद होते हैं । ये खेल दो 20 मिनट के अंतराल पर खेला जाता है, जिसके बीच खिलाड़ियों को पांच मिनट का हाफ- टाइम मिलता है । इस हाफ टाइम के दौरान दोनों दल अपना कोर्ट बदल लेते हैं ।

इस खेल को खेलते हुए आक्रामक दल की तरफ़ से एक खिलाड़ी परिरक्षक दल के कोर्ट में ‘कबड्डी- कबड्डी’ कहते हुए जाता है. इस दौरान जाने वाले खिलाड़ी को एक पॉइंट अर्जित करने के लिए एक साँस में कबड्डी-कबड्डी कहते हुए परिरक्षक दल के कोर्ट में जा कर उस दल के एक या एक से अधिक खिलाड़ियों को छु कर जल्द से जल्द अपने कोर्ट में आना होता है ।

यदि बिना सांस छोड़े खिलाड़ी विरोधी दल के एक या एक से अधिक खिलाड़ी को छू कर अपने दल के कोर्ट में पहुंच जाता है तो, उसके दल को एक पॉइंट मिलता है ।

जाने वाले खिलाड़ी को कबड्डी-कबड्डी सिर्फ सांस छोड़ते हुए ही कहना होता है | यदि खिलाड़ी की सांस अपने कोर्ट में आने से पहले ही टूट जाती है, तो उसे आउट करार देकर रेफ़री द्वारा मैदान से बाहर कर दिया जाता है ।

यदि वह एक या एक से अधिक खिलाड़ी को छू कर अपने कोर्ट में बिना सांस लिए पहुँच जाता है, तो परिरक्षक दल के खिलाड़ी के छुए गये खिलाड़ी को रेफ़री आउट करार देकर मैदान से बाहर कर देता है, जिसके कारण आक्रामक दल को पॉइंट मिलता है ।

इस दौरान परिरक्षक दल के खिलाड़ी मैदान के बीचों–बीच खिंची गयी रेखा को पार नहीं कर सकते । इसके साथ ही एक और रेखा खिची रहती है, जिसे अपने कोर्ट में लौटते समय यदि आक्रामक दल का खिलाड़ी छू भी लेता है और इसके बाद सांस लेने लगता है तो उसे आउट नहीं किया जाएगा।

आउट हुए खिलाड़ी अस्थायी रूप से मैदान से बाहर जाते हैं ।  अपने विरोधी टीम के खिलाड़ी को मैदान से बाहर  भेज देने पर पॉइंट अर्जन होता है। यदि विरोधी दल पूरी तरह से मैदान से बाहर हो जाता है तो सामने वाले दल दो-दो अतिरिक्त पॉइंट बोनस के तौर पर मिलते हैं । इसे ‘लोना’ कहा जाता है. खेल के अंत में जिस दल का स्कोर पॉइंट अधिक होता है वो विजेता हो जाता है ।

इस खेल में होने वाले मैच खिलाड़ी की उम्र और उसके वजन के अनुसार विभाजित होते हैं । इस खेल के दौरान खिलाड़ियों के अतिरिक्त मैदान में 6 औपचारिक सदस्य भी मौजूद् होते हैं । इन सदस्यों मे एक रेफरी, दो अंपायर, एक स्कोरर और दो असिस्टेंट स्कोरर भी होते हैं ।

कबड्डी के प्रमुख मुकाबले

कबड्डी विभिन्न उम्र के लोग विभिन्न स्तर पर खेल सकते हैं । इस वजह से इसके कई बेहतरीन मुकाबले ज़िला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होते हैं । नीचे कुछ प्रमुख मुकाबलों का ज़िक्र किया जा रहा है ।

  • एशियाई खेलों में कबड्डी
  • एशिया कबड्डी कप
  • प्रो कबड्डी लीग
  • कबड्डी विश्व कप
  • महिला कबड्डी विश्व कप
  • यूके कबड्डी कप
  • विश्व कबड्डी लीग

एशियन गेम्स

इस खेल को एशियन गेम्स के तहत सन 1990 से खेला जा रहा है । भारत की कबड्डी टीम इस मुकाबले में सात स्वर्ण पदक जीत चुकी है । बांग्लादेश ने भी अपना प्रदर्शन इस मुकाबले में बहुत अच्छा किया है, और अपना स्थान दुसरे नम्बर पर दर्ज कराया है ।

एशिया कबड्डी कप

एशिया कबड्डी कप भी बहुत मशहूर टूर्नामेंट है | ये प्रतिवर्ष सिलसिलेवार ढंग से दो बार आयोजित किया जाता है । सन 2011 में इसका अभिषेकात्मक मुकाबला ईरान में किया गया था । इसके एक साल बाद सन 2012 में एशिया कबड्डी कप का आयोजन पाकिस्तान के लाहौर में किया गया था ।

यह 1 नवम्बर 2012 से 5 नवम्बर 2012 तक खेला गया था, जिस में एशिया महादेश में आने वाले लगभग सभी देशों ने भाग लिए था। इस टूर्नामेंट को एक तकनीकी चाल की सहायता से पाकिस्तानी टीम जीत गयी थी ।

कबड्डी विश्वकप

कबड्डी विश्वकप कबड्डी का सबसे अहम मुकाबला है, जिसमें विश्व के कई देशों की टीम भाग लेती है । पहली बार सन 2004 में इस टूर्नामेंट का आयोजन हुआ था । इसके बाद सन 2007 में इसे खेला गया. सन 2010 के बाद से इसे प्रति वर्ष खेला जा रहा है ।

भारत विश्व कप के सभी टूर्नामेंट को जीतता रहा है । सन 2016 में विश्वकप का आयोजन गुजरात के अहमदाबाद में किया गया था । इस टूर्नामेंट में बारह देशों ने भाग लिया था । इस टूर्नामेंट को भी भारतीय टीम ने अनूप कुमार की कप्तानी में जीता है ।

इस टूर्नामेंट के फाइनल मैच में भारत ने ईरान की टीम को 38- 29 के स्कोर से हराया. भारतीय कबड्डी टीम विश्व भर में सबसे अधिक सफ़ल टीम के रूप में सामने आई है । इस विश्वकप में पकिस्तान को किन्ही राजनैतिक कारणों से आमंत्रित नहीं किया गया था ।

वीमेन’स कबड्डी (Women’s Kabaddi)

वीमेन’स कबड्डी विश्वकप महिला खिलाड़ियों के लिए विश्व स्तरीय टूर्नामेंट है । इसे पहली बार भारत के पटना राज्य में सन 2012 में आयोजित किया गया था । भारतीय महिला टीम ने इस टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले के दौरान ईरान को हरा कर विश्व स्तर पर अपना नाम दर्ज कराया । इसके बाद 2013 के मुकाबले में डेब्यू की हुई न्यूज़ीलैंड की टीम को हराकर भारतीय महिला टीम ने फिर से एक बार फतह का परचम लहराया |

प्रो-कबड्डी लीग (Pro Kabaddi League)

सन 2014 में प्रो कबड्डी लीग की स्थापना हुई । यह क्रिकेट में होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग की तरह आयोजित किया गया । इस लीग के दौरान मार्केटिंग पर अधिक ध्यान दिया गया । इसका सीधा प्रसारण स्टार स्पोर्ट्स पर किया जाता है । भारतीय टेलेविज़न पर पीकेएल (प्रो कबड्डी लीग) बहुत अधिक पसंद किया गया, और लगभग 435 मिलियन दर्शकों द्वारा देखा गया । इसका पहला मैच लगभग 86 मिलियन दर्शकों द्वारा देखा गया था ।

यू. के. कबड्डी कप (UK Kabaddi)

इस खेल को इंग्लैंड में भी बहुत ख्याति मिली, जिस वजह से वहाँ ‘यू.के कबड्डी कप’ का आयोजन किया जाने लगा । सन 2013 में इसका आयोजन कई राष्ट्रीय दलों के साथ किया गया । इन दलों में भारत, पकिस्तान, इंग्लैंड, अमेरीका, कनाडा आदि की भागीदारी देखने मिली ।  इस टूर्नामेंट में पंजाब की वृत्तीय (सर्किल) स्टाइल कबड्डी खेली जाती है ।

विश्व कबड्डी लीग

विश्व कबड्डी लीग का गठन साल 2014 में हुआ ।  इन लीग में आठ दल और चार देशों का सम्मेलन देखा गया, इस देशों में कनाडा, इंग्लैंड, पकिस्तान और यूनाइटेड स्टेट अमेरिका है । इस लीग की कुछ टीमों के मालिक पूर्णतया या आंशिक रूप से कई अभिनेतायें हैं । इन अभिनेताओं में अक्षय कुमार खालसा वोर्रिएर्स, रजत बेदी पंजाब थंडर, सोनाक्षी सिन्हा यूनाइटेड सिंहस और यो यो हनी सिंह यो-यो टाइगर्स के मालिक हैं।

इस लीग का अभिषकात्मक सीजन सन 2014 के अगस्त से दिसम्बर के महीने के बीच खेला गया था, जिसमे टीम यूनाइटेड सिंहस, जो कि इंग्लैंड के बिर्मिंघम का अभिवेदन कर रही थी, की जीत हुई ।

कबड्डी का विश्वकप सबसे पहले 2004 में खेला गया था । उसके बाद  2007, 2010, 2012 , 2016 और 2020 में हुआ । 2016 तक भारत सभी में विजेता रहा है ।

कबड्डी वर्ल्ड कप के विजेता

वर्षविजेताफाइनल मैच
2004भारत भारत 55 – 27 ईरान
2007भारत भारत 29 – 19 ईरान
2010भारत भारत 58 – 24 पाकिस्तान
2011भारत भारत 59 – 25 कनाडा
2012भारत भारत 59 – 22 पाकिस्तान
2013भारत भारत 48 – 39 पाकिस्तान
2014भारत भारत 45 – 42 पाकिस्तान
2016भारत भारत 38 – 19 ईरान
2020पाकिस्तान पाकिस्तान 43 – 41 भारत
 

 

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