अक्सर साँप के जहर के नशे की खबरें हमें मीडिया जगत से यदा-कदा सुनने को मिलती रहती हैं। सवाल ये है कि साँप का जहर जो जान लेवा होता है उससे लोग नशे का जरिया (how snake venom use as drug) कैसे बना लेते हैं, पूरी कहानी को समझते हैं… |
साँप के जानलेवा ज़हर को लोग नशे का जरिया कैसे बना लेते हैं? पूरा मामला जानें (how snake venom use as drug)
पिछले दिनों एक प्रसिद्ध यूट्यूबर पर साँप के जहर का नशा करने का आरोप लगा था। उन पर लगे आरोप में क्या सच्चाई थी ये जांच एजेंसियो को काम था लेकिन लोगों के मन में लोगों के मन में ये सवाल उठने लगे कि साँप का जहर तो जानलेवा होता है, जिसके जरा से असर से लोग मर जाते हैं। उससे नशा कैसे किया जा सकता है।
सभी लोग साँप के काटने से डरते हैं। सबको पता है कि साँप के काटने से आदमी की चंद्र मिनटों में ही मौत हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में उसे साँप के जहर को ड्रग और नशे के रूप में कैसे इस्तेमाल कर लिया जाता है। उस साँप के जहर से बने दवाइयों से आदमी की मौत क्यों नहीं होती?
इससे पहले कई बार रेव पार्टियों पर छापेमारी की बातें समाचारों में सुनाई देती रहती हैं, रेव पार्टियों में सांप के जहर से बने ड्रग (दवाइयों) का नशे के रूप में इस्तेमाल होता रहा है। चाहे दिल्ली हो या मुंबई अथवा और दूसरे महानगर सभी महानगरों में रेव पार्टियों का धड़ल्ले से आयोजन किया जा रहा है।
युवाओं में रेव पार्टी आजकल फैशन स्टेटस बन गया है और इन पार्टियों में नशे का इस्तेमाल भी आम हो चला हैष वास्तव में रेव पार्टी नशे करने का सेंटर बन गई हैं और यह पार्टियों तरह-तरह के नशे के शौक को पूरा करने के लिए ही की जाती हैं। इन्हीं पार्टियों में अनेक तरह के ड्रग का इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता है।
साँप के जानलेवा जहर से दवाईयाँ कैसे बन जाती हैं? यह जानलेवा क्यों नही होती?
सवाल यह उठता होता है कि साँप का जहर से दवाइयां ड्रग कैसे बन जाती हैं और यह आम आदमी लोगों तक कैसे आसानी से उपलब्ध हो जाती है?
वैज्ञानिकों के अनुसार साँप के जहर में कुछ ऐसे तत्व या केमिकल पाए जाते हैं, जिनके कारण आनंद की अनुभूति होती है, जो नशे का कारण बनते हैं। इस तरह के केमिकल साँप की जहर में पाए जाते हैं, इसलिए कुछ खास प्रजातियों के साँप के जहर को प्रोसेस करके उसे पाउडर में बदल लिया जाता है।
उदाहरण के लिए 500 ml साँप के जहर को प्रोसेस कके पाउडर में बदल दिया जाता है फिर इसी पाउडर का इस्तेमाल अल्कोहल में मिलाकर नशे की ड्रग बनाने में किया जाता है। 500 ml साँप के जहर से बने पाउडर से 1000 लीटर शराब में मिलाकर नशीली शराब बनाई जा सकती है।
कुछ खास प्रजातियों के साथ कोबरा, हरा साँप और क्रॉमन क्रैत आदि के जहर में अनेक तरह के केमिकल पाए जाते हैं। जो नशे की अनुभूति करते हैं, लेकिन साँप के जहर को सीधे तौर पर नहीं दिया जा सकता। इसकी बहुत ही कम मात्रा को दूसरे ड्रग में मिलाकर जैसे अल्कोहल आदि में मिलाकर नशीली दवा बना ली जाती है। इसी का इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाता है। साँप के जहर को सायकोएक्टिक श्रेणी में रखा गया है जो बेहद नशीला होता है।
पूरी दुनिया में साँप के जहर से बनी ड्रग के सेवन का प्रचलन युवाओं में बढ़ता जा रहा है। साँप का जहर का नशा बेहद टॉक्सिक होता है, जिस युवा को साँप के जहर से बनी ड्रग के नशे की लत लग जाती है उसे दूसरा कोई नशा अच्छा नही लगता।
कैसे बनती है साँप के जहर से ड्रग?
साँप के जहर से नशीली ड्रग बनाने के लिए साँप के जहर को प्रोसेस करके उसका पाउडर बनाकर उसे छोटी-छोटी गोलियां में बदल दिया जाता है। यही गोलियां 25 से 25 से 30 हजार रुपए में आसानी से बिकती हैं। आमतौर पर कोई दूसरा नशीली ड्रग दो-तीन हजार में आसानी से आ जाती है, लेकिन साँप के जहर से बनी ड्रग 25 से 30 हजार में बिकती है।
साँप के बनाने वालों को साँप मिलते कहाँ से हैं।
इसका जवाब है सपेरे। सपेरे साँप के जहर की सप्लाई का प्रमुख स्रोत हैं। यह सपेरे जो साँपों को पकड़ के लाते हैं, और साँपों के खेल दिखाते हैं। अब ये सपेरे ज्यादा पैसा कमाने के लालच में साँपों के जहर के कारोबार में भी शामिल हो चुके हैं। पैसा किसे प्यारा नहीं होता। साँप के जहर के इन्हें मोटे पैसे मिल जाते हैं। इसलिए ये सपेरे पैसे के लालच में जहर के कारोबार में शामिल हो चुके हैं।
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