भारत अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। गगनयान मिशन के तहत, 4 वीर अंतरिक्ष यात्रियों (Who are Gaganyaan Mission Astronauts) को 2025 में अंतरिक्ष भेजा जाएगा। यह मिशन भारत के लिए गौरव का क्षण होगा और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में देश की प्रगति को दर्शाएगा।
भारत अपना गगनयान मिशन लॉन्च करने वाला है। अपने गगनयान मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च करते ही भारत विश्व का वह चौथा देश बन जाएगा।
27 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन के लिए जाने वाले चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम की घोषणा की। यह अंतरिक्ष यात्री रुस से विशेष ट्रेनिंग लेकर आए हैं। प्रधानमंत्री ने खुद इन्हें एस्ट्रोनॉट्स विंग्स पहनकर इनका स्वागत किया और उनके नाम की घोषणा की।
केरल के तिरुवनंतपुरम विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में इन एस्ट्रोनॉट्स का परिचय कराया गया। यह चारों एस्ट्रोनॉट्स बेहद कुशल एवं दक्ष है और उनकी विशेष ट्रेनिंग रूस में हुई है। यह भारत की एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट और सिस्टम टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट के टेस्ट पायलेट्स हैं।
यह चारों एस्ट्रोनॉट्स भारत की वायुसेना की बेंगलुरु के एयरक्राफ्ट और सिस्टम टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट के टेस्ट पायलेट्स हैं। इन चारों एस्ट्रोनॉट के बारे में जानते हैं
भारत के चार एस्ट्रोनॉट्स के नाम क्या हैं?
- ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर
- विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
- ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन
- ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप
चारों एस्ट्रोनॉट्स के बारे में
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्ण केरल से संबंध रखते हैं। उनका जन्म 26 अगस्त 1974 को केरल में हुआ था। उनकी पढ़ाई लिखाई केरल में नौकर कुवैत में हुई है। भारत वापस आकर उन्होंने नेशनल डिफेंस अकादमी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। वहां पर उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सोर्ड ऑफ ऑनर का सम्मान भी मिला था। 1999 में वह एक कमीशन अधिकारी के रूप में भारतीय वायु सेवा में शामिल हुए। वह पायलट के रूप में सुखोई फाइटर प्लेन को उड़ा चुके हैं।
विवरण
- 47 वर्षीय हैं, केरल से संबंध रखते हैं।
- 26 अगस्त 1976 को जन्म हुआ।
- नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से स्नातक किया।
- ‘स्वोर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित हो चुके हैं।
- 1999 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुए।
- सुखोई फाइटर प्लेन उड़ा चुके हैं।
- अनुभव : 23 वर्षों का उड़ान अनुभव, जिसमें 3000 से अधिक घंटे शामिल हैं।
- शौक : खेल, संगीत, यात्रा।
विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
शुभांशु शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 10 अक्टूबर 1985 को हुआ था। उन्होंने भी नेशनल डिफेंस अकादमी से एनडीए से ग्रेजुएशन किया है। वह 2004 में भारतीय वायु सेवा में विंग कमांडर के रूप में शामिल हुए थे। वे बेहद अनुभवी पायलट हैं। उन्होंने Su-30 MKI,MiG-21, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 जैसे एअरक्रॉफ्ट उड़ाएं हैं।
- 38 वर्षीय हैं। लखनऊ (उ. प्र.) से संबंध रखते हैं।
- 10 अक्टूबर 1985 को जन्म हुआ।
- नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से स्नातक किया।
- 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायु सेना में शामिल हुए।
- यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षित हैं।
- Su-30 MKI, MiG-21, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं।
- अनुभव : 18 वर्षों का उड़ान अनुभव, जिसमें 2500 से अधिक घंटे शामिल हैं।
- शौक : खेल, पढ़ना, यात्रा।
ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन
अजीत कृष्णन का जन्म तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 19 अप्रैल 1982 को हुआ था। उन्होंने भी एनडीए से ग्रेजुएशन किया है। उन्हें प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल और सोर्ड ऑफ ऑनर जैसे सम्मान मिल चुके हैं। वह भारतीय वायु सेवा की फाइटर स्ट्रीम में 2003 में शामिल हुए थे। वह एक फ्लाइट फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं। उन्होंने वह भी बेहद अनुभवी हैं और Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं।
- 41 वर्षीय हैं, चेन्नई से संबंध रखते हैं।
- 19 अप्रैल 1982 को जन्म।
- नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से स्नातक।
- ‘प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल’ और ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित।
- 21 जून 2003 को भारतीय वायु सेना में शामिल हुए।
- Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं।
- अनुभव : 19 वर्षों का उड़ान अनुभव, जिसमें 2800 से अधिक घंटे शामिल हैं।
- शौक : खेल, संगीत, यात्रा।
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप
कैप्टन अंगद प्रताप का संबंध भी यूपी से ही है। उनका जन्म प्रयागराज में 17 जुलाई 1982 को हुआ था। उन्होंने भी एनडीए से ग्रेजुएशन किया है। वह 2004 में भारतीय वायु सेवा में शामिल हुए थे। वह भी एक फ्लाइंग स्ट्रक्चर हैं और उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ाने का अनुभव है।
- 41 वर्षीय हैं। प्रयागराज से संबंध रखते हैं।
- 17 जुलाई 1982 को जन्म हुआ है।
- नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से स्नातक है।
- 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायु सेना में शामिल हुए।
- Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं।
- अनुभव : 19 वर्षों का उड़ान अनुभव, जिसमें 2700 से अधिक घंटे शामिल हैं।
- शौक : खेल, पढ़ना, यात्रा।
चारों एस्ट्रोनॉट्स का सिलेक्शन कैसे हुआ?
चारों एस्ट्रोनॉट्स के सिलेक्शन की प्रक्रिया 2019 में ही आरंभ हो गई थी। उस समय एस्ट्रोनॉट्स बनने के लिए सैकड़ो पायलट ने आवेदन किया था। फिर प्रारंभिक स्तर की छंटनी के बाद सितंबर 2019 में पहले राउंड का सिलेक्शन प्रोसेस पूरा किया गया और सभी आवेदनों में से 12 पायलेट्स की छंटनी की गई।
उसके बाद अनेक सिलेक्शन राउंड हुए और अंत में फाइनल राउंड में चार पायलेट्स को चुना गया। यह प्रक्रिया 2020 तक पूरी हो चुकी थी। फिर इसरो और रूस की स्पेस एजेंसी के बीच इन चारों पायलट की ट्रेनिंग के लिए एक करार हुआ।
फरवरी 2020 में चारों पायलेट्स को ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। जहाँ मार्च 2021 तक उनकी ट्रेनिंग पूरी हुई। उसके बाद से चारों पायलेट्स लगातार गगनयान मिशन से जुड़े हुए हैं और अपनी तैयारियां पूरी कर रहे हैं।
गगनयान मिशन के बारे में कुछ और…
भारत का गगनयान मिशन भारत का पहला मानव युक्त अंतरिक्ष अभियान है। इस अभियान के तहत भारत अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा से 400 किलोमीटर दूर पृथ्वी के लोअर ऑर्बिट में अपना एक अंतरिक्ष यान भेजेगा, जिसमें मानव होंगे, यानी मानव युक्त अंतरिक्ष यान भेजा जाएगा।
यह चारों अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में दो से तीन दिन बिताएंगे और उसके बाद वापस पृथ्वी पर इनको लैंड कराया जाएगा। यह अभियान सफल होने के भारत बाद भारत विश्व के का वह चौथा देश बन जाएगा। जिसे अंतरिक्ष में मानव युक्त गगनयान मिशन भेजा हो। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन मानव युक्त अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में भेज चुके हैं।