Thursday, November 21, 2024

कौन हैं आचार्य देवव्रत? जिनका जिक्र प्रधानमंत्री मोदी ने क्रियेटर्स अवार्ड में किया। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं।

वर्तमान समय में गुजरात के राज्यपाल और इससे पहले हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके आचार्य देवव्रत कौन हैं, जिनका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल क्रियेटर्स अवार्ड समारोह में किया। आइए आचार्य देवव्रत के जीवन को (Aacharya Devvrat Life Scan) जानते हैं…

8 मार्च 2024 को पहला नेशनल क्रियेटर्स अवार्ड समारोह संपन्न हुआ। जिसमें देश के अनेक क्रिएटर्स को भारत सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पुरस्कार दिए गए। ऐसे ही एक विजेता क्रियेटर्स को पुरस्कार देते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वर्तमान राज्यपाल आचार्य देवव्रत का जिक्र किया जो कि वर्तमान समय में गुजरात के राज्यपाल हैं।

उन्होंने गुजरात के राज्यपाल का उल्लेख करते हुए बताया कि आचार्य देवव्रत जैविक खेती के समर्थक हैं और प्राकृतिक जीवन शैली को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। वह भारतीय संस्कृति और वैदिक मूल्य के प्रचार प्रचार की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। ऐसे में लोगों को आचार्य देवव्रत के बारे में जानने की उत्सुकता हो गई। कि कौन है आचार्य देवव्रत?

आचार्य देवव्रत की जीवन (Aacharya Devvrat Life Scan)

आचार्य देवव्रत वर्तमान समय में गुजरात के राज्यपाल हैं, जो गुजरात के 20वें राज्यपाल के रूप में 2019 से कार्यरत हैं। उन्हें गुजरात का राज्यपाल जुलाई 2019 में मनाया गया था। इससे पहले वह 2015 से 2019 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे।

आचार्य देवव्रत प्राकृतिक खेती के घोर समर्थक हैं और वह भारतीय वैदिक संस्कृति तथा प्राकृतिक जीवन शैली के प्रचार प्रचार के लिए जाने जाते हैं। वह एक आर्य समाजी हैं।

जन्म और जीवन

आचार्य देवव्रत का जन्म 18 जनवरी 1959 को हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा कस्बे के पावटी नामक गाँव में हुआ था। उनका आरंभिक जीवन अपने पावटी गाँव और कुरुक्षेत्र में बीता, जहाँ पर उनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा हुई। आरंभिक शिक्षा दीक्षा प्राप्त करने के बाद वह कुरुक्षेत्र में ही एक गुरुकुल के प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत रहे और फिर आचार्य के नाम से विख्यात हुए।

उनका मूल नाम देवव्रत ही था, लेकिन अपना करियर गुरुकुल आचार्य के रूप में आरंभ करने के बाद वह आचार्य देवव्रत के नाम से विख्यात हो गए। वह आर्य समाज से जुड़े रहे हैं और आर्य समाज की गतिविधियों को भी आगे बढ़ते रहे हैं। इसके अलावा वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसान संगठन भारतीय किसान संघ से भी जुड़े रहे हैं और कई किसान आंदोलन में सक्रिय भी रह चुके हैं।

आचार्य देवव्रत जैविक खेती के के घोर समर्थक हैं वह किसी भी तरह की रासायनिक खेती के विरोधी रहे हैं और हमेशा जैविक और प्राकृतिक खेती को महत्व देने के लिए जाने जाते हैं।

उनका पारिवारिक पृष्ठभूमि किसान की रही है और एक इंटरव्यू में उन्होंने उल्लेख करते हुए बताया था कि जब उन्होंने देखा कि उनके खेत में काम करते हुए कुछ किसान रसायनिक दवा के छिड़काव करते समय उसके प्रभाव से बेहोश तो उन्होंने लगा ये जहर है जो हम सब्जियों और अनाज के माध्यम से लोगों तक पहुँचा रहे है। उन्होंने उसी समय कभी भी रासायनिक खेती न करने का संकल्प ले लिया था और जैविक खेती को बढ़ावा देने की ठान ली।

वह आर्य समाज से जुड़े रहे है और आर्य समाज की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए भी जाने जाते हैं। आचार्य देवव्रत हरियाणा के कुरुक्षेत्र के गुरुकुल में प्रधानाचार्य के तौर पर लंबे समय तक कार्य कर चुके हैं।

शिक्षा की दृष्टि से वह उन्होंने हिंदी साहित्य में परास्नातक यानी पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने अनेक एकेडमिक तथा प्रशासनिक कार्यों में अपनी सेवाएं दी है और उन्हें इन सभी एकेडमिक और प्रशासनिक कार्यों में लगभग 30 साल से अधिक का अनुभव है।

कुरुक्षेत्र में स्वामी श्रद्धानंद द्वारा स्थापित कुरुक्षेत्र गुरुकुल को आगे बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। इस गुरुकुल की स्थापना स्वामी श्रद्धानंद द्वारा 13 अप्रैल 1913 को की गई थी। आचार्य देवव्रत इसी गुरुकुल के प्रधानाचार्य रहे हैं।

भारतीय संस्कृति तथा वैदिक मूल्य के प्रचार प्रचार के अलावा वह बालिका बचाओ तथा बालिकाओं की शिक्षा के भी और समर्थक माने जाते हैं और इसके लिए वह निरंतर कार्य करते रहते हैं।

उन्हें सबसे पहले हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल 2015 में बनाया गया था। जहाँ पर उन्होंने अनेक तरह की अंग्रेजी काल की परंपराओं को बंद किया और हिमाचल प्रदेश में भारतीय संस्कृति से संबंधित परंपराओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया ।

उन्होंने हिमाचल प्रदेश में गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाले एट होम परंपरा को बंद किया जोकि अंग्रेजी काल से चली आ रही थी। उसके स्थान पर उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज भवन में हवन का आरंभ किया। तब उनकी काफी प्रशंसा हुई थी। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में 4 वर्ष तक कार्य करने के बाद उन्हें 2019 में गुजरात का राज्यपाल बनाया गया।

कई बार विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहे

आचार्य देवव्रत ने कई बार ऐसे तीखे बयान भी दिए हैं जो कि विवाद का कारण बने हैं। उन्होंने एक बार गुजरात के एक समारोह में राज्यपाल के रूप में भाषण देते समय हिंदुओं को ढोंगी कहा। उन्होंने कहा कि गाय की पूजा करने वाले हिंदू लोग गाय को गौ माता कहते हैं, लेकिन इस गौ माता को दूध न देने पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं। इस तरह हिंदू ढोंगी हैं। इसके अलावा उन्होंने कोरोना काल में डॉक्टरों तथा इंजीनियरों के बारे में भी आपत्तिजनक बयान दिया था।

जैसा भी हो उनके कुछ बयानों को छोड़कर उनके कार्य उल्लेखनीय रहे हैं और वह भारतीय संस्कृति, भारतीय जीवन शैली, जैविक खेती, बालिकाओं की शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिएटर्स समारोह में उनके नाम का जिक्र कर सब लोगों को उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक कर दिया।

आचार्य देवव्रत की ट्विटर आईडी

twitter.com/Adevvrat


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