भारत की महिला क्रिकेट टीम भी आजकल मैदान में अपने झंडे गाढ़ रही है। एक-एक करके महिला क्रिकेट टीम की अनेक खिलाड़ी लड़कियां लोगों में सेलिब्रिटी बनती जा रही है। लोग अब पुरुष क्रिकेट क्रिकेट खिलाड़ियों की तरह ही महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को भी सिर-आँखों पर बिठाने लगे हैं। ऐसी ही एक महिला क्रिकेट खिलाड़ी है, राधा यादव जो भारतीय टीम की बॉलर है। हाल ही में हुए एशिया कप के सेमीफाइनल मैच में राधा यादव ने बांग्लादेश के तीन विकेट चटकाकर अपनी उपयोगिता सिद्ध की। आइए राधा यादव (Radha Yadav Life Scan) के बारे में जानते हैं..
राधा यादव – मुंबई की झुग्गी से क्रिकेट के मैदान तक तक की कहानी (Radha Yadav Life Scan)
मुंबई की गलियों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के मैदान तक पहुंचने की कहानी है राधा यादव की। एक ऐसी लड़की, जिसने अपने परिवार की आर्थिक तंगी और समाज की रूढ़िवादी सोच को चुनौती देते हुए अपने सपनों को साकार किया।
राधा यादव की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है। मुंबई की झुग्गी बस्तियों में पली-बढ़ी राधा ने कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भारतीय महिला क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनाई है। उनके पिता, ओमप्रकाश यादव, की किराना दुकान ने परिवार का भरण-पोषण किया, लेकिन यह व्यवसाय हर दिन नगर निगम की धमकी के कारण जोखिम में रहता था। इसके बावजूद, ओमप्रकाश ने अपनी बेटी को क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
प्रारंभिक जीवन और संघर्ष
राधा का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक छोटे से अजोशी नामक गांव में हुआ था। रोजी-रोटी की तलाश में उनका परिवार मुंबई आ गया, जहां उनके पिता ने एक छोटी सी किराना दुकान शुरू की। राधा ने महज छह साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। गली में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलते हुए, पड़ोसियों ने अक्सर तंज कसे, लेकिन उनके परिवार ने हमेशा उनका समर्थन किया।
कांदिवली के एक झुग्गी इलाके में 225 वर्ग फुट के घर में रहते हुए, राधा ने बचपन से ही क्रिकेट के प्रति अपने प्यार को बरकरार रखा।
“मैं अपने मोहल्ले के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी। कई लोग मेरे परिवार को ताने मारते थे कि लड़की होकर क्रिकेट खेल रही है, लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी मुझे रोका नहीं,” राधा याद करती हैं।
क्रिकेट का सफर
राधा ने अपनी प्रारंभिक क्रिकेट शिक्षा मुंबई में ही ली। संसाधनों की कमी के बावजूद, उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट खेलने से नहीं रोका।
आर्थिक तंगी के चलते राधा के पास क्रिकेट किट खरीदने के पैसे नहीं थे। वह लकड़ी के टुकड़े से बैट बनाकर प्रैक्टिस करती थी। उनके पिता उन्हें साइकिल पर बिठाकर तीन किलोमीटर दूर स्टेडियम छोड़ने जाते और राधा कभी टेम्पो तो कभी पैदल ही घर लौटती।
राधा की प्रतिभा को पहचानते हुए कोच प्रफुल नाइक ने उन्हें प्रशिक्षित करना शुरू किया। धीरे-धीरे राधा ने अपनी मेहनत से सफलता हासिल की और 2018 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाई।
“जब मैंने पहली बार भारत के लिए खेला, तो राष्ट्रगान के दौरान मेरी आंखें भर आईं। मैंने हमेशा इस पल का सपना देखा था,” राधा भावुक होकर कहती हैं।
कठिनाइयों से सफलता तक
राधा के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। उनकी किराना दुकान म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के निरंतर खतरे में रहती थी। इसके बावजूद, राधा के पिता ने हमेशा उन्हें प्रेरित किया। राधा की मेहनत और उनके पिता के समर्थन ने उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह दिलाई। बीसीसीआई से अब उन्हें सालाना 10 लाख रुपये मिलते हैं, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।
आज राधा यादव एक उभरती हुई स्टार हैं। उन्होंने अपनी पहली कमाई से अपने पिता के लिए एक दुकान खरीदी। अब उनका सपना है कि वह अपने परिवार के लिए एक बड़ा घर खरीद सकें।
अंतरराष्ट्रीय करियर
राधा ने 2018 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। उन्होंने टी20 इंटरनेशनल में बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनके कोच प्रफुल नाइक ने उन्हें ट्रेनिंग दी और उनकी प्रतिभा को निखारा। राधा का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलेंगी, लेकिन उनकी मेहनत और परिवार के समर्थन ने उन्हें यह मौका दिलाया।
भारतीय टीम में जगह बनाना
राधा ने अपनी मेहनत से भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की की। उन्होंने 2018 आईसीसी महिला विश्व ट्वेंटी 20 टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया। जनवरी 2020 में, उन्हें ऑस्ट्रेलिया में 2020 आईसीसी महिला टी 20 विश्व कप के लिए भारत की टीम में चुना गया। उनके प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना दिया है।
भविष्य की योजनाएँ
राधा का सपना है कि वह अपने परिवार के लिए एक घर खरीदे ताकि वे आराम से रह सकें। उनके पिता की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें यह मुकाम दिलाया है। राधा यादव की कहानी एक प्रेरणा है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी, मेहनत और लगन से सफलता हासिल की जा सकती है।
राधा यादव की कहानी न सिर्फ एक क्रिकेटर की, बल्कि एक बेटी की भी है जिसने अपने पिता के सपनों को साकार करने के लिए हर कठिनाई का सामना किया। उनके संघर्ष और सफलता की यह कहानी यकीनन हर उस व्यक्ति को प्रेरित करेगी जो अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत कर रहा है।
राधा की कहानी दर्शाती है कि कैसे दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है। वह युवा लड़कियों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो उन्हें सिखाती हैं कि परिस्थितियां कैसी भी हों, अपने लक्ष्य पर डटे रहना चाहिए।
राधा का कहना है, “मेरा संदेश सभी लड़कियों के लिए है कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें और कभी हार न मानें। आप कुछ भी हासिल कर सकती हैं, बस विश्वास रखें और लगे रहें।”
आज राधा यादव न केवल एक सफल क्रिकेटर हैं, बल्कि वह अपने परिवार और समाज के लिए भी एक मिसाल हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सपने देखना और उन्हें पूरा करने के लिए संघर्ष करना कितना महत्वपूर्ण है। राधा यादव की यात्रा मुंबई की गलियों से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के मैदान तक की एक प्रेरणादायक गाथा है, जो हर किसी को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।
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Some information courtesy
https://en.wikipedia.org/wiki/Radha_Yadav