तुलसी के पेड़ की उपयोगिता और उसकी महिमा से भारत में कौन नही परिचित है। हिंंदू धर्म में तो तुलसी के पेड़ के बेहद पवित्र माना जाता है। अत्यन्त गुणी इस पौधे के गुणों और लाभ (Benefits of Basil) को जानते हैं… |
गुणकारी तुलसी के अनोखे फायदे (Benefits of Basil)
शायद ही भारत का कोई ऐसा राज्य होगा जहाँ लोग तुलसी के पौधे के बारे में ना जानते हों । विदेशों में भी तुलसी के पौधे को उसके औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है । तुलसी – (ऑसीमम सैक्टम) एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है ।
आइए दोस्तों आज तुलसी के पौधे के गुणों और लाभ (Benefits of Basil) बारे में जानते है । भारत में तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है । भारत के अधिकांश घरों में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है । हमारे ऋषियों को लाखों वर्ष पूर्व तुलसी के औषधीय गुणों का ज्ञान था इसलिए इसको दैनिक जीवन में प्रयोग हेतु इतनी प्रमुखत से स्थान दिया गया है । आयुर्वेद में भी तुलसी के फायदों का विस्तृत उल्लेख मिलता है ।
इस लेख में हम आपको तुलसी के फायदे, औषधीय गुणों और उपयोग के बारे में विस्तार से जाने ।
तुलसी क्या है ?
तुलसी एक औषधीय पौधा है जिसमें विटामिन (Vitamin) और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं | सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है क्योंकि इससे ज्यादा उपयोगी औषधि मनुष्य जाति के लिए दूसरी कोई नहीं है ।
तुलसी के धार्मिक-महत्व के कारण हर-घर आगंन में इसके पौधे लगाए जाते हैं । तुलसी की कई प्रजातियां मिलती हैं । जिनमें श्वेत व कृष्ण प्रमुख हैं। इन्हें राम तुलसी और कृष्ण तुलसी भी कहा जाता है । राम तुलसी, जिसकी पत्तियाँ हरी होती हैं तथा कृष्णा तुलसी (या श्यामा तुलसी) जिसकी पत्तियाँ नीलाभ-कुछ बैंगनी रंग लिए होती हैं ।
राम तुलसी के पत्र तथा शाखाएँ श्वेताभ होते हैं जबकि कृष्ण तुलसी के पत्रादि कृष्ण रंग के होते हैं । गुण, धर्म की दृष्टि से काली तुलसी को ही श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु अधिकांश विद्वानों का मत है कि दोनों ही गुणों में समान हैं ।
चरक संहिता और सुश्रुत-संहिता में भी तुलसी के गुणों के बारे में विस्तार से वर्णन है । तुलसी का पौधा आमतौर पर 30 से 60 सेमी तक ऊँचा होता है और इसके फूल छोटे-छोटे सफेद और बैंगनी रंग के होते हैं ।इसका पुष्प काल एवं फल काल जुलाई से अक्तूबर तक होता है ।
तुलसी में पाए जाने वाले पोषक तत्व
तुलसी की पत्तियां विटामिन और खनिज का भंडार हैं । इसमें मुख्य रुप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन और क्लोरोफिल पाया जाता है । इसके अलावा तुलसी में सिट्रिक, टारटरिक एवं मैलिक एसिड पाया जाता है ।
तुलसी के फायदे एवं उपयोग
औषधीय उपयोग की दृष्टि से तुलसी की पत्तियां ज्यादा गुणकारी मानी जाती हैं ।इनको आप सीधे पौधे से लेकर खा सकते हैं । तुलसी के पत्तों की तरह तुलसी के बीज के फायदे भी अनगिनत होते हैं । आप तुलसी के बीज के और पत्तियों का चूर्ण भी प्रयोग कर सकते हैं । इन पत्तियों में कफ वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं ।
इसके अलावा तुलसी के पत्ते के फायदे बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण आदि में बहुत फायदेमंद हैं। तुलसी के औषधीय गुणों (Medicinal Properties of Tulsi) में राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी को प्रमुख माना गया है ।
आइये तुलसी के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
दिमाग के लिए फायदेमंद हैं तुलसी की पत्तियां
दिमाग के लिए भी तुलसी के फायदे लाजवाब तरीके से काम करते हैं । इसके रोजाना सेवन से मस्तिष्क की कार्य क्षमता बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है । इसके लिए रोजाना तुलसी की 4-5 पत्तियों को पानी के साथ निगलकर खाएं ।
सिर दर्द से आराम दिलाती है तुलसी
ज्यादा काम करने या अधिक तनाव में होने पर सिरदर्द होना एक आम बात है । अगर आप भी अकसर सिर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं तो तुलसी के तेल की एक दो बूंदें नाक में डालें । इस तेल को नाक में डालने से पुराने सिर दर्द और सिर से जुड़े अन्य रोगों में आराम मिलता है । सबसे ज़रूरी बात यह है कि तुलसी के उपयोग करने का तरीका सही होना चाहिए ।
सिर के जूँ और लीख से छुटकारा
अगर आपके सिर में जुएं पड़ गये हैं और कई दिनों से यह समस्या ठीक नहीं हो रही है तो बालों में तुलसी का तेल लगाएं। तुलसी के पौधे से तुलसी की पत्तियां लेकर उससे तेल बनाकर बालों में लगाने से उनमें मौजूद जूं और लीखें मर जाती हैं। तुलसी के पत्ते के फायदे, तुलसी का तेल बनाने में प्रयोग किया जाता है ।
रतौंधी में लाभकारी है तुलसी का रस
कई लोगों को रात के समय ठीक से दिखाई नहीं पड़ता है, इस समस्या को रतौंधी कहा जाता है। अगर आप रतौंधी से पीड़ित हैं तो तुलसी की पत्तियां आपके लिए काफी फायदेमंद है। इसके लिए दो से तीन बूँद तुलसी-पत्र-स्वरस को दिन में 2-3 बार आंखों में डालें।
साइनसाइटिस में लाभदायक
अगर आप साइनसाइटिस के मरीज हैं तो तुलसी की पत्तियां या मंजरी को मसलकर सूँघें । इन पत्तियों को मसलकर सूंघने से साइनसाइटिस रोग से जल्दी आराम मिलता है ।
कान के दर्द और सूजन में लाभदायक
तुलसी की पत्तियां कान के दर्द और सूजन से आराम दिलाने में भी असरदार है | अगर कान में दर्द है तो तुलसी-पत्र-स्वरस को गर्म करके 2-2 बूँद कान में डालें। इससे कान दर्द से जल्दी आराम मिलता है । इसी तरह अगर कान के पीछे वाले हिस्से में सूजन है तो इससे आराम पाने के लिए तुलसी के पत्ते तथा एरंड की कोंपलों को पीसकर उसमें थोड़ा नमक मिलाकर गुनगुना करके लेप लगाएं । कान दर्द से राहत दिलाने में भी तुलसी के पत्ते खाने से फायदा मिलता है ।
दाँत दर्द से आराम
तुलसी की पत्तियां दाँत दर्द से आराम दिलाने में भी कारगर हैं। दांत दर्द से आराम पाने के लिए काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दांत के दर्द से आराम मिलता है।
गले से जुड़ी समस्याओं में फायदेमंद
सर्दी-जुकाम होने पर या मौसम में बदलाव होने पर अकसर गले में खराश या गला बैठ जाने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। तुलसी की पत्तियां गले से जुड़े विकारों को दूर करने में बहुत ही लाभप्रद हैं। गले की समस्याओं से आराम पाने के लिए तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर उससे कुल्ला करें। इसके अलावा तुलसी रस-युक्त जल में हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर कुल्ला करने से भी मुख, दांत तथा गले के सब विकार दूर होते हैं ।
खांसी से आराम
तुलसी की पत्तियों से बने शर्बत को आधी से डेढ़ चम्मच की मात्रा में बच्चों को तथा 2 से चार चम्मच तक बड़ों को सेवन कराने से, खांसी, श्वास, कुक्कुर खांसी और गले की खराश में लाभ होता है । इस शर्बत में गर्म पानी मिलाकर लेने से जुकाम तथा दमा में बहुत लाभ होता है।
इस शरबत को बनाने के लिए कास-श्वास-तुलसी-पत्र (मंजरी सहित) 50 ग्राम, अदरक 25 ग्राम तथा काली मिर्च 15 ग्राम को 500 मिली जल में मिलाकर काढ़ा बनाएं, चौथाई शेष रहने पर छानकर तथा 10 ग्राम छोटी इलायची बीजों के महीन चूर्ण मिलाकर 200 ग्राम चीनी डालकर पकाएं, एक तार की चाशनी हो जाने पर छानकर रख लें और इसका सेवन करें ।
तुलसी की पत्तियां अस्थमा मरीजों और सूखी खांसी से पीड़ित लोगों के लिए भी बहुत गुणकारी हैं । इसके लिए तुलसी की मंजरी, सोंठ, प्याज का रस और शहद को मिला लें और इस मिश्रण को चाटकर खाएं, इसके सेवन से सूखी खांसी और दमे में लाभ होता है ।
डायरिया और पेट की मरोड़ से आराम
गलत खान-पान या प्रदूषित पानी की वजह से अकसर लोग डायरिया की चपेट में आ जाते हैं । खासतौर पर बच्चों को यह समस्या बहुत होती है । तुलसी की पत्तियां डायरिया, पेट में मरोड़ आदि समस्याओं से आराम दिलाने में कारगर हैं । इसके लिए तुलसी की 10 पत्तियां और 1 ग्राम जीरा दोनों को पीसकर शहद में मिलाकर उसका सेवन करें।
अपच से आराम दिलाती है तुलसी
अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर है या फिर आप अपच या अजीर्ण की समस्या से पीड़ित रहते हैं तो तुलसी का सेवन करें । इसके लिए तुलसी की 2 ग्राम मंजरी को पीसकर काले नामक के साथ दिन में 3 से 4 बार लें ।
मूत्र में जलन से आराम
मूत्र में जलन होने पर भी तुलसी के बीज का उपयोग करने से आराम मिलता है। तुलसी के बीज (Tulsi seeds) और जीरे का चूर्ण 1 ग्राम लेकर उसमें 3 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ लेने से मूत्र में जलन, मूत्रपूय तथा वस्तिशोथ (ब्लैडर इन्फ्लेमेशन) में लाभ होता है।
पीलिया में लाभदायक है तुलसी
पीलिया या कामला एक ऐसी बीमारी है जिसका सही समय पर इलाज ना करवाने से यह आगे चलकर गंभीर बीमारी बन जाती है । 1-2 ग्राम तुलसी के पत्तों को पीसकर छाछ के साथ मिलाकर पीने से पीलिया में लाभ होता है । इसके अलावा तुलसी के पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से भी पीलिया में आराम मिलता है ।
पथरी दूर करने में फायदेमंद है तुलसी
पथरी की समस्या होने पर भी तुलसी का सेवन करना फायदेमंद रहता है । इसके लिए तुलसी की 1-2 ग्राम पत्तियों को पीसकर शहद के साथ खाएं । यह पथरी को बाहर निकालने में मददगार होती है । हालांकि पथरी होने पर सिर्फ घरेलू उपायों पर निर्भर ना रहें बल्कि नजदीकी डॉक्टर से अपनी जांच करवाएं।
प्रसव (डिलीवरी) के बाद होने वाले दर्द से आराम
प्रसव के बाद महिलाओं को तेज दर्द होता है और इस दर्द को दूर करने में तुलसी की पत्तियां काफी लाभदायक हैं । तुलसी-पत्र-स्वरस में पुराना गुड़ तथा खाँड़ मिलाकर प्रसव होने के बाद तुरन्त पिलाने से प्रसव के बाद होने वाले दर्द से आराम मिलता है ।
नपुंसकता में लाभकारी
तुलसी बीज चूर्ण अथवा मूल चूर्ण में बराबर की मात्रा में गुड़ मिलाकर 1-3 ग्राम की मात्रा में, गाय के दूध के साथ लगातार एक माह या छह सप्ताह तक लेते रहने से नपुंसकता में लाभ होता है ।
कुष्ठ रोग (त्वचा रोग) में फायदेमंद है तुलसी का रस
अगर आप कुष्ठ रोग से पीड़ित हैं तो जान लें कि तुलसी का सेवन कुष्ठ रोग को कुछ हद तक दूर करने में सहायक है | पतंजलि आयुर्वेद के अनुसार 10-20 मिली तुलसी पत्र-स्वरस को प्रतिदिन सुबह पीने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
सफ़ेद दाग दूर करने में उपयोगी
तुलसी पत्रस्वरस (1 भाग), नींबू रस (1 भाग), कंसौदी-पत्र-स्वरस-(1 भाग), तीनों को बराबर-बराबर लेकर एक तांबे के बर्तन में डालकर चौबीस घंटे के लिए धूप में रख दें । गाढ़ा हो जाने पर इसका लेप करने से ल्यूकोडर्मा (सफेद दाग या श्वित्र रोग) में लाभ होता है। इसको चेहरे पर लगाने से, चेहरे के दाग तथा अन्य चर्म विकार साफ होते हैं और चेहरा सुन्दर हो जाता है। इससे पता चलता है कि तुलसी के फायदे चेहरे के लिए कितने हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार
तुलसी के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे सर्दी-जुकाम और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। 20 ग्राम तुलसी बीज चूर्ण में 40 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस कर रख लें । सर्दियों में इस मिश्रण की 1 ग्राम मात्रा का कुछ दिन सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वात एवं कफ से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है । इसके अलावा 5-10 मिली कृष्ण तुलसी-पत्र स्वरस में दोगुनी मात्रा में गाय का गुनगुना घी मिलाकर सेवन करने से भी वात और कफ से जुड़े रोगों से आराम मिलता है ।
मलेरिया में फायदेमंद
तुलसी का पौधा मलेरिया प्रतिरोधी है । तुलसी के पौधों को छूकर वायु में कुछ ऐसा प्रभाव उत्पन्न हो जाता है कि मलेरिया के मच्छर वहां से भाग जाते हैं, इसके पास नहीं फटकते हैं । तुलसी-पत्रों का काढ़ा बनाकर सुबह, दोपहर और शाम को पीने से मलेरिया में लाभ होता है ।
टाइफाइड में उपयोगी
अगर आप टाइफाइड से पीड़ित हैं तो तुलसी-मूल-क्वाथ को 15 मिली की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करें । तुलसी अर्क के फायदे से टाइफाइड का बुखार जल्दी ठीक होता है । यही नहीं बल्कि 20 तुलसी दल और 10 काली मिर्च के दाने दोनों को मिलाकर काढ़ा बना लें और किसी भी तरह का बुखार होने पर सुबह, दोपहर शाम इस काढ़े का सेवन करें । यह काढ़ा सभी प्रकार के बुखार से आराम दिलाने में कारगर है ।
बुखार से आराम
परमपूज्य स्वामी रामदेव जी का प्रयोग के अनुसार, तुलसी का पौधा से 7 तुलसी के पत्र तथा 5 लौंग लेकर एक गिलास पानी में पकाएं दो बार पिएं । तुलसी पत्र व लौंग को पानी में डालने से पहले टुकड़े कर लें। पानी पकाकर जब आधा शेष रह जाए तब थोड़ा सा सेंधानमक डालकर गर्म-गर्म इसका दिन में दो बार सेवन करें ।
यह काढ़ा पीकर कुछ समय के लिए वस्त्र ओढ़कर पसीना ले लें । इससे बुखार तुरन्त उतर जाता है तथा सर्दी, जुकाम व खांसी भी ठीक हो जाती है । इस काढ़े को दिन में दो बार दो तीन दिन तक ले सकते हैं। छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम होने पर तुलसी व 5-7 बूंद अदरक रस में शहद मिलाकर चटाने से बच्चों का कफ, सर्दी, जुकाम, ठीक हो जाता है। नवजात शिशु को यह अल्प मात्रा में दें ।
दाद और खुजली में तुलसी के अर्क के फायदे
दाद और खुजली में तुलसी का अर्क अपने रोपण गुण के कारण लाभदायक होता है । यह दाद में होने वाली खुजली को कम करता है, और साथ ही उसके घाव को जल्दी भरने में मदद करता है । यदि तुलसी के अर्क का सेवन किया जाए तो यह रक्त शोधक (रक्त को शुद्ध करने वाला) होने के कारण अशुद्ध रक्त का शोधन अर्थात रक्त को साफ़ करता है और त्वचा संबंधित परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है ।
मासिक धर्म की अनियमितता में तुलसी के बीज के फायदे
शरीर में वात दोष के बढ़ जाने के कारण मासिक धर्म की अनियमितता हो जाती है । तुलसी के बीज में वात को नियंत्रित करने का गुण होता है इसलिए इसका प्रयोग मासिक धर्म की अनियमितता में किया जा सकता है । तुलसी का बीज कमजोरी दूर करने में सहायक होता है, जिसके कारण मासिक धर्म होने के दौरान जो कमजोरी महसूस होती है उसको दूर करने में मदद करता है ।
साँसों की दुर्गंध दूर करें तुलसी का उपयोग
साँसों की दुर्गन्ध ज्यादातर पाचन शक्ति कमजोर हो जाने के कारण होती है । तुलसी अपने दीपन और पाचन गुण के कारण साँसों की दुर्गन्ध को दूर करने में सहायक होती है | इसमें अपनी स्वाभाविक सुगंध होने के करण भी यह सांसों की दुर्गन्ध का नाश करती है ।
चोट लगने पर तुलसी का उपयोग
चोट लगने पर भी तुलसी का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें रोपण और सूजन को कम करने वाला गुण होता है। तुलसी का यही गुण चोट के घाव एवं उसकी सूजन को भी ठीक करने में सहायक होता है ।
तुलसी का उपयोग चेहरे पर लाए निखार
तुलसी का उपयोग चेहरे का खोया हुआ निखार वापस लाने के लिए भी किया जाता है, क्योंकि इसमें रूक्ष और रोपण गुण होता है । रूक्ष गुण के कारण यह चेहरे से की त्वचा को अत्यधिक तैलीय होने से रोकती है, जिससे कील मुंहासों को दूर करने मदद मिलती है। इसके अलावा रोपण गुण से त्वचा पर पड़े निशानों और घावों को हटाने में भी सहायता मिलती है । यदि तुलसी का सेवन किया जाये तो इसके रक्त शोधक गुण के कारण अशुद्ध रक्त को शुद्ध कर चेहरे की त्वचा को निखारा जा सकता है ।
सांप काटने पर तुलसी का उपयोग
5-10 मि.ली. तुलसी-पत्र-स्वरस को पिलाने से तथा इसकी मंजरी और जड़ों को पीसकर सांप के काटने वाली जगह पर लेप करने से सर्पदंश की पीड़ा में लाभ मिलता है । अगर रोगी बेहोश हो गया हो तो इसके रस को नाक में टपकाते रहना चाहिए ।
तुलसी की सामान्य खुराक
आमतौर पर तुलसी का सेवन नीचे लिखी हुई मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए । अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए तुलसी का उपयोग कर रहें हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें । चूर्ण : 1-3 ग्राम स्वरस : 5-10 मिली सान्द्र सत् : 0.5-1 ग्राम अर्क : 0.5-1 ग्राम क्वाथ चूर्ण : 2 ग्राम या चिकित्सक के परामर्शानुसार
तुलसी कहाँ पायी या उगाई जाती है
तुलसी को आप अपने घर के आंगन में भी उगा सकते हैं । सामान्य तौर पर तुलसी के पौधे के लिए किसी ख़ास तरह के जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है । इसे कहीं भी उगाया जा सकता है । ऐसी धार्मिक मान्यता है कि तुलसी के पौधे का रखरखाव ठीक ढंग से ना करने पर या पौधे के आसपास गंदगी होने पर यह तुलसी का पौधा सूख जाता है ।
विज्ञान भी नतमस्तक
भारत के महान वैज्ञानिक श्री जगदीश चन्द्र बसु ने क्रेस्कोग्रॉफ संयंत्र की खोज कर यह सिद्ध कर दिखाया कि वृक्षों में भी हमारी तरह चैतन्य सत्ता का वास होता है । इस खोज से भारतीय संस्कृति की वृक्षारोपण के आगे सारा विश्व नतमस्तक हो गया । आधुनिक विज्ञान भी तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे हैरान है ।
तुलसी में विद्युत शक्ति अधिक होती है । इससे तुलसी के पौधे के चारों ओर की 200-200 मीटर तक की हवा स्वच्छ और शुद्ध रहती है वृक्षारोपण ग्रहण के समय खाद्य पदार्थों में तुलसी की पत्तियाँ रखने की परम्परा है । ऋषि जानते थे कि तुलसी में विद्युतशक्ति होने से वह ग्रहण के समय फैलने वाली सौरमंडल की विनाशकारी, हानिकारक किरणों का प्रभाव खाद्य पदार्थों पर नहीं होने देती। साथ ही तुलसी-पत्ते कीटाणुनाशक भी होते हैं ।
तुलसीपत्र में पीलापन लिए हुए हरे रंग का तेल होता है, जो उड़नशील होने से पत्तियों से बाहर निकलकर हवा में फैलता रहता है । यह तेल हवामान को कांति, ओज-तेज से भर देता है ।
तुलसी का स्पर्श करने वाली हवा जहाँ भी जाती है, वहाँ वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है । तुलसी पत्ते ईथर नामक रसायन से युक्त होने से जीवाणुओं का नाश करते हैं और मच्छरों को भगाते हैं । तुलसी का पौधा उच्छवास में ओजोन गैस छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है । आभामंडल नापने के यंत्र यूनिवर्सल स्कैनर द्वारा एक व्यक्ति पर परीक्षण करने पर यह बात सामने आयी कि तुलसी के पौधे की 9 बार परिक्रमा करने पर उसके आभामंडल के प्रभाव क्षेत्र में 3 मीटर की आश्चर्यकारक बढ़ोतरी हो गयी ।
आभामंडल का दायरा जितना अधिक होगा, व्यक्ति उतना ही अधिक कार्यक्षम, मानसिक रूप से क्षमतावान व स्वस्थ होगा। लखनऊ के किंग जार्ज कॉलेज में तुलसी पर अनुसंधान किया गया । उसके अनुसार पेप्टिक अल्सर, हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, कोलाइटिस और दमे (अस्थमा) में तुलसी का उपयोग गुणकारी है । तुलसी में एंटीस्ट्रेस (तनावरोधी) गुण है । प्रतिदिन तुलसी की चाय (दूधरहित) पीने या नियमित रूप से उसकी ताजी पत्तियाँ चबाकर खाने से रोज के मानसिक तनावों की तीव्रता कम हो जाती है ।
वैज्ञानिक बोलते हैं कि जो तुलसी का सेवन करता है उसका मलेरिया खत्म हो जाता है अथवा होता नहीं है, कैंसर नहीं होता । लेकिन हम कहते हैं यह तुम्हारा नजरिया बहुत छोटा है, तुलसी भगवान की प्रसादी है । यह भगवत प्रिया है, हमारे हृदय में भगवत प्रेम देने वाली तुलसी माँ हमारी रक्षक और पोषक है, ऐसा विचार करके तुलसी खाओ, बाकी मलेरिया आदि तो मिटना ही है । हम लोगों का नजरिया केवल रोग मिटाना नहीं है बल्कि मन प्रसन्न करना है, जन्म-मरण का रोग मिटाकर जीते जी भगवद्रस जगाना है ।
तुलसी माला की महिमा
- गले में तुलसी की माला पहनने से जीवनी शक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है। शरीर निर्मल, रोगमुक्त व सात्त्विकता बनता है।
- तुलसी माला से भगवन्नाम जप करने एवं इसे गले में पहनने से आवश्यक एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर-स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु में मदद मिलती है।
- तुलसी को धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-कोशों का विद्युत शक्ति धारण करने का सामर्थ्य बढ़ता है।
- गले में तुलसी माला पहनने से विद्युत तरंगें निकलती हैं जो रक्त संचार में रुकावट नहीं आने देती । प्रबल विद्युतशक्ति के कारण धारक के चारों ओर आभामंडल विद्यमान रहता है।
- गले में तुलसी माला धारण करने से आवाज सुरीली होती है। हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला हृदय व फेफड़े को रोगों से बचाती है। इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है ।
- तुलसी की माला धारक के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाती है । कलाई में तुलसी का गजरा पहनने से नाड़ी संबंधी समस्याओं से रक्षा होती है, हाथ सुन्न नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है।
- तुलसी की जड़ें अथवा जड़ों के मन के कमर में बाँधने से स्त्रियों को विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है। प्रसव वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है। कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात (लकवा) नहीं होता एवं कमर, जिगर, तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार नहीं होते हैं।
- यदि तुलसी की लकड़ी से बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करें तो वह कोटि गुना फल देने वाले होते हैं । जो मनुष्य तुलसी लकड़ी से बनी माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुनः प्रसाद रूप से उसे भक्ति पूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं।
Disclaimer |
ये सारे उपाय इंटरनेट पर उपलब्ध तथा विभिन्न पुस्तकों में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोई भी उपाय करते समय अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें। इन्हें आम घरेलू उपायों की तरह ही लें। इन्हें किसी गंभीर रोग के उपचार की सटीक औषधि न समझें। |
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