हम अक्सर टीवी या इंटरनेट, यूट्यूब या किसी भी प्लेटफार्म आदि पर म्युचुअल फंड (What is Mutual Fund) से संबंधित बहुत से एड देखते हैं। ‘म्युचुअल फंड सही है’ ये टैगलाइन ऐड बहुत ज्यादा लोकप्रिय है। तब हमारे मन में जिज्ञासा होती है कि म्युचुअल फंड आखिर है क्या? यह कैसे काम करता है? म्युचुअल से हमें क्या-क्या फायदे हो सकते हैं? हम म्युचुअल फंड में कैसे निवेश कर सकते हैं? म्युचुअल फंड कितने तरह के होते हैं, इसके बारे में समझते हैं।
म्यूचुअल फंड क्या है? (What is Mutual Fund)
म्यूच्यूअल फंड एक तरह का सामूहिक निवेश होता है, एक निवेश करने का एक तरीका है, जिसमें कई व्यक्तियों से धन एकत्र करके है और इसे स्टॉक, बॉन्ड और अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करता है। यानि म्युचुअल फंड में अलग-अलग निवेशकों से निवेश एकत्रित करके एक सामूहिक निवेश के रूप में शेयर बाजार, बॉन्ड आदि में निवेश करता है और इस निवेश से जो भी लाभ प्राप्त होता है, उसे भी निवेशकों में उनके निवेश के अनुसार वितरित कर दिया जाता है।
सही अर्थों में हम समझे तो म्यूचुअल फंड में कई निवेशकों का पैसा एक जगह जमा कर लिया जाता है फिर इस फंड को एक साथ बाजार में निवेश कर दिया जाता है। इस निवेश को एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) द्वारा मैनेज किया जाता है्। इस ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में कई तरह की म्युचुअल फंड स्कीम होती है।
म्युचुअल फंड को सरल अर्थों में समझें तो उदाहरण के द्वारा समझते हैं कि माना ₹1000 की कोई वस्तु है और किसी व्यक्ति की उस ₹1000 की वस्तुओं को खरीदने की हैसियत नहीं है, तो ऐसे में यदि चार व्यक्ति ₹250-₹250 लगाकर ₹1000 वह वस्तु को खरीद लें तो उस वस्तु में चार व्यक्तियों का निवेश हो गया। अब यही वस्तु बेचने पर यदि जो भी लाभ प्राप्त होगा, वह चारों व्यक्तियों द्वारा लगाई गई रकम के अनुसार वितरित हो जाएगा।
चूँकि चारों ने ₹250 लगाए इसलिए उन्हें समान लाभ प्राप्त होगा। यदि किसी व्यक्ति ने ₹400 किसी ने तीन ने ₹200-200 लगाये होते तो उन्हे उनके निवेश के अनुसार लाभ मिलता। ये सारा काम म्युचुअल फंड मैनेजमेंट कंपनी द्वारा देखरेख में किया जाता जिसमे बाजार के एक्सपर्ट शामिल होते हैं।
कंपनी बाजार की स्थिति पर नजर रखती है, सही समय पर सही बाजार में निवेश करती है। म्यूचल फंड का सारा निवेश कार्य एक्सपर्ट्स कंपनी की देखरेख में किया जाता है, जो सेबी (SEBI) में रजिस्टर्ड होती है। यह AMC यानि एक्सपर्ट मैनेज कंपनी म्युचुअल फंड की स्कीम बनाती है, लोगों से पैसा इकट्ठा करती है और बाजार में निवेश करती है।
म्युचुअल फंड कंपनीज बहुत सी म्युचुअल फंड स्कीम चलाती है। स्कीम में निवेश का अलग-अलग लक्ष्य होता है। किसी की स्कीम के अंतर्गत केवल बड़ी कंपनियों के शेयरों में ही पैसा लगाया जाता है तो किसी स्कीम के अंतर्गत छोटी कंपनियों में पैसा लगाया जाता है । कोई स्कीम केवल सरकारी कंपनी में ही निवेश करती है, किसी कंपनी में कार्पोरेट कंपनियों को ही देखा जाता है।
म्युचुअल फंड का इतिहास क्या है?
सबसे पहले म्यूचल फंड का प्रचलन 1774 में देखा गया था जब डच व्यापारी एड्रियन वैन केटविच इस तरह की वित्तीय व्यवस्था का प्रस्ताव रखा था कि निवेश के लिए किसी अमीर आदमी के नियंत्रण की जगह जनता को भी निवेश का विकल्प उपलब्ध कराना चाहिए। इस प्रस्ताव में कई निवेशकों से पैसा एकत्रित कर बाजार में लगाना चाहिए। पहला आधुनिक म्युचुअल निवेश 1924 ईस्वी में प्रचलन में आया था। म्युचुअल फंड निष्क्रिय निवेश के रूप में लाभांश प्राप्त करने के सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक है।
म्यूचुअल फंड में कौन निवेश कर सकता है?
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कोई भी नागरिक इसमें निवेश कर सकता है। उसके लिए उसके आवश्यक दस्तावेज होने आवश्यक है। जिसमें बैंक में बैंक अकाउंट, आधार और पैन कार्ड होने आवश्यक हैं। म्युचुअल निवेश के लिए ₹500 से निवेश किया जा सकता है। भारतीय निवासी या एन.आर.आई दोनों म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा वह अपने जीवनसाथी तथा संतान के नाम पर भी निवेश कर सकते हैं।
म्युचुअल फंड में निवेश कैसे किया जाए?
फंड में निवेश करने के लिए केवाईसी करानी होती है। यह पहचान प्रक्रिया से संबंधित प्रक्रिया होती है। इसमें पहचान और पते के दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं। इन दस्तावेजों में आधार कार्ड और पैन कार्ड प्रमुख है। इसके अलावा एक बैंक अकाउंट आवश्यक है। म्युचुअल फंड मैनेज करने के लिए कई पोर्टल इंटरनेट पर उपलब्ध है, यहां से ऑनलाइन केवाईसी भी कराई जा सकती है।
म्युचुअल फंड के क्या लाभ हैं?
म्यूचुअल फंड मैनेज करने में आसान है। इसे आप कभी खरीद सकते हैं और कभी भी बेच सकते हैं। सामान्य निवेश जैसे एफडी, शेयर, सीटीएफ या बीमा आदि को केवल कामकाजी दिनों में ही खरीदा-बेचा सकता है, यानि रविवार और सरकारी छुट्टी के दिन नही खरीदा-बेचा जा सकता, लेकिन म्युचुअल फंड को किसी भी दिन 365 दिन खरीदा-बेचा जा सकता है।
म्यूच्यूअल फंड के अंतर्गत कम निवेश में कई स्टॉक और बांड लेने की सुविधा मिलती है। आप जिस म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं, उसमें किसी एक जगह पैसा नहीं लगाया जाता बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में लगाया जाता है ताकि इसी क्षेत्र में मंदी की स्थिति में दूसरे क्षेत्र से लाभ को मैनेज किया जा सके की।
म्युचुअल मैनेज करने फीस काफी कम होती है, जिसमें निवेश का 1.5% से 2.5% तक देना होता है, जोकि एसेट मैनेजमेंट कंपनी यानि AMC को देना होता है। म्युचुअल फंड में पारदर्शिता होती है, जो कि सेबी (SEBI) द्वारा मैनेज किए जाते हैं।
म्युचुअल फंड में कैसे निवेश करें?
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए सबसे पहले हमें जिस प्रकार के फंड में निवेश करना है, वो चुनना होगा। ज्यादा जोखिम उठाने की सामर्थ्य होने पर इक्विटी फंड को चुनना चाहिए, जिसकी समय सीमा 5 वर्षों से अधिक हो। यदि कम जोखिम उठाने की सामर्थ्य हो तो हाइब्रिड फंड में निवेश किया जा सकता है।
यदि बेहद कम जोखिम उठाने की सामर्थ्य है तो डेट फंड में निवेश करना चाहिए। हालाँकि ये बात निश्चित है कि हर तरह के म्युचुअल फंड में थोडा बहुत जोखिम अवश्य होता है। म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए फंड को किस तरह के फंड में निवेश करना है, यह चुनने के बाद फंड मैनेज के अनुभव कंपनी का ट्रैक रिकार्ड आदि देखें, उसके बाद म्युचुअल फंड कंपनी की ये रिकार्ड देखना ज्यादा जोखिम के साथ छोटी कंपनियों से निवेश का ज्यादा लाभ कमाया जा रहा है या नहीं।
इसके अलावा यह भी देखना चाहिए कि किसी क्षेत्र में पैसा लगाया रहा है या अलग-अलग क्षेत्रों में पैसा लगाया रहा है। कितना पैसा इक्विटी में लगाया रहा है और कितना डेट में लगाया रहा है। फंड में निवेश करते समय एक्सपेंस भी देखना चाहिए जोकि AMC को देनी पड़ती है इसलिए ज्यादा एस्कपेंस होने पर लाभ कम हो सकता है।
क्या म्युचुअल फंड में निवेश करना सुरक्षित है?
इसमे निवेश बाजार जोखिम से जुड़ा हुआ है, ये स्पष्ट है, लेकिन इसमें कम जोखिम कम होता है क्योंकि यह सेबी की देखरेख में मैनेज किया जाता है और इसमें कई तरह के नियम लागू होते हैं। म्युचुअल फंड का निवेश कई क्षेत्रों में निवेश किया जाता है, इसी कारण स्टॉक मार्केट के मुकाबले काफी कम जोखिम होता है।
म्यूचुअल फंड में पैसा कैसे कमाया जा सकता है?
म्युचुअल फंड में दो तरीके से पैसा कमाया जा सकता है। समय सीमा और ग्रोथ रेट के द्वारा। समय सीमा के अंतर्गत निवेशक एक निश्चित समय के लिए फंड में निवेश करता है और उस समय के दौरान उसे स्कीम से लाभ प्राप्त होता है। इस तरह का विकल्प उन निवेशकों द्वारा चुना जाता है जो निवेश को भी बनाए रखना चाहते हैं और लाभ भी कमाना चाहते हैं।
दूसरे तरीके में ग्रोथ रेट होता है। ग्रोथ रेट में लाभ की गारंटी नहीं होती। निवेशक कुछ यूनिट अपने पास रख लेता है, यदि यूनिट का रेट बढ़ता करता है तो निवेशक को लाभ होता है रेट घटने पर उसे हानि हो सकती है। रेट बढ़ने पर उचित समय देखकर यूनिट को बेचकर लाभ कमाया जा सकता है, लेकिन इसमे जोखिम अधिक हो सकता है।
म्युचुअल फंड कितने प्रकार के होते हैं?
म्युचुअल फंड को चार मूल श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
स्टॉक फंड : यह फंड कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं।
बॉन्ड फंड : यह फंड बॉन्ड और अन्य डेट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं।
मनी-मार्केट फंड : यह फंड पूर्ण गुणवत्ता वाली अल्पकालीन सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं।
टारगेट डेट-फंड : यह फंड निवेशकों के लिए एक विशिष्ट सेवानिवृत्ति की तारीख को ध्यान में रखकर बनाई जाते हैं। स्टॉक फंड को ग्रोथ रेट फंड के रूप में जाना जा सकता है, क्योंकि यह औसत से अधिक शेयर के रिटर्न पर जोर देते हैं, लेकिन इसमें जोखिम की संभावना भी अधिक होती है। यहाँ पर हमें म्युचुअल फंड के बारे में जाना। म्युचुअ फंड में निवेश करने से पहले अच्छी म्युचुअल फंड कंपनी तथा अच्छे म्यूचुअल फंड मैनेजर को चुनना चाहिए तथा कंपनी का पूरा ट्रैक रिकॉर्ड देखने के बाद ही निवेश के बारे में सोचना चाहिए।
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