Sunday, September 8, 2024

टीडीएस और टीसीएस में अंतर क्या है?

टैक्स फाइलिंग करते समय टीडीएस और टीसीएस जैसे टर्म अक्सर सुनने में आते हैं। इन दोनों क्या अंतर (Difference between TDS and TCS) क्या है, समझते हैं…

टैक्स फाइलिंग करते समय टीडीएस और टीसीएस जैसे टर्म अक्सर सुनने में आते हैं। जो लोग किसी अच्छी कंपनी में अच्छी सैलरी पर है, उन्हें टीडीएस सुनने को मिलता है। जो किसी कोई व्यापार कर रहे हैं, किसी उत्पाद या सेवा को बेच रहे हैं उनका वास्ता टीसीएस से पड़ता रहता है।

अक्सर लोग टीडीएस और टीसीएस के अंतर को नहीं समझ पाते और इस कारण अक्सर भ्रम की स्थिति में आ जाते हैं। टीडीएस और टीसीएस दोनों सरकार द्वारा टैक्स वसूल करने के दो अलग-अलग तरीके हैं। आइए दोनों के बीच अंतर को समझते हैं

टीडीएस और टीसीएस में अंतर (Difference between TDS and TCS)

सबसे पहले टीडीएस को समझते है कि वो क्या है?

टीडीएस (TDS)

टीडीएस यानि Tax Deducted at the Source (TDS) TDS एक ऐसा प्रत्यक्ष कर है जो किसी भी तरह के लाभ पर सरकार द्वारा भुगतान से पहले ही काट लिया जाता है, यानी लाभार्थी को जो भुगतान प्राप्त हो रहा है, उसका टीडीएस उसे कटकर मिलेगा।

उदाहरण के लिए यदि किसी को ₹10000 किसी लाभ के रूप में प्राप्त हो रहे हैं और 10% टीडीएस का प्रावधान है तो उसे 10% टीडीएस कट कर ₹9000 ही प्राप्त होंगे।

टीडीएस काटने वाले को डिडक्टर (Deducter) तथा जिसका टीडीएस काटा जाता है, उसे डिडक्टी (Deductee) कहा जाता है। यानि डिडक्टर 10% टीडीएस काटकर डिडक्टी को देगा। टीडीएस काटने वाले की ये जिम्मेदारी होती है, कि वो काटा गया टैक्स सरकार में जमाकरे।

दूसरा उदाहरण देते हैं जैसे किसी व्यक्ति को ₹100000 की लॉटरी लगी है या उसने ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी तरह के अन्य गेम आदि में कोई पुरस्कार जीता है और उसे ₹100000 की धनराशि प्राप्त हुई है तो उसे ₹100000 नहीं प्राप्त होंगे बल्कि उस पर 30% टीडीएस कट कर उसे मात्र ₹70000 ही प्राप्त होंगे।

टीडीएस कटने के नियम अलग-अलग स्रोतों के लिए अलग-अलग हैं। टीडीएस नौकरी करने वाले व्यक्तियों, डिवेंचर या म्यूचुअल से मिलने वाले ब्याज के लाभ पर, 5 साल से और 50 हजार से अधिक एफडी कराने पर, डिविडेंड या लाभांश के रूप में आमदनी होने पर, लॉटरी, क्रॉसवर्ड, ऑनलाइन गेम अथवा किसी भी तरह के आधिकारिक गैम्बलिंग गेम आदि पर होने वाली आमदनी पर काटा जाता है।

कहने का तात्पर्य यह है जिस किसी व्यक्ति को किसी लाभ के भुगतान के रूप में जो आमदनी प्राप्त होती है, उस पर उसका टीडीएस पहले से ही काट कर भुगतान प्राप्त होता है। TDS काटने के अलग-अलग मानदंड हैं।

सैलरी और पेंशन पर (सेक्शन 192 के अनुसार) : ताजा वित्तीय वर्ष के अलग-अलग टैक्स स्लैब के अनुसार 5 साल से और 50 हजार से ज्यादा एफडी करने पर – 10% शेयर, डिवेंचर या म्यूचुअल फंड, डिविडेंट आदि से मिलने वाले ब्याज लाभांश पर – 10% शेयर पर मिलने वाले जमा पर ब्याज मिलने वाले ब्याज पर – 10% लॉटरी या गेम या आधिकारिक गैम्बलिंग गेम जीतने पर- 30% इसके अलावा भी अलग-अलग आमदनी स्रोतों पर अलग-अलग TDS प्रतिशत है।

टीडीएस के लाभ

टीडीएस आमदनी के आरंभ में ही काटने से सरकार को पहले से ही टेक्स्ट प्राप्त हो जाता है, जो कि उसे ताजा वित्तीय वर्ष में प्राप्त हो जाता है। इससे टैक्स चोरी की संभावना कम होती है। टीडीएस पहले से ही कटने के कारण बाद में टैक्स फाइलिंग करते समय टैक्सपेयर को कोई राशि नहीं जमा करानी पड़ती है क्योंकि उसकी आमदनी पर पहले ही टैक्स कट चुका है।

टीसीएस (TCS) क्या होता है?

टीसीएस यानि Tax Collected at the Source (TCS) सरकार द्वारा टैक्स वसूलने का एक दूसरा तरीका है, जोकि व्यापार में किसी वस्तु के सौदे पर लगता है।

यह टैक्स किसी भी तरह के वस्तु के सौदे पर. वस्तु बेचने वाला वस्तु बेचते समय भुगतान लेते समय खरीदार से लेता है और वस्तु की मूल राशि में टीसीएस जोड़कर भुगतान लेता है। वस्तु का जो मूल्य होता है उसमें पीसीएस अलग से जोड़कर भुगतान लिया जाता है। वस्तु बेचने वाले की जिम्मेदारी होती है कि वह टीसीएस को खरीदार से वसूले और उसे सरकार के पास जमा कराएं।

उदाहरण के लिए कोई वित्तीय संस्थान किसी व्यक्ति को हजार रुपए की कोई वस्तु बेच रहा है, तो उस पर यदि मानदंडों के अनुसार 5% टीसीएस है तो वस्तु बेचने वाला खरीदार से रुपए की ₹1000 जगह ₹1050 का भुगतान प्राप्त करेगा। यानि वह 5% जोड़कर ₹1050 देने के लिए खरीदार को कहेगा।

हर वस्तु पर टीसीएस नहीं लिया जाता बल्कि यह केवल सरकार द्वारा निर्धारित व्यापारिक उद्देश्य की कुछ विशेष वस्तुओं की बिक्री पर ही काटे जाने का प्रावधान है। यह टीसीएस व्यक्ति के लिए किसी वस्तु के सौदे होने पर नहीं काटा जाता। टीसीएस अधिकतर शराब, इमारती लकड़ी, आदि वस्तुओं की बिक्री पर ही काटा जाता है।

टीसीएस शराब उत्पाद तेंदूपत्ता कबाड़ फर्नीचर इमारती लकड़ी आदि की बिक्री पर ही काटा जाता है। यह आयात माल पर टीसीएस नहीं लगाया जाता।


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