Sunday, September 8, 2024

सभी ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन।

ओलंपिक में भारत (India performance in all Olympic Games) का कोई बहुत विशेष प्रदर्शन नहीं रहा है। ओलंपिक के 120 साल से अधिक के इतिहास में भारत ने कुल 35 पदक जीते हैं। इनमें केवल दो स्वर्ण पदक हैं। इससे स्पष्ट होता है कि भारत का भारत जैसे विशाल देश का प्रदर्शन ओलंपिक में उतना अधिक उल्लेखनीय नहीं रहा है जितना कि होना चाहिए था। ओलंपिक इतिहास में भारत के प्रदर्शन पर एक नजर डालते है…

ओलंपिक में भारत (India in all Olympics)

भारत के लिए सबसे पहला पदक यूं तो एक अंग्रेज ने जीता था, क्योंकि उस समय भारत अंग्रेजों का गुलाम था और जिस अंग्रेज ‘नार्मन प्रिचर्ड’ ने भारत के लिए पहला पदक जीता था। उसने भारत की तरफ से ओलंपिक में भाग लिया था इसलिए भारत के पहला पदक ‘नॉर्मन प्रिचर्ड’ के नाम है।

1900 के ओलंपिक खेल

भारत ने पहली बार 1900 के ओलंपिक में भाग लिया। जहां पर नॉर्मन प्रिचर्ड’ ने भारत की तरफ से एकमात्र प्रतिनिधि के तौर पर ओलंपिक खेलों में भागीदारी की थी और 200 मीटर स्प्रिंट की 200 मीटर बाधा दौड़ में दो रजत पदक जीते थे।

1920 के ओलंपिक खेल

भारत ने 1920 में अपना पहला ओलंपिक दल एंटवर्प ओलंपिक’ में भेजा, जहां 5 एथलीटों ने हिस्सा लिया था। इसमें भारत में कोई पदक नहीं जीता।

1924 के ओलंपिक खेल

1924 के ओलंपिक में भारत ने अपना दल भेजा और टेनिस में भारत ने अपना डेब्यू किया। कुल 5 खिलाड़ियों जिनमें 4 पुरुष और 1 महिला थी, ने एकल स्पर्धा में भाग लिया था। लेकिन इसमें भी भारत में कोई पदक नहीं जीता।

1928 के ओलंपिक खेल

भारत ने अपना पहला स्वर्ण पदक 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक’ खेलों में ‘हॉकी’ के खेल में जीता। यहीं से भारत की हॉकी के स्वर्णिम दौर की शुरुआत हुई। इस स्वर्ण पदक की जीत में सबसे बड़ा योगदान हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का था। ध्यानचंद ने नीदरलैंड के खिलाफ कुल 14 गोल किए थे, जिसमें एक हैट्रिक भी थी।

1932 के ओलंपिक खेल

1932 के लास एंजिलस’ ओलंपिक में भी भारत ने हॉकी में स्वर्ण पदक जीता। इस जीत मे भी ध्यानंचद का मुख्य योगदान था। 1932 के ओलंपिक खेलों में ध्यानचंद के अलावा उनके छोटे भाई रूप सिंह का भी अहम योगदान था। दोनों भाईयों नें भारत की स्वर्ण पदक जीत में अहम भूमिका निभाई।

1936 के ओलंपिक खेल

1936 के ओलंपिक में भारत ने स्वर्ण पदक जीता और तीन लगातार बार स्वर्ण पदक जीतने की हैटट्रिक पूरी की। 1936 के बर्लिन ओलंपिक’ में भी भारत की जीत में ध्यानचंद का मुख्य योगदान रहा था। उसके बाद आगे के कुछ ओलंपिक खेलों का आयोजन द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण नहीं हो पाया था।

1948 के ओलंपिक खेल

1948 के लंदन ओलंपिक में भारत ने स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पहली बार ओलंपिक खेलों में भाग लिया था और इसमें भारत ने अब तक अपना अपना सबसे बड़ा दल भेजा था, जिसमें लगभग 86 खिलाड़ी थे। भारत ने 9 खेलों में भागीदारी की थी।

“भारत ने हॉकी में फिर इस बार स्वर्ण पदक जीता और यह स्वतंत्र भारत का ‘पहला ओलंपिक पदक’ था।”

1952 के ओलंपिक खेल

1952 के हेलसिंकी ओलंपिक’ और 1956 के ओलंपिक खेलों में भारत ने हॉकी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता इस तरह यहां पर भी बाकी ने भारत में हॉकी की हैट्रिक पूरी की और स्वतंत्र भारत के रूप में भी लगातार तीन बार हाकी के स्वर्ण पदक जीते।

हॉकी के अलावा भारतीय टीम ने 1948 के लंदन ओलंपिक में फुटबॉल टीम के रूप में भी पदार्पण किया था, लेकिन वह अपने पहले मैच में ही फ्रांस से हार गई थी।

स्वतंत्र भारत में व्यक्तिगत रूप से भारत के लिए कोई पहला पदक जीतने वाला खिलाड़ी का नाम ‘केडी जाधव’ था, जिन्होंने 1952 के ‘हेलसिंकी ओलंपिक’ में कुश्ती की स्पर्धा में ‘कांस्य पदक’ जीता था। इस तरह ‘के डी जाधव’ व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।

1954 के ओलंपिक खेल

1956 के ओलंपिक में भारतीय भारत की फुटबॉल टीम कांस्य पदक के लिए संघर्ष करते हुए प्लेऑफ में हार गई और चौथे स्थान पर रही थी। उसके बाद 1960 के ओलंपिक खेलों में भारत का स्वर्ण पदक अभियान टूट गया और पहली बार उसे रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। यही वह ऐतिहासिक ओलंपिक थे, जिसमें भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी उड़न सिख’ के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह 400 मीटर की दौड़ में कांस्य पदक जीतने से चूक गये थे।

1664 के ओलंपिक खेल

1964 के ओलंपिक खेलों में भारत ने फिर स्वर्ण पदक जीता। ये ओलंपिक में भारत का छठा स्वर्ण पदक था। 1968 के मेक्सिकों ओलंपिक’ खेलों में भारत का फिर निराशाजनक प्रदर्शन रहा और भारतीय हॉकी टीम पहली बार शीर्ष दो टीमों में स्थान बनाने से चूक गई थी। अंत में भारतीय टीम को केवल कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा था। वह तीसरे स्थान पर रही।

1972 के ओलंपिक खेल

1972 में म्यूनिख ओलंपिक’ में भी भारत का को केवल कांस्य पदक ही प्राप्त हुआ। वह कांस्य पदक भारत ने हॉकी में ही जीता जिसमें भारतीय हॉकी टीम तीसरे स्थान पर रही।

1976 के ओलंपिक खेल

1976 का मांट्रियल ओलंपिक’ भारतीय टीम के नजरिए से बिल्कुल सबसे निराशाजनक रहा, क्योंकि 1924 में जब से भारत ने हॉकी में ओलंपिक स्पर्धा में भाग लेना शुरू किया था, तब से यह सबसे अधिक निराशाजनक प्रदर्शन था। इन ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम सातवें स्थान पर रही और भारत को ओलंपिक खेलों में हॉकी की प्रतिस्पर्धा में कोई भी पदक नहीं मिला।

1980 के ओलंपिक खेल

1980 के मॉस्को ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने एक बार स्वर्ण पदक जीता। हालाँकि भारत का स्वर्ण पदक जीतना उतना उल्लेखनीय नही रहा क्योंकि मॉस्को ओलंपिक खेलों में अधिकतर प्रमुख देशों ने भाग नहीं लिया था।

उसके बाद भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन ओलंपिक में निराशाजनक ही रहा। ओलंपिक में भारत की निराशा का दौर शुरू हो गया। व्यक्तिगत रूप से तो भारत के अब तक एक ही खिलाड़ी ने केवल कांस्य पदक जीता था। केवल भारतीय हॉकी टीम ने आठ बार ओलंपिक स्वर्ण पदक और दो कांस्य पदक जीते थे। लेकिन 1980 के बाद और हॉकी के पतन का भी दौर शुरू हो गया।

1984 के ओलंपिक खेल

1984 के लास एंजिल्स ओलंपिक’ खेलों में भारत को ना हॉकी और में ना ही किसी अन्य खेल में कोई भी पदक नहीं मिला। हाँ इस इन खेलों में एक उल्लेखनीय बात यह रही कि भारत की उड़नपरी’ के नाम से मशहूर प्रसिद्ध पीटी उषा’ 400 मीटर की बाधा दौड़ में चौथे स्थान पर रह गई थी और कुछ ही सेकेंड के अंतर से कांस्य पदक जीतने से चूक गई थी।

1988 के ओलंपिक खेल

1988 के सिओल ओलंपिक’ खेलों में भारत को किसी भी खेल में कोई पदक नहीं प्राप्त हुआ और भारतीय दल खाली हाथ लौटा।

1992 के ओलंपिक खेल

1992 के बार्सिलोना ओलंपिक’ में भी भारत को कोई भी पदक नहीं मिला। भारत की हॉकी टीम सहित पूरे भारतीय दल ने निराश किया।

1996 के ओलंपिक खेल

भारत के ओलंपिक पदक का सूखा 1996 में खत्म हुआ, जब टेनिस खिलाड़ीलिएंडर पेस’ ने 1996 के अटलांटा ओलंपिक’ खेलों में टेनिस की एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। यह भारत का दूसरा व्यक्तिगत पदक था।

2000 के ओलंपिक खेल

व्यक्तिगत पदक जीतने का सिलसिला अब शुरु हो गया था और अगले ओलंपिक खेलों यानि सन् 2000 के सिडनी ओलंपिक’ खेलों में भारतीय महिला भारोत्तोलक (वेटलिफ्टर) कर्णम मल्लेश्वरी’ ने कांस्य पदक जीता और वह ओलंपिक खेलों में कोई पदक जीतने वाली पहली महिला बन गई।

2004 के ओलंपिक खेल

सन 2004 के अटलांटा ओलंपिक’ खेलों में भारत के निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौर’ ने रजत पदक जीतकर एक और इतिहास लिखा क्योंकि यह भारत का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक रजत पदक था।

2008 के ओलंपिक खेल

2008 के बीजिंग ओलंपिक’ खेलों में अभिनव बिंद्रा ने ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की, जब उन्होंने भारत के लिए पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में भारत के लिए देश का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता।

अभिनव बिंद्रा ने ओलंपिक के इतिहास में भारत के लिए पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था, जो उन्होंने 2008 में निशानेबाजी की स्पर्धा में जीता था।

उनके अलावा बॉक्सर विजेंद्र सिंह’ और पहलवान सुशील कुमार’ ने भी कांस्य पदक जीते थे। 1952 के ओलंपिक खेलों में जब भारत ने एक स्वर्ण पदक और एक कांस्य पदक जीता था। उसके बाद यह दूसरा मौका था, जब भारत ने 2008 में एक से अधिक ओलंपिक पदक जीते।

2012 के ओलंपिक खेल

2012 के लंदन ओलंपिक’ खेलों में बैडमिंटन खिलाड़ी ‘साइना नेहवाल’ ने भारत के लिए बैडमिंटन में कांस्य पदक जीता। इसके साथ ही पहलवान सुशील कुमार ने दूसरा ओलंपिक पदक रजत पदक के रूप में जीता। इस तरह वे दो व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। 2012 लंदन ओलंपिक’ में ही ‘गगन नारंग’ ने निशानेबाजी स्पर्धा में कांस्य पदक, विजय कुमार ने निशानेबाज की स्पर्धा में रजत पदक, मैरीकॉम’ ने मुक्केबाजी की स्पर्धा में कांस्य पदक और योगेश्वर दत्त ने कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक जीते। इस तरह यह भारत का तब तक का सबसे सफल साबित हुआ था, जब ओलंपिक में भारत ने दो रजत और चार कांस्य सहित कुल 6 पदक जीते थे।

2016 के ओलंपिक खेल

2016 के रियो डी जेनेरियो ओलंपिक’ खेलों में भारत ने केवल 2 पदक जीते, जब बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु’ ने रजत पदक जीता और पहलवान महिला पहलवान साक्षी मलिक’ ने कांस्य पदक जीता। इस बार केवल महिलाओं ने ही बाजी मारी और दोनों पदक महिलाओं ने ही जीते थे।

2020 के ओलंपिक खेल

2020 का टोक्यो ओलंपिक’ खेल जो कि 2021 में कोरोना महामारी के कारण 2021 में खेले गए थे, वह भारत के अब तक के सबसे सफल ओलंपिक खेल रहे हैं। जब भारत में कुल एक स्वर्ण पदक, दो रजत पदक और चार कांस्य पदक सहित कुल सात पदक जीते।

2020 के टोक्यो ओलंपिक’ खेलों में भारत के नीरज चोपड़ा’ ने पुरुष भाला फेंक (मेंस जैवलिन थ्रो) में स्वर्ण पदक जीता। भारत की पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक खेलों में 30 साल का सूखा खत्म किया जब उसने 1980 के मास्को ओलंपिक खेलों के बाद कोई पदक जीता था।

इसके अलावा ‘रवि कुमार दहिया’ ने फ्री स्टाइल कुश्ती में रजत पदक जीता। मीराबाई चानू’ ने वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में रजत पदक जीता। महिला मुक्केबाज लोवलीना बोरहोगेन’ ने कांस्य पदक जीता। महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु’ ने कांस्य पदक जीता। पुरुष पहलवान बजरंग पुनिया’ ने कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। इस तरह टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारत ने एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य सहित कुल सात पदक जीते। यह भारत के अब तक सबसे सफल ओलंपिक खेल रहे।

2024 के पेरिस ओलंपिक

2024 के ओलंपिक खेल फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित किए गए। यह ओलंपिक खेल 26 जुलाई 2024 से 11 अगस्त 2024 तक संपन्न हुए।

इन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन पिछले ओलंपिक खेलों से कम रहा और भारत ने कुल 6 पदक जीते, जिनमें कोई भी स्वर्ण पदक नहीं था।

पिछले टोक्यो ओलंपिक खेलों में जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा इस बार जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने से चूक गए और उन्होंने रजत पदक जीता।

भारत में इसके अलावा पाँच ब्रांज मेडल जीते। भारत का पहला मेडल निशानेबाज मनु भाकर ने जीता। मनु भाकर ने निशानेबाजी की 20 मीटर पिस्टल स्पर्धा में ब्रांज मेडल जीतकर भारत के मेडल अभियान की शुरुआत की। उसके बाद मनुभाकर ने सरबजोत सिंह के साथा मिलकर 20 मीटर पिस्टल में ही दूसरा ब्रांज मेडल जीता।

इस तरह ‘मनु भाकर’ एक ओलंपिक खेलों में दो ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं।

इसके बाद निशानेबाजी में ही भारत का तीसरा ब्रॉन्ज मेडल आया, जब स्वप्निल कुसाले ने जब 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता। उसके बाद भारत के कुछ प्रतिष्ठित खिलाड़ी जैसे पीवी सिंधु, लक्ष्य सेन, मनिका बत्रा, अंतिम पंघाल, विनेश फोगाट, दीपिका कुमारी जैसे खिलाड़ी मेडल जीतने से चूक गए।

भारत के लिए चौथा ब्रॉन्ज मेडल भारतीय हॉकी टीम ने जीता, किसने स्पेन को 3-2 से हराकर भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता। भारत के लिए पांचवा ब्रॉन्ज मेडल पहलवान अमन सहरावत ने कुश्ती में जीता।

इस ओलंपिक में भारतीय पहलवान विनेश फोगाट के साथ अन्याय भी हुआ जब उन्होंने 50 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में जगह बनाकर भारत के लिए कम से कम रजत पदक पक्का कर दिया था लेकिन फाइनल वाले दिन 100 किलोग्राम वजन ज्यादा पाये के कारण उन्हें फाइनल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया और वह कोई मेडल नहीं जीत पाईं।


Courtesy

https://olympics.com


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