श्री रामभक्त श्री हनुमान की महिमा निराली है। श्री हनुमान के भारत में जितने अधिक मंदिर हैं, उतने अधिक मंदिर अन्य किसी देवता के नहीं। ऐसे सिरुली महावीर दिव्य मंदिर (Siruli Mahavir Mandir Odisha) उड़ीसा में है। इस मंदिर की महिमा को जानते हैं।
सिरुली महावीर मंदिर (उड़ीसा) (Siruli Mahavir Mandir Odisha)
भारत का कोई भी गाँव हो, नगर हो, हर जगह हनुमान मंदिर अवश्य मिल जाएगा। शिव मंदिर और हनुमान मंदिर हर जगह मिल जाते हैं।
सिरुली महावीर मंदिर एक अद्भुत मंदिर है जो अपनी धार्मिक, ऐतिहासिक और वास्तुकला महत्व के लिए जाना जाता है। यदि आप ओडिशा की यात्रा कर रहे हैं, तो यह मंदिर निश्चित रूप से आपके दर्शनीय स्थलों की सूची में होना चाहिए।
मेहंदीपुर बालाजी से लेकर कई ऐसे आने की दिव्य मंदिर हैं जो अपनी दिव्यता के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक दिव्य मंदिर उड़ीसा के पुरी धाम में स्थित है। यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना है जो उड़ीसा के सिरुली गाँव में जगन्नाथ पुरी धाम जाने के रास्ते में स्थित है।
यह हनुमान मंदिर एक बेहद पौराणिक मंदिर है। इस मंदिर के साथ एक कथा भी जुड़ी हुई है जिसके अनुसार क्योंकि जगन्नाथ स्वयं भगवान विष्णु के अवतार का स्वरूप हैं, जो श्री राम और श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिए। भगवान श्री महावीर इन्हीं जगन्नाथ की सेवा जगन्नाथ पुरी के श्री मंदिर के सिंह द्वार पर रहकर किया करते थे, लेकिन जब वह खर्राटे लेते तो श्री लक्ष्मी जी को उनके खर्राटों से बेहद परेशानी होती थी। इसीलिए इसकी शिकायत उन्होंने जगन्नाथ प्रभु जगन्नाथ से की तो प्रभु जगन्नाथ में श्री महावीर को आदेश दिया कि यहाँ से थोड़ी दूर पर जाकर अपना बस जाओ।
उसके बाद से उनकी आज्ञा को शिरोधार्य करके श्री महावीर जगन्नाथ धाम से 33 किलोमीटर की दूरी पर जाकर बस गए और वहीं पर उनका मंदिर बन गया, जो सिरुली महावीर मंदिर के नाम से विख्यात है।
जो हनुमान जी के परम भक्त हैं उन्हें इस मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए कहते हैं, यहाँ पर आकर दीपक जलाकर अपनी मन्नत मांगने से मन्नत पूरी होती है।
यदि यहां पर नहीं आ पाए तो भी भारत के किसी को नहीं में या विश्व के किसी भी कोने में हों, वहां पर सिरुली महावीर का ध्यान करके उनके नाम पर दिया जलाकर अपनी सारी मनोकामना की पूर्ति कर सकते हैं। श्री महावीर मनोकामना को अवश्य पूर्ण करते हैं।
मंदिर के मुख्य आकर्षण
- मंदिर की वास्तुकला देखने अद्भुत है। मंदिर के गर्भगृह, मंडप और शिखर सभी अत्यंत सुंदर हैं।
- भगवान हनुमान की मूर्ति बहुत ही आकर्षक है। मूर्ति के चेहरे पर वीरता और भक्ति का भाव झलकता है।
- मंदिर में हर वर्ष होने वाली चंदन यात्रा एक अद्भुत धार्मिक अनुभव देती है।
- मंदिर के परिसर में स्थित अंजनी तालाब एक शांत और सुंदर जगह है।
मंदिर कहाँ पर है?
सिरुली, भुवनेश्वर, ओडिशा, भारत
किस बात के लिए प्रसिद्ध है?
भगवान हनुमान, चंदन यात्रा, अंजनी तालाब
मंदिर का इतिहास क्या है?
सिरुली महावीर मंदिर, भगवान हनुमान को समर्पित, 12वीं शताब्दी में गंग राजवंश द्वारा निर्मित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भुवनेश्वर से लगभग 60 किलोमीटर दूर पुरी जाने वाली सड़क पर सिरुली नामक गाँव में स्थित है।
मंदिर की विशेषताएं
- हनुमान जी कीमूर्ति : मंदिर में भगवान हनुमान की 8 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है। मूर्ति काले पत्थर से बनी है और भगवान हनुमान को वीर मुद्रा में दर्शाया गया है।
- चंदन यात्रा : सिरुली महावीर मंदिर अपनी चंदन यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। यह यात्रा हर साल रथयात्रा के दौरान आयोजित की जाती है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ की चंदन की मूर्ति को सिरुली महावीर मंदिर लाया जाता है।
- अंजनी तालाब : मंदिर के पास एक तालाब है जिसे अंजनी तालाब कहा जाता है। यह तालाब माता अंजनी, भगवान हनुमान की मां को समर्पित है।
मंदिर का महत्व
- सिरुली महावीर मंदिर ओडिशा के सबसे महत्वपूर्ण हनुमान मंदिरों में से एक है।
- यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और भगवान हनुमान की सुंदर मूर्ति के लिए जाना जाता है।
- चंदन यात्रा और अंजनी तालाब इस मंदिर के धार्मिक महत्व को बढ़ाते हैं।
मंदिर कैसे पहुँचे?
- भुवनेश्वर से सिरुली तक बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- भुवनेश्वर हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है।
- पुरी रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है।
सिरुली महावीर मंदिर में हर सप्ताह मंगलवार तथा शनिवार को देश-विदेश से हजारों हनुमान भक्त जाकर सिरुली महावीर का दर्शन करते हैं और प्रसाद के रूप में चूड़ाखास तथा एंडुरी पिठा ग्रहण करते हैं, जो उड़ीसा का पारंपरिक व्यंजन है।
यहां के स्थानीय लोग अपने खेतों में जुताई-बुवाई करने से पहले सिरुली महावीर के दर्शन अवश्य करते हैं और उनके आशीर्वाद के कारण उनके खेतों में अच्छी फसल होती है, ऐसी मान्यता है।
सिरुली महावीर का प्रमुख प्रसाद चूड़ाखास तथा एंडुरी पिठा है। यह प्रसाद भक्तगण बड़े चाव से ग्रहण करते हैं। मंदिर के प्रांगण में एक तालाब भी है, जिसे अंजनी तालाब कहा जाता है। इस अंजनी तालाब के बारे में ऐसी मान्यता है कि श्री महावीर जी भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के समय अक्षय तृतीया से लेकर 21 दिनों तक जगन्नाथ प्रभु की भारी चंदन यात्रा अनुष्ठित करते हैं और इस तालाब में उनको नौका विहार करते हैं।
सिरुली महावीर मंदिर में श्री हनुमान के अलावा श्री गणेश, दुर्गा जी, शिवलिंग, दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित हैं और शिवलिंग और नंदी बैल भी स्थापित हैं। मंदिर की दीवारों पर नवग्रह का अंकन किया गया है मंदिर के प्रवेश द्वार पर दोनों तरफ दो सिंह मूर्तियां हैं।
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