गुजरात के सारंगपुर में श्री हनुमान जी का दिव्य मंदिर श्री कष्टभंजन हनुमान देव मंदिर (Shree Kashtbhanjan Dev Hanuman Mandir) स्थित है, ये मंदिर भक्तों की मनोकामना पूरी करने के लिए प्रसिद्ध है, आइए जानते हैं पूरा विवरण…
हनुमान जी शक्ति के देवता हैं, वह पृथ्वी के जागृत देवता हैं। वह चिरंजीव हैं अर्थात उनके बारे में मान्यता है कि वह पृथ्वी पर अभी भी सशरीर मौजूद है, क्योंकि उन्हें अमरता का वरदान मिला हुआ है।
इस कलयुग में हनुमान जी शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं। यदि उनकी भक्ति भाव से आराधना की जाए तो वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
हनुमान एक ऐसे देवता हैं जो जिनके भारत में सबसे अधिक मंदिर मिल जाएंगे। किसी भी अन्य देवता के इतने मंदिर नहीं मिलते, जितने श्री हनुमान जी के मंदिर होते हैं। भारत के हर नगर, गाँव, कस्बे में एक हनुमान मंदिर अवश्य मिल जाएगा।
भारत में कोने-कोने पर ऐसे अनेक दिव्य मंदिर हैं, जो अपनी विशेष दिव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं। श्री कष्टभंजन देव हनुमान मंदिर ऐसे ही दिव्य मंदिरों की श्रेणी में है। इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त लोग श्री हनुमान के दर्शन करने को आते है और यहाँ पर आकर हनुमान जी का दर्शन करने और उनका स्मरण करने मात्र श्री हनुमान भक्तों के कष्ट का भंजन कर देते हैं, इसीलिए वह कष्टभंजन हनुमान कहलाए।
कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहाँ पर है?
कष्टभंजन हनुमान मंदिर गुजरात के सारंगपुर नामक छोटे से कस्बे में स्थित है। ये कस्बा गुजरात के भावनगर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
श्री कष्टभंजन देव हनुमान मंदिर (Shree Kashtbhanjan Dev Hanuman Mandir)
ये मंदिर हनुमान जी का ऐसा मंदिर है, जहाँ पर उनके साथ शनिदेव भी विराजमान हैं, और शनिदेव स्त्री रूप में हनुमान जी के चरणों में विराजमान हैं।
इस मंदिर का निर्माण स्वामी नारायण संप्रदाय द्वारा किया गया है। यह स्वामीनारायण संप्रदाय का एकमात्र मंदिर है। जहाँ पर मुख्य देव के रूप में श्री हनुमान विराजमान हैं, नहीं तो स्वामीनारायण संप्रदाय के हर मंदिर में स्वामीनारायण की मूर्ति तथा श्री कृष्ण की मूर्ति अवश्य होती है, लेकिन इस मंदिर में श्री हनुमान जी की मूर्ति मुख्य प्रतिमा के रूप में स्थापित है।
इस संबध में एक कथा प्रचलित है।
प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन समय में शनि देव का प्रकोप इस क्षेत्र में काफी बढ़ गया था, जिसके कारण यहाँ के सभी निवासियों को तरह-तरह की परेशानियों और दुखों का सामना करना पड़ रहा था। मान्यता के अनुसार उस समय यहाँ स्थानीय निवासियों ने भगवान हनुमान जी से प्रार्थना की कि वह उन्हें इस संकट से मुक्ति दिलाए।
अपने भक्तों का कष्ट हनुमान देखा नही गया। हनुमान जी ने अपने भक्तों की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और उन्हें शनि के प्रकोप से बचने के लिए सांरगपुर नामक इस जगह पर प्रकट हुए। कहा जाता है कि इसके बाद हनुमान जी शनिदेव पर क्रोधित हो गए और उन्हें दंड देने का निश्चय किया।
शनिदेव को जब इस बात का पता चला कि हनुमान जी क्रोध में हैं और उन्हें दंड देना चाहते हैं तो वह बहुत डर गए और हनुमान जी के क्रोध से बचने के लिए उपाय सोचने लगे। शनि देव जानते थे कि हनुमान जी किसी भी किसी स्त्री पर वार नहीं करते। इसलिए शनि देव ने उनके क्रोध से बचने के लिए स्त्री रूप धारण कर लिया और उनके चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगे।
शनिदेव द्वारा क्षमा मांगने और भक्तों को नही सताने के वचन के बाद हनुमान जी ने शनिदेव को क्षमा कर दिया। कहते हैं कि तभी से यहाँ हनुमान जी कष्टभंजन के रूप में स्थापित हो गए और शनिदेव उनके चरणों स्त्री के रूप में स्थापित हो गए।
मंदिर के गर्भ गृह में हनुमान जी की प्रतिमा को कष्टभंजन के रूप में दर्शाया गया है, जिसके आधार पर शनि देव को हनुमान जी के चरणों में स्त्री रूप में पूजा जाता है। हनुमान जी द्वारा भक्तों के कष्टों का निवारण करने की वजह से ही उन्हें कष्टभंजन हनुमान के नाम से जाना जाता है।
प्रचलित मान्यता के अनुसार अगर किसी मनुष्य की कुंडली में शनि दोष होता है तो यहां आकर कष्टभंजन हनुमान जी के दर्शन और पूजन अर्चन करने से दोष भी समाप्त हो जाते हैं। यही कारण है कि पूरे साल इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने और अपनी कुंडली से शनि दोष को दूर करने के लिए आने वाले भक्तों का ताँता लगा रहता है।
यहाँ पर श्री हनुमान जी को महाराजाधिराज कहा जाता है, क्योंकि वह इस सुंदर विशाल भव्य मंदिर में एक विशाल और भव्य मंडप के बीच 45 किलो सोने और 95 किलो चांदी से बने एक सुंदर सिंहासन पर विराजमान है। उनके सिर पर हीरे-जवाहरातों का मुकुट सुसज्जित है और उनके निकट में ही सोने की एक गदा भी रखी हुई है।
हनुमान जी के चारों तरफ उनकी वानर सेवा की छोटी-छोटी मूर्तियां भी अंकित हैं तथा उनके पैरों में स्त्री रूप में श्री शनि देव महाराज विराजमान हैं।
कष्टभंजन हनुमान मंदिर में दो बार आरती की जाती है। सुबह 5:30 बजे मंगला आरती होती है फिर वेद मंंत्रो के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। उसके बाद शाम के समय आरती की जाती है।
मंगलवार और शनिवार के दिन यहाँ पर भक्तों की विशेष भीड़ लगती है। जिन लोगों के ऊपर शनि का प्रकोप है, वह यहाँ पर आकर शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने की कामना लेकर आते हैं।
मंगलवार और शनिवार दिन आना यहां पर विशेष लाभदायक है। शनिवार के दिन आने से यहां पर हनुमान जी के साथ-साथ शनि महाराज का भी आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है। मंगलवार और शनिवार के दिन यहां संख्या चार से पांच गुना तक बढ़ जाती है।
कष्टभंजन हनुमान जी को चढ़ाए जाने वाली सामग्री और प्रसाद की बात करें तो यहाँ नारियल पुष्प और कई प्रकार की मिठाइयों का प्रसाद भेंट किया जाता है।
नारियल चढ़कर अपनी मनोकामना को हनुमान जी के सामने रखने वाले भक्तों की संख्या सबसे अधिक देखी जाती है।
यहाँ पर आकर नारियल चढ़ाना विशेष फलदाई माना गया है और नारियल चढ़कर यहाँ पर अपनी समस्त चिंताओं से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके अलावा यहां शनि दशा से दोष मुक्ति मिल ही जाती है, साथ ही साथ संकट मोचन रक्षक कवच भी मिल जाता है।
इसी कारण श्री कष्टभंजन हनुमान जी का ये प्रसिद्ध दिव्य मंदिर सिर्फ गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया में प्रसिद्ध है। यहाँ देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु भक्त एक बार इस मंदिर में दर्शन करने जरूर आते हैं।
कैसे जाएं?
यदि कष्टभंजन हनुमान मंदिर जाना हो तो भावनगर आगर वहाँ से टैक्सी अथवा किसी भी वाहन द्वारा सारंगपुर कस्बे में आया जा सकता है। सारंगपुर कस्बा एक छोटा सा कस्बा है जिसकी जनसंख्या 5000 से भी काम है।
भावनगर से सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर की दूरी करीब 90 किलोमीटर है और अगर आप राजकोट से सारंगपुर तक आना चाहते हैं तो वहां से इस मंदिर की दूरी करीब 120 किलोमीटर है, जबकि अहमदाबाद से यह दूरी करीब 165 किलोमीटर है। मंदिर तक जाने आने के लिए बस सेवा और प्राइवेट टैक्सी जैसी सभी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
भावनगर में हवाई अड्डा भी है यदि हवाई मार्ग से आना हो तो देश के अलग-अलग हिस्सों से हवाई जहाज से भावनगर जाकर वहाँ से सारंगपुर आए जा सकता है।
भावनगर के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से कई ट्रेने भी चलती हैं। भावनगर तक ट्रेन से आकर आगे सारंगपुर का सफर टैक्सी द्वारा या बस द्वारा पूरा किया जा सकता है। अहमदाबाद से भी सारंगपुर आया जा सकता है।
मंदिर के बारे में…
मंदिर के पास में ही एक विशाल भवन है जिसे व्हाइट हाउस कहा जाता है। यहाँ पर खाने-ठहरने की उत्तम व्यवस्था है। यहाँ पर बड़े-बड़े कमरे और एक सार्वजनिक हाल भी है। हाल में ठहरने के लिए निशुल्क व्यवस्था है। यदि आप ग्रुप में जा रहे हैं तो विशेष कमरा लेकर ठहर सकते हैं। मंदिर के पास में ही एक विशाल धर्मशाला और निशुल्क को भोजनालय भी है, जहां पर निशुल्क को भोजन की व्यवस्था है। व्हाइट हाउस भवन में ठहरन के लिए बुकिंग आदि के लिए मंदिरी वेबसाइट के माध्यम से भी बुकिंग करा सकते हैं।
गुजरात के सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर का परिसर और यह मंदिर एकदम स्वच्छ सुसज्जित और एक खुले मैदान के आकार का दिखाई देता है। यह मंदिर भव्यता के साथ उत्तम नक्काशी और आकर्षण का केंद्र है।
कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर के साथ ही में भगवान श्री स्वामी नारायण जी का भी बेहद सुंदर और आकर्षक मंदिर भी मौजूद है, जिसमें उनकी स्मृतियों को दर्शाया गया है। करीब 170 वर्ष पुराने इस स्वामीनारायण मंदिर की विशेषता यह है कि इसकी स्थापना भगवान श्री स्वामीनारायण के अनुयाई परम पूज्य श्री गोपालानंद स्वामी जी के द्वारा हुई थी।
यह मंदिर लकड़ी की आकर्षक एवं परंपरागत नक्काशी से सज्जित है। मंदिर परिसर क्षेत्र का स्वच्छ वातावरण एवं निर्मल हवा श्रद्धालुओं को एक सकारात्मक ऊर्जा का एहसास दिलाता है।
सारंगपुर की अधिकतर आबादी स्वामी नारायण संप्रदाय से जुड़ी हुई है, लेकिन यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण कष्टभंजन हनुमान जी का यह मंदिर ही है और यह दोनों ही मंदिर एक ही प्रांगण में मौजूद है।
इस मंदिर के कारण सांरगपुर कस्बे का भी खूब विकास हुआ है। कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर के आसपास के कुछ अन्य प्रसिद्ध दर्शनीय और पर्यटन स्थलों में शिव शक्ति मंदिर, श्री जगन्नाथ मंदिर, इस्कॉन मंदिर, सरिता उद्यान एवं हिरण का उद्यान शामिल हैं।
कष्टभंजन हनुमान जी के मंदिर के पास ही में एक गौशाला भी है जिसमें प्राचीन और उत्तम नस्ल की भारतीय गायों के दर्शन और उनकी सेवा भी की जा सकती है और उनसे प्राप्त होने वाले दूध-घी से ही मंदिर में प्रसाद और भोजन सामग्री तैयार किया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए श्री कष्टभंजन हनुमान देव मंदिर की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
मंदिर ट्रस्ट की वेबसाइट
https://salangpurhanumanji.org/
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