Thursday, November 21, 2024

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) – भाई और बहन के प्रेम का अनोखा बंधन। जानें क्यों और कैसे मनातें हैं?

रक्षाबंधन त्योहार की पूरी जानकारी (Raksha Bandhan Full Information)

रक्षाबंधन (Raksha bandhan) का त्योहार है, जो कि भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है। बहनें अपने भाई को राखी बांध कर भाई के प्रति अपने प्रेम एवं स्नेह को प्रकट करती हैं। भाई भी बहनों के हाथ से राखी बंधवा कर भाई-बहन के प्रेम की मजबूत डोर को और अधिक मजबूत करते हैं।

ऱक्षाबंधन: भाई-बहन के पवित्र बंधन का पर्व

रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भाई-बहन के पवित्र बंधन का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को जीवनभर की रक्षा का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन मनाने का कारण

रक्षाबंधन मनाने का कारण भाई-बहन के बीच के प्रेम और रक्षा का बंधन है। बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर उन्हें यह बताती हैं कि वे उन्हें हमेशा प्यार करती हैं और उनकी रक्षा करेंगी। भाई भी अपनी बहनों को राखी बांधकर उन्हें यह आश्वासन देते हैं कि वे हमेशा उनकी रक्षा करेंगे और उन्हें कभी दुख नहीं होने देंगे।

रक्षाबंधन मनाने की विधि

रक्षाबंधन के दिन, बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और नए कपड़े पहनती हैं। फिर वे अपने भाइयों के घर जाती हैं और उन्हें राखी बांधती हैं। राखी बांधते समय, बहनें अपने भाइयों को मिठाई और उपहार भी देती हैं। भाई अपनी बहनों को राखी बांधने के बदले उन्हें कुछ पैसे या उपहार देते हैं।

रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों के कल्याण के लिए व्रत भी रखती हैं। वे भगवान से प्रार्थना करती हैं कि उनके भाई हमेशा स्वस्थ और सुरक्षित रहें।

रक्षाबंधन मनाने की मान्यता और कहानी

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे अनेक तरह की पौराणिक एवं धार्मिक मान्यताएं हैं। इसके पीछे अनेक कहानियां हैं। कहीं पर द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कहानी है, तो कहीं पर लक्ष्मी और राजा बालि की कहानी है। कहीं पर इंद्र और उनकी पत्नी शचति की कहानी है तो कहीं पर राजा बलि की कहानी है और वामन अवतार की कहानी है।

रक्षाबंधन त्यौहार मनाने के पीछे अनेक तरह की कहानियां प्रचलित हैं, उनमें से कुछ कहानियां इस प्रकार हैं..

यम और यमुना की कहानी

यम को मृत्यु का देवता कहा गया है और यमुना उनकी बहन थी। एक बार लगभग 12 साल बाद वह अपनी बहन यमुना के घर उनसे मिलने गए। अपने भाई के आने की खुशी के कारण यमुना बेहद उत्साहित थीं।  उन्होंने अपने भाई यम के स्वागत के लिए तरह-तरह के पकवान बनाए।

जब यम यमुना के घर पहुंचे तो यमुना ने उनका स्वागत भव्य रूप से किया और उनके हाथ पर एक धागा बांधा। यम ने अपनी बहन यमुना से प्रसन्न होकर कुछ उपहार मांगने के लिए कहा। तब यमुना ने उन्हें हमेशा मिलते रहने का वादा लिया। यम ने यमुना को आशीर्वाद दिया और किसी भी संकट की घड़ी में उसकी रक्षा करने का वचन दिया, तभी से रक्षाबंधन मनाने की परंपरा चल पड़ी।

कृष्ण और द्रौपदी की कहानी

रक्षाबंधन की यह कहानी महाभारत से जुड़ी हुई है। इसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की उंगली किसी कारणवश कट गई तो उनके पास ही खड़ी द्रौपदी ने उन्होंने तुरंत अपनी गाड़ी से एक टुकड़ा फाड़ कर उनकी उंगली बांधी ताकि खून बहने से रुक सके। श्रीकृष्ण द्रौपदी के स्नेह से बेहद अभिभूत हुए और उन्होंने द्रौपदी का हर संकट की घड़ी की में रक्षा का वचन दिया। बाद में उन्होंने यह वचन निभाया भी। रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की परंपरा चल पड़ी। कृष्ण के हाथ पर बांधने वाली साड़ी का टुकड़ा राखी का प्रतीक बन गई।

देवी लक्ष्मी और राजा बाली की कहानी

इसके अनुसार राजा बाली ने भगवान विष्णु की भक्ति करके उनसे अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की। भगवान विष्णु  बाली की भक्ति से प्रसन्न होकर उनके महल में चौकीदार का कार्य करने लगे। बैकुंठ धाम में देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अनुपस्थित पाया तो गए परेशान हो गए। वह राजा बाली के यहाँ से भगवान विष्णु को वापस लाना चाहती थी।

इसीलिए उन्होंने बाली के सामने रूप बदलकर बेघर महिला के रूप में पहुंची और बाली से आश्रय मांगा। बाली दयालु राजा था इसलिए बाली ने लक्ष्मी को आश्रय दिया। देवी लक्ष्मी ने एक बार राजा बाली की कलाई पर एक धागा बांधा। राजा बाली ने प्रसन्न होकर उपहार मांगने के कहा।

देवी लक्ष्मी ने राजा बाली से चौकीदार के रूप में कार्य करने वाले भगवान विष्णु के मांग लिया और अपने असली रूप में आ गईं। राजा बाली वचन का पक्का था इसलिए उसने देवी लक्ष्मी को उनके द्वारा मांगा उपहार दिया और भगवान विष्णु को स्वतंत्र कर दिया। तभी बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी मांगे जाने के परंपरा चल पड़ी।

इसलिए किसी एक स्पष्ट मान्यता को रक्षाबंधन मनाने का आधार नहीं दे सकते।  कालांतर में अनेक तरह की कहानियों से विकसित हुआ यह पर्व आखिर में भाई-बहन के परम स्नेह और पवित्र बंधन का प्रतीक पर्व बन गया।

ऐसा पर्व भारत के अलावा किसी अन्य देश में नहीं मनाया जाता। भाई-बहन के पवित्र संबंध को जितनी अधिक पवित्रता भारत में दी जाती है, वह विश्व में अन्य कहीं  नही दी जाती।

रक्षाबंधन के दिन त्योहार मनाने का तरीका

रक्षाबंधन के दिन, बहनें और भाई सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। फिर वे मंदिर जाते हैं या घर में ही भगवान की पूजा करते हैं। बहनें और भाई तब तक भोजन नही करते जब तक बहन भाई को राखी नही बांध देती। राखी बांधने के एवज में भाई बहन को कोई उपहार भी देता है। यदि बहन विवाहित है और अपनी ससुराल में है तो वह अपने भाई के घर राखी बांधने के लिए आती है।

राखी की बदलती डिजायनें

समय के साथ राखी की डिजायनों में भी बदलाव आया है। पहले बड़ी-बड़ी राखियां होती थीं अब राखियों का आकार छोटा होता जा रहा है। अब बाजार में एक से एक स्टाइलिश राखियां भी आ गई है जो कलाई पर बेहद आकर्षक लगती हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन की पवित्र बंधन का प्रतीक है, जो सदियों के भाई बहन के संबंध को एक मजबूत बनाता जा रहा है।


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