हिंदू कैलेंडर का पांचवा महीना, श्रावण मास या सावन (Shravan Maas), भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने के प्रत्येक सोमवार को शिव पूजा का विशेष महत्व है। सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाने या व्रत रखने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। सावन सोमवार व्रत के साथ मंगला गौरी व्रत और सावन शिवरात्रि भी इस महीने के प्रमुख पर्व हैं।
श्रावण मास (Shravan Maas) – भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना जो उनको ही है समर्पित
सनातन धर्म में शिव सबसे बड़े आराध्य देव माने जाते हैं शिव से परे कुछ भी नहीं। वह योगीराज हैं, मोक्ष प्रदाता हैं। ब्रह्म रूप में सृष्टि का सृजन करते हैं, विष्णु रूप में संसार का पालन करते हैं, और शंकर रूप में संसार का संहार करते हैं। अर्थात वह देवों के देव महादेव हैं। इसीलिए सनातन संस्कृति में एक पूरा महीना ही भगवान शिव की विशेष आराधना के लिए समर्पित है। श्रावण का महीना वह पवित्र महीना है जिसमें भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है। भगवान शिव की आराधना करने से शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त पर विशेष कृपा बरसाते हैं। श्रावण मास को आमतौर पर लोग सावन भी कहते हैं। सावन के महीने में सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन यदि भोलेनाथ की जल चढ़ाकर या व्रत रखकर पूजा की जाए तो व्यक्ति को शीघ्र सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
श्रावण मास 2024
इस साल सावन 22 जुलाई 2024 से 19 अगस्त 2024 तक रहेगा। यह अद्भुत संयोग है कि सावन का आरंभ और समापन दोनों सोमवार को हो रहे हैं। इस बार सावन में पांच सोमवार पड़ रहे हैं, जिसे बहुत शुभ माना जाता है।
श्रावण मास का महत्व
श्रावण मास का हर दिन फलदायी होता है, लेकिन सावन के सोमवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन सोमवार का व्रत रखने से पारिवारिक जीवन सुखी रहता है और जीवन में समृद्धि आती है। साथ ही, इससे कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है।
सावन सोमवार 2024
1. पहला सोमवार व्रत – 22 जुलाई 2024
2. दूसरा सोमवार व्रत – 29 जुलाई 2024
3. तीसरा सोमवार व्रत – 5 अगस्त 2024
4. चौथा सोमवार व्रत – 12 अगस्त 2024
5. पांचवां सोमवार व्रत – 19 अगस्त 2024
सावन में मंगला गौरी व्रत
1. पहला मंगला गौरी व्रत – 23 जुलाई 2024
2. दूसरा मंगला गौरी व्रत – 30 जुलाई 2024
3. तीसरा मंगला गौरी व्रत – 6 अगस्त 2024
4. चौथा मंगला गौरी व्रत – 13 अगस्त 2024
सावन शिवरात्रि 2024 का समय काल
सावन महीने की शिवरात्रि विशेष होती है। यह व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन रखा जाता है। इस बार सावन शिवरात्रि 2 अगस्त 2024 को पड़ेगी। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि का आरंभ 2 अगस्त को दोपहर 3:26 बजे होगा और 3 अगस्त को दोपहर 3:50 बजे समाप्त होगा। निशिता काल में शिवरात्रि की पूजा की जाती है, इसलिए यह व्रत 2 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
इस प्रकार, सावन का महीना भगवान शिव की आराधना और विशेष व्रतों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।
श्रावण मास का सारा विवरण
श्रावण के इस पवित्र महीने में भगवान शिव की भक्ति करके उनकी कृपा का कैसे लाभ उठाएं और हम क्या कार्य ना करें जो कि इस माह में वर्जित है आइए जानते हैं…
श्रावण में कैसे पूजा करें?
श्रावण मास पूरी तरह भगवान शिव को समर्पित महीना होता है, और इस महीने में भगवान शिव की सबसे अधिक आराधना की जाती है। कहते हैं कि इस महीने में ही देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू की थी और उनके तरफ से प्रसन्न होकर ही शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोइच्छा पूरी की। इस महीने के बारे में मान्यता है कि पूर्ण श्रद्धा भाव से भगवान शिव की आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
श्रावण मास में भक्तजन भगवान प्रत्येक सोमवार को व्रत-उपवास रखते हैं। श्रावण मास में सामान्यतः चार सोमवार पड़ते हैं। कभी-कभी सावन मास में चार की जगह 3 सोमवार ही आते हैं। कभी-कभी श्रावण मास में 8 सोमवार भी आते हैं, जो तब आते है, जब मलमास होता है। 2023 में श्रावण दो महीने तक रहा क्योंकि उसमे मलमास भी था और आठ सोमवार आए थे।
श्रावण मास में क्या करें?
श्रावण मास का व्रत रखने के लिए प्रत्येक सोमवार को व्रत रखना चाहिए तथा शिव मंदिर में जाकर या घर पर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान शिव की आराधना के लिए गंगाजल, शुद्ध जल, दूध, दही, मधु, शक्कर मिलाकर पंचामृत बनाकर विधि-विधान से भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।
भगवान शिव को बेलपत्र, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा जैसे पदार्थ अर्पित करने चाहिए। उन्हें धूप और दीप आदि अर्पित करना चाहिए। बेलपत्र भगवान शिव को प्रिय पत्र हैं। केवल बेल पत्र से पूजा करने से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
श्रावण मास में पूरे महीने भक्त को सात्विक रूप से शुद्ध मन से रहना चाहिए, सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए तथा तामसिक पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। शिव पंचाक्षर मंत्र का निरंतर जाप करना चाहिए।
ॐ नमः शिवाय।
महामृत्यु मंत्र के इस विशिष्ट मंत्र का जाप करना चाहिए।
ॐ हौं जूं सः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ ॥
श्रावण मास में क्या न करें?
श्रावण मास में कुछ कार्य वर्जित हैं, जिन्हें करने से बचना चाहिए नहीं तो विपरीत प्रभाव मिल सकता है।
- शास्त्रों में वर्णित मान्यता के अनुसार भगवान शिव की आराधना करते समय कभी भी हल्दी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- श्रावण मास में अपने शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए, ऐसा करने से विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- श्रावण मास में भगवान शिव को केतकी का फूल कभी भी अर्पित नहीं करना चाहिए। केतकी का फूल अर्पित करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है।
- पूजा करते समय भगवान शिव को कुंकुम अर्पित नही करना चाहिए। उन्हें केवल चंदन ही अर्पित करना चाहिए।
- श्रावण मास में किसी भी तरह का मांसाहारी पदार्थ की मात्रा का सेवन नहीं करना चाहिए। मदिरा व अन्य उत्तेजक पदार्थ जैसे तम्बाकू, गुटखा, पान मसाला, सिगरेट का सेवन नही करना चाहिए।
- श्रावण मास में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए बल्कि वह दूध शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए।
- श्रावण मास में पेड़ों को काटने से बचना चाहिए।
- मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास में बैगन और साग जैसी सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए।
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