Thursday, November 21, 2024

4 शंकराचार्य कौन हैं। कौन से मठ से शंकराचार्य चुने जाते हैं? विस्तार से जानें।
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आदिगुरु शंकराचार्य ने हिंंदू-सनातन धर्म पुनर्स्थापना के लिए भारत की चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी, जिसके चार शंकराचार्य होते हैंं। ये चार शंकराचार्य कौन है? वे चार मठ कौन से हैं? (4 Shankracharya of 4 Math) आइए जानते हैं..  

आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठ और उनके 4 शंकराचार्य ( 4 Shankracharya of 4 Math)

आदिगुरु शंकराचार्य जिन्होंने भारत में हिंदू सनातन धर्म के उत्थान के लिए बेहद महत्वपूर्ण कार्य किया था। लगभग 600 वर्ष ईसापूर्व भारत में सनातन धर्म में हीनता आ गई थी और सनातन धर्म पतन की ओर बढ़ रहा था तब उन्होंने पूरे भारत में सनातम धर्म और वैदिक संस्कृति की पुनर्स्थापना के लिए न केवल पूरे भारत की पदयात्रा की बल्कि अपने प्रयासों से लोगों को जागरूक किया, लोगों में धर्म संस्कार विकसित किये।

आदिगुरु शंकराचार्य और चार मठ

आदिगुरु शंकराचार्य ने भारत के चार कोनों में चार मठो की स्थापना की और इन सभी चारों मठों में उच्च पद पर अपने चार शिष्यों को प्रतिनिधि के रूप में एक-एक शंकराचार्य को नियुक्त किया,  तब से चार मठ चार शंकराचार्य के परंपरा चली आ रही है। यह चारों मठ हिंदू सनातन धर्म में बेहद पवित्र मठ माने जाते हैं और इन मठों चारो शंकराचार्य को बेहद श्रद्धा एवं सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

आईए जानते समझते हैं कि यह पवित्र चार मठ कौन से हैं और इन चारों मठों में वर्तमान समय में कौन-कौन शंकराचार्य के पद पर हैं।

आदिगुरु शंकराचार्य ने भारत की चार दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में चार मठों की स्थापना की। उत्तर में उन्होंने ज्योतिष पीठ अर्थात ज्योतिर्पीठ बद्रिकाश्रम की स्थापना की। पूर्व में उन्होंने पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की। पश्चिम में उन्होंने द्वारिका शारदा पीठ की स्थापना की और दक्षिण में उन्होंने श्रृंगेरी पीठ की स्थापना की।

इस तरह भारत के चार दिशाओं के चार कोनों में अधिक गुरु शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की और हर मठ के एक शंकराचार्य के रूप में नियुक्त किया। तभी से नियमित रूप से अलग-अलग मठो के शंकराचार्य परिवर्तित होते रहते हैं, और किसी शंकराचार्य के देहावसान के बाद नए शंकराचार्य की नियुक्ति की जाती है। ये पंरपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।

इन सभी चारों शंकराचार्य को हिंदू सनातन धर्म में बेहद महत्व और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। ये चारों मठ और इनके वर्तमान शंकराचार्य इस प्रकार हैं…

ज्योतिरपीठ बद्रिकाश्रम (ज्योतिष पीठ) – (जोशीमठ – उत्तराखंड)

आदिगुरु शंकराचार्य उत्तर में ज्योर्तिमठ यानी ज्योतिष पीठम की स्थापना की। यह ज्योतिरपीठ उत्तराखंड के जोशीमठ जिले में स्थित है।

ज्योतिर्मठ के वर्तमान शंकराचार्य ‘स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज’ हैं।

पुरी गोवर्धन पीठ (जगन्नाथ पुरी – उड़ीसा)

पुरी भारत के उड़ीसा राज्य के जगन्नाथ पुरी नगर में स्थित है। जगन्नाथ पुरी एक बेहद पवित्र नगर है, जो भगवान विष्णु अर्थात भगवान जगन्नाथ के लिए प्रसिद्ध है। पुरी का मठ पुरी गोवर्धन पीठ के नाम से जाना जाता है।

पुरी गोवर्धन पीठम मठ के वर्तमान शंकराचार्य ‘स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज’ हैं।

श्रृंगेरी मठ (चिकमंगलूर – कर्नाटक)

श्रृंगेरी मठ भारत के कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले में स्थित है। यह भारत के दक्षिणी भाग का प्रतिनिधित्व करता है। इस मठ की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य ने 600 वर्ष ईसापूर्व की थी जब वह श्रंगेरी में कुछ समय ठहरे थे।

श्रंगेरी मठ के वर्तमान शंकराचार्य ‘स्वामी श्री भारती तीर्थ महाराज’ हैं

द्वारका शारदा पीठम (द्वारका – गुजरात)

द्वारका शारदा पीठम मठ भारत के पश्चिमी भाग का प्रतिनिधित्व करता हुआ मठ है। इस मठ की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य ने 600 वर्ष ईसापूर्व भारत के पश्चिमी दिशा में की थी। यह मठ गुजरात राज्य के द्वारका नगर में स्थित मठ है।

द्वारका शारदा पीठम मठ के वर्तमान शंकराचार्य ‘स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ‘हैं।


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