हनुमान जी बलशाली है, और शक्ति के पर्याय के रूप में जाने जाते हैं। रामायण में उनकी वीरता और शौर्य से भरे अनेक प्रसंग हैं। आज सर्वत्र हनुमान जी की पूजा होती है। भारत में किसी देवता के मंदिरों की बात की जाए तो हनुमान जी के मंदिर भारत में सबसे अधिक हैं। लेकिन भारत में एक ऐसा गाँव भी है, जहाँ के लोग हनुमान जी की पूजा नहीं करते हैं। आइए जानते हैं वो गाँव कौन सा है….
दोर्णगिरि पर्वत (Drongiri Parvat) और नीति गाँव
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ से 50 किलोमीटर दूर स्थित नीति गाँव में द्रोणागिरी पर्वत (Drongiri Parvat) है। यह पर्वत रामायण काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि श्रीराम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी मेघनाद के दिव्यास्त्र से मुर्छित हो गए थे। तब हनुमानजी संजीवनी बूटी लेने द्रोणागिरी पर्वत आए थे। यहां के लोग इस पर्वत को देवता मानते हैं और हनुमानजी की पूजा नहीं करते क्योंकि उन्होंने पर्वत का एक हिस्सा उखाड़ लिया था।
हनुमानजी संजीवनी बूटी पहचान नहीं पाए, तो पूरा पर्वत का एक हिस्सा ही उठा लिया और लंका ले गए। बद्रीनाथ धाम से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित यह पर्वत आज भी कटा हुआ दिखता है। बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल बताते हैं कि यह हिस्सा स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
शीतकाल में वीरान हो जाता है गाँव
द्रोणागिरी पर्वत की ऊंचाई 7,066 मीटर है। यहां सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है, जिससे गाँव के लोग अन्य स्थानों पर चले जाते हैं। गर्मियों में जब मौसम अनुकूल होता है, तब वे वापस लौटते हैं।
ट्रैकिंग प्रेमियों का आकर्षण
जोशीमठ से मलारी की ओर बढ़ते हुए जुम्मा नामक जगह से द्रोणागिरी गाँव के लिए पैदल मार्ग शुरू होता है। धौली गंगा नदी पर बने पुल को पार कर संकरी पहाड़ी पगडंडियों से होते हुए द्रोणागिरी पर्वत तक पहुंचा जा सकता है। यह 10 किलोमीटर का मार्ग ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है और वे यहां भारी संख्या में आते हैं।
जून में पर्वत पूजा का उत्सव
हर साल जून में द्रोणागिरी पर्वत की विशेष पूजा होती है। इस अवसर पर गाँव के लोगों के साथ अन्य राज्यों में बसे लोग भी शामिल होते हैं।
ये भी पढ़ें..
उत्तराखंड में रामनगर के पास है, वह जगह जहाँ माता सीता धरती में समाई थीं।