इसीलिए हम प्यार की, करते साज-सम्हार, नफरत से नफरत बढ़े, बढ़े प्यार से प्यार। भावार्थ लिखो​।

इसीलिए हम प्यार की, करते साज-सम्हार,
नफरत से नफरत बढ़े, बढ़े प्यार से प्यार।

भावार्थ :  इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कि प्रेम का प्रतिफल सदैव प्रेम से ही मिलता है और नफरत यानी घृणा का प्रतिफल नफरत यानि घृणा से ही मिलता है। यदि हम किसी से प्रेम पूर्वक व्यवहार करेंगे तो सामने वाला व्यक्ति भी हम से प्रेम पूर्वक ही व्यवहार करेगा। वह हमारी विनम्र बातों का जवाब विनम्रता से ही देगा। ऐसा नहीं हो सकता कि हम किसी से प्रेमपूर्वक कुछ कहें और वह हमसे गुस्से में बोले। उसी प्रकार यदि हम किसी से नफरत से बात करेंगे तो सामने वाला भी नफरत से ही बात करेगा। किसी से नफरत करने का परिणाम ये होता है कि बदले में नफरत ही मिलती है। इसलिए सदैव सब से प्रेमपूर्वक बात करनी चाहिए। जितना अधिक प्रेम करेंगे, सबसे उतने प्रेम से ही रहेंगे। अगर किसे से नफरत करेंगे तो बदले में नफरत ही मिलेगी और नफरत बढ़ती जाएगी।

 


ये भी देखें

आशय स्पष्ट कीजिये- भाई-भाई मिल रहें सदा ही टूटे कभी न नाता, जय-जय भारत माता।

चुप रहने के, यारों बड़े फायदे हैं, जुबाँ वक्त पर खोलना सीख लीजे । भावार्थ ?

जागृत सब हो रहे हमारे ही आगे हैं में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।

“यह सारा दुराचार स्त्रियों के पढ़ाने का ही कुफल है।” पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।

Leave a Comment