यशद लेपन से तात्पर्य उस धातु कार्मिक प्रक्रिया से होता है, जिसमें इस्पात या लोहे के ऊपर जस्ते की परत चढ़ाई जाती है। यशद लेपन की इस प्रक्रिया को ‘यशदीकरण’ यानी ‘गैल्वेनाइजेशन’ भी कहा जाता है।
यशदीकरण की यह प्रक्रिया धातु को क्षरण होने से यानी जंग लगने से बचाने के लिए की जाती है। यशदीकरण एक गैर विद्युत रासायनिक प्रक्रिया होती है। यह प्रक्रिया प्राचीन समय से ही प्रयोग में लाई जाती रही है और हजारों वर्षों से धातु को चरण से बचाने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती रही है। इस प्रक्रिया के तहत या लोहे की धातु को धरण से बचाने के लिए जिंक या टिन जैसी किसी क्षरणरोधी धातु की पतली परत से लेप कर दिया जाता है। क्षरणरोधी धातुओं में जिंक और टिन के नाम प्रमुख हैं।
यशदीकरण के चार लाभ और उपयोग इस प्रकार हैं :
स्थायित्व : यशदीकरण से धातु पर लेप कर दिए जाने से धातु को अधिक स्थायित्व मिलता है और वह अधिक टिकाऊ बनी रहती है।
स्वच्छता : यशदीकरण से धातु की सतह साफ एवं स्वच्छ रहती है, जिससे वह अधिक सुविधाजनक ढंग से उपयोग में लाई जा सकती है।
लंबी अवधि : यशदीकण करने से धातु को रखरखाव से मुक्ति मिलती है और उसे लंबे समय तक उपयोग किया जा सकता है। उसके उपयोग की अवधि लंबी हो जाती है।
आर्थिक दृष्टि से लाभकारी : दूसरी कई अन्य तरह के कोटिंग्स की तुलना में यशदीकरण सस्ती प्रक्रिया है, इस कारण यह आर्थिक रूप से सुविधाजनक होती है।
यशद लेपन के 4 उदाहरण :
- कार की बॉडी पर यशदीकरण करके उन्हे जंग लगने से बचाया जाता है।
- साइकिल या मोटरसाइकिल जैसे वाहनों पर यह यशदीकरण करके उन्हें जंग से बचाया जाता है।
- लोहे के पुलों पर यशदीकरण करके उन्हें जंग लगने से बचाया जाता है।
- रेल की पटरी यशदीकरण करके उन्हें जंग लगने से बचाया जाता है।
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