‘जो मादकता के मारे हैं, वह मधु ही लूटा करते हैं।’ इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि जो लोग शराब के नशे के आदी हैं, यानी जो लोग शराब के प्याले की मादकता की मोह-माया में फंसे हुए हैं, वह केवल शराब की चाहत रखते हैं, और उसकी मादकता में ही फँसे रहते हैं। ऐसे लोग शराब की मादकता के मोह से कभी बच नहीं पाते और उस मादकता में कभी हंसते हैं, रोते हैं, चीखते हैं, चिल्लाते हैं। उनका मोह और ममता केवल शराब का प्याला ही है और वह शराब के प्याले की उसी मादकता के भंवर में फंसे रह जाते हैं।
संदर्भ पाठ :
जो बीत गई सो बात गई – हरिवंशराय बच्चन (कक्षा-10, पाठ-9, हिंदी आलोक भाग 2)
ये भी देखें…
“वह कच्चा पीनेवाला है।” कवि यहाँ क्या कहना चाहते हैं?
’सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ हिमालय किस बात का प्रतीक है?