असम वासी ब्रह्मपुत्र को ‘नदी’ ना कहकर ‘नद’ इसलिए कहते हैं, क्योंकि ‘नदी’ शब्द जहाँ स्त्रीलिंग के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाता है, वहीं ‘नद’ शब्द को पुल्लिंग के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाता है।
ब्रह्मपुत्र का शाब्दिक अर्थ है ब्रह्मा का पुत्र। ब्रह्मा का पुत्र पुल्लिंग का आभास कराता है। इसी कारण ब्रह्मपुत्र एक नद है, क्योंकि असम के निवासी ब्रह्मापुत्र नद को देवता मानकर इसकी पूजा करते हैं। वे इसे ब्रह्मा का पुत्र मानते हैं।
भारत में आमतौर पर नदियों को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है, जबकि ब्रह्मपुत्र देवता का प्रतीक है। असम के निवासी ब्रह्मपुत्र को ब्रह्मा का पुत्र रूपी देवता मानकर उसकी पूजा करते हैं, इसीलिए वह इसे पुल्लिंग के संदर्भ में नद कहते हैं।ब्रह्मपुत्र भारत की सबसे प्रमुख एवं पवित्रतम नदियों में से एक है, इसका उद्गम हिमालय के चेमायूंगडूंग से होता है। जो कि तिब्बत मानसरोवर झील के पास ब्रह्मकुंड के नाम से जाना जाता है। ब्रह्माकुंड से निकलने के कारण ही इस नद को ब्रह्मापुत्र के नाम से संबोधित किया जाता है।
ब्रह्मपुत्र नद तीन देशों भारत, चीन और बांग्लादेश में लगभग 2900 किलोमीटर की यात्रा तय कर बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है।
ये भी देखें…
’सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ हिमालय किस बात का प्रतीक है?
बिहार में स्वराज्य दल की स्थापना किसने की?
पृथ्वी निवासियों को किसने और किस प्रकार जगाया? (कविता – वह कौन सा देश है?)