दूरदर्शन शाप या वरदान? (लघु निबंध)

लघु निबंध

दूरदर्शन शाप या वरदान

आज के युग में देखा जाए तो दूरदर्शन शाप और वरदान दोनों बन चुका है। दूरदर्शन सूचना समाचार एवं ज्ञान के प्रसार के कारण शाप एवं वरदान बन चुका है, लेकिन इसका उपयोग तथा इस पर अनेक तरह के गलत बातों के प्रसार के कारण यह शॉप भी बन चुका है।

कोई भी साधन या सुविधा का सोच समझकर विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए तो वह वरदान है, लेकिन यदि उसकी उपयोग की अति कर दिया जाए। उसका दुरुपयोग करने आरंभ कर दिया जाए तो वह शाप बन जाती है।

जिस तरह परमाणु ऊर्जा का सदुपयोग भी है और वह विनाशकारी भी है, उसी तरह दूरदर्शन का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए। उसे केवल सूचना, समाचार और ज्ञान को बढ़ाने का माध्यम बनाया जाए और उसको सीमित समय निश्चित करके देखा जाए तो वह वरदान के समान है। लेकिन यदि दूरदर्शन का दखल अपने जीवन में बहुत अधिक कर दिया जाए। हर समय टीवी देखते रहना एक अभिशाप बन जाता है।
अतः हम कह सकते है कि दूरदर्शन आज के युग में शाप और वरदान दोनो बन चुका है।


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