“डॉ. खूबचन्द बघेल छत्तीसगढ़ की माटी के सर्वाधिक मोहक सुगन्ध थे।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।

डॉ. खूबचन्द बघेल छत्तीसगढ़ की माटी के सर्वाधिक मोहक सुगंध थे क्योंकि उन्होंने छत्तीसगढ़ के अंचल में व्याप्त अनेक तरह की सामाजिक कुरीतियों जैसे छुआछूत, ऊँच-नीच, जाति-उपजाति कुरीतियों को दूर करने का भरसक प्रयत्न किया था। उन्होंने छत्तीसगढ़ समाज को आगे बढ़ने के लिए हर संभव प्रयास किया।

डॉ खूबचंद बघेल ने अनेक नाटक लिखे, जो सामाजिक कुरीतियों पर प्रभावी प्रहार करते थे और इन्हें दूर करने की बात कहते थे। इन नाटकों में ऊंच-नीच, करम छड़हा, जरनैल सिंह, भारत माता आदि नाटकों के नाम प्रमुख हैं।

उन्होंने सामाजिक उत्थान के लिए पंक्ति अनेक आंदोलन चलाए। पंक्ति तोड़ो आंदोलन  में छत्तीसगढ़ के समाज प्रचलित किसी विशेष जाति के लोगों को एक ही पंक्ति में बैठकर भोजन करने की अनिवार्यता जैसी कुरीति के खिलाफ आंदोलन किया और सभी जाति उप-जातियों को मिलजुल कर रहने की बात कही। किसबिन नाच जैसी कुरीति को भी उन्होंने आंदोलन के माध्यम से बंद करवाया। इस कुप्रथा में किसबिन जनजाति के पुरुष अपने घर की स्त्रियों को विभिन्न त्यौहारों में नचाने-गवाँने का काम किया करते थे। उन्होंने इस प्रथा का भी अंत करवाया और किसबिन जनजाति के सभी लोगों को समाज की मुख्यधारा में लेकर आए।

इस तरह डॉ खूबचंद बघेल ने छत्तीसगढ़ के सामाजिक उत्थान के अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए, इसीलिए उन्हें छत्तीसगढ़ के माटी की मनमोहक सुगंध कहा जा सकता है।


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