स्वमत अभिव्यक्ति
महानगरों में आवास की समस्या
महानगरों में बढ़ती आवास समस्या आज एक ज्वलंत समस्या है। जनसंख्या में वृद्धि हर जगह हो रही है। जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, रोजगार की तलाश में जनसंख्या महानगरों की ओर पलायन कर रही है। महानगर चूँकि रोजगार के बड़े केंद्र बन चुके हैं और यहाँ पर उद्योगों तथा अन्य काम-धंधों की अधिक संभावना होने के कारण छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से लोग महानगर की ओर रुख कर रहे हैं। इस कारण महानगरों की जनसंख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। अब महानगरों में आवास की समस्या एक विकराल रूप धारण कर चुकी है। दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े-बड़े महानगरों में अपना स्वयं का आवास होना किसी स्वप्न से कम नहीं। इन महानगरों में भूमि की कीमत इतनी अधिक हो गई है कि किसी आदमी के लिए अपने जीवन में अपना खुद का घर लेना बेहद ही मुश्किल होता जा रहा है।
प्रश्न यह उठता है कि महानगरों में आवास की समस्या को कैसे सुलझाया जाए। महानगरों में आवास की समस्या को सुलझाने के लिए सरकार को उचित कदम उठाने होंगे। सबसे पहले सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे छोटे शहरों में भी रोजगार तथा उद्योगों के अवसर सृजित करने होंगे ताकि लोग अधिक संख्या में महानगरों की ओर रुख नहीं करें। इससे महानगरों पर जनसंख्या का कम बोझ पड़ेगा और आवास की समस्या का भी कुछ हल निकलेगा। इसके अलावा सरकार को महानगरों में आवास समस्या को सुलझाने के लिए एक वृहद स्तर पर योजना बनाने की आवश्यकता है। महानगरों में भूमि की कमी होने के कारण ऊँची इमारतें बनाई जाए ताकि कम से कम भूमि में अधिक से अधिक आवासों का निर्माण किया जा सके। ये भी सुनिश्चित किया जा सके कि जिनके पास कोई घर नहीं है, उनको पहले घर मिले न कि उन लोगों को, जिनके पास पहले से ही घर है और वह केवल निवेश के नाम पर घर लेकर छोड़ देते हैं।
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