चन्दनं शीतलं लोके, चंदनादपि चंद्रमा। चंद्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधु संगति​। श्लोक का अर्थ?

चन्दनं शीतलं लोके, चन्दनादपि चन्द्रमाः।
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः।।

अर्थ : संसार में चंदन को सबसे अधिक शीतल माना जाता है। लेकिन चंदन से भी कोई शीतल है तो वह चंद्रमा है। जहाँ चंदन से शीतल चंद्रमा है तो चंदन और चंद्रमा से भी शीतल कुछ और भी है और वह है, सच्ची मित्रता। अच्छे मित्रों की संगति चंदन और चंद्रमा दोनों की तुलना में अधिक शीतलता प्रदान करती है।

श्लोक का भाव : यहाँ पर इस श्लोक के माध्यम से सच्ची मित्रता का महत्व समझाने का प्रयत्न किया गया है। जिस व्यक्ति को सच्चा मित्र मिल जाता है, उसका जीवन सफल है। उसके जीवन में कोई भी विपत्ति आने पर वह कभी अकेला अनुभव नहीं करता। सच्चा मित्र सदैव उसका साथ निभाता है। सच्चामित्र उसे मार्गदर्शन देता है। उसके हित का चिंतक होता है। इस लोक के माध्यम से सच्चे और अच्छे मित्रों की संगति का महत्व बताया गया है।


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