अचल दीपक समान रहना इस पंक्ति में उपमा अलंकार है।
विस्तार से समझें
उपमा अलंकार किसी काव्य में वहाँ पर पाया जाता है, जब किन्हीं दो वस्तुओं के गुण, आकृति और स्वभाव आदि में बिल्कुल समानता दर्शाई जाए अर्थात जो भिन्न वस्तुओं की आपस में तुलना की जाए और उनकी एक दूसरे से उपमा की जाए तो वहां पर ‘उपमा अलंकार’ होता है।
इस पंक्ति में भी अचल दीपक समान रहना में दो वस्तुओं की तुलना की गई है। इसलिए इस पंक्ति में ‘उपमा अलंकार’ है।
अलंकार क्या है?
अलंकार वे शब्द होते हैं, जो किसी काव्य का सौंदर्य बढ़ाने का कार्य करते हैं। अलंकार किसी भी काव्य के लिए आभूषण का कार्य करते हैं। जिस तरह सोने के आभूषण किसी स्त्री आदि के सौंदर्य को बढ़ा देते हैं। उसी तरह अलंकार किसी काव्य के सौंदर्य को बढ़ा देते हैं। अलंकारों का प्रयोग करने से काव्य की छटा निराली बन जाती है। इसीलिए अलंकार काव्य के आभूषण है।
ये प्रश्न भी देखें
‘दीरघ-दाघ निदाघ’ में अलंकार है (क) श्लेष (ख) उपमा (ग) यमक (घ) अनुप्रास।
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