विचार लेखन
विज्ञापनों का सामाजिक दायित्व
विज्ञापन आज के युग की जरूरत बन चुके हैं। आज का युग उपभोक्तावाद का युग है। उद्योगों का युग है। उत्पादों का युग है, जिसमें विज्ञापनों का की अहम भूमिका हो जाती है। आज कोई भी व्यवसायी अपने उत्पाद के विज्ञापन के बिना व्यवसाय में सफल नहीं हो सकता। विज्ञापन उपभोक्ता के मन पर एक विशेष प्रभाव डालते हैं। विज्ञापनों के कारण ही उपभोक्ता उत्पाद की ओर आकर्षित होते हैं। उत्पादनकर्ता अपने उत्पाद के रोचक से रोचक विज्ञापन बनाने का प्रयास करते हैं, ताकि लोग ऐसे रोचक विज्ञापनों को देखने के लिए विवश हो जाएं और फिर विज्ञापनों के प्रभाव में आकर उत्पाद भी खरीदें क्योंकि विज्ञापन एक गहरा प्रभाव डालते हैं।
विज्ञापनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए विज्ञापनों का भी दायित्व बनता है कि वह विज्ञापनों के माध्यम से विज्ञापनों को इस तरह प्रस्तुत करें कि उसका नकारात्मक प्रभाव न पड़ें। कोई नकारात्मक प्रभाव वाला विज्ञापन बनाकर उत्पादन कर्ता और विज्ञापन क्रता भले अपने उत्पाद की बिक्री करके लाभ कमा लें, लेकिन वह समाज पर एक नकारात्मक असर डाल कर समाज की क्षति ही करता है। इसलिए विज्ञापनों का भी एक सामाजिक दायित्व बनता है कि विज्ञापन ईमानदारी पूर्वक बनाए जाएं।
विज्ञापन में सकारात्मक संदेश छुपा हो। झूठी बातों का प्रचार ना हो। उत्पाद के विषय में बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन ना हो। उस उत्पाद में जितनी गुणवत्ता हो उतनी ही बात बताई गई हो। तब ही विज्ञापन की सार्थकता है और यह उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों के हित में है।
ये विचार भी पढ़ें…
मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है विषय पर अपने विचार लिखिए
पेड़-पौधे हमारे जीवन रक्षक ही नहीं अपितु प्राकृतिक मित्र भी हैं। इस कथन पर विचार कीजिए।
Our partner website…