पाठ में दिए गए वाक्यों के अंश के आधार पर अनुच्छेद इस प्रकार है…
लुट्टन पहलवान को पहलवानी का शौक था और अपनी मेहनत के बल पर वह धीरे-धीरे एक अच्छा खासा पहलवान बन गया था। जब पहली बार अखाड़े में उतरा तब उसके सामने मशहूर पहलवान चाँद सिंह था। चाँद सिंह ने लुट्टन पहलवान को देखा और फिर बाज की तरह उस पर टूट पड़ा। लुट्टन ने डटकर चाँद सिंह का मुकाबला किया और अपने दाँव-पेचों से चाँद सिंह पहलवान को पटखनी दे दी। इस तरह उसने कुश्ती का दंगल जीत लिया। राजा साहब यह कुश्ती देख रहे थे।
राजा साहब ने उसे अपने राज दरबार में आश्रय दिया। राजा साहब की स्नेह दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए। धीरे-धीरे पहलवान और अधिक प्रसिद्ध होता गया और हर दंगल जीतता गया। उसका जीवन सुखपूर्वक चल रहा था। पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई यानी उसने दो संतानों को जन्म दिया और जल्दी ही उसकी मृत्यु हो गई। अब लुट्टन अपने दो बेटों के साथ रहता था।
संदर्भ पाठ :
‘पहलवान की ढोलक’ : फणीश्वरनाथ रेणु (कक्षा-12, पाठ-14, हिंदी आरोह 2)
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पहलवान की ढोलक : फणीश्वरनाथ रेणु (कक्षा-12 पाठ-14) हिंदी आरोह 2