(क) ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं है?
ऐसी स्थिति अब इसलिए नहीं है, क्योंकि अब ना तो राजा, रियासत, राजशाही का दौर रहा, ना ही राजे-रजवाड़े रहे। अब राजाओं द्वारा कुश्ती के दंगल आयोजित कराए जाने का प्रचनल खत्म हो गया है। अब मनोरंजन के अनेक साधन विकसित हो गए हैं, इसलिए जंगलों और कुश्ती के प्रति लोगों की रूचि कम हो गई है। अब लोगों के पास मनोरंजन के अनेक विकल्प मौजूद हैं।
(ख) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?
कुश्ती जैसे खेल की जगह अब कई अन्य खेलों ने ले ली है, जिनमें भारत में तो क्रिकेट एक प्रमुख लोकप्रिय खेल बन चुका है। इसके अलावा विश्व में फुटबॉल, टेनिस, हॉकी, बैडमिंटन आदि खेल मनोरंजन के साधन के रूप में विकसित हुए हैं और इनकी लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
(ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?
कुश्ती को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार और जनता द्वारा मिले-जुले सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। सरकार कुश्ती को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के साथ-साथ ढांचा व्यवस्था बनाए रखें। युवा लोग कुश्ती खेलने के लिए प्रेरित हों। पहलवानों को सम्मान, पुरस्कार, प्रोत्साहन राशि आदि देकर भी युवाओं को कुश्ती में आने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
ऐसी बात नहीं है कि कुश्ती का खेल पूरी तरह समाप्त हो गया है बल्कि कुश्ती का खेल आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय है। ओलंपिक खेलों में कुश्ती नियमित रूप से शामिल रहा है और भारत ने ओलंपिक, एशियाड, राष्ट्रमंडल जैसे अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में कुश्ती में अनेक पदक प्राप्त किये हैं। इससे स्पष्ट होता है कि कुश्ती का पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसे और अधिक लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है।
संदर्भ पाठ :
‘पहलवान की ढोलक’ : फणीश्वरनाथ रेणु (कक्षा-12, पाठ-14, हिंदी आरोह 2)
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पाठ के अन्य प्रश्न
महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?
ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था?
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पहलवान की ढोलक : फणीश्वरनाथ रेणु (कक्षा-12 पाठ-14) हिंदी आरोह 2