कारतूस एकांकी हमारे स्वतंत्रता संघर्ष को उजागर करता है। ‘क्या आप इस विचार से सहमत हैं?

कारतूस एकांकी हमारे स्वतंत्रता संघर्ष को उजागर करता है, इस बात से हम पूर्ण रूप से सहमत हैं। हालाँकि की करतूत एकांकी में वजीर अली केवल अपनी रियासत के लिए लड़ रहा था ना कि पूरे देश के लिए लड़ रहा था, लेकिन यह बात भी एक तथ्य है कि उस समय देश अनेक रियासतों बंटा था और हर रियासत का प्रमुख अपनी रियासत के सम्मान के लिए ही अंग्रेजों से लड़ रहा था। भले ही भारत उसमें अनेक रियासतों में बंटा था लेकिन भारत एक अलग भौगोलिक क्षेत्र था। अपनी रियासत के सम्मान के लिए लड़ना पूरे भारत देश के लिए लड़ने के ही समान था।

भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम 1957 में हुआ जबकि कारतूस एकांकी में जिस प्रसंग का वर्णन हुआ है, वह स्वतंत्रता संग्राम से पहले की बात है। जब अंग्रेजों ने भारत में अपना प्रभाव जमाना शुरू कर दिया था, वह उस समय पूरे भारत पर अपना आधिपत्य स्थापित नहीं कर पाए थे लेकिन उनका प्रभाव पुनः शुरू हो गया था।

कारतूस एकांकी का प्रमुख पात्र वजीर अली अपनी अवध रियासत के सम्मान के लिए लड़ रहा था। वह देश भक्ति की भावना से भरा हुआ व्यक्ति था जो अपनी मातृभूमि को विदेशी चंगुल से छुड़ाने के लिए लड़ रहा था। अतः हम कह सकते हैं कि कारतूस एकांकी की हमारे स्वतंत्रता संघर्ष को उजागर करता है।

 

 

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