इलेक्ट्रॉन बंधुता से तात्पर्य उस स्थिति से होता है जब किसी उदासीन गैसीय परमाणु के बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन जोड़ने पर जितनी ऊर्जा उत्सर्जित होती है, उसे ‘इलेक्ट्रॉन बंधुता’ (EA) कहते हैं। सरल अर्थों में कहें तो इलेक्ट्रॉन बंधुता किसी परमाणु या अणु की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति को कहा जाता है। आवर्त सारणी में बायें से दायें जाने पर परमाणु त्रिज्या का मान घटने के कराण इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान बढ़ता जाता है। आवर्त सारणी में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या का मान बढ़ने के कारण इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान घटता जाता है। इलेक्ट्रॉन बंधुता एक आवर्ती गुण है।
इलेक्ट्रॉन बंधुता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं…
- परमाणु त्रिज्या का मान बढ़ाने पर इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान घटता है।
- परमाणु त्रिज्या का मान घटने पर इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान बढ़ता है।
- प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ने पर इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान भी बढ़ता है।
- परीक्षण प्रभाव या आवरण प्रभाव का मान बढ़ने पर इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान घटता है।
- स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के बाहत्तम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास अधिक स्थाई होते हैं, क्योंकि इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पूर्ण रूप से भरे होते हैं। इसी कारण इनकी इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान या तो शून्य होगा अथवा धनात्मक होगा। क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बंधुता सबसे अधिक होती है।