भारत आयकर टालने वालों का देश है, यह बात एक अर्द्धसत्य है। प्रायः यह मान लिया जाता है कि भारत में लोग आयकर की चोरी करते हैं और आयकर को भरने से हिचकते हैं। लगभग 140 करोड़ भारतीयों में आयकर देने वालों की संख्या 3 करोड़ भी नहीं है। इतना कम प्रतिशत देख कर ऐसा लगता है कि भारत के अधिकतर लोग आयकर की चोरी करते हैं अथवा स्वयं को आयकर भरने से मुक्त रखते हैं। यह बात आधी सत्य है और आधी असत्य है।
दरअसल भारत में आयकर भरने वालों की संख्या बेहद कम है यह बात सत्य है, लेकिन सब लोग आयकर की चोरी करते हैं, यह सत्य नहीं है। भारतीय कानून व्यवस्था में कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिनमें कुछ विसंगतियां हैं। जो भारत में कम आयकर भरने वालों की संख्या का कारण बनती हैं। भारत में औसत भारतीय की औसत आय लगभग ₹1 लाख प्रति वर्ष ही है।
हाल ही में सरकार ने स्वीकार किया है कि भारत में केवल 24 लाख भारतीय ही 10 लाख रुपए से अधिक आय होना मानते हैं। इससे ऐसा लगता है कि अधिकतर भारतीय अपनी आय को कमतर करके बताते हैं और आयकर भरना नहीं चाहते।
दरअसल भारतीय समाज कानून व्यवस्था में आयकर की सीमा निरंतर बढ़ायी जा रही है, जिस कारण आयकर भरने वालों की संख्या कम होती जा रही है, इसके अलावा सरकार निवेश के नाम पर तरह-तरह की आकर्षक प्रस्ताव और छूट देती है जो आयकर कम अर्जित होने के कारण बनते हैं।
भारत में आयकर दाताओं की कम संख्या आयकर चोरी की प्रवृत्ति के कारण नहीं बल्कि आयकर भरने के कानूनों में कुछ विसंगतियों के कारण है। सरकार को आयकर के कानूनों में कुछ सुधार की आवश्यकता है, जिससे अधिक से अधिक लोग आयकर की सीमा में आएं। ऐसे लोगों पर भी अधिक बोझ ना पड़े, जिनकी आय बेहद सामान्य है।
हालांकि भारत में अधिक आय वाले सभी लोग ईमानदारी से आयकर भरते हो ऐसा भी सत्य नहीं है, लेकिन बल्कि भारत के कुछ कानूनों के प्रावधान उन्हें आयकर के दायरे से बचा ले जाते हैं, और भारत में आयकर का कम संग्रहण होता है।
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