जीवन में आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि बिना लक्ष्य निर्धारित किए हमें अपने जीवन में प्रेरणा नहीं मिल सकती। जब तक हमें प्रेरणा नहीं मिलेगी, हम आगे बढ़ने का प्रयास ही नहीं करेंगे।
हर कार्य को करने के पीछे एक उद्देश्य होता है। मनुष्य कर्म करने के लिए तभी प्रेरित होता है, जब उसको किसी फल को पाने की आकांक्षा हो, उसका कोई उद्देश्य हो। यदि मनुष्य को कोई फल पाने की आकांक्षा नहीं होगी तो वह कोई कार्य भी नहीं करेगा। इसलिए यदि हमें जीवन में आगे बढ़ना है तो लक्ष्य निर्धारित करना बिल्कुल आवश्यक है।
पाठ ‘साहस को सलाम’ भी एक ऐसी ही बात को स्पष्ट करता है। अरुणिमा सिन्हा जो एक साधारण युवती थी और अपना सामान्य जीवन जी रही थी। उसके जीवन में ऐसी दुर्घटना घटी जिस कारण उसका जीवन छिन्न-भिन्न हो गया, लेकिन उसने हिम्मत करके अपने बिखरे हुए जीवन को संवारा और अपने जीवन के लिए एक नया लक्ष्य निर्धारित किया।
उसने अपनी लिए माउंट एवरेस्ट को फतह करने का लक्ष्य निर्धारित किया, जिससे उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली और वह अपने साथ हुए दुखद हादसे को पीछे छोड़ कर अपने लक्ष्य को पाने के लिए परिश्रम करने लगी। उसकी परिश्रम और लगन के कारण ही अपने लक्ष्य को पा सकी।
इस तरह अरुणिमा सिन्हा पहली भारतीय दिव्यांग महिला बन गई, जिसने माउंट एवरेस्ट को फतह किया। यदि उसने अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित नहीं किया होता तो वह आगे भी नहीं बढ़ पाती और तब उसकी कहानियां आज हम कह-सुन नहीं रहे होते। वह भी गुमनामी के अंधेरे में खो गई होती। इसीलिए जीवन में कुछ विशेष करना है, तो उसे अपने जीवन में एक लक्ष्य को निर्धारित करना होगा, तभी वह अपने जीवन में आगे बढ़ सकेगा।
Partner website…
ये भी देखें…
आशय कीजिए- यह वह समय है जब बच्चे मनाते होगा-काश! उसके पिता अनपढ होते ।
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए − जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए − उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आतंक की गहरी छाप थी।
आशय स्पष्ट कीजिए। खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी ?