युवा वर्ग मे बढ़ रही अनुशासनहीनता (विचार)
अनुशासन उन्नति का एकमात्र आधार है, इस बात में कोई दो राय नहीं हैं। पुराने इतिहास को पलट कर देखा जाए और सफल व्यक्तियों के जीवन चरित्र को समझाया जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि उनकी सफलता में अनुशासन का बेहद अधिक महत्व रहा है। अनुशासन से तात्पर्य किसी भी कार्य को समय सीमा के अंदर बंद कर एक निश्चित एवं व्यवस्थित रूप से करने से होता है। यह हम सभी जानते हैं कि यदि कोई कार्य समय पर और एक निश्चित योजना बनाकर व्यवस्थित रूप से किया जाए उसकी सफलता की संभावना पूरी की पूरी होती है। इसी तरह जीवन को यदि अनुशासित ढंग से जिया जाए यानी अपनी दिनचर्या को अनुशासन में डाल दिया जाए तो व्यक्ति को समय के महत्व का पता चलता है। जो व्यक्ति समय के महत्व को समझता है वह समय को व्यर्थ नहीं गवांता। वह व्यक्ति निरंतर समय का सदुपयोग करता है। इस तरह अपनी उन्नति का पथ तैयार कर लेता है। इसीलिए अनुशासन उन्नति का एकमात्र आधार है इस बात में कोई भी दो राय नहीं होनी चाहिए।
आज के युवा वर्ग में बढ़ गई नशा अनुशासनहीनता एक चिंतनीय विषय है। इसका मुख्य कारण आज तकनीक का युग तथा युवाओं को अधिक आजादी मिलना है। सोशल मीडिया तथा अन्य तकनीकी माध्यमों के कारण युवाओं को बहुत सी जानकारी समय से पहले मिल जा रही है, जिस कारण वो है हर कार्य को समय से पहले करने लगे हैं। युवा वर्ग में बढ़ गई अनुशासनहीनता पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण का भी परिणाम है। युवा वर्ग स्वयं को आधुनिक एवं प्रगतिशील दिखाने के चक्कर में लगा रहता है। इसलिए उसे अपने माता-पिता या बड़े जनों की वह बातें, जो उसे एक दायरे तक सीमित करती हैं, नागवार लगती हैं। जबकि उसके बड़े जन उसके जीवन में अनुशासन लाना चाहते हैं, ताकि वह अपनी जीवन की सही नींव रख सके। लेकिन युवा वर्ग सोशल मीडिया और तकनीकी साधनों में इतना अधिक उलझ गया है कि उसके जीवन में अनुशासन का कोई महत्व नहीं रह गया है।
युवा वर्ग में बढ़ गई अनुशासनहीनता का मुख्य कारण हम आज के तकनीकी युग की क्रांति तथा पश्चिमी समाज के अंधानुकरण को मानते हैं। आज युवा की पहुंच का दायरा बढ़ गया है, इसलिए गलत या सही बात हर तरह की बातें उसकी पहुंच के दायरे में आ गई है। उस पर किसी तरह का अंकुश नहीं है। इसलिए उसके जीवन में अनुशासन हीनता भी बढ़ गई है।
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