आपकी दादी-नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती हैं? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है? लिखिए।

हमारी दादी नानी में अनेक तरह की विश्वासों की बात करती थीं। इन्हें या तो हम अंधविश्वास कह सकते हैं या उनकी धार्मिक आस्था कह सकते हैं। हमारी दादी कभी मंगलवार और शनिवार को बाल नहीं कटाने देती थी। वह गुरुवार को कपड़े नहीं धोती थी। शुक्रवार को खट्टे पदार्थों का सेवन करने से मना करती थी। वह शनिवार को तेल आदि का दान करना शुभ मानती थी। कभी घर में हम लोग थाली चम्मच आदि बजाने लगते तो वह हमें टोकती थीं कि इस तरह बर्तन बजाने से घर में लड़ाई होती है।

हमारी दादी कहती थी खाना खाने के तुरंत बाद नहाना नहीं चाहिए। हमारी दादी शाम के समय ना तो हमें चावल खानी देती थीं और दही खाने से मना करती थीं। जिसका हमें बाद में पता चला कि यह विज्ञान की दृष्टि से भी ठीक नहीं है। उसी प्रकार खाना खाने के तुरंत बाद नहाना भी स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं है। इस तरह कुछ बातें थी, जिनमें कुछ अंधविश्वास थी और कुछ बातें वैज्ञानिक दृष्टि से सही भी थी। जिसे उन्होंने अपनी परंपराओं का रूप दे दिया था।

 

संदर्भ पाठ :

‘काले मेघा पानी दे’ लेखक धर्मवीर भारती (कक्षा-12, पाठ-13, हिंदी आरोह 2)

 

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पाठ के अन्य प्रश्न

पानी का संकट वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए।

त्याग तो वह होता…… उसी का फल मिलता है। अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।

 

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काले मेघा पानी दे : धर्मवीर भारती (कक्षा-12 पाठ-13)

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