पाठ के संदर्भ में निराला की कविता ‘बादल राग’ पर विचार करके पता चलता है कि निराला ने अपनी कविता में ‘बादल राग’ कविता के माध्यम से बादलों को क्रांति का प्रतीक बताया है। निराला ने बताया है कि बादल क्रांति का दूत बनकर शोषित पीड़ित किसानों के जीवन में आशा भरते हैं और उन्हें शोषण से मुक्ति दिलाते हैं।
जब गर्मी से स्थिति झुलसती धरती पर पेयजल की वर्षा करती हैं तो धरती वासियों के जीवन में नई उमंग का संचार होता है। सूरज की आग उगलती गर्मी से त्रस्त पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य आदि के जीवन में खुशहाली आ जाती है। इस तरह बादल सूरज के शोषण से धरती वासियों को मुक्ति दिलाते हैं। इसी को उन्होंने समाज शोषक वर्गों द्वारा शोषित का शोषण किए जाने के विरुद्ध की गई क्रांति का प्रतीक भी बताया है।
हम अपने जीवन की दृष्टि से देखें तो बदलो कि हमारे जीवन में बादलों की बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका है। हम जानते हैं कि पानी हर मनुष्य के लिए कितना आवश्यक है। बादल पानी की पूर्ति का सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं। बादल ना केवल बारिश कर हमारी प्यास बुझाते हैं बल्कि जब बारिश करते हैं तो खेती भी होती है, जिससे हमें अनाज प्राप्त होता है, तब हमारी भूख भी मिटती है। यानी बादल ना हो तो हम भूखे-प्यासे रह जाएं और हमारा जीवन भी नही रहेगा। इसलिए बादल हमारे लिए जीवनदायी हैं। वह हमारे जीवन में नए प्राणों का संचार करते हैं।
संदर्भ पाठ :
‘काले मेघा पानी दे’ लेखक धर्मवीर भारती (कक्षा-12, पाठ-13, हिंदी आरोह 2)
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काले मेघा पानी दे : धर्मवीर भारती (कक्षा-12 पाठ-13)