काले मेघा पानी दे : धर्मवीर भारती (कक्षा-12 पाठ-13) — Kale Megha Pani De : Dharmavir Bharati (Class-12 Chapter-13 Hindi Aroh 2)

NCERT Solutions (हल प्रश्नोत्तर)

काले मेघा पानी दे : धर्मवीर भारती (कक्षा-12 पाठ-13)

Kale Megha Pani De : Dharmavir Bharati (Class-12 Chapter-13 Hindi Aroh 2)


काले मेघा पानी दे : धर्मवीर भारती

 

पाठ के बारे में….

‘काले मेघा पानी दे’ यह पाठ धर्मवीर भारती द्वारा लिखा गया एक संस्मरण है। जिसमें उन्होंने अपने बचपन के दिनों के संस्मरण का जिक्र किया वर्णन किया है। इस पाठ में उन्होंने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया है। जहाँ पर विज्ञान का अपना तर्क होता है और वही पर विश्वास की अपनी अलग सामर्थ होती है। दोनों में कौन कितना सार्थक है? यह प्रश्न सभी को उद्वेलित करता रहता है। लेखक ने इसी दुविधा को केंद्र में रखकर पानी के संदर्भ में इस पाठ की रचना की है।

लेखक ने अपने किशोर जीवन में अपने गाँव में घटित एक समस्या को इस पाठ के माध्यम से प्रस्तुत किया है। जब गाँव में बारिश नहीं हो रही है और गाँव के बच्चों वाली इंदरसेना जगह-जगह जाकर पानी मांगना, बच्चों पर गाँव के लोगों द्वारा पानी फेंकना ताकि इंद्र देवता प्रसन्न हो सकें। यह सारी आस्था एवं विश्वास वाली घटनाएं लेखक ने अपनी आँखों से देकी और इस आस्था को अपने वैज्ञानिक तर्क बुद्धि पर कसने की चेष्टा की। अंततः लेखक अपनी जीजी के आस्था पर विश्वास वाले तर्कों के आगे अपने बुद्धि युक्त वैज्ञानिक तर्कों को हार बैठा। विज्ञान और आस्था के बीच के इस द्वंद्व को लेखक ने बड़ी सुंदरता से पाठ के माध्यम से उकेरा है।

लेखक के बारे में….

धर्मवीर भारती हिंदी के जाने-माने साहित्यकार रहे हैं। वह अनेक पत्र-पत्रिकाओं के संपादक भी रहे हैं। उनका जन्म सन 1926 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर में हुआ था। उन्हें सबसे अधिक प्रसिद्धि अपने ‘गुनाहों का देवता’ नामक उपन्यास से मिली। ये उपन्यास आजादी के बाद के साहित्यकारों में एक विशेष स्थान बनाए हुए हैं। इसके अलावा उन्होंने अनेक कविताएं, कहानियां, निबंध, गीतिनाट्य और रिपोर्ताज भी लिखे हैं। उनकी रचनाएं हर उम्र और वर्ग के लोगों में लोकप्रिय थीं। उनकी प्रमुख कृतियों में कनुप्रिया, सात गीत वर्ष, अंधायुग (गीतिनाट्य), पश्यंति कहनी-अनकहनी, मानव मूल्य और साहित्य, ठेले पर हिमालय (निबंध संग्रह), ठंडा लोहा (कविता संग्रह) बंद गली का आखिरी मकान (कहानी संग्रह), सूरज का सातवां घोड़ा, गुनाहों का देवता (उपन्यास) आदि है।

धर्मवीर भारती को पद्मश्री तथा व्यास सम्मान जैसे पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। उनका निधन सन 1997 में हुआ


पाठ के साथ

प्रश्न 1

लड़कों की टोली को मेढक मंडली का नाम किस आधार पर दिया। यह टोली अपने आप को इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?

उत्तर :

लड़कों की टोली को मेढक मंडली का नाम इस आधार पर दिया गया था क्योंकि लड़कों की टोली नंग-धड़ंग होकर कीचड़ में लथपथ होकर खूब हुड़दंग मचाती थी। उनका इस तरह उछलना कूदना चीखना-चिल्लाना और हुड़दंग मचाने से गाँव के कुछ लोग चिढ़ते थे। लड़कों की टोली जिस तरह घर-घर जाकर उछल-कूद करती हुई शोर शराबा करती और कीचड़ में लथपथ होती, उससे गाँव के लोग उसे अंधविश्वास मानते थे। इसी कारण वे लड़कों की टोली को ‘मेंढक-मंडली’ कहकर पुकारने लगे।
लड़कों की डोली स्वयं को इंदर सेना कहती थी। लड़के खुद को इंद्र के सैनिक मानते थे। वे घर-घर जाकर लोगों से पानी मांग करते थे। उनके विश्वास के अनुसार वे इंद्रदेव के दूत हैं और सब के घर जाकर पानी इसलिए मांगते हैं, ताकि इंद्र देवता प्रसन्न हों और वर्षा का दान करें यानि गाँव में बारिश कर दें। इसी कारण लड़कों की टोली स्वयं को इंदर सेना कहकर पुकारती थी।


प्रश्न 2

जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?

उत्तर :

जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को इस तरह सही ठहराया कि जीजी के अनुसार कुछ पाने के लिए पहले कुछ देना पड़ता है। जीजी ने अपना तर्क यह दिया कि देवताओं से कोई भी मन्नत मांगने से पहले उन्हें कुछ चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है, तभी देवता प्रसन्न होते हैं। यदि किसान को पूरे खेत में गेहूं की फसल उगाने है तो उसे गेहूं को पहले बोना पड़ेगा, तभी उसे ढेर सारा गेहूं मिलेगा। इसी तरह इंद्र देवता पानी के देवता हैं। वे पानी का दान करने से प्रसन्न होते हैं। इंदर सेना इंद्र के ही दूतों के समान हैं, इसलिए उन पर पानी डालने से इंद्र देवता को पानी के दान के समान माना जाएगा। इस तरह इंदर देवता पानी का दान देने से प्रसन्न होंगे और झमाझम बारिश करेंगे। जीजी के अनुसार पहले कुछ दान करो, फिर कुछ फल पाने की आशा करो, यह तर्क देकर जीजी ने इंदरसेना पर पानी फेंके जाने को सही ठहराया।


प्रश्न 3

‘पानी दे गुड़धानी दे’ मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है? 

उत्तर :

‘पानी दे गुड़धानी दे’ में उसे पानी के साथ साथ गुड़धानी की मांग इसलिए की जा रही है क्योंकि यह भारत के ग्रामीण सांस्कृतिक जीवन का एक सूत्र वाक्य है। यह एक कविता की तुकबंदी होने के साथ-साथ इसके पीछे एक गहरा अर्थ भी छिपा हुआ है। पानी के साथ गुड़धानी की मांग इसलिए की जाती है कि पानी के साथ-साथ अनाज भी मिले। यानि जब इंद्रदेवता प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे तो खेतों में अच्छी फसल होगी और अनाज उत्पन्न होगा।
यहाँ पर गुड़धानी यानी गुड़ चने अभिप्राय सारे अनाज की फसलों से है। आनाज होने से लोगों का पेट भरेगा। जहाँ पानी से प्यास बुझेगी, तो वहीं अच्छी वर्षा होने से अच्छा अनाज उत्पन्न होगा और लोगों की भूख मिटेगी।
गाँव का जीवन ही कृषि पर आधारित होता है। अच्छी कृषि होने पर उत्पन्न होने पर ही जीवन की खुशहाली निर्भर होती है। इसीलिए पानी के साथ गुड़धानी की मांग की जा रही है, ताकि इंद्र देवता ना केवल बारिश का पानी दे पानी से अच्छी फसल होने पर अनाज भी मिले।


प्रश्न 4

‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?

उत्तर :

‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासे रह जाने की बात इसलिए मुखरित हुई है, क्योंकि यह दशा वर्षा न होने के कारण ग्रामीण मनोस्थिति को दर्शाती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होती है और कृषि वर्षा तथा बैलों पर निर्भर होती है। यदि बैल नहीं होंगे तो खेतों की जुताई कैसे होगी?
एक तो गाँव में वर्षा बिल्कुल भी नहीं हो रही और जो थोड़ा बहुत घड़ों (बर्तनों) आदि में पानी बचा था, वह घड़ा भी गिरने से टूट गया है। अब कुछ पानी शेष नहीं रह गया है।
कहने का तात्पर्य यह है कि वर्षा ना होने के कारण गाँव के कुओं, तालाबों तथा अन्य पानी के स्रोत भी सूख गए हैं। इसी कारण बैल प्यासे रह गए हैं। जब बैल प्यासे रह जाएंगे तो वह खेतों में काम नहीं कर सकेंगे। जब खेतों में काम नहीं होगा तो फसलों की जुताई कैसे होगी, फसल कैसे होगी। इसीलिए इंद्रसेना यह गीत गाकर वर्षा होने का अनुरोध करती है ताकि वर्षा हो बैलों सहित सबकी प्यास बुझे और चारों तरफ खुशहाली छा जाए।


प्रश्न 5

इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?

उत्तर :

इंदरसेना सबसे पहले गंगा मैया की जय इसलिए बोलती है. क्योंकि गंगा नदी का भारतीय जनजीवन में बेहद ही महत्वपूर्ण स्थान है। गंगा नदी को भारत में बेहद पवित्र नदी माना जाता है और उसे माँ का दर्जा तक प्राप्त है। हर शुभ कार्य में गंगा मैया की जय बोलना शुभ माना जाता है।
गंगा नदी पवित्र एवं पूज्य नदी है, जो भारतीयों की आस्था का प्रतीक है। इसके जल को भी बेहद पवित्र माना जाता है, जिसका प्रयोग धार्मिक क्रियाकलापों में भी पवित्र जल के रूप में किया जाता है। किसी भी तरह के धार्मिक उत्सव आदि में गंगा मैया की जय बोलना एक सामान्य परंपरा है। इसी कारण इंद्रसेना सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलती है। इस तरह वह गंगा नदी के प्रति अपनी अपना सम्मान प्रकट करती है।
नदियों का भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश में बेहद ही महत्वपूर्ण योगदान है। भारत की लगभग पूरी संस्कृति ही नदियों के आसपास विकसित हुई है। भारत के लगभग सभी प्रमुख धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगर नदियों के किनारे विकसित हुए हैं। नदियां जीवनदायी हैं। वह लोगों को अपने जल के माध्यम से जीवन देती हैं। गंगा नदी ही नही लगभग हर नदी के प्रति भारतीय सम्मान का भाव रखते हैं, चाहे वो यमुना नदी हो, सरस्वती, नर्मदा, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, कावेरी आदि नदियां क्यों न हों, भारतीय सभी के प्रति सम्मान का भाव रखते हैं। इसी कारण नदियों का भारतीय सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश में अति महत्वपूर्ण स्थान है।


प्रश्न 6

रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमज़ोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।

उत्तर :

लेखक का अपनी जीजी के साथ भावनात्मक संबंध था, लेकिन लेखक के पास अपनी बुद्धि शक्ति भी थी। जब लेखक की जीजी इंदर सेना हाथ पर घर का बचा हुआ पानी डालती है तो लेखक को यह पसंद नहीं आता। वह जीजी को ऐसा कार्य करने को मना करता है। लेखक अपनी तर्क बुद्धि के कारण यह सब उचित नहीं मानता, लेकिन जब उसकी जीजी इस कार्य के पीछे अनेक तर्क देती है, तो लेखक का स्वयं का विश्वास, उसकी बुद्धिशक्ति सब डगमगा जाती है।
उस समय वह अपनी जीजी के साथ भावनात्मक संबंधों की रौ में बह जाता है और अपनी जीजी की बातों को मानने के लिए विवश हो जाता है। जिस परंपरा या अंधविश्वास का वह पहले विरोध करता था, अपनी जीजी के तर्कों के आगे वह उन सभी परंपराओं का पालन करने लगता है। इस तरह उसकी तर्क बुद्धि पर भावनात्मक संबंध हावी हो गए और उसकी उन लोगों के बीच के भावनात्मक संबंध लेखक की बुद्धि की शक्ति को कमजोर कर बैठे। इसी कारण जिन कार्यों का वह पहले विरोध करता था, जीजी के साथ भावनात्मक संबंध और उनके तर्कों के आगे वह सारे कार्य करने लगता है।


पाठ के आसपास

प्रश्न 1

क्या इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणास्रोत हो सकती है? क्या आपके स्मृति-कोश में ऐसा कोई अनुभव है जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो, उल्लेख करें।

उत्तर :

बिल्कुल, इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणास्रोत हो सकती है। भले ही इंदरसेना की कार्रवाई थोड़ी नासमझी वाली रही हो, लेकिन उनका उद्देश्य और भावना बिल्कुल सही थी। वह लोगों के कल्याण के लिए ही कार्य कर रही थी। हमारे आज का युवा वर्ग इससे प्रेरणा ले सकता है और संगठित होकर अनेक कार्य कर सकता है। वह देश और समाज से संबंधित अनेक समस्याओं को सुलझा सकता है। बड़े-बड़े जितने भी सामाजिक या राजनीतिक आंदोलन हुए हैं, वह युवाओं के सहयोग के बिना सफल नहीं हो पाए। इसलिए इंद्रसेना से प्रेरणा लेकर युवा वर्ग संगठित होकर अपने देश एवं समाज केविकास में अपना योगदान दे तो देश देश विकास के पथ पर कहीं अधिक गति से दौड़ सकेगा।
हमारी स्मृति एक नहीं ऐसे अनेक अनुभव हैं। हमने स्वयं अपने मोहल्ले शहर आदि में युवाओं के संगठन को देखा है जो संगठित होकर सामाजिक एवं रचनात्मक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते रहे हैं। हमारे शहर में बाढ़ आने पर युवाओं ने संगठित होकर बाढ़ से पीड़ित लोगों की ऐसी मदद की कि वह मदद सबको याद रही। उसके अलावा अनेक तरह के धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों को करने में भी युवा वर्ग ही सबसे सबसे आगे आते हैं, इसलिए इंदर सेना युवा वर्ग के लिए अच्छा प्रेरणा स्रोत हो सकती है।


प्रश्न 2

तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि-समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्त्वपूर्ण हैं पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता है?

उत्तर :

तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है, यह बात तो मानी जा सकती है। हमारी कृषि समाज में चैत्र वैशाख जैसे महीने महत्वपूर्ण है, लेकिन उसमें आषाढ़ का चढ़ना उल्लास इसलिए भर देता है, क्योंकि आषाढ़ के महीना ऐसा महीना होता है, जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है। वर्षा ऋतु किसानों के लिए जीवनदायी है, क्योंकि वर्षा पर ही उनकी कृषि की आशाएं टिकी होती हैं।
जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है, झमाझम वर्षा होने लगती है, तब खेतों की प्यास बुझ जाती है। किसान अपने खेतों की जुताई-बुवाई आदि में जुट जाते हैं। उससे पहले चैत्र वैशाख आदि के महीने में फसलों की कटाई होती है। तब किसान वर्षा ना होने की कामना भी करते हैं, क्योंकि धूप में फसलों की कटाई आसानी से हो जाती है।
कटाई के बाद किसान नए फसल को होने की तैयारी करने लगते हैं और वर्षा का इंतजार करते हैं। आषाढ़ के महीने में झमाझम वर्षा होती है और किसानों के जीवन में उल्लास भर देती है। किसी भी किसान के लिए आषाढ़ का महीना सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वह बरसात का महीना होता है और किसान का जीवन की धुरी ही वर्षा पर ही टिकी होती है, इसीलिए कृषि समाज में चैत्र वैशाख सभी महीने में महत्वपूर्ण होने के बावजूद भी आषाढ़ का चढ़ना उल्लास भर देता है।


प्रश्न 3

पाठ के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता बादल-राग पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है?

उत्तर :

पाठ के संदर्भ में निराला की कविता ‘बादल राग’ पर विचार करके पता चलता है कि निराला ने अपनी कविता में ‘बादल राग’ कविता के माध्यम से बादलों को क्रांति का प्रतीक बताया है। निराला ने बताया है कि बादल क्रांति का दूत बनकर शोषित पीड़ित किसानों के जीवन में आशा भरते हैं और उन्हें शोषण से मुक्ति दिलाते हैं।
जब गर्मी से स्थिति झुलसती धरती पर पेयजल की वर्षा करती हैं तो धरती वासियों के जीवन में नई उमंग का संचार होता है। सूरज की आग उगलती गर्मी से त्रस्त पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य आदि के जीवन में खुशहाली आ जाती है। इस तरह बादल सूरज के शोषण से धरती वासियों को मुक्ति दिलाते हैं। इसी को उन्होंने समाज शोषक वर्गों द्वारा शोषित का शोषण किए जाने के विरुद्ध की गई क्रांति का प्रतीक भी बताया है।
हम अपने जीवन की दृष्टि से देखें तो बदलो कि हमारे जीवन में बादलों की बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका है। हम जानते हैं कि पानी हर मनुष्य के लिए कितना आवश्यक है। बादल पानी की पूर्ति का सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं। बादल ना केवल बारिश कर हमारी प्यास बुझाते हैं बल्कि जब बारिश करते हैं तो खेती भी होती है, जिससे हमें अनाज प्राप्त होता है, तब हमारी भूख भी मिटती है। यानी बादल ना हो तो हम भूखे-प्यासे रह जाएं और हमारा जीवन भी नही रहेगा। इसलिए बादल हमारे लिए जीवनदायी हैं। वह हमारे जीवन में नए प्राणों का संचार करते हैं।


प्रश्न 4

त्याग तो वह होता…… उसी का फल मिलता है। अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।

उत्तर :

त्याग तो वह होता है…..उसी का फल मिलता है। पाठ में दिए गए इस संदर्भ में हम अपने जीवन का किसी प्रसंग का वर्णन करें तो हमारे पड़ोस में एक पति पत्नी रहते हैं, जो बेहद दयालु एवं धार्मिक स्वभाव के हैं। पत्नी रोज सुबह 10-12 लोगों का खाना बनाती है और पति दोपहर में अपनी दुकान से आते हैं। उसके बाद दोनो पति-पत्नी साथ में वह खाना लेकर आस पास की बस्ती में या किसी मंदिर के बाहर बैठे भिखारी आदि को देकर आते हैं। यह उनका रोज का कार्य है।
पति का कार्य कामकाज बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन उनके अंदर त्याग की भावना है। वह अपनी सीमित आय में भी यथासंभव असहाय लोगों का पेट भरने का प्रयास करते हैं। त्योहारों आदि के अवसर पर वह कुछ कपड़े आदि भी बांटते रहते हैं। हमने उन्हें इस तरह के अनेक परोपकार के कार्य करते देखा है। उनसे पूछने पर पता चला कि यह कार्य करने में उन्हें बड़ा ही आनंद आता है। उनका घर साधारण है और वे अपनी सारी कमाई लगभग इसी तरह खर्च कर देते हैं। उनके साधारण से घर में बहुत अधिक सुविधाएं ना होकर भी असीम शांति और सुकून है ।यह शायद उनके द्वारा किए गए त्याग और परोपकार के कार्यों के कारण ही है।
इसीलिए सच्चा त्याग तो वह होता है जो अपनी सुविधा को ध्यान में न रखकर किया जाए। जो अपने हित से ऊपर दूसरे के हित को समझें और उसके लिए कुछ त्याग करे, वही सच्चा त्याग है।


प्रश्न 5

पानी का संकट वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए।

उत्तर :

पानी का संकट वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहरा आया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबंध अन्य कई तरह के संकट हैं, जो हमारे पर्यावरण और मानव के अस्तित्व को चुनौती दे रहे हैं। यह सब मानव द्वारा किए गए अटपटे क्रियाकलापों के कारण ही उत्पन्न हुए हैं। इस तरह के कुछ संकट इस प्रकार हैं…
शुद्ध वायु का संकट : शुद्ध वायु का संकट आज के समय में एक बेहद गंभीर संकट बन चुका है। नगरों महानगरों की वायु अधिक प्रदूषित हो गई है कि लोगों को सांस लेना मुश्किल हो रहा है और लोग अनेक तरह की साँस से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। कल कारखानों द्वारा निकलने वाले जहरीले धुएँ, वाहनों द्वारा निकलने वाले विषैले धुएँ आदि से पूरा का पूरा वायुमंडल अत्यधिक प्रदूषित हो चला है।
वनों की कमी का संकट : मानव निरंतर वृक्षों की कटाई में लगा है और कंक्रीट के जंगल फैलाता जा रहा है, जिससे हरे-भरे जंगलों की कमी होती जा रही है। इस कारण हरियाली देखने को दुर्लभ होती जा रही है। इससे वातावरण का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
नदियों के अस्तित्व का संकट : मानव द्वारा किए गए अनेक तरह के व्यवसाय और विकास संबंधी गतिविधियों के कारण नदियां पूरी तरह दूषित हो हो गई हैं। बहुत सी नदियां अपने अस्तित्व की समाप्ति की ओर हैं या हो चुकी हैं। इनका जल इतना जहरीला हो चुका है कि उसमें उसे पीना तो दूर स्नान तक नहीं कर सकते।
ग्लोबल वार्मिंग का संकट : ग्लोबल वार्मिंग के लिए आज के समय की बड़ी चुनौती बना है। निरंतर पिघलती बर्फ और बढ़ती जा रही गर्मी के कारण पूरी पृथ्वी का ही मौसम अनियमित होता जा रहा है, जो आगे भविष्य के लिए एक खतरनाक विनाश का संकेत दे रहा है।


प्रश्न 6

आपकी दादी-नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती हैं? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है? लिखिए।

उत्तर :

हमारी दादी नानी में अनेक तरह की विश्वासों की बात करती थीं। इन्हें या तो हम अंधविश्वास कह सकते हैं या उनकी धार्मिक आस्था कह सकते हैं। हमारी दादी कभी मंगलवार और शनिवार को बाल नहीं कटाने देती थी। वह गुरुवार को कपड़े नहीं धोती थी। शुक्रवार को खट्टे पदार्थों का सेवन करने से मना करती थी। वह शनिवार को तेल आदि का दान करना शुभ मानती थी। कभी घर में हम लोग थाली चम्मच आदि बजाने लगते तो वह हमें टोकती थीं कि इस तरह बर्तन बजाने से घर में लड़ाई होती है।

हमारी दादी कहती थी खाना खाने के तुरंत बाद नहाना नहीं चाहिए। हमारी दादी शाम के समय ना तो हमें चावल खानी देती थीं और दही खाने से मना करती थीं। जिसका हमें बाद में पता चला कि यह विज्ञान की दृष्टि से भी ठीक नहीं है। उसी प्रकार खाना खाने के तुरंत बाद नहाना भी स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं है। इस तरह कुछ बातें थी, जिनमें कुछ अंधविश्वास थी और कुछ बातें वैज्ञानिक दृष्टि से सही भी थी। जिसे उन्होंने अपनी परंपराओं का रूप दे दिया था।


चर्चा करें

बादलों से संबंधित अपने-अपने क्षेत्र में प्रचलित गीतों का संकलन करें तथा कक्षा में चर्चा करें।

उत्तर :

ये एक प्रायोगिक कार्य है। विद्यार्थी अपने क्षेत्र में बादलों से संबंधित गीतों का संकलन करें और अपनी कक्षा में चर्चा करें।


प्रश्न 2

पिछले 15-20 सालों में पर्यावरण से छेड़-छाड़ के कारण भी प्रकृति-चक्र में बदलाव आया है, जिसका परिणाम मौसम का असंतुलन है। वर्तमान बाड़मेर (राजस्थान) में आई बाढ़, मुंबई की बाढ़ तथा महाराष्ट्र का भूकंप या फिर सुनामी भी इसी का नतीजा है। इस प्रकार की घटनाओं से जुड़ी सूचनाओं, चित्रों का संकलन कीजिए और एक प्रदर्शनी का आयोजन कीजिए, जिसमें बाज़ार दर्शन पाठ में बनाए गए विज्ञापनों को भी शामिल कर सकते हैं। और हाँ ऐसी स्थितियों से बचाव के उपाय पर पर्यावरण विशेषज्ञों की राय को प्रदर्शनी में मुख्य स्थान देना न भूलें।

उत्तर :

इस प्रायोगिक कार्य को करने के लिए विद्यार्थी अपने घर के सदस्यों और विद्यालयों के अध्यापकों की सहायता ले सकते हैं।


विज्ञापन की दुनिया

‘पानी बचाओ’ से जुड़े विज्ञापनों को एकत्रित कीजिए। इस संकट के प्रति चेतावनी बरतने के लिए आप किस प्रकार का विज्ञापन बनाना चाहेंगे?

उत्तर :

विद्यार्थी पानी से जुड़े विज्ञापनों को एकत्र करें। इस संकट के प्रति चेतावनी बरतने के लिए एक ऐसा पोस्टर वाला विज्ञापन बनाना चाहिए जो लोगों को पानी को बचाने के लिए गंभीर रूप से सोचने को विवश कर दे।


(काले मेघा पानी दे : धर्मवीर भारती – कक्षा-12 पाठ-13 हिंदी आरोह 2)


ये पाठ भी देखें…

साखी : कबीर (कक्षा-10 पाठ-1 हिंदी स्पर्श 2)

पद : मीरा (कक्षा-10 पाठ-2 हिंदी स्पर्श 2)

दोहे : बिहारी (कक्षा-10 पाठ-3 हिंदी स्पर्श 2)

मनुष्यता : मैथिलीशरण गुप्त (कक्षा-10 पाठ-4 हिंदी स्पर्श 2)

पर्वत प्रदेश में पावस : सुमित्रानंदन पंत (कक्षा-10 पाठ-5 हिंदी स्पर्श 2)

 

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