कायिक प्रवर्धन के कुछ लाभ प्रकार हैं…
कायिक प्रवर्धन की सहायता से जिन पौधों में बीज उत्पन्न करने की सामर्थ्य नहीं होती, उनका भी प्रजनन किया जा सकता है और नए पौधों की उत्पत्ति की जा सकती है।
कायिक वर्धन द्वारा उगाए गए पौधे उन्नत किस्म की नस्ल के पौधे हो सकते हैं। बीज द्वारा उत्पन्न पौधे की अपेक्षा कायिक प्रवर्धन द्वारा उत्पन्न पौधों की अपेक्षा कम समय में विकसित हो जाते हैं और फल फूल देने लगते हैं।
बीज द्वारा उगाए गए पौधों में पीढ़ी दर पीढ़ी अनुवांशिक परिवर्तन होते रहते हैं, लेकिन कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए पौधों के लक्षण अपने जनक पौधों के समान ही होते हैं और उनमें किसी तरह के परिवर्तन नहीं होते।
कायिक प्रवर्धन क्या है?
कायिक प्रवर्धन एक ऐसी जनन विधि है, जिसमें किसी पौधे के शरीर का कोई भाग लेकर उससे नए पौधे की उत्पत्ति की जाती है, पौधे का यह भाग ‘कायिक’ कहलाता है। जनक पौधे के किसी का एक अंग जैसे जड़, तना, पत्ती अथवा कलिकाएं कायिक अंग हैं। ये कायिक अंग कायिक प्रवर्धन द्वारानए पौधों को जन्म दे सकते हैं।
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