आप मयंक मौर्य मंजू राजपूत है आजकल प्लास्टिक की वस्तुओं का खूब प्रयोग हो रहा है। प्लास्टिक से होने वाली हानियाँ बताते हुए दैनिक जागरण अ.ब.स. नगर के संपादक को 100 शब्दों में पत्र लिखें जिसमें उसे प्रकाशित करने का अनुरोध किया गया हो।

परीक्षा भवन,

अ. ब. स. नगर,

सेवा में,

संपादक महोदय,

दैनिक जागरण ।

विषय : प्लास्टिक से होने वाली हानियाँ बताते हुए दैनिक जागरण  नगर के संपादक को पत्र

महोदय,

मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र की सहायता से प्लास्टिक की चीजों से होने वाली हानि के बारे में सरकार तथा जनता का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ । विज्ञान की खोज प्लास्टिक हमारी जरूरत और सुविधा के लिए तैयार किया था ।

लेकिन अब यह खतरनाक दुश्मन बनकर हमारे पर्यावरण के विनाश का कारण बनता जा रहा है । प्लास्टिक निर्मित पदार्थों से पैदा हुए कचरे का निपटारा करना अत्यंत ही कठिन कार्य होता है । जमीन से लेकर समुद्र तक, गांव से लेकर शहर तक और मैदान से लेकर पहाड़ तक प्लास्टिक का ही दबदबा है ।

पीने के पानी में भी लोग मिला हुआ प्लास्टिक पी रहे हैं, नमक में प्लास्टिक खा रहे हैं । प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को बड़ी तेजी से प्रदूषित करके अत्यधिक नुकसान पहुंचा रहा है ।

प्लास्टिक एक नान बायो-डिग्रेडेबल पदार्थ है । इसीलिए यह हर जगह पड़ा हुआ रहता है और नष्ट नहीं होता । न तो पानी और न ही मिट्टी में विघटित होता है और इसे जलाने पर इसका नुकसान और भी ज्यादा हानिकारक हो जाता है ।

यह वातावरण में सैकड़ों सालों तक उपस्थित रहता है । इस हानिकारक प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग को रोककर ही हम इस भयावह समस्या पर काबू पा सकते हैं ।

हमें हर एक व्यक्ति को इस समस्या के निवारण के लिए समझाना होगा, जागरूक कारण होगा और इस समस्या के समाधान के लिए आगे आना होगा । इसे रोकने में अपना बहुमूल्य योगदान देना होगा तभी हमारी धरती इंसानों के रहने लायक बनी रहेगी ।

खुद प्लास्टिक को खत्म करने की कोशिश न करें । न पानी में, न जमीन पर और न ही जमीन के नीचे प्लास्टिक खत्म होता है । इसे जलाना भी पर्यावरण के लिए अत्यधिक हानिकारक है । हमारे देश में भी कई ऐसे सेंटर स्थापित हो गए हैं जहां प्लास्टिक रिसाईकल किया जाता है।

अपने कचरे को वहां पहुंचाने की व्यवस्था करें । मिट्टी के पारंपरिक तरीके से बने बर्तनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दें सरकार और पर्यावरण संस्थाओं के अलावा भी हर एक नागरिक की पर्यावरण के प्रति कुछ खास जिम्मेदारियाँ हैं जिन्हें अगर समझ लिया जाए तो पर्यावरण को होने वाली हानि को बहुत हद तक कम किया जा सकता है ।

खुद पर नियंत्रण इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकता है । अतः आपसे विनम्र आग्रह है कि आप मेरे इस पत्र को अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करें । आपकी इस कृपा के लिए मैं आपका सदा आभारी रहूँगा । सकारात्मक उत्तर की प्रतीक्षा में ।

धन्यवाद सहित ।

निवेदक,

मयंक मौर्य ।

 

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