पेड़-पौधे हमारे जीवन रक्षक ही नहीं अपितु प्राकृतिक मित्र भी हैं। इस कथन पर विचार कीजिए।​

वृक्ष प्रकृति की एक अनमोल देन है और यही वजह है कि भारत में वृक्षों को प्राचीन काल से ही पूजा जाता रहा है । संपूर्ण आयुर्वेद विज्ञान प्रकृति की इसी देन पर आधारित है । भारतीय संस्कृति में प्रकृति के अन्य चीजों की तरह पेड़ों की पूजा भी की जाती हैं । बरगद, तुलसी, नीम, खेजड़ी, पीपल जैसे पेड़ों में देवों का वास माना गया हैं । हमारी प्रकृति में पेड़ सबसे बड़े परोपकारी हैं वे हमारे लिए अपना सब कुछ निस्वार्थ ही दान कर देते हैं । पेड़ हमें प्राण वायु आक्सीजन प्रदान कर जीवन प्रदान करते ही हैं, साथ ही हरे भरे पेड़ वर्षा में ही सहायक हैं । घने जंगल बाढ़ आदि को रोकने तथा मिट्टी के कटाव को रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं व्यक्ति जब भी जीवन में थकावट महसूस करता हैं । तो वह हरी भरी हरियाली तथा घने पेड़ों से सुसज्जित प्रकृति की गोद में जा बैठता हैं । प्रकृति का यह हरा रंग, एकांत का माहौल, स्वच्छ वायु जीवन में नई ताजगी एवं उत्साह भर देते हैं । वृक्ष और मानव दोनों ही प्रकृत्ति की सन्तान हैं । प्रकृति ने मनुष्य को अपार वन सम्पदा की अमूल्य भेट दी हैं ।

वृक्षों से हमें लकड़ी, घास, गोंद, रेजिन, रबर, फाइबर, सिल्क, टैनिन, लैटेक्स, हड्डी, बांस, केन, कत्था, सुपारी, तेल, रंग, फल, फूल, बीज तथा औषधियाँ प्राप्त होती हैं। वृक्ष पर्यावरण को शुद्ध करने का कार्य करते हैं और प्रदूषण को दूर करते हैं । ध्वनि प्रदूषण को दूर करते हैं । वायु अवरोधक की तरह काम करते हैं और इस तरह आँधी तूफान से होने वाली क्षति को कम करते हैं । वृक्ष की जड़ मिट्टी को मजबूती से पकड़ कर रखती है जिससे भूमि कटान रुकता है । आज के आधुनिक युग में शहरी करण तथा औद्योगीकरण के फलस्वरूप वृक्षों का उपयोग बढ़ा है । आज वृक्षों का उपयोग कृषि जगत में ऊर्जा एवं ईंधन के श्रोत में भवन, पुल, रेल तथा साज सजावट इत्यादि के निर्माण में किया जाता है । जैसे-जैसे आधुनिक सभ्यता का विकास होता गया उसके साथ-साथ आदमी की इच्छाएँ, लोभ, लालच विस्तार पाते गये। अपने लोभ, लालच और स्वार्थों की पूर्ति एवं धन लिप्सा ने मनुष्य का ध्यान वनों की ओर आकर्षित किया और स्वार्थी मनुष्य ने अपने परम हितैशी वृक्षों का सफाया करना आरम्भ कर दिया । फलस्वरूप वन कटते चले गये और हरे-भरे घने पहाड़ नग्न हो गये । परिणाम स्वरूप अनेको वनस्पतियां, औषधीय पौधे मुरझाकर जड़ मूल से समाप्त होने लगे । साथ ही अनेको पशु-पक्षियों की जातियाँ, प्रजातियाँ रहने का ठौर ठिकाना न पाकर विलुप्त होते गये ।

जब एक वृक्ष कटता है तो वह केवल वृक्ष ही नहीं कटता उससे मिलने वाली सभी चीजें तथा उस पर उगने वाली वनस्पतियाँ, जड़ी बूटियाँ, औषधीय तत्व, पेड़ों पर रहने वाले पशु पक्षी, कीड़े मकोड़े सभी का ह्रास होता है । वृक्षों की अंधाधुंध कटाई का मूल कारण बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण तथा औद्योगीकरण है । पेड़ पौधे हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है । ये हमारी सहायता करते है । इसलिए हमारा दायित्व बनता है की हम भी इनकी रक्षा करें । पेड़ पौधों की सुरक्षा से प्रकृति का बचाव किया जा सकता है ।

 

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