टीकाकरण किसी भी रोग से बचाव की वह प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत रोगजनक जीवाणुओं की थोड़ी सी मात्रा लेकर शरीर में टीका के माध्यम से पहले से ही पहुंचा दी जाती है। जिससे उस रोग के विरुद्ध शरीर में एक तरह की प्रतिरोधक क्षमता का विकास हो जाता है। इस प्रतिरोधक क्षमता के विकसित होने के कारण शरीर उस जीवाणु से होने वाले रोग से बचाव के लिए स्वयं को पहले से तैयार कर लेता है और उस बीमारी का जीवाणु शरीर पर रोग के संक्रमण का प्रभाव नहीं डाल पाता। इसी कारण विभिन्न तरह के रोगों का टीका विकसित कर लिया जाता है।
टीका बनाने के लिए, जिस जीवाणु से कोई रोग उत्पन्न होता है, उसी मृत जीवाणु का थोड़ा सा अंश लेकर उससे टीके का विकास किया जाता है।
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