नेताजी की मूर्ति बनवाने को लेकर लेखक ने नगर पालिकाओं की कार्यप्रणाली पर जो व्यंग्य किया है, उसे स्पष्ट कीजिए।

‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में नेता जी की मूर्ति बनवाने को लेखक ने नगर पालिकाओं की कार्य प्रणाली पर अनेक व्यंग्य किए है। लेखक के अनुसार कस्बे में नगरपालिका थी तो वह खानापूर्ति के लिए कुछ ना कुछ वह कार्य करवाते ही रहती थी। नगर पालिका बजट के हिसाब से कार्य करवाती थी और किसी भी बात का निर्णय लेने में उहापोह और चिट्ठी पत्री में भी काफी समय बर्बाद होता था। किसी भी कार्य की समय अवधि समाप्त हो जाने से पहले कार्य पूरे करने की जल्दी में वह उल्टा सीधा खानापूर्ति करके कार्यों को संपन्न कर लेते थे ताकि शासन प्रशासन को सही समय पर रिपोर्ट सौंपी जा सके। नगरपालिकाओं की यही कार्यशैली होती है कि वह खानापूर्ति पर अधिक ध्यान देते हैं ना कि कार्य के मूल सार्थकता और उसकी गुणवत्ता पर। नगर पालिका ने जल्दी-जल्दी में आनन-फानन में जो मूर्ति बनाने का काम विद्यालय के ऐसे मास्टर को दे दिया जोकि मूर्ति बनाने का कोई बहुत वड़ा विशेषज्ञ नही था। इस कारण वो मूर्ति बनाते समय उसमे एक बड़ी कमी छोड गया और मूर्ति पर कोई चश्मा नही बनाया जोकि नेताजी के व्यक्तित्व की पहचान थी।

 

 

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(क) हालदार साहब के अनुसार देशभक्ति आजकल क्या होती जा रही है ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर बताइए।; (i) प्रेम की भावना; (ii) लगाव की भावना; (iii) मजाक की भावना; (iv) त्याग की भावना;

पानवाले के द्वारा कैप्टन को लंगड़ा कहना हालदार साहब को बुरा क्यों लगा? (i) क्योंकि अपंग होते हुए भी वह देशभक्ति की भावना रखता था। (ii) क्योंकि उन्हें मजाक पसंद नही था। (iii) क्योंकि उसे मूर्ति पर चश्मा लगाना अच्छा नहीं लगता था। (iv) क्योंकि उन्हें मजाक पसंद था।

मूर्ति निर्माण में नगर पालिका को देर क्यों लगी होगी नेताजी का चश्मा पाठ के आधार पर बताइए? (अ) धन के अभाव के कारण (ब) मूर्तिकार ना मिलने के कारण (स) मूर्ति स्थापना के स्थान का निर्णय न कर पाने के कारण (द) संगमरमर ना मिलने के कारण

‘नेताजी का चश्मा’ कहानी के अनुसार देश के निर्माण मे बडे ही नही बच्चे भी शामिल है। आप देश के सब नव निर्माण मे किस प्रकार योगदान देंगे?

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